XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
08-04-2021, 12:24 PM,
#41
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
गंगा और पारो

मम्मी मेरा इंतज़ार कर रही थी और हम दोनों ने मिल कर मेरा सूटकेस तैयार कर दिया.यह फैसला हुआ था कि मैं अपनी लखनऊ वाली कोठी, जो कभी कभी इस्तेमाल होती थी, में जाकर रहूँगा. वहाँ एक चौकीदार अपने परिवार के साथ नौकरों की कोठरी में रहता था, उसको फ़ोन पर सब बता दिया था और उसने सारी कोठी की सफाई वगैरा करवा दी थी.मम्मी पापा दोनों मुझको छोड़ने के लिए जाने वाले थे.
और फिर अच्छे मुहूर्त में हम सब लखनऊ के लिए रवाना हो गए. मम्मी पापा के अलावा गंगा भी साथ ही चल रही थी.वहाँ पहुंचे तो ड्राइवर हमारी नई कार को सीधे कोठी के मुख्या द्वार की तरफ ले गया. हमारा चौकीदार अपने परिवार के साथ हमारा स्वागत करने के लिए खड़ा था.वहाँ चौकीदार लखन लाल ने हमारा स्वागत किया और फिर हम अंदर आ गए. कोठी का हाल कमरा काफी बड़ा था जिस पर नए फैशन का सोफासेट पड़ा था और सजावट भी काफी अच्छी थी.और फिर हमने अपना कमरा देखा जो बहुत आलखनदेह लग रहा था.
तभी मम्मी गंगा को समझाने लगी- सतीश का सारा सामान सूटकेस से निकाल कर इन दो अलमारियों में सजा दे.फिर सबको समझा कर शाम के समय मम्मी पापा घर वापस चले गए.हमारे गाँव से लखनऊ केवल चार घंटे का सफर था.
मैं गंगा की कोठरी देखने गया जो कोठी के एकदम पीछे थी.मैंने गंगा से कहा- कल सारी जगह देखने के बाद फैसला करेंगे. आज की रात तू मेरे कमरे में ही सोयेगी.
रसोई में खाना बनाने वाली एक अधेड़ उम्र की औरत थी जो विधवा थी, देखने में काफी सेक्सी लगती थी.

गंगा और मेरी यह पहली रात थी एक कमरे में, मैंने खाना अपने कमरे में मंगवा लिया और खाना खत्म करने के बाद जब गंगा आई. तो मैंने उसको कहा- गंगा, उस दिन मैं तुझ को अच्छी तरह देख नहीं पाया, आज तू अपना जलवा दिखा.वो बोली- अच्छा छोटे मालिक.
और गंगा ने धीरे धीरे कपड़े उतारने शुरू कर दिये, पहले गुलाबी रंग की धोती उतारी, फिर ब्लाउज उतार दिया और आखिर में उसने पेटीकोट भी उतार दिया.जैसा कि पहले लिख चुका हूँ, गंगा एक छरहरी और कुंवारी दिखने वाली लड़की लग रही थी, उसके मम्मे भी छोटे लेकिन सॉलिड लग रहे थे, उसका पेट भी अन्दर को था लेकिन चूतड़ छोटे लेकिन गोल लग रहे थे.
वो नग्न होकर मेरे पास धीरे धीरे आ गई और मैं भी पूरा नग्न होकर उसके सामने खड़ा हो गया. मेरा लंड अकड़ा हुआ खड़ा था और उसकी बालों से भरी चूत को सलामी दे रहा था.मैंने आगे बढ़ कर उस को अपनी बाहों में भर लिया और फिर उसको उठा कर सारा कमरा घूम लिया.
उसको लिटा दिया और उसकी टांगों में बैठ कर धीरे से लंड उसकी टाइट चूत में डाल दिया. उसकी चूत एकदम गीली और पूरी तरह से तप रही थी.मैं उसके मम्मों को चूसने लगा और हल्के हल्के धक्के भी मारता रहा, वो भी नीचे से धक्के मार रही थी.
थोड़ी देर बाद ऐसा लगा कि गंगा की चूत से बहुत पानी बह रहा है. चुदाई रोक कर देखा तो हैरान हो गया कि उसकी चूत में से पानी का छोटा सा फव्वारा निकल रहा है, उसको सूंघ कर देखा तो वो पेशाब नहीं था लेकिन चूत का रस था.यह देख कर मैं फिर पूरे जोश के साथ उसको चोदने लगा और थोड़ी देर में गंगा फिर झड़ गई, बुरी तरह कांपती हुई वो मेरे से सांप के तरह लिपट गई.गंगा का शरीर दुबला था लेकिन यौन आकर्षण भी बहुत था उसमें!
उस रात हम दोनों ने कई बार चुदाई की और गंगा ने जब तौबा की तभी उसको छोड़ा. फिर हम एक दूसरे के आलिंगन में ही सो गये.
सुबह जब आँख खुली तो गंगा जा चुकी थी और थोड़ी देर बाद वो मेरी चाय ले कर आ गई.चाय देने के बाद वो खड़ी रही.मैंने पूछा- कुछ कहना है गंगा?वो हिचकते हुए बोली- छोटी मालिक, वो जो रसोईदारिन है, पूछ रही थी कि मैं आपके कमरे में क्यों सोई थी कल रात?‘अच्छा… वो क्यों पूछ रही थी?’‘मुझ को ऐसा लगता है कि उसको हम दोनों पर शक हो गया है!’‘अच्छा, अभी तो मैं कॉलेज जा रहा हूँ लेकिन वहाँ से वापस आकर उससे बात करूंगा!’
शाम को जब मैं कॉलेज से लौटा तो गंगा मेरे लिए चाय और कुछ नमकीन ले आई. चाय पीने के बाद मैंने रसोइयिन को बुलाया.जब वो आई तो मैंने उसको अच्छी तरह से देखा, 30-35 की उम्र और भरे जिस्म वाली औरत थी, देखने में कॅाफ़ी आकर्षक थी, उसके स्तन और नितम्ब दोनों ही काफी बड़े थे, चेहरा भी आकर्षक था और काफी सेक्सी लग रही थी.
मैंने पूछा- आंटी जी, आपका नाम क्या है?वो बोली- छोटे मालिक, मेरा नाम परबतिया है लेकिन सब मुझको पारो के नाम से बुलाते हैं.‘आप कब से यहाँ काम कर रही हो?’वो बोली- कल ही चौकीदार लखन लाल बुला कर ले आया था और कहा था कि छोटे मालिक का खाना वगैरह बनाना है और कोठी की साफ़ सफाई करनी है और दिन रात का काम है.‘ठीक है, कितनी तनख्वाह का बोला था उसने?’‘उसने कहा था कि शुरू में 50 रुपए महीना देंगे और फिर बढ़ा देंगे.’‘अच्छा, आप इसी शहर की हो या फिर किसी गाँव की हो?’‘छोटे मालिक, मैं आपके गाँव के पास ही एक गाँव की हूँ. लखनलाल के भाई ने मुझको बताया था तो मैं यहाँ आ गई.’
मैंने लखन लाल को कहा कि इन दोनों को जो कोठरी पसंद हो दे देना और चारपाई इत्यादि का भी इंतज़ाम कर देना.लखनलाल को गेट पर भेज कर मैं अंदर आ गया और पारो को भी कहा कि साथ आये.
फिर मैंने पारो को कहा- ऐसा है आंटी, मैं रात को बहुत डर जाता हूँ तो मेरे साथ मेरे कमरे में कोई न कोई ज़रूर सोता है. इसीलिए गंगा मेरे साथ सोती है और वहाँ गाँव में भी मेरे काम वाली नौकरानी मेरे ही कमरे में सोती थी. अगर आप सोना चाहो तो आप भी सो सकती हो! क्यों?
पहले वो हिचकिचाई फिर कहने लगी- ठीक है छोटे मालिक, मैं भी अकेले में घबराऊँगी सो आप दोनों के साथ सो जाय करूँगी.‘चलो तय हो गया कि तुम दोनों रात को इसी कमरे में सोया करोगी. आज रात खाने में क्या बना रही हो?’‘जो आप बोलो?’‘अच्छा तो मटन ले आना आधा सेर, वही बना लेना. देखते हैं कैसा बनाती हो?’

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08-04-2021, 12:24 PM,
#42
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दोनों चली गई तो मैं लेट गया और फिर मुझको झपकी लग गई, उठा तो शाम के 7 बज चुके थे.मैंने डाइनिंग टेबल पर खाना खाया, मैं अकेला ही था.फिर मैं बाहर निकल गया और कोठी के आस पास चक्कर लगाने लगा.
थोड़ा समय ही घूमा हूँगा कि एक आदमी मेरे से बोला- साहिब, माल चाहिए क्या?‘कैसा माल?’‘कोई लड़की या औरत?’मुझको समझने में थोड़ी देर लगी, मैंने कहा- कहाँ है लड़की?‘साहिब हाँ बोलो तो ले जायेंगे आपको वहाँ!’‘कितने पैसे लगेंगे?’‘यही कोई 50 रुपए!’‘नहीं भैया, मुझको कुछ नहीं चाहिये.’
यह कह कर मैं वापस कोठी के अंदर आ गया और जाकर अपने बैडरूम में पायजामा कुरता पहन लिया और बिस्तर पर लेट गया.थोड़ी देर बाद पहले गंगा आई और फिर बाद में पारो भी आ गई, दोनों ने अपने बिस्तर बिछा लिए और दोनों लेट गई.अब मैं सोच में पड़ गया कि गंगा को कैसे चोदूँ? यह सब मेरी गलती है. पारो को न बुलाता तो अच्छा प्रोग्राम चल रहा था मेरा और गंगा का.यह सब सोचते हुए में जाने कब सो गया.
रात को अचानक मेरी नींद खुली तो देखा कि पारो गंगा के बिस्तर में उसके साथ लेटी हुई थी और उसकी धोती को ऊपर करके उसकी चूत में उँगली से मसल रही थी.पारो की अपनी धोती भी जांघों के ऊपर पहुँच गई थी और गंगा का हाथ भी पारो की चूत से खेल रहा था.पारो की चूत एकदम काले मोटे बालों से ढकी थी.
यह नज़ारा देख कर मैं भी पारो की साइड पर बिस्तर में लेट गया और अपना हाथ उसकी चूत के ऊपर फेरने लगा, कभी उसकी चूत के मुंह को हाथ से मसल रहा था और कभी उसके मोटे मम्मों को दबाने में लगा था.पारो की चूत एकदम गीली हो चुकी थी, उसकी आँखें अभी भी बंद थी.
मैंने चुपके से उसकी धोती को और ऊपर उठाया और पारो की टांगों को चौड़ा कर के अपना खड़ा लंड उस की चूत के ऊपर रख दिया.पहले थोड़ा डाला और फिर उसको धीरे से पूरा डाल दिया.मैंने पारो की आँखों की तरफ देखा जो पूरी तरह से बंद थीं. मुझको लगा कि वो गहरी नींद में सोई थी.गंगा की धोती भी ऊपर उठी हुई थी और उसका हाथ भी पारो की चूत पर था और वो भी पारो की चूत से खेल रहा था.उसका हाथ मेरे लंड से रगड़ रहा था.
पारो की कमर नीचे से ऊपर उठ कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी, उसकी पनिया रही चूत से लप लप की आवाज़ निकल रही थी. थोड़े से धक्के और मारे तो पारो की चूत झड़ गई, उसने कस कर मुझ को चिपटा लिया और कस के बांधे रखा जब तक वो पूरी झड़ नहीं गई.
अब मैंने गंगा को देखा, वो भी चूत में ऊँगली कर रही थी.मेरा खड़ा लंड अब गंगा की चूत में जाने को उतावला हो रहा था.पारो अब करवट बदल कर गहरी नींद में सो गई थी.मैं अब उठ कर गंगा वाली साइड में चला गया और उसकी धोती ऊपर उठा कर लंड का एक ज़ोर का धक्का दिया और वो पूरा उसकी चूत में समां गया.
वो तब भी आँखें बंद कर के सोई हुई लगी. उसको मैंने धीरे धीरे चोदा और उसकी गीली चूत से फव्वारा छूटा दिया.फिर मैंने दोनों की धोती ठीक कर दी और आकर अपने पलंग पर लेट गया.मेरा लंड अभी भी खड़ा था लेकिन मन में ख़ुशी थी कि दो औरतों को चोद कर पट्ठा अभी रात भर सलामी देने को तैयार है.थोड़ी देर में मुझको नींद आ गई और सुबह जब नींद खुली तो दोनों औरतें जा चुकी थी.
थोड़ी देर बाद गंगा मेरी चाय लेकर आई, मैंने उससे पूछा- रात कैसे कटी?वो बोली- छोटे मालिक, ऐसी गहरी नींद थी कि कुछ भी पता नहीं चला.मैं बोला- मुझको भी बड़ी गहरी नींद आई थी.
नाश्ता करके मैं कॉलेज चला गया और दोपहर 2 बजे वापस आ गया.पारो मुझ को ठंडा पानी देने आई, उसके चेहरे को गौर से देखा लेकिन रात की चुदाई का कोई निशाँ नहीं था.कुछ अजीब सा लगा कि इन दोनों की नींद इतनी पक्की है कि इनको पता ही नहीं चला कि वो दोनों रात को चुद गई हैं.
थोड़ी देर बाद गंगा भी आई और बोली- पारो पूछ रही है की रात को क्या बनाएँ?मैंने कहा- कुछ भी बना लो और तुम ना… पारो को पटाओ ताकि हमारा चूत लंड का खेल जारी रहे. उससे पूछो कि वो अपनी चूत की भूख कैसे शांत करती है.गंगा ने हाँ में सर हिला दिया और चली गई.
रात को खाना खाने के बाद मैं बिस्तर में लेटा ही थी कि गंगा आ गई और वो बोलना शुरू हो गई- छोटे मालिक, पारो एक विधवा है जो 3 साल पहले अपने पति को खो चुकी है. तब से वो किसी गैर मर्द के साथ नहीं गई और अपनी काम की भूख सिर्फ उंगली से शांत करती है. वो कह रही थी कि कोई अच्छा आदमी मिल जाएगा तो वो दोबारा शादी कर लेगी. जब मैंने उससे पूछा कि अगर तुमको कोई आदमी केवल कामक्रीड़ा के लिए मिल जाए तो तुम क्या उससे काम क्रीड़ा के लिए राज़ी हो जाओगी? वो कुछ बोली नहीं सिर्फ इतना कहा कि ऐसा समय आने पर मैं देखूंगी.
मैं बोला- अच्छा देखेंगे. मैं सोच रहा हूँ कल वही तरकीब इस्तेमाल करूँगा जो मैंने पहले भी आज़माई थी.

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08-04-2021, 12:28 PM,
#43
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थोड़ी देर में पारो भी आ गई, उसने आज काफी रंगीन साड़ी पहनी हुई थी. हम तीनों थोड़ी देर बातें करने के बाद हम सो गए.
सुबह जल्दी ही आँख खुल गई और देखा आज भी पारो की साड़ी और पेटीकोट उसकी जांघों के ऊपर था और उसकी चूत के काले बाल साफ़ दिख रहे थे, उसकी जांघें काफी मोटी और गोल थी.दिल तो हुआ कि जाकर उसकी गोल जांघों को चूम लूँ और फिर अपना लौड़ा भी उन पर फेरते हुए उसकी चूत में डाल दूँ.
यह सोचते ही मेरा लंड खड़ा हो गया और मैंने उसको पयज़ामे के बाहर कर लिया और हल्के हल्के उस पर हाथ फेरने लगा.मेरी आँखें बंद थी और थोड़ी देर में मुझको महसूस हुआ कि कोई अपना हाथ मेरे लंड पर फेर रहा है.आँखें खोली तो देखा वो हाथ पारो का था और वो फटी आँखों से मेरे लंड को देख रही है.
मैंने बिना कुछ सोचे ही खींच कर पारो को अपने बाहों में भर लिया और उसको बार बार चूमने लगा, खासतौर उसके होटों को और उस के गोल गालों को!
फिर जाने कैसे हिम्मत आ गई और मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी साड़ी उतार दी और पेटीकोट ऊंचा कर दिया और उस की चौड़ी टांगों में बैठ अपना लंड पूरा उस की प्यासी चूत में डाल दिया.
उसकी तपती चूत भट्टी बनी हुई थी और मुश्किल से 10 धक्के ही मारे थे कि वो ज़ोर से झड़ गई.वो इतनी ज़ोर से कांपने लगी जैसे हवा में एक पत्ता कांपता है.मैं अभी भी पारो के ऊपर लेटा था और मेरे खड़ा लंड अभी भी उस की गीली चूत में ही था. मैंने ध्यान से पारो को देखा उसकी आँखें बंद थीं और होटों पर एक मीठी मुस्कान थी.
उसने जब आँखें खोली और मुझको देखा तो उसके गोल बाजू एकदम मेरे गले में लिपट गए.मैंने अब धीरे धीरे धक्के मारने शुरू कर दिए, पारो ने भी अपने चूतड़ उठा कर मेरे धक्कों का जवाब देना शुरू कर दिया.
तभी गंगा उठ कर पलंग के पास आ गई और जल्दी से पारो के ब्लाउज को खोलने लगी और फिर अपने भी सारे कपड़े उतार कर वो हमारे साथ पलंग पर लेट गई.गंगा ने ऊँगली डाल कर पारो की चूत के दाने को रगड़ना शुरू कर दिया. मैंने भी अपना मुंह पारो के मुंह पर पर रख दिया और उसके होटों को चूसने लगा.मेरा लौड़ा अभी भी हल्के धक्के मार रहा था. फिर मैंने पूरी ताकत से लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और पारो की एकदम गीली चूत से फिच फिच की आवाज़ें आ रही थी जो मुझको और ज़ोर के धक्के मारने के लिए उकसा रही थीं.
गंगा पारो के मम्मों के साथ खेल रही थी और मैं उसकी चूत में लंड पेल रहा था. पारो अब फिर नीचे से चूतड़ मेरे लंड को आधे रास्ते में आने पर उठा रही थी.तभी मैंने महसूस किया कि पारो की चूत का मुंह अंदर से बंद और खुलना शुरू हो गया है तो मैंने धक्कों की स्पीड अपनी चरम सीमा पर कर दी.जब मैंने एक बहुत गहरा धक्का मारा तो पारो ‘हाय हाय…’ करके मुझसे चिपक गई और उसका एक बहुत ही तीव्र स्खलन हुआ.
जब वह ढीली और निढाल होकर पड़ गई तो मैंने लंड उसकी चूत से निकाल कर गंगा की चूत में धकेल दिया.उसकी चूत भी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और शायद इस कारण वश वो भी जल्दी ही झड़ गई. अब मैं दो औरतों के बीच खड़े लंड को लेकर लेटा था और हैरान हो रहा था कि पारो कैसे मेरे मन मर्ज़िया हो गई.एक हाथ पारो के मोटे मम्मों के साथ खिलवाड़ कर रहा था और दूसरे से मैं गंगा की चूत को सहला रहा था.

कहानी जारी रहेगी.

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08-04-2021, 12:28 PM,
#44
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लखनऊ में नैना से मुलाकात

मैं दो औरतों को चोद कर उनके बीच खड़े लंड को लेकर लेटा था और हैरान हो रहा था कि पारो कैसे मेरे मन मर्ज़िया हो गई.एक हाथ पारो के मोटे मम्मों के साथ खिलवाड़ कर रहा था और दूसरे से मैं गंगा की चूत को सहला रहा था.पारो के साथ चुदाई एक क्षण में हो गई, पारो इतनी जल्दी काबू में आ जायेगी, इसका मुझको यकीन नहीं था, इसमें शायद पारो को लंड की प्यास ही मुख्य कारण थी.
चुदाई कार्यक्रम के बाद वो दोनों चली गई और थोड़ी देर बाद गंगा मेरी सुबह की चाय लेकर आ गई.चाय पीते हुए मैंने उससे पूछा- गंगा, यह पारो कैसे इतने जल्दी मान गई चुदाई के लिए?वो बोली- छोटे मालिक मैं खुद हैरान हूँ कि यह कैसे हुआ?मैं बोला- तुमको मालूम है, मैंने तुमको और पारो को परसों रात को भी चोदा था?‘नहीं मुझको तो नहीं मालूम… कब चोदा आपने हम दोनों को?’
फिर मैंने उसको परसों रात वाली सारी बात बताई कि कैसे जब मेरी नींद खुली तो देखा तो पारो तुम्हारी चूत में ऊँगली डाल रही थी और तुम उसकी चूत में! और तुम दोनों गहरी नींद में सोई हुई थी, फिर उठ कर पहले मैंने पारो को सोये सोये चोदा और फिर तुमको भी हल्के से चोदा था, दोनों का पानी छूट गया था.वो हैरान होकर बोली- यह कैसे हो सकता है? मेरी नींद तो झट खुल जाती है.
मैंने मुस्कराते हुए कहा- मेरी किस्मत अच्छी थी जो तुम दोनों को एक साथ चोदने का मौका मिल गया और तुम दोनों को पता भी नहीं चला.फिर मैं नहा धोकर कॉलेज चला गया.
हमारा कालेज लड़के लड़कियों का साझा कॉलेज था, मैंने कॉलेज की लड़कियों को गौर से देखना शुरू कर दिया. कुछ लड़कियाँ थोड़ा बहुत फैशन करती थीं जैसे लिपस्टिक लगाना और साड़ी के इलावा पंजाबी सलवार सूट भी पहनती दिखी. लेकिन उनमें से कोई खास सुन्दर या सेक्सी दिखने वाली लड़की नहीं दिखी.

एक ख़ास चीज़ जो मैंने नोट की, वो थी सभी लड़कियाँ अंगिया (ब्रा) पहनती थी ब्लाउज के नीचे जो पहले गाँव में मैंने कभी नहीं देखा था.वैसे भी मुझको शहरी लड़की को देख कर कोई ख़ास आनन्द नहीं आता था. मैं तो गाँव की सीधी साधी लड़कियाँ ही ज्यादा पसन्द करता था.
गाँव की कच्ची उम्र की लड़कियाँ भी मुझको नहीं भाती थीं, गाँव की शादीशुदा औरतें ही पसंद थी. एक तो वो यौनक्रिया में काफी मंझी होती थीं, दूसरे उनको पकड़े जाने का भय भी कम होता था.
रात को भोजन के बाद ही चोदन प्रोग्राम रखा जाता था क्यूंकि उस समय हमारे काम में कोई विघ्न नहीं डाल सकता था और फिर रात में हम तीनों कोठी के अंदर अकेले ही होते थे.
आज जब दोनों आई तो मैंने कहा- पारो आंटी जी, आपको सुबह की घटना बुरी तो नहीं लगी?वो झट शर्माते हुए बोली- नहीं छोटे मालिक, और आप भी मुझको आंटी मत कहो न!‘ठीक है पारो, अब तुम दोनों सोच कर बताओ कि आज क्या करें?’
पारो तो चुप रही लेकिन गंगा ही बोली- छोटे मालिक, आज हम तीनों नंगे हो जाते हैं, फिर आप फैसला करो किसकी चुदाई पहले और किस की बाद में!
मैं बोला- गंगा, ऐसा करते हैं कि हम सब नंगे होकर मेरे पलंग पर लेट जाते है मैं बीच में और तुम दोनों मेरी बगल में, सबसे पहले पारो को चोद देंगे क्योंकि वो काफी अरसा नहीं चुदी और फिर गंगा की बारी… क्यों ठीक है?
गंगा जल्दी ही नंगी हो गई लेकिन मेरी निगाहें तो पारो पर लगी थी, वो धीरे धीरे कपड़े उतार रही थी, जैसे पहले ब्लाउज, फिर साड़ी और आखिर में उसने पेटीकोट उतारा..उसके चेहरे पर थोड़े से शर्म के भाव ज़रूर आये कि वो एक गैर मर्द के सामने नग्न हो रही है. ब्लाउज से निकल कर उसके मम्मे एकदम उछाल कर बाहर आ गए, गोल और काफी बड़े और पूरे सॉलिड दिख रहे थे. उसके मम्मों को देख मुझे नैना के मम्मों की याद आ गई, उसके बहुत बड़े और सॉलिड स्तन थे.हाथ में लिए तो उसके निप्पल एकदम अकड़ गए, गोल और सख्त, उसका पेट भी एकदम गोल और अंदर के तरफ था. उसके नितम्ब बहुत उभरे हुए और गोल थे.. हाथ लगते ही वो थिरक रहे थे.
गंगा को देखा तो वो एक छरहरे शरीर वाली लड़की लग रही थी, छोटे गोल मम्मे और सॉलिड गोल चूतड़, वो हर लिहाज़ से एक कुंवारी लड़की लग रही थी.मैं बोला- चलो शुरू हो जाओ, पहले पारो मेरे ऊपर चढ़ेगी और वो मुझको चोदेगी और जब तक वो चोद चोद कर थक नहीं जायेगी वो मेरे ऊपर से नहीं उतरेगी. और उसके बाद गंगा शुरू हो जायेगी. जब तक गंगा की बारी नहीं आती वो पारो को चूमे और चाटेगी ताकि वो गर्म बनी रहे.
पारो बोली- छोटे मालिक क्या यह संभव है? आपका यह लंड तब तक खड़ा रहेगा क्या?मैंने गंगा की तरफ देखा, वो मुस्करा रही थी.मैं बोला- पारो, तुम आजमा लो न, दखो कब तक यह तुम्हारी चूत की सेवा करता है.
गंगा ने पारो की चूत में हाथ डाल दिया और उसके दाने के साथ खेलने लगी और पारो अपनी चूतड़ उठा उठा कर उसके हाथ को तेज़ी से रगड़ने के लिए उकसाने लगी.
मैं उसके मम्मों को चूसने लगा, एकको चूसने के बाद दूसरे को मुंह में डाल लिया.
तब पारो उठी और मेरे ऊपर बैठ सी गयी और अपने हाथ से मेरे लोह समान लंड को अपनी चूत के ऊपर रगड़ कर उसके मुंह पर रख दिया.मैं चुपचाप लेटा रहा.
तब पारो ने अपनी चूत धीरे से मेरे लंड के ऊपर रख कर एक ज़ोर का धक्का दिया और घुप्प से लंड उसकी चूत के अंदर चला गया.और फिर वो पहले धीरे धीरे और बाद में तेज़ धक्के मारने लगी, उसके चेहरे पर यौन आनन्द के भाव आने लगे और थोड़े समय के बाद वो कांपती हुए झड़ गई लेकिन वो उतरी नहीं और थोड़ी देर बाद फिर धक्के मारने शुरू कर दिए.ऐसा उसने 3 बार किया और आखरी बार जब वो झड़ी तो मेरे ऊपर से उतर कर बिस्तर पर हांफ़ते हुए लेट गई.
मैंने शरारत के तौर से पूछा- बस पारो या अभी और इच्छा है?हांफ़ते हुए वो बोली- नहीं छोटे मालिक, मैं थक गई, अब गंगा की बारी है.मैं बोला- चलो गंगा, अब तुम चढ़ जाओ जल्दी से!जब वो भी 3-4 बार छूटा कर थक गई, वो भी उतर गई.
तब मैंने कहा- मेरा क्या होगा लड़कियों? मेरा तो छूटा नहीं अभी तक?पारो हैरानगी के साथ बोली- अभी आपका नहीं छूटा क्या? उफ़्फ़… अब क्या होगा?मैं बोला- कोई फ़िक्र नहीं, पारो तुम घोड़ी बनो!
वो घोड़ी बनी और मैंने उसको ज़ोर से चोदा और थोड़ी देर में वो खलास हो गई और मैंने भी एक ज़ोरदार पिचकारी उसकी चूत में मार दी और फिर मैं गंगा की तरफ मुड़ा और बोला- क्यों घोड़ी बनोगी क्या?वो बोली- नहीं छोटे मालिक, अब और नहीं!
तब हम सब एक दूसरे से चिपक कर सो गए.
यह सिलसिला रोज़ का हो गया और जिन दिनों एक की माहवारी होती तो दूसरी उसकी जगह लेने के लिए तैयार होती.मेरा यौनक्रिया का कार्यक्रम सही ढंग से चलता रहा और इस तरह हमको लखनऊ आये हुए दो महीने हो गए.फिर एक दिन गाँव से खबर आई कि गंगा की माँ बहुत बीमार है और मैंने उसकी पूरी तनख्वाह देकर उसको बस में चढ़ा दिया और साथ में उसको कुछ रूपए फ़ालतू भी दे दिए.

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08-04-2021, 12:28 PM,
#45
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
एक दिन में कॉलेज से वापस आ रहा था तो एक गली से ‘श शस्श… श… श… की आवाज़ आई, उस तरफ देखा तो एक औरत जिसका चेहरा ढका था और वो बहुत ही भड़कीली साड़ी पहने थी, वो मुझ को इशारे से अपने पास बुला रही थी.पहले तो मैं हिचकिचाया यह सोच कर कि ना जाने कौन औरत है, लेकिन फिर मन में सोचा कि देखो तो सही कौन है और क्या चाहती है वो मुझ से, मैं गली में चला गया.
वो मुझको अपने पीछे आने का इशारा कर तेज़ी से चलने लगी.थोड़ा सा चलने के बाद वो एक दो मंजिला मकान के अंदर जाने लगी और मुझको पीछे आने का इशारा करती रही. मैं भी उसके पीछे उस मकान में चला गया.
उसने कहा- आ जाओ साहिब.जब हम उसके कमरे में पहुंचे तो उसने मुझको अंदर करके दरवाज़ा बंद कर दिया और फिर उसने अपने मुंह को चादर से बाहर कर दिया.वो बोली- मुझ को पहचाना छोटे मालिक?मैंने गौर से देखा लेकिन बहुत कोशिश करने के बाद भी उस को नहीं पहचान सका. मैंने सर हिला दिया कि मैं नहीं पहचान सका उसको!
वो ज़ोर से हंसी और बोली- कैसे पहचानोगे छोटे मालिक? बहुत टाइम हो गया है. गौर से देखो मुझको?फिर कुछ कुछ याद आने लगा, 3-4 साल पहले की बात है नैना अचानक गाँव से गायब हो गई थी, काम क्रीड़ा की मेरी बहुत प्रिया गुरु थी वो!
मैंने मुस्करा कर कहा- नैना हो तुम?यह सुन कर वो ज़ोर से खिलखिला कर हंस दी और बोली- पहचान ही लिया छोटे मालिक. मैं तो सोच रही थी नहीं पहचानोगे आप?
मेरे चेहरे पर हैरानी थी और मैं बोला- अरे वाह नैना, गाँव से अचानक गायब हो गई थी तुम? क्या हुआ था?‘वो बाद में बताऊँगी. अभी कुछ करने का इरादा है क्या?’‘सच्ची? कुछ कर सकते हैं हम दोनों?’‘अगर तुम्हारी इच्छा हो तो?’
मैं बिना कुछ बोले उसकी तरफ बढ़ गया और उसको बाँहों में भर लिया और ताबड़ तोड़ उसको चूमने लगा. उसको चूमते हुए महसूस किया कि वो मेरे लंड से खेल रही है मेरी पैंट के ऊपर से.‘वैसा ही है क्या छोटे मालिक?’‘खुद देख लो न!’और यह कह कर मैंने अपनी पैंट उतार दी और कमीज भी उतार दी.उधर वो भी अपनी साड़ी और ब्लाउज उतार कर तैयार हो गयी, पेटीकोट भी एकदम ज़मीन पर आ गिरा.
मेरा लंड पहले ही तैयार खड़ा था अपनी गुरु की चूत लेने के लिए!
फिर हम दोनों एक बहुत ही गर्म चुदाई में लग गए, मेरी चुदाई का स्टाइल देख कर नैना हंसने लगी और बोली- आपने गुरु की बात पूरी तरह से मान ली क्या?लेकिन चूत और लंड की जंग जारी रही और यह जंग थी कि कौन पहले छूटेगा गुरु या चेला?
और मैंने अपने तजुर्बे का पूरा फायदा उठाते हुए अपनी चुदाई को एक नए मुकाम पर पहुँचा दिया.और तभी नैना एक ज़ोर से झटके के साथ झड़ गई और मेरे शरीर से लिपट गई.मैंने अपने धक्के जारी रखे और फिर नैना को दोबारा यौन की ऊंची सीढ़ी पर ले जाकर उसका फिर से छुटवा दिया.
वो हैरान हो रही थी लेकिन मैंने अपना छुटाए बिना ही बाहर निकाल लिया और उसके पेटीकोट से अपने लंड का गीलापन साफ़ कर दिया.उसने बंद आँखें खोलीं और बोली- वाह छोटे मालिक, आप तो एक्सपर्ट हो गए हो कसम से! एक बार भी नहीं छूटा आपका?
‘नैना, जो तुमने सिखाया वही तो है यह सब… अच्छा यह बताओ कि अचानक तुम कहाँ गायब हो गई थी?’‘रहने दो छोटे मालिक बड़ी लम्बी कहानी है.’‘नहीं नैना, मैं सुनना चाहता हूँ कि ऐसा क्या हुआ कि तुम भाग गई किसी आदमी के साथ?’
‘भाग गई? यह किसने कहा कि मैं भाग गई थी किसी के साथ?’‘गाँव में तो यही चर्चा थी.’‘नहीं छोटे मालिक ऐसा नहीं है, सच तो यह है कि मैं गर्भवती हो गई थी.’मैं हैरानी से बोला- गर्भवती हो गई थी? किसके साथ? कौन था वो हलखनजादा जो तुमको मेरे अलावा भी चोदता था?वो बड़े ज़ोर से खिलखाला कर हंस दी और हँसते हुए बोली- वो आप ही थे जिसने मुझको गर्भवती किया था.
‘मैंने? यह कैसे संभव है? मैं तो अक्सर बाहर ही छूटा रहा था न!’‘हाँ बस एक बार मुझसे गिनती में गलती हो गई और उसका नतीजा मेरा गर्भ ठहर गया.’‘मुझको बोलती तो शहर में या फिर गाँव में ही गर्भपात करवा देती न, वो क्यों नहीं किया?’‘गाँव में यह किसी से छुपा नहीं रहता और शहर जाने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे!’‘फिर अब बच्चा कहाँ है?’‘वो पैदा होते समय ही मर गया था.’ यह कहते समय उसकी आँखों में पानी भर आया और फिर उसने मुझ को अपने दर्द भरी कहानी सुनाई.लखनऊ शहर में वो इस लिए आ गई थी ताकि उसको यहाँ कोई पहचानने वाला न मिल जाए.

कहानी जारी रहेगी.

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08-04-2021, 12:30 PM,
#46
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
एक दिन में कॉलेज से वापस आ रहा था तो एक गली से ‘श शस्श… श… श… की आवाज़ आई, उस तरफ देखा तो एक औरत जिसका चेहरा ढका था और वो बहुत ही भड़कीली साड़ी पहने थी, वो मुझ को इशारे से अपने पास बुला रही थी.पहले तो मैं हिचकिचाया यह सोच कर कि ना जाने कौन औरत है, लेकिन फिर मन में सोचा कि देखो तो सही कौन है और क्या चाहती है वो मुझ से, मैं गली में चला गया.
वो मुझको अपने पीछे आने का इशारा कर तेज़ी से चलने लगी.थोड़ा सा चलने के बाद वो एक दो मंजिला मकान के अंदर जाने लगी और मुझको पीछे आने का इशारा करती रही. मैं भी उसके पीछे उस मकान में चला गया.
उसने कहा- आ जाओ साहिब.जब हम उसके कमरे में पहुंचे तो उसने मुझको अंदर करके दरवाज़ा बंद कर दिया और फिर उसने अपने मुंह को चादर से बाहर कर दिया.वो बोली- मुझ को पहचाना छोटे मालिक?मैंने गौर से देखा लेकिन बहुत कोशिश करने के बाद भी उस को नहीं पहचान सका. मैंने सर हिला दिया कि मैं नहीं पहचान सका उसको!
वो ज़ोर से हंसी और बोली- कैसे पहचानोगे छोटे मालिक? बहुत टाइम हो गया है. गौर से देखो मुझको?फिर कुछ कुछ याद आने लगा, 3-4 साल पहले की बात है नैना अचानक गाँव से गायब हो गई थी, काम क्रीड़ा की मेरी बहुत प्रिया गुरु थी वो!
मैंने मुस्करा कर कहा- नैना हो तुम?यह सुन कर वो ज़ोर से खिलखिला कर हंस दी और बोली- पहचान ही लिया छोटे मालिक. मैं तो सोच रही थी नहीं पहचानोगे आप?
मेरे चेहरे पर हैरानी थी और मैं बोला- अरे वाह नैना, गाँव से अचानक गायब हो गई थी तुम? क्या हुआ था?‘वो बाद में बताऊँगी. अभी कुछ करने का इरादा है क्या?’‘सच्ची? कुछ कर सकते हैं हम दोनों?’‘अगर तुम्हारी इच्छा हो तो?’
मैं बिना कुछ बोले उसकी तरफ बढ़ गया और उसको बाँहों में भर लिया और ताबड़ तोड़ उसको चूमने लगा. उसको चूमते हुए महसूस किया कि वो मेरे लंड से खेल रही है मेरी पैंट के ऊपर से.‘वैसा ही है क्या छोटे मालिक?’‘खुद देख लो न!’और यह कह कर मैंने अपनी पैंट उतार दी और कमीज भी उतार दी.उधर वो भी अपनी साड़ी और ब्लाउज उतार कर तैयार हो गयी, पेटीकोट भी एकदम ज़मीन पर आ गिरा.
[Image: 0817-fucking-a-hot-pussy.gif]

मेरा लंड पहले ही तैयार खड़ा था अपनी गुरु की चूत लेने के लिए!
फिर हम दोनों एक बहुत ही गर्म चुदाई में लग गए, मेरी चुदाई का स्टाइल देख कर नैना हंसने लगी और बोली- आपने गुरु की बात पूरी तरह से मान ली क्या?लेकिन चूत और लंड की जंग जारी रही और यह जंग थी कि कौन पहले छूटेगा गुरु या चेला?
और मैंने अपने तजुर्बे का पूरा फायदा उठाते हुए अपनी चुदाई को एक नए मुकाम पर पहुँचा दिया.और तभी नैना एक ज़ोर से झटके के साथ झड़ गई और मेरे शरीर से लिपट गई.मैंने अपने धक्के जारी रखे और फिर नैना को दोबारा यौन की ऊंची सीढ़ी पर ले जाकर उसका फिर से छुटवा दिया.
वो हैरान हो रही थी लेकिन मैंने अपना छुटाए बिना ही बाहर निकाल लिया और उसके पेटीकोट से अपने लंड का गीलापन साफ़ कर दिया.उसने बंद आँखें खोलीं और बोली- वाह छोटे मालिक, आप तो एक्सपर्ट हो गए हो कसम से! एक बार भी नहीं छूटा आपका?
‘नैना, जो तुमने सिखाया वही तो है यह सब… अच्छा यह बताओ कि अचानक तुम कहाँ गायब हो गई थी?’‘रहने दो छोटे मालिक बड़ी लम्बी कहानी है.’‘नहीं नैना, मैं सुनना चाहता हूँ कि ऐसा क्या हुआ कि तुम भाग गई किसी आदमी के साथ?’
‘भाग गई? यह किसने कहा कि मैं भाग गई थी किसी के साथ?’‘गाँव में तो यही चर्चा थी.’‘नहीं छोटे मालिक ऐसा नहीं है, सच तो यह है कि मैं गर्भवती हो गई थी.’मैं हैरानी से बोला- गर्भवती हो गई थी? किसके साथ? कौन था वो हलखनजादा जो तुमको मेरे अलावा भी चोदता था?वो बड़े ज़ोर से खिलखाला कर हंस दी और हँसते हुए बोली- वो आप ही थे जिसने मुझको गर्भवती किया था.
‘मैंने? यह कैसे संभव है? मैं तो अक्सर बाहर ही छूटा रहा था न!’‘हाँ बस एक बार मुझसे गिनती में गलती हो गई और उसका नतीजा मेरा गर्भ ठहर गया.’‘मुझको बोलती तो शहर में या फिर गाँव में ही गर्भपात करवा देती न, वो क्यों नहीं किया?’‘गाँव में यह किसी से छुपा नहीं रहता और शहर जाने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे!’‘फिर अब बच्चा कहाँ है?’‘वो पैदा होते समय ही मर गया था.’ यह कहते समय उसकी आँखों में पानी भर आया और फिर उसने मुझ को अपने दर्द भरी कहानी सुनाई.लखनऊ शहर में वो इस लिए आ गई थी ताकि उसको यहाँ कोई पहचानने वाला न मिल जाए.

कहानी जारी रहेगी.

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08-04-2021, 12:31 PM,
#47
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
नैना के साथ जीवन का नया अध्याय

नैना जब लखनऊ में आई तो उसके पास धन के नाम मेरे दिए हुए थोड़े से रूपए ही थे. जब तक वो चले वो एक छोटी सी धर्मशाला में रही और जब वो खत्म हो गए तो वो मजबूरन लोगों के घर का काम-काज करने लग गई और एक सज्जन परिवार में उसको आसरा भी मिल गया लेकिन घर के मालिक की बुरी नज़र से बच कर वो वहाँ से भाग निकली और फिर दूसरे मोहल्ले में यही काम करने लगी.
उसको गाँव की खबरें मिलती रहती थी. लेकिन उसने अपने बारे में किसी को कुछ नहीं बताया. आजकल वो किसी आर्मी अफसर के परिवार में घरेलू काम कर रही है, यह सब सुन कर मैंने उसको कहा- नैना, सामान बांध और चल मेरे साथ.वो बोली- नहीं छोटे मालिक, अब मैं यहाँ ही ठीक हूँ.‘मैं तुम्हारी एक भी नहीं सुनूंगा, सामान बाँध, मैं तांगा लेकर आता हूँ, तू आज ही मेरे साथ जाएगी.’यह कह कर मैं बाहर निकल गया और थोड़ी देर में तांगा लेकर आ गया.
नैना का थोड़ा बहुत जो सामान था, वो लेकर आ गई और मैं उसकी मकान मालकिन के पास जा कर उसका पूरा हिसाब चुकता कर दिया.कोठी पहुँच कर मैंने चौकीदार को बुलाया और हुक्म दिया कि एक कोठरी वो नैना को दे दे और उसका सारा सामान उसी कोठरी में रख दिया जाए.मैंने पारो को भी बुलाया और उसके साथ नैना का परिचय कराया और कहा- यह वो औरत है जिसने मुझको पाला है और यह अब गंगा की जगह सारा काम किया करेगी.तभी मैंने मम्मी को भी फ़ोन कर के बता दिया कि कैसे नैना मुझ को मिल गई है और उसको मैं घर सम्हालने के लिए ले आया हूँ.मम्मी बड़ी ख़ुशी हुई और उन्होंने नैना से भी बात की.

मैं बड़ा खुश था कि कामक्रीड़ा सिखाने वाली मेरी गुरु मुझको दुबारा मिल गई थी. लेकिन पारो का चेहरा थोड़ा मुरझाया हुआ था जो स्वाभाविक ही था.मैंने कोशिश करके पारो के मन में उठ रहे किसी प्रकार के संशय को खत्म कर दिया और उसको तसल्ली दी कि वो पहले की तरह ही काम करेगी और रात को हमारे साथ ही सोया करेगी.यह सुन कर पारो बड़ी खुश हो गई.
रात को खाने के बाद वो दोनों अपना बिस्तर ले कर मेरे कमरे में ही आ कर लेट गई. मैंने दोनों से पूछा कि उन दोनों को एक दुसरे के साथ सोना उचित लगेगा या नहीं.दोनों ने हाँ में सर हिला दिया.
तब मैंने नैना से पूछा- नैना, आज तुम बताओ कि कैसे आज हम नए तरीके चुदाई करें? तुमने तो छाया के साथ भी मुझको चोदते हुए देखा है न, तो शर्माना नहीं, पारो भी माहिर है चुदाई की कला मैं.नैना बोली- मैं यहाँ आज तो नई हूँ तो आप बताओ कि कैसे चुदाई करनी है वैसे ही कर देंगी हम दोनों.
मैंने कहा- पहले कपड़े तो उतारो.और मेरे कहते ही दोनों निर्वस्त्र हो गई पूरी तरह से! मैं भी नंगा हो गया. मेरे खड़े लंड को देख कर दोनों बड़ी खुश लग रही थी.नैना ने मेरे लंड को हाथ में लिया और नाप और बोली- छोटे मालिक, यह तो पहले से एक इंच बड़ा हो गया है. क्या किया आपने?‘मैंने कुछ नहीं किया, बस वही किया जो तुमने मुझको सिखाया था.’‘चुदाई? कितनों से?’‘हा हा… वो तो एक राज़ है जो राज़ ही रहेगा. वैसे चुदाई के कुछ नतीजे सामने आने वाले हैं जल्दी ही.’‘अरे वाह छोटे मालिक? आप तो छुपे रुस्तम निकले.’
अब मैंने दोनों औरतों को ध्यान से देखा, कद बुत में एक जैसी थी दोनों लेकिन बाकी शरीर में काफी फर्क था. जैसे पारो के मम्मे ज्यादा मोटे और गोल थे और नैना के मम्मे थोड़े छोटे लेकिन उनमें पूरा तनाव था.इसी तरह दोनों के चूतड़ मोटे और गोल थे और जाँघें भी एकदम संगमरमर के खम्बे लग रही थी, चेहरे में काफ़ी फर्क था, नैना का चेहरा उम्र छोटी होने से ज्यादा चमक दमक वाला लग रहा था और पारो का थोड़ा प्रौढ़ता लिए हुए था.दोनों की झांटों में भी समानता थी क्यूंकि दोनों ही काली बालों वाली थीं.मुझ को लगा की दोनों ने कभी झांटों को साफ़ या काटा नहीं था.
यह प्रश्न मैंने दोनों से पूछा तो पारो बोली- छोटे मालिक, गाँव में चूत के बाल काटना मना है क्यूंकि चूत के बाल सिर्फ रंडियाँ ही काटती हैं, घरेलू औरतें नहीं काटती कभी!नैना बोली- हाँ छोटे मालिक, ऐसा ही रिवाज़ है.
फिर दोनों ही मेरे अगल बगल लेट गई. मैंने अपने हाथों की उँगलियाँ से उनकी झांटों के साथ खेलना शुरू कर दिया और नैना मेरे लंड के साथ खेलने लगी.तभी मुझ को विचार आया कि क्यों न आज इन दोनों की चूत को चाटा जाए.
सबसे पहले मैंने नैना को कहा- मैं तुम्हारी चूत को जीभ से चाटूंगा और तुम पारो की चूत के साथ भी वैसा ही करो अगर कोई ऐतराज़ न हो तो?दोनों मान गई.
नैना पलंग के बीचों बीच लेट गई और चूत वाली साइड मैं उसकी टांगो को चौड़ा कर के बैठ गया और पारो उसके मुंह पर टांगों के बल बैठ गई और अपनी चूत को नैना के मुंह के ठीक ऊपर रख दिया.मैंने धीरे से अपनी जीभ उसकी चूत में एक बार घुमाई और फिर उसके भगनसा को चाटने और चूसने लगा.
ऐसा करते ही उस ने अपने चूतड़ बिस्तर से ऊपर उठा दिए. उधर नैना की जीभ लगते ही पारो ने अपने जांघों को खोलना बंद करना शुरू कर दिया.नैना अपने हाथों से पारो की चूत के ऊपर भी उंगली से रगड़ रही थी. दोहरे हमले को पारो ज्यादा देर सहन नहीं कर सकी और ‘उउउई मेरी माआआ…’ बोलती हुए छूट गई.
उधर नैना के चूतड़ पूरे उठ कर मेरे मुंह से चिपके हुए थे और जैसे जैसे मैं उसकी भगनसा को चूस रहा था उसके शरीर में कंपकंपाहट शुरू हो गई और फिर वो इतनी बढ़ गई कि नैना की जांघें ने एकदम से मेरे मुंह को जकड़ लिया. और ऐसा लगने लगा की मैं सांस भी नहीं ले पाऊंगा.
दोनों एकदम निढाल सी लेट गई जैसे बहुत भाग कर आई हों.मैं फिर उनके बीच लेट गया और अपने तने हुए लौड़े से खेलने लगा.जब उन दोनों की सांस ठीक हुई तो मैंने कहा- तुम अब बारी बारी से मेरे लंड को चूसो.
दोनों खुश होकर बारी बारी से मेरे लंड को चूसने लगी. एक के मुंह में लंड और दूसरे के मुंह में अंडकोष.और आखिर में जब लंड नैना के मुंह में था तो न जाने उसने क्या ट्रिक खेली कि मेरा वीर्य का बाँध टूट गया और सारा वीर्य एक फव्वारे की तरह निकला जिसको पहले नैना के मुंह में लिया और बाद में वो पारो के मुंह में जा कर गिरा.
मैं कालेज नियम से जाता था. धीरे धीरे मैं कालेज में एक जनप्रिय छात्र बनता गया. उसका राज़ था खुले दिल से दोस्तों पर खर्च करना. उनमें 3-4 लड़कियाँ भी थी जो उन दिनों लड़कों के साथ ज्यादा मिक्स नहीं होती थी.एक लड़की जिसका नाम नेहा था वो कुछ ज्यादा ही मुझ पर मेहरबान रहती थी. कालेज में अक्सर वो कैंटीन में मिल जाती थी और में उसको नई चली कोकाकोला की बोतल पिला दिया करता था.
उसने एक दो बार मेरे घर आने की कोशिश करी लेकिन मैंने कुछ ज्यादा भाव नहीं दिया.
मेरा सेक्स जीवन पारो और नैना के साथ अच्छा चल रहा था, दोनों रात में मुझसे चुदती थी बारी बारी और जो कुछ नया सोच कर आती थी और करती थी, उसको ईनाम भी देता था.
एक दिन नैना बोली कि आज उसको लखनऊ की एक सहेली मिली थी और अगर छोटे मालिक इजाज़त दें तो उसको बुला लें घर में?मैंने कहा- हाँ हाँ, बुला लो. लेकिन पूछ लेना कि वो हमारे साथ वो सब करेगी जो हम तीनों करते हैं.‘छोटे मालिक, आप निश्चिंत रहें! और अगर पसंद नहीं आई तो वापस भेज देंगे. ठीक है न?’‘चलो देखते हैं.’
कालेज से जब मैं घर पहुँचा तो खाने के बाद नैना एक छरहरे जिस्म वाली कमसिन लड़की को ले आई और कहने लगी- यह रेनू है छोटे मालिक!लड़की दिखने में तो अच्छी थी लेकिन फिर मेरे मन में ख्याल आया कि हमारा चौकीदार लखनलाल ये सब देख रहा है, तो वो क्या सोचेगा कि छोटे मालिक का चरित्र अच्छा नहीं.मैंने नैना को बुलाया अकेले में और कहा- ये सब क्यों कर रही हो? हम तीनो के बीच सब ठीक तो चल रहा है फिर किसी और को क्यों बुलाया जाए? और जितने ज्यादा लोग इसको जानेंगे, उतने ही हमारी बदनामी का खतरा बढ़ जाएगा. और फिर मैं तुम दोनों से खुश हूँ.नैना बोली- ठीक है मालिक जैसा आप कहें.
इधर हमारा यौन जीवन मज़े से चल रहा था, दोनों ही मुझ से बहुत ही खुश थी. नैना तो कई बार कह चुकी थी कि छोटे मालिक अपना खज़ाना बचा के रखिये, शादी के टाइम काम आएगा.लेकिन खज़ाना घटने के बजाए बढ़ता ही जा रहा था.यह अजीब बात नैना और पारो को भी नहीं समझ आ रही थी.

कहानी जारी रहेगी.

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08-04-2021, 12:31 PM,
#48
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
चाचा का परिवार

अब इतनी बड़ी कोठी में सिर्फ मैं, पारो और नैना ही रह गए थे. रोज़ रात को चुदाई का क्रम जारी रहा.
कुछ दिनों के बाद मम्मी का फ़ोन आया- कैसे हो बेटा? सब ठीक चल रहा है न? और तुम्हारी तबीयत कैसी है? और नैना और पारो तुम्हारा पूरा ध्यान रख रहीं हैं न?मैं बोला- मम्मी, मैं बिलकुल ठीक हूँ और रोज़ कालेज जा रहा हूँ और दोनों औरतें मेरा बहुत अच्छा ख्याल रख रहीं हैं.
मम्मी बोली- चलो अच्छा है, अपने खाने पीने का पूरा ध्यान रखना, और देखो ज्यादा देर बाहर मत घूमना. अच्छा ऐसा है वो जो दूर के तुम्हारे चाचा जी हैं, उनका फ़ोन आया था कि वो परिवार के साथ लखनऊ जा रहे हैं और कुछ दिनों के लिए वो हमारी कोठी में रुकना चाहते हैं. मैंने कह दिया है कि वो बिना झिझक के हमारी कोठी में रुक सकते हैं.
मैं बोला- ठीक है मम्मी, उनको आने दो मैं उनका पूरा ख्याल रखूँगा. कितने लोग होंगे उनके परिवार में?मम्मी बोली- चाचा-चाची और उनकी लड़की होगी शायद. उनका अच्छी तरह से ध्यान रखना और खातिर में किसी तरह की कमी नहीं रहने देना. वो शायद कल पहुँच रहे हैं अपनी कार से, ठीक है न?
मैं बोला- ठीक है मम्मी, आप बेफिक्र रहें, पारो काफी होशियार है, पूरा ध्यान रखेंगे हम!मम्मी बोली- अच्छा बेटा, मैं रखती हूँ, जब वो पहुँच जाएँ तो फ़ोन कर देना, ओ के?मैं बोला- ओके मम्मी, बाय.

मैंने पारो और नैना को बुलाया और चाचा के परिवार के आने की खबर उन दोनों को दी और कहा कि बैठ कर पूरी योजना बना लो कि कैसे उनकी खातिर करनी है.नैना बोली- रात को सारी योजना बना लेंगे, और किसी चीज़ की कमी नहीं होने देंगे.
खाने का सारा सामान नैना ने लाने की ड्यूटी ले ली और पारो ने खाना बनाने का काम सम्हाल लिया. चाचा चाची को मम्मी पापा वाला कमरा और उनकी लड़की के लिए मेरे साथ वाला कमरा देने की बात तय कर ली.दोनों उन कमरों को ठीक करने में लग गई.
अगले दिन मैं कालेज से जल्दी आ गया और चाचा चाची का इंतज़ार करने लगा.दोपहर के 12 बजे के लगभग वो अपनी कार से पहुँचे.मैंने उनका स्वागत किया और जल्दी ही उनको नहा धोकर फ्रेश हो जाने के लिए कहा.
सब फ्रेश होकर खाने के टेबल पर बैठ गए. अब मैंने इस परिवार को ध्यान से देखा.चाचा थोड़ी ज्यादा उम्र के लगे लेकिन चाची काफी जवान दिख रही थी. उनकी लड़की ऊषा कोई 20 साल की होगी और चाची की उम्र की ही लग रही थी.
बाद में मुझको पता चला कि चाचा की यह दूसरी शादी थी और ऊषा उनकी पहली बीवी से हुई लड़की थी. दोनों माँ बेटी दिखने में काफी सुंदर लग रही थी.
खाने के टेबल ही पर पता चला कि चाचा जी अपने किसी काम के कारण आये हैं और बच्चे सिर्फ सैर और लखनऊ देखने आये हैं. चाचा जी रात को बनारस के लिए निकल गए और दो दिन बाद आने का कह बिस्तर पर चले गये.रात को पारो और नैना अपनी कोठरियों में सोई.
आधी रात को मुझ को ऐसा लगा कि कोई मेरे बिस्तर पर मेरे साथ लेटा है. पहले सोचा शायद पारो या नैना आ गई है लेकिन जब आँखें खोली तो देखा कि चाची जी मेरे साथ लेटी हैं.उन्होंने सिल्क की लाल रंग का नाइट सूट पहना हुआ था और वो मेरे खड़े लंड से खेल रही थी.मेरा पायजामा नीचे खिसका था और मेरे लंड और अंडकोष पयज़ामे से बाहर निकले हुए थे. चाची की पोशाक भी ऊपर की तरफ खिसकी हुई थी और उसकी चूत मुझको दिख रही थी.
चाची की चूत एकदम सफाचट थी यानि एक भी बाल नहीं था उस पर.चाची ने मुंह नीचे करके मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.लंड तो खड़ा था पूरी तरह और चाची जल्दी से उस के ऊपर बैठ और लंड एकदम चूत में घुस गया. उसकी गीली और टाइट चूत में लंड बड़े आनन्द से घुसा हुआ था और मैंने हल्के से नीचे से ऊपर एक धक्का मारा और तब चाची की कमर जल्दी जल्दी ऊपर नीचे होने लगी.
अब मेरे से नहीं रहा गया और मैंने चाची की कमर पकड़ कर नीचे से ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए और चाची भी आँखें बंद किये हुए इन धक्कों का आनन्द लेने लगी.मुझको लगा कि चाची की चूत बंद खुलना शुरू हो गई और थोड़ी देर में चाची का झड़ गया और वो मुझसे इस ज़ोर से लिपट गई जैसे वो मुझको कभी नहीं छोड़ेगी.
अब मैं अपने को काबू नहीं कर सका और आँखें खोल कर बिस्तर में बैठ गया और चाची को देख कर हैरानी का भाव चेहरे पर ले आया और हैरान हो कर बोला- चाची आप यहाँ क्या कर रहीं हैं? आप कब आई?चाची मुस्करा कर बोली- सतीश, तुम मुझको एक बार तो चोद चुके हो. और अभी मेरी भूख खत्म नहीं हुई चुदवाने की, तो लगे रहो.‘अरे चाची, मैं तो छोटा हूँ आपसे. मैं क्या कर सकता हूँ, तुम्हारी भूख कैसे शांत कर सकता हूँ?’‘बस वैसे ही करते रहो, जैसा मैं कह रही हूँ. वरना तुम जानते हो मैं शोर मचा कर सब को बुला लूंगी.’

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08-04-2021, 12:31 PM,
#49
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
अब मैं थोड़ा घबराया लेकिन मैं जानता था कि घर के अंदर सिर्फ चाची की बेटी ऊषा ही है और बाकी सब तो बाहर हैं.फिर मैंने सोचा कि चलो चाची चूत दे ही रही है तो मज़ा लेते हैं.
चाची को मैंने गौर से देखा, उम्र शायद 30 के आस पास होगी लेकिन शरीर बहुत ही गठा हुआ था. मम्मे गोल और सॉलिड थे लेकिन साइज में वो पारो और नैना से छोटे थे, चूतड़ भी काफ़ी मोटे और गोल थे.
मैं चुपचाप लेटा रहा और चाची मेरे लंड के साथ खेलना और अपनी चूत को अपने ही हाथ से रगड़ना जारी रखे हुए थी. उसने कई इशारे फेंके कि मैं उसके ऊपर चढ़ जाऊँ लेकिन मैं लेटा रहा.तब चाची ने मुझको होटों पर चूमना शुरू किया, आखिर न चाहते हुए भी मैं धीरे धीरे चाची का साथ देने लगा.चाची की चूत को हाथ लगाया तो वो गर्मी के मारे उबल रही थी और उसका रस टप टप कर के बह रहा था.
अब मैं अपने को और नहीं रोक सका और खड़े लंड के साथ चाची की जाँघों के बीच बैठ कर ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा.चाची के मुख से सिसकारियाँ निकल रही थी और वो नीचे से ज़ोर से चूतड़ उठा उठा कर लंड और चूत का मिलन करवा रही थी.
फिर मेरे लौड़े ने इंजिन की तरह तेज़ी से अंदर बाहर होना शुरू कर दिया. पांच मिन्ट में ही चाची झड़ गई और मैं भी ज़ोरदार पिचकारी मारते हुए झड़ गया.मैं चाची के ऊपर निढाल पड़ा था.
इतने में किसी ने आवाज़ लगाई- मम्मी यह क्या हो रहा है सतीश के साथ?हम दोनों ने मुड़ कर देखा तो दरवाज़े पर ऊषा खड़ी थी और फटी आँखों से अंदर का नज़ारा देख रही थी.हम दोनों नंगे ही उठ बैठे, मेरा लौड़ा छूटने के बाद भी खड़ा था और ऊषा की नज़र खड़े लंड पर टिकी थी.
जल्दी से वो अंदर आ गई और आते ही मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया. उसने भी पिंक रेशमी चोगा पहना था जिसको उसने एक ही एक्शन में उतार के फ़ेंक दिया और कूद कर पलंग पर मेरी साइड वाली खाली जगह में आकर लेट गई.
अब मैं दोनों माँ बेटी के बीच में था, बेटी ने मेरा लंड पकड़ रखा था और माँ मेरे अंडकोष के साथ खेल रही थी.
तब चाची बोली- ऊषा, थोड़ी देर पहले मैं सर दर्द की दवाई लेने सतीश के कमरे में आई थी. देखा कि सतीश गहरी नींद में सोया है लेकिन इसका लंड एकदम खड़ा था और पायज़ामे के बाहर निकला हुआ था. बस मैंने झट से सतीश के खड़े लौड़े को अपनी चूत में डाल लिया और अब तक 3 बार छूटा चुकी हूँ मैं और अभी भी यह तेरे लिए खड़ा है साला, चढ़ जा तू भी!.
अब मेरे से नहीं रहा गया और मैं बोला- चाची कुछ तो ख्याल करो, मैं थक गया हूँ बहुत, थोड़ी देर बाद करना जो भी करना है.
ऊषा बोली- मम्मी आप अभी सतीश को रेस्ट करने दो, तब तक हम अपना खेल करते हैं. क्यों?
चाची बोली- ठीक है. तू आ जा मेरी साइड में!
ऊषा मेरी साइड को छोड़ कर चाची के साथ लेट गई, चाची ने तब ऊषा को होटों पर चूमा और अपने एक हाथ से छोटे छोटे मम्मों के संग खेलने लगी और दूसरे हाथ से उसकी सफाचट चूत को रगड़ने लगी.
दोनों की सफाचट चूत मैंने पहली बार देखी थी. माँ बेटी की चूत पर एक भी बाल नहीं था, जबकि गाँव वाली सब औरतें काली घनी बालों की घटा अपनी चूत के ऊपर रखती थी.चाची धीरे धीरे ऊषा के मम्मों को चूसते हुए नीचे की तरफ आ गई और उसका मुंह ऊषा की चूत पर था.ऊषा ने अपने चूतड़ चाची के मुंह के ऊपर टिका दिए थे और चाची अपनी जीभ उसकी भगनासा को चूसती हुई उसकी चूत के अंदर गोल गोल घुमा रही थी.
ऊषा का शरीर एकदम अकड़ा और उसने चाची का मुंह अपनी जाँघों में जकड़ लिया और वो ज़ोर ज़ोर से काम्पने लगी.तभी ऊषा ने अपना जिस्म ढीला छोड़ दिया.
कुछ देर आलखन करने के बाद ऊषा उठी और मेरे लंड को खड़ा देख कर उसके ऊपर बैठने की कोशिश करने लगी.मैंने भी उसको घोड़ी बनाया और अपना खड़ा लंड उसकी चूत में पीछे से डाल दिया. उसकी चूत बहुत ही टाइट लगी मुझको और लंड बड़ी मुश्किल से अंदर जा रहा था.
लंड के घुसते ही चूत में बहुत गीलापन आना शुरू हो गया और फिर मैंने कभी तेज़ और कभी आहिस्ता धक्के मार कर ऊषा का पानी जल्दी ही छूटा दिया और वो कई क्षण मुझ से लिपटी रही.फिर हम तीनों बड़ी गहरी नींद में सो गए.

कहानी जारी रहेगी.

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08-04-2021, 12:31 PM,
#50
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
चाची, उषा की चूत गान्ड चुदाई

चाची रात में 3-4 बार चुद चुकी थी इसलिए मैंने सोचा सुबह उषा को ही चोद दूंगा लेकिन जब आँख खुली तो देखा कि चाची का हाथ मेरे लंड के साथ खेल रहा था.लंड, जैसा कि आम बात थी, पूरा तना हुआ था और चाची का हाथ मुठ की तरह नीचे ऊपर हो रहा था.
चाची बिल्कुल नंगी लेटी थी और उसकी सफाचट चूत सुबह के हल्के प्रकाश में भी चमक रही थी.चाची की चूत असल में मुझको बिल्कुल अच्छी नहीं लग रही थी क्यूंकि बालों के बिना चूत असल में चूत नहीं लग रही थी बल्कि एक लकीर के समान लग रही थी.चूत की शान तो उस पर छाये घने बाल ही होते हैं. बालों भरी चूत यह आभास देती है कि शायद बालों के पीछे कोई अनमोल खज़ाना है.वैसे देखा जाए तो बालों बिना चूत की कोई शान या कोई आन नहीं होती.
चाची बार बार मेरे लंड को खींच कर इशारा दे रही थी कि मैं उस पर चढ़ जाऊँ लेकिन सुबह सुबह चाची का मुंह नहीं देखना चाहता था तो मैंने चाची को घोड़ी बनने का इशारा किया और जब वो घोड़ी बनी तो मैंने पीछे से उसकी चूत पर हमला कर दिया.एक ही धक्के में लंड पूरा अंदर हो गया और चाची भी चूतड़ आगे पीछे करने लगी.मैंने आँखें बंद किये ही उसको चोदना शुरू कर दिया.
थोड़े ही धक्के मारे थे कि मुझको लगा कि कोई मेरे अंडकोष के साथ खेल रहा है, आँखें खोली तो देखा कि उषा जो मेरी बायें और लेटी थी अपने हाथ से मेरे अंडकोष के साथ खेल रही थी.मैं लगातार ज़ोर ज़ोर से चाची की चूत चोद रहा था और चाची का हाय हाय करना जारी रहा.
थोड़ी देर में देखा कि उषा भी साइड में घोड़ी बन कर बैठी है. जब चाची झड़ गई तो वो पेट के बल लेट गई और उसकी गोल गांड हवा में लहरा रही थी.उषा की गांड सीधे मेरे लंड के सामने आ गई और मैंने चाची की चूत से निकाला लंड उसकी बेटी की चूत में डाल दिया.

मेरे लंड से टपकता रस उसकी माँ की चूत का ही था तो झट से पूरा चूत में घुस गया.
पहले धीरे धीरे उषा को चोदना शुरू किया और मेरे लंड को महसूस हुआ एक बहुत ही तंग और टाइट गली में लंड आ जा रहा है. उस की चूत की पकड़ गज़ब की थी जिससे साफ़ ज़ाहिर हो रहा था कि यह चूत ज्यादा नहीं चुदी है.
मैंने अपने हाथ उषा के बूब्स की तरफ रखने की कोशिश की लेकिन वो काफी नीचे लेटी थी और वहाँ हाथ नहीं पहुँच रहा था. फिर मैं उसके छोटे लेकिन गोल और सॉलिड चूतड़ को ही हल्के हल्के थाप देने लगा. यह शायद उषा को अच्छा लगा और वो चूतड़ों को ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे करने लगी.
मैंने भी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी और उसके चूतड़ों को उठा कर अपनी छाती से लगा तेज़ तेज़ जो धक्के मारे तो थोड़े ही समय में वो ‘ओह्ह्ह ओह्ह्ह मरी रे…’ बोलने लगी और उसकी चूत अंदर से बंद और खुल रही थी.
मैंने भी तेज़ी से चूत की गहराई तक धक्के मारे और उसकी चूत को जल्दी ही झड़ने के लिए मजबूर कर दिया.वो भी बिस्तर पर पसर गई.
तब मैं उसके ऊपर से उठा और कपड़े पहनने लगा.फिर मैंने चाची को उठाया- अभी दोनों नौकरानियाँ आ जाएंगी, आप लोग अपने कमरे में जाओ जल्दी से.
चाची एकदम हड़बड़ाहट में नंगी ही अपने कपड़े उठा कर अपने कमरे की तरफ भागी और उसी तरह उषा भी कपड़े उठा कर भाग गई.उनके जाने के बाद मैंने कोठी का मुख्य द्वार खोल दिया.मैंने सोचा कि चलो पारो और नैना को उठा देते हैं.मैं पारो की कोठरी की तरफ गया तो देखा की दरवाज़ा ज़रा सा खुला है और अंदर से उफ्फ्फ उफ्फ की आवाज़ आ रही थी.दरवाज़ा थोड़ा खोल कर देखा तो पारो और नैना लेस्बियन सेक्स में लगी थीं, नैना की गांड उठी हुई थी और वो पारो की चूत को चाट रही थी.
थोड़ी देर मैं यह नज़ारा देखता रहा और फिर अपने खड़े लंड को नैना की खुली चूत में पीछे से डाल दिया.लंड के अंदर जाते ही नैना चौंक गई और ‘कौन है… कौन है…’ कहते हुए पीछे मुड़ने की कोशश करने लगी. लेकिन धीरे से उसके कान के पास मुंह ले जाकर मैंने कहा- मैं हूँ सतीश, चुपचाप लेटी रहो.
और उसके मोटे चूतड़ अब अपने आप हिलने लगे और उसका मुंह भी तेज़ी से पारो की चूत को चाट रहा था.जल्दी से पारो का छूट गया और फिर मैं तेज़ी से धक्के मार कर नैना का भी छूटा दिया.तीनो हम पारो की छोटी सी चारपाई पर लेटे थे.
फिर मैंने नैना से कहा- पारो को साथ ले जाओ और जल्दी से चाय बना कर ले आओ हम सबकी.और कपड़े ठीक करते हुए बाहर आ गया और जल्दी से कोठी में घुस गया.
थोड़ी देर में नैना चाय लेकर आ गई.चाय रखने के बाद उसने जो मुड़ कर देखा तो मुंह में ऊँगली दबा ली- यह क्या है छोटे मालिक?उसके हाथ में चाची की अंगिया थी जो चाची यहीं भूल गई थी और वो मेरे बिस्तर पर रखी थी.
नैना मुस्कराई- क्यों छोटे मालिक, रात को चाची को चोद दिया क्या?मैं भी मुस्कुरा कर बोला- हाँ री, दोनों माँ बेटी को रात को खूब चोदा, साली याद करेंगी. अच्छा चलो अब तुम उनको भी चाय दे आओ.
चाय पीकर मैं कॉलेज जाने की तयारी में जुट गया.

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