XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
08-17-2021, 12:43 PM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
हुस्न का मुज़स्मा था मैडम का शरीर… देखो तो देखते ही रह जाओ!काफी मेहनत से अपने शरीर के रख रखाव में लगी थी मैडम, ऐसा साफ़ दिख रहा था.अब मैडम का यौवन उबाल पर था और मेरा लंड भी उस पर निहाल था और मैं पूरा बेहाल था.
दूसरी तरफ देखा तो निम्मो भी अपने कपड़े उतार चुकी थी. माशाअल्लाह क्या जिस्म था उसका!नैना का दूसरा रूप था लेकिन शरीर थोड़ा कसा हुआ था.कदोकाठी वैसी ही, शक्ल में उन्नीस बीस का फरक और आँखों में कामातुरता, जिसका मतलब यह था यह भी अपनी मैडम की तरह सेक्स की भूखी थी.
अब मैं पूरी नंगी मैडम को लेकर बिस्तर की तरफ आया और उनसे पूछा- आप की कोई ख़ास पोजीशन की इच्छा है क्या?मैडम बोली- तुम्हारे ऊपर चढ़ कर तुम से करना है.मैं बोला- मैडम क्या करना है आपने?मैडम थोड़ी शरमाई और फिर बोली- वही जो उस दिन किया था.मैं बोला- नहीं मैडम, आप नाम बताओ उस दिन क्या क्या किया था?मैडम मेरे मज़ाक को समझ रही थी फिर भी बोली- वही न!मैं बोला- नहीं मैडम आप साफ़ साफ़ बताओ क्या करना है मुझको?
मैडम अब थोड़ी बेबस महसूस कर रही थी और वो निम्मो की तरफ देख रही थी.निम्मो मैडम की तरफ से बोली- यह वही चोदम चुदाई के लिए कह रही हैं!मैं बोला- देखो, मैं भी कितना नादान हूँ इत्ती से बात नहीं समझ सका… अच्छा मैडम, मैं आज अपने तरीके से आपको चोदूंगा. क्यों मंज़ूर है न मैडम?मैडम ने हामी में सर हिला दिया.
मैंने मैडम को पलंग पर लिटा दिया, मैंने निम्मो को कहा कि वो मैडम के मुम्मों को चूसे और चाटे.मैं अब मैडम की जांघों को फैला कर उनके बीच मुंह से उनकी चूत को चूस कर उनकी खातिर करने लगा..
निम्मो भी उनके मुम्मों को चूस रही थी, मेरे हाथ मैडम के गोल चूतड़ों के नीचे थे और उनको ऊपर उठा कर मैं अपने मुंह के समांतर ले आया था.जीभ के कमाल से उनकी भग को चूसा और फिर उनकी चूत के लबों को चूसा और काफी सारी जीभ चूत के अंदर घुमाता रहा था.मैडम एकदम बेसब्र हो गई थी, उनका जीभ से एक बार छूट ही गया था तो अब उनकी इच्छा थी कि लंड का स्वाद चखा जाए.
अब मैं लेट गया और उनको मेरे ऊपर आने के लिए कहा, वो तो तैयार बैठी ही थी झट से मेरे ऊपर बैठ कर लंड को चूत के अंदर डाल कर धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी.
मैं भी नीचे से उनके सॉलिड संगमरमरी मुम्मों के साथ खेल रहा था. उधर निम्मो भी मेरे जांघों में अपने मुंह से मेरे अंडकोष को चूस रही थी.उसके गोल और सॉलिड मम्मे काफी सुन्दर थे.मेरा बड़ा दिल था कि उन मम्मों का भी मज़ा लूँ लेकिन मैडम की तरफ से हाँ ही नहीं हो रही थी.
थोड़ी देर में मैडम छूटने के निकट पहुँच गई थी और मैंने अब नीचे से खुद धक्के मारने शुरू कर दिए ताकि वो जल्दी छूटें तो मैं निम्मो की लूँ.
अब वो खुद ही धक्के तेज़ी से मार रही थी और मैंने उनको सपोर्ट देने के लिए अपने हाथ उनकी पीठ पर रख दिये और उसके साथ मैचिंग धक्के नीचे से मारने लगा.चंद मिनटों में ही मैडम का छूट गया और वो मेरे ऊपर पसर गई और उनका शरीर काफी कांप रहा था, मेरे लंड को भी चूत की पकड़ फ़कड़न महसूस हो रही थी.पूरा छूट जाने के बाद वो मेरे ऊपर से उठ गई और साइड में बिस्तर पर लेट गई.
मैंने निम्मो की तरफ देखा, उसका एक हाथ अपनी चूत में था और दूसरे से वो अपने दूधी को मसल रही थी.मेरे दिल में रहम आ गया, मैं उठा और निम्मो को बिस्तर पर हाथ रख कर खड़ा कर दिया और पीछे से उसकी प्यासी चूत में लंड घुसेड़ दिया.वो बेहद पनिया रही थी और मेरे गरम लौड़े को महसूस करके उसकी आँखें मुंद गई और मैं धीरे धीरे धक्के मार कर उसकी चूत को जगाने की कोशिश कर रहा था, पूरा लंड अंदर डाल कर मैं फिर पूरा बाहर निकाल कर सिर्फ लंड की टिप को अंदर रख कर धक्का मार रहा था और साथ में मेरे हाथ उसके मुम्मों पर थे और उनको प्रेम से मसल रहे थे.काफी दिनों से वंचित चूत बहुत ही जल्दी झड़ जाती है, वैसा ही हुआ निम्मो के साथ, वो चंद मिनटों की चुदाई में झड़ गई.लेकिन मैं भी लगा रहा धक्कम धकाई में! मेरी इच्छा थी कि इस गरीब का भी काम हो जाए और थोड़ा बहुत आनन्द मैं उसको दे सकूँ तो अच्छा है.

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08-17-2021, 12:43 PM,
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दूसरी बार मैं बहुत ही धीरे धीरे शुरू हुआ और साथ में उसकी चूत पर हाथ रख कर उसकी भग को भी मसल रहा था. यह दोहरा हमला अक्सर औरतें ज़्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर सकती और जल्दी ही हथियार डाल देती हैं.निम्मो के साथ भी यही हुआ, अब वो अपने चूतड़ों को आगे पीछे करने लगी और 5 मिन्ट में वो दुबारा छुट गई.
जब उसकी कंपकपी कम हुई तो मैंने उसके लबों को चूमा और उसके कान में कहा- नैना, तुम्हारी बहन मेरे घर में रहती है.उधर मैडम अभी भी आँखें बंद किये लेटी थी तो मैं निम्मो को छोड़ कर मैडम के पास जाकर लेट गया और उनके गालों और कानों पर चुम्मी देने लगा.
मैडम थोड़ी चौकन्नी हुई, मैंने उसके होटों को चूमना शुरू किया और फिर उनके मोटे मलाईदार मुम्मों को बारी बारी से चूसना आरम्भ कर दिया.अब मैडम की चूत में हाथ डाला तो वो गीली हो रही थी, मैंने उनको घोड़ी बना दिया और अपने खड़े लंड को चूत में डाल कर हल्का धक्का मारा और फिच्च कर के पूरा अंदर चला गया.अब मैं मैडम को धीरे और तेज़ के मिलेजुले हमले से चोदने लगा.
थोड़ी देर में मैडम के अंदर से उनका खुश्बूदार रस निकल पलंग की चादर पर गिर रहा था.मैंने थोड़ा सा अपने मुंह में डाला चखने के लिए और थोड़ा मैडम के मुंह में डाल दिया. अपने ही रस को चख कर मैडम तो जैसे पागल हो गई और लगी ज़ोर ज़ोर से पीछे की तरफ धक्के मारने.मैंने मैडम के कान में कहा- मैं आज आपके अंदर छूटा रहा हूँ ताकि शायद आपका काम बन जाए.मैडम ने मुस्करा कर हामी भर दी.
मैंने निम्मो को कहा- दो तकिये मैडम के नीचे रख देना.वो झट से तकिये लाई और उनको मैडमके ठीक चूतड़ों के नीचे रख दिए.अब मैं हर धक्के में मैडम के गर्भाशय के मुंह को लंड द्वारा ढून्ढ रहा था.थोड़ी कोशिश के बाद मैंने उसको ढून्ढ लिया और अब जैसे ही मैडम का जोरदार छूटा मैंने भी उनके अंदर गर्भाशय के मुंह पर अपनी पिचकारी छोड़ दी.
वो कोशिश कर रही थी कि वो घोड़ी का पोज़ छोड़ कर नीचे लेट जाए लेकिन मैंने उनके चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से पकड़ रखा था.जब मेरा रस पूरा अंदर गिर गया तो मैंने लौड़ा निकाले बगैर ही उनको नीचे लिटा दिया और तकियों को एकदम चूत के नीचे एडजस्ट कर दिया.फिर ही मैंने अपना लौड़ा निकाला और निम्मो को कहा कि वो उसको तौलिये से पौंछ दे.
फिर थोड़ी देर के लिए मैं मैडम के साथ ही लेट गया और एक छोटी सी झपकी भी ले ली.आधे घंटे बाद उठा और कपड़े पहनने लगा.मैडम भी उठ गई थी और कपड़े पहन रही थी.मैं उनके खूबसूरत अंगों को देख रहा था जो धीरे धीरे आँखों से ओझल हो रहे थे जैसे चाँद बादलों के जमघट में ओझल हो जाता है.
जाने लगा तो मैडम बोली- मैं तुमको घर छोड़ आती हूँ!लेकिन मैं बोला- मैं चला जाऊँगा, आप तकलीफ ना करें.उनके बंगलो के बाहर से रिक्शा मिल गई, मैं आधे घंटे में घर पहुँच गया.
नैना को निम्मो के बारे में बताया सुन कर हैरान हुई कि उसकी चचेरी बहन लखनऊ में रहती है और यह बात उसको मालूम ही नहीं.नैना ने मैडम का फ़ोन नंबर मेरे से लिया और मैडम के नंबर पर फ़ोन किया.फ़ोन मैडम ने ही उठाया और नैना ने जब बताया वो नैना बोल रही है तो मैडम ने कहा- सतीश ने तुमको निम्मो के बारे में तो बताया ही होगा. मैं चाहती थी कि यह खबर मैं तुमको सुनाऊँ लेकिन लगता है सतीश ने तुमको पहले ही बता दिया है.नैना बोली- मैडम, मैं निम्मो से मिलना चाहती हूँ अगर आप इजाज़त दें तो!मैडम बोली- अभी तो मैं कहीं जा रही हूँ पर तुम और सतीश कल दोपहर में दोनों यहाँ आ जाओ तो तुम निम्मो से मिल लेना.नैना ने कहा- ठीक है मैडम जी, हम दोनों कल आ जाएंगे.
मैं बोला- आज मैंने मैडम के अंदर छुटाया है.नैना बोली- अभी कोई फायदा नहीं है, उनकी माहवारी कुछ दिन पहले ही खत्म हुई है.फिर नैना ने बताया कि मौसा मौसी चले गए थे आपके कॉलेज जाने के बाद ही… दोनों काफी दुखी लग रहे थे.

कहानी जारी रहेगी.

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08-17-2021, 12:43 PM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
बालसखी से मुलाकात

आज मैंने बड़े दिनों बाद अपनी क्लास में बैठे लड़के और लड़कियों को ध्यान से देखा और परखा.लड़कियाँ अक्सर आगे के दो बेंचों पर बैठती थी लेकिन मैं हर रोज़ आखरी बेंच पर ही बैठ पाता था.आज जब जल्दी से मैं क्लास में घुसा तो एक लड़की जो बाहर जा रही थी वो मुझ से टकरा गई, मैंने झट उससे सॉरी कहा और अपने लास्ट बेंच पर जाकर बैठ गया.
लेकिन वो लड़की रुक कर मुझ को देख रही थी और मुझको ऐसा लगा कि वो मेरे सॉरी कहने से संतुष्ट नहीं थी, वो जल्दी से पीछे मेरे बेंच के पास आ रही थी.मैं डर गया और चौकन्ना होकर बैठ गया.
लड़की जल्दी से मेरे पास आई, इससे पहले वो कुछ कह पाती मैंने उससे कहा- मिस, गलती मेरी थी जो आप से टकरा गया था अनजाने में, प्लीज मुझको माफ़ कर दीजिये.वो लड़की मेरे पास आई और आते ही कहने लगी- तुम सतीश हो ना?मैं चकरा गया और डरते हुए बोला- जी हाँ, मैं सतीश ही हूँ, क्यों कुछ ख़ास बात है क्या?लड़की एकदम चहक उठी- अरे सतीश, मुझको नहीं पहचाना क्या?मैं हैरान था कि मैंने इसको कब देखा है, मैंने सर हिला दिया कि मैं नहीं पहचान पाया.

तब लड़की हँसते हुए बोली- तुमको याद नहीं जब हम बहुत छोटे थे तो एक साथ खेला करते थे.मैं बोला- सॉरी, मैंने आपको अब भी नहीं पहचाना.लड़की बोली- अरे, वो प्रतापगढ़ वाले तुम्हारे चाचा जी हैं न, मैं उनकी बेटी हूँ.मैं एकदम हैरान हो कर बोला- ओह्ह्ह माय गॉड, तुम पूनम हो क्या?वो बोली- हाँ मैं पूनम ही हूँ तुम्हारी बचपन की गर्लफ्रेंड.
मैं फिर हैरान होकर बोला- लेकिन तुम आज कॉलेज मैं कैसे? पहले तो कभी देखा नहीं?पूनम बोली- कल ही तो एडमिशन ली है इस कॉलेज में, आज पहला दिन है मेरा इस कॉलेज में और किस्मत देखो मुझको भी वही क्लास मिली जिसमें सतीश पहले से बैठा हुआ है.मैं भी बहुत खुश होकर बोला- चलो कैंटीन चलते हैं, वहीं बातें होंगी.पूनम बोली- नहीं सतीश, आज मेरा पहला दिन है, आज नहीं, फिर कभी सही!
मैं बोला- अच्छा यह बताओ, कहाँ ठहरी हो?पूनम बोली- मेरे एक दूर के कजिन हैं उनके मकान में ठहरी हूँ फिलहाल!इससे पहले मैं कुछ आगे बोल पाता, प्रोफेसर साहिब कमरे में आ गए.
लंच की छुट्टी में सीधा कैंटीन की तरफ भागा. किस्मत से पूनम वहाँ मिल गई. वो एक टेबल पर अकेली बैठ कर लंच कर रही थी.मैं उसके पास गया, मुझको देखते ही उसका चेहरा खिल उठा, पूनम बोली- आओ लंच करो ठाकुर साहब!मैं भी शरारत के मूड में बोला- लंच तो कर लेते ठकुराइन लेकिन मैं तो अक्सर घर में जाकर लंच करता हूँ. आओ तुमको भी घर ले चलता हूँ, लंच भी कर लेना और घर भी देख लेना.
पूनम बोली- क्या नज़दीक ही रहते हो तुम यहाँ से?मैं बोला- हाँ पास ही है 10 मिन्ट लगते हों रिक्शा से! और सुनाओ बाकी सबका क्या हाल है, आज मम्मी को फ़ोन करता हूँ, तुम यहाँ आ गई हो पढ़ने के लिए और यह सुन कर तो वो काफी खुश होंगी.पूनम बोली- ठीक है सतीश यार, तुम तो काफी लम्बे और तगड़े हो गए हो.मैं बोला- ठकुराइन तुम कहाँ कम हो, तुम भी तो इतनी प्यारी और सुन्दर हो गई हो.
खाना खत्म करके हम अपनी क्लास में आ गए. पूनम मेरे ही बेंच पर बैठ गई क्यूंकि आगे के कन्या बेंच सब फुल थे.आखिरी पीरियड खत्म होने की घंटी बजी तो मैं पूनम को यह कह कर चल पड़ा कि आज कुछ काम है सो कल मिलते हैं.वो बोली- ठीक है ठाकुर साहब.
अगले दिन जैसे ही कॉलेज में घुसा तो पूनम के अंकल उसको छोड़ कर जा रहे थे. पूनम ने मुझको उनसे मिलवाया और वो बड़े तपाक से मिले और बोले- आप आना बेटा कभी हमारे घर में, थोड़ा दूर तो है लेकिन इतना नहीं.मैंने ओपचारिक तौर से कह दिया- अवश्य आऊँगा.
फिर मैं और पूनम क्लास में चले गए. जाते जाते हम दोनों के हाथ और एक दूसरे को छू रहे थे और एक बार उसका हाथ मेरे लंड पर भी लगा.पूनम देखने में काफी अच्छी लड़की लग रही थी, साड़ी और ब्लाउज में लड़कियाँ वैसे ही लड़कों से बड़ी बड़ी लगती हैं. पूनम भी मुझसे उम्र में काफी बड़ी लग रही थी.
हमारा बेंच लास्ट बेंच था क्लास में और वो भी दो सीटर था, मैं और पूनम उस पर काफी कम्फ़र्टेबल बैठे हुए थे.दूसरी क्लास के दौरान पूनम का हाथ कई बार मेरे जांघों को टच कर रहा था और हम दोनों के घुटने भी अक्सर आपस में रगड़ खा रहे थे.मैंने पूनम की आँखों में अपनी आँखें डाली तो वो हल्के से मुस्कराई थी और जवाब में भी मैं भी मुस्करा दिया था.अब मैंने मौका देख कर उसकी कमर में पीछे से हाथ डाल दिया और धीरे से उसको दबा दिया.

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08-17-2021, 12:44 PM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
पूनम और भी मेरे निकट आ गई लेकिन इस डर से कहीं प्रोफेसर साहिब की नज़र ना पड़ जाए, मैंने अपना हाथ हटा लिया.लेकिन अब पूनम ने अपन दाहिना हाथ मेरे बाईं जांघ पर रख दिया और मैंने भी शरारत से उसका हाथ उठा कर अपने लंड पर रख दिया.
पहले उसने अपना हाथ ज़रा हटा लिया लेकिन फिर थोड़े टाइम बाद उसने हाथ पुनः मेरे लंड के ऊपर रख दिया.मैंने भी अपना बायाँ हाथ बेंच के नीचे से उसकी जांघों के ऊपर रख दिया. इस तरह हम एक दूसरे के साथ खेलते रहे जब तक रिसेस नहीं हो गई.फिर मैंने पूनम का हाथ पकड़ कर उसको उठाया और हम दोनों कैंटीन चल पड़े.पूनम घर से खाना लाई थी जो हमने मिल कर खाया.
मेरे कुछ मित्र भी हमारे पास आये और उन सबसे मैंने पूनम को मिलवाया कि यह मेरी कजिन है.फिर मैंने पूनम को आइसक्रीम खिलाई जो आम तौर पर गाँव में नहीं मिलती थी.
कैंटीन में ही बैठे मैंने पूनम को कहा कि वो हमारी कोठी में आकर ही रहे!उसको यह भी बताया कि कोठी में सिर्फ मैं अकेला रहता हूँ और साथ में दो मेड्स हैं, एक कुक है और दूसरी घर की देखभाल के लिए है.पूनम बोली- मैं तो तैयार हूँ लेकिन मम्मी पापा से पूछना पड़ेगा न!मैं बोला- तुम्हारी हाँ है तो उनको मैं राज़ी कर लूंगा. मैं आज ही अपनी मम्मी से बात करूंगा. तुम राज़ी हो तभी तो?पूनम बोली- ज़्यादा तंग तो नहीं करोगे तुम मुझको?मैं बोला- आज तो तुम तंग कर रही हो मुझको? हर जगह हाथ रख देती हो?पूनम बोली- अच्छा जी, और तुम जो मेरी कमर पे पीछे से हाथ रख रहे थे वो क्या था?
मैंने पूनम के कान में कहा- दो दोस्त जो इतने टाइम बाद मिले, थोड़ा थोड़ा प्यार था तो प्रकट तो करना ज़रूरी था ना! क्यों ठीक नहीं क्या?पूनम बोली- मुझको तो याद नहीं कि तुम मुझको कभी प्यार व्यार करते थे भी या नहीं. हमेशा ही लड़ते झगड़ते थे तुम मुझसे!मैं खिसयाना होकर बोला- वो बच्चों के झगड़े भी तो प्यार की निशानी थे, क्यों तुम नहीं मानती क्या?पूनम प्यारी सी हंसी हंस दी- मानती हूँ यार! चलें क्लास में?
घर पहुँच कर मैंने मम्मी को फ़ोन किया और पूनम की सारी बात बताई तो मम्मी बोली कि अभी वो चाचाजी जी को फ़ोन करती हैं.शाम को ही मम्मी जी का फ़ोन आ गया कि चाचा जी मान गए है, कल तुम पूनम को घर ले आना!
अब मैंने नैना को भी बता दिया और पूछा- क्या पूनम के यहाँ आने से हमारे खुले व्यवाहर में कोई फर्क तो नहीं पड़ेगा?नैना बोली- उम्मीद तो नहीं, लेकिन कोई प्रॉब्लम हो गई तो मिल कर सोचेंगे क्या करें?
अगले दिन पूनम क्लास में मेरे वाले बेंच पर ही बैठी थी. जब मैं उसके पास बैठा तो मैंने कहा- फिर कब आऊँ विदाई करवाने?पूनम मुस्करा कर बोली- डोली लेकर आओगे या ऐसे ही आओगे?मैं बोला- जैसे तुम चाहो, कहो तो डोली ले कर आ जाता हूँ… क्यों क्या मर्ज़ी है?पूनम बोली- अभी डोली रहने दो, सिर्फ रिक्शा लेकर आ जाना.
मैं बोला- चाचा जी से बात कर ली है तुमने?पूनम बोली- कर तो ली है लेकिन क्या यह हम ठीक कर रहे हैं?मैं बोला- क्या तुम नहीं चाहती मेरे साथ रहना? तुम्हारे मन में कोई संदेह है तो रहने दो! मैं तो तुम्हारे भले के लिए ही कह रहा था.पूनम बोली- सतीश क्या तुम नाराज़ हो गए हो? मैं यह सोच रही थी कि जब हम साथ रहेंगे तो क्या एक दूसरे से बच पाएंगे?मैं बोला- क्या तुम बचना चाहती हो मुझसे?पूनम मेरी आँखों में देखती हुई धीरे से बोली- वही तो, मैं बहुत ही कामातुर हो जाती हूँ कभी कभी!
हम बातें इतनी धीरे से कर रहे थे कि शायद ही किसी के कान में पड़ी हो, फिर भी मैंने पूनम को इशारा किया और कहा- आओ क्लास के बाहर चलते हैं, यहाँ यह बातें करना सेफ नहीं.
हम दोनों उठ कर कैंटीन में चले गए और एक एक कोक पीते हुए बातें करने लगे.मैं मुस्करा कर बोला- तुम कामातुर हो जाती हो कभी कभी लेकिन मैं तो हर वक्त कामातुर रहता हूँ. चलो अच्छी निभ जाएगी जब मिलेंगे दो महाकामातुर… तुम मेरी लेना और मैं तुम्हारी.
पूनम बोली- उफ़ सतीश, यह तुम कह रहे हो? तुम जो कल तक दूध पीते बच्चे ही थे, आज काम वासना की बातें कर रहे हो?मैं बोला- कामवासना में तो तब से लिप्त हूँ जब से दूध पीने लगा था.पूनम शरारतन बोली- किसका दूध पीने लगे थे और कब से?मैं भी शरारत से बोला- जिसने भी अपनी दूधी मुझको दी मैंने उसी का जी भर के दूध भी पिया और अपना दूध भी पिलाया. यही है अभी तक के मेरे जीवन का सार… दूध पीते और पिलाते रहो!
पूनम अब ज़ोर सोर से हंसने लगी और मेरा हाथ पकड़ कर बोली- मेरा भी पियोगे क्या दूध?मैंने उस का हाथ पकड़ कर कहा- अगर तुम पिलाओगी तो ज़रूर पियूँगा और रात दिन पियूँगा.अब पूनम सीरियस हो गई और शर्माते हुए बोली- मैं तो मज़ाक कर रही थी.मैं बोला- मैं कौन सा सच्ची कह रहा था, मैंने तो आज तक दूध चखा ही नहीं.अब हम दोनों हंसने लगे.

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08-17-2021, 12:44 PM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
कॉलेज ख़त्म होने के बाद मैं पूनम को रिक्शा में लेकर उसके चाचा के घर ले गया.चाचा का घर काफी छोटा था, सिर्फ 2 ही कमरे थे, मैं पूनम का समान लेकर चाची से विदाई ले आया और उनसे कहा कि वो हमारी कोठी ज़रूर आएं.
कोठी पहुँचा तो नैना ने पूनम का स्वागत किया और पूनम का समान मेरे साथ वाले कमरे में लगा दिया. पूनम को कमरा बहुत ही पसंद आया.कोठी के आगे पीछे का लॉन जिसकी देखभाल माली करता था, कई तरह के फूलों से सजा हुआ था.मैंने उसको वहाँ थोड़ा घुमाया और एक बहुत ही सुन्दर लाल गुलाब का फूल उसको भेंट किया और कहा- वेलकम टू सतीश’ज़ हाउस.
नैना हम सबके लिए चाय ले आई और बैठक में ही हम सबने चाय पी और साथ में लखनवी कचौड़ी भी खाई.अब नैना भी आकर हमारे साथ बैठ गई.मैंने पूनम को बताया- नैना ही घर की मालकिन है और सारा घर वो संभालती है.
रात को पारो ने बहुत ही स्वादिष्ट मटन कीमा और हरा पुलाव बनाया था, वो हम सब ने बड़े चाव से खाया.खाने के बाद मैं और पूनम मेरे कमरे में आ गए और आते ही मैंने पूनम को बाहों में भर लिया.पूनम थोड़ा कसमसाई लेकिन जब मैंने उसके लबों पर एक लम्बा और गहरा चुम्बन दिया तो उसने अपने हाथ पैर ढीले छोड़ दिए और मेरी बाँहों में झूल गई.
मैं उसकी आँखों को चूमता हुआ उसके गालों को चूम ही रहा था कि अचानक नैना कमरे में आ गई.पूनम मुझसे दूर हटना चाहती थी लेकिन मैंने उसको कस के बाहों में पकड़े रखा और कहा- नैना हमारी गुरु है हर काम में और मैं बगैर नैना के आज्ञा के कोई भी काम नहीं करता. तुमको कोई ऐतराज़ तो नहीं पूनम?पहले वो चुप रही और फिर बोली- नैना दीदी जब तुम्हारी गुरु है तो मेरी भी गुरु हुई ना, तो उनसे क्या पर्दा?
मैंने ज़ोर ज़ोर से तालियाँ बजाईं और पूनम और नैना दोनों को अपनी बाँहों के घेरे में ले लिया, पूनम को किस किया और साथ ही नैना को भी किस किया.मैंने पूनम को कहा- मैं तो बहुत ही कामातुर हो रहा हूँ और मैं पूनम और नैना की आँखों से देख रहा हूँ कि वो भी काफी कामातुर हो चुकी हैं तो यदि पूनम जी की आज्ञा हो तो श्रीगणेश करें?पूनम बोली- मेरी आज्ञा नहीं गुरुदेव की आज्ञा चाहिए? क्यों गुरुदेव आज्ञा है?
नैना बोली- ज़रा सब्र करो, तुम दोनों एक दूसरे के बारे में जान तो लो?पूनम बोली- हम एक दूसरे को खूब अच्छी तरह से जानते हैं. बचपन में सतीश की नाक अक्सर मैं ही पौंछा करती थी! क्यूँ सतीश?मैं बोला- क्या कह रही हो पूनम? मम्मी जी तो कहती थी कि बचपन में मेरी नाक हुआ ही नहीं करती थी, यह तो जवान होने पर ही उगी थी जैसे मेरी कई चीज़ें जवानी में ही उगी हैं.यह सुन कर पूनम झेंप गई.
नैना बोली- ठीक है तो वस्त्र विसर्जन करें?पूनम बोली- कहाँ विसर्जन करना है कपड़ों को नैना दीदी?मैं और नैना ज़ोर से हंस दिए और मैं बोला- नैना का मतलब है कि कपड़े उतारें क्या?पूनम और भी शरमाई.
लेकिन नैना सबसे पहले मेरे ही कपड़े उतारने लगी और जब पूनम ने मेरा लंड देखा तो वो एकदम आश्चर्य में पड़ गई.लंडप्रकाश जी वैसे ही खड़े थे जैसी कि उनकी आदत थी,यह देख कर पूनम बोली- अरे सतीश, यह चीज़ कहाँ से खरीद के लाये हो? इतनी मोटी और सख्त छड़ी कहाँ से चुराई?अब हैरान होने की बारी मेरी थी, मैं हैरानी से बोला- अरे यह मेरा ही है पूनम.पूनम ज़ोर से बोली- तुम बिल्कुल झूठ कह रहे हो! खेल खेल में मैंने जब इसको देखा था तो उस टाइम यह इत्ता सा था. यह तुम्हारा हो ही नहीं सकता सतीश चोर?
नैना का हंसी के मारे बुरा हाल हो रहा था और वो अपने को संभाल नहीं पा रही थी.मैं भी खिसयाना हो कर बोला- नैना हंसी छोड़ो और पूनम के भी कपड़े उतारो. देखें तो सही उसने क्या कहाँ से चुराया है?नैना हँसते हुए पूनम के कपड़े उतारने लगी.जब वो पूरी नंगी हो गई तो मैंने भी उँगलियों पर गिनना शुरू किया और बोला- यह गोल गोल जो तुम्हारी छाती पे लगे हैं वो भी तुम्हारे नहीं हैं, यह शायद तुमने किसी फिल्म एक्ट्रेस के चुराए हैं और जो यह पीछे गोल और मोटे चूतड़ हैं वो भी तुम्हारे नहीं हैं और कहीं से चुराए लगते हैं. और जो यह तुम ने काले बाल नीचे लगाये हैं यहाँ पता नहीं तुमने क्या छुपा रखा है?
शर्माने की बारी अब पूनम की थी.मैं नकली गुस्से में बोला- आप तो तीन तीन चीज़ें चुरा कर अपने ऊपर लगा ली है और मेरी एक चीज़ देख कर इतना शोर मचा रही यह लड़की उफ्फ्फ मेरी माँ!हमारी इस नकली लड़ाई से नैना बड़ी खुश थी, उसकी ख़ुशी उसके होटों और आँखों से झलक रही थी.
मैं आगे बढ़ कर नैना के कपड़े उतारने लगा. पहले तो वो हक्का बक्का होकर मुझको देख रही थी लेकिन मैंने उसकी साड़ी खींच डाली और फिर उसका ब्लाउज भी उतारने लगा और फिर उसका पेटीकोट भी खींच डाला.यह सारा काण्ड पूनम चुपचाप देख रही थी.नैना बनावटी गुस्से में बोली- यह क्या कर रहे हो छोटे मालिक, मेरे साथ ऐसा क्यों कर रहे हो आप?
मैं बोला- मैं चेक कर रहा था कि कहीं तुम्हारे गोल मुम्मे, चूतड़ और काले बाल तो नहीं चुरा लिए पूनम ने? और अपने ऊपर लगा लिए हों क्यूंकि इस लड़की का कोई भरोसा नहीं? बचपन में यह मेरे साथ भी ऐसे ही किया करती थी!अब तो पूनम और नैना मुंह में कपडा ठूंस कर ज़ोर ज़ोर से हंस रही थी.
मैं भी नकली गुस्से में बोला- हंस लो हंस लो तुम दोनों… मैं जानता हूँ बचपन से ही इस लड़की की मेरे लौड़े पर नज़र थी, यह हमेशा इस को अपने ऊपर लगाना चाहती थी! क्यों है न पूनम? सच बोलना?पूनम भी गुस्साई हुई बोली- हाँ तो थी मेरी मर्ज़ी वो मैं अब पूरी कर लूंगी. नैना दीदी देना ज़रा अपनी कैंची, मैं काट ही देती हूँ इस साले को! ना होगी यह लण्डी न बजेगी चूती.
पूनम गुस्से में कैंची ढून्ढ रही थी और मैं अब वाकयी में ही डर कर भाग रहा था और पूनम मुझ को पकड़ने की कोशिश कर रही थी. और इस भागा भागी में ना जाने कब मैंने पूनम को पकड़ लिया और उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसके लबों पर एक हॉट किस जड़ दी.उसने भी किस का जवाब किस से दिया और मेरा लौड़ा पकड़ कर उससे खेलने लगी.

कहानी जारी रहेगी.

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08-17-2021, 12:44 PM,
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बालसखी की चूत चुदाई

मैं भी नकली गुस्से में बोला- हंस लो हंस लो तुम दोनों… मैं जानता हूँ बचपन से ही इस लड़की की मेरे लौड़े पर नज़र थी, यह हमेशा इस को अपने ऊपर लगाना चाहती थी! क्यों है न पूनम? सच बोलना?पूनम भी गुस्साई हुई बोली- हाँ तो थी मेरी मर्ज़ी वो मैं अब पूरी कर लूंगी. नैना दीदी देना ज़रा अपनी कैंची, मैं काट ही देती हूँ इस साले को! ना होगी यह लण्डी न बजेगी चूती.
पूनम गुस्से में कैंची ढून्ढ रही थी और मैं अब वाकयी में ही डर कर भाग रहा था और पूनम मुझ को पकड़ने की कोशिश कर रही थी. और इस भागा भागी में ना जाने कब मैंने पूनम को पकड़ लिया और उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसके लबों पर एक हॉट किस जड़ दी.उसने भी किस का जवाब किस से दिया और मेरा लौड़ा पकड़ कर उसके संग खेलने लगी.मैं भी उसके गोल सॉलिड मम्मों को हाथ से मसलने लगा और एक हाथ उसकी काले बालों से ढकी चूत पर रख दिया, ऊँगली से चूत को टटोला तो बहुत ही पनिया रही थी.
फिर मैं ने पूनम को लबों पर एक हॉट चुम्मी दी जिसमें मेरी जीभ उसके मुंह के अंदर उसकी जीभ के साथ दंगा कर रही थी.नैना भी पूनम के पीछे खड़ी होकर उसके गोल मोटे चूतड़ों को प्यार से सहला रही थी.पूनम भी बार बार अपनी चूत को मेरे लंड से छू रही थी और मेरे लंड की टिप को चूत में छुपे भग से रगड़ रही थी, साथ ही अपनी कमर को आगे पीछे कर रही थी.
अब नैना हम दोनों के बीच खड़ी होकर हम दोनों को टाइट जफ्फी डाल रही थी, पूनम अब तकरीबन मेरे से पूरी तरह चिपकी हुई थी. नैना के इशारे पर मैंने उसको उठा लिया अपने दोनों हाथों में और लंड को उसकी उभरी चूत के मुंह पर रख कर एक दो चक्कर कमरे के लगा आया और इस दौरान पूनम का मुंह मेरे मुंह से चिपका हुआ था और हम एक दूसरे को बहुत ही कामातुर चुम्बन देने में लगे हुए थे.
पूनम ने अपनी कमर को थोड़ा सा धक्का दिया और लंड एकदम गीली और पनियाई चूत में प्रवेश कर गया.नैना ने कहा- क्या गृह प्रवेश हो गया? छोटे मालिक बधाई हो आपका ‘इत्ता’ सा पूनम की ‘उत्ती’ सी में चला गया.मैं बोला- देखिये, ध्यान से देखिए, दो दोस्त एक दूसरे को खूब चोद रहे हैं.

और यह कह कर मैंने पूनम को पलंग की साइड में लिटा दिया और आप खड़ा होकर उसकी चूत में लंडा लंड धक्के मारने लगा.पूनम की गोरी टांगें मेरी कमर के इर्द गिर्द हो रही थी, पूनम बहुत गर्म हो चुकी थी सो कुछ ही क्षण में धराशायी होने के लक्षण दिखाने लगी, उसकी दोनों टांगें जो मेरी कमर के इर्द गिर्द थीं, वो उन को दबा कर मेरी कमर का हिलना डुलना रोक रही थी.जब वो छूटी तो उसकी टांगों ने मेरा घेराव पक्की तरह से कर दिया था.
वो फिर ज़रा सम्भली तो मैंने उसको बिस्तर पर पूरा लिटा दिया और खुद जल्दी से उसकी चौड़ी हुई टांगों में घुस कर अपना लौड़ा फिर उसकी चूत के हवाले कर दिया.
नैना भी मेरे पीछे बैठे हुई थी पलंग पर और मेरे और पूनम को पूरी मदद दे रही थी.अब मैंने पारम्परिक आसन में पूनम की चुदाई शुरू कर दी यानि वो बिस्तर में लेटी थी और मैं उसके ऊपर लेटा था और लंड मेरा अंदर चूत में समाया था और उसकी गोल टांगें हवा में लहरा रही थी.प्रतिद्वंदी की आँखें बंद थी, मुँह ज़रा सा खुला था और सांस ज़ोर से चल रही थी.
लेकिन मेरा लंड भी बड़ा बेरहम बना हुआ चुदाई चूत की मर्ज़ी के अनुसार कर रहा था न वो मेरी सुन रहा था न वो पूनम की सुन रहा था.बस लगा था धक्कम पेल में और चोद रहा था ऐसे कि जैसे हम बैठे हों रेल में!धीरे से पूरा नाभि तक अंदर डाल कर फिर उसी तरह से धीरे से निकलना उसका चूत के मुंह तक, और फिर यही खेल दुबारा और कितनी बार और लेकिन फिर जब चूत कहने लगे माशाअल्लाह क्या सोच सोच कर चोद रहा है बे? जल्दी कर साले.
मैं बीच में धक्कम पेल छोड़ कर मुम्मों को चूसना और चूचियों को गोल गोल मुंह में घुमाना भी कर रहा था.अब पूनम ने अपनी कमर ऊपर उठा कर मुझको इशारा किया कि जल्दी करो तो मैं फिर शुरू हुआ तेज़म तेज़ धक्का धक्की में और अपने हाथों को उसके गोल सॉलिड चूतड़ों के नीचे रख कर ऐसी ज़ोर से शुरू कर दी पेलमपेल कि पूनम आनन्द में अपना सर इधर से उधर हिलाने लगी और मुंह सी आअह्हह ऊऊहहह के स्वर अपने आप निकलने लगे!
चंद मिनटों में पूनम अपनी दोनों बाँहों मेरे गले में डाल कर और टांगों को मेरी कमर में लपेट कर मेरे धक्कों को सहन करती हुई यह जा और वो जा हो गई, उसका मुंह मेरे मुंह से चिपक गया और चूतड़ मेरे लौड़े से चिपक गए.यह देख कर नैना ने ताली बजाई और कहा- वाह छोटे मालिक, क्या खूब चोदा है अपनी बचपन की फ्रेंड को!
पूनम के कान के पास अपना मुंह ले जा कर नैना ने पूछा- अभी और आये लंडम प्रसाद या फिर थोड़ी देर ठहर के?पूनम ने दबी ज़बान से कहा- अभी और नहीं और रात में फिर कभी नहीं.

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08-17-2021, 12:44 PM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
मैं यह सुन कर हट गया पूनम के ऊपर से और अपना गीला और अकड़ा लंड निकाला और नैना की चूत में डाला.नैना ने कहा- छोटे मालिक, आप मेरे नीचे आ जाओ अब मुझ को मेहनत करने दो आप तो थक गए होंगे.यह कर नैना मेरे ऊपर आ गई और मेरा गीला लंड उसने झट से अपनी चूत में डाल लिया.
पूनम अधखुली आँखों से यह सब देख रही थी लेकिन मैंने आँखें बंद कर लीं और नैना को मेहनत करने दी.जब देखा कि पूनम को शायद नागवार लगा है तो मैंने अपना दायाँ हाथ बढ़ा कर उसको अपने नज़दीक कर लिया और उसके मोटे मुम्मों से खेलने लगा और साथ ही उसके मुंह से मुंह जोड़ कर उसको चूमने लगा.
उधर नैना अपनी ही धुन में मुझको कभी धीरे और कभी तेज़ ऊपर से चोद रही थी.जब नैना ने देखा कि पूनम शायद बुरा मान रही है तो उसने भी पूनम की चूत में उंगली डाल कर उसके भग को सहलाना शुरू कर दिया और जब वो थोड़ी सी गरम हुई तो नैना बोली- पूनम, मैं नीचे आती हूँ, तुम आ जाओ और चुदा लो छोटे मालिक से!
पूनम बोली- नहीं नहीं नैना दीदी, आप लगे रहो, मुझको ज़रा भी बुरा नहीं लगा है.नैना तब बोली- छोटे मालिक आप ज़रा रुको मैं नीचे आती हूँ और आप मुझको ऊपर से धीरे धीरे ही चोद दो!यह कह कर नैना नीचे आ गई और मैं नैना के ऊपर चढ़ गया.तब नैना ने पूनम से कहा- तुम अपनी चूत को मेरे मुंह पर रख दो.
पूनम उठ कर टांगों के सहारे बैठ गई और उसकी चूत नैना के मुंह पर आ गई.अब नैना ने नीचे से पूनम की चूत को चूसना शुरू किया और थोड़ी देर में उसके भग को चूस रही ही थी कि पूनम एकदम अकड़ गई और ऐसा लगा कि वो झड़ गई और वो नैना के ऊपर से उठने लगी लेकिन नैना ने उसको रोक दिया.
उधर मैं ऊपर से नैना को धीरे धीरे चोद रहा था और उसकी गीली चूत को चोदने में बहुत आनन्द आ रहा था. पूनम की चूत को नैना अभी भी चाट रही थी, पूरी जीभ गोल कर के अंदर डाल रही थी या फिर उसकी भग को चूस रही थी और पूनम को अब फिर से बहुत मज़ा आना शुरू हो गया था.मेरी चुदाई से और पूनम की चूत चुसाई से नैना भी जल्दी ही झड़ गई.
फिर हम तीनों बिस्तर पर लेट गए.थोड़ी देर आलखन करने के बाद पूनम बोली- अब मैं अपने कमरे में जाती हूँ.मैंने पूनम को रोक लिया- मित्रवर कहाँ जा रहे हो?पूनम बोली- अपने कमर्वा में जात रहीं.मैं बोला- काहे जात हो, यहीं सोवत नाहीं का?पूनम बोली- नहीं न, तुम डिस्टर्ब्वा होगे ना?मैं बोला- डिस्टर्ब्वा? अभी चुदायन का मज़ा आवत रहिंन और अभो ही ससुर तुम चल पड़े. यही तो कतई ठीक नाही है रे?
यह सुन कर नैना और पूनम ज़ोर ज़ोर से हंस पड़ी, हमने हाथ पकड़ कर पूनम को अपने बिस्तर पर लिटा लिया.हम तीनो एक साथ ही सो गए, एक तरफ पूनम थी और दूसरी तरफ नैना.
रात को मैं काफी बार उन दोनों पर चढ़ा था लेकिन यह याद नहीं किस पर कितनी बार!सुबह जब नींद खुली तो मैं सिर्फ पूनम के साथ नंगा ही सोया था और पूनम भी पूर्ण रूप से नग्न ही थी.
कुछ देर में उसकी चूत के काले बालों से खेलता रहा और फिर उसके मम्मों को चूसने लगा उसकी चूत को हाथ लगाया तो वह काफी गीली हो रही थी.मैं उस पर चढ़ने की सोच ही रहा था कि इतने में नैना चाय के कप ले कर आ गई और मुझको पूनम पर चढ़ने के लिए तैयार होते देख कर बोली- छोटे मालिक, आप तो कभी कभी कमाल ही कर देते हो. बेचारी पूनम पर आप रात में कम से कम 4 बार चढ़े थे और मेरे ऊपर 3 बार और अभी भी आप का मन नहीं भरा है?
मैं हैरान होकर बोला- हाँ, यह हो सकता है नैना रानी, क्यूंकि मेरा रात भर एक बार भी नहीं छूटा सो सारा माल तो मेरे अंदर ही जमा हो रहा है और वो मुझ को बार बार तुम सब को चोदने के लिए विवश कर देता है. मुझ को ऐसा लगता है जैसे मेरे लंड में हर वक्त खुजली होती रहती है और वो तभी शांत होती है जब मैं किसी लड़की पर चढ़ जाता हूँ जंगली सांड की तरह!
मैं यह बातें कर ही रहा था की पूनम की नींद खुल गई और वो मुझको और नैना को देख कर हैरान हो गई और अपने हाथ से अपने नंगे मम्मे और चूत को छिपाने की कोशिश करने लगी.मैं बोला- पूनम बेबी रहने दो, हम सब ने तुम्हारा सब कुछ देख रखा है, उठो और चाय पी लो यार!पूनम मेरे को देख कर बोली- तुम्हारी इत्ती सी तो अभी भी खड़ी है क्या मुझ पर फिर हमला करने वाले थे तुम?मैं हँसते हुए बोला- हाँ, करने वाला ही था कि नैना आ गई और तुम को मेरे पंजों से बचा लिया.
नैना बोली- पूनम, तुम को याद है कि कितनी बार इन्होंने तुम पर हमला किया है रात भर में?पूनम बोली- पूरी तरह तो याद नहीं लेकिन शायद यह मुझ पर 3-4 बार चढ़ा है, मेरी चूत की तो दुर्गति हो गई होगी अब तक!नैना हँसते हुए बोली- घबराओ नहीं, मैंने सुबह देख लिया था, तुम्हारी चूत सही सलामत है, हाँ थोड़ी सी सूजी हुई ज़रूर है.
पूनम रोने का मुंह बना कर बोली- ज़ालिम सतीश, तुम तो मुझको बर्बाद कर दोगे… उफ़ मेरी चूत? नैना दीदी मैं चल तो सकूंगी ना?नैना हँसते हुए बोली- चल तो पाओगी लेकिन छोटे मालिक के सहारे की ज़रूरत पड़ेगी!पूनम रूठते हुए बोली- कभी नहीं, सतीश का सहारा लेना मतलब कई बार चुदाना. कभी नहीं… सतीश का चोदना, चूत का सत्यानाश !!! उफ़ मेरी माँ!
पूनम चाय पीने का बाद कपड़े पहन कर जाने लगी तो मुड़ के मेरी तरफ देखने लगी और मुस्कराते हुए बोली- सतीश आज रात का प्रोग्राम कितने बजे शुरू होगा?नैना हैरान होकर हंसने हुए बोली- छोटे मालिक, यह लड़की आपकी चोट की है, देख लेना यह तुम को हरा देगी.

कहानी जारी रहेगी.

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08-17-2021, 12:44 PM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
पूनम की दिल खोल कर चूत चुदाई

नैना हैरान होकर हंसने हुए बोली- छोटे मालिक, यह लड़की आपकी चोट की है, देख लेना यह तुमको हरा देगी.
अगले दिन पूनम और मैं जब कॉलेज पहुँचे तो मेरे एक सहपाठी मित्र मिल गए और बोले- सतीश यार, तुमने नोटिस बोर्ड देखा क्या?मैं बोला- नहीं यार, मैं तो अभी कॉलेज आया हूँ. क्या ख़ास बात लिखी है वहाँ?वो बोला- तुम देख लो तो पता चल जाएगा. यह कौन है तुम्हारे साथ?मैं बोला- यह पूनम है, मेरी कजिन मेरी ही क्लास में आई है अभी अभी!दोनों ने एक दूसरे को नमस्कार किया और फिर हम तीनों नोटिस बोर्ड पढ़ने चले गए.
वहाँ एक ट्रिप के बारे में नोटिस लगा था जो उसी महीने होना था.यह ट्रिप दिल्ली और आगरा भर्मण के बारे में था, दो रात और 3 दिन का ट्रिप था और खास तौर से इतिहास के छात्रों के लिए था, एक सौ रूपए प्रति छात्र का खर्च था, वो छात्र जो इस ट्रिप में भाग लेना चाहते थे 3 दिन में जमा करवाना था.
मैं और पूनम अपनी क्लास में पहुँचे तो वहाँ इस ट्रिप की ख़ास चर्चा हो रही थी.मैंने पूनम से कहा- तुम चलोगी क्या इस ट्रिप में?पूनम बोली- जाने की इच्छा तो है लेकिन मम्मी पापा से पूछना पड़ेगा और इतनी जल्दी पैसों का भी इंतज़ाम होना मुश्किल है तो तुम हो आओ!मैंने कहा- मैं मम्मी पापा से पूछता हूँ और तुम भी आज घर में जाकर पूछ लेना. पैसों की फ़िक्र ना करो!

बाद में पता चला कि ट्रिप की इंचार्ज निर्मला मैडम होंगी और उनका साथ एक और लेडी प्रोफ़ेसर देंगी.
शाम को घर पहुँच कर मैंने मम्मी को फ़ोन से पूछ लिया और उन्होंने कहा- चले जाओ, लेकिन हर रोज़ फ़ोन ज़रूर करते रहना.पूनम ने जब घर में पूछा तो उन्होंने कहा- क्या सतीश भी जा रहा है और पूनम ने कहा हाँ तो उन्होंने कहा ‘चली जाओ’ लेकिन अपना प्रोग्राम बताती रहना हर रोज़.
रात आई और खाना खाकर हम तीनों बैठक में बैठे दिल्ली आगरा ट्रिप की ही बात कर रहे थे.हम तीनों ने यह जगह अभी तक नहीं देखी थी तो नई जगह देखने की उत्सुकता थी लेकिन फिर मन में संशय भी था कि आपसी चुदाई कैसे हो पायेगी.
नैना ने मेरी तरफ भेदभरी नज़र से देखा और शायद वो नैनीताल ट्रिप के बारे में सोच रही थी.मैंने नैना से पूछा- वो नैनीताल ट्रिप के बारे में पूनम को बता दें क्या?वो बोली- देख लो छोटे मालिक, क्या पूनम हमारा यह राज़ रख पाएगी?
पूनम बोली- कौन सा राज़ सतीश?मैं बोला- बड़ा ही भयानक राज़ है, अगर किसी को पता चल गया तो मैं कहीं का नहीं रहूँगा, मेरी इज़्ज़त की धज्जियाँ उड़ जाएंगी.पूनम अब बहुत उत्सुक हो गई और ज़ोर देकर पूछने लगी तो मैंने कहा- कसम खाओ यह राज़ तुम किसी को नहीं बताओगी?पूनम बोली- कसम से, तुम्हारी इत्ती सी की कसम खाती हूँ.मैं और नैना दोनों हंस पड़े.
तब मैंने उसको नैनीताल ट्रिप का राज़ बताया कि कैसे चार लड़कियों ने मिल कर मेरा देह शोषण किया और एक बार नहीं, कई बार किया. और हर बार लड़कियों को कम और मुझको ज़्यादा मज़ा आया और यह था जबरदस्ती का मज़ा.पूनम बोली- वो लड़कियाँ अभी कॉलेज में हैं क्या?मैं बोला- हाँ हैं, और रोज़ मुझको पूछती हैं जोर आजमाइश करें क्या?पूनम बोली- आप क्या कहते हो उनको?मैं बोला- मैं कहता हूँ अकेली हो या फिर 3-4 हैं और भी? वो हमेशा यही कहती है वही अकेली है. और मेरा जवाब होता है मैं अकेली लड़की से देह शोषण नहीं करवाता, तीन चार मिल कर आओ तो करवा भी लूंगा.
नैना पूनम के पीछे बैठी थी और वो मुंह में साड़ी का पल्लू डाल कर ज़ोर से हंस रही थी.अब पूनम समझ गई कि मैं उसकी टांग खींच रहा हूँ, वो रूठने का नाटक करते हुए बोली- हमको नहीं सुननी तुम्हारी देह शोषण की कहानी.
मैं बोला- तुम सुनाओ, तुम्हारे साथ क्या हुआ था यार?पूनम बोली- मेरे साथ क्या होना था सतीश ठाकुर? और क्यों होना था रंगीले ठाकुर?मैं बोला- कुछ तो हुआ होगा ना जो तुम्हारी सील टूटी थी?पूनम शर्माती हुई बोली- वो तो आम की वजह से हुआ!
मैं और नैना हैरान हो कर बोले- आम? कौन सा आम? कैसा आम? और उससे सील टूटने का क्या सम्बन्ध हो सकता है?पूनम संजीदा होते हुए बोली- वो ऐसा है, जब मैं छोटी थी तो गाँव में अपने ही आमों के बाग़ में कुछ सहलियों के साथ आम तोड़ने के लिए पेड़ पर चढ़ी थी लेकिन आम तोड़ने के बाद मैं जब नीचे उतर रही तो मेरा पैर फिसल गया और वहाँ में गिर गई और मेरी जो ‘वो’ है न, उससे बड़ा खून गिरा. फिर डॉक्टर ने मम्मी को बताया कि इस हादसे में सील टूट गई है.
मैंने और नैना ने बड़ा अफ़सोस जताया और मैंने उसको तसल्ली दी और कहा- कोई बात नहीं, नई लगवा लेना लखनऊ में!पूनम बोली- अब नई नहीं लगती प्यारे मोहन!मैं बोला- ऐसा क्यों? मेरा भी ‘इत्ता’ सा साला चूहा खा गया था एक रात को लेकिन नैना मेरे साथ गई थी और नया मोटा और बड़ा लगवा लिया था एक ख़ास दुकान थी हज़रात गंज में. क्यों नैना?

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08-17-2021, 12:44 PM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
नैना तो अब हंसी के मारे सोफे के नीचे लुढ़क गई थी.पूनम कुछ समझ नहीं पा रही थी यह क्या हो रहा है.फिर भी वो इतना तो समझ गई थी कि मैं उसके साथ मज़ाक कर रहा हूँ.उसने सोफे के पास एक छड़ी पड़ी देखी तो उसको उठा कर मुझ को मारने के लिए दौड़ी और मैं भी दौड़ कर बाहर निकल गया.
अब वो मेरे पीछे भाग रही थी और मैं छुपने की जगह तलाश रहा था. फिर मैं एक खुले दरवाज़े में घुस गया और वहाँ छुप गया.पूनम ढूंढती हुई जैसे ही उस कमरे में घुसी, मैंने उसको पीछे से अपनी बाहों में दबोच लिया, मेरा खड़ा लंड उसकी गांड में घुसने की कोशिश कर रहा था और वो कसमसा कर छूटने की कोशिश कर रही थी.उसके हाथ की छड़ी मैंने अब अपने हाथ में ले ली थी और बोला- हिम्मत है तो छूट के दिखा पुन्नो?पूनम बहुत ज़ोर लगा रही थी लेकिन मेरी भी पकड़ ठाकुरों वाली थी सो आसानी से छूटने वाली नहीं थी.
मेरा लौड़ा तो आदतन खड़ा ही था तो उसकी साड़ी के ऊपर से उसकी गांड में घुसने की कोशिश में था.इस पकड़ा पकड़ी में मेरा लंड बहुत ही अकड़ गया था तो मैं बिना कुछ सोचे समझे ही उसकी साड़ी पीछे से ऊपर उठाई और अपने लौड़े को पैंट से निकाल कर उसकी फूली हुई चूत में घुसेड़ दिया.
लौड़ा अंदर जाते ही पूनम का मुंह मेरी तरफ हुआ और मैंने झट से अपना मुंह उसके मुंह से चेप दिया, उसकी कमर को कस कर पकड़ कर मैं धीरे धीरे से लंड को चूत के अंदर बाहर करने लगा.जैसे जैसे लंड की गर्मी चूत में जा रही थी वैसे वैसे ही पूनम ढीली पड़ती जा रही थी.
अब मैंने उसको पलंग के किनारे पर हाथ टेक कर खड़ा कर के पीछे से धुआँ धार चुदाई शुरू कर दी. मेरा लंड अब पूनम की चूत से पूरा वाकिफ हो गया था, वो उसकी हर हरकत को पहचान गया था.थोड़ी देर में पूनम एकदम अकड़ी और फिर काफी ज़ोर से कांपी और बेड पर अपना सर रखने लगी.
मैंने उसको अपनी तरफ मोड़ा और उसके लबों पर एक गहरा चुम्बन दे दिया, वो और भी सब लड़ाई भूल कर मेरे को टाइट जफ्फी डाल कर मेरे गले में झूल गई.फिर हम दोनों संयत हो कर बैठक में लौटे.
और हम को देखते ही नैना समझ गई कि चूत चुदाई हो गई है.पूनम मुझको छोड़ कर सीधे ही नैना की गोद में बैठ गई. मैं भी नैना की गोद में बैठने की ज़िद करने लगा और फिर हमारी धींगा मस्ती शुरू हो गई जो उम्मीद के अनुसार बिस्तर पर खत्म होनी थी सो वो वहीं ख़त्म हुई.
आज नैना काफी खुश लग रही थी, जब मैंने पूछा- क्या बात है?तो वो बोली- तुम दोनों की लड़ाई देख कर मन बड़ा प्रसन्न हो रहा है. बड़े दिनों बाद इस कोठी में यह हंसी ठट्ठा हो रहा है.
मैं बोला- हाँ नैना, तुम शायद ठीक कह रही हो. बड़े दिनों बाद ऐसी लड़की मिली है जो बहुत ही शरारती और चुलबुली है. यह वाकयी में एक मनमोहक लड़की है, जिस घर में जायेगी वहाँ यह तूफान पैदा कर देगी.नैना बोली- हाँ छोटे मालिक, आप ठीक कह रहे हो.
मैं बोला- सोचो ज़रा देर सोचो की बाग़ में आम खाने गई और अपनी चूत फड़वा आई. वाह वाह… क्या बात है पूनम के चाँद की!
पुन्नो बोली- हाँ हाँ, कह लो जितना कह सकते हो. अपना नहीं देखते जब भी बाहर निकलते हो अपना दैहिक शोषण करवा कर आते हो?यह सुन कर मैं और नैना बड़े ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे.मैं बोला- तभी मैं कहूँ, वो ससुर रिक्शा वाला भी पूछ रहा था कि सब ठीक है न कहीं देह शोषण तो नहीं हुआ तुम्हारा आज बबुआ?यह सुन कर पुन्नो और नैना बहुत हंसी.
अब मैं अपने बैडरूम में आ गया और कपड़े उतार कर सोने की तैयारी में लग गया.इतने में पूनम भी आ गई और मुझको नंगा लेटा हुआ देख कर ज़ोर ज़ोर से तालियाँ बजाने लगी- सतीश की शेम शेम… शेम शेम… नंग धडंग लेटा है बेशर्म कहीं का! तुझको मालूम नहीं माँ बहन का घर है कपड़े पहन कर लेटते हैं?मैं नकली हैरानी में बोला- किधर हैं माँ बहन? कहाँ हैं वो दोनों देखूँ तो सही?पूनम बोली- आ रहीं हैं, अभी तुम्हारे कान पकड़ती हैं.
इतने में नैना अंदर आ गई और मुझ को नंगा लेटे देख कर वो तो हंस पड़ी लेकिन पूनम बोली- देखिये ना सासू जी, यह आपका छोरा तो नंग धड़ंग बेशर्म हो कर लेटा है?नैना हँसते हुए बोली- तो बहु, तुम भी नंग धड़ंग उसके संग लेट जाओ. तुम नहीं लेटोगी तो मैं लेट जाऊँगी.यह कह कर नैना भी अपने कपड़े उतारने लगी और नग्न होकर वो मेरे ही पलंग पर आकर लेट गई और मेरे खड़े लंड के साथ खेलने लगी.
यह देख कर पूनम के मुंह पर ताला पड़ गया लेकिन वो भी पक्की ठकुराईन थी, वो भी जल्दी से अपने कपड़े उतार कर मेरे दूसरी तरफ आकर लेट गई.मैंने भी नैना के मुम्मों को सहलाना शुरू कर दिया और साथ में उसकी चूत में ऊँगली से उसकी भग को भी दबा रहा था.यह देख कर पूनम अब मेरे लौड़े को पकड़ने की कोशिश कर रही थी लेकिन उस पर तो नैना ने कब्ज़ा जमाया हुआ था.

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08-17-2021, 12:45 PM,
RE: XXX Kahani मेरा सुहाना सफर-कुछ पुरानी यादें
पूनम को जब और कुछ नहीं सूझा तो वो मेरे मुंह पर अपना मुंह रख कर मुझको चूमने लगी, मैं भी उसके मुंह में अपनी जीभ डाल दी और उस को गोल गोल घुमाने लगा.फिर मैंने नैना को कहा- नैना, तुम आज पूनम को चुदाई की थोड़ी ट्रेनिंग दे दो. कैसे क्या करते हैं यह उसको पूरा मालूम होना चाहिये ना!नैना बोली- ठीक है, पूनम तुम मेरी इस तरफ आ जाओ!
जब पूनम नैना की दूसरी साइड में चली गई तो मैं तब नैना के मुम्मे चूसने लगा, उसकी बालों से भरी चूत पर हाथ फेरने लगा और फिर उसके एकदम स्पाट पेट पर अपने हाथ फेरने लगा.नैना का जिस्म बहुत ही सुंदर ढंग से तराशा हुआ एक मुजस्मा लग रहा था हालांकि उम्र के हिसाब से वो हम सबसे बड़ी थी. उसके शरीर के सारे अंग एक साँचे में ढले हुए लग रहे थे, उसके सामने पूनम का शरीर अभी एक किशोर बालिका के समान ही लग रहा था.
आज जब मैं नैना के बारे में सोचता हूँ तो मुझे खजूराहो के मंदिरों में तराशी हुई सुन्दर स्त्रियों के समान उसका बदन लगता है.
नैना इस बीच पूनम को मस्त करने में लगी हुई थी, उसके मुम्मों को चूसने के बाद वो उसके पेट से होती हुई उसकी चूत पर जा कर रुक गई.नैना पूनम की चूत को चाटने लगी, पहले धीरे धीरे से उसने उसकी चूत के उभरे हुए लबों को चूमा और फिर जीभ का तिकोना बना कर उसने उसकी चूत के अंदर डाली और उसको गोल गोल घुमाई.वहाँ से वो उसके भग पर आ गई और उसको जीभ से पहले हल्के से चाटा और फिर उसको होटों के बीच लेकर चाटने लगी.
यह करते ही पूनम की कमर एकदम ऊपर उठ गई और मैंने मौका देख कर उसके गोल छोटे मुम्मों को अपने मुंह में ले लिया और उनको और उनके चुचूकों को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा.इस डबल अटैक से पूनम एकदम बड़ी ज़ोर से झड़ गई और उसकी दोनों गोल सफ़ेद झांगें नैना की गर्दन के इर्द गिर्द लिपट गई और उसके चेहरे को उन्होंने जकड़ लिया और साथ ही वो बहुत तीव्र कंपकंपी महसूस करने लगी.मेरे भी सर को भी उसने अपनी छाती के साथ जोड़ दिया और फिर मेरे मुंह को बेतहाशा चूमने लगी.देखते देखते ही वो एकदम ढीली पड़ गई.
तब नैना मेरी तरफ मुड़ी और पूनम की चूत के रस से भीगा हुआ मुंह उसने मेरे मुंह से जोड़ दिया और मेरी जीभ को चूसने लगी.पूनम की चूत की भीनी खुशबू मेरे मुंह में भी आ गई और जैसे सांड मुंह ऊपर उठा कर गाय की चूत के रस को सूंघता है वैसे ही मैं भी सूंघता हुआ नैना के ऊपर चढ़ गया.नैना की टांगें हवा में लहरा उठी अब मेरी चुदाई का पहला दौर शुरू हुआ.
नैना की चूत की हर हरकत से मैं वाकिफ था और वो लंड के सब थपेड़े झेल चुकी थी इसलिए उसने आँखें बंद कर आनन्द लेना शुरू कर दिया.क्योंकि यह लंड चूत का तमाशा पूनम के लिए खास तौर से आयोजित किया जा रहा था तो उसको इस खेल की हर चाल दिखानी ज़रूरी थी.अब मैं पलंग पर बैठ गया और बगैर लंड को अलग किये मैंने उसको अपनी गोद में ले लिया और अब मैंने बैठ कर लंड घिसाई का कार्य शुरू किया.थोड़ी देर इस पोज़ में चोदा नैना को, फिर नैना को इशारा किया और मैं लेट गया, नैना मेरे ऊपर आ गई बिना चूत लंड को अलग किये.
थोड़ी देर इस पोज़ में अपने करतब दिखाए पूनम को… फिर मेरे इशारे पर नैना घोड़ी बन गई और मैंने उसको इस पोज़ में खूब ज़ोर ज़ोर से चोदा. जब वह 2-3 झड़ गई तो मैंने उसको आखिरी बार फुल स्पीड से चोदा.
अब मैंने पूनम को इशारा किया तो वो भी नैना के साथ घोड़ी बन कर नैना के साथ बैठ गई.मैंने नैना के ऊपर चढ़े हुए ही पूनम की चूत में हाथ लगाया तो वो अत्यंत गीली हो चुकी थी, मैं नैना की घोड़ी को रोक कर पूनम की घोड़ी पर जा बैठा.
पूनम को काफी देर मैंने इस तरह चोदा और उसने खुद कहा- सतीश, मैं थक गई हूँ प्लीज बस करो.मैंने कहा- सच्ची में थक गई हो क्या?पूनम बोली- सतीश, हाँ सच्ची में थक गई हूँ!मैं बोला- कसम खाओ कि आगे से कभी नहीं छेड़ोगी मुझको?पूनम बोली- कसम से… कभी नहीं छेड़ूंगी.मैं बोला- चलो माफ़ किया इस ठकुराईन को, एक बार और छूटा ले ना अगर मन हो तो?पूनम बोली- नहीं ना… अब और नहीं.
यह सुन कर मैंने एक आखिरी राउंड धक्कों का मारा और नीचे उतर गया.नैना ने हमारे लिए शर्बत तैयार किया हुआ था, वो पी कर हम तीनों एक दूसरे की बाहों में सो गए.

कहानी जारी रहेगी.

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