XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
03-20-2021, 11:39 AM,
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
जल्दी ही वे दोनों नदी के किनारे पर जा पहुंचे। वहां से पानी नीचे गिर रहा था। नीचे पानी के टकराने की तेज आवाज ऊपर तक कानों में पड़ रही थी।

चलो, कूदो सोहनलाल ।” नानिया पीछे देखती चीखी। लेकिन नीचे तो कुछ भी नजर नहीं आ रहा कि कहां कूदना

“मुझे नीचे का सब पता है। तुम्हें कुछ नहीं होगा। वो आ गए। हमारे सिर पर कूद जाओ।”

इसके साथ ही नानिया ने उसका हाथ पकड़ा और कूद गई।

सोहनलाल कूदने को तैयार नहीं था। नानिया के साथ लगभग वो लुढ़कता चला गया। हवा में उसका नीचे गिरने का अंदाज, तीव्र गति से घूमने जैसा था। इस दौरान उसे निचाई दिखाई दी तो वो कांप गया। बहुत ही नीचे था पानी। नानिया का हाथ छूट चुका था। सोहनलाल को पानी में गिरने के साथ ही अपनी मौत महसूस होने लगी।

सोहनलाल को ये नहीं पता चला कि पानी में टकराने के साथ ही, वो मर गया था या जिंदा रहा। परंतु पक्की बात तो ये थी कि उसके होश गुम हो गए थे।

अंधेरा घिरना आरम्भ हो चुका था। आकाश में टिमटिमाते तारे नजर आने लगे थे। बेहद मध्यम-सी हवा चल रही थी। परंतु वातावरण स्पष्ट नजर आ रहा था। नानिया बेहोश सोहनलाल को कंधे पर डालें आगे बढ़ रही थी। आखिरकार वो एक दीवार के पास जा पहुंची। जहां छोटा-सा दरवाजा था और दो पहरेदार खड़े थे।

ये उसकी नगरी का पश्चिम की तरफ का छोटा द्वार था। इस चारदीवारी के भीतर ही उसका महल था और नगरी थी।

चारदीवारी मीलों लम्बी थी, जो कि महल के एक तरफ से आरम्भ होकर, मीलों लम्बा चक्कर काटकर महल के दूसरे हिस्से में लगी हुई थी। सुरक्षा के लिए पर्याप्त पहरेदार थे, चारदीवारी के पास। चिमटा और घोघा जाति ने कई बार महल पर हमला करने की चेष्टा की, परंतु सफल नहीं हो पाए वे अपने इरादों में।

कौन हो तुम?” अंधेरे में किसी को आते पाकर, पहरेदारों ने हथियार संभाल लिए।

“दरवाजा खोलो। मैं नानिया हूं।” वो अधिकार भरे स्वर में बोली।

“ओह रानी साहिबा, आप इस हाल में।” पहरेदार के होंठों से निकला।

दूसरे पहरेदार ने उसी फ्ल दरवाजा खोल दिया था।

नानिया सोहनलाल को कंधे पर लादे, झुकते हुए छोटे दरवाजे से भीतर प्रवेश कर गई। फिर ठिठककर हर तरफ नजरें घुमाईं। सामने परंतु दूर, शानदार महल बना नजर आ रहा था, जो कि रोशनियों में चमक-दमक रहा था। सामने सड़क के किनारे रोशनियों का पर्याप्त प्रबंध था। यहां पहुंचकर नानिया को राहत महसूस हुई।

वो आगे बढ़ गई। । हर कोई अपने आप में व्यस्त था। ऊपर से अंधेरा। नानिया को कोई पहचान न पाया, अलबत्ता कई लोगों ने देखा अवश्य कि कोई और किसी को कंधे पर डालें तेजी से आगे बढ़ी जा रही है।

नानिया सीधे महल की तरफ बढ़ती जा रही थी।

कुछ देर बाद एक मोड़ पर नीली वर्दी पहने एक ओहदेदार टकरा गया।

“ऐ रूको ।” वो कह उठा “तुम कौन हो और इसे कहां ले जा रहे हो। अपना चेहरा दिखाओ। इधर रोशनी की तरफ ।” ।

नानिया ने अपना चेहरा रोशनी की तरफ घुमाया।

“ओह, रानी साहिबा। आप इस हाल में। लाइए इसे मैं कंधे पर उठा लेता हूं।”

“जरूरत नहीं। इसे मैं ले जाऊंगी।” कहने के साथ ही नानिया आगे बढ़ती चली गई।

पंद्रह मिनट बाद वो महल के बड़े से फाटक पर जा पहुंची। वहां आठ-दस पहरेदार खड़े थे। रोशनी थी।

उन्होंने नानिया को फौरन पहचान लिया। “ओह रानी साहिबा।”

फाटक खोलो।”

फाटक खुलते ही नानिया सोहनलाल को उठाए भीतर प्रवेश कर गई।

महल का बाहरी हिस्सा बेहद खूबसूरत था। फूलों की क्यारियां। पेड़। फव्वारे। रंग-बिरंगी रोशनियों।
वहां का माहौल देखते ही बनता था।

नानिया जिस रास्ते पर बढ़ रही थी, वहां तीन-चार घोड़ा-गाड़ियां खड़ी थीं। । बहरहाल नानिया महल के भीतर कमरे में पहुंची और सोहनलाल को बैड पर लिटा दिया और प्यार से उसके गालों पर हाथ फेरा। महल के नौकरों ने नानिया को इस तरह आते देखा तो वे हैरान हुए।

बात मंत्री तक पहुंची तो वो फौरन महल में आ पहुंचा।

नानिया कमरे से बाहर निकली तो बाहर तीन नौकरों को खड़े पाया।

“यहीं खड़े होकर पहरा दो।” नानिया ने कहा-“मेरी इजाजत के बिना कोई भीतर न जाए।”

“जी ।” नानिया आगे बढ़ गई।

एक राहदारी से गुजर रही थी तो सामने से आते मंत्री से मिलन हुआ। ।

“ओह रानी साहिबा।” मंत्री कह उठा ये मैं क्या सुन रहा हूं।

आप तो काफिले के साथ गई थीं। परंतु आपकी वापसी अकेले में हुई। आपने किसी को कंधे पर उठा रखा था। ये सब क्या हो रहा

“वापसी पर कुछ परेशानियां आईं। तुम्हें ये सुनकर खुशी होगी कि बोगस मर गया।”

“मर गया?” मंत्री के होंठों से निकला–“असम्भव, यहां भला कोई कैसे मर सकता है।”

नानिया मुस्कराई।

बाहरी दुनिया से धुआं उड़ाने वाला आ गया है, जिसके बारे में मैं तुमसे कहा करती थी।”

यकीन नहीं होता।” ।

वो धुआं उड़ाने वाला कमरे में बेहोश पड़ा है।”

“ओह।” ।

उसने ही बोगस को खत्म कर दिया। बोगस के लोगों के साथ मेरे सिपाहियों का झगड़ा हुआ। वो आते ही होंगे।”
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