XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
03-09-2021, 03:23 PM,
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
“ठीक कहते हो। ये पहला मौका है।” सोहनलाल ने गहरी सांस ली।।

“मुझे लगता है कि तुम्हारा सेवक तुम्हें ठीक से इज्जत नहीं देता।” नानिया बोली।

“हां, मैंने इसे ज्यादा सिर पर चढ़ा रखा है।” वे सब तेजी से आगे बढ़ते जा रहे थे। जंगल घना हो चुका था।

तुम धुआं नहीं उड़ा रहे।” नानिया ने चलते-चलते सोहनलाल को देखा।

उड़ाऊ क्या?” “हां, तुम्हारा धुआं उड़ाना मुझे अच्छा लगता है। नानिया ने प्यार से कहा।

सोहनलाल ने सिग्रेट सुलगाकर कश लिया।

“ओह।” नानिया ने गहरी सांस ली–“इस धुएं की खुशबू कितनी अच्छी है।”

ये तुम्हें डुबो देगी।” जगमोहन ने कहा। “तुम ऐसा क्यों कहते हो सेवक।” नानिया ने जगमोहन को
देखा।।

मैं पागल हूं, इसलिए ।”

कभी-कभी तुम मुझे पागल ही लगते...।”

तभी आगे चलता कोचवान ठिठक गया। सब टिके।। उनके कानों में घोड़े की टापों की आवाज़ पड़ी। सबकी नजरें इधर-उधर घूमने लगीं।

जगमोहन ने ये बात फौरन महसूस कर ली कि वो एक ही घोड़े की टापों की आवाज है।

एक घोड़ा है।” सोहनलाल ने जगमोहन को देखा।

नानिया का कोई साथी होगा।” जगमोहन बोला।

“तुमने मेरा नाम लिया।” नानिया का स्वर कठोर हो गया—“सब मुझे रानी साहिबा कहते हैं।”

“कहते होंगे। मैं तुम्हारा सेवक या तुम्हारी जागीर का हिस्सा नहीं हूं।” जगमोहन बोला।

बहुत बदतमीज हो तुम।” ।

“मेरे सेवक को कुछ मत कहो।” सोहनलाल बोला।

ठीक है, तुम कहते हो तो, नहीं कहती। मैं अपने सोहनलाल को खुश रचूंगी। जो तुम चाहोगे, वही करूंगी।”

क्या कहने।” जगमोहन व्यंग से कह उठा। घोड़े की टापों की आवाज करीब आ गई थी। वो सब वहीं खड़े नज़रें घुमाते रहे। तभी कोचवान बोला।

खतरा है।” ।

ये तुमने कैसे कहा कोचवान?”

रानी साहिबा। मैं अपने घोड़ों की टापों की आवाज पहचानता हूं। ये हमारे घोड़े की टापों की आवाज नहीं है।”

तुम्हें धोखा भी हो सकता है।”

नहीं रानी साहिबा। अपनी बात पर मुझे भरोसा है।

” वों रहा।” तभी जगमोंन कह उठा। पेड़ों के बीच में से वो घुड़सवार पचास कदम दूर नजर आ रहा था। वहां आकर उसने घोड़ा रोक लिया था।

ये...ये तो बोगस है।” नानिया के होंठों से निकला-अपने आदमियों को वहां मुकाबले के लिए छोड़ आया है और मुझे ढूंढ़ने के लिए जंगल तक आ गया।” नानिया के शब्दों में कठोरता आ गई। थी।
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03-09-2021, 03:23 PM,
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“मैं उसे सबक सिखाता हूं।” कहकर कोचवान ने उस तरफ जाना चाहा।

“रुक जाओ कोचवान ।” नानिया बोली-“क्या पता वो हताश होकर वापस चला जाए।”

कोचवान ठिठक गया। “मुझे एक मौका दें रानी साहिबा ।” ।

“तुम उसका मुकाबला नहीं कर सकोगे। वो ज्यादा बहादुर है। तुम्हें गिरा देगा।”

मैं उसे सबक सिखा दूंगा।” तभी जगमोहन कह उठा।। उसने हमें देख लिया है।”

ये सुनते ही नानिया का चेहरा कठोर हो गया। “सोहनलाल ।” नानिया चिंतित स्वर में बोली-“जब वो पास आए तो तुम कहीं छिप जाना।”

क्यों?”

“मुझे तुम्हारी जान बचानी है। तुम कालचक्र का हिस्सा नहीं हो। बोगस तुम्हें मार सकता है।”

मैं उसकी परवाह नहीं करता।”

“समझा करो वो...” ।

वो अब हमारी तरफ आ रहा है।” जगमोहन बोला।

पेड़ों के बीच में से नजर आता वो घुड़सवार, जगह बनाता इसी तरफ आ रहा था धीरे-धीरे। घोड़े की बेहद धीमी टापों की आवाज कभी कभार कानों में पड़ जाती थी।

सबकी निगाह उस पर रहीं।

आखिरकार वो करीब और सामने आ गया। वो बोगस ही था। पांच फीट का गठीले बदन वाला व्यक्ति। एक हाथ में लगाम थी तों दूसरे में तलवार। सिर पर कम मात्रा में बाल थे। उसकी उम्र पचास के आसपास थी। सुर्ख-सा चेहरा था उसका। कमर में कपड़ा बांध रखा था। घोड़े पर वो जिस अंदाज में बैठा था, उससे वो लड़ाका लग रहा था।

“तुम्हें इतने करीब से देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा नानिया।” बोगस कह उठा।

नानिया का चेहरा कठोर हो गया।

तुम मुझसे झगड़ा क्यों करती हो?” बोगस बोला “मैं तो तुम्हें सिर्फ पाना चाहता हूं।”

“मुझे कोई नहीं पा सकता।”

पागल हो तुम जो खुद को तुमने कुंआरा रखा हुआ है अभी तक। तुम जिसका इंतजार कर रही हों, वो कभी नहीं आएगा। क्यों अपने शरीर को बेकार कर रही हो, इसका इस्तेमाल करो। मैंने हमेशा तुमसे दोस्ती ही चाही, परंतु तुमने झगड़ा किया।” बोगस शांत स्वर में कह रहा था—“आओ, हम एक हो जाएं नानिया। मैं तुम्हें बहुत प्यार करूंगा।”

नानिया के दांत भिंचे रहे। कोचवान बार-बार नानिया को देख रहा था।

ये लोग कौन हैं?” बोगस ने जगमोहन और सोहनलाल को देखा–“पहले इन्हें देखा नहीं।” ।

“ये।” नानिया ने सोहनलाल का हाथ थामकर कहा-“वो ही है, जिसका मुझे इंतजार था।”

“नहीं।”

सच कहा मैंने।”

फिर तो आज तुम्हें पाने की इच्छा को छोड़कर, इसे मारूंगा।” बोगस का स्वर कठोर हो गया।

नानिया कुछ व्याकुल हुई।

यहां से चले जाओ बोगस ।” नानिया का स्वर गुस्से से कांपा–“वरना आज तुम बचोगे नहीं।”
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03-09-2021, 03:23 PM,
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“तुम मेरा कुछ भी नहीं कर सकती। हम सब कालचक्र के अंश हैं। हम तभी मर सकते हैं, जब कालचक्र का अंत हो जाए। परंतु कालचक्र इतना शक्तिशाली है कि कोई इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।” बोगस ख़तरनाक स्वर में बोला “इस वक्त तुम्हारे साथ आदमी नहीं हैं। इसका फायदा मुझे मिलेगा। पहले मैं तुम्हारे आशिक की जान लूंगा फिर तुम्हें पाऊंगा। ये कालचक्र के बाहर से आया है। इसे मैं मौत दे सकता हूं।”

“मुझे हुक्म दीजिए रानी साहिबा ।” तलवार थामे कोचवान कह उठा।

“जाओं और सबक सिखा दो इस कमीने को।” नानिया गुर्रा उठी।

कोचवान उसी पल तलवार थामे सतर्कता से, बोगस की तरफ बढ़ने लगा।

घोड़े पर बैठा बोगस कह उठा।
“तू मेरा क्या मुकाबला करेगा। कोचवान भी तलवार चलाने लगे अब तो।”

भूल में है तू, कोचवान बनने से पहले मैं लड़ाका था।”

पर मैंने तो तेरे को तलवार थामे कभी नहीं देखा।” बोगस हंसा।

जगमोहन और सोहनलाल की नजरें मिलीं। वो खामोश रहे। तभी नानिया सोहनलाल के कान में बोली।
तुम यहां से भाग जाओं सोहनलाल। मैं तुम्हें दोबारा तलाश कर लूंगी।”

फिक्र मत करो। इसे तो मेरा सेवक ठीक कर देगा।”

“तुम भागते क्यों नहीं?” परेशान सी नानिया कह उठी।

मेरा सेवक सब ठीक करेगा। तुम देखती रहो।” ।

“पागल मत बनो। बोगस बहुत अच्छी तलवार चलाता है।”

मैं भाग गया और बोगस ने तुम्हें हासिल कर लिया तो तुम्हारी मुक्ति पाने का सपना, सपना ही रह जाएगा।”

नानिया ने सख्ती से होंठ भींच लिए।

इसलिए मेरे जाने या न जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता।” सोहनलाल बोला–“हमें कुछ नहीं होगा।”

तुम बोगस को नहीं जानते सोहनलाल ।”

तुम मेरे सेवक को नहीं जानती।” सोहनलाल मुस्करा पड़ा। बोगस घोड़े पर बैठा था, तलवार थामे।

पास पहुंचकर कोचवान ने पूरी ताकत से तलवार का वार बोगस पर किया। | बोगस ने उसी पल अपनी तलवार से उसके वार को रोका और थोड़ा-सा नीचे झुकते हुए तलवार को कोचवान की छाती में धंसा दिया। कोचवान जोरों से चीख़ा। तलवार हाथ से छूटकर नीचे जा गिरी। बोगस ने अपनी तलवार झटके से उसके सीने से खींच ली तो कोचवान नीचे जा गिरा और गहरी-गहरी सांसें लगा। फिर उठ न सका।

बोगस ने हंसकर नानिया को देखा। नानिया का चेहरा चिंतित था।

अब कहो नानिया। तुम मेरे पास आती हो या तुम्हारे आशिक को मार दूं।”

“तुम...तुम मेरी दोनों सेविकाओं को ले लो। ये कम उम्र की हैं। तुम्हें आनंद देंगी।” नानिया बोली।
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03-09-2021, 03:23 PM,
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“मुझे तुम्हारी जरूरत है।”

तभी सोहनलाल नानिया से बोला।
“तुम तो कहती थी कि कालचक्र के भीतर वाले एक-दूसरे की जान नहीं ले सकते।” ।

“गलत क्या कहा मैंने।” ।

तुम्हारा कोचवान तो...।” ।

वो कुछ देर में उठ जाएगा। उसके घाव खुद-ब-खुद ही भर जाएंगे।”

“ओह।”

“अब मैं क्या करूं। ये मेरा कुंआरापन खत्म कर देगा जबकि तुम्हारे आ जाने की वजह से, ये वक्त, मेरे लिए कालचक्र से मुक्ति का है।” नानिया ने चिंतित स्वर में कहा-“इस वक्त मैं तुम्हें भी नहीं बचा सकती।”

लेकिन मैं तुम्हें बचा सकता हूं।” सोहनलाल मुस्कराया।

“असम्भव ।”

“मेरा सेवक, बोगस को हरा देगा, बल्कि मार देगा। क्योंकि हम कालचक्र के नहीं हैं। यहां पर हम किसी को भी मार सकते हैं और कोई भी हमें मार सकता है।” सोहनलाल ने शांत स्वर में कहा।

“बोगस बहुत ताकतवर हैं और तुम्हारा सेवक मुझे किसी काम का नहीं लगता।”

“ठीक है। अब तुम मेरे सेवक का काम देखो।” कहकर सोहनलाल ने जगमोहन को देखा।

क्या करूं?” जगमोहन ने पूछा।

मार साले को।”

हमें क्या फायदा इससे?”

फायदा नुकसान तो पता नहीं। लेकिन इस वक्त तो इसे खत्म कर। रिवॉल्वर है न?”

है।” जगमोहन ने कहा और बोगस की तरफ बढ़ा। उसे अपनी तरफ आते पाकर बोगस की आंखें सिकुड़ीं। जगमोहन चंद कदम पहले ठिठका और शांत स्वर में कह उठा।
मैं तुम्हें मारना नहीं चाहता। बेहतर है कि तुम यहां से चले जाओ।”

बोगस हंस पड़ा।
तो तुम मेरी जान लोगे। ठीक है लो।

” मैं मजाक नहीं कर रहा।” जगमोहन बोला—“चले जाओ यहां

मैं भी मजाक नहीं कर रहा। तुम मेरी जान लो ।”

नानिया सोहनलाल से कह उठी।

“तुम्हारा सेवक तो पागल है। क्या इस तरह बातों से किसी को सबक सिखाया जाता है। फिर ये खाली हाथ बोगस का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। बोगस अभी इसे मार देगा।”

सोहनलाल की शांत निगाह जगमोहन और बोगस पर थी। जगमोहन ने रिवॉल्वर निकाली और बोगस से कहा।
अभी भी तुम्हारे पास मौका है यहां से भाग जाने का ।” बोगस ने उसके हाथ में पकड़ी रिवॉल्वर को अजीब-सी नजरों से देखा।

क्या तुम इससे मुझे मारोगे?”

“हां।”

“हैरानी है कि इस जरा-सी चीज से तुम तलवार का मुकाबला कैसे करोगे। आओ, हम मुकाबला करें। मैं भी तो देखें कि तुम किस बूते पर मुझे यहां से चले जाने के लिए धमका रहे हो।”

जगमोहन ने रिवॉल्वर वाला हाथ घोड़े पर बैठे बोगस की तरफ किया और गोली चला दी।

कानों को फाड़ देने वाला धमाका गूंजा।

बोगस के हिलने की वजह से निशाना चूक गया और गोली कंधे पर रगड़ दे गई।

बोगस के होंठों से हल्की-सी कराह निकली।

उसी क्षण जगमोहन ने दूसरा फायर किया। बोगस के सिर में गोलीं जा लगी।

बोगस उछलकर घोड़े से नीचे गिरा और फिर हिला भी नहीं। जगमोहन ने रिवॉल्वर जेब में रख ली।

ये क्या हुआ?” नानिया के होंठों से हैरानी भरा स्वर निकला।

बोगस मर गया।”

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03-09-2021, 03:23 PM,
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बोगस मर गया।”

क...कैसे?"

मेरे सेवक ने मार दिया उसे ।”

“ओह, कितनी हैरानी की बात है कि तलवार के बिना मार दिया उसे। उसके हाथ में क्या था, जिससे...।”

“वो हमारा हथियार है। हम तलवारों से नहीं लड़ते।” सोहनलाल मुस्कराया—“अब तो तुम खुश हो?”

। “बहुत खुश।” नानिया वास्तव में खुश थी—“धमाके की आवाज कितनी मधुर है।”

मधुर?” सोहनलाल ने नानिया को देखा।

*और नहीं तो क्या। मुझे धमाके की आवाज बहुत अच्छी लगी।”
लेकिन हमारी दुनिया के लोग तो इस धमाके से डरते हैं।” मैं नहीं डरती।” कहकर नानिया बोगस की लाश की तरफ बढ़ गई।

सोहनलाल जगमोहन के पास पहुंचा।
तुम्हारा क्या खयाल है कि हमें क्या करना चाहिए?” सोहनलाल बोला।

मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा।”

तो नानिया के साथ ही रहें? अंधेरे में रोशनी का बिंदु तो है हमारे लिए।” ।

“जैसा तुम्हें ठीक लगे। हमारे पास कोई और रास्ता भी तों नहीं ।”

तभी नानिया की आवाज आई। वो बोगस की लाश के पास खड़ी थी।

ये तो सच में मर गया।”

“तुम क्या समझी थी इस तरह गिरकर मजाक कर रहा था।” सोहनलाल हंसा।।

“मुझे इस पर भरोसा नहीं।” जगमोहन बोला–“नानिया कालचक्र का ही हिस्सा है।”

“मैं नानिया पर पूरा भरोसा नहीं कर रहा। उससे सतर्क हूं।” सोहनलाल ने कहा।

नानिया जिस किताब का जिक्र कर रही है मैं वो किताब देखना चाहता हूं।” जगमोहन बोला।

किताब उसके महल में है। वो हमें वहीं तो ले जा रही है।”

नानिया कोचवान के पास पहुंची। सोहनलाल भी उस तरफ बढ़ गया।

अब तुम कैसे हो?”

पहले से ठीक हूं। घाव भर गया है। मैं बोगस से हार गया।”

कोई बात नहीं। वो तुमसे ज्यादा ताकतवर था। उठ जाओ अब । हमें महल के लिए रवाना होना है।”

नानिया की दोनों सेविकाओं में से एक जगमोहन के पास पहुंची।

तुम तो बहुत बहादुर हो।”

जगमोहन ने उसे देखा।
वो सांवले रंग की, तीखे नैन-नक्श वाली, खूबसूरत युवती थी। इतनी देर साथ रहने पर भी, जगमोहन ने अभी तक उसे नहीं देखा था। इस वक्त वो खुश थी।

“शुक्रिया।”

“तुम्हें मालूम है कि मैं भी अभी तक कुंआरी हूं।” वो फिर कह उठी।

“अच्छा। इसमें मेरी तो कोई गलती नहीं।”

रानी साहिबा के करीब रहने वाली सेविका, कुंआरी ही हो। ये रानी साहिबा का हुक्म है। परंतु अब रानी साहिबा को वो मिल गया है, जिसका उन्हें इंतजार था। इसलिए हम पर से भी ये बंदिश रूट जाएगी।”

तो मैं क्या करूं?”

“मैं तुम्हारे साथ प्यार करूंगी। मेरा नाम कोमा है।”

मेरे साथ?” जगमोहन ने उसे घूरा।।

“हां, तुम बहादुर हों। बोगस को तुमने जिस तरह मारा, वो काम हर कोई नहीं कर सकता।”

“तुम मेरे पास से दूर चली जाओ वरना मैं तुम्हें भी बोगस की तरह मार दूंगा।”
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03-09-2021, 03:24 PM,
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मैं जानती हूं तुम ऐसा नहीं करोगे।” कोमा मुस्कराई।

क्यों नहीं करूंगा?”

“तुम सिर्फ रानी साहिबा के दुश्मन को ही मारोगे।”

जगमोहन ने उसे घूरा। कोमा प्यार से जगमोहन को देख रही थी।

जगमोहन सोहनलाल और नानिया की तरफ बढ़ गया, जो कि कोचवान के पास मौजूद थे।

कोचवान अब उठ खड़ा हुआ था। वो स्वस्थ था। उसका घाव जैसे जादुई ताकत ने भर दिया था।

तुम तो ठीक हो गए।” जगमोहन उसे देखकर मुस्कराया।

परंतु मुझे दुख है कि मैं बोगस को हरा नहीं पाया।”

कोई भी हराएं, काम होना चाहिए।”

सोहनलाल ने नानिया को देखकर पूछा। “तुम हमसे मिलने से पहले, काफिले के साथ कहां से आ रही थीं?

“अपने माता-पिता से मिलकर ।”

“माता-पिता?” ।

हां, वो भी कालचक्र का अंश बने हुए कैद हैं। कहीं दूर रहते हैं वो। कभी-कभी मैं उनसे मिलने जाती हूं। परंतु जब तुम मुझे आजाद कर दोगे, तो मेरे माता-पिता खुद-ब-खुद ही आजाद हो जाएंगे।”

वो कैसे?

“कालचक्र में एक ही खून के लोग, जो भी करते हैं, उसका असर दूसरे पर होता है। मैं मरूंगी तो मेरे माता-पिता भी मर जाएंगे। मैं आजाद होऊंगी तो वो भी कालचक्र से बाहर आ जाएंगे।”

अजीब बात है।”

सोबरा के कालचक्र को कोई समझ नहीं पाया।” नानिया बोली-“बहुत कुछ ऐसा है जो उलझन में डाल देता है।”

“मैं तुम्हारी वो किताब देखना चाहता हूं, जिसमें लिखा है कि धुआं उड़ाने वाला आकर तुम्हें कालचक्र से मुक्ति दिलाएगा ।” ।

“अवश्य सेवक। वो किताब मेरे महल में है। वहां पहुंचकर तुम किताब देख लेना।”

“उसमें और भी कई बातें लिखी हैं?”

हां। परंतु वो मेरी समझ में नहीं आतीं।”

तभी कोचवान कह उठा।
हमें फौरन आगे बढ़ जाना चाहिए, ताकि दिन की रोशनी रहते महल तक पहुंच सके।”

अवश्य...हम...।” नानिया अपने शब्द पूरे न कर सकी। तभी कुछ दूर जैसे किसी ने होंठों से अजीब शब्द निकाला हो। कोचवान घबराकर कह उठा। “ओह ये तो चिमटा जाति के लोग हैं। आपके पक्के दुश्मन हैं। आपने कुछ महीने पहले ही इनके पचास लोगों को कैद कर लिया था। क्योंकि ये आपके सेवक बनने से इंकार कर रहे थे।”

ये यहां क्या कर रहे हैं?”

इधर ही, जंगल में चिमटा जाति रहती है। वो लोग शायद धमाके सुनकर इस तरफ आ गए हैं। होंठों से आवाजें निकालकर वे इस तरह का इशारा तब देते हैं, जब वे जंगल में बहुत बड़ा घेरा बनाकर आगे बढ़ रहे हों।” |

अबकी बार दूसरी तरफ से होंठों से निकलने वाली कल-कल की तीव्र आवाज गूंजी।।
“ये तो बहुत बुरा होने वाला है रानी साहिबा। चिमटा जाति के लोग आपको कैद कर लेंगे।” ।

“घबराने की कोई जरूरत नहीं।” नानिया ने विश्वास-भरे स्वर में कहा।

ये आप क्या कह रही हैं।” कोचवान ने व्याकुल निगाहों से रानी साहिबा को देखा।

सोहनलाल का सेवक, उन सबको मार देगा।” ।
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03-09-2021, 03:24 PM,
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क्या?" जगमोहन के होंठों से निकला।

“जिस तरह तुमने बोगस को मारा, उस तरह...।”

दो-चार की बात हो तो, जुदा बात है, ज्यादा संख्या हो तो मैं नहीं मार सकता।” जगमोहन बोला।

ये क्या कह रहे हो।” नानिया कह उठीं।

“ये सच कह रहा है।” सोहनलाल बोला—“पांच-सात से ज्यादा के मरने की उम्मीद मत करना ।” ।
और रानी साहिबा ।” कोचवान घबराया हुआ था—“उनकी संख्या तो ज्यादा होगी । वो समूह में एक साथ निकलते हैं।”

कितनी संख्या हो सकती है?”

*50 या फिर 100 ।”

जगमोहन ने सोहनलाल से कहा। हम उनसे बच नहीं सकते।” लेकिन हमें बचना है।” सोहनलाल बोला।

कैसे बचेंगे?” ।

सोहनलाल ने नानिया से पूछा। “तुम बताओ कैसे बचेंगे?”

“मैं क्या बताऊं। अगर मेरे पास सैनिक होते तो उन्हें देखकर वो भाग जाते ।” नानिया परेशान स्वर में कह उठी।

ये सोचो कि हम कैसे बच सकते हैं।”

मैं...मैं नहीं जानती।”

“तुम बताओ।” जगमोहन ने कोचवान से पूछा।

“मैं भी नहीं जानता। वो...वो हमें कैद कर लेंगे। रानी साहिबा से खार खाते हैं।” कोचवान ने कहा।

। “यहां तो मुसीबतें ही मुसीबतें हैं।” सोहनलाल कह उठा।

एक बार महल में पहुंच जाएं, फिर सब ठीक हो जाएगा।” नानिया ने जैसे उसे तसल्ली दी।

पहुचेंगे, तब ना।” सोहनलाल ने बुरा सा मुंह बनाया।

“सब पेड़ पर चढ़ जाओ।” जगमोहन बोला-ऊपरी डाल पर खुद को छिपाने की चेष्टा करो। सतर्क रहकर ये काम करना होगा, ताकि वे लोग नीचे से निकल जाएं। सब अलग-अलग पेड़ों पर चढ़ेंगे।”

अब यहीं एकमात्र रास्ता था। वे सब अलग-अलग पेड़ों पर चढ़ने लगे।

जगमोहन पेड़ पर चढ़ा। बीस फुट ऊपर चढ़कर नीचे देखा तो झल्ला उठा। कोमा भी उसी पेड़ पर चढ़ीं आ रही थीं। जगमोहन से जब नजरें मिलीं तो वो मुस्कराई।

“दांत क्या फाड़ रही है। अब ऊपर आ जा।” जगमोहन ने तीखे स्वर में कहा।।

कुछ ही पलों में कोमा ऊपर उसके पास आ पहुंची। दोनों मोटी डाल पर बैठ गए।

“तू गुस्से में बहुत अच्छा लगता है।” ।

“चुप कर । जब मैंने कहा था कि अलग-अलग पेड़ पर चढ़ना है तो तू क्यों...।”

तू मुझे अच्छा लगता...।”

“चुप...चुप। चुप कर ।” जगमोहन मुंह बनाकर बोला। कोमा चुप कर गई। ऊपर बैठे जगमोहन की निगाह हर तरफ घूमने लगी।
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03-09-2021, 03:24 PM,
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वहां से जगमोहन को बोगस की लाश नजर आ रही थी। बोगस का घोड़ा नजर आ रहा था। जगमोहन को अपनी गलती का एहसास हुआ। जो लोग भी इस तरफ आ रहे थे, वो बोगस की लाश और घोड़ा देखकर यहीं रुक जाएंगे और आसपास की जगह की अच्छी तरह तलाशी लेंगे। शायद वे देख लें कि, वे पेड़ों पर हैं। उन्हें यहां से कुछ दूर जाकर पेड़ों पर छिपना चाहिए था। परंतु अब कुछ नहीं हो सकता था। वो लोग कभी भी यहां पहुंच सकते थे।

तभी कल-कल की आवाज जंगल में गूंजी।

वो आवाज पहले की अपेक्षा, करीब से आई थी। जगमोहन ने कोमा को देखा तो उसे देखती कोमा मुस्करा पड़ी। जगमोहन ने मुंह फेर लिया।

जग्गू।” जगमोहन इस आवाज को सुनकर चिहुंका।

कोमा भी हैरान हुई। वो कह उठी। “हमारे पास कोई है।”

“चुप कर ।” जगमोहन कह उठा।।

“तू बहुत किस्मत वाला है जग्गू।” वो धीमी आवाज पुनः कान में पड़ी।

जगमोहन के होंठ सिकुड़ चुके थे।

पहचाना नहीं मुझे क्या। मैं वो ही हूँ जो तेरे को जथूरा के हादसों का पूर्वाभास कराता रहा हूं।” (ये विस्तार से जानने के लिए पढ़े राजा पॉकेट बुक्स से प्रकाशित अनिल मोहन का पूर्व प्रकाशित उपन्यास 'जथूरा' ।)

पहचानता हूं तेरी आवाज को। लेकिन तू है कौन?”

*अभी अपने बारे में नहीं बता सकता। कालचक्र की भीतरी परतों में हूं। अपने बारे में कुछ कहा तो बात जथूरा तक पहुंच जाएगी।”

तूने मेरे को किस्मत वाला कहा?”

हां। शायद तू है।” कानों में पड़ने वाली मध्यम-सी आवाज में मुस्कान भरी थी।

“कैसे?”

“जथूरा ने अंजाने में तुझे कालचक्र के ऐसे हिस्से में ला फेंका है, जो कि कुछ खास है।”

“मैं समझा नहीं कि क्या खास है?”

यूं तो कालचक्र दुश्मन को नुकसान ही पहुंचाता है। मैंने तो सोचा था कि तुम लोगों के सामने ढेरों खतरे आएंगे, परंतु कालचक्र का ये हिस्सा, शायद तुम लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाएगा।”

क्यों?”

“ये कालचक्र सोबरा का है। जिस पर जथूरा ने कब्जा कर रखा है। शायद ऐसा ही कोई अंदेशा होंगा सोबरा को, तो उसने कालचक्र के इस हिस्से को ऐसा बनाया कि यहां कोई फंसे तो उसे जान का खतरा न हों।”

ये बात तुम कैसे जानते हो?” जगमोहन ने पूछा।

“मैंने कालचक्र के इस हिस्से की जानकारी पाने के लिए भाग-दौड़ की तो मुझे कहीं भी खतरा नजर नहीं आया।”

तो अब मैं क्या करूं?”

*अपनी समझ के हिसाब से चलो।”

“मैं कालचक्र से बाहर कैसे निकलूंगा।”

नहीं जानता। कालचक्र को समझना मेरे लिए भी आसान नहीं।” धीमी आवाज कानों में पड़ी।

मतलब कि तुम मेरी कोई सहायता नहीं कर सकते।”

अभी तक तो नहीं। वैसे भी कालचक्र के इस हिस्से में तुम्हारे लिए खतरे कम हैं। सोबरा ने कालचक्र का ये हिस्सा जाने क्यों बनाया है। क्योंकि ये हिस्सा कमजोर है और कालचक्र के मालिक को नुकसान दे सकता है।” ।

“चिमटा जाति के लोग इस तरफ आ रहे हैं, उनसे हमें खतरा

“मुझे तो ऐसा नहीं लगता। तुम समझदारी से काम लेना।” आवाज कानों में पड़ी।

“मुझे वापस पहुंचना है। देवराज चौहान मेरा इंतजार...।” । देवा तो इस तरह उलझ चुका है कि उसे तेरा ध्यान ही नहीं

“क्या मतलब?”

कालचक्र में फंस चुके हैं वो।”

“ओह।” ।

कालचक्र का ही कोई इंसान जग्गू बना इस वक्त देवा के पास मौजूद है।”

*नहीं ।”

“मैंने सच कहा है। उसका नाम मखानी है।”

“वो देवराज चौहान को धोखे से नुकसान पहुंचा सकता है।” जगमोहन ने बेचैनी से कहा-“ये बात देवराज चौहान को बतानी होगी।”

। “देवा तेरी बात क्यों मानेगा। वो तो उसी को असली जग्गू समझेगा, जो उसके पास है।”

ओह।”

तू अपनी फिक्र कर। मत भूल कि तू भी कालचक्र में फंसा है। यहाँ कभी भी कुछ भी हो सकता है। वो देख, चिमटा जाति वाले लोग आ गए हैं। अब तू उनसे निबट। मैं जाता हूं।” इसके साथ ही खामोशी छा गई।

जगमोहन ने कुछ दूरी पर नीचे देखा। बोगस की लाश पर तीन-चार लोग झुके हुए थे। दो आदमी उसके घोड़े पर हाथ फेर रहे थे। उनके जिस्म पर कमर पर, कपड़ा लिपटा हुआ था। शरीर के रंग काले जैसे थे। उनके हाथों में कुल्हाड़ी जैसे हथियार थे।

जगमोहन खामोशी से उन्हें देखता रहा। तभी कुछ लोग और वहां आ गए।

उसी पल एक ने मुंह में उंगली डालकर जोरों से कल-कल की आवाज निकाली।
जवाब में कुछ दूर से वैसी ही आवाज आई।

ये बोगस है।” एक आदमी बोला—“मैं इसे पहचानता हूँ, लेकिन ये तो मरा पड़ा है।” ।

“असम्भव ।” दूसरा बोला—“यहां कोई अपनी जान कैसे गंवा सकता है। कालचक्र वाले किसी की जान ले ही नहीं सकते।”

वो लोग आपस में एक-दूसरे को देखने लगे।

बोगस की मौत से ये तो स्पष्ट है कि कोई बाहरी व्यक्ति कालचक्र में आ गया है। वो हम सबको मार सकता है।”

“वो ताकतवर होगा।”

“अवश्य वो ताकतवर है, तभी कालचक्र का सामना करता हुआ, वो यहां तक आ गया है।”

वो तो हमारे लिए भी खतरा बन सकता है।”

“ओह, उसने तो हमें भी चिंता में डाल दिया है।”

जगमोहन सब कुछ सुन रहा था।
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03-09-2021, 03:24 PM,
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
तभी तीस-चालीस लोग इकट्ठे वहां आ पहुंचे। उस भीड़ के आगे साढ़े चार फुट का एक व्यक्ति चल रहा था। जिसके सिर के बाल सफेद थे। वो फुर्तीला और सेहतमंद लग रहा था।

“सरदार ।” पहले खड़े लोगों में से एक ने कहा-“गजब हो गया। बोगस की किसी ने हत्या कर दी।”

हत्या? ये कैसे सम्भव है। कालचक्र में फंसा कोई भी दूसरे की जान लेने में सफल नहीं हो सकता।” सरदार ने कहा।

“आप खुद ही देख लीजिए।” ।

सरदार आगे बढ़ा और बोगस की लाश के पास पहुंचा।

सरदार के माथे पर बल पड़ गए। वो नीचे झुका और टटोलकर बोगस की लाश को देखने लगा फिर माथे पर देखा, जहां गोली धंसी थी और वहां से खून बाहर आ गया था।

। “ओह।” सरदार का चेहरा एकाएक खुशी से भर उठा–“तो वो आ गया कालचक्र में।”

कौन सरदार?”

बाहर का आदमी। सोबरा ने कहा था कि बाहर से आने वाला ही हमें कालचक्र से मुक्ति दिलाएगा। वो हमें कालचक्र से बाहर ले जाएगा। मुझे अभी तक सोबरा की ये बात याद है।”

ये तो सोबरा का कालचक्र है फिर उसने हमारी आजादी का रास्ता, तुम्हें क्यों बताया है?”

“ये मैं नहीं जानता। परंतु जो मैंने कहा, वो सच है।” सरदार सीधा खड़े होते कह उठा। उसका चेहरा खुशी से चमक रहा था—“हमारी आजादी का वक्त करीब आ गया है। पूरा जंगल छान मारो। उसे ढूंढ़ो और इज्जत से बस्ती तक ले आओ।”

“वो हमारे साथ क्यों आएगा। वो तो हमें भी मार देगा।”

जगमोहन को उनकी बातें सुनकर महसूस हो गया कि इनसे उसे कोई खतरा नहीं। नानिया की तरह ये लोग भी यहीं सोचते हैं कि बाहर से आने वाला इंसान उन्हें कालचक्र से मुक्ति दिलाएगा। जगमोहन ने कोमा से कहा।
“तुम यहीं रहो।”

लेकिन तुम कहां जा रहे हो?”

*नीचे ।

“वों चिमटा जाति के हैं। खतरनाक हैं। तुम्हें मार देंगे।”

मेरी फिक्र करने की जरूरत नहीं। तुम यहीं रहो।” जगमोहन ने कहा और नीचे उतरने लगा।

जगमोहन उस तरफ बढ़ा जिधर वे सब खड़े थे। चंद पलों में ही उनकी निगाह जगमोहन पर पड़ गई। जगमोहन को पास आता पाकर, वो पीछे हटने लगे। परंतु सरदार वहीं खड़ा, उसे देखता रहा। जगमोहन पांच कदमों के फासले पर पहुंचकर ठिठक गया।

बोगस को तुमने मारा?” सरदार ने तेज स्वर में पूछा।

हो ।” जगमोहन ने कहा।

“हमें कैसे यकीन हो?”

जगमोहन ने रिवॉल्वर निकाली और हाथ सरदार की तरफ उठाकुर बोला।।
तुम्हें मार के दिखाऊं?"

नहीं। मुझे मत मारना। तुम मुझे कालचक्र के नहीं लगते?” सरदार बोला।
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03-09-2021, 03:24 PM,
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
“मैं बाहर से आया हूं।” जगमोहन रिवॉल्वर को जेब में रखता कह उठा।

एकाएक सरदार मुस्कराया और आगे बढ़कर जगमोहन का हाथ थाम लिया।

“तुम तो हमारे दोस्त हो।”

“तुम कौन हो?”

मैं चिमटा जाति का सरदार हूं। मुझे तो कब से तुम्हारा इंतजार था।”

क्यों?”

“सोबरा ने कहा था कि कालचक्र के इस हिस्से में कोई बाहरी व्यक्ति आएगा जो हम सबको आजाद कराएगा।”

*और क्या कहा था?” ।

सोबरा ने कहा था कि ये वो वक्त होगा, जब उसके कालचक्र पर जथूरा अधिकार कर चुका होगा।”

तो सोबरा को पहले ही पता था कि कालचक्र जथूरा के अधिकार में चला जाएगा।” जगमोहन बोला।

“तभी तो उसने ऐसा कहा।”

“लेकिन मैं तुम लोगों को कैसे कालचक्र से बाहर ले जा सकता हूं। मुझे बाहर जाने का रास्ता नहीं मालूम।”

“मुझे मालूम है।” सरदार कह उठा।

तुम्हें मालूम है?” जगमोहन के होंठों से अजीब-सा स्वर निकला।

हां, रास्ता मैं जानता...।”

जानते हो तो तुम बाहर क्यों न निकल गए?”

मैंने बाहर जाने की चेष्टा की, परंतु सफल नहीं हो सका। हर बार भटक जाता हूं।” सरदार उसका हाथ थपथपाकर कह उठा–“तुम हमें कालचक्र से बाहर निकाल दो। हम तुम्हारे एहसानमंद रहेंगे।”

“तुम्हारी बातें कालचक्र की कोई चाल भी हो सकती हैं।” सरदार फौरन उसका हाथ छोड़कर दो कदम पीछे हटा।

क्या तुम्हें मेरी बातों का भरोसा नहीं?” ।

नहीं।” जगमोहन ने इंकार में सिर हिलाया।

“ऐसा मत कहो। तुम्हें मेरा कहा मान लेना चाहिए।” सरदार बोला।

अब तक बाकी लोगों के मन से जगमोहन का डर निकल गया था। वो जरा-जरा पास आने लगे थे।
यही वो वक्त था कि जब सोहनलाल पेड़ से उतरा और सामने आ गया।
सरदार और उसके साथी सोहनलाल को देखकर चौंके।

ये कौन है?” सरदार ने सोहनलाल को घूरते हुए पूछा।

मेरा साथी है?”

“तुम दो हो?”

हां।” ।

रानी साहिबा का कहा सुन रखा है मैंने कि दो लोग आएंगे बाहरी दुनिया से। उनमें से एक धुआं उड़ाने वाला होगा। धुआं उड़ाने वाला ही रानी साहिबा को कालचक्र से मुक्ति दिलाएगा।” सरदार बोला।।

और तुम्हें कौन मुक्ति दिलाएगा?” जगमोहन ने पूछा।

“नहीं जानता। सोबरा ने सिर्फ ये कहा था कि जब भी कालचक्र के इस हिस्से में बाहर से लोग आएंगे, तुम सबको मुक्ति मिलेगी।”

जगमोहन ने सोहनलाल को देखा। तभी सरदार बोला। “तुममें से धुआं उड़ाने वाला कौन है?”

मैं ।” सोहनलाल ने कहा और सिग्रेट सुलगा ली। कश लिया। मुंह से धुआं निकाला।

ओह–वो तुम ही हो। तभी सोहनलाल ने पलटकर ऊंचे स्वर में कहा।

सब नीचे आ जाओ।”

क्या और लोग भी हैं?” सरदार ने पूछा। “

हां, परंतु उन्हें तुम जानते हो ।” जगमोहन ने कहा। तभी कोचवान, नानिया और कोमा, अन्य सेविका पेड़ों से उतर आए।
नानिया को देखते ही सरदार के माथे पर बल पड़ गए थे। जबकि अन्य गुस्से से चिल्लाने लगे।

ये रानी साहिबा है।” इसने हमारे साथियों को कैद करके सेवक बना लिया है।” “हम इसे कैद करेंगे।”
नहीं छोड़ेंगे तुझे ।” सरदार ने हाथ उठाकर अपने लोगों को देखा तो वो खामोश हो गए।
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