XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
02-27-2021, 01:10 PM,
#97
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 100

मै साला सोच रहा था की जैसे दीदी से बहाना बनाया था की मुझे ठण्डी लग रही हे तो दीदी के पास आने का मौका मिला था तो में आज भी माँ से कहने वाला था की माँ मुझे ठण्डी लग रही हे तो क्या आप से नजदीक हो के सो सकता हू, और वैसे भी में आज बड़ा भिगा था तो माँ मना भी नहीं करति, पर माँ तो आते ही आँखें बंद कर के सो रही थी.और सारे प्लान्स का सत्यनाश हो गया, बाकि मुझे १० बजे तो नींद भी नहीं आती थी, में बस ऐसे ही जागता हुआ लेटा था बार बार मूड के माँ को देख लेता था लग नहीं रहा था की माँ सो रही थी, रूम में डीम लाइट की रौशनी अच्छी ख़ासी थी तो माँ को में साफ़ देख सकता था लेकिन इतने जल्दी माँ सो कैसे गयी ये सवाल मन में आ रहा था माँ को इतनी जल्दी नींद आ कैसे सकती हे.इतने में में बैठ गया और माँ की और देखा तो माँ की साइड में एक विंडो थी,ज़ो खुली थी, मैंने सोचा की माँ को जगाऊँ की माँ ये खिड़की बंद कर दो, मुझे ठण्डी लग रही हे, लेकिन फिर सोचा की नहीं माँ शायद सचमुच थक गयी होंगीं तो उन्हें सोने देना ही अच्छा हे.

बाहोत बार सोचा की माँ को डिस्टर्ब करू की नही, और फिर मेरा शैतानी दिमाग जीत गया और मैंने हलके से माँ के बाजु पे हाथ रक्खा, और माँ को हिलाते हुए आवाज़ दी की “मोम मम, और माँ उठ गयी, माँ के उठने से भी लग रहा था की माँ सोयी नहीं थी, या ट्राय कर रही थी.
“क्या हे...?
“मोम, मुझे ठण्ड लग रही हे, क्या ये खिड़की आप..
“अरे इसमें पूछ्ता क्या हे,. और माँ ने मेरी बात समझते हुए बीच में ही कहा और उठ के माँ ने खिड़की बंद की. और फिर बेड घूम के उनकी साइड जाने के बजाय मेरे पास आई और मेरी और मुस्कुराके मेरे चेहरे पे अपना हाथ घुमाय और सर पे भी हाथ घुमा के कहा
“आरे..तो फिर इतना भीगता क्यों हे... माँ की आवाज़ में मेरे लिए मस्त केयर नज़र आ रही थी. फिर मुझे माँ ने लीटा दिया और ठीक से कम्बल भी दाल दि, थोड़ा सा डर तो लग रहा था की माँ के नजदीक जाने को कहूँ की नही, लेकिन फिर माँ बाहर गयी और में फिर से सोचने लगा, माँ से पुछ्ने के बारे मे. शायद तो माँ मना नहीं करेगि, लेकिन पूछ्ने में जिझक हो रही थी, फिर माँ इतने में मेरे लिए गर्म दूध ले के आई और मुझे पीला के फिर बाहर चलि गयी. लेकिन माँ बड़ी देर के बाद भी नहीं लौटी तो थोड़ा सा शक़ होने लगा, मैंने बाहर जा के देखा तो माँ बड़ी चाची से बात कर रही थी, मुझे सुनाइ तो नहीं दे रहा था पर ऐसा लग रहा था की वो दोनों मेरे ही बारे में बात कर रहे थे, वैसे तो वो दोनों सहेलिया जैसे ही हे.

ट्राय करने पे भी सुनाइ नहीं दिया तो में फिर से अपने रूम में आ के लेट गया और माँ के आने का इंतज़ार करने लगा, वैसे भी नींद तो लेट ही आती हे मुझे. फिर काफी देर बाद, शायद आधे पौने घंटे क बाद माँ आई और मुझे जगता पा के मों ने कहा
“अरे रेशु, अभी तक सोया नहीं..?
“नहीं मोम,नीन्द नहीं आ रही.. फिर माँ बेड पे आ के बैठी और अपने बाल खोल के लेट गयी और मेरी और लेट गयी और मेरे सर पे फिर से हाथ फेरा और कहा
“आजा मेरे पास आजा, अभी नींद आ जाएगी, और बारिश में भीगना बंद कर दे... देखा इसे माँ कहते हे, मेरे मन की बात भी समझ गयी और मुझे पास आने को कहा तो वो भी दाँट के. थोड़ा सा अजीब था माँ को समझना पर इतना तो पता था की माँ ने इतने सालों से अपने को सिंगल रक्खा हे, उनकी भी बड़ी इच्छा होती होगी, सेक्स के बारे में, शी इज ४० पर, आज भी वो इतनी सेक्सी हे की २० की उमरवाले का भी लंड खड़ा कर दे, और उन्हें जब सब मर्द घूरते होंगे, तो उन्हें भी तो सेक्स के लिए तलप लगती होंगी..
मुझे माँ ने जब कहा तब यक़ीन नहीं हो रहा था की माँ सामने से कह रही हे पर अच्छा भी लग रहा था और में अपने दोनों दोनों हाथों को मसलते हुए माँ के पास हो गया और माँ ने मुझे पकड़ के और भी खिंच लिया. माँ ने फिर मेरे सर पे किस भी किया और मेरे बैक को थपथपाया भी. सच में दीदी के पास सोने में और माँ के करीब सोने में बड़ा फर्क था में बिलकुल माँ के पास हो गया. माँ को भी अच्छा लग रहा था शायद. मैंने माँ के सीने पर जो साड़ी थी उसके अंदर अपना मुँह ले जाने की कोशिश की और माँ की बैक पे अपने हाथ से मेरे नजदीक आने को पुश भी किया. और माँ भी मेरे पास आई और मेरे सर को सहलाने लगी. फिर मैंने जानबूझ के माँ के थाय पे अपना पांव रक्खा और अपने लंड का पार्ट भी माँ के चुत के पास ले गया. इससे आगे बढ्ने की हिम्मत नहीं हो रही थी, तो में ऐसे ही माँ से चिपक के पड़ा रहा और माँ मेरे बालों को सहला रही थी, मेरी साँसे माँ के सीने को छा रही थी और मेरी साँसे तेज़ चल रही थी तो मानो, मेरी साँसे माँ के सीने में धँस रही थी. माँ को भी अच्छा नशा चढ़ रहा था माँ भी सेम फीलिंग फील कर रही थी, उनके बॉब्स मस्त ऊपर निचे हो रहे थे, माँ की साँसे भी तेज़ चल रही थी. उनके हाथ भी मेरे बैक पे तेज़ी से चल रहे थे.
“रेशु..अब अच्छा लग रहा हे”...?

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