XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
03-02-2021, 03:06 PM,
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 123

मैं नीलम भाभी की चुदाई करके यूं ही निढाल लेटा हुआ था, कुछ देर आराम करने के बाद मैंने नीलम से कहा- जान पहला राउंड कैसा लगा?
नीलम ने मेरे होंठों को चूमते हुए हुए कहा- सच में रेशु बहुत मजा आया.

मैंने कहा- अभी और मजा आना बाकी है मेरी जान.. पर मेरे लिए एक काम करोगी.
नीलम बोली- हाँ हाँ बोलो ना.
मैंने कहा- क्या अभी तुम अपनी वो लाल वाली साड़ी पहन कर आ सकती हो.. जो उस दिन तुमने पार्टी में जाने पर पहनी थी.
‘आज तुम्हें उस लाल साड़ी की याद कैसे आ गई?’
मैंने कहा- सच बताऊँ जान.. उस दिन मैंने बहुत मुश्किल से अपने आपको रोका था. यार तुम उस साड़ी में न.. इतनी सुन्दर और सेक्सी लग रही थीं कि मन तो कर रहा था कि उसी वक्त बिस्तर पर पटक कर तुम्हारी चुदाई कर दूँ.. पर कर नहीं सका.. पर आज मुझे वो ख्वाहिश पूरी करनी है.
नीलम बोली- पर यार इस वक़्त?
मैंने उसको थोड़ी देर तक मनाया.. फिर नीलम ने कहा- ओके ठीक है.
नीलम नीचे गई और मैंने भी अब नारियल का तेल और वैसलीन लाकर बिस्तर पर रख लिया.
नीलम करीब 20 मिनट में ऊपर आई. जैसे ही नीलम साड़ी पहन कर आई.. मेरा तो मुँह खुला का खुला रह गया.
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क्या मस्त कयामत लग रही थी नीलम भाभी…
लाल साड़ी में भाभी क़यामत लग रही थी और उसने अपने बाल खुले रखते हुए एक तरफ कर रखे थे.
मुझसे रहा नहीं गया और उसके पास आते ही मैंने भाभी को अपनी बाँहों में ले लिया.

मैंने उसको कस के दबा दिया.. नीलम की प्यारी सी ‘आआह्ह्ह..’ निकल गई.
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था. मैं अपने दोनों हाथों से उसकी गाण्ड पर जोर-जोर से घुमाते हुए उसकी नर्म गोलाई को दबाए जा रहा था.

अब मैंने नीलम के होंठों को अपने होंठों में दबा लिया और नीलम के होंठों को जोर-जोर से चूसने लगा. साथ ही मैं कभी उसको हल्का सा काट भी लेता.. जिससे वो एकदम से चिहुंक उठती.
मैं एक हाथ उसकी नंगी पीठ को सहला रहा था.. तो दूसरा हाथ अभी भी उसकी गाण्ड को दबा रहा था.

कुछ पलों बाद मैंने नीलम को उठाया और सीधा खड़ा किया.. और उसकी साड़ी को उतार दिया. अब वो लाल ब्लाउज और पेटीकोट में थी.
दोस्तो, भाभी एकदम गोरा माल थी, मैंने नीलम को बिस्तर पर पीठ के बल लेटा दिया.

वो अपनी आँखें बंद किए हुए मेरे एक्शन का इन्तजार कर रही थी. मैंने नीलम की नाभि पर हल्का चुम्बन लेते हुए.. प्यार से उसकी नाभि को सहला रहा था.. इससे नीलम को मजा आने लगा.

मैंने कहा- भाभी जान, मालिश करवानी है?
तो नीलम बोली- हाँ, कर दो.

मैंने उसके ब्लाउज़ और पेटीकोट को भी उतार दिया.

नीलम शर्मा रही थी.. पर शर्म से क्या होना था. नीलम ने अन्दर लाल रंग की ही पैंटी और ब्रा भी पहनी हुई थी.

मैं नीलम के ऊपर ही पेट के बल लेट गया. नीलम की पैंटी से मेरा लंड रगड़ खा रहा था. वाकयी इतनी हॉट भाभी को देख कर मुझसे रहा भी नहीं जा रहा था.

मैं नीलम की ब्रा के ऊपर से ही उसके एक चूचे को चूसने लगा, फिर भाभी की गर्दन पर जोर-जोर से चुम्बन करने लगा था.. जिससे नीलम गर्म होने लगी.

नीलम के होंठों पर मैं दुबारा से जोर-जोर से पूरे जोश में चुम्बन कर रहा था और भाभी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.

फिर जल्दी ही मैंने नीलम की ब्रा और पैंटी को भी उतार दिया, नीलम बिना कपड़ों के मेरे सामने लेटी हुई थी.
मैंने नारियल के तेल को उसके चूचों.. पेट और चूत और टांगों पर डाला, उसकी मालिश करना शुरू कर दिया.

नीलम पीठ के बल आराम से लेटी हुई अपनी मालिश करवा रही थी, मैं नीलम के दोनों चूचों को सहला रहा था. मैं उसके चूचों को कभी प्यार से दबाता.. तो कभी गोल-गोल घुमाता.. जिससे नीलम अब और भी गर्म हो रही थी.

नीलम की प्यारी सी सिसकारी निकलने लगी थीं, कुछ ही पलों में उसकी सिसकारियाँ कमरे का माहौल कामोत्तेजक बना रही थीं ‘उम्म्ह्ह.. आह्ह..’

फिर मैं नीलम की नाभि और पूरे पेट की मालिश करने लगा. नीलम को अब ज्यादा मजा आ रहा था.. पर मुझे नीलम के होश उड़ाना बाकी था.

मैंने उसके होश उड़ाने का जो तरीका सोचा था.. वो था नीलम की प्यारी-प्यारी चूत की मालिश करना.

इसलिए मैं नीलम की टांगों पर मालिश करने लगा और जब मैं उसकी पूरी टांगों पर मालिश कर रहा था.. तो नीलम मस्ती में आ चुकी थी. उसकी गोरी-गोरी बिना बाल वाली जांघों पर हाथे फेरने से मुझे मेरे लंड पर काबू करना मुश्किल हो रहा था.
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फिर जल्दी ही मैं नीलम की टांगों के बीच में आ गया और हाथ में तेल ले लिया. इसके बाद मैंने जैसे ही उसकी चूत में तेल से सनी एक उंगली डाली.. वैसे ही नीलम के मुँह से ‘आअह्ह्ह’ की आवाज निकल गई.

अब मैंने उंगली को अन्दर-बाहर करना शुरू किया.

नीलम भी ‘ओह्ह्ह.. आआहह..’ कर रही थी.. साथ ही मैंने नीलम की गाण्ड पर भी तेल लगा दीया जिससे उसकी गाण्ड थोड़ी गीली हो गई.
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03-02-2021, 03:06 PM,
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अपडेट 124

अब ऐसे ही मैंने नीलम की गाण्ड में 2 उंगलियाँ डालीं और पूरे जोर-जोर से अन्दर-बाहर करने लगा.
नीलम को भी अब बहुत मजा आ रहा था और वो जोर-जोर से सिसकारियाँ ले रही थीं- ऊऊओह्ह.. रेशु.. अब और मत तड़पाओ.. डाल दो मेरी चूत में अपना लंड और चोद दो मुझे ऊह्ह्..’
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कुछ देर ऐसे ही करने से नीलम की चूत से पानी निकल गया. अब मैंने अपने लंड पर तेल लगा कर नीलम की चूत पर अपना लंड टिकाया और जोर से धक्का मारा.
नीलम की एक तीव्र ‘आह्ह्ह्ह्ह्..’ निकली और मेरा आधे से ज्यादा लंड अब उसकी चूत में था.

फिर मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को नीलम की चूत में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया.

कुछ देर ऐसे ही करने के बाद मैंने फिर से एक जोरदार धक्का मारा.. लंड और चूत तो दोनों ही गीले थे.. तो मेरा पूरा लंड नीलम की चूत में सरसराता चला गया.

नीलम जोर से चीख पड़ी ‘उम्म्ह्ह्ह्.. मम्मीईईई..’
मैंने नीलम की चीख को नजरअंदाज करते हुए उसको नीचे दबाए रखा और उसके होंठों को चुम्बन करने लगा.
कुछ देर बाद अब नीलम अपने चूतड़ ऊपर-नीचे करने लगी.

जब मेरे लौड़े को नीलम ने अपनी चूत में एडजस्ट कर लिया तो मैंने जोर-जोर से उसकी चुदाई करनी चालू कर दी.
नीलम की मादक सीत्कारें कमरे में गूँजने लगी थीं ‘उम्मह्ह्ह्ह.. आआहह.. रेशु ऊऊह्ह्ह., धीरे..’

कुछ देर चोदने के बाद मैंने नीलम की दोनों टाँगें ऊपर उठा दीं और जोर-जोर से नीलम की चूत बजाने लगा.

अब नीलम की सिसकारियाँ बंद हो कर मादक चीखें निकलने लगी थीं.

ऐसे ही कुछ देर नीलम की चुदाई करने के बाद मेरा नीलम भाभी की गाण्ड मारने का मन हुआ. तो मैंने नीलम भाभी को पेट के बल लेटा दिया और तेल लेकर उसकी पीठ पर.. चूतड़ों पर.. खूब तेल लगा दिया और उसकी दम से मालिश की.

कुछ ही देर में मैं उसकी गाण्ड को मसलने लगा.

मैंने भाभी की गाण्ड पर तेल लगा कर अपना लंड एकदम झटके से उसकी गाण्ड में पेल दिया.
वो भी एकदम से चौंक गई और जोर से चीख पड़ी ‘ओई.. माअया.. आह्ह..’

जबकि अभी बस सुपारा ही अन्दर गया होगा पर दर्द से बिलखने लगी थी ‘ऊऊह.. मुझे नहीं करना.. प्लीज बाहर निकालो.. मैं मर जाऊँगी.. मैं मर जाऊँगी.. ओह्ह.. बहुत दर्द हो रहा है..’
मैंने कहा- ठीक है.. बाहर निकालता हूँ..

मैंने लंड को निकाला नहीं.. बल्कि कुछ देर उसको प्यार करने के बाद मैं धीरे-धीरे हिलने लगा.

उसकी गाण्ड इतनी कसी थी.. कि मैं ठीक से झटके भी नहीं दे पा रहा था. मेरे लंड में भी जलन सी हो रही थी.. पर फिर सोचा कि अगर मैंने लंड बाहर निकाल लिया.. तो फिर यह गाण्ड कभी नहीं मारने देगी.

इसलिए मैं थोड़ी देर ऐसे ही रहा. वो कुछ शांत हुई.. फिर मैं धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा.
वो फिर छटपटाने लगी और छूटने की कोशिश करने लगी.

वो दर्द के मारे कराहने लगी.. तो मैंने उसके दर्द की परवाह किए बिना एक झटका और मारा और अबकी बार मेरा आधा लंड उसकी गाण्ड में जा चुका था.

अभी साला आधा लंड ही अन्दर गया था और उसके दर्द के मारे प्राण गले में आ गए थे, वो साँस एकदम ऊपर को खींच गई और वो तेज चीखें.. मारने लगी ‘प्लीज रेशु बाहर निकाल लो.. बहुत दर्द हो रहा है.’

थोड़ी देर बाद मैंने एक और झटका मारा और उसकी एक जोर की आवाज आई- आह हा..हह ह..
उसकी आँखों से आंसू आने लगे.

मैं बिना उसकी परवाह किए नीलम की गाण्ड में लौड़े को हल्के-हल्के से अन्दर-बाहर करने लगा. नीलम अभी भी ‘आहें..’ भर रही थी.. हालांकि उसकी आवाज अब कम हो गई थी.. तो अब मैंने स्पीड थोड़ी बढ़ा दी.
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अब मैं उसके दोनों हाथ पकड़ कर जोर-जोर से उसकी गाण्ड में अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा.
अब नीलम की दर्द भरी चीखें सिसकारियों में बदल गईं.. उसे भी मजा आने लगा और वो अपनी गाण्ड को आगे-पीछे करने लगी.

वो बोले जा रही थी- रेशु और जोर से चोदो मुझे.. और जोर से मारो मेरी गाण्ड ह्ह्ह्आआह.. ह्ह्ह्म्म..

कुछ मिनट नीलम की गाण्ड मारने के बाद नीलम उत्तेजना में दो बार और झड़ गई थी.. पर मेरा पानी निकल ही नहीं रहा था.
मैं भी थोड़ा थकने सा लगा था.

उधर उसकी आवाज तो पूछो मत दोस्तो.. इस बार इतनी जोर-जोर से नीलम की चुदाई की थी कि वो पूरी मस्त हो गई थी.

अब मैंने नीलम को नीचे घोड़ी बना दिया और नीलम की गाण्ड पर लंड को रख दिया. मैं एक ही झटके में पूरा लंड उसकी गाण्ड में डालना चाहता था.. पर अभी भी उसकी गाण्ड थोड़ी टाइट थी इसलिए मेरा आधा लंड ही अन्दर जा पाया.

अब मैंने उसकी गोरी-गोरी गाण्ड पर चपत लगानी शुरू की.. जिससे नीलम उछल पड़ती थी और उसकी ‘आह्ह्ह..’ निकल जाती.
कुछ झापड़ मारने के बाद देखा कि उसकी गोरी गाण्ड लाल हो गई थी.

मैंने नीलम की कमर जोर से पकड़ी और एक और जोर से धक्का लगा दिया.
नीलम फिर एक बार चीख उठी ‘आह्ह.. ओओह.. म्मम्मीईई..’
मगर मैं पूरी मस्ती में था और नीलम की कमर पकड़ कर उसकी धमाधम चुदाई करने लगा था.

पूरा कमरा चुदाई की आवाजों से गूंज रहा था. नीलम लगातार सीत्कार रही थी- आइया.. अह्ह्ह्ह.. ऊऊह्ह..

लम्बी चुदाई के नीलम अब अकड़ने लगी और बोलने लगी- रेशु, मेरा होने वाला है.
मैंने कहा- पर मैं अपना माल तुम्हारी चूत में डालूँ या गाण्ड में?
नीलम बोली- तुम्हारी जिधर की मर्जी हो सो छोड़ दो.

मैंने नीलम की गाण्ड से लंड निकाला और उसको पेट के बल लेटा दिया. मैं उसके ऊपर ही लेट गया और अपना लंड उसकी गाण्ड में डाल दिया.

फिर मैंने कुछ देर और चुदाई की.

अब नीलम दर्द से चिल्लाने लगी थी क्योंकि उसको कुछ जलन सी हो रही थी.

मैंने फुल स्पीड में 15 से 20 धक्के मारे होंगे और नीलम और मैं दोनों साथ में ही झड़ गए, मैंने सारा माल नीलम की गाण्ड में डाल दिया और मैं नीलम के ऊपर ही ढेर हो गया.

हम दोनों इतना थक गए थे कि उठ भी नहीं सकते थे.. सो हम दोनों ऐसे ही निढाल लेटे रहे.

करीब 30 मिनट बाद हम दोनों उठे और फिर दुबारा से मैंने नीलम भाभी की एक बार और पूरी ताकत से चोदा.

अब वो और मैं दोनों ही खड़े होने के लायक ही नहीं रहे थे.

मैंने नीलम भाभी को उस रात 2 बार चोदा.. इस चुदाई में मैंने उसकी चूत.. गाण्ड और मुँह सबको खूब चोदा था और नीलम भी बहुत खुश थी.

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03-02-2021, 03:06 PM,
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अपडेट 125

मैंने नीलम भाभी को उस रात 2 बार चोदा.. इस चुदाई में मैंने उसकी चूत.. गांड और मुँह सबको खूब चोदा था और नीलम भी बहुत खुश थी.
अब आगे..

नीलम भाभी की चुदाई के बाद मेरे पास बस दो दिन ही रह गए थे.. पर मुझे जस्सी भाभी को अभी और चोदने का मन कर रहा था, उनकी गांड भी मारनी थी. मुझे ये काम तो अभी करना बाक़ी ही था.

नीलम भाभी अपनी प्यास बुझवा कर कब चली गई थीं.. मुझे पता ही नहीं चला.

करीब 8 बजे बेल बजी, मेरी तो आँखें ही नहीं खुल रही थीं, मैंने दरवाजा खोला तो जस्सी भाभी खड़ी थीं.. वो क्या सेक्सी लग रही थीं.. ऊपर से जस्सी के गीले बाल और पूरा अभी नहा कर आने की वजह से गीला बदन.. ऊओह.. यारों देखते ही लंड खड़ा हो गया.

मैंने कहा- जस्सी.. तुम कब आईं?
जस्सी बोली- मैं तो अभी एक घंटे पहले आई हूँ.. मैंने सोचा कि पहले फ्रेश हो जाऊँ.. फिर तुम से बात करती हूँ.
मैंने कहा- ठीक है.. आओ अन्दर..

जस्सी बोली- मैं नहीं.. तुम आओ मेरे घर में.. मैं तुम्हारी चाय बनाने जा रही हूँ.. ओके.. तो जल्दी से फ्रेश हो कर आओ.
मैंने कहा- ठीक है.

मैं भी कुछ ही देर में जस्सी के घर में गया.. जस्सी अभी रसोई में थी.
मैंने चुपके से जा कर जस्सी को कस के पीछे से पकड़ लिया और उसके गर्दन पर कान को चूमने लगा और दोनों हाथों से जस्सी के चूचों को दबाने लगा.

जस्सी बोली- रेशु.. अभी नहीं..
मैंने कहा- बस एक बार होंठों का लंबा वाला चुम्मा.
जस्सी बोली- ठीक है.. पर जल्दी ओके!

फिर मैंने जल्दी से ही जस्सी को सीधा किया और उसके होंठों को जोर-जोर से चूसने लगा और जस्सी के चूचों भी दबाने लगा.
कुछ ही देर ऐसे ही लंबी चुम्मी की होगी कि जस्सी बोल उठी- बस छोड़ो यार.. अभी नहीं रात में.. ओके मेरे प्यारे रेशु!

मैंने कहा- ठीक है.. पर जस्सी जान, एक बार अपनी चूत के तो दर्शन करवा दो.
जस्सी बोली- ठीक है..

उसने हंसते हुए अपना लोअर नीचे किया, जस्सी ने नीले रंग की पैंटी पहनी हुई थी, मैंने जल्दी से जस्सी की पैंटी को नीचे कर दिया और उसकी प्यारी और गुलाबी चूत के दर्शन हुए.
मैं जस्सी की चूत पर हाथ रख कर चूत को जैसे ही सहलाने लगा.

जस्सी बोली- तुम न बहुत ही शरारती हो.. देखने की बोल कर कुछ और ही करने लगे.
अब मैंने कहा- जब हाथ लग ही गए हैं तो काम को पूरा कर ही लेने दो.
जस्सी बोली- ठीक है.. पर उंगली से ही करो ओके.
मैंने कहा- ठीक है.

मैं जल्दी से जस्सी के होंठों को जोर-जोर से चूमने लगा और जस्सी की चूत में एक उंगली डाल दी. मैं उंगली को चूत के अन्दर-बाहर करने लगा.
अब जस्सी कामुक सिसकारियां लेने लगी ‘आह्ह.. रेशु.. ऊह्ह..’

मैंने जल्दी से दो उंगलियां डाल दीं और जोर-जोर से अन्दर-बाहर करने लगा. जस्सी भी जोर-जोर से ‘आह्ह.. ओह्ह..’ कर रही थी.
ऐसे ही कुछ मिनट करने के बाद जस्सी झड़ गई और फिर हम दोनों ने बैठ कर चाय पी.

मैंने पूछा- रात में तो पक्का है न?
तो जस्सी बोली- कल तुमको बहुत मिस किया बेबी..
मैंने कहा- अच्छा जी.. तो कुछ किया?
फिर जस्सी बोली- किया तो.. पर जो मजा तुम देते होना.. वो अकेले में कहाँ आता है.

मैंने कहा- भाभी जी एक बात कहूँ.
जस्सी बोली- हाँ बोलो.
मैंने कहा- आपका बर्थ-डे गिफ्ट तो मिल गया.. पर क्या मुझे मेरा बर्थ-डे गिफ्ट मिल सकता है?
जस्सी बोली- आज तुम्हारा बर्थ-डे है?
मैंने कहा- आज नहीं है.. पर क्या जब होगा.. तो उस वक्त मुझे गिफ्ट कैसे मिलेगा.

‘बोलो क्या चाहिए?’
मैंने कहा- मना तो नहीं करोगी?
जस्सी बोली- नहीं..
मैंने कहा- प्रॉमिस करो..
जस्सी बोली- ओके ठीक है.. प्रॉमिस.. अब बोलो क्या चाहिए?

मैंने देर न करते हुए साफ़ बोल दिया- मुझे अपनी भाभी की गांड यानि तुम्हारी गांड मारनी है.
जस्सी बोली- पर यार वो क्यों.. वहाँ तो बहुत दर्द होता है. मेरे पति ने भी करने को बोला था.. पर जब वो करने लगे तो मुझे बहुत दर्द हुआ था.. तो मैंने मना कर दिया था.. पर तुमको प्रॉमिस किया है.. तो ठीक है.. लेकिन आराम से करना ओके.
मैंने कहा- ठीक है.

इसके बाद हम दोनों ने कुछ देर-बात की और फिर मैं वहाँ से चला गया.
मैंने भाभी को ये भी बता दिया था कि कल पूरी रात मैंने नीलम की चुदाई भी की.
भाभी हँसने लगीं.

हम दोनों का रात का प्रोग्राम तय हुआ, जैसे-तैसे दिन गुजर गया, करीब 9 बजे मैं खाना खा कर ऊपर आया.
जस्सी के रूम के दरवाजे का लॉक खुला हुआ था.. तो मैं अन्दर चला गया.
जस्सी सोफे पर बैठी टीवी देख रही थी. जस्सी ने लाल रंग का नाईट सूट पहना हुआ था.
मैंने अन्दर आते ही जस्सी भाभी को पीछे से पकड़ लिया और उनके चूचों को भी दबा दिया.
मैंने चूचे दबाते हुए पूछा- भाभी खाना खाया.
तो जस्सी बोली- हाँ.. और तुमने खाया?
मैंने कहा- खाया तो है लेकिन भूख अभी भी लगी है.
जस्सी बोली- बोलो.. क्या खाओगे?

मैंने कहा- ये भूख खाने से नहीं बुझेगी.
जस्सी आँख मारते हुए बोली- तो कैसे बुझेगी जी.
मैंने कहा- ये प्यार वाली भूख है.. तो प्यार से ही बुझेगी.
जस्सी बोली- तो दो प्यार.. और लो प्यार.

मैंने जस्सी को खड़ा किया और उसके होंठों पर अपने होंठों रख कर जोर-जोर से चूसने लगा. इतने में जस्सी ने मेरे लंड को लोअर के ऊपर से ही पकड़ लिया और सहलाने लगी.
मैं उसकी कमर पर और पूरी पीठ को उसके सूट के ऊपर से ही सहलाने लगा.

मैंने उसके सूट के टॉप को निकाल दिया और देखा कि उसने लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी. मैं उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके चूचों को दबाने लगा.. जिससे जस्सी अब मस्त होने लगी थी.
साथ ही अब मैं जोर-जोर से उसकी गर्दन को चूमने लगा, जस्सी लंबी-लंबी सिस्कारियां लेने लगी थी- ऊऊहह.. आआहह..

कुछ ही देर में वो और भी गर्म हो गई.. पर अब मैंने उसकी जो नाईट पजामी पहनी हुई थी.. उसको भी उतार दिया और देखा कि उसने पैंटी भी लाल रंग की पहनी हुई है.

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03-02-2021, 03:07 PM,
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अपडेट 126

मैंने जस्सी से कहा- आपने तो नीली पैंटी पहनी हुई थी न..

तो जस्सी बोली- मुझे पता है कि तुमको मैं लाल रंग की पैंटी में अच्छी लगती हूँ.. इसलिए मैंने चेंज कर दी.
मैंने कहा- थैंक्यू सेक्सी..

अब मैं उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को जोर-जोर से सहला रहा था, जस्सी पूरे मजे में ‘आह्ह.. आह्ह..’ किए जा रही थी.

कुछ ही देर हुए तो अब मैंने जस्सी को उठाया और बेडरूम में ले जाकर पीठ के बल लेटा दिया, मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और उसके ऊपर लेट गया, मैं उसके होंठों को जोर-जोर से चूसने लगा.
इस सब में जस्सी भी मेरा साथ दे रही थी.

इसके बाद मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और उसके चूचों को चूसने लगा, जस्सी की सिस्कारियां लगातार तेज होती जा रही थीं.
मैं एक हाथ से एक चूची को दबा रहा था तो दूसरी चूची को जोर-जोर से चूस रहा था. इससे जस्सी को बहुत मजा आ रहा था.

मेरा लंड भी बहुत टाइट हो गया था तो अब मैंने 69 का पोज़ बना लिया.. जिससे दोनों ही मजे कर सकें.
मैंने अब जस्सी की पैंटी को भी निकाल दिया, अब जस्सी मेरे लंड को चूस रही थी और मैं उसकी चूत को.

कुछ ही देर हम दोनों ने ऐसे ही मजे लिए और अब अपने ऊपर काबू करना मुश्किल हो रहा था. फिर जल्दी ही मैं जस्सी की टांगों के बीच में आ गया और बगल में पहले से रखा तेल ले लिया.

मैंने तेल में उंगली भिगोई उसकी चूत में एक उंगली डाली, जस्सी के मुँह से ‘आआअह्ह्ह्ह..’ की आवाज निकल गया
अब मैंने उंगली को अन्दर-बाहर करना शुरू किया और जस्सी भी ‘ओओहह..’ करने लगी.
इसी के साथ ही मैंने जस्सी की गांड पर भी तेल लगा दिया.. जिससे उसकी गांड थोड़ी चिकनी हो गई.

अब ऐसे ही मैंने जस्सी की गांड में एक उंगली डाली और पूरी जोर-जोर से अन्दर-बाहर करने लगा जस्सी को भी अब बहुत मजा आ रहा था और वो जोर-जोर से सिस्कारियां ले रही थी- आह्ह्ह्ह.. उम्मओ अह्ह्ह.. रेशु.. अब और मत तड़पाओ.. डाल दो मेरी चूत में अपना लंड.. और चोद दो मुझे.. ऊह्ह..
कुछ देर ऐसे ही करने से जस्सी की चूत से पानी निकल गया.

अब मैंने अपने लंड पर तेल लगा कर जस्सी की चूत पर अपना लंड रखा और जोर से धक्का मारा, आधे से ज्यादा लंड अब उसकी चूत में घुस चुका था. मैं धीरे-धीरे लंड को जस्सी की चूत में अन्दर-बाहर कर रहा था.

मेरा लंड और उसकी चूत दोनों ही गीले थे.. कुछ देर ऐसे ही चुदाई करने के बाद मैंने फिर से एक जोरदार धक्का मारा तो पूरा लंड जस्सी की चूत में चला गया और वो जोर से चीख पड़ी ‘उम्म्ह्ह्ह.. मम्मीईईई..’

मैंने जस्सी को नीचे ही दबाए रखा और उसके होंठों को चूमने लगा.
कुछ देर-बाद जस्सी भी अपनी गांड को ऊपर-नीचे करने लगी, उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी, मैंने जोर-जोर से उसकी चुदाई करनी चालू कर दी और जस्सी भी मेरे लौड़े का अपनी चूत में मजा लेने लगी थी.

वो मस्ती से सीत्कार कर रही थी ‘आह्ह्ह्ह्ह.. रेशु ऊऊह्ह्ह्ह्ह्.. तेरा लौड़ा तो वाकयी एक मस्त कलंदर है.. आह्ह.. क्या चोदता है तू.. आह्ह.. मजा आ गया..’

मैंने जस्सी की दोनों टाँगें ऊपर उठा दीं और जोर-जोर से उसकी चूत की चुदाई कर रहा था.. जस्सी की भी सिस्कारियाँ निकल रही थीं ‘आह्ह्ह्हह्ह.. उम्म्म्म्म..’

ऐसे ही कुछ देर जस्सी की चुदाई करने के बाद मेरा मन जस्सी भाभी की गांड मारने का हुआ तो मैंने जस्सी भाभी को अब पेट के बल लेटा दिया और तेल लेकर उसकी पीठ पर चूतड़ों पर सब पर तेल की मालिश कर दी. मैं उसकी गांड को मसलने लगा था.

इसके बाद मैंने जस्सी की गांड के छेद पर तेल लगा कर अपना लंड एकदम एक झटके से ही जस्सी की गांड में ठोक दिया, उसको संभलने का मौका ही नहीं मिला, वो एकदम से चौंक गई और जोर से चीख पड़ी जबकि अभी बस सुपारा ही अन्दर गया होगा.. और जस्सी भाभी कुतिया सी चीखने में लग गई- ‘ऊऊऊऊ.. मुझे नहीं करवाना.. प्लीज बाहर निकालो.. मैं मर जाऊँगी.. मैं मर जाऊँगी.. ओह्ह.. बहुत दर्द हो रहा है..

मैंने कहा- ठीक है.. बाहर निकालता हूँ.
मैंने लंड को निकाला नहीं.. उसकी चूचियाँ दबाते हुए लौड़े से धीरे-धीरे झटका देने लगा.

भाभी की गांड इतनी कसी थी.. कि मैं ठीक से झटके भी नहीं दे पा रहा था. गांड के छेद की कसावट से मेरे लंड में भी जलन सी हो रही थी.
फिर मैंने सोचा कि अगर मैंने लंड बाहर निकाल लिया.. तो फिर यह गांड कभी नहीं मारने देगी इसलिए मैं थोड़ी देर ऐसे ही रहा.

वो कुछ शांत हुई.. फिर मैं धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा.
भाभी फिर छटपटाने लगी और छूटने की कोशिश करने लगी, वह दर्द के मारे बहुत कराहने लगी- आह.. मत करो..
मैंने उसके दर्द की परवाह किए बगैर.. एक झटका और मार दिया और अबकी बार मेरा आधा लंड उसकी गांड में जा चुका था.

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03-02-2021, 03:07 PM,
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका

अपडेट 127

अभी साला आधा लंड ही अन्दर गया था और उसके दर्द के मारे प्राण गले में आ गए थे. मेरा आधा लंड अभी भी बाहर था और उसकी तो आधे ही लंड में दम सी निकल गई थी, उसकी एकदम साँस ऊपर खिंच गई और उसकी सारी चीखें.. कमरे को भरने लगीं ‘प्लीज रेशु बाहर निकाल लो..’

मैंने उसकी बात को अनसुना कर दिया.
थोड़ी देर तक ‘आह..आह..’ की आवाज आई.. फिर भाभी चुप हो गई तो बस मैंने एक और झटका मार दिया और एक जोर की आवाज आई ‘आआआआह हा..हह ओह.. मार दिया रे..’
उसके मुँह से एक तेज चीख निकल गई.. बहुत जोर ‘ओओउइइइ… ओई.. आह्ह्ह.. मर गई रे..’

भाभी की आँखों से आंसू आने लगे, मैं बिना कोई परवाह किए जस्सी की गांड में लौड़े को हल्के-हल्के से अन्दर-बाहर करने लगा. जस्सी भाभी अभी भी दर्द मिश्रित ‘आहें..’ भर रही थी.

कुछ ही पलों के बाद उसकी आवाजें भी कम हो गईं. मैंने भी स्पीड थोड़ी बढ़ा दी.
इसके बाद उसके दोनों हाथ पकड़ कर मैं भाभी की गांड में जोर-जोर से अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा. इस पर जस्सी की चीख अब कामुक सिसकारियों में बदल गई. उसे भी मजा आने लगा और वो अपनी गांड को आगे-पीछे करने लगी ‘आह्ह्ह्ह्ह.. ऊओआह्ह.. आह्ह्ह्ह..’

जस्सी बोले जा रही थी- रेशु और जोर से चोदो मुझे.. और जोर से मारो मेरी गांड आहह.. उम्म..

कुछ मिनट तक गांड मारने के बाद लगा कि जस्सी अब तक 2 बार झड़ चुकी थी.. पर मेरा पानी निकल ही नहीं रहा था. मैं भी थोड़ा थक सा गया था.

उसकी आवाज तो पूछो मत दोस्तो.. इस बार इतनी जोर-जोर से जस्सी की चुदाई की.. कभी उसके बाल पकड़ कर.. कभी उसकी चूचियाँ दबोच कर चोदा कि साली अधमरी कुतिया सी बिलखने लगी थी.

कुछ देर मैंने जस्सी को नीचे खड़ा करके घोड़ी बना दिया और उसकी गांड पर लंड को रख दिया. फिर मैं एक ही झटके में पूरा उसकी गांड में डालना चाहता था.. पर अभी भी उसकी गांड थोड़ी टाइट थी.. सो मेरे इस धक्के में आधा लंड ही अन्दर गया होगा कि वो फिर से चिल्ल-पों करने लगी.

मैंने उसकी गोरी-गोरी गांड पर थप्पड़ मारने शुरू कर दिए.. जिससे उसकी हर थप्पड़ में ‘आह्ह्ह..’ निकल जाती रही और कुछ देर थप्पड़ मारने के बाद उसकी गोरी गांड भी लाल हो गई थी.

मैंने अब जस्सी की कमर जोर से पकड़ी और इस बार फिर एक जोर से धक्का दिया, जस्सी फिर कराह उठी ‘आआह्ह.. ओओहह..’
मगर वो लौड़ा लील गई.

इधर मैं भी उसकी कमर पकड़ कर धकापेल गांड चुदाई कर रहा था. पूरा कमरा चुदाई की आवाजों से गूंज रहा था, मैंने भी अपनी स्पीड तेज कर दी थी. जस्सी की सिस्कारियां और भी जोर-जोर से आने लगी.

करीब दस मिनट हुए थे.. जस्सी अब अकड़ने लगी और बोलने लगी- रेशु मेरा होने वाला है..
मैंने कहा- चूत में डालूँ या गांड में?
जस्सी बोली- तुम्हारी मर्जी है.

मैंने जस्सी गांड से लंड निकाला और उसको पेट के बल लेटा दिया, मैं उसके ऊपर ही लेट गया और अपना लंड उसकी गांड में डाल दिया.

फिर मैंने कुछ और चुदाई की और फुल स्पीड में 15 से 20 धक्के ही मारे होंगे कि जस्सी और मैं दोनों साथ में ही झड़ गए. मैंने सारा माल उसकी गांड में डाल दिया.
मैं जस्सी के ऊपर ही लेटा रहा.

हम दोनों इतना थक गए थे कि उठ भी नहीं सकते थे, ऐसे ही हम दोनों लेटे रहे.
काफ़ी देर के बाद हम उठे और फिर दुबारा से जस्सी भाभी को पूरी तरह से जोर-जोर से चुदाई की.
इस बार की चुदाई के बाद वो और मैं दोनों ही खड़े होने के लायक ही नहीं रहे.

मैंने जस्सी भाभी को बोला- भाभी, मैं यहाँ पर बस कल ही और हूँ, तो कल की रात भी आपकी चुदाई कर सकता हूँ.
भाभी पहले तो थोड़ा उदास हो गईं लेकिन मैंने उनको फिर से खुश किया और अगली रात को भी जस्सी भाभी को सुबह तक खूब चोदा.

मुझे इस बात का बिलकुल भी अंदाज़ा नहीं था कि मुझे इतनी सेक्सी भाभियों को चोदने का मौका भी मिलेगा.
जब मैं जा रहा था तो दोनों भाभी उदास हो गई थीं और मुझे भी पता था जिस वक्त जो भी मौका मिले.. कर लेना चाहिए.. अगर सोचोगे तो कुछ नहीं मिलेगा.

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03-02-2021, 03:08 PM,
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अपडेट 126

वहासे मैं अपने घर गया माँ से मिलने पर वहा ऐसा कुछ नही हुआ जो बताने लायक हो एक दिन वहा रहा मैंने बहुत ट्राय किया पर माँ को छू भी ना सका फिर मैं अहमदाबाद वापस आगया था दूसरे दीन चाची सुबह ही कही किसी फंक्शन में गई थी मैं अपने रूम में बैठा था ओर फिर लैपटॉप में फिर से क्लिप्स देखने लगा, इतने में यूट्यूब पे एक क्लिप देखा तो मज़ा ही आ गया, पथु पथु मूवी की सोना आंटी को देखा तो वो ठीक सामने वाली आंटी के जैसे ही लग रही थी.
[Image: Tamil-masala-Actress-Sona-Heiden-Photos-0028.jpg]
लम्बी हाईट, बड़े बूब्स, गोरा रंग, हल्का सा पेट् बाहर, कातील आँख़ें, और वो क्लिप देख के मुझे मज़ा आ गया. इतने में कुछ दोस्त खेलने के लिए बुलाने लगे, तो एकबार तो मना करने का मन हुआ, पर फिर खेलने चला गया. आज भी मेरी बरी आयी, तो मैंने देखा की कहीं वो आंटी तो बाहर नही, मैंने घर की और देख, वो बाहर नहीं थी, तो में आराम से खेलने लगा, अच्छा क्रिकेट खेलता हूँ मैं, तो आधे घंटे तक मस्त खेलता रहा, पसिना पसिना हो रहा था फिर मैंने एक जोरदार स्ट्रोक लगाया, और मेरा बदनसीब फिरसे उसी आंटी को जा के गेन्द लगी, लेकिन इस बार कमर में लगी, डैम..वो कमर पकड़ के बैठ गयी, और मैंने बैट छोड़ दि, और उन्होंने इस बार भी मेरी और देखा, में उल्लू स्टम्प्स के पास खड़ा था..इस बार भी वो कुछ नहीं बोलि, और घर में चलि गयी. उनका कहने का तो मन बड़ा था पर क्या कहूं, ये सोच के वो मन में ही मन में रख के चलि गयी, में भी घर वापस आ गया. शाम होने को थी, चाची शायद आ रही होगी, मुझे ये डर था की कहीं सामनेवाली आंटी कुछ ज्यादा ही बढ़ाचढ़ा के शीकायत न करे, क्यूँकि आज वो चाची से बात करेंगी, वो पक्का था ६ बज रहे थे, चाची की कार आयी, और चाची के आते ही में बाहर आ गया, की वो आंटी कुछ कह न सके, में चाची को ले के घर के अंदर आ गया, और तब जा के मुझे शान्ति हुई..
“रेशु..बाय गॉड, ये लोग इतना लम्बा टाइम लेते हे, फंक्शन को विंड लूप करने में, प्लीज जरा एक गिलास पाणी ला दो... और चाची ने थकन से एक्सहोस्ट होते हुए कहा. मैं भी किचन में पाणी ले के आया. अब चाची ठीक थी.
“तो फिर, रेशु कल क्या किया हम्म्म.? में शर्मा गया, और निचे ही देखने लगा.
“अरे शर्मा क्या रहा हे, कुछ राकेट साइंस तो नहीं पुछ रही, बता.?
“कुछ नहीं चाची..”
“वेरी गुड. बहुत बढिया,
“तेरी माँ ने तुझे छूने भी नहीं दिया राइट...?
मैने हाँ में सर हिलाया,
“मुझे पता था तेरी माँ बड़ी अच्छी हे. अच्छा हे, अगर जो तू चाहता हे वो न हो..
चाची ने एक कातिल लुक से मेरी और देखा और मैंने भी उनकी और देखा, तभी चाचा जी आ गये, वर्ना वही पर चाची को मस्त जवाब देता.
दो दिन बीत गए थे पर चाची ने कुछ कहा नहीं था आंटी के बारे मे. मैं सोच रहा था दो दिन से, जब जब में सामनेवाली आंटी को देखता, तो सोचता की आखिर बात क्या हे, वो मेरी वजह से दो बार चोट खा चुकी हे, और मैंने सॉरी भी नहीं कहा हे. वो गुस्सा तो हे, पर चाची से कम्प्लेन भी नहीं कर रही, आखिर बात क्या हे, समझ से बाहर था सब कुछ. दो दिन हो चुके थे और में बाइक ले के कॉलेज नहीं गया था बाइक में प्रॉब्लम था और शाम के ५ बज रहे थे, पर आसमान में काले बादल होने से अँधेरा सा हो गया था और में बस की राह में बस स्टैंड पे खड़ा था काफी बसेस आई और चलि गयी, पर में जिस बस के इंतज़ार में था वो नहीं आ रही थी, अब बस स्टोप पे खड़े खड़े ६ बज चुके थे, और अब बस स्टैंड पे में अकेला था हलकी सी बूंदा बांदी स्टार्ट हो गयी थी, इतने में मेरे पास से एक आंटी निकलि और बस स्टैंड की दुसरे छोर पे जा के खड़ी हो गयी. मैंने देखा तो वो हमारे सामनेवाली आंटी थी, ओह गॉड, वो यहाँ क्या कर रही थी, में एक दो सेकंड के लिए तो उसे सोचता रहा. अब तो में ये चाहता था की बस न आये, आंटी को देखने में मज़ा आ रहा था
[Image: images?q=tbn%3AANd9GcSDo10xSlzr2J3NRMywY...wS73TgvIw8]

डार्क रेड कलर की साड़ी और मैचिंग ब्लाउस..मस्त लग रही थी औंटी. लेकिन शायद भगवन मुझसे रूठ गया हे, आंटी को आये अभी एक मिनट भी नहीं हुआ था की बस आ गयी, बस आ के मेरे सामने रुकी, पर मैंने जेंटलमैन की तरह आंटी की और देखा और उन्हें पहले अंदर जाने को इशारा किया, और बाद में में अंदर दाखिल हो गया. बस टोटल खली ही थी, पर में बस में जाने के बाद आंटी को देखा और उनके पास में ही जा के बैठ गया. पता नहीं में ऐसे तो काफी शर्मीला हू, और इतनी जल्दी किसी अन्जान औरत के सामने खुलता नही, पर इस आंटी के सामने पता नहीं डेरिंग करने का मन होता था हाँ चाचियों और माँ की बात अलग हे, उनके साथ बचपन से जुड़ा हू,
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03-02-2021, 03:09 PM,
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अपडेट 127

इस आंटी से भी सॉरी बोलने में शर्म तो आ ही रही थी, पर में डेरिंग कर के आंटी के पास में बैठ गया. जैसे ही में आंटी के पास बैठा उन्होंने मेरी और देखा, कोई एक्सप्रेशन नही, बस मुझे देखा और फिर बस की खिड़की के बाहर देखने लगी, और में तो उनको ही देख रहा था क्या मस्त बालों की लटे हवा में उड़ रही थी, कुछ कंधे पे बिखरि थी, और बालों में छुपा उनका गोरा गोरा शोल्डर भी मस्त लग रहा था २ मिनट तक में ऐसे ही आंटी को देख रहा था की फिर से उन्होंने मेरी और देखा, और में अब भी उनके सामने ही देख रहा था आम तौर पे मुझे शर्म आ जाती हे और आपने पहले भी पढ़ा होगा की शर्म आने पे में आपनि आँखें निचे कर लेता हू, पर इस बार पता नहीं मैंने उनके सामने देखते हुए आंटी को स्माइल दि, लेकिन इस बार भी एक्सप्रेशनलस, आंटी ने कुछ भी रियेक्ट नहीं किया और फिर से दूसरी तरफ मुँह कर के बाहर की और देखने लगी.
“टिकट...”
आंटी ने देखा तो कंडक्टर टिकट के लिए कह रहा था और फिर उन्होंने मेरी और देखा, में अपनी पॉकेट्स में हाथ दाल रहा था इतने में आंटी ने कंडक्टर से कहा
२ अम्बिका की टिकट देना... एक सच में मस्त सरप्राइज सा शॉक था मेरे लिये, आंटी ने फिर मेरी भी टिकट्स ले के अपने ही पास रक्खि, और फिर से बाहर की और देखने लगी, अब तो मुझे लगा की बात करनी ही पडेगी, क्यूँकि आंटी ने मेरी टिकट्स ले के एक और ऐहसान किया था एक तो मैंने इतना सताया, और अब तक सॉरी नहीं कहा था और फिर भी ऊपर से वो मेरी टिकट ले के अपना बड़प्पन दिखा रही थी,
“थैंक यू..” मैंने थैंक यु कहा, तो उन्होंने मेरी और देखा और इस बार मैंने स्माइल किया तो उन्होंने भी स्माइल से रिटर्न किया, पर कुछ कहा नही. अब आगे बात क्या करू.. ये सवाल था सॉरी बोल के ही आगे बात बढायी जा सकती थी, पर में सॉरी बोलना नहीं चाहता था ऐसे ही सॉरी बोलूँ की नहीं बोलु, इतने में हमारा स्टोप आ गया, और आंटी मुझसे छूटने के चक्कर में मेरे से पहले उठ गयी और वो मेरे पास से जा रही थी की इतने में बस ड्राइवर ने एक जोरदार ब्रेक लगयीई, और आंटी अपने आप को सम्हल नहीं पायी, और वो आगे की सीट से तकरा गयी, और जोर से टकराने से वो पीछे की और गिर पडी, और उनके पीछे में बैठा था और वो सीधे मेरे पर आ के गिर पडी, मैंने आंटी को अपने हाथों से सहारा दे दि, पर वो मुझ पर गिर पडी और जैसे ही उन्हें एहसास हुआ की वो मेरे पर हे, तो तुरंत से अपने आप को सम्हाला और वो फिर से वहीँ पर मेरे पास में अपनी पहलेवाली जगह आके बैठ गयी, अभी एक मिनट तक का सफर बाकि था, और वो एक मिनट का सफर सच में आंटी के लिए असहज था वो अपने आप को मेरे से बचा रही थी और में भी अब उनके सामने देख के उन्हें और भी असहज नहीं करना चाहता था तो मैंने भी आंटी के सामने नहीं देखा, हालाँकि उन्होंने मेरी और २-३ बार देखा, पर में दूसरी और देख रहा था १ मिनट सच में आंटी के लिए असहज था लेकिन फिर बस आराम से रुकि और अब हम आराम से उतरने लगे, मैंने इस बार भी जेंटलमैन की तरह आंटी को पहले उतरने दिया, और फिर उतरते वक़्त मैंने अपना हाथ रक्खा तो मुझे दर्द सा लगा तो में थोड़ा आराम से उतरा, दर्द थोड़ा सा हाथ में हो रहा था पर ठीक था में. हम घर की और चल रहे थे, बारिश तो बंद थी पर मस्त ठण्डी ठण्डी हवायें चल रही थी और मज़ा आ रहा था आंटी मेरे से आगे चल रही थी, उन्होंने एक दो बार मेरी और मूड के देखा की में उनके साथ साथ चल रहा हूँ की नही..फिर हम घर पहुंचे, हमारा घर और उनके घर का गेट पास पास में हे, तो उन्होंने अपने घर का गेट खोला और में अपने घर का गेट खोल रहा था की उन्होंने कहा
“ज्यादा लगी तो नही...”
हम्म्म. एक दम से सवाल से में चौंक गया, पहली बार वो मेरे से साफ़ साफ़ बात कर रही थी.
“नही, में ठीक हूँ औंटी..”
“सच मे..” आंटी का पता नहीं इतनी कंसर्न से क्यों पूछ रही थी, हाँ वो मेरे पे अचानक से जोर से गिरि तो थी.
“नहीं में ठीक हू, हाथ में थोड़ा दर्द हे, पर इट्स ओके फाइन..”
“अरे में होठ की बात कर रही थी..” हाथ में भी लगी हे क्य...? होठ की बात सुन के
मैने अपने होठ पे हाथ रक्खा तो पता चला की मेरे होठ पे हलकी सी ख़रोंच आई थी तो हल्का सा खून बाहर आ गया था अब में संमझा खून देख के आंटी पूछ रही थी. पर मैंने आंटी से कहा की में ठीक हूँ और अपने हाथ से होठ को दबाते हुए में अपने घर में चला गया ताकि की आंटी को लगे की मुझे दर्द हो रहा हे. फिर में जब डिनर निपटा के अपने रूम में पहुंचा तो मुझे लगा की वो अपने घर की बालकनी में थि, लेकिन मैंने दूसरी बार देखा तो नहीं थी वह, लेकिन पता नहीं मुझे ऐसा दो तीन बार लगा, फिर में लेट गया और उस पर ध्यान नहीं दिया.
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03-02-2021, 03:09 PM,
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
इधर मैंने ईमेल खोल के देखा तो माँ की और से रिप्लाई आया था और इस बार वो रिप्लाई सच में शॉकिंग था,मॉ ने मेरी स्टोरी के बदले मुझे थैंक्स कह के भेजा था ओहो माँ के इस थैंक्स ने मुझे सोचने पे मजबूर कर दिया था की अब में क्या रिप्लाई करू, पर बड़ा सोचने के बाद आईडिया आया की माँ भी मेरे रिप्लाई का वेट कर रही होगी, तो मैंने माँ को कोई रिप्लाई किया ही नहीं और लैपटॉप बंद कर के सो गया.दूसरे दिन जब चाचाजी ब्रेकफास्ट निपटा के क्लिनिक के लिए निकल गये, चाची और में डाइनिंग टेबल पे बैठे थे, चाचा निकल गये फिर भी चाची कुछ गुमसुम सी लग रही थी. मैंने हलके से अपने पाँव से चाची के पाँव को छुआ और चाची की मानो नींद उङी. वो एक दम से जागी हो जैसे, मेरी और देखने लगी.
“क्या बात हे चाची..? कुछ प्रॉब्लम हे क्य...”
चाची ने कुछ कहा नहीं बस ना में सर हिलाया.
“कुछ लग तो रहा हे.? मुझसे कुछ ग़लती तो नहीं हो गयी.?
“नही..मुझसे ग़लती हो गयी हे...” चाची ने चाय का कप अपने लैब से हटा के निचे टेबल पे रखते हुए कहा, सच में वो बड़ी सेक्सी लग रही थी, आज. क्रीम कलर की साड़ी पे रेड लिपस्टिक वाले लब मस्त लग रहे थे, एक मस्त बालों की लट गाल पे थी..वॉव चाची की ड्रेसिंग स्टाइल तो मार डाले ऐसे पहले से ही हे.
“क्या हुआ..चाचि? में कुछ कर सकता हू...”
“हान, ग़लती तो मेरे से हो गयी हे, पर तुझे ही सब करना हे..”
“चाची कुछ समझ में नहीं आ रहा, आप सीधे पॉइंट पे बात करीयेना..प्लीज”
“रेशु मुझे लगता हे, तुम बहुत बिगड गये हो, और इसमें मेरा बड़ा हाथ है, और यही बात मुझे बड़ा परेशान कर रही हे, तुम मुझसे ज्यादा खुले, हमारे बीच जो हुआ, उसके बाद से ही तुम बिगड गए हो, ऐसा मेरा मानना हे. प्लीज तुम इन सब बातों के बारे में सोचना बंद कर दो. और जो भी करना हे वो मेरे साथ करो, दूसरी औरतों को परेशान मत करो…”
चाची की बातों में एक ठहराव था वो साफ कर रहा था की चाची कब से मेरे बारे में सोच रही थी, तो मैंने भी चाची से कहा.
“चाची..शायद आप सही हो सकती हे, और शायद आपकी सारी बातें भी सही हो सकती हे, की ये सब गुनाह हे, और पाप हे, मुझे ऐसे नहीं करना चहिये, पर एक सच्चाई ये भी हे कि, जब में सोलह साल का था तब से आप को पसंद करता था, और सच में आप आज भी उतनी ही हसीन हो, पर तभी कहा नही, और आज दिल में जो था वो खुल गया आपसे, तो आप मानेंगे नही, पर आपके लिए प्यार और भी बढ़ गया हे,
आज आपको कुछ होगा तो सच में मुझे तकलीफ होगी, जब्कि पहले तकलीफ नहीं होती थी, बस एक चिंता होती थी…”
मैंने भी उसी ठेहराव से चाची के सामने एक दूसरा ही पेहलू रक्खा. चाची के पास मेरे आर्गुमेंट का कोई जवाब नहीं था इसीलिए वो अब जा के सीधे सीधे पॉइंट पे आयी, और कहा
“रेशु..तुम ठीक कह रहे हो, तुम्हे ही नहीं मुझे भी ऐसा लग रहा हे, की हम पहले से अभी ज्यादा क्लोज हे, पर ये जो तुम सामने वाली आंटी के साथ मस्ती कर रहे हो, और उसे परेशान कर रहे हो, ऐसा मत करो.. प्लीज किसी को ऐसे परेशान करना ठीक तो नही. दो दिनों से में उसे मिली नहीं तो कल दोपहर उस बिचारि ने मुझे सब तुम्हारी मस्ती के बारे में बताया, की तुमने उसे दो बार जोर से गेन्द मरि, वो भी जानबूझ कर. और ऊपर से तुम्हे इस बात का आफसोस भी नही. रेशु ये तो ठीक नही..”
अब समझ में आया की कल दोपहर सामनेवाली आंटी ने चाची को कॉल करके सब कम्प्लेन की होगी, पर कल शाम वाले इंसिडेंट के बारे में बताया नहीं होगा, और कल शाम के बाद उसे भी कम्प्लेन का पछतावा होगा तो में चुप रहा. और इसमें चाची का भी क़सूर नहीं था क्यूँकि उनसे मेरी कल शाम से मुलाकात नहीं हुई.
“चाची..आप उन्हें यहाँ बुलाये, और खुद उनसे बात करिये, वो कल की तरह नाराज़ नही होगी, और आपसे आराम से बात करेंगी”
चाची को समझ में नहीं आया, पर उन्होंने सामनेवाली आंटी को बुला लिया, तो में उठ के अपने रूम में चला गया और चाची से कहा, आप आराम से बात करिये, में अपने कामरे में हू, और अगर मेरी बात गलत निकले, तो मुझे आवाज़ दे दीजियेगा, में आ के आराम से सॉरी कह दूंगा”.

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03-02-2021, 03:09 PM,
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ओर में मुस्कुराके अपने कामरे में चला गया, चाची तो मेरा कॉन्फिडेंस देख के मुझे देखति ही रह गयी. मैं अपने कामरे में आ गया, मुझे पता था की आंटी अब चाची से कोई ख़ास कम्प्लेन नहीं करेंगी, क्यूँकि में अंदर से जेंटलमैन हूँ इस बात का उन्हें कॉन्फिडेंस कल शाम बस वाले हाद्से से हो गया होगा. लेकिन फिर भी में उनकी बातें सुनना चाहता था पर ये पॉसिबल नहीं था मेरा रूम ऊपर था और उनकी बात सुनने का कोई चारा न था मैं अपने रूम में ऐसे ही लेटा था और उनकी बातें चल रही थी, तकरीबन आधे घंटे बाद चाची मेरे रूम में आयी, में उलटा लेटा था उनके आने का एहसास मुझे हो गया था मैंने रूम लॉक नहीं किया था वो मेरे रूम में आई और मेरे बेड के पास आक़र, मेरे बेड पे बैठी, और जैसे ही मुझे छूने गयी तो मैंने झट से पलट के चाची को पकड़ लिया और उन्हें भी अपने साथ लिटा लिया. मैं फिर से उल्टा ही लेट गया और चाची मेरे पास में सीढि, मैंने चाची की और देखा, उनकी आँखों में सटिस्फैक्शन साफ़ दिख रहा था ये देख के में मुस्कराया.
चाची कुछ सामने वाली आंटी के बारे में कुछ कहना चाहती थी, और मैंने चाची को रोकते हुए चाची के होठो पे अपने हाथ की मिडिल फिंगर रख के उनके लब को रोक दिया और चाची से बड़े प्यार से कहा
“चाची..प्लीज मुझ पे विश्वास करिये, में कुछ गलत नहीं करूंगा…”
और मेरे इस सेंटेंस से चाची को अपने पे शर्म आ गयी और उनकी पलकें झुक गयी, वो अब मुझसे आँख नहीं मिला पा रही थी, अब कमरे में एक दम साइलेंस था मैंने चाची के लब पे से ऊँगली नहीं हटायी, बल्कि उनके होठो को सहलाने लगा, अपनी ऊँगली से चाची के दोनों होठो पे अपनी ऊँगली को फेरने लगा, और उनके होठो पे प्रेशर भी करने लगा. फिर चाची ने मेरी ऊँगली को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी, में भी अपनी ऊँगली से चाची को प्लेजर देणे लगा. अब चाची को मज़ा आने लगा था उन्होंने मेरी और देखा और मेरे होठ को देख के कहा
“तुमने खुद क्यों नहीं कहा, ये चोट कैसे लगी.?
अब में झूठ का नाटक करते हुए कहा
“आपको तो मुझे पे शक़ करने से फुर्सत मिले तो में कुछ कहूं…” और पलट के चाची के साइड में सीधा हो के सो गया. चाची समझ रही थी की में नाटक कर रहा हू, पर उन्हें भी अच्छा लग रहा था
“अच्छा..तो लाओ में इसका इलाज कर देती हू…” चाची पलट के मेरे पे आ गयी और अब वो ऊल्टी हो गयी थी. और ठीक मेरे ऊपर आकर, मेरे लब पे चोटवाली जगह पे अपनी जीभ फ़ेरने लगी, मैंने किस करने के लिये, बड़ा ट्राय किया पर वो भी नाटक कर रही थी, और दूर हट रही थी, दो तीन बार के बाद मैंने चाची को पकड़ा और झट से उनके लिप्स को पकड़ के चूसने लगा, और चाची भी मस्ती में आ के मुझे चूमने लगी, चाची की मुलायम बैक पे मेरे हाथ घूम रहे थे, और अब तो चाची मस्ती से मुझे किस कर रही थी, उनकी सलीवा मेरे मुँह में समां रही थी और मेरी सलीवा उनके मुँह में, वॉव क्या टेस्ट था.चाचि के साथ पहले सेक्स कर चुक्का हू, और पहले मानता था की शुरुआती सेक्स के बाद उस पार्टनर से सेक्स करने में मज़ा नहीं आता, पर सच में बड़ा अच्छा लग रहा था और एक एक पल में एन्जॉय कर रहा था चाची आज कहीं बाहर जाने के मूड में नहीं थी और में भी नहीं चाहता था की वो कही जाए, क्यूँकि उनके साथ रहे काफी टाइम हो गया था आज चाची को किस करते टाइम मुझे उनकी पहली बार सेक्स के टाइम उनकी बेचैनी और उनकी शर्म भरी अदाए याद आ रही थी, पहली बार थोड़ा सा एक टाइप का रेजिस्टेंस होता हे, आज वो फुल्ली एन्जॉय कर रही थी, उनके किस में भी मेरे लबोँ को पूरा समेट्ने की कोशिश झलक रही थी, फिर चाची ने दो मिनट तक मेरे होठ चूसने के बाद किस ब्रेक किया और मेरे सामने देख के मुस्करायी..
“आज कहीं जाना नहीं हे क्य...? मैंने ऐसे ही चाची को चिड़ाने के लिए पूछ लिया..”
“क्यों मेरे यहाँ रहने से तुम्हे मच्छर काटते हे क्य...? चाची ने उल्टा मुझे सवाल पूछ लिया. फिर हम दोनों हंसपडे
“अच्छा वो सामने वाली आंटी क्या कह रही थी.?
“क्यूँ भाई आजकल सामनेवाली आंटी में बड़ा इंटरेस्ट ले रहे हो..?
“अरे यार चाची, आप तो हर बात की ऊल्टी बात ही करते हो..” और ऐसा कह के मैंने थोड़ी सी नाराज़गी जताई, हालाकिं में जानना चाहता था की सामनेवाली आंटी सोचती क्या हे,
आज चाची के साथ मस्त सेक्स खेलने का मन था और चाची भी बड़े दिनों से मुझसे अलग रही थी, पर इतने में उनका अर्जेंट कॉल आ गया, और उनके बात करने से ही पता चल गया की उन्हें अभी जाना पड़ेगा, वो बाहर से कॉल कर के मेरे कामरे में आई और कहने ही वाली थी की मैंने ही कह दिया
“ठीक हे, चाची जाइये पर प्लीज मेरे लिए टाइम निकालिये...”
ओर चाची मुस्कुरा पडी, और मेरे सर पे प्यार से हाथ फेरा और निकल गयी पर जाते जाते पलट के कहा, “हाँ रेशु वो सामनेवाली आंटी अब तुमसे नाराज़ नहीं हे, और कह रही थी की तुम बड़े अच्छे लड़के हो. जैसे की में तुम्हे जानती ही ना हूँ”.
ओर फिर वो निकल गयी,

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03-02-2021, 03:09 PM,
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
चलो एक काम तो अच्छा बना की इतने दिनों के बाद मैंने अपनी पहली इम्प्रैशन उस आंटी के मन से निकल तो दी. अब वो मुझे अच्छा लड़का मानती हे, तो इसका मतलब मुझे अब थोड़ा ध्यान रखना पडेगा. मैंने फिर दो दिन तक आंटी की डेली रूटीन एक्टिविटी के बारे में पता लगाया. वो सुबह सात बाजे दूध लेने जाती हे, फिर १० बजे बालकनी में कपडे सूखाने आती हे, फिर १० से १२ सब घरेलु काम, और फिर १२ से ३ का पता नहीं चला, क्यूँकि वो घर में ही रहती हे, पर कुछ ध्यान में आये ऐसा नहीं करती, शायद सो जाती होगी. फिर ३ से ५ या ६ बजे तक किटी पार्टी या फिर अपनी सहेलियों से मिलने या फिर शॉपिंग प्लान करती हे, मतलब घर के बाहर ही रहती हे. फिर डिनर प्रिपरेशन और फिर नाईट ड्यूटी हस्बैंड के साथ. आम तौर पे सब के घर में शायद यही रूटीन होता हे सब का, साला किस टाइम पे क्या करना हे, जिससे वो सिड्यूस भी हो जाये, और अब तो उसे बुरा भी नहीं लगना चाहिये. मेजर प्रॉब्लम था की में थोड़ा सा रिज़र्व टाइप का हू, बड़ी चाची कोमल दीदि, छोटी चाची या फिर माँ इन सब को में बचपन से जानता हू, पर ये आंटी अन्जान हे, और किस टाइम पे क्या रियेक्ट करेगि, ये कहा नहीं जा सकता था
दो दिन तक मैंने इन सब के बारे में पता लगाया, फिर नेक्स्ट डे में अज यूज्यूअल ८.३० और ९ के करीब उठा और फ्रेश हो के अपने कमरे में बैठा था की आंटी अपनी बालकनी में आई और मैंने उन्हें देखा, तो में एक चेयर ले के आंटी के सामने बैठ गया और हाथ में किताब भी ले ली. आंटी मस्त लग रही थी, उन्होंने ग्रीन कलर की साड़ी और मैचिंग ब्लाउज पहना था आंटी की साड़ी घरेलु थी पर आंटी मस्त लग रही थी, आंटी ने पहले एक बाल्टी जिसमे कपडे सूखने को थे, उसे निचे रक्खा और फिर अपने पल्लू को कंधे से मोड़ के निचे ले के आई और अपनी बेल्ली के पास नैवेल के करीब उसे ठूँस दिया. आंटी और मेरे बालकनी के करीब कुछ ज्यादा नहीं बस १० फीट की ही दूरी होगी, पर सुबह में जब सूरज उगता हे तो सीधे उसकी किरणे मेरे कमरे में आती हे, तो वो ध्यान से देखे तभी उन्हें में नज़र आ सकता था मुझे आंटी साफ़ मस्त दिखाई दे रही थी, आंटी ने फिर एक एक करके कपडे निकाले और फिर उन्हें झटक के रस्सी पे लगाने लगी, रस्सी उन्होंने बालकनी के परेल्लल बांधी थी, तो उन्हें झुकना पडता था तो उनका थोड़ा सा क्लीवेज भी देखा जा सकता था बाल उनके साँवरे नहीं थे,
पर फिर भी मस्त लग रहे थे, चेहरे पे कोई मेक अप नहीं पर फिर भी थकन से भरा चेहरा भी अदाओ वाला था कपडे झटकते टाइम उनके फेस के बिगडते एक्सप्रेस्सिओन, पाणी की हलकी हलकी सी बूँदे, और उन बूंदो से भीगता उनका चेहरा, आंटी ने दो तीन कपडे ठीक से रससि पे डाले, और इतने में मेरे फ़ोन की घंटी बजी और ज्यादा दूरी न होने से उन्होंने भी सुना और मेरी विंडो में देखा तो उन्होंने मुझे देख लिया, अब इतना भी में दूरी पे नहीं था की वो देख न सके, बस उनके ध्यान से देखने की जरूरत थी और उन्होंने मुझे पकड़ लिया. फिर संभल कर उन्होंने मेरी और देखा, फिर अपनी और देखा और अपने पल्लू जो की ठीक था उसे फिर से ठीक किया, और अपने कपडे सूखाने लगी, पर हर एक कपडा उठाते टाइम मेरी और देख लेती की कहीं में उन्हें झुकते टाइम देख तो नहीं रहा, और में भी बिन्दास बन के उन्हें देख रहा था इसमें तो कुछ गलत नहीं था आंटी ने दो तीन कपडे सूखाये होंगे की मेरा नसीब जोर कर गया और उनका पल्लो नैवल के वहा से निकल गया, लेकिन अब एक दो ही कपडे बाकि थे तो उन्होंने फिर उसे नैवल के पास नहीं लगाया और कपडे ले ने के लिए झुकि की उन्हें खाली बाल्टी में कपडा लेने के लिए और झुकना पड़ा और उसमे उनका पल्लू खिसक गया और उठते टाइम पल्लू उनके हाथ में आ गया, और मुझे मस्त क्लीवेज दिखाई दिया. मैं तो खुश हो गया की बॉस आज तो मस्त शुरुआत हुई हे, दो दिन के बाद. लेकिन इस बार आंटी ने मेरी और नहीं देखा, अपना पल्लू ठीक किया और कपडा सूखा के चल दी. मज़ा आ गया था जाते टाइम भी क्या गांड झटक रही थी. एक बार मिल जाये तो मारने का मज़ा आ जाये.
पूरे दिन में कॉलेज में में आंटी के बारे में सोचता रहा, शाम को में घर आया, अपने रूम में गया और बालकनी में देखा, आंटी की बालकनी जो थी वो उनका यूजलेस रूम था तो वो वहॉ बस सुबह ही आती थी, बाकि कोई भी उधर आता जाता नहीं था कभी कभी आंटी कुछ स्टोर रूम में रक्खा हो तो लेने के लिए आती थी, और उसी में उन्होंने मुझे पहले मूठ मारते देख लिया था.

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