09-29-2020, 11:53 AM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,717
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: SexBaba Kahan विश्वासघात
पायल उस रेस्टोरेन्ट में बिल क्लर्क की नौकरी करती थी जिसमें कि उस कमरे में हिस्सेदार उसका दोस्त काशीनाथ वेटर था। एक बार वह उस रेस्टोरेन्ट में कौशल को ले कर गया था और उसी ने कौशल का पायल से अपने दोस्त की सूरत में परिचय करवाया था। कौशल पायल को देखते ही उस पर मर मिटा था। पायल बेहद नौजवान और बेहद कमसिन लड़की थी। आज वह कौशल के साथ बेरुखी से पेश आती थी लेकिन शुरुआत में वह उसके साथ ऐसी मुहब्बत से पेश आई थी कि कौशल का दिल झूम गया था। उससे दोस्ती बढ़ाने के चक्कर में कौशल ने उस रेस्टोरेन्ट के बहुत चक्कर काटे थे और गांठ का बहुत पैसा गंवाया था।
लेकिन अब कम से कम पैसा उसकी समस्या नहीं बना रहने वाला था। बत्तीस सौ रुपए तो अभी ही उसकी जेब में थे और दस बारह लाख रुपये की धनराशि का स्वामी भी वह बहुत जल्द बनने वाला था।
अपनी जवाहरात वाली शनील की थैली पहले उसने अपने कमरे में ही अपने सामान में छुपा दी थी लेकिन इतना माल वहां आरक्षित छोड़ने के लिए उसका दिल नहीं माना था। उसने अपनी बनियान में दुकानदारों जैसी एक जेब लगाई थी और थैली को उसमें बन्द करके जेब का मुंह सी दिया था। उस वक्त वह अपने कपड़ों के नीचे वही बनियान पहने था। सौ सौ के बत्तीस नोट उसकी पतलून की जेब में थे।
वह बाजार में पहुंचा।
पैसा बचाने के लिए लम्बे लम्बे फासले पैदल तय करने वाला कौशल उस रोज बाजार में पहुंचते ही एक रिक्शा पर सवार हो गया।
उसने रिक्शा वाले को मोरी गेट चलने को कहा।
वहां पायल रहती थी।
वह उस इमारत के सामने रिक्शा से उतरा जिसका एक कमरा पायल ने किराये पर लिया हुआ था। वह पायल की मकान मालकिन को भी जानता था।
उसने दरवाजे पर दस्तक दी तो एक अधेड़ औरत ने दरवाजा खोला।
“राम-राम मौसी।”—कौशल मीठे स्वर में बोला—“पायल है?”
“कौशल बेटा।”—वह बोली—“पायल तो दो दिन हुए अपना कमरा खाली कर गई।”
कौशल के दिल को धक्का सा लगा।
“अच्छा!”—उसके मुंह से निकला—“यूं एकाएक!”
“हां।”
“कहां गयी?”
“क्या पता कहां गई!”
“चिट्ठी-पत्री के लिए कोई पता तो छोड़ गई होगी?”
“कोई पता नहीं छोड़ गई, बेटा। वह तो आनन फानन ही कूच कर गई यहां से। वैसे अच्छा ही हुआ कि वह मेरा मकान खाली कर गई। बला छूटी। कौन सी कोई भली लड़की थी वो!”
“मौसी कुछ तो अन्दाजा तुम्हें जरूर होगा”—कौशल ने जिद की—“कि वह कहां चली गई और एकाएक क्यों चली गई?”
“कौशल बेटा, मुझे मालूम है पायल के लिए तुम्हारे दिल में जो है, लेकिन तुम उसे भूल ही जाओ तो अच्छा है। मैं जानती हूं तुम कितने भले लड़के हो और तुम उससे कितना प्यार करते हो, लेकिन वह तुमसे प्यार नहीं करती। वह किसी से प्यार नहीं करती। वह किसी से प्यार करती है तो सिर्फ अपने आपसे। तुम उसका खयाल छोड़ दो, बेटा। सुखी रहोगे।”
लेकिन कौशल को वृद्धा की सीख कबूल नहीं थी। वह न पायल का खयाल छोड़ना चाहता था और न उसके बिना सुखी रहना चाहता था।
“मौसी”—वह कर्कश स्वर में बोला—“लैक्चर छोड़ो और जो मैं पूछ रहा हूं उसका जवाब दो। साफ बोलो वह कहां चली गयी है! अगर तुमने मुझसे झूठ बोला तो भगवान कसम मुझसे बुरा कोई न होगा।”
“कौशल बेटा, वह एक खराब लड़की है। वह...”
“वो अच्छी है या खराब”—कौशल कहरभरे स्वर में बोला—“लेकिन गई कहां?”
“मैं नहीं बता सकती।”—वह कंपित स्वर में बोली—“यह बड़ी खतरनाक बात है।”
“क्यों?”
“यह बताना भी खतरनाक बात है कि यह क्यों खतरनाक बात है। तुम जाओ यहां से।”
“ऐसे तो मत गया मैं यहां से।”
“तुम...”
“देखो, मेरे सब्र का इम्तहान मत लो। फौरन मतलब की बात जुबान पर लाओ नहीं तो टेंटुवा दबा दूंगा।”
“तुम मेरे साथ ऐसा करोगे?”
“हां।”
उसने आहत भाव से कौशल को तरफ देखा और फिर बोली—“अच्छा, बताती हूं। लेकिन वादा करो कि तुम कभी यह नहीं कहोगे कि उसका पता तुम्हें मैंने बताया था।”
“मैं वादा करता हूं।”
|
|
09-29-2020, 11:53 AM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,717
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: SexBaba Kahan विश्वासघात
“बजरंगबली की कसम खाकर वादा करो।”
“मैं बजरंगबली की कसम खाकर वादा करता हूं।”
“वो अब कर्जन रोड के एक आलीशान फ्लैट में रहती है।”
कर्जन रोड के सामने मोरीगेट के उस इलाके की शीशमहल के सामने झोंपड़ी जैसी औकात थी।
“कर्जन रोड पर कहां?”—उसने पूछा।
“नौ नम्बर इमारत में।”
“फ्लैट का नम्बर बोलो।”
“मुझे नहीं मालूम।”
कौशल ने आंखे तरेरकर उसकी तरफ देखा।
“कसम बजरंगबली की।”—वह बोली—“मुझे नहीं मालूम।”
कौशल कुछ क्षण सोचता रहा फिर दरवाजे पर से हट गया।
मौसी ने फौरन भड़ाक से दरवाजा बन्द कर लिया।
कौशल मोरीगेट के बस टर्मिनस पर पहुंचा और वहां से कनाट प्लेस की एक बस पर सवार हो गया।
कौशल कमउम्र था, औरतों के मामले में नातजुर्बेकार था, इसलिए वह पायल की जात नहीं पहचानता था और उसके प्रति उसके मन में ऐसा सम्मोहन था। पायल वेश्या तो नहीं थी लेकिन अपने किसी फायदे के लिये अपनी मेहरबानियां किसी को तश्तरी में रखकर पेश करने से उसे कोई गुरेज भी नहीं था। नौकरी करने में उसकी कोई रुचि नहीं थी। नौकरी उसे मजबूरन करनी पड़ती थी और वह उसे छोड़ने का हर क्षण बहाना तलाश करती रहती थी। वह समझती थी कि नौकरी करना या तो मर्दों का काम था और या उन लड़कियां का काम था जिन्हें भगवान ने उस जैसा रूप नहीं दिया था। वह कौशल के बलिष्ठ शरीर से तो बहुत प्रभावित हुई थी लेकिन ज्यों ही उसे मालूम हुआ था कि कौशल कड़का था तो उसने उसके प्रति बेरुखी का रवैया अख्तियार कर लिया था। ऐसे मर्दों के लिए उसकी जिन्दगी में कोई जगह नहीं थी जो दौलत के मुहाज पर नाकामयाब हो चुके थे। अब वह खुश थी कि उसे एक बहुत पैसे वाले आदमी की छत्रछाया हासिल हो गई थी और रेस्टोरेण्ट की उस दो टके की नौकरी से और मोरीगेट के उस गन्दे मकान से उसे निजात मिल गई थी।
वह आदमी दारा के नाम से जाना जाता था और वह पुरानी दिल्ली का बहुत बड़ा गैंगस्टर था।
पायल उसे फौरन पसन्द आ गई थी और फौरन ही वह उस पर इतना मेहरबान हो गया था कि उसने उसे कर्जन रोड वाला अपना वह फ्लैट दे दिया था जो काफी अरसे से खाली पड़ा था और उसे इतने कपड़े खरीदकर दिये थे कि पायल सबको अभी एक-एक बार भी नहीं पहन पाई थी।
कौशल कनाट प्लेस में सुपर बाजार के आगे बस में से उतरा और पैदल कर्जन रोड की ओर बढ़ा।
नौ नम्बर इमारत उसने बड़ी सहूलियत से तलाश कर ली। वह एक नयी बनी बहुमंजिला इमारत थी। इमारत में दर्जनों फ्लैट थे। अब उसने यह मालूम करना था कि उनमें से पायल कौन-से फ्लैट में थी।
उसने लॉबी में लगी नेम प्लेट पढ़नी शुरू कीं।
पायल का किसी नेम प्लेट पर नाम लिखा होने की उम्मीद तो उसे नहीं थी, लेकिन वहां उसकी अक्ल किसी और तरीके से काम कर गई। उसे केवल एक फ्लैट नम्बर ऐसा लिखा दिखाई दिया, जिसके आगे कोई नेम प्लेट नहीं थी।
वह फ्लैट तीसरी मंजिल पर था।
वह तीसरी मंजिल पर पहुंचा।
उसने कालबैल बजाई और प्रतीक्षा करने लगा। उसका दिल नाहक जोर-जोर से धड़कने लगा था।
दरवाजा खुला।
चौखट पर गुड़िया-सी सजी पायल प्रकट हुई।
कौशल पर निगाह पड़ते ही उसके चेहरे पर गहन वितृष्णा के भाव प्रकट हुए।
“तुम!”—उसके मुंह से निकला।
“नमस्ते।”—कौशल उसकी कीमती पोशाक पर निगाह डालता धीरे से बोला। अब इस बात में शक की कोई गुंजायश नहीं रही थी कि पायल ने किसी बड़े आदमी की रखैल बनना स्वीकार कर लिया था। उसने मन-ही-मन निश्चय कर लिया कि वह उसे ऐसी गन्दी जिन्दगी से निजात दिला कर रहेगा। वह नहीं जानता था कि जिस जिन्दगी को वह गन्दी करार दे रहा था, वह पायल को पसन्द थी और वह उसने खुद, बिना किसी की जोर-जबरदस्ती के चुनी थी।
“क्या चाहते हो?”—वह रुखाई से बोली।
“मैं जरा बात करना चाहता हूं तुमसे।”—वह बोला।
“मैं तुमसे बात नहीं करना चाहती। तुम जाओ यहां से।”
“मैं तुम्हारे लिये एक चीज लाया हूं।”
“मुझे नहीं चाहिए कोई चीज। फूटो।”
“कम-से-कम देख तो लो मै क्या लाया हूं!”
“कोई जरूरत नहीं। अब जाओ यहां से।”
और उसने दरवाजा बन्द करने की कोशिश की।
लेकिन कौशल ने पहले ही चौखट में अपना ग्यारह नम्बर का जूता अड़ा दिया। दरवाजा बन्द न हो सका। उसने अपने कन्धे का एक जोर का धक्का दरवाजे को दिया तो दरवाजा पायल के हाथ से छूट गया। वह लड़खड़ाकर दो कदम पीछे हट गई। कौशल फ्लैट में दाखिल हो गया।
|
|
09-29-2020, 11:53 AM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,717
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: SexBaba Kahan विश्वासघात
पायल बगल के एक दरवाजे के भीतर घुस गई। उसने वह दरवाजा भी बन्द करने की कोशिश की लेकिन कौशल ने उसे कामयाब न होने दिया। वह उसके पीछे-पीछे उस दरवाजे के भीतर दाखिल हो गया।
वह एक बड़े सलीके से सजा हुआ ड्राइंगरूम था। सेण्टर टेबल पर एक ऐश-ट्रे पड़ी थी जो सिगरेट के टुकड़ों से भरी हुई थी। उसे देखकर कौशल के नेत्र सिकुड़ गये।
पायल कमरे के मध्य में खड़ी विचलित भाव से उसे देख रही थी।
“दफा हो जाओ।”—वह बिल्ली की तरह गुर्राई।
“मेरी बात सुनो...”
“तुम यहां पहुंच कैसे गए? जानते नहीं हो यह जगह...”
“एक मिनट... एक मिनट मेरी बात सुनो।”
“क्यों सुनूं? तुम क्या लगते हो मेरे? तुम्हें क्या हक है यूं जबरदस्ती यहां घुस आने का?”
“अरे, कुछ सुनेगी भी”—कौशल झल्लाकर बोला—“या बोले ही जायेगी?”
पायल सकपकाई। फिर वह बदले स्वर में बोली—“ठीक है। जल्दी बोलो, क्या कहना चाहते हो?”
“बैठ जाओ।”
“ऐसे ही बोलो।”
“बैठती है कि नहीं!”—कौशल चिल्लाया।
पायल सहमकर एक सोफे पर बैठ गई।
कौशल भी उसके सामने बैठ गया। वह कुछ क्षण अपने-आप पर काबू करने की कोशिश करता रहा और फिर मीठे स्वर में बोला—“देखो, मेरी जान...”
“मैं तुम्हारी जान नहीं हूं।”—वह तमककर बोली।
“नहीं हो तो हो जाओगी।”
“मैं...”
“देखो, अब मैं पहले वाला कौशल नहीं रहा। मेरे हालात ने ऐसी करवट बदली है जिसकी तुम कल्पना नहीं कर सकतीं। अब मैं पैसे वाला आदमी हो गया हूं।”
“अच्छा!”—वह व्यंग्यपूर्ण स्वर में बोली।
“और यह देखो मैं क्या लाया हूं तुम्हारे लिए!”
उसने जेब से अंगूठी निकाल कर पायल के सामने की।
पायल कतई प्रभावित नहीं हुई।
“क्या है यह?”—वह बोली।
“हीरे की अंगूठी है।”
उसने एक उचटती निगाह फिर अंगूठी पर डाली और लापरवाही से बोली—“नकली होगी।”
“अरे, यह एकदम असली हीरे की अंगूठी है।”
“कहां से मारी?”
“मैंने खरीदी है।”
“क्या कहने!”
“मैने नकद पैसे देकर खरीदी है।”
“तुम्हारे पास और पैसे!”
“यह देखो।”—कौशल ने जेब से सौ-सौ के नोटों का पुलन्दा निकाल कर उसे दिखाया।
नोटों की झलक ने भी पायल पर वह प्रभाव न छोड़ा जिसकी कि वह अपेक्षा कर रहा था।
कौशल को बहुत मायूसी हुई।
“ठीक है”—वह लापरवाही से बोली—“तुम्हारे हाथ कहीं से चार पैसे लग गए हैं। लेकिन मुझे क्या!”
“तुम्हें है।”—कौशल ने जिद की—“तुम्हें होना चाहिए। यह बहुत कीमती, बहुत शानदार अंगूठी है। यह किसी राजकुमारी की उंगली पर ही सज सकती है। इसे मैं तुम्हारे लिए लाया हूं। समझ लो यह सगाई की अंगूठी है।”
“क्या!”
“मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं, मेरी जान। लो, पहन लो यह अंगूठी। और अपना यह बेरुखी का रवैया छोड़ो।”
पायल ने अंगूठी की तरफ हाथ न बढ़ाया।
“मुझे अंगूठी पहनाते ही पूछोगे”—वह बोली—“कि बैडरूम कहां है?”
“मैंने आज तक तुमसे कभी ऐसी बात की है?”—वह आहत भाव से बोला—“पायल, मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं और तुम्हें बहुत सुख से रखना चाहता हूं।”
पायल ने जोर का अट्टहास किया।
|
|
09-29-2020, 12:09 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,717
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: SexBaba Kahan विश्वासघात
कल रात चोरी हुई और आज एक पिटा हुआ पहलवान, एक मामूली छोकरा हीरों की अंगूठी की और नोटों के पुलन्दे की नुमायश कर रहा था।
“यह”—दारा ने पूछा—“कौशल रहता कहां है?”
पायल हिचकिचाई।
“कौशल”—दारा उसे घूरता हुआ पूर्ववत् भावहीन स्वर में बोला—“कहां रहता है?”
“चावड़ी बाजार में।”—पायल जल्दी से बोली—“कूचा मीर आशिक में।”
“मकान नम्बर?”
“नहीं मालूम।”
“मालूम हो जाएगा। तुम्हारा कोई बूढ़ा यार भी है?”
“बूढ़ा यार!”—पायल घबरा कर बोली।
“जिसका वह बार-बार जिक्र कर रहा था। यहां तक आवाजें साफ नहीं पहुंच रही थी इसलिए मैं ठीक से सारा वार्तालाप नहीं सुन सका था।”
“पता नहीं क्या बक रहा था। दारा, वह खामखाह मुझे जलील करने की कोशिश कर रहा था। वह मुझसे जलता है।”
“हूं! देखो, जो लड़कियां अपने बाप की उम्र के लोगों से रिश्ता रखती हैं, उन्हें मैं किसी हद तक बर्दाश्त कर सकता हूं लेकिन जिन्हें अपने दादा परदादा की उम्र के आदमी के आगे बिछने से भी गुरेज नहीं, उन्हें मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता। बद्कारी की भी कोई हद होती है।”
“तुम मुझे यह क्यों सुना रहे हो, दारा?”—पायल रुआंसे स्वर में बोली—“मेरा तुम्हारे सिवाय किसी से कोई वास्ता नहीं है, चाहो जिसकी मर्जी कसम खिलवा लो।”
“जानकर खुशी हुई।”—वह शुष्क स्वर में बोला और पलंग पर से उठ खड़ा हुआ—“मैं चलता हूं।”
“अभी रुको न।”—पायल आगे बढ़ कर उसके साथ लगती हुई बोली—“अभी तो आए हो!”
“नहीं! एक निहायत जरूरी काम को मेरी तवज्जो की फौरन जरूरत है।”
“काम तो होते ही रहते हैं!”
“अब मूड भी नहीं रहा।”—दारा उसे धीरे से परे धकेलता हुआ बोला।
पायल परे खड़ी आहत भाव से उसे देखती रही।
उस पर दोबारा निगाह डाले बिना वह फ्लैट से निकल गया।
वह नीचे सड़क पर पहुंचा।
अपनी लाल रंग की डीजल की शेवरलेट कार उसने इमारत से काफी परे खड़ी की थी। उस कार पर वह ऐसी जगह कभी नहीं जाता था, जहां वह चोरी छुपे जाना चाहता था। आज इत्तफाक से और कोई गाड़ी उपलब्ध नहीं थी इसलिए उसे वह गाड़ी इस्तेमाल करनी पड़ी थी और इसीलिए उसने उसे नौ नम्बर इमारत से परे खड़ा किया था।
डीजल की वह लाल शेवरलेट पुरानी दिल्ली में हर किसी को मालूम था—कौशल को भी मालूम था—कि दारा की थी, लेकिन कौशल की निगाह दारा की गाड़ी पर न आती बार पड़ी थी और न जाती बार।
|
|
09-29-2020, 12:10 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,717
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: SexBaba Kahan विश्वासघात
मंगलवार : शाम
शाम आठ बजे के करीब तीनों दोस्त पूर्वनिर्धारित स्थान पर दोबारा मिले।
वह पूर्वनिर्धारित स्थान जामा मस्जिद के ऐन सामने स्थित एक रेस्टोरेण्ट था। रेस्टोरेण्ट का मालिक वहां चोरी-छुपे बार भी चलाता था और ड्राई डे वाले दिन बड़े-बड़े सफेदपोशों को शराब बेचना उसका प्रमुख काम था।
वे तीनों दरवाजे से काफी परे हटकर एक तनहा कोने में लगी एक मेज के गिर्द बैठे थे।
तब तक पिछली रात हुई कामिनी देवी की मौत की खबर तीनों को लग चुकी थी और वे उस बुरी खबर से काफी फिक्रमन्द दिखाई दे रहा थे।
सबसे पहले उन्होंने खामोशी से उस रकम का बंटवारा किया जो कौशल सफदर हुसैन नामक सुनार के हाथ सोना और प्लैटीनम बेचकर लाया था।
हर किसी के हिस्से में चार-चार हजार रुपये आये।
तीनों चिन्तित भाव से चाय की चुस्कियां मार रहे थे और कोशिश कर रहे थे कि कामिनी देवी की मौत का जिक्र उनकी जुबान पर न आये, हालांकि उस बारे में कुछ कहकर दिल का बोझ हल्का करने के लिए वे मरे भी जा रहे थे।
“मौलाना को भी”—एकाएक राजन बोला—“खबर लगी होगी उस... हादसे की।”
“हां”—रंगीला गम्भीरता से बोला—“और वह बहुत खौफ खाये हुये है। अखबार में वह खबर छपने के बाद मेरी उससे बात हुई थी। मौजूदा हालात में वह नहीं चाहता कि हम उसके पास भी फटकें। उसने यह भी कहा है कि हम अपने माल की फिलहाल किसी को हवा भी न लगने दें। यानी कि अगर हममें से कोई माल को खुद बेच सकता हो तो भी वह ऐसा न करे।”
“जो काम वह तीन दिन में करने वाला था, उसे अब वह करेगा या नहीं?”
“मालूम नहीं। मैं उससे गुप्त रूप से मिलने की कोई सूरत निकालूंगा। तभी मालूम हो पायेगा कि आगे क्या मर्जी है उसकी।”
“यानी कि वह उस काम से हाथ खींच भी सकता है!”
“हां!”
“तुमने खामखाह उस औरत के मुंह में रूमाल ठूंसा। बेहोश तो वह थी ही। मगर तुम...”
“बको मत।”—रंगीला तनिक गुस्से से बोला—“अगर तुम इतने ही उस्ताद हो तो उसी वक्त क्यों नहीं बके थे कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिये था? अब वह इत्तफाक से टें बोल गई है तो तुम इस काम की सारी जिम्मेदारी मुझ पर थोपना चाहते हो?”
“मेरा यह मतलब नहीं था।”—राजन हड़बड़ाकर बोला।
“और क्या मतलब था तुम्हारा?”
राजन ने उत्तर नहीं दिया। उसने बेचैनी से पहलू बदला और परे देखने लगा। कत्ल में अपनी शिरकत उसे मन्जूर नहीं थी।
तभी रंगीला को ऐसा अहसास हुआ जैसे उनसे दो मेजें परे बैठा एक आदमी बड़ी गौर से कौशल का मुआयना कर रहा था। कौशल की उस आदमी की तरफ पीठ थी लेकिन फिर भी उस आदमी की सारी तवज्जो कौशल की तरफ लगी मालूम होती थी।
रंगीला ने गौर से कौशल की तरफ देखा। उसे हमेशा के मुकाबले में कौशल कुछ गुमसुम लगा।
“कौशल!”—रंगीला बोला—“उस औरत के अंजाम ने तुम्हें भी बहुत फिक्र लगा दी लगती है।”
“नहीं, नहीं।”—कौशल ने हड़बड़ाकर अपने चाय के कप से सिर उठाया—“ऐसी कोई बात नहीं।”
“फिर भी!”
“मैं तुम लोगों के साथ हूं। जो होगा, देखा जायेगा।”
“तुमने कोई ऐसी हरकत तो नहीं की जिसे विश्वास की हत्या का दर्जा दिया जा सकता हो?”
“न... नहीं।”—कौशल तनिक चौंककर बोला—“नहीं तो!”
“हूं।”
“ऐसा क्यों कहा तुमने?”
“जो मैं कहूं, उसे गौर से सुनना।”—रंगीला तनिक आगे को झुककर बेहद गम्भीर स्वर में बोला—“और घूमकर पीछे मत देखना। हमसे दो मेजें परे तुम्हारे पीछे एक आदमी बैठा है जो सिर्फ तुम पर निगाह जमाये हुये है। वह एक पतला-सा आदमी है जो भूरे रंग की कमीज पतलून पहने है। उसके गले में फूलदार लाल रूमाल बंधा हुआ है।”
“मैं ऐसे किसी आदमी को नहीं जानता।”—कौशल जल्दी से बोला।
“शायद जानते होवो। जब मैं कहूं तब घूमकर उसका चौखटा देखना।”—लगभग फौरन ही वह बोला—“देखो।”
कौशल और राजन दोनों ने फौरन गरदनें घुमायीं और उस आदमी पर निगाह डाली जो कि उस वक्त एक सिगरेट सुलगाने में व्यस्त था। सिगरेट सुलगा चुकने के बाद जब उसने सिर ऊपर उठाया तो दोनों ने फौरन उस पर से निगाह हटा ली।
“जानते हो?”—रंगीला से सवाल किया।
राजन ने फौरन इनकार में सिर हिला दिया लेकिन कौशल बोला—“मैं इसका नाम नहीं जानता लेकिन जामा मस्जिद के होटलों के गिर्द मैंने इसे अक्सर मंडराते देखा है।”
“काम क्या करता है?”
“मेरे खयाल से दल्ला है। होटलों में ठहरे यात्रियों के लिये लड़कियां मुहैया कराता है।”
“फिर यह जरूर दारा का आदमी होगा। इस इलाके में यह काम दारा की सरपरस्ती के बिना नहीं चल सकता। रहता कहां है?”
“पता नहीं।”
“लगता है उसे अहसास हो गया है कि हमें उसकी खबर लग गई है। पहले वह सिर्फ तुम्हारी तरफ देख रहा था लेकिन अब वह तुम्हारी तरफ देखने के अलावा हर तरफ देख रहा है।”
कौशल खामोश रहा। जब से रंगीला ने दारा का नाम लिया था, उसकी दिल की धड़कन तेज हो गई थी। पायल की कई बातें हथौड़े की तरह उसके जहन में बजने लगी थीं :
“मैं तुम्हारे टुकड़े-टुकड़े करवा सकती हूं।”
“मैं तुम्हारी लाश जमना में फिंकवा सकती हूं।”
“वह बूढ़ा नहीं है।”
उस लाल रूमाल वाले का कौशल के पीछे लगा होना साबित करता था कि वह जरूर दारा आदमी था जिसकी कि पायल रखैल बन चुकी थी।
और वह पायल को चोरी के माल का अंग हीरे की अंगूठी और सौ-सौ के नोटों का मोटा पुलन्दा दिखा आया था।
कैसा अक्ल का अन्धा साबित हुआ था वह!
आशिकी में कैसी भयंकर भूल कर बैठा था!
उसने अपने दोस्तों के विश्वास की हत्या की थी।
उसने अपने लिये ही नहीं, अपने दोस्तों के लिये भी मुसीबत का सामान किया था।
पायल ने जरूर दारा को उसके पास मौजूद हीरे की अंगूठी और नोटों के मोटे पुलन्दे के बारे में सब कुछ बता दिया था।
भगवान न करे उसकी मूर्खता की वजह से दारा चोरी के माल की सूंघ में लग गया हो।
लेकिन कौशल ने वे तमाम बातें मन में ही सोचीं। उसने अपने साथियों के विश्वास की हत्या की थी, लेकिन अपना गुनाह उनके सामने कबूल कर लेने का उसका कोई इरादा नहीं था। आखिर वे भी तो कोई दूध के धुले नहीं थे। क्या पता उन्होंने कौशल से ज्यादा बड़ी गलतियां की हों जो कि वे उसे बता न रहे हों।
और फिर रंगीला का खयाल गलत भी हो सकता था। जरूरी नहीं था कि वह आदमी उसी की निगरानी कर रहा हो। वह उसी इलाके का पंछी था। उसकी उस रेस्टोरन्ट में मौजूदगी इत्तफाकिया भी हो सकती थी।
“क्या सोच रहे हो?”—रंगीला बोला।
“कुछ नहीं।”—कौशल अपने स्वर को भरसक सन्तुलित करता बोला—“गुरु, इस आदमी के मेरे पीछे पड़ने की कोई वजह मेरे पल्ले तो पड़ नहीं रही!”
|
|
09-29-2020, 12:10 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,717
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: SexBaba Kahan विश्वासघात
रंगीला खामोश रहा। चिन्तित वह उस आदमी की वजह से नहीं था, चिन्तित वह इस वजह से था कि वह दारा का आदमी था। दारा से वह कभी मिला नहीं था लेकिन उसने दारा के चर्चे बहुत सुने हुये थे। चान्दनी चौक और आसिफ अली रोड के बीच का सारा इलाका दारा का माना जाता था। उस इलाके में नाजायज शराब का धन्धा, जुआ, वेश्यावृति, पॉकेटमारी, चरस और मछली के तेल की स्मगलिंग जैसा कोई धन्धा उसकी जानकारी और हिस्सेदारी के बिना नहीं चल सकता था। वहां जो कुछ भी होता था, दारा के नाम पर होता था, दारा की शह पर होता था। पुलिस आज तक उसके खिलाफ कोई केस नहीं बना सकी थी, क्योंकि पुलिस का धन्धा मुखबिरी से चलता था और दारा के इलाके में किसी की उसके खिलाफ मुखबिर बनने की हिम्मत नहीं होती थी, होती थी तो दारा उसके मुखबिर बन पाने से पहले ही उसका पत्ता साफ करवा देता था।
“गुरु”—कौशल कह कह रहा था—“मुझे तो यह तुम्हारा वहम ही लगता है कि यह आदमी मेरी निगरानी कर रहा है।”
“तुम्हारी माशूक का क्या हाल है?”—रंगीला ने उसकी राय को नजरअन्दाज करते सवाल किया।
“कौन-सी माशूक?”—कौशल हड़बड़ाया।
“सौ-पचास माशूक हैं तुम्हारी? मैं पायल की बात कर रहा हूं।”
“ओह! वह!”—कौशल जबरन हंसा—“वह अब मेरी माशूक नहीं रही।”
“क्यों, क्या हुआ?”
“अब वह किसी की रखैल बन गई है। बढ़िया फ्लैट में रहती है। कीमती पोशाकें पहनती है। ऐश करती है।”
“किसकी रखैल बन गई है?”
“पता नहीं।”
“दारा की ही रखैल तो नहीं बन गई? मैंने सुना है दारा औरतों का बहुत रसिया है।”
“कहा न, इस बारे में मुझे कुछ पता नहीं।”—वह उखड़े स्वर में बोला।
“पायल से हाल ही में मिले तुम?”
“न... नहीं। जब से उसने अपना मोरी गेट वाला कमरा छोड़ा है, तब से मेरी मुलाकात नहीं हुई उससे।”
उत्तर देने में उसने जो हिचकिचाहट दिखाई थी, वह न रंगीला से छुप सकी और न राजन से। दोनों की आंखों में सन्देह की छाया तैर गई।
“अब कहां रहती है?”—रंगीला ने पूछा—“कहां है उसका वह बढ़िया फ्लैट?”
“सुना है कर्जन रोड पर कहीं है।”—कौशल लापरवाही से बोला।
“सुना है?”
“हां। अरे, गुरु, तुम यह मुझसे वकीलों की तरह जिरह क्यों कर रहे हो? पायल का या दारा का हमारे वाले चक्कर से क्या रिश्ता?”
“रिश्ता गले में लाल रूमाल लपेटे तुम्हारे पीछे बैठा है।”—रंगीला शुष्क स्वर में बोला—“अगर रिश्ता नहीं है तो दारा का यह आदमी क्यों तुम्हारे पीछे लगा हुआ है?”
“यह तुम्हारा वहम है कि वह मेरे पीछे...”
“कौशल, तुमने जरूर अपने सौ-सौ के नोटों के पुलन्दे की कहीं नुमायश की है।”
“मैंने नहीं की। मैं क्या पागल हूं जो...”
“ताव मत खाओ।”
“और इस आदमी को भी तुम खामखाह मेरे सिर थोप रहे हो। मैं फिर कहता हूं कि तुम्हारा वहम है कि यह मेरे पीछे लगा हुआ है।”
“वहम है तो इसे अभी रफा किया जा सकता है।”
“कैसे?”
“अभी यह भी पता लग जायेगा कि यह तुम्हारे पीछे है या नहीं और यह भी पता लग जायेगा कि वह दारा का आदमी है या नहीं!”
“कैसे? कैसे?”
“तुम अपनी चाय खत्म करो, हमसे विदा लो और यहां से उठकर चल दो। अगर यह आदमी तुम्हारे पीछे लगा तो हम इसके पीछे लग लेंगे। फिर हम तीन जने क्या इस अकेले आदमी से यह नहीं कबुलवा सकते कि यह क्या बेचता है?”
“यह ठीक है।”—राजन फौरन बोला।
“मैं उठकर कहां जाऊं?”—कौशल तनिक विचलित स्वर में बोला।
“डर रहे हो?”
|
|
09-29-2020, 12:10 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,717
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: SexBaba Kahan विश्वासघात
रंगीला ने आगे बढ़ कर उससे वह चाकू छीन लिया जो कि उसने कौशल पर चलाने की कोशिश की थी। चाकू उसने सड़क और किले की दीवार के बीच बनी खाई में फेंक दिया।
“अभी आंखें निकाल दी होतीं तो मेरी हरामजादे ने।”—कौशल आतंकित स्वर में बोला। साथ ही उसने एक जोरदार घूंसा उसके पेट में रसीद किया। उसके मुंह से यूं आवाज निकली जैसे एकाएक गैस के गुब्बारे का मुंह खुल गया हो। उसके बाद उसने हाथ-पांव पटकने की कोशिश नहीं की। उसने अपना शरीर राजन और रंगीला की गिरफ्त में ढीला छोड़ दिया। उसे अहसास हो चुका था कि वह तीन जनों से नहीं लड़ सकता था।
“कौन हो तुम?”—रंगीला ने पूछा।
उत्तर न मिला।
रंगीला ने एक करारा घूंसा उसकी पसलियों में जमाया और कहरभरे स्वर में बोला—“अपना नाम बोल, हरामजादे।”
“जुम्मन।”—वह कठिन स्वर में बोला।
“कहां रहते हो?”
“अन्धा मुगल।”
“काम क्या करते हो?”
“कुछ नहीं। बेकार हूं।”
“हमारे साथी के पीछे क्यों लगे हुए थे?”
“मैं किसी के पीछे नहीं लगा हुआ था।”
“अन्धेरे में इधर कहां जा रहे थे?”
“लाल किले।”
“क्या करने?”
“अपने एक यार से मिलने।”
“यार का नाम बोलो।”
“जवाहरलाल नेहरू।”
रंगीला ने एक इतनी जोर का झांपड़ उसके चेहरे पर रसीद किया कि उसका निचला होंठ कट गया और उसमें से खून रिसने लगा।
“हरामजादे!”—रंगीला दांत पीस कर बोला—“मसखरी करता है।”
“तुम पछताओगे।”—जुम्मन सांप की तरह फुंफकारा।
“अच्छा!”—रंगीला व्यंगपूर्ण स्वर में बोला।
“तुम जानते नहीं हो मैं किसका आदमी हूं।”
“अब जान लेते हैं।”
“मैं दारा का आदमी हूं।”—वह बड़े रौब से बोला—“तुम लोग अपनी खैरियत चाहते हो तो मुझे छोड़ दो।”
“नहीं छोड़ेंगे तो तुम्हारी हिफाजत के लिए क्या करेगा तुम्हारा बाप? मिलिट्री भेज देगा?”
वह खामोश रहा।
“स्साले! यह दारा का इलाका नहीं है। यहां दारा की धौंस नहीं चलती। यह हमारा इलाका है। यहां हमारी धौंस चलती है। बता देना अपने बाप को।”
“मैं जरूर बताऊंगा।”
“जरूर बताना। अब बोलो। उसने तुम्हें हमारे साथी के पीछे क्यों लगाया था?”
“मैंने कब कहा कि मुझे उसने किसी के पीछे लगाया था?”
“उसने न सही, तुम खुद ही हमारे साथी के पीछे क्यों लगे हुए थे?”
“मैं किसी के पीछे नहीं लगा हुआ था।”
रंगीला ने उसकी छाती पर एक घूंसा जमाया और फिर अपना सवाल दोहराया।
उसने उत्तर नहीं दिया।
“हमने खुद तुझे अपने साथी के पीछे लगे देखा था, उल्लू के पट्ठे।”—रंगीला गरजा—“साफ-साफ बोल, क्या बात है वर्ना ऐसी मार मारेंगे कि नानी याद आ जाएगी।”
लेकिन जुम्मन साफ-साफ तो क्या, कैसा भी न बोला।
फिर रंगीला के संकेत पर तीनों ने मिलकर जुम्मन की इतनी धुनाई की कि वह बेहोश हो गया।
उसकी यूं धुनाई करके रंगीला दारा के लिए यह स्थापित करना चाहता था कि उसके इलाके से बाहर कोई दूसरा शक्तिशाली गैंग भी सक्रिय था। इस प्रकार जिस माल पानी की नुमायश कौशल करता रहा था, उसे गैंग का सदस्य होने के नाते उसकी उजरत माना जा सकता था, यानी कि दारा को यह सोचने पर मजबूर किया जा सकता था कि कौशल के पास जो रकम थी, वह जरूरी नहीं था कि आसिफ अली रोड वाली चोरी का हिस्सा होती।
ऐसा रंगीला ने इसलिए सोचा था कि क्योंकि उसे हीरे की उस अंगूठी की खबर नहीं थी जो कौशल ने लूट के माल में से चुपचाप मार ली हुई थी। उसे वह बात मालूम होती और यह मालूम होता कि कौशल ने पायल के सामने वह अंगूठी भी पेश की थी तो जुम्मन की धुनाई करना उसे कतई बेमानी लगता।
“इसकी जेबें टटोलें?”—राजन बोला।
“छोड़ो, कोई फायदा नहीं होगा।”—रंगीला बोला—“यह हम जानते ही हैं कि यह दारा का आदमी है। और दारा कौशल की फिराक में कैसे पड़ गया, यह हमें इसकी जेबें टटोलने से मालूम नहीं होने वाला। अब चलो यहां से।”
तीनों वापिस लौट चले।
कौशल का दिमाग तेजी से ऐसी कोई तरकीब सोच रहा था जिससे सन्देह का रुख उसकी तरफ से फिर सकता।
“गुरु।”—एकाएक वह बोला—“शायद सफदर हुसैन सुनार ने कोई घपला किया हो! सुबह जब मैं उसके पास सोना और प्लैटीनम बेचने गया था, तब शायद उसने मुझे पहचान लिया हो और उसने दारा को खबर कर दी हो! आखिर दरीबा भी तो दारा का ही इलाका है।”
“न।”—रंगीला इन्कार में सिर हिलाता बोला—“सफदर हुसैन ऐसा नहीं कर सकता। अगर वह मुकम्मल तौर पर भरोसे का आदमी न होता तो सलमान अली हमें कभी उसके पास न भेजता।”
“ओह!”
“कौशल, तुम सच कह रहे हो कि आज तुम पायल से नहीं मिले?”
“जिसकी मर्जी कसम उठावा लो, गुरु, मैं नहीं मिला। मैं क्या इतनी सी बात के लिए तुमसे झूठ बोलूंगा?”
|
|
|