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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
जिया, आश्चर्य से..... "तुम मज़ाक तो नही कर रही ना.... पूरी शिप्पिंग कंपनी मुझे दे दी तो फिर तुम्हारे पास बचा क्या"....
नताली..... भले ही मेरे 50% की हिस्सेदारी तुम्हारे पापा के एस.एस ग्रूप के हिस्सेदारी से 2 गुना बड़ी हो... पर पूरे एस.एस ग्रूप के सामने तो वो मात्र एक चौथाई से कम का भी हिस्सा होगा....
जिया..... मुझे मंजूर है बताओ मुझे क्या करना होगा.....
नताली..... कुछ नही तुम कल तक रजत को सीसे मे उतार लो.... फिर आगे बताती हूँ क्या होगा....
जिया..... पर इतनी जल्दी वो सीसे मे कैसे उतरेगा....
नताली.... कारण मैं तुम्हे दूँगी... और एक जवान लड़की का खूबसूरत बदन तुम्हारे पास है....
जिया.... डील डन ..... तो ठीक है.. मैं रजत को सीसे मे उतारती हूँ और तुम पेपर्स रेडी करवाओ....
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11-17-2020, 12:32 PM,
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
अगले दिन ... 12:30 बजे.....
जिया सुबह ही रजत से मीटिंग फिक्स कर चुकी थी. नताली का दिया आइडिया बिल्कुल सटीक निशाने पर बैठा था.... जैसे ही जिया ने मनु को बर्बाद करने का नाम लिया, रजत दौड़ा-दौड़ा चला आया....
रजत आते ही.... "जिया तुम उस कमिने नाजायज़ को बर्बाद करने मे मेरी क्या मददकर सकती हो".....
जिया..... चलो मैं तुम्हे पहले कहीं घुमा कर लाती हूँ....
रजत..... यू फुल... डॉन'ट टॉक लाइक नोन-सेन्स... यदि कोई बात हो तो बताओ. वरना मेरे वीक पॉइंट का तुम क्या फ़ायदा उठाना चाहती हो....
जिया...... हा हा हा.... एक बार चल कर मेरे साथ देख लो... फिर तुम ही डिसाइड कर लेना....
जिया, रजत को अपने साथ ले कर गुड़गाँवा के रास्ते पर चल दी... दोनो एक झुग्गियों वाली बस्ती मे पहुँचे. काफ़ी अंदर तक जाते, एक मकान मे पहुँची.... काफ़ी भीड़-भाड़ वाला इलाक़ा था और उस जगह पर गंदगी भी काफ़ी थी....
"ये कैसी गंदी जगह पर मुझे ले कर आई हो"......
"बस 2 मिनट रजत सब समझ मे आ जाएगा"...
जिया, रजत के साथ उस मकान के अंदर गयी.... और कोने के एक कमरे की खिड़की से अंदर झाँकने के लिए बोली.... जैसे ही रजत की नज़र अंदर गयी वो पसीने-पसीने हो गया..... जिया, रजत को वहाँ से फिर एक होटेल मे ले आई.... रजत अब भी अपने सोच मे डूबा था... तभी जिया उस से पूछने लगी....
"अब क्या कहते हो रजत सर... क्या अब भी मैं आप के वीक पॉइंट का फ़ायदा उठा रही हूँ, या सच मे मेरे पास मनु को बर्बाद करने का प्लान है"....
"यकीन हो गया मुझे तुम पर जिया.... तुम जो कहोगी, जैसा कहोगी, वैसा ही करूँगा.... बस तुम ये राज तो खोल दो"....
जिया...... हम दोनो एक ही कस्ती मे सवार हैं रजत, और देखो भगवान ने हमारी राह भी एक कर दी. पहले तुम्हारे और मेरे पापा गहरे दोस्त थे, अब हमारे बीच गहरा ताल्लुक़ात होगा. लेकिन क्या तुम भी अपने पापा की तरह पलट जाओगे.
रजत..... सुनो जिया, पहले तो लगता था कि केवल मेरी बहन ही पागल है, पर अब तो मेरा बाप और मेरी माँ भी उन नाजयजों के लिए पागल हो गये हैं. मेरा तो जी करता है सब को गोली मरवा कर जैल चला जाउ.
जिया..... जैल जाने का इतना ही शौक है तो बोलो उन दोनो को छोड़ दूं... फिर तो तुम्हारे सौतेले भाई का खास दोस्त एसपी अखिल पहले उन दोनो दीप्ति और सम को अरेस्ट करेगा और बाद मे तुम्हे.
रजत..... क्या ????? इसका मतलब सब को सच पता चल गया है....
जिया..... हां सब को पता है कि तुम ने मनु और काया को मरवाने के लिए इन्हे पैसे दिए. ये बात तो तुम्हारी बहन तक को पता है, इसलिए तो वो मुंबई चली गयी और जाते-जाते मनु से कह गयी मैं अपने घर मे इस कमिने को नही देखना चाहती....
रजत..... ओह्ह्ह्ह ! तो बात ये है.... थॅंक्स जिया जो तुम ने इन दोनो को पकड़ रखा है. तुम्हारा एहसान रहा. वैसे इन्हे मरवा देती तो बोझ उतर जाता.
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
जिया.... तुम्हारे पास पैसा है जो मर्डर कारवाओगे. पैसा तो अभी मनु और मानस के पास है... और दोनो भाई अभी जो चाहे वो करवा सकते हैं. मौत तो सब की आनी है, पर हर चीज़ का अपना एक वक़्त होता है....
रजत..... समझ गया जिया. तुम्हारा ये एहसान रहा, और मेरा वादा है तुम्हे जो भी मुझ से मदद चाहिए वो मैं करने के लिए तैयार हूँ.... मेरा बाप तो दोगला है पर मैं वैसा बिल्कुल नही.....
जिया गहरी सांस खींचती, ज़ोर की अंगड़ाई ली...... "हां तो वफ़ादारी अपनी प्रूफ करो, मेरी सेवा शुरू करो"....
रजत, जिया को घूरते..... "कैसी सेवा"
जिया एक और अंगड़ाई लेती..... "उम्म्म्म मेरे बदन मे दर्द है, इस का दर्द मिटा दो"
रजत.... ओह्ह हो तो ऐसे आ रही हो. वैसे बदन मे कहाँ-कहाँ दर्द है....
जिया अपने बदन पर हाथ फेरती... "यहाँ, वहाँ हर जगह बस दर्द हे दर्द है.... ऐसा सर्विस दो कि अंदर तक का दर्द चला जाए और मीठा सा मज़ा देने लगे"....
रजत..... मतलब अब मैं एक गुलाम सा हो गया क्या.... जिसे अभी तुम्हारे बदन की पूरी सर्विस देनी पड़ेगी....
जिया बिस्तर पर लेट कर अपने टाँग पर टाँग चढ़ाती, अपने तलवों को हिलाती बोलने लगी...... "हां कुछ ऐसा ही, इस वक़्त के लिए"
रजत भी बिस्तर की ओर बढ़ा.... जिया के तलवों को दबाते कहने लगा...... "लगता है ढंग से खिदमत करनी पड़ेगी"
लेटे हुए पाँव के उपर पाँव था.... रजत उसे खोल कर फैला दिया.... खुद उपर कमर तक आया और जिया के जीन्स की बटन को खोल कर धीरे-धीरे जीप नीचे करने लगा......
जिया..... उम्म्म्म ! मिस्टर गुलाम ये स्लो मोशन पसंद नही, आइ नीड समथिंग वाइल्ड....
रजत, जिया की आखों मे देखा और बरी तेज़ी से उसके जीन्स को जिया के पाँव से निकाल दिया..... जिया हवा मे पाँव करती अपने पाँव को फैला ली..... "खो जाओ इन गहराइयों मे मेरे गुलाम"....
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
"आआहह" ... कितना मज़ेदार था लिंग को योनि के अंदर महसूस करना.... दोनो सेक्स का भरपूर मज़ा उठाने लगे.
धक्कों पे धक्कों की स्पीड बढ़'ती चली गयी..... सेक्स अपने पूरा चर्म पर था और फिर दोनो अपना चरम पहुँच कर निढाल हो गये.....
कुछ देर रजत वहीं निढाल पड़ा रहा, फिर उठ कर वो होटेल से चला गया.... रजत के जाते ही जिया ने नताली को कॉल लगाई और अपनी जीत की पूरी कहानी सुना दी.... अब बारी थी नताली की... उसने अपने पत्ते खोलते हुए जिया को क्या करना है वो पूरी तरह से समझा दी.
उसी साम जिया फिर से रजत से मिली, और उसे अपने दादू से एक डील साइन करवाने को कही. डील ये थी कि एस.एस ग्रूप के केमिकल प्रोडक्षन का रॉ मेटीरियल वो नताली के कंपनी से पर्चेज करे....
रजत के लिए ये बहुत बड़ा टास्क नही था... उसने सारे पेपर्स अपने दादू को दिखाए और जैसा जिया ने उसे समझाया था अपने कॅरियर प्लान बताने.... ठीक वैसे ही रजत ने अपने दादू को अपना पूरा करियर प्लान बता दिया.... शम्शेर सिंग बिना किसी सवाल के वो पेपर साइन कर दिया.....
वक़्त जीत का था.... नताली के जीत का. नताली को जो चाहिए था वो बड़ी आसानी से मिल गया था.... अब तो वो बस इंतज़ार कर रही थी कि कब पूरा एस.एस ग्रूप मनु के नाम हो जाए....
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
तकरीबन 10 दिन बाद....
काया के जन्म दिवस के ठीक 3 दिन पहले, रात के तकरीबन 8 बज रहे होंगे, जब एक न्यूज़ ने सब को बहुत बुरा झटका दिया. गूड्स से भरा एक कंटेनर शिप हिंद महासागर मे डूब गया. तकरीबन 20000 करोड़ का माल उस शिप पर लदा हुआ था....
खबर के बाहर आते ही जैसे सब को एक बड़ा सा सदमा लगा हो, और मानस की तो जैसे मानसिक हालत ही खराब हो चुकी थी......
हर कोई बस यही जान'ने की कोसिस कर रहा था कि कैसे हुआ...... गूड्स से भरा एक शिप जो हिंद महासागर मे डूब गया था. शिप के सारे क्र्यू मेंबर समय रहते बच कर तो निकल आए पर शिप हिंद महासागर मे समा गयी.....
शिप मे न्यूक्लियर रिक्टर्स, बाय्लर्स, मशीनरी और मेकॅनिकल अप्लाइयेन्सस थे जिसकी कुल कीमत थी 40000 करोड़ थी. मीडीया मे ये खबर सुर्ख़ियों मे थी, और लगातार यही सवाल उठ रहा था की गूव्ट. कैसे इस नुकसान की भरपाई करेगी.
परिवहन मंत्रालय मे तत्कालिक ही एक मीटिंग बिताई गयी, जिसमे शिप के डूबने की जाँच करवाने के लिए एक टीम का गठन किया गया.....
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
2 दिन बाद.......
चीफ जस्टीस के देख-रेख मे एक छोटी सी क्लोज़ डोर मीटिंग बुलाई गयी जिसमे कंपनी के ओनर्स यानी की मानस, राजीव और रौनक को परिवहन मंत्रालय बुलाया गया.... जाँच की रिपोर्ट देते चीफ जस्टीस कहने लगे......
"तेज लहरों के कारण काफ़ी प्रेशर बन गया, और उस प्रेशर को मेनटेन नही किया जा सका, नतीजा प्रेशर वेज़ल फट गया, जिस कारण से ये आक्सिडेंट हुआ..... ये है हमारे जाँच की रिपोर्ट. साथ मे शिप के क्र्यू मेंबर्ज़ और कॅप्टन का स्टेट्मेंट".
"जाँच के बाद हम इस नतीजे पर पहुँचे हैं कि, शिप की नियमित जाँच ना होने और अनदेखे पन के कारण ये दुर्घटना हुई. इसलिए आप की कंपनी को इस नुकसान की पूरी भरपाई करनी होगी. यदि एक हफ्ते मे आप ने पूरी भरपाई नही की तो आप पर लीगल आक्षन लिया जाएगा"....
मानस...... ऑनरबल चीफ जस्टीस और यहाँ बैठे तमाम अधिकारी से मैं एक बात कहना चाहूँगा.... सर, आक्सिडेंट किसी के भी साथ हो सकता है. यदि ये शिप गूव्ट. का होता तो गूव्ट. पूरा नुकसान सहती या नही. सर ना कोई सुनवाई हुई, ना ही मुझे कुछ कहने का मौका दिया और आप सब ने सीधा फ़ैसला सुना दिया.
चीफ जस्टीस..... आप को पूरा अधिकार है अपनी बात रखने का. इस क्लोज़ डोर मीटिंग मे हमने फ़ैसला सुना दिया है.... आप चाहे तो मामला अगली अदालत मे सुनवाई के लिए ले जा सकते हैं, पर फॅक्ट्स यही है कि हर सुनवाई के बाद यही फ़ैसला होगा.
मानस..... सर मुझे इस केस को आगे नही बढ़ाना है.... बस मेरी आप सब से इतनी गुज़ारिश है कि नुसकसन का 50% गूव्ट और 50% मैं झेलूँ. मैं बस इतना ही चाहता हूँ.
चीफ जस्टीस...... हम किसी लॉजिक के आधार पर फ़ैसला नही करते. उस दिन ना तो डिज़ास्टर मॅनेज्मेंट डिपार्टमेंट ने ये कहा कि महासागर मे हाइ वेव टाइड था और ना ही उस रूट से आने वाले किसी दूसरी शिप को कोई नुकसान हुआ. ये पूरा आप के और आप के एम्पॉलय की ग़लती के कारण हुआ है. हम अपना फ़ैसला सुना चुके है, बाकी आप के पास मामले को कोर्ट तक ले जाने का पूरा अधिकार है.
मानस..... नही मैं इस मामले को और आगे नही ले जाना चाहता.... मुझे पॅनाल्टी भी मंजूर है, पर मोड ऑफ पेमेंट मे मुझे कुछ छूट चाहिए.... मैं पूरा नुसकान 2 पार्ट मे पे करना चाहता हूँ.... और दो इनस्टॉलमेंट का समय मुझे 1 साल का दिया जाना चाहिए....
वहाँ बैठे सारे लोग आपस मे डिसकस करने के बाद मानस की इस रिक्वेस्ट पर सहमत होते अग्रीमेंट साइन करवा लिए......
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
साम के 5 बजे......
मानस के ऑफीस मे मीटिंग चल रही थी, और वहीं से तनु ने मनु को जल्दी से मानस के ऑफीस आने को बोली.... मनु भी पहुँचा ऑफीस..... सारे पार्ट्नर्स साथ मे मानस, सब बैठे हुए थे..
तनु.... मनु देखो ये क्या कह रहा है....
मनु.... कौन क्या कह रहा है तनु...
तनु..... 50% शिप्पिंग मे हमारा पार्ट्नरशिप है तो नुकसान का 50% हमे देना होगा....
मनु.... इसमे मैं क्या कर सकता हूँ, अब जो पेपर्स कह रहे होंगे वो तो करना ही होगा ना...
तनु....... 10000 करोड़ हम कहाँ से देंगे....
मनु..... सिंपल है, सारे शेयर, सारे बॉन्ड और अपनी कंपनी बेच कर.... ओह्ह्ह पर एक परेशानी और है जो आप ने तो देखी ही नही.....
तनु...... और वो क्या है....
मनु.... और वो ये है कि कल जब मार्केट मे आप मेरे बाप के शिप्पिंग यूनिट के शेयर बेचने जाओगे तो उसे कोई कौड़ियों के भाव नही खरीदने वाला..... क्योंकि अभी-अभी मैं सारी लीगल फॉरमॅलिटीस पूरी कर के आ रहा हूँ......
राजीव, रौनक और तनु का मुँह खुला का खुला ही रह गया..... "किस तरह का लीगल फॉरमॅलिटीस"
मनु..... "कितने भोले हो सब के सब.... अर्रे बाबा शिप्पिंग कंपनी की जो डील साइन हुई थी वो ये थी कि मेरे बाप ने ओन रिस्क पर अपना शिप मानस को दिया था.... इसका मतलब ये होता है कि अगर कोई नुकसान हुआ तो शिप्पिंग कंपनी का वो मालिकाना हक़ खो देंगे और उसके नुकसान की पूरी भरपाई कंपनी करेगी"....
"और तुम्हे जान कर खुशी होगी कि दिन मे मानस भाई ने कंपनी पर 50% नुकसान भरने का क्लेम किया, और रीज़न था.... शिप का देख रेख सही ढंग से नही हुआ जिस कारण आक्सिडेंट हुआ और उसका 40000 करोड़ का नुकसान हुआ....
"अब मैं चाहता तो ये कह कर निकल जाता कि, नही हमने शिप आप को दिया था और उसका पूरा मेंटेनेन्स आप को करना था.... पर क्या करूँ भाई है ना, मैने इसके भेजे अग्रीमेंट क्लेम को लीगल करार दे दिया.... दादू के पास और कोई ऑप्षन नही था और उन्होने सिग्नेचर कर दिया"....
"ऊप्स.... तुम सब तो अब सड़क पर आ गये..... चियर्स ... एंजाय करो तुम लोग अपनी भिकारियों की ज़िंदगी"......
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
रौनक, मनु का कॉलर पकड़ते..... "कमीने ये सब तुम्हारा किया कराया है.... तुम ने ही उस शिप को डूबा दिया...... ये तुम दोनो भाई का ही प्लान है. मैं तुम दोनो को कोर्ट तक ले जाउन्गा... तुम्हे जैल करवाउन्गा. तुम्हारे गंदे इरादे कभी कामयाब नही होंगे"....
मानस..... अर्रे सर लालच तो आप सब का ही सिखाया है. जैसा आप ने कहा वैसा ही हो मेरी ये दुआ रहेगी, पर उसके लिए आप के पास प्रूफ और पैसा होना चाहिए. बिन पैसे तन-तन गोपाला रे भाई. वैसे मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि, बड़े प्यार से आप सब अपनी पूरी संपत्ति यहाँ दे कर जाने वाले हैं....
राजीव..... सड़क का कोई आदमी हूँ जो तुम्हारे जाल से निकल ना पाऊँ, जिस प्रॉपर्टी के लिए तुम दोनो ने पूरा सड़ायंत्र रचा वो प्रॉपर्टी मैं तुम्हारे नाम कभी नही होने दूँगा..... तुम्हे जो करना था वो कर चुके, नाउ इट'स और टर्न....
मानस...... दम है बॉस, आप के डाइलॉग और पंच कमाल के हैं... वैसे प्रॉपर्टी बचाने से याद आया..... मनु ने आप के घर 6 दिन पहले एक लव लेटर भिजवाया था शायद आप उस लेटर के बारे मे नही सोच रहे......
रौनक और राजीव सोचने लगे मानस की बात पर.... उन्हे ध्यान आया, उस लेटर का जिसमे सॉफ लिखा गया था..... "कंपनी अपनी सेक़ुरिटी के लिए सभी लोन लिए पार्ट्नर्स के अकाउंट का स्टेट्मेंट चाहती है... ताकि सेक़ुरिटी रहे कंपनी का पैसा डूबा नही"....
जैसे ही उन्हे ये ध्यान आया, सब के सब सिर पकड़ कर बैठ गये..... चिल्लाने और कौतूहल का महॉल हो गया..... सभी लोग पागल से हो गये..... ऐसा लग रहा था जैसे अभी हे दोनो भाई का कतल कर देंगे....
मनु..... "चिल्ला लो... चिल्ला लो... पर चिल्लाने से कुछ नही होगा. अब देखा जाए तो तुम्हारे पास कोई ऑप्षन नही.... मेरा कहा मानो और अपनी पार्ट्नरशिप परीसेंटेज और पूरी प्रॉपर्टी , एस.एस ग्रूप के नाम कर दो. वरना कल स्टेट्मेंट ना मिला तो लीगल आक्षन के तहत कंपनी तुम से पैसे वसूलेगी... और इधर का 10000 करोड़ वो अलग से देना होगा"....
"इसलिए मेरे शुभ-चिंतकों, और एस.एस ग्रूप के मालिक बन'ने का ख्वाब देखने वालों मित्रों... कलेजे पर पत्थर रखो और अपनी संपत्ति एस.एस ग्रूप को दे कर मुझ से क्लीन चिट ले लो... ये आखरी बार कह रहा हूँ, वरना तुम्हारी कंपनी तो मेरे नाम हो ही जाएगी पर 10000 करोड़ का नुकसान नही भर पाओगे".
सदमा सा था उन सब के लिए. हर चीज़ इतने प्लान से किया गया था, कि कोई चारा नही छोड़ा था मनु ने उन दोनो के लिए.... 10000 करोड़ पहले से डेट हो गये थे, उपर से उनके हिस्से के शेर की कोई वॅल्यू नही बची जिसे शो कर के कंपनी को ये बता सके कि दिया हुआ लोन सुरक्षित है और वो सारे पैसे वापस कर सकते हैं.....
कोसते हुए सब ने वही किया जैसा मनु ने चाहा....... "तुम दोनो भाई याद रखना, जिस मूलचंदानी नाम के नीचे तुम ने मुझे धोका दिया है वो फॅमिली कभी तुम्हारी नही हो सकती.... उपर वाला सब देख रहा है... वो ज़रूर इंसाफ़ करेगा"
मनु........
"हा हा हा हा..... इसे तुम उपर वाले का इंसाफ़ ही समझ सकते हो.... हरा इंसान हर वक़्त भगवान को ही इंसाफ़ करने कहता है. लेकिन आज का भगवान मैं ही हूँ और मैने इंसाफ़ कर दिया. दुखी मत हो, मैं इतना निर्दयी भगवान भी नही. सुना है अपना नुकसान हो तो बुरा लगता है पर दूसरे का नुकसान देखने मे बड़ा मज़ा आता है.... इसलिए कल काया के बर्थदे मे आ जाना... जैसे आज तुम्हारे उपर से छत और नीचे से ज़मीन गयी, वैसे ही कल उनकी बारी होगी"....
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RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
जिन्हे जीत की सौगात मिलनी थी, वो हार रहे थे.... और जिन्हे हराना था वो जीत रहे थे. बाकियों पर बिजली गिरनी शुरू हो चुकी थी... अब बारी घर की थी.
हर्षवर्धन और अमृता शिप डूबने की सारी चिंता, मनु और मानस के ज़िम्मे छोड़, काया के बर्तडे की तैयारियों मे लगे हुए थे....
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शाम के वक़्त....
मूलचंदानी हाउस मे सभी गेस्ट जमा हो गये थे. लूटे पिटे उनके पार्ट्नर्स भी पहुँच चुके थे, लेकिन सभी अपने लूटने-पिटने की खबर पर चुप्पी साधे हुए थे....
केक काटने के बाद ही, हर्षवर्धन ने एक ज़रूरी घोषणा उसी वक़्त कर दी, काया और अखिल की शादी की बात. काया का बर्तडे भी एक लंबा इंतज़ार था एस.एस ग्रूप के लिए, क्योंकि इसी दिन सम्शेर मूलचंदनी अपने बिज़्नेस असोसीयेट्स को ले कर एक ज़रूरी घोषणा करने वाले थे.
हर्षवर्धन के अनाउन्समेंट के बाद, शम्शेर ने भी स्टेज के माइक को संभाला.....
"आप सब को बड़ी ही बे-सबरी से आज के दिन का इंतज़ार था. मैं बहुत खुश हूँ, एस.एस ग्रूप की तरक्की और उसकी बागडोर मनु के हाथ मे देख कर. हां बीते दिन मे कुछ अप्रिय घटना हुई थी, हमारा एक कंटेनर शिप डूब गया था... पर इन सब से कोई घबराने की बात नही है, क्योंकि ऩफा या नुकसान तो बिज़्नेस मे लगा रहता है, बस ज़रूरत है कि बुरे वक़्त मे सम्भल कर उस बुरे वक़्त को अच्छा कैसे किया जाए".....
"मैं अपने पोते और एस.एस ग्रूप के मॅनेजिंग डाइरेक्टर को यहाँ बुलाना चाहूँगा, जो कंपनी की नये पॉलिसी को ले कर चर्चा करेंगे".
मनु स्टेज पर आ कर.....
"आप सब को मेरा नमस्कार... आज की ज़रूरी घोषणाओं मे सब से पहले ज़रूरी घोषणा ये है कि मेरे दादू की अब उमर हो चुकी है इसलिए अब उन्हे उनकी सारी ज़िम्मेदारियों से मुक्त किया जाता है"....
"कंपनी के बाकी पार्ट्नर्स ने अपनी कंपनी मनु मूलचंदानी यानी कि मेरे नाम कर दिया है, इसलिए अब उनके लिए किसी पॉलिसी की ज़रूरत है ही नही"
"मेरे पापा की बिज़्नेस यूनिट भी अब मेरे नाम हो गयी है, क्योंकि उनकी वजह से कंपनी ने मानस की शिप्पिंग कंपनी को बहुत बड़ा जुर्माना पे किया है.... और पॉलिसी के मताबिक, ओन रिस्क और बेनिफिट क्लॉज़ मे यदि कंपनी का कोई यूनिट बाहर किसी को सपोर्ट करता है, और उसकी वजह से नुकसान होता है तो वो आदमी डिसीजन के लायक नही".
"नुकसान का अमाउंट कन्सर्निंग कंपनी को देने के बाद, उस पार्ट्नर की कंपनी को मर्ज किया जाएगा .... और उस कंपनी की वॅल्यू लगा कर ... नुकसान के बाद का रेस्ट अमाउंट पार्ट्नर्स को पे कर दिया जाएगा... यदि नुकसान का अमाउंट कंपनी की वॅल्यू से ज़्यादा है तो रेस्ट अमाउंट उस से वसूल किया जाएगा, यही लॉ है".
"यहाँ तो पापा की शिप्पिंग कंपनी की वॅल्यू से 1000 करोड़ ज़्यादा का नुकसान हुआ है. खैर मेरे पापा हैं इसलिए वसूली मे केवल इनकी प्रॉपर्टी जाएगी... पापा पेपर रेडी है साइन कर देना... और बाकी का माफ़ किया जाता है."
मनु की घोषणा सुन कर तो सम्शेर और हर्षवर्धन के पाँव तले से ज़मीन ही खिसक गयी.
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