12-16-2020, 01:24 PM,
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RE: Hindi Sex Stories याराना
ऐसा नहीं कि राजवीर मुझे खुश नहीं कर पाते हैं, किंतु इस लंबी चुदाई के अनुभव को पाने की लालसा से मेरा मन इस अन्तर्वासना में ही डूबा रहने लगा। तभी एक दिन मेरे मन में ख्याल आया कि काश मैं तुम्हारा लंड अपनी चूत में लेकर करीब आधे घंटे से ज्यादा उस पर कूद सकूं। अनंत बाबा ने और राजवीर ने तो मेरी मनोकामनाएं पूर्ण कर दी। आओ श्लोक भाई, मुझे उसी तरह चोदो जिस तरह तुम मेरी भाभी सीमा को चोदते हो। हमारी चुदाई इतनी जबरदस्त होनी चाहिए कि मेरी आवाज राजवीर और सीमा के कानों में पड़े। मैं आज तुम्हारे लिंग पर बैठकर नाचना चाहती हूं। उचकना चाहती हूं, कूदना चाहती हूं। आओ मेरी चूत का भोसड़ा बना दो और मेरी गांड को गोदाम।
हम दोनों भाई बहन की इतनी उत्तेजना भरी बातों से हमें किसी फोरप्ले की आवश्यकता नहीं थी। हम दोनों एक दूसरे से लिपट गए और फिर धीरे-धीरे एक दूसरे के वस्त्रों को हरण कर एक दूसरे को नंगा किया। मैं तृप्ति दीदी के सीने को देख पाता, उससे पहले ही उन्होंने झुक कर मेरे लिंग को अपने मुंह में ले लिया और पागलों की तरह उसे जड़ तक चूसने लगी। मैं सीधा बैठे केवल उनकी गोरी पीठ को देख सकता था तथा उनकी गांड के बीच की वह लाइन जो मुझे शुरुआती की ही दिख रही थी।
थोड़ी देर बाद मैंने दीदी को डॉगी पोजीशन में खड़ा कर उनकी मोटी गोरी गांड को अपने हाथों से चौड़ा कर अपने मुंह को उनके गांड के छेद में घुसा दिया और जीभ से उनके गांड का चोदन करने लगा। दीदी के इतने आकर्षक भरे हुए शरीर को देखकर समझ नहीं आ रहा था कि मैं उनके स्तनों का मजा लूं या उनकी मोटी गांड का। उनकी गोरी जांघ पर अपनी जीभ फिर आऊं उनके प्यारे चेहरे पर चुंबनों की बरसात कर दूं।
तृप्ति दीदी एक बार सीधी हुई तथा फिर से मेरे लिंग को चूसने लगी और मुझे आश्चर्यचकित करते हुए उन्होंने अपने दोनों स्तनों को साइड में से दबाकर बीच में एक जगह बना कर मेरे लिंग को उनके दोनों स्तनों के बीच में प्रविष्ट करा दिया। वाह क्या एहसास था... दीदी के गोरे भरे पूरे गद्देदार स्तनों के बीच मेरा लिंग गति कर रहा था, मैं उत्तेजना के चरम पर था, तृप्ति दीदी के पास करने के लिए इतना था कि वह मुझे उनके स्तनों को चूसने का समय भी नहीं दे रही थी जो कि मैं कब से चाह रहा था।
अतः मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उन्हें बेड पर जोरदार धक्का दिया तथा उनके ऊपर जानवरों की तरह टूट गया, उनके स्तनों को अपने दोनों हाथों के बीच में दबाकर जानवरों की तरह मसलने लगा और एक-एक करके मुंह से चूसने लगा। मैंने महसूस किया कि दीदी का हाथ उनकी चूत पर था और उनकी चूत के दाने को स्वयं अपने हाथों से रगड़ने लगी थी। मैंने उनकी उत्तेजना को समझते हुए अपना लिंग उनकी चूत पर टिकाया और सीधा उनकी चूत में प्रविष्ट कर दिया। हमारे गुप्तांग इतने चिकने थे कि अंदर जाने दे उसे थोड़ी भी औपचारिकता नहीं निभानी पड़ी।
तृप्ति दीदी ने मेरे कमर को पकड़ कर उस पर अपने जोरदार नाखून गाड़ दिए और मेरी कमर को अंदर की तरफ इस तरह खींचने लगी जैसे कि वह चाहती हो कि मैं अपने लिंग के साथ पूरा उनके अंदर प्रविष्ट कर जाऊं और खुद ही मेरी कमर को पकड़ पकड़ कर जोरदार तरीके से अंदर और बाहर झटके देने लगी कितनी वासना भरी हुई थी उनके अंदर। सीमा ने सेक्स में कभी भी इस प्रकार का वहशीपन धारण नहीं किया था असल मायने में अगर यह मेरी जीवनसंगिनी होती तो कितना मज़ा आता! दीदी की चुदासी भावनाओं को समझते हुए मैंने उनकी चूत में जोरदार धक्के देना शुरु कर दिया, उनकी चूत से इतना पानी बह रहा था कि फच फच की आवाज सारे कमरे में गूंजने लगी और एक धार लगातार उनके चूत से बाहर आ गई और उनकी गांड पर बहने लगी। चूत से बहता हुआ पानी इतनी मात्रा में मैंने कभी नहीं देखा था। तृप्ति दीदी जोर-जोर से चिल्लाने लगी- फक मी फक मी हार्ड... उम्म्ह... अहह... हय... याह... बहनचोद सिस्टर फकर!
मैंने कभी नहीं सोचा था कि तृप्ति दीदी का एक ऐसा भी रूप होगा, इतने जोरदार धक्कों के बावजूद भी वे इतनी बेचैनी से चिल्ला रही थी, उन्हें पूर्णतया वाइल्ड सेक्स चाहिए था और मैंने उनके मंसूबों को पूरा किया। मैं चरम तक आधा भी नहीं पहुंचा था कि उनकी चूत ने अपना रस एक जोरदार सिसकारी के साथ छोड़ दिया और कांपने लगी। दीदी ने कसकर मुझे पकड़ लिया, उन्होंने मुझे अपने तीखे नाखूनों से इस प्रकार पकड़ा कि नाखून के निशान वे आज भी मेरी कमर से नहीं हटे हैं। तृप्ति दीदी तो एक बार चरम पर पहुंच गई थी लेकिन मुझे अभी चरम पर पहुंचना बाकी था और वैसे भी मुझे उससे क्या मतलब था कि दीदी चरम पर पहुंच गई हैं, वे तो चाहती ही थी कि मैं जंगली बन जाऊं और उनके साथ जंगली सेक्स करूं।
मैंने दीदी को उठाया और स्टडी टेबल पर लिटा दिया, फिर उनकी टांगों को खींचकर मैंने नीचे की तरफ लटका दिया। दीदी अपने स्तनों को टेबल पर रखकर लेटी हुई थी और उनकी टांगें टेबल पर नीचे आई हुई थी। मैंने अपने लिंग और उनकी गांड के छेद पर उनकी सौंदर्य चिकनी क्रीम लगाई और उनकी गांड में अपना लिंग घुसा दिया। दीदी शायद उनके स्खलन के बाद थोड़े समय का अंतराल चाहती थी लेकिन मैं पागलों की तरह उनके शरीर पर टूटना चाहता था। जैसे ही मैंने अपनी सगी दीदी की गांड में अपना लिंग प्रवेश किया, उनकी जोरदार आवाज आह निकल गई। मैंने उनके लंबे बालों को अपने हाथ में समेट कर उनकी गर्दन को खींचा और उनके बाल पीछे की तरफ खींचते हुए उनकी गांड की कुटाई शुरू कर दी।
उनके गोरे चूतड़ों को लाल करते हुए अनायास ही मेरे मुंह से निकल गया- ले बहन की लोड़ी... बना अपने गांड को गोदाम। लगातार 50 झटके मैंने अपनी बहन की गांड में दिए, उनकी गर्दन को बालों से ऊपर की तरफ खींचने के कारण उनके तीखे तीखे स्तन टेबल और हवा के बीच में झूल रहे थे। यह दृश्य मुझे बहुत उत्तेजित कर रहा था तथा आज मुझे लंबी देर तक स्खलित ना होने वाली वह चरम सुख पर ना पहुंचने वाली बीमारी ऊपर वाले का आशीर्वाद लगने लगी। तृप्ति दीदी के हाथों ने मेरी कमर पर लाकर मुझे रोकने की कोशिश की। इतने में मुझे उन पर दया आ गई, मैंने उन्हें बेड पर लेटाया किंतु मेरी हवस मुझ पर इतनी हावी थी कि मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अपना लिंग उनके मुंह में डाल दिया लेकिन तृप्ति दीदी ने इसका विरोध नहीं करते हुए उसे चूसना शुरू कर दिया।
मैं समझ गया था कि गांड चुदाई के बाद तृप्ति दीदी की चूत शायद फिर से तैयार हो गई है, अतः मैंने उन्हें सीधा लेटा कर उनकी टांगों को उठाकर उनके कंधों पर ही लगाया और उनकी एक पोटली बनाकर उनके कूल्हे और चूत को एक शानदार पोजीशन में सेट करके उनके कंधों से सटी हुई टांगों पर अपने हाथ दबाकर उनके ऊंचे हुए कूल्हों पर अपनी कमर रखकर अपना लिंग उनकी चूत में ठेल दिया। और जोरदार धक्कों वाला घमासान फिर से शुरू हो गया। तृप्ति दीदी जोर-जोर से यस यस की आवाज निकालने लगी। एक बार फिर 10 मिनट के बाद तृप्ति दीदी ने मुझे कस के पकड़ लिया लेकिन इस प्रकार के पोजीशन में उनकी चूत ने मेरे लिंग को इस प्रकार जकड़े हुआ था कि मैं भी उनकी चूत में स्खलित हो गया। हम दोनों भाई बहन वातानुकूलित कमरे में पसीने से लथपथ एक दूसरे की बाहों में समा गए।
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12-16-2020, 01:25 PM,
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RE: Hindi Sex Stories याराना
मैं एक ही बार में इतना सेक्स कर लेता था। चाहते हुए भी दूसरी बार किसी औरत को चोदकर उसका बुरा हाल नहीं कर सकता था। तृप्ति दीदी चीज ही ऐसी थी कि उन्हें रात भर चोदो तो भी कम पड़े किंतु एक बार में ही उनका बुरा हाल नहीं कर सकता था। और मुझे आज बहुत संतुष्टि का एहसास हुआ था इसलिए दूसरी बार सेक्स का ध्यान मैंने छोड़ दिया। रात के करीब 3:00 बजे थे और हम दोनों एक दूसरे की बांहों में टूट कर बिखर गए।
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आगे की कहानी मेरे अर्थात राजवीर के शब्दों में:
लगभग इतना ही समय था जब मैं यानि राजवीर अपने साली की पत्नी सीमा की नंगी बांहों में लिपटा हुआ था, आज मुझे अपने करामाती दिमाग पर नाज हो रहा था। सीमा की आंख लग गई थी शायद दो बार स्खलित होने के बाद वह चरम सुख पाकर सुख में नींद लेना चाहती थी।
लेकिन तृप्ति और श्लोक की चुदाई की कल्पना ने मुझे जगाया रखा और जब उनके बारे में सोचने से मेरा ध्यान हटा तो मेरे मन में इस याराना को आगे बढ़ाने के बारे में विचार आया कि आने वाले समय में कैसे इस अलग-अलग कमरे वाली चुदाई को सामूहिक चुदाई बनाया जाए। उसके लिए मुझे क्या करना होगा याराना को कितना मजबूत बनाना होगा। कितना अच्छा होगा जब हम चारों एक ही बेड पर यह यारी निभाएंगे। तृप्ति या सीमा के दोनों छेदों में श्लोक और मेरा लिंग एक ही समय पर होगा। कितना अच्छा होगा जब हम चारों कभी भी किसी की भी चुदाई कर पाएंगे। श्लोक अपनी मनोकामना कभी भी पूर्ण कर पाएगा। तृप्ति अपनी तेज खुजली को कभी भी मिटा पाएगी। तब सीमा को संतुष्टि वाला और साथ स्खलित होने वाला वाला प्यार मिल पाएगा।
जब ऐसा होगा तो कभी रणविजय और प्रिया को भी घूमने के लिए जयपुर बुला लेंगे, उस समय का दृश्य कितना सुखद होगा जब 6 लोग आपस में ग्रुप सेक्स करेंगे। इन सभी सुंदर भविष्य की तस्वीरों के बारे में सोचता हुआ मेरी आंख लग गई।
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सुबह 9 बजे जब मेरी नींद खुली तो देखा कि सीमा पास में नहीं थी। मैंने अपने कपड़ों को सम्भाला और कमरे से बाहर आया। हाल में भी सीमा नजर नहीं आई तो सोचा कि ऊपर छत का बाथरूम इस्तेमाल करने ऊपर गयी होगी। अतः मेरे कदम तृप्ति और श्लोक के कमरे की तरफ बढ़ने लगे। दिल जोर जोर से धड़क रहा था कि शायद दोनों नंगे बेड पर सो रहे होंगे। मैंने दरवाजे पर हाथ दिया तो दरवाजा खुला हुआ था। तेज धड़कन के साथ मैंने पलंग पर नजर दौड़ाई तो देखा कि श्लोक अकेला बिस्तर पर नग्न चादर में लिपटे हुए गहरी नींद में सोया हुआ था.
मैं श्लोक के पास गया और उसे जगाया। होश आते ही उसने एक मुस्कान के साथ मुझे देखा और कहा- अरे जीजू, आप यहाँ? दीदी कहाँ है?
मैं- कैसी रही रात?
श्लोक- जीजू, जीवन का सुख पा लिया बस शब्दों में बयान नहीं हो पाएगा। आप बताओ?
मै- अभी शब्दों में बयान नहीं कर पाऊंगा। किंतु जब मैं उठा तो सीमा मेरे साथ बिस्तर पर नहीं थी। उसे ढूंढते हुए मैं यहां आया तो देखा कि तृप्ति भी तुम्हारे साथ बिस्तर पर नहीं है। दोनों कहां जा सकती हैं?
श्लोक- क्या सीमा भी बिस्तर पर नहीं है?
श्लोक ने अपने कपड़े संभाले और दोनों को ढूंढते हुए हम हॉल में आ गए। दोनों वहां भी नहीं थी। फ्लैट के ऊपरी हिस्से में एक शानदार शो पीस रूम बना हुआ था। नीचे उन्हें ना पाकर हम दोनों ऊपर की तरफ बढ़े। मन में एक अजीब सा डर बैठ गया था कि दोनों एक साथ कहां जा सकती हैं? वह भी एक असाधारण रात बीतने के बाद कहीं उन्हें अब अपने किए पर पछतावा तो नहीं हो रहा है जिसका शोक मनाने साथ में कहीं चली गई हैं। ऊपरी कमरे का दरवाजा मैंने खोला, श्लोक भी मेरे साथ था। तो जो देखा उसे देख कर मैं हैरान रह गया और शायद श्लोक भी।
कमरे के बीचोंबीच टेबल पर एक बड़ा केक रखा हुआ था। कमरे को कुछ मोमबत्तियों से सजाया हुआ था और दोनों अप्सराएं नहा धोकर सज संवर कर हमारा इंतजार कर रही थी। जैसे ही हम जीजू साले कमरे में प्रविष्ट हुए, तृप्ति और सीमा दोनों ने एक साथ गाना शुरू कर दिया- अप्रैल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया ... अप्रैल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया। और दोनों जोर-जोर से हंसने लगी। उनकी इस हंसी ठिठोली का कारण हम समझ नहीं पा रहे थे क्योंकि जहां तक हमें पता था फूल तो हमने उन्हें बनाया था। इस तरह हैरान हुए श्लोक और मैं एक दूसरे को देखते रह गए और एक दूसरे से समझने की कोशिश कर रहे थे कि आखिर हो क्या रहा है?
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12-16-2020, 01:25 PM,
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RE: Hindi Sex Stories याराना
सीमा- क्या हुआ श्लोक बाबू? कुछ समझ में नहीं आ रहा है? समझने की कोशिश भी मत कीजिए। यह आपके बस का नहीं है।
और हंसने लगी।
मैं- यह सब क्या है तृप्ति?
तृप्ति- मेरे प्यारे राजवीर! बड़ी मेहनत से केक बनाया है पहले केक खा लीजिए अपने मूर्ख बनने की खुशी में।
मैं- मूर्ख बनने की खुशी? मैं कुछ समझा नहीं?
सीमा- अरे प्यारे जीजू, कहा ना ... आपको कुछ समझ नहीं आएगा। पहले केक तो खाइए।
दोनों ने केक काटा, एक एक टुकड़ा लेकर हमारी तरफ बढ़ी। तृप्ति ने मुझे तथा सीमा ने श्लोक को खिलाया तथा थोड़ा थोड़ा खुद खाया और दोनों सामने वाले सोफे पर बैठ गई।
हम दोनों हैरान चकित होकर अब भी उनकी तरफ देख रहे थे। मैं सोच रहा था शायद तृप्ति और सीमा ने कुछ गलत समझ लिया है।
तब तृप्ति बोली- मेरे प्यारे भाई श्लोक तथा मेरे प्यारे पति राजवीर ... अब यह बताइए कि हमें गर्भनिरोधक गोली कौन लाकर देगा? आप हमें खिलाएंगे या हमें खुद ही खरीदनी पड़ेगी? और दोनों हंसने लगी।
मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था।
इस पर श्लोक ने पूछा- क्यों? आप ऐसा क्यों कह रही हो दीदी?
तृप्ति- अरे मेरे प्यारे भाई श्लोक, तुम तुम्हारे जीजा जी के साथ अभी रहने लगे हो। उनके साथ कुछ ही समय बिताया है। लेकिन मैं उनकी पत्नी हूं, उनके साथ मैंने बहुत समय बिताया है। मुझे लगता है मैं उनकी रग रग से वाकिफ हूं।
इस बात पर मैं समझ गया था कि तृप्ति को शायद मेरे किए हुए का अंदाजा हो गया था।
तृप्ति- डियर राजवीर! एक बार अदला बदली क्या कर ली, आपको तो इसका चस्का ही लग गया। इस चक्कर में आपने एक भाई और बहन की चुदाई करवा दी। वाह राजवीर वाह!
इतना सुनते ही श्लोक के चेहरे का रंग उड़ गया, उसने मेरा हाथ पकड़ लिया शायद वह डर गया था।
मैं- इसका मतलब तुम्हें पता है। लेकिन अगर तुम्हें पता है तो तुम इस अदलाबदली में शामिल क्यों हुई?
तृप्ति- क्यों? यह चस्का क्या तुम्हें ही लग सकता है? पतियों की अदला बदली का चस्का हमें नहीं लग सकता?
(इस बार फिर सीमा और तृप्ति दोनों हंसने लगी।)
सीमा- हां, लेकिन इस अदला-बदली में एक बुराई थी। भाई और बहन का साथ में सोना। लेकिन भाई अगर अपनी बहन को नंगी देख कर अपने हाथ से अपने आप को संतुष्ट कर सकता है तो उस लिंग को अपनी बहन की चूत में डाल कर संतुष्ट करने में क्या बुराई है।
सीमा की इस बात पर मैं हैरान हो गया कि सीमा और तृप्ति को इस बारे में भी पता है कि हमने उन्हें नशीली दवा देकर उनके नग्न शरीर के दीदार किए थे। अब मैं समझ गया था बाजी मेरे हाथ में बिल्कुल नहीं है। अपना एटीट्यूड मुझे साइड में रखकर उन्हीं से पूछना होगा।
तब मैं बोला- ओ! तो तुम लोगों को सब पता है। मतलब खेल में रहा था लेकिन खिला तुम दोनों रही थी? लेकिन यह सब तुम्हें कैसे पता चला और कब पता चला और मालूम होते हुए भी इस खेल में तुम दोनों शामिल हुई तो कैसे हुई? कृपया मुझे शुरु से समझाइए।
सीमा- जीजू! आपने क्या वह कहावत सुनी है शेर को कभी ना कभी सवा शेर मिल ही जाता है। आपको सवा शेरनियां मिल गई हैं। आपको क्या लगता है याराना आप दोनों का ही हो सकता है? क्या ननद और भाभियां कभी यार नहीं बन सकती? यहां आने के बाद जैसे आपकी दोस्ती रंग ला रही थी वैसे हमारी दोस्ती भी मजबूत होती जा रही थी। जब आप दोनों ऑफिस में चले जाएंगे तो हम दोनों क्या करेंगी? केवल बातें ही तो करेंगी!
तृप्ति- यहां शिफ्ट होने के बाद मैंने जब सीमा और श्लोक के सेक्स में तेज चिल्लाने की आवाज सुनी तो उसके अगले दिन आपके ऑफिस जाने के बाद मैंने सीमा से इसके बारे में बात की। यह बोलकर कि मैं तुम्हारी ननद हूं। अगर कोई समस्या हो तो मुझे इसके बारे में बताओ। सीमा ने मुझे श्लोक के सेक्स के बारे में बताया। अतः इस बात से हम एक दूसरे से इस प्रकार की बातें करने लगे थे। राजवीर, जब तुमने मुझे श्लोक और सीमा के सेक्स के बारे में पहली बार पूछा था तब मुझे श्लोक के बारे में पता था। लेकिन मैं तुम्हें बता नहीं पाई क्योंकि तुम्हें नहीं बताना चाहती थी कि हम ननद-भाभी इस तरह के बातें भी करती हैं।
फिर धीरे धीरे हम अपने बेडरूम की बातें एक दूसरे से शेयर करने लगी। राजवीर के बारे में ... श्लोक के बारे में ... और अपने बारे में ... हमने एक दूसरी से सब बांटा। हां श्लोक का इस तरह से स्खलित होना मेरे लिए एक पहेली था। लेकिन मैंने उसके बारे में कभी गलत विचार अपने मन में नहीं आने दिया। हालांकि सीमा ने मुझसे कह दिया था कि काश मेरे साथ भी जीजू जैसा प्यार से प्यार करने वाला हमसफर होता। लेकिन हमने इस बात को हमेशा मजाक में ही लिया। हम दोनों ननद भाभी अब यार थी।
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12-16-2020, 01:26 PM,
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RE: Hindi Sex Stories याराना
शुरुआत में सीमा और मुझ में इसके लिए थोड़ा गुस्सा था लेकिन गुस्से की जगह धीरे-धीरे हवस ने ले ली कि किस तरह श्लोक ने मुझे देखकर कमरे में मुठ मारी। यह देख कर कभी-कभी मुझे उत्तेजना होने लगती। उस वीडियो को मैंने कई बार देखा और उसके बहुत देर तक स्खलित न होने वाले लिंग को देख देखकर अपने मन में गुदगुदी पैदा की। किस तरह एक भाई अपनी बहन को नग्न देखकर मुट्ठ मार रहा है।
अब हम दोनों सहेलियां बन गई थी, एक दूसरी से गंदी गंदी बातें करने लगी थी। एक दूसरे के पति से चोदम चोद की बातें करने लगी थी। जब सीमा को मेरी किसी बात पर गुस्सा आता तो वह कहती आपको तो देखना एक दिन अपने पति से इतना बुरा चुदवाऊंगी कि आपकी हड्डियां टूट जाएगी। उसकी इस धमकी से में उत्तेजना में पागल हो जाती थी। फिर एक दिन सीमा ने मुझसे कहा कि हमें क्या करना चाहिए कि हमारे पतियों का काम आसान हो जाए और अदला बदली करके वह हमें और हम भी उन्हें भोग लें। इस पर मैंने सीमा से कहा- मेरी प्यारी भाभी सीमा, हमें कुछ करने की जरूरत नहीं है। हमारी तरफ से करने वाला, सबकी तरफ से करने वाला, हमारा प्यारा राजवीर यह सब करने के बारे में सोच ही रहा होगा।
उसके कुछ दिनों बाद राजवीर ने हमें अनंत बाबा की कही हुई समस्या बताई। जब हमने सोचने का वक्त मांगा और आप दोनों छत से नीचे चले गए तब हम राजवीर की बातों पर बहुत हंसी। राजवीर ने आनंद बाबा का सहारा लेकर क्या बहाना बनाया है। हम दोनों खुशी से झूम उठी और एक दूसरी के गले लगी। आखिर लिंग बदलकर स्वाद चखने का समय आ गया था। अब जब भाई ही बुरा है तो बहन सुधर कर क्या करेगी. शायद मैं श्लोक को करने भी ना दूं लेकिन श्लोक तो मुझे देख कर मुठ मारता ही रहेगा। इतना कहकर तृप्ति हंसने लगी।
सीमा ने आगे बताया- नीचे आकर हमने असहाय औरतों के तरह नाटक किया कि हां हमें आपका किया हुआ फैसला मंजूर है हम बदलकर बच्चे पैदा करेंगी। उसके बाद हमने सच का सामना तो किया लेकिन हमारा पूरा सच आप को नहीं बताया। हमने इसके लिए आज का दिन चुना था क्योंकि आज 1 अप्रैल है ... मूर्ख दिवस! मूर्खों का दिवस! ताकि मूर्ख बनने पर आपको बुरा भी ना लगे और जब भी अप्रैल फूल आए तो हम सबके चेहरे पर एक मुस्कान हो और इस दिन की याद हो!
श्लोक को तो कुछ समझ नहीं आ रहा था वह तो हक्का-बक्का होकर अपनी बहन और बीवी दोनों की तरफ देखे जा रहा था। सच बताऊं तो मेरे पास भी उस वक्त शब्द नहीं थे कि मैं क्या बोलूं! शेर को वास्तव में सवा शेरनियां मिल गई थी। तब मैं केक के पास गया और उसमें से एक टुकड़ा काटकर खुद खाया और बोला- अगर तुम दोनों को सब पता था इसका मतलब तो ये हुआ कि तुम दोनों इस स्वैपिंग में खुद की खुशी से शामिल थी।
सीमा- हम कब तक आपकी वासना भरी नजरों से बच पाती, वैसे भी हमारे पतियों को खुश रखना हमारी जिम्मेदारी है तो हम आपको निराश कैसे कर सकती हैं। और वैसे भी इस जिम्मेदारी को निभाने में तो हमारी वासना का भी समाधान है।
मैं- तो अब क्या?
सीमा- अब जब हमने एक दूसरे को भोग ही लिया है और हम अब सब भ्रष्ट हो ही चुके हैं तो क्यों ना इस भ्रष्टाचार को भ्रष्ट होने की हद तक निभाया जाए।
तृप्ति- प्यारे राज! बिगाड़ा तो आपने ही है हमें। तो फिर बिगड़ेपन का एक बार खुलकर फायदा उठाना है।
सीमा- ऐसा फायदा उठाने की आप भी सोच रहे होंगे प्यारे जीजू और श्लोक।
श्लोक- कैसा फायदा?
तृप्ति- भाई अदला-बदली तो कर ली। लिंग बदलकर स्वाद भी चख लिया अब तो मन में एक ही इच्छा है सामूहिक सेक्स की इच्छा। बड़ी फिल्में देखी है ग्रुप सेक्स की। जब चार लोगों को साथ में सेक्स करते हुए देखती हूं तो मन में अजीब सी गुदगुदी होने लगती है। दो मखमली लिंग जब एक शरीर पर रेंगते होंगे तो कितना रोमांच आता होगा।
मैं- समझ नहीं आ रहा है कि कल जो बीता वो सपना था या अभी जो मैं देख और सुन रहा हूँ वो सपना है।
श्लोक- जिस चीज़ के लिए हम कबसे पापड़ बेल रहे हैं आज वो हमें सामने से परोसी जा रही है। यह अविश्वसनीय है।
मैं- तो कब रखा जाए सामूहिक चुदाई का कार्यक्रम?
सीमा- सेक्स कार्य में देरी कैसी? अगर तृप्ति दीदी की चूत कल की चढ़ाई से सूजी नहीं है तो मैं तो आज ही तैयार हूँ।
तृप्ति- अरे आने दो, दो दो लन्ड का वार ... एक है भाई और एक है यार!
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12-16-2020, 01:26 PM,
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RE: Hindi Sex Stories याराना
जब मेरी नजर तृप्ति और श्लोक पर पड़ी तो देखा कि मेरी बीवी तृप्ति सोफे पर उल्टी लेटी हुई है और मेरे साले श्लोक ने अपना मुंह अपनी बहन के कूल्हों के बीच में डाल रखा है, उसके दोनों हाथ तृप्ति के गोरे कूल्हों को लाल करते हुए उसके कूल्हों को चौड़ा कर रहे थे जिससे कि श्लोक तृप्ति के कूल्हे के बीच में छेद पर अपनी जीभ से मुखचोदन आराम से कर सके। तृप्ति भी अपने कूल्हों को श्लोक के मुंह के ऊपर दबा रही थी और सिसकारियां भर रही थी। वास्तव में बड़ा उत्तेजक दृश्य था! इससे ज्यादा उत्तेजक दृश्य मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था। किसी पोर्न फिल्म को देखकर मुझे इतनी उत्तेजना नहीं हुई थी जितना इन बहन भाई को इस अवस्था में देख कर आई।
इधर मैंने सीमा की टांगों को चौड़ा करके उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी और उसकी चूत के दाने को अपनी जीभ से गुदगुदाने लगा।
शायद श्लोक और तृप्ति सोफे पर सहज महसूस नहीं कर रहे थे इसलिए श्लोक ने तृप्ति को सोफे से उठाकर हमारे बेड पर ही पटक दिया, उसने तृप्ति को सीधी लेटा कर उसकी टांगें चौड़ी करके उसकी चूत में अपना मुंह डाल दिया। अब एक ही बिस्तर पर हम चारों बदले हुए साथियों के साथ मुख चोदन कर और करवा रहे थे। कमरे में ननद तृप्ति और भाभी सीमा की सिसकारियां धीमी गति के संगीत को दबाने लगी थी जो कि होम थिएटर में बज रहा था।
फिर हम चारों 69 की पोजीशन में आ गए। अब एक ही समय पर हम एक दूसरे की चूत और लिंग को चाट कर एक दूसरे को आनंद प्रदान कर रहे थे। मैं सीमा की तथा सीमा मेरा गुप्तांग जीभ से गुदगुदा रही थी ऐसा ही तृप्ति और श्लोक दोनों बहन भाई कर रहे थे। जब पर्याप्त मात्रा में मुख चोदन और फोर प्ले हो गया तब हम चारों एक साथ एक दूसरे के लिपट गये।
तब मैंने कहा- चलो बताओ पहले एक एक साथी से चुदाई पसंद करोगी या एक ही साथ दोनों के साथ?
इस पर सीमा ने कहा- आज तो सामूहिक चुदाई का दिन है, अकेले चुदाई करके ही अगर थक गए तो सामूहिक चुदाई का मजा नहीं ले पाएंगे. मेरे तो मन की कामना यही है कि जितना जल्दी हो सके एक साथ दो दो लिंग मुझे चोदें।
तृप्ति ने कहा- जी, सीमा सही कह रही है!
श्लोक- जीजाजी, आज का दिन तो सामूहिक चुदाई का दिन ही रखा जाएगा। सब इसी के लिए लालायित हैं।
तब मैंने कहा- तुम में से एक औरत को थोड़ी देर के लिए हमारे लिंग से वंचित रहना पड़ेगा। अब बताओ श्लोक और हम दोनों पहले किस की पटरी पर पर अपनी रेल दौड़ायें?
इस पर सीमा ने कहा- आप अपना खेल उसी पिच पर खेलो जो पिच मजबूत है। मेरा मतलब है कि तृप्ति दीदी! क्योंकि आप दोनों की हवस भरे हाथों को संतुष्ट करने के लिए उनके बड़े स्तन, लिंग को संतुष्ट करने के लिए उनकी सुंदर और आकर्षक गुलाबी चूत, तथा अपने लिंगों को निचोड़ने के लिए उनके गोरे कूल्हे हैं।
तब श्लोक ने कहा- तुम भी कम हसीन नहीं प्रिय सीमा!
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RE: Hindi Sex Stories याराना
इस पर सीमा ने कहा- आप अपना खेल उसी पिच पर खेलो जो पिच मजबूत है। मेरा मतलब है कि तृप्ति दीदी! क्योंकि आप दोनों की हवस भरे हाथों को संतुष्ट करने के लिए उनके बड़े स्तन, लिंग को संतुष्ट करने के लिए उनकी सुंदर और आकर्षक गुलाबी चूत, तथा अपने लिंगों को निचोड़ने के लिए उनके गोरे कूल्हे हैं।
तब श्लोक ने कहा- तुम भी कम हसीन नहीं प्रिय सीमा!
इस पर सीमा ने कहा- हां, माना मैं हसीन हूं ... लेकिन तृप्ति दीदी जितने सेक्सी नहीं! मैं आप लोगों को नहीं झेल पाऊंगी।
तृप्ति- यह तो गलत बात है सीमा ... कि मेरी ही रेल बनाई जाए। यह सही नहीं है! मजा तो हम चारों को लेना है, मैं तुम्हें बिना चुदवाये नहीं मानूंगी।
इस पर सीमा ने कहा- दीदी, आप सही बोल रही हो लेकिन आपकी घनघोर चुदाई के बाद शायद इन दोनों की उत्तेजना कम हो और मैं थोड़ा सहन करने योग्य सेक्स कर पाऊं और फिर मज़ा उठाएं।
श्लोक और मैंने सीमा की इस बात पर सहमति दी और तृप्ति को बेड के बीचोंबीच खींच लिया।
उत्तेजना और रोमांच से तृप्ति के रोंगटे खड़े हो रहे थे, उसके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी यह देखने की कि एक साथ दो लिंग से चोदने पर कैसा महसूस होता है। सीमा पलंग के एक किनारे पर आ गई। इस पर मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या वह दर्शक बनने वाली है या फिर पोर्न फिल्मों की दूसरी नायिका की तरह पोर्न नायकों के गुप्तांगों को हाथ से उत्तेजित करके अपनी सहभागिता देना चाहती है।
किंतु अब मेरा और श्लोक का पूरा ध्यान तृप्ति पर आ गया था।
श्लोक ने कहा- मेरे जीवन की सबसे सेक्सी महिला, अपने जीवन का सबसे धमाकेदार सेक्स करने के लिए तैयार हो जाओ!
मैं- आज बहन चोद भाई तथा पति से साथ में चोदने के लिए तैयार हो जाओ।
तृप्ति ने अपनी मादक मुस्कुराहट के साथ दोनों को अनुमति दी। मैं अपनी पीठ के बल अपने खड़े लिंग को ऊपर करके बेड पर लेट गया। मेरे मुंह की तरफ तृप्ति ने अपनी गांड की तथा अपने गोरे कूल्हों को मेरी कमर पर टिकाए तथा अपने गीली चूत में मेरा लिंग डाल लिया।
श्लोक मेरी टांगों की तरफ तृप्ति की तरफ मुंह करके बैठा हुआ था तथा अपने लिंग को हाथ से सहला रहा था।
मैंने श्लोक को रुकने के लिए कहा क्योंकि तृप्ति के हल्के झटकों से मैं अपने लिंग को उसकी चूत के पानी में भिगोना चाहता था ताकि पर्याप्त चिकनाई के बाद मेरा लिंग उसके गांड के छेद में प्रवेश कर सके। तृप्ति ने अपनी गांड उठाकर मेरे लंड पर झटके देना शुरू किया उसके ग्रुप सेक्स की उत्तेजना में निकले हुए चूत के पानी से मेरा लिंग पर्याप्त मात्रा में चिकना हो चुका था। तृप्ति ने अपने चूतड़ उठाकर मेरा लिंग उसकी चूत में से निकाला और मेरे लिंग को उसने अपनी गांड के छेद पर समायोजित कर लिया। थोड़े उसके तथा मेरे प्रयास से मेरा लिंग मुंड धीरे धीरे उसकी गांड में प्रवेश कर गया तथा मैंने उसकी गांड में धीरे-धीरे धक्का देना शुरू कर दिया। अब श्लोक के आने का समय हो गया था। श्लोक ने तृप्ति के सामने आकर तृप्ति की टांगें थोड़ी सी और चौड़ी करके उसकी गुलाबी चिकनी चूत में अपना लिंग ठेल दिया।
शुरुआत में हम तीनों को सहज महसूस नहीं हुआ तथा दोनों को झटके मारने में परेशानी हुई। किंतु धीरे धीरे हाथ और पांव लिंग और चूत और गांड का छेद इस प्रकार व्यवस्थित हुए कि धीरे धीरे धक्के लगाने में हमें सहजता महसूस होने लग गई और अब एक ही समय पर श्लोक और मैं तृप्ति की गांड और चूत में धक्के मारने लगे। तृप्ति की सिसकारियां जोरदार तेज आवाज आह उम्म्ह... अहह... हय... याह... आह यस यस यस में बदल गई। उसने अपने होठों को उत्तेजना में अपने दांतों के नीचे दबा दिया और जोरदार सिसकारियों की आवाज से पूरा कमरा गुंजा दिया।
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12-16-2020, 01:26 PM,
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desiaks
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RE: Hindi Sex Stories याराना
धीरे-धीरे श्लोक के धक्कों की गति इतनी बढ़ गई कि तृप्ति का पूरा शरीर जोर जोर से ऊपर नीचे हिलने लगा जिसके कारण मुझे अब धक्के लगाने की जरूरत नहीं थी, मेरा लिंग अपने आप ही तृप्ति की गांड से अंदर बाहर होने लगा था। हमारे द्वारा दिए गए झटकों से उसके स्तन ऊपर नीचे हिल हिल कर किसी पोर्न फिल्म से नजारा बना रहे थे।
श्लोक ने कहा- मेरे जीवन की सबसे सेक्सी महिला, अपने जीवन का सबसे धमाकेदार सेक्स करने के लिए तैयार हो जाओ!
मैं- आज बहन चोद भाई तथा पति से साथ में चोदने के लिए तैयार हो जाओ।
तृप्ति ने अपनी मादक मुस्कुराहट के साथ दोनों को अनुमति दी।
मैं अपनी पीठ के बल अपने खड़े लिंग को ऊपर करके बेड पर लेट गया. मेरे मुंह की तरफ तृप्ति ने अपनी गांड की तथा अपने गोरे कूल्हों को मेरी कमर पर टिकाए तथा अपने गीली चूत में मेरा लिंग डाल लिया।
श्लोक मेरी टांगों की तरफ तृप्ति की तरफ मुंह करके बैठा हुआ था तथा अपने लिंग को हाथ से सहला रहा था।
मैंने श्लोक को रुकने के लिए कहा क्योंकि तृप्ति के हल्के झटकों से मैं अपने लिंग को उसकी चूत के पानी में भिगोना चाहता था ताकि पर्याप्त चिकनाई के बाद मेरा लिंग उसके गांड के छेद में प्रवेश कर सके।
तृप्ति ने अपनी गांड उठाकर मेरे लंड पर झटके देना शुरू किया उसके ग्रुप सेक्स की उत्तेजना में निकले हुए चूत के पानी से मेरा लिंग पर्याप्त मात्रा में चिकना हो चुका था। तृप्ति ने अपने चूतड़ उठाकर मेरा लिंग उसकी चूत में से निकाला और मेरे लिंग को उसने अपनी गांड के छेद पर समायोजित कर लिया. थोड़े उसके तथा मेरे प्रयास से मेरा लिंग मुंड धीरे धीरे उसके गांड में प्रवेश कर गया तथा मैंने उसकी गांड में धीरे-धीरे धक्का देना शुरू कर दिया।
अब श्लोक के आने का समय हो गया था। श्लोक ने तृप्ति के सामने आकर तृप्ति की टांगें थोड़ी सी और चौड़ी करके उसकी गुलाबी चिकनी चूत में अपना लिंग ठेल दिया।
शुरुआत में हम तीनों को सहज महसूस नहीं हुआ तथा दोनों को झटके मारने में परेशानी हुई. किंतु धीरे धीरे हाथ और पांव लिंग और चूत और गांड का छेद इस प्रकार व्यवस्थित हुए कि धीरे धीरे धक्के लगाने में हमें सहजता महसूस होने लग गई और अब एक ही समय पर श्लोक और मैं तृप्ति की गांड और चूत में धक्के मारने लगे।
तृप्ति की सिसकारियां जोरदार तेज आवाज आह उम्म्ह... अहह... हय... याह... आह यस यस यस में बदल गई। उसने अपने होठों को उत्तेजना में अपने दांतों के नीचे दबा दिया और जोरदार सिसकारियों की आवाज से पूरा कमरा गुंजा दिया। धीरे-धीरे श्लोक के धक्कों की गति इतनी बढ़ गई कि तृप्ति का पूरा शरीर जोर जोर से ऊपर नीचे हिलने लगा जिसके कारण मुझे अब धक्के लगाने की जरूरत नहीं थी, मेरा लिंग अपने आप ही तृप्ति की गांड से अंदर बाहर होने लगा था। हमारे द्वारा दिए गए झटकों से उसके स्तन ऊपर नीचे हिल हिल कर किसी पोर्न फिल्म से नजारा बना रहे थे।
सच बताऊं तो दोस्तो, समझ नहीं आ रहा है कि जो मजा में उस वक्त महसूस कर रहा था, उसे कैसे बयान करूँ! चूत और गांड के छेद के बीच की एक पतली सी झिल्ली के दोनों तरफ जब दो लिंग अंदर बाहर घुस कर उन दो छिद्रों के अंदर एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे तो कैसा अनुभव हो रहा था यह तो जब आप अपनी किसी महिला साथी के साथ करेंगे तभी पता चलेगा।
करीब 10 मिनट के जोरदार लगातार धक्कों के साथ तृप्ति की चूत के पानी में हमारे लिंग कमर सब भीग गए। चूत से इतना पानी शायद ही तृप्ति ने अब तक की किसी चुदाई में छोड़ा होगा। हमारे गुप्तांगों पर इतनी चिकनाई हो गई थी कि लिंग अगर गलती से झटकों में बाहर भी निकल जाए तो अपने आप अपने अपने क्षेत्र में प्रविष्ट कर रहा था। तृप्ति अपना होश खो बैठी थी और उत्तेजना में दहाड़ रही थी। श्लोक अति उत्तेजित हो चुका था, उसने कहा- जीजू मुझे स्खलित होना है, अतः मुझे छोटा छेद चाहिए।
हमने तृप्ति को उठाकर अपनी जगह बदली ली. अब श्लोक नीचे लेट गया और अपनी बहन तृप्ति की गांड में अपना लिंग घुसा दिया तथा मैंने तृप्ति की चूत में अपना लिंग।
तृप्ति ने अपने हाथ बेड पर टिका दिए तथा दोनों छिद्रों में लिंग का स्वागत करने के लिए छिद्रों के द्वार खोल कर बैठ गई अब हम दोनों ने बेतहाशा झटके दिए जिससे कि तृप्ति के मुंह से पोर्न फिल्मों के नायिका की तरह उम्फ़ ... उन्हफ़ ... की आवाज़ें निकलने लगी। तृप्ति की चूत से अब जोरदार फच फच की आवाज आने लगी, उसने अपना सारा पानी छोड़ दिया तथा जोरदार झटकों के साथ में तथा श्लोक भी तृप्ति की चूत और गांड में एक साथ स्खलित हो गए।
हम तीनों के गुप्तांग और कमर एक दूसरे के पानी से बेहद गीले हो गए थे। मेरी साले की बीवी सीमा ने हम तीनों को नैपकिन उपलब्ध करवाए तो मेरा ध्यान सीमा पर गया जो कि इस ग्रुप थ्रीसम पॉर्न फिल्म का सीधा प्रसारण का लुत्फ उठा चुकी थी। हम तीनों अपने आप में बिजी थे कि हमें नहीं पता कि इस दौरान सीमा कितनी उत्तेजित हुई या उसने इस उत्तेजना में अपनी चूत में उंगली की या नहीं।
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