12-16-2020, 01:27 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Hindi Sex Stories याराना
हम तीनों के गुप्तांग और कमर एक दूसरे के पानी से बेहद गीले हो गए थे। मेरी साले की बीवी सीमा ने हम तीनों को नैपकिन उपलब्ध करवाए तो मेरा ध्यान सीमा पर गया जो कि इस ग्रुप थ्रीसम पॉर्न फिल्म का सीधा प्रसारण का लुत्फ उठा चुकी थी। हम तीनों अपने आप में बिजी थे कि हमें नहीं पता कि इस दौरान सीमा कितनी उत्तेजित हुई या उसने इस उत्तेजना में अपनी चूत में उंगली की या नहीं।
तृप्ति साइड में पलंग पर पड़ी हुई थी और 'ओ माय गॉड ... ओ माय गॉड ...' कर रही थी। उसकी चुदाई की हुई चूत और गांड चौड़ी हो चुकी थी। श्लोक और मेरी भी सांसें तेज थी।
हम भी बेड पर थोड़ी देर के लिए चित होकर लेट गए। वास्तव में तृप्ति वासना की मूर्ति थी। उसकी इतनी घनघोर चुदाई करने के बाद भी श्लोक और मेरा मन था कि उसे और उधेड़ा जाए। लेकिन यह तो वाइल्ड फकिंग हो जाती और वैसे भी हमें अभी अपनी कृति सेन यानि सीमा को ठंडा करना था जो सीधा प्रसारण वाली थ्रीसम चुदाई देखकर बहुत गर्म हो गई थी।
15-20 मिनट आराम करके श्लोक और हम दोनों बाथरूम गए और स्वयं को साफ किया।
सीमा और तृप्ति कमरे में ही थी। श्लोक मुझसे बाथरूम में बोला- जीजू, मेरी सीमा को थोड़ा प्यार से चोदना।
इस पर मैंने श्लोक से कहा- बेटा, पूरा बदला लूंगा, जितने तेज धक्के मेरी तृप्ति को दिए है, उतने ही तेज धक्के तेरी सीमा को खाने पड़ेंगे।
इस पर हम दोनों हंसने लगे।
श्लोक- यार जीजू, सीमा पर थ्रीसम चुदाई का कोई दूसरा पोजिशन ट्राई करते हैं।
मैं- हाँ यार, मन तो मेरा भी यही है लेकिन तीन लोगों की चुदाई को देख कर सहज होने में वही पोजीशन बेस्ट था। फिर भी चलो कुछ मजेदार ट्रॉय करते हैं। जाओ और सीमा को पकड़ के यहीं बाथरूम में ले आओ। इस पर श्लोक ने मजे से ओके कहा और लंबी सेक्सी सीमा को पूर्ण रूप से नग्न अपनी गोद में उठाए हुए बाथरूम में ले आया।
जैसा कि मैंने आपको कहानी के शुरू में बताया था। फ्लैट के बाथरूम काफी अत्याधुनिक थे इसमें कहीं प्रकार के शावर तथा एक बड़ा बाथटब भी था। सीमा थ्रीसम चुदाई में तृप्ति का हाल देख चुकी थी, उसकी उत्तेजना तथा थोड़ा डर वाला मनोभाव प्रकट करने वाला चेहरा शर्म से लाल था तथा उसके शरीर के रोंगटे खड़े थे।
लंबी टांगों, चौड़ी गांड, जीरो फिगर वाली पतली कमर तथा स्तन वाली सीमा बाथटब के किनारे पर बैठी थी।
श्लोक बाथटब के अंदर चला गया तथा पीछे से उसकी पीठ पर अपनी जीभ चलाने लगा। मैंने नीचे बैठकर सीमा के टांगें चौड़ी करके उसकी चूत पर अपना मुंह रख दिया तथा जीभ से उसकी चूत का चोदन करने लगा। उत्तेजित सीमा ने अपने दोनों हाथों से बाथटब के किनारों को पकड़ लिया और अपने हाथों की पकड़ को बेहद मजबूत कर लिया। श्लोक ने सीमा के साइड में आकर उसके स्तनों पर अपना मुंह चलाना शुरू कर दिया और उन्हें चूसने लगा। मैंने सीमा की जांघें और पांव को जीभ से गुदगुदा कर उसे उत्तेजित किया।
अब चूंकि सीमा की चूत बेहद गीली हो चुकी थी, मैं खड़ा हो गया, सीमा को खड़ा किया तथा उसके कूल्हों के नीचे हाथ रख कर उसे अपनी गोद में बिठा लिया। सीमा ने अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर की ओर घुमा कर अपने आपको मेरे ऊपर लाद दिया। अब मेरे ऊपर चिपकी हुई सीमा की गीली चूत में मैंने अपना खड़ा लिंग डाल दिया और गोद में ही ऊपर नीचे करके सीमा को धीरे धीरे चोदने लगा।
जब मेरा लिंग सीमा की चूत के पानी से पूरा गीला हो गया तब मैंने श्लोक की तरफ इशारा किया। सीमा को मैंने नीचे उतारा, तब श्लोक ने इसी अवस्था में सीमा को उठाया और उसे गोदी में लेकर उसकी चूत में लंड डालकर चोदने लगा। सीमा श्लोक का लंड खाते हुए उसे चिपकी हुई थी। तब मैंने पीछे से आकर खड़े खड़े सीमा के गांड में अपना लिंग टिका दिया किंतु लंड सीमा के गांड में घुस नहीं पाया। तो मैंने बाथरूम में रखी हुई क्रीम अपने लिंग और उसकी गांड के छेद पर मल कर एक बार फिर प्रयास किया। तब मेरा लिंग मुंड उसके उसकी गांड में प्रवेश किया। श्लोक ने उसकी चूत चोदते चोदते सीमा की गांड को मेरे लिंग पर दबाया जिसके कारण मेरा लिंग पूर्ण रूप से सीमा के गांड में प्रवेश कर गया।
|
|
12-16-2020, 01:27 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Hindi Sex Stories याराना
अब हम तीनों की खड़े-खड़े थ्रीसम चुदाई शुरू हो चुकी थी, कभी श्लोक के हाथ दुखते तो मैं तृप्ति की गांड के नीचे हाथ लगा कर उसे ऊपर नीचे करता। कभी मेरे हाथ दर्द करने लगते तो श्लोक सीमा को उठा उठा कर हमारे लिंग पर दबाता। सीमा ने उत्तेजना में श्लोक के कंधे पर जोरदार काट लिया उसका मुंह उसके कंधे को काटे हुए ही था।
तृप्ति इस चुदाई से अनजान अपने बेड पर पड़ी हुई थी।
श्लोक और मैं एक बार फिर एक ही औरत के दोनों छिद्रों में अपना लिंग घुसा कर एक दूसरे के लिंग पर अपने अपने लिंग की रगड़ महसूस कर रहे थे। अब सीमा भी जोरदार सिसकारियां भरने लगी। सीमा की चूत की चिकनाई हमारे लिंग पर रेंगने लगी थी। तीनों ने इस अवस्था में जोरदार मजा लिया किंतु सहज महसूस नहीं होने के कारण हमने सीमा को अपनी गोद में से थोड़ी देर बाद उतार दिया।
अब मैं बाथटब के किनारे पर बैठ गया, सीमा घोड़ी बनकर मेरे लिंग को मुंह में लेने लगी। पीछे से श्लोक ने आकर उसकी चूत में उसका लिंग डाल दिया और जोरदार झटके देने लगा। अब सीमा अपनी चूत में लिंग खाते हुए मेरे लिंग को चूस रही थी, श्लोक के जोरदार झटके मुझे सीमा के मुंह के जरिए अपने लिंग पर महसूस हो रहे थे। थोड़ी देर बाद श्लोक बाथटब पर बैठ गया, सीमा ने उसका लिंग अपने मुंह में ले लिया तथा घोड़ी बनी हुई सीमा की गांड में मैंने अपना लंड पेल कर उसकी गांड की चुदाई की। इस तरह बारी-बारी से हमने सीमा को चोदा और उससे अपना लिंग चुसवाया। सीमा भी मस्त होकर हमारा लिंग चूस रही थी तथा अपने पिछवाड़े से जोरदार झटके हमारे लिंग पर देकर हमारे लिंग का स्वागत कर रही थी।
फिर हम बाथरुम से बेड पर चले गए जहां तृप्ति अपने आप को साफ कर रही थी। हमें बाहर आता देख तृप्ति बाथरूम में घुस गई। शायद उसे मूत्र त्याग करना था। बेड पर सीमा श्लोक और मेरा द्वंद्व शुरू हुआ, हमने उसी अवस्था में सीमा को चोदा जिस अवस्था में तृप्ति को चोदा था। श्लोक ने नीचे लेट कर सीमा की गांड में अपना लिंग डाला तथा मैंने सामने से आ कर सीमा की चूत में अपना लंड डाला तथा जोरदार चुदाई शुरू की। सीमा ने अति उत्तेजना के साथ उचक उचक कर हमारे लिंगों का स्वागत किया तथा अपनी चूत से नदिया बहा कर यह प्रदर्शित किया कि वह भी उत्तेजना और मजे लेने में तृप्ति से बिल्कुल कम नहीं है। जहां तृप्ति इस तरह की चुदाई में उम्फ़ ... उन्फ़ ... की आवाज निकाल रही थी, वहीं सीमा फक मी हार्ड ... फक मी हार्ड ... की आवाज निकाल रही थी। उसकी इस उत्तेजना भरी बातों से मैंने उत्तेजित होकर उसी की चूत के पानी में सना हुआ मेरा लिंग बीच बीच में उसके मुंह में भी डाल दिया लेकिन उसने बिना किसी ना नुकुर के साथ मजे से चूसा।
श्लोक और मेरे जोरदार झटकों से जब सीमा स्खलित होकर निढाल गिरने लगी। तब पहले मैं स्खलित हुआ था और बाद में श्लोक ने अपने आप को स्खलित करके ठंडा किया। हम तीनों बेड पर बेहद थके हुए निढाल होकर गिर गए।
|
|
12-16-2020, 01:27 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Hindi Sex Stories याराना
विक्रम महंगी शराब का शौकीन था। उसकी इस आदत का पता मुझे उनके यहाँ शिफ्ट होने के बाद ही चला। एक बड़े भाई का लिहाज करके विक्रम मेरे सामने नहीं पीता था लेकिन जब मुझे इसका पता चला तो मैंने उसे इसकी अनुमति दे दी। विक्रम एक सभ्य शराबी था। जिसके पीने न पीने का कोई अंदाजा न लगा सकता था। उसको कभी-कभी पीने में मैंने भी कंपनी दी। मगर मैं शराब का ज्यादा शौकीन नहीं था।
बीती रात कुछ ऐसा हुआ था कि जिसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया था कि जो अदला-बदली का खेल मैं दूसरों के साथ खेल रहा था क्या वही खेल नियति मेरे साथ खेलना चाहती थी? या जो बीती रात हुआ था वो एक सोची समझी साजिश थी?
वह तृप्ति के बिना मेरी पहली रात थी। इसलिए विक्रम ने शराब पार्टी का माहौल बना लिया। उपासना हमें जरूरी स्नैक्स परोस कर खाने का इंतजाम कर अपने कमरे में सोने चली गयी थी। विक्रम और मैंने हँसी-मजाक में शराब पार्टी पूरी की और कब नींद आ गई इसका पता भी न चला।
--
सुबह नींद हल्की सी खुली तो अपने साथ बिस्तर पर नंगी सोई तृप्ति को मैंने अपनी तरफ खींचा और उससे चिपक कर सो गया। नींद में ही दिमाग की घँटी बजी और याद आया कि तृप्ति तो अहमदाबाद चली गयी है! फिर यहां मेरे साथ बिस्तर पर नंगी कैसे सो सकती है? मैं झटके से उठ गया और देखा तो चक्कर खा गया। उपासना मेरे कम्बल में पूरी तरह से नंगी गहरी नींद में सोई हुई है। ध्यान दिया तो पता चला कि कमरा भी मेरा नहीं बल्कि उपासना और विक्रम का है। बेशक उपासना का नंगा शरीर नजारे लूटने जैसा होगा पर मैं उस समय मजे लेने की हालत में बिल्कुल नहीं था।
मैं अपने कम्बल में न झांक कर, अपने कपड़े संभाल कर सीधा बाहर आया तो देखा कि विक्रम उसी सोफ़े पर गहरी नींद में सोया पड़ा है जहाँ हमने शराब पी थी। खाना वैसे का वैसे ही रखा है, मतलब हमने शराब के बाद खाना भी नहीं खाया था। मैं सीधे अपने कमरे में गया और तेज धड़कते हुए दिल के साथ शॉवर लेने लगा और तैयार होकर सीधे ऑफिस चला गया। दिमाग समझ नहीं पा रहा था कि कैसे, क्या हुआ, ये सब? मैंने मन में ही अंदाजा लगा लिया कि शायद शराब पीने के बाद जब विक्रम सो गया होगा तो मेरे अंदर का पाप जाग गया होगा और मैं विक्रम के कमरे में जाकर उपासना के पास सो गया होंगा। अंधरे के कारण उपासना ने भी मेरे साथ मुझे विक्रम समझकर सम्बंध बना लिए होंगे क्योंकि जब मैं उठा तो रोशनी तो खिड़की से आए उजाले की थी। लाइट्स तो सारी बन्द थीं।
या फिर क्या पता मैंने उसे सीमा-श्लोक का कमरा समझा हो, क्योंकि इतने दिनों से हम साथ थे और कभी भी किसी भी कमरे में जाकर चुदाई करके सो जाते थे। शायद मैंने उपासना को सीमा समझ कर ही शराब के नशे में चोद दिया हो और उपासना ने विक्रम समझकर मेरे साथ ये सब किया हो! तभी तो रात को कोई बवाल नहीं हुआ। या शायद तृप्ति समझ कर ही उपासना को चोद दिया हो। मेरा मन तरह-तरह के कयास लगाकर खुद ही अपने आप को शांत करने की कोशिश कर रहा था। मगर यह सोचते-सोचते दिमाग के 12 बज गए थे। रात को हुई घटना समझ से परे थी। कैसे नजर मिलाऊँगा विक्की (विक्रम) और उपासना से, समझ नहीं आ रहा था।
मैंने अपनी सारी मीटिंग्स कैंसिल की और अपने केबिन में दुबक कर बैठा रहा। रोज समय पर आने वाला विक्रम आज ऑफिस नहीं आया था जिससे मैं समझ गया था कि विक्रम को भी इस बात का अब पता चल गया होगा। उस वक्त 'काटो तो खून नहीं' जैसी हालत थी।
सुबह से शाम हो गई लेकिन विक्रम आज ऑफिस नहीं आया था। अब तो उल्टा मेरे घर जाने का समय हो गया था लेकिन घर जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। कैसे दोनों से नजरे मिलाऊंगा? तृप्ति को इस घटना के बारे में क्या बताऊंगा?
मुझे तो कल रात क्या हुआ था यह पता भी नहीं था। अतः ऑफिस से मैं सीधा होटल गया और वहां पर खाना खाया और देर रात 10:00 बजे घर की तरफ मेरे कदम बढ़े। घर जाते-जाते मैंने यह सोच लिया था कि कल रात जो भी हुआ है उसके लिए विक्रम को बुलाकर उससे बात करूंगा और अपने किए की माफी मांग लूंगा। अदला-बदली कर चुदाई का खेल मेरे, सीमा, श्लोक, तृप्ति के बीच ही सहज था लेकिन यह विक्रम था, जिसको कि हमारे इस तरह के अदला-बदली वाले जीवन के बारे में कुछ भी नहीं पता था। जब मैं अपने फ्लैट पर पहुंचा तो गेट उपासना ने खोला। उसने मुझसे नजर नहीं मिलाई, न मैंने उससे। मैं सीधा अपने फ्लैट के ऊपर वाले कमरे में चला गया और विक्रम को ऊपर आने के लिए फोन किया।
तो दोस्तो, यह सब हुआ मेरे साथ बीती रात। रात की किताब में जो पन्ने अनपढ़े और अनसुलझे रह गए थे उन्हें खोलकर पढ़ने की कोशिश कर ही रहा था कि विक्रम की आवाज आई -- भैया!
|
|
12-16-2020, 01:27 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Hindi Sex Stories याराना
मेरी तंद्रा टूटी ... सोच के सागर से मैं बाहर निकला और बिना नजरें मिलाये मैं विक्रम से बोला- भाई जो कल रात हुआ मुझे उसके बारे में कुछ नहीं पता। शायद यह यकीन करना ना करना मुश्किल हो, लेकिन सच यही है कि जो हुआ मुझे उसका आभास केवल सुबह ही हुआ। मैं वैसे भी शराब का इतना आदी नहीं था कि खुद को संभाल सकूं और शायद शराब का ही कमाल था कि मेरे कदम बहक गए होंगे।
इस पर विक्रम बोला- अगर आपको अपनी की हुई गलती के बारे में पता ही नहीं है तो आप किस बारे में माफी मांग रहे हैं भैया! किसी भी सजा पाने वाले व्यक्ति को उसकी गलती का एहसास ना हो तो वह सजा किस काम की? उसी तरह, जिस तरीके से आप माफी मांग रहे हैं और आपको आपकी गलती का ही पता नहीं तो यह माफी किस काम की? विक्रम आगे बोला- मैं बताता हूं बीती रात क्या हुआ।
जब हम दोनों नशे में धुत्त हो गए तो आप बहकी-बहकी बातें करने लगे। नशे में मैं भी था पर मैं इसका आदी हूं इसलिए मुझे थोड़ा होश है, बीती रात शराब पीने के बाद आप ने मुझसे कहा- बहुत चढ़ा ली शराब।
अब मुझे खुद सीमा पर चढ़ाई करनी है। मैंने आपसे नशे में पूछा- कौन सीमा?
तो आपने कहा- साले तेरी बीवी सीमा।
मैंने आपको कहा- भैया, मैं श्लोक नहीं हूं, आपका विक्रम हूं। मेरी शादी सीमा से नहीं हुई है. मेरी बीवी उपासना है।
आपने मुझे गाली दी और मेरे कमरे की तरफ बढ़े। आप सीमा के बारे में अनाप-शनाप बोले जा रहे थे कि बहुत दिन हुए चुदाई किए। आज सीमा तेरी फाड़ डालूंगा। आप और मैं दोनों नशे में धुत थे। मैंने आपको हाथ पकड़ कर रोकना चाहा लेकिन रोक नहीं पाया।
वैसे भी जब हम कल शराब पी रहे थे तो मेरी शराब की मात्रा आप से दोगुना थी।
अतः मैं वहीं सोफे पर गिर गया।
##
सुबह जब नींद खुली तो 11:00 बजे थे। रात की आपकी और मेरी की हुई बातें मैं सब भूल गया था। अपने आप को संभाल कर जब कमरे में गया तो देखा कि उपासना कमरे में बैठे हुए रो रही है। वह अपने इतने आंसू बहा चुकी थी कि पूरा तकिया आंसुओं से गीला था। उसकी हालत और आंखें बता रही थीं कि वह गरीब 2 या 3 घंटे से लगातार रो रही है। मैंने इसके बारे में उपासना से पूछा तो उसने रोते हुए बताया कि कल रात उसने किसी के साथ भयंकर चुदाई की थी। उसके लिए वह विक्रम ही था यानि कि मैं उसका पति।
सुबह जब उसकी नींद खुली तो उसके पास कोई नहीं सोया था, वह पूर्ण रूप से नग्न अवस्था में थी। लेकिन जब उठ कर बरामदे की तरफ आई तो मुझे सोफे पर सोया देखकर उसने रात का अंदाज़ा लगा लिया कि आप समय से पहले ऑफिस चले गए थे। शराब पीकर रात में सोफे पर ही सो जाना मेरी आदत थी। तभी उपासना समझ गई थी कि रात में उसने आपके साथ चुदाई की है। बस यही सब सोचकर वह परेशान हो गई थी। सच बताऊं भैया तो गुस्सा मुझे भी बहुत आया।
आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? मगर फिर मेरा दिमाग ठनका। मुझे रात को की हुई आपकी बातें धुंधली-धुंधली याद आने लगी और धीरे-धीरे सब बातें पूरे दिन में सोचता रहा कि आपके दिमाग में उस वक्त सीमा थी। जो कि आपके साले की बीवी है। आप उसके बारे में ऐसा कैसे सोच सकते हैं? आपने भले ही चुदाई उपासना के साथ की हो लेकिन आपके ख्यालों में सीमा ही थी। इतना मुझे समझ में आ गया था मगर सीमा के बारे में ऐसा सोचना मेरी समझ से परे था। अब आप मुझे बताइए कि आप सीमा के बारे में ऐसा क्यों सोचते हैं? क्या आप भाभी से खुश नहीं है? या सीमा भी आपसे बहुत प्यार करती है? कैसे सीमा और श्लोक को भी इसके बारे में पता है?
मुझे पता है कि मेरे आने से पहले आप लोग यहां लगभग साल भर साथ रहे। तो शायद आप दोनों के बीच में प्यार हो गया हो या ऐसा कोई संबंध पनपा हो। मैं दिन भर सोचता रहा कि शायद श्लोक और सीमा को इसके बारे में सच पता चला हो, तभी वह लोग आपसे जुदा हो गए। आप लोग अब अलग रह रहे हैं। शायद आपने इसीलिए श्लोक को अहमदाबाद वाला मालिकाना हक प्रदान कर अलग किया है। बताइए भैया मुझे इसका जवाब चाहिए और फिर मैं अपना फैसला आपको बताऊंगा कि उपासना और मैंने आप को माफ करना है या सजा देनी है?
|
|
12-16-2020, 01:28 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Hindi Sex Stories याराना
मैं- देखो विक्रम, मुझे बड़ा भाई नहीं, अपना दोस्त समझो और मेरी बात सुनो। सामाजिक जीवन के चश्मे को उतार कर नीचे रखो और इस दुनिया को देखो। इस दुनिया में सब सम्भोग करते हैं। रिश्तेदारी को छोड़ो तो हर औरत और मर्द का रिश्ता एक ही डोर से बंधा हुआ नजर आएगा और वह डोर वासना की डोर है, सब रिश्ते इसी ग़रज से बंधे हैं। बाकी सब झूठ है. मानते हो कि नहीं?
विक्रम- जी मानता हूं।
मैं- बस ... हम भी उसी डोर में बंध गए और बाकी रिश्तेदारी वाली डोर को हमने तोड़ कर पीछे छोड़ दिया क्योंकि हमारा रहन-सहन काफी मॉडर्न था। तृप्ति-सीमा का छोटे कपड़े पहनना। हमारा और उनका एक-दूसरे के सामने चुम्बन करते हुए गुड मॉर्निंग गुड नाईट विश करना।
सीमा और तृप्ति हालांकि अच्छी ननद-भाभी थी लेकिन महिलाओं में सेक्सी और दूसरे से सुंदर दिखने की प्रतिस्पर्धा तो होती ही है। कुछ और भी कारण थे जिसकी वजह से हम इतने करीब आए लेकिन सब तुम्हें नहीं बता पाऊंगा। हम चारों के एक दूसरे के साथियों के साथ जिस्मानी संबंध थे। जिसे हम चारों ने भरपूर मजे के साथ बिताया।
अब यह बताओ कि उपासना कल की वारदात से कितनी नाराज है?
विक्रम- नाराजगी का तो पता नहीं लेकिन उसे समझ में नहीं आया कि कल क्या हुआ? शायद वह सदमे में हो। लेकिन उसने ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं दी। अभी तो मुझसे ही इस सवाल का जवाब पूछने के लिए कहा कि आखिर भैया ने ऐसा क्यों किया?
मैं- देखो प्यारे भाई विक्रम! माना कल मुझसे गलती हो गई है, इस बात को एक बार साइड में रखो और स्वयं रात भर रुक कर सोचो कि जो हम करते रहे क्या वो जीवन की सबसे आनंददायक चीज नहीं है? स्वयं को मेरी जगह रख कर सोचना कि तुम अपनी पत्नी तृप्ति के साथ तथा सलहज सीमा के साथ भी चुदाई का आनंद ले रहे हो और सीमा और उसका पति श्लोक भी मजे से अपने चुदाई वाले जीवन का आनंद उठा रहे हैं। उसके बाद सोचना कि हम जो कर रहे थे वह क्या गलत था? कल फिर शाम को हम दोनों यहां बैठकर उस घटना के सही गलत के बारे में बात करेंगे जो कि गलती से मुझसे बीती रात उपासना के साथ हुई। आज रात के लिए कैसे ना कैसे करके उपासना को समझा लो। मैं उसकी नजर में ना खटकूं इसलिए मैं अभी बाहर होटल में जाकर रात बिता लेता हूं। कल ऑफिस मत आना और दिन भर सोच कर शाम को मिलते हैं।
विक्रम- ठीक है भैया, बहुत रात हो गई है। हम सुबह बात करते हैं।
मैं विक्रम को छत पर छोड़ कर होटल चला आया और वहीं पर रूम लेकर रात में रुका।
मैंने विक्रम को स्वयं की जगह पर रखकर यह सोचने के लिए कहा था कि हमारे चारों के द्वारा अपनी मर्जी से किए गए अदला-बदली के कार्यक्रम में क्या गलत है? और मुझे पूर्ण विश्वास था कि कल शाम को विक्रम का जवाब क्या होगा। क्या हमारे द्वारा की गई अदला-बदली को वह गलत बताएगा? मुझे लगता था- बिल्कुल नहीं। इसके पीछे कारण था क्योंकि यह सब सोचने के लिए उसे यह भी सोचना पड़ेगा कि वह तृप्ति की अपनी बीवी की तरह चुदाई कर रहा है। उसके बाद सीमा की चुदाई कर रहा है और वह भी दोनों की मर्जी से, अपने पूर्ण रूप के मजे के साथ।
अब बताइए मित्रो! जिसे चोदने के लिए तमन्ना भाटिया जैसे शरीर की रूप की मालकिन तथा सीमा के रूप में कृति सेनन जैसी हीरोइन वाले शरीर की मालकिन की संपूर्ण चुदाई करने का मौका मिल रहा हो उसे यह बुरा कैसा लग सकता है। अतः मैं विक्रम की तरफ से चिंतित नहीं था। मैं तो उपासना की तरफ से चिंतित था कि शायद वह समझेगी या नहीं, किंतु यह समझकर मैं निश्चिंत हो गया था कि जब पति समझ जाएगा तो वह अपनी बीवी को समझा ही लेगा।
एक बार की हुई गलती को शायद ही इतना तुक देकर वे अपनी नाराजगी को बरकरार रखे।
##
अगले शाम हम निश्चिंत हो करके होटल में ही मिले। आते ही मैंने विक्रम के हाव-भाव देखे और मुझे लगा कि वह मुझसे नाराज नहीं है। हमने बात शुरू की।
विक्रम- वाह भैया! वाह मान गए आपको। जीवन के असली मजे तो आपने ही लिए हैं। साली ना मिली तो साले की बीवी को ही घरवाली बना लिया। हम घर वाले तो सोच रहे थे कि भैया वहां पर अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए बड़ी मेहनत कर रहे हैं लेकिन यहां की तो कहानी ही अलग है। यहां तो रोज अय्याशी और साथ ही बदल-बदल कर चुदाई चल रही थी। साथी बदल कर चुदाई करना इतना अजीब नहीं लगा, यह तो आम बात है। लेकिन बस भाई-बहन की चुदाई का किस्सा मुझे थोड़ा दिमाग में खटका लेकिन जब जवान भाई बहन ही एक दूसरे से चुदाई चाहते हों तो क्या गलत है। खुशनसीब हो आप कि आपको सीमा जैसी सेक्सी महिला की भरपूर चुदाई करने का मौका मिला। सच बताता हूं कि जब सीमा की शादी में मैं गया था तब मेरे दिल में भी उसे देख कर खलबली मची थी कि आपका साला श्लोक लंबी पतली कमर वाली अप्सरा की चुदाई का मजा किस प्रकार लेगा।
|
|
12-16-2020, 01:28 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Hindi Sex Stories याराना
मैं- चलो, विक्रम तुम तो समझे। लेकिन उपासना की इस पर क्या प्रतिक्रिया है? क्या उसे भी तुमने इसी प्रकार सब कुछ सच बता दिया? वह कहीं नाराज तो नहीं? और ऐसा तो नहीं सोच रही है कि वह कहां फंस गई है।
विक्रम- सच बताऊं भैया, जब मैंने उपासना को बताया कि यह गलती आपसे सीमा श्लोक से अदला-बदली करके चुदाई करने के कारण हुई है तो वह काफी आश्चर्य चकित हुई। एक बार तो वह मानने को भी तैयार नहीं थी कि ऐसा हो सकता है। फिर मैंने बातों-बातों में उसे कल्पना कर के सोचने को कहा और खुद को सीमा की जगह रख कर सोचने को कहा तो एक बार यह बात उसे उत्तेजित कर गयी। अंत में उसने मुस्कुरा कर कहा कि राज भैया से ग़लती हो गयी है इसके लिए अब उनसे नाता तो तोड़ नहीं सकते। वे काफी अच्छे हैं इसलिए उनको माफ कर देना चाहिए। इस कश्मकश में हम भले ही रात भर नहीं सो पाए हों लेकिन परिणाम ये ही निकला कि न उपासना आपसे नाराज है और न मैं। चलिए अब घर चलते हैं।
अतः हम दोनों ने होटल से चेक आउट किया और घर चले गए।
उपासना ने दोनों के लिये खाना रखा और हमने साथ में खाना खाया। इस दौरान उपासना की नजर झुकी रही। मैंने उपासना से बीती रात के लिए माफी मांगी। उसने मुस्कुरा कर 'इट्स ओ.के.' कहा। फिर हम अपने-अपने कमरे में जाकर सो गए।
##
अगला पूरा दिन ऑफिस में साधारण रहा।
शाम को विक्रम ने मुझे बात करने के लिए छत पर बुलाया। उपासना नीचे अकेली ही रसोई का काम देख रही थी।
विक्रम- राज भैया! जब से आपकी अदला-बदली की चुदाई की बात सुनी है, मेरी हालत खराब हो गयी है। कल की रात और आज का पूरा दिन ... एक क्षण भी ऐसा नहीं कि ये बात मेरे दिमाग से निकली हो। उत्तेजना से लन्ड का हाल बुरा हो गया है। ऐसी उत्तेजना मैंने अपने जीवन में कभी अनुभव नहीं की।
मैं- हां विक्रम, मैं समझ सकता हूं। बीवियों की अदलाबदली, वाइफ स्वैपिंग चीज़ ही ऐसी है जो कि एक बार दिमाग मे चढ़ जाए तो फिर उतरती नहीं है।
विक्रम- बुरा न मानिएगा भैया। तृप्ति भाभी के लिए भी मन में बड़े वासना वाले ख्याल आ रहे हैं। वो वास्तव में बड़ी ही उत्तेजित करने वाली महिला है। बिल्कुल जैसे तमन्ना भाटिया या हिंदी सीरियल की नागिन संजना खान।
मैं- हा ... हा ... हा ... ऐसा तो तृप्ति के लिए हर कोई कहता है कि तृप्ति हूबहू इन दोनों के जैसी लगती है।
विक्रम- राज भैया! क्या हम दोनों भी आपकी इस अदला-बदली वाली मंडली में शामिल हो सकते हैं? अगर ये नहीं हो सकता तो लग रहा है कि जीवन अधूरा रह जाएगा मेरा।
मैं- यार इसके लिए मैंने कल बीती रात एक बार विचार किया था। लेकिन इसमें काफी समस्यायें हैं। मुझे माफ़ करना विक्रम तुम्हारे साथ ऐसा नहीं कर पाएंगे।
विक्रम- क्यों? क्या उपासना में कोई कमी है? वह भी बला की खूबसूरत है और क्या भाभी को मैं अच्छा नहीं लगूंगा?
मैं- नहीं, ऐसी बात नहीं है विक्रम! उपासना तो बहुत खूबसूरत है। जबकि तुम भी तो बिल्कुल मॉडल वरुण सोबती जैसे लगते हो। मैंने कभी उपासना को वासना की नजरों से नहीं देखा। मेरे ख्याल से शायद ही तृप्ति ने भी तुम्हारे बारे में ऐसा सोचा हो। मगर सबसे पहले ये बताओ कि क्या तुमने इस बारे में उपासना से बात की है? उसने एक बार गलती समझ कर मुझे माफ़ किया है। कल को वही सोचेगी कि मैंने ही तुम्हें बिगाड़ दिया है और ये सब मेरी ही करामात है।
विक्रम- आप उपासना की चिंता मत कीजिये भैया। उसकी जिम्मेदारी मेरी।
मैं- नहीं विक्रम, तुम ये विचार अपने दिमाग से निकाल दो। भाई हो मेरे तुम छोटे। ये गलत होगा तुम्हारे जीवन के लिए। तुम्हें नहीं झोंक सकता इस गन्दी नाली में थोड़े दिन के मजे के लिए। तृप्ति तो मेरी खुद की है। हम अपने जीवन के साथ अपनी मर्जी से खेले हैं। तुम परिपक्व होकर सोचो।
इतना बोलकर मैं विक्रम को अकेले छोड़कर नीचे कमरे में आकर सो गया।
##
|
|
12-16-2020, 01:28 PM,
|
|
desiaks
Administrator
|
Posts: 23,724
Threads: 1,147
Joined: Aug 2015
|
|
RE: Hindi Sex Stories याराना
अगले दिन ऑफिस में विक्रम मेरे केबिन में आया और आकर मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठकर बोला- क्या भैया ... सारा बिगड़ने का ठेका क्या आपने ही लिया है? इस मजे के लिए थोड़ा अपने छोटे भाई को बिगड़ने दो ना!
मैं- देखो विक्रम! बीवी की अदला-बदली एक मझधार में फंसने जैसा है। अपनी बीवी कितनी ही अच्छी हो लेकिन फिर अपनी बीवी की चुदाई करने से मन नहीं भरता।
विक्रम- अरे तो भैया कोई और थोड़ी न है यहां कि मुझे बीच मझधार में छोड़कर चला जाएगा। आप हो ना निकालने वाले। इस मझधार का मजा दिलाने वाले। वैसे भी मझधार जब इतनी खूबसूरत हो तो कौन निकलना चाहेगा ऐसे समन्दर से? क्या भैया! तृप्ति भाभी को उनके खुद के भाई से चुदवा सकते हो, लेकिन अपने भाई से चुदवाने में आना-कानी कर रहे हो। उनका सेक्सी चेहरा याद करके ही मेरा लन्ड चिकनाई छोड़ने लगता है। चिंता न करो भैया, उपासना की चुदाई करोगे तो पता चलेगा कि ये कोई घाटे का सौदा नहीं है। उपासना अपनी गांड उठा-उठा कर आपका लंड लेगी। बहुत प्यासी है वो सेक्स की।
मैं- एक बार तृप्ति से और उपासना से मुझे बात करनी होगी, फिर देखते हैं।
विक्रम- उनसे बात करने और उनकी हां कहलवाने में शायद कठिनाई हो क्योंकि आपको वो बात नहीं पता है जो मुझे पता है। लेकिन जब आप वो बात जानोगे तो आप भी सौ प्रतिशत पक्के मान जाएंगे कि ये अदला-बदली उपासना और तृप्ति भाभी दोनों के लिए जरूरी है।
मैं- अच्छा, मेरे प्यारे छोटे भाई! ऐसा क्या पता है तुमको?
विक्रम- मेरी कहानी जो मेरे जीवन में घटित हुई। आपको आधा सच पता है, अब आप पूरा जान लो।
मैं- ठीक है चलो। अगर तुम्हारी कहानी सुनने के बाद मुझे लगा कि उपासना और तृप्ति के लिए ये अदला-बदली वाली चुदाई जरूरी है तो कुछ भी हो जाए हम अदला-बदली करके तृप्ति और उपासना को जरूर चोद देंगे।
विक्रम- भैया जैसा कि आपको पता है कि बारहवीं कक्षा पूरी करने के बाद मैं आगे की पढ़ाई करने के लिए बेंगलूरू गया था। प्रथम वर्ष तो जैसे तैसे पूरा हो गया। कॉलेज के द्वितीय वर्ष में मेरी मित्रता कॉलेज की सबसे प्रसिद्ध सुन्दरियों में से एक, उस लड़की से हुई जिसका नाम तृप्ति था। वह फाइनल वर्ष की छात्रा थी। गोरी चिट्टी और आकर्षक देह वाली थी। पूरे कॉलेज के लड़के उसका नाम ले कर मुट्ठ मारते थे। उस कच्ची उम्र में उसके 34 के स्तन, 26 की पतली कमर और 34 की गांड पूरे कॉलेज पर कयामत बरसाया करती थी। चूंकि मैं दिखने में ठीक था और पिताजी के पैसों का थोड़ा फायदा मिल रहा था जिसकी वजह से कॉलेज की लड़कियों में मेरा भी बोल-बाला हो गया था। किसी तरह में तृप्ति से बात करने में कामयाब रहा और तृप्ति ने भी मुझे अच्छा रिस्पॉन्स दिया। उसका परिणाम ये हुआ कि 3-4 महीनों की मेहनत में तृप्ति ने मेरा 'आई लव यू' का इज़हार स्वीकार कर लिया।
तृप्ति काफी मॉडर्न और समझदार युवती थी। उसके मेरे साथ होने से कॉलेज में मेरी एक अलग ही पहचान बन गई थी। कुछ सीनियर लड़कों ने इस मामले में मुझे पीटना चाहा लेकिन आपने ही बैंगलोर आकर उन सबको सबक सिखाया था।
मैं- अच्छा लेकिन तुमने तो कहा था कि वो लड़के तुम्हारी रैंगिंग के लिए तुम्हें परेशान करते हैं। इसलिए मैंने बैंगलोर आकर उनकी पिटाई करवाई थी।
विक्रम- नहीं भैया, असली कारण तो यही था। पर आपको तब कैसे बताता कि लड़की का चक्कर है!
अब आगे की कहानी सुनो…
हमारे, मतलब तृप्ति और मेरे रिश्ते को लगभग आधा साल हुआ था। हमने इस दौरान पार्क में, कॉलेज में मौका देखकर खूब चुम्मा चाटी की। फिर एक बार की बात है जब मेरा जन्मदिन आया। मैंने कॉलेज से बाहर आकर होटल में एक शानदार कमरा बुक किया और वहीं जन्मदिन मनाने के बहाने तृप्ति को बुलाया। आज मैं जन्मदिन के तोहफे के बहाने कॉलेज की सबसे सुंदर परी को चोद-चोद कर लाल करना चाहता था। अतः मेरे प्यार की खातिर तृप्ति आयी। उसने नीली जीन्स और सफेद टी-शर्ट पहनी थी। भूरे और सुनहरे रंग किए हुए बाल थे उसके जो कि अच्छे खासे संयम वाले आदमी का भी लंड खड़ा कर दें। टाईट जीन्स में उसकी गांड का आकार और सफेद टी-शर्ट में उसके उभरे हुए सन्तरे लंड में झनझनाहट पैदा करने लगे थे।
उसने मुझे किस करके जन्मदिन की शुभकामना दी। उसके बाद हमने केक काटा। उसने मुझे केक खिलाया पर मैंने मना किया और पहले उसे खाने को कहा। मैं अपने हाथ में लेकर उसे केक खिलाने लगा। लेकिन चालाकी से मैंने उस केक को उसके पूरे चेहरे पर रंग दिया और कहा कि अब मुझे तुम्हारे गालों से केक खाना है। तृप्ति नीचे चेहरा करके मुस्कुराने लगी और इसी मुस्कुराहट को उसकी हां समझ कर उसके गालों से अपनी जीभ लगाकर मैं केक को खाने लगा। फिर इसी तरह से मैंने उसके पूरे चेहरे को साफ किया। फिर उसने भी अपने हाथों में केक लेकर मेरे गालों पर लगाया और मेरे चेहरे को अपने प्यारे से होंठों से साफ करने लगी। हमने एक दूसरे के होंठों को अपने अपने होंठों में दबाकर उन्हें चूसना चाटना शुरू कर दिया। फिर मैंने अपनी जीभ को तृप्ति की गर्दन पर घुमाना शुरू किया। तृप्ति मेरी इस हरकत से सिहर उठी। उसने भी मेरे चेहरे पर चुम्बन की बरसात कर दी। मैंने अपने हाथ को उसके स्तनों पर ले जाकर टी-शर्ट के ऊपर से दबाना शुरू किया। इस पर तृप्ति का गोरा चेहरा पूरा लाल हो गया। मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी। तृप्ति ने अपना चेहरा शर्म से झुका लिया। लेकिन अब जो नजारा मेरी आँखों के सामने था उसे मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकता क्योंकि यह नजारा कुछ शीघ्रपतन वाले मर्दों के पानी की पिचकारी, बिना लंड पर हाथ लगाए ही छुड़वाने के लिए काफी था। काले रंग की ब्रा में सफेद और गुलाबी रंग की मिश्रित चमड़ी वाली हसीना जिसकी कमर पर उसकी अति उत्तेजक नाभि थी। ब्रा के इलास्टिक ने उसके सफेद गोरे जिस्म पर जो गुलाबी रेखा बनाई थी उसने मेरे शरीर की नस-नस के खून के एक-एक कतरे को एक नई सरसराहट से सिरमौर कर दिया था। मैंने आव देखा न ताव, ब्रा सहित तृप्ति के स्तनों को मुंह में दबा लिया। तृप्ति भी अपने स्तन मेरे मुंह में जोर से दबाने लगी।
|
|
|