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Kamukta kahani कीमत वसूल
कीमत वसूल
पात्र (किरदार) परिचय
01. समीर- कम्पनी का मालिक, हसमुख स्वभाव,
02.शोभा ऋतु की माँ,
03. ऋतु- उम 23 साल, रंग गोरा, आकर्षक नैन-नक्श, फिगर 34-28-32 की, क़द 5 फूट,
04. अनु- पूरा नाम अनुपमा, ऋतु की बड़ी बहन,
05. शिल्पा- ऋतु की छोटी बहन,
06. अंज- सिंपल लुक, चूचियां बड़ी-बड़ी,
07. सुमित- अन् का पति,
08. हेमा- अंजू की दोस्त,
09, जिया- शाजिया
प्रिय मित्रों ये कहानी पूर्ण रूप से काल्पनिक है... इसके सभी पात्र एवं घटनायें भी काल्पनिक हैं। जो भी तथ्य रखे गए हैं वो सब कथा को रोचक बनाने के लिए हैं। आशा करता है की आप सभी पाठकों को ये कहानी पसंद आएगी और आपके समय की पूरी कीमत वसूल हो जाएगी।
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
पहले मैं आपको अपना परिचय देता हूँ मेरा नाम समीर है, मैं बड़े ही हँसमुख स्वभाव का हूँ, मैं अपनी जिंदगी अपने तरीके से जीना पसंद करता हूँ किसी की रोक-टोक मुझे पसंद नहीं इसीलिए अपना अलग बिजनेस कर रहा हूँ। चलिए अब उस बात की और चलते हैं जिसको आप सबसे शेयर करना है।
मेरे आफिस में 5 लोग काम करते हैं, जिसमें एक लड़की और 4 लड़के हैं। अचानक एक लड़के ने काम छोड़ दिया जिसकी वजह से स्टाफ की कमी महसस होने लगी। मैने एक-दो बार न्यसपेपर में एड दिया पर कोई सही बंदा नहीं मिला, इसलिये ऐसे ही काम चला रहा था। फिर एक दिन मेरे एक परिचित का फोन आया की उनके दोस्त की बेटी है वो पहले जिस आफिस में काम करती थी वो आफिस कहीं और शिफ्ट हो गया, इसलिए वो
आजकल कोई जाब ढूँढ रही हैं। मुझे अगर सही लगे तो मैं उसको अपने आफिस में रख लूँ।
मुझे इसमें कोई बुराई नहीं लगी। मैंने कहा- "देखते हैं.."
मैने उनको बोला- "आप उसका कल भेज दीजिए, मैं बात कर के देखता हूँ.."
अगले दिन करीब 11:00 बजे बो मेरे आफिस में आई। मैंने उसको अपने केबिन में बुला लिया। मैंने उसका सी.बी. देखा, उसकी उम्र 23 साल थी और उसका नाम ऋतु था, गोरे रंग की आकर्षक नैन-नक्श वाली थी, उसका फिगर 34-28-32 होगा और उंचाई लगभग 5 फूट पर उसका फेसकट बड़ा प्यारा था। देखते ही मुझे भा गई। मैंने उससे अफीशियल दो-चार बात पूछी और उसको कहा की कल से आ जाओ। अगले दिन वो आफिस में जब आई तब उसने सलवार सूट पहना था और बड़ी प्यारी लग रही थी।
मैं अपने कैबिन में बैठकर फाइलें चेक कर रहा था की अचानक में ऋतु मेरे केबिन में आई और कहा- "सर मुझे क्या काम करना होगा, ये कौन बताएगा?"
मैंने हँसते हुए कहा- "तुम कुछ नहीं करो बस यहीं मेरे पास ही बैठी रहो.."
फिर मैंने ऋतु को कहा- "नीचे जाकर अंजू से मिल लो वो सब समझा देगी.."
अंजू मेरे आफिस में एक साल से काम कर रही है। अंजू सिंपल से लुक वाली लड़की थी पर उसकी चूचियां बड़ी बड़ी थीं जिनको वो हमेशा दुपट्टे से ढँक कर रखती थी। पर मैंने कभी उसका ये एहसास नहीं होने दिया की मैं उसकी चूचियों का दीवाना हूँ। वैसे तो मेरी शादी को 4 साल हो चुके हैं। पर पिछले 8 महीने में हम दोनों अलग रह रहे हैं। खैर, जाने दीजिए वो बाद में शेयर करूगा।
मैंने देखा 4:00 बज गये। मैंने ऋतु को अपने केबिन में बुलाया और कहा- "कैसा लगा आज का दिन?"
उसने कहा- "सर ठीक रहा और कोई परेशानी भी नहीं हुई.."
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
मैंने उसको कहा- "बैठो." और चपरासी को चाय लाने को बोला। फिर मैंने ऋतु को कहा- "तुम जब फ्री हुआ करा तब मेरै केबिन में आ जाया करो और जो फाइलें मैं चेक करता हूँ उनको एक बार रीक कर लिया करो.."
उसने कहा- "ओके सर..." और फिर हम चाय पीने लगे।
मैंने उससे पूछा- "तुम पहले जहां काम करती थी उस आफिस को क्यों छोड़दिया?"
ऋतु ने कहा- "बो आफिस अब बहुत दूर शिफ्ट हो गया है, मैं इतनी दूर नहीं जा सकती, देर हो जाती है वापस आने में.."
मैं मन ही मन मुश्कुराया की मुझे बच्चा समझ कर गोली दे रही है। खैर, मैं चुप रहा और कहा "तुम यहां से 5:00 बजे के बाद कभी भी जा सकती हो..."
फिर वो मुझे बाइ करके चली गई। इस तरह दो-चार दिन बीत गयें फिर एक दिन रात को मैं अपने दोस्त के साथ ड्रिंक कर रहा था। मेरे सैल पर एक मेसेज आया जो बड़ा ही रोमांटिक सा था। मैंने देखा तो यकीन नहीं हआ, वो ऋत के सेल से आया था। अगले दिन मैंने ये नोटिस किया की अत मझे कुछ अलग ही नजर से देख रही है। मैं अंजान बना रहा।
मैंने अंजू को अपने केबिन में बुलाया और पूछा- "ऋतु कैसा काम कर रही है?"
अंजू को जैसे कोई बहाना मिल गया हो। उसने उसके बारे में पूरी कथा करनी शुरू कर दी और फिर उसने जो बात कहीं वो सुनकर मुझे झटका सा लगा।
अंजू ने कहा "ऋतु आपके बारे में कुछ खास ही इंटरेस्ट ले रही है और ऋत जहां पहले काम करती थी वहां उसका बास उसको सेक्स के लिए कहता था इसलिए वो वहां से काम छोड़ आई है.."
मैंने अंज को कहा "तुम उसपर ये जाहिर नहीं होने देना की मुझे में सब बातें तुमनें बताई हैं, और कोई नहीं बात पता चले तो बता देना..."
अंजू के जाने के बाद मैं सोचने लगा की ये ऋतु क्या चीज है? फिर मेरे दिमाग में एक आइडिया आया। मैंने अपने सेल से एक मेसेज जो थोड़ा रोमांटिक था ऋतु को भेज किया। दो मिनट में उसका जवाब आ गया। ये देखकर में अब पूरी तरह समझ गया, कोई ना कोई पंगा है।
अगले दिन सनई था। मैंने ऋतु को बुलाया और कहा- "कल आफिस बंद रहेगा पर जब कोई काम होता है तब आफ सनडे को भी आना पड़ सकता है.."
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
ऋतु ने कहा- "मुझे कोई प्राब्लम नहीं है सर, मैं भी घर में बोर हो जाती हैं."
मैंने मुश्कराते हुए कहा "दोस्तों के साथ कहीं घूमने नहीं जाती क्या?"
उसने कहा- "सर मेरे ऐसे दोस्त ही नहीं हैं."
फिर मैंने उसको कहा- "अगर तुम कल फ्री हो तो मेरे साथ लंच पर चलो.."
सुनकर ऋतु खुशी से बोली- "एस सर... कहां चलना है?"
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मैंने उसको कहा- "बस कल तुम एक बजे मुझे अपने घर के पास मिलना, तब सोचते हैं की कहा जाना है?"
फिर ऋतु मुझे बाइ बोलकर चली गई। मैं बहुत देर तक सोचता रहा की उसको कहां ले जाऊँ? क्योंकी पर शहर के सब स्टोरेंट में मेरा आना जाना लगा रहता है। फिर दिमाग में एक आइडिया आया की कल, हमारे शहर के पास एक रिजार्ट है 15-20 किलोमीटर दूर है, वहां जाना ठीक रहेगा। अगले दिन मैं जल्दी से तैयार हो गया और घर से ही मैंने ऋतु को फोन किया- "मैं आ रहा है, तुम तैयार हो या नहीं?"
उसने कहा- "में बिल्कुल तैयार
."
में कार को तेज चलाकर जल्दी से वहां पहुँच गया। ऋतु मेरे इंतजार में पहले ही खड़ी थी। मैंने कार का दरवाजा खोलकर उसको अंदर आने को कहा। उसने आज ब्लैक जीन्स और अँड टाप पहनी हुई थी, जिससे उसका फिगर एकदम मस्त लग रहा था। कार में एसी की फुल कूलिंग थी।
ऋतु बैठते ही बोली- "उहह... कितना अच्छा लग रहा है बाहर कितनी गर्मी थी.."
मैंने मुश्कुराकर कहा- "तुम वैसी ही बड़ी गरम हो.."
ऋत भी मुश्कराकर बोली- "और आप ता मिस्टर कल हो जी.."
मैंने कहा- "वो कैसे?"
ऋतु बोली- "जब से आपको देख रही हूँ आप हमेशा ही कूल रहते हैं."
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
ऋतु ने मुँह से लगाई और दो-तीन घट भरे और बुरा सा मुँह बनाया और कहा- "जी... कित्ता बुरा टेस्ट है.."
मैंने हँसते हुए कहा- “ये मदों की चीज है.." फिर मैंने उसका ग्लास उठाया और गटागट पी गया। ऋतु देखती ही रह गई।
ऋतु बोली- "सर आपने मेरा जूठा पी लिया.."
मैंने कहा- "क्या हुआ? तुम मेरा जूठा मत खाना। मुझे तो कोई गलत नहीं लगता..."
ऋतु की आँखों में मैंने पहली बार अपने लिए प्यार देखा फिर हमने लंच किया। जब मैंने बिल देने के लिए अपना पर्स खोला तो ऋतु में मेरे पर्स को बड़े ही ध्यान से देखा। मेरा पर्स र 1000 के नोटों से भरा था। मैंने बिल दिया और बाकी उसको रख लेने को कहा। मैंने एक बात नोटिस की कि ऋतु मेरे पर्स को बड़े ध्यान से देख रही थी। हम वहां से वापिस आने का चल दिए।
मैंने कार में ऋतु से कहा- "तुम अब मेरी दोस्त हो, ये बताओ की तुम दोस्ती की क्या लिमिट मानती हो?"
ऋत ने कहा- "मेरी नजर में दोस्ती की कोई लिमिट नहीं होती, क्योंकी दोस्ती की लिमिट दोस्ती के साथ बढ़ जाती है...'
मैं मन ही मन खुश हो गया की इसका आउटलुक बोल्ड है। मैंने अपना हाथ ऋतु की कमर के ऊपर रख दिया। वो कुछ नहीं बोली, सामने देखती रही। फिर मैंने अपना हाथ उसके कंधों पर रखा और अपने हाथ को जरा सा ऐसे करा की उसकी चचियां मेरी उंगली से टच हो जाएं, और ऐसा ही हआ।
अब अत ने मेरी तरफ शरत से देखा और कहा "क्या कर रहे हो आप?"
मैंने अंजान बनते हुए कहा "क्या हुआ.. हाथ हटा लें क्या?"
ऋतु बोली- "नहीं मुझे कोई प्राब्लम नहीं... आप सही से हाथ रख लो.." और बो रिलैक्स होकर बैठ गई।
रास्ते में एक जगह सूनसान आते ही मैंने कार राककर ऋतु से कहा- "मैं सूसू कर लू.."
में कार से उत्तर गया और सूस करने के बाद मैंने जानबूझ कर अपनी जीन्स की जिप बंद नहीं की। मेरे मन में अब कुछ करने का इरादा पक्का हो चुका था। मैंने ऋतु की साइड का दरवाजा खोला और झुककर उसके होंठों पर होंठ रख दिए। ऋतु ने कोई विरोध नहीं किया। उसके होंठ सच में इतने मुलायम थे, मुझे एहसास हो रहा था
और उसकी सांसों की महक महसूस हो रही थी। मन ही नहीं कर रहा था होंठ हटाने का।
फिर उसने मुझे एकदम से धक्का दिया और बोली- "बस अब इतना ही.."
अपनी सीट पर चला गया। मैंने अपनी जिप को खला ही रहने दिया।
इतने में ऋतु बोली- "आपकी जिप खुली है.'
मैंने कहा- "होनें दो जरा हवा लगने दो.."
ऋतु हँस पड़ी, बोली- "हवा से क्या होगा?"
मैंने उसको कहा- "इसको गर्मी हो गई है..."
ऋत मश्रा उठी फिर एकदम से उसने मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया। मैंने कुछ कहा नहीं बस कार चलाता रहा, दो मिनट बाद मैंने ऋतु से कहा- "हाथ हटा लो नहीं तो कुछ हो जाएगा.."
ऋतु ने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए कहा- "क्या होगा जी... हम भी तो देखें..."
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
मैंने एकदम से अपना लण्ड बाहर निकाल दिया, ऋतु देखकर दंग रह गई। मेरा " इंच का लण्ड काफी मोटा भी है। गोरा लण्ड देखकर ऋतु की आँखों में वासना दिखने लगी।
मैंने ऋतु में कहा- "इसको पकड़कर नहीं देखोगी?"
ऋतु ने फौरन उसको पकड़ लिया। उसके नाजुक हाथ का स्पर्श पाकर मेरा लण्ड एकदम से और कड़ा हो गया
और फिर ऋतु मेरे लण्ड को सहलाने लगी। मुझे बड़ा मजा आ रहा था।
मैंने ऋतु से कहा- "अगर तुम इसको मुँह में लेकर चूस दो तो और मजा आ जाए..."
ऋतु बोली- "अच्छा जी, आपको मजा भी आने लगा?" फिर ऋतु में मेरे लण्ड पर अपना मुँह लगा दिया।
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उसकी सांसों की गर्मी मुझे लण्ड पर महसूस होने लगी।
ऋतु ने मुझसे कहा- "आपके लण्ड से बड़ी प्यारी खुशबू आ रही है.."
मैंने कहा- "मैं अपने लण्ड का भी बड़ा ध्यान रखता है, वैसे मैं आपको बता द्, मैं डी.ओ. अपने लण्ड पर भी लगाता हूँ..."
ऋत् ने मेरे लौड़े को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया। मैंने कार की स्पीड इतनी कम कर दी की कार अब अंग रही थी। मुझे आज तक लण्ड चुसवाने में इतना मजा नहीं आया था, जितना आज आ रहा था। पता नहीं क्यों ऋतु का स्टाइल इतना मस्त लग रहा था। वैसे तो मैंने कई बार चुम्पा लगवाया है पर आज तक इतना मजा कभी नहीं आया। फिर मुझे ऐसा लगने लगा की मेरे अंदर का लावा अब बाहर आने वाला है, पर मैं चुप रहा। ऋतु के होंठों में मेरा लण्ड ऐसा दबा हुआ था जैसे कोई आइसक्रीम।
फिर अचानक से मेरी बाड़ी ने एक झटका लिया और खूब सारा माल ऋतु के मुँह में भर गया। पर तारीफ करनी होगी ऋतु की कि उसने एक भी बूंद बाहर नहीं आने दी, सब पी गई और मेरे लौड़े को कसकर चूसने लगी और सुपाड़ा चाटकर साफ कर दिया। मैं इतना रिलॅक्स हो गया जैसे की कई दिन बाद अंदर से कोई लाबा निकला हो। मैं दिमाग को शांत कर रहा था वो माल निकालकर।
मैंने प्यार से ऋतु से पूछा, "कैसा लगा मेरा माल?"
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ऋतु ने कहा- "बड़ा ही टेस्टी था मजा आ गया.."
मैंने कहा- "पहले कभी टेस्ट किया है?"
ये सुनकर वो गुस्से से बोली- "मैं क्या आपको कोई कालगर्ल लगती हैं?" और उसकी आँख से आँसू आने लगे।
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
मेरे घर में एक नौकर था जो खाना बनाता था। फिर मैं भी डिनर के बाद सो गया। सुबह में आफिस में जब पहचा तो मेरे केबिन में एक लंच बाबस पड़ा था, साथ में एक स्लिप भी थी। मैंने पढ़ा तो उसमें लिखा था की आज आप मेरे हाथ से बना खाना खाकर बताइए की मुझे खाना बनाना आता है या नहीं?
मैंने लंच टाइम पर ऋत को कैबिन में बुलाया। ऋत से मैंने कहा- "आज लंच दोनों साथ ही करेंगे..." और हम दोनों ने साथ ही लंच किया।
आज ऋत कुरती और पाजामी में थी, सफेद पाजामी में उसकी मोटी-मोटी जाँघों को देखकर लण्ड में तनतनी मच रही थी। लंच के बाद मैंने ऋतु से कहा- "तुम जाने से पहले मेरे से मिलकर जाना.."
ऋत करीब 4:00 बजे मेरे केबिन में आई।
मैंने उसको कहा- "अंदर से लाक कर दो.."
उसने कहा- "क्यों?"
मैंने उसको कहा- "करो तो सही.."
उसने कर दिया। मैं अपनी चयर से उठा और ऋतु को अपनी बाहों में भर लिया और उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए और किस करने लगा। ऋतु में अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी और मैं उसको चसने लगा। फिर मैंने मत के चतड़ों पर हाथ रख दिया। अत ने अपनी गाण्ड को कस लिया। मैंने अब अपने हाथ उसकी चूचियों पर रख दिए और उसकी चचियों को करती के ऊपर से दबाना शुरन कर दिया। ऋतु की सांस अब तेज चलने लगी थी, और उसका हाथ अब मेरे लण्ड पर आ गया था।
मैंने ऋतु को कहा- "अपनी कुरती उतार दो.."
ऋतु ने मुझे मना कर दिया, बोली- "सर, बस में आपको इससे ज्यादा और कुछ नहीं करने दूंगी."
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मैंने कहा- "क्या?"
बोली- "सर मैं आपको पसंद करती हैं पर आप जानते हो मैं अभी बारी हैं और मैं एक गरीब परिवार से हैं। अगर कुछ गलत हो गया तो मेरी लाइफ बर्बाद हो जाएगी..."
मेरे दिमाग में उसका जिस्म घूम रहा था, मैं उस टाइम किसी भी सूरत में उसको अपने लण्ड के नीचे लाना चाहता था। पर कैसे समझ में नहीं आया। मैंने अपने दिमाग का कूल किया और ऋतु से कहा- "ओके... तुम मुझे बो नहीं करने देना पर मुझे प्यार तो करने दो..
ऋतु ने कहा- "मैं आपका लण्ड चूसकर आपको रिलॅक्स कर देती हूँ.."
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मैंने कहा- "ओके... पर मेरी एक शर्त है, तुम पूरी नंगी होकर मेरा लण्ड चूसोगी..."
वो मान गईं। ऋतु ने अपनी करती उतार दी। फिर अपनी लेगिंग अब वो ब्रा पैटी में मेरे सामने खड़ी थी।
उसका गोरा बदन मुझे दीवाना बना रहा था। उसकी ब्लैक कलर की ब्रा उसने उतारी तो ऐसा लगा जैसे में जन्नत में आ गया। उसके 34डी साइज की चूचियां बिल्कुल तनी हुई थी, उसकी चची में अभी निप्पल नहीं थे। मैंने उसकी चूची को अपने हाथ में लेकर अपने मुह से लगा लिया। ऋतु की आँखें बंद हो गई। मैं उसकी चूची को चूसने लगा बारी-बारी से, फिर मैंने उसकी चत पर हाथ फेरा।
उसकी चूत पर हल्के में बाल थे। उसकी चूत में मैंने उंगली लगाई तो मेरी उंगली का जरा सा हिस्सा गया होगा
की वो एकदम से चौंक गई और बोली- "आपने वादा किया है."
मैंने कहा- "पागल, मैं सिर्फ तेरी चूत की खुशबू देख रहा था..." और मैंने बो उंगली अपने मुँह में रख ली। कसम से उसकी चूत का पानी जो मेरी उंगली में लगा था जरा सा, उसका टेस्ट बड़ा मस्त था।
मैंने ऋतु से कहा- "अब मेरा लौड़ा अपने मुँह में ले लो.." और मैं चेयर पर बैठ गया।
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