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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
लक्ष्मण दास की निगाह ज्यों ही उस तरफ घूमी, घबराहट में कार पर से कंट्रोल हट गया।
कार संभाल ।” सपन चड्ढा चीखा। परंतु तब तक कार ‘धड़ाम से सड़क के किनारे खड़े पेड़ से जा टकराई थी।
सपन चड्ढा ने किसी तरह खुद को बचाया।
लक्ष्मण दास का माथा स्टेयरिंग से जा टकराया। परंतु रफ्तार कम होने की वजह से बचाव हो गया था।
परंतु वो तीन इंच का इंसान डैशबोर्ड पर मौजूद रहा।
ये...ये क्या है सपन?” क...कहीं अंतरिक्ष जीव त...तो नहीं है?” पागल है क्या...ये...ये।” तभी कार में अजीब-सी महक फैलने लगी। दोनों को लगा जैसे उनके मस्तिष्क सुन्न होने लगे हों।
जो मुझे छू लेता है, वो मेरा गुलाम बन जाता है।” डैशबोर्ड पर खड़े तीन इंच के आदमी के होंठों से आवाज निकली–“तुम दोनों ने मुझे छुआ, अब तुम दोनों मेरे गुलाम हो ।”
क...कौन हो तुम?”
मोमो जिन्न हूँ मैं।”
मोमो जिन्न?”
हां, जथूरा का सेवक मोमो जिन्न। इस दुनिया के लोग मुझे कम ही जानते हैं।”
इ...इस दुनिया...?”
“खामोश रहो। जो मैं कहता हूं सिर्फ वो सुनो। मैं तो कब से | तुम दोनों के इंतजार में उड़ रहा था।”
“उड़ रहा था?”
। “हां, जथूरा ने खबर भिजवाई थी मुझे कि तुम दोनों यहां से निकलोगे और...।”
तेरी तो ।” एकाएक लक्ष्मण दास ने उसे पकड़ने के लिए गुस्से से अपना हाथ आगे बढ़ाया। | इससे पहले कि वो मोमो जिन्न को पकड़ पाता, उसके हाथ को बेहद तीव्र झटका लगा।। | लक्ष्मण दास का पूरा शरीर झनझना उठा।
मोमो जिन्न की हंसी गुंजी वहां।।
दोबारा ऐसी गलती की तो मैं तुम्हारी जान ले लूंगा। अपने गंदे हाथ मुझसे दूर रखो।” मोमो जिन्न ने कहा।
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
लक्ष्मण दास अपना हाथ थामे डरा-सा बैठ गया। सपन चड्ढा के होश गुम हो गए लगते थे।
उसी पल मोमो जिन्न ने डैशबोर्ड से छलांग लगाई और पीछे वाली सीट पर जा पहुंचा और देखते-ही-देखते वो चार फीट जितना बड़ा होता चला गया। अब वो आराम से सीट पर बैठ गया था।
लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा की गर्दन घूमी और उस पर जा टिकी थी।
उसका बड़ा रूप देखकर दोनों कांप उठे थे।
मैं तो पेड़ से भी लम्बा हो जाऊं, लेकिन इस वक्त कार में बैठा हूं।” मोमो जिन्न हंस पड़ा-“ये बात अपने दिमाग में बिठा लो कि तुम दोनों अब मेरे गुलाम हो। जो मैं कहूंगा, वो ही तुम्हें करना पड़ेगा। तुम दोनों ने मुझे छुआ, इससे मुझे हक मिल गया, तुम दोनों को गुलाम बनाने का ।” ।
म...मैंने कहां छुआ?” सपन चड्ढा ने कहा। “जब मैं पत्थर बना हुआ था तो तुम दोनों ने मुझे छुआ ।”
हमने तो पत्थर को छुआ था।” “वो मैं ही था। लेकिन तुम लोगों ने मुझे कीमती पत्थर समझा। मैं तुम दोनों की बातें सुन रहा था और बहुत मजा आ रहा था मुझे। अगर तुम लोग मुझे न छूते तो, तब मैं तुमसे बात कर ही नहीं सकता था।” | लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा, दोनों मन ही मन कांप रहे थे। चेहरे फक्क थे। हालत बुरी थी।
“त...तुम हमसे क्या चाहते हो?”
मैं कुछ नहीं चाहता। मेरी अपनी तो इच्छाएं ही नहीं हैं। वो | तो जथूरा का हुक्म मानना पड़ता है।”
कौन...जथूरा...लक्ष्मण तू जानता है जथूरा को?”
इस नाम की मेरी कोई पार्टी नहीं ।”
मैं अपने मालिक जथूरा की बात कर रहा हूं। उसके हुक्म पर ही आया हूं।” |
दोनों चुप।।
“तू देवा को जानता है लक्ष्मण दास?”
“देवा, नहीं, मैं इस नाम के किसी व्यक्ति को नहीं जानता।” लक्ष्मण दास जल्दी से बोला।
झूठ मत बोल मेरे से, वरना मैं तुझे मार दूंगा।”
‘’ कसम से, मैं किसी देवा को नहीं जानता।”
उसी पल मोमो जिन्न की आंखें बंद हो गईं। वो इस तरह गर्दन हिलाने लगा, जैसे किसी की बात सुन रहा हो। फिर उसने आंखें खोलीं और कह उठा।
“तू देवराज चौहान को नहीं जानता क्या?”
व...वो डकैती मास्टर?” लक्ष्मण दास के होंठों से निकला। उसी की बात कर रहा हूं।” “उसका नाम देवा नहीं...।”
मैं उसे देवा कहकर बुलाता हूं।” मोमो जिन्न मुस्करा पड़ा-“तू देवराज चौहान को कैसे जानता है?”
“म...मैंने एक बार उससे अपना कोई काम करवाया था।”
“फिर तो बढ़िया पहचान है उससे ।”
थोड़ी सी, उसका फोन नम्बर है मेरे पास–दें क्या?”
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
रख अपने पास। बहुत काम आएगा अभी।” मोमो जिन्न ने कहा।
क्या मतलब?”
“तू मतलब बड़े पूछता है।”
न...हीं पूछता।” मोमो जिन्न ने सपन चड्ढा को देखा।
और तू, सपन चड्ढा नाम है तेरा?”
“हजूर, कोई गलती हो गई मुझसे? मैं देवराज चौहान को नहीं जानता।”
उसे जानने की जरूरत भी नहीं है।” मोमो जिन्न बोला—“मोना चौधरी को जानता है?”
नहीं जानता।” ।
तो तेरी पहचान करानी पड़ेगी मोना चौधरी से।
” म...मैं समझा नहीं ।”
दो पल चुप रहकर मोमो जिन्न कह उठा। “एक बात कान खोलकर सुन लो। अब तुम दोनों मेरे गुलाम हो। जो मैं कहूंगा, वो तुम लोगों को हर हाल में करना पड़ेगा। न करने का मतलब बहुत बुरा होगा। मैं तुम दोनों को नंगा करके
| भरे बाजार में घाव बहुत बुरा होगा हर हाल में करना इलाम
। “ऐसा मत करना।” लक्ष्मण दास कह उठा।
जब मेरी बात नहीं मानोगे तो मैं ऐसा ही करूंगा। इंसान कैसी सजाओं से डरते हैं, मैं सब जानता हूं। मैं बहुत बुरी सजाएं देता हूं। सुनोगे तो कांप उठोगे। नमूना दिखाऊ क्या?"
न...हीं...।”
“समझदार हो। अब मेरा पहला आदेश सुनो। वापस जाओ। मुझसे पूछे बिना तुम लोग शहर से बाहर नहीं जाओगे।”
पूछेगे कैसे?” मोमो जिन्न कहोगे तो मैं हाजिर हो जाऊंगा।”
ठीक है।” सपन चड्ढा बोला–“लेकिन तुम चाहते क्या हो हमसे? हम...।”
“मालूम हो जाएगा। याद रखो, जथूरा महान है। उसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। वो हादसों का देवता है। परंतु आसमान में बुरे ग्रह इकट्ठे हो रहे हैं, जो कि जथूरा के हक में ठीक नहीं। उन बुरे ग्रहों में दो ग्रह मुख्य हैं देवा और मिन्नो। इनमें से एक ग्रह मिट गया तो दूसरे की ताकत खुद-ब-खुद ही खत्म हो जाएगा। अब तुम दोनों माध्यम बनोगे जथूरा के खेल के। तभी तो मजा आएगा।”
मजा? किसे आएगा मजा?”
सबको, जो भी इस खेल में शामिल होगा।” मोमो जिन्न हंस | पड़ा-“वास्तव में जथूरा महान है। उस जैसा दूसरा कोई नहीं ।”
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
जगमोहन ने कार को जर्जर हो रही छः मंजिला इमारत की पार्किंग में रोका और इंजन बंद करके बाहर निकला।
चिलचिलाती धूप जोरों पर थी। दिन के बारह बज रहे थे। उसने सिर उठाकर इमारत की छठी मंजिल को देखा, फिर रूमाल निकालकर चेहरे पर उभर रहे पसीने को पोंछता बड़बड़ा उठा।
‘मैंने जाने कौन से पाप किए होंगे, जो मुझे इस गर्मी में, सीढ़ियों से छः मंजिलें तय करनी पड़ रही हैं। ।
फिर जगमोहन इमारत के प्रवेश द्वार की तरफ बढ़ गया। ये बरसोवा का भीड़-भाड़ वाला, महंगा इलाका था। बाहर की सड़क पर जाते वाहनों का शोर भीतर तक, उसके कानों में पड़ रहा था।
ये पुरानी इमारत थी। लिफ्ट का इंतजाम नहीं था। जगमोहन जब सीढ़ियां चढ़कर छठी मंजिल पर पहुंचा तो हांफ रहा था। चेहरा और शरीर पसीने से भर चुका था। चंद पल ठिठककर जगमोहन ने सांसों को संयत किया। रूमाल निकालकर पसीना पोंछा फिर आगे बढ़ गया।
दाईं तरफ वाले फ्लैट पर पहुंचकर रुका। दरवाजा बंद था। | जगमोहन ने बाहर लगी बेल का स्विच दबाया तो भीतर कहीं बेल बजी।
गर्मी को कोसता जगमोहन इधर-उधर देखने लगा। तभी दरवाजा खुला। तीस बरस का लाल-लाल आंखों वाला आदमी दिखा। उसका चेहरा बता रहा था कि रात उसने दबाकर पी थी। जिसके निशान चेहरे पर अभी तक नजर आ रहे थे।
तुम?” जगमोहन को देखते ही उसके होंठों से निकला।
हजम नहीं हुआ मेरा आना?" जगमोहन होंठ सिकोड़कर कह उठा।
आओ।” दरवाजा पूरा खोलते वो पीछे हटता चला गया। जगमोहन ने भीतर प्रवेश किया। उसने दरवाजा बंद कर दिया। ये कमरा ड्राइंग रूम था और ए.सी. चल रहा था। जगमोहन ने उस आदमी को देखा और बोला।
रमजान भाई हैं या छः मंजिल की सीढ़ियां चढ़नी बेकार गईं?” हैं, तुम बैठो।”
सुनकर राहत मिली ।” जगमोहन ने कहा और आगे बढ़कर सोफे पर जा बैठा।
मिनट-भर बाद ही कमरे में पचास बरस के रमजान भाई ने भीतर प्रवेश किया। उसने सफेद धोती-कुर्ता पहना हुआ था। और माथे पर तिलक लगा रखा था।
रमजान भाई तुम्हारी तो जात ही पता नहीं चलती ।” जगमोहन बोला।
क्यों?” रमजान भाई बैठते हुए मुस्कराकर बोला। “मुसलमान होकर तुम हिन्दुओं की तरह रहते...” फिर भी मेरी जात पता नहीं चली?” रमजान भाई मुस्कराया। हिन्दू हो?”
नहीं” रमजान भाई ने इंकार में सिर हिलाया। “मुसलमान हो?” *नहीं ।” “इसके अलावा कौन-सी जात है तुम्हारी?”
“मैं इंसान की जात का हूं।” जगमोहन मुस्कराया।
“मैं हिन्दू नहीं, मुसलमान नहीं। इंसान हूँ मैं...बस। यही मेरी जात है। ये ही मेरा धर्म है।”
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
अब इस सामान को नीचे मेरी कार तक...।” कहते-कहते जगमोहन के मस्तिष्क को तीव्र झटका लगा। उसे लगा जैसे दिमाग में कोई चीज घुसती चली गई हो।
आंखें बंद कर लीं। होंठ जोरों से भींच लिए। इस बदलाव पर रमजान भाई चौंका। उसने अजीब-से स्वर में पुकारा।
“क्या हुआ जगमोहन, तू ठीक तो है?”
जगमोहन ने हाथ उठाकर, उसे खामोश रहने का इशारा किया। आंखें बंद हो गई थीं।
परंतु जगमोहन के मस्तिष्क की हालत अजीब-सी थी। | धमाके-से उठ रहे थे दिमाग में । बिजलियां-सी कौंध रही थीं। तभी उसे “एयरटेल' का बड़ा-सा बोर्ड लगा मस्तिष्क में दिखा। सामने सड़क थी, जिस पर ढेरों वाहन आ-जा रहे थे। फिर कुछ आगे उसे बस स्टॉप दिखा। स्टॉप की शेड के नीचे दस-बारह लोग खड़े थे। उनमें चौबीस-पच्चीस बरस की युवती थी। जिसने जींस की पैंट और स्कीवी पहन रखी थी । ब्वॉयकट बाल थे उसके। हाथ में उसने छोटा-सा पर्स थाम रखा था।
साधारण-सी खूबसूरती थी उसकी। उसी पल एक काले रंग की, काले शीशे चढ़ी कार वहां आ रुकी। कार का पिछला शीशा नीचे हुआ। भीतर युवक दिखा। फिर उस कार का बुरा एक्सीडेंट हुआ दिखा। युवती की कार में पड़ी लाश देखी। पास में वो युवक बुरी तरह घायल अवस्था में था।
एकाएक जगमोहन की आंखें खुल गईं। रमजान भाई और उसका साथी हैरानी से उसे देख रहे थे।
क्या हुआ?” रमजान भाई ने अजीब से स्वर में पूछा।
“मुझे जाना होगा ।” जगमोहन बेचैनी से कहते हुए उठ खड़ा हुआ—“म...मैंने कुछ देखा।”
क्या देखा...क्या कह रहे हो?” जगमोहन पलटा और तेजी से दरवाजे की तरफ बढ़ा। पैसा तो लेते जाओ।” परंतु तब तक जगमोहन बाहर निकल चुका था। फिर जगमोहन नीचे जाने के लिए तेजी से सीढ़ियां उतर रहा था। मस्तिष्क में उभरी घटनाएं उसकी आंखों के सामने नाच रही थी। युवती का चेहरा स्पष्ट तौर पर वो अपने दिमाग में महसूस | कर रहा था। वो रुकना चाहता था, ठिठककर, उन सब बातों का मतलब समझना चाहता था। परंतु कदम थे कि आगे बढ़े जा रहे थे, जैसे कोई उसे चलने पर मजबूर कर रहा हो। वो नीचे पहुंचा। पसीने से उसका शरीर भर चुका था। लेकिन उसे अपना होश नहीं था। पार्किंग में खड़ी कार की तरफ न जाकर, वो तेज-तेज कदमों से मुख्य प्रवेश गेट की तरफ बढ़ता चला गया।
जगमोहन उस गेट से बाहर निकल आया।
सामने ही सड़क पर वाहन तेजी से आते-जाते दिखाई दे रहे। थे। तभी उसकी निगाह सड़क पार ठीक सामने ‘एयरटेल' के बड़े से बोर्ड पर पड़ी। वो चौंका।
ये ही बोर्ड तो मैंने देखा था, बिल्कुल यही था।” जगमोहन एकाएक बेचैन हो उठा।
| उसी पल वो तेजी से आगे बढ़ा। वाहनों से भरी सड़क उसने पार कर ली और फुटपाथ पर ठिठककर उसने उस एयरटेल के बोर्ड को देखा कि अगले ही पल उसकी निगाह बाईं तरफ घूमती चली गई। | ‘इस तरफ, इधर ही तो है वो बस स्टॉप।' जगमोहन बड़बड़ाते हुए तेजी से फुटपाथ पर आगे बढ़ता चला गया। | वाहनों का कानों को फाड़ देने वाला, शोर कानों में पड़ रहा था। पसीने से भर चुका था वो। परंतु अपनी तो जैसे उसे होश ही नहीं थी।
करीब डेढ़ सौ कदम चलने पर उसे बस स्टॉप दिखा। वो तेजी से चलता वहां जा पहुंचा। वहां पर दस-बारह लोग खड़े थे। जगमोहन की निगाह उन लोगों पर गई। | फिर जगमोहन स्तब्ध रह गया। | वो ही युवती खड़ी थी, जो उसके दिमाग ने देखी थी। वो ही कपड़े। वैसा ही पर्स। जगमोहन भारी तौर पर बेचैनी महसूस करने लगा। आगे बढ़ता हुआ वो युवती से दो कदम के फासले पर जा खड़ा हुआ।
अब जगमोहन समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे?
कभी युवती को देखता तो कभी सड़क पर जाते वाहनों को देखने लगता।
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
उसी क्षण एक काली कार बस स्टॉप पर आ रुकी। उसके काले शीशे थे। | वो ही कार, जो उसके दिमाग ने देखी थी। जगमोहन बुरी तरह चौंका।
तभी उस कार का पीछे वाला शीशा नीचे हुआ तो जगमोहन स्तब्ध रह गया। वो ही युवक भीतर बैठा दिखा जो उसके मस्तिष्क ने देखा था। जगमोहन का हाल बुरा हो चुका था अब तक।
उस युवक ने आंख मारकर युवती से कहा।
चलना है?
” तीन हजार ।”
“दो दूंगा।” ।
“ठीक है।” कहकर युवती कार की तरफ बढ़ने को हुई। युवक ने कार का दरवाजा खोल दिया।
इससे पहले कि युवती आगे बढ़ती, जगमोहन ने झपटकर उसकी कलाई पकड़ ली।।
“छोड़ो मुझे।” युवती हड़बड़ाकर बोली।
“उसके साथ मत जाओ।” जगमोहन कह उठा।
मेरी उससे बात हो चुकी है। पहले तुम बात करते तो, मैं तुम्हारे साथ...।” ।
“इस कार का एक्सीडेंट होने वाला है।” जगमोहन तेज स्वर में बोला–“तुम मर जाओगी।”
“बकवास मत करो। वो मुझे दो हजार दे रहा है। मैं तुम्हारे साथ जाने वाली नहीं ।” युवती ने क्रोध से कहकर, अपनी कलाई छुड़ाई और आगे बढ़कर, खुले दरवाजे से कार में जा बैठी।
युवक ने दरवाजा बंद किया और दांत दिखाकर जगमोहन को देखा।
इस कार से बाहर निकल जाओ।” जगमोहन चीखा–“कार का एक्सीडेंट होने वाला है।”
युवक हंसा। उसी पल कार आगे बढ़ गई। जगमोहन होंठ भींचे कार को जाता देखने लगा।
तभी जगमोहन की आंखें फैल गईं। सामने से आता ट्रक, जिसका कि अचानक बैलेंस बिगड़ गया था, वो अपनी जगह छोड़कर, एकाएक उलटी दिशा में आने लगा। सामने काली कार थी। जो कि आगे बढ़ रही थी।
बचो-ऽऽऽ” जगमोहन गला फाड़कर चिल्लाया। बस स्टॉप पर खड़े अन्य लोगों की निगाह भी उस तरफ उठी।
यही वो पल था जब तेज रफ्तार से आता ट्रक, कार को रौंदता चला गया।
जगमोहन ठगा-सा खडा रह गया। टक्कर की ऐसी आवाज उभरी जैसे बम फटा हो। आधी कार ट्रक के नीचे जा धंसी थी। इसके साथ ही ट्रैफिक रुकने लगा। लोग इकट्ठे होने लगे।
| जगमोहन पागलों की तरह कार की तरफ दौड़ा।
अभी पूरी तरह वहां भीड़ इकट्ठी नहीं हुई थी। कार के पास पहुंचकर वो ठिठक गया। कार का पीछे वाला दरवाजा अधखुला हुआ था। भीतर उस युवती की उसी तरह लाश पड़ी नजर आई जैसे कि उसने देखा था और उसी सीट पर बगल में मौजूद युवक बुरी तरह घायल हुआ, तड़प रहा था।
तभी लोगों ने वहां इकट्ठा होना शुरू कर दिया था।
जगमोहन भीड़ से बाहर आया और वापस चल पड़ा। इस वक्त वो ही जानता था कि उसकी क्या हालत हुई पड़ी है। युवती का चेहरा बार-बार उसकी आंखों के सामने घूम रहा था। उसने युवती को रोकने की भरपूर चेष्टा की परंतु वो नहीं रुकी थी। उसे रोकने की थोड़ी और कोशिश करनी चाहिए थी। उसने सोचा।
जगमोहन वापस उस इमारत के अहाते में खड़ी कार की ड्राइविंग सीट पर जा बैठा। बेहद अजीब-सी हालत हो रही थी उसकी। सिर घूमा हुआ लग रहा था। आंखों के सामने रह-रहकर वो एक्सीडेंट और युवक-युवती का चेहरा आ रहा था। क्या हो गया था उसे? उसे कैसे पता चल गया कि आने वाले वक्त में वो बुरी घटना होने वाली है? * जगमोहन ने सिर को झटका दिया।
परंतु ये सब कुछ उसके दिमाग से बाहर न निकल रहा था। जो हुआ वो उसके लिए कम हैरत की बात नहीं थी। वो अभी तक बीती बातों को न पचा पा रहा था।
आखिरकार जगमोहन ने गहरी सांस ली और फोन निकालकर रमजान भाई के नम्बर मिलाने लगा। तुरंत ही रमजान भाई से बात हो गई।
“तू किधर है, अचानक भाग क्यों गया तू?” रमजान भाई की आवाज कानों में पड़ी।
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