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desiaks
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RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट-22
नीलेश—ये ऐसे नही बताएगी…इसको उठा के गाड़ी मे फार्म हाउस पर ले चलो…..कल सब को सबूत के साथ मालूम हो जाएगा कि ये धंधा करने वाली है.
शिल्पा (रोते हुए)—नहिी…मुझे छोड़ दो…मैं नही जानती…मुझे जाने दो
शिल्पा को उठा कर उसे जबरन गाड़ी मे डाल कर वहाँ से निकल गये......मैं अभी घूम ही रहा था गाओं मे कि कोई चूत कही मिल जाए
रगड़ने को कि तभी अनवर का मेसेज आ गया मेरे फोन पर.....उसको पढ़ते ही मेरा दिमाग़ झन झना गया.
अब आगे…….
शिल्पा को लेकर वो सब ठाकुर के फार्म हाउस मे बने बंग्लॉ मे आ गये…..वो बेचारी रास्ते भर उनलोगो से खुद को छोड़ देने की अनुनय
विनय करती रही किंतु उन वासना के भूखे भेड़ियो पर शिल्पा के रोने और उसकी विनती का कोई प्रभाव नही पड़ रहा था.
फार्म हाउस मे पहुच कर शिल्पा को उन्होने एक कमरे मे बिस्तर पर ले जाकर पटक दिया….बिना बैसाखी के सहारे के वो कही भागने मे भी असमर्थ थी…जिसे इन लोगो ने रास्ते मे ही उससे छीन कर फेंक दिया था.
शिल्पा (रोते हुए)—मैं सच कहती हूँ..मैं उसे नही जानती…कल मैने पहली बार ही कॉलेज मे उसको देखा था…मुझे जाने दो, मैने तुम लोगो
का क्या बिगाड़ा है….? मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ ठाकुर साब मुझे जाने दीजिए….हम बहुत ग़रीब लोग हैं…मेरी माँ जीते जी मर जाएगी.
नीलेश—चुप..साली..छिनार…..पूरा गाओं हमारी प्रॉपर्टी है….तुम सब हमारे गुलाम हो….और गाओं की सभी लड़किया और औरते हमारी रखैल, समझी……तेरा गुनाह ये है कि तूने हमारी रखैल होते हुए भी मेरे दोस्तो को अपनी जवानी का रस पीने से रोका और उस कुत्ते को
मदद के लिए बुला लिया….आज तुझे बताउन्गा की रखैल किसको कहते हैं.
शिल्पा (ज़ोर ज़ोर से रोते हुए)—नही ठाकुर साब. ऐसा मत कीजिए मेरे साथ…..मैं किसी को मूह दिखाने के लायक नही रहूंगी मेरी इज़्ज़त
बर्बाद मत कीजिए…..मुझे जाने दो यहाँ से.
नीलेश—अच्छा…तुझे जाने दूं…चल ठीक है ….जा…तुझे छोड़ दिया…जा चली जा….कोई इसको मत पकड़ना, चल जा यहाँ से….चल भाग जल्दी
नीलेश की बात सुन कर शिल्पा के मन मे कुछ उम्मीद जागी…..वो दोनो हाथ जोड़ कर खिसकते हुए धीरे धीरे बिस्तर के किनारे तक आ कर किसी तरह खड़ी हुई और लंगड़ाते हुए आगे बढ़ने लगी.
लेकिन शिल्पा की ये उम्मीद भी जल्दी ही टूट गयी जब नीलेश ने अपने एक साथी की तरफ देख कर आँखो ही आँखो मे कुछ इशारा किया……नीलेश का इशारा समझते ही उसने जैसे ही शिल्पा उसके पास से गुजरने को हुई तो उसने उसके पैरो मे अपनी टाँग फँसा दी.
बेचारी धडाम से मूह के बल नीचे जा गिरी…..उसके होंठो से खून बहने लगा…फिर भी उसने किसी तरह खुद को संभाला और बड़ी मुश्किल
से एक पैर के सहारे खड़ी होकर जैसे ही आगे बढ़ने को हुई वैसे ही अगले वाले ने उसे धक्का मार दिया.
शिल्पा फिर से ज़मीन पर गिर गयी......उससे गिरते देख कर सभी ताली बजाते हुए ज़ोर ज़ोर से हँसने लगे और उसके अपाहिज होने की
अवस्था का उपहास उड़ाने लगे.
शिल्पा ज़मीन मे लेटे हुए ही बुरी तरह से बिलख बिलख कर रोने लगी.....उसको अब ये भली भाँति समझ मे आ चुका था कि वो अब इन भेड़ियो के चंगुल से बच कर नही निकल सकती.
नीलेश—हाहहहाहा…….क्या हुआ, भाग ना…मैने तो तुझे भागने को कह दिया था….देख मेरा कोई आदमी भी तुझे नही पकड़ रहा है अब तो…….जा भाग, फिर कोशिश कर ले…..हाहहहाहा…..साली छिनार..तू क्या समझती है कि मैं हाथ मे आए शिकार को इतनी आसानी से
जाने दूँगा……तेरी आज से हर रात सुहागरात होगी…..हाहहहाहा…..ले जाओ पटक दो इसे बिस्तर पर…..आज लंगड़ी घोड़ी की सवारी का मज़ा लूट लिया जाए…हाहहाहा
शिल्पा (रोते हुए)—छोड़ दो मुझे…….मैं आप सब के हाथ जोड़ती हूँ.
एक गुंडा—छोड़ देंगे…छोड़ देंगे……बस एक बार हम सबको अपनी सवारी कर लेने दे….फिर जहाँ चाहे चली जाना हाहहाहा
2न्ड गुंडा—लंगड़ी है पर है बहुत कड़क माल यार....क्या चुचिया है…और गान्ड तो देखो भोसड़ी की, पूरी बाहर को निकली आ रही है फूल
कर….बहुत मज़ा आएगा गुरु, इसकी गान्ड रगड़ने मे
नीलेश—रगड़ लेना…सब लोग जितना मन करे रगड़ लेना……अब ये हमारी पालतू कुतिया है…..पर पहले उस अलमारी से कुछ पीने के लिए लेकर आ और कुछ खाने को भी….और सुन वो इंजेक्षन लेते आना साथ मे.
शिल्पा (डरते हुए)—कककककैसा…इंजेक्षन..... ?
3र्ड गुंडा—डर मत तुझे कोई नुकसान नही होगा.....बस इस इंजेक्षन के असर से तेरे शरीर मे गर्मी चढ़ेगी और तू खुद हमसे खुद को रगड़ने
की भीख माँगेगी...तभी तो हम सब को दिखाएँगे कि तू धंधे वाली है...हाहहहाहा
शिल्पा (रोते हुए)—नहियिइ...ऐसा मत करो...मैं हाथ जोड़ती हूँ.
4त गुंडा—हाथ जोड़ने से कुछ नही होने वाला डार्लिंग......हां अगर तू अपने दोनो पैर खोल दे तो हम सोच सकते हैं.
अंदर से एक आदमी शराब की बॉटल्स और खाने का समान ले आया और दूसरा इंजेक्षन लेकर आ गया....नीलेश का इशारा मिलते ही दो लोगो ने शिल्पा को पकड़ लिया और ज़बरदस्ती उसकी बॉडी मे उस इंजेक्षन को इंजेक्ट कर दिया....वो रोती बिलखती रह गयी, किंतु उसकी
सुनने वाला यहाँ कोई नही था.
नीलेश—अब इसको कस के बाँध दो…..जब तक इस पर नशा चढ़ेगा तब तक हम अपना पीने का प्रोग्राम निपटा लेते हैं.
उन्होने शिल्पा के हाथ पैर मजबूती से बाँध दिए और सब एक साथ पीने बैठ गये…..पेग पर पेग बनने लगे….अब तक सभी नशे मे टल्ली हो चुके थे.
नीलेश—अब थोड़ा शराब के बाद शबाब का मज़ा भी ले लेते हैं…चलो रे इसके कपड़े उतारो.
शिल्पा के उपर हल्का हल्का नशा होने लगा था किंतु अब भी वो पूरी तरह से होश मे थी…..नीलेश और उसके साथियो को अपनी तरफ बढ़ते देख उसकी रूह काँप गयी लेकिन वो रोने के अलावा कर भी क्या सकती थी.
नीलेश अभी शिल्पा के उपर झुका ही था होंठो को चूमने के लिए कि तभी कमरे की खिड़की के टूटने की आवाज़ से सब का ध्यान शिल्पा पर से हट गया.
नीलेश—जा कर देख बे गान्डू…ये किसकी हरकत है…?
उसका एक आदमी देखने के लिए जैसे ही खिड़की के बाहर सर किया वैसे ही किसी ने उसके मूह पर जोरदार वार कर दिया…वो दर्द से चिल्लाते हुए उल्टा ज़मीन मे गिर पड़ा.
अपने साथी का ये हाल देख कर सभी चौकन्ने हो गये…..और शिल्पा को छोड़ कर अपने अपने हथियार खोजने लगे..तब तक वो शख्स भी जिसने उनके आदमी को मारा था, वो भी खिड़की से जंप कर के अंदर आ गया….जिसे देखते ही कुछ लोक चौंक गये तो शिल्पा के चेहरे पर आशा की एक किरण जगमगा उठी.
एक गुंडा (चिल्लाते हुए)—गुरु..यही है…..यही है वो लड़का, जिसने कल हमारे आदमियो को मारा था.
नीलेश—ऊओह….तो ये है…चलो अच्छा हुआ ये खुद ही हमारे पास आ गया…..जाओ पकड़ लो इस कुत्ते को भी और बाँध दो..पहले इसके
सामने ही इस लड़की का मज़ा लेंगे फिर इसके बलात्कार के केस मे इसको फँसाएँगे.
ये लड़का कोई और नही बल्कि राज ही था…..सब लोग तेज़ी से उसकी तरफ बढ़ने लगे…राज ने उनकी तरफ अपनी उंगली नचाते हुए वहीं रुकने का इशारा किया.
राज (चिल्लाते हुए)—जहाँ हो वही पर रुक जाओ
"कोई गान्डू गान्ड नही हिलाएगा"
नीलेश—तू जानता है कि तू किसके सामना खड़ा है…..मैं नीलेश ठाकुर हूँ..समझा..मेरे एक इशारे पर तू तो क्या तेरा पूरा खानदान कहाँ चला जाएगा तुझे पता भी नही चलेगा.
राज—सुन बे…लौन्डे नीलेश ठाकुर…..मैं राज हूँ राज…..जहाँ भी लंड खोल के मूत देता हूँ, वही पर तेरे जैसे डूस ठाकुर मेरे मूत की धार से पैदा हो जाते हैं, समझा भोसड़ी के.
नीलेश (गुस्से मे)—तेरी इतनी जुर्रत..कि तूने मुझे गाली दी....हमारे सामने तेरी औकात ही क्या है...जाओ रे मादरचोदो..मारो इस बहन च.......आआआआआआआअ
नीलेश जैसे ही गाली देने वाला था वैसे ही राज ने पास मे पड़ी शराब की बॉटल उठा कर उसके सर मे फेंक दी….नीलेश के सर से खून की धारा बहने लग गयी और वो अपना सर पकड़ के नीचे बैठ गया…..ये देख के बाकी सब तेज़ी से राज की तरफ बढ़े मारने के लिए लेकिन
राज फुर्ती दिखाते हुए पास मे रखी बॉटल उठा उठा कर उनके उपर तेज़ी से फेंकने लगा.
नीलेश के अलावा सिर्फ़ पाँच लोग थे ही…जिनमे से तीन बुरी तरह से घायल हो चुके थे….मगर तब तक बचे हुए दो लोग चाकू लेकर राज के पास पहुच गये.
शिल्पा (चिल्लाते हुए)—राज्ज्जज्ज्ज……तुम्हारे पीछे
राज का ध्यान अभी सामने की ओर था तीन लोगो पर…राज को जैसे ही अपने पास किसी के होने का आभास हुआ…शिल्पा की बात सुनते
ही वो जैसे ही पलटने को हुआ तभी दोनो ने चाकू का वार कर दिया जो सीधा राज की पीठ मे लगा.
लेकिन राज इस समय गुस्से मे था तो उतना ज़्यादा दर्द का एहसास नही हुआ..हालाँकि खून से उसकी शर्ट लाल होने लगी थी….राज ने पलट
कर तुरंत एक पंच उसके कान मे लगा दिया…और बिना घूमे ही दूसरे के मैन पॉइंट मे एक लात कस के जमा दी.
दोनो के दोनो दर्द से कराहते हुए नीचे लेट गये और तड़पने लगे…..मौका देख राज शिल्पा के पास पहुच गया और उसे खोलने लगा…तब
तक नीलेश किसी तरह खड़ा हो चुका था और अपनी रेवोल्वेर निकल कर राज के उपर फाइयर कर दिया.
लेकिन नीलेश को फाइयर करते शिल्पा ने देख लिया और उसने राज को ज़ोर से धक्का दे दिया….जिससे नीलेश का निशाना चूक गया और
गोली सामने मिरर मे जा लगी जिससे उसके टुकड़े टुकड़े हो गये.
नीलेश दुबारा फाइयर करने ही वाला था कि राज ने टेबल उठा कर उसके उपर फेंक दिया…रेवोल्वेर उसके हाथ से छिटक कर दूर जा गिरी….उसके सभी साथी अभी भी दर्द से तड़प रहे थे किसी मे भी फिर से राज के सामने जाने की हिम्मत नही थी.
नीलेश (दर्द मे)—मुझे छोड़ दे कमिने….तू भी जिंदा नही बचेगा……मेरा बाप और ठाकुर साब. तुझे छोड़ेंगे नही.
राज (गुस्से मे)—अभी भी अकड़ रहा है, रुक मादरचोद ठाकुर….अभी बताता हूँ मैं क्या बला हूँ….
नीलेश के नीचे गिरते ही राज गुस्से मे तिल मिलाता हुआ उसके पास पहुच गया और मुक्को की बरसात कर दी उसके चेहरे पर… इतने मे
भी जब उसका गुस्सा शांत नही हुआ तो उसने नीलेश की पॅंट फाड़ दी और उसको नीचे से नंगा कर दिया.
राज ने पास मे शराब से भरी बॉटल उठा कर उसकी गान्ड के छेद मे लगा के ज़ोर से लात मार मार के उस बॉटल को पूरा उसकी गान्ड मे
घुसा दिया….चेहरे के साथ साथ उसकी पूरी गान्ड खून से लहू लुहान हो गयी और दर्द से छ्ट पटाते हुए वही बेहोश हो गया.
राज (चिल्लाते हुए)—मैने कहा था ना भोसड़ी के कि…
"कोई गान्डू गान्ड नही हिलाएगा"
शिल्पा के उपर भी ड्रग्स का नशा अब हावी हो चुका था….राज किसी तरह से उसको बंधन मुक्त कर के बाहर लाया लेकिन खून ज़्यादा
बहने से वो अधिक दूर तक नही जा सका और वही गिर कर बेहोश हो गया.
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अपडेट-23
राज ने पास मे शराब से भरी बॉटल उठा कर उसके गान्ड के छेद मे लगा के ज़ोर से लात मार मार के उस बॉटल को पूरा उसकी गान्ड मे
घुसा दिया….चेहरे के साथ साथ उसकी पूरी गान्ड खून से लहू लुहान हो गयी और दर्द से छ्ट पटाते हुए वही बेहोश हो गया.
राज (चिल्लाते हुए)—मैने कहा था ना भोसड़ी के कि…
"कोई गान्डू गान्ड नही हिलाएगा"
शिल्पा के उपर भी ड्रग्स का नशा अब हावी हो चुका था….राज किसी तरह से उसको बंधन मुक्त कर के बाहर लाया लेकिन खून ज़्यादा
बहने से वो अधिक दूर तक नही जा सका और वही गिर कर बेहोश हो गया.
अब आगे……..
राज के बेहोश हो जाने से शिल्पा टेन्षन मे आ गयी….उससे डर लगने लगा कि कही वो सब फिर से ना आ जाएँ….लेकिन वो कर भी क्या सकती थी…वह तो खुद ही बिना सहारे ही चलने मे असमर्थ थी और वैसे भी उसे इस समय खुद का ही होश नही था… वो कुछ दूर तक बैठ बैठे ही राज को घसीट कर ले जाने लगी लेकिन ड्रग्स का नशा बढ़ जाने के कारण उसकी आँखे भी बोझिल हो रही थी और बदन मे गर्मी अत्यधिक मात्रा मे महसूस हो रही थी.
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वो कुछ ही देर मे खुद भी निढाल हो कर राज के उपर ही गिर पड़ी…..राज की जब आँख खुली तो खुद को एक आलीशान कमरे मे पाया….वो चौंक कर बैठ गया..उसने देखा कि उसके जख़्मो पर पट्टी लगी हुई थी..उसका खून से भीगा हुआ शर्ट उसके बदन पर अब नही था.
राज (मन मे)—ये मैं कहाँ आ गया हू…? मुझे कौन लाया यहाँ….? किसका घर है ये….? मैं तो शायद बेहोश हो गया था…फिर यहाँ कैसे….? और शिल्पा कहाँ है…? कहीं उसे फिर से तो उन लोगो ने……
"तो तुम्हे होश आ गया." किसी ने उस कमरे मे प्रवेश करते हुए कहा..आवाज़ किसी लड़की की थी.
राज ने चौंक कर आवाज़ आने की दिशा मे देखा तो उसकी हालत खराब हो गयी…..उसके सामने कोई लड़की पोलीस की वर्दी पहने खड़ी
थी…राज के मन मे कयि सवाल उभरने लगे.
राज—मैं यहाँ कैसे आ गया….? और वो लड़की कहाँ है जो मेरे साथ थी.... ? देखिए जो कुछ भी हुआ उसमे हमारी कोई ग़लती नही थी.
"मैं जानती हूँ ये….और वो लड़की भी यही है…अभी वो बेहोश है…बाई दा वे मेरा नाम इनस्पेक्टर ज्योति बाला है" उस लड़की ने अपना परिचय देते हुए कहा.
राज—जी वो तो आपकी यूनिफॉर्म को देखते ही समझ गया था मैं…लेकिन मैं यहाँ कैसे पहुचा…?
ज्योति—खुद पहुचे नही बल्कि लाए गये हो.
राज (हैरान)—लाया गया हूँ…पर कौन लाया, हमे यहाँ…?
ज्योति—मैं
राज—आप…..?
ज्योति—हाँ..मैं उधर एक केस के सिलसिले मे जा रही थी तभी मेरी नज़र तुम दोनो पर पड़ गयी…लेकिन तुम दोनो बेहोश हो चुके
थे….इसलिए यहाँ ले आई….वैसे तुम दोनो का नाम क्या है और हुआ क्या था….?
राज—जी मेरा नाम राज और उस लड़की का नाम शिल्पा है.
फिर राज ने पूरी स्टोरी ज्योति को सुना दी जो कुछ वहाँ फार्म हाउस पर हुआ था….सुन कर ज्योति के चेहरे पर भी चिंता की लकीरे उभर आई.
ज्योति—तुम ये जानते हो कि तुमने क्या किया है….? ठाकुर साहब यहाँ के चीफ मिनिस्टर हैं..तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का क्या होगा अब, सोचा है तुमने….?
राज—तो क्या करता, एक मजबूर लड़की की इज़्ज़त लूट जाने देता…या फिर बाकी लोगो की तरह हाथो मे चूड़िया पहन के घर मे घुस जाता….? ज़्यादा से ज़्यादा मेरी जान ही जाएगी ना..अच्छा है मरते टाइम मन मे ये संतोष तो रहेगा कि कोई नेक काम करने मे मेरी जान गयी है.
ज्योति—वैसे तुम करते क्या हो….?
राज—स्टूडेंट हूँ.
ज्योति—कॉन्फिडेन्स अच्छा है तुम्हारे अंदर....लेकिन गरम जोशी हमेशा अच्छी नही होती.....मेरा एक काम करोगे.... ?
राज (मन मे)—पोलीस वाली नही होती अगर तो अभी के अभी तेरा काम कर देता....क्या चुचि लग रही हैं इसकी..एक दम खड़ी खड़ी...लगता है किसी ने अभी तक दबाया नही है इनको.... ?
ज्योति—तुमने मेरी बात का जवाब नही दिया.... ?
राज—जी...कैसा काम... ? मेरा मतलब है कि मैं भला आपके किस काम आ सकता हूँ.... ?
ज्योति—है एक काम.....लेकिन है बहुत जोखिम भरा...जान भी जा सकती है इसमे....मैं तुम्हे मूह माँगे पैसे दूँगी.
राज (मन मे)—मूह माँगे पैसे...वाउ..अपनी तो निकल पड़ी.
राज—क्या करना होगा मुझे.... ?
ज्योति (अपने पर्स मे लगी एक फोटो दिखाते हुए)—लो इसे गौर से देखो.
ज्योति ने अपने पर्स मे लगी फोटो राज को दिखाई जिसे देखते ही वो चौंक गया...क्यों कि ये फोटो किसी और की नही बल्कि खुद राज की ही फोटो थी.
राज (शॉक्ड)—ये...ये..तो मेरी फोटो है.. ‼
ज्योति—नही…ये तुम्हारी नही बल्कि ये मेरे भाई की फोटो है.
राज (शॉक्ड)—आपका भाईईइ…..? लेकिन ये तो मैं हूँ…मतलब कि हू ब हू मेरे जैसा है.
ज्योति—ह्म्म्म्म…..तभी तो मैं तुम्हे वहाँ बेहोश देख कर चौंक गयी थी…..पहले मैं भी चौंक गयी थी.. इसलिए तो तुम्हे हॉस्पिटल भेजने की जगह खुद अपने ही घर मे ले आई.
राज—ह्म्म्म्मम…..लेकिन क्या हुआ आपके भाई को….? और आप मुझसे क्या मदद चाहती हैं….? जबकि आप तो खुद ही पोलीस मे हैं फिर भी….
ज्योति (थोड़ा ज़ोर से )—मर चुका है वो…..उस जालिम ठाकुर ने मार दिया उसको…अनाथ कर दिया हमे.
ये बोलते हुए ज्योति की आँखे भर आई और वो सूबक सूबक कर रोने लगी….मैं हक्का बक्का सा बस उसे देखता रहा…कुछ देर तक रोने
के बाद जब वो कुछ शांत हो गयी तो आगे बोलना शुरू किया.
ज्योति—अविनाश नाम था उसका….पोलीस ऑफीसर एसीपी अविनाश रेतोड…..एक ईमानदार और नेक दिल इंसान लेकिन मुजरिमो के लिए यमराज था वो…..वो जहाँ भी जाता था तो अपराधियो के हाथ पावं फूलने लगते थे डर से..इसलिए उसका तबादला भी जल्दी जल्दी होता रहता
था….एक बार उसका तबादला यहाँ की सिटी मे हो गया.
यहाँ उसने मुजरिमो की कमर तोड़ दी….वो एरिया ठाकुर के गैर क़ानूनी अड्डो का था…..ठाकुर ने उसे अपनी तरफ करने की बहुत कोशिश की लेकिन नाकाम रहा….आख़िर एक दिन मेरी यानी अपनी बड़ी बहन की इज़्ज़त बचाते हुए वो ठाकुर के हाथो मारा गया ठाकुर ने मेरी
बहन की इज़्ज़त लूट कर उसे भी मार दिया…..
राज—ह्म्म्म्म…तो आप ने उन्हे अरेस्ट क्यो नही किया….?
ज्योति—ठाकुर के खिलाफ कोई सबूत नही हैं..और ना ही कोई गवाही देगा….सरकार उसकी खुद की है…..और वैसे भी मेरे और ठाकुर के
अलावा ये बात कोई नही जानता कि मेरा भाई मर चुका है.
राज—क्यूँ….ठाकुर के साथ मे उस समय और भी तो आदमी रहे होंगे ना…? और आपको ये बात कैसे पता चली….?
ज्योति—क्यों कि उस समय मैं भाई के साथ ही थी जब ठाकुर का फोन भाई के मोबाइल पर आया तो….मैने ये मंज़र अपनी आँखो से देखा था…मैं उस समय इतनी अधिक डर चुकी थी कि चिल्ला तक नही सकी….ठाकुर अपने गुनाह का कोई सुराग नही छोड़ता, उसने एक एक
करके अपने उन सभी आदमियो को ख़तम करवा दिया जो उस समय वहाँ मौजूद थे.
राज—तो अब आप क्या चाहती हैं…?
ज्योति—मेरा भाई मर चुका है ये बात ना तो मेरी माँ जानती है और ना ही मेरी भाभी…दोनो को आज भी इंतज़ार है कि वो लौट के आएगा…मैने बदला लेने के लिए ही ये पोलीस फोर्स जाय्न की है लेकिन मैं उन तक नही पहुच सकी…लेकिन आज तुम्हे देखते ही फिर से मेरी उम्मीद जिंदा हो गयी है.
राज—मुझे क्या करना होगा….?
ज्योति—मैं अविनाश रेतोड को फिर से जिंदा करना चाहती हूँ….तुम्हे उसकी जगह लेनी होगी…फिर से एसीपी अविनाश रेतोड को लौटना
होगा…मेरी माँ और भाभी की उम्मीद भी टूटने से बच जाएगी….तुम जितना पैसा कहोगे मैं दूँगी.
राज (मन मे)—वैसे सौदा घाटे का नही है….वैसे गाओं मे रहा तो वो ठाकुर मुझे जिंदा नही छोड़ेगा…यहाँ तो फ्री फोकट मे नौकरी मिल रही है….और तो और साले अविनाश की बीवी भी है…अपना पति समझ के वो मुझसे अपनी बुर भी चुदवा लेगी…..और हो सकता है कि देर
सबेर इस पोलीस वाली की बुर मे भी लंड पेलने का मौका भी मिल ही जाए…हाँ कर देता हूँ…उपर से बुर के साथ साथ पैसे भी दे रही है
राज—ठीक है मुझे मंज़ूर है…लेकिन मेरे घर वालो का क्या होगा…? उनसे क्या कहूँगा मैं…?
ज्योति—बीच बीच मे तुम उनसे राज बन के मिल आना…और कह दो कि तुम्हे कोई नौकरी मिल गयी है.
राज—ओके…लेकिन अभी मुझे जाना होगा…मेरे मामा की शादी है उसके बाद ही मैं आप से मिलूँगा.
ज्योति—ठीक है…ये लो मेरा कॉंटॅक्ट नंबर जब भी फ्री हो जाना तो मुझे फोन कर लेना…और ये लो दूसरे कपड़े पहन लो
ज्योति ने मुझे 5 लाख दिए अड्वान्स के तौर पर जिन्हे मैने खुशी खुशी जल्दी से जेब मे दफ़न कर दिया….शिल्पा को होश आते ही मैं उसे लेकर उसके घर चला गया..ज्योति ने अपने ड्राइवर को बोल कर हम दोनो को ड्रॉप करवा दिया.
शिल्पा (रास्ते मे नम आँखो से)—राज..अगर आज तुम नही आते तो मेरा ना जाने क्या होता…?
राज—अब उस बात को भूल जाओ…और आज हुई घटना का ज़िकरा किसी से मत करना…समझी
शिल्पा—हमम्म…लेकिन हम उस घर मे कैसे पहुचे….?
मैने पूरी बात शिल्पा को सच सच बता दी….सुनने के बाद वो गुस्सा करने लगी कि मैने हां क्यो की …? लेकिन काफ़ी समझा बुझा कर उसको शांत किया…तब तक उसका घर भी आ गया था….मैने उसे सहारा देकर नीचे उतारा और घर का दरवाजा नॉक किया…..दरवाजा उसकी मम्मी ने खोला….मैं तो उसकी मम्मी को देखता ही रह गया.
राज (मन मे)—क्या मस्त माल है ये शिल्पा की मम्मी भी….क्या बड़े बड़े चूतड़ हैं…अगर इसकी गान्ड मारने को मिल जाए तो मज़ा आ जाएगा….बुर भी कसी कसी होगी, एक ही तो लड़की पैदा की है अब तक अपनी बुर से….लगता है अब मुझे ही शिल्पा की मम्मी की बुर का दरवाजा अपने लंड से चौड़ा करना पड़ेगा.
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अपडेट-24
मैने पूरी बात शिल्पा को सच सच बता दी….सुनने के बाद वो गुस्सा करने लगी कि मैने हां क्यो की …? लेकिन काफ़ी समझा बुझा कर उसको शांत किया…तब तक उसका घर भी आ गया था….मैने उसे सहारा देकर नीचे उतारा और घर का दरवाजा नॉक किया…..दरवाजा उसकी मम्मी ने खोला….मैं तो उसकी मम्मी को देखता ही रह गया.
राज (मन मे)—क्या मस्त माल है ये शिल्पा की मम्मी भी….क्या बड़े बड़े चूतड़ हैं…अगर इसकी गान्ड मारने को मिल जाए तो मज़ा आ जाएगा….बुर भी कसी कसी होगी, एक ही तो लड़की पैदा की है अब तक अपनी बुर से….लगता है अब मुझे ही शिल्पा की मम्मी की बुर का दरवाजा अपने लंड से चौड़ा करना पड़ेगा.
अब आगे……
मैं शिल्पा की मम्मी की बड़ी बड़ी गान्ड देखने मे खो गया….वही शिल्पा की मम्मी ( जलेबी बाई) मुझे देख कर चौंक गयी.
जलेबी (मन मे)—ये चोदक्कड यहाँ कैसे और मेरी बेटी शिल्पा इतना लंगड़ा कर क्यो चल रही है…? कही इस चोदक्कड ने शिल्पा के अपाहिज होने का फ़ायदा उठा कर उसको किसी खेत मे लिटा कर चोद तो नही दिया….? हे राम..मेरी बेटी की इज़्ज़त लूट ली इस महा
चोदक्कड ने.
शिल्पा की मम्मी मुझे शिल्पा के साथ देख कर ये सब मन मे सोचने लगी….मैने शिल्पा को सहारा देकर पास मे रखे चेयर पर बिठा दिया.
राज—नमस्ते आंटी……..
"चत्त्ताकककक……..चत्त्ताअक्ककक" मेरे नमस्ते करते ही शिल्पा की मम्मी ने मेरे दोनो गाल लाल कर दिए.
जलेबी (गुस्से मे)—कमिने……तेरा लंड इतना ही ज़्यादा चुदासा रहता है तो अपनी माँ बहन को चोद ले….तुझे मेरी ही बेटी मिली थी चोदने के लिए…..निकल जा मेरे घर से इससे पहले कि मैं तेरा खून कर दूं..और दुबारा इधर कभी मत आना..निकल जा यहाँ से ..सांड़ कही का
…तुझे मेरी ही फूल जैसी बेटी मिली थी चढ़ने के लिए….उसे अपाहिज देख कर फट से लंड निकाल के चढ़ गया उसके उपर…जा चला जा.
शिल्पा (चिल्लाते हुए)—मम्मीई
मेरा तो जैसे फ्यूज़ ही उड़ गया शिल्पा की मम्मी के इस अचानक किए गये हमले से…..मेरा तो दिमाग़ ही खराब हो गया था.. मैं चुप चाप शिल्पा की तरफ उसकी मेडिसिन्स फेंक कर वहाँ से मूड कर वापिस लौट पड़ा, पीछे से शिल्पा मुझे ज़ोर ज़ोर से आवाज़ देती रही लेकिन मैं नही रुका.
शिल्पा (ज़ोर से रोते हुए)—ये क्या किया मम्मी आप ने.... ? जिसकी वजह से आपकी बेटी की इज़्ज़त सही सलामत बची है आज , आप ने
उसका ही अपमान कर के निकाल दिया.
जलेबी (शॉक्ड)—क्या मतलब.... ?
शिल्पा ने रोते हुए कल कॉलेज और आज फार्म हाउस मे हुई घटना बता दी…….जिसको सुन कर उसकी मम्मी के तो होश ही उड़ गये..वो दौड़ कर बाहर आई मुझे रोकने के लिए किंतु मैं तब तक निकल गया था.
जलेबी (परेशान)—इतना सब कुछ तेरे साथ कल से हो रहा है और तूने मुझे बताया तक नही... ? ये मैने क्या कर दिया... ? जिसकी मुझे पूजा करनी चाहिए थी मैने उल्टा उसका अपमान कर दिया.
शिल्पा (रोते हुए)—अब मैं उसका सामना कैसे करूँगी...? मेरी खातिर उसने ठाकुर खानदान से दुश्मनी मोल ले ली और मैं कितनी मतलबी निकली.
जलेबी—तू चिंता मत कर...मैं उसके पावं पकड़ के माफी माँगूंगी....मैं आज ही उसके पास जाउन्गी.
उधर मैं गुस्से मे बड़बड़ाते हुए चला जा रहा था...उपर से पीठ मे दर्द भी हो रहा था....मैं घर ना जाकर नदी के किनारे एक पेड़ पर चढ़ के बैठ गया.
राज (मन मे)—साली मादरचोद….कहाँ तो मैं उसको चोदने की सोच रहा था, साली ने थप्पड़ मार दिया…एक तो उसकी लड़की की इज़्ज़त बचाई खुद अपनी जान जोखिम मे डाल कर….मेरा एहसान मान कर अपनी बुर देने की जगह साली हाथ उठाती है… अच्छा होता उसकी
बेटी को चुद जाने दिया होता ठाकुर और उसके आदमियो से….भलाई करने का जमाना ही नही है…अब तो साली इन माँ बेटी दोनो को खूब चोदुन्गा….हाय रे मेरी पीठ….मादरचोदो ने पीठ मे चाकू मार दिया…इनकी माँ को चोदु
मैं गुस्से मे यही सब मंन ही मंन सोच रहा था कि मेरी नज़र कहीं से आ रही लाला की छोटी बहू सरला पर चली गयी.. जो शायद अपने खेतो से जानवरों के लिए चारा लेकर जा रही थी घर…उसको देखते ही मुझे कल की बात याद आ गयी और मैं जल्दी जल्दी पेड़ पर से नीचे उतरने लगा.
राज (मंन मे)—साली मादरचोद….कल मुझे बगीचे मे मिलने को बोली थी कि अपनी बुर दूँगी…रंडी ने मुझे चूतिया बनाया..अब तो आज ये
लंड तेरी ही बुर फाड़ेगा.
मैं वही पेड़ के पीछे छुप कर उसके पास मे आने का इंतज़ार करने लगा…जैसे ही सरला उस पेड़ के बिल्कुल करीब आ गयी तो मैं अचानक ही उसके सामने आ गया…मुझे ऐसे अचानक अपने सामने देख कर वो चौंक गयी और इधर उधर देखने लगी.
राज—क्यो कहाँ जा रही हो….? लगता है बहुत जल्दी मे हो... ? और यहाँ वहाँ क्या देख रही हो... ?
सरला (सकपका कर)—ओह्ह्ह...मैं तो डर ही गयी थी…मुझे जल्दी घर जाना है…रास्ते से हटो.
राज—मुझे चूतिया समझा है क्या तूने... ? अगर नही चुदवाना था तो कल मुझे झूठ बोल कर बुलाया क्यो था तूने... ?
और ये कह कर मैने ब्लाउस के उपर से ही उसकी दोनो चुचियो को पकड़ कर सख़्त हाथो से मसल्ने लगा....वो चिहुन्क गयी और फिर से इधर उधर देखने लगी.
सरला—आआअहह.....राज..आअहह..जाने दे ना....कोई देख लेगा.....उउउइई..माआ.....इतनी ज़ोर से मत दबा राज...दर्द होता है... देख
छोड़ दे...कोई देख लिया तो बहुत बदनामी होगी मेरी
राज (चुचि मसल्ते हुए)—छोड़ दूँगा...लेकिन अभी मेरा चोदने का बहुत मंन है......जल्दी से एक बार दे दे अपनी बुर और चली जा.
सरला—आआआअ.....यहाँ कोई आ जाएगा राज...समझा कर
राज—चल आ जा इधर नदी मे....इधर कोई नही आएगा
मैं सरला का हाथ पकड़ कर नदी मे उतर गया....पानी मे नही...नीचे तरफ जो ढलान बना होता है वहाँ पर....मैने उसका चारा खोल कर वही
बिच्छा दिया और सरला को खिच कर उस पर लिटा दिया.
सरला—राज..समझा कर...फिर कभी ले लेना मेरी...मैं पक्का तुझे अपनी दूँगी एक दिन...तेरा जितनी बार मंन करे मेरी ले लेना..लेकिन अभी जाने दे.
राज—मुझे अब तेरा कोई भरोसा नही.....अब से शराफ़त छोड़ दी मैने....शराफ़त दिखाने पर लोग बिना तेल लगाए ही उल्टा गान्ड मार लेते
हैं....वैसे चल कोई बात नही तेरा मंन नही है तो आज तेरी गान्ड ही ले लेता हूँ.
सरला (डरते हुए)—नही....नही....गान्ड नही....तू मेरी बुर ही ले ले... गान्ड फिर कभी, अभी तू बुर से ही काम चला ले
राज—चल कोई ना...गान्ड ना सही बुर ही सही
मैने सरला का ब्लाउस खोल कर ब्रा को उपर कर के उसकी चुचियो को बाहर निकाल लिया और उन्हे आटे की तरह दोनो हाथो से गूँथने
लगा.....मसल मसल कर दोनो दूध लाला करने के बाद मैं उसका दुग्ध पान करने लगा.
सरला—आआआआ.....राज्ज्ज...जल्दी से कर ले ना...कितना दबाएगा और पिएगा मेरे दूध....फिर कभी दबा लेना.
राज—फिर कब तू मौका देगी, क्या भरोसा तेरा.... ?
सरला—मैं शाम को डेली जानवरों का चारा लेने खेत मे जाती हूँ...वही आ जाया कर और दबा लिया कर रोज मेरे दूध और तेरा मंन करे तो वही लिटा के मेरी ले लिया कर..मैं मना नही करूँगी तुझे देने से..आआअ..अब जल्दी से चोद ले ना...देख सच मे मुझे जल्दी जाना है
आज...जल्दी से चोद ले
मैने भी उसकी बात मानते हुए उसकी साड़ी को कमर के उपर कर दिया...जिससे उसकी गोरी गोरी मांसल जांघे नंगी हो गयी मैने देर ना
करते हुए उसकी पैंटी भी उतार दी.
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RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
पैंटी उतरते ही सरला की गोरी गोरी जाँघो के साथ साथ उसकी दोनो जाँघो के बीच छुपि हुई बुर भी मेरे सामने नंगी हो गयी....सरला की बुर
मे छोटी छोटी झान्टे थी, शायद झान्ट बनाए ज़्यादा दिन नही हुए होंगे उसको...बुर के दोनो होठ आपस मे चिपके हुए थे.
सरला—एयाया...अब देखता ही रहेगा मेरी बुर को या उसे पेलेगा भी.
राज—मस्त बुर है तेरी सरला रानी...लेकिन तेरी तो कब की शादी हुई है फिर भी इतनी टाइट क्यो है तेरी बुर... ?
सरला—तो क्या उंगली डालने से बुर ढीली होती है... ?
राज—क्यो तेरा आदमी चोदता नही है क्या बुर को... ?
सरला—हिंझड़े का जब खड़ा होगा तब ना छोड़ेगा....चोदने लायक होता तो मैं अब तक माँ ना बन गयी होती.
राज—मेरा बच्चा पैदा करेगी…..?
सरला (कुछ देर सोचने के बाद)—मैं अपने पति को क्या जवाब दूँगी…?
राज—साला..उसको क्या जवाब देना है…वो क्या कहेगा किसी से , क्या वो अपने बारे मे ये बताएगा कि मेरा खड़ा नही होता है..?
सरला—नही, बताएगा तो किसी से भी नही.
राज—अगर फिर भी पूछे कि ये किसका बच्चा है तो बता देना कि मुझे राज चोदता है डेली...वो मेरी झान्ट भी नही उखाड़ सकता.
सरला—तू सच मे माँ बना देगा मुझे... ?
राज—101 पर्सेंट, सच
सरला—तो फिर बना दे मुझे अपने बच्चे की माँ....मैं तेरा ये एहसान कभी नही भूलूंगी...जिंदगी भर तेरी रखैल बन के रहूंगी.....तेरी हर बात मानूँगी.
राज—एक बार के चोदने से थोड़े ही बच्चा हो जाएगा.
सरला—तो रोज चोद लेना मुझे….सुबह मैदान जाती हूँ तब चोद लेना…उसके बाद नदी नहाने जाती हूँ, तब चोद देना…दोपहर मे दुकान मे अकेली रहती हूँ..तब चोद देना मुझे..शाम को खेत जाती हूँ, तब चोद लेना और फिर दिन ढलने पर मैदान जाती हूँ तो तब भी चोद
लेना….रोज मुझे चार पाँच बार चोद लेना..तब तो मैं माँ बन जाउन्गी ना…?
राज—ज़रूर बन जाओगी…..लेकिन मुझे तेरी गान्ड भी मारनी है.
सरला—कल ही दोपहर मे दुकान मे मार लेना गान्ड भी मेरी, वहाँ तेल की भी कमी नही है
अब तक सरला फुल गरम हो चुकी थी...उसकी बुर से बहता पानी इस बात की गवाही दे रहा था कि उसकी बुर अब लंड पेल्वाने को पूरी
तरह से तैय्यार हो चुकी है.
सरला—अब देर मत करो...राज्ज्ज..जल्दी से मेरी ले लो..मुझसे अब नही रहा जा रहा है
राज—क्या तुम कुवारि हो... ?
सरला—नही...गाजर...मूली डाल डाल के सील टूट चुकी है लेकिन मेरी बुर मे लंड नही गया है आज तक एक बार भी.
मेरा तो दिल खुश हो गया, ये सुन कर....मैं शिल्पा के घर वाली घटना भी भूल गया था....मैने तुरंत झुक कर सरला की बुर को चूसने लगा, उसके लिए ये नया अनुभव था. वो सिसकते हुए सातवे आसमान मे उड़ने लगी.
सरला—एयाया...राज्ज्ज...इतना मज़ा है...तुम जादूगर हो राज सच मे...
कुछ देर तक बर चूसने के बाद मैं उसकी दोनो जाँघो के बीच बैठ गया और अपना पॅंट नीचे खिसका कर लंड को उसकी बुर के दरवाजे पर
हमला करने के लिए टिका दिया.
राज—सरला..अपने दोनो हाथो से अपनी बुर को जितना हो सके फैला लो
सरला ने अपने हाथ नीचे ले जाकर अपनी बुर को जितना चीर सकती थी उसने फैला ली…मैने उसके दोनो दूध पकड़ के दबाते हुए होठ
चूमने लगा और एक ज़ोर का धक्का उसकी बुर मे लगा दिया.
एक ही धक्के मे सरला की आँखे फैल गयी….लेकिन मैं रुका नही और दनादन जल्दी जल्दी तीन चार जोरदार धक्के लगा कर पूरा लंड अंदर पेल दिया.
सरला की आँखो से पानी और बुर से खून बहने लगा…..मैं धीरे धीरे उसकी चुचिया मीसते हुए होंठो को चूमता गया जब वो कुछ नॉर्मल हुई
तो मैने धीरे धीरे चोदना शुरू कर दिया.
पहले तो उसको हर धक्के पर दर्द हो रहा था लेकिन ऐसे ही कुछ चोदने के पश्चात जब उसकी बुर मे फिर से चिकनाहट आ गयी तो वो भी
नीचे से अपनी गान्ड उठा उठा कर मुझे ज़ोर ज़ोर से चोदने के लिए उकसाने लगी.
इधर मेरी पीठ का दर्द भी बढ़ गया था…घाव अभी ताज़ा होने के कारण उसमे से फिर से खून रिसने लगा था…लेकिन मैने दर्द की परवाह ना करते हुए सरला की चुदाइ करता रहा बुर मे लंड पेलता रहा.
सरला—आआआ…बड़ा मज़ा आ रहा है…..और ज़ोर से राज…एयाया….ऐसे ही मुझे रोज चोदना अब….हर साल मुझे अपने बच्चो की माँ
बनाते रहना…और वो नपुंसक बिना चोदे ही बाप बनता रहेगा..आआआआआअ..मैं गयीइ
मैने अपने धक्को की रफ़्तार बढ़ा दी….मेरे धक्के इतने तेज़ हो गये थे कि सरला की बुर की पंखुड़िया पूरी तरह से फैल चुकी थी और उसके
अस्थी पंजर ढीले हो चुके थे.
लगभग एक घंटे की धुआँधार चुदाई के बाद सरला फिर से झड गयी और मैं भी उसके साथ ही उसकी बुर मे लंबी लंबी पिचकारी छोड़ने लगा.
झड़ने के बाद हम दोनो हान्फते हुए एक दूसरे से चिपके काफ़ी देर तक पड़े रहे…..फिर उठ कर सरला ने अपने कपड़े सही किए ..मैने
उसका चारा समेट कर बाँध दिया और वहाँ से निकल गया.
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वही हॉस्पिटल मे नीलेश और उसके साथियो की हालत बहुत बुरी थी…..पूरा ठाकुर परिवार वहाँ एकट्ठा हो चुका था….. पोलीस के बड़े
अधिकारी भी वहाँ पहुच चुके थे.
विक्रांत (गुस्से मे अपने आदमियो से)—मुझे वो आदमी चाहिए जिसने ये किया है…मैं उसके पूरे खानदान को मिटा दूँगा.
राहुल—चाचू..आपको परेशान होने की ज़रूरत नही है…..ये काम आप मुझ पर छोड़ दीजिए…मैं उसका वो हश्र करूँगा कि खुद मौत भी शर्मिंदा हो जाएगी.
शमशेर—कमिशनर मुझे 24 घंटे के अंदर वो आदमी चाहिए साथ मे वो लड़की भी…..एक बार उसका पता चल जाए फिर तो मैं उसके
खानदान की सभी औरतो को बीच सड़क मे नंगी करके दौड़ाउंगा.
कमिशनर—आप चिंता मत कीजिए सर,….मैने हर जगह उसकी तलाश शुरू करवा दी है..बस एक बार नीलेश जी को होश आ जाता तो हमे उसके बारे मे कुछ जानकारी मिल जाती.
ठकुराइन—मुझे कुछ नही सुनना…मुझे वो आदमी चाहिए..चाहे जहाँ से भी लाओ लेकिन लाओ…उसको मौत मैं दूँगी
नीलेश और उसके साथी अभी तक बेहोश पड़े थे…सबसे ज़्यादा नाज़ुक हालत नीलेश की ही थी…..सब बड़ी बेसब्री से उसके होश मे आने का इंतज़ार कर रहे थे.
लगभग दस घंटे बाद नीलेश को थोड़ा थोड़ा होश आया..तो सब उससे उसका नाम पूछने लगे..लेकिन नीलेश कुछ बोलने की कोशिश कर रहा था पर समझ मे नही आ रहा था.
शमशेर—नीलेश..किसने किया ये सब तुम्हारे साथ…? नाम बताओ उसका…?
नीलेश (रुक रुक कर)—कोइइ…..गांडुऊऊ…गाआंनदडड़….नहियिइ…हिलाएगाआआआआ
नीलेश फिर से बेहोश हो गया…..सब उसकी बात सुन कर चौंक गये..शमशेर ने जल्दी से जल्दी कमिशनर को उस आदमी को जैल के अंदर करने को कहा ….तभी कमिशनर का फोन बजने लगा….किसी अननोन नंबर से कॉल था.
कमिशनर—हेलो….
"इस केस को यही रफ़ा दफ़ा कर दो" सामने वाले शख्स ने कहा
कमिशनर—कौन है बे तू…जो तेरे कहने से मैं ये केस बंद कर दूं…..?
सामने वाले शख्स ने जैसे ही अपना नाम बताया तो कमिशनर के हाथ से फोन छूट कर नीचे जा गिरा……डर से हाथ पैर काँपने लगे और
चेहरा पसीने से तर बतर हो गया…अभी भी उसके कानो मे वही शब्द गूँज रहे थे.
"स्….ट….आ….र……………….ब..ल..ए..क..क………स..ट..आ..र"
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03-20-2021, 08:46 PM,
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RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट—25
जैसे ही कमिशनर ने ब्लॅक स्टार का नाम सुना तो उसके हाथ पैर काँपने लगे और मोबाइल हाथ से फिसल कर नीचे गिर गया….उसकी ये
हालत जब सब ने देखी तो वो भी थोड़ा चौंक गये.
राहुल—क्या हुआ कमिशनर साहब किसका फोन था…?
शमशेर—तुम इतना घबराए हुए क्यो लग रहे जो…? किसका कॉल था….?
कमिशनर ने कोई जवाब देने की जगह पर फोन उठा कर ठाकुर शमशेर सिंग को पकड़ा दिया…..ठाकुर ने जब देखा तो कॉल कट हो चुका था.
ठकुराइन—क्या बात है कमिशनर..तू इतना घबरा क्यो रहा है…?
कमिशनर—नही ऐसी कोई बात नही है….लेकिन मैं ये सोच रहा था ठकुराइन कि इस मामले को यहीं ख़तम कर दें.
राहुल (ज़ोर से)—तू होश मे तो है ना कमिशनर…? तू क्या चाहता है कि हम चूड़िया पहन ले…?
कमिशनर—नही…मैने ऐसा कब कहा…?
शमशेर—सॉफ सॉफ कहो कमिशनर कहो आख़िर तुम कहना क्या चाहते हो……?
कमिशनर—ठाकुर साहब…अगर इस केस की एफआइआर होगी तो ये खबर हर तरफ आग की तरह फैल जाएगी और इसमे बदनामी तो ठाकुर परिवार की ही होगी ना….ज़रा सोचिए लोगो के दिलो मे जो ख़ौफ़ अभी आपका है, ये जानने के बाद की कोई नीलेश ठाकुर की ऐसी हालत कर गया, क्या वो ख़ौफ़ फिर वैसा ही बना रहेगा….?
ठकुराइन—कमिशनर तू अपना दिमाग़ मत लगा….तू हमारा कुत्ता है और कुत्ते की तरह वफ़ादारी करता रह, इसी मे तेरी भलाई है.
शमशेर—शांत बहना..शांत……कमिशनर की बात सही है……नीलेश के साथ क्या हुआ है इसकी जानकारी पब्लिक तक नही पहुचनी चाहिए.
विक्रांत—तो क्या मेरे बेटे के साथ ऐसा घटिया सलूक करने वाले को यो ही आज़ाद घूमने दिया जाए….?
शमशेर—नही….ये काम अब हमारे आदमी करेंगे..और इसमे तुम्हारी मदद करेगा इनस्पेक्टर देशराज, वो बेहद दिलेर और हमारे भरोसे का आदमी है. लेकिन एफआइआर नही होगी.. उसके मिलते ही किसी भी जुर्म मे फँसा कर अंदर करवा देंगे, पर उसके खानदान को मिटाने और बर्बाद के बाद.
राहुल—ये काम मैं खुद ही देखूँगा अब.
शमशेर—ठीक है….
दूसरी तरफ सिटी मे एक आदमी पोलीस थाने मे कंप्लेन लिखने गया हुआ था…उसे रात मे डरावने सपने आते थे..उसे लगता था कि कोई
उसको जान से मारना चाहता है...उसके सामने उस थाने का इंचार्ज इनस्पेक्टर देश राज बैठा हुआ उसको घूर रहा था.
देशराज—क्या नाम है तेरा... ?
आदमी—जी दयाचंद.
देशराज—मेरे सवालो का सीधा जवाब दे...तूने असलम की हत्या क्यो की..... ?
दयाचंद—जी उसकी पत्नी से मेरे नाजायज़ संबंध थे.
"ओह्ह्ह्ह..." देशराज के चेहरे पर मौजूद ख़तरनाक भाव चमत्कारिक ढंग से व्यंग्यात्मक भाव मे तब्दील हो गये..." और यह भेद असलम पर खुल गया होगा".
दयाचंद—अगर मैं उसको नही मारता तो वो मुझे मार डालता.
देशराज—ऐसा क्यो….?
दयाचंद—उस रात असलम ज़बरदस्ती मुझे अपने घर ले गया था...वहाँ जाकर पता लगा कि उसने ना केवल बंग्लॉ के सभी नौकरो को छुट्टी
पर भेजा हुआ है बल्कि सलमा को भी उसके मायके भेज रखा है.
देशराज—सलमा….यानी कि उसकी बीवी…तेरी माशूका…?
दयाचंद—हमम्म
देशराज—इन्वेस्टिगेशन के वक़्त मैने उसे देखा था..इतनी खूबसूरत तो नही है वह, तू मरा भी तो किस पर….उससे लाख गुना लाजवाब चीज़
तो उसकी नौकरानी है…क्या नाम है उसका….? हां, शायद छमियां.
दयाचंद—(चुप)
देशराज—खैर एक कहावत है…..दिल आया गधी पर तो परी क्या चीज़ है…अब आगे बक
दयाचंद—उसने अपनी बीवी के नाम लिखे मेरे सभी लेटर सामने रख दिए…कहने लगा कि, मैने दोस्ती की पीठ मे छुरा भोंका है और अब
वह मेरे सीने मे छुरा भोंकेगा..इसके बाद उसने अपनी जेब से चाकू निकाल कर मुझ पर हमला कर दिया.
देशराज (व्यंग्य पूर्वक)—इस हाथा पाई मे चाकू तेरे हाथ लग गया और तूने उसका काम तमाम कर दिया.
दयाचंद—हमम्म
देशराज—और अब तुझे एक वीक से अजीब अजीब सपने दिखाई दे रहे हैं…कभी मैं तुझे हथकड़ी पहनाते नज़र आता हूँ, तो कभी तू खुद
को फाँसी के फंदे पर झूलते पाता है…और तो और असलम भी तुझे सपने मे आकर मारने लगा है.
दयाचंद—हां, इनस्पेक्टर साहब,,मैं तब से एक क्षण के लिए भी शांति से साँस नही ले पाया हूँ.
देशराज—जब इतने ही मरियल दिल का मालिक था तो हत्या ही क्यो की….?
दयाचंद—अगर मालूम होता कि खुद मर जाने से हज़ार गुना ज़्यादा दुखदायी है तो ये सच है इनस्पेक्टर साहब कि मैं खुद मर जाता किंतु
असलम की हत्या नही करता…मैं तो ख्वाब मे भी नही सोच सकता था कि ऐसे ऐसे भयानक ख्वाब दिखेंगे.
देशराज—तुझे थाने मे आ कर मुझे ये सब बताने मे डर नही लगा…?
दयाचंद—लगा तो था…मगर…..
देशराज—मगर…..?
दयाचंद—आपने असलम की फॅक्टरी के एक ऐसे यूनियन लीडर को डकैती के इल्ज़ाम मे फँसा कर जैल भिजवा दिया था जिसके कारण फॅक्टरी मे आए दिन हड़ताल हो जाती थी.
देशराज—फिर….?
दयाचंद—उन्ही दिनो मेरी असलम से बात हुई थी…उसका कहना था कि आपने उसे आश्वस्त कर दिया था कि कोई भी, कैसा भी काम हो,…आप अपनी फीस लेकर कर सकते हैं.
देशराज—फीस बताई थी उसने….?
दयाचंद—हाआँ
देशराज—क्या…?
दयाचंद—कह रहा था कि आपने पच्चीस हज़ार लिए.
देशराज—और तू यह सोच कर यहाँ अपनी करतूत बताने चला आया कि मैं फीस लेकर तेरी मदद कर दूँगा…?
दयाचंद—सोचा तो यही था इनस्पेक्टर साहब…अब आप मालिक हैं..चाहे असलम की हत्या के जुर्म मे पकड़ कर जैल भेज दे, या……
देशराज (घूरते हुए)—याअ…?
दयाचंद—या फिर मेरी मदद करे.
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RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
देशराज—वो यूनियन लीडर को डकैती के इल्ज़ाम मे फँसाने जैसा मामूली मामला था….एक डकैत की चमड़ी उधेड़ कर उससे कहलवा दिया की वो यूनियन लीडर भी उसके साथ शामिल था डकैती मे..बस, काम बन गया….लेकिन ये बड़ा मामला है, हत्या का केस है…
दयाचंद—सोच लीजिए साहब, मैं मूह माँगी फीस दे सकता हूँ..
देशराज (गुर्राते हुए)—क्या मदद चाहता है….?
दयाचंद—यह तो आप ही बेहतर समझ सकते हैं.
देशराज—तुझे बुरे बुरे ख्वाब चमकते हैं, भला मैं उन ख्वाबो को कैसे रोक सकता हूँ…?
दयाचंद—असलम की हत्या के जुर्म मे किसी और को फँसा दीजिए, मुझे ख्वाब आने बंद हो जाएँगे.
देशराज—किसे फँसा दूं…तेरी नज़र मे है कोई…?
दयाचंद (सकपका कर)—नही...मैने तो इस बारे मे कभी नही सोचा.
देशराज—नही सोचा तो सोच, या रुक….मैं ही कुछ सोचता हूँ.
देशराज ने अपनी जेब से एक सिग्रेट निकाल कर सुलगा ली और किसी गंभीर सोच मे डूब गया…देशराज बहुत ही बहादुर किस्म का
ऑफीसर था साथ मे लालची और ठाकुर का खासम खास आदमी भी.
दयाचंद खुश था…इनस्पेक्टर ने वही रुख़ अपनाया था जो वो सोच कर यहाँ आया था…अब उसे ज़रा भी डर नही लग रहा था….समझ सकता था कि इनस्पेक्टर कोई ना कोई रास्ता निकाल लेगा और उस वक़्त तो उसकी आशाए हिलोरे लेने लगी जब सोचते हुए देशराज की
आँखे जुगनू की तरह चमकते देखी…
देशराज—काम हो गया.
दयाचंद (खुशी मे उछल्ते हुए)—हो गया…!
देशराज—चाकू कहाँ है…?
दयाचंद—कौन सा चाकू….?
देशराज—अरे वही जिससे तूने असलम का क्रिया कर्म किया था.
दयाचंद (हिचकते हुए)—म…मैने उसको अपने घर के गार्डन मे दबा रखा है.
देशराज—खून से सने कपड़े…?
दयाचंद—वो भी.
देशराज—तेरा काम हो जाएगा...फीस एक लाख.
दयाचंद—एककक….एककक लख्
देशराज—बिच्छू के काटे की तरह मत उच्छल…..आनी बानी गाने की कोशिश की तो अभी तेरा टेटवा पकड़ कर हवालात मे ठूंस दूँगा…भगवान भी नही बचा सकेगा तुझे…सीधा फाँसी के तख्ते पर ही पहुचेगा.
दयाचंद—म्म्म…मुझे मंज़ूर है.
देशराज—तो जा, एक लाख लेकर आ.
दयाचंद—पा…पचास लाता हू…पचास काम होने के….
देशराज (ज़ोर से)—ज़ुबान को लगाम दे दयाचंद…..मैं कोई गुंडा नही हूँ जो आधा काम होने से पहले और आधा काम होने के बाद वाली पेटेंट शर्त पर काम करूँ…..मेरे द्वारा काम को हाथ मे लिए जाने को ही लोग पूरा हुआ मान लेते हैं.
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वही सरला को चोदने के बाद मैं घर आ गया…अब तक अंधेरा हो चला था….मेरे घर मे घुसते ही शीतल दीदी राशन पानी लेकर मेरे उपर चढ़ बैठी.
शीतल—लो आ गये, कुंवर साहब….आज कौन सी गंदी गटर मे अपना मूह काला किया….?
दादी—क्यो उसके पीछे पड़ी रहती है तू जब देखो…? आ जा बेटा तू मेरे पास आ जा.
मैं सीधा जाकर दादी से लिपट गया...मुझे उनसे लिपटाते ही उस दिन की घटना याद आ गयी जब मैने दादी को मूतते हुए देखा था तो अनायास ही मेरा ध्यान फिर से दादी के जिस्म का अवलोकन करने मे लग गया.
राज (मान मे)—दादी इस उमर मे भी गदराया माल लग रही है....उस दिन दादी की बुर देखने से ही समझ गया था कि इनकी बुर को चोदने मे भी मज़ा आएगा ...दादी की बुर चोदने का कोई जुगाड़ करना पड़ेगा....दादी की गान्ड भी खूब बड़ी है... कितने मोटे मोटे चूतड़ हैं....एक बार दादी पूरी नंगी देखने को मिल जाए तो मज़ा आ जाए.
दादी (सर सहलाते हुए)—पूरा दिन कहाँ था बिना खाए पिए भटकता रहता है... ?
राज—दादी..आज मैं आपके साथ सोना चाहता हूँ.
किंजल (मन मे)—कमीना लगता है कि बुढ़िया को भी नही छोड़ेगा.
मीना (मंन मे)—दादी तुम तो निपट गयी आज.
दादी—बिल्कुल बेटा…तेरा जब भी मन करे मेरे साथ सो जाया कर.
राज (खुश)—तुम कितनी अच्छी हो दादी.
शीतल—अब अगर ये दादी पोते का मेल मिलाप हो गया हो तो अब मुझे बताओ कि तुम पूरा दिन कहाँ थे…?
राज—मैं कहीं भी रहूं उससे आपको क्या लेना देना….? कभी प्यार से बात तो करती नही हैं आप.
शीतल—तुझ से प्यार से बात तो मेरी चप्पल करेगी...रुक अभी बताती हूँ.
शीतल दीदी मुझे मारने के लिए जैसे ही चप्पल उठा कर मेरे पीछे भागी तो मैं दादी के पास से उठ के अंदर की ओर भागा लेकिन भागने के चक्कर मे किसी से टकरा गया.
संयोग से मैं जिससे टकराया उसके दूध पर ग़लती से मेरा हाथ टच हो गया....मुझे उसके दूध का नरम एहसास बहुत अच्छा लगा तो मैने बिना उसकी तरफ देखे ही कि ये कौन है उसके दूध को अपने फुल पंजे मे पकड़ कर खूब ज़ोर ज़ोर से जल्दी जल्दी चार पाँच बार दबाया और मसल दिया.
मैने जैसे ही उसके दूध दबाए ज़ोर से तो उसकी ज़ोर से ‘’आआआहह’’ कर के चीख निकल गयी...मैं ये चीख सुन कर जैसे ही उसका चेहरा देखा तो मेरे चेहरे का रंग उड़ गया.
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