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desiaks
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RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट-39
वो सब मुझसे डर कर अपनी जान बचाने के लिए यहाँ वहाँ भागने लगे ....लेकिन मेरे उपर तो अब खून सवार हो चुका था.....मैं भी उनके पीछे दौड़ पड़ा.
राज (चिल्लाते हुए)—कहाँ भाग रहे हो हिंझड़ो......साले लवडे…… तुम्हारी माँ को चोदु....
दौड़ते हुए ही मैने उनकी एक हॉकी उठाई...और फेंक कर एक के सिर पर मारा तो वो वही गिर गया.....उसके गिरते ही मैं तरीके से उसको
बजाने लगा और तब तक बजाता रहा जब तक कि उसने दम नही तोड़ दिया.
राज (गुस्से मे )—फटेगी आज से सब की फटेगी,...इस सांड़ से किसी की नही बचेगी.
बाकी तीन साले कहाँ भाग गये अपनी गान्ड बचा कर पता नही......लेकिन ये सब वाक़या पास के ही गन्ने के खेत से छुप कर कोई देख रहा था....
अब आगे.......
उन्न तीनो के भाग जाने के पश्चात मैं कुछ देर तक वही रुका रहा जब गुस्सा कुछ कम हुआ तब मुझे वास्तविक परिस्थिति का अंदाज़ा हुआ कि अभी अभी क्या किया है मैने.
राज (मन मे)—उउई साला ये दोनो तो लगता है सच मूच मे टपक गये....अब तक तो उन्न तीनो हरमियो ने ठाकुर को पूरी राम कहानी भी सुना दी होगी.....ये ठाकुर और देशराज मादरचोद मुझे चैन से बुर भी नही चोदने देते...जल्दी से यहा से खिसक लेना ही फ़ायदेमंद है इन्न
हरामियों के आने से पहले ही.
मैं वहाँ से उठ कर जैसे ही जाने को हुआ तो तभी किसी ने आवाज़ देकर मुझे रुकने को कहा....वैसे तो मैं बिल्कुल भी रुकने के मूड मे नही था किंतु आवाज़ किसी औरत की थी और जानी पहचानी लगी तो रुकना पड़ा.
मैं जैसे ही पलटा तो समने के गन्ने के खेत से छमिया निकल कर बाहर आई और हान्फते हुए मेरे आगे खड़ी हो गयी... दिन के उजाले मे जैसे ही मैने छमिया की खूबसूरती को देखा तो बस देखता ही रह गया.....पहले तो मुझे थोड़ा डर लगा लेकिन फिर रात की घटना याद आते ही उसकी तरफ से तसल्ली हो गयी.
राज—तुम यहाँ क्या कर रही हो..... ?
छमिया (हान्फते हुए)—वो देशराज के आदमी मुझे खोजते हुए सुबह सुबह मेरे घर आ गये थे तो मैं खिड़की से कूद कर यहाँ खेत मे छिप गयी थी.....लेकिन तुमने इन्हे जान से क्यो मार दिया..... ?
राज—ओह्ह्ह...इसका मतलब तूने सब देख लिया.....ये देशराज और ठाकुर के ही आदमी हैं....कल रात मे मैने तुम्हे बचाया था ना तो आज
मुझे ढूँढ रहे थे......अब मैं अगर इनको नही मारता तो ये मुझे मार देते.
छमिया—यहाँ से जल्दी चलो....नही तो वो देशराज कमीना कभी भी यहाँ आ सकता है.....खेत के अंदर ही अंदर से निकल चलो.
राज (चलते हुए)—तो अब तुम कहाँ जाओगी..... ?
छमिया—समझ मे नही आता कि कहाँ जाउ……?
राज—तुम्हारा आदमी अभी नही छूटा क्या जैल से..... ?
छमिया—वो हरामी देशराज कहता है कि थाने आ कर उनको ले जौ....लेकिन मैं जानती हूँ कि वो मुझे क्यो बुला रहा है वहाँ.
राज (मन मे)—देशराज की क्या ग़लती है.....तेरा हुष्ण ही इतना जान लेवा है कि जो भी देख ले उसका लंड खड़ा हो जाएगा....एक ना एक
दिन इसको पूरी नंगी कर के चोदुन्गा ज़रूर और वो भी इसकी पूरी मर्ज़ी से....
अभी हम गन्ने का खेत पार कर के जा ही रहे थे कि सामने से उसका पति गोविंद आता हुआ दिख गया....उसकी हालत देखते ही समझ मे आ गया की उसको बहुत पीटा गया है.
गोविंद को देखते ही छमिया उससे लिपट के रोने लगी और जो कुछ देशराज ने उसके साथ किया वो सब बताने लगी...उसने मेरे बारे मे भी
बताया तो उसने मेरे आगे हाथ जोड़ लिए.
गोविंद—साहब आप ने मुझ ग़रीब की इज़्ज़त बचा कर बहुत बड़ा उपकर किया है....जो मैं कभी नही चुका सकता... मुझे जैल से छुड़ाने मे भी ज़रूर आपका ही कोई हाथ है वरना वो जानवर मुझे कभी नही छोड़ता.
छमिया—मेरे चक्कर मे देशराज इनका भी दुश्मन बन गया है.....आज भी उसने इनके उपर हमला करवाया जिसमे उस कुत्ते के दो आदमी
मर गये.....ये सच मे बहुत बहादुर हैं वरना देशराज और ठाकुर के सामने कोई सिर तक नही उठाता है.
गोविंद—जो भी हुआ बहुत ग़लत हुआ.....वो अब आपको जीने नही देगा और ना ही हम दोनो को....साहब आप कहीं शहर छोड़ कर दूर चले जाओ.
राज—और तुम कहाँ जाओगे...... ?
छमिया—हम दोनो के पास आत्म हत्या करने के सिवा कोई दूसरा रास्ता नही है अब......जिंदा रही तो वो हरामी मेरी इज़्ज़त लूटे बिना नही
मानेगा इससे अच्छा मरना ही ठीक है.
राज—जब यही करना था तो मेरा तुम्हे बचाने और ठाकुर और देशराज से दुश्मनी लेने का क्या फ़ायदा निकला.... ? वाह... बहुत बढ़िया एहसान चुका रहे हो दोनो.
गोविंद—तो आप ही बताओ कि हम क्या करे... ? कहाँ जाए हम….? हमारे पास तो इतने पैसे भी नही हैं कि कहीं दूर जाकर गुजर बसर कर
ले….मालिक के मरने के बाद सब हमारे दुश्मन बन गये हैं.
तभी वहाँ बहुत सी गाडियो के आने की आवाज़ सुनाई पड़ी तो हम एक पेड़ के पीछे छुप कर देखने लगे….करीब चार गाड़ियाँ पोलीस की
और बीस गाड़ियाँ ठाकुर के आदमियो की थी….
राज—इससे पहले कि वो हमे देख ले यहाँ से फ़ौरन निकल चलो
च्चामिया—लेकिन जाएँगे कहाँ.... ?
राज—चलो तो सही पहले
वो मेरे पीछे पीछे एक खेत मे घुस गये फिर से....उसके अंदर ही अंदर चलते हुए हम मैन रोड तक पहुच गये… वहाँ से ऑटो पकड़ कर बस स्टॅंड आ गये.
बस स्टॅंड पहुच कर मैने एसीपी ज्योति को कॉल कर के पूरी घटना बताई तो उसने मुझे छमिया और गोविंद के साथ अपने घर आने को कहा.
मैं वहाँ से बस पकड़ कर दोनो के साथ ज्योति के घर चला गया जहाँ वो मेरा ही इंतज़ार कर रही थी….अब तक दोपहर हो चुकी थी…..अरषि मामी, डिंपल, शिल्पा और रश्मि दीदी का फोन भी काई बार आया लेकिन मैने ध्यान नही दिया…. छमिया और गोविंदा तो अपने
सामने पोलीस वाली को देख कर घबरा गये और मेरी ओर देखने लगे.
राज—घबराने की कोई ज़रूरत नही है….यहाँ तुम दोनो सुरक्षित हो….?
छमिया—लेकिन……
ज्योति—चिंता मत करो…तुम दोनो के बारे मे राज ने मुझे सब बता दिया है…..तुम दोनो यहाँ रह सकते हो….देशराज और ठाकुर के आदमी यहा तक नही पहुच सकते.
गोविंदा—शुक्रिया मेडम….इसमे हमारा कोई दोष नही है…हमारे साथ ज़ुल्म ही इतना किया है पोलीस ने कि अब……
ज्योति—सब पोलीस वाले एक जैसे नही होते….यहाँ तुम लोग निश्चिंत हो कर रहो.
छमिया—जी मेम साहब
ज्योति—और तुम….अपने आप को बहुत बड़ा हीरो समझते हो….? तुम्हे पता भी है कि तुमने क्या किया है…..?
राज—वो साले मरियल थे….एक थप्पड़ मे ही मर गये तो अब इसमे मेरी क्या ग़लती है…..वैसे भी क्या फरक पड़ता है….?
ज्योति—शायद तुम अभी ठाकुर को अच्छी तरह से जानते नही हो…..तुम्हारी पूरी फॅमिली कितनी बड़ी मुसीबत मे फँस जाएगी अगर तुम्हारा स्केच बनवा दिया उन्न तीनो लोगो ने तो, ये तुम नही जानते.
राज—मेरी फॅमिली की तरफ अगर किसी ने आँख भी उठाई तो उसकी पूरी ज़मीन बंज़र कर दूँगा मैं..…..
ज्योति—ठाकुर की ताक़त को तुम अभी जानते नही हो….
राज—तो अब मुझे क्या करना चाहिए…..?
ज्योति—अब वोही एक तरीका है, जो मैने बताया था….वरना तुम और तुम्हारी फॅमिली को ठाकुर से कोई नही बचा सकता फिर.
राज (कुछ सोच कर)—ठीक है…मुझे आपकी बात मंज़ूर है.
ज्योति—तो ठीक है, कल यही पर आ जाना….सबसे पहले मैं तुम्हे ट्रेंड करूँगी…..आगे क्या करना है ये कल मैं तुम्हे समझा दूँगी.
राज—ओके…तो मैं चलता हूँ
ज्योति—कहाँ जाओगे…..वहाँ अभी सब तुम्हे कुत्ते की तरह तलाश कर रहे होंगे…..अभी रूको यही
उसके बाद ज्योति ने छमिया और गोविंदा के रहने के लिए कमरा दिखाने ले गयी, मैं भी उनके साथ ही गया…अनायास ही मेरा ध्यान चलते
समय उसके मटकते हुए चुतड़ों पर चला गया.
राज (मन मे)—हाय…क्या मस्त चूतड़ हैं…..जब कपड़े के उपर से इतने बड़े बड़े हैं तो नंगे होने पर कैसे दिखते होंगे….? हाए ज्योति मेडम
एक बार एक बार अपने इन चुतड़ों को नंगे कर के दिखा दो…..काश एक बार ये गान्ड पेलने को मिल जाए तो मज़ा आ जाएगा.
जाते हुए ज्योति ने पलट के मुझे घूर के देखा तो मैं सकपका गया और दूसरी ओर देखने लगा…..ज्योति ने एक रूम खोल कर दोनो को दिखाया…..उसमे बेड वग़ैरह सब कुछ था.
ज्योति—आज से तुम दोनो यहाँ रहो…..बाथरूम अटॅच्ड है….बगल मे किचन है….अगर किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे बता देना.
छमिया—जी मेम साहब
ज्योति—ठीक है तुम दोनो फ्रेश हो जाओ….और कुछ खा लो…..राज तुम चलो मेरे रूम मे
ज्योति आगे आगे चलने लगी….ना चाहते हुए भी मेरा नज़र उसके मदमस्त चुतड़ों पर फिर से अटक गयी….चलते हुए उसके मटकते चूतड़ कहर ढा रहे थे….लंड तो पूरे उफान पर आ चुका था….मुझसे कुछ कहने के लिए जैसे ही ज्योति पलटी तो उसने मुझे फिर से अपने चुतड़ों
को ललचाई नज़रों से घूरते पकड़ लिया.
ज्योति (आँखे दिखाते हुए)—क्या हरकत है ये सब…..?
राज (सकपका कर)—ना…नाअ….मेडम…मैने आपकी गान्ड बिल्कुल नही देखी.
ज्योति (शॉक्ड)—व्हातटत्ट…..?
राज (सिर झुका कर)—आइ’म सॉरी मेडम…..दुबारा ऐसी ग़लती नही होगी
ज्योति—दुबारा ये ग़लती तो तुम कर चुके हो…..लेकिन ध्यान रहे आगे ऐसा ना हो……ये सब हरकते बंद कर दो.
राज (धीरे से)—एक बार अपनी ये फूली हुई गान्ड दे दो फिर सब बंद कर दूँगा ज्योति डार्लिंग.
ज्योति (आँखे फाड़ कर)—क्याआ कहाआ तुमने…..?
राज—नही..नही मेडम…मैने आपकी गान्ड के बारे मे कुछ नही कहा, सच्ची…..
ज्योति (सख्ती से)—मतलब सुधरोगे नही तुम……?
राज—सॉरी मेडम
ज्योति—तुम हाल मे टीवी देखो तब तक… जब तक मैं नहा लेती हूँ….फिर खाना लगाती हूँ.
ज्योति मेडम अपने कपड़े ले कर बाथरूम मे घुस गयी और मैं हाल मे आ गया....लेकिन मन मे बार बार ये इच्छा पैदा होने लगी कि क्यो ना ज्योति मेडम को नहाते हुए एक बार देख लू...शायद कुछ दिख ही जाए.
बस क्या था ये विचार मन मे आते ही मेरे कदम खुद बा खुद ज्योति के कमरे की तरफ बढ़ गये….कमरे मे पहुचते ही मैने बिना कोई आवाज़ किए बाथरूम मे लगे दरवाजे के की होल पर अपनी आँखे चिपका दी.
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RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट—42
मुझे जब होश आया तो खुद को एक सुनसान जगह पर ज़मीन मे लेटे हुए पाया....मैने जैसे ही उठने की कोशिश की तो पूरे जिस्म मे दर्द महसूस होने लगा.
मैं शरीर के जिस भाग मे भी हाथ लगाता वही दर्द की तेज़ लहर दौड़ जाती....तभी मुझे याद आया जो कि आज बस स्टॅंड मे मेरे साथ घटित हुआ था.
राज—ओह्ह्ह्ह.....मादरचोदो ने धोखे से गोली मार दी.....साले एक बार बता तो देते गोली चलाने से पहले.....(सिर मे हाथ फेरते हुए)—हह...ये क्या..... ? सिर तो मेरा सही सलामत है.....लेकिन गोली तो मेरे सिर मे ही लगी थी....बेहोश होने से पहले मैने अच्छे से महसूस किया था....मेरे सिर मे तो कही दर्द नही हो रहा है.....ये कैसे हो सकता है..... ?
मैं उठ कर बैठ गया और अपने पूरे जिस्म को अच्छे से देखने लगा.....दर्द तो हो रहा था किंतु चोट का कहीं कोई निशान नही था....पर कुछ बातो पर ध्यान जाने के बाद मैं और भी चौंक गया.
राज (चौंक कर)—ये कपड़े.... ? ये तो मेरे नही हैं….और मेरे गले मे ये गोल्ड की चैन कहाँ से आ गयी….? ये जगह कौन सी है…..? लगता है ठाकुर और उसके आदमियो ने मुझे किसी चोरी के केस मे फसाने के लिए ही मेरे कपड़े चेंज किए होंगे और चैन पहनाई होगी…..शायद मुझे मर चुका समझ कर यहाँ फेंक कर भाग गये होंगे…..? ये चोट का निशान कहाँ गायब हो गया…..? और ये जेब मे इतने पैसे ….? खैर मैं ये
सब क्यो इतना सोच रहा हूँ……अच्छा हुआ की जान बच गयी….ये चैन को बेच कर कुछ पैसे तो मिलेंगे…..पहले चलके कुछ खाना खा
लेता हूँ कहीं अगर कोई होटेल सोटल मिल जाए तो……लेकिन मेरा मोबाइल.. ओह्ह्ह लगता है कि सालो ने गायब कर दिया.
मैं इतना सोच कर वहाँ से किसी तरह खड़ा हुआ और चलते हुए मैन रोड पकड़ कर आगे बढ़ता गया….तभी मुझे एक ढाबा दिखा तो मैं वही
कुछ खाने के उद्देश्य से चला गया….वो तो अच्छा हुआ कि जेब मे लगभग दस हज़ार पड़े हुए थे.
लड़का—क्या लगाऊ साहब….?
राज—एक शाही पनीर और बटर तंदूरी , जीरा राइस, दाल फ्राइ, दही और साथ मे सलाद, पापड ज़रूर देना……..और सुन ये जगह कौन सी है……?
लड़का—ये तो****** है.
राज (मन मे)—ओह्ह्ह्ह तेरी की…..‼ इतनी दूर फेंक कर गये मादरचोद……..कोई बात नही……अब तो जो जो इस वारदात मे शामिल था सबकी गान्ड तोड़ूँगा……..और मादरचोद ठाकुर…..अब तुझे मैं बताउन्गा कि सांड़ से भिड़ने का नतीज़ा क्या होता है……तेरे खानदान की
हर लड़की और औरत की बुर मे अब ये सांड़ खेती करेगा.
थोड़ी देर मे मेरी मनपसंद डिश आ गयी…….दर्द की वजह से तबीयत कुछ ठीक नही लग रही थी इसलिए ज़्यादा कुछ खास खाया नही गया,…..बड़ी मुश्किल से केवल 40 रोटी, और दस प्लेट राइस, दस प्लेट दाल, 5 प्लेट दही, 8 प्लेट सलाद और 20-25 पापड ही खा पाया….वो लड़का और ढाबे वाला आँखे फाडे मुझे देख रहे थे.
राज—भाई कितना बिल हुआ…..?
मॅनेजर (उपर से नीचे तक देखते हुए)—5000 रुपये......
राज (शॉक्ड)—5000 रूपइई……‼ ये क्या भाई……एक बीमार आदमी के इतने थोड़े से खाने का इतना ज़्यादा बिल……? बहुत लूट रहे हो भाई….कुछ डिसकाउंट करो ना…..मेरी बीमारी पर तो कुछ दया करो…
मॅनेजर (घूरते हुए)—क्या कहा…बीमाररर …‼ इतना सा खाना….? अब यहाँ मेरे अलावा ये खाली बर्तन और ये ढाबा बचा है, वो भी खा लो.
राज—सब जगह ग़रीबो को लूटा जा रहा है….तुम भी लूटो…..अब तो लोग बीमार लोगो को भी लूटने से नही छोड़ते.
मॅनेजर—5000 रुपये
राज—हाँ…हाँ…दे रहा हूँ…..ये लो……गिन लो अच्छे से....तुम्हारी तरह धोखे बाज़ नही हूँ कि रेट कुछ बटाऊ और फिर खाने के बाद फ़र्ज़ी
इतना लंबा चौड़ा बिल बना दूं.
मॅनेजर—ओके...पूरे हैं.
राज (धीरे से)—मादरचोद ने लूट लिया.
मॅनेजर—मुझसे कुछ कहा क्या..... ?
राज—नही अपने आप से कहा……वैसे वो लड़का नही दिख रहा है जो मुझे खाना परोस रहा था….कहाँ गया वो….?
मॅनेजर—ढाबे का पूरा राशन ख़तम हो गया है….वही लेने गया है वो…….क्यो अब उसको भी खा जाओगे क्या….? वो मेरे ढाबे मे काम करने वाला एकलौता लड़का है.
राज—मैने तो ऐसे ही पूछा था…..ठीक है चलता हूँ.
मॅनेजर—वैसे भाई आपके घर मे सब आपकी तरह ही हैं क्या..... ?
राज—नही....मैं पूरे गाओं मे एकलौता पीस हूँ.
मॅनेजर—बहुत बहुत शूकर है भगवान का…..
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RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
मंन ही मंन उस ढाबे वाले को गाली देता हुआ मैं ऑटो पकड़ के सिटी आ गया…..ये जगह मेरे मामा के गाओं से लगभग 200 किमी दूर
थी…..एक मेडिकल स्टोर से पेन किल्लर की टॅबलेट ले कर खाया और बस स्टॅंड आ गया.
बस मिलते ही उसमे चढ़ गया….भीड़ तो बहुत थी….फिर भी एक आदमी को थोड़ा सा खिसका कर किसी तरह बैठ ही गया… तभी अगले
स्टॉप पर बस मे एक सुंदर महिला चढ़ि…ना चाहते हुए भी मन से निकल ही गया.
राज (धीरे से)—वाह…! क्या मस्त गान्ड है.
बगल वाला—क्या कहा…..?
राज—अरे मेडम आप यहाँ आ जाइए…..
बगल वाला—यहाँ कहाँ जगह है जो उसको बुला रहा है….?
राज—चल तू उठ यहाँ से….तुझे इतनी भी तमीज़ नही है कि एक औरत खड़ी है और तू बैठा है…चल उठ…आओ मेडम.
बगल वाला—मैं क्यूँ उठु…तू उठ जा….वैसे भी तू ज़बरदस्ती बैठा है....
राज—मैं बीमार आदमी हूँ.....और मुझे उल्टी भी आ रही है....वववववववाअ...
बगल वाला—अबे ये क्या कर रहा है....मेरे उपर ही उल्टी करेगा क्या..... ?
राज (उस औरत को आँख मार कर)—जल्दी उठ नही तो उल्टी होने वाली है….आववव
वो तुरंत हड़बड़ा कर अपनी जगह से जैसे ही उठा मैने फ़ौरन उस औरत को बैठने का इशारा किया…..वो मंद मंद मुश्कूराती हुई मेरे बगल मे बैठ गयी.
..........................................
वही दूसरी तरफ गोविंदा को छोड़ने के बाद देशराज ने सलमा को अरेस्ट कर लिया….ये सुनते ही डायचंद पोलीस स्टेशन पहुच गया…जहा देशराज राहुल ठाकुर के जाने के बाद अभी अभी आया ही था.
डायचंद—इनस्पेक्टर. साहब….आपने सलमा को क्यो गिरफ्तार किया है…..?
देशराज—अपने हज़्बेंड के कतल के जुर्म मे.
डायचंद (लगभग चीखते हुए)—न…नही ऐसा नही हो सकता……मैने एक लाख दिए हैं, उन्हे डकारने के बाद तुम ऐसा नही कर सकते..
देशराज (ज़ोर से)—ज़ुबान को लगाम दे डायचंद…..मुझसे इस लहजे मे बात करने की हिम्मत कैसे हुई.... ?
डायचंद सकपका गया देशराज के ऐसे ज़ोर से गुर्राने से…..अब उसका रवैया थोड़ा नरम हो गया…..देशराज ने एक सिगरेट सुलगई और
कश खिचने लगा.
डायचंद (नरम स्वर)—कुछ तो ख्याल कीजिए इनस्पेक्टर साहब……मेरा काम करने की एवज मे आप एक लाख ले चुके हैं, ऐसा कही होता है की पैसा लेकर काम ना किया जाए….?
देशराज—किस काम का पैसा लिया था मैने…..?
डायचंद—गोविंदा को फसाने का.
देशराज—भूल है तेरी…….यह पैसा गोविंदा को फसाने के लिए नही….बल्कि तुझे बचाने की खातिर लिया था…..तेरे अलावा किसी भी अन्य को फसाने के वादे पर लिया था…..गोविंदा को फसाने का आइडिया भी मेरा था और …..अब सलमा को फसाने का आइडिया भी मेरा है.
डायचंद—अगर वह एक लाख रुपया केवल मुझे बचाने का था, गोविंदा को फसाने का नही, तो ठीक है……सलमा को बचाने की कीमत बता
दो….मैं भर दूँगा…..मगर बने बनाए प्रोग्राम मे रद्दोबदल मत करो..
देशराज—ओ.के……अपनी माशुक़ा के लिए इतना ही मरा जा रहा है तो उसको बचाने की खातिर उसकी जगह खुद को पेश कर दे.
डायचंद (हकलाते हुए)—क्क्क…क्याअ मतलब….?
देशराज—मतलब तो बिल्कुल सॉफ है बेटे…..तुझे पेश कर देता हूँ कोर्ट मे.
देशराज की बात सुनते ही डायचंद का चेहरा ऐसे पीला पड़ गया जैसे एक ही झटके मे उसके शरीर से सारा लहू निचोड़ लिया गया हो….वो देशराज के सामने घिघियाने लगा.
डायचंद—आख़िर आप को हो क्या गया है इनस्पेक्टर साहब…..?
देशराज—मुझे तुम दोनो मे से एक चाहिए…..जल्दी फ़ैसला कर, खुद को पेश कर रहा है या फिर अपनी माशुक़ा को.... ?
जड़ हो कर रह गया डायचंद….मूह से कुछ बोल ही नही फूट रहा था अब क्या जवाब दे देशराज की बात का….तभी देशराज ने उसकी कलाई पकड़ ली जिससे वो और भी घबरा गया.
देशराज—तो चल…..तू ही चल.
डायचंद (घबराते हुए)—न्न्न..नहिी…..म्म्म्म…मुझसे बेहतर तो वो सलमा ही रहेगी….आप उसको ही चढ़ा दो फाँसी पर.
देशराज (हँसते हुए)—गुड……समझदार आदमी को ऐसा ही फ़ैसला करना चाहिए……माशुक़ा का क्या है…..एक ढूँढो हज़ार मिलती हैं……और कभी कभी तो दो चार बगैर ढूँढे ही मिल जाती हैं.
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उधर घटना स्थल से लौटने के बाद से ही ज्योति का मूड अपसेट हो चुका था…..वो अपने रूम मे जाते ही बिस्तर पर गिर गयी और आज जो भी हुआ उसके लिए खुद को ज़िम्मेदार समझने लगी.
तभी उसके पास कमिशनर साहब का कॉल आया जिसमे उन्होने उसकी ड्यूटी ठाकुर साहब के घर पर आज शाम होने वाली पार्टी की सुरक्षा व्यवस्था देखने के लिए लगा दी थी.
ज्योति पहले तो मना करने वाली थी लेकिन फिर ना जाने क्या सोच कर उसने हाँ कर दी……पार्टी मे पहुचते ही ठाकुर की नज़र जैसे ही ज्योति पर गयी तो उसके मादक यौवन को देखते ही ठाकुर के मूह से लार टपकने लगी.
यही हाल उसके दूसरे सहयोगियो का भी था…..ज्योति को खूबसूरत तो उपर वाले ने बनाया ही था…..उसका मादक यौवन उसमे चार चाँद लगा रहा था…..ठाकुर ने अपने एक खास आदमी को बुला कर उसके कान मे कुछ कहा उसके बाद वो आदमी मंद मंद मुश्कूराते हुए वहाँ से चला गया.
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RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
अपडेट—43
ठाकुर की पार्टी मेहमानों से खचा खच भर चुकी थी…..हर कोई ये जानने को बेताब था कि ठाकुर साहब ने आज किस खुशी मे दावत दी है……स्टेट के लगभग सभी बड़े बिज़्नेसमॅन, पॉलिटिशियन्स, पोलीस विभाग के बड़े अधिकारी, फ्रेंड्स, और उसके अंडरवर्ल्ड के साथी भी उसमे शिरकत कर रहे थे.
स्टेट के CM के घर पर पार्टी हो और मीडीया वाले और पत्रकार ना पहुचें, भला ये भी कभी हो सकता है…? वो तो ऐसी मसले दार जगहो पर बिन बुलाए ही पहुच जाते हैं.
वहाँ काफ़ी संख्या मे औरते भी मौजूद थी….फॅमिली मेंबर्ज़ भी उपस्थित थे…..राहुल अपने दोस्तो और गर्ल फ्रेंड्स के साथ बात चीत मे व्यस्त था…..फॅमिली की लॅडीस और लड़कियाँ भी अपने अपने फ्रेंड्स से गपशप मे मगन थी…तभी ठाकुर साहब ने माइक हाथ मे लेकर लोगो को संबोधित करना चालू किया.
शमशेर—दोस्तो, मैं जानता हूँ कि आप सब यही सोच रहे होंगे कि ये पार्टी किस खुशी मे दी जा रही है….चलिए मैं आपकी इस उलझन को
अभी दूर किए देता हूँ….आज की खुशी की सबसे बड़ी वजह ये है कि….आज मेरी बहन इंदु सिंग का जनमदिन है.
तभी एक लाइट एक जगह पर फोकस हुई और एक खूबसूरत सी दिखने वाली लेडी उस रोशनी मे नज़र आने लगी…सभी ने ज़ोर दार तालियो से ठकुराइन इंदु सिंग का स्वागत किया.
इंदु की उमर लगभग 32 साल की हो चुकी थी लेकिन आज भी वो 18 साल की लड़की को भी मात देने मे सक्षम थी….रंग गोरा, भरा हुआ जिस्म, उन्नत हिमालय की तरह खड़ी चुचिया, पीछे दो बड़े बड़े चूतड़…बस ये समझ लीजिए कि किसी भी योगी की साधना भंग करने के लिए पर्याप्त थे.
इंदु की शादी उसके पिता ने बचपन मे ही पास गाओं के ठाकुर परिवार मे कर दी थी….हालाँकि गौना नही हुआ था, उसके पहले ही वो विधवा हो गयी थी.
परिवार मे सबसे छोटी होने के कारण सभी की लाडली थी….दोनो भाई ठाकुर शमशेर और विक्रांत की जान उसमे बसती है.. इस लाड प्यार ने उसको बहुत घमंडी और क्रूर स्वाभाव का बना दिया…..अपने हुस्न और जवानी पर इंदु को बहुत नाज़ है.
आज भी उसके लिए किसी सुयोग्य वार की तलाश जारी है….लेकिन अभी तक उसका दिल किसी पर आया नही है….बेहद कामुक औरत है
किंतु अपने जिस्म को अब तक किसी को छुने तक नही दिया है…..बस उंगली जिंदाबाद के सहारे चल रही है उसकी गाड़ी.
आस पास के सभी गाओं की ज़िम्मेदारी इंदु ने ले रखी है….सभी खेतो पर ठाकुर परिवार का क़ब्ज़ा है…खेत तो किसानो के हैं लेकिन उनकी फसलका 75 पर्सेंट हिस्सा ठकुराइन इंदु हड़प लेती है.
केक के काटने के बाद सभी ने गिफ्ट दिए….और फिर खाने पीने का दौर शुरू हो गया…तो कुछ डॅन्स पार्टी मे शामिल हो गये….ज्योति दूर
से ही इन पर नज़र रख रही थी..बीच बीच मे वो सर्वर रूम मे जा कर कंप्यूटर मे कॅमरास की फुटेज देखने लगती.
पार्टी मे केयी लोगो की भूखी निगाहे इंदु के गोरे मदमस्त जिस्म को चोरी छिपे घूर रही थी….खुल के देख नही सकते थे क्यों कि सब के दिलो मे ठाकुर का ख़ौफ़ जो था.
ठाकुर का एक दोस्त शराब के नशे मे बहुत देर से ठकुराने को घुरे जा रहा था….आख़िर पीते पीते जब शराब और शबाब का नशा उसके सिर पर हावी हो गया तो उसने सीधे जा कर इंदु का हाथ पकड़ कर अपने साथ डॅन्स करने का ऑफर कर दिया…..और अगले ही पल…
“चत्त्ताअक्कककक” थप्पड़ की गूँज से सभी सकते मे आ गये…जो कि ठकुराइन ने उस शख्स के गालो पर जड़ दिया था.
शमशेर और विक्रांत तुरंत इंदु के पास आ गये….तो इंदु ने सारी बात बता दी….विक्रांत उसको मारने के लिए आयेज बढ़ा ही था कि ठाकुर
ने उसको इशारे से रोक दिया…..वो शख्स डर से काँपने लगा और ठाकुर के पैरो मे गिर पड़ा.
शख्स—मुझे माफ़ कर दे शमशेर…..शराब के नशे मे मुझसे ग़लती हो गयी दोस्त….मैं अब कभी शराब नही पियुंगा.
शमशेर ने उसको पकड़ के खड़ा किया और उसका हाथ थाम के धीरे धीरे केक वाले टेबल के पास जाने लगा…सब की धड़कने तेज़ हो गयी थी….ज्योति ये सब रेकॉर्ड कर रही थी चुपचाप.
शख्स—सॉरी यार…मुझसे ग़लती हो गयी
शमशेर—कोई बात नही यार…हो जाता है….कभी कभी
ठाकुर जैसे ही केक वाले टेबल के पास उसको लेकर पहुचा वैसे ही वहाँ की लाइट ऑफ हो गयी और अगले ही पल वहाँ किसी के दर्द मे चीखने की गूँज सुनाई देने लगी…फिर सब कुछ शांत हो गया…
करीब दस मिनिट बाद जब लाइट ओं हुई तो सामने का नज़ारा देखते ही सबके होश उड़ गये….हर किसी के दिल मे दहशत और ख़ौफ़ व्याप्त हो गयी.
दृश्य था ही इतना भयानक…..सामने केक वाली टेबल के पास मे उस शख्स की चार टुकड़ो मे लाश पड़ी थी….सिर धड़ से अलग और बाकी शरीर के चार टुकड़े पड़े हुए थे….ज़मीन उसके खून से लाल हो गयी थी.
ठाकुर शमशेर सिंग के कपड़ो मे भी खून ही खून लगा हुआ था…..सब आँखे फाडे डर से खाना पीना छोड़ नाचना सब भूल चुके थे.
शमशेर—अरे क्या हुआ…..आप सबने खाना पीना क्यो बंद कर दिया…..? ये सब तो चलता ही रहता है….कमिश्नर साहब इस खून की पूरी
जाँच होनी चाहिए और जल्द से जल्द कातिल को पकड़ने की कोशिश करिए…..कम ऑन लेट्स एंजाय एवेरी वन..
उसके बाद कुछ आदमी आ कर उस लाश को बोरे मे भर कर उठा ले गये….फर्श को मिनटों मे ऐसे साफ कर दिया जैसे वहाँ कुछ हुआ ही ना रहा हो.
सब जानते थे कि ये खून ठाकुर ने किया है लेकिन किसी मे भी इतनी हिम्मत नही थी कि उसके खिलाफ आवाज़ उठाए….लिहाजा सब एक बार फिर से डरते डरते एंजाय मे डूबने लगे.
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03-27-2021, 04:45 PM,
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desiaks
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RE: Desi Porn Stories आवारा सांड़
ज्योति लगातार अपने काम मे लगी हुई थी….उसका यहाँ आने का मक़सद ही ठाकुर के खिलाफ सबूत इकट्ठे करना था….लेकिन ज्योति को
ये पता नही था कि ठाकुर की नज़र उसकी हर गति विधि पर लगी थी…..उसके आदमी बराबर ज्योति के उपर निगरानी रख रहे थे.
ठाकुर ने कमिशनर को बुला कर उसको धीरे से कुछ कहा जिसे सुन कर कमिशनर कुछ परेशान सा हो गया..माथे पर पसीने की बूंदे
छलक्ने लगी….उसने ज्योति को अपने पास बुलाया.
काम—मिस ज्योति, ठाकुर साहब के फार्म हाउस पर आज रात मे उनकी कुछ विदेशी महमणो के साथ अर्जेंट मीटिंग्स है… तुम ज़रा वहाँ की सेक्यूरिटी जा कर देख लो…मैं नही चाहता कि जो यहाँ हुआ वही वहाँ हो.
ज्योति—लेकिन सर…
काम—लेकिन वेकीन कुछ नही…..इट’स माइ ऑर्डर….अंडरस्टॅंड….यहाँ की तफ़तीश के लिए मैने देशराज को बुला लिया है…तुम जाओ.
ज्योति (उदास हो कर)—ओके, सर….मैं जा कर देख लेती हूँ.
ज्योति उदास बुझे मन से ठाकुर के फार्म हाउस की ओर निकल गयी और ये देख कर ठाकुर के चेहरे पर एक विजयी मुश्कं फैल गयी…..
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वही दूसरी तरफ बस वो बड़े बड़े चूतड़ वाली खूबसूरत महिला मेरे बगल मे मुश्कूराते हुए बैठ गयी….मेरे लंड को चूत की खुश्बू आने लगी और वो इसी उम्मीद मे उच्छलने लगा.
महिला (मुश्कुरा कर)—तुम ना कभी नही सुधरोगे….? चलो ये अच्छा हुआ कि तुम मुझे यही मिल गये.
राज (मंन मे)—लगता है ये मुझे जानती है….गजब है मेरे लंड के किस्से यहाँ तक मशहूर हो गये…..अगर थोड़ी सी कोशिश करूँ तो हो
सकता है की शायद ये अपनी बुर भी चुदवाने को राज़ी हो जाए.
राज—वैसे आप बहुत खूबसूरत हैं.
महिला—मैं जानती हूँ…तुम्हे तो हर लड़की सुंदर ही लगती है
मैने उसके कंधे पर धीरे से हाथ रख दिया….जब उसने कुछ नही कहा तो मेरी हिम्मत बढ़ गयी और मैने अपने हाथ को कंधे से नीचे सरका कर बाजू से उसके दूध को टच करने की कोशिश करने लगा….जैसे ही बस किसी गड्ढे या ब्रॅकर पर उच्छलती तो उसकी चुचियो का कुछ
हिस्सा किनारे से मेरे हाथो की पकड़ मे आ जाता जिसे दबाने से मैं कहाँ चूकने वाला था.
बेहद नरम एहसास था उसकी चुचियो का…..लेकिन उसने कोई विरोध नही किया….तो अब की बार जैसे ही बस उच्छली मैने अपना एक
हाथ उसकी गान्ड के नीचे सीट पर रख दिया….जैसे ही वो बैठी तो मैने उसकी गान्ड के एक गोले को कस के मसल दिया.
वो चिहुक कर थोड़ा उठ गयी और मेरी तरफ घूर के देखने लगी तो मैं हल्के से मुश्कुरा दिया….लेकिन भीड़ की वजह से उसने कुछ कहे बिना फिर मेरे हाथ पर बैठ गयी लेकिन तभी बस किसी स्टॉप पर रुक गयी.
बस के रुकते ही वो उठ कर खड़ी हो गयी और मेरे अरमानो पर जैसे पानी ही फिर गया….लेकिन अगले ही पल मेरा दिल एक नयी उम्मीद से खिल उठा.
महिला—अब उठो भी….चलना नही है क्या…चलो मेरे साथ.
राज (मंन मे)—लगता है कि ये भी मेरी तरह बेकरार है....ये पक्का मुझे अपनी बुर देने के मूड मे लग रही है…चल भाई आज अच्छे से इसकी पहले गान्ड मारूँगा.
अँधा क्या चाहे दो आँखे…..बुर मिलने की उम्मीद मे मैं तुरंत ही उसके साथ बीच मे ही उतर गया….मुझे तो लगा था कि ये पास के ही किसी
खेत मे अपनी बुर चुदवायेगी लेकिन वो मुझे हाथ पकड़ के ले जाने लगी….आगे पीछे और भी लोग चल रहे थे तो मैने कुछ कहा नही.
राज (मंन मे)—लगता है कि अपने घर ले जा कर पूरी रात चुदवाने का मूड है इसका….आज तो मेरे मज़े हो गये…जब से इस मादरचोद
मामा के यहाँ आया हूँ तब से हर कोई बुर देने मे नखरे दिखा रही हैं….कलपद कर के भाग जाती हैं.
यही सोचते सोचते कब घर आ गया पता ही नही चला....लेकिन जब मेरा ध्यान टूटा किसी के हिलाने से तो मैं चक्कर खा गया….क्यों कि घर मे तो बहुत सारे लोग जमा थे….घर भी बहुत बड़ा था.
राज (चौंक कर)—ईए…..किसका..घर है….?
महिला—ज़्यादा नाटक करने की ज़रूरत नही है..समझा……चल अंदर बैठ चुप चाप…..नाक कटवाने के बाद अब पूछता है कि घर किस का है.
मुझे उसकी बात का मतलब समझ मे नही आया….अंदर जाते ही सब मुझे चारो तरफ से घेर कर खड़े हो गये जैसे कि मैं कहीं भागने वाला हू.
“लीजिए मैं साथ मे रघु को भी ले आई….आप बाकी की फॉरमॅलिटी पूरी कर लीजिए.” उस महिला ने एक औरत से कहा.
औरत—आप ने ठीक किया बहन जी...जो दामाद जी को यहाँ ले आई…..मैं अभी महिमा बिटिया को लाती हूँ.
राज (शॉक्ड)—दामाद…..कैसा दामाद….किसका दामाद….कौन सा दामाद……?
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