07-19-2021, 11:27 AM,
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RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
वसीम ने परी कोशिश की और फिर मूठ मारकर वीर्य को पैटी पे गिरा दिया और टांगकर रूम में चला गया। आज उसका मन तो नहीं था लेकिन इस चीज को वो छोड़ नहीं सकता था। शीतल की पेंटी बा पें वीर्य गिराना उसके प्लान का मुख हिस्सा है।
इधर शीतल अंदाजे से कम से निकली की अब बसीम लण्ड को पैंटी ब्रा पे रगड़ रहा होगा। वो आगे बढ़ने के लिए हुई लेकिन उसकी हिम्मत ही नहीं हुई। कल रात की ही तरह आज भी उसके पैर नहीं बढ़े। कल रात में और अभी में अंतर बस इतना था की कल शीतल एक सीढ़ी भी नहीं चढ़ पाईधी और रूम में सोने चली गई थी। आज पहले दो सीढ़ी, फिर चार सौदी और फिर छत के दरवाजे तक जाकर शीतल रुक गई थी। उसके मन में उठा तूफान शांत ही नहीं हो रहा था, और फिर वो नीचे आ गई। शीतल बेचैन सी रही।
शीतल थोड़ी देर बाद हिम्मत करके उठी और सीधे धड़धड़ाते हए छत पे चली गई, लेकिन तब तक वसीम रगम में जा चुका था। शीतल अपनी पैटी ब्रा को उठाई और वहीं में उसे देखते हुए सूंघने लगी की अगर वसीम देख रहा हो तो उसकी हिम्मत उससे बात करने की हो जाए। शीतल पैटी को सूंघते हए वहीं पे वीर्य को चाटने लगी। उसकी हिम्मत ने जवाब दे दिया और वो नीचे आ गई, और अपनी पहनी हुई पैंटी को उतार दी और वसीम के बीर्य लगी पैटी को पहन ली। वो पैंटी के ऊपर से अपनी चूत को सहला रही थी। वसीम का वीर्य उसकी चूत को भिगा रहा था और शीतल के हाथों में भी लग गया था, जिसे शीतल चाट ली।
शीतल ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और- "आह्ह... वसीम। आप इतने शरीफ क्यों हैं? क्यों नहीं मुझे देखते, क्यों नहीं मुझसे बात करते? आपको क्या लगता है मैं गुस्सा करेंगी? बिल्कुल नहीं करेंगी। मैं तो आपकी मदद करना चाहती हैं। उफफ्फ... बसीम आपको लगता है की मेरे जैसी पढ़ी-लिखी शरीफ घर की औरत आप जैसे इतने बड़े उम्र के इंसान से दोस्ती क्यों करेंगी? ऐसा नहीं है वसीम अंकल। मैं चाहती हैं की आपसे बातें करी। अब आप ऐसे नहीं मानेंगे। अब मैं भी आपको मनाकर ही रहंगी। आप मुझे शरीफ समझते हैं इसलिए बात नहीं करते ना? तो अब में रंडियों की तरह बिहेव करगी आपके सामने। तब तो आप मानेंगे ना?" शीतल की चूत में पानी छोड़ दिया और वो निटाल होकर साफे में पड़ी रही।
वसीम ने शीतल को छत में आता देखकर और पैटी बा लें जाता हआ देखकर थोड़ी राहत की सांस ली। शीतल को अपना वीर्य सूंघता और चाटता हुआ देखकर वसीम के मुर्दा लण्ड में फिर से जान आ गई थी। लेकिन फिर भी उसने सोचा की अब जल्दी ही कुछ कर लेना चाहिए।
आज विकास को भी आफिस में मन नहीं लग रहा था। वो अपनी बीवी की हरकतों के बारे में सोच रहा था। उसे शीतल पे बहुत गुस्सा आ रहा था। कैसे शीतल वसीम को डिनर पे बुलाई और कैसे उसके लिए तैयार हुई? कैसे बो उसके सामने खुद को पेश कर रही थी? और कल रात तो बो रडियों की तरह बिहेव कर रही थी। मादरचोद कभी ब्रा पहन रही है तो कभी खोल रही है। अरे कुतिया चूत में इतनी ही आग है तो सीधे-सीधे जाकर चुदवा क्यों नहीं लेती हरामजादी। और क्या पता चुदवाती भी हो, और चुदवा रही हो अभी। दोपहर में दो घंटे रोज अकेले रहते हैं दोनों। और सिर्फ दोपहर को ही क्यों, मेरे आते ही तो पूरा घर उनका, उछल-उछलकर चुदवाती होगी।
वसीम तो शरीफ इंसान है, लेकिन है तो मर्द। अगर किसी मर्द को कोई इसके जैसी हसीन रडी पटाए तो उसका लण्ड तो ऐसे ही टाइट हो जाएगा। वसीम भी अब तक चढ़ गया होगा रंडी पै। सोचते-सोचते विकास गुस्से में ही शीतल और वसीम की चुदाई सोचने लगा। इंटरनेट पे उसने कई तरह के पोर्न देखें थे और स्टोरीस पड़ी थी। उसका लण्ड टाइट हो गया और वो अपनी बीवी की चुदाई वसीम के साथ एंजाय करने लगा। वो मन में सोचने लगा की वसीम में चोद रहा होगा तो वैसे चाद रहा होगा।
विकास बाथरूम में जाकर मूठ मारने लगा, अपनी रंडी बीवी शीतल शर्मा के वसीम खान से चुदाई के नाम पे। उसका शीतल से गुस्सा खत्म हो गया था और उसने सोच लिया था की शीतल को जो करना है करने देगा। घर में कुछ जाससी कैमरे लगवाकर वो अपनी बीवी को चुदवाते हये देखेंगा और जब उससे मन भर जाएगा तो उसे छोड़ देगा।
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07-19-2021, 11:27 AM,
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RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
रात में वसीम ने दरवाजा में नाक किया। शीतल अभी खाना बना हो रही थी। विकास और शीतल दोनों चकित हो गये की कौन आया, क्योंकी उनके यहाँ बहुत कम लोग आते जाते थे और जो आते भी थे उनके बारे में इन लोगों के पास पहले से खबर होती थी। विकास ने दरवाजा खोला तो सामने वसीम खड़ा था।
दरवाजा खुलते ही वसीम ने कहा- "आदाब विकास जी, पता नहीं कहाँ आज मेरे घर की चाभी खो गई है."
विकास हँसने लगा और बोला- "अरे वसीम चाचा, तो इसमें इतना घबराने वाली कौन सी बात है? आप ही का घर है ये। हम सिर्फ किराया देते हैं। आइए अंदर, यही रहिए। सुबह देखेंगे की चाभी का क्या करना है?"
तब तक शीतल भी दरवाजा पे आ गई थी। उसके मन में तो लड्डू फूटने लगे की वसीम चाचा आए हैं और रात में यहीं रहेंगे। इससे पहले की वसीम विकास की बात में कुछ बोलता, शीतल चहकते हुए बोल पड़ी- "और नहीं
तो क्या, आपका ही घर है। बिंदास आइए.."
वसीम "शुकिया..' बोलता हुआ अंदर आ गया और सोफे पे बैठ गया।
शीतल नाइट सूट वाले टाप और ट्राउजर में थी। शीतल वसीम के लिए भी खाना बना ली। वसीम आज भी शीतल को नहीं देख रहा था। वसीम विकास में बातें कर रहा था। शीतल अभी तक बसौम के वीर्य लगी पैटी को ही पहनी हुई थी। वसीम को सामने देखकर शीतल की चूत गीली हो गई। उसे लगा की वसीम अपना वीर्य उसकी चूत में भरा है और वही उसकी पेंटी में लगा है। वो बसीम की तरफ देखी जो आज भी उसे नहीं देख रहा था। उसे अपना दोपहर में लिया हुआ प्रण याद आ गया की उसे वसीम को मनाना है।
शीतल ने अपने टाप को ऊपर की एक बटन खोल दी। खाना तैयार हो चुका था तो बोने विकास और वसीम का खाना सर्व करने लगी। जब वो झुकी तो वसीम की नजरों के सामने दो पके आम लटक रहे थे।
बसीम की नजर शीतल की झूलती चूची पे पड़ ही गई और उसका लण्ड एक झटके से टाइट हो गया। उसका मन हआ की अभी दोनों हाथ बढ़ाए और रंडी के टाप के बटन को फाड़कर इसकी चूचियों को मसल दें। उसने बड़ी मुश्किल से ये सोचकर खुद पे काबू किया की बस, कुछ दिन और, फिर बताऊँगा तुझे की मैं क्या चीज हैं।
इस चीज को विकास भी देख रहा था की उसकी बीवी कैसे उस बटू मुस्लिम मर्द के लिए पागल हैं। उसे अपनी बीवी पे पहले गुस्सा आया, फिर मजा आया। उसने सोचा की आज रात तो मेरी बीवी मेरे ही घर में इस टे से चुदवाकर ही मानेंगी। ये सोचकर उसका लण्ड टाइट हो गया की वो आज ही अपनी बीवी को एक बूढ़े मुसलमान मर्द से चुदवाते देखेंगा।
खाना खाने के बाद वसीम बाश बेसिन के पास हाथ धो रहा था। शीतल के किचेन में जाने के लिए वहाँ में जगह कम थी। विकास टेंबल में ही बैठा हुआ था। शीतल के मन में शैतानी ख्याल आया। शीतल बसीम की पीठ में अपनी चूचियां रगड़ती हुई किचन में चली गई।
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07-19-2021, 11:27 AM,
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RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
वसीम ने उसे पकड़ने के लिए हाथ बढ़ाया और वसीम का हाथ शीतल की चूचियों पे दब गया। शीतल का रोम रोम सिहर गया। बसीम का पूरा हाथ शीतल की चूचियों की गोलाई को दबा गया था। शीतल साड़ी फैकय कहती हुई खड़ी हो गईं। भले ही उसकी चूची दब गई थी, लेकिन उसने पानी नहीं गिरने दिया था, जग उत्लास से। वसीम ने ये जानबूझ कर नहीं किया था लेकिन उसके पूरे हाथ में शीतल की बिना बा की चूची आ गई थी। वसीम को बहुत मजा आया था।
हालाँकी शीतल का प्लान सफल रहा था और आखिरकार, वो अपनी चूची वसीम से मसलवा ही ली थी फिर भी उसे शर्म आ ही गई। शीतल नजरें झुकाए हए वसीम को पानी दी और फिर किचन में चली गई। वसीम अपने हाथ पेशीतल की चूचियों को महसस करता रहा और शीतल अपनी चूची पे वसीम का सख्त हाथ।
तभी लाइट कट गई। अंदर सबको गर्मी लगने लगी तो विकास ने ही कहा- "छत में चलते हैं."
सब छत पे टहलने लगे और शीतल वसीम के आस-पास ऐसे चक्कर काटने लगी की जिससे किसी तरह एक और बार अपने बदन को वसीम के बदन में सटा पाए। शीतल और वसीम उसी जगह पे थे जहाँ वसीम शीतल की पैंटी ब्रा पे अपना वीर्य गिराता था।
छत में अंधेरा था। विकास अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था और वसीम से बात कर रहा था। शीतल का मौका नहीं मिल रहा था। तभी विकास में मोबाइल में एक वीडियो प्ले किया और वसीम को दिखाने लगा। शीतल भी वसीम के साइड से आकर वीडियो देखने लगी। ये सबसे अच्छा मौका था।
शीतल वसीम के बदन में चिपक गई। उसकी गोल-गोल मुलायम चूचियां वसीम के बाज़ में दब रही थी। शीतल को बड़ा सुकून मिल रहा था। अब शायद वसीम थोड़ा रिलैक्स हो पाएंगे। लेकिन वसीम ने वीडियो देखते हुए ही अपने जिश्म को थोड़ा आगे किया तो शीतल भी आगे हई। वसीम बीडियो देखता हआ हसने लगा और थोड़ा और आगें हुआ। शीतल अब इससे आगे नहीं हो सकती थी। उसे बहुत गुस्सा आ रहा था
थोड़ी देर में सब सोने चले गये, लेकिन शीतल की आँखों में नींद नहीं थी। वो समझ नहीं पा रही थी की क्या ? वो अपनी चचियों पे वसीम का सख्त हाथ महसस कर रही थी और चाह रही थी की क्सीम अच्छे से आकर उसकी चूचियां मसल डाले। लेकिन वसीम ता इतना शरीफ है की देखता तक नहीं, लेकिन इतना प्यासा है की पैटी पे अपना वीर्य बर्बाद कर रहा है। उसे गुस्सा आ रहा था की जब अंदर से इतने बेचैन हो तो कुछ करो। इतना हिंट दे रही हैं, इतनी तरह से कोशिश कर रही हैं फिर भी कोई असर होता ही नहीं जनाब में। अब क्या करण? सीधा-सीधा जाकर बोल दूं की चाद लो मुझे। ये वीर्य मेरी पेंटी में नहीं मेरी चूत में डालो। लगता है यही सुनकर मानेंगे वसीम चाचा।
शीतल वसीम के खयालों में खोई थी तभी विकास उसकी तरफ करवट बदला और उसकी चूची में हाथ रखता हआ बोला- "ब्रा क्यों खोल दी?"
शीतल थोड़ा घबरा गई लेकिन तुरंत बाली- "बहुत गमी लग रही थी और पेट भी टाइट लग रहा था ता खोल दी। तब थोड़ा रिलैक्स हुई..."
विकास उसकी चूचियों को बाहर निकालकर मसलने लगा तो शीतल विकास का हाथ हटा दी और उसे मना कर दी की तबीयत ठीक नहीं लग रही। शीतल चाहती थी की अभी बसीम आकर उसकी चूचियों को मसलता तो ज्यादा मजा आता।
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विकास करवट बदलकर सोने की आक्टिंग करने लगा। उसे लगा की उसके सोने के बाद शायद शीतल और वसीम चदाई करें। वसीम को नींद नहीं आ रही थी और वो शीतल की चदाई के सपने देख रहा था।
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07-19-2021, 11:27 AM,
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RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
शीतल का पेट दर्द
शीतल को नींद नहीं आ रही थी। क्योंकी वो चाहती थी की किसी तरह वसीम उसके नजदीक आए और उसके बदन से खेले।
आधे घंटे भी नहीं हए की शीतल पेंट दर्द चिल्लाने लगी। उसने विकास को जगाया और जोर-जोर से कराहने लगी। वो मछली की तरह तड़पने लगी। विकास जाग गया और वसीम भी जागकर इसके रूम में आ गया। विकास को समझ में नहीं आ रहा था की क्या करे? घर में कोई दवाई भी नहीं थी और रात काफी हो चुकी थी। शीतल इधर से उधर छटपटा रही थी। विकास अपनी बीवी से बहुत प्यार करता था और शीतल को ऐसे देखकर वो घबरा गया था।
वसीम बोला- "मुझें देखने दो की कहाँ दर्द है?"
शीतल सीधी लेटी हुई थी, वो अपने पेट से शर्ट को उठा ली और अब उसका चमकता हुआ पेट वसीम की नजरों के सामने था। शीतल अभी मात्र 23 साल की थी और उसकं पेंट में अभी तक चर्बी जमा नहीं हुई थी, इसलिए उसका पेट पूरी तरह फ्लेंट था। शीतल का ट्राउजर नाभि से नीचे ही था, इसलिए बहुत सेक्सी सा दृश्य था।
वसीम ने अपना हाथ बढ़ाया और शीतल के चिकने पेंट को सहलाता हआ दबाने लगा। शीतल का पेट गैस की बजह से टाइट था और इसलिए वो दर्द से छटपटा रही थी। वसीम खान शीतल के पेट को दबा-दबाकर सहला रहा था।
शीतल की पेट पूरी गोरी चिकनी थी। शीतल बा नहीं पहनी हुई थी और उसने टाप को चूचियों तक उठा लिया था। उसका ट्राउजर नाभि से नीचे था और शीतल का पूरा नाभि क्षेत्र वसीम के सामने था और उसके लिए फुल अवेलबल था। वसीम के लिए खुद को रोकना बड़ा मुश्किल हो रहा था। उसने बड़ी मुश्किल से अपने एक्सप्रेशन का सम्हल रखा था। वो विकास के सामने उसकी हसीन बीवी की नाभि को सहला रहा था।
वसीम शीतल के पेंट को सहला रहा था और शीतल अपने बदन को ऐठने लगी। शीतल का जी चाह रहा था की वसीम अपना हाथ पैट के अंदर चूत पै या फिर और ऊपर शर्ट के अंदर ले जाए जहाँ उसकी टाइट चूची बिना ब्रा के खड़ी थी। शीतल पेट दर्द से जो भी परेशान हो लेकिन उसे मजा बहुत आ रहा था। उसके अंदर ये खुशी तो थी ही का आज वसीम ने उसकी चूचियों का भी छू लिया और पेट भी सहला लिया।
विकास परेशान सा चुपचाप खड़ा देख रहा था। उसे परेशानी में कसीम से पूछा- "क्या हुआ है इसे?"
वसीम बोला- "कुछ खास नहीं, गैस बन गई है पेट में..." फिर वसीम ने विकास को एक बोतल में गरम पानी भर कर लाने को कहा।
विकास दौड़ता हुआ किचेन की तरफ भगा और पानी गरम करने लगा।
अब रूम में सिर्फ वसीम और शीतल थे। शीतल अपने पेट को उघारे लेटी हुई थी और वसीम उसके पेट को सहला रहा था। विकास के जाते ही और तेज दर्द की आक्टिंग करते हए शीतल वसीम का हाथ पकड़ ली और ऊपर अपनी चूची पे रख ली।
उफफ्फ... वसीम हड़बड़ा गया। उसे शीतल से इस बोल्डनेस की उम्मीद नहीं थी। वसीम हड़बड़ाते हए हाथ नीचे खींचा की कहीं अगर विकास ने देख लिया तो पूरा खेल, पूरा प्लान चौपट हो जाएगा। लेकिन शीतल की पकड़ मजबूत थी। उसने फिर से हाथ ऊपर खींच लिया। इस खींचा तानी में शीतल का टाप थोड़ा सा और ऊपर उठ गया था और चूची के नीचे का हिस्सा चमकने लगा था। शीतल की चूचियां वसीम के हाथ से दब रही थी नीचे से। अब क्सीम खुद को रोक नहीं पाया और उसने हाथ को ढीला कर दिया। शीतल फिर से वसीम के हाथ को ऊपर की, और अब वसीम के हाथ में शीतल की नंगी चूचियां थी। उफफ्फ... वसीम ने ना चाहते हए भी कम के एक बार दबा ही दिया और फिर हाथ हटा लिया। शीतल की प्यास और बढ़ गई। वसीम का मन तो नहीं था हाथ हटाने का, लेकिन उसे विकास का डर था की कहीं अगर उसने देख लिया तो हंगामा ना हो जाए और हाथ आया हआ शिकार उससे दूर ना चला जाए। ये रिस्क वो नहीं ले सकता था।
वसीम ने बहुत मेहनत और इंतजार किया था इसके लिए। वसीम अलग होकर खड़ा हो गया, क्योंकी वो अगर शीतल के पास रहता तो शीतल उसे नहीं छोड़ती।
शीतल भी हाथ से आए मौके को निकलता देखकर पागल हो गई। वो अपनी पीठ को उठाते हुए अपने टाप के ऊपर से अपनी चूचियां मसलने लगी। उसने चूची मसलते हए टाप को भी ऊपर कर लिया। वसीम नजरें नीचे किए खड़ा था, लेकिन चूचियों के चमकते ही उसने कनखियों से देखा। शीतल की गोल-गोल चूची और उसके बीच में ब्राउन कलर का निपल कयामत ढा रहा था।
विकास के आने की आहट हई और शीतल टाप नीचे करके अपनी चूची टक ली। विकास ने बोतल वसीम को दें दिया।
वसीम ने उसे बताया- "बोतल को पेट पे रखकर ऊपर से नीचे रोल करो..."
विकास हड़बड़ाया हुआ था, बोला- "मुझे ये सब नहीं आता, आफि करिए ना क्सीम चाचा, आप अच्छा करेंगे."
शीतल मन ही मन मुश्कुरा दी की फिर से वसीम चाचा उसके जिस्म का टच करेंगे। वसीम ऐसा नहीं करना चाहता था। क्योंकी उसे डर था की कहीं शीतल विकास के सामने कुछ ऐसी वैसे हरकत ना कर दे। लोकन और कोई उपाय नहीं था।
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07-19-2021, 11:28 AM,
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RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
वसीम बैंड पे लेटते ही अपने लण्ड को फ्री किया और सहलाने लगा। उसकी हथेली में शीतल की नंगी चूचियों की एअन अब भी थी। उसकी आँखों के सामने शीतल की नंगी चूचियां चमक रही थीं। उफफ्फ.. आग भर गई है रांड की चूत में। अब ये पूरी तरह तैयार है और अब इसे छोड़ना होगा, नहीं तो कहीं ऐसा ना हो की देर हो जाए। बस एक-दो दिन और फिर उसके बाद तो त मेंरी पालत कृतिया बनकर मेरे इशारों में नाचेंगी। वसीम अपने लण्ड को सहलाता हवा सो गया।
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शीतल रोज की तरह सवेरे जाग कर घर में झाइ की और फ्रेश होकर नहाने चली गई। विकास भी रोज की तरह सो रहा था लेकिन शीतल की आहट सुनकर वसीम की आँखों से नींद उड़ चुकी थी। वसीम सोने की आक्टिंग करता हुआ शीतल पे ही नजर रखे हुए था।
थोड़ी देर में वसीम उठा ता उसे लग गया की शीतल बाथरूम में है और विकास सो रहा है। उसके लिए मौका अच्छा था। वसीम एप कर शीतल के बाथरूम में झोंक कर देखने लगा। अंदर उसकी होने वाली रांड़ पूरी नंगी थी। उसका गोरा जिश्म पानी में भीग कर चमक रहा था। सुडौल चूचियां जवानी के नशे में टाइट थी, जिसे कल वसीम ने मसला था, भले एक ही बार मसला हो। मौका ता भरपूर था उसके पास लेकिन तब सही चाल नहीं होती बो। चूची के नीचें चिकना सपाट पेंट चूत तक जिस रात में वसीम अच्छे से सहला चुका था, लेकिन मजा तब आता जब वो अपने हिसाब से पेट को सहलाते हुए चमता भी और चूची चूत भी मसलता। चूत पूरी चिकनी थी, एक भी बाल नहीं। वसीम के लण्ड के लिए सीधा चिकना रास्ता, चिकनी जांचें। शीतल शाका के नीचे थी और पानी उसके जिश्म को भिगाता हुआ नीचे उतर रहा था।
वसीम ने एक नजर विकास पे डाला, तो वो सो रहा था। वसीम ने अपने लण्ड को बाहर निकाला और सहलाने लगा। आज पहली बार उसने शीतल के नंगे जिएम को देखा था। वसीम कई बार शीतल के नाम की वीर्य गिरा चुका था। लेकिन आज वो जंगी उसके सामने थी। वसीम मूठ मारने लगा। अंदर शीतल का नहाना हो चुका था और वसीम का वीर्य गिरने वाला था। वसीम ने बाथरूम के दरवाजा में ही डार मैट्रेस के बाद नीचे टाइल्स में अपना वीर्य गिरा दिया। वीर्य बर्बाद नहीं होना चाहिए। शीतल को पता चलना चाहिए की यहाँ पे वसीम खान ने उसे नहाता देखकर फिर से अपना वीर्य गिराया है। वसीम अपने रूम में चला गया जिसमें वो रात में सोया था
और कुपकर देखने लगा।
थोड़ी देर में बाथरगम का दरवाजा खुला और शीतल नजर आई। शीतल किसी अप्सरा की तरह नजर आ रही थी। कमर के नीचे बैंधी कीम कलर की साड़ी, स्लीवलेश ब्लाउज़ और उसके बीच में सिंगल लाइन में आँचल, जिससे शीतल का एक उभर झाँक रहा था। गीले बाल इस हश्न को और बढ़ा रहे थे।
शीतल बाथरूम से निकलकर मट्रेस में पैर पॉछी और जैसे ही कदम बढ़ाई की उसका पैर वसीम के वीर्य में पड़ा। चिपचिप करते ही वो नीचे देखी तो उसे कोई चमकदार सफेद लिक्विड जमीन पे गिरा हुआ दिखा। उसकी धड़कन तेज हो गई। वो अच्छे से देखने लगी और फिर कन्फर्म होने के लिए बा बैठकर देखने लगी। उफफ्फ... तो क्या वसीम चाचा मुझे नहाता देख रहे थे? ये सोचकर शीतल शर्मा गई की वसीम ने उसे नंगी नहाता हुआ देख लिया हैं। उसे लगा की कल रात उन्होंने खुद को तो रोक लिया, इसलिए उनकी प्यास अब और बढ़ गई होगी। वो मेरे पेट को सहला तो रहे थे लेकिन मजा नहीं लिया, क्योंकी उन्होंने अपनी फीलिंग्स को दबा रखा है। कोई बात नहीं वसीम चाचा, मैं भी देखती है की आप और कितना दबाते हैं खुद को।
कल रात तो आपने मेरी चूचियों में हाथ हटा लिया था, देखती हैं की क्या-क्या हटाएंगे और खुद को कितना तड़पाएंगे? मुझसे दूर रहेंगे और छिपकर बीर्य गिराएंगे, ये कौन सी बात हई? अगर अभी भी आपका डर शर्म मुझसे खतम नहीं हुआ है तो अब होगा। अब मेरा रण्डीपना और बढ़ेगा और तब देखेंगी की आप खुद को कितना रोकते हैं, और कैसे रोकते हैं? लेकिन एक बात तो तय है की आप बहुत महान इंसान हैं। इतने में तो कोई भी मर्द अब तक बिक गया होता मेरे ऊपर। इसलिए अब मुझे भी जिद होती जा रही है आपको खोलने की।
शीतल उंगली से वीर्य को उठाई और उठाते हुए मुँह में चाटने लगी। वो फिर से ऐसा की और जब उसका मन नहीं भरा तो बो जमीन को चाटकर बीर्य चाटने लगी। उसकी चूत गीली होती जा रही थी। वो जब झुक कर बीर्य चाट रही थी तो उसके मंगलसूत्र पे भी वसीम का वीर्य लग गया था। जब सारा वीर्य चाटने के बाद बा खड़ी हुई तो उसका ध्यान मंगलसूत्र में लगे वीर्य में गया, जो ब्लाउज़ के ऊपर भी थोड़ा सा लग गया था। उसके सुहाग की निशानी में किसी और का वीर्य लगा है, ये सोच में उसे अंदर से पूरी तरह गोला कर दिया। वो मंगलसूत्र को साफ नहीं की। उसने सोचा की पटी ब्रा तो बहुत बार वीर्य में भरी थी, आज मंगलसूत्र को भी वीर्य लगा ही रहने देती हैं।
वसीम शीतल को अपने रूम में देख रहा था और शीतल की हालत देखकर उसे खुद में गर्व हआ की अब शीतल मन से उसकी रांड़ बन चुकी है, और अब बस उसके तन पे कब्जा करना बाकी है। वसीम ने अपने लण्ड का अइजस्ट किया और बेड में लेट गया।
शीतल रूम में आकर चेहरे में क्रीम लगाई और फिर आँखों में काजल और होठों में लिप-उलास। ये उसका रोज का नियम था। उसने सिर की डिब्बी को हाथ में लिया और अपनी माँग में भरने जा रही थी की उसे कुछ ख्याल आया। वो अपने मंगलसूत्र पे लगी वीर्य को उंगली में लगाई और अपनी मौंग में भर ली। आह्ह... पता नहीं क्या हुआ लेकिन उसे बहुत मजा आ रहा था। उसने पूरे मंगलसूत्र के वीर्य को अपनी माँग में भर लिया और फिर सिंदूर लगा ली। सिदर शीतल की मांग में लगे वीर्य से चिपक गया। शीतल माथे में लाल कुमकुम लगा ली।
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07-19-2021, 11:29 AM,
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RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
वो आईने में खुद को निहार रही थी। उसकी पैंटी पूरी तरह गीली हो चुकी थी।
शीतल मन ही मन सोच रही थी- "लीजिए वसीम चाचा, अब तो मेरे मंगलसूत्र और माँग में भी आपका वीर्य लग गया। अब तो एक तरह से आप भी मेरे पति हुए। अब तो मेरे पूरे जिश्म में आपका भी हक है और मैं चाहकर भी आपको मजा नहीं कर सकती। अब तो मुझसे शर्माना छोड़ दीजिए और खुलकर जी लीजिये अपनी जिंदगी." शीतल मुश्कुराते और शांत हुए रूम से बाहर आ गई।
आज वो पूजा नहीं की और किचन में जाकर चाय बनाने लगी। वो चाय लेकर पहले वसीम के कमरे में गई, जहाँ वसीम को सच में नींद आ गई थी। शीतल उसे सोता देखकर सोच रही थी- "अभी मझें नंगी नहाते देखें और वीर्य गिराए, तब तो बहुत मजा आ रहा होगा जनाब को। लेकिन अभी सोने की आक्टिंग कर रहे हैं..."
उसका मन हुआ की वसीम के साथ कुछ करें लेकिन फिर वो सोची की अभी सही वक़्त नहीं है। विकास घर में हैं, और में कुछ बोलें अगर तो मैं कुछ बोल नहीं पाऊँगी। दोपहर का वक़्त तो अपना है आज। उसने फार्मल आवाज में कहा- "क्तीम चाचा गुड मानिंग, उठिए चाय हाजिर है, उठिए उठिए..."
वसीम को बहुत मजा आया। बरसों से किसी ने उसे इस तरह नहीं जगाया था। वो आँखें खोलकर शीतल को देखा तो मेकप के बाद शीतल और हसीन लग रही थी। वो शीतल को देखता ही रह गया की शीतल शर्मा गई।
वसीम ने नजरें नीची कर ली और उठकर बैठ गया।
शीतल उस रूम से निकालकर अपने रूम में गई और विकास को भी जगाई। दोनों जाग कर बाहर आ गयें और सोफे में बैठ गये। शीतल दोनों को मानिंग ताय सर्व की।
वसीम के कप उठाते ही वसीम का हाथ थोड़ा हिला।
शीतल तुरंत ताना मारी- "सम्हल कर वसीम चाचा, जमीन पे मत गिराइए."
वसीम समझ गया की रांड़ क्या बोल रही है। लेकिन वो सिर झकाए चाय पीने लगा।
नाश्ता करके विकास और वसीम अपने-अपने कम पे चले गये और शीतल सोचने लगी की क्या किया जाए? अब वो और देर नहीं करना चाह रही थी। उसने सोच लिया की आज दोपहर में उसे वसीम से बात कर ही लेनी हैं, क्याकी कल सनडे है। कल विकास घर में रहेंगे तो फिर बात नहीं हो पाएगी। अब उसकी हिम्मत बहुत बढ़ गई थी। शीतल दोपहर का इंतजार करने लगी। दोपहर में जब वसीम घर आया, तब तक शीतल मन बना चुकी थी।
वसीम घर आया तो उसने आज भी शीतल का दरवाजा अंदर से ही बंद देखा। उसे आज बुरा नहीं लगा क्योंकी उमें 100 फीसदी यकीन था की आज शीतल उसके पास जरर आएगी। वो अपने रूम में गया और लंगी गंजी पहनकर बाहर आ गया।
शीतल टाइम का अंदाजा लगाकर थोड़ी देर बाद छत पे चली आई। वसीम अभी शीतल की पैटी को हाथ में लिया ही था की शीतल वहाँ पहुँच गई।
शीतल- "वसीम चाचा ये क्या कर रहे हैं आप?"
वसीम ने ऐसी आक्टिंग की जैसे हड़बड़ा गया हो- "कुछ नहीं। ये तो बस नीचे गिर गया था तो उठा दे रहा था..."
शीतल वसीम की हड़बड़ाहट देखकर मुश्कुरा दी। वो नहीं चाहती थी की उसके देख लेने में वसीम अपराधी महसूस करें। मुश्कुराती हुई शीतल बोली- "मुझे सब पता है की रोज आप मेरी पैंटी के साथ क्या करते हैं? मुझे में भी पता है की आज सुबह आपने क्या किया है?"
वसीम चुपचाप नजरें झकाए खड़ा था। वो ये सब भाषण के लिए तैयार था। तभी तो वो अपनी चाल को और आगे बढ़ाता और शीतल उसमें वसीम की पालतू कुतिया बनने के लिए अपने आपको फंसाती।
शीतल वसीम के करीब आते हए बड़े प्यार से और समझाने के लहजे में बोली "मुझे पता है वसीम चाचा की आप बहुत अरसे से अकेले हैं और मैंने यहाँ आकर आपकी साई तमन्नाओं को जगा दिया है। मुझे आपके बारे में कुछ पता नहीं था इसलिए मैं जैसे बहती थी वैसे ही हमेशा रहती रही। मुझे पता है की हर मर्द के जिम की अपनी जरूरतें होती हैं, भला में क्या करती? मेरी क्या गलती की मैं खूबसूरत हैं? मैं बचपन में ऐसे ही कपड़े पहनती आई है। लेकिन जब से मुझे आपकी हालत पता चली है में खुद को आपके सामने लाने से बचती रही..."
वसीम फिर भी चुप रहा।
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07-19-2021, 11:29 AM,
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desiaks
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RE: Antarvasnax शीतल का समर्पण
शीतल वसीम के करीब आते हए बड़े प्यार से और समझाने के लहजे में बोली "मुझे पता है वसीम चाचा की आप बहुत अरसे से अकेले हैं और मैंने यहाँ आकर आपकी साई तमन्नाओं को जगा दिया है। मुझे आपके बारे में कुछ पता नहीं था इसलिए मैं जैसे बहती थी वैसे ही हमेशा रहती रही। मुझे पता है की हर मर्द के जिम की अपनी जरूरतें होती हैं, भला में क्या करती? मेरी क्या गलती की मैं खूबसूरत हैं? मैं बचपन में ऐसे ही कपड़े पहनती आई है। लेकिन जब से मुझे आपकी हालत पता चली है में खुद को आपके सामने लाने से बचती रही..."
वसीम फिर भी चुप रहा।
शीतल फिर आगे बोली- "फिर मैंने सोचा की इस तरह दूर रहकर मैं आपकी कोई मदद नहीं कर सकती। एकलौता उपाय था की हम इस घर में चले जाते, और इसके लिए मैंने विकास से बात भी की। लेकिन उसने कहा की तुरंत दूसरा घर कहाँ मिलेगा और उसने बात को टाल दिया। अब में संभव नहीं था की यहाँ बहते हुए आपसे दूर रह पाऊँ। कपड़े मुझे छत पे ही देने होते सूखने के लिय। किसी ना किसी तरह आपकी नजर मुझसे पड़ती ही, आप मेरी आवाज भी सुनते ही। तब सिर्फ एक उपाय था की फिर आपस छपने से आपकी मदद नहीं होगी, बल्कि खुलकर आपके सामने आना होगा.'
शीतल सांस लेने के लिए रुकी और फिर बोलना चालू की- "में कई बार सोची की आपका बोलं, आपकी मदद करें लेकिन आप मेरी तरफ देखते ही नहीं है। में आपको कितना हिंट दी, कितनी तरह से कोशिश की की आप मुझे देखें, मेरे से बात करें। लेकिन अकेले में तो आप बहुत कुछ कर लेते हैं, लेकिन सामने तो नजर भी नहीं उठाते। तब जाकर फाइनली मैंने सोचा की आज आपसे खुलकर बातें कर ही ..."
अब वसीम के बोलने की बारी थी- "ता क्या करेंग में बोलो। सालों में में अपनी बौरान जिंदगी को अपनी तन्हाई के साथ गुजर रहा था। सब कुछ ठीक चल रहा था की अचानक तुम सूखी धरती में पानी की फुहार बनकर यहाँ आ जाती हो। तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की एक ऐसे मर्द के सामने आ जाती है जो कई सालों से अकेला है, तो उसके अरमान नहीं जागेंगे क्या? अरे तुम तो ऐसी हो की कोई भी तुम्हें देखकर खुद को ना रोक पाए, लेकिन मुझे खुद को रोकना पड़ा। देखो खुद को। तुम हर अप्सरा का मत देने वाली हसीना हो और मैं बदसूरत। तुम दूध से भी गारी हो और मैं बिल्कुल सांबला। तुम्हारी छरहरी काया किसी मुर्दे में भी जान डाल सकती है और में मोटा और तोंद निकला हुआ। तुम अपनी कमसिन उम्र में हो और में बुढ़ापे की ओर जाता हुआ एक हारा हुआ इंसान। तुम किसी और की अमानत हो और मैं किसी का घर नहीं उजाड़ना चाहता। तो मुझे यही रास्ता नजर आया की मैं तुमसे दूर रहने की कोशिश करें, और फिर भी खुद को रोक नहीं पाया तो अकेले में ऐसा किया। मझे माफ कर दो। आगे से ऐसा कुछ नहीं करेंगा में, चाहे कुछ भी हो जाए..."
वसीम अपनी बात खतम करने के बाद अपने रूम की तरफ चल पड़ा, जैसे वो अपनी बात पे अब कायम रहना चाहता है। वो इंतजार कर रहा था की शीतल पीछे से आकर उसे पकड़ लेगी। शीतल वसीम को पीट से पकड़ी तो नहीं लेकिन उसके सामने जरूर आ गई।
शीतल बोली- "ता आपने मुझसे कभी बात क्यों नहीं की? मुझसे बात करते। हँसी मजाक करते तो शायद आप राहत महसूस करते। मैंने तो कितनी बार कोशिश की। मुझे आपके दर्द का अंदाजा है। तभी तो जब आपनें बात नहीं की तो मैं ही आ गई बेशर्म बनकर आपसे बात करने। वसीम चाचा, मैं आपकी मदद करना चाहती हैं। अब मैं क्या करने की मैं इतनी खूबसूरत हैं?"
वसीम बोला- "और चिंगारी को हवा दूं। देखता भी नहीं हैं टब भि तो इतना मुश्किल है, अगर बात करता या हँसी मजक करता तो शायद तुम्हें पकड़ ही लेता... वसीम अब अपने घर के अंदर आ गया। बाहर बात करने का काम हो चुका था।
शीतल भी वसीम के पीछे-पीछे उसके रूम में आ गई। आज वो रुकना नहीं चाहती थी।
शीतल आज वो अधूरी बात नहीं छोड़ना चाहती थी। बहुत हिम्मत जुटाकर वो आई थी और उसने फैसला किया हुआ था की अब वसीम का तड़पने नहीं देना है। शीतल वसीम के सामने आती हई बाली- "ता पकड़ क्यों नहीं लिए। मैं तो आपको कितनी हिंट दी, कितने इशारे दिए। पकड़ लीजिए ना, उतार लीजिए अपने अरमान लेकिन इतने परेशान नहीं रहिए. ऐसा बोलते हुए शीतल वसीम के गले लग गई।
शीतल की चूचियां वसीम के सीने से दबने लगी, कहा- "वसीम चाचा में आपका तड़पता नहीं देख सकती..."
वसीम का जी चाहा की वो भी शीतल को कस के अपनी बाहों में दबा ले। लेकिन अभी खेल पूरा नहीं हुआ था। वसीम पीछे हटता हुआ बोला- "नहीं, ये मैं नहीं कर सकता। मैं विकास के साथ चीटिंग नहीं कर सकता की उसकी गैर हिजिरी में मैंने उसकी हसीन बीवी के साथ जिस्मानी संबंध बनाए। नहीं शीतल मुझसे ये गुनाह मत करवाओ..."
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