06-08-2017, 11:55 AM,
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sexstories
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RE: नए पड़ोसी
मेरी जीभ उसके कड़े निप्पल को महसूस कर रही थी. मैंने अपनी जीभ को रुची के उठे हुए कड़े निप्पल पर घुमाया. मैं उसके दोनो अनारों को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हें चूस रहा था. मैं ऐसे कस कर चूचियों को दबा रहा था जैसे कि उनका पूरा का पूरा रस निचोड़ लुंगा. रुची भी पूरा साथ दे रही थी. उसके मुंह से ओह! ओह! अह! सी, सी! की आवाज निकल रही थी. मुझसे पूरी तरह से सटे हुए वो मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रही थी और मरोड़ रही थी. उसने अपनी लेफ़्ट टांग को मेरे कंधे के उपर चढ़ा दिया और मेरे लंड को अपनी जांघो के बीच रख लिया. मुझे उसकी जांघो के बीच उसकी चूत का मुलायम रेशमी एहसास हुआ. मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी हलकी हलकी झांटों मे घूम रहा था. मेरा सब्र का बांध टूट रहा था. रुची भी बोली "आह मनीष, मुझे चोदो, फाड़ डालो मेरी चूत को."
पर मैं चुपचाप उसके चेहरे को देखते हुए चूची मसलता रहा. उसने अपना मुंह मेरे मुंह से बिल्कुल सटा दिया और फिर से फुसफुसा कर बोली "अपनी रुची को चोदो न. अब और मत तडपाओ." रुची ने अपने हाथ से मेरे लंड को अपनी चूत के मुहाने पर रख कर रास्ता दिखा दिया. रास्ता मिलते ही मैंने एक ही धक्के में लंड का सुपाड़ा अंदर कर दिया.. फिर मैंने दूसरा धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड मक्खन जैसी चूत की जन्नत में दाखिल हो गया. रुची के मुह से एक सुख की सीत्कार निकली "आआःआह उईई ईईइ ईईइ माआआ हुहुहह ओह बड़ा जालिम है तुम्हारा लंड"
रुची की चूत फड़क रही थी और अंदर ही अंदर मेरे लौड़े को मसल रही थी. उसकी उठी उठी चूचियां काफ़ी तेज़ी से ऊपर नीचे हो रही थी. मैं ने हाथ बढ़ा कर दोनो चूची को पकड़ लिया और मुंह में लेकर चूसने लगा. रुची ने अब मस्ती में अपनी कमर हिलानी शुरु कर दी. और मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगा. रुची को पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शोट का जवाब देने लगी. अपनी रसीली चूची मेरी छाती पर रगड़ते हुए उसने गुलाबी होंठ मेरे होंठ पर रख दिये और मेरे मुंह में जीभ ठेल दिया.
उसकी चूत में मेरा लंड तेज़ी से ऊपर नीचे हो रहा था. मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत पहुंच गया हूं. जैसे जैसे वो झड़ने के करीब आ रही थी उसकी रफ़्तार बढ़ती जा रही थी. कमरे में फच फच की आवाज गूंज रही थी मैं रुची के ऊपर लेट कर दनादन शोट लगाने लगा. रुची ने अपनी टांग को मेरी कमर पर रख कर मुझे जकड़ लिया और जोर जोर से चूतड़ उठा उठा कर चुदाई में साथ देने लगी. मैं भी अब रुची की चूची को मसलते हुए ठका ठक शोट लगा रहा था. रुची अपनी कमर हिला कर चूतड़ उठा उठा कर चुदा रही थी और बोले जा रही थी "अह्हह आअहह उनहह ऊओहह ऊऊहह हाआआन हाआऐ मीईरे रज्जज्जजा, माआआअर गयययययये रीईए, लल्लल्लल्ला चूऊओद रे चूऊओद. उईई मीईईरीईइ माआअ, फाआआअत गाआआयीई रीईई शुरु करो, चोदो मुझे. लेलो मज़ा जवानी का मेरे ज्जज्जा" और अपनी गांड हिलाने लगी.
मैने काफी देर तक उसे चोदा. मैं भी बोल रहा था "लीईए मेरीईइ रानीई, लीई लीईए मेरा लौड़ा अपनीईइ ओखलीईए मीईए. लीईए लीई, लीई मेरीईइ रुचीआअ ये लंड अब्बब्बब तेराआ हीई है. अहह्ह! उहह क्या जन्नत का मज़ाआअ सिखाया तुने . मैं तो तेरीईईइ गुलाम हूऊऊ गयीईए." रुची गांड उछाल उछाल कर मेरा लंड चूत में ले रही थी और मैं भी पूरे जोश के साथ उसकी चूचियों को मसल मसल कर अपनी रुची को चोदे जा रहा था. रुची मुझसे कह रही थी "लगाओ शोट" और मैं जवाब देता "ये ले मेरी रानी, ले ले अपनी चूत में". "जरा और जोर से सरकाओ अपना लंड मेरी चूत में मनीष". " ये ले मेरी रानी, ये लंड तो तेरे लिये ही है." देखो मेरी चूत तो तेरे लंड की दिवानी हो गयी और जोर से और जोर से आआईईए. मैं गयीईईए रीई" कहते हुए रुची ने मुझको कस कर अपनी बाहों में जकड़ लिया और उसकी चूत के ज्वालामुखी का लावा छोड़ दिया. अब तक मेरा भी लंड पानी छोड़ने वाला था और मैं बोला "मैं भी अयाआआ मेरी जाआअन" और मैने भी अपने लंड का पनी छोड़ दिया और मैं हांफ़ते हुए उसकी चूची पर सिर रख कर कस के चिपक कर लेट गया.
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