Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
06-22-2017, 10:44 AM,
#11
RE: Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
उन्होंने मुझे अपने ऊपर से हटा कर कहा- थोड़ी देर रुको, मैं थोड़ा दम ले लूँ !

मुझे थोड़ी हंसी आई और मैंने उन्हें कहा- बस थक गए?
वो बोले- हाँ, थक गया !
तो मैंने कहा- इसका मतलब आप बूढ़े हो गए हो !
मेरी वाचालता बढ़ती जा रही थी और वो मुस्कुरा रहे थे।
मैंने कहा- आज आपको हरा दिया मैंने ! देखो आप पसीने पसीने हो रहे हो और
मुझे कुछ नहीं हुआ है।
तब वे बोले- अभी तो छोड़ दो ! छोड़ दो ! की भीख मांग रही थी और अब बातें आ
रही हैं? अपनी मुनिया से पूछ !
तो मैंने कहा- यह कह रही है कि और डालो !
मुझे पता था कि अभी थोड़ी देर तो वो डालने से रहे !
फिर उन्होंने कहा- मैं आधे घंटे से तेरे ऊपर कूद रहा हूँ, ऐसा कर, तू दस
मिनट ऐसे धक्के मार कर दिखा दे तो मैं मान जाऊँगा तुझे !
मैंने कहा- यह काम आपको ही मुबारक ! हम तो नीचे वाले ही अच्छे !
फिर जीजाजी थोड़ी देर चुपचाप लेटे रहे, मैंने भी फिर उनको परेशान नहीं
किया, मैं भी चुपचाप एक तरफ लेटी रही। 5-10 मिनट बाद जीजाजी मेरी तरफ
घूमे और मेरी जांघों पर अपनी एक टांग रख दी !
मैं भी उनकी तरफ घूम गई ! फिर हम धीमी आवाज़ में बातें करने लगे, वे बार
बार मुझे चूम लेते थे, उनका चुम्मा कभी मेरे गाल, कभी माथे पर, कभी कंधों
पर, कभी मेरी चूचियों पर, कभी मेरा हाथ अपने मुँह के पास ले जाकर हथेली
को चूम लेते, यानि उनका चूमना चलता रहा, साथ ही उनका हाथ भी मेरे पूरे
चिकने शरीर पर फिसलता रहा कंधे से जांघों, पिंडलियों तक ! कभी कभी मेरी
मुनिया की फांकों को भी सहला देते पर मुझे उन्होंने पहले ही इतना निचोड़
दिया कि मेरी उनको ऊपर चढ़ाने का बिल्कुल मूड नहीं था !
फिर जीजाजी की सांसें भारी होने लगी, मैंने सोचा फिर चुदने का खतरा आया
और मेरा उस वक़्त तो क्या अगले दस दिन चुदने का मूड नहीं था। पिछले दो
दिनों से मेरा इतनी बार पानी निकला कि शायद अन्दर से सूख गया था इसलिए
चुदने के नाम से ही मेरी कंपकंपी छुट रही थी। वो तो मैं पहले यों ही उनको
छेड़ रही थी। उनके पहले दौर से ही मेरी मुनिया के अन्दर दर्द हो रहा था
जैसे छिल गई हो !
उनका लिंग चड्डी और लुंगी के ऊपर से ही मेरी कमर और पेट पर चुभ रहा था,
मैंने उनको मिन्नत भरे स्वर में कहा- आप अब मुझे सोने दें ! मैंने आपकी
सारी बात रखी अब आप भी मेरी बात रख लो आप सुबह जल्दी कर लेना !
मेरी आशा के विपरीत उन्होंने मेरी बात रख ली और कहा- ठीक है, तुम जो
कहोगी वही होगा मेरी जान !
और उन्होंने 2-4 लम्बी लम्बी सांसें ली अपनी उत्तेजना कंट्रोल करने के
लिए और मुझे छोटे बच्चे की तरह थपक थापक कर सुलाने लगे। फिर उनके प्रति
मेरा प्यार बढ़ गया, मैं भी छोटे बच्चे की तरह उनसे चिपक कर सोने की कोशिश
करने लगी। हम दोनों दो मिनट तो इतना चिपके कि बस पूछो मत जैसे एक दूसरे
में समां जायेंगे !
मुझे और जीजाजी को नींद आने लगी थी, हम सारी रात चिपक के सोते रहे ! सारी
रात जीजाजी अधनींदी अवस्था में मुझे चूमते रहे, मेरी चूचियाँ और जाँघों,
चूत पर हाथ फेरते रहे, दबाते रहे। उनका घुटना तो मेरी टांगों के बीच में
ही रहा और कभी कभी उनका घुटना मेरी चूत पर रगड़ खाता रहा जैसे जीजाजी
अपना घुटना भी मेरी चूत में डाल देंगे !
वो नींद में ही कभी मुझे अपने सीने पर खींच रहे थे, मेरी हल्की काया उनके
खींचने पर आधी तो उन पर हो ही जाती पर फिर नीचे सरक जाती, मुझे नींद में
ऐसा लग रहा था ! हमारी पिछली रात की भी नींद बाकी थी, दिन में सिर्फ झपकी
ही आई थी इसलिए वो और मैं ना चाहते हुए भी नींद ले रहे थे।
करीब चार बजे सुबह हम दोनों पूरी तरह से जाग गए थे और जीजाजी अब मुझे
पूरी तरह से सहला रहे थे, मैं भी थोड़ी थोड़ी पिंघल रही थी।

पर जब उन्होंने पूछा- अब ऊपर आ जाऊँ?
मेरे मुँह से फिर से ना निकल गई और वे मायूस हो गए।
मैंने उन्हें कहा- आपकी गाड़ी पौने सात बजे है और आपको अभी बाथरूम जाना
है, नहाना है ! मुझे भी आपके लिए चाय-नाश्ता भी तैयार करना है।
इतना सुनते ही वे मुझसे दूर हट गए, मुझे उनकी मायूसी अच्छी नहीं लगी,
मैंने सोचा वे फिर से कहेंगे तो मैं मान जाऊँगी या वे जबरदस्ती ही कर लें
!
पर वे तो एक तरफ हो गए, दस मिनट के बाद मैं ही बोली- चलो अब आपका इतना ही
मन है तो कर लो !
पर वे बोले- अब तुम्हारे बार-बार मना करने के कारण मेरा मूड ऑफ़ हो गया
है, अब मेरा लिंग बैठ गया है, अब यह नहीं उठेगा, इसको वक्त लगता है। उतना
वक्त है नहीं मेरे जाने में ! वर्ना मेरा नहाना, खाना सब लेट हो जायेगा।
मुझे उस दिन पता चला कि पुरुषों का भी मूड होता है।
जीजाजी उठ कर बाथरूम में चले गए, मैंने फटाफट उनके लिए परांठे बना दिए,
फिर वो नहा कर आये तब तक चाय तैयार कर दी। वो चाय-नाश्ता करके चलने लगे
तो कहा- तुम अगले हफ्ते मेरे घर आना, जागरण और हवन है ! मैं यह निमंत्रण
देने ही आया था।

मैंने कहा- ठीक है !
वे निकल गए !
करीब बीस मिनट बाद उनका फोन आया कि वे गाड़ी में बैठ गए हैं और गाड़ी चल दी है।
मैंने चहक कर पूछा- अबकी बार तो आपकी सारी इच्छाएँ पूरी हो गई ना? संतुष्ट हो ना !
वे बोले- मैं बहुत संतुष्ट हूँ ! मेरी ज़िन्दगी की ख्वाहिश पूरी हो गई,
तुझे बहुत बहुत धन्यवाद ! मैं तेरा गुलाम हो गया जान ! जो तू मांगे वो
हाज़िर है !
मैं हंस कर रह गई और कहा- मुझे कुछ नहीं चाहिए !
उन्होंने कहा- अब मेरे मोबाईल के सिग्नल जा रहे हैं, बाद में बात करूँगा !
मैंने कहा- ठीक है ! अब मैं भी नहाने जाऊँगी। ओ के !
फिर उन्होंने फोन काट दिया।
अगले 5-6 दिनों तक वे मुझसे दिन में कई बार बात करते रहे, मैं एक ही बात
कहती रही- उन रातों को भूल जाओ, अपन दोनों ने जो कुछ किया, गलत किया !
वे बार बार एक ही बात कहते- यह हमने नहीं किया, इश्वर ने ही कराया, हम तो
उसके हाथ की कठपुतलियाँ हैं, अपने हाथ में होता तो इतने साल क्यों लगते?
उनकी बात सही लगती पर फिर मैं कहती- अब नहीं करेंगे ! जो हो गया, सो हो गया !
मैं घर जाते ही दीदी से मिली, वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई। घर पर बहुत
मेहमान आये हुए थे, पूरा घर भरा था !
मैं भी खाना खाकर छत पर चली गई, जागरण का कार्यक्रम वहीं था। जीजाजी
सामने भजन गाने वालों के पास बैठे हुए थे, मैं भी उनके परिवार की औरतों
में बैठी हुई थी।
छत पर बड़ा हाल और कमरा बना हुआ था, सामने काफी खुली छत थी जहाँ भजन का
कार्यक्रम हो रहा था।
जीजाजी की नज़रें सिर्फ मुझ पर ही जमी थी !
रात को एक बजे कार्यक्रम ख़त्म हुआ और सब लोग सोने चले गए ! काफी औरतें
हाल में और पुरुष बाहर छट पर सो गए।
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06-22-2017, 10:44 AM,
#12
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मुझे, दीदी को और बच्चों को जीजाजी ने नीचे कमरे में सुला दिया और खुद
बाहर बरामदे में सो गए। मुझे डर था कि जीजाजी कुछ गड़बड़ न कर दें इसलिए
मैं कमरे में नीचे सो रही थी। वहाँ पास में मैंने अपने बेटे और जीजाजी के
बेटे-बेटी को सुला दिया। दीदी कमरे में तख्त पर सो गई। मैंने नीचे इतने
बच्चों को सुला दिया कि किसी और के आने की गुंजाइश ही ना रहे !
वैसे सब थके हुए थे और कोई हलचल नहीं हुई। सुबह हवन और दोपहर को बिरादरी
का खाना था जिससे 5 बजे तक निपट गए !
अब सब मेहमान अपने घरों को चल दिए थे, सिर्फ मैं रही थी ! मेरे
मम्मी-पापा, भाई भी वापिस अपने गाँव चले गए, मुझे चलने को कहा तो जीजाजी
ने कहा- यह कल आ जाएगी अभी इसको साड़ी दिलानी है।
शाम को उन्होंने कहा- चल, यहाँ मेरे रिश्तेदार रहते हैं, वहाँ घुमा कर लाता हूँ !
दीदी ने कहा- हाँ, इसे घुमा कर ले आओ !
मैं जीजाजी की बाइक पर बैठ गई, वो मुझे अपने रिश्तेदारों के घर घुमाने
लगे। जब भी हम किसी एक घर से दूसरे घर जाते वो बार-बार मुझसे कहते- आज
रात को मेरे पास आ जाना !
मैं बार बार मना कर देती- नहीं ! यह गलत है, जो हो गया उसे भूल जाओ !
जीजाजी बार-बार मेरी मिन्नतें करते- ऐसा मत करो ! मैं तुम्हारे बगैर मर
जाऊँगा ! और बार बार ब्रेक लगते ताकि मैं उनकी पीठ से टकराऊँ !
शाम गहरी हो गई थी, आखिर में वो अपने भांजे के घर ले जा रहे थे जो थोड़ा
शहर से बाहर था। फिर उन्होंने कहा- मुझे कुछ नहीं करना ! बस आइसक्रीम
खिला देना !
मुझे पता था वो चूत चटवाने का कह रह थे। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम
पर पढ़ रहे हैं।
मुझे फिर से वो बात याद कर नशा आना शुरू हो गया था !
पर मैंने कहा- अभी सर्दी है, जुकाम हो जायेगा !
तो वो बोले- वो गरम आइसक्रीम है ! अब तू नहीं मानी तो देख ले तुझे यहीं
से उठा ले जाऊँगा !
मैंने सोचा कि अब इतना तरसाना ठीक नहीं है, मैं उनकी पीठ से चिपकती हुई
बोली- चलो ठीक है ! पर सिर्फ आइसक्रीम ही खिलाऊँगी !

वे खुश हो गए !
भांजे के घर गए, वहाँ एक कमरे में उनके भांजे का छोटा बच्चा सो रहा था,
भांजे की पत्नी रसोई में थी। उस कमरे में घुसते ही वो पलंग पर बैठ गए और
मुझे अपनी जांघ पर बिठा कर चूम लिया। मेरी साड़ी पेटीकोट समेत ऊँची कर
चड्डी के ऊपर से ही चूत को चूम लिया।
कमरे में अँधेरा था तो सब उन्होंने कुछ सेकण्ड में ही कर लिया। मैं कमरे
से बाहर निकल गई, उनके भांजे की बहू से मिली और हम फिर अपने घर आ गए !
खाना खाया और जीजाजी ने इशारा किया कि मैं ऊपर हाल में सोता हूँ !
और हाल एक तरफ पलंग पर मेरे बेटे और अपने बेटे को कहा- सो जाओ !
और खुद हाल में चारपाई पर सो गए !
बाहर की ओर उनके एक और कमरा बना था, उसकी कुण्डी खुली रखी थी ताकि उसकी
जरुरत पड़े तो रात को कुण्डी नहीं खोलनी पड़े ! पर जीजाजी किस्मत के बहुत
तेज थे, इस बात की नौबत ही नहीं आई ! जीजाजी का बेटा थोड़ी देर में ही
नीचे चला गया कि मैं ऊपर नहीं सोऊँगा मैं तो अपनी मम्मी के पास ही
सोऊँगा।
तो दीदी ने कहा- तू अपने बेटे के पास जाकर हाल में सो जा ! तेरे जीजाजी
भी वहीं चारपाई पर सो रहे हैं, तुम माँ-बेटा पलंग पर सो जाना !
मैं चुपचाप आकर हाल में सो गई, मुझे हाल में सोता देख कर जीजाजी की तो
बांछें खिल गई !
उस हाल के साथ ही एक कमरा और बना हुआ था, उसका एक दरवाज़ा तो हाल में था
दूसरा नीचे सीढ़ियों की तरफ था, उस कमरे में मोटा गद्दा बिछा हुआ था !
मैं चुपचाप पलंग पर अपने बेटे के पास सो गई और दस मिनट में मुझे नींद भी आ गई।
करीब आधे-पौन घंटे बाद मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरा सर सहला रहा है !
मैं जगी तो देखा कि जीजाजी खड़े खड़े मेरा सर सहला रहे थे। मुझे नींद आ रही
थी, मैंने उनको कहा- चुपचाप जाकर सो जाओ !
वो मुझे हाथ जोड़ने लगे, मैंने ध्यान नहीं दिया तो वो मेरा हाथ पकड़े-पकड़े
ही नीचे जमीन पर बैठ गए घुटनों के बल और नीची आवाज़ में मिन्नतें करने
लगे कि शाम को तो वादा किया था और अब मना कर रही हो !
मैं उठ कर एक तरफ सरक गई। पलंग काफी बड़ा था, मैंने कहा- चलो आ जाओ, यहीं सो जाओ !
पर वे बोले- यहाँ नहीं, अभी कहीं तुम्हारा बेटा जाग गया तो वो क्या
सोचेगा? मेरी मम्मी के पास मौसाजी क्या कर रहे हैं?
मैं फिर उनके साथ खड़ी हुई, वो मेरा हाथ पकड़ कर मुझे हाल से जुड़े कमरे
की तरफ ले जाने लगे !
कमरे में और हाल में रोशनी बंद थी, जीजाजी के हाथ में मोबाईल था, उसकी
रोशनी में वो चल रहे थे। कमरे में जाते ही उन्होंने मुझे उस गद्दे पर
लिटा दिया, जो दरवाज़ा नीचे सीढ़ियों की तरफ जाता था, उसकी धीरे से कुण्डी
लगाई और हाल की तरफ जिसमें मेरा बेटा सो रहा था, ढुका दिया !
हाथ से मोबाईल को पास के आले में रखा, साथ में कंडोम भी था, मुझे पता चल
गया कि चुदना तो है ही ! मैं मानसिक रूप से तैयार होने लगी। मैंने मैक्सी
और पेटीकोट पहना था उसको मैंने कमर पर कर अपनी चड्डी उतार कर सिरहाने रख
ली ताकि अँधेरे में ढूंढ़ कर पहनने आसानी रहे !
जीजाजी ने पंखा पूरी गति में कर दिया और टटोलते हुए मेरे पास आये।तब तक
मैंने उनका आधा काम कर दिया था, चड्डी उतर कर दोनों घुटने खड़े कर दिए थे,
टटोलते ही सीधी नंगी चूत मिली उन्हें और वे उस पर टूट पड़े, उसे बुरी तरह
से चाटने लगे।
मुझे भी बड़ा आनन्द आ रहा था, मैंने कहा- जी भर कर आइसक्रीम खा लो ! फिर
बार बार मत कहना ! आज इसको पूरी खा जाओ।
वो बोले- यार, तेरी आइसक्रीम इतनी शानदार है कि इससे जी भरता ही नहीं है,
चाहे कितनी बार ही खाओ !
और वो मेरी चूत बुरी तरह से चाट रहे थे, काट रहे थे, अपनी जीभ को गोल कर
अन्दर घुसा रहे थे। मुझे बड़ा आनंद आ रहा था पर मुझे खतरे का अंदेशा भी
था कि कहीं दीदी न आ जाएँ या मेरा बेटा न जाग जाये !
दस मिनट हो गए उनको चूत चटाई करते हुए, मैं एक बार परमानन्द ले भी चुकी
थी, मैंने उन्हें रोका और कहा- अब आइसक्रीम बहुत हुई ! जो करना है फटाफट
कर लो !
वो जैसे यही सुनना चाहते थे, अपनी लुंगी हटाई, चड्डी को एक पैर में किया,
मेरी टांगे तो ऊँची थी ही, अपने लण्ड पर थोड़ा थूक लगाया और मेरी चूत में
एक झटके से पेल दिया, पर पूरा नहीं घुस सका, थोड़ा पीछे खींचा और साँस रोक
कर जोर का झटका मारा और जड़ तक अन्दर ठेल दिया।
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06-22-2017, 10:44 AM,
#13
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अधूरी जवानी बेदर्द कहानी--4

मेरे मुँह से अटकते अटकते निकला- धी ......रे......आ....ह......दू...खे....!
और उन्होंने लाड से मेरे गाल थपथपा दिए और कहा- दुखता है? अब नहीं
दुखाऊँगा ! मेरी जान के दुख रहा है ! इस साले लण्ड ने मारी है, अभी रुक,
इसको मैं मारूँगा !
मुझे हंसी आई, मैंने आनन्द में आकर चूत में संकुचन किया और उनकी गति धीमी
पड़ गई, वो बोले- क्या करती हो? मेरे लण्ड को तोड़ोगी क्या? साली की चूत है
या गाण्ड की दरार ! इतनी कसी !
मुझे ख़ुशी हुई, मैंने कहा- मुझे चोदना है तो गाण्ड और लण्ड में जोर रखना
पड़ेगा ! वर्ना अंदर-बाहर नहीं कर सकते। यहाँ कोई नाथी का बाड़ा नहीं है,
यह मेरी छोटी सी प्यारी सी चूत है !
अब जीजाजी मुझे जोर जोर से चोद रहे थे !
अचानक मुझे कुछ याद आया कि ये मेरे कमरे पर मुझे घोड़ी बनने का कह रहे थे,
मैंने सोचा आज इनकी वो इच्छा तो पूरी कर दूँ !
मैंने कहा- थोड़ा रुको और इसे बाहर निकालो !
वो अपना लण्ड निकालते हुए बोले- क्या हुआ?

मैंने कहा- कुछ नहीं !
कह कर मैंने उस गद्दे पर उनकी तरफ पीठ कर दोनों घुटने मोड़ कर अपना सर
गद्दे पर टिका दिया और अपने चूतड़ थोड़े ऊँचे कर दिए। बस यह ध्यान रखा कि
कहीं ये अपना लण्ड मेरी कुंवारी गाण्ड में न फंसा दें जिसमें एक अंगुली
घुसने की भी गुंजाइश नहीं है।
पर शायद उनका ऐसा कोई इरादा नहीं था इसलिए उन्होंने थोड़ा मेरे कूल्हों को
ऊपर किया, मैं काफी ऊपर हो गई तो उन्होंने अपने हिसाब से मुझे थोड़ा नीचे
किया और आधा लण्ड पीछे से मेरी चूत में फंसा दिया।
वो अपनी उखड़ी सांसें सही कर रहे थे, उम्र उन पर अपना प्रभाव डाल रही थी !
पर मैं उर्जा से भरपूर थी और मुझे पता था ये थक भले ही जाओ पर रुकने का
स्टेमिना तो बहुत है इनमें और मुझे उनको जल्दी झाड़ना था क्यूंकि किसी के
आने का डर सता रहा था मुझे !
मैं खुद थोड़ा पीछे हुई और मैंने अपने आप को आगे-पीछे करना शुरू किया और
वो जितनी देर सीधे रहे, उसमें मैंने 7-8 धक्के लगा दिए !
मेरे धक्कों से उन्हें भी बहुत जोश आया और बोले- साली चुदाने को बहुत मर
रही है तो ले !
ऐसा कह कर वे मेरी पतली कमर को पकड़ कर तूफानी गति से धक्के मारने
लगे।उनकी कमर पीछे जाती तो वो हाथों से मेरी कमर को आगे की और धकेलते और
जब धक्का मारते तो कमर को अपनी और खींचते इस प्रकार जितना हो सके अपने
लण्ड को मेरी चूत में घुसा रहे थे।
5-7 मिनट के बाद मैं घोड़ी बने बने थक गई थी, मैंने कहा- अब मेरी चूत सूख
चुकी है, इसमें जलन हो रही है, जल्दी से अपना निकाल लो !
तो उन्होंने कहा- चलो सीधी लेट जाओ !
मैं सीधी सो गई। उन्होंने सीधा अपना मुँह मेरी चूत पर लगाया और ढेर सारा
थूक मेरी चूत में छोड़ दिया।
मैं चिहुंक गई- क्या करते हो? गंदे ! अब कोई मुँह लगाता है क्या?

वो हंस कर बोले- पहले जो लगाया था?
मैंने कहा- अब तो आपने इसकी चटनी बना दी, पहले तो तरोताज़ा थी ना !
वो बोले- इसमें क्या है, मैंने अपने लण्ड की खुशबू डाली है इसमें !
और फिर अपना लण्ड मेरी चूत में डाला, मेरी टांगे उठाई, उन्हें अपने कंधे
पर रखी और गपागप चोदने लगे।
मैं बिल्कुल दोहरी हो गई थी, मेरी चूत जितनी उनके लण्ड के पास हो सकती
थी, हो गई थी और वो हचक हचक कर मुझे चोद रहे थे।
मैं देवी-देवताओं को मना रही थी कि इनका पानी निकल जाए !
पूरा कमरा फचक फचक की आवाजों से गूंज रहा था और मेरे तीसरी या चौथी बार
पानी आ गया था। अब वे मुझे बोझ लग रहे थे, मैं कुछ रूआंसी होकर कह रही
थी- आप अपना डॉक्टर के पास जाकर इलाज करवाओ, आपको कोई बीमारी है जो इतनी
देर से छूटता है ! या आप पर बुढ़ापा आ गया है, अन्दर पानी ही नहीं है तो
छूटेगा क्या?
वो मेरी किसी बात पर ध्यान ना देकर दांत भींच कर सुपरफास्ट स्पीड से
धक्के लगा रहे थे अपने पंजे मेरे कूल्हों पर गड़ा कर !
फिर अचानक उनके शरीर ने एक झटका खाया, मुझे पता चला कि अब मेरी मुक्ति हुई !
उनके मुँह से लार निकल कर मेरे गाल पर गिरी और उन्होंने मेरे गाल चूम लिए।
7-8 धक्के धीरे धीरे और लगाए और...
और मैं कहना भूल गई कि जब घोड़ी के बाद उन्होंने मुझे चोदना शुरू किया, तब
कंडोम लगा लिया था !
जीजाजी ने अपना कंडोम निकाला, उसके मुँह पर गांठ लगाई और मुझे बताया- देख
कितना पाना आया है, तुम कह रही हो कि है नहीं !
मैंने कहा- इस गन्दी चीज़ को मुझसे दूर रखो और मुझे जाकर सोने दो !
उन्होंने भी गद्दे की सलवटें सही की, दरवाज़े की कुण्डी खोली और कंडोम को
कहीं छुपाया और चुपचाप सो गए !
यह थी मेरे जीजाजी के घर में मेरी पहली चुदाई ! सुबह जल्दी उठ कर मैं
नीचे चली गई, तब तक जीजाजी सो ही रहे थे, मेरा बेटा भी नींद में था।
नीचे जाते ही मेरा सामना दीदी से हुआ और वो कुछ गौर से मेरी तरफ देख रही
थी !
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06-22-2017, 10:44 AM,
#14
RE: Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
पत्नियाँ अपने पति के प्रति हमेशा शक्की रहती ही हैं !
उसे पता था कि सारी रात मैं उसी हाल में सोई रही थी जहाँ उसके पतिदेव सो
रहे थे पर मैंने अपने चेहरे पर ऐसे भाव ही नहीं आने दिए और कहने लगी- उस
लड़के ने तो सोने ही नहीं दिया, कभी उसको पानी पिलाओ, कभी पेशाब कराओ, मैं
तो परेशान हो गई !
मेरे ऐसे बात करने पर दीदी कुछ सामान्य हुई, उसने सोचा होगा कि इसका बेटे
इतना जग रहा था तो क्या हुआ होगा ! फिर उसने ऐसे विचार अपने मन से हटा
दिए और राजी राजी बातें करने लग गई !
मैंने भी चाय-नाश्ता तैयार किया और जीजाजी से बात तो क्या उनके सामने ही नहीं आई।
शाम को दीदी ने कहा- इसको साड़ी दिला कर लाओ और इसको कोई फार्म भरना है,
इसको पासपोर्ट साइज की फोटो खिंचानी है, वो सब भी करवा आओ !

मैं जीजाजी के साथ बाइक पर बैठ बाज़ार चली गई।
जीजाजी मुझे बाज़ार लेकर गए, रास्ते में उन्होंने कहा- आज सारे दिन तुमने
मुझसे बात क्यों नहीं की? यहाँ तक कि मेरे सामने भी नहीं आई !
मैंने कहा- आपको पता नहीं है, दीदी को शक हो गया था, बात करने से क्या
मतलब? आपका काम तो कर दिया ना !
तो वो मुस्कुराये और कहा- मेरा मन नहीं भरा, आज फिर करना पड़ेगा !
मैंने कहा- आपकी मांग बढ़ती ही जा रही है, यह गलत है। आपको पता है कि अगर
किसी को पता चल गया तो मेरी इज्ज़त मिटटी में मिल जाएगी। औरतों की सिर्फ
इज्ज़त ही होती है, पूरुषों को कई कुछ नहीं कहता, सब औरत को ही गलत
कहेंगे !
उन्होंने कहा- तुम चिंता मत करो, किसी को पता नहीं चलने दूँगा ! तुम हाँ तो कहो !
मैंने कहा- नहीं का मतलब नहीं अब !
वो फिर मिन्नतें करने लगे, मैंने थक कर कहा- ओ के, हाँ !

तो उन्होंने कहा- कब और कहाँ?
मैंने एक गाने की लाइन गा दी- देख के मौका, मारा चोक्का, दिल की बात बताई रे !
और कहा कि इस मामले में पहले से योजना बना कर नहीं चलता है, मौका मिलते
ही अपना काम निकल लो !
वे खुश हो गए, मुझे एक अच्छी और महँगी साड़ी दिलाई और कहा- अपनी दीदी को
इसकी कीमत कम बताना !
मेरी फोटो खिंचवाई और एक हम दोनों की साथ खिंचवाई !
फिर हम घर आ गए !
रात को फिर कमाल हुआ जीजाजी की किस्मत तेज़ रही। फिर मुझे उसी हाल में
सोना पड़ा, फर्क इतना हुआ कि अपने बेटे के साथ जीजाजी की छोटी बेटी को भी
मुझे साथ सुलाना था !
आज मैं जब ऊपर सोने आई तो मैंने मैक्सी के नीचे पेटीकोट और चड्डी पहनी ही
नहीं, ब्रेजरी की कसें भी खोल रखी थी, मुझे पक्का पता था जीजाजी छोड़ेंगे
तो नहीं !
मैं उन बच्चों को लेकर सो गई। दीवार की तरफ बच्चों को सुलाया और दूसरी
तरफ मैं सो गई। जीजाजी भी अपनी चारपाई पर आकर लेट गए।
मुझे थोड़ी देर में नींद आ गई !
करीब बारह बजे मेरी नींद खुली, जीजाजी मेरे सर के पास खड़े थे और मेरे
स्तन सहला रहे थे जोकि कसें खुलने के कारण बाहर ही थे।
मैं एकदम चमक गई, मैं उनका मुँह पकड़ कर अपनी आँखों के पास लाई, अँधेरे
में पता चल गया कि हाँ जीजाजी ही हैं, तो आश्वस्त हो गई।
वो थोड़ी देर सहला कर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे उठाने लगे। मुझे वास्तव में
नींद आ रही थी, मैंने कहा- मुझे सोने दो और आप भी सो जाओ आज कुछ नहीं
करना !
तो उन्होंने धीरे से मेरा वाला गाना गया- देख के मौका, मारा चौक्का ! अभी
चोक्का मारने का मौका है ! फिर बार बार नहीं मिलेगा !
मैंने सोचा- चलो भाई, चुदना तो है ही, ऐसे तो ये छोड़ेंगे नहीं ! इनकी
किस्मत तो देखो कैसे बार-बार इनको एकांत मिल जाता है।
फिर से अँधेरे में उनके साथ रवाना हुई साथ वाले कमरे के गद्दे पर जाने के
लिए, उन्होंने करीब करीब मुझे उठा ही लिया था, मुश्किल से मेरी एक टांग
कभी कभी नीचे ज़मीं पर लग रही थी, बाकी तो वे मुझे अपने से लिपटाये हुए चल
रहे थे।
फिर मेरी मंजिल आ गई यानि की ज़मीं पर बिछा हुआ गद्दा ! यह कहानी आप
अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
उन्होंने कल वाला काम किया यानि कुण्डी लगाने और दरवाज़ा ढुकाने का, पंखा
पूरी गति पर कर दिया और मेरी बाहों में आ गए।
मैंने उनसे पूछा- यह कमरा और यह गद्दा सिर्फ चुदाई के काम ही आता है
क्या? यहाँ न तो कोई सोता है ना और ना इसका कोई और काम है? वे बोले- मेरी
जान, यह कमरा और यह गद्दा खास आपकी चुदाई के लिए ही तैयार करवाया है !

और मुझे चूमने लगे।
थोड़ी देर में मेरी मैक्सी कमर पर थी वे नीचे से हाथ डाल कर मेरे स्तन भी
दबा रहे थे, छोटे छोटे नारंगी के आकार के थे, उन्हें वो बुरी तरह से दबा
रहे थे, मुझे स्तन दबवाना अच्छा नहीं लगता है इसलिए मैंने उन्हें कहा- अब
बस करो ! दर्द हो रहा है !
क्यूँकि वे मेरे स्तन की भूरी घुंडियों को अपनी उंगलियों में मसल रहे थे।
उनके हाथ मेरे पूरे बदन पर घूम रहे थे, खास कर मेरी चूत पर ! वहाँ उनका
हाथ ज्यादा समय ले रहा था कभी उंगलियों से मेरी चूत के चने को मसल रहे थे
तो कभी एक अंगुली मेरी चूत में अन्दर-बाहर कर रहे थे। आनन्द से मेरी चूत
चिकनी हो रही थी, हालाँकि चूत की फांकें पिछलीचुदाई से सूजी हुई थी पर
उनके हाथ में जादू था। मेरी चूत की फ़ांकों में एक दिक्कत है कि कई दिनों
के बाद चुदाई होगी तो चूत कसी हो जाएगी जैसे कुंवारी हो और चूत की फांकें
सूज जाएगी जो कई दिनों तक सूजी रहेगी ! फिर 10-15 दिन तक चुदती रहेगी तो
सूजन उतर जाएगी। ऐसा कई बार मेरे पति से चुदाने पर होता ही था !
खैर थोड़ी देर में जीजाजी के होंठ मेरी चूत के द्वार पर थे ! वे पता ही
नहीं कब नीचे खिसक गए थे। मैंने भी अपनी टांगें उठा ली अपनी चूत आराम से
चटवाने के लिए !
वो अपनी जबान से पूरी चूत को चाट रहे थे और मेरी सूजी हुई चूत की फांकों
को आराम मिल रहा था जैसे उनकी थूक और लार का मरहम लग रहा था।
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06-22-2017, 10:44 AM,
#15
RE: Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
वे अपने
मुँह में मेरी चूत की फांकों और मेरे चने को चिभल रहे थे और 3-4 मिनट में
मेरा पानी छूटने लगा। मेरा सारा शरीर कांप रहा था, झटके खा रहा था।
उन्हें शायद पता चल गया था इसलिए उनके चाटने की गति बढ़ गई थी और अपनी जीभ
को कड़ी करके मेरी चूत के चने पर रगड़ रहे थे। दो चार झटकों के बाद मैं
शान्त पड़ गई, मैंने उनका कन्धा पकड़ कर रुकने का इशारा किया। पानी निकलते
ही औरत को अपनी चूत पर कुछ करना अच्छा नहीं लगता है !
मेरी आँखें बंद थी और आनन्द को महसूस कर रही थी जो स्खलन के रूप में निकला था।
मैंने उनको अपने पास खींचा और उनकी गर्दन पकड़ कर गालों पर चुम्मा देकर काट लिया !
वे उछल पड़े और बोले- साली, निशान लगाएगी? सुबह तेरी बहन को क्या जबाब दूँगा?
ऐसा बोल कर अपने गाल को हथेली से रगड़ कर निशान मिटाने लगे जो मेरे
दांतों से पड़ गया था।
अब मैं संतुष्ट थी, मैंने कहा- आपको आइसक्रीम खानी थी, खा ली ! अब मुझे
भी सोने दो और आप भी सो जाओ !
मुझे उनको छेड़ना था, मुझे पता है जिसका लण्ड खड़ा हो वो ऐसे नहीं छोड़ेगा
भले ही बलात्कार ही करना पड़े तो करेगा !
वे फिर से मुझे चूमते हुए बोले- मारोगी क्या मुझे? सारी रात हाथ में पकड़ा
बैठा रहूँगा मैं !
मैंने हंस कर कहा- चलो, जल्दी करो, इस चूहे को इसका बिल दिखाओ !
इतना सुनते ही उन्होंने अपने सुपारे को थूक से चिकना किया और मेरी चूत
में पेल दिया जो इंतजार ही कर रही थी उसका !
उनका लण्ड बहुत सख्त हो रहा था, मुझे ऐसा लगा जैसे पत्थर का हो, मुझे चुभ
रहा था पर उसकी रगड़ अच्छी भी लग रही थी। वे दनादन धक्के लगा रहे थे,
मेरी टांगें पूरी ऊपर थी, पंजे पीछे गद्दे को छू रहे थे जैसे मैं योग कर
रही हूँ !
वो पूरे जोर से धक्के मार रहे थे, पूरा लण्ड जड़ तक मेरी चूत में ठूंस रहे
थे, उनके आंड मेरी गांड से टकरा रहे थे, उनकी जांघें मेरे कूल्हों से
टकरा रही थी, पट-पट की आवाजें आ रही थी, उनका लण्ड मेरी चूत में दबादब
घुस रहा था, उनके मुँह से ऐसी आवाज़ आ रही थी जैसे कोई लकड़ी काटने वाला
कुल्हाड़ा चला कर लकड़ी काट रहा हो !
फिर वो हट गए, एक झटके में मुझे उठा दिया मैं कुछ सोच पाऊँ, तब तक तो
मुझे उल्टा कर दिया। मैं समझ गई कि पिछली रात घोड़ी बनकर इनको मज़ा दे दिया
है तो ये आज फिर बनायेंगे।
मैंने सोचा कि पुरुषों को ज्यादा मौके देना ही ठीक नहीं है, पर अब तो बनना ही पड़ा।
अब फिर मुझे पीछे से जबरदस्त धक्के लग रहे थे, मैं बार बार मुँह के बल
गिर रही थी पर मेरी कमर उनकी हथेली में पकड़ी हुई थी, मेरी चूत में दर्द
होने लग गया था, अब मैं उन्हें फिर से जल्दी निकालने की मिन्नतें कर रही
थी।
फिर उन्होंने मुझे सीधा लिटा दिया, दोनों टांगें सीधी रखी और फिर से मेरे
ऊपर छा गए, मेरी टांगों के ऊपर अपनी टांगें फंसा कर कूद कूद कर चोदने
लगे। उनके कूल्हे बिजली की गति से ऊपर-नीचे हो रहे थे, लण्ड पिस्टन की
तरह अन्दर-बाहर हो रहा था, मेरे मुँह से आह आह की आवाज़ें आ रही थी, उनकी
सांसें धौंकनी की तरह चल रही थी।
20-30 धक्के मारने के बाद उन्होंने मेरी टांगें फिर उठा कर अपने कंधे पर
रख ली और दे दनादन !
मैं बुरी तरह थक गई थी, मेरा स्खलन 3-4 बार हो चुका था, अब मुझे मज़ा नहीं
आ रहा था पर जानबूझकर आह उह मुमः की सेक्सी आवाज़ें निकल रही थी ताकि
जीजाजी को मज़ा आये और उनका निकल जाये।
मैं नीचे से ऊँची हो होकर चुदा रही थी, अचानक जीजाजी ने झटका खाया और
मैंने उनको धक्का दे दिया।

वो अचकचा गए कि क्या हुआ।
मैंने कहा- कोई इतनी देर ऐसे करता है क्या? मैं मर जाती तो?
मैं फटाफट वहाँ से उठी और लड़खड़ाते कदमो से बाथरूम में गई, काफी देर तक
ठन्डे पानी से अपनी चूत धोई और चुपचाप पलंग पर सो गई। जीजाजी की तरफ देखा
ही नहीं !
मैं जीजाजी के ही घर दो रात लगातार उन से चुद कर अगले दिन मैं वापिस अपने
पीहर चली गई। जीजाजी खुद मुझे अपनी बाइक पर बिठा कर पर बस में बिठाने आये
और मना करने के बाद थम्सअप की बोतल और काफी सारे फल लाकर दिए।
3-4 दिन के बाद मैं वापिस जयपुर चली गई अपनी ड्यूटी पर।
जीजाजी से मेरी रोज़ ही मोबाईल पर बात होती थी, उन्हें पता था कि जहाँ
मैं रहती थी, उस कमरे में बीएसएनएल के सिग्नल कम आते थे इसलिए उन्होंने
कहा कि वे मुझे दूसरा फोन लाकर देंगे जिसमें दो सिम लग जाएँगी और एक ऍम
टी एस की सिम ला देंगे जिससे आपस में मुफ़्त बात हो सकेगी।
मैंने उनसे सहमति जता दी।
फोन पर बात करते तो ज्यादातर उनका विषय सेक्स ही होता था।
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06-22-2017, 10:44 AM,
#16
RE: Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
धीरे धीरे मैं
भी उनकी बातों में रूचि लेने लग गई थी। वो अपनी सेक्स की बातें बताते कि
उन्होंने कितनी लडकियों के साथ सेक्स किया है और तो और उन्होंने बताया की
होली के दिनों में अपने दोस्तों के साथ उन्होंने कई बार गधियों को भी
चोदा था ! और कई बार लड़कों की भी गाण्ड मारी थी, मुझे नहीं पता था कि कोई
गाण्ड भी मार या मरा सकता है !
मेरे सेक्स-ज्ञान में वृद्धि हो रही थी पर मैं यह बात मान नहीं रही थी तो
उन्होंने कहा- क्या बात करती हो? औरतें तो कुत्ते से और घोड़े से भी चुदवा
लेती हैं या एक साथ दो-दो तीन-तीन आदमियों से चुदवा लेती हैं।
यह मैंने कहीं नहीं सुना था इसलिए मैं उनकी बातें किसी बेवकूफ की तरह सुन
रही थी जैसे पाँचवीं में पढ़ने वाले बच्चे को कोई बी.ए. के सवाल पूछ रहे
हो !
मैं बार यही कहती कि ऐसा थोड़े ही होता है !
तो जीजाजी ने कहा- अबकी बार मैं अपने मोबाइल में ऐसी फिल्में लेकर आऊँगा
तब तुम देख लेना।

मैंने कहा- ठीक है !
वैसे मैंने कई बार ब्लू फिल्म अपने पति के साथ देखी थी पर जानवरों वाली
बात मुझे हज़म नहीं हो रही थी।
वो मुझे फोन करते और और हमारी बातें काफी लम्बी चलती जिनमें वो बार बार
मेरी चूत चाटने का जिक्र करते, मेरे खयालों में उनका चूत चाटना आ जाता और
मेरी सांसें गर्म हो जाती, मुँह से सिर्फ हूँ हु की आवाज़ निकलती और वे
मुझे बातो से ही गर्म कर देते।
फिर फोन पर ही यहाँ वहाँ अपना बदन छूने का कहते पर मुझे अपने हाथ से ऐसा
करना अच्छा नहीं लगता ! पर मुझे अपने आप मज़ा लेने आता है, मैं तकिये को
खड़ा करके या सोफे की किनारे पर अपनी चूत रगड़ती, थोड़ी देर और मेरा स्खलन
हो जाता। यह तरीका मुझे बहुत पहले से आता था, पतिदेव तो साल-छः महीने में
आते थे तो कभी कभी चुदने का ख्याल आ ही जाता था तो ऐसे ही अपने को
संतुष्ट कर लेती थी पर 2-4 महीनों में एक बार !
चुदने की मन में बहुत ज्यादा तब आती थी जब ऍम सी आने का समय आता पर मैं
अपने को काबू में कर लेती थी। पर अब जीजाजी से रिश्ते बन गए तो ये तो
रोज़ ही फोन पर सेक्सी बातें करते तो 8-10 दिनों में मुझे तकिये की सवारी
करनी ही पड़ती। उन्हें भी यह बात पता चल गई इसलिए वो बात करते करते कहते-
अब तकिये को खड़ा कर ले और थोड़ा चूत के दाने को तकिये पर रगड़ ले !
ऐसे ही बातें करते 15 दिन बीत गए।
तब जीजाजी ने कहा- दीपावली में वहाँ से कब रवाना होना है, मुझे बता देना
ताकि मैं तुमसे एक बार वहीं आकर मिल लूँ और जो मैंने तुम्हारे लिए मोबाइल
और सिम ली है वो तुम्हें दे सकूँ !
मैंने बताया कि मैं उस दिन ऑफिस से गाँव जाने के लिए निकलूँगी तो जीजाजी
ने कहा- अपने पापा और मम्मी को पहले मत बताना कि इस दिन आऊँगी।
मुझे यह बात समझ नहीं आई पर मैंने कहा- ठीक है, नहीं कहूँगी !
और उन्होंने कहा- तो बस स्टैण्ड पर बारह बजे आ जाना !
मैंने कहा- ठीक है, मैं आ जाऊँगी !
साथ ही उन्होंने कहा- तुम मेहंदी लगा कर आना, मुझे तुम्हारे मेहंदी लगे
हुए हाथ बहुत अच्छे लगते हैं।
मैंने कहा- ठीक ! पर हम वहाँ थोड़ी देर ही मिल सकते हैं, फिर हम साथ ही बस
में बैठकर आ जायेंगे। आप अपना गाँव आये, तब उतर जाना और मैं अपने गाँव आ
जाऊँगी।
मेरा गाँव उनके गाँव से थोड़ा आगे है।

उन्होंने कहा- ठीक है।
मैं 12 बजे बस स्टैण्ड पहुँची तो वो वहाँ थे ही नहीं। मैंने उनको फोन
किया तो वो बोले- मैं स्टैण्ड के बाहर पहुँच गया हूँ, तुम भी इधर आ जाओ।
मेरे हाथ में जो बैग था, उसमें काफी सामान था इसलिए मैं उसे मुश्किल से
उठा कर चल रही थी पर बाहर जाते ही वे सामने मिल गए और मुझे देखते ही वो
देखते ही रह गए।
मैंने हरी साड़ी पहन रखी थी, काजल, बिंदी, मेहंदी, नेलपालिश यानि सब नखरे
कर रखे थे मैंने और मैं बहुत ही सुन्दर लग रही थी।
मुझे देख कर उनका मुँह खुला का खुला रह गया और मैं अपनी सुन्दरता पर कुछ
शरमाई और कुछ गर्व महसूस किया।
वे बोले- कहीं मैं बेहोश ना हो जाऊँ ! तुम मुझे इतनी सुन्दर लग रही हो !
मैंने कहा- यह मेरा बैग उठाओ, इसका बोझ लगेगा तो होश आ जायेगा।
और मैं हंस पड़ी ! मेरी खिलाहट सुन वे भी मुस्करा दिए !
फिर हम वहाँ से रवाना हुए तो मैंने पूछा- अब हम कहाँ चल रहे हैं?
तो उन्होंने कहा- मैंने एक होटल में कमरा लिया है, वहाँ चल रहे हैं।
मैंने कहा- आपका दिमाग ख़राब है? होटल में कैसे चल सकते हैं? किसी ने देख लिया तो?
वे बोले- तुम चिंता मत करो, यहाँ हमें कोई नहीं जानता, और होटल में भी
मैंने तुम्हें पत्नी लिखवाया है।
मैंने कहा- नहीं, मैं होटल नहीं जाऊँगी !
तो वो मिन्नतें करके बोले- एक बार चलो तो सही, चाहे वहाँ रुकना मत।
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06-22-2017, 10:45 AM,
#17
RE: Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
मैं बेमन से उनके साथ रवाना हुई !
हम एक सिटी बस में बैठे, हम आमने-सामने बैठे थे, जीजाजी ने चश्मा पहन रखा
था, मेरे सामने देखते ही उन्होंने आँख मार दी, मुझे अचानक एक पल के लिए
तो गुस्सा आ गया पर फिर याद आया कि आँख मारने वाला तो मेरा आशिक है, फिर
मैं मुस्कुरा दी।
होटल के सामने एक रेस्तराँ था, वहाँ हमने लस्सी पी, मुझे वैसे भी भूक लगी
हुई थी। रेस्तराँ वाले ने एक दस रूपये का सिक्का दिया जो जीजाजी ने मुझे
दे दिया।
मैंने पहली बार दस रूपये का सिक्का देखा था, मुझे बड़ा सुन्दर लगा था
जैसे सोने का हो !
सड़क पार करते ही होटल था, उसमें भी नीचे खाने का और फास्ट फ़ूड का स्थान
था और ऊपर रहने का होटल था। उसमें खास बात यह थी कि फास्ट फ़ूड वाले
रेस्तराँ से ही होटल में जाने की लिफ्ट थी।
जीजाजी का कमरा तीसरी मंजिल पर था, होटल पाँच मंजिल का था जिसमें
रिसेप्शन दूसरी मंजिल पर था। मुझे यह बड़ा अच्छा लगा कि मुझे रिसेप्शन के
सामने से नहीं जाना पड़ेगा।
हम दोनों लिफ्ट में चढ़े, जीजाजी ने 3 नंबर का बटन दबा दिया। लिफ्ट में हम
दो ही थे, लिफ्ट चलते ही जीजाजी मुझे पकड़ कर चूमने लगे।
मैंने कहा- मैं भागी नहीं जा रही हूँ, यहाँ छोड़ दो, कोई देख लेगा !
जीजाजी ने मुझे छोड़ दिया। लिफ्ट रुकी और जीजाजी ने कमरे का दरवाज़ा खोला
और हम कमरे में पहुँच गए।
कमरा ऐ.सी. था, ऐ.सी. टी.वी. सब चल रहे थे. बहुत ही शानदार कमरा था, बड़ा
सा पलंग, मेज-कुर्सी, अलमारी, अटेच्ड लेट-बाथ !
मैं सीधे फ्रेश होने बाथरूम में घुस गई। मैं बाथरूम से वापिस आई तो...

जीजाजी पलंग के पास खड़े थे !
मेरे बाहर आते ही उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और अपने सीने से
चिपका लिया। मैं भी किसी बेल की तरह उनसे लिपट गई। हम खड़े-खड़े जैसे एक
दूसरे में समाना चाह रहे थे। हम करीब दो मिनट ऐसे ही एक दूसरे से चिपके
खड़े रहे, जीजाजी ने मुझे इतनी जोर से अपनी बाहों में भींच रखा था कि मेरी
हड्डियाँ कड़कड़ाने लगी थी। आज हम पहली बार रोशनी में एक दूसरे की बाहों
में समाये थे इसलिए मुझे उनसे शर्म आ रही थी, मैं अपना मुँह उनके सीने
में छिपा रही थी और वे बार-बार मेरा मुँह ऊपर कर चूमने की कोशिश कर रहे
थे।
हम दोनों को एक दूसरे से चिपक कर खड़े होने में असीम सुख मिल रहा था जैसे
कई जन्मों के बिछड़े प्रेमी प्रेमिका मिले हों।
फिर हम अलग हुए, हमारे चेहरे से मिलने की ख़ुशी फ़ूट रही थी। अलग होकर हम
दोनों ने लम्बी और गहरी सांसें ली यानि इतनी देर जैसे हमारी सांसें ही
रुक गई थी हम दोनों मुस्कुरा रहे थे, कुछ शर्म आ रही थी तो नज़रें भी चुरा
रहे थे और एक दूसरे को छिपी नजरों से देख रहे थे।
मेरे जीजाजी की नजरो में मेरे लिए प्रंशसा और चाहत का भाव था और मैं भी
उन्हें खुश होकर देख रही थी। मेरा विचार था कि मैं थोड़ी देर रुक कर गाँव
चली जाऊँगी !
फिर उन्होंने अपना बैग खोल कर अपनी लुंगी बाहर निकाली और अपने कपड़े
उतारने लगे। उन्हें कपड़े उतारते हुए कुछ शर्म आ रही थी इसलिए मैंने टीवी
चालू कर लिया और फिल्म देखने लगी, मेरी मनपसंद फिल्म 'जब वी मेट' आ रही
थी।
जीजाजी ने अपने कपड़े हेंगर पर टांगें और बाथरूम में चले गए। थोड़ी देर में
वापिस आये और मेरे पास आकर पलंग पर बैठ गए, मुझे फिर से बाहों में लेकर
चूमने लगे।
मैंने शरारत से कहा- इतनी अच्छी फिल्म आ रही है, देखने दो ना !
वो मुझे अपनी तरफ झुकाते अभी इससे भी अच्छी फिल्म हम बनाते हैं !
मैंने कहा- रुको, मेरी साड़ी में सलवटें पड़ जाएँगी !
उन्होंने कहा- यह बात तो सही है, फटाफट उतार देते हैं और कुछ पलो में
मेरी साड़ी जीजाजी के हाथ में थी।
जीजाजी मेरी साड़ी वार्डरोब में रख दी और मेरे बैग से मेरी सेक्सी मैक्सी
निकाल कर मुझे देते हुए कहा- चलो, फटाफट यह पहन कर आओ !
मैंने कहा- इसे पहननी क्या जरूरी है? ऐसे ही आ जाओ ना ! कुछ भी पहनो उसे
तो उतरना ही है। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
पर उन्होंने कहा- नहीं, इसमें तुम बहुत सेक्सी लगती हो, इसे ही पहन कर आओ
! और नीचे पेटीकोट और चड्डी मत पहनना ! वैसे भी उनकी कोई जरुरत नहीं है।
ऐसा कहते हुए उन्होंने जबरदस्ती मुझे पलंग से नीचे खड़ा कर दिया। मैं
मैक्सी लेकर बाथरूम में गई क्योंकि उनके सामने मुझे शर्म आ रही थी और
अपने कपड़े बदले, पेटीकोट तो नहीं पहना पर चड्डी तो पहनी।
मैं बाहर आई तब तक वे पलंग पर लेट गए थे और बेसब्री से मेरा इंतजार कर
रहे थे। मैं उनके पास गई तो उन्होंने अपनी बाहें उठा कर मेरा स्वागत
किया। मैं भी उनकी बाहों में समां गई!
अब वे मुझे बुरी तरह से चूम रहे थे, उनके हाथ मेरे सारे शरीर पर घूम रहे
थे। मेरी मैक्सी कुछ ही पलों में मेरी कमर पर पहुँच गई थी, मैं शरमा कर
उसको बार-बार नीचे करने की असफल कोशिश कर रही थी !
वे मेरी पीठ की तरफ हाथ डाल कर मेरी ब्रेजरी के हुक खोलने की कोशिश कर रहे थे।

मैंने कहा- क्या हुआ? आपसे एक हुक भी नहीं खुला?
उन्होंने कहा- अभी खुल जायेगा, खुलेगा नहीं तो टूट जायेगा।
मैंने कहा- तोड़ना मत प्लीज ! नहीं तो आपको दूसरी दिलानी पड़ जाएगी।
मैं थोड़ी देर बिना हिले रही और उन्होंने उसे खोल दिया और मुझे सीधा करके
मेरे स्तन दबाने लगे। उन्होंने मेरी मैक्सी काफी ऊपर कर मेरे स्तनों को
नंगा कर दिया जो छोटे छोटे नारंगी के आकार के थे। वे उन्हें सहला रहे थे,
उनकी भूरी घुन्डियों को अंगूठे और अंगुली से मसल रहे थे। मुझे भी आनन्द आ
रहा था, मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी। मैंने उन्हें कहा- आपने कई
बार मेरे स्तनों की मांग की थी, अब ये आपके सामने हैं, जो करना है कर लो
इनका !
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06-22-2017, 10:45 AM,
#18
RE: Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
वे मसलते हुए बोले- हाँ, बहुत तड़फाया है इन्होंने ! इतना तो तेरी चूत ने
भी नहीं तड़फाया।
तो मैंने हंस कर कहा- तो क्या करोगे इनका? कही उखाड़ मत ले जाना इनको !
वे बोले- इतनी प्यारी चीज को प्यार करूँगा !
और सीधे मेरे स्तनों पर मुँह लगा दिया और उन्हें चूसने लगे।
मैं सिहर गई, मेरे सारे शरीर में आनन्द की तरंगें उठने लगी !
वो बारी बारी से दोनों को चूस रहे थे, एक चूसते, तब तक दूसरे को हाथों से
दबाते और फिर उन्होंने अपना मुँह पूरा खोल कर मेरे पूरे स्तन को मुँह में
भर लिया और उसे साँस के साथ और अन्दर खींचने लगे। मेरा स्तन उनकी साँस के
साथ उनके मुँह में खींचा जा रहा था और मुझे आनन्द आ रहा था।
आज हम दोनों बिना किसी डर से सेक्स कर रहे थे इसलिए बहुत ज्यादा आनन्द आ रहा था।
मैंने कहा- अब इन्हें छोड़ो, कोई और आपकी जीभ का इंतजार कर रहा है।
उन्होंने स्तन छोड़े, फटाफट मेरी चड्डी उतारी, मेरे पाव खड़े कर उन्हें
थोड़ा चौड़ा किया और सीधे मेरी चूत में अपना मुँह घुसा दिया !
मैं पहले से ही स्तन चुसवा कर गर्म हो गई थी, अब मेरी किलकारियाँ निकल
रही थी। कमरे में ए.सी. टी.वी. पंखे सब चल रहे थे, दरवाज़ा बंद था और
साऊँड प्रूफ भी था इसलिए में खुल कर आ...ह आ..ह कर रही थी, उनकी सधी हुई
जीभ मेरी संवेदना को जगा रही थी। उनके चूत चूसने का ढंग निराला है, वे
काफी पूर्वक्रीड़ा करते हैं, अपने पर उनका गज़ब का काबू है।
थोड़ी देर में मैं स्खलित हो गई, मैंने उनको रोक दिया पर उनका मन अभी चूत
चाटने से भरा नहीं था इसलिए थोड़ा रुक कर फिर से अपनी जीभ मेरी चूत में
घुसा दी। मेरी सिसकारियाँ फिर शुरू हो गई। आज मुझे पता चला कि बिना डर के
सेक्स में कितना मज़ा आता है।
वो फिर मेरी चूत को बुरी तरह से चूस रहे थे जैसे स्तन को मुँह में भरा
वैसे मेरी सारी चूत को काफी हद तक मुँह में भर रहे थे ! मुझे फिर आनन्द
की तरंगें मेरे बदन में महसूस हो रही थी, मैंने उन्हें कहा- जाओ अपन मुँह
बाथरूम में धोकर आओ और कुल्ला भी कर आओ, बस बहुत हो गया यह चाटना और
चूसना ! अब आगे की कार्यवाही करो !
मैंने जितनी देर चूत चटवाई, मैक्सी को शर्म से अपने मुँह पर रखी थी मुझे
शर्म आ रही थी और जीजाजी आज तीन ट्यूबलाईट की रोशनी में आराम से मेरी चूत
को देख रहे थे। हालाँकि मैंने उन्हें कई बार लाईट बंद करने कहा जिसे
उन्होंने अनसुना कर दिया।
वे बाथरूम में मुँह धोने गए मैंने दीवार पर टंगी घड़ी में समय देखा तो एक
बजकर पचास मिनट हुए थे।
कुछ ही पलों में जीजाजी आ गए, अपनी लुंगी और चड्डी खोली और मेरी टांगें
अपने कंधे पर ली अपने लण्ड के सुपारे को थोड़ा थूक से चिकना किया, मेरी
चिकनी चूत में सरका दिया।
मैं मैक्सी मुँह पर ढके ढके ही कराह उठी- आ...ह्ह्ह्हह
थो...डा...धी...रे.. डालो दुखता है !
उन्होंने सहमति जताते हुए मेरी गाण्ड थपथपा दी और फिर उन्होंने मेरे
चेहरे की तरफ देखा और बोले- यह चेहरा क्यूँ ढक रही हो? आज तो मैं चुदते
हुए तेरे चेहरे के भाव देखूँगा। ऐसा कह कर मेरे चेहरे से जबरदस्ती मैक्सी
को हटा दिया। मुझे उनके सामने देखने में शर्म आ रही थी इसलिए मैंने पलंग
पर पड़े होटल वाले तौलिये को अपने मुँह पर ओढ़ लिया पर आज जीजाजी किसी
समझौते के मूड में नहीं थे, उन्होंने मुझ से चोदते चोदते ही तौलिया छीना
और दूर सोफे पर फेंक दिया। अब मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और जीजाजी मेरे
गालों, आँखों की बंद पलकों और होटों को चूमने लगे।

कमर उनकी लगातार चल रही थी !
अब मेरी चूत ने भी उनका लण्ड अपने अन्दर खपा लिया था इसलिए मुझे दर्द
नहीं हो रहा था और दनादन अन्दर-बाहर हो रहा था !
थोड़ी देर में उन्होंने आसन बदल लिया, मेरी टांगें सीधी कर दी और मेरे
पैरों पर अपने पैर जमाकर कूद-कूद कर मुझे चोदने लगे। थोड़ी देर के बाद
मुझे घोड़ी बना दिया और पीछे से मेरी रगड़पट्टी करने लगे। फिर पलंग के
किनारे पर घोड़ी बनाया और पंलग से नीचे खड़े हो कर पीछे से चोदने लगे।
फिर वापिस मुझे पलंग पर लिटा दिया। मुझे पता था आज इनको कोई डर नहीं है
इसलिए मेरी चुदाई लम्बी चलेगी।
मैं भी शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार थी इसलिए मैं उनको कुछ नहीं कह
रही थी, बस चुदा रही थी, जैसे वे मुझे इधर-उधर कर रहे थे, मैं हो रही थी।
और वो लगातार बस चोद रहे थे, और चोद रहे थे।
ए.सी. चल रहा था, तो भी उन्हें पसीने आ रहे थे जिसे वे बार बार पास पड़ी
लुंगी से पौंछ रहे थे, खासकर उनके ललाट और गर्दन के पास ज्यादा पसीना आ
रहा था।
ना जाने कितने आसन बदले, उन्होंने मुझे जैसे रुई की गुड़ीया समझ लिया हो
पर मैं भी उन्हें मज़ा दिलाना चाहती थी इसलिए मैंने उन्हें रोका नहीं !
मेरा पानी ना जाने कितनी बार निकला था, मुझे याद नहीं ! कम से कम 7-8 बार
तो निकला ही होगा !
थोड़ी देर बाद मुझे फ़िर मज़ा आने लगता और मेरी चूत गीली हो जाती ! ऐसा कई
बार हुआ और फिर उनका स्खलन हुआ !
उनके मुँह से भैंसे के डकारने जैसी आवाज़ें निकली और स्खलन होते होते
उन्होंने धीरे धीरे 15-20 झटके और लगाये, फिर हटे, अपना कंडोम हटाया।
मैंने घड़ी की तरफ देखा 2 बज कर 40 मिनट !
इसका मतलब इन्होने पूरे 50 मिनट मेरी चुदाई की ! आसन बदलने में कोई 5
मिनट बिताये होंगे तो भी 45 मिनट मेरी चुदाई हुई थी, जो कभी धीरे, कभी
मंथर गति से और कभी खूब तेज़ चली थी।

मैं अर्ध बेहोशी में पहुँच गई थी।
वे बाथरूम से वापिस आये और मुझे खड़ा करके कहा- बाथरूम जा कर आओ।
मैं बाथरूम में चूत धोकर आई और पलंग पर लेट गई और कहा- मेरा गाँव जाने का
पूरा कार्यक्रम खराब कर दिया ! आपने इतनी देर चुदाई की कि मेरी गाड़ी भी
चली गई और मुझे चलने लायक नहीं छोड़ा।
वे हंसने लगे, कहा- आज मेरे मन माफिक चुदाई हुई है, हम गाँव कल चलेंगे,
आज की रात अभी बाकी है जान। तुम आराम करो, मेरे मोबाईल में सेक्सी
फिल्में देखो, मैं अपने एक दोस्त से मिलकर आ रहा हूँ !
मैंने कहा- ठीक है !
वे बाहर गए, मैंने दरवाज़ा बन्द किया, कुण्डी लगाई और पलंग पर लेट गई और
थोड़ी देर बाद सामान्य होने के बाद मोबाईल में सेक्सी फिल्में देखने लगी
और जीजाजी के स्टेमिना के बारे में सोचने लगी कि इतनी मैराथन चुदाई कर वे
बाहर चले गए और मैं उठ भी नहीं पा रही हूँ !
वे बिल्कुल तरोताज़ा बाहर गए हैं। जीजाजी के जाने के बाद मैं मोबाईल पर
सेक्सी वीडियो देखने लगी। इन वीडियो को देख कर मैं हैरान रह गई !
उनमें एक लड़की के साथ कई लडकों की, बलात्कार की फिल्में, गुदा मैथुन,
लड़कियों द्वारा आपस में सेक्स और मैं यहाँ जिस चीज का जिक्र नहीं कर सकती
उनका सेक्स ! मैं तो अचंभित रह गई कि मैं कुएँ का मेंढक रह गई !
इस दुनिया में ऐसा ही होता है क्या?
जीजाजी का मोबाईल इन फिल्मों से भरा था, मुझे उनको देखने में ज्यादा मज़ा
आया जिसमें किसी लड़की को नींद की गोली खिला कर कोई सेक्स करता था !
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06-22-2017, 10:45 AM,
#19
RE: Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
जीजाजी कोई 6 बजे तक आये तब तक मैं वे फिल्में ही देखती रही और पिछली 45
मिनट की चुदाई का दर्द भूल कर मैं फिर से गर्म हो गई। अब मुझे उस होटल
में ठहरने का कोई डर नहीं लग रहा था क्यूंकि किसी के सामने से तो मैं
कमरे में आई नहीं थी और अब मुझे यहाँ मस्ती से चुदाई कराने का आनन्द भी
मिलना था इसलिए जब जीजाजी ने दरवाज़े की बेल बजाई तो मुझे बड़ी ख़ुशी हुई
पर सावधानी वश मैंने पूछा- कौन है?
जीजाजी की आवाज़ आई- मैं ही हूँ !
तो मैंने फटाफट दरवाज़ा खोल दिया और जीजाजी ने अन्दर आकर दरवाज़े को कुण्डी
लगा कर बन्द कर दिया।
जीजाजी ने मुझे वीडियो देखते देखा तो मुस्कुरा दिए और पूछा- कैसे लगी?
मैं काफी गर्म हो चुकी थी, मेरा चेहरा लाल-भभूका हो रहा था और मैं उन्हें
देख कर मुस्कुरा रही थी, मैंने कहा- देखो, ये वीडियो मुझे तो बनावटी लग
रहे हैं, इतनी छोटी लड़की इतने बड़े आदमी से कैसे चुदवा सकती है?
उन्होंने हंस कर कहा- जैसे तुम मुझसे चुदवाती हो ! पता है तुम मुझसे
16-17 साल छोटी हो। वैसे भी यह लड़की 18 की है और 34 साल वाले से चुदवा
रही है।
मैंने कहा- आप देखो तो सही, इसे कितना दर्द हो रहा होगा !
और मैं उनको अपने पलंग पर वीडियो दिखने के बहाने बुला रही थी ताकि वे भी
उसको देख कर मुझे मसल दें। मुझे पता था कि उनके तो ये सारे वीडियो देखे
हुए होंगे ही पर मेरी चूत पनिया गई थी और वो लण्ड मांग रही थी !
मैंने कभी अंगुली आदि नहीं की थी, वो मुझे पसंद भी नहीं था, मैं चाहती थी
कि जीजाजी मुझे चोद कर ठंडा कर दें !
आज होटल के कमरे में मेरी वासना पूरे उफान पर थी ! जीजाजी शायद मेरी
प्यास समझ गए थे उन्होंने फटाफट कपड़े खोल कर लुंगी लगाई और पलंग पर आकर
मुझे बांहों में भींच लिया।
मैंने वीडियो बंद नहीं किया था, उसमें से सेक्सी आवाज़ें आ...ह्ह्ह्हह्ह
उ...ह्ह्ह्हह्हह्ह्ह या.....फक....मी.... आदि आ रही थी और उसमें वो आदमी
उस लड़की को बुरी तरह चोद रहा था।
मैंने जीजाजी की तरफ मोबाईल किया तो वो बोले- इसे तुम्हीं देखो, मैं तो
असली देखूँगा !
और वो मेरी चूत के पास सरक गए, मैं मोबाईल में वीडियो देखती रही और उनके
हाथ मेरी टांगों के पास लगते ही टांगे खुदबखुद चौड़ी हो गई ! जीजाजी के
होंट सीधे मेरी चूत की फांकों पर पहुँच गए, आनन्द के अतिरेक से कुछ क्षण
के लिए मेरी आँखे बंद हो गई और मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई ! मुझे पता
था कि मैं इतनी गर्म हो गई हूँ कि उनके चाटने से जल्द ही मेरा पानी छुट
जायेगा !
उनकी अनुभवी जीभ और होंट मेरी चूत में चल रहे थे, उन्होंने कई बार साँस
के साथ मेरी पूरी चूत को अपने मुँह में भर लिया था तथा बार बार अपनी जीभ
मेरे चूत के दाने पर रगड़ रहे थे और तभी अचानक मेरी पनियाई चूत से पानी का
बांध टूट गया और मैं झटके खा कर शांत हो गई। पिछले दो घंटों से जो सेक्सी
वीडियो देखने से मेरे दिमाग में तनाव था वो शांत हो गया, मैं अभी झटके
खाती रुकी ही थी की कपड़ों की सरसराहट सुनकर देखा कि जीजाजी लुंगी हटा रहे
हैं और अपनी चड्डी नीचे कर रहे हैं।
मैंने कहा- अब आप क्या कर रहे हो? अभी मत करो, सारी रात पड़ी है। पहले
नीचे खाना खाने चलेंगे !

जीजाजी ने कहा- मैं सिर्फ सूखी चुनाई करूँगा !
मैंने कहा- यह क्या होती है?
तो उन्होंने बताया कि तुम्हें चाटते चाटते मेरे खड़े लण्ड में दर्द होने
लगा है इसलिए इसे भी तुम्हारी चूत में डालूँगा और अपना पानी नहीं
निकालूँगा, बिना पानी निकाले ही 8-10 मिनट तुम्हारी चुदाई करूँगा ! यह
कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
मेरे लिए यह नया अनुभव था कि कोई आदमी चोद कर बिना पानी निकाले कैसे रह
पायेगा ! मैंने कहा ऐसा करो- कंडोम लगा लो ! क्या पता पानी छुट गया तो
मुझे परेशानी हो जाएगी कि इसका पति यहाँ नहीं है और बच्चा कहाँ से आ गया
!
वो हंस कर बोले- चिंता मत करो, पानी निकलने का कंट्रोल मेरे दिमाग में
है। मुझे पता है कि 5 मिनट में पानी निकालना है या आधे घंटे में या
निकालना ही नहीं, ऐसे ही सूखी चुनाई करनी है।
मैं निरुत्तर हो गई ! मुझे अपने जीजाजी के स्टेमिना के बारे तो पता था
ही, मैंने अपनी टांगें ऊँची कर दी और फिर से वो चुदाई का वीडियो देखने
लगी। जीजाजी ने मेरी टांगें अपने कंधे पर रखी और अपने लण्ड पर थूक लगा कर
मेरी चिकनी और सूजी हुई चूत में पेल दिया।
जब लण्ड सूजी फाड़ों से लगा तो थोड़ा दर्द हुआ और लण्ड जब उस बाधा को पार
कर लिया फिर जड़ तक पहुंच हो गया मैं आनन्द और दर्द से कराह उठी !
और आपको तो पता ही है औरत की चुदते हुए कराहने की आवाज़ से आदमी को चोदने
का हौसला बढ़ जाता है, वो ज्यादा जोश में धक्के लगता है।
जीजाजी ज्यादा जोर से धक्के लगते जा रहे थे और मुझे पुचकारते भी जा रहे
थे, कह रहे थे- दुखता है? धीरे डालूँ?
मेरे गाल पर लाड से हाथ भी फेर रहे थे, मुझे तो मज़ा आ रहा था, मैंने कहा-
नहीं, जोर जोर से ही चोदो ! मेरे फिर से पानी निकलने को है।
वे बोले- मुझे पता है, चाटने से ज्यादा पानी चोदने से निकलता है इसी लिए
तेरी चुदाई कर रहा हूँ, चाटने से तो ओवर फ्लो का पानी ही निकलता है और
चोदने से ही असली पानी निकलता है।
मैं हैरान थी उन्हें इतना गूढ़ ज्ञान कहाँ से मिला !
5-7 मिनट में ही मेरी किलकारियाँ निकलने लगी थी, मैंने मोबाईल पास में
डाल दिया था, उसे कोई देख भी नहीं रहा था पर फिर भी बेचारा आ...ह्ह्ह्ह
ओ...ह की आवाज़ें दे रहा था। मेरी आँखें बंद थी, मेरा दिमाग बस मज़े की
तरफ था, जीजाजी मेरी गाण्ड को कस कर पकड़ कर दबादब धक्के मार रहे थे, मैं
भी नीचे से उछल-उछल कर उनका लण्ड अपनी चूत में पूरा ले रही थी, मेरी चूत
ने पानी छोड़ दिया और मैं शांत हो गई।
Reply
06-22-2017, 10:45 AM,
#20
RE: Sex Hindi Kahani अधूरी जवानी बेदर्द कहानी
मुझ शांत देख कर जीजाजी ने अपना लण्ड बाहर निकाल कर लुंगी लपेट ली
हालाँकि लुंगी तम्बू की तरह हो रही थी।
वे बोले- अभी बाथरूम जाऊँगा तो धीरे धीरे यह बैठ जायेगा।
और वे बाथरूम में चले गए। मैंने मोबाईल देखा, उसमें वो आदमी अपने वीर्य
से उस लड़की को नहला रहा था, मुझे बड़ी घिन आई और मैंने मोबाईल बंद कर
दिया !
मुझे वीर्य देखना कभी अच्छा नहीं लगता था और आज जीजाजी ने अपना वीर्य
निकाले बिना मुझे चोदा तो मैं बहुत खुश हुई !
थोड़ी देर में वे बाहर आये, अब वे शांत लग रहे थे, उन्होंने कहा- अब फ्रेश
होकर कपड़े पहन लो, खाना खाने चलते हैं।
कमरे में तो यह पता ही नहीं चल रहा था की दिन है या रात पर घड़ी 7 बजा
रही थी और मैं फटाफट नहाने चल दी। नहाने के बाद मैंने पूरी राजस्थानी
ड्रेस पहनी घाघरा, लुगड़ी आदि और जीजाजी के साथ लिफ्ट से नीचे खाना खाने
चल दी।
जीजाजी ने खाना खाते हुए मुझे कहा- जितनी भूख हो उससे खाना कम खाना,
सेक्स में आनन्द आएगा।
यह ज्ञान भी मेरे लिए नया था कि पेट थोड़ा कम भरना चाहिए जब चुदना या चोदना हो !
मैंने कहा- मुझे चुदाई के बाद भूख लगी तो?
जीजाजी ने हंस कर कहा- तुम चिंता मत करो, मेरे बैग में मिठाई, नमकीन,
काजू की कतली आदि है। जब हम सोयेंगे और भूख होगी तो खा लेंगे !
मैंने कहा- ठीक है।
और फिर हम खाना खा रहे थे तो वहाँ बैठे लोग हमें ज्यादा देख रहे थे, मेरी
पोशाक की वजह से मैं पूरी गाँव वाली लग रही थी पर मुझे कोई फर्क नहीं पड़
रहा था, वे कौन सा मुझे जानते थे और जीजाजी की नज़र तो मेरे ऊपर से हट ही
नहीं रही थी, मुझे पता था कि उनका पानी नहीं निकला था और वो अन्दर उबल
रहा होगा !
मैं मन ही मन उनकी हालत पर मुस्कुरा रही थी।
वे मुझे खाना परोस रहे थे, मैंने उन्हें कहा- लड़की होने के फायदे हैं !
देखो हमारी चूत के पीछे आप कितनी चमचागिरी कर रहे हो और पैसे खर्च कर रहे
हो ! मैं जो कहती हूँ वो करते हो, लड़कों को इतना करना पड़ता है। अच्छा
हुआ मैं लड़का नहीं बनी, मुझसे तो इतना नहीं होता ! देखो मज़ा दोनों को
आता है प़र पसीने पसीने आदमी ज्यादा होता है, लड़की को कभी कुछ खर्च नहीं
करना पड़ता और लड़के उन्हें साथ ही गिफ्ट भी देते है।
जीजाजी मेरी बातें सुनकर मुस्कुरा रहे थे, बोले- जो तुम इतनी कीमती चीज
हमें देती हो, उस पर ये सब कुर्बान है। तुम्हें क्या पता तुम हमें कितनी
कीमती चीज देती हो ! अपनी इज्जत ! समझी? अभी किसी को पता चल जाये तो
लड़कों को फर्क नहीं पड़ता और लड़की बदनाम हो जाती है। समझी इन पैसों का तो
क्या, और कमा लेंगे प़र इज्जत?
मैं चुप हो गई, वास्तव में जीजाजी सही कह रहे थे।
खाना खाकर फिर से हम वापिस रेस्टोरेंट के पास ही लिफ्ट से सीधे तीसरी
मंजिल में अपने कमरे के कॉरीडोर में पहुँच गए ! नीचे रेस्टोरेंट था उसके
ऊपर रिसेप्शन और कुछ कमरे थे उसके ऊपर हमारा कमरा और भी काफी कमरे थे और
उससे भी ऊपर दो मंजिलें और थी यानि उस होटल में काफी कमरे थे ! हमारा
कमरा काफी अच्छा था, जीजाजी ने बताया जो सबसे अच्छा और महंगा था, वही
हमने लिया है।
हम अपने कमरे में दाखिल हो गए और सीधे बिस्तर पर ढेर हो गए !
मैं टीवी का रिमोट लेकर मनपसंद चैनल स्टार प्लस लगा कर देखने लगी! जीजाजी
ने फोन लगा लिया और किसी से बात करने लगे !
अभी हमने अपने कपड़े नहीं बदले थे, जीजाजी ने कहा- अभी बदलना ही मत ! अभी
चाय मंगवाएँगे, पियेंगे !

मैंने कहा- ठीकहै।
उन्होंने वहीं इंटरकाम से दो चाय का आर्डर दे दिया और वे बाथरूम में चले गए।
थोड़ी देर में घण्टी बजी, मैंने कहा- अन्दर आ जाओ !
मुझे पता था कि चाय लेकर बैरा आया होगा। बैरा ही था !
उसने मुझे गौर से देखा मुझे उसकी नज़र कुछ अच्छी नहीं लगी। उसने मुझे पलंग
पर बैठी हुई को चाय देनी चाही पर मैंने उसे डांट कर कहा- वहीं मेज पर रख
दे !
मेरे तेवर देख कर वो सकपका गया और चाय वही मेज पर रख कर मुझसे नज़र चुराता
फटाफट बाहर चला गया, दरवाज़ा बंद कर दिया !
जीजाजी आये तो मैंने यह बात बताई तो वो हंसने लगे और कहा- यार तुम्हें
बहुत गुस्सा आता है? एकदम झाँसी की रानी हो तुम !
मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई, हमने चाय पी, थोड़ी देर में घण्टी बजी, मुझे
पता था बैरा चाय के बर्तन लेने आया होगा।
यह दूसरा बैरा आया था पहले वाला नहीं आया ! बर्तन ले जाने के बाद जीजाजी
ने दरवाज़ा बन्द कर दिया, मेरे पास आकर बैठ गए और टीवी देखते देखते मुझे
सहलाने लगे।
मैंने भी अपना सर उनके कंधे पर रख दिया !
मैंने कहा- अब तो मैं ये भारी भरकम कपड़े उतार दूँ?
जीजाजी ने मुस्करा कर कहा- हाँ ! बिल्कुल हल्की हो जाओ ! सारे उतार दो !
मैं उनका अभिप्राय समझ कर मुस्करा उठी, मैंने कहा- आप दूसरी तरफ मुँह
करो, मैं कपड़े बदलती हूँ !
तो उन्होंने मुँह फेर लिया और बोले- ब्रेजरी और कच्छी मत पहनना !

मैंने कहा- ओके !
और मैं सिर्फ मैक्सी पहन कर सारे कपड़े वार्डरोब में रखे और उनके पास आई।
तब तक उन्होंने भी कपड़े खोल कर लुंगी लगा ली ! मैं पलंग के पास आई, कहा-
बाथरूम में जा रही हूँ !
तो वे बोले- इस मैक्सी का बोझ क्यों रखा है? इसे भी उतार दो और सिर्फ यह
तौलिया लपेट लो !
मैंने इंकार किया पर मेरा इंकार कहा चलना था, वो जबरदस्ती मैक्सी हटाने
लगे तो मैंने कहा- ठीक है। मैं बाथरूम से सिर्फ तौलिया लपेट कर ही आऊँगी
!
तो उन्होंने मुझे छोड़ दिया। मैं बाथरूम में गई, पेशाब किया, चूत को अच्छी
तरह से धोया और मैक्सी उतार कर जैसे राम तेरी गंगा मेली में मन्दाकिनी ने
लपेटा था, वैसे सिर्फ़ तौलिया लपेट कर बाहर आई !
मैं तौलिया लपेट कर मस्तानी चाल से पलंग के पास गई तो देखा कि जीजाजी ने
कम्बल ओढा हुआ है और उनकी लुंगी एक तरफ पड़ी है, चड्डी और बनियान भी कमरे
के फर्श पर लावारिसों की तरह पड़े हैं।
मैं यह सोच कर रोमांचित हो गई कि कम्बल के अन्दर जीजाजी बिलकुल नंगे हैं
और मैं नई नवेली दुल्हन की तरह कुछ शरमाती, कुछ सकुचाती उस तौलिये में
अपने पूरे बदन को ढकने की असफल कोशिश करती उनके पास आई ! अब मैं उस
तौलिये को साड़ी तो नहीं बना सकती ना ! स्तन ढकूँ तो जांघें दिखे और
जांघों को ढकूँ तो स्तन उघड़ रहे थे और मुझे चलते हुए आते भी शर्म आ रही
थी !
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