06-23-2017, 10:23 AM,
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raj sharma stories भाभी का दूध
भाभी का दूध--1
दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ अब कहानी कैसी है ये तो आप ही मुझे बताओगे दोस्तो आज मैं आपको अपनी बिल्कुल रियल स्टोरी सुनाने जा रहा हूँ.बात तब की है जब मैं कॉलेज पास कर के शहर में अपने भाई भाभी के पास नौकरी की तलाश में आया था .मेरी भाभी बहुत ही हँसमुख है.हमेशा मुस्कुराते रहती थी और मेरे भाई का उतना ही रूड नेचर था.इसलिए मेरी और भाभी की बहुत पटने लगी. हम आपस में खूब मज़ाक करते.धीरे धीरे मैं कब भाभी की ओर आकर्षित होने लगा मुझे पता भी नहीं चला.मुझे भाभी की खुश्बू बहुत अच्छि लगने लगी थी.जब कभी भी वो मेरे पास से गुजरती मैं गहरी सांस ले लेता.
एक दिन भाभी नहा के निकली और मेरा बाथरूम में जाना हुआ पूरा बाथरूम भाभी की खुश्बू से महक रहा था मेरे शरीर मे एक अजीब से सरसराहट दौड़ गई.अचानक मैने बाथरूम में पड़े भाभी के कपड़े देखे मेरा मंन मचल गया मैने बिना देर किए उन्हे उठाया और मूह में रख कर एक गहरी सांस ली आआआः मेरे पूरे शरीर मे एक लहर दौड़ गई. कपड़े लिपटे हुए थे मैने खोला तो देखा भाभी की गाउन के अंदर उनकी ब्रा और पेंटी थी.
सबसे पहले मैने ब्रा को उठाया और जी भर के देखा ये वोही ब्रा थी जो कुच्छ देर पहले भाभी के दूधों से चिपकी हुई थी .मैं ब्रा को पागलों की तरह चूमने और चूसने लगा जैसे मानो वो मेरे भाभी के दूध हों काफ़ी देर तक चूसने के बाद मैने भाभी की पेंटी उठाई और अपनी भाभी की चूत समझ उसको सहलाने लगा यही पर चिपकी होगी भाभी की चूत उनके झट के बाल ये सोच सोच कर मेरा लंड तन कर मेरी चड्डी फाड़ने लगा.तभी मुझे ख़याल आया कि इसे अभी भाभी की चूत तो नहीं दिला सकता लेकिन अहसास तो दिला सकता हूँ मैने फटाफट अपनी चड्डी उतार कर भाभी की पेंटी पहन ली.ये सोच कर कि "जहाँ थोड़ी देर पहले ये भाभी से चिपकी थी अब मेरे से चिपकी है जहाँ भाभी की चूत थी वहाँ अब मेरा लंड है" यही सोचते सोचते मेरा हाथ मेरे लंड पर चलने लगा और थोड़ी ही देर में मैने मैने पिचकारी छ्चोड़ दी.भाभी की पूरी पॅंटी मेरे वीर्य से भर गई मैने जल्दी से उसे धोया और बाहर आ गया और सोचने लगा कल भाभी यही पॅंटी पहनेंगी,कितना अच्च्छा लगेगा .
अब भाभी को मैं और ध्यान से देखने लगा वाकई बहुत सुन्दर शरीर है मेरी भाभी का एकदम भरे और कसे हुए दूध,भारी सी गंद,कसा हुआ शरीर.मुझमे अब उसे पाने की ललक जाग गई.मैं दिनभर भाभी को तक्ता रहता झाड़ू लगाते,पोछा लगाते, खाना परोसते वो मुझे अपने आधे स्तनों के दर्शन करा देती .गर्मी के दिन चल रहे थे इसलिए भाभी पतले कपड़े पहनती थी,इसलिए मैं भाभी के अंदर का शरीर काफ़ी कुच्छ देख लेता था.खाना बनाते समय पीछे खिड़की से रोशनी आती थी जिसकी वजह से मैं भाभी के पूरे शरीर के एक एक उभारों को आसानी से देख सकता था.बस यही देख देख के रात मैं भाभी की कल्पना कर के रातें गीली किया करता था.
एक बार भाई काम से बाहर गया था उसी समय भाभी नहाने गई .मेरा तो नसीब खुल गया .मैं धीरे से बाथरूम के करीब गया और कोई सुराख ढूँढने काग़ा .आख़िर एक सुराग मिल ही गया .मैने जैसे ही उससे झाँका मेरे नसीब खुल गये भाभी झुक कर अपनी पेंटी उतार रही थी .बाथरूम थोड़ा छ्होटा था इसलिए मुझे भाभी के दूध काफ़ी नज़दीक से दिखाई दिए.
एकदम कसे हुए थे कड़क ,वाउ.फिर जैसे ही भाभी सीधी हुई तो मुझे भाभी के झट के बालों के दर्शन हुए पर कुच्छ ही देर के लिए हल्के हल्के बालों के बीच उभरी हुई उनकी मस्त जन्नत सी चूत, मैं तो पागल ही हो गया .भाभी बैठ गयी और नहाना शुरू कर दिया .लेकिन बाथरूम छोटा होने की वजह से मुझे अब सिर्फ़ उनकी पीठ दिखाई दे रही थी.फिर भी मैने अपनी कोशिश नहीं छ्चोड़ी सोचा कभी तो पलटेंगी,कुच्छ तो दिखेगा.और मेरा सय्याम काम आया कुच्छ कुच्छ देर मे मुझे भाभी के दूधों के दर्शन हो ही जाते.फिर नहाना ख़तम कर भाभी खड़ी हुई तो मुझे उनकी गांद के, झट के फिर दर्शन हुए उन्होने अपना पूरा शरीर पोंच्छा फिर अपनी झांतें.फिर कपड़े पहने पहले ब्रा फिर पेंटी. फिर गाउन मैं भाग कर अपनी जगह पर बैठ गया.लेकिन वो नज़ारा अब मेरी आँखों से हट नहीं रहा था.
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06-23-2017, 10:24 AM,
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RE: raj sharma stories भाभी का दूध
भाभी - आज घूमने नहीं चलोगे
मैं - मैने सोचा लेट हो गये.
भाभी – लेट हो गये या कोई और बात
मैं – और क्या बात
भाभी – दिन की, अच्च्छा बताओ आपने ऐसा क्यों किया.
मैं – बस मैं आपकी खुश्बू सूंघ के बहक गया था
भाभी – खूशबू, ऐसी कैसी खुश्बू आती है मेरे पास से
मैं – पता नहीं पर मैं अपने आपको रोक नहीं पाता
भाभी – अभी भी आ रही है क्या, इधर आओ
और मैने झट से पलट कर अपना मूह भाभी की ओर कर लिया.भाभी ने मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा.सचमुच मैने आपको अच्छि लगती हूँ.मैने मौके की नज़ाकत समझ कर भाभी की गोद में सर रख दिया.और अपने मूह को भाभी की जांघों में रगड़ने लगा.
भाभी – आच्छे तो आप भी मुझे लगते हो, पर ये सब ग़लत है, हमारा रिश्ता कुछ और है.
मैं – रिश्ता तो दिल से बनता है अगर मैं और आप एक दूसरे को दिल से चाहते हैं तो हमारा रिश्ता प्यार का हुआ ना.
भाभी – तो प्यार तो हम करते ही हैं.
मैं – बस फिर प्यार में जो होता है होने दो
कहते हुए मैं अपने सर को रगड़ते हुए भाभी की चूत के पास तक पहुँच गया था कि अचानक भाभी ने मेरा चेहरा दोनो हाथो से पकड़ कर अपनी ओर किया और अपनी मुंदी ना में हिलाने लगी.भाभी की ये अदा भी मुझे भा गई क्योंकि इसमे उनकी मंज़ूरी के साथ मजबूरी में मनाही थी.मैं समझ गया कि भाभी को कोई ऐतराज नहीं होगा और मैं अपने सपनों को साकार करने में लग गया.मैने तुरंत अपना चेहरा भाभी के दूधों के ऊपर रख दिया और और दो मिनट तक तो मुझे होश ही नहीं रहा भाभी ने भी एक गहरी साँस लेकर अपने आपको मेरे सुपुर्द कर दिया और अपना सर सोफे से टिका लिया ऐसा लगा मानो दोनो को राहत मिली हो.अब मैने धीरे धीरे भाभी के स्तनों को अपने मूह से ही रगड़ना शुरू कर दिया (जैसे सोचे थे वैसे ही कड़क दूध थे भाभी के) रगड़ते रगड़ते मैं भाभी की गर्देन तक पहुँच गया फिर गाल और फिर सीधे भाभी के नर्म होंटो को अपने मूह में लेकर उनका रस पीने लगा मेरा एक हाथ भाभी के स्तनों को सहला रहा था.
जी भर के होंठों रस पीने के बाद दूध पीने की बारी थी मैं धीरे से नीचे आया और भाभी के सलवार के गले से अंदर घुसने लगा.लेकिन भाभी के आधे दूध तक ही पहुँच पाया .फिर मैने भाभी का कुर्ता उठाया और भाभी के पेट को चूमते हुए भाभी के दूधों तक पहुँच गया पर भाभी ने ब्रा पहन रखी थी.मैने अपने दोनो अंगूठे भाभी की ब्रा के अंदर डाल कर उसे उठाने की कोशिश की पर भाभी ने मुझे रोक दिया कहा
भाभी - अभी नहीं ये उठ जाएँगे
मैं – फिर कब
भाभी- - कल जब ये ऑफीस चले जाएँगे
और फिर उठ कर अपने कमरे में चली गई
सुबह मैं लेट ही उठा जब भाई के ऑफीस जाने का टाइम हो चुक्का था .जब तक मैं नहा के तय्यार हो गया.भाई के ऑफीस जाते ही मैने भाभी को पीछे से पकड़ लिया और किस करने लगा.
भाभी – लगता है सब्र नहीं हो रहा
मैं – कैसे होये सब्र, चलो ना
भाभी – पहले खाना खा लो
मैं – नहीं बाद में
भाभी – खा लो ताक़त आएगी
और जा कर मेरे लिए खाना ले आई.जब तक मैने खाना खाया भाभी बेड पर लेट कर टी.वी. देखने लगी.मैं खाना ख़तम कर के सीधे भाभी के बगल में लेट गया और भाभी को अपनी बाहों में भर कर किस करने लगा
भाभी ने अपनी आँखे बंद कर ली थी मैं भाभी को चूमते चूमते दूधों पर आ गया भाभी ने येल्लो कलर की सादी पहनी थी मैं साड़ी का पल्लो हटा कर ब्लाउस के ऊपर से ही दूधों को पीने लगा कुच्छ देर यूँ ही करते करते मैने भाभी के ब्लाउस के हुक खोलना शुरू कर दिए,एक एक कर मैने सारे हुक खोल दिए अब भाभी मेरे सामने ब्रा में थी . भाभी की ब्रा के अंदर भाभी के मस्त दूध एक दम कसे हुए थे.ब्रा बिल्कुल फिटिंग की थी मैने अब ब्रा के ऊपर से ही भाभी के दूध पर धीरे धीरे हाथ फेरना शुरू कर दिए और फिर धीरे से पीछे हाथ कर ब्रा के हुक भी खोल दिए ,हुक खुलते ही दोनो दूध आज़ाद हो गये.ब्रा को हटते ही मेरे सामने भाभी के सुडोल स्तन आ गये जितना सोचा था उससे भी सुंदर एकदम कड़क ब्राउन कलर की निपल अकड़ कर मानो मुझे ही देख रहे थे और बुला रहे थे मैने बिना देर किए एक निपल को अपने मूह में ले लिया.और दूसरे को अपने हाथ से दबाने लगा.
क्रमशः..............
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06-23-2017, 10:24 AM,
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RE: raj sharma stories भाभी का दूध
भाभी – प्लीज़ ये मत करो
मैं –क्यों
भाभी – नहीं ये सही नहीं है, हम दोनो का रिश्ता…
मैं – अब हमारा रिश्ता प्यार का है प्यार में सब सही होता है, और आज से इसे कुच्छ भी नाम दे दो.
भाभी – नहीं पर प्लीज़ इसे मत डालो.बाकी जो करना हो करो.
मैं – जब जीभ जा सकती है,उंगली जा सकती है तो ये क्यों नहीं.
भाभी – नहीं, कुच्छ हो गया तो
मैं - मैं कॉंडम लगा लेता हूँ.
भाभी – पूरी तय्यारी से आए हो
मैं – (हंस दिया)
भाभी – नहीं कॉंडम मत लगाओ.अच्च्छा नहीं लगता
मैं – सच मेरे को भी अच्छा नहीं लगता.जब तक स्किन से स्किन टच ना हो तो क्या मतलब.
भाभी हंस दी मुझे ग्रीन सिग्नल मिल गया.मैने तुरंत भाभी के पैर फैलाए और और अपना सूपड़ा भाभी की चूत के ऊपर घिसने लगा.भाभी ने अपने दो हाथ पीछे कर तकिया पकड़ लिया.मैं समझ गया भाभी तय्यार हैं.मैने धीरे से लंड भाभी की चूत सरकाना चाहा पर भाभी की चूत तो एकदम टाइट थी जैसे किसी 18 साल की लड़की की.मैने थोड़ा ज़ोर लगा के अंदर डाला भाभी के मूह से आह निकल गई.मुझे भी ऐसा लगा मानो मेरा लंड जाकड़ गया हो.भाभी अंदर से गरम भट्टी हो रही थी.मैने भाभी के उपर आते हुए पूरा लंड भाभी की चूत के अंदर कर दिया,भाभी तड़प उठी मुझे अपनी बाहों में कस कर पकड़ा और मेरे होंठों को चूसने लगी.अब तक में और भाभी दोनो पसीने से नहा चुके थे.झटके देते समय दोनो की छातियो के बीच से फ़च फ़च की आवाज़ें आ रही थी.दोनो जन्नत में थे.मैं भाभी के ऊपर पूरा लेट गया और पूरी ताक़त से दोनो दूधों को पकड़ कर मिला दिया और दोनो निप्पालों को मूह में लेकर चूसने लगा.भाभी के हाथ मेरी पीठ पर थे और वो मुझे कस कर नोच रही थी.मैने झटके और तेज़ कर दिए फिर थोड़ी ही देर में दोनो झाड़ गये लेकिन भाभी फिर भी मुझे चूमती रही.मैने पूछा – अच्च्छा लगा
भाभी – बहुत, ये सब करने में इतना मज़ा आता है मुझे आज पता चला
मैं – सच आपको अच्च्छा लगा
भाभी – बहुत ज़्यादा (इतने में मैं थोड़ा हिला तो भाभी बोली) अभी बाहर मत आना
मैने भी अपने लंड को अंदर ही डाले रखा और भाभी के होंठ चूसने लगा.भाभी भी मेरा साथ देने लगी,अब भाभी भी थोड़ा खुल गयी थी उन्होने मेरा सिर पकड़ा और नीचे की तरफ धकेल दिया मैं समझ गया भाभी मुझे दूध पीने को बोल रही है मैने तुरंत दोनो हाथो से दूधों को मिलाया और फिर दोनो निप्पालों को मूह में डालकर एक साथ पीने लगा,भाभी के मूह से सिसकियाँ निकलने लगी.
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RE: raj sharma stories भाभी का दूध
भाभी – कहाँ से सीखा ये
मैं – अभी अभी
भाभी – मतलब
मैं – भाभी आपके दूध इतने सुन्दर है कि मैं सोचता हूँ एक को भी थोड़ी देर ना छोड़ू
भाभी – अच्च्छा ऐसा क्या स्पेशल है इनमे
मैं – मत पूच्छो भाभी, क्या नहीं है इतने सुंदर कसे हुए आपकी छ्होटी छ्होटी निपल, जी करता है दिन भर इन्हे ऐसे ही मूह में लिए पीता रहूं.
भाभी – तो पियो ना मना किसने किया है
मैं – सच
भाभी – हां आपका हाथ लगते ही ये और सुंदर हो गये है.आप इन्हे जिस तरह पीते हो मैं तो ……
मैं – मैं तो क्या ?
भाभी – मैं तो दीवानी हो गई आपकी, बहुत प्यार से पीते हो आप इन्हे.
मैं – तो क्या भाई……..
भाभी – हुउँ उन्हे तो एक चीज़ से मतलब रहता है,और सच कहूँ वो जब मुझे हाथ लगाते है तो मैं ऐक्साइट भी नहीं होती,लेकिन आज जब आपने मुझे च्छुआ तो एक अजीब सा एहसास हुआ मैं तो आपके हाथ लगाते ही गीली हो गयी थी.
मैं – गीली मतलब
भाभी – चुप हो जाओ, बड़े आए गीली मतलब
ये कहते हुए भाभी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और चूमने लगी,मैं भी भाभी के निप्पालों को मूह में लेकर चूसने लगा.इन बातों को करते हुए हम फिर गरम हो गये और मेरा लंड भाभी की चूत के अंदर ही अंदर फिर बड़ा हो गया.मैने धीरे धीरे फिर धक्के लगाने शुरू कर दिए और भाभी मुझे कस कर पकड़ कर मेरा साथ देने लगी,अब भाभी भी नीचे से अपनी गांद गोल गोल घुमाने लगी.मैने एक हाथ नीचे कर अंगूठे से भाभी के दाने को सहलाते हुए लंड आगे पीछे करने लगा.भाभी और तेज़ी से आगे पीछे होने लगी.मैने भाभी से कहा आप मेरे ऊपर आ जाओ.भाभी ने वैसा ही किया. अब भाभी मेरे ऊपर बैठ कर अपने हिसाब से मज़े लेने लगी.
और थोड़ी देर बाद थक कर मेरे ऊपर लेट गई मैने फिर भाभी दूधों को अपने मुँह में लिया और नीच्चे से धक्के देना शुरू कर दिया,अब भाभी दोनो पैर सीधे कर मेरे ऊपर लेट गई और हम आपस में एक दूसरे को घिसने लगे.मैने दोनो हाथ से भाभी की गांद को पकड़ कर आगे पीछे करने लगा.मेरा सपोर्ट पा भाभी खुश हो गयी और फिर मुझे पागलों समान चूमने लगी,मैने समझ गया कि शायद भाभी झड़ने वाली हैं,मैने धक्के और तेज कर दिए और थोड़ी ही देर में हम दोनो फिर झाड़ गये और ढेर हो गये.थोड़ी देर बाद भाभी मेरे ऊपर से हटी और ओढ़ने के लिए चादर ढूँढने लगी.
मैं – चादर मत ओढ़ो
भाभी- - क्यों अभी मंन नहीं भरा क्या
मैं – आपसे कभी मंन भर सकता है क्या, इतनी तपस्या के बाद तो आप मिली हो मुझे जी भर कर देखने दो.
उसके बाद मैने भाभी को सीधा लेटा दिया और पूरे शरीर के एक एक उभार को देखने, महसूस करने लगा. भाभी के दोनो दूध पूरे गोल और कसे हुए सीधे आसमान की तरफ देख रहे थे,मानो किसी मस्जिद के गुंबद हों जैसे.मैं बड़े ही हल्के हाथ से दोनो दूधों के चारों ओर हाथ घुमा लगा और महसूस करने लगा.फिर धीरे से निपल के ऊपर हाथ ले जाकर उसे उंगली से धीरे धीरे रगड़ने लगा.
भाभी – आपके हाथो में जादू है पूरा शरीर तय्यार हो जाता है.
मैं – ये जादू नहीं प्यार है, जो आप महसूस कर रहे हो.
भाभी – पहले क्यों नहीं मिले आप
मैं – जब मिले तब ही सही, मिले तो.
बातें करते करते में भाभी के पूरे शरीर को नाप रहा था.उनके पेट,कमर, नाभि,दूध,जांघें, हर एक भाग हर एक कटाव पर बड़े ही हल्के हल्के हाथ फिरा रहा था और उन्हे महसूस कर रहा था.
भाभी – मत करो मैं फिर तय्यार हो जाउन्गि
मैं – तो हो जाओ ना (ये कहते हुए मैने भाभी का हाथ नीच अपने लंड पर ले गया भाभी ने फिर उसे कस के पकड़ लिया और एक गहरी साँस ली)
भाभी – ये तो फिर तय्यार हो गया कितना गरम और कड़ा हो गया है
मैं – ये भी तो गरम हो रही है.(मैने भी नीचे हाथ डाल कर भाभी की चूत को अपनी मुट्ठी में भर लिया.)
भाभी – ये शैतानी करता है ना इसलिए ( भाभी मेरे लंड को हिलाते हुए बोली)
मैं – इसे इनको देखकर मस्ती चढ़ती है.हमेशा मुझे घूरते रहते है. (मैने भाभी के एक दूध को दबाते हुए कहा)
भाभी – ये आपको घूरते है कि आप.हमेशा यहीं नज़रें टिकी रहती है.
मैं – आपको कैसे पता.
भाभी – मुझे देखोगे तो मुझे पता नहीं चलेगा क्या.मैने बहुत बार आपको इन्हे घूरते हुए देखा है,और उन नज़रों का ही जादू है जो मैं आज आपके साथ ऐसे हूँ.
मैं – तो फिर इतने दिन परेशान क्यों किया.
भाभी – मैने कहाँ परेशान किया आप ही ने देर लगाई.
मैं – मुझे इतना परेशान किया अब मैं पूरा हिसाब लूँगा (ये कहते हुए मैं भाभी के ऊपर फिर से चढ़ गया और लंड अंदर डालने की क़ोस्शिश करने लगा)
भाभी – किसी काम का नहीं छोड़ोगे क्या?
मैं – थक गयी क्या
भाभी – थॅकी? आज तो पूरा शरीर लक हो गया.कब से प्यासी थी प्यार की.
मैं – मैं तो आपको जब से प्यार कर रहा हूँ आप ने मुझे कहाँ किया.
भाभी – अच्च्छा तो अभी तक क्या कर रही थी
मैं – वो तो मेरे प्यार का जवाब दे रही थी
भाभी – तो मैं अलग से कैसे प्यार करूँ
मैं – वो आप सोचो
फिर भाभी ने मुझे कस के गले लगा लिया और अपने ऊपर से उतार का बगल में लेटा दिया और चूमने लगी पहले गालों को फिर छाती पर फिर नीचे सरकते हुए मेरे लंड तक पहुँच गई अब मेरा लंड भाभी के दोनो दूधों के बीच में था और भाभी अपने दोनो हाथो से अपने दूधों को चिपका कर मेरे लंड को बीच में रख कर आगे पीछे करने लगी. फिर मेरे सूपदे के ऊपर चारों तरफ अपनी जीभ चलाने लगी बीच बीच में दाँत भी गढ़ा देती.फिर अपनी जीभ से पूरे लंड में ऊपर से नीचे फेरने लगी मेरा लंड इतना ज़्यादा टाइट हो गया था मानो उसे एक दो इंच और बढ़ना हो.भाभी अब मेरे अंडों तक पहुँच गयी थी एक एक कर मेरे दोनो अंडे मूह में ले रही थी.मेरा पूरा लंड अब भाभी के थूक से चमक रहा था.भाभी उसे हाथ से पकड़ कर मूठ मारने लगी.
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