06-24-2017, 11:11 AM,
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RE: Hindi Sex काले जादू की दुनिया
“तुम्हारे पीरियड्स कब आए थे...” करण ने पूछा.
“दस दिन पहले....इसका मतलब है कि अब मैं ज़रूर प्रेग्नेंट हो जाउन्गि...”
“क्या तुम यह बच्चा नही रखना चाहती...”
“पागल हो गये हो क्या...मैं तो इस बच्चे को ज़रूर जन्म देना चाहूँगी...अक्खिर यह मेरे और तुम्हारे संभोग की पहली निशानी है...” निशा करण के चौड़े सीने पर अपना सर रखती हुई बोली.
तभी निशा की नज़र घड़ी पर गयी. यह सब के चक्कर मे सुबह के तीन बज चुके थे. निशा हड़बड़ाते हुए बोली, “ओह्ह माइ गॉड करण...मेरे मम्मी पापा 6 बजे की फ्लाइट से वापस आ जाएँगे....अब मैं क्या करू...अब मैं क्या करू...”
“प्लीज़ निशा डॉन’ट पॅनिक...सब कुछ ठीक हो जाएगा...”
एक पल के लिए निशा करण की आँखो मे देखते हुए बोली, “प्लीज़ करण मैं यह शादी नही करना चाहती...”
करण को निशा की आँखो मे आँसू और साथ ही साथ उम्मीद की नज़र दिखाई दी. उसने प्यार से निशा के आँखो से आँसू पोछे और बोला, “तुम सिर्फ़ मेरी हो निशा...तुम्हे मुझसे कोई जुदा नही कर सकता...ना भगवान...ना शैतान....और ना ही इंसान..” कहते हुए करण खड़ा हुआ और जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहन ने लगा.
निशा उसे हैरान नज़र से देख रही थी, तभी करण ने उसे कहा, “निशा चलो तय्यार हो जाओ...अपनी कुछ ज़रूरत का समान और कुछ कपड़े जल्दी जल्दी पॅक कर लो..”
निशा की कुछ समझ मे नही आया, “पर यह सब क्यू करण...क्या हम कही जा रहे है...?”
“हां....मैं तुम्हे यहा से हमेशा के लिए भगा कर ले जा रहा हू...”
निशा उसकी बात सुन कर सन्न रह गयी. निशा को ऐसे हैरान परेशान देख कर करण बोला, “देखो निशा तुम्हारे पापा मुझे सिर्फ़ इसलिए पसंद नही करते क्यूकी तुम पंडित हो और मैं राजपूताना ठाकुर हू और वो भी अनाथ....इसलिए वो हमारी इंटरकॅस्ट शादी के लिए कभी तय्यार नही होंगे....इसलिए आज तुम्हे फ़ैसला करना होगा कि तुम्हे उनके साथ रहना है कि मेरे साथ.” कहते हुए करण वापस अपनी शर्ट और पॅंट पहन ने लगा.
“पर मैं अपने मम्मी पापा को अचानक कैसे छोड़ दूं...” निशा की आँखो मे आँसू आ गये. उसे आज वो करना पड़ रहा था जिस से वो सबसे ज़्यादा डरती थी और वो था अपने माँ बाप और अपने प्रेम के बीच चुनाव.
करण निशा के पास बैठ कर उसके कंधो पर हाथ फेरता हुआ बोला, “निशा अगर तुम मुझे छोड़ कर अपने माँ बाप को चुनती हो तो मुझे ज़रा सा भी बुरा नही लगेगा....आख़िर माँ बाप को खोने का दर्द मुझ जैसे अनाथ से ज़्यादा और कॉन समझ सकता है...”
“नही करण मैं तुम्हे नही छोड़ सकती....पर मैं अपने माँ बाप को भी नही छोड़ सकती....हे भगवान अब मैं क्या करू..”
“कोई बात नही निशा...अगर तुम कहो तो मैं यहाँ से चला जाता हू...पर मैं हमेशा ज़िंदगी भर तुम्हारा इंतेज़ार करूँगा, कुँवारा बैठा रहूँगा और कभी भी शादी नही करूँगा...क्यूकी शादी तो कल रात हो ही गयी है मेरी...”
करण की इस बात पर निशा मर मिटी. वो झट से करण के गले लग गयी और बोली, “करण तुम मुझे मेरे मम्मी पापा से भी ज़्यादा समझते हो...ग़लती तुम मे नही उनमे है जो जात बिरादरी के नाम पर अपनी बेटी की खुशियो का गला घोटना चाहते है...मैने फ़ैसला कर लिया है...मैं तुम्हे चुनती हू और अपने मम्मी पापा को ठुकराती हू..”
“तो क्या तुम मेरे साथ चलोगि....?” करण निशा के सर पर हाथ फेरता हुआ बोला.
“हाँ मैं तुम्हारे साथ चालूंगी....जहाँ भी तुम ले चलो मैं वहाँ तुम्हारे साथ जाने को तय्यार हू....बस मुझे इस जिंदगी मे धोका मत देना वरना मैं मर जाउन्गि...” निशा करण के सीने से चिपकते हुए बोली.
“तो चलो ठीक है तय्यार हो जाओ...मैं तुम्हे अपने अपार्टमेंट ले चलूँगा...और आख़िर मैं भी एक सक्सेस्फुल डॉक्टर हू...अपनी बीवी की हर ख्वाइश को पूरा कर सकने मे समर्थ हू...” करण ने प्यार से निशा के गोरे गालो को चूमते हुए बोला.
“नही करण हम तुम्हारे अपार्टमेंट नही जाएँगे क्यूकी मेरे पापा को तुम्हारे अपार्टमेंट का पता मालूम है....और तुम तो जानते हो कि उनके कितने पोलिटिकल और पोलीस कनेक्षन्स है....वो हमे चैन से जीने नही देंगे..” निशा अपना डर जाहिर करते हुए बोली.
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06-24-2017, 11:11 AM,
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RE: Hindi Sex काले जादू की दुनिया
कुछ देर सोचने के बाद करण बोला, “मुझे एक जगह पता है जहाँ हम कुछ महीनो के लिए आराम से रुक सकते है...फिर हम किसी दूर शहर मे अपना एक मकान लेकर सारी जिंदगी एक दूसरे की बाँहो मे बिताएँगे...”
“वो सब तो ठीक है करण...पर मुझे ना जाने क्यू बहुत डर लग रहा है....ऐसा लग रहा है जैसे कोई अनहोनी होने वाली है....मेरा जी तो बहुत घबरा रहा है...”
“निशा तुम अपने दिमाग़ से यह भ्रम निकाल दो...सब कुछ ठीक हो जाएगा...बस तुम अभी जल्दी से समान पॅक करो ताकि हम तुम्हारे पेरेंट्स के आने से पहले यहाँ से निकल सके....” बोलते हुए करण निशा की पॅकिंग मे मदद करने लगा. निशा ने भी कपड़े पहने और निकलने की तय्यारी करने लगी.
निकलते निकलते निशा ने अपने कमरे को एक आख़िरी बार देखा, उसकी आँखे नम थी, उसे पता था वो घर से करण के साथ भाग रही है इसलिए उसे आज के बाद अपना घर, अपना कमरा और शायद अपने माँ बाप कभी देखने को ना मिले. इसी वजह से उसकी आँखे भर आई लेकिन उसने अपनी आँसू पोछ लिए.
तभी निकलते निकलते करण की नज़र बेडशीट पर पड़ती है जिसपे खून और वीर्य के बड़े बड़े धब्बे थे, “निशा जल्दी से यह बेडशीट हटा कर धोने मे डाल दो वरना तुम्हारे पेरेंट्स को सब पता चल जाएगा...”
इसे सुन कर झट से निशा ने वो बेडशीट हटा के धोने मे डालने की बजाए उसे अपने सूटकेस मे रखने लगी, “पता चलता है तो चलने दो...बेडशीट पर लगे हमारे प्रेमरस, हमारी सुहागरात की पहली शरीरक संभोग की दास्तान सुना रहे है...इस बेडशीट पर पड़े मेरी चूत के खून के धब्बे और और तुम्हारे लंड का वीर्य इस बात के सबूत है कि हमारा प्यार सिर्फ़ मन का नही शारीरिक भी था..” बोलकर निशा ने बेडशीट सूटकेस मे डालकर करण के साथ अपने घर को हमेशा के लिए छोड़ कर चली गयी.
कार को छोड़ कर दोनो ने ऑटो बुक कर लिया क्यूकी निशा के पापा निशा की कार को आसानी से खोज सकते थे. “पर हम जाएँगे कहाँ...?” निशा घबराते हुए ऑटो मे करण के साथ बैठते हुए बोली.
“है एक जगह....बस तुम चिंता मत करो सब मुझ पर छोड़ दो...” करण ने निशा का हाथ थामते हुए कहा. बेचारी निशा ने अपनी किस्मत को भगवान पर और खुद को करण के हाथो सौंप दिया था.
करण रास्ता बताते जा रहा था और ऑटो वाला उसके बताए रास्ते पर चलता जा रहा था. आधे घंटे के सफ़र के बाद दोनो बांद्रा पहुचे.
“यहा कॉन रहता है...?” निशा ने अपने सामने एक आलीशान फ्लॅट देखा और ऑटो से उतर गयी.
“बस अभी पता चल जाएगा....” करण ऑटो वाले को पैसे देता हुआ बोला और निशा को लेकर अपार्टमेंट मे घुस गया. वो एक फ्लॅट के सामने रुका और कॉल बेल बजाई.
दरवाज़ा खुला तो अर्जुन सामने खड़ा था. यह उसी का फ्लॅट था. करण को अपने सामने देख कर वो हैरान हो गया. कुछ दिन पहले तक तो उसके रिश्ते अपने सौतेले भाई से बहुत कड़वे थे पर इन्ही कुछ दिनो मे उसकी जिंदगी मे तूफान आ गया था, जिसने सब कुछ बदल कर रख दिया. आज पहली बार करण को अपने सामने देख कर उसे खराब नही बल्कि बहुत अच्च्छा लग रहा था.
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06-24-2017, 11:12 AM,
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RE: Hindi Sex काले जादू की दुनिया
निशा ने फिर कुछ नही कहा बस अपने आँसू भरी आँखो के साथ चादर ओढ़ कर लेट गयी. वो चादर के अंदर ही रो रही थी. करण अपने आप को कोसते हुए वही बिस्तर पर लेट गया और कल के बारे मे सोचने लगा.
सुबह होते ही करण और अर्जुन आचार्य के आश्रम की ओर निकल पड़े. निशा जब सो के उठी तो उसे करण नज़र नही आया.
“कम से कम एक बार मिल के तो जाते....” निशा की आँखे फिर से डब डबा गयी और वो वही चादर मे छुप्कर रोने लगी.
इधर करण बहुत मायूस लग रहा था. वो ना तो खुल कर अपनी बीवी को कुछ बता पा रहा था और ना ही उसे कुछ छुपा पा रहा था. अर्जुन ने उसे हिम्मत बाँधते हुए कहा, “सब सही हो जाएगा भाई...भगवान के घर देर है...अंधेर नही...”
करण भी सब कुछ भगवान पर छोड़ कर आगे की सोचने लगा. कुछ घंटो के बाद अर्जुन की गाड़ी आचार्य के आश्रम तक पहुच गयी. इस बार करण को आचार्य की शक्तियो पर कोई संदेह नही था. दोनो तेज़ कदमो के साथ आश्रम मे बने हुए आचार्य की कमरे तक पहुचे.
“आओ...आओ...अर्जुन....” आचार्य ने उनका स्वागत करते हुए उनको अंदर बुलाया.
“प्रणाम आचार्य...” बोलते हुए दोनो करण और अर्जुन ने आचार्य के पाओ छु लिए.
“सदा सुखी रहो बेटा.....तुम दोनो को यहाँ दोबारा देख कर खुशी हो रही है....पर काजल बिटिया कही नज़र नही आ रही...???” आचार्य की आँखे काजल को तलाश कर रही थी, पर जब काजल नही दिखाई दी तब वो समझ गये कि ज़रूर कोई अनहोनी हो गयी है..
“आचार्य आपके बताए अनुसार हम ने तांत्रिक त्रिकाल की गुफा खोज निकाली...उस कमीने ने मेरी प्रेमिका का बलात्कार कर के उसकी बलि चढ़ा दी और...और...काजल को भी बंदी बना लिया...” अर्जुन गिड़गिडाता हुआ बोला.
“क्या....???” आचार्य चौंक गये. “यानी अब तक तो त्रिकाल अमर हो चुका होगा क्यूकी उसने आख़िरी बलि चढ़ा दी होगी...”
“नही आचार्य....मेरी प्रेमिका कुवारि नही थी...इसलिए त्रिकाल के शैतान ने उसकी बलि स्वीकार नही की...इसलिए उसने काजल को बंदी बना लिया.....कृपा कर के आचार्य कोई उपाए बताइए नही तो वो राक्षस हमारी बहन को मार डालेगा..” अर्जुन लगभग रोते हुए बोला और आचार्य के पाओ मे गिर गया.
“मूर्ख...मैने तो सिर्फ़ तुम्हे त्रिकाल के बारे मे बताया था....तुम लोग वहाँ गये क्यू...तुम लोगो को अपनी मूर्खता की ही सज़ा मिल रही है....अरे तुम लोगो को क्या लगा कि तुम लोग उसकी काले जादू के सामने टिक पाओगे....मूर्ख हो तुम लोग...मूर्ख..” आचार्य का माथा गुस्से से तम तमा गया.
“हमे माफ़ कर दीजिए आचार्य हम तो वहाँ पर अर्जुन की प्रेमिका को बचाने गये थे....हमे क्या मालूम था कि ऐसा करने से हमारी बहन ही त्रिकाल के चंगुल मे फस जाएगी..” करण भी आचार्य के सामने गिडगिडाया और उनके चरणो मे गिर गया.
“पर तुम लोग वहाँ पहुचे कैसे...” आचार्य ने गुस्सा के कहा.
फिर करण और अर्जुन ने त्रिकाल तक के गुफा का पूरा सफ़र का वर्णन आचार्य के सामने कर दिया.
“इस दुनिया मे अब एक आप ही सबसे बड़े महापुरुष है जो हमारी मदद कर सकते है....कृपया हमारी बहन और माँ को बचा लीजिए...” अर्जुन रोते हुए बोला.
आचार्य वही समाधि पर बैठ गये और ध्यान लगाने लगे. कुछ देर के ध्यान के बाद उन्होने अपनी आँखो को खोला और करण अर्जुन से कहा, “अगर त्रिकाल अमर नही हुआ है तो उसे मारा जा सकता है...”
“वो कैसे गुरुदेव....?” कारण ने पूछा.
“एक रास्ता है पर वो बहुत कठिनाइयों से भरा हुआ है...क्या तुम दोनो मे इतनी हिम्मत है..” आचार्य बोले.
“अपनी माँ और बहन को बचाने के लिए हम हर बाधा को पार करने के लिए तय्यार है...” करण और अर्जुन ने एक साथ बोला.
“तो ठीक है सुनो....यहाँ से दूर राजस्थान मे एक वीरान पुराना शिव जी का मंदिर है...वहाँ के लोगो का मान ना है कि जो शिव जी की मूर्ति का त्रिशूल है वो असली शिव जी के त्रिशूल का एक अंश है जिससे बड़ा से बड़ा शैतान भी मर सकता है...अतीत मे बहुत से लोगो ने उस त्रिशूल की शक्ति को अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करना चाहा पर कोई वहाँ से जिंदा नही लौटा क्यूकी उस शिव जी की मूर्ति की रक्षा करते है ज़हरीले नाग....जो इंसान के मन मे छुपि लालच को पहचान लेते है और उन्हे डॅस लेते है....माना जाता है कि कोई ऐसा आदमी जिसे वास्तव मे बिना लालच के उस त्रिशूल की ज़रूरत हो...सिर्फ़ उसे ही वो नाग नही डन्सते....वहाँ पर एक साधु ने अपना पूरा जीवन उसी मंदिर मे भगवान शिव की आराधना मे गुज़ार दिया....पर कुछ लोगो ने उस त्रिशूल को पाने के लिए वहाँ के सारे नागो को ज़हरीला दूध पिला के मार दिया....तब उन साधु ने मरते हुए यह श्राप दिया कोई भी उस गाँव मे जिंदा नही रहेगा और उनका शरीर कयि सारे नागो मे बदल गया....और उन मरे हुए नागो की जगह ले ली... ” आचार्य एक साँस मे बोलते चले गये.
“तो क्या आप चाहते है कि हम वो त्रिशूल ले आए...” अर्जुन बोला.
“हाँ...क्यूकी सिर्फ़ वो ही एक हथियार है जिसपर त्रिकाल का काला जादू नही चलता....लेकिन वो भी अगली अमावस्या से पहले...नही तो वो तुम्हारी कुवारि बहन की बलि चढ़ा कर हमेशा के लिए अमर हो जाएगा...”
आचार्य की यह बात करण और अर्जुन के दिलो दिमाग़ पर बैठ गयी थी. उन्होने आचार्य से आशीर्वाद लिया और जयपुर के पास रामपुरा नामक गाँव था जहाँ पर उनकी माँ का मायका था वहाँ की ओर रवाना हो गये.
इधर त्रिकाल की गुफा मे काजल के साथ रोज छेड़ छाड़ हो रही थी. त्रिकाल के आदमी दिन भर उसके मोटे मोटे दूध दबाते रहते और वो बेचारी तड़पति रहती. लेकिन इन सब का पूरा ख़याल रखा जाता था कि किसी भी हालत मे काजल का कौमार्य भंग ना हो, इसलिए त्रिकाल के आदमी सिर्फ़ काजल के जिस्म से खेलते थे और उसे अपने बदबूदार लंड चुस्वाते थे.
त्रिकाल हमेशा की तरह काजल की माँ रत्ना से बेरहमी से संभोग करता था. बारह साल हो चुके थे रत्ना को त्रिकाल का भीमकए लंड लेते हुए. उसकी चूत इतनी बुरी तरह फट चुकी थी कि अगर किसी और ने रत्ना के भोस्डे मे लंड डाला भी तो उसे कुछ पता ही नही चलता था.
त्रिकाल अपने कोठरी मे तन्त्र मन्त्र से अपनी काले जादू की ताक़त बढ़ा रहा था. वो समाधि मे लगा हुआ था. तभी उसकी आँखो मे अंगारे उमड़ आए, और वो चिल्लाते हुए दहाडा, “शत्य प्रकाश.......”
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