07-15-2017, 01:02 PM,
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sexstories
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RE: Desi Chudai Kahani बुझाए ना बुझे ये प्यास
महक उसकी चुचियों को चूस थोडी देर के लिए रुक गयी.. जैसे की
काम हो गया हो.. लेकिन रजनी उसे इतनी जल्दी थोड़े ही जाने देने
वाली थी.. "रूको मत अब तुम्हे मेरी चूत चूस कर सॉफ करनी है."
महक तो जैसे खुश हो गयी.. उसे रजनी के साथ ये सब करना अक्चा
लगता था.. वो खुशी से उसकी चूत पर झुक चूसने लगी... थोड़ी
ही देर मे रजनी की चूत ने एक बार फिर पानी छोड दिया
दोनो तक कर एक दूसरे के बगल मे लेट थे... महक ने धीरे से
रजनी से कहा, "मेने कहा था ना राज का कोई जवाब नही.. "
रजनी घूम कर उसकी तरफ देखने लगी और मुस्कुराने लगी, "हन ये
तो है.. उस जैसा लंड मेने नही देखा क्या चोदता है वो लड़का.."
रात को दोनो औरतें जब महक के पलंग पर लेती थी तो रजनी ने
कहा, "तो यहीं तुम्हे अजय चोद्ता है है ना?"
रजनी की बात सुनकर महक चौंक पड़ी.. आज से पहले कभी रजनी ने
उससे उसके पति के बारे मे कोई बात नही की थी.. फिर अचानक अजय
का नाम क्यों... थोड़ी देर चुप रहें के बाद वो बोली, "हन जिस
तरह वो छोड़ता है और उसे ही चुदाई कहते है तो वो मुझे यहीं
चोद्ता है.. जितनी जलादी उसका लंड अंदर घुसता है उससे भी जल्दी
उसका लंड झाड़ जाता है"
फिर दोनो एक दूसरे को अपनी बाहों मे ले सो गये
राज के साथ हुए हादसे के बाद रजनी सोच मे पड़ गयी थी.. उसे
लगने लगा की उसका लोगों पर दबदबा ख़तम हो गया है.. उसे वो
दबदबा वापस लाना होगा.. उसके पास कई नामो की लिस्ट थी जिन्हे बुला
कर वो उन्हे अपने वश मे करती थी.. और मन चाहे वो करती थी...
उस लिस्ट मे एक ख़ास नाम था जिसे बुला उस पर हुक्म चलाना उसे अपना
गुलाम बनाना उसे अक्चा लगता था.. उसने उसे फोन लगाया.. वो ऑफीस
मे काम पर था.. तो उसने व्हन फोन किया.. उसने फोन उठाया तो
रजनी ने कहना शुरू किया.
"क्या पहन रखा है जान?" रजनी ने मादक आवाज़ मे कहा.
"तुम्हे पता है की मेने क्या पहन रखा है.." उसने झल्लाते हुए
कहा,, सिर्फ़ उसकी आवाज़ मे इतना असर था की उसका लंड उसकी पॅंट मे
उछालने लगा.
"क्या तुम्हारा लंड तुम्हे तंग कर रहा है?" उसने पूछा.
"नही." उसने झूठ कहा.. वरना उसका दिल तो कर रहा था की अभी
अपने लंड को पॅंट के बाहर निकले और मसालने लगे.
"शर्त लगा सकती हून, में जानती हून मेरी आआवाज़ ही तुम्हारे लंड
को खड़ा कर देती है.." रजनी ने उसे चिढ़ाते हुए कहा, "तुम्हे पता
है में इस समय बिस्तर पर लेट हुए अपनी उंगलियों को अपनी चूत मे
डाले तुम्हारे बारे मे ही सोच रही थी.
वो उस दृश्या की कल्पना करने लगा.. उसका हाथ पॅंट के उपर से ही
लंड को मसालने लगा...
"क्या तुम्हारा लंड खड़ा नही हुआ?" उसने पूछा.
"हन बहोत तंग कर रहा है" उसने जवाब दिया.. झूठ बोलना बेकार
था वो अपने आपको रोक नही पा रहा था.
"अपने लंड को अपनी पॅंट से बाहर निकालो" उसने आदेश दिया.
"नही में ऐसा नही कर सकता में ऑफीस मे हून." उसने जवाब
दिया.
"तुम कहाँ हो उसकी मुझे परवाह नही.. अपनी ज़िप खोलो और अपने लंड
को बाहर निकाल कर मेरे लिए मस्लो..... " अपने शब्दों के जाल से वो
उसे अपने वश मे करने लगी.
"ठीक है" उसने हार मन ली.. उसने वैसा ही किया जैसा की उसे रजनी
ने करने के लिए कहा था.. वो अपनी डेस्क के पीछे छिप गया जिससे
की अगर कोई अंदर आए तो ना देख पाए की वो क्या कर रहा है.
"क्या तुम्हारा लंड पूरी तरह टन कर खड़ा है?" उसने फिर अपनी
मादक आवाज़ मे पूछा.
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