09-04-2017, 04:21 PM,
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RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
भिखारी- डर मत मेरी जान.. तेरी जैसी लड़की तो नसीब से चोदने को मिलती है.. तुझे तकलीफ़ दूँगा तो कामदेव नाराज़ नहीं हो जाएँगे मुझसे.. तू बस थोड़ा दर्द सहन कर ले.. मैं आराम से लौड़ा घुसा रहा हूँ।
भिखारी ने धीरे-धीरे लौड़े को आगे धकेलना शुरू कर दिया।
वैसे तो डॉली ने चेतन का लंबा लौड़ा चूत में लिया हुआ था मगर ये लौड़ा कुछ ज़्यादा ही मोटा था.. तो उसकी चीख निकल गई.. मगर वो बस आनन्द के मारे आँखें मींचे पड़ी रही।
डॉली- आहह.. ससस्स उह.. डाल दो आहह.. आपके लौड़े में आहह.. इतनी गर्मी है उफ.. चूत की आग और भड़क गई.. आहह.. पूरा डाल दो.. एक ही साथ.. अब बर्दास्त नहीं होता।
भिखारी ने आधा लौड़ा घुसा दिया था.. डॉली की बात सुनकर उसने कमर को पीछे किया और तेज झटका मारा।
‘फच्च’ की आवाज़ के साथ 9″ का लौड़ा चूत में समा गया।
डॉली- ईएयाया उऊ.. माँ मर गई रे.. आहह.. तुम आदमी हो या घोड़े.. आहह.. कितना बड़ा लौड़ा है.. लगता है तुमने चूत में गड्डा खोद दिया आहह.. कितना दर्द हो रहा है.. अऐईइ.. मगर ऐसा मोटा तगड़ा लौड़ा जब अन्दर गया.. तो मज़ा भी आ गया…
भिखारी- उफ़फ्फ़ जान तेरी चूत तो बहुत टाइट है.. लौड़ा अन्दर फँस सा गया है.. तू सच में बच्चों से ही चुदवाती होगी.. आहह.. अब ले संभाल मेरे वार अब बर्दाश्त नहीं होता.. कब से लौड़ा फुंफकार मार रहा है।
भिखारी ने अब झटके मारना शुरू कर दिए और ‘दे.. घपाघप’ लौड़ा पेलने लगा।
डॉली को दर्द तो हो रहा था मगर वो उसको ज़ोर-ज़ोर से चोदने को बोल कर उकसा रही थी।
उसकी आँखों में आँसू आ गए मगर वासना उन आँसुओं पर भारी थी। वो गाण्ड को उछाल-उछाल कर उसका साथ देने लगी।
भिखारी उसको चोदने के साथ-साथ उसके निप्पल भी चूस रहा था।
करीब 20 मिनट की चूत फाड़ चुदाई के बाद डॉली का बाँध टूट गया और वो झटके खाने लगी। उसकी चूत से रस निकलने लगा।
जिसका अहसास भिखारी ने लौड़े पर महसूस किया और झटके मारना बन्द कर दिए।
जब डॉली शान्त हुई तो वो दोबारा शुरू हो गया।
डॉली- आहह.. उई मेरी चूत दो बार ठंडी हो गई.. आहह.. मगर तुम्हारा लौड़ा झड़ने का नाम भी नहीं ले रहा.. जब से मैंने झांटें साफ कीं.. तब से अकड़ा हुआ है।
भिखारी- अभी कहाँ बेबी.. आह आह.. कई दिनों बाद चूत मिली है आज तो पूरा मज़ा लूँगा.. मेरा इतनी जल्दी नहीं झड़ता.. उस पड़ोसन भाभी को मैं चोदता था ना.. तो उसकी हालत खराब करके ही झड़ता था.. आहह.. उफ तेरी चूत बहुत टाइट है.. मज़ा आ रहा है उह उह।
डॉली- मेरी चूत में जलन होने लगी। दो मिनट का तो आराम दो आहह.. आई.. मैं मुँह से मज़ा दे देती हूँ आहह.. निकाल लो ना.. आहह.. आई.. एक बार…
भिखारी को उस पर रहम आ गया और एक झटके से लौड़ा चूत से बाहर खींच लिया।
‘सर्ररर’ की आवाज़ के साथ लौड़ा बाहर आ गया.. जैसे किसी ने म्यान से तलवार निकाली हो।
डॉली बैठ गई और लौड़े को चूसने लगी.. उसको अब राहत मिली और लौड़ा अब भी लोहे की रॉड जैसा तना हुआ था.. जिसे उसको चूसने में अलग ही मज़ा आ रहा था।
पाँच मिनट तक वो लौड़ा चूसती रही.. अब उसकी चूत दोबारा चुदने के लायक हो गई.. उसमें पानी रिसने लगा..
भिखारी- मेरी जान.. अब बस भी कर.. चल अब घोड़ी बन जा.. मेरा लौड़ा अब किसी भी वक़्त लावा उगल सकता है।
डॉली घुटनों के बल बैठ गई और भिखारी ने लौड़ा चूत पर टिका दिया और वहाँ बस रगड़ने लगा.. उसने अन्दर नहीं डाला.. उसके हाथ डॉली की गाण्ड पर घूम रहे थे।
डॉली- ससस्स आ डालो ना.. क्या हुआ छेद नहीं मिल रहा क्या.. मैं मदद करूँ..
भिखारी- अरे नहीं मेरी जान.. छेद क्यों नहीं मिलेगा.. क्या कभी सुना है.. साँप को बिल कोई और बताता है.. वो खुद ब खुद ढूँढ लेता है.. मैं सोच रहा हूँ तेरी गाण्ड क्या ज़बरदस्त है.. एकदम मक्खन की तरह.. अबकी बार गाण्ड ही मारूँगा।
डॉली- वो सब बाद की बात है पहले चूत में लौड़ा घुसाओ.. अब जल्दी से अपना पानी निकालो.. मेरी माँ आने वाली है।
भिखारी ने इतना सुनते ही लौड़ा चूत में पेल दिया और ठोकने लगा।
उसने डॉली की कमर पकड़ ली और रफ़्तार से लौड़ा अन्दर-बाहर करने लगा।
डॉली- आआ आआ आईईइ आराम से.. आह क्या हो गया तुमको.. आह आहह.. मर गई रे.. हाय जान निकल गई आ उह..
अबकी बार भिखारी कुछ ज़्यादा ही रफ़्तार से चोद रहा था। वो पूरा लौड़ा बाहर निकालता और एक साथ अन्दर घुसा देता.. जिसके कारण डॉली को दर्द होता और चोट के साथ ही वो सिहर जाती।
दस मिनट तक वो बिना कुछ बोले बस चूत की चुदाई करता रहा।
अब डॉली को भी मज़ा आने लगा था वो गाण्ड को पीछे धकेलने लगी थी।
डॉली- आहह.. आह आईईइ फास्ट आहह.. उहह.. ज़ोर से आहह.. मेरा प्प..पानी आ..आने वाला है.. फास्ट।
भिखारी अपनी पूरी ताक़त से चोदने लगा, उसका लौड़ा भी फूलने लगा था, अब उसका किसी भी पल ज्वालामुखी फूटने वाला था।
भिखारी- उह उह उह मेरा भी उहह आने वाला है.. आहह.. बाहर निकालूँ क्या आहह.. जल्दी बोलो।
डॉली- आई.. आई.. नहीं आहह.. आहह.. अन्दर ही आहह.. उह.. मैं गई आहह..
उसी पल डॉली का बाँध टूट गया और उसकी चूत से पानी लौड़े पर स्पर्श हुआ.. उसके लगते ही लौड़ा भी फट गया और उससे बहुत तेज पिचकारी निकली.. जिसका फोर्स इतना तेज था कि डॉली की चूत से टकराते ही डॉली की सिसकी निकल गई.. जैसे किसी ने पानी के पाइप से तेज धार चूत में मार दी हो…
लौड़े से वैसी ही कई पिचकारी और निकलीं और डॉली की चूत माल से भर गई।
जब भिखारी ने लौड़ा बाहर निकाला ‘फक’ की आवाज़ से लौड़ा बाहर निकला.. उसके साथ दोनों का मिला-जुला वीर्य भी बाहर आने लगा।
अब दोनों ही थक चुके थे इस पलंग-तोड़.. चूत-फाड़ चुदाई से अब दोनों बिस्तर पर पड़े लंबी-लंबी साँसें ले रहे थे।
काफ़ी देर तक दोनों वैसे ही पड़े रहे।
भिखारी- वाह जानेमन वाह.. आज तूने कमाल कर दिया.. कोई भीख में रोटी देता है कोई पैसे.. तो कोई कपड़े.. मगर तू सबसे बड़ी दानवीर है.. तूने मुझे भीख में अपनी चूत दे दी वाह.. मज़ा आ गया।
डॉली- ऐसा मत कहो मैंने तुम्हें कोई भीख नहीं दी.. मेरी अपनी चूत में आग लग रही थी। उसकी शांति के लिए मैंने तुम्हें इस्तेमाल किया और कसम से मज़ा आ गया। तुम्हारा लौड़ा बहुत तगड़ा है.. झड़ता ही नहीं कितना चोदा तुमने मुझे.. वाकयी बहुत पावर है आप में..
भिखारी- जान अब गाण्ड कब मरवाओगी? मेरा बड़ा मन हो रहा है.. तेरी मखमली गाण्ड मारने का।
डॉली- अभी नहीं.. मम्मी आ जाएगी’.. तुम बस इसी एरिया में घूमते रहना.. जब भी मौका मिलेगा मैं अन्दर बुला लूँगी और प्लीज़ किसी को बताना मत.. मेरी इज़्ज़त अब तुम्हारे हाथ में है।
भिखारी- अरे मुझे क्या पागल कुत्ते ने काटा है जो मैं किसी को बताऊँगा.. सोने जैसा पानी फेंकने वाली चूत को भला कोई क्यों काटेगा.. उसको तो बस चोदेगा हा हा हा तू फिकर मत कर अब मैं इसी एरिया में भीख माँगता रहूँगा.. जब मौका मिले.. तू बुला लेना तुझे मेरे खड़े लौड़े की कसम है।
डॉली- अच्छा बाबा ठीक है.. अब उठो जल्दी से कपड़े पहनो और निकलो.. माँ आ गईं.. तो सब चौपट हो जाएगा।
डॉली ने उसे पापा के पुराने कपड़े पहना दिए और कुछ खाना भी पैकेट में डाल कर दे दिए। वो खुश होकर वहाँ से चला गया तब कहीं डॉली की जान में जान आई और वो बाथरूम में घुस गई।
उसकी चूत में थोड़ा दर्द था तो वो गर्म पानी से नहाने लगी और चूत को सेंकने भी लगी।
उसने नहाने के बाद भिखारी के पुराने कपड़े फेंके अब उसको बड़ी ज़ोर की भूख लगी और लगनी ही थी.. उसने 9″ के मूसल से इतनी दमदार चुदाई जो करवाई थी।
बस फिर क्या था.. जम कर खाना खाया और अपने कमरे में जाकर सो गई। कब उसको नींद ने अपने आगोश में ले लिया पता भी नहीं चला। उसकी मम्मी आईं.. तब तक वो गहरी नींद में सो गई थी।
रात को कहीं कुछ खास नहीं हुआ तो चलो सीधे सुबह की बात बताती हूँ।
दोस्तों आप सोच रहे होंगे कि ये कहानी कब से चल रही है मगर अब तक रविवार नहीं आया, अब विस्तार से सब लिखूँगी तो कहानी बड़ी हो ही जाती है..
खैर.. अगली सुबह का सूरज निकल आया.. आज रविवार आ गया.. अब आज क्या होता है आप खुद देख लो।
डॉली देर तक सोती रही क्योंकि आज स्कूल तो था नहीं और कल की चुदाई से उसका बदन दुख रहा था।
करीब 9 बजे उसकी मम्मी ने उसे बाहर से आवाज़ लगाई, ‘अब बहुत देर हो गई.. उठ जाओ पढ़ाई नहीं करनी क्या.?’
डॉली अंगड़ाई लेती हुई बोली।
डॉली- कल शाम को तो इतनी जबरदस्त चुदाई की थी.. अब दोबारा आप चुदाई करने को कह रही हो।
सुशीला- अरे क्या बड़बड़ा रही है.. उठ कर बाहर आजा…
मम्मी की आवाज़ सुनकर डॉली को अहसास हुआ कि उसने ये क्या बोल दिया.. ये तो अच्छा हुआ मम्मी ने नहीं सुना वरना आज तो उसकी शामत आ जाती।
डॉली- हाँ मम्मी आ रही हूँ.. बस 2 मिनट रूको।
डॉली ने दिल पर हाथ रखा वो थोड़ा डर गई थी। उसके बाद वो फ्रेश होने चली गई।
दोस्तो, जब तक ये फ्रेश होती है.. चलो चेतन और ललिता के पास चलते हैं, देखते हैं वहाँ क्या खिकड़ी पक रही है।
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09-04-2017, 04:22 PM,
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RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
चेतन- अरे चुपचाप क्यों बैठी है.. देख मैंने आज तेरे लिए लौड़ा कैसा चमकाया हुआ है.. चूसेगी नहीं आज।
प्रिया के तो होश उड़ गए वो तो डॉली का प्रोग्राम चौपट करने आई थी.. यहाँ तो मामला ही दूसरा हो गया।
वो कुछ बोलती इसके पहले चेतन ने एक और धमाका कर दिया.. उसने लोवर नीचे सरका दिया।
अब लौड़ा आधा खड़ा प्रिया के होंठों के एकदम करीब था।
चेतन- अरे जानेमन क्या बात है.. नाराज़ हो क्या.. ले अब चूस ले.. देख कैसा चिकना हो रहा है.. इसे तेरे लिए ही चमकाया है.. आज तेरी चूत और गाण्ड की खैर नहीं…
प्रिया अब बुरी तरह डर गई थी और अपने ही जाल में फँस भी गई थी, उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे और क्या ना करे।
चेतन ने उसके मम्मों को दबाने शुरू कर दिए और लौड़ा को उसके होंठों से स्पर्श कर दिया।
चेतन- अरे क्या हुआ.. कुछ तो बोल.. आज मौन व्रत रख कर आई है क्या.. और तेरे मम्मे इतने कड़क क्यों लग रहे हैं.. कुछ अलग ही लग रहे हैं.. आ ले अब तो लौड़ा होंठ के पास आ गया.. चूस ना यार…
चेतन के चूचे दबाने से अब प्रिया का मन मचल गया और उसने धीरे से लौड़े की टोपी मुँह में ले ली और चूसने लगी।
चेतन- आह्ह.. मज़ा आ गया.. अरे मुँह में पूरा ले ना आह्ह..
चेतन का लौड़ा झटके से एकदम अपने असली रूप में आ गया था।
प्रिया ने डरते-डरते पूरा लौड़ा मुँह में ले लिया और मज़े से चूसने लगी।
चेतन- आह मेरी जान ओफ्फ मज़ा आ गया आह्ह.. आज तो तू कुछ अलग ही अंदाज में चूस रही है आह्ह.. उफ़फ्फ़…
प्रिया अब वासना की आग में जलने लगी थी उसकी चूत रिसने लगी थी। वो और जोश में लौड़ा चूसने लगी।
चेतन की आँख अब ठीक थी.. उसने आँखें खोल ली थीं और प्रिया को डॉली समझ कर उसकी गाण्ड दबा रहा था।
दरअसल प्रिया की पीठ उसकी तरफ थी और वो लौड़ा चूस रही थी। उसका जिस्म भी डॉली जैसा ही था.. बस चमड़ी की रंगत का फ़र्क था.. जिसके कारण चेतन को अब तक कुछ पता नहीं लगा।
वो बस लौड़े की चुसाई का आनन्द ले रहा था और प्रिया भी मज़े ले रही थी।
चेतन- ओफ्फ आह्ह.. चूस.. मेरी जान आह्ह.. आज तेरी चूत और गाण्ड का भुर्ता बना दूँगा आह्ह.. अब बस भी कर.. लौड़ा को चूस कर ही ठंडा करेगी क्या आह्ह..? चल अब चूत का मज़ा लेने दे आजा मेरी जान…
चेतन ने प्रिया के सर को पकड़ कर लौड़े से हटाया और उसके चेहरे पर नज़र पड़ते ही उसके होश उड़ गए।
प्रिया भी एकदम से घबरा गई.. जैसे लंबी बेहोशी के बाद होश में आई हो।
अब चेतन से नज़रें मिला पाना उसके लिए मुश्किल हो रहा था, उसने नजरें झुका लीं।
ओह.. सॉरी मित्रों.. आपको थोड़ा रुकना होगा कुछ जरूरी बात बतानी है.. आपको बता दूँ.. डॉली जब ललिता के पीछे गई थी।
तभी प्रिया यहाँ आई थी।
सारी घटनाएं एक साथ हो रही हैं तो आपको बता दूँ कि डॉली वहाँ बिज़ी थी।
प्रिया यहाँ अब अपनी हीरोइन कहाँ तक पहुँची देख आते हैं, कहीं ऐसा ना हो वो आ जाए और दोनों को इस हाल में देख ले।
डॉली वापस रिक्शा में आ रही थी तभी रास्ते में मैडी और खेमराज बाइक पर जा रहे थे.. दोनों ने उसे देख लिया डॉली की भी नज़र उन पर पड़ गई।
डॉली- अरे ये कहाँ से आ गए.. अब सर के घर जाना ठीक नहीं.. क्या पता ये पीछे आ जाएं।
डॉली ने रिक्शा अपने घर की ओर ले लिया और घर के पहले मोड़ पर उतर गई।
मैडी भी उसका पीछा करता हुआ आ गया।
डॉली ने उनको नज़रअंदाज किया और घर की तरफ चल दी।
मैडी- डॉली एक मिनट रूको तो प्लीज़…
डॉली- अरे तुम यहाँ क्या कर रहे हो.. बोलो क्या बात है?
मैडी- डॉली कहाँ जाकर आई हो तुम?
डॉली- एक्सक्यूज मी.. तुम होते कौन हो मुझसे सवाल पूछने वाले?
मैडी- सॉरी यार.. तुम तो बुरा मान गईं.. मेरा वो मतलब नहीं था.. कल आ रही हो ना?
डॉली- हाँ यार पक्का आऊँगी.. बोला ना अब जाओ. मुझे ऐसे रास्ते में खड़ा होना पसन्द नहीं है।
मैडी- ओके थैंक्स.. बाय.. चल बे क्या खड़ा है चल…
दोनों वहाँ से जाने लगे.. डॉली वहीं खड़ी उनको जाते हुए देख रही थी.. वो बात करते हुए जा रहे थे।
खेमराज- यार साली, दिन पे दिन क़यामत होती जा रही है.. कल का क्या सोचा है.. अब तो बता दे.. कहीं ऐसा ना हो.. कल ये आए भी और हम कुछ भी ना कर सकें।
मैडी- अबे चूतिया साला.. जब भी बोलेगा उल्टी बात ही बोलेगा… इसके लिए मैंने इतना खर्चा किया.. ऐसे थोड़े ही साली को जाने दूँगा.. चल रिंकू के पास चलते हैं, तीनों मिलकर बात करेंगे.. उसके सामने ही कल का प्लान बताऊँगा.. तब तुझे समझ आएगा।
खेमराज- अरे अभी नहीं.. बाद में जाएँगे पहले एक जरूरी कम निपटा आते हैं.. उसके बाद पूरा दिन में फ्री हूँ यार…
मैडी- कौन सा जरूरी काम बे?
खेमराज- यार पापा के दोस्त के घर ये पेपर देने हैं बस उसके बाद फ्री ही फ्री.. चल अभी तो बाइक भी है.. बाद में आते हैं ना रिंकू के पास…
मैडी ने ना-नुकुर की और फिर मान गया दोनों वहाँ से चले गए।
डॉली- चले गए हरामी.. अब जाती हूँ मेरे राजा जी के पास बेचारे राह देख रहे होंगे दीदी भी नहीं हैं घर पर.. वो तो वहाँ अपनी सहेली के साथ बिज़ी हैं।
डॉली चेतन के घर की तरफ बढ़ने लगती है।
अरे दोस्तो, अब क्या होगा प्रिया भी वहीं है.. चलो आपको वापस वहाँ ले चलती हूँ.. मज़ा आएगा।
चेतन- प्प..प्प..प्रिया तुम.. यहाँ क्या कर रही हो?
प्रिया- व..व..वो सर मैं स..सवाल पूछने आई थी.. मगर आपने..
चेतन- ओह्ह.. मैंने समझा डॉली आई.. न..न..नहीं मेरी बीवी आई है.. ऐसा समझा सॉरी.. ग़लती से डॉली मुँह से निकल गया।
चेतन ने तब तक लोवर ऊपर कर लिया था उसका लौड़ा अभी भी तना हुआ था।
प्रिया- आप मुझे डॉली ही समझ रहे थे.. मैं सब जानती हूँ।
चेतन- क..क्या तुमको कैसे पता?
प्रिया- वो सब बाद में बताऊँगी.. डॉली कहाँ है.. मैं उसके लिए ही आई थी।
चेतन- अभी तक तो नहीं आई.. आने ही वाली होगी.. तुम जल्दी से निकलो.. अगर वो आ गई तो गड़बड़ हो जाएगी.. तुमको फिर कभी मज़ा दूँगा।
प्रिया- सॉरी आप गलत समझ रहे हो.. डॉली ने कई बार मुझसे आपके बारे में कहा.. मैंने हमेशा मना ही किया और आज भी मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था। बस सब इत्तफ़ाक़ से हो गया.. ओके मैं जाती हूँ प्लीज़ आप भी उसको कुछ मत बताना।
चेतन- अच्छा इत्तफ़ाक़ से हो गया.. लौड़ा तो बड़े मज़े से चूस रही थी.. अब जाने दो तुम्हारी मर्ज़ी.. अच्छा अब जाओ.. मैं क्यों उसको बताऊँगा?
प्रिया जब दरवाजे के पास गई.. बस खोलने ही वाली थी कि चेतन भाग कर उसके पास आ गया।
चेतन- रूको पहले मुझे देखने दो बाहर कोई है तो नहीं ना?
प्रिया साइड में हो गई.. चेतन ने थोड़ा सा दरवाजा खोला ही था कि सामने से डॉली आती हुई नज़र आई चेतन ने जल्दी से दरवाजा बन्द कर लिया।
चेतन- लो आ गई डॉली.. अब तुमको यहाँ देखेगी तो हम दोनों से ना जाने कितने सवाल पूछेगी.. तुम ऐसा करो वो सामने वाले कमरे में छुप जाओ जब मैं उसको लेकर इस कमरे में चला जाऊँ.. तब तुम निकल जाना।
प्रिया- मगर सर… छुपने की क्या जरूरत है..??
वो आगे कुछ बोलती चेतन उसका हाथ पकड़ कर दूसरे कमरे में ले गया और दरवाजा बन्द कर दिया।
तभी डॉली ने घन्टी बजा दी।
प्रिया- मेरी पूरी बात भी नहीं सुनी.. डॉली को बोल देती सवाल पूछने आई थी.. सर भी ना पागल है.. वैसे लौड़ा बड़ा मस्त है उनका.. तभी डॉली उनके प्यार में पागल हो गई है।
चेतन- आ रहा हूँ रूको…
चेतन ने दरवाजा खोला और डॉली को देख कर उसको मुस्कान दी।
चेतन- अब आ रही हो.. तुम्हारा कब से इन्तजार कर रहा हूँ।
डॉली- हाँ जानती हूँ.. अकेले बोर हो रहे होगे.. अब अन्दर भी चलो.. क्या सारी बात यही करोगे?
चेतन पीछे हट गया.. डॉली अन्दर आ गई।
चेतन- तुमको कैसे पता मैं अकेला हूँ?
डॉली- व्व..वो बस ऐसे ही अंदाज से बोल दिया मैंने.. तो क्या सच में दीदी घर पर नहीं है?
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