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RE: Incest Stories in hindi रिश्तों मे कहानियाँ
मामी ने दिखाया स्वर्ग का दरवाजा
हैल्लो दोस्तों मेरा नाम देव है और में दिल्ली का रहने वाला हूँ.. मेरी उम्र 25 साल की है। दोस्तों में आज ये स्टोरी लिख रहा हूँ.. ये मेरे और मेरी एक मामी ज़ी के साथ हुए सेक्स अनुभव के बारे में है। दोस्तों मेरे मामा की शादी 2005 में हुई और मेरी मामी बहुत अच्छी हैं और देखने में बहुत सुंदर हैं। उनका साईज़ है 36-25-34 और उनकी उम्र 28 साल की है। मामा की शादी के वक़्त जब वो पहली बार ससुराल आई तभी से मैंने उनसे दोस्ती कर ली थी वैसे भी आप जानते हैं कि जब नई दुल्हन आती है तो उसका ख़ास ध्यान रखा जाता है.. तो यहाँ भी वही होने लगा था। फिर में भी इस काम में सभी का साथ देता था क्योंकि मुझे मामी के साथ वक़्त बिताने का मौका मिलता था और मामी भी मुझसे बातें करके पूरे दिन टाईम पास कर लेती थी। फिर ऐसे ही हमारी दोस्ती हो गयी और हम लोग खाना भी साथ खाने पीने लगे।
फिर बाद में क्योंकि मेरे कॉलेज की पढ़ाई का चक्कर था तो मुझे एक सप्ताह के बाद वहाँ से दिल्ली वापस आना पड़ा मेरी फेमिली यहीं दिल्ली में ही है और मामा जी का घर कानपुर में है। फिर यहाँ से में मामी जी से अक्सर फोन पर बातें किया करता था और फिर धीरे धीरे मैंने उनसे एक अच्छे दोस्त का रिश्ता बना लिया था। फिर उनकी शादी में मुझे उनकी एक दोस्त भी बहुत पसंद आई और में अक्सर मामी से कहता था कि प्लीज मेरी उससे शादी करा दो। तभी वो भी कहती थी कि हाँ करा देंगे जब सही समय आएगा। तभी इन सब बातों को करते करते हम बहुत अच्छे दोस्त हो गये थे।
फिर में अक्सर उनकी शादीशुदा लाईफ की फेमिली प्लानिंग के बारे में भी बातें कर लिया करता था। उन बातों पर कभी वो शरमाती तो कभी सीधा सा जवाब देती और मजाक़ में कहती थी कि तुम्हारी शादी होने दो.. फिर देखेंगे तुम क्या क्या प्लानिंग करते हो। फिर ऐसे ही वक़्त गुज़रता गया और फिर करीब 8-10 महीने के बाद मैंने छुट्टियों पर एक प्लान बनाया और फिर मामा जी के घर पर पहुँच गया। इस बार मेरे पास बहुत टाईम था वहाँ पर रुकने और उनसे बातें करने का और फिर घर पहुँच कर सभी फेमिली सदस्य से मिला.. नानी, मामा, कज़िन्स, सभी बहुत खुश हुए मुझे अचानक देखकर और में भी लेकिन मुझे ज़्यादा खुशी थी मामी जी से मिलने की और उनके साथ वक़्त बिताने की। मेरे मामा स्कूल टीचर हैं। तो वो सुबह जल्दी जाते और शाम को आते और जब खाली समय मिलता तो कभी खेती बाड़ी में भी टाईम दिया करते थे।
फिर मामा मामी की शादीशुदा लाईफ बहुत अच्छी चल रही थी और वो दोनों एक दूसरे के साथ खुश थे और आज भी हैं नानी, मौसी और सभी फेमिली सदस्य वहीं पर एक ही मकान में रहते थे और खेती के काम में लगे रहते थे और गावं में वैसे भी कोई ना कोई काम रहता ही है.. मामी भी घर के काम करती हैं लेकिन ज़्यादा नहीं.. वो सीधे काम करती थी। फिर वो अक्सर अपने रूम में ही समय बिताती हैं और में भी ऐसे ही समय का इंतज़ार करता था कभी किचन में उनके साथ बातें करता जब वो खाना बना रही होती या फिर बाद में उनके रूम के आस पास मंडराता रहता और इसी बीच वो मुझसे बातें करने के लिए रूम में बुला लेती। फिर कभी कभी तो लंच हम साथ में ही करते थे और वो भी एक पड़ी लिखी लड़की हैं और में भी ठीक ठाक हूँ तो अन्य लोगों की तुलना में हमारी बहुत अच्छी बनती थी। फिर हम उनके बेड पर ही बैठकर लंच करते थे और कई बार उन्होंने मुझे अपने हाथों से खाना खिलाया हैं और मुझे बहुत मज़ा आता था।
फिर ऐसे ही एक दिन लंच टाईम में मामी नहाने के बाद तैयार हुई.. वही डेली की तरह तैयार होना। उन्होंने हरे रंग की साड़ी पहनी.. बाल खुले हुए जिनसे हल्का हल्का पानी टपक रहा था.. ब्लाउज जो ठीक ठाक ही था लेकिन इनकी हेल्थ बहुत अच्छी होने की वजह से और चार चाँद लगा रहा था.. उनका गोरा और चिकना पेट देखकर मेरे मन में हलचल मच गयी। फिर में भी नहाकर आया और मामी के कमरे में ही ड्रेसिंग टेबल के सामने तैयार हो रहा था। तभी उस समय मामी किचन में थी और में तैयार होते समय अकेला रहना पसंद करता हूँ ये बात मामी जानती है लेकिन उसी समय वो रूम में आ गयी और मुझे अपनी ब्यूटी प्रॉडक्ट्स की कीट में से क्रीम और कोई भी समान जो मुझे चाहिए हो.. ऑफर किया।
तभी मैंने कहा कि मामी में तो सांवला हूँ मुझ पर इन ब्यूटी प्रॉडक्ट्स का कोई असर नहीं होता ये तो आप जैसे गोरी और सुंदर लडकियों के लिए बहुत अच्छी है। तभी वो बोली तुम किससे बुरे हो.. गोरा रंग ही सब कुछ नहीं होता बातचीत का भी तो फर्क होता है और तुम्हारी सोच बहुत अच्छी हैं। फिर मैंने उन्हे मुस्कुराते हुए थेंक्स कहा। फिर उन्होंने कहा कि तुम तैयार हो जाओ फिर हम साथ में लंच करेंगे। फिर लंच करते हुए वो मेरे सामने ही बेड पर बैठी थी उनकी साड़ी, लिपस्टिक, ब्लाउज के अंदर बूब्स, और चिकना पेट देखकर मेरी भूख तो वैसे ही खत्म हो जाती थी और मेरा तो दिल कर रहा था की इन्हें ही खा जाऊं। फिर मुझे ठीक से खाना ना खाते देख उन्होंने पूछा कि क्या हुआ? बताओ ना खाना क्यों नहीं खा रहे? तभी मैंने कहा कि मन नहीं है। फिर उन्होंने मुझे बहुत पूछा लेकिन में उन्हे क्या बता सकता था? फिर थोड़ी देर के बाद उन्होंने मुझे अपने हाथ से खिलाना शुरू किया। फिर उनके मुलायम हाथों से खाने में बहुत अच्छा लग रहा था.. कई बार तो मैंने उनकी उंगलियों को भी होंठो के बीच में दबा लिया और वो मुस्कुराती हुई कहती ऑश.. बदमाश खाना खाओ मेरी उंगलियाँ नहीं।
में : खाना तो मुझे खाना नहीं.. बस आपकी उंगलियों की वजह से ही में खाने की इच्छा जाता रहा हूँ।
मामी : अच्छा जी तो खाने में नहीं.. तुम्हारी इन उंगलियों में रूचि है।
में : मुझे तो आपकी हर बात में रूचि है.. आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो। में तो आपको खा सकता हूँ लेकिन खाना नहीं।
मामी : ओह हो तो ये बात है इतनी हिम्मत है.. लगता है अब तो जल्दी ही एक अच्छी लड़की ढूंढकर तुम्हारी शादी करवानी ही पड़ेगी।
में : में तो कब से कह रहा हूँ लेकिन आप बात ही आगे नहीं बढाती।
फिर इस बात पर मामी मुस्कुराई और खाना ख़त्म किया। फिर मुझे पानी पीना था.. तभी मैंने मामी के बालों से टपकते हुए पानी को देखा जो उनके ब्लाउज के ऊपर गिर रहा था। तभी मैंने कहा कि मामी पानी.. फिर वो ग्लास देने लगी। फिर मैंने ब्लाउज की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ग्लास से नहीं वहाँ से पीना है। फिर उन्होंने मुझे मजाक में आकर मेरे गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारा और कहा सुधर जाओ वरना मार पड़ेगी। फिर बाद में हम लोग वहीं बेड पर ही लेट गये और दोपहर का टाईम था तो वहीँ हल्की नींद लेने का प्लान था लेकिन हम अभी बातों में ही व्यस्त थे। फिर बातें करते करते में उनका पेट देख रहा था और पेट पर गहरी नाभि थी क्या कमाल लग रही थी मुझे गहरी नाभि बहुत पसंद हैं। फिर बातों के समय ही में उनके और करीब चला गया और फिर उनके भीगे बालों को छूने लगा। फिर मामी के लाल होंठ मुझे न्योता दे रहे थे और जब वो हँसती तो मन करता कि उनके होंठो को चूम लूँ। फिर इसके बाद मैंने अपना एक हाथ मामी के हाथ पर रखा और हल्के से सहलाया मामी ने मेरी तरफ देखा और फिर मैंने उनकी तरफ.. मेरी साँसें भारी हो रही थी और फिर इतने में हिम्मत करके मैंने उनके पेट पर एक हाथ रखा और उसे सहलाया तो मामी मना करने लगी।
फिर उन्होंने कहा कि हम दोस्त हैं लेकिन ऐसा मत करो ये सब ठीक नहीं.. लेकिन में कामुक हो गया और फिर उन्होंने मुझे सीने से लगा लिया.. उनके बदन की खुश्बू और टच ने मेरे पहले से तने हुए लंड को और खड़ा कर दिया और मैंने उन्हें बाहों में भर लिया और फिर बेड पर एक दूसरे से लिपटे हुए ही बेड के एक हस्से से दूसरे हिस्से पर रोल होने लगा। फिर मामी मुझे प्यार से सहला रही थी और मेरा साथ दे रही थी। तभी में उठा और मामी को सीधा करते हुए उनके होंठो पर अपने होंठ रख दिए ओह वाह क्या अहसास था। फिर मैंने उन्हें तब तक चूसा जब तक कि उनकी लिपस्टिक साफ नहीं हो गयी। तभी मामी मुस्कुराते हुई बोली बदमाश किस तो ज़बरदस्त है इससे पहले कितनों को कर चुके हो? तभी में मुस्कुराया और कहा कि आगे- आगे देखिए में क्या- क्या करता हूँ।
फिर मैंने उन्हें लेटाया और उनका ब्लाउज अपने हाथों से खोला और ब्रा खोलने से पहले मैंने उनकी चिकनी पीठ को बहुत चाटा। फिर ब्रा खुलने के बाद उनके शरीर के ऊपर का हिस्सा देखकर में सिहर उठा सारे बदन में एक अहसास जाग उठा.. ऐसा लगा जैसे मेरे सामने स्वर्ग का दरवाजा खुल गया हो। फिर उनके निप्पल को बहुत चूसा और चाटा मामी गरम होने की वजह से बड़बड़ा रही थी उह्ह अहह देव तुम कितने अच्छे हो आहह मजा आ गया और करो अहहउ। फिर इसके बाद में पेट की तरफ बढ़ा.. चिकने पेट पर मेरी नियत कब से खराब थी.. उस पर पहले तो जी भरकर हाथ फिराया और फिर उसे चूमा मैंने अपनी जीभ से उसे चाट चाटकर लाल कर दिया और साथ ही साथ मैंने उनका पेटिकोट भी खोल दिया और अब बारी थी गहरी नाभि की.. वाह क्या गजब चीज़ थी। फिर मैंने वहीं पास से पानी लिया और पानी नाभि में भरा और फिर उसे पिया मामी सिसकीयाँ भर रही थी उन्हें जैसे जन्नत के मिल गई हो.. वो कहने लगी है देव तुमने कैसा नशा घोल दिया है मुझे गुदगुदी हो रही है ऑफ उहह। फिर वो मेरे बालों पर उंगलियाँ घुमा रही थी और मुझे अपने पेट पर कसकर जकड़े हुए थी
फिर मैंने अपनी शर्ट खोल दी और लोवर अलग फेंक दिया इतने में मामी बोली, ओह देव प्लीज़ अंडरवियर मुझे उतारने दो और मुझे अपनी तरफ खींचकर मेरी अंडरवियर को धीरे धीरे उतारने लगी बहुत ही धीरे धीरे आराम से उतार रही थी। फिर जैसे ही मेरे लंड के दर्शन हुए तो उन्होंने एकदम से अंडरवियर उतार फेंका और लंड हाथ में लेकर उसे किस करने लगी और में सातवें आसमान पर था। फिर मैंने उनकी पानी से भीगी हुई चूत में साईड से हाथ डालते हुए उनकी टाँगों को फैला दिया.. एकदम शेव्ड चूत थी। फिर उनके पेट और चूत का रंग एक जैसा था एकदम गोरा लेकिन मेरा लंड मेरी तरह सांवला है और 6 इंच लम्बा है। फिर में उनकी चूत में ऊँगली डाल रहा था और वो मेरे लंड को किस कर रही थी। फिर हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा और फिर आँखों में ही इशारा करते हुए सीधे लेट गये। फिर मामी बहुत गीली हो चुकी थी और फिर मैंने अपनी जीभ से एक बार जैसे ही चूत को छुआ मानो उसे एक करंट का झटका लगा वो पूरी की पूरी हिल गई। फिर मैंने करीब दस मिनट जीभ से चूत की चुदाई की और फिर मैंने अपना लंड चूत के मुहं पर रख कर सेट किया और एक जोर के झटके में आधा लंड चूत में डाल दिया। तभी मामी दर्द से चीख उठी.. शईईई डियर अह्ह्ह मज़ा आ गया।
फिर मैंने इसके बाद दूसरे झटके में पूरा का पूरा लंड चूत की गहराइयों में डाल दिया और फिर थोड़ी देर वैसे ही पड़ा रहा.. साथ ही साथ मामी के होठों को चूसता रहा और कभी उनके बूब्स को अपने दोनों हाथों से दबाता। फिर जब मामी ने नीचे से झटके देना शुरू किया तब मैंने स्पीड बड़ाई और फिर ताबड़तोड़ झटको के साथ लंड को अंदर- बाहर करने लगा और मामी भी नीचे से अपनी गांड हिलाकर मेरा साथ दे रही थी और वो कहे जा रही थी।
मामी : वाह जानू में तुमसे से बहुत प्यार करती हूँ तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो और अंदर घुसाओ ना अपनी मामी को खा जाओ उईईई उह्ह्ह अहह चोद दो आज अपनी मामी को और जोर से चोदो।
फिर बीच बीच में में कभी नाभि को चाटता, कभी बूब्स, कभी होंठ। फिर थोड़ी देर बाद मैंने उनकी कमर को पकड़कर पूरे जोश के साथ धक्के देंने शुरू किये। ऐसा करते करते 10-15 मिनट बाद हम दोनों एक साथ झड़ गये। मैंने उनकी चूत में पूरा वीर्य जोरदार धक्को के साथ डाल दिया और फिर हम थक कर उसी पोज़िशन में बहुत देर पड़े रहे। फिर उसके बाद मामी ने मुझे बहुत किस किया और प्यार किया। फिर कुछ देर बाद मैंने ही मामी को सारे कपड़े पहनाए और ऐसा करते हुए उनका चिकना पेट मैंने बहुत चाटा। मुझे उनका चिकना पेट बहुत अच्छा लगता था। मैं उनकी नाभि में कभी शहद भरकर चाटता हूँ तो कभी दूध और आईसक्रीम। मामी मुझे बहुत प्यार करती है और वो मामा से भी अपना रिश्ता बखूबी निभा रही है। कहीं कोई समस्या नहीं है.. सब जगह प्यार ही प्यार है। तो दोस्तों ये थी मेरी मामी की चुदाई की कहानी ।।
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RE: Incest Stories in hindi रिश्तों मे कहानियाँ
बुआ को लंड चुसाया और उसकी चूत मारी
बुआ को लंड चुसाया और उसकी चूत मारी – क्यूँ टाईटल पढ़ के आश्चर्य हुआ…! लेकिन सेक्स चीज ही ऐसी है के उसे इज्जत देनी पड़ती है और जब लंड खड़ा होता है तो अच्छे अच्छे रिश्ते भी भूल जाता है, कभी कभी हमारे यह रिश्तेदार भी अपनी चूत की प्यास भुजाने के लिए हमारे लंड का सहारा लेते है. आइये मैं आपको नमिता बुआ की कहानी सुनाऊं अब, नमिता बुआ मेरे से कुछ 5 साल ही बड़ी थी. बुआ अपनी लॉ की पढाई के सिलसिले में दिल्ली मुंबई आई थी और यही नजदीक में एक हॉस्टल में रहेती थी. एक दिन मम्मी डेडी को शादी में बहार जाना था इसलिए उन्होंने नमिता बुआ को घर बुलाया मेरा और मेरी छोटी बहन का खाना बनाने के लिए. मेरी कोलेज में आज फंक्शन था इसलिए में नहीं गया था और मेरी छोटी बहन बाजू की निर्मला चाची के घर गई थी.
मैं अपने रुममें बैठा सेक्स मैगज़ीन पढ़ रहा था, बल्कि यूँ कहो की उसमे छपी नंगी तस्वीरे देख रहा था. भूख जोरो की लगी थी मैं मन ही मन बुआ को गालियाँ निकाल रहा था और इसी भूख की वजह से मुझे कब नींद आ गई पता ही नहीं चला. मेरी आँख तब खुली जब नींद में खलल हुई, मैंने आधी आँखे खोली और देखा की नमिता बुआ के हाथ में मैगज़ीन थी और उसका हाथ चूत को कपड़ो के उपर से सहला रहा था. उसके आँखों के आगे मैगज़ीन थी इसलिए मैं उठा उसको यह पता नहीं चला. मैंने मनोमन आज बुआ की अपने लौड़े से चुदाई का मन बनाया और मैं हाथ ऊँचे करते हुए उठ बैठा.
नमिता बुआ मुझे देख के चोंक गई और फिर नौटंकी करने लगी, “गोलू तू ऐसी गंदी मैगज़ीन पढता है, मैं तेरे पापा को बोल दूंगी….!”
बेन्चोद, चूत को खुद ने टटोला और मार गोलू (यह मेरा घर का पेट नेम है) खाएं, मेरा गुस्सा आसमान पर था मैंने कहा, “कोई बात नहीं आप बोल देना और मैं बोलूँगा की आप इसे देख अपनी चूत मेन ऊँगली दे रहे थे”
बुआ पिगली और बोली, “अरे गोलू मैं तो मजाक कर रही थी ऐसी बातें थोड़ी बोलते है बड़ो को”
मैंने सोचा आज यह अपनी चूत दे देगी मुझे, चांस अच्छा है. बाकी तो उसका पोस्ट ग्रेज्युएशन खत्म होते ही उसकी शादी हो जाएगी फिर थोड़ी मिलेगी उसकी चूत.मैंने कुछ सोचा और बुआ को कहा, “मैं एक शर्त पर पापा से नहीं कहूँगा, आपको मुझे अपनी चूत देनी होंगी” बुआ मेरी मांग से सन्न हो गई और बोली, “गोलू कोई आ गया तो प्रॉब्लम हो जाएगी, मैंने कहा आप बहार दरवाजे को बंध कर दो..ऐसे भी बाजूवाले शर्मा अंकल का बिल्ला घर में घुसता है तो मम्मी दरवाजा बंध रखती है, शांति को भी आने में अभी देर है.” (शांति हमारी कामवाली थी). बुआ दरवाजा बंध करने गई और मैंने कपडे उतारे और में कुर्सी पर नंगा बैठ गया.
बुआ के आते मैंने एक मुखमैथुन वाली तस्वीर निकाली और उसे दिखाते हुए कहा पहले यह करेंगे, बुआ हंसी और वो मेरे पांव के बिच बैठ गई, मेरा लंड सके मुहं में चलना लगा और शायद बुआ की सेक्स की खेती में भी लौड़े का पानी बहुत दिन से आया नहीं था क्यूंकि वह लंड को मजे ले ले कर चूस रही थी. बुआ बिच बिच में लंड मुहं से निकालती थी और अपने हाथ से मुठ मारती थी. कुछ 3 मिनिट लौड़े को चुसाने के बाद मैंने बुआ को अपनी जगह कुर्सी पर बिठा दिया और उसकी लेंघी खिंच ली. बुआ की काली पेंटी भी उतार दी और मैं बुआ के चूत के उपर अपनी जीभ फेरने लगा. ओरल सेक्स की गुदगुदी बुआ को तडपाने लगी और वह मेरा माथा चूत के उपर दोनों हाथो से दबाने लगी. बुआ की चूत का खारापन लौड़े की उत्तेजना और बढाने लगा था मैंने अपने हाथ को लंड पर रखा और मैंने उसके सुपाडे पर निकलते प्रीकम की चिकनाहट महेसुस की. बुआ भी अब बहुत गर्म हो चुकी थी और उसे भी लौड़े की गर्मी चूत के अंदर लेनी थी.मैंने चूत से अपना मुहं निकाला और बुआ की ब्लाउज उतार दी बुआ के सेक्सी स्तन पर मैंने पहेले हाथ फेरे और फिर मुहं लगा दिया. बुआ की चुंचियां सख्त हो गई थी. मैंने दोनों हाथ से उन्हें जोर जोर से दबा दिया.
बुआ को मैंने अब पलंग की उपर लिटा दिया और मैं लंड हाथ में लिए उसकी टांगो के बीच में आ बैठा. मैंने चूत के उपर लौड़े को फेरा, बुआ ओह आह आह ऐसी आवाजे निकाल रही थी, उसकी आँखे बंध थी और वह अपने दोनों हाथ स्तन के उपर रख के चुन्चो को मसल रही थी. मेरा लौड़ा अब मस्त तन गया था और चूत की ही उसे शांत कर सकती थी. मैंने एक झटका दिया और बुआ की चूत के अन्दर लंड घुसा दिया, बुआ ओह ओह आह आह आह्ह बोलती रही और मैं उसकी चूत में धमाशान करता रहा. मेरे हाथ उसके निपल और गांड पर बारी बारी जाते थे और सहलाते थे. मेरी चुदाई की झडप अब बढ़ने लगी और साथ ही में बुआ की सिसकारियाँ भी. मैंने बुआ की चूत से लौड़ा निकाला और उसे खड़ा कर दिया दीवाल से सटा के.
दीवाल से सटी बुआ की गांड मैंने दोनों हाथ से खोली और मैं वह लंड देने की सोच रहा था की बुआ बोली नहीं मुझे गुदामैथुन नहीं करना, वहा तोता मत घुसाना अपना. बुआ की इच्छा को मान देते हुए मैंने अपना लौड़ा उसकी गांड के बदले चूत में दे दिया और उसे दीवाल के अन्दर घुसाते हुए चोदा, बुआ भी गांड को आगे पीछे कर कर के लंड ले रही थी और साथ में उह आह तो उसका चालू ही रहा. कुछ 5 मिनिट इस तरह चोदने के बाद मेरा लंड फूटा और उसका लावा बुआ नमिता की चूत को पिग्लाने लगा. बुआ संतृप्त हो गई और मैं भी. वह पलंग पर लेटी और मेरे तरफ संतोष के भाव से देखने लगी……!!!
फिर तो बुआ मुझे अक्सर अपनी चूत में लंड डालने का अवसर देने लगी और कभी कभी तो हम ब्ल्यू फिल्म देख कर उसके अंदर के दाव आजमाते थे….पिछले साल बुआ की शादी हो गई और उस शादी में सब से दु:खी शायद में ही था……दोस्तों आपको यहाँ कहानी कैसी लगी….?
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RE: Incest Stories in hindi रिश्तों मे कहानियाँ
जेठ जी ने गांड मारी
हाई दोस्तों, मेरा नाम अनु है और मेरा फिगर 34-30-34 है, मेरी गांड बड़ी और स्तन भी काफी अच्छे आकार के है. मेरी उम्र 27 साल की है और मेरा एक 2 साल का बेटा भी है. मैं भले शादीशुदा हूँ पर एक रंडी से कम भी नहीं, मुझे जब भी अच्छा लड़का मिल जाए मैं उस से चुदवाने की पूरी कोशिश कर लेती हूँ. मुझे जब कोई मेरे स्तन को चुसे और स्तन के बिच में लंड दे तो अलग ही मजा आता है, मैंने कितनी बार ही अपने स्तन चुद्वाए है, इंडियन पोर्नस्टार प्रिया राई मेरी आदर्श है और मैं उसके जैसी फिगर बनाना चाहती हूँ. आइये मैं आपको कुछ साल पहेले अपने जेठ के साथ की हुई चुदाई की कहानी बताती हूँ.
मेरी शादी को अभी केवल तिन माह ही हुए थे और चुदाई का नशा हम दोनों पर जोरो से था, मेरे पति विकास रोजाना कम से कम दो बार मेरी चूत का मजा लेते थे और मैं हफ्ते में दो तिन बार उनसे लंड स्तन के बिच रगड़वाती थी, विकास का लंड काफी लम्बा था, होगा करीब 7-8 इंच के करीब और हम दोनों मस्त मजेदार सेक्स लाइफ निकाल रहे थे. लेकिन मेरा दिल तब टूट ही गया जब विकास को एक हफ्ते के लिए ट्रेनिंग में मुंबई जाना पड़ा, मैं अपने घर होती तो चिंता नहीं थी पड़ोस का मुनीर और शेखर दोनों मेरे स्पेर लंड पड़े ही थे वहाँ तो लेकिन ससुराल में थोड़ी दिक्कत थी. मैंने कैसे भी कर के बिन चुदाई के तिन दिन तो निकाल दियें, लेकिन मेरी चूत और स्तन बहुत हेरान हो गए थे और वह लंड के लिए तड़प ही रहे थे. एक दिन की बात हैं जब मेरे सास ससुर एक शादी में गए थे, मैं और मेरे जेठ और जेठानी भी गए थे साथ में. सास ससुर वही रुके और हम तीनो वापस घर को आने के लिए निकले, तभी रास्ते में जेठानी पारुल अपने मम्मी के घर जानेका बोल के हमसे अलग हो गई. मेरी जेठानी पारुल भी मेरी तरह चुदक्कड़ ही थी. मैंने चुपचाप उसके मोबाइल के मेसेज देखे थे, और मुझे यकीन था वोह जरुर किसी जवान लंड से चुदवाने के लिए ही हम से अलग हुई थी.
मैं मनोमन उसकी किस्मत से जलती हुई घर आ गई, जेठ ने मेरे पास चाय मांगी और मैंने चाय दे दी उसे, मैं अब कमरे में आ गई और तभी मेरी चूत और स्तन दोनों फिर से उठ खड़े हुए, मैंने वही पड़ी एक कोकोकोला की बोतल उठा ली और उसे लंड समझ के अपने ऊपर रगड़ने लगी, मुझे लगा की मैंने कमाड बंध किया है लेकिन वो अर्ध-खुला था और मुझे पता ही न था की मेरा जेठ मेरी यह हस्तमैथुन जो कपडे पहेने हुए मैं कर रही थी वो देख रहा है. मैं एक हाथ से बोतल को चूत पर लगा रही थी और दुसरे हाथ से मेरे स्तन को दबा रही थी. मेरे तन बदन में आग लगी हुई थी, कसम से अगर कुत्ता भी उस वक्त मुझे लंड देता तो मैं उसे अपनी चूत के अंदर डाल देती. मुझे हफ्ते में कम से कम तिन चार बार लंड चाहिए, और विकास के ट्रेनिंग जाने से मेरी एवरेज बिगड़ गई थी. मुझे पता ही ना चला की मेरा जेठ मेरी यह प्यास चाय की चुस्कियो के साथ मजे से देख रहा है.
मैंने अब जोर जोर से अपने चूत पर साड़ी पहने हुए ही यह बोतल रगडनी चालू कर दी थी.मुझे बोतल का कड़ापन लंड जैसा ही मजा दे रहा था, मेरा जेठ सुरेश कब खड़ा हो कर रूम के दरवाजे के निकट आया कसम से मुझे पता ही नहीं चला. मैंने अपना कम जारी रखा, तभी वह कमाड खोल के अन्दर आया. मैंने उसे देखा और चोंक गई, सुरेश बोला घबराओ मत अनु, कोई दिक्कत नहीं तुम्हारी प्यास मैं समझ सकता हूँ. मैं डर गई थी के ये मेरी पोल ना खोल दे, लेकिन उसके तो इरादे दुसरे ही थे. वोह मेरे करीब आया और बोला करती रहो तुम्हे देख के मुझे भी उत्तेजना हो रही है, वोह उत्तेजना जो पारुल मुझे नहीं दे पाती. यह सुन के मेरी जान में जान आई. तो सुरेश भी अपनी बीवी, जो की शायद जवान लंड की प्यासी थी, उस से खुश नहीं था और मुझे अपनी चूत करने का रास्ता नजर आने लगा. मैंने बोतल फिर से अपनी चूत पर रगड़ने का क्रम चालू कर दिया, सुरेश मेरे पास आया गया और उसने मेरे स्तन और गांड पर हाथ फेरने लगा, मेरे स्तन के निप्पलस अकड गए थे जिनको सुरेश ब्लाउज के उपर से ही दो ऊँगली में लेकर जोर से दबाने लगा, मेरे मुहं से एक आह निकल पड़ी और मैं उसको लिपट गई, उसका गर्म गर्म लंड मेरे चूत के आगे स्पर्श करने लगा. मैं तो उत्तेजित हो चुकी थी इसलिए मैंने तुरंत उसका पेंट खोला और उसका हथियार बहार निकाला, विकास जितना लम्बा नहीं था लेकिन उससे काफी मोटा लंड था उसके बड़े भैया का.
मैंने सुरेश का लंड हाथ में लेकर उसका कद माप लिया और फिर में तुरंत निचे बैठ गई इस तगड़े लंड की मस्त चुसाई करने के लिए. मैंने लंड को अपने मुहं में रखा ही था की सुरेश बोल पड़ा, ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह….शायद इस बेचारे का लंड आज तक चूसा नहीं गया था कभी, पारुल शायद लंड का ख़याल कैसे रखते है वो नहीं जानती थी तभी तो सुरेश कह रहा था की पारुल उसे उत्तेजित नहीं कर पाती. लेकिन मैंने इस तगड़े लंड को दो तिन मिनिट तक गले तक ले ले कर और भी बड़ा कर दिया. मैं लंड चूस रही थी और साथ में अपने स्तन को दबा भी रही थी. सुरेश ने पूरी लंड चुसाई में अपनी आँखे बंध रख के इस खुशी को समेटे ही रख़ा. मेरी चूत भी अब गीली हो चुकी थी, मैंने फट से अपने दोनों चुंचे खोले और जेठ जी का लंड उसके बिच में रख दिया, सुरेश मेरा इरादा समझ गए और उन्होंने मेरे स्तन को अपने गधे जितने मोटे लंड से चोदना शरू क्र दिया, मैं चुन्चो के बिच में थूंक कर उन्हें चिकना करती रहेती थी जिससे सुरेश को ज्यादा घर्षण ना लगे. वो करीब 5 मिनिट तक मेरे स्तन की अपने लंड से मस्त चुदाई करते रहे और इस बिच मैं अपनी चूत के अंदर ऊँगली डाल डाल के उसे हिलाती रही.
सुरेश ने अब अपना लंड मेरे चुन्चो के बिच से निकाला, मेरे चुंचे और उनका लंड दोनों लाल लाल हो गए थे, मैंने अब अपनी चूत अपने जेठ के लंड के लिए खोल दी और सुरेश मुझे चूत के अंदर लंड दे कर हिलने लगे, विकास का लंड अंदर तक जाता था लेकिन मेरे जेठ सुरेश का लंड मोटा होने की वजह से वो चपोचप चिपका था मेरी चूत से और टाईट चूत के अंदर उसका एक एक झटका मुझे एक नया अहेसास दे रहा था. सुरेश मेरी चूत का पानी निकालते हुए उसको करीबन 10 मिनिट तक चोदते रहे, इस बिच मैं 2 बार झड़ चुकी थी लेकिन यह एम्ब्युलंस जैसा लंड अभी भी थका नहीं था. सुरेश ने अपना लंड बहार निकाला और उन्होंने मुझे गांड के करीब से पकड के उलटा कर दिया. ओह्ह…य=उनका इरादा अब मेरी गांड मैं लंड देने का था शायद, हां ऐसा ही था…उन्होंने मेरी गांड को उठाने के लिए पहेले अपनी एक ऊँगली उसके अंदर थूंक लगाके डाली, मुझेगुदगुदी होने लगी और मैं उछल पड़ी, सुरेश ऊँगली को तेजी से अंदर बहार करने लगे….मेरे से उत्तेजना बर्दास्त नहीं हो रही थी इसलिए मैंने अपना हाथ पीछे किया और उनका लंड बिना देखे ही हिलाने लगी. यह लंड अभी भी लोहे जैसा सख्त था.
सुरेश ने एक बड़ा सा थूंक लिया हाथ में और गांड पर मल दिया, उसके बाद जो मेरी गांड फटी उस लंड से की मुझे लगा की मैं मर ही जाऊँगी, मैं जेठ जी को उनका लंड गांड से निकाल देने के लिए विनंती करने लगी. लेकिन जेठ ने तो मेरे स्तन दबाते हुए कहा, “रानी केवल दो मिनिट सब्र कर लो, यह सेक्स तुम्हारी जिन्दगी का सब से बढ़िया सेक्स होंगा…!” उसके हाथ मेरे चुन्चो को जोर से दबाने लगे और एक मिनिट के अंदर मुझे सच में मजा आने लगा…अब मैंने अपनी गांड धीरे हिलाई ताकि यह तगड़ा लंड उसके अंदर मजे से चुदाई कर सके. जेठ सुरेश अपने मुहं से आह ओह कम ओन…हां…हो…अह्हह्हह्हह्हह…ऐसी आवाजे निकालने लगा और उसकी यह आवाजे थोड़ी देर में और भी तीव्र हो गई. इसके साथ ही उसके गांड मारने की रफ़्तार भी जोरो पर पहुँच गई और फिर उसने एक झटके से गांड से लंड बहार निकाल किया. उसके लंड ससे वीर्य की धार छूटी जो सारी मेरी गांड के उपर फेल गई, वीर्य की गर्मी मैंने अपनी गांड और चूत को अच्छी तरह महेसुस करवाने के लिए उसे हाथ से मस्त फेला दिया. लंड को पूरा निचोड़ कर सुरेश वही मेरे उपर सो गया….सच मैं सुरेश ने मेरी चूत गांड और स्तन सब को शांत कर दिया…..!
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09-13-2017, 10:55 AM,
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RE: Incest Stories in hindi रिश्तों मे कहानियाँ
साली की मदद से लिया भांजी का मज़ा
हाय फ्रेंड्स मेरा नाम अनुज है मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ और दिल्ली मैं ही एक अच्छी पोस्ट पर नौकरी करता हूँ। इससे पहले मैं आपको अपनी कहानी “जयपुर वाली साली बनी घरवाली” बता चुका हूँ कि कैसे मैंने कंचन को और उसके पति सतीश ने शिप्रा से खुलकर मज़े किए। अब मैं आपको अपनी एक और कहानी बताता हूँ जो कि कुछ दिनो पहले की ही है।
तो दोस्तों मेरी बीवी शिप्रा पेट से थी और उसकी डिलवरी की तारीख को 3-4 दिन ही बाकी थे तो शिप्रा ने कहा कि घर से किसी को बुला लो तो मैंने कहा ठीक है शिप्रा ने कानपुर फोन किया और अगले ही दिन उसकी माँ और प्रिया दिल्ली आ गये.
प्रिया को देखकर मेरे चेहरे पर चमक आ गयी थी क्योंकि शिप्रा के प्रेग्नेंट होने के कारण मुझे बिना सेक्स किए 3-4 महीने बीत गये थे और प्रिया तो ऐसी मस्त चीज़ थी कि कोई भी आदमी कितना भी सेक्स करने के बाद भी उसकी 1 बार तो फिर भी ले लेता बहुत मस्त है वो जिस दिन वो आई उसी रात को मैंने प्रिया को जमकर चोदा तो प्रिया बोली कितने दिनों से प्यासे हो? मैंने कहा जान 3-4 महीने हो गये सेक्स किए हुए प्रिया बोली क्यों दीदी नाराज़ हैं क्या? मैंने कहा नहीं पगली प्रेग्नेन्सी मैं सेक्स नहीं करते है। वो बोली ठीक है अभी तो मैं कुछ दिन रहूंगी खूब मजे करेंगे, मगर ध्यान से माँ भी यहाँ हैं। मैं बोला ठीक है जान।
3 दिन बाद शिप्रा ने एक लड़के को जन्म दिया और डॉक्टर ने शिप्रा को 15 दिन का फुल रेस्ट करने को बोला जिसके कारण वह बेड से उठ नहीं सकती थी। हमसे मिलने के लिए 5 दिन बाद जयपुर से शिप्रा की बड़ी बहन कंचन उसका पति सतीश और उनकी बेटी आकांशा दिल्ली आये लेकिन शिप्रा की माँ का दिल दिल्ली मैं नहीं लग रहा था और शिप्रा की डिलवरी भी नॉर्मल हुई थी तो उन्होने बोला कि अब हम लोग कानपुर चले जाते हैं और ऐसे भी सतीश और कंचन तो कुछ दिन यहाँ है। इस पर शिप्रा बोली माँ आपकी मर्ज़ी है लेकिन आप प्रिया को यहीं छोड़ दीजिये इसके स्कूल की भी छुट्टियाँ हैं और मुझे भी थोड़ी हेल्प मिल जायेगी। हम 15-20 दिन बाद तो कानपुर आयेंगे ही हमारे साथ आ जायेगी.. माँ बोली ठीक है और अगले दिन माँ अकेली ही कानपुर चली गयी। प्रिया और आकांशा की अच्छी पटती थी.. वैसे तो रीलेशन मैं प्रिया आकांशा की मौसी लगती थी लेकिन वो उसको नाम लेकर या दीदी कहकर ही पुकारती थी। दोनों ही एक साथ खाना खाती, थी और दिनभर एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ती थी। 3 दिन बाद सतीश और कंचन वापस जयपुर जाने के लिए कपड़ों की पैकिंग कर रहे थे तो प्रिया सतीश से बोली जीजू आकांशा को यहीं छोड़ दीजिये ना.. इस पर सतीश बोला मैं यहाँ छोड़ दूँगा तो ये अकेली कैसे वापस आयेगी जयपुर? इस पर प्रिया चुप हो गयी क्योंकि उसके पास इसका कोई जवाब नहीं था लेकिन जब कंचन ने देखा की उसकी बेटी आकांशा उदास सी है ओर यहाँ रुकना चाहती है तो वो सतीश से बोली ठीक है सतीश आकांशा का भी दिल रुकने का है तो इसको हम यहीं छोड़ देते है।
जब अनुज और शिप्रा 15-20 दिन बाद कानपुर जायेंगे तो हम लोगों को भी अगले महीने कानपुर जाना ही है हम वहीँ से आकांशा को ले चलेंगे.. ये सुनते ही प्रिया और आकांशा अपने मुँह से ज़ोर से बोलती हुई एक दूसरे के गले मिलने लगी.. वो दोनों 2-3 दिन मैं कुछ ज़्यादा ही घुल मिल गयी थी। कंचन और सतीश भी उसी दिन चले गये अब मुझे प्रिया को चोदने मैं परेशानी होने लगी क्योंकि आकांशा उसका साथ ही नहीं छोड़ती थी.. रात मैं भी दोनों साथ साथ सोती थी एक दिन दोपहर मैं जब सभी सो रहे थे और मैं और प्रिया छत वाले रूम मैं दरवाजा बंद करके अपने सेक्स मैं लगे हुए थे तभी आकांशा छत पर आ गयी और दरवाजा नॉक किया हमें कपड़े पहनने मैं थोड़ी देर लग गयी और जब दरवाजा खोला तो आकांशा हम दोनों को देखकर बोली आप दोनों यहाँ क्या कर रहे हो।
प्रिया बोली मैं जीजू से कंप्यूटर सीख रही थी और दरवाजा इसलिये बंद किया था क्योंकि हवा तेज चल रही थी.. प्रिया बात को टालते हुए बोली चलो नीचे चलते हैं और दोनों ही नीचे चली गयी शाम को प्रिया ने मुझे बताया कि आकांशा को शक सा हो गया है और वो काफ़ी सवाल पूछ रही थी। मैंने पूछा क्या पूछ रही थी? प्रिया बोली पूछ रही थी कि लाईट नहीं आ रही थी और हवा भी नहीं चल रही थी। इसलिए मैं गर्मी के कारण उपर गयी थी और आप बोल रही हो कि कंप्यूटर सीख रही थी हवा चल रही थी इसलिये गेट बंद किया था। ठीक ठीक बताओ प्रिया मौसी आप लोग क्या कर रहे थे। मैंने उससे कह दिया कुछ नहीं.. मैंने उसको बड़ी मुश्किल से मनाया है।
मैंने बोला यार हम लोगों को अकेले रहते 3 दिन हो गये लेकिन अभी तक सिर्फ़ 2 बार ही मज़ा ले पाए हैं और अब तो आकांशा को भी शक हो गया है वो तुम्हारा पीछा ही नहीं छोड़ेगी.. क्यों ना उसको भी अपने साथ कर लें। प्रिया बोली मतलब? मैंने कहा उसको भी मज़ा दे देते हैं और अपने गेम मैं शामिल कर लेते हैं। प्रिया बोली बहुत बदतमीज़ हो तुम, अब लगता है कि उसे भी तुम खराब करना चाहते हो। मैंने कहा थोड़ी स्लिम है लेकिन फिगर अच्छा है 32-27-34 है बस बूब्स ही तो छोटे हैं उनको हम बड़ा कर देंगे। वो पूरा का पूरा लंड अंदर ले जायेगी। प्रिया बोली तुम लड़के ऐसे ही होते हो नयी लड़की देखी बस लार टपकाना शुरू, बहुत बदतमीज़ हो तुम। मैंने कहा जो भी हो आकांशा को बहला फुसला कर तुम ही मना सकती हो। वो बोली मुझे नहीं मालूम, मैं ऐसा नहीं कर सकती।
मैंने बोला ठीक है तो मैं ही उसको बता दूँगा कि हम लोग रूम मैं क्या कर रहे थे और वो रिकॉर्डिंग भी उसको दिखा दूँगा जो मैंने तुम्हारे साथ कानपुर मैं बनाई थी प्रिया गुस्से मैं आँखे निकालती हुई बोली कि तुम वास्तव मैं बहुत बदतमीज़ हो उस भोली लड़की को भी नहीं छोड़ना चाहते, चलो ठीक है मैं कोशिश करती हूँ। लेकिन जरुरी नहीं है कि वो मान जाये। मैंने बोला तुम उसकी बेस्ट फ्रेंड हो और बेस्ट फ्रेंड के समझाने से वो सब समझ जायेगी और मान जायेगी।
फिर उस रात जब दोनों ही एक साथ एक ही रूम मैं सोई तो क्या क्या हुआ इसके बारे मैं मुझे प्रिया ने बताया तो मुझे मालूम हुआ कि प्रिया वास्तव मैं बहुत होशियार है मुझे प्रिया ने रात के बारे में जो बताया वो उसकी ज़ुबानी ही लिखता हूँ – मैंने आकांशा को बात करते करते उसके बूब्स पर हाथ रख दिया और आश्चर्य से बोली यार तेरे बूब्स तो बहुत छोटे हैं वो बोली हाँ दीदी मुझे भी लगता है छोटे हैं। मैंने आकांशा से पूछा तेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है क्या? तो वो बोली नहीं दीदी मगर उससे क्या होगा? फिर मैं बोली कि लड़कों को इन्हें ठीक तरह से बड़ा करना आता है लेकिन मैं भी तेरी हेल्प कर सकती हूँ और इनको बड़ा कर सकती हूँ लेकिन थोड़ा टाईम लगेगा। तो वो बोली कैसे? मैं बोली कि उतार अपने कपड़े वो बहुत भोली है मेरे कहते ही उसने अपने कपड़े उतार लिए और मैं उसके बूब्स को थोड़ी देर ऐसे ही मालिश करती रही और फिर उसके दोनों बूब्स को चूस कर उसको मज़ा देती रही और मैंने उससे पूछा कि कुछ अंतर लग रहा है क्या? तो वो बोली हाँ दीदी कुछ कुछ अब मैंने भी अपना टॉप और ब्रा उतार दी और उससे बोली – अब तू मेरे कर ना। वो बोली आपके तो पहले से ही बड़े हैं आप क्यों करवा रही हैं। मैंने कहा यार बड़ा मज़ा आता है तुमको नहीं आया क्या? वो बोली हाँ दीदी आया।
मैं बोली और मज़ा लेगी वो बोली कैसे? तो मैं उसके ऊपर चड गयी और दोबारा से उसके बूब्स चूसने लगी थोड़ी देर बाद मैंने दोनों हाथ से उसकी स्कर्ट उतार दी और उसकी पेंटी को भी उतारने लगी तो वो बोली : दीदी ये आप क्या कर रही हो.. तो मैं बोली देखती जा आज दोनों मज़ा लेंगे और मैंने उसकी चूत को जीभ और उंगली से काफ़ी मज़ा दिया.. वो उछल उछल कर मुँह से सिसकारियां भर रही थी। मैंने उससे पूछा कैसा लगा तो वो बोली बहुत मज़ा आया दीदी इसके बाद हम दोनों सो गये। ये किस्सा मुझे खुद प्रिया ने बताया.. उसने कहा कि मैं उसको कुछ दिन मैं तैयार कर लूँगी बस 2-4 दिन रुक जाओ.. तो मैं बोला जान कुछ दिन मैं तुम चली जाओगी और वो तुम्हारा साथ छोड़ती नहीं है। प्रिया बोली ज़्यादा उतावलापन मत दिखाओ.. मुझे पता है तुमको मुझसे ज़्यादा उसकी चूत का इंतजार है.. तो मैंने बोला नेकी और पूछ पूछ वो बोली ठीक है मैं आज ही कोशिश करती हूँ।
फिर थोड़ी देर बाद वो नहाने के लिए कपड़े निकाल कर लाई तो मुझसे बोली हम दोनों छत वाले बाथरूम मैं नहाने जा रहे हैं मैं नहाते नहाते उसको गर्म कर दूँगी बाथरूम खुला रहेगा तुम थोड़ी देर बाद आ जाना और ऐसा लगना चाहिये जैसे तुमको कुछ पता ना हो और फिर आगे का काम तुम्हारा है मैंने बोला ठीक है जान और वो थोड़ी देर बाद आकांशा को लेकर छत वाले बाथरूम मैं नहाने चली गयी.. 10 मिनिट बाद मैं भी छत वाले रूम मैं गया और धीरे से दरवाजा खोला तो देखा कि आकांशा और प्रिया दोनों ही 69 पोज़िशन मैं बाथरूम मैं लेटी हैं और एक दूसरे की चूत को मुँह से मज़ा दे रही हैं मुझे देखकर दोनों ही खड़ी हो गयी और सिर नीचे झुका लिया दोनों पानी से भीगी हुई थी और उनके बालों से पानी बूँद बूँद करके टपक रहा था। प्रिया तो सिर्फ़ एक्टिंग कर रही थी जैसे कुछ जानती नहीं हो लेकिन बेचारी आकांशा तो शर्म के मारे ज़मीन में घुसी जा रही थी.. उसके चेहरे की रोनक उड़ी हुई थी बेचारी को नहीं पता था कि आज उसकी बेस्ट फ्रेंड ही उसको धोखा दे रही है।
मैंने कहा अच्छा तो तुम लोग ये सब करती हो, बहुत बिगड़ गयी हो तुम दोनों। मैं अभी तुम दोनों के घर फोन करके बताता हूँ कि तुम लोग आजकल क्या क्या कर रही हो। प्रिया एक्टिंग करते हुए मेरे पास आई और बोली : जीजू हमें माफ़ कर दो आगे से नहीं होगा.. उसको देखते हुए आकांशा भी मेरे पास आ गयी और रोने जैसी सूरत लेते हुए बोली : प्लीज आप हमें माफ़ कर दीजिए हम लोगों से ग़लती हो गयी है आगे से हम लोग ऐसा नहीं करेंगी।
वो दोनों 3-4 बार प्लीज प्लीज बोलती रही लेकिन मैं नहीं माना और फिर बोला ठीक है मेरी एक शर्त है तुम दोनों को मेरे साथ ऐसे ही नहाना होगा.. प्रिया झट से बोल पड़ी ठीक है जीजू हम तैयार हैं। वो तो चाहती ही यही थी कि आकांशा कुछ बोले उससे पहले ही हाँ कर दूँ। मैंने बाथरूम की कुण्डी लगाई और अपने कपड़े उतारते हुए बोला ठीक है प्रिया तुम मेरे उपर पानी डालना और आकांशा मेरे ऊपर साबुन लगायेगी। प्रिया तो खुश थी लेकिन आकांशा काफ़ी डरी हुई थी। मैं अब सिर्फ़ अंडरवेयर मैं था और बाथरूम मैं बैठ गया प्रिया पानी डालने लगी और आकांशा ने साबुन हाथ मैं ले लिया जब प्रिया ने पानी डालना बंद किया तो मैं बोला आकांशा साबुन लगाओ आकांशा मेरी पीठ की तरफ खड़ी होकर पीछे की तरफ साबुन लगाने लगी और पीछे से ही हाथ आगे बढा कर आगे भी साबुन लगाने लगी।
मैंने कहा आकांशा आगे आ जाओ और आगे से साबुन लगाओ वो काफ़ी दूर से खड़े खड़े ही आगे से साबुन लगाने लगी मैंने कहा तुम साबुन भी ठीक से नहीं लगा सकती हो क्या? आकांशा चलो एक काम करो मेरी जांघों पर बैठ कर आराम से साबुन लगाओ। इतने मैं प्रिया बोली आकाँशा जीजू की जांघों पर बैठ जा ना और ठीक तरह से साबुन लगा.. क्यों जीजू को नाराज़ कर रही है.. जीजू जैसे तैसे तो माने है। आकांशा बोली जी लगाती हूँ और मेरी जांघों पर अपनी चूत के दर्शन कराते हुए बैठ गयी.. उसकी चूत का कलर अभी उसके कलर जैसा गोरा ही था और उसकी चूत पर अभी एक भी बाल नहीं उगा था। वो मेरी जांघों पर बैठ गयी और मेरी छाती पर साबुन लगाने लगी जब वो मेरी जांघों पर बैठी तो मुझे ज़्यादा वजन नहीं लगा.. वो बहुत हल्की थी मुश्किल से 45 किलोग्राम वजन होगा। वो काफ़ी पतली थी।
अब उसकी छोटी छोटी गोलियां बिल्कुल मेरे सामने थी और साबुन लगाते समय ऊपर नीचे हो रही थी। मैंने ऐसे ही झूठे से गुस्सा करते हुए आकांशा के हाथ से साबुन लेते हुए बोला : तुम्हे साबुन लगाना भी सिखाना पड़ेगा और प्रिया को बोला तुम आकांशा के ऊपर थोड़ा पानी डालो.. मैं इसको साबुन लगाना सिखाता हूँ प्रिया तुरंत बोली : ठीक है जीजू डालती हूँ और बिना देरी किए उसके उपर 5-6 मग पानी डाल दिया। मैंने जल्दी से पहले उसके गले पर और फिर सीधे उसके बूब्स पर साबुन लगाने लगा। उसके बाद मैंने उसकी पीठ पर अपना हाथ लगाकर थोड़ा सा अपनी ओर खींचकर उसके सीने को अपने सीने से चिपका लिया जैसे कोई माँ अपने छोटे बच्चे को सीने से लगाकर नहला रही हो और पीठ पर भी साबुन लगाने लगा।
पीठ पर साबुन लगाते लगाते मैं अपने सीने से उसके सीने को रगड़ता ही रहा। अब मैंने साबुन को नीचे रख दिया और फिर उसके छोटे छोटे बोबों को हथेली से ही मलने लगा तो वो सिसकियाँ भरने लगी। मैं काफ़ी देर तक उनको बड़ी बेरूख़ी से मसलता रहा और वो आआअहह की आवाज़ें करती रही। मैं अपना एक हाथ उसके चूतड़ पर और एक हाथ से उसकी चूत पर साबुन के झाग को लगाने लगा। मैंने उसकी चूत को भी हाथ से काफ़ी रगड़ा वो काफी गीली हो चुकी थी। आकांशा को डर भी लग रहा था लेकिन मज़ा भी आ रहा था तभी तो उसकी चूत गीली हो गई थी। मैंने उसके हाथ मैं साबुन देते हुए कहा लो अब सीख गयी हो तो मेरे ऊपर लगाओ और उसने अपने हाथ में साबुन ले लिया और फिर से मेरे सीने पर साबुन लगाने लगी। मैंने कहा नीचे कौन लगायेगा? इस पर आकांशा बोली जी लगाती हूँ और मैंने पैर लंबे कर दिए और अपना अंडरवियर नीचे सरका दिया और लंड दिखाते हुए बोला इस पर भी लगाओ।
अब मेरा लंड ठीक उसकी नज़रों के सामने था उसने हाथ नीचे की तरफ़ लाना शुरू किया और मेरे लंड को एक हाथ से पकड़ लिया और एक हाथ से साबुन लगाने लगी उसके हाथ लंड पर साबुन लगाने मैं काँप रहे थे मैंने उससे कहा अब साबुन बहुत हो चुका अब इस साबुन को मलो तो सही उसने साबुन रख दिया और मेरे शरीर को अपने हाथो से छाती पर मलने लगी मैंने कहा नीचे भी मलो तो वो अपने दोनों हाथो से मेरे लंड की भी मालिश करने लगी मेरा लंड बिल्कुल कड़क हो रहा था ऐंठ सा गया था मेरा लंड मैंने प्रिया से कहा की पानी डालो और प्रिया ने मेरे उपर पानी डालना शुरू कर दिया मैंने कहा आकांशा के उपर भी डालो प्रिया ने आकांशा के उपर पानी डालना शुरू किया तो मैं उसके अंगों के उपर लगे साबुन को साफ करने लगा।
मैंने उसको अपने से फिर से सटा लिया और उसकी पीठ से साबुन धोने लगा इस दौरान मेरा लंड उसकी चूत को टच कर रहा था और मैं जानबूझ कर लंड को उसकी चूत पर रगड़ने की कोशिश कर रहा था। मैंने अपना मुँह नीचे की तरफ किया और बोला एक बात बताओ आकांशा तुम्हारे बूब्स तो छोटे हैं क्या इनको बड़ा नहीं करना है तभी प्रिया बोल पड़ी जीजू मैं इसकी हेल्प करती हूँ रात को इसके बूब्स बड़े करने में। मैंने आकांशा से मुस्कुराते हुए पूछा क्यों आकाँशा ऐसा ही है क्या? वो भी पहली बार शरमाते हुए मुस्कुरा कर बोली जी जीजू। मैंने आकांशा से बोला हाँ ऐसे मुस्कुरा कर बात करो ना कितनी अच्छी लगती हो। अच्छा प्रिया बताओ तुम इसके बूब्स बड़े करने में कैसे हेल्प करती हो तो प्रिया हमारे पास आकर साइड मैं बैठ गयी और उसका एक बूब्स अपने मुँह में लेकर जैसे ही चूसना शुरू किया तो मैंने भी अपना मुँह उसके दूसरे वाले बूब्स पर लगा दिया और चूसने लगा आकांशा को मज़ा आने लगा और वो आँखें बंद करके मुँह से सिसकियाँ भरने लगी। मैंने प्रिया को इशारा किया और आकांशा को वहीँ ज़मीन पर लेटा दिया अब एक तरफ से मैं और दूसरी तरफ प्रिया आकांशा की बगल मैं बैठकर उसके बूब्स को चूसने लगे। प्रिया ने मुझे उसके नीचे की तरफ जाने का इशारा किया तो मैं नीचे चला गया और उसकी बिना बालों वाली चूत को देखकर पागल सा हो गया। उसकी चूत से चिकना चिकना सा रस निकल रहा था। जैसे ही मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रखा तो वो ऊपर उठने की कोशिश करने लगी लेकिन प्रिया ने उसको उठने नहीं दिया और उसके बूब्स को चूसती रही। अब उसको डबल मज़ा मिल रहा था। ऊपर से प्रिया और नीचे से मैं.. वो अपने चूतड़ ऊपर उठाने लगी।
प्रिया ने उससे पूछा कैसा लग रहा है आकांशा तो वो बोली दीदी बहुत अच्छा लग रहा है अब सहन नहीं हो रहा है दीदी। तभी प्रिया ने अपने एक हाथ से मेरे सर को उसकी चूत से हटाया और मुझे जल्दी से आकांशा के ऊपर आने का इशारा किया और मैं आकांशा के उपर आ गया और उसके मुँह को अपने मुँह में भर लिया और उसको चूसने लगा। अब वो भी मेरा साथ देने लगी और मुझे चूमने लगी। मैंने देर ना करते हुए अपना लंड उसकी चूत पर रखा तो वो बोलने लगी नहीं ये बहुत लंबा है अंदर नहीं जायेगा इससे मेरी चूत फट जायेगी। मैंने उससे कहा कि कुछ नहीं होगा थोड़ा सा दर्द होगा और उसकी चूत पर एक ज़ोर का झटका दिया लेकिन लंड फिसल गया और अब वो मुझसे छूटने की कोशिश करने लगी तो मैंने प्रिया को इशारा किया और प्रिया ने उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और उससे बोली आकांशा थोड़ा सा दर्द होगा लेकिन बाद में खूब मज़ा आयेगा तू एक बार इसका मज़ा लेकर देख तो सही।
वो बोली दीदी आप इनसे कहो कि आराम से करें अभी बहुत ज़ोर से झटका मारा था। प्रिया मुझसे आँख मारते हुए बोली अनुज जीजू धीरे से करो अभी इसकी चूत छोटी है बेचारी के लग जायेगी मैंने कहा ठीक है और प्रिया से आँख मारते हुए कहा आओ तुम थोड़ी मदद करो और प्रिया उसके हाथो को छोड़कर मेरे पास आकर बैठ गयी और अपने हाथ मैं मेरा लंड पकड़ लिया और आकांशा की चूत के मुँह पर रख दिया और बोली करो जीजू मैंने सोच लिया कि इस बार लंड फिसलना नहीं चाहिये वरना काम बिगड़ जायेगा ओर मैंने आकांशा के दोनों हाथो को पकड़ लिया। फिर से ज़ोर का झटका दिया। उसकी चूत काफ़ी गीली थी ओर झटका भी मैंने काफ़ी ज़ोर का लगाया था इसलिये पूरा लंड उसकी चूत मैं घुस गया। आकांशा बहुत ज़ोर से चिल्लाई और छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया और उसकी आवाज़ बाथरूम मैं ही रह गयी। आकांशा रो रही थी उसके पैरों में कंपन हो रहा था और वो बोल रही थी इसको बाहर निकालो मुझे दर्द हो रहा है लेकिन मैंने उसको जकड़ लिया था और उसको 3-4 मिनिट तक हिलने भी नहीं दिया और हिलती भी कैसे मैं 75 किलोग्राम वजन का 6 फीट लंबा उसके उपर था और वो 5.3” और 40-45 किलोग्राम वजन की बहुत ही नाज़ुक लड़की थी वो छूटने की नाकाम कोशिश करती रही लेकिन उसका मुझ पर कोई असर नहीं पड़ा तभी प्रिया बोली आकांशा बस 5 मिनिट रुक जा तेरा दर्द ख़त्म हो जायेगा लेकिन वो बोली दीदी मुझे बहुत दर्द हो रहा है आप इनसे कहो इसको निकालें।
अब मैंने आकांशा का ध्यान दर्द से हटाने के लिए उसके मुँह पर अपना मुँह रख दिया और एक हाथ से उसके बूब्स को मसलने लगा और धीरे धीरे लंड को चलाता रहा ऐसा मैंने 10 मिनिट तक किया और 10 मिनिट में वो नॉर्मल हो गयी तो मैंने उससे पूछा क्या अब भी दर्द हो रहा है तो वो बोली जी अब तो दर्द नहीं हो रहा है। मैंने प्रिया को डाँटते हुए कहा तुम बहुत गंदी हो अपनी बेस्ट फ्रेंड की बिल्कुल हेल्प नहीं करती.. उसके बूब्स बड़े नहीं करने क्या? आकांशा बोली आप ठीक कह रहे हैं ये मेरी बिल्कुल हेल्प नहीं करती अपने तो काफ़ी बड़े बड़े हैं ना इसलिये। प्रिया उसके पास आकर बैठ गयी और उसके बूब्स को चूसने लगी और मैं अपनी स्पीड बढाता गया।
थोड़ी देर बाद दोनों को मज़ा आ गया और जब हम लोग अलग हुए तो देखा बाथरूम मैं काफ़ी खून हो गया था। इसके बाद हम सब एक साथ मिलकर नहाये। नहाते हुये मैंने आकांशा और प्रिया दोनों से ही अपने लंड को बारी बारी से मुँह मैं डालने को कहा और थोड़ी देर बाद में बाथरूम में लेट गया और आकांशा को अपने उपर बैठाकर प्रिया की हेल्प से चोदा फिर शाम को मैंने आकांशा के सामने प्रिया को घोड़ी बनाकर चोदा 3-4 दिन बाद जब मेरी बीवी ठीक हो गयी और बिस्तर से उठकर थोड़ा बहुत काम करना शुरू किया तो आकांशा और प्रिया में से कोई एक उसके साथ रहकर उसको व्यस्त रखती और कोई एक मेरे साथ मज़े करती। ये चुदाई का सिलसिला तब तक जारी रहा जब तक दोनों को हम लोग कानपुर छोड़ कर आये ।
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09-13-2017, 10:55 AM,
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RE: Incest Stories in hindi रिश्तों मे कहानियाँ
बहन की चूत में भाई का लंड
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मैं नेहा, हूँ। हमारे घर में मैं, मेरा भाई, मम्मी और पापा हैं, भाई मुझसे दो साल छोटा है, मम्मी घर पर ही रहती है और पापा कंस्ट्रकटर हैं इसलिये वो रात को देर से ही आते और सुबह जल्दी चले जाते हैं।
मैं बी-टेक के में हूँ और भाई की उमर २० साल की है। मेरा अपना अलग कमरा है भाई बगल वाले कमरे में और मम्मी-पापा नीचे वाले कमरे में सोते हैं।
मेरा कद 5'8" है, मेरी चूचियाँ 34", कमर 28" और नितंब 36" हैं। मुझे काले रंग की ब्रा और पेंटी पहनना बहुत ही पसंद है और ऊपर से छोटा सा टॉप और कसी हुई जींस, चलते हुए चूतड़ मटकाना बेहद पसंद है।
बात ज्यादा पुरानी नहीं है, एक दिन जब मैं सुबह उठी तो मेरा सर दर्द कर रहा था। मैंने मम्मी को कहा- मेरा सर दर्द कर रहा है, आज मैं कॉलेज नहीं जाऊँगी।
और मैं फिर से सो गई। बाद में मैं दस बजे उठी तब तक भाई स्कूल चला गया था और मेरा सर दर्द भी काफी कम हो गया था।
मम्मी ने खाना बना लिया था, जब मैं मम्मी के कमरे में गई तो मम्मी तैयार हो रही थी तो मैंने मम्मी से पूछा- मम्मी कहाँ जा रही हो?
मम्मी ने बताया कि वो मार्केट जा रही हैं सविता आंटी के साथ ! शाम तक लौटेंगी, और कहा- खाना बना दिया है, नहा कर खा लेना।
मम्मी तो तैयार होकर आंटी के साथ चली गई, अब घर में मैं अकेली रह गई। भाई शाम को 6 बजे तक आता है क्योंकि वह ट्यूशन जाता है। वो और मम्मी तो शाम तक आने वाली थी इसलिये मुझे कोई डर नहीं था, मुझे मस्ती की सूझी।
सबसे पहले मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए। जब भी मैं घर पर अकेली होती हूँ तो मुझे बिना कपड़ों के रहने बड़ा ही अच्छा लगता है।
फिर मैंने अपने डरावर से रेजर निकाला अपनी योनि के बाल साफ़ करने के लिए मैंने पापा की शेविंग क्रीम लगा कर अपने बाल साफ़ कर लिए, फिर मैं नहाने चली गई..
नहाने के बाद मैंने सोचा कि जल्दी से खाना खा लूँ बाद में तो... आप समझ गए होंगे कि जब एक लड़की घर में अकेली होती है तो वो क्या करती होगी...
खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में गई वहाँ मैंने डरावर में से बॉडी क्रीम निकाली और धीरे धीरे अपनी चूचियों पर लगाने लगी, मैं धीरे धीरे गर्म होने लगी, कब मेरा हाथ मेरी चूत पर चला गया पता ही नहीं चला और मैं एक उंगली अपनी चूत में डाल कर आगे-पीछे करने लगी।
मुझे बड़ा मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी और एक हाथ से अपनी चूचियाँ मसल रही थी।
मेरी उंगली तेज चलने लगी और मेरे मुँह से आह्ह उफ्फ आह्ह की आवाज आने लगी और मैं अपने चरम बिन्दु पर पहुँच गई और मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया लेकिन अभी भी मेरा मन नहीं भरा था और मैंने अपनी उंगली अपनी गाण्ड में डाल ली, उसे आगे-पीछे करने लगी। तभी दरवाजे की घंटी बजी, मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने और गेट खोलने गई।
मैंने मैंने गेट खोला तो गेट पर दीपक मेरा भाई था, मैंने उससे पूछा- आज जल्दी कैसे आ गया?
दीपक बोला- आज टयूशन वाले सर कहीं गए हुए थे इसलिये टयूशन की छुट्टी हो गई !
आपको बता दूँ कि मेरा भाई दीपक मेरी चूचिया और गाण्ड जी भर कर देखता है, जब हम दोनों टीवी देख रहे होते हैं तो उसकी नजरें मेरी जांघों और मेरी चूचियों पर होती है।
शाम के 6 बजे मम्मी भी आ गई। रात होने पर हम सब खाने खा कर सोने के लिए अपने अपने कमरे में चले गए।
मैं रात को लोअर और ऊपर बिल्कुल पतला टॉप डालती हूँ ताकि गर्मी न लगे।
मैं बेड पर पेट के बल तकिये को बाहों में लेकर सो गई। रात को तकरीबन 11 बजे मुझे लगा कि मेरी टाँगों पर कोई कीड़ा चल रहा है तो मैंने खड़े होकर लाइट जलाई तो देखा कि दीपक मेरे कमरे से तेजी से निकल कर अपने कमरे में भाग कर चला गया।
मैं समझ गई कि वो कीड़ा नहीं दीपक था और वो फिर से आएगा इसलिए मैं लाइट बंद करके सोने का नाटक करने लगी। 20 मिनट बाद मुझे लगा कि दीपक आ गया है तो मैंने करवट बदली करवट बदलते हुए उसका हाथ मेरी टांगों से छू गया और मुझे यकीन हो गया कि वो आ गया है, मैं सोने का नाटक करने लगी।
दीपक ने धीरे धीरे मेरे टांगों पर हाथ फिराना शुरू किया, मेरी शरीर में अजीब से लहरें दौड़ने लगी वो मेरी टांगों पर चुम्बन करने लगा, मेरे लोअर को ऊपर करने लगा और धीरे धीरे मेरी टांगों को चाटने लगा, मेरी टाँगें चाटते हुए उसने एक हाथ मेरे कूल्हों पर फिराना शुरू किया। उसे लगा कि मैं सो रही हूँ लेकिन उसे क्या पता था कि आज रात वो मेरा पति बनने वाला है, मैंने सोच लिया था कि आज तो उसके लंड और मेरी चूत का मिलन करवाऊँगी ही !
वो मेरे कूल्हे दबाने लगा और धीरे धीरे मेरी चूत भी दबाने लगा। कुछ देर दबाने के बाद वो ऊपर बढ़ने लगा और और अपने दोनों हाथ मेरी चूचियों पर रख दिए और उन्हें धीरे धीरे दबाने लगा।
मेरे मुँह से आह्ह स्स्स्स की आवाजें निकलने लगी तो उसे पता चल गया कि मैं जाग रही हूँ लेकिन उसने हिम्मत करके अपना काम चालू रखा और वो मुझे पर लेट गया और एकदम से अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा।
मैंने भी धीरे धीरे उसका साथ देना शुरू कर दिया, वो समझ चुका था कि रास्ता साफ़ है तो उसने जोर से मेरी चूचियाँ दबानी शुरू कर दी। अब उसने मेरा टॉप निकाल दिया और मुझे लोअर निकलने के लिए खड़ा होने के लिए बोला।
जैसी ही मैं खड़ी हुई, उसने तेजी से मेरा लोअर नीचे खींच दिया। अब उसके सामने लाल ब्रा और पैंटी में थी। उसने मुझे बेड पर गिरा दिया, अपना सर मेरी चूत पर रख दिया और उसे ऊपर से चाटने लगा और अपने दोनों हाथों से मेरे कूल्हे दबाने लगा, मेरी गांड में उंगली दबाने लगा।
मैं उसका सर अपने हाथों से अपने चूत पर दबाने लगी, मेरे मुँह से तरह तरह की आवाजें निकलने लगी- मैं… मर गई रे ईईईइ अह्हा मर गई !! ऐसे नहीं ! धीरे धीरे कर ना !
फिर उसने मेरी ब्रा और पेंटी निकाल दी और मैंने उसका अण्डरवियर निकाल दिया तो उसका 8 इंच का लण्ड मेरे सामने था। मैंने बिना देरी किया उसके लंड को मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी। वो बोल रहा था- चूस मेरी जान चूस ! आज तो तुझे इतना चोदूँगा कि तू हमशा मुझसे ही चुदेगी, तेरी गांड मारूंगा !
मैं जोर जोर से उसका मोटा लंड चूस रही थी।
उसने मुझे कुतिया बनने के लिए कहा, मैं समझ गई कि पहले मेरी गांड मरेगी। मैं झट से कुतिया बन गई, फिर वो मेरी गांड चाटने लगा। हाय क्या बताऊँ दोस्तो, गांड चटाने में कितना मजा आता है। सच में वो अपनी जीभ को मेरी गांड के प्यारे से छेद में डालने लगा, कभी उसे गांड के छेद पर फिराता तो कभी उसे मेरी गांड में डालता। जब मेरी गांड बिल्कुल गीली हो गई तो उसने थोड़ा सा थूक अपने लंड पर लगाया और और अपने लंड का टोपा मेरी गांड के छेद पर रखा और एक जोरदार झटका मारा।
उसका पूरा का पूरा लंड मेरी गांड में चला गया, मैं तो मानो मर ही गई, मेरी आँखों में आँसू आ गये और उसे लंड निकलने के लिए कहने लगी लेकिन वो मेरी गांड में लंड डाले ही मुझे पर लेट गया। दस मिनट बाद जब दर्द कम हुआ तो उसने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किए।
अब तो मैं भी उसका साथ देने लगी और चिल्लाने लगी- बहन के लौड़े ! और जोर से चोद ! फाड़ दे मेरी गांड ! अपनी बहन को इतना चोद कि मैं खड़ी भी न हो पाऊँ !
वो जोर जोर से धक्के मारने लगा, उसका पूरा का पूरा का लंड मेरी गांड की जड़ तक जा रहा था, करीब 10 मिनट की चुदाई के बाद वो कहने लगा कि उसका काम होने वाला है। बोला- अब मैं लण्ड निकालने वाला हूँ।
मैंने उसे कहा- नहीं यार ! आज तो अपने अमृत से मेरी गांड की प्यास बुझा दे, अंदर ही झाड़ दे अपना माल !
और वो झटके मारने लगा और अपना पानी मेरी गांड में भर दिया। उसके लंड से निकला गर्म पानी गांड में डलवा कर मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था। पानी छोड़ने के बाद मैंने उसका लंड चाट कर साफ़ कर दिया।
मैंने कहा- मेरे राजा भाई ! अपनी बहन की चूत नहीं मारेगा क्या?
उसने कहा- मारूँगा मेरी जान ! भोसड़ा बना दूँगा तेरी चूत का ! पहले मेरे लंड को खड़ा तो कर !
मैंने फिर से उसका लंड मुंह में लिया और उसे चूसने लगी...
10 मिनट में उसका लंड फिर से लोहे जैसा हो गया, उसने मुझे सीधी लिटा दिया और मेरी टाँगें चौड़ी करके मेरी चूत चाटने लगा। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं स्वर्ग में हूँ और बस चूत चटवाती ही रहूँ।
कुछ देर चूत चाटने पर उसने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और जोर का झटका मारा, उसके लंड ने मेरी चूत को सलामी दी।
मैं आपको बता दूँ कि कई बार मैं चूत में मोमबत्ती भी डाल लेती थी इसलिये मेरी झिल्ली फट चुकी थी, लंड के अंदर जाने में मुझे इतना दर्द नहीं हुआ और न ही खून निकला। जब उसने देखा कि खून नहीं आया तो उसने कहा- क्या बात है, कहीं किसी और से तो नहीं चुद ली?
तब मैंने उसे बताया कि मैं मोमबत्ती डालती थी इसलिये मेरी झिल्ली पहले ही फट चुकी थी।
फिर क्या था, उसने जोर जोर से धक्के लगाने शुरु किये और मैं भी गांड उठा उठा कर चुदवाने लगी। आधे घंटे चुदने के बाद हम दोनों एक साथ झड़े, उसने अपना सारा पानी मेरी चूत में ही छोड़ दिया। वो डर गया तो मैंने उससे कहा- कोई बात नहीं, आय-पिल ला दियो, मैं ले लूँगी।
फिर मैं थोड़ी देर तक ऐसे ही चूत में लंड डलवाए लेटी रही।
तब तक सुबह के 5 बज गए थे, हमने जल्दी से अपने कपड़े पहने और वो अपने कमरे में जाकर सो गया।
जाते हुए मैंने उसे कह दिया- अब तो मैं तेरा ही लंड डलवाया करूंगी अपनी चूत में !
तो उसने भी कह दिया- अब तो मैं भी तुझे रोज चोदा करूँगा मेरी बहन !
और मुस्करा कर चला गया। तब से लेकर आज तक मैं उससे चुद रही हूँ।
दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,
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09-13-2017, 10:55 AM,
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RE: Incest Stories in hindi रिश्तों मे कहानियाँ
भाई के मोटे लंड की दीवानी
कविता को उसके बड़े भाई रवि ने अपने लंबा-चौड़ा लंड दिखा कर सिड्यूस करके उसकी चूत से पानी निकाला ... हाए भाईय्या, मैं तो आपकी दीवानी हो गयी ... रोज़ रोज़ मेरी चुदाई करना ..आअहह
एक दिन रवि अपने कमरे मे लेटा था. वो काफ़ी थक गया था सो जाकर वो अपनी थकान दूर करने के लिए एक सेक्सी फिल्म देख ली थी. फिल्म का नाम था “अंधेरी रात में दिया तेरे हाथ में” इस नंगी फिल्म को देख कर वो उत्तेजित हो उठा था. उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर पहुँच गयी थी.वो इतना अधिक मस्त था की बस जी चाह रहा था कहीं कोई लौंडिया मिल जाए और वो उसकी चूत (यानी छूट) मे अपने लंड महाराज को झार कर शांति प्रदान करे.
लेकिन भला आसानी से लौंडिया मिलती कहाँ है? वो भी चुदाई के लिए. वो रास्ते भर एक से एक लौंडिया को देखते आया था. लड़कियाँ के उभरे हुए बड़े बड़े मस्त बूब को देख कर उसका लंड और अधिक फंफना उठता था. किसी प्रकार अपनी मस्ती पर काबू पता हुआ वो घर पहुँचा और अपने कमरे मे लेट गया.
शाम के साए घिर आए थे. लेकिन उसने कमरे की लाइट नही जलाई थी. वो अंधेरे में लेता कभी अपने हाथ से लॉड को मसलता कभी चारपाई से रग़ाद उठता. वो जितनी भी उल्टी सीधी हरकतें करता उसका लंड उतना अधिक फंफना उठता था. सारा शरीर अकरने लगा. सिर चकराने लगा. लंड बिल्कुल लाल हो उठा. रवि परेशन हो उठा. उसकी समझ मे नही आ रहा था की ऐसे मे वो क्या करे क्या ना करे. इसी उधेड़बुन मे वो था की उसके सामने के कमरे मे प्रकाश हो उठा.
वो कविता का कमरा था. इश्स समय कविता कहीं बाहर से आई थी. और वो काफ़ी थॅकी- थॅकी सी लग रही थी. कमरे के दरवाज़े पर एक हल्का सा पारदर्शी परदा पड़ा था. जिससे कमरे के अंदर की हर वास्तु प्रकाश मे नहाई दिखाई दे रही थी. कविता ने लाइट ओं की और पलंग पर धाम से बैठ गयी.
उसका चेहरा कुच्छ अधिक ही थकावट से भरा था. इस समय उसने एक पारदर्शक कपड़े की मेक्सी पहन रखी थी. जिससे से उसके शरीर का अंग-अंग आसपस्त रूप से झलक रहा था. अगर वो मेक्सी के नीचे पनटी और ब्रा ना पहने होती तो शायद उसकी चुचि और बुर भी मेक्सी के उपर से झलक कर दिखाई पार्टी. इश्स रूप मे कविता को देखकर रवि और अधिक परेशन हो उठा.
उसने आज से पहले कविता को इससे भी अधिक नंगी अवस्था मे देखा था लेकिन तब वो अपने मॅन को महसूस कर रह गया था लेकिन आज वो कुछ दूसरे ही मूड मे था.
आज कविता की जवानी उसको अनोखा ही रस दे रही थी.वो कविता के मस्त मांसल शरीर / जवानी को देख रहा था और मस्ती से बेकरार हो रहा था. कविता ने एक बहुत ही मदहोश अंग्राई ली. उसकी इश्स मदहोश अंग्राई से उसके कसे वक्ष ब्रेज़ियर के बाहर झलक उठे. रवि उसकी इस मदहोश अदा से और अधिक बेकरार हो गया.बेकरारी अपने चरम सीमा पर पहुँचती जा रही थी.वो सब कुछ चुछप एक तक देख रहा था. उसके अंदर एक बहुत ही भयंकर तूफान उठ रहा था.
वो तूफान बहुत ही भयावाह था. वो सहन कर सकने मे असफल था लेकिन फिर भी स्वॅन पर किसी प्रकार से संयम रख रहा था.उसका रोम-रोम सिहर रहा था. वो कुछ समझ नही रहा था क्या करे. वो अभी अपनी ही उधेरबुन मे खोया था की उधर कमरे मे एक भूचाल सा आ गया.
कविता ने अपनी मेक्सी उतार दी थी और अब वो केवल ब्रा और पेंटी मे थी. उसका सारा शरीर ट्यूब लाइट की.. सफेद दूधिया रोशनी मे चाँदी के समान दमक रहा था. उसे इस बात की तनिक भी आशा नही थी की रवि उसको अपने कमरे से देख रहा होगा.
रवि के कमरे मे प्रकाश नही था. इसका मतलब वो कनहीं बाहर गया होगा. लेकिन उसे क्या पता था की रवि को आज बाहर के नही घर के माल पर हाथ मारने की धुन सॉवॅर हो चुकी थी. ब्रेज़ियर और पेंटी मे वो बहुत ही मदहोश लग रही थी. कोई भी मर्द उसको इस दशा मे देख कर खुद पर काबू नही कर पाएगा. यही हॉल रवि का हो रहा था.
वो बिल्कुल बौखला उठा था. इसी अवस्था मे कविता जा कर सृंगर टेबल के सामने खरी हो गयी. और आदमकद आईने मे अपने शरीर को निहारने लगी.कुछ देर वो आईने के सामने खड़ी रही और फिर कुछ सोंच कर उसने मस्ती मे भर अपनी दोनो चूंचियों को कस के दबा दिया.उसके ऐसा करने से रवि और बेकरार हो उठा. वो अपनी बेकरारी पर काबू नही पा रहा था.
वो मदहोशी मे अपने लंड को पकड़ कर मचल उठा. रवि अपनी चरमसिमा को पार कर चुका था. वो बिल्कुल बौखला उठा था. कुछ देर आईने के सामने खड़ी हो कर खुद को हर तरह से निहार चूकने के बाद कविता अपने पलंग पर आ गयी.उसने अपनी नंगी जवानी को चादर से ढँक लिया और एक मॅगज़ीन उठा कर उसके पन्ने पलटने लगी.
आज वो कुछ अजीब सी हालत मे लग रही थी. ऐसा लगता था आज वो किसी घटना से दो चार होना चाहती है. इधर रवि ने मन ही मन एक बहुत घिनौना विचार अपने मन मे जन्मा डाला था. आज वो अपनी बहन के ही जवानी के रस को चूस लेना चाहता था.अपनी बहन की ही कमसिन चूत को छोड़ कर अपने लंड की प्यास बूझा लेना चचता था.
मॅन ही मॅन कुछ सोचता हुआ वो उठ बैठा.उठकर कविता के कमरे की ओर चल पड़ा. कविता के द्वार पर जाकर वो एक पल को रुका लेकिन फिर वो साहस करके कमरे मे प्रवेश कर गया. अपने कमरे मे भैया को देख कर एक बार तो कविता अपनी नंगी अवस्था की कल्पना मात्र से सिहर उठी, लेकिन फिर उसने खुद को संभाला और हल्की सी मुस्कान के साथ पुच्छ बैठी-
“कहो भैया कैसे, ख़ैरियत तो है?”
“यूँही सोनचा चल कर कुच्छ देर तेरे कमरे मे बैठू”
ठीक है बैठो ना.” कविता ने कुर्सी की और इशारा करते हुए कहा.
लेकिन रवि कुर्सी की बजे पलंग पर बैठ गया. वहाँ कविता के नितंबों के पास. बैठने से उसके नितंबों से रवि के नितंब टकरा गये. लेकिन फिर उचक कर कविता कुछ दूर हो गयी.
“कहाँ से आ रहे हो?”
“फिल्म देखने गया था.”
“कौन सी देखी?”
“अंधेरी रात में दिया तेरे हाथ में.”
“अंधेरी रात में दिया तेरे हाथ में ….” कविता तोरा चौंकी. फिर बात जारी रखते हुए बोली- “कैसी है…मैने सुना है बहुत ही नंगी फिल्म है?”
“है तो नंगी ही लेकिन ये उमर ऐसी ही फ़िल्मे देखने की है…..तुम देखोगी.” रवि बेहयाई पर उतार आया था.
वो ये भी नही समझ पा रहा था की वो इस समय किससे बात कर रहा है. उसे इस प्रकार की बातें करनी भी चाहिए या नही. लेकिन ज़रूरत बावली होती है. इस समय उसको चूत की आवशेकता थी और वो उसे कविता के ही पास मिल सकती थी.
कविता को बहका कर वो अपने रास्ते पर ले आना चाहता था. वो चारा फेंक रहा था. अब उसके भाग्ये मे होगा तो मच्हली फँसे गी नही तो वो खटिया खींच के चालसा जाएगा.लेकिन उसे पूरा यकीन था की मछली फँसेगी ज़रूर.और इसी लिए वो पूरी तरह बेहयाई पर उतार आया था.
वो कविता की कमर से लिपट ता ही जर आहा था. बिल्कुल सट जाना चाहता था. कविता खिसक रही थी. वो खुद को रवि से अलग रखना चाह रही थी लेकिन सफल नही हो पा रही थी. “ना बाबा, पापा को मालूम हो जाएगा तो बहुत बिगरेंगे, मैं ऐसी गंदी फिल्म नही देखूँगी.”
“तू भी पूरी पागल है, अरे पापा को कैसे मालूम होगा.”
“तुम ना बता दोगे.”
“मैं भला क्यों बताने लगूंगा?”
”फिर अगर किसी तरह पिताजी को पता चल जाएगा तो?”
“तू फ़िक्र मत कर किसी को पता नही होने पाएगा.”
“कैसी फिल्म है….मज़ा आता है?”
“अरे कविता देख लेगी तो मस्त हो जाएगी.”
“बहुत ज़्यादा नेकेड सीन है क्या?”
“बिल्कुल ”
“बिल्कुल…क्या सब-कुच्छ दिखा दिया क्या?”
“अरे एक दूं साफ लेते देते दिखा दिया है.”
“भैया.”
वो शर्मा उठी.“पगली शरमाती है यही तो उमर है खूब जी भर कर मौज-मस्ती लूट ले, फिर कहाँ आएगी ये उमर. मैं तो कल फिर जौंगा, तबीयत मस्त हो जाती है, तू भी चलना.”
“ठीक है लेकिन किसी को पता नही चलना चाहिए.”
”नही, किसी को कानोंकान खबर नही हो पाएगी.”
“तब तो ज़रूर चालूंगी, कौन सा शो चलोगे?”
“शाम वाला ठीक रहेगा…तू शाम को तैय्यर हो जाना, मैं फिल्म देखने की आगया माँ से ले लूँगा,
उनको ये नही बताया जाएगा की अडल्ट फिल्म “अंधेरी रात में दिया तेरे हाथ में “ देखने जाना है.”
“ठीक है.” वो मन ही मन निहाल हो उठी थी.
कुछ देर दोनो मौन रहे. फिर इस खामोशी को रवि ने तोड़ा- “अभी कहाँ से आई हो?”
“गयी थी इंग्लीश फिल्म देखने.”
“कौन सी देखी?”
“टीन लवर्स.” “बहुत अच्छी फिल्म है.”
“वो भी तो सेक्सी फिल्म है?”
“हाँ है तो सेक्सी लेकिन कोई खास नही.
“मज़ा तो आ गया होगा, मैने भी देखी है, सारा का सारा शरीर सरसारा उठता है.”
“हाँ..”
“कविता.”
“क्या.”
“ए बात पुच्छुन?”
“पूछो भैया.”
“क्या औरत की प्यास वाकई मे ऐसी होती है जैसी तुम्हारी वाली फिल्म "टीन लवर्स" में थी, उसने 3 मर्दों के साथ प्यार किया था, और सब ने उसकी जवानी के साथ खेला था, क्या वास्तव मे औरत 3 मर्दों की लगातार प्यास बुझा सकती है?”
“इस सवाल को तुम मुझसे क्यों पुच्छ रहे हो?”
“क्यों की तुम लड़की हो और औरत की भावना को अच्छी तरह समझने की तुम मे समर्थ है, मैं जानना चाहता हूँ की वास्तव मे औरत के अंदर इतनी प्यास होती है” “क्या तुम्हारे अंदर भी ऐसी कोई बात है?”
”वो तो सच्चाई ही है हर लड़की के अंदर ये सब विधेमान होता है.
“अच्च्छा कविता ये तो बताओ, बहुत सी किताबों मे भाई-बहन के प्यार की कहानी छपी होती है, क्या वो सच्चाई है?किताबों मे वही छपा है जो होता नही तो हो सकता है.”
रवि अपनी बहन को राह पर लाने की हर तरह से कोशिश कर रहा था और उसे आशा थी की वो इसमे सफलता प्राप्त कर लेगा. लेकिन खुल कर अपनी बहन के आगे वो अपनी वासना को शांत करने का प्रस्ताव ना रख पा रहा था.
अचानक कविता ने करवट ली तो उसके सिने पर से चादर ढलक गयी.ये अंजाने तौर पर हो गया था या उसने जानकार किया था इस के विषय मे तो सही सही नही कहा जा सकता लेकिन उसने ढलक गयी चादर को ठीक नही किया जिसके कारण उसकी दोनो मस्त चुचियाँ जो ब्रा के अंदर क़ैद थी रवि के आँखों के सामने आ गयी.
रवि फटे फटे नेत्रों से उसकी अर्ध निर्वस्त्रा चुचियों को देख रहा था और देखता ही जर आहा था. उसकी आँखें वहाँ पर पथ्रा कर रह गयी थी. कविता ने इस बात को महसूस भी किया की भैया उसकी चुचियों को ही घूर रहे हैं. उसने एक तीखा सा वेिंग किया “कहो भैया क्या देख रहे हो?” “कुच्छ नही, कुच्छ नही.” रवि हकला कर रह गया.
उसने अपनी नज़र भारी चुचियों पर से हटा लेनी चाही लेकिन वो वन्हि जाकर टिक गयी.
“आज कुच्छ बदले-बदले लग रहे हो भैया, लगता है फिल्म के नेकेड सीन के प्रभाव ने तुम्हारे दिमाग़ को ज़्यादा ही प्रभावित किया है.”
“हाँ कविता आज मैं बहुत ही परेशन हूँ, सारा शरीर टूट रहा है, अंग-अंग सिहर रहा है, बस मन होता है की.“
“क्या मॅन होता है भैया, मैं भी कुच्छ उलझन मे हूँ, मेरे भी सारे शरीर मे गुदगुदी व्यपत हो रही है.”
“तो आओ आज हम एक हो जाएँ, कविता, दोनो और ब्राबार की आग लगी है, हम दोनो एक दूसरे की आग बुझाने मे सफल हो सकते हैं.”
“लेकिन भैया क्या यह सब ठीक होगा, यह पाप नही होगा.”
“सब कुच्छ पाप ही है कविता. इस संसार मे कौन पापी नही है, सब पापी हैं, हम-तुम भी पापी हैं, केवल एक यह पाप ना करने से अगर हम सारे पापों से छुटकारा पा लें तो चलो ठीक है, लेकिन नही, कविता , पाप इंसान से ही होता है, कभी-कभी इंसान जानबूझ कर भी पाप करने पर उतारू होता है.”
”चोर जनता है चोरी पाप है लेकिन वो करता है. सब को पाप पुण्य की पहचान है लेकिन सब पाप करते है. हम भी आज एक पाप कर डालेंगे तो कौन सा पाप का बोझ धरती पर बढ़ जाएगा. आओ हम एक हो जाएँ कविता.”
“भैया…..”
कविता भी पूरी तरह मस्ती से दो चार हो रही थी. “आओ कविता आज हम आपस मे गूँथ जाएँ.”
रवि ने अपनी बाहें फैला दी. कविता भी बाँह फैला कर आगे बढ़ी और दोनो एक मे समा गये. कभी अलग ना होने के लिए. कुच्छ देर दोनो आपस मे गूँथ से गये. दोनो की साँसें तेज़ी से चल रही थी. दोनो बिल्कुल दीवाने होते जा रहे थे. फिर जब कविता कुछ होश मे आई तो उसने अपने को संभालते हुए कहा - “भैया….”
“क्या कविता….मेरी प्यारी कविता.”
“दरवाज़ा खुला है, कोई आ ना जाए.”
“नही कविता आज कोई नही आएगा.”
“फिर भी दरवाज़ा बंद कर लो.”
“अच्च्छा”
कहते हुए रवि कविता से अलग हुआ. उठकर उसने दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया.
फिर बंद कमरे मे बहन-भाई निश्चिंत भाव से प्रेम क्रीड़ा खेलने लगे. रवि ने चादर उठाकर सोफे पर फेंक दी. अब कविता की गोरी संगमरमरी देह उसके सामने प्यासी मछली सी तड़प रही थी. रवि ने झुक कर कविता के गालों को चूम लिया और फिर उसने दोनो हाथों से ब्रा के अंदर से बाहर खींच कविता की कसी-कसी दूधिया चुचियों को मिजने लगा.
वो इस समय दीवानगी से चुचियों को मिज रहा था. कविता पर भी भरपूर दीवानगी सॉवॅर थी. उसे दर्द हो रहा था लेकिन इस मीठी पीड़ा को वो सहन करती जा रही थी. वो मस्ती से और अधिक सरावोर होती जा रही थी. फिर देखते ही देखते रवि ने कविता के ब्रा को उसके शरीर से अलग कर दिया.
कविता की दोनो बड़ी-बड़ी स्वस्थ चुचियाँ फडाक कर सामने आ गयी. कविता इतनी मदहोश हो उठी थी की उसे कुछ भी अहसास नही हो पा रहा था की क्या हो रहा है और क्या नही. वो नंगी है या कपड़ों मे उसे ज़रा भी अहसास नही हो पा रहा था. बस उसे मज़ा आ रहा था और वो मस्ती मे बहक कर सारे मज़े को लूट लेना चाह रही थी. और वो भी लूट रहा था.
उसका भाई उसको भरपूर आनंद दे रहा था. और वो आनंद विभोर होती जा रही थी. रवि कस-कस कर दोनो चुचियों को दबा रहा था और उनसे खेल रहा था. फिर उसने कविता की रानो पर हाथ फेरा. मांसल रानो पर हथेली रखते ही वो मचल उठी वो बहुत अधिक बेकरार होती जा रही थी.
एकाएक रवि ने कविता की पेंटी भी खींच उसके शरीर से अलग कर दिया. अब कविता सिर से पैर तक पूरी तरह से नंगी हो उठी थी. उसकी डबल रोटी सरीखी चूत देख कर रवि के मूह मे पानी आ गया. उसने झुक कर कविता की चूत को चूम लिया और फिर जीभ से चाटने लगा. उसके ऐसा करने से कविता और अधिक बेताब हो उठी. उसका रोम-रोम गंगना के खड़ा हो गया. उसका सारा शरीर गुदगुदी भर उठा था.
वो बहुत अधिक मस्त हो उठी थी. चाट कर चूत को गीली कर लेने के बाद रवि ने उस पर हथेली रख कर सहलाया.वो और अधिक सिहर उठी. कविता बेकरार होती जा रही थी और रवि उसको पहली हरकतों से और अधिक बेकरार करता जेया रहा था.
अंत मे कविता सिहर उठी. “भैया…. हाए भैया.”
“क्या हुआ कविता.”
“अब नही रहा जाता भैया, अब और अधिक देर मत करो बस…अब चोद कर मेरी खुजली मिटाओ.. मेरे प्यारे भैय्य्या... बहुत तेज खुजली हो रही है.” रवि समझ गया की कविता अब पूरी तरह मस्त हो उठी है. वो यही चाहता ही था उसने तो जानबूझकर अपनी मस्तानी हरकतों से कविता को इस्कदर मस्त कर दिया था.
“बस कविता घबराऊ नही, अब मुझसे भी अधिक सहन नही हो रहा है.”
रवि ने कहा और वो तुरंत अपने कपड़े उतरने लगा. देखते ही देखते वो सिर से पैर तक मदरजात नंगा हो उठा. कविता की आँखें नशे से मस्ती मे झापी जेया रही थी. वो पलकें बंद किए लेती थी. कपड़े उतार के रवि कविता पर दोनो टाँगों के बीच आ गया.
उसने बगल मे पड़ी क्रीम की ट्यूब उठाई और अपने लंड पर तथा कविता की चूत की दरारों मे क्रीम लगाई और फिर कविता की दोनो टाँगों को थोड़ा सा फैल्ला दिया. उसके ऐसा करने से कविता की गुलाल हो रही चूत थोड़ा सा फैल उठी.
कविता बहुत अधिक मदमस्त हो उठी. उसने चाहा की वो अपनी दोनो टाँगो को आपस मे कस ले जिससे उसकी चूत थोड़ा सा घर्सन महसूस करे और खुजली मिट जाए. लेकिन अब रवि दोनो टाँगों के बीच बैठ चक्का था. उसने तकिया उठा कर कविता के चूटर gaand के नीचे रखा जिससे उसकी चूत उठ कर उपर आ गयी.
अब उसने अपने लंड के सूपदे को कविता के चूत के च्छेद पर हल्के से रखा. कविता और अधिक सिहर उठी. उसके मूह से सिसकारी निकल गयी. रवि ने अपने दोनो हाथों से चूत की दरारों को हल्का सा फैलाया. और लंड पर हल्का सा दवाब दिया. जिससे उसका mota सूपड़ा चूत की दरारों को चौड़ा करता अंदर जेया कर फँस गयी. सूपड़ा बहुत हल्के से अंदर गुसा था लेकिन वो सब कविता के साथ पहली बार हो रहा था.
वो आज पहलिबर PEHLI BAAR चूत का उद्घाटन करवा रही थी. इसलिए उसे हल्का सा कास्ट हुआ, लेकिन वो इतनी अधिक मस्त थी की उस हल्की सी पीड़ा को सहन कर गयी. सूपड़ा फँसा कर रवि ने अपने दोनो हाथ बढ़ा कर कविता की कसी चुचियों पर रख कर चुचियों को मुठ्ठी मे कसते हुए लगभग कविता पर लेट सा गया.
इस प्रकार उसके होंठ ठीक कविता के होंठों पर जाकर बैठ गये. उसने कविता के अधरों को दाँतों से दबा कर अपने लंड पर एक हल्का सा दवाब दिया. इस तरह उसका पूरा सूपड़ा कविता की चूत मे समा गया तो कविता सिसकारी भर उठी. उसने अपनी टॅनजेंट फेकनी चाही तो रवि ने अपने टाँगों से उसकी टाँगें फँसा ली और तंग जाकर कर उसने हल्का सा धक्का लगाया और उसका आधा से अधिक लंड कविता की लसलसा रही चूत मे समता चला गया.
कविता दर्द से तड़प उठी. “aaayeee cccc सी….भैया….ज़रा धीरे से….. हाए …बड़ा दर्द हो रहा है.”
“बस घबराव नही कविता, अभी मज़ा ही मज़ा आने वाला है.”
रवि ने कहा और कुच्छ रुककर उसने एक ऐसा धक्का मारा की उसका पुडा pura लंड जड़ तक कविता की कुँवारी चूत मे समा गया.
कविता दर्द से दोहरी हो उठी. “हाए…भैया….हाए…उई….मारी एयाया ऊऊओ आहाहहा भैया….भैयाअ…भैया बहुत दर्द हो रहा है….अपने मूसल को बाहर कारूव karo…हाए… मैं मारी जेया रही हूँ.”
“घबराव नही कविता बस अब सब ठीक हो जाएगा.”
“हाए भैया, नही सहा जाता बहुत तेज़ दर्द हो रहा है.”
“बस कविता बस हो गया. घबराव नही सब ठीक हो जाएगा अब बहुत धीरे धीरे करूँगा कोई तकलीफ़ अब नही होगी.”
“नही भैया निकल लो, मैं सहन नही कर पा रही हूँ, बड़ा मोटा हथियार है तुम्हार, मेरी चूत फटी जेया रही है, हाए भैया देखो तो चूत फट गयी.”
“नही कविता कुच्छ नही हुआ है.” कहते हुए रवि ने हल्के से अपना लंड तोरा सा बाहर की ओर खींचा और फिर हल्के से पूरा अंदर डाल दिया.
कविता को ऐसा महसूस हुआ जैसे दर्द समाप्त हो रहा है. Aur dheere dheere maajaaata jar aha hai इश्स बीच रवि ने दो टीन बार अपने लंड को हल्के हल्के अंदर बाहर किया था. और सच मच ही अब कविता का सारा दर्द डोर कनहीं विलीन होकर रह गया था. वो निहाल हो उठी.
“कविता.” “क्या भैया?” “दर्द डोर हो गया?”
“हाँ.”
“अब कैसा लग रहा है?”
“अच्च्छा लग रहा है.”
कविता ने वास्तविक बात बता दी.उसे अब अच्च्छा ही लग रहा था चुदाई का आनंद उसे आने लगा था. Uski choot apna ras chhor rahi thi
रवि ने आगे बोला- “मज़ा मिल रहा है ना?” “
हाँ.”
और फिर इसी के साथ ही रवि तेज़ी से धक्के लगाने लगा.उसके हर धक्के के साथ कविता की चूत की दीवारों को अधिक आनंद आने लगा था. चूत की दीवारों मे जितनी खुजली थी सब धीरे धीरे समाप्त होती जेया रही थी. अब खुजली की जगह गुदगुदी बढ़ती जा रही थी. इस समय दोनो के शरीर मे बहुत अधिक गुदगुदाहट फैल गयी थी.
दोनो आनंद विभोर हो उठे थे. दोनो की मस्ती और वासना अब शांत हो रही थी. दो प्यासों की एक साथ प्यास बुझ रही थी. दोनो एक दूसरे के सहजीवी सीध हो रहे थे. दोनो एक दूसरे के पूरक साबित हो रहे थे. एक के बिना दूसरे का जीवन अधूरा सीधा हो रहा था.
रवि बराबर जाम के कविता की चूत मे धक्के मार रहा था. वो धक्कों की गति तेज़ करता जेया रहा था और कविता को बहरपूर आनंद प्राप्त हो रहा था. अईकायक कविता बहुत अधिक मस्त हो उठी. वो हौले से बोल उठी- “भैया”
“क्या?”
”और कासके धक्के लगाओ….और कस के छोड़ो, बहुत अधिक मज़ा आ रहा है. छोड़ो भैया….हाए भैया…हाए मैं अब तक इस आनंद से अनभीग्या थी.
आज तुमने मुझे एक अद्भूत आनंद से परिचित कराया है.छोड़ो और कस के छोड़ो” कविता पूरी तरह से कराह उठी.
उधर अब रवि भी कहता जा रहा था वो पूरी शक्ति से धक्का मार रहा था. और अपने लंड को चूत मे अंदर बाहर कर रहा था. कविता बार बार हाँफ रही थी और उल्टी सीधी बात बकती जा रही थी. अब शायद दोनो ही झरने के बिल्कुल करीब पहुँच गये थे. दोनो झरना ही चाहते थे की रवि ने एक बहुत शक्ति लगा कर धक्का मारा और कविता पर औंध कर रह गया.
उसके लंड ने पानी छ्चोड़ दिया था.उसी के साथ कविता के चूत ने भी पानी छ्चोड़ा. सारी चूत पानी से लबालब भर उठी. दोनो एक साथ झाड़ गये थे. दोनो की सांस तेज़ चल रही थी. फिर कुच्छ देर बाद दोनो नॉर्मल हो गये.
रवि ने उठ ते हुए कविता की चूत से लंड बाहर खींच लिया. फ़च की आवाज़ के साथ ravi ka mota लंड बाहर आ गया.उससी के साथ ढेर सारा वीर्या भी चूत से बह कर कविता की जांघों पे फेएल गया. Ravi kelund ka supara phool kar lal lal tamatar jaise ho gaya tha. Jaise kisi ghore ka lund ghori ki choot ka ras peekar supara mota ho jata hai .
रवि ने तौलिया उठा कर अपने लंड पर लगे वीर्या को पोंच्छा और फिर वो कविता की चूत को पोंच्छने लगा. फिर वो पुच्छ बैठा- “कविता मज़ा आया?”
“हन”
“अब रोज़ हुमलोग यह मज़ा लूटा करेंगे, तो तैयार हो.”
“हाँ”
और फिर एक दिन का पाप रोज़ रोज़ का पाप बन कर रह गया. रवि ने उठ कर अपने कपड़े पहने और फिर दूसरे दिन यही खेल दुबारा खेलने का वाडा कर वो कमरे से बाहर हो गया.लेकिन कविता उसी प्रकार नंगी पड़ी रही. उसने अपनी नागंता को च्छुपाने के लिए एक चादर ओरध ली और सो गयी.
फिर ये खेल रोज़ खेला जाने लगा. रवि अपनी बहन की चूत का दीवाना है उसी प्रकार कविता भी अपने भाई के लंड की दीवानी है. वो दीवानेपन मे सबकुच्छ भूल गये हैं. रिश्ते-नाते, पाप-पुण्य सब कुच्छ. बस उन्हे मौज मस्ती से काम है.
कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...
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09-13-2017, 10:56 AM,
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RE: Incest Stories in hindi रिश्तों मे कहानियाँ
बहुत मोटा है भैया
मैं अब बड़ी हो गई हूँ। मेरी चूंचियाँ भी उभर कर काफ़ी बड़ी बड़ी हो गई हैं। मेरी चूत में अब पहले से अधिक खुजली हुआ करती है। उसकी गहराई अधिक हो गई है। मेरे चूतड़ अब और सुडौल हो गये हैं। मेरी गर्दन भी अब सुराहीदार और खूबसूरत हो गई है। मेरा भाई मुझसे बस दो वर्ष ही बड़ा है।
उसका लण्ड तो बहुत ही सोलिड जान पड़ता था। पेंट में सोया हुया लंड भी काफ़ी भारी और लंबा-मोटा दिखाई देता था / जब वो सोता था तो उसका लण्ड कभी कभी खड़ा हो जाता था और छोटी सी चड्डी में से वो खम्बे की भांति खड़ा नजर आता था। उसे देख कर मेरा दिल भी बेईमान हो उठता था। दिल में खलबली मच जाती थी। कई बार तो मैं अपनी चूत को हाथ से दबा लेती थी। शायद यह उम्र भी बेईमान होती है। उसे भाई बहन के रिश्तों का भी ध्यान नहीं रहता है।
मेरा भाई भी कम नहीं है, वो भी मेरे अंगों को अब घूरने लगा था। मेरे अकेलेपन का फ़ायदा वो उठाने लगा था। वो हंसी हंसी में कितनी ही बार मेरे चूतड़ों पर हाथ मार देता था। छुप-छुप कर स्नान के समय वो मुझे झांक कर देखता था। उसकी इस हरकत से मुझे रोमांच हो उठता था।
अब मैं भी उसको स्नान करते समय झांक कर देखती थी। जब वो गधे जैसे लंबे और मोटे लंड पर साबुन मलता, तो मेरे शरीर के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
आज मैंने बाथरूम के अन्दर कपड़ों में छुपा हुआ मोबाईल देखा। उसके कैमरे का कोण मेरी वीडियो लेने के हिसाब से लगाया था। मेरे मन में वासना जाग उठी...
सोचा आज रवि भैया को सब कुछ दिखा ही दूं, शायद भैया पिघल ही जाये और हमारे बीच शर्म की दीवार टूट जाये। मैंने बड़ी अदा से एक एक कपड़ा उताड़ा और चूतड़ मटकाते हुये मैं अपने आपको मोबाइल में कैद करवाने लगी। चूत को और चूतड़ों को साबुन से मल मल कर और चूंचियों को सेक्सी तरीके से मल मल कर उसे दिखाने लगी।
फिर अपने चूतड़ों को उभार कर और उसके दोनों पट खोल कर अपना चूतड़ों के मध्य केन्द्र बिन्दु भी दर्शा दिया। फिर अपनी चूत सामने करके चूत को सहलाते हुये अन्दर अपनी अंगुली भी डाल कर उसे बताई। अन्त में अपना मटर जैसा दाना भी हिला कर बताया। फिर साधारण तरीके से कपड़े पहने और बाहर निकल आई।
मेरे बाहर निकलते कुछ ही देर बाद भैया ने बाथरूम में जाकर अपना मोबाइल ले लिया। मेरे किचन में जाते ही वो वीडियो देखने लगा।
मैने छुप कर उसे देखा तो वो वीडियो देख देख कर अपना भारी लण्ड मसले जा रहा था। उसे शायद ये मालूम हो गया था कि ये तस्वीरें मैंने जान करके खिंचवाई हैं।
मुझे लगा कि रवि बड़ा बेताब हो चुका है। उसकी बेचैनी उसके चेहरे से झलक पड़ती थी। शाम ढलते ढलते तो शायद उसने दो बार तो मुठ मार लिया था। शायद अब वो मुझसे खुलना चाहता था। पर मैं उससे बड़ी जो थी ... उसकी हिम्मत कैसे हो।
शाम को मैं अपनी चड्डी उतार कर बस शमीज में आ गई थी। मुझे लगा कि आज ही उसे बस में कर लेना चाहिये ... लोहा गरम था। मैं कमरे के बाहर ठण्डी हवा का आनन्द ले रही थी। भैया भी वहीं आ गया। उसके चेहरे पर तनाव स्पष्ट नजर आ रहा था।
वो मुझसे बे-मानी की, यहां वहां की बातें कर रहा था। मैं सब कुछ भांप चुकी थी। उसका लण्ड खड़ा था। उसने भी चड्डी नहीं पहन रखी थी। ट्यूब लाईट की तेज रोशनी में उसके सुपाड़े तक का आकार साफ़ नजर आ रहा था। उसे देख कर मुझे झुरझुरी सी होने लगी।
"भैया, क्या बात है... तू कुछ परेशान है... ?"
"नहीं तो ... ! मुझे एक बात बात पूछनी थी !"
मैंने अपनी गाण्ड उसके लण्ड के नजदीक लाते हुये जैसे बेफ़िक्री से पूछा,"मुझे पता है तेरी बात ... यही ना कि मेरी सहेली आशा को कैसे पटाना है?"
वो बुरी तरह से चौंक गया।
"तुझे आशा के बारे में कैसे मालूम... ?"
"बस, मालूम है ! ऐसा कर, धीरे से उसकी कमर पकड़ लेना और उसके पीछे चिपक जाना... और कह देना... !"
"कैसे दीदी ... हिम्मत ही नहीं होती... "
"देख ऐसे ... अपना हाथ बढ़ा और मुझे पीछे से पकड़ कर अपने से चिपका ले !"
मैने मुस्करा कर उसे देखा। उसने ज्योंही मुझे जकड़ा, उसका उठा हुआ लण्ड मेरे चूतड़ों से टकरा गया। मेरे तन बदन में जैसे बिजली सी कौंध गई। पर देर हो चुकी थी। रवि ने मेरी कमर में हाथ डाल कर अपने भारी लण्ड को चूतड़ों की दरार के बीच घुसा दिया था। मैंने तुरन्त ही उसे दूर करने की कोशिश की। तब तक उसका दूसरा हाथ मेरे सीने पर आ चुका था।
"दीदी ऐसे ही ना... ?"
"हाँ हाँ ऐसे ही, बस, मुझे तो छोड़ ना... "
पर भैया में बहुत ताकत थी। उसने मुझे ऐसे ही उठा लिया और कमरे में आ गया।
मुझे बिस्तर पर पटक दिया और मेरी पीठ पर सवार हो गया। मेरी शमीज कमर से ऊपर तक उठ गई थी और मेरे चूतड़ नीचे से नंगे हो गये थे।
"बस कम्मो , चुप हो जा... मेरी गर्ल-फ़्रेन्ड तू ही तो है ... मैं तेरे ही कारण तो पागल हुआ जा रहा था।"
उसने पजामा जाने कब नीचे कर लिया था उसने ! उसका नंगा लण्ड का स्पर्श महसूस हो रहा था। मुझे ये सब शायद पहले से मालूम था कि वो कुछ ना कुछ तो करेगा ही। मुझे दिल ही दिल में खुशी हो रही थी कि मैंने आखिर इस मोड़ तक तो ला ही दिया था।
"रवि ... देख ! मैं तो तेरी बहन हू... छोड़ दे ... चल दूर हट जा !"
"तेरे ये मस्त चूतड़, ये मस्त बड़ी बड़ी चूचियाँ ... ! तेरी तो गाण्ड भी मार कर ही रहूंगा !"
"देख मैं मम्मी को बुलाऊंगी ... आह अरे रे रे ... ना कर ... हाय लण्ड घुसा ही दिया ना... !"
मेरी गाण्ड में जैसे लोहा घुसता हुआ सा लगा। वो थोड़ा रुका... फिर जोर लगाया।
"कम्मो ... प्लीज चुप हो जा ना ... देख ना ... मेरा लण्ड तेरे नाम की कितनी बार पिचकारियाँ छोड़ चुका है... तू नहीं जानती ... तू तो एक दम कड़क माल है ... !"
"आईईईई ... बहुत मोटा है भैया, आहहहह ….. धीरे से... !" मेरे मुख से आह निकल गई।
उसका लण्ड भीतर तक घुस चुका था। मुझे भी अपनी इस सफ़लता पर गर्व हो रहा था।
उसने अपना लण्ड बाहर खींचा और फिर से अन्दर घुसा डाला। अब मुझे भी धीरे धीरे मजा आने लगा था। उसके हाथ मेरी बड़ी बड़ी चूंचियों पर कस गये थे।
मैं आनन्द से सराबोर हो उठी। मैंने अपने पैर पूरे पसार दिये और उसे गाण्ड मारने में सहायता करने लगी।
"देख, दीदी ... मुझे बहुत मजा आ रहा है ... किसी को कहना मत यह बात... "
"मैं तुझसे कभी बात नहीं करूंगी ... देखना, हाय रे ! तूने तो मेरी गाण्ड कितनी जोर से मार दी !"
उसे तो असीम मजा आ रहा था। उसका लण्ड अब सटासट मेरी गाँड के अंदर तक जा रहा था । मेरी गाँड का च्छेद अब कुछ खुल्ला हो गया था / कुछ ही देर में उसका वीर्य निकल पड़ा। उसने मेरे चूतड़ के गोलों पर अपना माल निकाल दिया और हाथ से मलने लगा।
"छीः, ये क्या कर रहा है... ?"
"फ़िल्म में तो ऐसे ही दिखाते हैं ना दीदी... " अब वो मेरे ऊपर से उतर गया।
उसके लण्ड से पूर्ण स्खलन हो चुका था। वो बस हाथी की सूंड की तरह झूल रहा था।
"अभी मम्मी यहां आ जाती तो ... ?"
"मम्मी तो नहा रही है अभी... उन्हें तो एक घण्टा लगता है।"
"साला, मरवाने के काम करता है ... मुझे तो डरा ही दिया था।"
"डरने की क्या बात है दीदी, कोई चोट थोड़े ही लगती है ... बस मजा ही आता है ना... " उसने अपना पजामा पहन लिया था।
"पर तेरा मोटा कितना है ... और ये भी कोई घुसाने की जगह है ?"
"पर दीदी, बुरा मत मानना, मुझे पता है तू भी तो इतने से कम कपड़े पहन कर मुझे चिढ़ा रही थी ना?"
मुझसे कुछ कहते ना बना, शायद उसने भांप लिया था कि मैं चुदासी हूं। पर क्या करती मैं ! यह जवानी तो मुझ पर कहर बन कर टूटी पड़ रही थी, और देखो ना, मेरी चूत अभी भी लण्ड मांग रही थी। घर पर मर्द नाम का तो बस रवि ही था।
अब यूं ही हर किसी से थोड़ी ना चुदा सकती हूं, क्या पता कब, कैसा बवाल खड़ा हो जाये। पर हां, अब मेरी और भैया की दोस्ती और पक्की हो गई थी। दिन भर हम साथ ही साथ चिपके रहे। इसी बीच उसने मुझे वो वीडियो दिखाया कि कैसे उसने चालाकी से मेरा नहाते समय वीडियो बनाया। मैंने उसे देखा तो सच में बहुत उत्तेजक वीडियो था वो। मैं ही तो उसकी हीरोइन थी। यूँ तो मैंने उसे ऊपरी मन से खूब डांटा। पर वो बता रहा था कि जिसमें हीरो का लण्ड इन होता है वो हीरोइन होती है। हम खूब मस्ती और मजाक कर रहे थे।
शाम को रवि भैया मुझे अपनी मोटर साईकल पर घुमाने भी ले गया। हम दोनों ने बाजार में खूब मस्ती भी की। रास्ते भर मैंने अपने स्तन उसकी पीठ से खूब रगड़े। रात का खाना खाकर हम दोनों कमरे में आ गये थे। पापा और मम्मी सो चुके थे।
पर यहां नींद कहां थी। मैंने लाईट जलाई और रवि भैया के पास आ गई। भैया अपना पजामा उतार कर नंगा ही सो रहा था। मैंने भी अपनी शमीज उतारी और उसके पास लेट गई। उसका लण्ड पहले से ही खड़ा था। मैंने उसका लण्ड हाथ में ले लिया और आगे पीछे मुठ को चलाने लगी। इतने में रवि भैया ने मुझे अपनी बाहों में कस लिया और मेरे ऊपर चढ़ गया।
"श्... श... श्... चुप रहना... " उसका लण्ड मेरे शरीर में कूल्हों के पास यहाँ-वहाँ गड़ने लगा। मुझे लगा कि बस अब तो चुद गई मैं।
"भैया, बस ऊपर ही ऊपर से करना ... बहुत मजा आयेगा देखना ! " मैंने फ़ुसफ़ुसाते हुये कहा।
"नहीं कम्मो, आज बस एक बार चुद ले ... देखना मस्त हो जायेगी... " वो जैसे गिड़गिड़ाया।
"नहीं भैया ... मुझे पता है चुदने से बच्चा हो जाता है... बस चोदना मत ... ऊपर से ही मस्ती मारते हैं ना !"
"अच्छा, जैसी तेरी मरजी... "
भैया अपने लण्ड को मेरी चूत में घिसने लगा और आहें भरने लगा। मेरी चूंचियाँ मलने लगा। उसकी सांसे तेज हो गई। मेरा दिल भी धाड़-धाड़ करके धड़क रहा था।
मैं आनन्द से अंखियां बंद किये स्वर्ग में विचरण कर रही थी। मेरी चूत पानी से गीली हो गई थी, बहुत चिकनी हो चुकी थी। मेरे चेहरे पर पसीने की बूंदे छलक आई थी। वो भी पसीने में तरबतर था।
वो मेरे से लिपट पड़ा था। जाने कब उसका लण्ड मेरी चूत में उतर गया। हम दोनों के ही मुख से एक आनन्द भरी सिसकारी निकल गई। पर ये सब कब हो गया, मस्ती में पता ही नहीं चला।
हम दोनों के शरीर जाने कब एक हो गये, बस हमारी कमर तेजी से चल रही थी। मेरी प्यासी चूत उसके घोड़े जैसे लंड को गपागप अपने अंदर ले रही थी। वो भी उछल-उछल कर लण्ड पेल रहा था। मेरी चूंचियों की शामत आई हुई थी। उसने खींच-खींच कर उन्हें लाल कर दी थी।
"दीदी... आह कितनी चिकनी है रे तू ... तू तो बहुत मस्त है... "
"भैया ... बस चोद दे... कुछ मत कह ... मस्त लण्ड है रे !"
"दीदी ... " और मुझ पर और जोर से पिल पड़ा।
"रवि ... और जोर से मार... हाय दैय्या ... मेरी मार दी भैया... " सच में भैया का मोटा लण्ड जैसे मेरी चूत के लिये बना था। बहुत अच्छी और जबरदस्त चुदाई कर रहा था। हम दोनों इस बात से बेखबर थे कि हम के जिस्म के साथ क्या हो रहा है। शायद इसी को स्वर्ग सा आनन्द कहते हैं।
तभी मेरे शरीर में जैसे आनन्द की लहरें उठने लगी ... नहीं चूत में ... नहीं शायद ...
"आह्... रवि ... मेरा तो निकला ... उफ़्फ़्फ़्फ़्... मुझे सम्भाल रे... उईईईईई... "
और मेर रति-रस जैसे बाहर को उबल पड़ा। मैं झड़ने लगी ... मैंने अपने रवि भैया को कस कर भींच लिया। तभी उसने अपने चूतड़ उठाये और लण्ड बाहर निकाल लिया और मेरे पेट पर दबा दिया। उसका गरम वीर्य मेरी नाभि के आस पास निकल पड़ा। उसने भी मुझे कसकर लिपटा लिया। दोनों ही झड़ते रहे और जब तन्द्रा टूटी तो हम एक दूसरे से नजर तक नहीं मिला पा रहे थे।
मैं उठ कर अपने बिस्तर पर चली आई। मुझे आज पहली बार तृप्ति का अहसास हुआ। मेरे चूत की झिल्ली शायद पहले ही टूट चुकी थी, जाने कब। पहली चुदाई मेरी तो असीम आनन्द से भरी हुई थी। इन्हीं ख्यालों में मैं डूबी हुई थी कि तभी मेरी चादर भैया ने खींच ली। उसका लण्ड तो ऐसे तना हुआ था कि जैसे अभी कुछ हुआ नहीं था। मैंने आनन्द से वशीभूत हो कर उसका लण्ड पकड़ लिया और अपनी तरफ़ खींच लिया। वो मेरे बिस्तर में मेरे साथ गुत्थमगुत्था हो गया। कुछ ही देर के बाद मैं उसके ऊपर बैठी हुई उसका लण्ड चूत के अन्दर बाहर कर रही थी। भैया नीचे दबा हुआ चुद रहा था..
दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,
कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...
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