12-14-2017, 12:39 AM,
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RE: Desi Kahani अनोखा रिश्ता... अनोखी चाहत
रात को जमाल खान समीना के पास आया और इस रात उसने भी समीना को चोदा। मगर समीना महसूस कर रही थी कि उसे जो मज़ा आज टॉमी के लंड से चुदवाने में आया था वो उसे आज जमाल के साथ नहीं आ रहा था। वो अपने बिस्तर पर लेटी जमाल खान का लंड अपनी चूत में लेने के बावजूद भी आँखें बंद किये टॉमी का... एक कुत्ते का तसव्वुर ही कर रही थी कि वो उसे चोद रहा है और वो उस कुत्ते के लंड के मज़े ले रही है। टॉमी को ही याद करते हुए समीना की चूत ने पानी छोड़ा और फ़िर काफ़ी देर के बाद दोनों सो गये।
समीना अगले दिन एक बार फ़िर टॉमी के लंड का मज़ा लेने का सोचती हुई नींद की वादियों में चली गयी। उसे तसल्ली थी कि अब उसे अपनी तनहाइयों का साथी मिल चुका है... उसकी तनहाइयों को रंगीन करने के लिये। उसका दिल अभी भी यही चाह रहा था कि वो जा कर कुत्ते के साथ उसके नरम नरम बिस्तर पर लेट जाये... उसके साथ! मगर फ़िर खुद पर जबर करके सो ही गयी।
सुबह उसकी आँख फोन की बैल की आवाज़ से खुली। देखा तो ज़हरा का फोन था अमेरिका से। पहले भी ज़हरा उसे फोन करती रहती थी. .. . उसका हाल-अहवाल पूछने के लिये... और टॉमी के बारे में जनने के लिये। मगर आज ज़हरा से बात करते हुए समीना का दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था।
ज़हरा: “हैलो. .. कैसी हो समीना...?”
समीना: “मैं ठीकठाक हूँ... और आप...???”
ज़हरा: “हम भी ठीक हैं... और वो अपने टॉमी का सुनाओ... वो कैसा है?”
समीना: “हाँ वो भी ठीक है... मगर उसने...” समीना कुछ कहते कहते रुक गयी।
ज़हरा की हंसी की आवाज़ सुनायी दी, “क्या हुआ... क्या किया है टॉमी ने?”
समीना घबरा कर बोली, “क...क...कुछ नहीं... कुछ भी तो नहीं...”
ज़हरा की फ़िर आवाज़ आयी, “कहीं इस टॉमी ने तुम को चोद तो नहीं दिया... हाहाहाहा!”
समीना बुरी तरह से घबरा गयी हुई थी, “नहीं... नहीं... वो भला क्यों मुझे...”
ज़हरा हंसी, “हाहाहाहा... वो मैं इसलिये कह रही थी कि... बड़ा ही कमीना है ये कुत्ता... ये तो यहाँ मुझे भी चोदता रहा है... इसलिये मैं तो कह रही थी...”
समीना के मुँह से फ़ौरन ही निकला, “क्या...? क्या आप को भी...???”
ज़हरा हंसी, “हाँ मुझे तो रोज़ ही चोदता था ये... चूत और गाँड दोनों मारता था मेरी... और अब उसका भाई अकेला... वैसे एक बात है कि मज़ा खूब आता है उससे चुदवाने में... क्यों है ना ऐसी बात?”
समीना: “हाँ... नहीं... मेरा मतलब है कि मुझे क्या पता...!” समीना घबरा रही थी।
ज़हरा: “अरे यार मुझसे छुपाने का कोई फ़ायदा नहीं है... बस करती रहो उसके साथ मज़े और इंजॉय करो खूब!”
समीना: “लेकिन....”
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