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RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
दोपहर तक सब नॉर्मल हो चुका था। हाँ रानी के पैर ठीक से काम नहीं कर रहे थे.. उसको चूत में दर्द था और उसको बुखार भी हो गया था.. तो विजय ने उसे कुछ दवा और ट्यूब देकर कहा कि वो कमरे से बाहर ना आए.. बस आराम करे, शाम तक ठीक हो जाएगी।
दोनों भाइयों ने लंच किया और टीवी देखने लगे.. तभी वहाँ सुंदर और आनंद आ गए।
आनंद- हाय विजय हाय जय.. कैसे हो?
जय- अरे आओ आओ.. तुम्हारा ही इंतजार था और साजन कहाँ है.. वो नहीं आया क्या?
सुंदर- वो बस आता ही होगा.. हम जरा पहले आ गए।
विजय- वो साला कहाँ रह गया.. ऐसे तो बड़ा बोलता था एक बार मैं गेम में आ जाऊँ.. तो ऐसा कर दूँगा.. वैसा कर दूँगा.. अब गाण्ड फट गई क्या उसकी?
आनंद- अरे ऐसी बात नहीं है भाई वो यहाँ से कुछ दूर कॉलेज का कैंप लगा है वहाँ उसकी बहन भी है। मुझे फ़ोन किया था.. उसको वहाँ छोड़ कर आते वक़्त यहाँ आएगा वो..
विजय- अच्छा उस साले हरामी की बहन भी है क्या?
सुंदर- हाँ यार बहन तो सबकी होती हैं.. उसमें नया क्या है.. बस बीवी नहीं है किसी के पास हा हा हा हा..
जय- अबे कुत्ते गेम जीत और बना ले अबकी बार नई-नई बीवी.. पूरा मौका मिलेगा हा हा हा..
रंगीला- हैलो कमीनो.. क्या हाल हैं?
दोस्तो, यह है रंगीला इसकी उम्र 22 साल है.. अच्छी कद काठी का बांका जवान है.. लड़कियाँ इसको देख कर अपना बना लेने की तमन्ना रखती हैं.. मगर यह बिंदास है, हर महीने गर्लफ्रेण्ड बदलता है और मज़ा करता है।
जय- अरे आओ आओ मेरे बब्बर शेर.. तुम्हारी ही कमी खल रही थी।
रंगीला- सब आ गए क्या?
आनंद ने बताया कि साजन नहीं आया.. वो अपनी बहन को छोड़ कर आएगा।
तभी वहाँ साजन भी आ गया.. उसके साथ कोमल भी थी। आज कोमल ने लाल रंग की स्कर्ट और काली टीशर्ट पहनी हुई थी, बहुत हल्का सा मेकअप किया हुआ था.. उसके होंठों पर लाल लिपस्टिक उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रही थी।
जब वो अदा के साथ चलकर आ रही थी उसके चूचे थिरक रहे थे और कमर नागिन की तरह बल खा रही थी। वो ऐसे चल रही थी जैसे कोई मॉडलिंग कर रही हो, उसको देखकर जय की लार टपकने लगी।
साजन- हैलो दोस्तो.. हाउ आर यू.. क्या मीटिंग चल रही है यहाँ पर?
आनंद- अरे आओ आओ बॉस.. आपका ही इंतजार हो रहा था.. लेकिन यह कोमल को यहाँ क्यों ले आए.. इसे तो आप कैंप छोड़ने गए थे ना..
रंगीला- अरे जाना तो वहीं था.. बाइक ने धोखा दे दिया.. आधे रास्ते में ही दम तोड़ दिया.. साली पंचर हो गई यहाँ तक ऑटो में आया हूँ।
सुंदर- यहाँ ऑटो में आए.. सीधे वहीं चले जाते..
साजन- अरे साला ऑटो वाला नहीं माना वहाँ जाने को.. तो मैंने कहा अच्छा फार्म पर छोड़ दे.. आगे मैं चला जाऊँगा..
ये सब बातें कर रहे थे और कोमल बड़ी शराफत के साथ एक तरफ खड़ी बस जय के सामने नजरें झुका कर खड़ी थी और जय भी बस उसको निहार रहा था।
बीच-बीच में कोमल जय की ओर देखती और हल्का सा मुस्कुरा देती।
विजय- अब तू चाहता क्या है.. ये बोल?
साजन- यार.. तू अपनी गाड़ी की चाभी देना जरा.. बस अभी इसको कैम्प तक छोड़ कर अभी आता हूँ.. उसके बाद अपनी मीटिंग शुरू..
जय- अरे साजन.. तेरी बहन बोल नहीं सकती क्या.. गूंगी है?
साजन कुछ बोलता.. उसके पहले कोमल बड़ी सेक्सी अदा के साथ बोली- जी नहीं.. मैं बोल सकती हूँ.. मगर आप दोस्तों के बीच.. मैं क्या बोलूँ.. इसलिए चुप खड़ी हूँ।
जय- अरे, कम से कम ही हैलो ही कर लेती..
साजन- बस बस.. जय ज़्यादा स्मार्ट मत बन.. ला चाभी दे.. इसको छोड़ कर आता हूँ.. अपन बाद में बात करेंगे।
कोई कुछ नहीं बोला और बस सब कोमल को ही निहारते रहे। विजय ने गाड़ी की चाभी साजन को दी.. वो कोमल के साथ जाने लगा.. तो जय की नज़र बस कोमल की मटकती गाण्ड को घूरती रही, उसका लौड़ा पैन्ट में टेंट बनाने लगा।
रंगीला- अरे बस भी कर.. चली गई वो.. अब क्या कैम्प तक अपनी नजरें ले जाएगा.. हा हा हा हा हा..
सभी ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे।
जय- अबे चुप रहो कमीनों.. मैं तो बस यूँ ही देख रहा था.. कि लड़की बहुत ही खूबसूरत है।
आनंद- ये गलत बात है भाई.. साजन अपना फ्रेण्ड है.. और उसकी बहन अपनी बहन जैसी ही है.. उसको ऐसे देखना ठीक नहीं है यार..
जय- अबे चुप साले कुत्ते.. बहन होगी तेरी.. मैं तो उसको गर्लफ्रेण्ड बनाने की सोच रहा हूँ।
सुंदर- ठीक कहा यार.. मेरी भी काफ़ी समय से उस पर नज़र थी.. साली एकदम से पटाखा लगती है।
रंगीला- अरे कमीनों.. अच्छा हुआ वो चली गई.. वरना तुम यहीं उसकी चूत का चीर-फाड़ कर देते।
आनंद- नहीं भाई.. कुछ भी कहो ये सब गलत है.. अगर साजन को पता लगेगा तो वो लफड़ा करेगा।
विजय- क्या लफड़ा करेगा.. हमको मारेगा क्या..? अबे सालों हमारे फेंके हुए टुकड़े उठाते हो.. हमको आँख दिखाओगे क्या?
आनंद- विजय.. ये कुछ ज़्यादा हो रहा है समझे.. हम यहाँ बेइज़्ज़ती करवाने नहीं आए हैं..
रंगीला- अरे कूल यार.. दोस्तों में ये सब चलता रहता है..
जय- अरे किसी को कोई प्राब्लम नहीं है.. तो तू क्यों भड़क रहा है?
रंगीला- हाँ सही है.. दोस्तों में ये सब चलता रहता है और जय चाहे तो कुछ भी मुमकिन हो सकता है.. कहीं ऐसा ना हो कि साजन खुद अपनी बहन को इसके हवाले कर दे..
सुंदर- नहीं नहीं यार.. ऐसा नहीं हो सकता.. कोई भाई ऐसा नहीं कर सकता..
विजय- पैसे में बहुत ताक़त होती है साले.. हम जिसे चाहे खरीद लें..
आनंद- अच्छा अगर ये बात है.. तो कोमल को हासिल करके दिखाओ.. तब मानूँगा कि तुम कितने बड़े रईस हो..
जय- तू मुझे चैलेन्ज करता है.. अब देख.. मैं कैसे साजन को मनाता हूँ।
काफ़ी देर तक ये बहस चलती रही.. तब तक साजन भी वापस आ गया..
साजन- अरे क्या बात है.. किस बात पर इतना हंगामा हो रहा है।
रंगीला ने आनंद को चुप रहने का इशारा कर दिया.. ताकि बात बिगड़े ना..
जय- अरे कुछ नहीं.. इस बार क्या करें.. बस इस बात पर बहस हो रही है.. ये रंगीला कहता है कि हर बार गर्लफ्रेण्ड को साथ लाते हैं और गेम खेलते हैं अबकी बार कुछ अलग ट्राइ करते हैं।
जय ने ये बात रंगीला की तरफ़ आँख मारते हुए कही थी।
साजन- अरे यार ऐसे सूखे-सूखे प्लान बनाओगे क्या.. मज़ा नहीं आ रहा है.. पहले कुछ खुराक-वुराक पिलाओ.. ताकि दिमाग़ ठीक से काम कर सके।
विजय ने नौकर को आवाज़ दी तो वो ठंडी बियर लेकर आ गया। अब सब बियर का मज़ा लेने लगे और बातों का दौर फिर शुरू हुआ।
जय- अब बताओ साजन क्या सोचा.. मेरी बात समझ में आई कि नहीं?
साजन- हाँ तो सही है ना.. मैं बहुत पहले एक बार आ चुका हूँ और ये दोनों पहली बार आए हैं.. तो अबकी बार कुछ धमाल होना चाहिए।
आनंद और सुंदर बस उनकी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिला रहे थे।
रंगीला- तूने कुछ तो सोचा ही होगा साजन.. इस बार के लिए वैसे भी तेरा शैतानी दिमाग़ कुछ ना कुछ सोचता रहता है।
साजन- नहीं अभी कुछ सोचा तो नहीं है.. पर सोच लेते हैं और मेरा दिमाग़ कहाँ इतना फास्ट चलता है बड़े भाई.. आप भी कहाँ की बोल रहे हो..
विजय- साले ज़्यादा भोला मत बन.. तेरी सब हरकत हम जानते हैं। अब जो सोच कर आया है.. बता दे..
विजय की बात सुनकर एक बार तो साजन को झटका लगा कि इनको प्लान के बारे में कैसे पता लगा.. मगर उसने बात को संभाल लिया।
साजन- अच्छा बाबा माफ़ करो.. तुम ऐसे मानोगे तो है नहीं.. तो सुनो.. मेरा प्लान क्या है.. इस बार भी गर्लफ्रेण्ड ही लाएँगे.. मगर अबकी बार वर्जिन होंगीं.. समझे…
रंगीला- तू कहना क्या चाहता है?
साजन- देखो बड़े भाई हर बार चुदी-चुदाई गर्लफ्रेण्ड को लाते हैं इस बार फ्रेश माल पटाओ.. उसको गेम के लिए राज़ी करो.. और यहाँ लेकर आओ.. तो मज़ा दुगुना हो जाएगा।
आनंद- हाँ.. ये आइडिया अच्छा है.. सील पैक लड़की होगी तो गेम खेलने में मज़ा ज़्यादा आएगा..
विजय- हम तो फ्रेश माल को पटा भी लेंगे.. तुम तीनों ला पाओगे?
साजन- बस क्या गुरु.. हमको क्या समझा है.. साजन नाम है मेरा.. जिस लड़की पर हाथ रख दूँ ना.. वो अपनी हो जाती है समझे..
जय- अच्छा इतना भरोसा है खुद पर.. तो चल अब मेरा प्लान सुन..
साजन- हाँ बताओ भाई.. सब अपना आइडिया दो.. जिसका आइडिया सबसे अच्छा होगा.. वही हम करेंगे..
जय- मैं तुम्हें एक लड़की का नाम बताऊँगा.. अगर तुम उसको ले आओ तो इस बार इनाम की रकम 5 लाख होगी और गेम के रूल भी चेंज करेंगे।
साजन- क्या बात है भाई.. 5 लाख.. अरे आप बोलो बस कौन है वो लड़की.. साली को चुटकियों में ले आऊँगा।
साजन के अलावा बाकी सब समझ गए कि जय किसका नाम लेगा.. सबकी दिल की धड़कन तेज़ हो गईं कि अब क्या होगा?
जय- तेरी बहन कोमल को ला पाएगा तू?
जय के इतना बोलते ही साजन गुस्से में आग-बबूला हो गया और झटके से खड़ा हो गया- जय ज़बान को लगाम दे अपनी.. साले तू पैसे वाला होगा.. तेरे घर का.. तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बहन का नाम लेने की?
रंगीला- साजन चुप रहो.. रूको एक मिनट मैं बात करता हूँ.. यार जय ये क्या है.. तू कुछ भी बोल देता है। हम सब दोस्त हैं अगर ये मजाक था तो बहुत बुरा था.. चल सॉरी बोल..
जय- रंगीला तुम होश में तो हो.. मैं जय खन्ना हूँ.. मैं सॉरी बोलूँ? अरे इसकी बहन पर दिल आ गया मेरा.. इसको बोल 10 लाख दूँगा.. अब तो उसको अपना बना के ही रहूँगा..
इतना सुनते ही साजन और ज़्यादा भड़क गया.. लड़ने की नौबत आ गई, बड़ी मुश्किल से आनंद और सुंदर उसको बाहर लेकर गए।
इधर विजय ने जय को काबू में किया- भाई आप को क्या हो गया है.. ऐसे लड़ना ठीक नहीं और उसके सामने बोलने की क्या जरूरत थी आपको.. वो लड़की चाहिए ना.. उसको तो कैसे भी आप पटा सकते हो..
जय- नहीं विजय.. मैं इसका गुस्सा देखना चाहता था। अब तू देख ये खुद उसको यहाँ लाएगा.. खरीद लूँगा मैं इस कुत्ते को.. रंगीला जा उसको कीमत पूछ.. उसकी बहन की? मैं हर कीमत पर उसको यहाँ लाना चाहता हूँ। इसको किस बात पर इतना घमण्ड है.. बहुत बार ये मुझसे उलझ चुका है। मैं इसका घमण्ड तोड़ कर रहूँगा..
रंगीला- होश में आओ जय.. ऐसा नहीं होता.. वो उसकी बहन है.. कोई रंडी नहीं.. जो तुम उसकी कीमत लगा रहे हो.. संभालो अपने आपको.. अब मैं उसको लेकर आता हूँ। ये बात दोबारा मुँह से मत निकालना.. वरना उनके साथ मैं भी चला जाऊँगा।
जय कैसा भी हो.. रंगीला की बात मानता था, उसने ‘हाँ’ में सिर हिला दिया और रंगीला बाहर गया और साजन को समझाने लगा।
रंगीला- अरे क्या हो गया तुझे.. तू जय को जानता नहीं क्या.. पीने के बाद ऐसे ही बकवास करता है और रही तुम्हारी बहन की बात.. उसके बोलने से वो आ गई क्या? ऐसे लड़ना ठीक नहीं है यार!
साजन- उसको अपने पैसों पर बहुत घमण्ड है ना.. साले को 2 मिनट में ठंडा कर सकता हूँ।
सुंदर- बॉस आप शान्त हो जाओ और चलो यहाँ से.. अब यहाँ रुकने का कोई फायदा नहीं।
साजन- नहीं अब उस कुत्ते को सबक़ सिखा कर ही जाऊँगा..
रंगीला- देख तू अन्दर चल.. जय को मैं समझा दूँगा.. बस तू चुप रहना ओके..
साजन भी गुस्से को काबू करके अन्दर आ गया। वैसे तो दोनों एक-दूसरे को देख कर आँखें दिखा रहे थे.. मगर कोई कुछ बोल नहीं रहा था।
रंगीला- हाँ तो फ्रेश माल लाने का प्लान सबको मंजूर है या किसी के दिमाग़ में कुछ और है..
विजय- मुझे यही ठीक लगता है.. इससे ज़्यादा क्या होगा?
साजन- इससे भी ज़्यादा हो सकता है.. अब जब बात मुँह से निकल ही गई तो उसे पूरा भी कर ही लो।
रंगीला- मैं कुछ समझा नहीं.. तुम क्या कहना चाहते हो..
साजन- जय ने मेरी बहन पर गंदी नज़र मारी है.. तो इस बार सब अपनी बहनों को ही क्यों ना लेकर आएं..
विजय- साजन कुत्ते.. तेरी ये मजाल तूने ऐसी बात सोची भी कैसे?
साजन- क्यों जब जय मेरी बहन के बारे में सोच सकता है तो बहन इसकी भी है.. उसको लाने में क्या दिक्कत है.. बड़ा घमण्ड है ना इसको अपने खिलाड़ी होने पर.. तो डर किस बात का.. ये तो हारेगा भी नहीं..
रंगीला- ये क्या बकवास है साजन.. तुम ऐसा कैसे बोल सकते हो.. एक खेल के लिए हम अपनी बहन को लाएं.. इतने गिरे हुए नहीं हैं।
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RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
जय- ओके मैं कुछ ज़्यादा बोल गया था.. तू साजन अपनी बहन को मेरी बहन से मिला कर बड़ी ग़लती कर दी तूने.. अब देख मैं क्या करता हूँ।
साजन- हाँ जानता हूँ… तू पैसे के दम पर मुझे मरवा देगा या मेरी बहन को उठा लेगा.. मगर इसमें तेरी जीत नहीं हार होगी.. अगर दम है तो खेल में मुझे जीत कर दिखा.. मैं कसम ख़ाता हूँ कि मेरी बहन को तेरे सामने लाकर खड़ा कर दूँगा.. मगर अगर तू हार गया तो तेरी बहन मेरी होगी.. बोल है मर्द तो कर मुकाबला.. नहीं तो दोबारा ऐसी बात मुँह से मत निकालना..
जय गुस्से में पूरी बोतल एक सांस में पी गया।
विजय- भाई ये आपको फंसा रहा है आप कुछ मत बोलो.. मैं इस साले को अभी सीधा करता हूँ।
जय- नहीं विजय नहीं.. अगर ऐसा है तो ऐसा ही सही.. इसका गुरूर मैं तोड़ कर ही रहूँगा.. मुझे हराने की हिम्मत किसी में नहीं.. अब तो ये खेल सिर्फ़ हम दोनों के बीच में होगा।
साजन- हाँ ठीक है.. हम दोनों ही खेलेंगे अब तो फैसला हो ही जाए।
रंगीला- चुप रहो दोनों.. जय मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है.. चलो मेरे साथ.. विजय तुम भी आओ मेरे साथ..
रंगीला ज़बरदस्ती दोनों को साथ ले गया इधर साजन बियर का घूँट लेकर मुस्कुराने लगा।
आनंद- बॉस ये क्या हो गया.. हमने तो सोचा था कि हम जय को इस बात के लिए रेडी करेंगे.. मगर साला वो तो खुद शुरू हो गया।
सुंदर- लेकिन ये रंगीला काम बिगाड़ देगा साला.. बॉस आपको ऐसे गुस्सा नहीं होना चाहिए था।
साजन- अबे चुप… साले फट्टू.. अगर मैं गुस्सा नहीं होता.. तो उनको शक हो जाता.. अब देख खेल का असली मज़ा।
उधर दूसरे कमरे में विजय गुस्सा हो रहा था।
विजय- भाई आप पागल हो गए हो क्या..? उस दो कौड़ी की लड़की के लिए हमारी बहन को दांव पर लगा रहे हो?
जय- नहीं विजय.. मैं इतना पागल नहीं हूँ.. जो बहन को यहाँ लाऊँगा.. मैं बस उसके साथ गेम खेलूँगा और जीत भी मेरी होगी.. उसके बाद उसकी बहन को उसके सामने चोदूँगा.. तब जाकर मेरा गुस्सा ठंडा होगा।
रंगीला- पागल हो तुम.. अगर ग़लती से वो जीत गया.. तो क्या करोगे?
जय- ना मुमकिन है ये.. मुझे वो नहीं हरा सकता..
विजय- भाई पत्तों का गेम है.. सब लक पर चलता है..
जय- ठीक है अगर मैं हार भी गया तो क्या.. साले का मुँह पैसों से बन्द कर दूँगा.. अपनी बहन थोड़े ही उस कुत्ते को दूँगा..
रंगीला- जय, वो कोई बच्चा नहीं है.. जो मान जाएगा.. मैंने कल विजय को कहा था कि इस बार वो कोई गेम खेलेगा.. और देखो उसने गेम में तुम्हें फँसा लिया। अरे कोमल का यहाँ आना कोई इत्तफ़ाक़ नहीं है.. वो प्लान करके उसको यहाँ लाया है.. तुम मेरी बात सुनो.. सब समझ जाओगे..
विजय- क्या बात कर रहे हो.. ये बात रात को क्यों नहीं बताई?
रंगीला- रात को मुझे खुद नहीं पता था कि इसका ये प्लान है.. अब सुनो रात को मैं बुलबुल के पास था.. वहाँ इसको देख कर शक हुआ.. तो मैंने छुप कर इसका पीछा किया। इसने बुलबुल को बुक किया.. फिर फ़ोन पर किसी से बात की कि काम हो गया.. अब कल देखना असली तमाशा.. उसके बाद ये सलीम गंजा से मिला और हंसों को जमा करने और पार्टी में पाउडर लाने का काम उसको दिया.. तभी मुझे शक हुआ कि कहीं कुछ गड़बड़ है और मैंने विजय को फ़ोन करके बता दिया।
जय- नहीं नहीं.. उन सब बातों का इस बात से कोई लेना-देना नहीं.. वो क्यों अपनी बहन को यहाँ लाएगा.. ये सब इत्तफाक ही है और शुरूआत मैंने की.. उसने नहीं.. तो ये बात मानने वाली नहीं है।
विजय- चलो मान लिया.. कि ये बात अलग है.. मगर आप आगे उसकी ऐसी कोई बात ना मान लेना.. बस ये गेम किसी तरह क्लोज़ करो.. बहन यहाँ नहीं आएगी.. ओके.. अगर वो आपके रूल ना माने.. तो आप उसको मना कर देना।
जय- मानेगा कैसे नहीं.. साले को मानना पड़ेगा.. अब चलो..
कुछ देर बाद सब उसी जगह बैठे थे। अब साजन कुछ शान्त हो गया था.. उसके हाथ में बोतल थी और बियर के एक घूँट के साथ उसने बात शुरू की।
साजन- क्यों जय.. क्या सोचा.. गेम खेलना है.. या हार मान ली?
जय- तेरे जैसे कुत्ते से मैं हार जाऊँ.. यह हो नहीं सकता.. अब सुन, यह गेम आज ही हम दोनों के बीच खेला जाएगा, 7 राउंड होंगे.. जो 4 जीत गया वो विनर.. उसके बाद जो होना है वही होगा.. तू समझ गया ना?
साजन- वाह वाह.. क्या चाल चली है भाई.. आज तक तो लड़कियाँ साथ लेकर खेलते थे.. अब यह रूल चेंज क्यों? अगर गेम खेलना है तो उसी तरह खेलो.. एक तरफ़ मेरी बहन होगी दूसरी तरफ तेरी.. उसके बाद खेल शुरू होगा.. हाँ अगर तुझे पास में ये पब्लिक नहीं चाहिए तो मुझे कोई हर्ज नहीं.. मगर खेल ऐसे ही खेलेंगे।
साजन की बात से विजय को बड़ा गुस्सा आ रहा था.. मगर रंगीला ने उसके हाथ को दबा कर उसको चुप रहने का इशारा किया।
जय- नहीं ऐसा नहीं हो सकता.. वो मेरी बहन है.. ऐसे कैसे इस गेम के लिए उसको तैयार करूँ?
साजन- यही बात तेरे मुँह से सुनना था.. अरे तू हार गया.. तो बाद में कैसे तैयार करेगा.. देख तेरे दिल में कुछ धोखा देने की बात है.. तो उसको निकाल दे.. गेम होगा तो पुराने रूल से ही होगा.. वरना मैं समझूँगा तेरे में दम नहीं.. कि तू मुझसे मुकाबला करे!
जय को बहुत ज़्यादा गुस्सा आ गया, उसने बियर की आधी बोतल एक सांस में गटक ली।
जय- चुप कुत्ते.. अब मेरी सुन गेम होगा और पुराने तरीके से ही होगा.. अब हम दोनों नहीं.. ये चारों भी हारने वाली लड़की को चोदेंगे.. बोल है तेरे को मंजूर?
विजय और रंगीला तो बस एक-दूसरे को देखने लगे कि यह जय ने क्या कह दिया.. वो कुछ बोलते इसके पहले साजन ने ‘हाँ’ कह दी।
साजन- ठीक है.. ऐसा ही सही अब बात ज़ुबान की है.. तो मैं पीछे नहीं हटूँगा। किसी भी तरह मेरी बहन को मना लूँगा, बोल कब लाना है.. समय तू ही बता दे.. बाद में यह ना कहना कि तेरी बहन नहीं मान रही थी.. हा हा हा हा.. जरा सोच समझ कर बताना।
जय- नहीं.. मैंने जो बोल दिया वो बोल दिया.. अब पीछे हटने का सवाल ही नहीं पैदा होता।
विजय- रूको.. तुम दोनों पागल हो गए हो.. मुझे यह बात मंजूर नहीं.. मेरी बहन इस गंदे खेल का हिस्सा नहीं बनेगी.. बस..
जय- क्या बकवास कर रहा है.. मैंने बोल दिया ना और वो सिर्फ़ तेरी बहन नहीं.. मेरी भी है.. तू डर मत.. हम जीतेंगे और इसकी बहन को इसके सामने नंगा करेंगे।
साजन- वो तो समय ही बताएगा.. कौन किसको नंगा करता है.. बोल गेम कब शुरू होगा?
जय- देख बहन को मना कर लाना आसान काम नहीं है.. कुछ दिन तो लग ही जाएँगे.. समय हम बाद में तय कर लेंगे.. ओके..
साजन- ठीक है.. मगर बस 10 दिन का समय होगा.. उस दौरान तू अपनी बहन को पटा कर लाएगा.. नहीं तो तू हार जाएगा.. ओके..
जय- ठीक है साले.. मगर तू भी याद रखना.. अगर तू ना पटा पाया.. तो क्या होगा..
साजन- मेरी फिकर मत कर.. मुझे पता है.. मुझे किस तरह पटाना है।
रंगीला और विजय बस बेबस से अपने आप को कोस रहे थे कि जय ने यह क्या कर डाला.. देर शाम तक वो सब वहीं बैठे बकवास करते रहे।
रंगीला- अरे यार शाम होने को आई है.. मीटिंग तो ओवर हो गई.. अब क्या इरादा है?
जय- इरादा तो बहुत कुछ है.. मगर आज मूड दूसरा हो गया.. तुम लोग जाओ.. हम सुबह आ जाएँगे..
साजन- ठीक है यार.. अब जाने में ही भलाई है.. वरना जय कहीं अपनी बात से मुकर ना जाए।
जय- कुत्ते.. ये किसी ऐरे-गैरे की ज़ुबान नहीं.. जय खन्ना की ज़ुबान है तू अपना संभाल..
आनंद- तुम हमारे साथ आ जाओ साजन.. रंगीला तो अपनी कार से जाएगा।
रंगीला- हाँ तुम निकल जाओ.. मैं बाद में आता हूँ ओके..
वो तीनों वहाँ से निकल गए और रंगीला और विजय गेट के बाहर तक उनको छोड़ने आए।
काफ़ी देर तक रंगीला और विजय बाहर खड़े बातें करते रहे.. उसके बाद अन्दर आ गए।
जय- विजय मेरे भाई.. यहाँ आओ.. यार मुझसे ऐसे नाराज़ मत हो।
विजय- भाई ये आपने क्या कर दिया.. आप उस साजन की बातों में आ गए.. अब क्या होगा? हमारी बहन को आप यहा इस गंदे गेम का हिस्सा बनाओगे? अरे वो कितनी स्वीट है.. मासूम है!
जय- चल हट.. तू मुझे पागल समझता है क्या.. उस कुत्ते को मैंने अपने जाल में फँसा लिया है। वो कौन सा हमारी बहन को जानता है.. हम किसी और को बहन बना कर लाएँगे।
विजय- ओह्ह वाउ.. भाई मान गया आपके दिमाग़ को.. आप तो बहुत माइंडेड हो.. अब उस कुत्ते की बहन को सबके सामने नंगा करेंगे।
रंगीला- यार सच्ची जय.. तेरे दिमाग़ को मान गया.. साले शैतान को भी पीछे छोड़ दिया। वैसे बहन का रोल देगा किसे?
विजय- भाई रानी कैसी रहेगी.. वो उमर में भी छोटी है और माल भी मस्त है.. साजन तो उसको देखते ही लट्टू हो जाएगा..
जय- नहीं यार रानी गाँव की गोरी है.. साला कुत्ता.. उसको तुरंत पकड़ लेगा। अब उसको ये तो पता है ना हमारी बहन गुड्डी कॉलेज में है और रानी ठहरी अनपढ़… सारा गेम खराब हो जाएगा।
विजय- तो अब क्या करेंगे भाई.. किसको गुड्डी की जगह लेकर आएँगे?
जय- इसकी फिकर ना कर.. दिल्ली जाकर किसी ना किसी को ढूँढ ही लेंगे.. आज रानी को ठीक से चोद कर कल निकल जाएँगे.. ठीक है ना..
रंगीला- यार ये रानी कौन है?
विजय- अरे एक कच्ची कली है यार.. आज ही उसका मुहूरत किया है.. साली बड़ा मज़ा देती है।
जय- उसकी चूत इतनी टाइट है क्या बताऊँ.. साला लंड अन्दर जाते ही ऐसा महसूस करता है कि किसी भट्टी में फँस गया हो।
रंगीला- अरे यार मेरा तो सुनकर ही ये हाल हो गया.. कहाँ है वो.. रूप की रानी.. काम की देवी?
जय- अरे नहीं यार रंगीला.. वो ऐसी लड़की नहीं है.. बड़ी मुश्किल हम दोनों से चुदी है। अब तेरे बारे में बात करूँगा तो गड़बड़ हो जाएगी।
रंगीला- अरे क्या मेरे यार.. मुझे इतना गिरा हुआ समझा है क्या.. जो तेरे माल पर हाथ साफ करूँगा.. बस दिखा दे एक बार.. पता तो लगे ये कामदेवी कैसी है?
जय- ठीक है रुक.. अभी दिखाता हूँ मेरी सोने की चिड़िया को..
इतना कहकर जय कमरे में गया उस वक़्त रानी नहा कर कपड़े पहन रही थी।
जय- हाय मेरी जान बहुत सोई रे तू.. अब नहा कर एकदम मस्त लग रही है। आज पूरी रात मज़ा लेंगे हम दोनों.. क्यों क्या बोलती है..?
रानी- आप भी ना ऐसे ही चले आते हो.. कपड़े तो पहने दो मुझे और आज कुछ नहीं होगा.. मेरी तबीयत ठीक नहीं है जी..
जय- अरे मेरी भोली रानी.. मेरे सामने नंगी हो चुकी है.. अब कैसी शर्म? पहन लिए ना अब कपड़े और शुरू में थोड़ा दर्द होता है.. उसके बाद बड़ा मज़ा आता है।
रानी- नहीं बाबूजी.. विजय जी ने बहुत ज़ोर से किया.. मुझे नीचे बहुत दर्द हो रहा है।
जय- अच्छा जाने दे.. ये बात बाद में कर लेंगे.. मेरा एक दोस्त आया है.. चल तुझे उससे मिलवाता हूँ.. प्यार से बात करना.. हाँ.. वो मेरा खास दोस्त है.. कहीं वो नाराज़ ना हो जाए..
रानी- नहीं नहीं बाबूजी.. मैं कोई वेश्या नहीं हूँ.. जो आप सबके सामने मुझे भेज रहे हो.. मैंने आपको अपना माना.. आपके कहने पर आपके भाई को भी मैंने बर्दाश्त किया.. मगर अब और नहीं बस..
रानी के बोलने का तरीका उसकी आँखों में गुस्सा देख कर एक बार तो जय भी घबरा गया।
जय- अरे पगली.. तू गलत समझ रही है.. मैंने कब कहा तुझे ऐसस? तू बस उससे मिल ले.. वो कुछ ऐसा-वैसा नहीं करेगा.. ठीक है ना..
रानी- ठीक है बाबूजी.. आप जाओ.. मैं अभी आती हूँ।
जय बाहर आ गया और रंगीला को कहा- साली गुस्सा हो गई.. अब आ रही है.. देख लेना यार कुछ कहना मत.. नहीं तो साली रात को चुदवाएगी नहीं..
रंगीला- अरे गाँव की होकर साली के इतने नखरे.. चल आने तो दे.. मैं भी देखूँ.. कौन है ये रानी मस्तानी?
रानी ने लाइट ब्लू सलवार सूट पहना हुआ था.. उसके बाल खुले थे.. जिसमें वो अप्सरा जैसी लग रही थी। जैसे ही रानी और रंगीला की नजरें मिलीं.. दोनों ही एक-दूसरे में खो गए.. रानी धीरे-धीरे रंगीला के पास आकर खड़ी हो गई।
रानी- नमस्ते बाबूजी..
रंगीला कुछ नहीं बोला.. बस रानी को घूरता रहा।
जय- अरे कहाँ खो गया रंगीला.. ये है रानी.. देख लो..
रंगीला- अह.. ह.. हाँ अच्छी है.. मुझे ऐसा क्यों लगता है.. कि मैंने तुम्हें पहले भी कहीं देखा है..
रानी- क्या बाबूजी.. आप भी कैसा मजाक करते हो.. मैं अपने गाँव से कभी बाहर ही नहीं निकली.. आपने कहाँ देख लिया मुझे?
रंगीला- ना ना शहर में नहीं.. मैंने गाँव में ही देखा है तुझे.. यार कहाँ देखा है ये समझ नहीं आ रहा.. लेकिन देखा है मैंने!
विजय- अरे क्या रंगीला भाई.. ये गाँव की गोरी है.. आप शहर के नुस्खे ना आजमाओ.. हा हा हा.. ये नहीं पटने वाली..
जय भी हँसने लगा और रानी भी हँसती हुई वापस अन्दर चली गई, मगर रंगीला वैसे ही खड़ा बस सोचता रहा।
लो दोस्तो, अब ये क्या हो रहा है.. ये गुड्डी कौन है.. इसकी एंट्री भी जल्दी होगी और ये रंगीला को रानी के बारे में क्या याद आ गया। अब ये सब तो पता लग ही जाएगा.. सोचते रहो और आगे कहानी का आनन्द लेते रहो।
विजय और जय अब भी हंस रहे थे मगर रंगीला चुपचाप खड़ा हुआ बस उस कमरे की ओर देख रहा था.. जिसमें रानी गई थी..
विजय- अरे रंगीला क्या हुआ.. बहुत पसन्द आ गई क्या.. बोलो.. तब तो आज रात यहीं रुक जाओ.. तुमको भी इसका रस पिलवा देंगे.. हा हा हा हा..
जय- अरे नहीं रे.. वो नहीं मानेगी साली.. आज के लिए तो मेरे को ही मना कर रही है।
विजय- उस अनपढ़ गंवार को मनाना कौन सा मुश्किल है भाई?
रंगीला- चुप रहो यार.. दोनों मेरी बात को मजाक में मत लो.. ये रानी को मैं जानता हूँ.. कुछ तो है साला.. याद नहीं आ रहा.. मगर देख लेना मैं बता दूँगा.. इसको मैं जानता हूँ। अब तुम ही चोदो इसको.. मुझे एक काम है.. अभी मेरा जाना जरूरी है।
जय- ठीक है जाओ.. और याद आ जाए तो मुझे भी बता देना.. कि रानी कौन है.. हा हा हा..
रंगीला के जाने के बाद विजय अपने कमरे में चला गया और जय नौकरों को कुछ खाना बनाने को बोल कर रानी के पास चला गया।
रानी- जय बाबू.. ये आपके दोस्त क्या बोल रहे थे.. इन्होंने मुझे कहाँ देखा है?
जय- अरे तेरी जवानी देख कर उसका मन बहक गया था.. बस ऐसे ही बोल रहा था.. वैसे तू है बड़ी क़यामत.. यार आज पूरी रात मेरे साथ बिता ले.. मैं तेरी लाइफ बना दूँगा..
रानी- नहीं नहीं बाबूजी.. सच्ची आज मेरी ‘वो’ बहुत दर्द कर रही है.. कल कर लेना.. आज नहीं..
जय- अरे ‘वो’ क्या दर्द कर रही है.. साफ-साफ बोल ना.. उसको चूत कहते हैं और मेरे हथियार को लौड़ा बोला कर..
रानी- छी: बाबूजी.. आप बड़े बेशर्म हो.. मुझसे नहीं बोला जाएगा..
जय- अरे मेरी जान.. नाम लेगी तो ज़्यादा मज़ा आएगा.. चल यहाँ मेरे पास बैठ और बता..
जय ने रानी को अपने से चिपका कर बैठा लिया और उसके मम्मों को हल्के से दबा कर उसको पूछा।
जय- तेरे इन चूचों में भी दर्द है क्या.. मेरी जान?
रानी- हाँ बाबूजी.. थोड़ा इनमें भी है.. आह्ह.. दबाओ मत.. दुःखता है।
जय ने ज़ोर से दबाते हुआ कहा- इनका नाम बोल.. नहीं ऐसे ही दबाता रहूँगा और दर्द करता रहूँगा।
रानी- आह्ह.. बाबूजी.. उफ़फ्फ़.. मेरे चूचे मत दबाओ ना.. आहह..
जय- यह हुई ना बात.. अब तू अपने हर अंग का नाम बताएगी.. तभी मुझे सुकून मिलेगा.. ठीक है..
रानी- आह्ह.. बाबूजी.. आप तो ससस्स बेशर्म हो.. मुझे भी ऐसा ही बना दोगे.. आह्ह.. अब आप मानोगे नहीं.. ओह.. मेरे चूचों पर रहम करो.. और आह्ह.. मेरी चूत को सहलाओ.. आह्ह.. आपके मोटे लौड़े ने मेरी चूत को सुजा कर रख दिया है आह..
जय- ओह.. मार डाला रे.. मेरी रानी.. ये हुई ना बात.. अब लगा कि तू मेरी रानी है। चल मुझे दिखा तेरी चूत.. मैं उसको अपनी जीभ से चाट कर आराम दिए देता हूँ।
रानी- अभी नहीं.. रात को दिखाऊँगी.. अभी मुझे जोरों की भूख लगी है.. कुछ खाने के बाद आप देख लेना.. ठीक है..
जय- अरे मेरी जान.. मैं हूँ ना.. मुझे खाले.. इससे ज़्यादा अच्छा खाना तुझे कहाँ मिलेगा.. हा हा हा..
रानी- नहीं बाबूजी.. मुझे माँस खाना पसन्द नहीं.. मैं तो सब्जी ही खाऊँगी.. अब आप जाओ.. रात को आ जाना.. मुझे भी रसोई में जाने दो..
जय मस्ती के मूड में था.. मगर रानी जल्दी से वहाँ से निकल कर रसोई में चली गई और जय कुछ ना कर सका।
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06-27-2018, 11:52 AM,
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RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
काजल- वाह यार.. तू भी कमाल की है.. आंटी को रंडी और पापा को कुछ नहीं.. ये भेदभाव क्यों?
रश्मि- मेरे पापा शुरू से अच्छे थे और अब भी अच्छे हैं.. उस रंडी ने उनको बहका दिया.. उसमें पापा का क्या कसूर? मेरी माँ ओल्ड टाइप की हैं.. और वो रंडी मॉर्डन.. बला की खूबसूरत.. जिसे देख कर वो क्या.. कोई भी बहक जाए.. खास कर जब कि वो अपने हुस्न के जलवे दिखाए.. समझी?
काजल- अच्छा तो ये बात है.. तेरी आंटी जलवा दिखाती हैं.. मगर ये तो बता तेरे अंकल कहाँ हैं? वो कैसे कुछ नहीं कहते?
रश्मि- यार अब बस भी कर.. क्या बकवास टॉपिक लेकर बैठ गई? तू अपनी सुना ना.. कैसे तूने पहली बार सेक्स किया था और किसके साथ किया था?
काजल- अरे ये टॉपिक तो तेरे टॉपिक से भी ज़्यादा बकवास है.. तू सुन नहीं पाएगी और वैसे भी तेरी नज़र में मेरी इज्जत कम है.. वो बात सुनकर तो तू मेरे को थर्ड क्लास रंडी का दर्जा दे देगी।
रश्मि- अरे नहीं नहीं.. ऐसा कुछ नहीं है.. मैं क्यों तुझे गलत समझूँगी.. यार तेरी लाइफ है.. तू जैसे चाहे जिए.. चल बता..
अब काजल आराम से सीधे होकर बैठ गई और वो बोली- अब पूरी बात सुनने के बाद ही कुछ बोलना समझी..
रश्मि ने कुछ सोचा और खड़ी हो गई।
काजल- अरे क्या हुआ.. तेरे को मेरी बात नहीं सुनना क्या?
रश्मि- अरे नहीं नहीं.. सुन रही हूँ ना.. लेकिन तू शुरू करे उसके पहले मैं बाथरूम जाकर आती हूँ.. ताकि बाद में तेरी बात काटकर ना जाऊँ.. बड़े जोरों की लगी है यार..
काजल- अरे अभी असली मज़ा शुरू भी नहीं हुआ और तेरी चूत रिस गई क्या.. हा हा हा हा.. जा जल्दी आना..
रश्मि- तू बहुत बेशर्म है.. अब बाथरूम जाने में भी गंदी बात बोल दी.. तू नहीं जाती क्या..
काजल- अच्छा बाबा सॉरी.. अब जा जल्दी आ जाना ओके..
रश्मि के जाने के बाद काजल वहीं बैठ कर पुराने लम्हों को याद करके मुस्कुराने लगी।
दोस्तो, अब रश्मि जब तक नहीं आ जाती.. यहाँ हम क्या करेंगे.. चलो हमारे दोनों हीरो को देख लेते हैं।
जय और विजय खाने के बाद अपने कमरे में बैठे थे.. तभी वहाँ रानी आ गई.. जिसे देख कर दोनों के होश उड़ गए क्योंकि रानी ने अपने जिस्म पर सिर्फ़ एक तौलिया लपेटा हुआ था।
जय- अरे रानी.. ये क्या.. ऐसे अधनंगी क्यों घूम रही हो.. क्या इरादा है तुम्हारा.. क्यों हमारा ईमान खराब कर रही हो तुम?
रानी- बाबूजी.. आप बुरा ना मानना.. मगर आप जैसे बेईमान का ईमान कहाँ होता है.. मुझे काम के बहाने यहाँ लाए और यहाँ मुझसे दूसरा ही काम करवा रहे हो।
विजय- हा हा हा मेरी जान.. ऐसे तो ना कहो.. हमने काम ही कहा था और मालिश की बात की थी.. उसके अलावा क्या बेईमानी की.. बता तू?
रानी- अब रहने दो.. आप लोगों ने तो इतना बड़ा बम्बू मेरी छोटी से जगह में घुसा दिया.. ये कौन सा काम हुआ?
जय- अरे अभी भी तेरी शर्म नहीं निकाली क्या.. जगह नहीं चूत बोल चूत.. हा हा.. और ये तो बता ऐसे क्यों आई है?
रानी- अब कपड़े पहने का फायदा ही क्या.. कुछ देर बाद तो आप निकाल ही दोगे.. मैंने सोचा ऐसे ही आपके पास चली आती हूँ.. और एक बात भी पूछनी है।
विजय- आ जाओ मेरी जान.. यहाँ आओ.. सही कहा.. जब नंगी होना ही है तो कपड़े पहने का फायदा क्या.. बोल क्या बात पूछनी थी तेरे को?
रानी- वो आप कल चले जाओगे तो मैं यहाँ अकेली क्या करूँगी.. आप मुझे अपने साथ शहर ले चलो ना..
जय- अरे रानी रानी.. तुझसे अब दूर कहाँ रहा जाएगा.. बस कुछ दिन की बात है.. हम वापस आ रहे हैं ना.. और तू यहाँ मत रहना तुझे वापस गाँव छोड़ देंगे.. जब दोबारा आएँगे तू साथ आ जाना समझी..
रानी ने ‘हाँ’ में सर हिलाया और खुश हो गई। अब वो दोनों के बीच में बैठी हुई थी और शर्मा रही थी।
जय धीरे-धीरे उसके गालों को सहला रहा था और विजय उसकी जाँघों को दबा रहा था। रानी ने आँखें बन्द कर ली थीं.. और आने वाले पलों के बारे में सोच कर मज़ा ले रही थी।
जय- उफ़फ्फ़ रानी.. तेरे ये पतले होंठ मुझे पागल बना रहे हैं कल क्या मज़ा दिया था तूने.. अपने इन मुलायम होंठों से मेरे लंड को.. आह्ह..
विजय- हाँ.. रानी तू लौड़ा बहुत अच्छा चूसती है.. चल आज तुझे घोड़ी बना कर चोदूँगा में.. और तू भाई का लौड़ा चूस के मज़ा ले.. चल आ जा..
रानी- नहीं बाबूजी.. मैंने कहा था ना.. दोनों एक साथ मत करना.. मुझे बहुत दुःखता है।
विजय- अरे यार दोबारा वही बाबूजी.. बड़ा अजीब लगता है.. नाम लो यार तुम.. उसमें ज़्यादा मज़ा आएगा।
जय- अरे रानी.. दो का मज़ा ही कुछ और होता है.. आज तेरे को डबल का असली मज़ा देंगे.. तू बस देख और विजय ठीक कहता है.. नाम ले हमारा..
रानी- अच्छा जय जी.. आप जैसा कहो.. ठीक है.. अब मैं मना नहीं करूँगी.. जैसे चाहे चोद लो मुझे.. बस खुश.. अब शुरू हो जाओ..
विजय- ये हुई ना बात मेरी जान.. अब आएगा असली मज़ा..
रानी- विजय जी.. एक बात कहूँ.. मुझे आज पूरा मज़ा दे दो.. ताकि कल जब आप लोग चले जाओ.. तो मैं बस आपको याद करके दिन बिताऊँ..
विजय- हा हा हा हा.. देखा भाई.. यह है लंड का चस्का.. साली एक दिन में ही हमारी गुलाम हो गई।
जय- हाँ.. अब ऐसे मस्त लौड़े इसे कहाँ मिलेंगे.. चल मेरी जान.. पहले हम दोनों के लौड़े को चूस कर चिकना कर.. उसके बाद तेरी चुदाई करेंगे..
इतना कहकर दोनों ने अपने कपड़े निकाल दिए और बिस्तर पर सीधे लेट गए, रानी ने भी अपना तौलिया उतार दिया, अब वो भी नंगी थी और दोनों के पैरों के बीच बैठ कर दोनों हाथों से एक साथ दोनों के लौड़े सहला रही थी।
जय- आह्ह.. तेरे हाथ भी कमाल के हैं लंड को छूते ही इसमें करंट पैदा हो जाता है.. देख ये कैसे अकड़ने लग गया है..
रानी- जय जी.. आप भी बहुत उतावले हो.. विजय जी को देखो कैसे आँखें बन्द किए हुए मज़ा ले रहे हैं अब बस आप चुप रहो.. मुझे प्यार से सब करने दो..
उसके बाद कोई कुछ ना बोला और रानी बारी-बारी दोनों के लंड चूसने लगी.. जो अब पूरे विकराल रूप में आ गए थे।
रानी एक्सपर्ट तो नहीं थी मगर अपनी पूरी कोशिश कर रही थी कि किसी तरह दोनों को पूरा मज़ा दे सके।
जय- उफ्फ.. जालिम ऐसे ना चूस.. नहीं लौड़ा चूत में जाने से पहले ही ठंडा हो जाएगा..
विजय- आह्ह.. मज़ा आ रहा है भाई.. इसके 2 होल तो खोल दिए हमने.. आज तीसरा भी खोल ही देते हैं।
उन दोनों की बात सुनकर रानी ने लौड़ा मुँह से निकाला और सवालिया निगाहों से उनको देखने लगी।
जय- अरे क्या हुआ.. चूस ना मेरी रानी रुक क्यों गई..
विजय- लगता है थक गई भाई.. या इसकी चूत बहुत गीली हो गई है शायद..
रानी- आप दोनों ना बस गंदी बातें करना जानते हो.. ये होल का क्या मतलब है.. ये तो बताओ?
विजय- अरे होल नहीं जानती.. हा हा हा अरे जानेमन.. हम तेरे छेद की बात कर रहे हैं देख एक तेरा मुँह भी एक छेद है.. जिसका मज़ा हमने ले लिया.. दूसरा छेद है.. तेरी फड़कती चूत.. जिसको हमने खोल दिया। अब आख़िर का छेद बचा तेरी गाण्ड का.. आज उसको भी खोल कर तुझे पूरी तरह औरत बना देंगे हा हा हा हा..
रानी- नहीं नहीं बाबूजी.. भगवान के लिए आज ऐसा कुछ ना करना.. वरना कल माँ के सामने नहीं चल पाऊँगी.. मेरी फुद्दी में ही अभी बहुत दर्द है.. इसका दर्द तो ख़त्म होने दो.. अगली बार आऊँगी तो जो चाहे कर लेना.. मगर आज नहीं..
जय- अरे डरती क्यों है.. कुछ नहीं होगा.. तू हमें जानती नहीं है.. चोदने के पक्के खिलाड़ी है हम..
रानी- नहीं जय जी.. बस मेरी ये बात मान लो.. आपको भगवान की कसम है.. अगर मेरी बात ना मानी तो..
विजय- अरे डर मत.. जा आज नहीं करेंगे.. मगर जल्दी ही तेरी मुलायम गाण्ड का मुहूरत मैं ही करूँगा.. ठीक है..
जय- अरे तू क्यों.. मैं करूँगा.. इतनी प्यारी गाण्ड को तो मैं ही खोलूँगा..
विजय- नहीं भाई अपने चूत को खोला है ना.. अब गाण्ड की बारी मेरी है.. समझे आप..
रानी- हा हा हा दोनों लड़ाई मत करो.. सिक्का उछाल कर तय कर लेना कि कौन पहले करेगा..
विजय- अगर ऐसी ही बात है तो सिक्का क्यों.. हम ताश का गेम खेल कर तय करे लेंगे.. क्यों भाई क्या कहते हो.?
जय- अरे हार जाएगा.. तू जानता है ना.. किस्मत हमेशा मेरे साथ होती है तीन इक्के लाऊँगा हा हा हा..
विजय- वो तो समय आने पर पता लगेगा भाई.. कि कौन जीतेगा.. अभी क्यों मूड खराब करना.. इतनी प्यारी कन्या चूत फैलाए पड़ी है.. इसका तो इन्तजाम कर दे पहले..
जय को विजय की बात समझ आ गई उसने रानी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके निप्पल चूसने लगा।
इधर विजय ने उसकी चूत को अपना निशाना बनाया और चाटने लगा..
रानी- आह्ह.. नहीं उफ्फ.. विजय जी आह्ह.. दुःखता है.. आह्ह.. ऐसे ना करो ना.. आ…
विजय चूत के दाने को जीभ से हिला रहा था.. कभी पूरी चूत को होंठों में दबा कर ज़ोर से चूसने लगता.. जिससे रानी की सिसकी निकल जाती.. ऊपर से जय उसके निप्पल को दाँतों से दबा कर मज़ा दे रहा था।
उन दोनों के लौड़े उफान खाने लगे थे.. अब वासना का तूफान अपने चरम पर पहुँच गया था।
विजय- उफ्फ.. नारियल पानी से भी ज़्यादा टेस्टी रस है तेरी चूत का.. चल जानेमन अब तेरी चूत को ठंडा करता हूँ.. जल्दी से बन जा घोड़ी.. देर मत कर..
जय बिस्तर से टेक लगा कर बैठ गया और रानी जय के पैरों की तरफ़ मुँह करके घोड़ी बन गई।
अब जय का खड़ा लंड उसके मुँह के पास था, उधर पीछे विजय लौड़े को चूत पर टिका कर शॉट लगाने की तैयारी में था।
जय- अरे रानी रानी.. तू तो बहुत ज़बरदस्त घोड़ी बनी है रे.. चल.. सोच क्या रही है.. चारा तेरे सामने है.. तो खा ना.. हा हा हा..
रानी मुस्कुरा कर लौड़े को मुँह में लेके चूसने लगी और विजय ने सुपारा चूत में घुसा कर धक्का मारा.. तो दर्द के मारे रानी आगे को सरक गई। मगर विजय ने उसकी कमर को मजबूती से पकड़ कर ज़ोर का धक्का मारा.. पूरा लौड़ा चूत में समा गया और रानी दर्द से कराह उठी। मगर जय का लौड़ा मुँह में था तो बस बेचारी कसमसा कर रह गई..
विजय- आह्ह.. रानी.. तेरी चूत तो मक्खन जैसी है.. मज़ा आ गया रानी.. अब घोड़ी ठीक से बनी रहना.. मैं रफ़्तार बढ़ा रहा हूँ.. तेरी सवारी का मज़ा आराम से लेने में मज़ा नहीं आएगा.. जितनी स्पीड तेज होगी.. उतना ज़्यादा लुत्फ़ मिलेगा मेरी जान..।
विजय अब चूत में लौड़े की ठोकमठोक करने लगा था.. उधर बेचारी रानी आगे जय के लौड़े से और पीछे विजय के लौड़े से चुद रही थी। फ़र्क ये था जय आराम से बैठा था और रानी मुँह आगे-पीछे करके उसके लौड़े को चूस रही थी और विजय अपनी कमर को स्पीड से हिला रहा था।
जय- आह्ह.. चूस जान उफ्फ.. तेरा मुँह भी चूत जैसा मज़ा दे रहा है आह्ह..
विजय 10 मिनट तक स्पीड से चुदाई करता रहा। इधर जय भी लौड़े की चुसाई से बेहाल हो गया था। अब दोनों ने पोज़ चेंज किया। विजय सामने बैठा और जय चूत को पेलने लगा।
विजय- आह तेरी चूत में जो मज़ा है.. आ अब मुँह से वैसा ही मज़ा दे.. होंठ भींच कर चूस मेरी जान…
जय स्पीड से लौड़े को आगे-पीछे करने लगा.. वो झड़ने वाला था। इधर विजय का भी हाल बुरा था.. वो रानी के मुँह को ज़ोर से चोदने लगा.. कमर को झटके देने लगा। तभी उसके लौड़े ने रानी के मुँह में माल गिरा दिया.. इधर जय भी चूत में लावा भरने लगा।
इस दौरान रानी 2 बार झड़ चुकी थी उसकी कमर दुखने लगी थी। उसकी चूत का तो हाल पूछो मत.. पहले ही सूजी हुई थी.. अब तो और सूज गई, वो बेहाल सी होकर एक तरफ़ लेट गई..
दोस्तो, रानी ने तो दो का मज़ा एक साथ ले लिया.. अब यहाँ रुकने का फायदा नहीं.. इनको थोड़ा आराम करने दो.. वहाँ रश्मि वापस आ गई होगी.. तो वहाँ चलते हैं।
रश्मि आकर काजल के पास बैठ गई और कहा- अब सुना तेरी कहानी..
काजल- ठीक है सुन.. अब से 3 साल पहले की बात है.. जब मैं 18 साल की थी.. घर में मॉम-डैड के अलावा मेरा बड़ा भाई पुरषोत्तम उर्फ रेशू और छोटा भाई राजू भी है। रेशू उस समय 22 का था और कॉलेज में लास्ट इयर की पढ़ाई कर रहा था और राजू कम उम्र का था।
रश्मि- छी: पुरषोत्तम.. इतना पुराना नाम है तेरे भाई का?
काजल- ओए.. मेरे भाई के बारे में कुछ मत बोलो.. आई लव माय ब्रदर और यह मेरे दादा का नाम था.. सो डैड ने भाई को ये नाम दिया.. मगर सब उसे रेशू ही कहते हैं समझी..!
रश्मि- अच्छा अच्छा आगे बता क्या हुआ कैसे तू सेक्स की
काजल- हाँ.. सुन ना यार.. मेरा भाई मुझे बहुत प्यार करता था। वो बहुत स्मार्ट ब्वॉय है.. और मेरा फिगर भी उस समय 28-24-30 का था। एरिया के सब लड़के मुझे देख कर कमेन्ट करते थे कि इसके अमरूद छोटे हैं कौन खुशनसीब होगा जो इन्हें सेब बनाएगा.. मगर मैं समझ नहीं पाती थी। तू तो शायद अभी इतनी नादान नहीं है.. मगर मैं बहुत भोली थी।
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06-27-2018, 11:53 AM,
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RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
रश्मि ने बीच में टोकते हुए कहा- यार तू पागल है क्या.. ऐसे कैसे हाँ.. कह दी तूने?
काजल- अरे यार उस समय पता नहीं मुझे कुछ समझ नहीं आया तो मैंने हाँ..कह दी बस..
रश्मि- अच्छा फिर क्या हुआ?
काजल- होना क्या था.. भाई ने मूवी चालू कर दी और बस हम दोनों देखने लगे और धीरे-धीरे मेरा जिस्म गर्म होने लगा। मेरी चूत गीली होने लगी.. मगर मैं बड़ी मुश्किल से अपने आपको रोके बैठी रही ताकि भाई को कुछ शक ना हो.. जब हालत काबू से बाहर हो गए.. तो मैंने चिल्ला कर कहा ‘बस बहुत हो गया.. अब बन्द करो देखो मैं नहीं बहकी ना..’
रेशू- झूट मत बोलो.. तेरी हालत मुझसे छुपी नहीं है.. अपनी चूत खोल कर दिखा.. कैसे गीली हो रही है?
काजल- भाई आपको शर्म नहीं आती.. ऐसा बोलते हुए?
भाई ने मेरी टाँगें पकड़ी और पैन्टी के साथ बरमूडा खींच कर निकाल दिया। मैं कुछ समझ पाती.. इसके पहले उनका हाथ मेरी चूत पर था..
रेशू- उफ़फ्फ़.. तेरी चूत है या जलता तवा.. देख कितनी गर्म है और पानी-पानी हो रही है..
काजल- भाई का हाथ चूत पर लगते ही मेरी सोईवासना जाग गई.. मैं पागल हो गई। एक तो उस मूवी का असर और अब भाई की ये हरकत.. मेरी आँखें मज़े में बन्द हो गईं.. मैं बहुत कुछ बोलना चाहती थी.. मगर भाई ने अपने गर्म होंठ मेरी चूत पर रख दिए और चूत को चाटने लगे।
रश्मि- छी: छी: बन्द करो यह बात, मेरा दिल बेचैन हो गया.. कैसे तुम राज़ी हो गईं.. तेरा भाई तो पक्का हरामी निकाला.. अपनी ही बहन के साथ छी:..
काजल- अरे क्या हुआ.. मज़ा नहीं आया क्या अरे चुदाई का सीन बताती हूँ न.. ज़्यादा मज़ा आएगा कि कैसे मेरे भाई ने मेरी चूत की सील तोड़ी!
रश्मि- नो.. अब कुछ मत बोलना.. मुझे ऐसी घटिया बात नहीं सुननी.. जिसमें भाई और बहन सेक्स करें.. ओके बाय मैं जा रही हूँ।
काजल- अरे साफ-साफ क्यों नहीं कहती.. कि तेरी चूत गीली हो गई है और तुझसे सहन नहीं हो रही.. ज़्यादा सीधी बन कर रहेगी तो लौड़े के लिए तरसती रहेगी। समझी किसी ना किसी को पटा ले.. वो तेरी चूत की आग मिटा देगा।
रश्मि- नो वे.. मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं होगा.. समझी.. मुझे नफ़रत है सेक्स से ओके..
काजल- मेरी जान तू झूट बोल रही है.. अगर तू पूरी बात सुन लेगी तो तेरा मन भी चुदने का करेगा.. इसी डर से तू भाग रही है ना..
रश्मि- नहीं ऐसा कुछ नहीं है.. बस मुझे ये सब गंदा लग रहा है..
काजल- अरे बहाना मत बना.. भाई मेरा.. चूत मेरी.. तुझे क्या दिक्कत है सुनने में बोल?
रश्मि- तू नहीं समझेगी.. चल अब बता दे पूरी बात.. वैसे मुझे कुछ फ़र्क नहीं पड़ने वाला.. ओके।
काजल- अच्छा अच्छा.. तुझे फ़र्क पड़े या ना पड़े.. मगर तू सुन लेगी तो मैं समझूँगी.. तू डरी नहीं.. ओके.. अब आगे का हाल सुन..
भाई लगातार अपनी जीभ की नोक से मेरी चूत के दाने को छेड़ रहे थे और मैं हवा में उड़ रही थी।
रश्मि- छी: तू भी शरीफ़ होने का नाटक कर रही थी.. भाई से चटवाते हुए शर्म नहीं आई तुझे?
काजल- देख तू ऐसे बीच में बोलेगी.. तो कहाँ मज़ा आएगा। अब उस रात जो हुआ सब विस्तार से बता रही हूँ.. बीच में कुछ ना बोलना ओके..
रश्मि ने ‘हाँ’ कहा और काजल शुरू हो गई जैसे उस रात हुआ वैसे ही उसने पूरा किस्सा कह सुनाया।
रेशू- उफ़फ्फ़ काजल तेरी चूत कितनी टेस्टी है.. आह्ह.. मज़ा आ रहा है.. चाटने में आह्ह.. उफ्फ…
काजल- भाई मेरी चूत में लगे थे और.. आह्ह.. ईसस्स नहीं.. भाई आह्ह.. ये गलत है आ ऐसा मत करो ना प्लीज़ आह्ह..
रेशू- अब ये झूट मूट का नाटक मत कर.. तुझे पूरा मज़ा आ रहा है फिर भी ‘ना’ कह रही है। चल पूरी नंगी हो जा.. आज तुझे ऐसा मज़ा देता हूँ कि पूरी जिदगी याद करोगी मुझे..
भाई ने मेरे पूरे कपड़े निकाल दिए और खुद भी नंगा हो गया.. उसका लौड़ा एकदम तना हुआ था.. जिसे देख कर मेरी चूत पानी-पानी हो रही थी।
रेशू- अरे वाह तेरे मम्मे तो बड़े मस्त हैं एकदम छोटे शान्तरे जैसे.. ला ज़रा इनका भी रस पिला दे मुझको आह्ह.. क्या कड़क हैं तेरे मम्मे.. आज तो मज़ा आ गया।
काजल- नहीं भाई.. ये तो छोटे अमरूद हैं इन्हें सेब बना दो.. सब यही कहते हैं।
रेशू- अरे मेरी जान.. तू बस देखती जा.. मैं क्या-क्या बनाता हूँ।
रेशू मेरे जिस्म के साथ खेलने लगा.. वो बहुत मज़े से कभी मेरे मम्मों को दबाता कभी चूसता.. मेरी चूत में झनझनाहट होने लगी थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे जिस्म का सारा खून वहाँ जमा होकर बाहर निकलना चाहता हो।
काजल- एयेए आह.. इसस्स.. भाई आह्ह.. नीचे करो ना.. आह्ह.. मुझे कुछ हो रहा है आह्ह.. उइ.. आह्ह..
मेरी सिसकारियों को समझते हुए रेशू ने जल्दी से मेरी चूत को चूसना शुरू कर दिया.. उसी पल मैं झड़ गई।
रेशू ने रस मलाई की तरह मेरा सारा पानी चाट-चाट कर चूत को साफ कर दिया, अब मैं निढाल सी बिस्तर पर लेटी हुई थी।
रेशू- क्यों मेरी प्यारी बहना.. मज़ा आया ना.. इसे कहते है प्यार का खेल.. अब आगे-आगे देख तुझे कैसे मज़ा देता हूँ।
काजल- भाई ये सब सही है क्या?
रेशू- मेरी जान.. यह देख, लौड़ा कैसे तना हुआ तुम्हें निहार रहा है। इसको किसी रिश्ते की परवाह नहीं है.. चल इसको प्यार कर.. मज़ा आएगा..
भाई ने अपना 7″ का नाग मेरे सामने कर दिया। मैं बस उसको देख रही थी कि भाई ने मेरे बाल पकड़ कर लौड़े को मेरे होंठों पर रख दिया।
काजल- उउउ नहीं भाई.. मुझे नहीं करना ये गंदा है ना ना..
रेशू- अरे जान एक बार चूस कर देख.. दुनिया के सारे मज़े भूल जाएगी तू..
मुझे बड़ा अजीब लग रहा था.. मगर भाई ने ज़ोर दिया तो मैं लौड़े के टोपे को चूसने लगी और सच बताऊँ वो बहुत अच्छा था.. मुझे मज़ा आने लगा और मैंने पूरा लौड़ा मुँह में भर लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी, उसका रस बड़ा अजीब सा था।
रेशू- आह्ह.. चूस बहना.. आह्ह.. मज़ा आ रहा है आह्ह.. अब मेरे मज़े हो गए.. आह्ह.. अब बस रोज तू मेरे साथ ही सोना.. रोज आह्ह.. आह..
करीब 5 मिनट तक मैं लौड़े को मज़े से चूसती रही.. अचानक भाई ने मेरे सर को पकड़ कर ज़ोर-ज़ोर से झटके देने शुरू कर दिए।
कुछ ही देर में उनके लंड से तेज वीर्य की पिचकारी मेरे गले में उतरने लगी।
ना चाहते हुए भी मैं उनका सारा माल पी गई।
रेशू- आह्ह.. आह उफ़फ्फ़.. पीले आह्ह.. सारा माल पीले.. अपने भाई का.. आह्ह.. आज तूने मुझे बहुत मज़ा दिया आह्ह..
जब भाई का लंड शान्त हुआ.. वो पीछे हटा और मेरी जान में जान आई, मेरे मुँह से अभी भी उनके सफेद वीर्य की कुछ बूंदें बाहर आ रही थीं और उनके लंड पर भी कुछ माल लगा हुआ था।
रेशू- काजल ऐसे नहीं करते.. चल पूरा माल चाट कर साफ कर और पी जा सब.. तभी ज़्यादा मज़ा आएगा..
काजल- नहीं भाई, यह बहुत अजीब सा है मुझे उल्टी आने जैसा फ़ील हो रहा है।
रेशू- अरे कुछ नहीं होगा.. ये तो बड़ा फायदेमंद रस है.. चल आ जा चाट कर साफ कर.. उसके बाद मैं तुझे और मज़ा दूँगा.. चल आ जा..
काजल- भाई की बातों में एक जादू था। मैं बस उनकी हर बात मानती जा रही थी। मैंने लौड़े को जीभ से चाट कर साफ करना शुरू कर दिया और कुछ देर ऐसा करने के बाद लौड़ा साफ हो गया। मगर भाई की नजरों में वासना का तूफान नज़र आने लगा।
काजल- भाई आप ऐसे क्या देख रहे हो मुझे?
रेशू- मेरी जान.. तेरी जैसी हसीन बहन सामने नंगी हो.. तो और क्या देखूँ मैं.. आज तो मेरा बहनचोद बन जाने का दिन है..
काजल- नहीं भाई.. यह गलत होगा.. हमारी बहुत बदनामी हो जाएगी..
रेशू- अरे डार्लिंग, किसी को पता लगेगा तब बदनामी होगी ना.. इस रात के अंधेरे के मैं हम दोनों.. एक-दूसरे की जरूरत पूरी करेंगे.. दिन में वहीं रिश्ता रहेगा हमारा..
काजल- ओह.. भाई आपने क्या जादू कर दिया मुझ पर.. कुछ समझ नहीं आ रहा.. अब तो जो होगा.. देखा जाएगा आ जाओ.. बना लो मुझे अपना..
हम दोनों बिस्तर पर एक-दूसरे की बाँहों में चूमने में बिज़ी हो गए।
भाई मेरे छोटे-छोटे मम्मों को दबा रहा था, कभी मेरे निप्पल को चूस रहा था और मैं भी उनकी कमर पर हाथ घुमा रही थी, कभी उनके लंड को सहला रही थी..
लगभग 15 मिनट तक यह खेल चलता रहा.. हम दोनों बहुत गर्म हो गए थे, मेरी चूत रिसने लगी थी..
रेशू- उफ्फ़ काजल.. अब वक़्त आ गया है कि तेरी कुँवारी चूत को खोलकर मैं तुझे पूरी कच्ची कली से खिला हुआ फ़ूल बना दूँ।
काजल- आह्ह.. भाई उफ्फ.. अब मेरे से बर्दाश्त नहीं हो रहा.. आह्ह.. जो करना है जल्दी से कर दो इसस्स आह..
भाई ने मुझे लिटा दिया और मेरे पैर मोड़ कर एक बार अच्छे से मेरी चूत को चाट कर अपने थूक से तर कर दिया.. उसके बाद अपने लौड़े पर अच्छे से थूक लगा कर अपना लौड़ा चूत पर रखा।
मेरी जो हालत हुई.. क्या बताऊँ मैं.. भाई के लौड़े का स्पर्श बहुत ही मजेदार था, वो पल शब्दों में नहीं बताया जा सकता है.. बस महसूस किया जा सकता है।
काजल- ससस्स.. आह.. भाई.. आराम से करना.. मुझे डर लग रहा है कहीं इस खेल में कुछ गड़बड़ ना हो जाए..
रेशू- बस थोड़ा सा दर्द होगा मेरी काजल.. उसके बाद तू दुनिया के सबसे मजेदार खेल की पक्की खिलाड़ी बन जाएगी.. आह्ह.. अब मैं घुसा रहा हूँ।
रेशू ने लौड़े पर दबाव बनाया और सुपारा चूत में फँसा कर वो मेरे ऊपर लेट गया, मेरे निप्पल को चूसने लगा, मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा कर ज़ोर लगाने लगा।
मेरी चूत का दरवाजा खुलना शुरू हो गया था और मेरे जिस्म में दर्द की एक लहर दौड़ने लगी थी.. जैसे कि चूत के रास्ते मेरे जिस्म में कोई तूफान जा रहा हो मेरी हालत खराब होने लगी।
रेशू- आह्ह.. उफ्फ.. तेरी चूत बहुत टाइट है साला लंड आगे जा ही नहीं रहा है.. आह..
काजल- उउउ भाई आह्ह.. नहीं.. प्लीज़ मुझे बहुत दर्द हो रहा है.. ससस्स अयाया.. लगता है.. मैं मार जाऊँगी.. आआ.. सस्स आह्ह.. अब और मत डालो ना..
रेशू- उहह अरे बहना.. अभी तो बस टोपा घुसा है.. लौड़ा तो पूरा बाहर है। मैं तुझे तकलीफ़ नहीं देना चाहता था। इसलिए प्यार से चोद रहा था.. मगर एक झटका देना ही होगा। अब तू देख बस एक बार का दर्द.. बाद में कैसे मज़ा देता है!
काजल- आह्ह.. नहीं भाई.. आह्ह.. नहीं.. थोड़े से इतना दर्द हो रहा है तो पूरा कैसे जाएगा आह्ह.. नहीं भाई..
रेशू ने जब यह देखा कि मैं डर रही हूँ और उसका काम बिगड़ रहा है.. तो उसने मेरे होंठ अपने होंठों में दबाए और कमर को पीछे करके ज़ोर से झटका मारा.. आधा लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया।
दर्द के मारे मेरी जान निकल गई.. मैं बहुत ज़ोर से चीखी.. मगर मेरी आवाज़ घुट कर रह गई।
मैं कुछ संभल पाती.. उसके पहले भाई ने दूसरा झटका मारा और पूरा का पूरा लौड़ा चूत की गहराई में समा गया।
मेरी आँखों से आँसू बहने लगे और दर्द के मारे पूरा बदन अकड़ने लगा.. मगर भाई लगातार झटके देता रहा.. वो वासना में अँधा हो गया था.. उसको मेरी तकलीफ़ का कोई अंदाज़ा नहीं था, वो बस दनादन चोदे जा रहा था और मैं सिसकती जा रही थी।
कोई 20 मिनट तक भाई मेरी चूत को पागलों की तरह चोदता रहा और मैं दर्द के दौरान भी एक बार झड़ गई थी और दोबारा भी मैं चरम पर थी।
अब दर्द के साथ एक मज़ा भी आने लगा था।
काजल- आह आईईइ.. भाई ससस्स.. आह्ह.. दर्द हो रहा है.. आह्ह.. छोड़ो आह्ह.. ना ना आराम से.. आह उ.. मर गई आह्ह..
रेशू- उहह उहह ले.. काजल.. आह्ह.. देख तेरे भाई का पावर देख.. आह्ह.. आज तूने मुझे बहनचोद बना दिया है.. आह्ह.. ले पूरा ले आह्ह..
काजल- आह छोड़ो.. आह्ह.. भाई आह्ह.. मेरी चूत आह.. में मीठा सा दर्द उठ रहा है.. आह्ह.. मुझे कुछ हो रहा है.. आह्ह.. मैं गई एयेए गई एयेए..
भाई ने स्पीड बढ़ा दी और कमर को इतनी ज़ोर से हिलाने लगे कि बस पूछो मत.. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं दर्द से चीखूँ या मज़े से आहें भरूँ।
मेरी चूत का लावा फूट गया और मैं ठंडी पड़ गई।
तभी मेरी चूत की दीवारों पर गर्म गर्म वीर्य की पिचकारी जाकर लगी.. जिसके अहसास से मैं सिहर गई।
उसके बाद लगातार भाई के लंड से वीर्य निकलता गया और मेरी चूत को भरता गया। काफ़ी देर तक भाई मेरे ऊपर पड़ा रहा और हम दोनों लंबी साँसें लेते रहे।
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06-27-2018, 11:53 AM,
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RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
काजल- मेरी जान.. यह थी मेरी चूत की सील टूटने और चुदाई की कहानी.. उसके बाद रात भर में 3 बार और भाई ने मुझे चोदा.. मुझे इतना मज़ा दिया कि क्या बताऊँ.. उसके बाद तो जब मौका मिलता.. हम दोनों चुदाई का खेल खेलते। उसके बाद लंड का ऐसा चस्का लगा कि भाई के दोस्त से भी चुदाई की मैंने.. और अब मेरा प्रेमी मेरे मज़े ले रहा है। अब बोल तू क्या बोलती है.. मज़ा आया ना..
रश्मि सारी बात बड़े गौर से सुन रही थी, उसे पता भी नहीं चला कि कब काजल ने उसको आवाज़ दी, वो तो बस आँखें गड़ाए काजल को देख रही थी।
काजल- अरे क्या हुआ.. रश्मि कहाँ खो गई? तेरी चूत को भी भाई का लौड़ा चाहिए क्या.. हा हा हा हा बोल ना?
काजल की हँसी को सुनकर रश्मि जैसे नींद से जागी हो और उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया.. वो मुस्कुराने लगी..
रश्मि- चल हट.. तू भी ना.. कुछ भी बोल रही है.. तू और तेरा भाई बहुत गंदे हो.. ऐसा काम करते हो मगर में ऐसी नहीं हूँ समझी..
काजल- अरे कभी तो चुदेगी ना.. वैसे आज तो तेरी चूत पूरी गीली हो गई होगी.. मेरी बात सुनकर..
रश्मि- नो वे.. ऐसा कुछ नहीं हुआ.. समझी.. मैंने कहा था ना.. मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता। अब मैं जा रही हूँ तू बैठी रह यहाँ..
काजल- अरे झूटी कहीं की.. दिखा मुझे अभी पता लग जाएगा कि तेरी चूत गीली हुई या नहीं.. ऐसे कैसे भाग रही है?
रश्मि- अरे हट.. मेरा हाथ छोड़.. देख मैं मार दूँगी.. नहीं नहीं.. प्लीज़ मुझे जाने दे..
काजल ने ज़बरदस्ती रश्मि को पकड़ लिया और उसकी चूत को छूकर देखने लगी.. जो वाकयी में गीली थी।
काजल- अरे वाह झूठी.. इतना पानी गिरा दिया.. कि कपड़े भी गीले हो गए.. यार तू बड़ी जिद्दी है.. अपनी ज़िद में इस निगोड़ी चूत को क्यों सज़ा दे रही है.. बना ले किसी को अपना.. दे दे अपनी चूत को लौड़े का तोहफा.. कर दे सील का अंत..
रश्मि- बस बस.. तू जानती है… ऐसी बात से किसी का भी पानी रिसने लगता है.. मैं कोई अलग दुनिया से नहीं आई हूँ और यार ऐसे किसी को भी ये हक़ नहीं दे सकती.. समझी तू..
काजल- अरे यार किसी और से नहीं तो अपने भाई को ही पटा ले.. घर की बात घर में रहेगी और मज़ा का मज़ा मिलता रहेगा तुम्हें..
रश्मि- काजल ये क्या बकवास कर रही हो.. मैं तुम्हारी तरह नहीं हूँ और ना ही मेरा भाई इतना गंदा है.. जो अपनी बहन पर नज़र रखे.. समझी.. आज तो ऐसी गंदी बात मुझसे की.. पर दोबारा ना करना वरना अच्छा नहीं होगा..
रश्मि गुस्से में जाने लगी.. तभी काजल भी थोड़ा गुस्सा हो गई..
काजल- अरे जा जा.. बहुत सीधी बनती है.. जब चुद जाएगी ना.. तब पता लग जाएगा तेरे को.. समझी.. एक बार बस रात को भाई के पास सोकर देख.. पता लग जाएगा कि कितना सीधा और शरीफ है। वो तेरी चूत को ना चाट ले तो कहना.. मुझे बड़ी आई सती सावित्री।
काजल की बात सुनकर रश्मि को गुस्सा तो आया.. मगर वो वहाँ रुक कर और बहस नहीं करना चाहती थी.. इसलिए वो बाहर चली गई..
लो दोस्तो, इन दोनों के बीच तो लड़ाई हो गई। यह रश्मि भी ना बड़ी जिद्दी है.. अब उसके पीछे जाना है क्या आपको.. नहीं ना..
तो रानी के पास चलो.. अब तक तो उसकी साँसें ठीक चलने लगी होंगी ना.. तो आओ मेरे साथ!
जय और विजय दोनों रानी के दोनों तरफ लेटे हुए उसके जिस्म को सहला रहे थे, विजय का हाथ उसके होंठों पर था और जय का मम्मों पर लगा था।
रानी- उफ़फ्फ़ जय जी.. अब बस भी करो.. दोनों ने मिलकर मेरी चूत की हालत खराब कर दी है। अब क्या है थोड़ा आराम करने दो ना..
विजय- अरे रानी अभी तो एक राउंड हुआ है.. कल से तू लंबी छुट्टी पर जाओगी तो जान आज की पूरी रात तू मज़े ले.. हा हा हा हा..
जय- तेरी चूत को आज ऐसे खोल देंगे कि तू हर वक़्त लौड़ा माँगेगी हा हा हा हा.. मगर जान गाँव में किसी से मत चुदवाना.. वरना तेरी नौकरी गई समझ.. हम झूटा माल नहीं खाते.. हा हा हा हा…
रानी- यह आप कैसी बातें कर रहे हो.. जय जी मैं भला किसी और के पास क्यों जाऊँगी.. अब तो बस आपकी दासी बनकर रहूंगी.. मगर आप शहर से जल्दी आ जाना ठीक है..
विजय उसके निप्पलों को चूसने लगा और चूत को सहलाने लगा, अब शायद विजय का मन चुदाई करने का बन गया था।
रानी- आह्ह.. नहीं.. इसस्स.. दुःखता है आहह.. आप ऐसे काट क्यों रहे हो.. आह्ह.. आराम से चूसो ना..
जय- अरे जानेमन.. दु:खेगा तभी तो तू एक्सपर्ट बनेगी और वैसे भी विजय बहुत कम किसी लड़की के साथ दो बार करता है.. तू इसको भा गई है इसलिए ये इतना प्यासा हो रहा है।
रानी- आह्ह.. मुझे तो आप दोनों भा गए हो.. अब तो बस आपकी दासी बन गई हूँ मैं.. जब तक आपका मन करे मुझे भोगते रहो और अपने लंबे-लंबे लौड़ों से मज़ा देते रहो।
जय- वाह जान अब तू पक्की चुदक्कड़ बन गई है.. तेरी बातें अब मज़ा देने लगी हैं। चल आज तुझे नई-नई स्टाइल सिखाते हैं चल विजय के लंड पर बैठ कर अपने आप चुद.. मज़ा आएगा। तब तक मैं बाथरूम जाकर आता हूँ.. उसके बाद मैं तुम्हें गोदी में लेकर चोदूँगा।
जय के जाने के बाद रानी ने पहले विजय का लौड़ा चूसा और उसके बाद धीरे से उस पर बैठ गई.. पूरा लौड़ा चूत में समा गया।
विजय नीचे से झटके दे रहा था और रानी लौड़े पर कूद रही थी।
लगभग 15 मिनट तक ये खेल चलता रहा.. तब तक जय भी आ गया था।
अब विजय ने रानी को नीचे लिटा कर चोदना शुरू कर दिया था। जय अब उसको लौड़ा चूसने लगा था और 10 मिनट बीते होंगे कि विजय और रानी झड़ गए..
जय का लौड़ा बहुत अकड़ रहा था.. उसने रानी को 2 मिनट का रेस्ट दिया और खुद उस पर सवार हो गया। अब चुदाई का खेल दोबारा शुरू हो गया।
कुछ देर बाद जय भी ठंडा हो गया।
अब रानी में बिल्कुल हिम्मत नहीं थी.. वो थक कर चूर हो गई थी..
दोनों भाई और चोदना चाहते थे.. मगर रानी ने उनको बहुत मुश्किल से समझाया कि उसकी हिम्मत पस्त हो गई है.. तो मजबूरन दोनों मान गए और रानी को सोने का बोल कर खुद भी सोने चले गए।
दोस्तो, रानी की ताबड़तोड़ चुदाई हो गई.. अब इनको सोने दो।
वहाँ काजल अभी भी गुस्से में है या नहीं.. ये तो वहाँ जाकर ही देखते हैं।
काजल बिस्तर पर लेटी हुई थी.. तभी रश्मि वापस आ गई.. जिसे देख कर काजल ने मुँह घुमा लिया..
रश्मि- सॉरी यार.. मैंने कुछ ज़्यादा ही बोल दिया आई एम रेयली सॉरी..
काजल कुछ नहीं बोली और बस वैसे ही पड़ी रही.. उसको बहुत गुस्सा आ रहा था मगर वो रश्मि से बात नहीं करना चाहती थी।
रश्मि भी कहाँ मानने वाली थी.. वो काजल के पास आकर बैठ गई और उसके बालों को सहलाने लगी।
काजल- यह क्या बदतमीज़ी है.. सोने दो मुझे.. जाओ अपने बिस्तर पर..
रश्मि- सॉरी यार मुझे तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है।
काजल- मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी.. सो जाओ चुपचाप..
रश्मि- प्लीज़ प्लीज़ यार.. सुनो ना.. अच्छा बाबा कान पकड़ कर सॉरी बोलती हूँ.. बस..
रश्मि की मासूमियत के आगे काजल पिघल गई, रश्मि के उदास चेहरे को देख कर उसको हँसी आ गई।
काजल- हा हा हा.. अरे मुँह देख अपना कितना बकवास लग रहा है.. तू मुस्कुराती ही अच्छी लगती है ऐसे उदास तो बिल्कुल नहीं..
रश्मि- थैंक गॉड.. तुम मान तो गई यार.. मुझे अच्छा नहीं लगा मैंने बहुत ज़्यादा बोल दिया तुम्हें..
काजल- नहीं यार ग़लती मेरी भी है.. मुझे भी तुमसे ऐसी बात नहीं करनी चाहिए थी.. चल बैठ मेरे पास और वादा कर दोबारा नाराज़ नहीं होगी तू..
रश्मि- अच्छा बाबा नहीं होऊँगी मैं.. बस खुश.. चलो आज हम दोनों एक ही बिस्तर पर सोएंगे ठीक है..
काजल- क्यों कहा घूम कर आई हो और क्या इरादा है.. कहीं तुम्हारी भी चूत फड़फड़ा तो नहीं रही है?
रश्मि- अरे यार तुम दोबारा शुरू हो गई ना.. जाओ नहीं सोती मैं..
काजल- अरे मजाक कर रही हूँ यार.. चल आ जा.. सो जाते हैं वैसे भी कल हम घर चले जाएँगे..
काजल और रश्मि पास में लेट गई और बातें करने लगीं और बस यही बातों का दौर चलता रहा। कब दोनों की आँखें बन्द हो गईं.. उनको पता भी नहीं चला।
दोस्तो, सुबह का सूरज निकले.. उसके पहले एक बात बता देती हूँ।
साजन और उसके दोस्त खाना खाने के बाद ऐसे ही बैठे हुए थे.. तभी साजन को भाई का फ़ोन आया और उसने उसे फ़ौरन कहीं बुलाया। कोई 20 मिनट बाद साजन उस जगह पहुँच गया.. जहाँ भाई पहले से ही खड़ा हुआ था।
साजन- क्या हुआ भाई.. ऐसे अचानक अपने मेरे को यहाँ क्यों बुलाया?
भाई- प्लान थोड़ा चेंज हो गया है.. मैंने कहा था ना कल वो दोनों भाई यहाँ अपनी बहन के साथ होंगे.. तब तू आराम से देख लेना। मगर वो लोग ज़्यादा चालाक हैं शायद यहाँ ना आएं.. तो तू एक काम करना.. कुछ लड़के जो आवारा टाइप के हों.. उनको कल यहाँ बुलाना और उसको छेड़ने के लिए कहना..
साजन- भाई ये बहुत उलझन वाली बात अपने बोल दी.. पहले तो मुझे पूरी बात समझाओ.. बाद में मेरे को कोई ऑर्डर देना।
भाई- अरे बेवकूफ़.. कल दोपहर 12 बजे उन लड़कों को यहाँ खड़ा करना और अपने आवारा लड़कों से उसको छेड़ने को कहना.. जब वो लोग शुरू हो जाएं.. तब पीछे से आकर तुम झगड़ा शुरू कर देना.. बस…
साजन- ये बात तो मैं समझ गया.. जो आपने कहा.. हो जाएगा.. मगर इससे होगा क्या और वो रंडी को मैं पहचानूँगा कैसे.. असली बात वो है?
भाई- पूरी बात सुने बिना बोलता है… कल 12 बजे वो यहाँ से गुज़रेगी.. मैं तुम्हें कॉल करके इशारा दूँगा.. तू लड़कों को इशारा दे देना.. वो लड़के उसको छेड़ रहे होंगे.. तब वो उनसे झगड़ेगी.. तू उनको फटकार लगा कर भगाएगा.. वो कुछ ना कुछ जरूर बोलेगी.. बस किसी तरह उससे बात कर लेना.. उसका नाम पूछ लेना..
साजन- भाई बुरा ना मानना.. यह बहुत घुमा कर आप नहीं बता रहे मुझे.. इससे अच्छा तो एक काम है.. आप उसको पहचानते हो.. कल यहाँ मेरे साथ आ जाना.. बस एक इशारा कर देना.. मैं समझ जाऊँगा यह वही है..
भाई- जितनी तेरी सोच.. उतना ही बोलेगा साले.. उसकी पिक मेरे पास है चाहूँ तो वो दिखा कर भी बता सकता हूँ.. मगर तू नहीं समझेगा.. तुझे उसका नाम तो याद है ना?
साजन- अरे हाँ.. भाई याद है.. मगर उसका नाम पूछ कर उससे बात करके क्या हासिल होगा हमें? हम ऐसे भी जान सकते हैं उसको?
भाई- तू पागल है एकदम.. अब सुन उसका नाम जानकर उससे बातें कर.. उसके भाई के बारे में.. घर के बारे में.. सब कुछ पता कर… हाँ.. चुप पता है तू यही कहेगा न.. मैं सब जानता हूँ.. मगर उसको यह अहसास मत दिला। जब वो अपने भाई का नाम ले.. तब तू कहना.. वो तो मेरा दोस्त है और बस किसी बहाने उसके घर तक जा। मैं उस कुत्ते की आँखों में डर देखना चाहता हूँ और वो डर तब पैदा होगा.. जब तू उसकी बहन के साथ उसके घर तक चला जाएगा। उसका प्लान धरा का धरा रह जाएगा.. हा हा हा..
साजन- वाह भाई असली बात तो अब बताई आपने.. मगर अब भी एक सवाल है.. आप कल वहाँ होंगे तो कॉल करने की क्या जरूरत है.. साथ में रहकर बता देना।
भाई- नहीं जैसा मैंने कहा.. वैसा कर.. बस तेरा उसके साथ उनके घर तक जाना जरूरी है। मैं साथ रहूँ.. यह जरूरी नहीं.. समझा..
साजन- क्या जरूरी है और क्या नहीं.. मेरी समझ के बाहर है भाई.. मुझे तो आप जाने दो।
भाई- हाँ.. एक बात सुन.. कल बाइक नहीं.. कार लेकर जाना.. समझे..
साजन- अब ये क्या पंगा है?
भाई- यह बात तुझे कल अपने आप पता लग जाएगी.. तू मेरे दिमाग़ को नहीं जानता.. जहाँ सारी दुनिया सोचना बन्द करती है.. मैं वहाँ से सोचना शुरू करता हूँ.. समझा अब जा..
साजन- भाई आपका दिमाग़ तो दोधारी तलवार है.. दोनों तरफ़ से चलता है.. ओके कल आपका काम हो जाएगा।
भाई- सुन.. पहले वाला प्लान भी याद रखना.. शायद वो आ भी जाए। हर हाल में तुझे कल ये कम करना ही है.. समझा ना तू?
साजन- हाँ.. पता है.. अगर वो आए तो उनके सामने पहुँच जाऊँगा और बातों में फँसा कर उनके मुँह से उगलवा लूँगा कि यह हमारी बहन है.. नहीं तो ये दूसरा प्लान तो है ही ना..
भाई- गुड अब की ना तूने समझदारी वाली बात.. चल अब जा..
साजन- भाई एक बात है.. कल वो लड़के लाऊँगा.. तो थोड़ा रोकड़ा दे देते..
भाई- अरे इतनी जल्दी पैसे माँगने लगा.. वो जो दिए थे उनका क्या हुआ?
साजन- व्व..वो तो भाई ख़त्म हो गए.. अब आपने इतने काम बता दिए.. गेस्ट हाउस बुक किया.. कोमल को दिए.. उन दोनों को दिए.. फार्म पर आया.. अब आप बताओ इतने सब काम तो कर दिए..
भाई हँसने लगा और अपना पर्स निकाला उसमें से हजार के कुछ नोट साजन को दिए और कहा- अभी इनसे काम चलाओ बाद में और दे दूँगा..
जब भाई पर्स से पैसे निकाल रहा था.. तब साजन की नज़र उसके पर्स पर थी और उसमें एक तस्वीर देख कर वो चौंक गया.. क्योंकि वो तस्वीर जिसकी थी उसको साजन अच्छी तरह से जानता था। मगर उस वक़्त उसने चुप रहना ठीक समझा और भाई से पैसे लेकर वहाँ से निकल गया।
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