06-27-2018, 12:10 PM,
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sexstories
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RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
लगभग 15 मिनट तक कोमल की जबरदस्त ठुकाई होती रही.. अब उसका दर्द गायब हो गया था और मज़ा दुगुना हो गया था, वो ‘आहें..’ भरती हुई चुदाई का मज़ा ले रही थी- आह्ह.. फक मी.. आह्ह.. फास्ट.. चोद दो.. मुझे.. आह्ह.. फाड़ दो मेरी चूत.. आह्ह.. गई.. आह्ह.. मेरा रस निकलने वाला है.. यू फास्ट.. आह्ह.. और फास्ट आह्ह..
कोमल की बातों से दोनों को जोश आ गया और ऊपर से जेम्स स्पीड से उसकी गाण्ड मारने लगा.. तो नीचे रंगीला का लौड़ा भी ‘खचाखच’ उसकी चूत को पेल रहा था।
कोमल की चूत ने रस का फव्वारा छोड़ दिया और उसके साथ ही रंगीला भी अपना कंट्रोल खो चुका था। उसका लौड़ा भी वीर्य की धारा उसकी चूत में भरने लगा।
करीब 5 मिनट तक तीनों ऐसे ही पड़े रहे रंगीला का लौड़ा मुरझा कर चूत से बाहर आ गया था.. मगर जेम्स तो अभी भी गाण्ड का भुर्ता बनाने में लगा हुआ था।
रंगीला- अरे बस कर.. अब रहम कर इस पर और मुझ पर.. हमारा हो गया है यार.. अब तो निकल दे अपना मूसल..
रंगीला की बात सुनकर जेम्स ने दोनों हाथों से कोमल को उठाया और रंगीला के ऊपर से हटा दिया और बिस्तर पर घोड़ी बना कर स्पीड से चोदने लगा। जल्दी ही उसका लौड़ा भी झड़ गया.. तब जाकर कोमल को चैन आया।
कुछ देर वो सब ऐसे ही पड़े रहे उसके बाद अपने-अपने कपड़े पहन कर जाने के लिए र हो गए।
साजन जब वापस आया.. तब तक तीनों बाहर आ चुके थे, हाँ कोमल की चाल थोड़ी बदल गई थी।
साजन- अरे बाप रे.. क्या कर दिया बॉस ये बेचारी तो सच में लंगड़ा रही है।
कोमल- चुप कर कुत्ते.. मेरा मजाक ना बना.. इतना बड़ा अगर तेरी गाण्ड में जाए ना.. तो तू हिल भी ना पाए।
जेम्स और रंगीला ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे और साजन का पोपट हो गया।
थोड़ी देर बाद रंगीला ने साजन को बताया- हम दोनों पहले जाएँगे.. बाद में तू और कोमल आ जाना.. ओके!
और वो दोनों वहाँ से निकल गए।
उनके जाने के बाद साजन ने कोमल को ऊपर से नीचे तक देखा।
कोमल- क्या देखता है रे साले..?
साजन- देख रहा हूँ कि दोनों ने तेरी चुदाई बहुत जबरदस्त की है.. तेरी आँखें बता रही हैं.. तू रोई भी है।
कोमल- बड़ा कमीना है रे तू.. तू तो सब जान गया कुत्ते!
साजन- मेरी जान अब गाली मत दे तू.. मेरी बहन का रोल कर रही है.. चल बता ना.. ऐसा क्या कर दिया उन दोनों ने कि तेरी आँखों में आँसू आ गए।
कोमल- अब क्या बताऊँ तुझे.. वो जेम्स है ना.. साला आदमी नहीं कोई घोड़ा है.. उसका ‘इतना’ लंबा और इतना मोटा है।
कोमल ने हाथ के इशारे से साजन को लौड़े के बारे में बताया।
साजन तो बस कोमल को देखता ही रह गया.. क्योंकि बताते वक़्त उसके चेहरे पर एक अजीब सा डर था।
साजन- ओह्ह.. तभी तू रोई होगी.. साला बॉस ठीक बोला था.. इसको लास्ट चान्स देंगे.. नहीं तो ये रश्मि की चूत का भोसड़ा बना देगा और हमें कुछ मज़ा नहीं आएगा।
कोमल- हाँ उसका लौड़ा है ही ऐसा तगड़ा.. कि किसी को भी रुला दे.. अब बातें ही करेगा या यहाँ से चलेगा भी?
साजन- तुझे बड़ी जल्दी पड़ी है वहाँ जाने की.. क्या बात है?
कोमल- अबे जल्दी होगी ही ना.. कब तुम लोगों का ये नाटक ख़त्म होगा और कब मुझे मेरे पूरे पैसे मिलेंगे।
साजन- तू भी ना साली पैसे के लिए मरी जा रही है.. चल अब निकलते हैं।
ये दोनों भी फार्म के लिए निकल गए। अब ज़रा हम विजय की तरफ़ चलकर देखते हैं कि वो क्या कर रहा है।
जय और रश्मि एक गाड़ी में निकले और जेम्स उनके पीछे दूसरी गाड़ी में निकला.. क्योंकि उसको तो वहाँ पर रानी को लेकर जाना था ना।
रश्मि के दिल में अब भी थोड़ा डर था कि अगर जय हार गया तो क्या होगा? बस वो रास्ते में यही सब सोचती जा रही थी। उधर रंगीला और जेम्स कुछ खाने-पीने का सामान लेकर मंज़िल की ओर चल पड़े थे।
स्तों अब रास्ते का हाल आपको क्या बताऊँ.. तो चलो सीधे फार्म का सीन ही बता देती हूँ।
सबसे पहले जय और रश्मि वहाँ पहुँचे थे। वहाँ जाकर जय ने नौकरों को कुछ हिदायत दी और उसके बाद कमरे में रश्मि को आराम के लिए भेज कर खुद बाहर सब का वेट करने लगा।
उनके कुछ देर बाद सुंदर और आनंद भी वहाँ आ गए तो जय उनसे बातें करने लगा।
उधर विजय सीधा रानी के घर पहुँच गया.. जिसे देख कर रानी बहुत खुश हुई।
रानी- अरे बाबूजी आपने आने में बड़े दिन लगा दिए?
जेम्स- वो शहर में थोड़ा काम था ना.. इसलिए.. चल अब जल्दी से तैयार हो जा हमें अभी निकलना है।
रानी- आप अन्दर तो आओ.. माँ से मिल लो.. तब तक मैं कपड़े ले लेती हूँ।
विजय उसकी माँ से बातें करने लगा और कुछ पैसे भी दे दिए।
कोई 15 मिनट बाद वो रानी को लेकर वहाँ से निकल गया।
दोस्तो, रानी याद है या भूल गए.. चलो अगर भूल गए तो कोई बात नहीं.. अभी सब याद आ जाएगा।
रानी ने एक पुरानी सी मैक्सी पहनी हुई थी.. जो उसके बदन पर बहुत टाइट थी.. अन्दर उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी जिससे उसके 30″ के चूचे साफ दिखाई दे रहे थे.. उसके निप्पल एकदम तने हुए थे।
विजय- अरे क्या बात है रे रानी.. तूने ये किसके कपड़े पहने हैं.. बहुत छोटे हैं ये तो.. और तेरे ये निप्पल ऐसे खड़े क्यों हो रहे हैं?
रानी का चेहरा शर्म से लाल हो गया, उसने शर्म के मारे अपना चेहरा हाथों से छुपा लिया।
विजय ने एक हाथ से उसके मम्मों को हल्के से दबाया.. तो रानी के मुँह से ‘आह्ह..’ निकल गई।
विजय- अरे क्या हुआ हूँ रानी.. तू तो ऐसे शर्मा रही है.. जैसे पहली बार मैंने इनको छुआ है।
रानी- सस्स आह्ह.. बाबूजी.. आपका हाथ लगते ही बदन में बिजली सी रेंगने लगी।
विजय- अच्छा ये बात है.. लगता है इतने दिन में तू मेरा स्पर्श भूल गई है.. अब दोबारा तुझे नंगी करके पूरे जिस्म पर अपनी छाप देनी होगी।
रानी- आह्ह.. बाबूजी भगवान के लिए ऐसी बातें ना करो.. आपको देखते ही मेरे जिस्म में हलचल पैदा हो गई.. ये चूचुक जो तने हुए से हैं ये आपको देखने से तने हैं.. अब आप ऐसी बातें कर रहे हो.. तो नीचे भी कुछ-कुछ हो रहा है।
विजय- ओह्ह.. अच्छा ये बात है.. लगता है इतने दिन बिना चुदे रही हो.. तो तेरी चूत अब लण्ड के लिए प्यासी हो गई है.. अब तो मुझे ही कुछ करना होगा.. तेरी प्यासी चूत की प्यास अब मेरा लौड़ा ही बुझाएगा।
विजय की बात सुनकर रानी की चूत से पानी रिसने लगा.. वो काफ़ी ज़्यादा उत्तेजित हो गई और विजय के लण्ड को पैन्ट के ऊपर से मसलने लगी।
विजय तो पहले ही रानी के खड़े निप्पल देख कर गर्म हो गया था.. अब रानी की ये हरकत उसको पागल बना गई।
विजय- आह्ह.. रानी.. तेरे हाथों में क्या जादू है.. देख लौड़ा कैसे बेकाबू हो गया है।
रानी- बाबूजी आप गाड़ी आराम से चलाओ.. तब तक आपके लौड़े को मैं काबू में लाती हूँ।
इतना कहकर रानी ने विजय की पैन्ट का हुक खोल दिया और तने हुए लौड़े को बाहर निकाल लिया।
लौड़ा एकदम टाइट हो रहा था.. रानी ने देर ना करते हुए अपने होंठ लण्ड पर रख दिए और बड़े प्यार से पूरा लौड़ा मुँह में लेकर चूसने लगी।
विजय- आह ससस्स.. रानी आह्ह.. मज़ा आ गया.. चूस.. आह्ह.. तेरे होंठ भी क्या कमाल के हैं.. आह्ह.. चूस मेरी जान।
विजय का लौड़ा एकदम फड़फड़ा रहा था.. अब उसकी साँसें तेज हो गई थीं। विजय ने रानी को अपने से अलग किया और गाड़ी को एक साइड में खड़ा करके वो रानी के मम्मों को कपड़ों के ऊपर से चूसने लगा।
रानी- आह्ह.. बाबूजी.. अब बर्दास्त नहीं हो रहा आह्ह.. मेरी चूत किसी भट्टी की तरह जल रही है.. आह्ह.. अपने लौड़े की बरसात कर दो.. आह्ह.. मेरी चूत में.. इससस्स.. आह्ह.. आहह..
विजय- रानी मेरा हाल भी ऐसा ही है.. अब तो तेरी चूत चोद कर ही सुकून आएगा.. चल पीछे की सीट पर चल.. आज तुझे गाड़ी में ही चोदूँगा।
रानी तो चुदने को बेकरार थी.. जल्दी से वो पीछे चली गई और विजय भी सीट को एड्जस्ट करके पीछे चला गया और रानी पर टूट पड़ा।
विजय ने रानी को जल्दी से नंगा किया और उसके निप्पल चूसने लग गया।
रानी- आह्ह.. बाबूजी.. अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.. ओह्ह आह्ह.. घुसा दो अपना डंडा.. मेरी चूत में.. आह्ह.. कर दो मुझे शान्त..
विजय- चल मेरी जान अब तू घोड़ी बन जा.. अब मेरा लौड़ा भी बेताब है तेरी चूत में जाने के लिए।
रानी घोड़ी बन गई और विजय ने एक ही झटके में पूरा लौड़ा चूत में घुसा दिया।
रानी काफ़ी दिनों की प्यासी थी, उसकी चूत में लौड़ा जाते ही वो ‘आह्ह..’ भरने लगी और गाण्ड को पीछे करके चुदवाने लगी।
विजय- आह्ह.. मेरी जान तू तो बड़ी चुदक्कड़ बन गई रे.. आह्ह.. ले साली.. एक बात तो बता.. गाँव में तो किसी से नहीं चुदी ना… इतने दिन.. आह्ह..
रानी- आह्ह.. फाड़ दो.. चोदो आह्ह.. नहीं बाबूजी.. आह्ह.. ये आप कैसी बात करते हो.. आह्ह.. आपके अलावा में किसी के बारे में सोच भी नहीं सकती आह्ह..
विजय- आह ले आह्ह.. अच्छा किया.. नहीं तो साली मज़ा खराब हो जाता मेरा.. आह्ह.. ले आह्ह..
विजय स्पीड से रानी की चूत को चोद रहा था.. वो भी उसका पूरा साथ दे रही थी। लगभग 20 मिनट तक ये तूफान जोरों पर था.. उसके बाद रानी की चूत नामक बाँध में दरार पैदा हो गई.. वो बाँध कभी भी फट सकता था।
रानी- आह्ह.. तेज तेज करो.. आह्ह.. मेरी चूत आह्ह.. गई.. आआ एयेए..
रानी का झरना फूट पड़ा और उसके साथ ही विजय का लौड़ा भी झड़ गया.. दोनों के पानी का संगम हो गया।
कुछ देर दोनों ऐसे ही पीछे की सीट पर पड़े रहे.. उसके बाद इस चुप्पी को रानी ने तोड़ा- अच्छा बाबूजीm अपने बताया नहीं.. आप अकेले क्यों आए हो.. जय जी कहाँ हैं?
विजय- क्यों साली.. मेरा लौड़ा कम पड़ गया तेरे को.. जो जय को याद कर रही है तू हाँ?
रानी- अरे बाबूजी.. आप भी ना बस.. मैं तो ऐसे ही पूछ रही हूँ और वैसे भी अब वहाँ तो आप दोनों मुझे कहाँ सुकून लेने दोगे.. वहाँ तो दोनों मेरी जमकर चुदाई करोगे ना..
विजय- मेरी भोली रानी.. वहाँ हम दो के अलावा 5 दोस्त और हैं.. तू बच के रहना.. कहीं सभी तेरे पीछे ना पड़ जाएं हा हा हा।
विजय की बात सुनकर रानी चौंक गई- हे राम रे पांच और.. ना ना बाबूजी.. ऐसा ज़ुल्म ना करना.. मैं तो मर ही जाऊँगी।
विजय- अरे डरती क्यों है.. मजाक कर रहा हूँ.. वहाँ मेरे दोस्त की बहन और जय की बहन भी होगी।
रानी- हाय राम.. तब तो मुझे बहुत सावधान रहना होगा आपकी बहन के सामने.. थोड़ी आप कुछ कर पाओगे.. मैं तो बस चुपचाप अपना साफ सफ़ाई का काम ही करती रहूँगी.. ठीक है ना..
विजय- अबे साली.. तू क्या समझ रही है.. वो यहाँ कोई भजन कीर्तन करने आई है क्या.. और हाँ मेरी नहीं.. जय की बहन कहा है मैंने..
रानी- बाबूजी आप तो पहेलियाँ सी बुझा रहे हो.. और जब आप दोनों भाई हो.. तो वो आपकी बहन हुई ना?
विजय समझ गया कि इसको ऐसे कुछ समझ नहीं आएगा.. तो उसने रानी को सब कुछ साफ-साफ बताया.. जिसे सुनकर रानी की आँखें फटी की फटी रह गईं।
रानी- हाय राम कैसा जमाना आ गया.. ऐसा भी कोई खेल होता है क्या जिसमें अपनी बहन को दांव पर लगाना पड़े.. ना बाबा ना.. ये तो कलयुग है।
विजय- अबे साली द्रौपदी का चीर हरण हुआ था.. वो भी तो कुछ ऐसा ही गेम था.. बस फ़र्क ये है उसमें बीवी थी.. यहा बहन है।
रानी- बाबूजी हम ठहरे गाँव के लोग.. हमें क्या पता ऐसे खेल के बारे में.. आप बड़े लोग हो.. आप ही जानो।
विजय- अब सुन.. वहाँ तुझे नॉर्मल ही रहना है.. वैसे तो रश्मि को पता है कि तू हमसे चुदी हुई है.. फिर भी तू उससे ज़्यादा बात ना करना।
रानी- हाय राम.. कैसे भाई हो आप.. ऐसी बातें कोई अपनी बहन को बताता है क्या?
रानी की बात सुनकर विजय का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उसकी आँखों में खून उतर आया- चुप साली कुतिया.. क्या बार-बार उस रंडी को मेरी बहन बता रही है.. वो उस कुत्ते की बहन है बस.. समझी..
विजय का ये रूप देख कर रानी बहुत डर गई- माफ़ करना बाबूजी.. दोबारा नहीं कहूँगी.. मगर आप उसको रंडी क्यों बोल रहे हो?
विजय- अबे साली रंडी को रंडी ना बोलूँ तो क्या बोलूँ.. हाँ बता.. वो हरामजादी कुतिया जब ऐसे गेम के लिए मानी.. तभी वो मेरे लिए एक रंडी बन गई थी.. समझी?
रानी- बाबूजी आप भगवान के लिए शान्त हो जाओ.. इतना गुस्सा मत करो.. मैं अब आपसे कोई सवाल नहीं करूँगी।
विजय- सॉरी यार.. मैं थोड़ा गुस्से में आ गया था.. अब सुन तुझे एक बहुत जरूरी बात बतानी है.. वहाँ जाकर कोई गड़बड़ ना कर देना।
रानी- ठीक है बाबूजी आप बताओ।
विजय बड़े आराम से रानी को कुछ समझाने लगा.. जिसे सुनकर रानी के चेहरे के भाव बदलने लगे। उसका सर चकराने लगा.. वो बस गर्दन ‘हाँ’ या ‘ना’ में हिला कर सब कुछ चुपचाप सुनती रही।
विजय- अब समझ आ गया ना.. वहाँ कोई गड़बड़ ना कर देना तू..
रानी- ना बाबूजी ना.. अब आप चिंता ना करो.. अब मैं सारी बात समझ गई हूँ। अब तो आप बस अपनी रानी का कमाल देखना।
विजय ने खुश होकर रानी को किस किया, उसके बाद दोनों वहाँ से अपनी मंज़िल की ओर बढ़ गए।
दोस्तो, ये रास्ते में चुदाई कर रहे थे रंगीला और जेम्स वहाँ पहुँच भी गए।
हाँ एक बात और साजन भी कोमल को लेकर वहाँ पहुँच गया था.. जिसे देख कर रश्मि मन ही मन सोच रही थी कि आज इसका क्या हाल होगा.. पता नहीं और वहीं कोमल भी रश्मि को देख कर मन ही मन मुस्कुरा रही थी कि बेचारी आज पता नहीं कितने लौड़ों से चुदने वाली है।
जब विजय और रानी वहाँ पहुँचे तो हॉल में सब बैठे हुए चिप्स और कोल्डड्रिंक्स का मज़ा ले रहे थे।
रानी को देख कर साजन और उसके फालतू दोस्तों की आँखें चमक गईं.. वहीं मगर जेम्स और रंगीला ने नॉर्मल बिहेव किया। यही हाल रानी का था जेम्स को देख कर उसको ज़रा भी ताज्जुब नहीं हुआ।
दोस्तो, आपके मन में कई सवाल खड़े हो गए होंगे। अब ज़्यादा वेट नहीं करना होगा.. बस वक़्त आ गया है तो आगे खुद देख लो।
साजन- अरे विजय.. ये किसको साथ ले आए तुम?
विजय- काम वाली है.. दिखाई नहीं देती क्या तुझे?
साजन- अच्छा कौन-कौन से काम कर लेती है ये.. हा हा हा हा..
जय- अबे चुप साले कुत्ते.. जब देखो लार टपकाता रहता है।
साजन- अरे यार जय अब बस भी कर ये शराफत का ढोंग.. अब तो बन्द कर दे सबको पता है.. हम यहाँ क्यों जमा हुए हैं.. अब थोड़ा तो मज़ा लेने दे।
विजय- साजन, ये यहाँ खाना बनाने के लिए आई है.. हम जो करेंगे वो करेंगे.. इसका इससे कोई मतलब नहीं है ओके.. अब चुपचाप बैठ।
विजय ने रानी को अन्दर भेज दिया और खुद सोफे पर बैठ कर एक कोल्डड्रिंक ली और आराम से पीने लगा।
कोमल और प्रिया पहले ही कमरे में चली गई थीं.. आराम करने के लिए।
साजन- अरे यार ये कोक ही पीओगे क्या.. अब तो कोई दारू-वारू का राउंड चालू करो..।
विजय- साले अभी से पीने लगेगा तो रात तक टुन्न हो जाएगा.. फिर गेम क्या तेरा बाप आकर खेलेगा।
साजन- देख विजय तू बाप तक मत जा.. हाँ बोल देता हूँ मैं।
जय- अबे चुप साले हरामी.. कल बड़ा अकड़ रहा था ना.. तेरे बाप का तो पता नहीं.. मगर तेरी बहन की आज हालत बिगाड़ दूँगा।
साजन- वो तो वक़्त ही बताएगा कि तू मेरी बहन की हालत बिगाड़ता है या रश्मि की चीखें सुनकर अपने कान बन्द कर लेगा.. हा हा हा।
जय- अबे कुत्ते.. तेरी इतनी हिम्मत कि तू अपनी गंदी ज़ुबान से रश्मि का नाम ले.. साले रुक अभी तुझे बताता हूँ।
जय गुस्से में साजन की तरफ़ लपका तो रंगीला ने उसका हाथ पकड़ लिया।
रंगीला- जय ये क्या हो रहा है.. तुम बोलो तो ठीक है.. और ये बोले तो गुस्सा.. ऐसा क्यों?
जय- यार तूने सुना ना.. इसने रश्मि के बारे में क्या कहा अभी?
रंगीला- हाँ सब सुना और ऐसा क्या गलत कह दिया.. हम यहाँ जिस काम के लिए जमा हुए हैं.. उसमें एक की चीखें तो निकलेंगी ही.. अब ये गुस्सा जाने दो और और रूल्स की बात कर लो। सब पहले वाले होंगे या कुछ चेंज करना है।
विजय- नहीं आज खास गेम के लिए खास रूल होंगे.. रंगीला तुम ऐसा करो रश्मि और कोमल को भी बुला लाओ.. ताकि वो भी रूल सुन लें।
रंगीला ने दोनों को बुला लिया.. अब वो भी पास में आकर बैठ गईं।
जेम्स चुपचाप बस ये तमाशा देख रहा था.. उसको तो बस रश्मि की चुदाई से मतलब था.. बाकी दुनिया जाए भाड़ में।
साजन- बोलो क्या रूल चेंज होंगे?
विजय- देखो हम 6 लोग खेलेंगे एसीपी साहब तो हमारे मेहमान हैं.. तो ये बस साइड में बैठ कर गेम देखेंगे।
साजन- हाँ सही बात है.. आगे बताओ।
विजय- ये गेम टीम बना कर खेलेंगे तुम तीन और हम तीन.. सबको पहले की तरह तीन-तीन कार्ड्स दिए जाएँगे। अब नया रूल ये है कि हम तीनों आपस में एक-एक कार्ड बदल सकते हैं.. सेम तुम भी ऐसा कर सकते हो।
रंगीला- गुड यार.. इसमें तो मज़ा आएगा जैसे मेरे पास बड़ा कार्ड आ गया तो मैं जय को दे दूँगा और वो जीत जाएगा।
साजन- मस्त है ये आइडिया.. तो मगर तुम तीनों में अगर जय के पास बड़े कार्ड्स होंगे.. वो तो जीत जाएगा मगर तुम्हारा क्या होगा?
विजय- गधे के गधे रहोगे तुम.. ये गेम तुम्हारे और जय के बीच है.. समझे? बस तुम दोनों के कार्ड्स ही ओपन होंगे.. बाकी सब सारे कार्ड्स गड्डी में मिला देंगे।
रश्मि- वाउ भाई.. इट्स न्यू आइडिया मज़ा आएगा आज तो..
रश्मि के बोलने के साथ ही जेम्स की नज़र उससे मिली.. उसका लौड़ा तो उसको देख कर ही सलामी दे रहा था।
विजय- और कुछ पूछना है?
साजन- हाँ एक बात बताओ.. रूल तो वही हैं ना.. एक गेम हारा तो एक कपड़ा निकालना होगा?
जय- हाँ वो सब वही होगा.. इसमें पूछना क्या है।
साजन- अच्छा एक बात और क्लियर कर लो.. जो हारेगा उसकी बहन के साथ कौन-कौन लेटेगा?
कोमल- छी.. साजन कुछ तो शर्म करो.. सबके सामने ये कैसी बात कर रहे हो.. तुम्हें शर्म नहीं आती।
कोमल ने बड़ी अदा के साथ ये बात बोली थी.. जिसे सुनकर सब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे।
विजय- अरे कोमल तू तो बड़ी भोली बन रही है यहाँ.. ये तुझे ऐसे तो लाया नहीं होगा, सब बता कर ही लाया होगा ना.. अब थोड़ी देर में जब सबके सामने कपड़े उतारोगी तो शर्म नहीं आएगी क्या.. हा हा हा..
विजय की बात सुनकर कोमल सहम गई और सब फिर से हँसने लगे। बेचारी रश्मि का हाल भी कोमल जैसा था.. मगर मजबूरी में वो भी हँसने का नाटक कर रही थी।
साजन- भाई हँसना बन्द करो और मेरे सवाल का जबाव दो।
जय- जबाव क्या देना था.. हारने वाली लड़की के साथ सब करेंगे।
जय को तो पूरा यकीन था.. वो जीतेगा इसलिए सबका नाम ले रहा था मगर उसको कहाँ पता था उसके साथ क्या खेल खेला जा रहा है।
साजन- एक बात कहूँ.. बुरा मत मानना.. अगर तू हार गया तो हम तीन तो करेंगे ही.. एसीपी साहब भी करेंगे.. तुम तीनों तो नहीं करोगे.. दो की तो बहन है और रंगीला आपका बेस्ट फ्रेण्ड है?
जय- तू ज़्यादा होशियार मत बन.. कोमल को बचाना चाहता है क्या.. बस तू उसका भाई है.. तो नहीं करेगा बाकी हम सब करेंगे ओके..
साजन- ऐसी बात है तो रश्मि के साथ भी ऐसा ही होगा.. समझे उसके साथ भी तुम्हारे अलावा सब करेंगे.. बोलो मंजूर है?
विजय- नहीं.. हम दोनों के अलावा सब करेंगे.. मैं भी तो उसका भाई हूँ।
रंगीला- मगर यार विजय में कैसे कर सकता हूँ रश्मि के साथ?
रंगीला ने जब ये बात कही तो रश्मि उसकी तरफ़ देखने लगी और सोचने लगी कि रात को तो इसके इरादे कुछ और ही थे.. अब ये मेरे भाई के सामने शराफत क्यों दिखा रहा है?
जय ने रंगीला को आँख मारी कि हम हारेंगे तब ये नौबत आएगी ना.. बस हाँ कहने में क्या जाता है और इस तरह सब की रजामंदी हो गई।
जय- देखो अब खाना खा लेते हैं.. उसके बाद थोड़ा रेस्ट करेंगे.. और शाम को हमारा गेम शुरू हो जाएगा.. ठीक है ना..
सब ने हामी भर दी और जय के कहने पर नौकरों ने खाना लगा दिया, सबने मिलकर खूब खाया, उसके बाद अलग-अलग कमरों में सब चले गए।
साजन की टीम अलग और जय की अलग कमरे में गई.. ताकि गेम के बारे में कुछ बात करनी हो तो एक-दूसरे को पता ना लग पाए।
हाँ। हमारे एसीपी यानि जेम्स को आराम के लिए अलग कमरा दिया गया।
रानी मौका देख कर जेम्स के कमरे में चली गई।
जेम्स- रानी तू यहाँ क्यों चली आई.. कोई देख लेगा तो मुसीबत हो जाएगी.. जा वापस..
रानी- अच्छा, मेरे आने से मुसीबत हो जाएगी.. और तू यहाँ जो फोकट की चूत के चक्कर में आया है.. उससे कुछ नहीं होगा क्या?
जेम्स- देख तू बात को समझ.. मैं सब कुछ तुझे बाद में बता दूँगा.. अभी तेरा यहाँ रुकना ठीक नहीं।
रानी- डर मत.. मेरे राजा मुझे विजय बाबूजी ने खेल के बारे में सब बता दिया है।
जेम्स- नहीं तू कुछ नहीं जानती.. मैं यहाँ कोई खेल के लिए नहीं अपनी आशा का बदला लेने आया हूँ। अब तू कुछ नहीं बोलेगी.. तुझे मेरी कसम है.. जा यहाँ से अब..
रानी कुछ कहना चाहती थी.. मगर जेम्स ने उसको जबरदस्ती कमरे से बाहर निकाल दिया।
रानी बेचारी कुछ बोल भी ना पाई और जेम्स ने दरवाजा बन्द कर दिया।
उधर विजय और रंगीला चुपचाप बैठे हुए जय और रश्मि को देख रहे थे।
रश्मि- भाई मुझे बहुत डर लग रहा है कहीं आप हार ना जाओ।
जय- अरे पागल.. कुछ नहीं होगा अभी देख में कैसी सैटिंग जमाता हूँ.. हम किसी हाल में नहीं हारेंगे।
रश्मि- वो कैसे भाई.. ज़रा मुझे भी तो बता?
रंगीला- मैं बताता हूँ.. ये तीन पत्ती का गेम है.. इसमें सिर्फ़ बड़े कार्ड्स से ही गेम नहीं जीता जाता.. कभी-कभी एक दुग्गी भी गेम जिता देती है।
रश्मि- वो कैसे? ये बात तो मेरी समझ के बाहर है?
रश्मि की बात सुनकर सब के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।
रंगीला- देखो रश्मि तुम्हारी उलझन मैं दूर करता हूँ.. मान लो जय के पास 3, 7, 9 पत्ते हैं और विजय के पास इक्का गुलाम और 5 हैं.. और मेरे पास बादशाह 2, 2 है.. तो मैं बड़ा पत्ता बादशाह और विजय गुलाम जय को देगा.. और यदि जय के पास 9 आया है.. तो अब क्या बना.. इक्का बादशाह और 9..
अगर साजन के पास इससे कोई बड़े पत्ते हुए जैसे 8 8 6 भी हुआ.. तो भी वो जोड़ी में जीत जाएगा।
रश्मि- हाँ आपने बिल्कुल ठीक कहा.. ये गेम मुझे अच्छी तरह आता है।
रश्मि आगे कुछ बोलती.. तभी विजय बीच में बोल पड़ा- इसी लिए हम दिमाग़ से खेलेंगे.. जय अपने तीन पत्ते हमें इशारे से बता देगा.. उसके बाद हम अपने-अपने पत्ते उसे बता देंगे.. और वो जो माँगेगा.. वही पत्ते हम उसको दे देंगे और वो जीत जाएगा।
रश्मि- वाउ भाई.. अब मैं सब समझ गई.. आप भाई को इक्का देंगे और रंगीला 2 यानी दुग्गी देगा और भाई के पास 3 पहले से ही है.. तो हो गई सेक्वेल 1 2 3 की और भाई जीत जाएगा.. वाउ वाउ.. मज़ा आएगा..
दोस्तो, वैसे तो ये बात यहाँ बताना जरूरी नहीं थी.. मगर मैं चाहती हूँ गेम के बारे में आप सब कुछ जान लो तो ज़्यादा अच्छा रहेगा। अब हर कोई तो तीन पत्ती का गेम जानता नहीं है.. इसी लिए मैंने थोड़ा विस्तार से यहाँ बता दिया। अब आगे शॉर्ट में निपटा दूँगी।
वो लोग काफ़ी देर तक आगे की प्लानिंग करते रहे और उधर साजन अपने दोस्तों को उनकी प्लानिंग बता रहा था कि वहाँ क्या हो रहा है और तुम्हें क्या करना है।
कुछ देर बातें करने के बाद सभी रेस्ट करने लगे और शाम तक सब सोकर फ्रेश हो गए।
दोस्तो, अब वक़्त आ गया है हमारे गेम शो का.. जो कहने को तो एक बस खेल है.. मगर उसमें कितने राज छुपे हैं.. आज सब आपके सामने आ जाएँगे ..तो खुद मजा देख लो।
शाम को हल्का सा दौर चाय नाश्ता का चला.. उसके बाद सब हॉल में जमा हो गए और इधर-उधर की बातें करने लगे।
कोमल और रश्मि उन सबसे अलग बाहर गार्डन में घूम रही थीं।
रश्मि- हाय कोमल.. कैसी हो तुम?
कोमल- मैं अच्छी हूँ.. जब से यहाँ आई हूँ.. तुमसे बात करना चाह रही थी.. मगर मौका ही नहीं मिला..
रश्मि- हाँ यार मेरा भी कुछ ऐसा ही है और सुनाओ कहाँ पढ़ती हो?
कोमल तो पहले से ऐसी बातों के लिए तैयार थी। उसने अपनी चिकनी चुपड़ी बातों में रश्मि को फँसा लिया और जो तीर वो मारना चाहती थी.. वो उसने निशाने पर लगा दिया।
कुछ देर बाद रंगीला ने दोनों को अन्दर बुला लिया और पार्टी का दौर शुरू हो गया। सब बियर और चिकन फ्राइड का मज़ा लेने लगे।
करीब आधा घंटा बाद जय ने रात का खाना तैयार करवा कर सब नौकरों को छुट्टी दे दी। बस रानी वहाँ उनकी सेवा के लिए रह गई।
विजय ने सुंदर और आनंद की मदद से बियर का पूरा कार्टन वहीं रखवा लिया और गेम के लिए कार्ड्स भी ले आया।
रश्मि- गेम शुरू हो उसके पहले मैं कुछ कहना चाहती हूँ।
रश्मि की बात सुनकर सबका ध्यान उसी तरफ़ हो गया।
साजन- क्या हुआ जय.. तेरी बहन का इरादा बदल गया क्या.. कहीं ये ना तो नहीं बोल रही ना.. हा हा हा हा..
रश्मि- नो वे.. ऐसी कोई बात नहीं है.. मैं बस इतना कहना चाहती हूँ कि ये गेम आप दोनों के बीच हो रहा है.. कोई भी जीते.. इसमें मेरा और कोमल का क्या फायदा होगा.. हाँ हमें तो तुम सब के नीचे आना ही पड़ेगा।
रश्मि की बात सुनकर सबको झटका सा लगा कि ये पॉइंट तो इसने बहुत जोरदार मारा है।
रंगीला- तुम कहना क्या चाहती हो?
रश्मि- कुछ नहीं मैं बस ये चाहती हूँ इस गेम का रिजल्ट जो भी हो.. हम दोनों लड़कियों की भी एक-एक डिमाँड पूरी होनी चाहिए।
विजय- बिल्कुल ठीक कहा तुमने.. रश्मि ये गेम में तुम दोनों का रोल बहुत बड़ा है.. तो तुम अपनी भी डिमाँड रखो।
साजन- नहीं नहीं.. यह गलत है जब सुबह सब प्लानिंग चल रही थी.. तब क्यों नहीं इसने कुछ कहा.. अब कोई रूल चेंज नहीं होगा ओके..
कोमल- साजन भाई.. आप चुप रहो, यह फैसला अकेली रश्मि का नहीं.. मेरा भी है.. आपने कैसे मुझे यहाँ आने के लिए रेडी किया? याद है ना..? अब भूलो मत। अगर हम दोनों ने इन्कार कर दिया तो खेलते रहना अकेले-अकेले दोनों मिलकर गेम..
कोमल थोड़ी गुस्से में आ गई थी.. जिसे देख कर वहाँ बैठे सबकी गाण्ड फट गई।
ओह्ह सॉरी.. ‘सबकी’ कहना ग़लत होगा क्योंकि यह तो एक सोची समझी चाल का हिस्सा है..
हाँ किसी और का पता नहीं, जय की जरूर फट गई.. तभी तो सबसे पहले वो बोला- ओह्ह साजन.. तू चुप रह.. साला सारे किए कराए पर पानी फेर देगा। पहले इनकी डिमाँड तो सुन लो।
रंगीला- बिल्कुल ठीक.. मैं इन दोनों लड़कियों के साथ हूँ.. बोलो रश्मि पहले तुम बोलो क्या डिमाँड है?
रश्मि- ओके तो सुनो, हारने वाली लड़की को यह हक़ होगा कि उसके साथ पहले कौन करेगा.. यह वो खुद तय करेगी ओके?
साजन- नो नो.. यह गलत है.. यह जरूर जय की कोई चाल है.. अरे मैं जीतूँगा तो पहले मैं ही जाऊँगा ना.. नो… मैं नहीं मानता इस बात को..
विजय- ओये चूतिए, तुझे कैसे पता तू जीतेगा.. साला हार गया तो यह फैसला तेरी बहन के बहुत काम आएगा.. वो भी अपनी मर्ज़ी से बोलेगी.. समझे..
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06-27-2018, 12:11 PM,
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RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
साजन ने थोड़ी देर नाटक किया उसके बाद वो मान गया.. वैसे रश्मि ने क्लियर बोल दिया कि जरूरी नहीं जीतने वाली टीम का कोई लड़का पहले जाए.. वो किसी को भी पहला मौका दे सकती है.. सिवाय जय और विजय के क्योंकि वो उसके भाई हैं और वैसे भी हारने वाला तो कर ही नहीं सकता.. यह भी रूल है।
विजय- चलो, ये बात तो हो गई.. अब कोमल तुम भी अपनी डिमाँड बताओ?
कोमल- आप लोग यहाँ जब जमा हो ही गए तो नंगापन तो होगा ही.. अब कोई शर्म की बात तो है ही नहीं यहाँ पर.. सही कहा ना मैंने?
रंगीला- हाँ एकदम सही कहा तुमने.. मगर इसका मतलब क्या हुआ?
कोमल- अपने बड़ी आसानी से रूल बना लिए कि टीम में खेलेंगे और कार्ड्स चेंज कर लेंगे.. मगर ज़रा ये सोचो आपने अपनी बहनों को दांव पर लगा रखा है और गेम को इतना आसान बना लिया.. ये कहाँ का इंसाफ़ हुआ बोलो?
जय- तुम कहना क्या चाहती हो.. साफ साफ बोलो ना?
कोमल- मेरी डिमाँड ये है कि रूल वही रहेगा.. मगर छोटा सा ट्विस्ट आएगा इसमें.. आनंद और सुंदर आपको कार्ड्स देंगे और विजय रंगीला मेरे भाई को कार्ड्स देंगे।
कोमल की बात सुनकर जय हिल गया उसकी तो सारी प्लानिंग धरी की धरी रह गई थी।
जय- ये क्या बकवास है.. ऐसा कैसे हो सकता है.. ये दोनों मुझे क्यों अच्छे कार्ड्स देंगे.. ये तो साजन के दोस्त हैं.. ऐसे तो मैं साफ-साफ हार जाऊँगा।
कोमल- यही तो ट्विस्ट है जय जी.. आपने बस अपने बारे में सोच लिया.. ज़रा मेरे भाई के बारे में भी सोचो.. आपके भाई और दोस्त उनको कैसे बड़े कार्ड्स देंगे.. वो भी तो आपको जिताना चाहते हैं।
रंगीला- वाह.. कोमल वाह.. क्या आइडिया निकाला है तूने.. अब आएगा गेम का मज़ा.. अब होगी कशमकश..
विजय- मगर रंगीला इससे तो गेम बहुत हार्ड हो जाएगा।
सुंदर- देखो भाई अब पहले हम कार्ड्स जीतने के लिए देने वाले थे अब हराने के लिए देंगे.. मज़ा आएगा..
जय का तो सर घूम गया कि अब क्या होगा.. उसने जल्दी से बियर की बोतल ख़त्म की और सोचने लगा।
साजन- मैं तो तैयार हूँ भाई.. अब मेरी प्यारी कोमल की बात कैसे मना कर सकता हूँ.. क्यों जय अब तू क्या कहता है.. अपनी बहन की बात तो तूने मनवा दी.. अब मानने की बारी तेरी है?
जय- अब मैं क्या कहूँ.. चल मान ली मैंने भी.. मगर मुझे 5 मिनट विजय और रंगीला से अकेले में बात करनी है.. कुछ अर्जेंट है।
साजन- जा कर ले नई प्लानिंग.. मैं तो यहीं रहूँगा.. मुझे नहीं आता तेरी तरह चाल चलना.. मैं तो बस अपने लक के ऊपर यहाँ आया हूँ.. हा हा हा..
साजन को पता था कि अब क्या होगा क्योंकि रंगीला ने सारा गेम ऐसे सैट किया था कि किसी भी हाल में साजन नहीं हारेगा.. ऐसी प्लानिंग के रश्मि को भी अपनी तरफ़ कर लिया। वैसे अंजाने में ही सही मगर रश्मि रंगीला के मुँह की बात ही बोल रही थी। उसने कोमल के जरिए उसके दिमाग़ में ये बात भर दी थी।
अब जय ने दोनों को कोने में ले जाकर कहा- हमने जो इशारा बनाया था उसका क्या होगा?
रंगीला- अरे कुछ नहीं होगा.. हमें अब इशारे की नहीं दिमाग़ की जरूरत है.. तुम बस ध्यान से कार्ड्स चेंज करना और हम दोनों भी उस साजन को ऐसे कार्ड्स देंगे कि वो जीत ना पाए।
रंगीला ने जय को झूठी तस्सली देकर वापस वहीं ले आया।
विजय- चलो भाई अब सब बातें क्लियर हो गई हैं.. अब तो किसी को कुछ नहीं कहना है ना?
नीचे एक बड़ा सा गोल गद्दा बिछा हुआ था.. सब उस पर बैठे थे.. मगर जेम्स को इन्होंने एक आरामदायक कुर्सी पर बैठाया हुआ था.. जहाँ से वो सब को चुपचाप देख रहा था। उसके मन में तो बस लड्डू फूट रहे थे कि कब ये गेम ख़त्म होगा और कब उसको रश्मि की चूत के दीदार होंगे।
रंगीला- नहीं.. अब कुछ बोलना नहीं है.. बस एसीपी साहब के हाथों से गेम की शुरुआत हो जाए.. तो इनका भी सम्मान हो जाएगा.. आख़िर ये हमारे मेहमान जो हैं।
जेम्स- नहीं नहीं.. रंगीला जब सारे फैसले आप लोगों ने ले ही लिए.. तो अब ये औपचारिकता मत करो।
रश्मि- अरे सर.. आप नाराज़ क्यों हो गए.. सॉरी इन लोगों ने आपसे कुछ पूछा नहीं.. मगर अब आप कुछ कहना चाहो तो कह दो..
जय- हाँ सही है.. आपने कल हमारी बहुत हेल्प की थी.. अब आप ऐसे नाराज़ मत हो प्लीज़..
जेम्स- अरे मैं तो मजाक कर रहा था.. लाओ मैं कार्ड्स बाँट कर गेम को शुरू कर देता हूँ।
रंगीला- नहीं यार.. ऐसा नहीं होगा ग़लती मेरी है.. मैं ही भूल गया अब बस 2 मिनट मुझे बोलने दो प्लीज़।
जेम्स- क्या भूल गया बोलो तो..
रंगीला- दोस्तो, आप सब जेम्स को तो जानते ही हो.. ये एसीपी की पोस्ट पर हैं मगर अन्दर से ये बिल्कुल हमारी तरह शराब और शवाब के शौकीन है। आज हारने वाली लड़की को ये भी टेस्ट करेगा.. ये तो हम जानते हैं.. मगर इनकी मेहमाननवाज़ी के लिए मैंने एक आइडिया सोचा है.. अगर किसी को एतराज ना हो तो बता देता हूँ।
जय- अरे एतराज कैसा यार.. सर कौन सा रोज आते हैं यहाँ.. बोलो तुम..
रंगीला- गेम तो जैसे चलना ही वैसे ही चलेगा.. बस हर राउंड के बाद हारने वाली लड़की जो कपड़ा निकालेगी वो अगर जेम्स अपने हाथ से निकाले.. तो कैसा रहेगा?
साजन- वाह रंगीला.. क्या दूर की कौड़ी मारी है.. ऐसे गेम का रोमांच भी बढ़ जाएगा और हमारे साहब भी खुश हो जाएँगे।
जेम्स- अरे नहीं नहीं.. तुम लोगों के कहने से क्या होता है.. मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा.. क्या पता कोमल और रश्मि को ये पसन्द ना हो।
विजय- क्या जेम्स जब हारने के बाद ये साथ सोने को राज़ी हैं तो कपड़े निकलवाने में इनको क्या दिक्कत?
रश्मि और कोमल ने भी विजय की बात का समर्थन किया और जेम्स के चेहरे पर एक क़ातिल मुस्कान आ गई।
खेल तो अब शुरू हुआ है
जेम्स ने पहले राउंड के लिए कार्ड्स बाँट दिए रंगीला और विजय ने साजन से कार्ड बदल लिए और जय ने भी ऐसा ही किया।
जब कार्ड पलटे गए तो जय के पास बादशाह, गुलाम, 8 और साजन के पास दो बेगमें और 5 निकला।
साजन- यस यस.. क्यों जय क्या बोलता है.. जीत गया मैं?
जय को इस बात का दु:ख था कि पहले ही राउंड में वो हार गया.. मगर उसने अपने आप पर काबू रखा।
जय- बस बस.. ज़्यादा उछल मत.. अभी एक ही राउंड हुआ है।
साजन- उठो जेम्स साहब चीरहरण की रस्म पूरी करो.. रश्मि जी का कुर्ता निकाल कर इसके मादक जिस्म की झलक सबको दिखाओ।
जेम्स कुर्सी से खड़ा होकर रश्मि के पास आया.. तो रश्मि ने कहा- एक कपड़ा निकालना है.. तो पहले जींस निकाल दो आप..
साजन- ओये होये.. क्या बात है.. बड़ी जल्दी में है तू तो रश्मि.. डाइरेक्ट नीचे से नंगी हो रही है..
जय- साजन ये क्या बकवास है.. कुछ भी मत बोल..
साजन- ओह जय.. अब बस कर यार ये शराफत का नाटक बन्द कर.. हम यहाँ एंजाय करने आए हैं.. तू जीते या मैं.. मगर मज़ा सबको आने वाला है.. तो अब ये बातें ही महफ़िल का मज़ा बढ़ाएंगी समझे..
रंगीला- साजन ठीक बोल रहा है जय.. तू रश्मि के सामने ऐसी बातें सुनना पसन्द नहीं कर रहा.. मगर ज़रा सोच के तो देख.. वो अभी सबके सामने नंगी होगी.. जब उसको कोई शर्म नहीं तो तू क्यों भड़क रहा है?
साजन की बात सुनकर रश्मि थोड़ा शर्मा गई.. मगर उसने हिम्मत करके बोलने का सोचा- हाँ भाई जब ये गंदा खेल खेलने की प्लानिंग की.. तब आपको सोचना चाहिए था.. अब आप चुप रहो बस..
रश्मि थोड़ी गुस्सा होकर बोली और नीचे से बियर की बोतल उठा कर गटागट तीन-चार घूँट स्पीड से गटक गई।
साजन- जाओ भाई निकालो पैन्ट.. ज़रा इसकी गोरी टाँगों के दीदार तो करा दो।
जेम्स आगे बढ़ा उसने रश्मि का कुर्ता ऊपर किया और पैन्ट का हुक खोल कर धीरे-धीरे नीचे सरकाने लगा.. इस काम के दौरान जेम्स रश्मि की गाण्ड को अच्छे से दबा कर उसका मज़ा ले रहा था। जब पैन्ट घुटनों तक आ गई तो रश्मि ने कुर्ता नीचे कर दिया जिससे उसके पैर नंगे होने से बच गए।
पैन्ट निकल जाने के बाद रश्मि ऐसे बैठ गई कि लग ही नहीं रहा था वो नीचे से नंगी भी हुई है।
साजन- वाह जय वाह.. मान गया तेरे दिमाग़ को.. इसी लिए ये लंबा कुर्ता पहनाया है तूने.. एक राउंड हारने के बाद भी रश्मि सेफ है.. गुड गुड.. मज़ा आएगा.. इस खेल में..
जय कुछ नहीं बोला बस अपनी होशियारी पर मंद-मंद मुस्कुरा दिया।
दूसरा राउंड शुरू हुआ उसमें जय के पास 4-5-6 बन गए और साजन के पास 3 3 गुलाम बने.. वो हार गया।
जय- अब आएगा मज़ा साला.. बहुत अकड़ रहा था ना..
कोमल खड़ी हो गई और जेम्स ने उसको पूछा तो उसने टॉप निकालने को कहा.. तो बस जेम्स बड़े प्यार से उसके टॉप को अलग कर दिया और हल्का सा उसके मम्मों भी दबा दिया।
अब कोमल ब्लू ब्रा में सबके सामने बैठ गई। सबकी भूखी नजरें उसको घूरने लगीं। सभी के लौड़े पैन्ट में तंबू बना रहे थे.. खास कर जय उसके बड़े-बड़े खरबूजों को देख कर होंठों पर जीभ फेरने लगा.. जो शायद रश्मि को अच्छा नहीं लगा।
तीसरा राउंड.. फिर से साजन हार गया और इस बार जेम्स ने कोमल का स्कर्ट निकाल दिया। उसकी गोरी जांघें सबको पागल बना रही थीं। एक तो बियर का नशा.. ऊपर से ये मदमस्त करने वाली जिस्म की खुश्बू.. सबको पागल बना रही थी।
जय- वाह रे साजन.. ब्रा पैन्टी में तो तेरी बहन अलग ही जलवा दिखा रही है.. साला अब बस 2 राउंड और उसके बाद बूम बूम हा हा हा..
रश्मि- भाई ज़्यादा मत हँसो.. ये कार्ड्स गेम है.. कुछ भी हो सकता है.. आप बस गेम पर ध्यान दो।
सुंदर- हा हा हा हा.. अरे रश्मि तो डर गई.. इसका मुँह तो देखो..
सब हँसने लगे तो रश्मि थोड़ी गुस्सा हो गई और उसने बियर की बोतल खाली करके ज़ोर से रखी तो सब चुप हो गए और नेक्स्ट राउंड स्टार्ट हुआ।
अबकी बार साजन जीत गया और जय उसको बस देखता रहा।
साजन- ले हो गई बूम.. जेम्स जी जल्दी से कुर्ता निकाल दो.. अब बर्दाश्त के बाहर है.. ज़रा मैं भी जलवे देख लूँ।
रश्मि- नहीं.. मैं इस बार पैन्टी निकालूँगी.. जेम्स जी मेरी पैन्टी निकाल दीजिए।
साजन- आहह.. क्या बात है तू तो बड़ी सेक्सी है रे.. पहले नीचे से नंगी हो रही है.. आह्ह.. जल्दी करो जेम्स जी आह्ह.
साजन की बातें माहौल को और गर्म कर रही थीं, सुंदर और आनंद का तो बहुत बुरा हाल हो गया था।
जेम्स ने कुर्ता ऊपर किए बिना अपना हाथ रश्मि की पैन्टी पर लगा दिया.. वो उसकी चूत को हल्का सा दबा कर अपनी उंगली उसकी फाँक पर फिराने लगा।
रश्मि की नजरें जेम्स से मिलीं तो वो नशे में थी.. और अब उसकी उत्तेजना भी धीरे-धीरे बढ़ रही थी।
जेम्स ने अच्छे से उसकी चूत को दबा कर जायजा लिया.. उसके बाद पैन्टी निकाल कर साइड में रख दी।
रश्मि दोबारा सेफ होकर बैठ गई मगर उसकी नजरें बस जेम्स को देख रही थीं, वो समझ गई थी कि जेम्स उसका दीवाना हो गया है।
साजन- ओह्ह.. ये तो फिर बच गई कुछ दिखा ही नहीं.. जेम्स जी जल्दी कार्ड्स बाँटो.. अबकी बार देखता हूँ कैसे बच पाती है.. हा हा हा..
जय- साले अब बहुत हो गया.. इस बार तेरी बहन की ब्रा ना निकलवा दी तो कहना तुम।
विजय- भाई गुस्सा मत दिखाओ.. गेम पर ध्यान दो.. ये क्या हो रहा है ऐसे तो साजन जीत जाएगा और रश्मि सबके सामने बिना कपड़ों के आ जाएगी.. आप समझो बात को।
रंगीला- यस जय ठंडे दिमाग़ से खेलो तुम हार भी सकते हो।
जय बेचारा कहाँ जानता था कि आज वो कैसे भी खेल ले.. हारना तो उसको ही होगा और हुआ भी वैसा ही अगला राउंड भी जय हार गया।
रश्मि- ओह्ह नो.. भाई आपने तो कहा था ज़्यादा से ज़्यादा दो राउंड हारोगे और तब तक गेम फिनिश.. मगर आप तो फिर हार गए.. अब क्या होगा?
साजन- होगा क्या मेरी जान.. नीचे से तो तू पहले ही पूरी नंगी हो चुकी है.. अब ये कुर्ता निकाल कर अपने हुस्न को हमें दिखा दे जल्दी से.. हा हा हा हा हा हा..
साजन किसी शैतान की तरह हँस रहा था और जय चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहा था।
रश्मि- नहीं अब मैं कुर्ता नहीं निकालूंगी बस बन्द करो ये खेल।
साजन- अरे मेरी जान.. ऐसे कैसे नहीं निकालोगी.. ये खेल बीच में छोड़ने का मतलब पता है ना.. तेरा भाई हार जाएगा और तुझे आज रात के लिए सबकी दुल्हन बनना होगा।
जय- चुप कर साले कुत्ते.. बहुत सुन ली तेरी बकवास.. जा नहीं खेलता.. मैं आगे जो उखाड़ना है.. तू उखाड़ ले मेरा.. साला अब अगर मेरी बहन के बारे में एक शब्द भी बोला ना.. तो हलक से ज़ुबान बाहर निकाल दूँगा।
जय की बातों से माहौल एकदम गर्म हो गया, सब अचम्भित हो गए कि अब क्या होगा?
विजय- भाई इतना गुस्सा क्यों आ रहा है.. आपको हाँ.. जब मैंने बार-बार चेतावनी दी थी.. तब क्या कहा था कि जो होगा देखा जाएगा.. अब कहाँ गई.. वो जय खन्ना की ज़ुबान हाँ? बोलो अब जो हो रहा है.. वो पूरा होगा। आप ज़ुबान से फिर सकते हो.. मैं नहीं समझे.. साजन को पता था आप ऐसा कुछ करोगे.. तभी इसने पहले ही मुझसे ज़ुबान ले ली थी कि अगर गेम बीच में रोका या हारने के बाद कोई नाटक किया तो मुझे क्लब में सबके सामने थूक कर चाटना होगा। अब ये बात तुम सुन लो.. मैं अपनी ज़ुबान से नहीं फिर सकता.. समझे आप?
जय- विजय तू मेरा भाई होकर इस कुत्ते का साथ दे रहा है और ये ज़ुबान वाली बात मुझे अब बता रहा है.. क्यों विजय क्यों?
रंगीला- जय सिर्फ़ विजय ही नहीं.. मैं भी साजन के साथ हूँ.. ये गेम वाली बात शुरू हुई तभी सब क्लियर हो गया था। अब तुम और रश्मि ऐसे पीछे नहीं हट सकते।
साजन- वेट वेट.. आपस में मत लड़ो तुम.. अगर जय पीछे हटना चाहता है तो हट सकता है.. मगर एक शर्त पर.. मेरा थूक इसे चाटना होगा यहीं सबके सामने..
रश्मि- साजन कुत्ते.. वो मेरा भाई है.. मर जाएगा मगर ज़ुबान से नहीं जाएगा.. वो तो बस मेरे लिए ये सब कर रहा है और सुन.. मैं अब कहती हूँ ये गेम पूरा होगा और तू कौन सा अभी जीत गया.. हाँ अभी एक राउंड बाकी है समझा?
जय ने रश्मि को कहा- वो देख लेगा।
मगर रश्मि भी तो उसकी ही बहन थी वो कहाँ मानने वाली थी। उसने जय को अपनी कसम दे दी और जेम्स से कुर्ता उतारने को कहा।
जेम्स- सबका बोलना हो गया तो अब मेरी सुनो.. ये गेम पूरा होगा और मैं अपनी तरफ़ से रश्मि को एक मौका देता हूँ.. इस बार वो कुर्ते की बजाए अपनी ब्रा निकाल दे.. ताकि उसका जिस्म अब भी सबके सामने ना आए.. अगर जय जीत गया तो ये ढकी रहेगी.. वरना पूरी नंगी हो जाएगी.. अब इस बात पर किसी को एतराज तो नहीं है ना.?
जेम्स की बात सुनकर रश्मि के दिल में उसके लिए अच्छी इमेज बन गई, उसने आँखों से इशारे में उसको ‘थैंक्स’ कहा।
रंगीला- अरे बहुत अच्छा.. जेम्स ये बात कोई ना माने.. ऐसे-कैसे हो सकता है। क्यों साजन क्या कहते हो?
साजन- वैसे तो ये रूल के खिलाफ है.. मगर आप मेहमान हो तो मान लेता हूँ। फिर भी एक बात बताओ बिना कुर्ता निकाले.. आप ब्रा कैसे निकालोगे?
जेम्स- थैंक्स.. कि तुमने मेरी बात मानी.. अब कैसे निकालूँगा.. ये भी सुन लो.. मैं सामने कमरे में रश्मि के साथ जाऊँगा.. वहाँ निकालूँगा और हाँ कोमल भी मेरे साथ होगी.. ताकि रश्मि को डर जैसी फीलिंग्स ना आए।
जेम्स की बात सुनकर सबने उसकी तारीफ की कि वाकयी जेम्स ने बहुत अच्छी बात कही है और रश्मि तो बस उसकी गुलाम ही हो गई।
रश्मि- थैंक्स जेम्स जी.. मगर कोमल हमारे साथ नहीं जाएगी.. मुझे आपसे कैसा डर.. आप तो मेरी इज़्ज़त को ढकने वाले हो.. मुझे आप पर पूरा भरोसा है।
रंगीला- हाँ जेम्स रश्मि ने सही कहा.. आप पर शक करना आपकी तौहीन है.. आप जाओ और जल्दी से ब्रा निकाल कर ले आओ.. ताकि गेम आगे बढ़ाया जा सके।
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06-27-2018, 12:11 PM,
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RE: kamukta kahani अय्याशी का अंजाम
रश्मि समझ गई कि रंगीला को पता लग गया है.. अब वो ज़्यादा बोलेगी तो उसका और जय का भांडा फूट जाएगा। इसलिए वो बस चुपचाप लौड़े के मज़े लेने लगी। कोई 20 मिनट तक रंगीला ने उसको अलग-अलग पोज़ में चोदा तब जाकर वो ठंडा हुआ।
रश्मि- आह.. मज़ा आ गया.. सच्ची.. तुम्हारा लौड़ा बहुत मजेदार है.. मोटा भी और लंबा भी है.. आह्ह.. अब प्लीज़ कुछ ऐसा करो वो तीन कुत्ते मुझे ना चोद पाएं..
रंगीला- नो बेबी.. ऐसा नहीं हो सकता.. चुदाई तो तुम्हें करवानी होगी.. अब प्यार से या जबरदस्ती से.. यह फैसला तुम्हारा है.. ओके बाय..
रंगीला ने कपड़े पहने और कमरे के बाहर आ गया।
साजन- अरे वाह बॉस.. क्या झटका मारा आपने.. साली की चीख बाहर तक आई थी.. सुन कर ही मज़ा आ गया।
जय- कुत्तों मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ूंगा.. और रंगीला तू तो मेरा दोस्त है.. फिर भी इनका साथ दे रहा है?
रंगीला- चुप साले.. किसका दोस्त कैसा दोस्त.. हाँ विजय, तूने इसे बताया नहीं क्या.. ये सब हमने क्यों किया है?
विजय- थोड़ा सा बताया है.. बाकी तू बता दे.. बड़ी जल्दी है इसे हा हा हा..
रंगीला- साले, आशा याद है ना तुझे.. उसका इंतक़ाम लेने के लिए मैं तड़प रहा था.. एक दिन नशे में मैंने ये सब विजय के सामने बोल दिया और ये भी किसी ऐसे मौके की तलाश में था। बस उसी दिन हमने सोचा कि मिलकर तुमसे और रश्मि से बदला लेंगे और प्लान के मुताबिक मैंने हॉस्टल में जाल बिछाया कि रश्मि को थोड़ा बिगाड़ कर उसका वीडियो बना लेंगे.. बाद में उस वीडियो के जरिए उससे बदला लेंगे.. मगर वो रंडी हाथ नहीं आई.. तो विजय ने दूसरा प्लान बनाया.. जिससे सबका बदला एक साथ पूरा हो जाए। बस ये साजन को तैयार किया.. ये गेम सब कुछ हमारे हिसाब से फिक्स किया हमने.. और तू साला चूतिया इसमें फँस गया.. हा हा हा हा हा..
विजय- ना ना.. तू कुछ मत बोल.. मैं जानता हूँ तेरे दिमाग़ में क्या चल रहा है.. मैं किस बात का बदला लेना चाहता हूँ.. यही ना.. तो साले ये तेरे उस कुत्ते बाप और रंडी बहन से पूछना तू… तेरे हरामी बाप ने मेरी माँ की लाइफ बर्बाद कर दी और इस रंडी ने मेरी माँ को बार-बार जलील किया.. उसको रंडी कहा.. तभी मैंने सोच लिया था कि इसको रंडी का मतलब में समझाऊँगा.. इसीलिए ये सब किया..
जय- इसका मतलब ये गेम भी फिक्स था.. मुझे सबने मिलकर हराया है.. और ये कोमल भी शायद नकली है..
साजन- हाँ रे.. मेरे भोले दोस्त ये कोई मेरी बहन नहीं है.. कॉलगर्ल है और तू इसके लिए अपनी सग़ी बहन को ले आया.. हा हा हा हा..
रंगीला- जाओ साजन तुम तीनों साथ जाओ एक-एक करके टाइम खराब मत करो..
साजन- ठीक है बॉस.. जैसा आपका हुकुम मगर ये विजय साथ था.. ये बात हमको क्यों नहीं बताई..
रंगीला- तुम्हें याद है.. मैंने कहा था ताश में 4 इक्के होते हैं और हम चारों वो इक्के हैं।
साजन- हाँ बॉस याद है अच्छे से..
रंगीला- तो बस हम चार इक्के हैं और इस गेम का असली खिलाड़ी विजय है.. ये सब इसके दिमाग़ का खेल है..
रंगीला ने शुरू से अब तक की सारी कहानी बताई कि कैसे रश्मि को नशा देकर जय के करीब ले गया.. वो एसी खराब होना विजय का जय को बार-बार मना करना ताकि इसको जरा भी शक ना हो.. सब कुछ एक प्लान था इनका..
जय की तो गाण्ड फट गई ये सब सुनकर… वो कुछ बोलने की हालत में नहीं था..
रानी उसके पास आई और एक तमाचा उसके गाल पर जड़ दिया।
रानी- आशा को मारा तुमने कुत्ते.. अब भुगत अपने किए की सज़ा..
जेम्स- अरे बस कर.. मेरी बुलबुल अभी नहीं.. पहले इसकी बहन को चुद जाने दे.. उसके बाद मार लेना इसको अभी तो मेरा लौड़ा तुझे देख कर मचल रहा है.. चल थोड़ा चूस दे..
विजय- जाओ तुम लोग और मज़ा करो.. तब तक मैं कोमल के साथ थोड़ी मस्ती कर लेता हूँ.. बहुत सुना है इसके बारे में आज उसको भी टेस्ट करके देख लेता हूँ..
साजन- ठीक है भाई.. आप भी मज़ा करो तब तक उस रंडी को हम मसल कर आते हैं।
रंगीला- यार जेम्स बुरा ना लगे तो मैं भी रानी को थोड़ा सा प्यार करना चाहूँगा।
जेम्स- अरे इसमें बुरा क्या लगना.. ये कौन सी मेरी बीवी है.. आ जा तू भी साथ में मज़ा करेंगे..
रंगीला- बहुत खूब यार.. चल चल.. और तुम लोग सुनो.. रश्मि को अभी कुछ मत बताना.. पहले सब मिलकर उसका मज़ा ले लो.. उसके बाद ही बताएँगे कि उसके साथ क्या हो रहा है.. और इस कुत्ते के मुँह पर पट्टी बाँध दो.. ताकि ये साला शोर ना मचा सके..
रश्मि बिस्तर पर लेटी हुई सोच रही थी कि अब साजन आएगा.. तो उसके साथ वो कैसे पेश आएगी.. तभी वो तीनों अन्दर आ गए..
रश्मि- आह्ह.. हैलो.. ये क्या है तुम एक साथ क्यों आए हो? हाँ?
साजन- सुना है तू बहुत बड़ी रंडी है.. तो हमने सोचा एक-एक करके तुझे मज़ा नहीं दे पाएँगे.. इसी लिए एक साथ आ गए..
रश्मि- जाओ यहाँ से.. नहीं मैं किसी को हाथ लगाने नहीं दूँगी हाँ।
साजन उसके पास गया बोला- चुप साली छिनाल.. अब यहाँ तेरी नहीं.. हमारी मर्ज़ी चलेगी.. प्यार से चुदवा ले.. नहीं साली तुझको हम तड़पा-तड़पा कर चोदेंगे..
रश्मि भी जिद्दी थी वो कहाँ मानने वाली थी.. मगर वो अकेली उन तीन के सामने कहाँ टिक पाती.. आनंद और सुंदर ने उसके हाथ पकड़ लिए और साजन ने उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया। वो जानता था.. एक बार ये गर्म हो जाए तो अपने आप लाइन पर आ जाएगी और हुआ भी वैसा ही.. थोड़ी देर बाद रश्मि उत्तेजित हो गई..
रश्मि- आह्ह.. इससस्स.. आह.. मेरे हाथ छोड़ो आह्ह.. चूसो आह्ह.. मेरी चूत में आह्ह.. कुछ हो रहा है.. आह्ह.. तुम दोनों क्या बैठे हो.. मेरे मुँह में लौड़ा घुसा दो.. आह्ह..ईईइ आह..
अब सुंदर और आनंद भी शुरू हो गए..
तीनों नंगे होकर रश्मि के इर्द-गिर्द लेट गए.. कोई उसके मम्मों को चूस रहा था तो किसी का लौड़ा वो चूस रही थी।
लगभग 25 मिनट तक ये तीनों बारी-बारी से रश्मि को चोद कर ठंडे हो गए। इस दौरान साजन ने रश्मि की गाण्ड भी मारी और उसको ज़ोर-ज़ोर से चोदा ताकि वो तेज आवाज में चीखे.. और बाहर जय तड़पे..
जब तीनों का हो गया.. तो वो बाहर आ गए.. अन्दर इन्होंने रश्मि का हाल बेहाल कर दिया था.. इनके लौड़े भले ही बड़े नहीं थे.. मगर इन्होंने उसको काट कर.. चूस कर बहुत परेशान किया था।
जब ये तीनों बाहर आए.. तो इनके चेहरे पर जीत की ख़ुशी साफ नज़र आ रही थी.. जिसे देख कर जय आग-बबूला हो गया।
साजन ने उसका मुँह खोला और उसके मुँह पर थूक दिया- साला बहनचोद कहीं का.. पहले ही चूत और गाण्ड को ढीला कर दिया.. मज़ा ही नहीं आया..
आनंद- बॉस आपने साली को चोद-चोद कर लाल कर दिया.. उसमें कुछ तो मज़ा आया ही होगा ना आपको.. हा हा हा हा..
जय- सालों में किसी को जिंदा नहीं रहने दूँगा.. मैं एक-एक को चुन-चुन कर मारूँगा..
साजन- अरे.. अरे.. कुत्ते को गुस्सा आ गया.. देखो कैसे भौंक रहा है.. साले तेरी बहन की अभी चूत गाण्ड और मुँह को चोद कर आ रहे हैं.. ये तो पहला राउंड है.. अभी तो पूरी रात बाकी है.. उसके बाद सुबह तेरे साथ क्या करेंगे.. तू सोच भी नहीं सकता.. फिर चुन-चुन कर हमें अपना जीजा बोलना.. हा हा हा हा हा..
जय गुस्से में था.. मगर वो कर भी क्या सकता था.. बस वो खून के घूँट पीकर रह गया।
ये तीनों अन्दर थे तो जेम्स और विजय ने क्या गुल खिलाए.. हम वो भी देख लेते हैं।
विजय ने कोमल को अलग कमरे में ले जाना ठीक समझा क्योंकि दूसरे कमरे में रंगीला और जेम्स साथ में रानी को ले गए थे।
विजय- आ जा मेरी जान.. पहले लौड़ा चूस कर मज़ा दे.. उसके बाद मैं तेरी चूत का मज़ा लूँगा।
कोमल- क्यों क्या तुम रश्मि के साथ चुदाई नहीं करोगे?
विजय- नहीं.. वो कैसी भी है.. मगर रिश्ते में मेरी बहन लगती है.. और मुझे बहनचोद शब्द से ही नफ़रत है.. इसलिए मैं उसके साथ कुछ नहीं करूँगा.. मगर उसको रंडी शब्द का मतलब बता दूँगा।
कोमल बड़े प्यार से विजय के लण्ड से खेलने लगी और उधर जेम्स ने रानी को कस कर चुम्बन किया, उसके चूतड़ों को दबा कर मज़ा लेने लगा।
रंगीला- अरे बस भी कर यार.. कोमल को चोद के आया है और रश्मि को चोदना अभी बाकी है.. अब इसको तो बख्श दे.. क्यों तू नन्ही सी जान को परेशान कर रहा है?
जेम्स- तुझे पता है ना.. गाड़ी को जितना चलाओ.. वो उतनी रवां होती है.. अब मैं इसको चोदूँगा थोड़े ही.. बस टाइम पास कर रहा हूँ यार.. और तू भी तो अभी रश्मि को चोद कर आया है।
रंगीला- अरे ऐसे जल्दबाज़ी में मज़ा नहीं आया.. साले वो तीनों जो लाइन लगा के खड़े थे.. अब दोबारा करूँगा तो आराम से करूँगा।
जेम्स- अब मैं मौका दूँगा दोबारा तब करेगा ना.. हा हा हा हा..
रानी- कोई बात नहीं बाबूजी.. मैं किस लिए हूँ.. आप मेरे साथ मज़ा कर लेना। वैसे भी जेम्स तो अब रश्मि को चोद-चोद कर बेहाल कर देगा.. तो आप कहाँ उसको चोद पाओगे।
रानी की बात सुनकर रंगीला खुश हो गया और उसने रानी को गोद में उठा कर बिस्तर पर पटक दिया।
दोनों रानी को चूमने-चाटने लग गए और वो भी उनका साथ देने लगी।
काफ़ी देर तक ये चलता रहा.. रानी को नंगा करके दोनों उसका रस पीने में लगे हुए थे।
उधर विजय ने भी कोमल की मस्त चुदाई की और बियर पीने का बोलकर वो बाहर आ गया।
जब विजय बाहर आया.. उस वक्त तीनों जय का मजाक बना रहे थे।
जय- विजय, रोक ले ये गंदा खेल.. मत कर ऐसा प्लीज़..
विजय- चुप कुत्ते.. इस खेल की शुरुआत तेरे बाप ने की थी.. अब इसका अंत मैं करूँगा।
साजन- विजय भाई.. अब जेम्स को बोल दो, लास्ट में उसका नम्बर है.. फिर दोबारा राउंड घुमाना है।
विजय के चेहरे पर मुस्कान आ गई.. वो उस कमरे में गया.. जहाँ वो दोनों रानी का रसपान कर रहे थे।
विजय- वाह.. तो यहाँ मस्ती चल रही है और वहाँ वो तीनों बाहर आ गए हैं।
जेम्स- क्या बात करते हो.. बड़ी जल्दी आ गए साले.. क्या सब 5-5 मिनट वाले हैं?
विजय- लगता तो ऐसा ही है.. अब क्या इरादा है तुम्हारा.. वो बोलो?
रंगीला- रूको अब लास्ट काम को अंजाम देने दो.. मेरी रानी.. मैं बस अभी आया.. तू तब तक जेम्स से चूत चटवा।
रंगीला वहाँ से सीधा रश्मि के कमरे में गया, उसको देख कर रश्मि थोड़ी चौंक सी गई।
रश्मि- रंगीला तुम वापस कैसे आ गए जेम्स कहाँ है?
रंगीला- डर मत मेरी जान.. मैं तुझे दोबारा चोदने नहीं आया हूँ.. बस इतना बताने आया हूँ कि जेम्स के साथ ऐसे करेगी क्या.. वो हमारा खास मेहमान है.. ज़रा नहा कर फ्रेश हो जा.. उसके बाद करना।
रश्मि- तुम लोगों ने मुझे रंडी समझ लिया क्या.. वो तीन कुत्ते मेरी क्या हालत करके गए हैं.. देखो कैसे जगह जगह निशान बना गए.. अब जैसी हूँ ठीक हूँ.. जेम्स को बोल दो आ जाए।
रंगीला- अगर ऐसी बात है.. तो वो नहीं आएगा.. आज रात भर के लिए तुम्हें उन तीनों के हवाले कर देता हूँ ओके.. खुश?
रश्मि- नो नो प्लीज़.. उन जानवरों को दोबारा यहाँ मत आने दो.. मैं अभी फ्रेश हो जाती हूँ.. जेम्स से कहो कि वो दस मिनट बाद आ जाए।
रंगीला- ठीक है.. मैं बोल दूँगा और सुनो अगर उनसे बचना है.. तो जेम्स को पटा लो.. वो मान गया ना.. तो किसी की हिम्मत नहीं.. उसके आगे आने की आख़िर एसीपी है वो.. तुम समझ रही हो ना बात को..
रश्मि ने ‘हाँ में गर्दन हिला दी और रंगीला वहाँ से वापस बाहर निकल आया… वो जय के पास रुक गया।
रंगीला- अरे कमीनो.. अकेले-अकेले शराब पी रहे हो.. मेरे खास दोस्त को नहीं पिलाओगे क्या?
साजन- अरे इसको पिलाने की क्या जरूरत है.. हम पीकर साले के मुँह में मूत देंगे.. तो इसको भी नशा हो जाएगा।
जय- कुत्ते एक बार मेरे हाथ खोल दे.. उसके बाद देखना मैं क्या करता हूँ?
रंगीला- खोल देंगे यार.. थोड़ा सबर तो कर.. बस ये जेम्स बाकी है तेरी बहन की चूत और गाण्ड की असली ठुकाई यही करेगा.. उसके बाद तुझे आज़ाद कर देंगे.. हम भी तो देखें.. तू क्या करता है?
जय- रंगीला तुम लोगों का वो हाल करूँगा.. तुम सोच भी नहीं सकते..
साजन- अबे चुप साले.. तू क्या बिगाड़ लेगा.. हाँ अभी थोड़ी देर रुक.. हाल तो जेम्स तेरी बहन का खराब करेगा.. साला वो पूरा हब्शी है.. खा जाएगा उसको.. हा हा हा.. अब तेरी बहन की असली चुदाई होगी।
रंगीला- सच कहा तूने साजन.. उसका लौड़ा ऐसा है कि कोई गधी को भी चोदे.. तो वो भी चीखने लगे.. इसकी बहन तो चिल्ला कर घर उठा लेगी।
साजन- बॉस प्लीज़.. एक बात बोलूँ.. कुछ ऐसा नहीं हो सकता कि साली रंडी को जेम्स चोदे और हम सब उसको देख कर मज़े करें.. प्लीज़ कुछ करो ना..
रंगीला- वैसे आइडिया बुरा नहीं है.. चल तू भी क्या याद करेगा.. इस कुत्ते को भी तो दिखा देते हैं.. इसकी रंडी बहन की चुदाई..
आनंद- वाह.. मज़ा आएगा.. तो चलो सब उस कमरे में चलते हैं।
रंगीला- अबे चुप साला चूतिया वहाँ जाने की जरूरत नहीं है.. ये इतनी बड़ी एलसीडी किस लिए लगी है.. इसमें देखना.. सब मिलकर आज तक ट्रिपल एक्स फिल्म देखी है ना.. आज रियल देखना।
साजन- वो कैसे बॉस.. क्या अन्दर कैमरा लगा हुआ है?
रंगीला- हाँ साजन जिस दिन से ये गेम की शुरुआत हुई है.. तब से ये कुत्ते और इसकी बहन का एक-एक सीन रेकॉर्ड किया है हमने.. अब देख मैं कनेक्ट करता हूँ.. साली को नहाता हुआ देखो सबके सब.. उसके बाद जेम्स उसकी कैसी ठुकाई करता है.. वो भी मज़े से देखना सब के सब.. हा हा हा हा हा..
रंगीला ने टीवी ऑन कर दिया जिसमें रश्मि बाथरूम में नहाती हुई सामने आई.. वो अपनी चूत को रगड़-रगड़ कर साफ कर रही थी और मज़े से नहा रही थी।
साजन और सब रश्मि को देख कर गंदी बातें कर रहे थे.. जिससे जय का रहा सहा खून भी सूख गया.. वो तो बस नजरें झुकाए सबकी सुनता जा रहा था।
रंगीला वापस रानी के पास चला गया और जेम्स से कहा- तुम्हारी दुल्हन नहा रही है.. जाओ जाकर आख़िरी सीन पूरा कर दो.. उसके बाद तो उसकी ऐसी दुर्गति होनी है कि वो सपने में भी नहीं सोच सकती।
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