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RE: Muslim Sex सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
चौधराइन
भाग 21 – नया चस्का 2
ग़ोपाल चुपचाप खड़ा था। उससे मदन ने दूसरा पैर दबाने के लिये कहा लेकिन वो खड़ा ही रहा।
"अरे ग़ोपाल, तुम खड़े हो क्यों, दूसरा पांव दबाते क्यों नहीं चलो दबाओ !" चौधराइन माया देवी ने जब अपनी सधी आवाज में आदेश दिया तो गोपाल दूसरे पांव को दबाने लगा। चौधराइन ने मदन को मुस्कुरा के आंख मारी।
" चौधराइन चाची, कहाँ कहाँ दर्द कर रहा है?"
"अरे पूछ मत बेटा, पावों में कमर के नीचे और छाती में दर्द है, खूब जोर से दबाओ।"
चौधराइन ने खुल कर जाँघों, चूतड़ों और बड़ी बड़ी चूचियाँ दबाने का निमंत्रण दे दिया था। मदन पाँव से लेकर कमर तक मसल मसल कर मजा ले रहा था जब कि गोपाल सिर्फ घुटनों तक ही दबा रहा था। मदन ने गोपाल का हाथ पकड़ा और चौधराइन की जांघों के ऊपर सहलाया और कहा कि तुम भी नीचे से ऊपर तक दबाओ। वो हिचका लेकिन मुझे देख देख कर वो भी मायादेवी की शानदार सुडोल गुदाज जांघों लम्बी लम्बी टांगों को नीचे से ऊपर तक मसलने लगा।
2-3 मिनट तक इस तरह से मजा लेने के बाद मदन ने कहा,"चाची साड़ी उतार दें...तो और आसानी होगी..."
"अच्छा, बेटा,..."
"गोपाल, साड़ी खोल दे।" चौधराइन का आदेश गूँजा।
उसने चौधराइन की ओर देखा लेकिन साड़ी खोलने के लिये हाथ आगे नहीं बढ़ाया।
"गोपाल, शरमाते क्यों हो, तुमने तो कई बार अपनी भाभी को नंगी चुदवाते देखा है...यहां तो सिर्फ साड़ी उतारनी है, चल खोल दे।" और चौधराइन ने का गोपाल का हाथ पकड़ कर साड़ी की गांठ पर रखा। उसने शरमाते हुये गांठ खोली और मदन ने साड़ी चौधराइन के बदन से अलग कर दी। काले रंग के ब्लाऊज़ और साया में गजब की माल लग रही थी।
गोपाल को अपनी तरफ़ देखते देख चौधराइन मुस्कुराई, “क्या देख रहा है गोपाल?
"मालकिन, आप बहुत सुन्दर हैं..." अचानक गोपाल ने कहा और प्यार से जांघों को सहलाया।
"तू भी बहुत प्यारा है.." माया ने जबाब दिया और हौले से साया को अपनी घुटनों से ऊपर खींच लिया।
चौधराइन के सुडौल पैर और पिंडली किसी भी मर्द को गर्म करने के लिये काफी थे। वो दोनों पैर दबा रहे थे लेकिन उनकी नजर चौधराइन की मस्त, बड़ी बड़ी मांसल चूचियों पर थी। लग रहा था जैसे कि चूचियां ब्लाऊज़ को फाड़ कर बाहर निकल जायेंगी।
मदन का मन कर रहा था कि फटाफट चौधराइन को नंगा कर चूत मे लण्ड पेल दे। लण्ड भी चोदने के लिये तैयार हो चुका था। और इस बार घुटनों के ऊपर हाथ बढा कर मदन ने हाथ साया के अन्दर घुसेड़ दिया और मखमली जांघों को सहलाते हुये चूत पर हाथ रखा।
फ़ूली हुई खूब बड़ी सी करीब बित्ते भर की मुलायम चिकनी चूत। अच्छा तो चौधराइन ने झाँटे साफ़ कर दीं थीं। मदन से रहा नहीं गया मसल दिया।
एक नहीं, दो नहीं, कई बार लेकिन चौधराइन ने एक बार भी मना नहीं किया।
मदन ने महसूस किया सहलाने से उत्तेजित हो उनकी पुत्तियाँ उभर आयीं और चूत पानी छोड़ने लगी
चौधराइन साया पहने थी और चूत दिखाई नहीं पड़ रही थी। साया ऊपर नाभी तक बंधा हुआ था। मदन उनकी चिकनी की हुई चूत को देखना चाहता था। एक दो बार चूत को फिर से मसला और हाथ बाहर निकाल लिया।
" चौधराइन चाची, साया बहुत कसा बंधा हुआ है, थोड़ा ढीला कर लो.. "
मदन ने देखा कि गोपाल अब आराम से मायादेवी की जांघों को सहला मसल रहा था। गोपाल से कहा कि वो साये का नाड़ा खोल दे। तीन चार बार बोलने के बाद भी उसने नाड़ा नहीं खोला तो मदन ने ही नाड़ा खींच दिया और साया ऊपर से ढीला हो गया।
मदन पांव दबाना छोड़कर चौधराइन की कमर के पास आकर बैठ गया और साये को नीचे की तरफ ठेला। पहले तो उसका चिकना पेट दिखाई दिया और फिर नाभि। मदन ने कुछ पल तो नाभि को सहलाया और साया को और नीचे की ओर ठेला।
अब उसकी कमर और चूत के ऊपर का फ़ूला हुआ भाग दिखाई पड़ने लगा। अगर एक इंच और नीचे करता तो चूत दिखने लगती।
"आह बेटा, छाती में बहुत दर्द है.." माया ने धीरे से कहा । साया को वैसा ही छोड़कर मदनने अपने दोनों हाथ चौधराइन के मस्त और गुदाज लंगड़ा आमों (चूचियों) पर रखे और दबाया। गोपाल के दोनों हाथ अब सिर्फ जांघो के ऊपरी हिस्से पर चल रहा था और वो आंखे फाड़ कर देख रहा था कि ये लड़का कैसे चौधराइन की चूचियां दबा रहा है।
" चौधराइन चाची, ब्लाउज खोल दो तो और आसानी होगी" मदन ने दबाते हुए कहा।
"तो खोल दे न " उसने जबाब दिया और मदन ने झटपट ब्लाउज के सारे बटन खोल डाले और ब्लाउज और ब्रा को चौधराइन की चूचियों से अलग कर दिया।
ब्रा हटते ही लेटी हुई चौधराइन के नुकीले मस्त और गुदाज लंगड़ा आम अपने भार से गोल हो, बड़े बड़े खरबूजों में बदल गये, देख कर मदन झनझना गया और जम कर उन्हें दबाने मसलने लगा और ग़ोपाल से कहा,
"कितनी ठोस है, लगता है जैसे गेंद में किसी ने कस कर हवा भर दी है।" फ़िर घुन्डी को मसल के बोला " क्यों गोपाल कैसा लग रहा है?" मदन जोर जोर से चूचियों को दबा रहा था।
अचानक मदन ने देखा कि गोपाल का एक हाथ चौधराइन की दोनों जांघों के बीच साया के ऊपर घूम रहा है। मदन ने एक हाथ से चूची दबाते हुए गोपाल का वो हाथ पकड़ा और उसे चौधराइन की नाभि के ऊपर रख कर दबाया।
"देख, चिकना है कि नहीं?" ये कह मदन उसके हाथ को दोनों जांघों के बीच चूत की तरफ धकेलने लगा। अचानक मदन चौधराइन के ऊपर झुका और घुन्डी को चूसने लगा।
तभी चौधराइन ने फुसफुसाकर मदन के कान में कहा, "बेटा, तू थोड़ी देर के लिये बाहर जा और देख कोई इधर ना आये.."
मदन ने निपल चूसते चूसते गोपाल के हाथ के ऊपर अपना हाथ रख कर साया के अन्दर ठेला और गोपाल का हाथ चौधराइन के चूत पर आ गया। उसने गोपाल के हाथ को दबाया और गोपाल चूत को मसलने लगा । कुछ देर तक दोनों ने एक साथ चूत को मसला और फिर मदन खड़ा हो गया। ग़ोपाल का हाथ अभी भी चौधराइन की चूत पर था लेकिन साया के नीचे चूत दिख नहीं रही थी।
मदन ने अपना पजामा पहना और गोपाल से कहा,"जब तक मैं वापस नहीं आता, तू इसी तरह मालकिन को दबाते रहना। दोनों चूचियों को भी खूब दबाना।"
मदन दरवाजा खोल कर बाहर आ गया और पल्ला खींच दिया। आस पास कोई भी नहीं था। वो इधर उधर देखने लगा और अन्दर का नजारा देखने की जगह ढूंढने लगा। जैसा हर घर में होता है, दरवाजे के बगल में एक खिड़की थी। उसके दोनों पल्ले बन्द थे। हलके से धक्का दिया और पल्ला खुल गया। बिस्तर साफ साफ दिख रहा था।
चौधराइन ने गोपाल से कुछ कहा तो वो शरमा कर गर्दन हिलाने लगा। मायादेवी ने फिर कुछ कहा और गोपाल सीधा बगल में खड़ा हो गया। माया ने उसके लण्ड पर पैंट के ऊपर से सहलाया और ग़ोपाल झुक कर साया के ऊपर से चूत को मसलने लगा। एक दो मिनट तक लण्ड के ऊपर हाथ फेरने के बाद माया ने पैंट के बटन खोल डाले और गोपाल का साढ़े सात इन्च लम्बा लण्ड फ़नफ़ना के बाहर आ गया। मदन ने सपने में भी नही सोचा था कि इस जरा से लड़के का लण्ड इतना बड़ा होगा । चौधराइन ने झट से उसका टनटनाया हुआ लण्ड पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।
चौधराइन को मालूम था कि मदन जरुर देख रहा होगा, सो उसने खिड़की के तरफ देखा। नजर मिलते ही वो मुस्कुरा दी और लण्ड को दोनों हाथों से हिलाने लगी। गोपाल का लण्ड देख कर वो खुश थी। उधर गोपाल ने भी चूत के ऊपर से साये को हटा दिया तो आज मदन ने भी पहली बार उनकी साफ़ चिकनी की हुई चूत देखी शायद आज ही झांटें साफ की होंगी। उनकी चूत करीब बित्ते भर की फ़ूली हुई मुलायम चुद चुद के हल्की साँवली पड़ गई उत्तेजना से बाहर उठी पुत्तियों वाला टाइट भोसड़ा लग रही थी । जिसे मदन की आंखों के सामने एक लड़का मसल रहा था।
मायादेवी ने कुछ कहा तो गोपाल ने साया बिलकुल बाहर निकाल दिया। अब वो पूरी नंगी थी। शानदार सुडोल संगमरमरी गुदाज और रेशमी चिकनी जांघों के बीच दूध सी सफ़ेद पावरोटी सा भोसड़ा अपने मोटे मोटे होठ खोले लण्ड का इन्तजार करता हुआ लग रहा था।
मायादेवी लण्ड की टोपी खोलने की कोशिश कर रही थी। उसने गोपाल से फिर कुछ पूछा और गोपाल ने ना में गर्दन हिलाई। शायद पूछा हो कि पहले किसी को चोदा है या नहीं। माया ने गोपाल को अपनी ओर खींचा और खूब जोर जोर से चूमने लगी और चूमते-चूमते उसे अपने ऊपर ले लिया।
अब मायादेवी की चूत नहीं दिख रही थी। उन्होंने अपना हाथ नीचे की ओर बढ़ाया और अपने हाथ से लण्ड के सुपाड़े को चूत के मुहाने पर रखा। माया देवी ने गोपाल से कुछ कहा और वो दोनों चूची पकड़ कर धीरे धीरे धक्का लगा कर चुदाई करने लगा।
गोपाल अपने से 20 साल बड़ी गांव की सबसे मस्त सुन्दर और इज्जतदार औरत की चुदाई कर रहा था। मदन अपने लण्ड की हालत को भूल गया और उन दोनों की चुदाई देखने लगा। गोपाल जोर जोर से धक्का मार रहा था और चौधराईन भी अपने भारी चूतड़ उछाल उछाल अपने बेटे की उम्र के लड़के से चुदाई का मजा ले रही थी। यूँ तो गोपाल के लिये चुदाई का पहला मौका था ।
मदन देखता रहा और गोपाल जम कर चौधराइन चाची को चोदता रहा और करीब 15 मिनट के बाद वो चौधराइन के गुदाज बदन पर ढीला हो गया। मदन 2-3 मिनट तक बाहर खड़ा रहा और फिर दरवाजा खोल कर अन्दर आ गया। मुझे देखते ही गोपाल हड़बड़ा कर नीचे उतरा और अपने हाथ से लण्ड को ढक लिया। लेकिन मायादेवी ने उसका हाथ अलग किया और मदन के सामने ही गोपाल के लण्ड को सहलाने लगी।
चौधराइन बिल्कुल नंगी थी। उसने दोनों टांगों को फैला रख्खा था और मुझे अपनी चूत की खुली फांके साफ साफ दिखा रही थीं। मदन उनकी कमर के पास बैठ कर चूत को सहलाने के ख्याल से हाथ लगा। चूत गोपाल के रस से पूरी तरह से गीली हो गई थी।
चौधराइन का आदेश फ़िर गूँजा " गोपाल, इसे मेरे साये से साफ कर दे।"
गोपाल साया लेकर चूत के अन्दर बाहर साफ करने लगा।
गोपाल के लण्ड को सहलाते हुये मायादेवी बोली," गोपाल में बहुत दम है...मेरा सारा दर्द खत्म हो गया।" फिर उसने गोपाल से पूछा,"क्यों रे, तुझे कैसा लगा..?"
गोपाल “जी बहुत अच्छा मालकिन।
फ़िर उन्होंने गोपाल से कहा कि वो उसे बहुत पसन्द करती है और उसने चुदाई भी बहुत अच्छी की। पर उन्होंने गोपाल को धमकाया कि अगर वो किसी से भी इसके बारे में बात करेगा तो वो बड़े मालिक (बड़े चौधरी काका) से बोल गाँव से निकलवा देगी और अगर चुप रहेगा तो हमेशा गोपाल का लण्ड चूत में लेती रहेगी।
गोपाल ने कसम खाई कि वो किसी से कभी चौधराइन मालकिन के बारे में कुछ नहीं कहेगा। ग़ोपाल बहुत खुश हुआ जब चौधराइन ने उससे कहा कि वो जल्दी ही फिर उससे चुदवाने के लिए बुलवायेगी। मायादेवी ने उसे चूमा और कपड़े पहन कर बाहर जाने का आदेश दिया।
मदन ने गोपाल से कहा कि वो आंगन में जाकर अपना काम करे। गोपाल के जाते ही मदन ने दरवाजा अन्दर से बन्द किया और फटाफट नंगा हो गया। लण्ड चोदने के लिये बेकरार था ही। चौधराइन ने नजदीक बुलाया और लण्ड पकड़ कर आश्चर्य से देख सहलाते हुए नखरे से कहने लगी,
"हाय आज मुझे मत चोद क्यों कि अभी अभी मैने चुदवाया है और दोपहर में तेरे बाप से भी चुदवाना है। तू घर की जिस किसी भी लड़की को चोदना चाहे, मैं चुदवा दूंगी..।"
मदन ने कोई जवाब न दे उन्हें लिटा दिया और उनकी दोनों टाँगे अपने कन्धों पर रख लीं जिससे उनकी चूत ऊपर को उभर आयी और दोनों फांके खुलकर लण्ड को दावत सी देने लगीं। मदन ने अपने लण्ड का सुपाड़ा चौधराइन की चूत के मुहाने पर दोनों फांकों के बीच रखा और धक्का मारते हुए कहा –“मेरे बाप से चुदवाना है तो क्या आपकी चूत मेरा लण्ड अन्दर लेने से मना कर देगी।”
गीली चूत मे लण्ड का सुपाड़ा पक से अन्दर घुस गया
चौधराइन "आह्ह्ह्ह्ह..... शाबाश ।"
मदन फ़िर बोला, “देखा कैसे बिना आना कानी किये घुस गया न।”
"आअह्ह्ह्ह्ह्ह....मजा आआआअ ग...याआअ.."
मदन चौधराइन के खरबूजों को थाम कर चोदने लगा।
"चौधराइन, अगर मुझे मालूम होता कि आप इतनी चुदासी रहती हो तो मैं 4-5 साल पहले ही चोद डालता, " कहते हुये मदन ने हुमच कर धक्का मारा।
चौधराइन ने कमर उठा कर नीचे से धक्का मारा और गाल पकड़कर नोचते हुए बोली," "आह्ह्ह्ह्ह..... शाबाश बेटा, वो तो तुझसे चुदवाने के बाद मैने जाना कि लड़कों से चुदवाने का अलग मजा होता है ।
मदन ने धक्का मारते मारते चौधराइन को चूमते हुए बोला
"सच बोल, चौधराइन चाची गोपाल के साथ चुदाई में मजा आया क्या?" मदन का लौड़ा अब आराम से उनके भोसड़े में अन्दर-बाहर हो रहा था।
"सच बोलूं बेटा, पहले तो मैं भी घबरा रही थी कि मैं इत्ती सी उम्र के लड़के के सामने रन्डी जैसी नंगी हो गई हूँ लेकिन अगर वो नहीं चोद पाया तो !" चौधराइन ने गोपाल को याद कर चूतड़ उछाले और कहा," गोपाल ने खूब जम कर चोदा, लगा ही नहीं कि वो पहली बार चुदाई कर रहा है.. मैं मस्त हो गई और अब मैं उससे अक्सर चुदवाया करूँगी।"
"और मैं चौधराइन चाची?" मदनने उसके टमाटर से गालों को चूसते हुये पूछा।
"बेटा, तेरा लौड़ा तो मस्त है ही और तेरे में गोपाल से ज्यादा दम भी है....मजा आ रहा है...."
और उसके बाद दोनों जम कर चुदाई करते रहे और आखिर में मदन के लण्ड ने चौधराइन के चूत में पानी छोड़ दिया। दोनों हांफ रहे थे। कुछ देर के बाद जब ठण्डे हो गये तो मदन ने उनकी चूत की फ़ूली फ़ाँके हथेली में दबोच कर कहा–“आज पता चला चाची कि आप इस रजिस्टर के हिसाब किताब के लिये अक्सर यहाँ आती हैं।”
चौधराइन –“अरे नहीं बेटा अभी तक सिर्फ़ चार नाम ही तो चढ़े हैं एक तेरा बाप सदानन्द दूसरा चौधरी साहब मेरे पति, तीसरा तू औ आज ये चौथा गोपाल बस ।”
मदन–“वाह चाची! चार तो ऐसे कह रही हो जैसे बहुत कम हैं।
चौधराइन –“अरे बेटा क्या करूँ ये चूत साली ऐसा रजिस्टर है कि भरता ही नहीं ।”
मदन मुट्ठी में दबोची उनकी फ़ूली चूत की फ़ाँकों के बीच उँगली चुभोते हुए बोला, “कोई बात नहीं चाची अब मैं इस रजिस्टर की देखभाल किया करूंगा और कोई पन्ना खाली न जाने दूँगा।”
चौधराइन हँसकर घर चली गयीं।
क्रमश:……………………………
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RE: Muslim Sex सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
फ्रेंड्स अब ये सलीम जावेद मस्ताना की दूसरी कहानी आपके लिए
अशोक की मुश्किल
भाग 1
बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा…
अशोक लखनऊ के पास के गाँव का एक गठीले बदन वाला कड़ियल जवान है उसका कपड़ों का थोक का व्यापार लखनऊ कानपुर के आस पास के छोटे छोटे शहरों कस्बों और गाँवों के फुटकर व्यापारियों में फैला है जिसे वो लखनऊ में रहकर चलाता है। उसे अक्सर व्यापार के सिलसिले में शहरों कस्बों और गाँवों में आना जाना पड़ता है. इसीलिए उसे अक्सर रात में भी यहाँ वहाँ रुकना पड़ता है। शादी से पहले अपनी जिस्मानी जरुरतों को पूरा करने के लिए वो यहाँ वहाँ बदमाश लडकियों, औरतों में मुंह मार लेता था, पर धीरे धीरे उसकी प्रचंड काम शक्ति(चोदने कि ताकत) और हथियार (लंड) के आकार की वजह से बड़ी से बड़ी चुदक्कड़ बदमाश लड़की या औरत यहाँ
तक की रंडियां भी एक बार के बाद उसके पास आने से घबराने लगीं ।
दरअसल उसका लंड करीब नाइसिल पावडर के डिब्बे के जितना लम्बा और मोटा था और वो इतनी ज्यादा देर में झड़ता की जो एक बार चुदवा लेती थी वो दोबारा उसके पास भी नहीं फटकती थीं धीरे धीरे वो इतना बदनाम हो गया की जब वो रात में किसी शहर गांव में रुकता तो उसे यूँही (जांघों के बीच लंड दबा के) सोना पड़ता क्योंकि सब औरते उसके बारे में जान गयीं थीं.
पर इसी बीच बिल्ली के भाग्य से छींका टूटा अशोक पास के एक कस्बे में व्यापार के सिलसिले में गया था वहां के फुटकर व्यापारियों से हिसाब किताब करते रात हो गयी तो उन लोगो ने पड़ोस की एक विधवा अधेड़ औरत चम्पा से गुजारिश करके उसके यहाँ अशोक के रुकने का इंतजाम कर दिया. ये विधवा किसी दूर के गाँव से, अपनी जवान खुबसूरत गदराई भतीजी महुआ जिसके माँ बाप कुछ धनदौलत छोड़ गए थे उसे बेचबांच के ये मकान लेकर रहने के लिए आई थी. अतः ये लोग अशोक की असलियत नहीं जानते थे अशोक को महुआ पसंद आ गई और उसने चम्पा से उसका हाथ मांग लिया और दोनों का विवाह हो गया।
सुहागरात को अशोक ने दुलहन का घूँघट उठाया महुआ की खूबसूरती देख उसके मुंह से निकला “सुभान अल्लाह ! मुझे क्या पता था की मेरी किस्मत इतनी अच्छी है।”
ऐसा कहते हुए अशोक ने अपने होंठ उसके मदभरे गुलाबी होठों पर रख दिये। महुआ को चूमते समय उसके बेल से स्तन अशोक के चौड़े सीने पर पूरी तरह दब गये थे वो उसके निप्पल अपने सीने पर महसूस कर रहा था ।
महुआ की फ़ूली बुर पर उसका लण्ड रगड़ खा कर साँप की तरह धीरे धीरे फ़ैल रहा था। महुआ की बुर गर्म हो भी उसे महसूस कर रही थी जिस्मों की गरमी में सारी शरम हया बह गई और अब महुआ और अशोक सिर्फ़ नर मादा बचे थे अशोक की पीठ पर महुआ की और महुआ की पीठ पर अशोक की उँगलियाँ धसती जा रही थी । दोनों ने एक दूसरे को इतनी जोर से भींचा कि अशोक के शर्ट के बटन और महुआ का ब्लाउज चरमरा के फ़टने लगे अपने जिस्मों की गर्मी से पगलाये दोनो ने एक दूसरे की शर्ट और ब्लाउज उतार फ़ेंकी । अब महुआ ब्रा और पेटीकोट में और अशोक अन्डरवियर मे था। महुआ ने अशोक के अन्डरवियर के साइड से उसका टन्नाया हलव्वी लण्ड बाहर निकाल लिया और सहलाने लगी। साँसों की तेज़ी से महुआ का सीना उठबैठ रहा था और उसके बेल से स्तन बड़ी मस्ती से ऊपर नीचे हो रहे थे। अशोक ने उन्हें दोनो हाँथों में दबोच कर, उन पर जोर से मुँह मारा । इससे उत्तेजित हो महुआ ने उसका टन्नाया हलव्वी लण्ड जोर से भीच दिया । तभी अशोक ने उसके पेटीकोट का नारा खीच दिया
महुआ की मोटी मोटी नर्म चिकनी जांघों भारी नितंबों से पेटीकोट नीचे सरक गया। अशोक पागलों की तरह उसके गदराये जिस्म मोटी मोटी नर्म चिकनी जांघों भारी नितंबों को दबोचने टटोलने लगा।
महुआ से अब रहा नहीं जा रहा था, सो उसने अशोक का टन्नाया हलव्वी लण्ड खीचकर अपनी बुर के मुहाने पर लगाया और तड़पते हुए बोली,
"आहहहहहह अशोक, प्लीज़ अब रहा नहीं जाता, प्लीज़ मुझे चोद डालो नहीं तो मैं अपने ही जिस्म की गर्मी में जल जाऊँगी, हाय राजा अब मत तड़पाओ।"
अब अशोक ने और रुकना मुनासिब नहीं समझा। महुआ की टाँगें फ़ैला और एक हाथ उसकी गुदाज चूतड़ों पे घुमाते हुए दूसरे से अपना खड़ा, कड़क, मोटा, गर्म लण्ड पकड़ कर महुआ की फ़ूली हुई पावरोटी सी बुर के मुहाने पर रगड़ते हुए बोला, "चल महुआ, अब होशियार हो जा ज़िंदगी में पहली बार अपनी बुर चुदवाने के लिये। अब तेरी बुर अपना दरवाजा खोल कर चूत बनने जा रही है ।"
महुआ ने सिसकारी ली और आँखें बंद कर लीं । महुआ को पता था कि पहली चुदाई में दर्द होगा, वो अब किसी भी दर्द के लिये तैयार थी । अपना सुपाड़ा ठीक से महुआ की बुर के मुँहाने पे रख कर अशोक ने ज़ोर से दबाया। बुर का मुँह ज़रा सा खुला और अशोक के लण्ड का सुपाड़ा आधा अंदर घुस गया।
महुआ दर्द से कराही,
"इस्स्स्स्स्स्स अशोक।"
वो महुआ की कमर पकड़ कर बोला,
"घबरा मत महुआ, शुरू में थोड़ा दर्द तो होगा फ़िर मजा आयेगा।"
महुआ की कमर कस कर पकड़ कर अशोक ने लण्ड अंदर धकेला पर बुर फ़ैलाकर लण्ड का सुपाड़ा बुर में आधा घुस कर अटक गया था। महुआ ने दर्द से अपने होंठ दाँतों के नीचे दबा लिये और अब ज़रा घबराहट से अशोक को देखने लगी। महुआ की बुर को अपने लण्ड का बर्दास्त करने देने के लिये अशोक कुछ वक्त वैसे ही रहा और महुआ का गदराया गोरा गुलाबी जिस्म सहलाते हुए उसके बेल से स्तन की घुन्डी चूसने लगा, जब अशोक को एहसास हुआ कि महुआ की साँसें सामन्य हो गयी हैं तो फिर अपनी कमर पीछे कर के, महुआ को कस कर पकड़ कर पूरे ज़ोर से उचक के धक्का दिया। इस हमले से अशोक के लण्ड का सुपाड़ा महुआ की कम्सिन, अनचुदी बुर की सील की धज्जियाँ उड़ाते हुए पूरा अन्दर हो गया । अशोक के इस हमले से दर्द के कारण महुआ, अशोक को अपने ऊपर से धकेलने की कोशिश करने लगी और अपनी चूत से अशोक का लण्ड निकालने की नाकाम कोशिश करते हुए ज़ोर से चिल्ला उठी,
"आहहहहहहहह
मैं मर गयीईईईईईई, उ़़फ्फ़्फ़्फ़़ फ्फ़्फ़्फ़फ़्फ़ नहींईंईंईंईं, निकालो लण्ड मेरी बुर से अशोक, फ़ट जायेगी।"
ये देख कर अशोक ज़रा रुका और महुआ का एक निप्पल होठों मे दबाके चुभलाने लगा । अशोक के रुकने से महुआ की जान में जान आयी। उसे अपनी बुर से खून बहने का एहसास हो रहा था । अशोक महुआ के बेल से स्तन की घुन्डी चूस रहा था, उसका गदराया गोरा गुलाबी जिस्म सहला रहा था जब अशोक को एहसास हुआ कि महुआ की साँसें अब सामन्य हो गयी हैं और वो धीरे धीरे अपनी बुर को भी आगे पीछे करने लगी तो उसने हल्के से लण्ड का सुपाड़ा दो-तीन बार थोड़ा सा आगे पीछे किया। पहले तो महुआ के चेहरे पर हलके दर्द का भाव आया फ़िर वो मजे से
"आहहहहह, ओहहहहह"
करने लगी । पर जब कुछ और धक्कों के बाद महुआ ने हल्की सी मुस्कुराहट के साथ अशोक की तरफ़ देखा, तो अशोक समझ गया कि महुआ की चूत का दर्द अब खतम हो गया है। अबकी बार अशोक ने लण्ड का आधा सुपाड़ा बाहर निकाला और फ़िर से धीरे से चूत में धक्का मारा। पर लण्ड का सुपाड़ा फ़िर से चूत में घुस कर अटक गया और महुआ ज़ोर से चिल्ला उठी,
"आहहहहहहहह
मैं मर गयीईईईईईई, उ़़फ्फ़्फ़्फ़़ फ्फ़्फ़्फ़फ़्फ़, बस अशोक अब और नहीं, फ़ट जायेगी।"
अनुभवी अशोक समझ गया कि ये इससे ज्यादा बर्दास्त नहीं कर पायेगी सो मन मार के सुपाड़े से ही चोदने लगा अशोक को इसमें ज्यादा मजा तो नहीं आया पर महुआ के गदराये गोरे गुलाबी जिस्म से खेल सहला और उसके बेल से स्तन की घुन्डी चूसते हुए काफ़ी मशक्कत के बाद आखिरकार वो उसकी छोटी सी चूत में सुपाड़े से ही चोदकर लण्ड झड़ाने में कामयाब हो ही गया इस बीच उसकी हरकतों से महुआ जाने कितनी बार झड़ी और बुरी तरह थक गई। इसीलिए मजा आने के बावजूद महुआ ने अगले दिन चुदवाने से इन्कार कर दिया और फ़िर पहले दिन की थकान और घबराहट को सोच हर रोज ही चुदवाने में टाल मटोल करने लगी। घर में सुन्दर बीबी होते हुए बिना चोदे जीवन बिताना अशोक के लिए बहुत मुश्किल हो रहा था अत: अशोक ने झूठ का सहारा लिया एक दिन उसने महुआ से कहा कि उसके पेट में दर्द है और वो डाक्टर के यहाँ जा रहा है वहाँ से लौट कर उसने महुआ को बताया कि डाक्टर ने दर्द की वजह चुदाई में कमी बताया है और कहा है कि ये दर्द चुदाई करने से ही जायेगा।
ये सुन कर महुआ चुदाने को तैयार हो गई पर उसने सुपाड़े से ज्यादा अपनी चूत में लेने से इन्कार कर दिया क्योंकि उसे सचमुच बहुत दर्द होता था। अशोक भी जो कुछ मिल रहा है उसी को अपना भाग्य समझ इस आधी अधूरी चुदाई पर ही सन्तोष कर जीवन बिताने लगा।
क्रमश:………………
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RE: Muslim Sex सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
अशोक की मुश्किल
भाग 2
चम्पा चाची का चूरन…
गतांक से आगे………………
इसी बीच अशोक व्यापार के सिलसिले में जिस कसबे में उसकी ससुराल थी, वहाँ गया। फुटकर व्यापारियों से हिसाब किताब करते रात हो गयी तो सास से मिलने रात ही में पहुंच पाया और रात में वापस आना ठीक न समझ ससुराल में ही रुक गया उसे देख उसकी विधवा सास चम्पा बहुत खुश हुई। महुआ की तरह वह भी उन्हें चाची ही कहता था।
चाची की उम्र यही कोई 40 या 42 साल के आस पास होगी। उनका रंग गोरा डील डौल थोड़ा भारी पर गठा कसा हुआ, वो तीस पैंतिस से ज्यादा की नहीं लगती थी
अशोक ने पाँव छुए तो वो झुककर उसे कन्धे पकड़ उठाने लगीं तो सीने से आंचल ढलक गया और चाची के हैवी लंगड़ा आमों जैसे स्तनों को देख अशोक सनसना गया।
चाची बोली- “अरे ठीक है ठीक है आओ आओ बेटा मैं रोटी बना रही थी इधर रसोईं मे ही आ जाओ जबतक तुम चाय पियो तबतक मैं रोटी निबटा लूँ।
अशोक ने महसूस किया कि चाची ने ब्रा नहीं पहनी है उसने सोचा शायद रसोई की गर्मी से बचने के लिए उन्होंने ऐसा किया हो।
चाची ने उसे चाय पकड़ाते हुए पूछा – “ महुआ कैसी है?”
बोला-“जी ठीक है।”
अशोक डाइनिंग टेबिल की कुर्सी खींच के उनके सामने ही बैठ गया। चाची रोटी बेलते हुए बातें भी करती जा रहीं थी। उनके लो कट ब्लाउज से फ़टे पड़ रहे उनके कटीले आम जैसे स्तन रोटी बेलते पर और भी छ्लके पड़ रहे थे। जिन्हें देख देख अशोक का दिमाग खराब हो रहा था। वो उनपर से अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था। उसने सोचा ये कोई महुआ की माँ तो है नहीं चाची है मेरा इसका क्या रिश्ता?
अगर मैं इसे किसी तरह पटा के चोद लूँ तो क्या हर्ज है, कौन सा पहाड़ टूट जायेगा। उसने आगे सोचा आज तो महुआ भी साथ नही है मकान में सिर्फ़ हमीं दोनों हैं पता नहीं ऐसा मौका दोबारा कभी मिले भी या नहीं ये सोंच उसने चाची को आज ही पटा के चोदने का पक्का निश्चय कर लिया।
वो चाय पीते और उन कटीली मचलती चूचियों को घूरते हुए चाची को पटाने की तरकीब सोचने लगा।
तभी चाची बोली- क्या सोच रहे हो बेटा बाथरूम में पानी रखा है नहा धो के कुछ खा लो दिन भर काम करके थक गये होगे।”
अशोक(हड़बड़ा के) – “मैं भी नहाने के ही बारे में सोंच रहा था।”
ये कहकर वो जल्दी से उठा और के नहाने चला गया। नहाते नहाते उसने महुआ की चाची को पटा के चोदने की पूरी योजना बना ली थी।
नहा के अपने कसरती बदन पर सिर्फ़ लुन्गी बांध कर वो बाहर आया और जोर जोर से कराहने लगा।
कराहने की आवाज सुन चाची दौड़ती हुई आयीं पर अचानक अशोक के कसरती बदन को सिर्फ़ लुन्गी में देख के सिहर उठीं।
वो बोली- “क्या हुआ अशोक बेटा।”
अशोक(कराहते हुए)- “आह! पेट में बड़ा दर्द है चाची।”
चाची बोली- “तू चल के कमरे में लेट जा बेटा मेरे पास दवा है मैं देती हूँ अभी ठीक हो जायेगा।”
वो उसे सहारा दे के उसके कमरे की तरफ़ ले जाने लगी सहारा लेने के बहाने अशोक ने उन्हें अपने गठीले बदन से लिपटा लिया। अशोक के सुगठित शरीर की मांसपेशियाँ बाहों की मछलियाँ चाची के गुदाज जिस्म में भी उत्तेजना भरने लगी पति की मौत के बाद से वो किसी मर्द के इतने करीब कभी नहीं आई थीं ऊपर से अशोक का शरीर तो ऐसा था जैसे मर्द की कोई भी औरत कल्पना ही कर सकती है। बाथरूम से कमरे की तरफ़ जाते हुए उसने देखा कि उत्तेजना से चाची के निपल कठोर हो ब्लाउज में उभरने लगे हैं वो मन ही मन अपनी योजना को कामयाबी की तरफ़ बढ़ते देख बहुत खुश हुआ। जैसे ही वो चाची के कमरे के पास से निकले वो जान बूझ के हाय करके उसी कमरे में घुस उन्हीं के बिस्तर पर लेट गया जैसे कि अब उससे चला नहीं जायेगा।
चाची ने उसे अपना अचूक चूरन देते हुए कहा- “ये ले बेटा ये चूरन कैसा भी पेट दर्द हो ठीक कर देता है।”
अशोक चूरन खाकर फ़िर लेट गया चाची बगल में बैठ उसका पेट सहलाने लगीं काफ़ी देर हो जाने के बाद भी अशोक कराहते हुए बोला-“हाय चाची मर गया हाय बहुत दर्द है ये दर्द जब उठता है कोई दवा कोई चूरन असर नहीं करता। इसका इलाज तो यहाँ हो ही नही सकता इसका इलाज तो महुआ ही कर सकती है।”
चाची ने अपने अचूक चूरन का असर न होते देख पूछा- “आखिर ऐसा क्या इलाज है जो महुआ ही कर सकती है।”
अशोक कराहते हुए बोला-“हाय चाची मैं बता नहीं सकता मुझे बताने लायक बात नहीं है। हाय मर गया, बड़ा दर्द है चाची।”
चाची ने फ़िर पूछा- “मुसीबत में शर्माना नहीं चाहिये यहां मेरे सिवा और तो कोई है नहीं बता आखिर ऐसा क्या इलाज है जो महुआ ही कर सकती है।”
अशोक कराहते हुए बोला-“ चाची आप नहीं मानती तो सुनिये ये सिर्फ़ औरत से शारीरिक सम्बन्ध बनाने से जाता है अब महुआ होती तो काम बन जाता। हाय बड़ा दर्द है मर गया।”
अशोक का पेट सहलाते हुए चाची ने उसके सुगठित शरीर की मांसपेशियों बाहों की मछलियों की तरफ़ देखा और उन्हें ख्याल आया इस एकान्त मकान में वो यदि इस जवान मर्द के साथ शारीरिक सुखभोग लें तो किसी को कुछ पता नहीं चलेगा। ये सोच उनके अन्दर भी जवानी अंगड़ाइयाँ लेने लगी। वो अशोक को सान्त्वना देने के बहाने उसके और करीब आकर सहलाने गयीं यहाँ तक कि उनका शरीर अशोक के शरीर से छूने लगा वो बोलीं- “ये तो बड़ी मुसीबत है बेटा।”
चाची की आवाज थरथरा रही थी।
अशोक कराहते हुए बोला-“हाँ चाची डाक्टर ने कहा है कि इसका और कोई इलाज नहीं है।”
तभी अशोक के पेट पर सहलाता चाची का हाथ बेख्याली या जानबूझकर अशोक के लण्ड से टकराया सिहर कर चाची ने चौंककर उधर देखा, लुंगी में कुतुबमीनार की तरह खड़े उसके लण्ड के आकर का अनुमान लगा कर उसे ठीक से देखने की अपनी इच्छा को चाची के अन्दर की जवान और भूखी औरत दबा नहीं पायी और अशोक के पेट दर्द की बीमारी का नाजुक मामला उन्हें इसका माकूल मौका भी दे रहा था। सो चाची ने बीमारी के मोआयने के अन्दाज में लुन्गी हटाके उसका नाइसिल पावडर के डिब्बे के जितना लम्बा और मोटा लण्ड थाम लिया उसके आकार और मर्दानी कठोरता को महसूस कर चाची के अन्दर की जवान औरत की जवानी बुरी तरह से अंगड़ाइयाँ लेने लगी। अपनी उत्तेजना से काँपती आवाज में वे बोल उठी,-“अरे बेटा तेरा लण्ड तो खड़ा भी है क्या पेट दर्द की वजह से।”
अशोक(लण्ड अकड़ा के उभारते हुए)-“ –हाँ चाची हाय इसे छोड़ दें।”
चाची की आवाज उत्तेजना से काँपने के अलावा अब उनकी साँस भी तेज चलने लगी थी। वो अशोक के लण्ड को सहलाते हुए बोलीं- “अगर मैं हाथ से सहला के झाड़ दूँ तो क्या तेरा दर्द चला जायेगा।”
अशोक-“अरे ये ऐसी आसानी से झड़ने वाला नहीं है चाची।”
चाची ने सोचा एकान्त मकान, फ़िर ऐसी मर्दानी ताकत(आसानी से न झड़ने वाला), ऐसी सुगठित बाहों की मछलियाँ वाला गठीला मर्द, ऐसे मौके और मर्द की कल्पना तो हर औरत करती है। फ़िर उन्हें तो मुद्दतों से मर्द का साथ न मिला था, ऐसे मौके और मर्द को हाथ से निकल जाने देना तो बेवकूफ़ी होगी।
क्रमश:………………
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07-22-2018, 11:46 AM,
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RE: Muslim Sex सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
अशोक की मुश्किल
भाग 3
चाची का फ़ैसला…
गतांक से आगे…
सो चाची ने खुल के सामने आने का फ़ैसला कर लिया, जी कड़ा कर धड़कते दिल से बोल ही दिया- “बेटा फ़िर तो तेरी जान बचाने का एक ही तरीका है तू मेरे साथ कर ले।
अशोक-“अरे ये क्या कह रही हैं चाची ये कैसे हो सकता है। हाय मैं मरा! आप तो महुआ की चाची यानि कि मेरी सास हैं। ”
चाची अशोक के पथरीले मर्दाने सीने पर झुक अपने ब्लाउज में उभरते उत्तेजना से कठोर हो रहे निपल रगड़ लण्ड को सहलाते हुए बोलीं- ये सच है कि मैं महुआ की चाची हुँ इस नाते वो मेरी मुँहबोली बेटी हुई उसके एवज में मुँहबोली माँ का फ़र्ज मैं अदा कर चुकी उसकी शादी कर उसका घर बसा दिया उसी नाते मैं तेरी मुँहबोली सास हुँ अस्लियत में मेरा तेरा कोई रिश्ता नहीं। तू एक अन्जान मर्द और मैं एक अन्जान औरत।
अशोक(दर्द से छ्ट्पटाने के बहाने लण्ड अकड़ा के उभारते हुए)-“मगर चाची……!
चाची अपनी धोती खींच के खोलते हुए बोली- “क्या अगर मगर करता है वैसे भी आखिर तू मेरी महुआ बेटी का पति है तेरी सास होने के नाते तेरी जान तेरे शरीर की रक्षा भी तो मेरा फ़र्ज है।”
अशोक(उनके हाथ से झूठ्मूठ लण्ड छुटाने की कोशिश करते हुए)-“मगर चाची बड़ी शरम आ रही है। हाय ये दर्द……!!
चाची ने एक ही झटके में अपना चुट्पुटिया वाला ब्लाउज खोल अपने बड़े बड़े विशाल स्तन अशोक की आँखों के सामने फ़ड़फ़ड़ा के कहा-“ इधर देख बेटा क्या मेरा बदन इस लायक भी नही कि तेरे इस पेट दर्द की मुसीबत की दवा के काम आये।”
ये कह के चाची ने अपना पेटीकोट का नारा खींच दिया पेटीकोट चम्पा चाची के संगमरमरी गुदाज भारी चूतड़ों शानदार रेशमी जांघों से सरक कर उनके पैरों का पास जमीन पर गिर गया। चाची ने अशोक बगल में लेट अपना नंगा बदन के बदन से सटा दिया और अपनी एक जाँघ उसके ऊपर चढ़ा दी। अशोक उत्तेजाना से पागल हुआ जा रहा था।
उनके बड़े बड़े विशाल स्तनों के निपल अशोक के जिस्म में चुभे तो अशोक बोला
- “हाय चाची कहीं कोई आ न जाय, जान न जाय।”
चाची –“ अरे यहाँ कौन आयेगा घर का मुख्य दरवाजा बाहर से बन्द है फ़िर भी आवाज बाहर न जाये के ख्याल से मैं कमरे का दरवाजा भी बन्द कर लेती हुँ।”
ये कह वे जल्दी से उठ कमरे का दरवाजा बन्द करने जल्दी जल्दी जाने लगीं। उत्तेजना से उनका अंग अंग थिरक रहा था। वो आज का मौका किसी भी कीमत पर गवाना नही चाहती थी। अशोक दरवाजे की तरफ़ जाती चाची की गोरी गुदाज पीठ, हर कदम पर थिरकते उनके संगमरमरी गुदाज भारी चूतड़ शानदार रेशमी जांघें देख रहा था।
दरवाजा बन्द कर जब चाची घूंमी तो अशोक को अपना बदन घूरते देख मन ही मन मुस्कराईं और धीरे धीरे वापस आने लगीं। अशोक एक टक उस अधेड़ औरत के मदमाते जवान जिस्म को देख रहा था। धीरे धीरे वापस आती चाची की मोटी मोटी गोरी रेशमी जांघों के बीच उनकी पावरोटी सी फ़ूली हुई दूध सी सफ़ेद चूत थी जो कभी जांघों के बीच विलीन हो जाती तो कभी सामने आ जाती। पास आकर चाची मुस्कुराती हुई उसके बिस्तर के दाहिनी तरफ़ इत्मिनान से खड़ी हो गईं क्योंकि अशोक को अपना बदन घूरते देख वो समझ गईं थी कि उसपर पर चाची के बदन का जादू चल चुका है। खड़े खड़े ही चाचीने उसकी लुंगी हटा कर उसका दस इन्ची लण्ड फ़िर से थाम लिया और हाथ फ़ेर के बोली –“ बेटा तेरा ये नाइसिल पावडर के डिब्बे के जितना लम्बा और मोटा हैवी लण्ड महुआ ले लेती है?”
अशोक-“ नहीं चाची सिर्फ़ सुपाड़ा किसी तरह सुपाड़े से चोद के झाड़ लेता हूँ उससे कभी मेरी चुदाई की प्यास नहीं बुझी। वो क्या मुझे आज तक अपने जोड़ की औरत मिली ही नहीं डाक्टरों के अनुसार इसीलिए मुझे हमेशा पेट दर्द रहता है।”
अशोक का लण्ड सहलाती चाची के बड़े बड़े विशाल स्तन, उनके खड़े खड़े निपल, मोटी मोटी गोरी रेशमी जांघें, जांघों के बीच उनकी पावरोटी सी फ़ूली हुई दूध सी सफ़ेद चूत ने अशोक की बर्दास्त खत्म कर दी थी। उसने अपना दाहिना हाथ उनकी कमर के पीछे से डालकर उन्हें अपने ऊपर गिरा लिया। उनके बड़े बड़े विशाल स्तनों के निपल अशोक की मर्दानी छाती में धँस गये।
अशोक ने महसूस किया कि चाची का बदन अभी तक जवान औरतों की तरह गठा हुआ है। वो उनके गुदाज कन्धे पर मुँह मारते हुए बोला-“मुझे आज पहली बार अपने पसन्द की औरत मिली है बदन तो आपका ऐसा है चम्पा चाची कि मैं खा जाऊँ मगर अब देखना है कि इस बदन की चूत मेरे लण्ड के जोड़ की है या नहीं।
चाची हँसते हुए बगल में लेट गई और उसका दस इन्ची हलव्वी लण्ड फ़िर से थाम लिया और हाथ फ़ेरते बोलीं-अशोक।
अशोक-“हाँ चाची ।
चाची “आ जा अब तेरे पेट का दर्द ठीक हो जायेगा क्योंकि ये चाची और उसकी चूत तेरे जोड़ की है।”
अशोक उठकर चाची की जाँघों के बीच बैठ गया और उनकी केले के तने जैसी सुडोल संगमरमरी रेशमी चिकनी और गुदाज मोटी मोटी रानों को सहलाते हुए बोला-“ आह चाची आप कितनी अच्छी हो । बोलते हुए उसका हाथ चूत पर जा पहुँचा। जैसे ही अशोक ने पावरोटी सी फ़ूली हुई दूध सी सफ़ेद चूत सहलाई चाची ने सिसकारी ली
"स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सआ---आ---ह आ---आ---ह।”
चाची ने अपने दोनों हाथों से अपनी चूत की फांके फैलायी अब उनकी मोटी मोटी नर्म चिकनी गोरी गुलाबी जांघों भारी नितंबों के बीच मे उनकी गोरी पावरोटी सी फूली चूत का मुंह खुला दिख रहा था अशोक ने अपने फौलादी लण्ड का सुपाड़ा चूत के मुहाने पर टेक दिया। चाची ने सिसकारी ली –
"स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सआ---आ---ह आ---आ---ह।”
अशोक चूत के मुंह की दोनों फूली फांको के ऊपर अपना फौलादी सुपाड़ा घिसने लगा
चाची की चूत बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी। उत्तेजना में आपे से बाहर हो चाची ने जोर से सिसकारी ली और झुन्झुलाहट भरी आवाज में कहा –
"स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सआ---आ---ह आ---आ---ह अब डाल न।”
ये कह चाची ने उसका लण्ड अपने हाथ से पकड़कर निशाना ठीक किया।
ये देख अशोक ने उन्हें और परेशान करना ठीक नही समझा उसने हाथ बढ़ाकर चाची की सेर सेर भर की चूचियाँ थाम लीं और उन्हें दबाते हुए लण्ड का सुपाड़ा चूत मे धकेला।
पक की आवाज के साथ सुपाड़ा चाची की चूत में घुस गया, पर चाची की चीख निकल गई “आ---आ---ईईईईईह”
क्योंकि चाची की चूत में मुद्दतों से कोई लण्ड नहीं गया था सो वो दर्द से चीख पड़ी थीं पर अशोक के लण्ड के सुपाड़े को बिलकुल कोरी बुर का मजा आ रहा था।
अशोक –“ हाय चाची आपकी चूत तो बहुत टाइट है एकदम कोरी बुर लग रही है।”
चाची(बेकरारी से) –“हाय अशोक बेटा तेरे लण्ड का सुपाड़ा मुझे भी सुहागरात का मजा दे रहा है राजा किस्मत से मुझे ऐसा मर्दाना लण्ड और तुझे अपनी पसन्द की चूत मिली है। मेरी भतीजी महुआ के साथ सुपाड़े से मनाई आधी अधूरी सुहागरात की भरपायी, चाची की चूत में पूरा लण्ड धाँस के आज तू अपने मन की सुहाग रात मना के पूरी कर ले। पर अब जल्दी करमेरी चूत में आग लगी है।”
अशोक -“पर आप पूरा सह लोगी चाची? आपकी चूत भी तो इतनी टाइट छोटी सी ही लगती है मैं आप को तकलीफ़ नहीं पहुँचाना चाहता। मुझे डर लगता है क्योंकि आज तक कोई औरत मेरा पूरा लण्ड सह नहीं पाई है।”
चाची – “अरे तू डर मत बेटा मेरी चूत छोटी होने की वजह से टाइट नहीं है बल्कि इसका टाइट होना एक राज की बात है वो मैं फ़िर बाद में बताऊँगी तू पहले पूरा लन्ड तो डाल मेरी इतने सालों की दबी चुदास भड़क के मेरी जान निकाले ले रही है।
अशोक ने थोड़ा सा लण्ड बाहर खीच के फ़िर धक्का मारा तो थोड़ा और लण्ड अन्दर गया चाची कराहीं–
“उम्महहहहहहहहहहह।”
पर अशोक ने उनके कहे के मुताबिक, परवाह न करते हुए चार धक्कों में पूरा लण्ड उनकी चूत में ठाँस दिया
जैसे ही अशोक के हलव्वी लण्ड ने चाची की चूत की जड़ बच्चेदानी के मुँह पर ठोकर मारी, उनके मुँह से निकला- “ओहहहहहहहहहहह शाबाश बेटा।”
आज तक चाची ने जिस तरह के लण्ड की कल्पना अपनी चूत के लिए की थी अशोक के लण्ड को उससे भी बढ़ कए पाया उनके आनन्द का पारावार नहीं था। चाची ने अपनी टाँगे उठा के अशोक के कन्धों पर रख ली। अशोक ने उनकी जांघों के बीच बैठे बैठे ही चुदाई शुरू की। पॉव कन्धों पर रखे होने से लण्ड और भी अन्दर तक जाने लगा। उनके गोरे गुलाबी गद्देदार चूतड़ अशोक की जॉंघों से टकराकर उसे असीम आनन्द देने लगे। साथ ही उसको उनकी सगंमरमरी जॉंघों पिन्डलियों को सहलाने और उनपर मुँह मारने में भी सुविधा हो गई। उसके हाथ चाची की हलव्वी चूचियाँ थाम सहला रहे थे बीच बीच में वो झुककर उनके निपल जीभ से सहलाने और होठों में दबाके चूसने लगता।
धीरे धीरे चाची के बड़े बड़े स्तनों पर उसके हाथों और होठों की पकड़ मजबूत होती गई और कमरे में सिसकारियॉ गूँजने लगी। चाची टॉगें ऊपर उठाकर फैलाती गईं अशोक की रफ्तार बढ़ती गई और अब उसका लण्ड धॉस के पूरा अन्दर तक जा रहा था। अब दोनों घमासान चुदाई कर रहे थे। अब चाची अपने भारी चूतड़ उछाल उछाल के चुदवाते हुए सिसकारियॉं भरते हुए बड़बड़ा रही थीं- “शाबाश बेटा! मिटाले अपना पेट का दर्द और बुझा दे इस चुदासी चाची की उमर भर की चुदास, जीभर के चोद।
अशोक चाची के दबाने मसल़ने से लाल पड़ बडे़ बड़े स्तनों को दोनों हाथों में दबोचकर चूत में धक्का मारते हुए कह रहा था- “उम्म्हये चाची तुम कितनी अच्छी हो सबसे अच्छी हो, इस तरह पूरा लण्ड धँसवा धँसवा के आजतक किसी ने मुझसे नही चुदवाया इतना मजा मुझे कभी नहीं आया। उम्म उम्म उम्म लो और लो चाची आह”
चाची (भारी चूतड़ उछाल उछाल के सिसकारियॉं भरते हुए)- “इस्स्स्साह बेटा! किसी लण्ड की कीमत उसके जोड़ की चूत ही जान सकती है उन सालियों को क्या पता तेरे लण्ड की कीमत, मेरी चूत तेरे लण्ड के जोड़ की है तेरा लंड तो लाखों मे एक है बेहिचक चोदे जा, फ़ाड़ दे अब जबतक तू यहाँ है रोज मेरी चूत फ़ाड़ मैं रोज तेरे लंड से अपनी चूत फ़ड़वाऊंगी ह्म्म उम्म्म्ह उम्म्म ह्म्म उम्म्म्ह उम्म्म!!!!!!! अब तू जब भी यहाँ आयेगा मेरी चूत को अपने लण्ड के लिए तैयार पायेगा।
अब दोनों दनादन बिना सोचे समझे पागलों की तरह धक्के लगा रहे थे दोनों को पहली बार अपने जोड़ के लन्ड और चूत जो मिले थे। आधे घण्टे कि धुँआधार चुदाई के बाद अचानक अशोक के मुँह से निकला - आह चाची लगता है मेरा होने वाला है। आआअह अआआह मुझसे रुका नहीं जायेगा।
चाची-“ उम्मईईईईईईईईईई मैं भी झड़नेवाली हूँ बेटा।”
आ---आ---ह आ---आ---ह उ—ईईई ह्म्म आ--ईईई आ---आ---ह आ---आ---ह उ—ईईई आ--ईईई,. " मैं तो गईईर्र्र्र्ईईई।
“आह चाची आ---आ---ह आ---आ---ह उ—ईईई आ--ईईई आ---आ---ह आ---आ---ह उ—ईईई आ—ईईई मेरा भी छुट गया आह।”
अशोक थक कर चाची के बदन पर बिछ सा गया। वो अपनी उखड़ी सॉसों को सम्हालने की कोशिश करते हुए उनका चिकना बदन सहलाने लगा।
चाची –“अब दर्द कैसा है बेटा।
अशोक उनके ऊपर से हट बगल में लेट बोला- अब आराम है चाची।
फ़िर मुस्कुरा के उनकी चूत पर हाथ फ़ेर के बोला-“आपकी इस दवा ने जैसे सारा दर्द निचोड़ लिया।”
क्रमश:………………
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RE: Muslim Sex सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
अशोक की मुश्किल
भाग 4
राज की बात…
गतांक से आगे…
चाची ने भी मुस्कुरा के उसकी तरफ़ करवट ली और अपनी गोरी मोटी मांसल चिकनी जाँघ उसके ऊपर चढ़ा लन्ड पे रगड़ते हुए बोलीं- “एक बात सच सच बताना बेटा मैं बुरा नहीं मानूँगी। देख मैं भी उम्र दराज औरत हूँ मैंने भी दुनियाँ देखी है ये बता कि सचमुच तेरे पेट में दर्द था या तू सिर्फ़ मुझे चोदने का बहाना खोज रहा था क्योंकि मैंने तेरी आँखों को चोरी चोरी मेरा बदन घूरते देखा है।”
अशोक ने फ़िर झूठ का सहारा लिया-“अब क्या बताऊँ चाची दोनों बातें सही हैं। दरअसल चुदाई की इच्छा होने पर मुझे पेट दर्द होता है। जब आपको रसोई में सिर्फ़ धोती ब्लाउज में देखा………………।”
“तो पेट दर्द शूरू होगया।” चाची ने मुस्कुरा के वाक्य पूरा किया।
अशोक ने झेंपते हुए कहा-
“अरे छोड़िये न चाची”
कहते हुए उनके बायें स्तन के निपल को उंगलियों के बीच गोलियाते मसलते हुए और दायें स्तन के निपल पर जीभ से गुदगुदा के स्तन का निपल अपने होठों मे दबा उनके विशाल सीने में अपना मुँह छिपा लिया और उनके मांसल गुदाज बदन से लिपट गया.
अब उसका लण्ड कभी चाची की मोटी मोटी चिकनी गुलाबी जांघों कभी भारी नितंबों तो कभी उनकी चूत से रगड़ खा रहा था।
अशोक झेंपते हुए मुस्कुरा के बात बदलने की कोशिश की-“अच्छा ये बताइये आप कह रहीं थी कि चूत टाइट होना राज की बात है। कैसा राज?”
चाची –“ अरे हाँ बेटा ये तो बड़े काम की बात याद दिलाई। तू कह रहा था कि महुआ तेरे लण्ड का सिर्फ़ सुपाड़ा किसी तरह ले पाती है क्योंकि उसकी चूत बहुत छोटी है पहले मेरी भी बल्कि उससे भी छोटी ही थी मेरे मायके के पड़ोस मे एक वैद्यजी रहते हैं उनका एक लड़का चन्दू था जब मैं 15 साल की थी तो वो चन्दूजी 16 या 17 के होंगे। हमारा एक दूसरे के घर आना जाना भी था। अब ठीक से याद नहीं पर धीरे धीरे जाने कैसे चन्दूजी ने मुझे पटा लिया और एक दिन जब हम दोनों के घरों में कोई नहीं था वो मुझे अपने कमरे में ले गये और चोदने की कोशिश करने लगे पर एक तो 15 साल की उम्र, ऊपर से जैसा मैंने बताया मेरी कुंवारी बुर मेरी अन्य सहेलियों के मुकाबले छोटी थी सो लण्ड नहीं घुसा, तभी चन्दू उठा और अपने पिताजी के दवाखाने से एक अजीब मलहम जैसा ले आया, उसे मेरी बुर और अपने लण्ड पर लगाया उसे लगाते ही बुर मे चुदास कि गर्मी और खुजली बढ़ने लगी तभी वो अपना लण्ड मेरी बुर पे रगड़ने लगे थोड़ी ही देर में मैं खुद ही अपनी बुर में उनका लण्ड लेने की कोशिश करने लगी थोड़ी ही देर में आश्चर्यजनक रूप से मैंने उनका पूरा सुपाड़ा अपनी बुर मे ले लिया पर उस दिन उससे ज्यादा नही ले पाई चन्दू ने भी सुपाड़े से ही चोद के संतोष कर लिया।
पर अब तो मुझे भी चस्का लग गया था, अगले दिन फ़िर मैं मौका देख कर उनके के पास पहुंची वो बहुत खुश हुए और हम दोनों चुदाई करने की कोशिश करने लगे। पर मेरे आश्चर्य का ठिकाना न रहा जब आज आधे सुपाड़े के बाद लण्ड ने घुसने से इन्कार कर दिया पूछने पर वो मुस्कुराये और उन्होंने बताया कि उनके वैद्य पिता एक अनोखा मलहम(जो कि उन्होंने कल लगाया था) बनाते हैं। अगर कम उम्र की लड़कियाँ उसे अपनी बुर पे लगा के चुदवाने की कोशिश करें तो धीरे धीरे कुछ ही समय में बुर में रबड़ जैसा लचीलापन आ जाता है पर बुर ढ़ीली नहीं होती यहाँ तक कि भयंकर चुदक्कड़ बन जाने पर भी चूतें कुंवारी बुर की सी टाइट रहती हैं पर साथ ही अपने लचीलेपन के कारण बड़े से बड़ा लण्ड लेने में उन्हें कोई परेशानी नहीं होती। मैं बहुत खुश हुई।
इस बीच चाचा मलहम ले आये मेरी चूत पर लगाने लगे, मैं तो चुदासी थी ही सो उनसे उस मलहम का इस्तेमाल कर चुदवाने को तैयार हो गई। कुछ ही दिनों में देखते ही देखते मैं आसानी से उनके पूरे लण्ड से चुदवाने लगी। मेरी बुर चुद के बुर से चूत बन गई, पर देखने और इस्तेमाल मे पन्द्रह सोलह साल की बुर ही लगती रही, आज भी लगती है तूने भी देखा और महसूस किया है।चन्दू चाचा से गाँव की शायद ही कोई लड़की बची हो? धीरे धीरे वो बदमाश लड़कियों मे पहले चन्दू चाचा फ़िर चोदू चाचा के नाम से मशहूर हो गये और अभी भी हैं। वो अभी भी अपने हुनर का उस्ताद है और अभी भी नाम कमा रहे है।”
इतना बताते बताते चाची मारे उत्तेजना के हाँफ़ने लगीं क्योंकि एक तो उनकी ये गरमागरम कहानी ऊपर से उनके जिस्म पर अशोक की हरकतें, इन दोनों बातों ने उन्हें बहुत गरम कर दिया था। इस समय वो चाची की मोटी मोटी नर्म चिकनी जांघों के बीच अपना फ़ौलादी लण्ड दबाकर, बारी बारी से उनके निपल चूसते हुए, अपने हाथों से उनके बड़े बड़े भारी नितंबों को दबोच टटोल रहा था।
अशोक ने पूछा –“उम्म क्या आप उनसे महुआ की चूत ठीक करवा सकती हैं।”
अशोक की हरकतों के कारण सिस्कारियाँ भरते हुए-“इस्स्स्स आ~ह उइइईई अम्म्म्म आआह हाँ पर उसके लिए तो महुआ को चन्दू चाचा से चुदवाना पड़ेगा।”
अशोक बायें हाथ से चाची की पावरोटी सी चूत के मोटे मोटे होठ फ़ैला, दायें हाथ से चूत के मुहाने पर अपने लण्ड का सुपाड़ा धीरे धीरे घिसते हुए बोला- “अरे तो कौन सी उसकी चूत घिस जायेगी उल्टे आपकी तरह हमेशा के लिए जवान बनी रहेगी साथ ही हमेशा के लिए सारी परेशानी दूर हो जायेगी सो अलग।”
चूत पे लण्ड घिसने से चाची की सिसकारियाँ और साँसे और भी तेज होने लगी –“ इस्स्स्स आ~ह उइइईई अम्म्म्म आआ~~ शैतान ! पर तुझे महुआ को फ़ुसलाकर चाचा से चुदवाने के लिए तैयार करना पड़ेगा।”
अशोक- “मेरे ख्याल से चुदाई करते हुए सोचें तो इसका कोई न कोई तरीका सूझ जायेगा।”
अचानक चाची ने एक झटके से उसे पलट दिया और बोली- “अच्छा ख्याल है तू आराम से लेटे लेटे चाची से चुदवाते हुए सोच और चाची का कमाल देख इसबार मैं चोदूंगी, तुझे ज्यादा मजा आयेगा जिससे सोचने में आसानी होगी और तेरा बचखुचा दर्द भी चला जायेगा।”
वो अशोक के ऊपर चढ़ गयी और बायें हाथ की दो उँगलियों से अपनी पावरोटी सी चूत के मोटे मोटे होठ फ़ैलाये और दायें हाथ से उसके लण्ड को थाम, उसका सुपाड़ा अपनी, चुदास से बुरी तरह पनिया रही अपनी चूत के मुहाने से सटाया और दो ही धक्कों में पूरा लण्ड चूत में धंसा लिया और सिसकारियॉं भरते हुए अपने होंठों को दांतों में दबाती हुयी चूतड़ उछाल उछालकर धक्के पे धक्का लगाने लगी ।
अशोक के लिए ये बिलकुल नया तजुर्बा था उसने तो अब तक औरतों को अपने फ़ौलादी लण्ड से केवल डरते,बचते, चूत सिकोड़ते ही देखा था शेरनी की तरह झपटकर लण्ड को निगल जाने वाली चाची पहली औरत थीं सो अशोक को बड़ा मजा आ रहा था। उनके बड़े बड़े उभरे गुलाबी चूतड़ अशोक के लण्ड और उसके आस पास टकराकर गुदगुदे गददे का मजा दे रहे थे। वो दोनों हाथों से उनके गदराये गोरे गुलाबी नंगे उछलने जिस्म को, गुदाज चूतड़ों को दबोचने लगा। उनके उछलते कूदते तरबूज जैसे स्तन देख अशोक उनपर मुँह मारने लगा । कभी निपल्स होठों मे पकड़ चूसने लगता, पर अशोक का पूरा लण्ड अपनी चूत मे जड़ तक ठोकने के जुनून में चाची उसके लण्ड पे इतनी जोर जोर से उछल रहीं थी कि निपल्स बार बार होठों से छूट जा रहे थे। वो बार बार झपट कर उनकी उछलती बड़ी बड़ी चूचियाँ पकड़ निपल्स होठों में चूसने के लिए दबाता पर चाची की धुआँदार चुदाई की उछल कूद में वे बार बार होठों से छूट जा रहे थे करीब आधे घण्टे की धुआँदार चुदाई के बाद इन दोनों खाये खेले चुदक्क्ड़ उस्तादों ने एक दूसरे को सिगनल दिया कि अब मंजिल करीब है सो अशोक ने दोनों हाथों मे बड़ी बड़ी मसलने से लाल पड़ गई चूचियाँ पकड़कर एक साथ मुंह में दबा ली इस बार और उनके चूतड़ों को दबोचकर अपने लण्ड पर दबाते हुए चूत की जड़तक लण्ड धॉसकर झड़ने लगा तभी चाची अपनी चूँचियाँ अशोक के मुँह में दे उसके ऊपर लगभग लेट सी गईं और उनके मुँह से जोर से निकला-
“उहहहहहहहहहहह ”
वो जोर से उछलकर अपनी पावरोटी सी फूली चूत में जड़ तक अशोक का भयंकर फ़ौलादी लण्ड धॉंसकर और उसे लण्ड पर बुरी तरह रगड़ते हुए झड़ने लगी ।
दोनो झड़के पूरी तरह से निचुड़ गये थे। चाची बुरी तरह पस्त हो अशोक के ऊपर पड़ी थीं तभी अशोक ने पलट के चाची को नीचे कर दिया। अब अशोक उनके ऊपर आ गया था उसने चाची के बायें स्तन पर हाथ फ़ेरते हुए और दायें स्तन के निपल पर जीभ से गुदगुदाते हुए कहा-“मैंने महुआ को राजी करने का तरीका सोच लिया है बस आप चन्दू चाचा को उनकी दवा के साथ बुलवा लीजिये। सुबह महुआ को फ़ोन करेंगे मैं जैसा बताऊँ आप उससे वैसा कहियेगा समझ लीजिये काम हो गया।”
चाची-“ठीक है सबेरे ही फ़ोन करके मैं चन्दू चाचा को भी बुलवा लेती हूँ।”
फ़िर अशोक ने उन्हें समझाना शुरू किया कि उन्हें सुबह महुआ से फ़ोन पर कैसे और क्या बात करनी है। ऐसे ही एक दूसरे से लिपटे लिपटे सबेरे की योजना पे बात करते हुए कब उन्हें नींद आ गई पता ही नही चला।
क्रमश:……………
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RE: Muslim Sex सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
अशोक की मुश्किल
भाग 5
अशोक का प्लान…
गतांक से आगे…
दूसरे दिन सबेरे ही सबेरे चाची ने फ़ोन करके चन्दू चाचा को बुलवा भेजा। फ़िर रोजमर्रा के कामों से निबट कर दोनों ने नाश्ता किया और चाची के कमरे में पलंग पर बैठ इतमिनान से एक बार फ़िर इस बात पर गौर किया कि महुआ से फ़ोन पर कैसे और क्या बात करनी है। पूरी तरह से तैयारी कर लेने के बाद अशोक की योजना अनुसार स्पीकर आनकर महुआ को फ़ोन मिलाया।
महुआ –“हलो!”
चाची-“महुआ बेटी मैं चाची बोल रही हुँ कैसी हो बेटी।
महुआ-“अच्छी हूँ चाची! आप कैसी हैं? रात अशोक वापस नहीं आए लगता है आपके पास रुक गये।
चाची-“ मैं ठीक हुँ बेटी! दामाद जी के साथ तू भी क्यूँ नहीं चली आई चाची से मिलने, महुआ।
महुआ-“मैंने सोंचा ये अपने काम से जा रहे हैं। कहाँ मुझे साथ साथ लिए फ़िरेगें, अकेले रहेंगे, तो काम जल्दी निबटा कर शाम तक वापस आ जायेंगे।
चाची(तेज आवाज में)-“पर क्या तुझे अशोक के अचानक उठने वाले पेट दर्द का ख्याल नहीं आया क्या इस बात का ख्याल रखना तेरी जिम्मेदारी में नहीं आता? मुझे तो इस बात का पता ही नहीं………
महुआ( घबरा के बीच में बात काटते हुए)-“हाय, तो क्या दर्द उठा था?”
चाची-“वरना मुझे कैसे पता चलता? मुझे कोई सपना तो आया नहीं।
महुआ( घबराहट से)- “अशोक ठीक तो है? क्योंकि उसमें तो कोई दवा………
चाची-“……असर नही करती। घबरा मत, अशोक अब ठीक है। वो यही मेरे पास है स्पीकर आन है ले बात कर, बोलो अशोक बेटा। ”
अशोक-“हलो महुआ! घबरा मत मैं ठीक हूँ।“
चाची ने आगे अपनी बात पूरी की-“हाँ तो मैं बता रही थी कि रात का समय, ये एक छोटा सा गाँव, न कोई डाक्टर, ना वैद्य। उसपे तुर्रा ये मैं अकेली बूड्ढी औरत।”
बुड्ढी शब्द सुनते ही अशोक ने आँख मार के उनकी कमर में हाथ डाल के अपने से सटा लिया।
महुआ(फ़िक्र से)- “ये तो मैंने सोंचा ही नही था। अशोक को तो बड़ी तकलीफ़ हुई होगी। फ़िर क्या तरकीब की चाची?
चाची-“ऐसी हालत में बिना डाक्टर, वैद्य के कोई कर भी क्या सकता है जब चूरन मालिश किसी भी चीज का असर नहीं हुआ तो मुझसे लड़के का तड़पना देखा नही गया। एक तरफ़ मेरी अपनी मान मर्यादा थी दूसरी तरफ़ मेरी बेटी के सुहाग की जान पे बनी हुई थी मैने सोंचा मेरी मान मर्यादा का अब क्या है मेरी तो कट गई, पर बेटी तेरे और अशोक के आगे तो सारी जिन्दगी पड़ी है । आखीर में जीत तेरी हुई और मुझे वो करना पड़ा किया जो ऐसे मौके पे तू करती है।”
महुआ- “हे भगवान! ये आपने कैसे…चाची… ये समाज……।
अशोक की पहले से सिखाई पढ़ाई तैयार चाची बात काटकर बोली –“मैंने जो किया मजबूरी में किया, आज हम दोनों चाची और भतीजी के पास अशोक के अलावा और कौन सहारा है, भगवान न करे अगर अशोक को कुछ हो जाता तो क्या ये समाज हमें सम्हालता। फ़िर रोने और इस समाज के हाथों का खिलौना बन जाने के अलावा क्या कोई चारा था, सो समाज का नाम तो तू न ही ले तभी अच्छा। तू अपनी बता तेरे लिए अशोक की जान या समाज में से क्या जरूरी था।
महुआ जिन्दगी की इस सच्चाई को समझ भावुक हो उठी- “नहीं नहीं मेरे लिए तो अशोक की जिन्दगी ही कीमती है आपने बिलकुल ठीक किया मेरे ऊपर आपका ये एक और अहसान चढ़ गया।”
चाची की आवाज भी भावुक हो उठी- “अपने बच्चों के लिए कुछ करने में अहसान कैसा पगली।”
महुआ को दूसरी तरफ़ फ़ोन पे ऐसा लगा कि चाची बस रोने ही वाली हैं सो माहौल को ह्ल्का करने की कोशिश में हँस के बोली-“अरे छोड़ो ये सब बातें चाची ये बताओ मजा आया कि नहीं आया तो होगा। सच सच बोलना।”
महुआ की हँसी सुन अशोक और चाची दोनों की जान में जान आई अशोक तो चाची से लिपट गया।
चाची झेंपी हुई आवाज में - “चल हट शैतान! तुझे मजाक सूझ रहा है यहाँ इस बुढ़ापे में जान पे बन आई। कितना तो बड़ा है लड़के का!
कहते हुए चाची ने लुंगी मे हाथ डाल अशोक का हलव्वी लण्ड थाम लिया।
महुआ(हँसते हुए)-“क्या चाची?”
-“चुप कर नट्खट! शुरू में तो मेरी आँखे ही उलटने लगी थीं, लगा कि कही मैं ही ना टें बोल जाऊँ।
चाची ने लण्ड सहलाते हुए साफ़ झूठ बोल दिया। इस बीच अशोक उनका ब्लाउज खोल के गोलाइयाँ सहलाने लगा था।”
महुआ-“अरे छोड़ो चाची! अब तो हम दोनों एक ही केला खा के सहेलियाँ बन गये हैं
मुझसे क्या शर्माना!”
अब चाची को भी जोश आ गया उन्होंने नहले पर दहला मारा- “ठीक है सहेली जी जब मिलोगी तो विस्तार से बता दूँगी पर फ़ोन पर तो बक्श दो। हाँ खूब याद दिलाया इस हादसे के बाद अशोक ने बताया कि तू अभी तक उसका आधा भी…… ।”
महुआ-“मैं क्या करूँ चाची आपने मुझे बचपन से देखा है जानती ही हैं, कहाँ मैं नन्हीं सी जान और कहाँ अशोक। अभी आपने भी मानाकि वो बहुत……।”
चाची-“इसका इलाज हो सकता है बेटी। मेरे गांव के एक चाचा वैद्य हैं। चन्दू चाचा, वो इसका इलाज करते हैं, दरअसल मेरा हाल भी तेरे जैसा ही था मैंने भी उन्हीं से इलाज कराया, ये उनके इलाज का ही प्रताप है कि मैं कल का हादसा निबटा पाई।”
ये कहते हुए चाची ने शैतानी से मुस्कुरा कर अशोक की ओर देखते हुए उसका लण्ड मरोड़ दिया।
फ़िर आगे कहा –“मैंने अशोक से भी बात कर ली है, वो तैयार है। ले तू खुद ही बात कर ले।”
अशोक-“ महुआ! मैं बहुत शर्मिन्दा हूँ पर रात में इसके अलावा और कोई चारा नजर नही आया।”
महुआ–“छोड़ यार! वैसे अब तबियत कैसी है। चाची ने मुझे वख्त की नजाकत बतायी थी मैं समझती हूँ और हाँ! ये बताओ ये इलाज का क्या किस्सा है? ”
–“ये इलाज भी लगभग उतना ही असामाजिक और शर्मिन्दगी भरा है जितना कि कल का हादसा। पर मेरे तेरे और चाची के बीच शर्माने को अब कुछ बचा तो है नहीं।”
अशोक ने चाची की चूचियों पर अपना सीना रगड़ते हुए जवाब दिया।
महुआ–“अगर तुम्हें मंजूर है तो मुझे कोई एतराज नहीं। वैसे भी ठीक होना तो मैं भी चाहती हूँ शर्मा के पूरी जिन्दगी तकलीफ़ झेलने से तो अच्छा है कि एक बार शर्मिन्दगी उठा के बाकी की जिन्दगी आराम से बितायें।”
अशोक –“तब तो मेरे ख्याल से इससे पहले कि कोई और हादसा हो हमें ये इलाज करा लेना चाहिये। अगर तुम्हें एतराज ना हो तो मेरी तरफ़ से पूरी छूट है। चाची तुम्हें ठीक से समझा देंगी ।”
कहकर अशोक ने चाची के पेटीकोट को पकड़ कर नीचे खींच दिया। अब वो पूरी तरह नंगी हो चुकी थीं।
चाची ने अशोक की लुंगी खीच के उसे भी अपने स्तर का कर लिया और नंगधड़ंग उससे लिपटते हुए बोलीं –“मैं चन्दू चाचा को भेज रही हूँ विश्वास रख सब ठीक हो जायेगा, बस तू दिल लगा के मेहनत से उनसे इलाज करवाना। करीब हफ़्ते भर का इलाज चलेगा। अशोक के सामने तुझे झिझक आयेगी और वैसे भी जितने दिन तेरा इलाज चलेगा उतने दिन तुझे अशोक से दूर रहना होगा तो तू उसका ख्याल न रख पायेगी सो उसे मैं तबतक यहीं रोक लेती हूँ।”
महुआ ने फ़िर छेड़ा –“ओह तो जितने दिन मेरा इलाज यहाँ चलेगा उतने दिन अशोक का वहाँ चलेगा। वाह चाची! तुम्हारे तो मजे हो गये, मस्ती करो।”
चाची के भारी चूतड़ों को हाथों से दबोचते हुए, जवाब अशोक ने दिया –“ तुझे ज्यादा ही मस्ती सवार हो रही है ठहर जा, चन्दू चाचा से कह देते हैं वो इलाज के दौरान तेरी मस्ती झाड़ देंगें।”
चाची ने अशोक का लण्ड थाम उसका हथौड़े सा सुपाड़ा अपनी गुलाबी चूत पर रगड़ते हुए कहा-“बिलकुल ठीक कहा बेटा! यहाँ तो जान पे बनी है इसे मस्ती की सूझ रही है।
महुआ-“हाय! तो क्या इलाज में वो सब भी होता……
अशोक (चाची की चूत पे अपने लण्ड का सुपाड़ा हथौड़े की तरह ठोकते हुए)-“और नहीं तो क्या बिना चाकू लगाये आपरेशन हो जायेगा। पर चन्दू चाचा की गारन्टी है और चाची ने तो आजमाया भी है कि उनके मलहम में वो जादु है कि तुझे तकलीफ़ बिलकुल न होगी।”
महुआ –“हे भगवान! ठीक से सोच लिया है अशोक। तुम्हें बाद में बुरा तो नहीं लगेगा।
अशोक(चाची की हलव्वी चूचियों पे गाल रगड़ते हुए) –“तू जानती है कि मैं कोई दकियानूसी टाइप का आदमी तो हूँ नहीं । फ़िर जो कुछ मैंने किया उसके लिए तूने खुले दिल से मुझे उसके लिए माफ़ कर दिया। तो मेरा भी फ़र्ज बनता है कि मैं खुले दिल और दिमाग के साथ तेरा इलाज कराऊँ ताकि तू मेरे साथ जीवन का सुख भोग सके। सो दिमाग पे जोर डालना छोड़ के जीवन का आनन्द लो इलाज के दौरान जैसे जैसे चन्दू चाचा बतायें वैसे वैसे करना।”
चाची –“ठीक है महुआ बेटी चन्दू चाचा, कल शाम तक पहुंच जायेंगे। अच्छा अब फ़ोन रखती हूँ। ऊपरवाला चाहेगा तो सब ठीक हो जायेगा। खुश रहो।”
महुआ –“ठीक है चाची प्रणाम।
सुनकर चाची ने फ़ोन काट दिया और अशोक के ऊपर यह कहते हुए झपटीं –
“इस लड़के को एक मिनट भी चैन नहीं है अरे अपने पास पूरा हफ़्ता है एक मिनट शान्ती से फ़ोन तो कर लेने देता। अभी मजा चखाती हूँ।”
कहते हुए चाची ने अपनी लण्ड से रगड़ते रगड़ते लाल हो गई पावरोटी सी चूत के मोटे मोटे होठ बायें हाथ की उँगलियों से फ़ैलाये और दूसरे हाथ से अशोक का लण्ड थाम उसका हथौड़े सा सुपाड़ा चूत के होठों के बीच फ़ँसा लिया।और इतनी जोर का जोर का धक्का मारा कि अशोक की चीख निकल गई।
चाची बोलीं –“ चीखने से काम नहीं चलेगा अब तो पूरे एक हफ़्ते चाची तेरे पेट दर्द का इलाज करेगी।”
अशोक मक्कारी से मुस्कुराते हुए बोला–“ पर चाची अभी नहाना भी तो है।”
चाची(दोनों के नंगे बदन की तरफ़ इशारा करते हुए) बोलीं –“फ़िर ये सब किसलिए किया, ये आग किसलिए लगा रहा था।”
अशोक –“खुद और आपको नहलाने, और नहाते हुए इस आग को बुझाने के लिए।”
चाची समझ गई कि लड़का उनके भीगते बदन का आनन्द लेते हुए चोदना चाहता है ये सोच उनके भी बदन में अशोक के मर्दाने भीगते शरीर की अपने बदन से लिपटे होने की कल्पना कर सन्सनाहट हुई। अगले ही पल चाची ने अपनी चूत उसके लण्ड से पक से बाहर खींच ली।
चाची कुछ सोच के बोलीं –“ठीक है तो चल नहाने।”
और नंगधड़ंग चाची उसका लण्ड पकड़ के कुत्ते के गले के पट्टे की तरह खींचते हुए बाथरूम की तरफ़ चल दीं।
क्रमश:……………………
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RE: Muslim Sex सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
अशोक की मुश्किल
भाग 6
चन्दू वैद्य का इलाज…
गतांक से आगे…
उधर अगले दिन शाम को चन्दू चाचा अशोक के घर पहुँचे, महुआ ने चन्दू चाचा की तरफ़ देखा चन्दू मजबूत कद काठी का इस उमर में भी तगड़ा मर्द लगता था। इलाज के तरीके की जानकारी होने के कारण उनका मर्दाना जिस्म देख महुआ को झुरझुरी के साथ गुदगुदी सी हुई। महुआ ने उनका स्वागत किया।
महुआ –“आइये चाचाजी, चम्पा चाची ने फ़ोन करके बताया था कि आप आने वाले हैं।”
चन्दू चाचा ने महुआ को ध्यान से देखा। महुआ थोड़ी ठिगनी भरे बदन की गोरी चिट्टी कुछ कुछ गोलमटोल सी लड़की जैसी लगती थी। उसके चूतड़ काफ़ी बड़े बड़े और भारी थिरकते हुए से थे और उसका एक एक स्तन एक एक खरबूजे के बराबर लग रहा था। चन्दू चाचा महुआ को देख ठगे से रह गये। उन्हें ऐसे घूरते देख महुआ शरमा के बोली- बैठिये चाचा मैं चाय लाती हूँ।”
चन्दू चाचा –“नहीं नहीं चाय वाय रहने दे बेटा, हम पहले नहायेंगे फ़िर सीधे रात्रि का भोजन करेंगे क्योंकि शाम ढ़लते ही भोजन करने की हमारी आदत है। और हाँ, वैसे तो चम्पा ने बताया ही होगा कि हम वैद्य हैं और उसने मुझे तुम्हारे इलाज के लिए भेजा है सो समय बर्बाद न करते हुए, तेरा इलाज भी हम आज ही शुरू कर देंगे क्योंकि इस इलाज में हफ़्ते से दो हफ़्ते के बीच का समय लगता है।”
चन्दू चाचा नहा धो के आये और महुआ के साथ रात का खाना खाकर वहीं किचन के बाहर बरामदे मे टहलते हुए अनुभवी चन्दू ने महुआ से उसकी जिस्मानी समस्या के बारे में विस्तार से बात चीत की जिससे महुआ की झिझक कम हो गई और वो चन्दू चाचा से अपनेपन के साथ सहज हो बातचीत करने लगी। ये देख चन्दू चाचा ने अपना कहा- “महुआ बेटी एक लोटे मे गुनगुना पानी ले खाने की मेज के पास चल, इतनी देर में अपना दवाओं वाला बैग लेकर तेरा चेकअप करने वहीं आता हूँ।”
जब गुनगुना पानी ले महुआ खाने की मेज के पास पहुंची तो चाचा वहाँ अपने दवाओं वाले बैग के साथ पहले से ही मौजूद थे। वो अपने साथ महुआ के कमरे से एक तकिया भी उठा लाये थे।
चन्दू चाचा टेबिल के एकतरफ़ तकिया लगाते हुए बोले –“ये पानी तू वो पास वाली छोटी मेज पे रख दे और साड़ी उतार के तू इस मेज पर पेट के बल लेट जा, तो मैं तेरा चेकअप कर लूँ।”
महुआ साड़ी उतारने में झिझकी तो चाचा बोले –“बेटी डाक्टर वैद्य के आगे झिझकने से क्या फ़ायदा।”
महुआ शर्माते झिझकते साड़ी उतार मेज पर पेट के बल(पट होकर) लेट गई।
चन्दू चाचा ने पहले उसके कमर कूल्हों के आस पास दबाया टटोला पूछा कि दर्द तो नहीं होता। महुआ ने इन्कार में सिर हिलाया तो चन्दू चाचा ने उसका पेटीकोट ऊपर की तरफ़ उलट दिया और उसके शानदार गोरे सुडोल संगमरमरी गुदाज भारी भारी चूतड़ों पर दबाया, टटोला और वही सवाल किया कि दर्द तो नहीं होता। महुआ ने फ़िर इन्कार में सिर हिलाया तो उसे पलट जाने को बोला अब महुआ के निचले धड़ की खूबसूरती उनके सामने थी। संगमरमरी गुदाज गोरी मांसल सुडौल पिन्डलियाँ, शानदार सुडोल संगमरमरी गुदाज भारी भारी चूतड़ों और केले के तने जैसी रेश्मी चिकनी मोटी मोटी जांघों के बीच दूध सी सफ़ेद पावरोटी सी फ़ूली हुई चूत, जिसपे थोड़ी सी रेश्मी काली झाँटें। चन्दू चाचा ने पहले उसके पेट कमर नाभी के आसपास दबाया टटोला फ़िर उसकी नाभी में उंगली डाल के घुमाया तो महुआ की सिसकी निकल गई। इस छुआ छेड़ी से वैसे भी उसका जिस्म कुछ कुछ उत्तेजित हो रहा था। सिसकी सुन चन्दू चाचा ने ऐसे सिर हिलाया जैसे समस्या उनकी समझ में आ रही है। वो तेजी से उसके पैरों की तरफ़ आये और बोले –“ अब समझा, महुआ बेटी! जरा पैरों को मोड़ नीचे की तरफ़ इतना खिसक आ कि तेरा धड़ तो मेज पे रहे पर पैर मेज पर सिर्फ़ टिके हों और जरूरत पड़ने पर उन्हें नीचे लटका के जमीन पर टेक सके।
महुआ ने वैसा ही किया चन्दू चाचा ने दोनों हाथों की उंगलियों से पहले उसकी रेश्मी झांटे हटाईं और फ़िर चूत की फ़ाँके खोल उसमें उंगली डाल कर बोले जब दर्द हो बताना, जैसे ही महुआ ने सिसकी ली चाचा ने अपनी उंगली बाहर खींच ली और बोले –“चिन्ता की कोई बात नहीं तू बिलकुल ठीक हो जायेगी, पर पूरा एक हफ़्ता लगेगा इसलिए इलाज अभी तुरन्त शुरू करना ठीक होगा।” इतनी देर तक एकान्त मकान में चंदू चाचा के मर्दाने हाथों की छुआ छेड़ से उत्तेजित महुआ सोचने समझने की स्थिति में नहीं थी, वैसे भी पति की रजामन्दी के बाद सोचने समझने को बचा ही क्या था सो महुआ बोली –“ठीक है चाचा।”
चन्दू चाचा ने एक तौलिया महुआ के चूतड़ों के नीचे लगा कर गुनगुने पानी से उसकी रेशमी झाँटें गीली की फ़िर अपने बैग से दाढ़ी बनाने की क्रीम निकाल उनपर लगाई और उस्तरा निकाल फ़टाफ़ट झाँटें साफ़कर दीं। महुआ के पूछने पर उन्होंने बताया कि झाँटें न होने पर मलहम जल्दी और ज्यादा असर करता है। अब चन्दू चाचा ने चूतड़ों के नीचे से तौलिया बाहर निकाला फ़िर उसी से चूत और उसके आसपास का गीला इलाका पोंछपाछ के सुखा दिया। अब महुआ की बिना झाँटों की चूत सच में दूध सी सफ़ेद और पावरोटी की तरह फ़ूली हुई लग रही थी।
चाचा ने अपना मलहम निकाला और महुआ की चूत की फ़ाँके अपने बायें हाथ के अंगूठे और पहली उंगली से खोल अपने दूसरे हाथ की उंगली अंगूठे से उसमें धीरे धीरे मलहम लगाने लगे।
पहले से ही उत्तेजित महुआ को अपनी चूत में कुछ गरम गरम सा लगा फ़िर धीरे धीरे गर्मी के साथ कुछ गुदगुदाहट भरी खुजली बढ़ने लगी जोकि चुदास में बदल गई। जैसे जैसे चन्दू चाचा चूत में मलहम रगड़ रहे थे वैसे वैसे चूत की गर्मी और चुदास बढ़ती जा रही थी। महुआ के मुँह से सिस्कियाँ फ़ूट रही थी और उसकी दोनों टांगे हवा में उठ फ़ैलती जा रही थी। चाचा के मलहम उंगलियो के कमाल से थोड़ी ही देर में महुआ ने अपनी टांगे हवा मे फैला दी और सिस्कारी ले के तड़पते हुए चिल्लाई-
" इस्स्स्स्स्स्स आहहहहहह चाचा, ये मुझे क्या हो रहा है लग रहा है कि मैं अपने ही जिस्म की गर्मी में जल जाऊँगी, प्लीज़ कुछ कीजिये अब बर्दास्त नही हो रहा।”
चन्दू चाचा –“ अभी इन्तजाम करता हूँ बेटा।”
ये कहते हुए चन्दू चाचा अपनी धोती हटा के अपना फ़ौलादी लण्ड निकाला और उसके सुपाड़े पर अपना ढेर सा जादुई मलहम थोप के चूत के मुहाने पर रखा। फ़िर सुपाड़ा लगाये लगाये ही आगे झुक महुआ का ब्लाउज खोला और दोनो हाथों से दोनो बड़े बड़े बेलों को ज़ोर ज़ोर से दबाते हुए बारी बारी से निपल चूसने लगे। चुदासी चूत की पुत्तियाँ मुँह खोल के लण्ड निगलने लगीं और लण्ड का सुपाड़ा अपने आप चूत में घुसने लगा। मारे मजे के महुआ की आँखें बन्द थी और दोनों टांगे हवा में फ़ैली हुई थीं । जब लण्ड घुसना रुक गया और चाचा ने लण्ड आगे पीछे कर के चुदाई शुरू नहीं की और चूचियाँ दबाते हुए ज़ोर ज़ोर से निपल चूसना जारी रखा तो महुआ ने आँखें खोली हाथ से अपनी चूत मे टटोला और महसूस किया कि सुपाड़े के अलावा करीब आधा इन्च लण्ड और चूत में घुस गया था जब्कि पहले उसकी चूत में अशोक के लण्ड का सुपाड़ा घुसने के बाद आगे बढ़ता ही नहीं था। उसके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। तभी शायद चाचा को भी महसूस हो गया कि लण्ड चूत में आगे जाना रुक गया सो उन्होंने चूचियों से मुँह उठाया और कहा –“अब आगे का इलाज इस मेज पर नहीं हो सकता सो तू मेरी कमर पर पैर लपेट ले और अपनी बाहें मेरे गले मे डाल ले ताकि मैं तुझे उठा के बिस्तर पर ले चलूँ, आगे की कार्यवाही वहीं होगी।”
महुआने वैसा ही किया सोने के कमरे की तरफ़ जाते हुए लगने वाले हिचकोलों से लण्ड चूत में अन्दर को ठोकर मारता था,उन धक्कों की मार से महुआ के मुँह से तरह तरह की आवाजें आ रहीं थी-
"उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ओउुुुुुुुुुउउ ऊऊऊऊओह इस्स्सआःाहहहहहहहहह ऊहोहोूहोो अहहहहह उूुुउउफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ इस्स्सआःाहहहहहहहहह"
सोने के कमरे में पहुँच चाचा महुआ को लिये लिए ही बिस्तर पर इस प्रकार आहिस्ते से गिरे कि लण्ड बाहर न निकल जाये। चाचा ने महसूस किया कि सुपाड़े के अलावा करीब एक इंच महुआ की चूत के अन्दर चला गया है, पहले दिन को देखते हुए ये बहुत बड़ी कामयाबी है, ये सोच, महुआ के गदराये गोरे गुलाबी नंगे जिस्म के ऊपर झुककर उसकी बड़ी बड़ी चूचियों दबोच उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख चूसते हुए उतने ही लण्ड से चोदने लगे। उन्के मुँह से आवाजें आ रही थीं –
“उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह उम्मह हम्मह उह्ह्ह्ह्ह”
उधर महुआ भी चुदाते हुए तरह तरह की आवाजें कर रहीं थी –
"उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ओउुुुुुुुुुउउ ऊऊऊऊओह इस्स्सआःाहहहहहहहहह ऊहोहोूहोो अहहहहह उूुुउउफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ इस्स्सआःाहहहहहहहहह"
एक जमाने से अशोक के हलव्वी लण्ड से होने वाले दर्द के डर से महुआ टालमटोल कर करके, चुदने से बचती चली आई थी सो जब आज इतने अरसे से उसकी बिन चुदी चूत चन्दू चाचा के कमाल से चुदासी हो इस तरह चुदने पर ज्यादा देर ठहर नहीं पाई और जल्दी ही झड़ने के करीब पहुँच गई और उसके मुँह से निकला –
"अहह चाचा लगता है मेरी झड़ जायेगी यहह आज तक इतनी गीली कभी नही हुई चाचा उफफफफफफफइस्स्सआःाहहहउम्म्महह"
ये देख अनुभवी चोदू चन्दू चाचा अपनी स्पीड बढ़ा के बोला-
“शाबाश बेटी झड़ खूब जम के झड़ मैं भी अब अपना झाड़ता हुँ ले शाबाश ले अंदरअहहहहहहहहहहहहहहहहाहोह "
और दोनों झड़ गये । महुआ की चूत में उसे ऐसा लगा जैसे काफ़ी वक्त के प्यासे को पानी मिल गया और माल चूत के अंदर जाते ही उसके मुँह से निकला-
"उफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ ओउुुुुुुुुुउउ ऊऊऊऊओह"
और इस तरह चन्दू चाचा ने पहले राउण्ड का इलाज खत्म किया। वो महुआ के ऊपर से उतर कर बगल में लेट गये और बोले –“तूने बहुत अच्छी तरह से हर काम मेरे कहे मुताबिक किया। अगर तू ऐसे ही मेरे कहे मुताबिक चलती रही तो मेरे मलहम के कमाल से तू बहुत जल्द अशोक के लायक तैयार हो जायेगी। मेरे मलहम का एक कमाल ये भी है और तेरी चूत कभी ढीली या बुड्ढी नही होगी। तेरी चाची की चूत अभी तक एकदम टाइट और जवान है।”
महुआ ये सोच के मन ही मन मुस्कुराई कि तब तो अशोक को बहुत मजा आ रहा होगा। बिचारे ने जमाने से कोई चूत जम के नही चोदी थी।
ऐसे ही बातें करते दोनों को नींद आ गई।
क्रमश:…………………
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07-22-2018, 11:46 AM,
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RE: Muslim Sex सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
अशोक की मुश्किल
भाग 7
महुआ की फ़तह…
गतांक से आगे…
जल्दी सो जाने के कारण दूसरे दिन दोनों की नींद जल्दी खुल गई। रोजमर्रा के कामों से निबट के महुआ ने चाय और नाश्ता बनाया, फ़िर दोनों ने ब्रेड अण्डे के साथ जम के नाश्ता किया।
चाचा बैठक मे आकर बैठ गये और महुआ को बुलाया जब महुआ आई तो चाचा बोले –“महुआ बेटी कल के इलाज से तू सुपाड़े के अलावा एक इन्च और लण्ड अपनी चूत में लेने में कामयाब रही इसका मतलब अगर हम दोनों मेहनत करें तो शायद एक हफ़्ते से भी कम में तू अशोक से पूरा लण्ड डलवा के चुदवाने लायक बन सकती है मेरे कहे मुताबिक लगातार इलाज करवाती रहे। यहाँ इस अकेले घर में हम दोनों को और कोई काम तो है नहीं सो क्यों न हमलोग लगातार इलाज मन लगाकर इस काम को जल्द से जल्द खत्म करने की कोशिश करें?”
महुआ –“ठीक कहा चाचाजी। मैं भी जल्द से जल्द अशोक के लायक बन के उसे दिखाना चाहती हूँ।
चन्दू चाचा –“तो ऐसा कर ये साड़ी खराब करने के बजाय अगर स्कर्ट ब्लाउज हो तो साड़ी उतार के स्कर्ट ब्लाउज पहन ले।
उधर महुआ स्कर्ट ब्लाउज पहनने गई इधर चन्दू चाचा ने अपना मलहम का डिब्बा बैग से निकाल के महुआ की चूत के इलाज की पूरी तैयारी कर ली। चन्दू चाचा ने स्कर्ट ब्लाउज पहने महुआ को आते देखा। स्कर्ट ब्लाउज में उसके बड़े बड़े खरबूजे जैसे स्तन और भारी चूतड़ थिरक रहे थे ।
चन्दू चाचा ने हाथ पकड़कर उसे अपनी गोद में खींच लिया। उनकी गोद में बैठते ही महुआ ने चन्दू चाचा का लण्ड अपनी स्कर्ट में गड़ता महसूस किया। उसने अपने चूतड़ थोड़े से उठाये और चन्दू चाचा की धोती हटा के उनका लण्ड नंगा किया और अपनी स्कर्ट ऊपर कर चन्दू चाचा का लण्ड अपने गुदाज चूतड़ों मे दबा कर बैठ गई
चन्दू चाचा ने उसका ब्लाउज खोलते हुए कहा- वाह बेटी ऐसे ही हिम्मत किये जा।
बटन खुलते ही महुआ ने ब्लाउज उतार दिया । चन्दू चाचा उसके खरबूजे सहलाने दबाने और निपल मसलने लगे। कुछ ही देर में महुआ के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। अचानक महुआ ऊठी और चन्दूचाचा की तरफ़ मुँह घुमाकर उनकी गोद में दोनों तरफ़ पैर कर बैठ गई । चन्दू चाचा ने देखा महुआ की चूचियाँ उनके मसलने दबाने से लाल पड़ गई हैं। अब महुआ की चूत चन्दूचाचा के लण्ड पर लम्बाई मे लेट सी गई। महुआ ने अपने एक स्तन का निपल चन्दूचाचा के मुँह में ठूँसते हुए सिसकारी भरते हुए कहा कहा –“ स्स्स्स्ससी इलाज शुरू करो न चाचा।”
चन्दू चाचा –“अभी लो बेटा।”
कहकर चन्दू चाचा ने अपना मलहम निकाला और महुआ की चूत की फ़ाँके खोल फ़ाँकों के बीच थोप दिया फ़िर अपने लण्ड के सुपाड़े पर भी मलहम थोपा और उसे महुआ के हाथ में पकड़ा दिया और अपने दोनों हाथों से उसकी बड़ी बड़ी खरबूजे जैसी चूचियाँ थाम सहलाने, दबाने, उनपर मुँह मारने निपल चूसने चुभलाने में मस्त हो गये। उनकी हरकतों से उत्तेजित महुआ ने उनका लण्ड अपने हाथ में ले अपनी चूत के मुहाने पर रखा और सिसकारियाँ भरते हुए अपनी चूत का दबाव लण्ड पर डाला। पक से सुपाड़ा चूत में घुस गया । मारे मजे के महुआ और चन्दू चाचा दोनों के मुँह से एक साथ निकला –
“उम्म्म्म्म्म्म्म्ह”
उसी समय चाचा चन्दू चाचा ने हपक के उसकी बड़ी बड़ी चूचियों पर मुँह मारा । दरअसल चाचा को महुआ की बड़ी बड़ी खरबूजे जैसी चूचियों में ज्यादा ही मजा आ रहा था इसीलिए उनकी सहलाने, दबाने, उनपर मुँह मारने निपल चूसने चुभलाने की रफ़्तार में तेजी आती जा रही थी। जैसे जैसे उनकी रफ़्तार बढ़ रही थी वैसे वैसे महुआ भी अपनी चूत का दबाव लण्ड पर बढ़ा रही थी और उसकी चूत मलहम के कमाल से रबड़ की तरह फ़ैलते हुए चन्दू चाचा का लण्ड अपने अन्दर समा रही थी। जब लण्ड अन्दर घुसना बन्द हो गया तो महुआ ने नीचे झुक कर देखा आज, कल के मुकाबले एक इंच ज्यादा लण्ड चूत में घुसा था इस कामयाबी से खुश हो चुदासी महुआ अपनी कमर चला के चाचा के लण्ड से चुदवाने लगी।
चन्दू चाचा –“शाबाश बेटा इसी तरह मेहनत किये जा, तू जितनी मेहनत करेगी, उतनी ही जल्दी तुझे कामयाबी मिलेगी और अशोक को ताज्जुब से भरी खुशी होगी और वो तेरा दीवाना हो जायेगा।”
अगले पाँच दिन चन्दू चाचा और महुआ ने चुदाई की माँ चोद के रख दी। चाहे बिस्तर में हों, बैठक में, रसोई में या बाथरूम में जरा सी फ़ुरसत होते ही चन्दू चाचा महुआ को इशारा करते और दोनों मलहम लगा के शुरू हो जाते पाँचवें दिन शाम को दोनों इसी तरह कुर्सी पर बैठे चुदाई कर रहे थे और कि अचानक महुआ चन्दू चाचा का पूरा लण्ड लेने में कामयाब हो गई वो खुशी से किलकारी भर उठी बस फ़िर क्या था चन्दू चाचा ने उसे गोद में उठाया और ले जा के बिस्तर पर पटक दिया और बोले –“शाबाश बेटा आज तू पूरी औरत बन गई अब सीख मर्द औरत की असली चुदाई, तेरा आखरी पाठ।”
ये कह चन्दू चाचा ने महुआ की हवा में फ़ैली दोनों टांगे उठाकर अपने कंध़ों पर रख लीं
अपने फ़ौलादी लण्ड का सुपाड़ा उसकी अधचुदी बुरी तरह से भीगी चूत के मुहाने पर रखा और एक ही धक्के में पूरा लण्ड ठाँस दिया और धुँआधार चुदाई करने लगा। महुआ को आज पहली बार पूरे लण्ड से चुदाने का मजा मिल रहा था सो वो अपने मुँह से तरह तरह की आवाजें निकालते हुए चूतड़ उछाल उछाल के चुदा रही थी। जिस तरह महुआ चूतड़ उछाल रही थी उसे देख चन्दू चाचा बोले-
“शाबाश बेटी अब मुझे पूरा भरोसा हो गया कि तू अशोक को खुशकर वैद्यराज चुदाईआचार्य चोदू चन्द चौबे चाचा उर्फ़ चोदू वैद्य का नाम ऊँचा करेगी।”
चन्दू चाचा भी आज पाँच दिनों से मन मार कर आधे अधूरे लण्ड से चुदाई कर कर के बौखलाये थे सो आज पूरी चूत मिलने पर धुँआधार चोद रहे थे। दोनों की ठोकरों की ताकत और जिस्म टकराने की फ़ट फ़ट की आवाज बढ़ती जा रही थी आधे घण्टे की धुँआधार चुदाई के बाद अचानक महुआ के मुँह से निकला –
" अहह और जोर से चोदू चाचा जल्दी जल्दी ठोक मेरी चूत, वरना झड़ने वाली है चाचा उफफफफफफफइस्स्सआःाहहहउम्म्महह"
चन्दू चाचा –“ ले अंदर और ले मैं भी अहहहहहहहहहहहहहहहहाहोह "
और दोनों झड़ गये। साँसों पे काबू पाने के बाद महुआ ने चाची को फ़ोन मिलाया।
जब फ़ोन की घण्टी बजी, उस समय चम्पा चाची पलंग पर लेटी दोनों टाँगे फ़ैलाये अशोक के लण्ड से अपनी चूत कुटवा रही थी उनका गदराया जिस्म अशोक के पहाड़ जैसे बदन के नीचे दबा हुआ था और अशोक उन्हें रौंदे डाल रहा था। चम्पा चाची बड़बड़ा रही थीं –“हाय इस लड़के का तो मन ही नहीं भरता, अरी महुआ! देख तेरा आदमी चाची को पीसे डाल रहा है अहह अहहहहहहहहहहहहहहहहाहोह!”
तभी फ़ोन की घण्टी बजी चाची ने लेटे लेटे चुदते हुए फ़ोन का स्पीकर आन किया और हाँफ़ती सी आवाज में कहा –“हलो!”
महुआ –“हलो चाची! हाँफ़ रही हो क्या अशोक ज्यादा ही थका रहा है?”
महुआ ने चाची को छेड़ा ।
चम्पा चाची(अशोक की कमर में टाँगे लपेट मुँह पे उंगली रख और आँखें तरेर कर आवाज न करने और चुदाई धीमी करने का इशारा करते हुए)-“अरे नहीं रसोईं की तरफ़ थी सो फ़ोन उठाने के लिए दौड़ के आई इसीलिए साँस उखड़ रही है।” चाची ने झूठ का सहारा लिया।
महुआ –“छोड़ो चाची! अब मैं बच्ची नहीं रही चन्दू चाचा ने मेरा इलाज कर मुझे जवान औरत बना दिया आप की टक्कर की, सो फ़िकर ना करें मैं कल सुबह आ रही हूँ आपको अशोक की तरफ़ से दी जाने वाली इस रोज रोज कि थकान और हाँफ़ी से छुटकारा दिलाने।”
जवाब में अशोक ने चाची की चूत में जोर का धक्का मारते हुए कहा –“शाबाश महुआ! जल्दी से आजा ! मेरा मन तुझसे जल्द जल्द कुश्ती करने को हो रहा है।”
महुआ –“बस आज और सबर करो राजा! कल से तो अपनी कुश्ती रोज ही होगी और सबर भी क्या करना, तुम तो साले वैसे भी मजे कर ही रहे हो, इस खबर की खुशी में और जी भर के चाची को खुश करो और उनका आशीर्वाद लो।”
चम्पा चाची(पलट कर अशोक को नीचे कर ऊपर से उछल उछल के उसके लण्ड पर चूत ठोकते हुए)-“अरे! मैं बाज आई ऐसे बेटी दामाद से, बेटी जल्दी से आजा और ले जा अपने इस पहलवान को, तो मैं कुछ चैन की साँस लूँ। फ़िर चाहे तू कुश्ती लड़ या दंगल। अच्छा अब रात बहुत हो गई है सोजा। कल जब तू आ जायेगी तब बात करेंगे।”
महुआ फ़ोन रखते रखते भी छेड़ने से बाज नहीं आई –“ठीक है मैं फ़ोन रखती हूँ आप अपना कार्यक्रम जारी रखें।”
इतना कहकर महुआ ने फ़ोन काट दिया।
तभी अशोक ने नीचे से कमर उछाल चूत में लण्ड ठाँसते हुए नहले पे दहला मारा –“अरे चाची चैन की साँस लेने की तो भूल जाओ । ये पहलवान वो शेर है जिसके मुँह में खून लग गया है वो भी तुम्हारा, कहने का मतलब जिसके लण्ड को चस्का लग़ गया है वो भी तुम्हारी इस मालपुए सी चूत का अब ये इतनी आसानी से पीछा छोड़ने वाला है नहीं, वैसे भी आपने वादा किया है कि अब जबतक मैं यहाँ हूँ आप रोज मेरे लण्ड से अपनी चूत फ़ड़वायेंगी और जब भी मैं यहाँ आऊँगा आपकी चूत को अपने लण्ड के लिए तैयार पाऊँगा।”
चाची ने मुस्कुरा के आँखें तरेरीं और चूतड़ उछालते हुए बोलीं -“अपने मतलब की ऐसी बातें सब कैसी याद हैं, अभी कोई काम की बात बताऊँ तो दूसरे ही दिन कहेगा कि चाची मैं भूल गया।”
अशोक हँसते हुए उनके उछलते बिखरते उरोजों पर मुँह मारने लगा।…………
क्रमश:………………
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RE: Muslim Sex सलीम जावेद की रंगीन दुनियाँ
अशोक की मुश्किल
भाग 8
कब के बिछड़े…
गतांक से आगे…
अगले दिन चन्दू चाचा और महुआ अलसाये से उठे फ़िर धीरे धीरे जाने की तैयारी की। धीरे धीरे इसलिए क्योंकि बीच बीच में चन्दू चाचा महुआ को चुदाई की ट्रिक्स सिखाने लगते वो भी महुआ के बदन पर प्रेक्टिकल कर के । सो करीब शाम 5 बजे चन्दू चाचा, महुआ को ले चाची के घर पहुंचे। खाना पीना होते होते 7 बज गये अंधेरा हो गया तो चाची ने चन्दू चाचा –“अब इतनी रात में कहाँ जाओगे चन्दू यहीं रुक जाओ। ”
फ़िर चाची ने धीरे से जोड़ा ताकि कोई और न सुन ले –“दो घड़ी इस पुरानी दोस्त के पास भी बैठ लो।”
चन्दू चाचा(मुस्कुराकर) –“ठीक है चम्पा।”
जल्द ही महुआ और अशोक मेहमानों वाले कमरे में अपनी अपनी मुद्दतों की अधूरी सुहागरात पूरी करने के लिए पहुँचे।
उनके जाते ही चम्पा चाची चन्दू चाचा को लगभग घसीटते हुए अपने कमरे में ले गई। कमरे मे पलंग के अलावा उस खेली खायी एक्सपर्ट चुदक्कड़ चम्पा चाची ने ज़मीन पर भी एक बहुत साफ सुथरा बिस्तर लगा हुआ था और उसपर दो तकिये भी लगे थे, जिसे देख चन्दूचाचा, चम्पा की तरफ़ अर्थ पूर्ण ढ़ंग से देख के मुस्कुराये –“वाह! चम्पारानी तेरे इरादे तो काफ़ी खतरनाक लगते हैं।”
जवाब में चम्पा चाची ने चन्दू चाचा को पलंग पर धक्का दे बैठा दिया फ़िर उनकी धोती हटा कर उनका हलब्बी लण्ड निकाल हाथ से सहला के बोली –“जमाना हो गया चन्दू तेरा ये मूसल देखे हुए।”
फ़िर चम्पा अपना पेटीकोट उठा चन्दू चाचा की गोद में अपने शानदार बड़े बड़े गोल भारी गुदाज चूतड़ रखकर बैठ गयी । चन्दू चाचा के सीने से चम्पा चाची की गुदाज पीठ सटी थी। चन्दू चाचा के हलब्बी गरम लण्ड पर चम्पा चाची की फ़ूली पावरोटी सी चूत धरी थी और वो चन्दू चाचा के लण्ड की गरमी से अपनी चूत सेंक कर गरम कर रही थीं। चन्दूचाचा ने अपनी गोद में चाची के शानदार बड़े बड़े गोल भारी गुदाज चूतड़ों का मजा लेते हुए अपने दोनो हाथ उनके ब्लाउज में घुसेड़ दिये और उनकी बड़ी बड़ी चुचियों को टटोलने लगे। चम्पा चाची सिस्कारियाँ भरने लगीं, उनकी पहले से गरम चुदक्कड़ चूत बहुत जल्द पानी छोड़ चन्दू चाचा के लण्ड को तर करने लगी।
अचानक चम्पा चाची उठी और उन्होंने चन्दू चाचा की तरफ़ घूमकर उनकी तरफ़ मुँह करके फ़िर से गोद में सवारी गाँठ ली, जैसे घोड़े के दोनों तरफ़ एक एक पैर डालकर बैठते हैं। अब चन्दू चाचा के लण्ड का सुपाड़ा चम्पा चाची की चूत के मुहाने से टकरा रहा था चन्दू चाचा ने देखा चाची की बड़े खरबूजों जैसी चूचियाँ मसलने से लाल हो गईं थी। चन्दू चाचा उन पर मुंह मारने लगे। ये देख चम्पा चाची अपने दोनो हाथों से अपना एक भारी स्तन पकड़ अपना निपल चन्दू के मुँह में दे बोली –
“जोर जोर से चूस चन्दू राजा।”
चन्दू चाचा चूचियों को बारी बारी से अपने मुँह मे ले कर चाटने और चूसने लगे और चम्पा चाची सिस्कारियाँ भरते हुए मस्ती से अपने दोनो हाथों से अपनी चूचियाँ उठा उठा कर चन्दू चाचा से चुसवा रही थी। चम्पा चाची मस्त हो अपनी दोनो जांघों के बीच चन्दू चाचा का हलब्बी लण्ड मसल्ने रगड़ने लगी. यह देख कर चन्दू चाचा अपना हाथ चम्पा चाची की चूत पर ले गये और उसने धीरे से चम्पा चाची की चूत के अंदर एक उंगली डाल दी. फिर चूत के फाकों पर अपनी उंगली फेरने लगे. उनकी चूत बुरी तरह भीगी हुई थी. चन्दू चाचा उनकी चूत की घुंडी को अपनी उँगलिओं से पकड़ने और मसल्ने लगा. चम्पा चाची इससे बहुत उत्तेजित हो सिसकारी भरने लगी –
“इस्स्स्स्स्स्स्स…!
और चन्दू चाचा ने चम्पा चाची के होठों पर अपने होंठ रख दिये और चूसने लगे तभी चाची ने अपनी जीभ उनके मूँह मे डाल दी तो चन्दू चाचा उसे चूसने लगे। चम्पा चाची ने मारे उत्तेजना के चन्दू चाचा का हाथ अपनी जांघों में भींच लिया और उनकी धोती खींच के फ़ेक दी और अपने चूतड़ उछालते हुए बोली,
"हा्य चन्दू राजा, इस्स्स्स्स्स्स्स…! मेरी चुदासी चूत मे आग लगी है,अब जल्दी कर वरना ये बिना चुदे ही झड़ जायेगी।
चन्दू चाचा, चम्पा चाची को गोद में लिए लिए ही खड़े हो गये और जमीन पर बिछे बिस्तर पर लिटा दिया फ़िर एक तकिया उनके भारी चूतड़ों के नीचे लगा दिया जिससे उनकी फ़ूली चूत और भी उभर आई। दोनों पुराने खिलाड़ी थे । चाची ने उनका लण्ड थाम कर उसका सुपाड़ा अपनी भीगी चूत के मुहाने पर धरा और टाँगे उनके कंधों पर रख ली। चन्दू ने धक्का मारा। पक से सुपाड़ा अन्दर।
“इस्स्स्स्स्स्स्स…आह!”
चाची ने सिसकी ली।
चन्दू चाचा –“वाह चम्पा रानी तेरी तो अभी भी वैसी ही टाईट है जैसी पन्द्रह साल की उमर में थी।”
चम्पा चाची –“हाय चन्दूराजा! और ये ऐसी तब है जब्कि मैं पिछले एक हफ़्ते से अपनी भतीजी के पति यानि दामादजी के असाधारण हलव्वी लण्ड से धुँआदार चुद रही हूँ। अशोक न दिन देखता है न रात वख्त-बेवख्त हर वख्त उसे मेरा बदन सेक्सी लगता है और हर जगह चुदाई के लिए रूमानी बाथरूम हो या बेडरूम बैठ्क हो या रसोई, बस लण्ड सटा के लिपटने लगता है। हाय। मुझे तो अब गिनती भी याद नहीं कि उसने कितनी बार चोदा होगा। सब तेरे मलहम का प्रताप है राजा।”
चन्दू चाचा (दूसरा धक्का मारते हुए) –“वाह चम्पा रानी तब तो नवजवान लड़के के नवजवान लण्ड से तुमने खूब खेला होगा, बड़े मजे किये होंगे।”
चम्पा चाची(नीचे से चूतड़ उछाल कर चन्दू का बचा लण्ड भी अपनी चूत में निगलते हुए) –“हाय चन्दू! मजे तो मैं इस समय भी कर रही हूँ राजा।पूरी जवानी चूत का खेत लण्ड के बिना सुखाने के बाद ऊपर वाले को तरस आ ही गया और सींचने को दो दो धाकड़ लण्ड भेज दिये।”
चन्दू चाचा (धक्का लगाते हुए) –“हाय चम्पा रानी ये हरा भरा मांसल बदन ये पावरोटी सी फ़ूली मालपुए सी चूत । ऊपर से मुहल्ले भर की बुज़ुर्ग चाची का ठप्पा चाहे जितना खेलो कोई कभी शक कर ही नहीं सकता। ऐसा बुढ़ापा ऊपरवाला सबको दे।”
चाची हँस पड़ी। दोनों पुराने खिलाड़ियों ने तीसरे ही धक्के में पूरा लण्ड धाँस लिया और उछल उछल के चुदाई का मजा लेने लगे।
अशोक और महुआ का किस्सा इससे कुछ ज्यादा रफ़्तार वाला था। दोनों ने एक दूसरे को हफ़्ते भर से देखा तक नहीं था, वैसे भी दोनों मे जिस्मानी ताल्लुक कभी कभार आधा अधूरा ही होता था सो दोनों को ही चन्दू चाचा के इलाज के असर को आजमाने की जल्दी थी। कमरे में पहुँचते ही अशोक महुआ से लिपट गया और बोला –“महुआ रानी, कितने दिनों बाद तू हाथ आई है अब बोल तू है तैयार! कुश्ती के लिए, आज मैं कोई रियायत करने के मूड में नहीं हूँ।”
महुआ –“घबरा मत राजा आज मैं पीछे हटने वाली नहीं हूँ।”
तभी अशोक ने महुआ के पेटीकोट में हाथ डाल के उसकी चूत दबोच ली, महुआ ने सिसकी की तो अशोक ने उंगली चुभो दी। उसने पाया कि चूत पहले की तरह ही टाइट है वो आश्चर्य से बोला –“तू तो बोली थी कि तेरा इलाज पूरा हो चुका ये तो वैसी ही टाईट है?”
महुआ –“यही तो चाचा के मलहम का कमाल है।”
“देखते हैं”
कहते हुए अशोक ने उसके कपड़े नोच डाले महुआ ने भी तुर्की बतुर्की उसे नंगा कर दिया ये देख अशोक ने नंगधड़ग महुआ को उठाके बिस्तर पर पटक दिया महुआ ने दोनों टाँगे फ़ैला कर उसके लण्ड को चुनौती दी अशोक उसपर टूट पड़ा। दोनों ने उस रात पहले ही राउण्ड में इतनी धुआंदार चुदाई की, कि न चाहते हुए भी उस थकान से उन्हें कैसे नींद आ गई उन्हें पता ही नहीं चला।
क्रमश:………………………
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