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RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
मासी
अपनी स्टोरी लिख रहा हूँ और मुझे आशा हे की आप को मेरी यह स्टोरी जरुर पसंद आयेगी तो अब स्टोरी पर आते हे तो दोस्तो मेरा नाम संजय है, में अजमेर मे एक कम्पनी मे जॉब करता हु , पर ये बात तब की है जब में स्कूल मे था ओर अपने
घर पर था , मेरे होमटाउन मे ही मेरी मौसी भी रहती थी ओर तब उनकी शादी नही हुई थी में आपको बता दूँ मौसी बहुत खूबसूरत है में तो उनका ज़माने से दीवाना था बस मोके नही मिल रहे थे, मौसी बी.एड कर रही थी ओर दिन मे उनका कॉलेज रहता था ओर दोपहर को वापस घर आती थी, मौसी के साथ माँ, नाना, नानी भी रहते है, पर वो तीनो जॉब करते है तो सब अपने ऑफीस निकल जाते है सुबह ओर दोपहर मे ही मौसी अकेली रहती है.
में अक्सर उनके यहा किसी भी टाइम चला जाता था, पर 12वी मे मैने कोचिंग उनके घर के पास ही लगा ली, वैसे मौसी के साथ मेरा रिश्ता शुरू से ही दोस्त जैसा है क्योकि उनकी ओर मेरी उम्र मे सिर्फ़ 3 साल का ही अन्तर था, हम दोनो काफ़ी मज़ाक मस्ती, डांस भी करते थे, ओर कभी वो मस्ती मे मुझे गालो पर किस भी कर दिया करती थी, में जब उनके यहा पढाई करता था तो हमेशा मौसी के साथ ही सोता था, ओर जब रात को सब सो जाते थे तो मौसी मेरे से चिपक जाया करती थी, क्या बताऊँ दोस्तो मेरा तो लंड खड़ा हो जाया करता था।
कभी वो मेरे पेरो पर अपने पेर रख लेती ओर कभी लंड पर हाथ ओर मे अंदर ही जल पड़ता था, पर डर से कुछ करता नही था, क्योकी मुझे लगता था की वो नींद मे है एक दिन सर का कॉल आया की कल कोचिंग दोपहर मे 3 से 5 रहेगी क्योकि शाम को उन्हे कुछ काम है, मैने ओके बोल कर फोन काट दिया अगले दिन में कोचिंग के लिये लेट हो गया तो सर ने मुझे डाटा ओर सर थोड़े सनकी है तो उन्होने मुझे क्लास से भगा दिया, मैने भी सोचा अच्छा है वैसे भी मन नही था दोपहर मे पढ़ने का, तो लौटते टाइम मे मौसी के घर चला गया.
मौसी घर मे अकेली थी मैने बेल बजाई तो मौसी ने डोर खोला ओर मुझे देख कर काफ़ी खुश हो गई में अंदर गया ओर पानी पी कर आराम से मौसी के साथ सोफे पर बैठ गया, मौसी मुझसे बाते करने लगी इधर उधर की क्या चल रहा, कैसे हो, ओर ये सब बस, पर उनके दिमाग़ मे कुछ चल रहा था जिससे मे अंजान था बात करते करते अचानक मौसी उठी ओर बेडरूम मे जाकर लेट गई, तो
मैने उनसे पुछा की क्या हुआ, थक गई हो, नींद आ रही है क्या तो
मासी बोली नही बस थोड़ा पेरो में दर्द है तो आराम करना चाहती हूँ.
मैने कहा ठीक है आप आराम करो में जा कर टी.वी देखता हूँ शाम को जब नाना नानी आ जायेगे तो उनसे मिल कर चला जाऊंगा इतना कह कर में वहा से जाने लगा इतने मे
मौसी ने आवाज़ दी ओर कहा की संजय सुनो तो
मैने कहा हाँ मौसी बोलो तो वो कहने लगी की अगर बुरा ना मानो तो मेरे पेर थोड़ी देर दबा दो मैने कहा ठीक है ओर मैं उनके पेर दबाने लगा मौसी ने बिना दुप्पटे के सलवार-कुर्ता पहना हुआ था.
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RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
Wafa ya hawaa
इस कहानी के माध्यम से आप लोगों को जरूर कुछ न कुछ एहसास होगा कि इस दुनिया में औरतें कैसी कैसी होती हैं ! खैर पहले मैं आपको अपने बारे में बताता हूँ ! मेरा नाम नब्बू है, उम्र 28 साल है और मैं आजाद जिन्दगी जीने वाला हूँ, नागपुर में रहता हूँ, मैं एक अर्द्धसहकारी कंपनी में काम करता हूँ, मेरी अपनी जिंदगी कई लड़कियाँ आई और गई मैंने किसी से भी प्यार नहीं किया और ना ही करना चाहता था ! और मुझे इस बात का घमंड भी था ! लेकिन ऐसा हो न सका !
यह वो हकीकत है जिसने मेरी जिंदगी ही बदल दी, मैं आपको इस कहानी के माध्यम से बताना चाहता हूँ, जिसका एक-एक पल आज भी मेरे आँखों के सामने आता है !
चलिये कहानी का मज़ा लेते हैं !
एक बार मैं अपने ऑफिस के काम से दिल्ली गया था, मैं नागपुर से दिल्ली एयरपोर्ट पहुँचा, सुबह के 9:30 बज रहे थे। मैंने एयरपोर्ट से बाहर निकल कर टैक्सी ली, मुझे मीटिंग अटेंड करनी थी जिसके लिए मैं पहले ही लेट हो गया था। मीटिंग ग्यारह बजे की थी और मीटिंग का अजेंडा मेरे पास था। मैं ऑफिस के गेस्ट हाउस पहुँचा, मीटिंग वहीं गेस्ट हाउस में थी। मैं समय पर पहुँच गया था।
मीटिंग में करीब 20 से 25 लोग होंगे। मीटिंग 12:00 बजे शुरू हुई।
मैंने नोट किया कि मीटिंग में एक औरत जिसकी उम्र 30 साल होगी, (नीली साड़ी में गोरी-चिट्टी पतली-दुबली और बड़ी-बड़ी आँखों में काजल लगाए हुए मेरे सामने बैठी थी) वो पेन्सिल को अपने कान के ऊपर बालों में घुमाते हुए अपनी कातिलाना नजरों से मुझे ही देख रही थी, मैं उसे अच्छी तरह से जानता था !
उसका नाम शैलीन था, वो मेरे दोस्त की बीवी थी ! कभी वो एक जानी मानी मॉडल हुआ करती थी, करीब 5 फ़ुट 9 इंच उसका कद होगा ! जिसकी शादी को अभी तीन साल भी नहीं हुए थे, दो महीने पहले मेरे दोस्त की मौत हो गई और उसके बाद उसे हमारी कंपनी ने अनुकम्पा नियुक्ति के आधार पर नौकरी दी थी। वे दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे, उन्होंने लव-मैरिज की थी।
खैर मैंने उसे अनदेखा कर दिया !
मैं जब मीटिंग में खड़े होकर स्पीच देने के बाद जब मैं अपनी जगह बैठा तो सब लोगों की तरह वो भी जोर-जोर से ताली बजा रही थी। मेरी नजर अचानक उसके ऊपर चली गई। वो मेरी ओर देख कर मुस्कुरा रही थी। तो मैंने भी छोटी सी स्माइल दी ! जैसे तैसे शाम को चार बजे मीटिंग ख़त्म हुई, सब लोग लंच के लिए जाने लगे मुझे भी बड़ी जोर के भूख लगी थी मैंने यान में सिर्फ नाश्ता किया था और सुबह से कुछ नहीं खाया था !
मैं मेज़ पर से अपनी फाइल और पेपर समेटने लगा। शैलीन भी अपने पेपर उठा चुकी थी और उसकी नजरें मेरी ओर ही थी !
मैंने जैसे ही बैग उठाया और चलने लगा कि अचानक शैलीन ने आवाज दी।
शैलीन- नब्बू, यू डोंट नो मी?
मैं- ओह, शैलीन भाभी ! सॉरी, आई एम वैरी सॉरी ! वो क्या है न, मुझे बहुत जोर की भूख लगी है ! इसलिए मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा है !
शैलीन- अभी भी बहाने काफी अच्छे बना लेते हो !
मैं- नहीं, मैं सच कह रहा हूँ !
शैलीन- चलो आज मेरे हाथ का खाना खाओगे तुम !
मैं- नहीं भाभी !
शैलीन- मुझे कुछ नहीं सुनना है ! अभी वो (शैलीन का पति अर्जुन मेरा लंगोटिया यार) होते तो तुम इन्कार करते क्या?
मैं- भाभी ऐसी बात नहीं है।
शैलीन(रोते हुए)- तुम भी यही समझते हो ना कि मैंने उनकी जान ली है।
मैं- भाभी, रोओ मत ! मैंने ऐसा कभी नहीं सोचा, फिर तुम क्यों अपने आप को कोसती हो?
असलियत क्या थी? यह सिर्फ मैं जानता था कि अर्जुन ने खुदख़ुशी क्यों की थी।
भाभी के बहुत मनाने पर मैं भाभी के साथ घर जाने के लिए राजी हो गया। मैं यह भी जानता था कि भाभी बहुत जिद्दी है, वो मुझे अपने घर ले जा कर ही रहेगी।
मैं भाभी के साथ कार में बैठ गया और भाभी कार चला रही थी क्योंकि उसे साथ ड्राइविंग बहुत पसंद थी, मैं शांत बैठा था !
शैलीन ने बात शुरू की।
शैलीन- नब्बू यह बताओ कि तुम से तो अर्जुन कभी कोई बात नहीं छुपाता था ना?
मैं- नहीं ! हम दोनों में कोई भी बात
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RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
वफ़ा या हवस-2
शैलीन की आवाज़ से अचानक मेरा ध्यान भंग हुआ।
मुझे देखकर ही पेट भर लोगे या खाना खाओगे? शैलीन ने मुस्कुराते हुए कहा।
मैं बाथरूम में गया और हैण्ड वाश अपने लण्ड पर लगाया और जिंदगी में पहली बार मुठ मारी ! मैंने सोचा बारिश रुके या न रुके, खाना खाने के बाद तुरंत निकल जाऊँगा !
उसके बाद हाथ-मुँह धोकर डाईनिंग टेबल पर पहुँचा तो शैलीन मेरे सामने बैठ गई और खाना परोसने लगी, मैंने जैसे ही उसकी ओर देखा तो उसके दोनों गोरे स्तन साफ-साफ दिख रहे थे।
मैंने अपनी नजरे नीचे की और हम चुपचाप खाना खाने लगे ! मैंने घड़ी की ओर देखा तो रात के आठ बज रहे थे और बारिश लगातार हो ही रही थी।
शैलीन ने बात शुरू की !
शैलीन- नब्बू, यह बताओ कि तुमने अभी तक शादी क्यों नहीं की?
मैं- अभी तक ऐसी लड़की ही नहीं मिली जिससे मैं शादी करूँ !
शैलीन- और गर्लफ्रेंड?
मैं- भाभी मैंने वो सब छोड़ दिया है ! (मैं उसका इशारा समझ रहा था)
शैलीन- तुम्हें कैसी लड़की चाहिए?
मैं- आप जैसी ! (यह मेरे मुँह से क्या निकल गया)
शैलीन- मुझमे ऐसा क्या है?
मैं- भ...भा...भाभी! दूसरी बात करते हैं न? (मैं फंस गया था)
शैलीन- तो यह बताओ कि आज तक कितनी गर्लफ्रेंड फंसाई है? (वो इसी विषय पर बात करना चाहती थी)
मैं- बस एक ही !
शैलीन- सोनी ? (शायद अर्जुन ने इसे मेरे बारे में सब बता दिया होगा)
मैं- हां !(मैं चौंक गया)
शैलीन- उसे भी छोड़ दिया ! कभी उसकी याद नहीं आती?
मैं- मुझे कोई अफ़सोस नहीं ! (क्योंकि मैंने कभी किसी से प्यार किया ही नहीं था)
शैलीन चुप हो गई, मैं पानी पीने लगा, क्योंकि शैलीन के सामने वैसे भी मैं खाना नहीं खा पा रहा था क्योंकि मेरा पूरा ध्यान शैलीन पर था सच में वो बहुत ही खूबसूरत थी !
मेरी हालत खराब हो रही थी, ऊपर से जिन (शराब) का नशा ! ना जाने आज क्या होगा ! काश यह अर्जुन की बीवी न होती तो कब का इसका काम कर दिया होता !
तभी शैलीन ने कहा- और लो न नब्बू !
मैं- नहीं... भाभी बस हो गया !
शैलीन- और नहीं लिया तो मैं तुम्हें खुद अपने हाथों से खिलाऊँगी, तुम सोच लो !
मैं- नहीं भाभी, मैं और नहीं खा सकता !
मेरे इतना ही कहने की देर थी कि शैलीन अपनी कुर्सी से उठी और मेरी प्लेट में खाना जबरदस्ती डाल दिया और वो मेरी गोद में बैठ गई !
मैं चौंक गया !
मेरी जांघ और लण्ड पर उसकी कोमल-कोमल गांड का एहसास हो रहा था और मेरा लण्ड लोहे की छड़ बन चुका था !
इतने में ही शैलीन अपने हाथ से खाना मेरे मुँह के पास लाई और कहा- अब मुँह खोलोगे या नहीं?
मेरे मुँह से तो आवाज ही नहीं निकल रही थी, मैं उसके हाथों से खाना खाने लगा। शैलीन को तो मौक़ा मिल गया था अपनी बात जाहिर करने का, लेकिन मैं क्या करूँ?
मेरे सब्र का बाँध टूट गया था, मैं नशे में अपनी औकात से बाहर हो रहा था।
तभी शैलीन ने अपना असली खेल शुरू किया।
शैलीन(मेरी गोद से उतरते हुए)- यह नीचे क्या चुभ रहा है? दिखाओ मुझे !
उसने मेरी नाईट पैंट और अंडरवेअर को एक साथ पकड़ के हटा दिया जिससे मेरा खडा लण्ड टन-टनाते हुए उसके सामने आ गया।
अच्छा तो यह है ! अर्जुन का तो इससे आधा था, उसकी गोद में बैठने से चुभता ही नहीं था।
मैं- भाभी अर्जुन के लिए बस करो, वरना तुम्हारी जिंदगी खराब हो जाएगी !
शैलीन- तो अभी क्या है !
गमगीन होते हुए वो मुझसे लिपट गई।
मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, सही-गलत समझ में नहीं आ रहा था। अगर शैलीन को कोई ऐतराज नहीं है, तो मैं क्यों संत बन रहा हूँ? मैं अभी इसकी जरुरत हूँ, यह मेरी ! सो मैंने भी शर्म छोड़ दी और शैलीन को दोनों हाथो से गोद में उठाया, बेडरूम में ले गया, प्यार से बिस्तर पर लिटा दिया और मैं उसके बाजू में करवट ले लेट गया।
तभी शैलीन भी मेरी ओर पलट गई उसने एक हाथ मेरे गाल पर रखा और कहा- नब्बू, आज मुझे औरत होने सुख दो ! मैं बहुत प्यासी हूँ !
इतना कहकर वो मेरे ऊपर आ गई और मुझे चूमने लगी।
मैंने उसे बाहों में लिया और पलट गया। अब वो मेरे नीचे थी और मैं उसके ऊपर !
मैंने अपने होंट उसके नाजुक गुलाबी-गुलाबी होंटों पर रख दिए और चुम्बन करने लगा।
कहानी के कई भाग हैं ! पढ़ते रहिए !
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RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
वफ़ा या हवस-3
शैलीन भी मेरी ओर पलट गई उसने एक हाथ मेरे गाल पर रखा और कहा- नब्बू, आज मुझे औरत होने सुख दो ! मैं बहुत प्यासी हूँ !
इतना कहकर वो मेरे ऊपर आ गई और मुझे चूमने लगी।
मैंने उसे बाहों में लिया और पलट गया। अब वो मेरे नीचे थी और मैं उसके ऊपर !
मैंने अपने होंट उसके नाजुक गुलाबी-गुलाबी होंटों पर रख दिए और चुम्बन करने लगा। एक हाथ से उसकी चिकनी-चिकनी जांघों को सहलाने लगा।
शैलीन ने दोनों हाथों से मुझे कस के पकड़ लिया! हम दोनों पहले से ही गर्म थे इसलिए हमें ज्यादा समय नहीं लगने वाला था !
मैंने पहले शैलीन की पैंटी उतारी फिर उसकी मैक्सी ! मैंने अपने भी पूरे कपड़े उतार दिए। अब हम दोनों पूरी तरह से नंगे हो चुके थे !
शैलीन और मैं 69 की अवस्था में लेट गए, मैंने अपना लण्ड उसके मुँह में डाल दिया और अन्दर-बाहर करने लगा ! मेरे लण्ड को उसके नाजुक-नाजुक होंटों और जीभ का स्पर्श होने से मेरा नशा और मजा दुगुना हो रहा था ! मैं सातवें आसमान की सैर कर रहा था !
मैंने भी अपनी जीभ उसकी चूत में डाल कर उसे रगड़ने लगा था ! मैं पहली बार किसी की चूत चाट रहा था, उसकी चूत का खारा पानी ! आह..ह..ह क्या मजा आ रहा था !
हम दोनों जरुरत से ज्यादा गर्म और उतावले हो चुके थे।
फिर मैं सीधे शैलीन के ऊपर लेट गया और उसके दोनों चुचूकों को पकड़ कर इकट्ठे चूसने लगा, अचानक मेरा ध्यान नाईट लैम्प के पास रखी शहद की बोतल पर गया। मैंने बोतल उठाई, खोली और थोड़ा शहद अपने लण्ड पर गिराया और थोड़ा शहद उसके दोनों स्तनों और चूत पर गिराया !
शैलीन समझदार थी, वो समझ गई थी कि उसे क्या करना है? वो मेरे लण्ड को मुँह में लेकर शहद चूसने लगी और मैं भी उसके बदन पर लगे शहद को चाटने लगा !
शैलीन बोलने लगी- आहह ! बहुत मजा आ रहा है इसमें !
मैंने भी पहले चूचियाँ फिर चूत को चाट-चाट कर पूरा साफ़ कर दिया।
अब मैंने शैलीन को लिटा दिया और उसके ऊपर आकर दोनों टाँगें फैला दी, मैं उसकी दोनों टांगों के बीच में बैठ गया अपना लण्ड जैसे ही चूत के छेद में रख कर धकेला,
"मम्मी..ई मम्मी.ई..ई....ई.....ई !" कहते हुए वो झट से सरक गई और दोनों हाथों से अपनी चूत पकड़ कर टाँगें सिकोड़ ली और करवट ले कर रोने लगी !
मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और कहा- दर्द को भूल जाओ शैलीन ! फिर देखो, कितना मजा आता है !
मैंने शैलीन को सीधा किया और फिर वैसे ही उसकी टांगों के बीच में आ गया ! इस बार मैंने शैलीन को अपनी बाहों में जकड़ लिया और अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और कहा- शैलीन, शुरू करूँ? शैलीन- लेकिन प्लीज़, धीरे करना, तुम तो जानते ही होंगे कि मुझे अर्जुन ने कभी नहीं किया है !
जैसे ही शैलीन ने अपनी बात ख़त्म की, मैंने जोर के धक्का मारा और मेरा लण्ड आधा अन्दर जा चुका था।
शैलीन छटपटाने लगी।
मैंने और कस कर शैलीन को पकड़ लिया और अंधा-धुंध धक्के पर धक्के मारने लगा।
शैलीन छटपटा रही थी, चिल्ला रही थी- मैं मर जाऊँगी ! आराम से ! मम्मी ! नब्बू छोड़ दो ! मेरे बर्दाश्त के बाहर हो रहा है!
लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, मैं तो चालू ही था ! यों तो मैंने न जाने कितनी ही चुदाई की थी लेकिन इतना मजा पहले कभी नहीं आया था। मैं अपनी पूरी ताकत लगा कर धक्के लगा रहा था, साथ में पूरा बेड भी चिर-चिर की आवाज करते हुए हिल रहा था !
शैलीन पूरा पसीने से भीग गई थी लेकिन मैं था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था ! थोड़ी देर के बाद शैलीन का दर्द भी कम होने लगा था, वो भी अपने कूल्हे उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी थी। अब मेरा मजा दुगुना हो गया था, सो मैंने शैलीन को अपनी बाहों से आजाद कर दिया और उसके दोनों चुचूक को एक साथ मुँह में लेकर चूसने लगा।
मेरे सर पे तो शराब और शबाब का तो जैसे जुनून सवार था ! हम दोनों ही अपनी जवानी भरपूर मजा ले रहे थे !
मैं उसे जी भर चोदना चाहता था क्योंकि शैलीन जैसी चीज को मैंने पहले कभी नहीं चोदा था ! मैंने सोचा कि क्यों ना चोदने का कोई नया तरिका अपनाया जाये जो मैंने पहले कभी ना किया हो !
बेडरूम में एक चार फ़ीट की अलमारी थी, मैंने उसे दोनों हाथों से अलमारी पकड़ कर घोड़ी बनने को कहा।
वो झुक कर घोड़ी बन गई और मैं उसके पीछे आ गया, उसकी गोरी-गोरी गाण्ड देखकर तो मुझे और भी नशा आ रहा था ! मैंने उसकी एक टांग उठा कर अपने कंधे पर रख ली, इस तरह से उसकी चूत का मुँह पूरा खुल गया था। अब मैंने उसकी कमर को पकड़ कर अपना लण्ड उसकी चूत में दनदनाते हुए पूरा अन्दर तक डाल दिया और दनादन धक्कमपेल करने लगा।
शैलीन के मुँह से बस "आह..ह धीरे करो आह..ह..ह" की आवाज आ रही थी।
मैं इतनी जोर के धक्के लगा रहा था कि शैलीन के पूरे जिस्म के साथ-साथ वो अलमारी भी हिल रही थी।
इतने में शैलीन ने अपना पानी छोड़ दिया और चूत पूरी गीली हो गई थी और मेरा लण्ड भी ! जिसकी वजह से मेरा मजा किरकिरा हो
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RE: Hindi Porn Kahani बजाज का सफरनामा
इतने में शैलीन ने अपना पानी छोड़ दिया और चूत पूरी गीली हो गई थी और मेरा लण्ड भी ! जिसकी वजह से मेरा मजा किरकिरा हो रहा था।
मैंने उसे फिर बाहों में उठाया और बेड पर उल्टा लिटा दिया और उसकी दोनों टांगो को खींच कर बेड के नीचे कर दिया जिससे कि उसकी गांड का '0' जैसा छेद साफ़ दिखाई दे रहा था। मैंने पीछे से उसके दोनों बगल में हाथ डाल के शैलीन को कस कर पकड़ लिया, मेरा लण्ड तो पहले से ही शैलीन के रज से गीला था, मैंने अपना लण्ड शैलीन की गांड पर रखा और उसका मुँह तिरछा करके उसके दोनों नाजुक होंटों को अपने दांतों से पकड़ लिया और एक जोर के झटका लगाया। मेरा आधा लण्ड उसकी गांड में चला गया !
बस फिर क्या था ?
शैलीन तड़पने लगी थी, लेकिन मैंने उसे ऐसा पकड़ा था कि वो छूट ही नहीं सकती थी ! मैंने गति और तेज कर दी और पूरी ताकत और रफ़्तार के साथ धक्के पर धक्के मारने लगा। मैंने आज तक ना तो ऐसी चूत चोदी थी और ना ही ऐसी गांड और ना ही इतना मजा आया था पहले कभी !
मैंने तब तक धक्के मारे जब तक मेरा पानी नहीं निकला। मैंने अपना सारा पानी शैलीन की गाण्ड में ही छोड़ दिया और उसकी बगल आ कर लेट गया।
हम दोनों की सांसें जोर-जोर से चल रही थी और दोनों पसीने से पूरे भीग गए थे। मैंने देखा की शैलीन को जरूरत से ज्यादा ही कमजोरी आ रही थी, उसका पूरा शरीर प्रतिरोध करने से लाल हो गया था।
रात के दो बज रहे थे, मैंने शैलीन को पानी दिया और आराम से सोने के लिए कहा। शैलीन अपने दोनों हाथों से मुझे पकड़ कर उसी बेड पर लेट गई !
हम दोनों नंगे ही थे ! मुझे कब नींद आई पता ही नहीं चला।
दूसरे दिन (दोपहर को तीन बजे जो मुझे पता ही नहीं था) मेरी नींद खुली, मेरा सर जोर से दर्द हो रहा था मानो कि सर फट रहा हो !
मैं अभी भी नंगा ही था और मेरे कपड़े वहाँ से गायब थे ! इतने में शैलीन आई मैंने उसे देखते ही रजाई ओढ़ ली! उसने काले रंग का गाऊन पहना था।
शैलीन (मुस्कुराते हुए)- अब क्यों इतना शरमा रहे हो?
मैं- न.न..नहीं भाभी ! वो मैंने कपड़े नहीं पहने हैं ना !
शैलीन- वो मैंने धो दिए, अभी सूखने हैं! कोई बात नहीं ! मैं अर्जुन के कपड़े ला देती हूँ!
कहते हुए वो चली गई। पांच मिनट के बाद शैलीन वापस आई और उसके हाथ में कपडे थे !
"ये लो" मुझे देते हुए !
मैंने जैसे हाथ आगे बढाया शैलीन अपने हाथ पीछे कर लिए!
मैं- यह क्या भाभी ?
शैलीन- वादा करो कि आज के बाद तुम मुझे सिर्फ शैलीन कहोगे?
मैं- ठीक है !
वैसे भी शैलीन बहुत जिद्दी थी।
शैलीन- जल्दी से फ्रेश हो जाओ !
मैं- क्यों भाभी ?
शैलीन- फिर भाभी?
मैं- सॉरी शैलीन, लेकिन क्यों?
शैलीन- सरप्राईज़ है तुम्हारे लिए !
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