08-08-2018, 11:49 AM,
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RE: Hindi Sex kahani मेरी बर्बादी या आबादी
"हां स्वेता ..बस अब शायद आखरी पड़ाव है उसका ..हां अब निकल जाएगा ... बस थोड़ी देर और ..." और मैने एक जोरदार तरीके वहाँ चाटा और पूरी साफ हो गयी ..पर कुछ आइस क्रीम पिघल कर चूत की फाँक में भी चली गयी ....उसकी ठंडक से स्वेता सीहर उठी ...चूत की दीवारों मे हल्का कंपन हो रहा था ...मेरी भी हालत खराब थी ..स्वेता की मुट्ठी पूरी गीली थी और उसने मेरा लंड अच्छी तरेह जाकड़ रखा था और उसकी चॅम्डी भी धीरे धीरे उपर नीचे कर रही थी ...
आखरी पड़ाव पर आइस क्रीम डालने के पहले मैने स्वेता को धीरे से उठाया और उसकी पीठ सोफे के बॅक रेस्ट पर टिका दिया ...पर उसका हाथ मेरे लौडे को अभी भी जकड़ा था ...उसे सोफे को एड्ज पर बिठाया और टाँगें फैला दीं ...स्वेता भी आनेवाले पलों की नज़ाकत समझ चूकि थी ..:हां हां अब तो तुम्हारी जान निकली ही9 निकली ...हां जल्दी जल्दी ...ऊवू करो ना प्रीत प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़ ...हो करना है करो ..करूऊऊऊऊऊऊऊ.." और उसका हाथ मेरे लंड पर तेज़ होता गया ..उपर नीचे ..मुझ से भी बर्दास्त नहीं हो रहा था ...
मैने चम्मच भरा और अपने दूसरे हाथ से उसकी चूत फैलाया ..आआआआः गुलाबी चूत का मुँह पूरा ख़ूला था ....मैने पूरी आइस क्रीम डाल दी वहाँ .....स्वेता कांप उठी .... उसके जांघों मे सीहरन सी हो गयी ...और मैं अपनी जीभ लिए उसकी चूत पर टूट पड़ा ..मेरा एक पैर उसकी टाँगों के बीच नीचे फर्श पर था और दूसरी टाँग सोफे पर ...उसका एक हाथ मेरे लौडे से खेल रहा था और दूसरा हाथ मेरे सर को अपनी चूत से दबा रखा था ....और मैं जीभ उसकी चूत से लगाया था ...चाट रहा था ..उपर नीचे ..उपर नीचे ...सटा सॅट ..लपा लॅप ...दोनों मस्ती की चरम सीमा की ओर बढ़ते जा रहे थे .....स्वेता सीहर रही थी ..कांप रही थी ..सिसकारियाँ ले रही थी बॅड बड़ा रही थी ..."आआआः आआआआआः ..उईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ...ऊऊऊओ ..प्रीत .हां चाटो ..चाटो ..चाटो ..निकाल दो ..निकाल दो " ...मैं चाटे जा रहा था ..बे तहाशा ..मेरी जीभ भी अब कड़ी हो गयी थी ....उसके चूत के पानी .और आइस क्रीम की वजह से पूरी तरेह लूब्रिकेटेड थी ..पूरी का पुर जीभ अंदर थी .....जैसे कि लॉडा ही अंदर हो ..मैं जीभ से स्वेता को चोद रहा था .फक... फक..फक .".हाआँ हाआँ राजा ..मेरे राजा ...आआआः क्या कर रहे हो ..चाट रहे हो कि चोद रहे हो ...आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जो भी कर रहे हो ...अया किए जाओ ...प्रीत हां ..हाँ किए जाओ ...." उसकी जाँघ थरथरा रही थी ,,चूतड़ उछल रहे थे और मेरा लॉडा उसकी उंगलियों में छटपटा रहा था ..बेचैन था ...मुझे भी लग रहा था मैं गया ..अब गया ..उसके उंगलियाँ तेज़ और तेज़ चल रही थी मेरे लंड पर ...
थोड़ी देर और मेरे जीभ से चाटने और चोदने के बाद स्वेता ने मेरे सर को जोरों से जकड़ते हुए अपनी चूत से लगा लिया ...अपनी चूतड़ उछाली ,जीभ पूरी की पूरी चूत में समाई थी और चीखने लगी .."आआआआआआआआआह ऊऊऊऊऊओ मैं तो गायईीईईईईईईईईईईई ..अया मैं गाइिईईईईईईई आआआआआआआआआआआआआआआआः " और उसकी चूत से पानी का फव्वारा छूट पड़ा ..मेरे मुँह में ...मेरे गालों पर ..मेरे होंठों में और मेरे जीभ में ..मैने पूरी जीभ अपने मुँह में ले ली और उसका पानी अंदर ले लिया ...ऊऊओह क्या टेस्ट था नमकीन ..मीठा चिप चीपा ..इट वाज़ हेवन्ली ..... आइस क्रीम और उसके चूतरस का मिक्स्चर ऐसा कभी पहले महसूस नहीं हुआ ...स्वेता निढाल हो कर पड़ी थी सोफे पर ..मेरे लौडे से भी उसका हाथ हट गया था ..मैने अपने लौडे को थामा और दो चार झटके दिए अपने हाथ से और मेरा लॉडा भी पिचकारी छोड़ने लगा ..उसकी पेट पर ..उसकी चूचियों पर और...पूरे का पूरा खाली हो गया ..मैं उसकी बगल में उसे थामे उसकी चूचियों पर सर रखे बैठ गया..दोनों लंबी लंबी साँसें ले रहे थे ... स्वेता की चूत अभी भी कांप रही थी ..उसकी चूत से उसकी चूतरस , बचा कुचा पीघला आइस क्रीम रीस्ता जा रहा था ...और साथ में मेरी जान भी ..हां मेरी जान निकल गयी आज स्वेता के गूदाज और भरे भरे जिस्म को चाटने में...
दोनों एक दूसरे की बाहों में थे ...काफ़ी देर तक ...फिर उस ने मुझे अपने से अलग करते हुए कहा .."अब तो छोड़ो ना ..जान तो निकल ही गयी तुम्हारी ..ही ही ही .."
"हां स्वेता ...तुम्हारे इतने भरे भरे जिस्म की लिकिंग में सही में मेरी जान निकल गयी..पर स्वेता .." और मैं कहते कहते रुक गया ...
"अब क्या बाकी रह गया ..सब कुछ तो तुम ने चाट लिया ... "
मैने उसकी ओर बड़े शरारती नज़र से देखा और कहा " उम्म्म्मम ...स्वेता अभी एक जगह तो बाकी है .." और मैं उसके चूतडो को अपनी हाथों में ले कर मसल्ने लगा ... और उसकी दरार में अपनी उंगली फेरने लगा ...
उस ने आँखें चौड़ी करते हुए मेरे को बनावटी गुस्से से घूरा और कहा .."छीई ... वो भी कोई चाटने की जगह है ..??? तुम बड़े गंदे हो ..."
"हा हा हा !! प्यार और सेक्स में कोई भी चीज़ बूरी और गंदी नहीं स्वेता ..."
" अच्छा अच्छा ..रहने तो अपनी ज्ञान की बातें ...टाइम बहोत हो गया ..मैं अब जाऊंगी प्रीत ..प्लज़्ज़्ज़ जाने दो ..." और मुझे हटाते हुए वो बाथरूम की ओर चली गयी ... अपने कपड़े साथ में लेते हुए ...
तब तक मैं भी दूसरी बाथरूम में जा कर फ्रेश हो गया और कपड़े पहेन लिए .
वो फिर से फ्रेश हो कर तैय्यार थी ..उस ने मुझे हल्के से किस किया और बड़े प्यार से कहा "थॅंक्स प्रीत .."
और फिर अपनी तूफ़ानी चाल से बाहर निकली ... गेट खोला ..मुझे बाइ किया और चल पड़ी अपने घर की ओर...
स्वेता अपनी तूफ़ानी चाल से बाहर निकल तो गयी , पर जाते जाते उसके चूतडो का लहराना, मटकना और पतली शिफ्फॉन की साड़ी के अंदर से हिलना और उछलना ..मेरे दिलो-दिमाग़ में फिर से एक हलचल मचा दी ....क्या हिप्स हैं ...और सब से बढ़िया बात एक दम सुडौल , गोल उभरे हुए ..जैसे साड़ी के बाहर अब आए कि तब..उसने अपनी बॉडी फैलने नहीं दी थी ..लगता है काफ़ी एक्सर्साइज़ वग़ैरह करती होगी ..अगली बार आएगी तो ज़रूर पता करूँगा ..क्यूंकी ज़्यातादार मोटी औरतें फैल जाती हैं और उनके मसल्स टाइट होने की बजाय लटकने लगते हैं ..पर स्वेता ने एक्सेस फॅट को इस खूबसूरती से संभाल रखा था ..कि वो उसकी सेक्स अपील में चार चाँद लगा देते ...
मैं भी अपनी ख़ुशनसीबी पे मुस्कुरा रहा था ... मेरा अकेलापन जो मुझे खाने को दौड़ता था ..अब भारती और स्वेता के संग बीताए सुनेहरे पलों की याद में बड़ी मजेदार हो जाती ..मेरा लॉडा तन्ना जाता ... शरीर में एक झुरजुरी सी उठती ...
दो चार मुलाक़ातों में ही दोनों से इतनी दोस्ती हो गयी थी , जैसे हम कितने अरसे से एक दूसरे को जानते हों ...दोनों काफ़ी जिन्दादिल थीं और जिंदगी जीने की , जिंदगी के हर पल का लुत्फ़ उठाने की दोनों में तीव्र लालसा थी ...ऐसे लोग कम ही मिलते हैं ..मैं अपनी किस्मत सराह रहा था ..
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08-08-2018, 11:50 AM,
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RE: Hindi Sex kahani मेरी बर्बादी या आबादी
तब तक रामू ने चाइ की ट्रे टेबल पर रख दी थी ..हम दोनों चाइ की चुस्कियाँ ले रहे थे और बातें भी कर रहे थे ..बहोत ही सहेज ढंग से ...
" तो यह बात है ..मतलब हम दोनो का नज़रिया सेम टू सेम ....हा हा हा हा !!!" मैने कहा
" यस सेम टू सेम ...ही ही ही ही ही..!! " उ स ने जवाब दिया .. " अब जैसे आज ही देखो ..कित ने सहेज ढंग से हम लोग बातें कर रहे हैं और ऐसी बातें जो शायद कोई भी औरत किसी मर्द के सामने इतनी आसानी से नही कह पाएगी ..पर तुम्हारे सामने मुझे ज़रा भी संकोच , शर्म या झिझक नहीं आई ... बिकॉज़ यू मेक मी फील सो कंफर्टबल ... "
" थॅंक्स स्वेता , यू अंडरस्टॅंड ..थॅंक्स आ लॉट .." मैने कहा ..
सडन्ली उसकी निगाहें घड़ी पर गयीं .." अरे बाप रे इतना समय हो गया ..मैं चलूं शाह साहेब का फोन आने वाला ही होगा ..अगर फोन रिसीव नहीं हुआ तो बस समझो मेरी सामत ...कल फिर मिलेंगे इसी जागेह उसी समय ..ओके बाइ फॉर नाउ .." जाते जाते उस ने एक चिट मेरे हाथ में थमाया और कहा "इस में मेरा फोन नंबर है ..विल वेट फॉर युवर कॉल ..."
और फिर वो उठी और उसी तूफ़ानी चाल से बाहर निकल गयी ..और मैं उसकी हिलती , उछलती और मचलती जवानी को देखता रहा .....
उफ़फ्फ़ क्या चीज़ थी यह स्वेता भी ...सच में तूफान ... आती थी तो तूफान ..जब तक रहती थी तो तूफान , मेरे दिलो-दिमाग़ में और पॅंट के अंदर तूफान ..और जब जाती थी तो तूफान...आज पहली बार उसके चूतडो का उछाल , उनकी गोलाई और उभार मैने ध्यान से देखा ...मन किया के बस उन्हें मसल दूं...खा जाऊं ...पूरा मुँह उसकी दरार में घूसेड दूं और चूस लूं ..चाट लूँ..उसकी दरार हाथों से फैला उसके होल को चाट जाऊं ऊऊऊः क्या सेक्सी हिप्स थे ...और यह बात स्वेता जानती थी..उसकी चाल इस बात को चीख चीख कर उजागर करती थी .उसके हर कदम पर उसके चूतडो का उछाल बड़ा नपा तुला होता था ...लगता जैसे अब वो सारी की हदें पार कर , सारी सीमाओं को लाँघते हुए ...बस बाहर आने वाले हो ...मैं पागल हो उठा था ..
उसके चूतडो के ख़याल से जैसे तैसे बाहर आया और हाथ में उसके फोन नंबर की चिट देखा ..मेरे होंठों पे मुस्कुराहट थी... चिट को मैने चूम लिया ..नंबर अपनी डाइयरी में नोट कर लिया .. चिट को फाड़ कर डस्ट बिन में डाल दिया ..
रात को डिन्नर कर लेता था ... थोड़ी देर पहले ही बीबी और बच्चों से बातें हुईं थीं..मैं काफ़ी रिलॅक्स्ड फील कर रहा था ..सोने की तैय्यारि में था कि फिर स्वेता के चूतड़ आँखों के सामने आ गये ..आती हुई नींद उसकी चूतड की दरार में थी ....बूरी तराः उसके चूतड़ मे होल में फँसी थी ... मैं करवटें ले रहा था ..नींद आँखों से ओझल थी और कहीं और थी ...वहाँ से निकालना ही पड़ेगा ... और मैने अपनी डाइयरी में स्वेता का नंबर देखा ..और मेरी उंगलियाँ पहून्च गयीं मेरे फोन पर ..नंबर डाइयल किया ....रिंग जा रहा था ... कोई रेस्पॉन्स नहीं ....मैने दुबारा रिंग किया ..मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो रही थी .... कोई तो उठाओ फोन ..उठाओ ...और उधर से जानी पहचानी आवाज़ आई '"हेलो ..??''
" स्वेता ..मैं ... "
" हां तुम ही हो सकते हो भोले राम ....इतनी देर लगा दी फोन करने में ..?? मैं कब से फोन लिए बैठी थी ... बाथरूम भी नहीं जा रही थी ...और फिर जब नहीं रहा गया आख़िर ..तो गयी और जनाब ने रिंग किया ..कहो क्या हाल है ..??"
"बहुत बूरा .." मैने कहा
"अले अले ..क्या हुआ मेरे स्वीट स्वीट बच्चे को ...कौन परेशान कर रहा है ..मैं अभी उसकी खबर लेती हूँ ...जल्दी बताओ .."
"तुम्हारे चूतड़ ...." मैने तपाक से जवाब दिया .
मुझे ऐसा लगा जैसे उसकी रिसीवर हाथ से छूट गया था ..कुछ गिरने की आवाज़ आई ...
" माइ गॉड .... माइ गॉड ...तुम बहोत गंदे हो प्रीत ..."
"अब तुम मुझे गंदा बोलो या सॉफ ..मैने सच्ची बात बता दी ..स्वेता ..तुम्हारे चूतड़ है ही ग़ज़ब यार ...मेरी नींद भी वहीं अटकी है .. देखो ना कभी मेरी जान तुम्हारे अंदर अटकती है तो कभी नींद ..मैं क्या करूँ ..तुम्ही बताओ ...मैं क्या करूँ .."
" ह्म्म्म्म..लगता है मामला बड़ा सीरीयस है .... कुछ तो करना पड़ेगा .." और उधर से फिर वोही " ही ही ही ही ही .."
"हां हां, हंस लो हंस लो ..मेरी नींद और जान अटकी है और तुम्हें हँसी आ रही है ... "
" अरे बाबा हंसु नहीं तो और क्या करूँ ..अब इतने रात गये कैसे ढूंढू मैं उसे ..और वहाँ कितना अंधेरा होगा ..ही ही ही... "
" तुम्हें ढूँढने की ज़रूरत नहीं स्वेता ..मैं खुद ही निकाल फेंकूंगा उसे ..कैसे यह तुम जानती हो .."
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08-08-2018, 11:50 AM,
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RE: Hindi Sex kahani मेरी बर्बादी या आबादी
"अच्छा ..?? तो इतनी रात , तुम वहाँ और मैं यहाँ ..कैसे निकलोगे राजा ..क्या तुम्हारा लॉडा इतना लंबा हो गया इतनी जल्दी ??? ..मेरे चूतड़ में तो बहोत दम है यार ...देखो ना कितना तन्न कर दिया ...ही ही ही ही ""
" नहीं मेरी रानी ना मैं यहाँ ना तुम अकेली वहाँ ..हम दोनों वहाँ होंगे थोड़ी देर में ..."
"क्य्ाआआअ......???/???,"ऐसा लगा उसकी रिसीवर हाथ से शायद फिर से छूट गयी थी ,"तुम पागल हो गये हो , इतनी रात तुम यहाँ आओगे ..?? "
" हां स्वेता मैं बस पागल हो गया हूँ .. यही समझो ... हां अगर तुम्हें कोई ऐतराज़ ना हो तो ..."
"मुझे कोई प्राब्लम नहीं यार ..पर कोई देख ले तुम्हें इतनी रात यहाँ आते , तो..?"
" डॉन'ट वरी फॉर दट ..एक तो अभी कोई बाहर होगा भी नहीं ..और मैं पूरा ख़याल रखूँगा कि मुझे कोई देखे नहीं ...मुझे भी इसकी चिंता है ना .. डार्लिंग बस तुम हां कर दो ..मैं रियली बहोत परेशान हूँ ...ऊऊऊऊऊः देखो ना अभी से उसके मुँह से लार टपक रही है ....""
"ही ही ही......तुम भी ना ..बहोत शरारती हो गये हो ..ठीक है बाबा आ जाओ और जल्दी करो ...शायद यहाँ मुझे भी कुछ गीला गीला लग रहा है ...ही ही ही...."
" थ्ट्स लाइक आ गुड गर्ल ... बस मैं 5 मिंट में आया ..तुम दरवाज़ा खोल के रखना ..मैं नॉक नहीं करूँगा ....सीधा अंदर आ जाऊँगा ...तुम अपनी खिड़की से बाहर देखते रहना ..ओके ..??"
"ओके डार्लिंग ....बस अब आ जाओ ..."
और मैं बिस्तर से उठा ..कपड़े बदले ..घर का दरवाज़ा लॉक किया और चल पड़ा अपनी नींद के पीछे ..उसे निकालने ..उसे फिर से अपनी आँखों में वापस लाने ...
स्वेता का घर मेरे घर से सिर्फ़ एक घर छोड़ कर था ...मुझे सिर्फ़ 2 -3 मिनट. लगे वहाँ पहून्च्ने में ..गेट ख़ूला था ...मैने आगे पीछे देखा ..कोई नहीं था ....मैने गेट खोला और तेज़ कदम बढ़ाते हुए उसके बरामदे से होता हुआ दरवाज़े की ओर बढ़ा ..दरवाज़ा भी ख़ूला था ...मैने हल्के से पुश किया ..और अंदर आ गया ..देखा तो सामने... स्वेता बैठी थी ..सोफे पर ..वो फ़ौरन उठी और दरवाज़े को लॉक करने लगी ...मैं बगल को हट गया ...उफफफफफफफफफ्फ़ क्या लग रही थी .....उस ने एक पारदर्शी डीप रेड नाइटी पहेन रखी थी ... अंदर कुछ भी नहीं ...ऊओ मैं देखता ही रहा ...जैसे उसका सारा बदन नाइटी से बाहर उछलने को तैय्यर था ..., मुझ से रहा नहीं गया ...जब वो झुकी दरवाजा को बोल्ट करने को ..उसके चूतड़ पीछे की ओर उठे थे ...जैसे मुझे बुला रहे हों ..और नाइटी उसकी दरार में फँसी थी ...ऐसा लगा जैसे उसके लाल रंग के चूतड़ हो और वो बिल्कुल नंगी हो..मैने झट उसके पीछे आते हुए उसकी कमर अपने हाथों से जाकड़ ली और अपने क्रॉच उसकी चूतड़ की दरार में चिपका कर उसकी गूदाज पीठ पर अपने गाल फिराने लगा ...
" उफफफफफफफ्फ़ ...ज़रा सब्र करो ना प्रीत ...लॉक तो करने दो दरवाज़ा ... मैं कहाँ भाग रही हूँ..चलो बेड रूम में वहाँ जो जी चाहे कर लो .." और वो दरवाज़ा लॉक कर सीधी खड़ी हो गयी और मैं उसे अपने से चिपकाए उसके साथ साथ बेड रूम की ओर बढ़ता गया ..मैने उसे पीछे से जकड़ा हुआ था ..मेरा लॉडा पॅंट को चीर कर बाहर आने को तड़प रहा था ..उसके चुतडो के बीच धंसा था ..मेरे हाथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियाँ थामे थे ...और हम लोग बेडरूम की ओर बढ़ रहे थे ..
"बाप रे ..तुम तो सही में पागल हो गये हो ...आज तो मेरी गान्ड फटी .."
"हां रानी आज मैं सही में तेरे लिए पागल हूँ ..तुम हो ही ऐसी ..."मैने उसके कान में अपनी भर्राई आवाज़ से कहा ...
अब वो भी सिसकारियाँ ले रही थी .."ओओओह्ह ...आआआआआः "
जैसे हम बेड पर पाहूंचे मैने उसे लिटाया और उसके उपर आ गया ...उसकी टाँगें अपनी टाँगों से जाकड़ ली ..उसके होठों पर अपने होंठ रखे , उसे छूने लगा ..उसके होंठों को चूसने लगा ...कभी होंठ ..कभी गाल ..कभी गर्दन ..कभी उसकी छाती ..आआआआआआः उसकी हर जगह भरी भरी थी ..चूमने और चूसने में भरपूर मज़ा आ रहा था ...
"हां हां चूसो ..चाटो ..ऊऊऊऊः हां हां प्रीत ..आज मुझे पूरा चूस लो ...चूस लो ना ..अयाया " वो चीख रही थी ..
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08-08-2018, 11:51 AM,
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RE: Hindi Sex kahani मेरी बर्बादी या आबादी
मैने चाटना बंद किया और कहा " देखो ना तुम अपने आप को कितने प्यार से मेरे हवाले कर देती हो , मैं तुम्हारे शरीर से खेलता रहता हूँ ..चाट ता हूँ ..चूस्ता हूँ , तुम बस आँखें बंद किए मस्ती लेटी हो ... दूसरी औरतें तो बस सीधा चुदने को तैय्यार रहती हैं .. "
"हां प्रीत ..मुझे भी बड़ा अच्छा लगता है तुम्हारा प्यार करना ..मेरे शरीर से खेलना ..जैसे तुम अपने टच से अपना पूरा प्यार जाहिर कर रहे हो ... यह भी तो एक तरेह की भाषा ही है ना राजा प्यार की भाषा ..."
मैंने देखा हमारी सोच कितनी मिलती हैं , और मैं और मस्ती में आ गया , उसे चूमने लगा , उसकी पीठ ..उसकी चूतड़ , उसके गाल ..उसके होंठ ...रस पी रहा था उसका ....मेरे लंड और उसकी चूत से लगातार रस टपक रहे थे ....मेरे हाथों में उसकी चूत का रस और उसके हाथ में मेरे लंड का रस ...दोनों रस अंदर ले लेते ..फिर चूमते चाट ते ...चूमते चाट ते , कभी उसकी जीभ चूस्ता ..उसके मुँह का रस अंदर ले लेता ...हम लोग बस बेहोश थे एक दूसरे में ...
अब मैं उसकी कमर पकड़ कर उठाया , उसे उसके घुटने पर लिटाया ... वो समझ गयी मैं क्या चाहता हूँ ..उस ने अपनी कमर नीचे करते हुए गांद उठा ली ..चूत बाहर आ गयी ..चमकीली चूत ..गीली चूत ..गुलाबी चूत ... मैने अपने तंन लंड को उसकी चूत पर टीकाया , उसकी कमर जकड़ी और लॉडा उसकी चूत में पेल दिया ....एक बार में ही पूरे का पूरा लॉडा अंदर था ..फतच ... "वाााआआः ,,,,आआआः ....हााआआ .." देखो ना गीली चूत में कितने आराम से लॉडा गया ..स्वेता ने कहा ...
"हां रानी .." मैने लंड को अंदर लगाए ही रखा थोड़ी देर ..और कमर हिलाते हुए उसे अंदर ही अंदर घूमाता रहा ..उसकी चूत के अंदर ...स्वेता सीहर उठी ..कांप उठी ,,,मस्ती मे ,,फिर मैने लॉडा बाहर किया और लगातार उसे चोदने लगा ..फका फक ..सटा सॅट ..कमर जाकड़ते हुए धक्के पे धक्का ..हर धक्के में उसकी चूतड़ नीचे हो जाती ... डॉगी स्टाइल में एक साथ चूत और चूतड़ दोनों का मज़ा मिल जाता है ..और जांघों का उसकी चूतड़ से जो टकराना होता है मज़ा और भी बढ़ जाता है और स्वेता की चूत में भी लंड की पूरी घीसाई हो रही थी ..पूरे का पूरा चूत अंदर और बाहर लंड की घीसाई ले रहा था .."हां राजा ..मेरे चूड़क्कड़ राजा ..चोदना कोई तुम से सीखे ......वाह क्या चोद रहे हो ....ऊऊऊऊऊऊऊऊऊ ..आआआः "
"हां रानी तुम भी तो कितनी मस्त चूदवा रही हो ...पूरी चूत , गांद , चूतड़ सब कुछ तुम ने मेरे हवाले कर दिया ...आआआआआः ..रानी ..मेरी रानी .... मैं चोदे जा रहा था ..चोदे जा रहा था
ठप ठप ..फतच फतच ... ऊवू अयाया की भाषा चल रही थी ..
फिर थोड़ी देर बाद उसकी जंघें , चूतड़ और चूत काँपने लगे ..मेरे लंड को अपनी चूत से जकड़ने लगी ...."ओओओओओओओह उईईईईईईईईईईई माआं मैं मर गाइिईईईई ,,मैं गाइिईईईई गाइिईईई रे मैं तो गाइिईईईईईईईईईईई " और उसकी चूतड़ उछल रही थी मेरी जांघों पर ..मेरे लंड पर .. और चूत से बारिश हो रही थी उसके रस की ..मैने उसे सीधा लीटा दिया ..टाँगें फैलाई और उसकी चूत में फिर से लॉडा डाला और दो चार जोरदार धक्के लगाए , उसे अपनी बाहों से जाकड़ लिया ..लॉडा चूत में ही था और मेरी भी पिचकारी छूट गयी ..उसकी चूत के अंदर ...वो मेरे कम की गर्म गर्म धार से मचल उठी ,,मस्त हो गयी ..उस ने आँखें बंद कर ली थीं और पूरा मज़ा ले रही थी ,,मैं उस के सीने से चीपक कर उसकी भारी भारी चूचियों पे सर रख लेट गया .. लंबी लंबी साँसें ले रहा था ..मैं भी वो भी ......दोनों एक दूसरे की बाहों में ऐसे पड़े थे जैसे काफ़ी गहरी नींद में बेसूध हों ..जमाने से बाख़बर.... सारी चींताओं से मुक्त ..एक ऐसी दुनियाँ में जहाँ सिर्फ़ मैं था स्वेता थी ..तीसरा कोई नहीं .... सब कुछ शांत था ....
उस रात मैने स्वेता को जी भर चोदा ... उसकी फूली फूली चूत को चोद चोद कर पोला कर दिया ...वो बहाल हो कर पड़ी थी ,टाँगें फैलाए ..फिर हम दोनों सो गये ..मैं सुबेह अंधेरा खुलने के पहले ही उठ गया और अपने घर चला गया ..जिस से कि मुझे कोई देख ना पाए ...
अब स्वेता को भी शायद मेरे लंड का चस्का लग गया था ... खूब मस्ती में चूदवाती ..कभी गांद मरवाती ..बड़े मज़े के दिन कट रहे थे हमारे .. चुदाई चुदाई और बस चुदाई ..यही था मेरा रुटीन ऑफीस से आने का बाद ..कभी मेरे यहाँ तो कभी स्वेता के यहाँ ...पर स्वेता जब भी मेरे पास होती ..चाहे हम चाइ पीते यह सिर्फ़ बातें करते ..उसके हाथ मेरे लंड पर हमेशा रहते ..हमेशा उस से वो खेलती रहती ...
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RE: Hindi Sex kahani मेरी बर्बादी या आबादी
मैने उसकी परेशानी समझते हुए कहा " संध्या तुम्हारी तबीयत तो ठीक है ना ..? लगता है तुम काफ़ी थक गयी हो ..अगर तुम्हें जाना है तो जाओ अपने रूम में आराम करो .."
उस ने चैन की सांस लेते हुए कहा "हां भाभी आप दोनों बातें कीजिए मैं अंदर जा कर थोड़ा लेट ती हूँ .." और वो भागते हुए अंदर चली गयी .
जैसे संध्या अंदर गयी मुझ से रहा नही गया मैने स्वेता को अपनी बाहों में जाकड़ लिया और चूमने लगा , चूसने लगा उसके होठों को ...वो भी मेरे से चिपक गयी..और करीब दस मिनट तक ऐसे चूमने और चूसने का दौर चलता रहा ...
फिर स्वेता मुझे हल्के से धक्का दे कर मुझ से अलग हुई और कहा " प्रीत ..संध्या को अब तुम चोद ही डालो ..बेचारी बहोत परेशान है ..मैं जानती हूँ वो खुद से कभी नहीं कहेगी ..अब तुम कुछ करो ..कुछ भी करो ..जबरन करो ..पर उसे अब तुम्हारा लंड चाहिए ..और जल्दी चाहिए ... देर मत करो .."
" हां स्वेता मैं भी समझ रहा हूँ ... पर कैसे करूँ ... ...?? तुम्हारे सामने तो वो चुदने से रही ..तुम कुछ बहाना करो और हम दोनों को अकेला छोड़ दो ..एक बार उसे चोद लूँ फिर हम दोनों का भी रास्ता सॉफ हो जाएगा ... मुझे यकीन है के एक बार उसकी झीझक टूट गयी फिर देखना कितनी खूल कर तुम्हारे सामने भी चुदवायेगि .. "
" तुम सही कह रहे हो प्रीत ... क्योंकि जिस तरह बेशर्मी से वो लिंग की पूजा कर रही थी ..इस से यही ज़ाहिर होता है कि वो एक बार खूल गयी तो किसी भी हद तक जा सकती है .. तुम ने उसे ठीक पहचाना मेरे भोले राजा .." और यह कहते हुए स्वेता ने मुझे चूम लिया ... मैने भी उसका जवाब दिया उसके होंठों को चूस कर और उसकी फूली फूली चूत को उसकी साड़ी के उपर ही से दबोच कर ..स्वेता चिल्ला उठी "आआआआआआआआआह है यह क्या कर रहे हो ..अभी संध्या है .. थोड़ा सब्र करो ना .. "
मैं हंसते हुए अलग हो गया उस से और फिर बाइ किया और कहा " स्वेता ..संध्या का कुछ जल्दी ही इंतज़ाम करो .."
और मैं बाहर निकल अपने घर की ओर चल पड़ा ..
घर पहून्च्ते ही कपड़े बदले और लेट गया , सोचा कि एक नींद मार लूँ...पर नींद थी की कोसों दूर ..आँखों के सामने वोही संध्या का वहशियाना ढंग से लिंग की पूजा ....उसका नंगा बदन ... उसकी उछलती चूचियाँ .. उसके सुडौल चूतड़ ..मेरी आँखों के सामने घूम रहे थे एक के बाद एक सीन चेंज हो रहा था ..उसके लिंग का सहलाना ..फिर उस पर अपनी टाइट चूत रख कर पागलों की तरेह हिलना ... फिर पानी छोड़ते हुए टाँगें फैला कर हान्फ्ते हुए लेट जाना .... अदभुत द्रिश्य था ..किसी को भी चौंका देने वाला ..... संध्या के अंदर भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ा था ..उसके लिए अब उसे क़ाबू करना बहोत ही मुश्किल हो रहा था ..बेचारी तड़प रही थी ... ..उसके अंदर ज्वाला भड़क रही थी और शांत होने के आसार नज़र नहीं आते ... ज्वाला इतनी तेज़ और उसकी लपटें इतनी उँची उठ रही थीं की अगर उसे रोका ना गया समय रहते ...तो अपने चपेट में सब कुछ स्वाहा कर देगी ..सब कुछ ..
फिर उसका मेरे सामने रोना ... जैसे वो रो रो के मुझ से कह रही हो कुछ करो ..कुछ करो ... गिड़गिदा रही हो.......हाथ फैला रही हो के मुझे अपने हाथों से अपने सीने से लगा लो ...अपने में समा लो ...इतने दिनों की प्यास बूझा दो ..मैं और सहन नहीं कर सकती ...आआओ ..आओ आआओ ना ..आओ मुझे ले लो ...
संध्या एक अजीब दो राहे पे खड़ी थी ..एक ओर थी उसकी सेक्स की ज्वाला ... उसकी आग उसकी उठती लपटें , उसे पूरी तरह जला देने को तैय्यार और दूसरी तरफ था उसके अंदर लाज लीहाज़ ..अजय का प्यार ..उसका संकोची स्वाभाव .... जो उसके पाँव की बेड़ियाँ बन उसे जाकड़ रखा था .....पर आख़िर कब तक ... ?? उसके सेक्स की आग के सामने इन बेड़ियों की जाकड़ ढीली पड़ती जा रही थी ...
अब इन ढीली पड़ गयी बेड़ियों को खोलना और संध्या को आज़ाद करना ही होगा ....उसकी भड़कती ज्वाला शांत करनी ही पड़ेगी ...पर कैसे..??????
मैं सोचे जा रहा था ..दिमाग़ में यह सब बातें बार बार घूमती , आती फिर जाती ..अचानक मेरे आँखों के सामने उसकी लिंग पूजा वाला द्रिश्य ठहेर जाता है ..जैसे किसी ने चलते सीन को पॉज़ कर दिया ... हम दरवाज़े के उपर वेंटिलेटर से अंदर झाँक रहे थे ... वेंटिलेटर मेरी आँखों के सामने था ...मैने अपने दिमाग़ पर ज़ोर दिया ... मुझे याद आया वेंटिलेटर में काँच लगी थी और वेंटिलेटर की बंद पोज़िशन में अंदर ठीक से नहीं देखा जा सकता था क्योंकि काँच गंदे थे , उनमें धूल की मोटी परत थी ..पर वेंटिलेटर खुला था .. जिस से अंदर देखने में कोई परेशानी ना हो ...और नॉर्माली ऐसे वेंटिलेटर हमेशा बंद ही रहते हैं ... किसी का ध्यान उधर जाता नहीं ..क्योंकि उन से धूल धक्कड़ अंदर जाने का अंदेशा रहता है....पर आश्चर्य ...वेंटिलेटर ख़ूला था... फिर उसे खोला किस ने और क्यूँ..??
इस सवाल का जवाब दो दिनों बाद मिल गया ....
उस दिन किसी सरकारी छूट्टी की वाज़ेह से मेरा ऑफीस बंद था ... यह बात स्वेता और संध्या दोनों को पता था ... क्यूंकी पीछले दिन शाम को जब दोनों फूल लेने आए थे मेरे घर ..मैने ऐसे ही बातों बातों में इसका जिक्र किया था ..
छूट्टी होने की वजेह से मैं देर से उठा ...और चाइ नाश्ते के बाद बाहर बरामदे में बस ऐसे ही बैठा पेपर पढ़ रहा था ...
तभी फोन की घंटी बजी , मैने रिसीवर उठाया उधर स्वेता थी ...
उसकी आवाज़ से ज़ाहिर था वो काफ़ी घबडाई हुई थी . उस ने कहा " प्रीत , जल्दी आ जाओ ..संध्या ने तो आज लगता है सारी हदें पार कर दी हैं ... बस तुम जल्दी आ जाओ ..मुझे समझ नहीं आ रहा मैं क्या करूँ ..प्लीज़ ..बस आ जाओ.."
मैने जल्दी कपड़े पहने और लंबे लंबे कदम लेता स्वेता के घर की ओर भागा..
पहले दिन की तरह ही स्वेता ने पूजा -रूम के बाहर टेबल रखी हुई थी और उस ने मुझे इशारे से उस पर चढ़ कर अंदर देखने को कहा ..
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08-08-2018, 11:52 AM,
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RE: Hindi Sex kahani मेरी बर्बादी या आबादी
पर आज तो उस रूम से संध्या की सिसकियों और कराहट की आवाज़ भी आ रही थी ....जैसे संध्या किसी से चूदवा रही हो ...
मैं बिना कोई समय बर्बाद किए टेबल पर चढ़ गया और अंदर वेंटिलेटर से झाँका ...मेरी आँखें फटी की फटी रह गयीं .... मैं सोच भी नहीं सकता था कि कोई इस तरेह भी अपनी सेक्स की भूख मिटाने की कोशिश कर सकता है ...
अंदर संध्या ज़मीन पर लेटी थी , बिल्कुल नंगी ...दोनों टाँगें उपर और फैली हुई ....दरवाज़े की तरफ ..एक हाथ से उसने अपनी चूत फैलाई थी .. उसकी गुलाबी चूत की फांकों में दूध और मलाई लगे थे.....शिव लिंग के साथ चूत की घीसाई हो चूकि थी ...दूध और मलाई उसकी चूत , उसकी जंघें ,उसके चूतड़ सभी जगेह फैले थे , चूत से लगातार पानी निकल रहा था और अपनी उंगलियों से चूत सहला रही थी ....चूत पूरी तरेह से खूली थी और दरवाज़े के सामने होने से हमें अच्छी तरेह दीखाई दे रही थी ..उसकी चमकती चूत ..मलाई से लिपटी चूत ... दूध से सनी चूत..उसकी उंगलियाँ गीली हो गयीं थी .. वो सिसकारियाँ ले रही थी ..उसके पैर कांप रहे थे ..पर चेहरे पर एक बेताबी थी ..एक तड़प थी ...उसके चूतड़ भी उछल रहे थे ..उसके पैर भी कांप रहे थे ..पर फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे उसे काफ़ी तकलीफ़ हो रही हो ...उसकी उंगलियाँ चूत पर तेज़ और तेज़ होती जा रही थीं ...उसके चेहरे पे झुंझलाहट साफ नज़र आ रही थी ... वो चिल्ला रही थी '"ऊऊऊऊः ..मैं क्या करूँ ....अया मैं क्या करूँ ...... मैं ....क्य्ाआआआआआआअ करूऊऊऊऊऊं ..." उसकी आवाज़ में गुस्सा , झुंझलाहट सेक्स की अतृप्ति साफ झलक रही थी...इतना सब करने के बावज़ूद वो तड़प रही थी ...वो अभी भी भूखी थी अतृप्त थी ...उसकी चूत को लौडे की गर्माहट चाहिए थी ... उसको किसी की बाहों की जाकड़ चाहिए थी .....उसकी चूचियाँ किसी के सीने से चीपकने को उछल रहीं थीं ..उसके होंठ किसी के होंठों से चुसवाने को फडक रहे थे ....
इन सब के बिना वो अतृप्त थी ....उसका ऑर्गॅज़म अभी भी उस से कोसों दूर था ..वहाँ तक पहून्च्ने की तड़प उसकी आँखों में साफ झलक रही थी ...
वो अपने दोनों हाथ फैलाए चिल्ला रही थी ..आआआआआः ..ऊओ भगवान मैं क्या करू .... आआआआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...
अब मुझ से रहा नहीं गया ..मैने सोचा दरवाज़ा तोड़ डालूं और संध्या को चोद डालूं .. बूरी तरेह ...
मैं टेबल से नीचे उतर गया और दरवाज़े को धक्का दिया ..... ओह माइ गॉड ..मैं सकते में आ गया ..एक झटके से ही दरवाज़े के दोनों पल्ले खूल गये ..अंदर से कूंड़ा नहीं लगा था ....... .दरवाज़ा पहले से ही ख़ूला था ........ बोलने की ज़रूरत नहीं यह सब किसने और क्यूँ किया होगा ...
आज मुझे समझ आ गया था कि संध्या के अंदर कितनी भयानक , और जोरदार आग लगी थी ..वो मुझे चिल्ला चिल्ला कर इस आग को बूझाने को आवाज़ दे रही थी ...पहली बार वेंटिलेटर खोल कर आज सारी हदें पार कर उस ने दरवाज़ा भी ख़ूला छोड़ दिया था ... उसे स्वेता की भी परवाह नहीं थी ... वो जान गयी थी स्वेता तो खुद भी मेरे रंग में रंगी थी ...
अब और देर करना संध्या के उपर ज़्यादती होगी..... उसके अंदर की औरत के साथ ना-इंसाफी ....उस ने लोक-लीहाज़ की सारी सीमायें लाँघते हुए अपनी भावनाओं का इज़हार किया ... अपने हाथ फैला दिए ...मैं इतना बे - गैरत नहीं था ...
मैने स्वेता को बाहर ही रहने को कहा और खुद अंदर चला गया ...दरवाज़ा अंदर से बोल्ट कर दिया ...और एक झटके में अपनी पॅंट और शर्ट उतार दी ... बनियान और अंडरवेर मैने पहनी ही नहीं थी .. मुझे मालूम था कि आज ऐसा ही कुछ होनेवाला है ....मैं पूरा नंगा खड़ा था , संध्या पूरी नंगी लेटी थी ..बाहें फैलाए
"आआआआआआआह भगवान ने मेरी सून ली ....आआओ प्रीत आआओ ना .....इतनी देर क्यूँ की .....क्यूँ की इतनी देर तुम ने ......ऊऊओ मैं कब से तुम्हारा इंतेज़ार कर रही हूँ ...आओ भर लो मुझे बाहों में .....आआआाआूओ ..." आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरिइईईईईईईईईईई प्यासस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स बुझाआआआआआआआआअ दो नाआआआआआआ
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