08-08-2018, 11:57 AM,
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RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
मोम के साथ चाइ पीने की बात सुन शिवानी का गुस्सा बिल्कुल ठंडा हो गया .....जितनी जल्दी आया था उतनी ही जल्दी गायब भी हो गया ..फटका फूटने से पहले ही शांत हो गया ..
"ओह मोम तुस्सी ग्रेट हो..आज तो बस भैया को मैं सुनाऊँगी .."
और फिर दोनों माँ -बेटी अगल बगल बेड पर बैठे चाइ की चुस्कियाँ लेते हैं ...
शांति सोचती है यह शिवानी अपने भाई से कितना प्यार करती है..हर छोटी मोटी बात उसे अपने भैया को ज़रूर सुनाना होता है ...
सुबेह की चाइ का दौर ख़तम होता है और सब तैय्यार हो कर नाश्ते के टेबल पर बैठते हैं ...
शिवानी अपने प्यारे भैया के बगल बैठी है ... उसकी नज़र शशांक के चेहरे पे लगी है ...
शशांक का तरो-ताज़ा शेव किया चेहरा सुबेह की ताज़गी लिए आफ्टर शेव लोशन की सुगंध बीखेरते हुए दम दमा रहा था .. इस मादक खूशबू से शिवानी मदमस्त हो जाती है और उसके पास अपना चेहरा ले जाते हुए कहती है ...
" भैया ..भैया ..." पर उसके भैया की नज़र तो किचन के अंदर है..जहाँ शांति नाश्ता तैय्यार कर रही थी ....वो शिवानी की बात अन्सूनि कर देता है ...
पर वो कहाँ मान ने वाली थी .. उसके चेहरे को अपने हाथों से थामते हुए अपनी तरफ घूमती है और उसके गाल पर अपने गाल लगाते हुए कहती है " मैने कहा भैया गुड मॉर्निंग .. "
" ओह यस वेरी गुड मॉर्निंग शिवानी...आज तो बड़ी चहेक रही है तू ... सुबेह सुबेह क्या हो गया ..??"
वो भी शिवानी की गालों पर अपनी गाल लगाते हुए कहता है ..
" ह्म्म्म ..चलो तुम्हें मेरा ख़याल तो आया ...अरे आज दो बातें बड़ी मस्त हुई ...." शिवानी ने भैया की जाँघ पर अपने हाथ रखते हुए कहा ..
" अच्छा ..?? पर बता भी क्या हुआ ..?" शशांक ने थोड़ा झुंझलाते हुए कहा ...
शशांक की बात से शिवानी उस से फ़ौरन अलग हो जाती है और गुस्से से बोल पड़ती है
" जाओ नहीं बताती ...यहाँ कोई मेरी बात सुन ना ही नहीं चाहता ..." और उसने मुँह फेर लिया .
शशांक समझ गया उसकी प्यारी गुड़िया सी बहेन को उसका झुंझलाना अच्छा नहीं लगा ..
वो फ़ौरन मौके की नज़ाकत समझते हुए उसका चेहरा अपनी तरफ खींचता है ..उसकी आँखों में देखते हुए कहता है
" बता ना शिवानी..प्लीज़ .." उसकी आवाज़ में मिश्रि घूली थी
" हां यह हुई ना बात ..ऐसे ही प्यार से पहले ही पूछते तो क्या तुम्हारी शकल बीगड़ जाती ??" शिवानी बोल उठती है ..
" अच्छा बाबा सॉरी ,सॉरी सॉरी ...अब तो बता दे.."
" यू नो भैया आज मोम ने मेरे साथ बैठ कर सुबेह की चाइ पी.....कितना मज़ा आया ...रोज तो अकेले पीना पड़ता था ....और यू नो शी वाज़ लुकिंग सो प्रेटी आंड फ्रेश .... उफ़फ्फ़ पापा ऐसे ही उन पर जान नहीं छिड़कते और पापा ही क्यूँ ..आप भी तो ...." और वो भैया की ओर देख एक बड़ी शरारती और प्यारी सी स्माइल देती है ....
" तू भी ना शिवानी..कुछ भी बोलती है ... एनीवेस अब बता दूसरी बात क्या हुई ..?? "
" दूसरी बात ...दूसरी बात ह्म्म्म .भैया आप ने जो आफ्टर शेव लोशन लगाया है ना ..उफफफ्फ़ बड़ी प्यारी है ...." और फिर से अपनी नाक भैया के गालों पर सटाते हुए एक लंबी सांस लेती है ..मानो उसके गालों पर लगे आफ्टर शेव लोशन की महक अपने में समा लेना चाहती हो..
" एक दम पागल है तू शिवानी .... एक दम पागल ... ऐसा भी कोई बोलता है क्या ..??"
" बस मुझे अच्छा लगा मैने बोल दिया .... "
" देख शिवानी तू बड़ी शैतान हो गयी है ....चल चूप चाप बैठ और नाश्ता कर ..हमें कॉलेज जल्दी जाना है ... आज मेरा पहला पीरियड है आंड आइ डॉन'त वॉंट टू मिस इट ..."
तब तक मोम नाश्ता ले आती है , शिव भी आ जाते हैं और दोनों भाई बहेन की ओर देख मुस्कुराते हुए कहते हैं
" अरे भाई सुबेह सुबेह क्या चल रहा है तुम दोनों के बीच ..??"
" अरे कुछ नहीं पापा ... यह शिवानी है ना ..बस कुछ भी बोलती है ..."
" हा हा हा ! अरे शशांक अभी तो उसे बोलने दे यार ...फिर जब ससुराल जाएगी तो इतना बोलने का मौका कहाँ मिलेगा .." शिव ने मज़किया लहज़े में जवाब दिया ..
" ओह पापा ..अब आप फिर चालू हो गये ना अपनी फवर्ट टॉपिक पर....पर आप सब कान खोल कर सुन लीजिए मैं कोई ससुराल वासुराल नहीं जाने वाली ....समझे आप सब ...? " और उसकी आँखों से मोटी मोटी आँसू के बूँद टपकने लगते हैं ..
शिव बेचारा घबडा जाता है उसकी यह हालत देख ...
" अले अले मेरी गुड़िया ...अरे मैं तो मज़ाक कर रहा था ..उफ्फ ... अरे तुझे तेरी मर्ज़ी के खिलाफ कोई कुछ नहीं करेगा यार ....चल चूप हो जा ..प्लीज़ .. "
" ठीक है ..पर आगे आप मज़ाक में भी ऐसा मत बोलना " वो अभी भी सूबक रही थी और अपने भैया की ओर बड़े प्यार से देखे जा रही थी ...
" हां शिवानी ... पापा ठीक कह रहे हैं ... चल जल्दी से नाश्ता कर ले .." और शशांक अपने हाथों से उसे खिलाता है ...शिवानी बस एक टक उसे निहारती हुई नाश्ता शूरू करती है ...
इस तरेह प्यार करते , रूठते , मनाते , हंसते , खिलखिलाते शिव -शांति के परिवार के दिन की शुरुआत होती है ...
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RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
शाम के 4 बज चूके हैं ..आज शशांक की क्लास थोड़ी जल्दी ही छूट गयी ..लास्ट पीरियड वाले सर ने जल्दी ही क्लास छोड़ दिया था ...
वो अपनी बाइक पर बैठा शिवानी का इंतेज़ार करता है ..उसे आने में अभी कुछ देर और है..करीब आधे घंटे और..
वो वहाँ बैठा उसी का बारे सोचता है ....वो अपनी बहेन से बहोत प्यार करता है..पर सिर्फ़ एक छोटी भोली भली नाज़ुक सी गुड़िया सी बहेन की तरेह ..उसके लिए कुछ भी कर सकता था ...उसके हर नखरे उठाता , सहता और उसे हमेशा खुश देखना चाहता ..
पर इधर कुछ दिनों से उसे शिवानी के व्यवहार ने परेशान कर दिया था ....वो समझता था कि शिवानी क्या चाहती थी .पर लाख कोशिश के बावज़ूद उसे अपनी बहेन के बारे ऐसे सेक्षुयल विचार नहीं आते ... उसके लिए वो इतनी कोमल , नाज़ुक और ज़हीन थी कि उसे किसी भी तरेह की कोई तकलीफ़ और दर्द देने के बारे सोच ही नहीं सकता ...उसके सामने वो एक गुड़िया थी जिसके साथ सिर्फ़ प्यार और दुलार किया जा सकता . जिसको फूल जैसे संभाल के रखना चाहिए ...हमेशा सुगंधित और तरो-ताज़ा वरना कहीं उस फूल की पंखुड़िया नीकल ना जायें ...
इन्ही उधेड़बून में खोया था के शिवानी आ जाती है ..
शशांक के पीठ पर एक हल्का सा मुक्का लगाती है ....
" ओह भैया ..कहाँ खो गये हो ...अरे बाबा मैं आ गयी ...चलो ना घर ..."
शशांक अपने ख़यालों से वापस आता है ..
" हां मेरी गुड़िया ....तेरे आने की खबर तो सारे शहेर वाले जान गये .. अफ ..कितने जोरों का मुक्का लगाई रे .." शशांक ने दर्द होने का नाटक किया ....
" अरे उफफफ्फ़. सॉरी भैया..क्या सही में ज़ोर से लगा ..?? लाओ मैं पीठ सहला दूं " शिवानी ने यह सुनेहरा मौका हाथ से लपक लिया ..... शशांक के पीछे चीपक कर बैठ गयी और उसकी पीठ सहलाने लगी ...." कहाँ लगी ..बताओ ना प्लीज़.."
" अरे बाबा अब ज़्यादा नौटंकी मत कर ... अब ठीक है ..कहीं कोई दर्द वर्द नहीं ..ठीक से बैठ , घर चलते हैं ...वहाँ बातें करेंगे ...आज तुझ से काफ़ी कुछ कहना है .." शशांक ने कहते हुए अपनी बाइक किक की और बाइक स्टार्ट कर एक व्रूम - ज़ूम की आवाज़ के साथ कॉलेज से बाहर निकलती गयी.
" ओह भैया ...आज क्या हो गया ....कहीं मैं ग़लत तो नहीं सुन रही ....आप ने क्या कहा वो ..मुझ से बातें करेंगे ..??" शिवानी का दिल उछल पड़ा था ..शशांक से अकेले में बात करने की संभावना से ...उसे विश्वास नहीं हो रहा था
" अरे हां बाबा ..मैं क्या अपनी गुड़िया से बातें नहीं कर सकता ..?" शशांक ने बाइक को धीमी करते हुए कहा ...
"अरे क्यूँ नहीं ..पर रोज तो आप बस नसीहतें ही देते हो...बातें तो कभी नहीं करते ..." शिवानी ने शिकायती लहज़े में कहा
" चलो आज तुम्हारी शिकायत दूर कर देता हूँ ...अब चूप चाप बैठ " और शशांक ने बाइक की स्पीड बढ़ाते हुए घर की ओर बढ़ता जाता है..
"ओह्ह्ह..भैया....आइ लव यू ..यू आर छो च्वीत ,,," शिवानी उस से और चीपक कर बैठ जाती है और अपने भाई के कंधे पर अपना सर रखे बाइक पर बैठे हवा के झोंको का आनंद लेती जाती है ..
थोड़ी देर में ही दोनों घर पहून्च जाते हैं ....शशांक बाइक रोकता है ..शिवानी उतर जाती है और घर के अंदर दाखील होती है...शशांक गाड़ी स्टॅंड पर खड़ी कर उसके पीछे पीछे अंदर जाता है ..
अंदर शांति सोफे पर अढ़लेटी बैठी है ..सर सोफे पर टीकाए ...उसे देख दोनों भाई बहेन पहले तो चौंक जाते हैं ., पर फिर शशांक के चेहरे पर एक बड़ी चौड़ी मुस्कान आ जाती है ....
" अरे मोम आप अभी यहाँ ..? दूकान पर डॅड अकेले हैं ..?? क्या हुआ ..?" शशांक थोड़ी चिंता करते हुए पूछता है ...
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08-08-2018, 11:58 AM,
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RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
मोम को देख शिवानी का चेहरा थोड़ा मुरझा जाता है..उसके शशांक से खूल कर बातें करने की संभावना पर ठेस जो लग गयी थी ..
"कुछ नहीं बच्चों..थोड़ा सर में दर्द था ..इसलिए मैं जल्दी आ गयी.."
" ओह गॉड .. अच्छा हुआ आप आ गयीं .... लाइए मैं सर दबा देती हूँ .."शिवानी ने अपनी मोम के बगल बैठते हुए कहा ..
" अरे नहीं शिवानी ..तू क्यूँ तकलीफ़ करती है ..मैं दबाता हूँ ना मोम का सर ..तू जा किचन में और एक दम कड़क चाइ बना ...चल उठ .." शशांक ने यह सुनेहरा मौका अपने मोम से चीपकने का लपक लिया ..
शिवानी समझ गयी ...वो बड़ी शरारती ढंग से मुस्कुराती हुई उठती है और भैया को आँख मारती है और किचन की ओर जाते हुए कहती जाती है " हां भैया ..ज़रा अच्छे से दबाना ... " और कमर मटकाते हुए किचन की ओर बढ़ जाती है ....
शांति अपने दोनों बच्चो की प्यारी हरकतों पर हँसती जाती है ...
शशांक मोम के बगल आ जाता है ..अपनी मोम का सर अपने सीने पर रखता है और हल्के हल्के अपनी हाथों की उंगलियों से दबाना शूरू करता है ...
मोम के शरीर की सुगंध ...उनके मुलायम पीठ का स्पर्श अपने शरीर पर , शशांक खो जाता है इस स्वर्गिक आनंद में ..और उसके हाथ बड़े प्यार से अपनी मोम का सर दबाता रहता हैं..
शांति भी उसके प्यार से आत्मविभोर है ...वो सोचती है कितनी खुशनसीब है वो ..इतना प्यार करनेवाला पति..इतने प्यारे प्यारे बच्चे ... उसने ज़रूर पीछले जन्म में कोई पुन्य का काम किया होगा ..और सोचते सोचते उसे नींद आ जाती है , और वो शशांक के कंधो पर सर रखे रखे सो जाती है ..उसका सर शशांक के कंधो पर था ..आँचल नीचे गिरा था ..उसका सीना शशांक की नज़रों के सामने था ....उसकी सुडौल चूचियाँ उसकी साँसों के साथ उपर नीचे हो रही थीं ...शशांक एक टक उन्हें निहार रहा था ....
उस की उंगलियाँ शांति के सार से फिसलते हुए कब उसके सीने पर पहून्च गयीं ..शशांक को कुछ मालूम नहीं था ...उस ने मोम के सीने को सहलाना शूरू कर दिया ..उफफफफफफफ्फ़ ...यह उसका किसी औरत को इतने करीब से छूने का पहला मौका था ...पॅंट के अंदर खलबली मची थी ..उसका पूरा बदन सीहर उठा था ...
तभी शिवानी चाइ का ट्रे लिए आती है ...शशांक घबडा जाता है पर अपने पर काबू करते हुए फ़ौरन अपने हाथ हटा ता हुआ शिवानी के हाथ से चाइ की ट्रे लेता है ...पर बड़ी सावधानी से ..उसकी मोम का सर अभी भी उसके सीने पर था ...
शिवानी अपनी आदत से मजबूर कुछ बोलना चाहती है.. पर शशांक उसे इशारा कर चूप रहने को कहता है ..और मोम की ओर इशारा कर धीमी आवाज़ में कहता है " चूप कर शिवानी .मोम को सोने दे ..."
पर शिवानी कहाँ चूप रहती ..उस ने अपना चेहरा शशांक के बिल्कुल करीब ले जाते हुए फूसफूसाते हुए कहती है .." भाई ..मोम को बेड रूम में हम दोनों ले जाते हैं ... वहाँ आराम से उन्हें सोने दो ....यहाँ हम दोनों की बातों से इन्हें डिस्टर्ब होगा.." और अपनी चमकीली दांतें बाहर कर मुस्कुराती है ...
शशांक को भी यह आइडिया पसंद आ जाता है....उसने हामी में अपना सर हिला दिया ...शिवानी खील उठी ..
दोनों भाई बहेन बड़ी सावधानी से शांति को अपनी अपनी बाहों से उठाते हैं , शशांक उन्हें एक बच्ची की तरेह अपने सीने से चिपकाता हुआ गोद में भर लेता है , शिवानी उनका पैर थामती है , धीरे धीरे दोनों बेड रूम की ओर बढ़ते जाते हैं ....शशांक अपनी मोम के स्तनों का दबाव अपने सीने पर महसूस करता है .....उफफफफफफफ्फ़ ..वो आनंदविभोर है इस अनुभूति से ... उसकी आँखें भी आधी बंद हो जाती हैं ...एक अजीब ही सुख था इस स्पर्श में ...
दोनों बड़ी सावधानी से शांति की नींद में बिना किसी खलल के बेड रूम तक पहुचाते हैं ..और उसे बेड पर लीटा देते हैं ...
शांति के बाल बीखरे हैं , आँचल नीचे गीरा है ..हाथ बेड पर फैले हुए ... .क्या द्रिश्य था ....शशांक उसे निहारता रहता है ..
शिवानी उसे हल्के से झकझोरती है ..और बाहर निकलने का इशारा करती है ....शशांक सर हिलाता है ..हामी में ..
जैसे दोनों बेड रूम से बाहर आते हैं शिवानी शशांक से लिपट जाती है , उसके गालों को चूमने लगती है .... शशांक भी अपने गाल उसकी ओर बढ़ा देता है ..पर शायद शिवानी इसे शशांक की स्वीकृति समझ उसके होंठों पर अपने होंठ लगाती है .....शशांक बड़े प्यार से उसका चेहरा अपने हाथों से थामता हुआ अलग करता है और पीछे हट जाता है ....
" हां शिवानी इसी बारे में तुम से बातें करनी है ...." वो प्यार से उसे झीड़कते हुए कहता है
शिवानी का चेहरा मुरझा जाता है ......
शशांक उसे उसके कंधों से थामता हुआ ड्रॉयिंग रूम में सोफे की ओर बढ़ता जाता है...
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RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
शिवानी शशांक के सीने पर अपना पूरा बोझ डाले , अपनी गोल गोल सुडौल चूतड़ उसकी पॅंट से चिपकाए अपने मुरझाए चेहरे पर फिर से एक शरारती मुस्कान लिए उसके साथ साथ आगे बढ़ती है सोफे की तरफ .
शशांक झुंझला उठता है अपनी बहेन की इस हरकत से ..पर अपने आप को संभालता है ....उसका लंड अंदर ही अंदर शिवानी के चूतड़ो की दरार से टकराता जाता है ...पर शशांक अपने आप को बड़ी मुश्किल से कंट्रोल किए सोफे पर बैठता है ....और शिवानी की कमर को थामते हुए उसे अपने बगल कर लेटा लेता है ...
शिवानी के चेहरे को अपनी हथेलियों से बड़े प्यार से थामता है और उसके गाल चूम लेता है ..शिवानी फिर से आँखें बंद कर लेती है और सोचती है " आज लगता है ऊँट पहाड़ के नीचे और मेरी चूत इसके लंड के नीचे आने ही वाली है.."
पर शशांक तो किसी और ही मिट्टी का बना होता है ....उसका लंड उसकी चूत पर तो नहीं पर हां उसकी हथेल्ली की हल्की चपत उसके गालों पर पड़ती है ..और शिवानी अपने लंड और चूत के सपनों से वापस आ जाती है ...
" देख शिवानी ..तू जानती है ना मैं तुझे कितना प्यार करता हूँ ..? "शशांक बड़े प्यार से उसे कहता है ..
" तो क्या मैं नहीं करती आप से..?"
"हां करती हो..शिवानी ..पर उस तरेह नहीं जैसे कोई बहेन अपने भाई से करती है ....देख , ना मैं ना तू ..कोई भी अब बच्चा नहीं रहा ....क्यूँ अपने आप को धोखे में रख रही है गुड़िया ..?? प्लीज़ होश में आ जा ... "
" भैया मैं पूरे होश-ओ-हवास में हूँ ..और आप भी जानते हो मैं कोई बच्ची नहीं रही ..."
" तभी तो कह रहा हूँ ना मेरी बहना ....क्यूँ तू मेरे पीछे पड़ी है ..अपने क्लास में तुझे कोई लड़का पसंद नहीं ..? मेरी रानी बहना ..अपना बॉय फ्रेंड बना ले .."
" भैया एक बात पूछूँ ..? "
" हां पूछ ना शिवानी .." शशांक उसके बालों को सहलाता हुआ कहता है..
" आप की क्लास में भी तो कितनी हसीन, जवान और खूबसूरत लड़कियाँ हैं ..मैं जानती हूँ आप किसी को भी आँख उठा कर नहीं देखते ...आप ने अब तक अपनी गर्ल फ्रेंड क्यूँ नहीं बनाई..?"शिवानी की बात से शशांक चौंक जाता है .....उसकी गुड़िया अब गुड़िया नहीं रही ..वो भी अब इन बातों को समझती है ... उसे ऐसे ही फूसलाया नहीं जा सकता ..कूछ ना कूछ तो करना पड़ेगा ...
शशांक कुछ देर खामोश रहता है और शिवानी की तरेफ देखता है ...
" क्यूँ भैया चूप क्यूँ हो गये ..?? " शिवानी भी शशांक की आँखों में झाँकते हुए कहा ...
" तू क्या जान ना चाहती है..सच या झूट..?? "
" भैया ...मैं आप का सच और झूट सब जानती हूँ ..पर मैं आप के मुँह से सुन ना चाहती हूँ..हिम्मत है तो बोलिए ना .." शिवानी ने शशांक को लल्कार्ते हुए कहा ..
शशांक आज शिवानी की बातों से एक तरफ तो हैरान था पर दूसरी तरेफ मन ही मन उसकी इतनी बेबाक , स्पष्ट और निडर तरीके से बात करने के अंदाज़ का कायल भी हो गया था ....
शिवानी अब बड़ी हो गयी थी ...
"ह्म्म्म ठीक है तो सुन ..मैं मोम से बहोत प्यार करता हूँ शिवानी ..बे-इंतहा ....उनके सामने मुझे कोई और नज़र नहीं आता ... तू भी नहीं .." शशांक ने भी शिवानी की ही तरेह उसे दो टुक जवाब दिया .
पर शिवानी उसके जवाब से ज़रा भी विचलित नहीं हुई....बलके उसकी आँखों में उसके लिए आदर और प्रशन्शा के भाव थे..
" भैया ...मेरे प्यारे भैया ..बस उसी तरेह मैं भी आप को प्यार करती हूँ बे-इंतहा ....मुझे भी कोई आप के सामने नहीं दीखता ....और एक बात , आप ने जिस तरेह मोम के बारे मुझे बिना कुछ छुपाए सब कुछ बताया ...मेरी नज़र में आप और भी उँचे हो गये हो...आप ने मुझ से झूट नहीं कहा ..कोई भी बहाना नहीं बनाया ..मेरी भावनाओं की कद्र की ...और सूनिए ..मैं आप से कुछ भी एक्सपेक्ट नहीं करती ....बस सिर्फ़ आप मुझे इस तरेह नसीहतें मत दें ..आप अपनी राह चलिए ..मैं अपनी राह ....शायद हम दोनों की राह शायद कहीं , कभी मिल जाए..???"
शिवानी इतना कहते कहते रो पड़ती है ... उसकी आँखों से आँसू की धार फूट पड़ती है ..
शशांक उसे अपने गले से लगा लेता है ...उसकी पीठ सहलाता है ..उसकी आँखों से आँसू पोंछता है और कहता है ..
" शिवानी ....शिवानी ..मत रो बहना ..एक प्यार करनेवाला ही जानता है प्यार का दर्द ..मैं समझता हूँ ...पर तू भी समझती है ना मेरी मजबूरी ..?? "
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