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RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
कामया ने विमल के सर को अपनी नाभि पे दबा दिया, जिस्म कमान की तरहा उठ गया और वो चीखती हुई झरने लगी, उसकी पैंटी बुरी तरहा से गीली हो कर बिस्तर पे उसके कामरस को फैलाने लगी और बिस्तर पे एक तालाब सा बन गया. अभी तो विमल ने उसकी चूत को छुआ भी नही था और उसका ये हाल हो रहा था.
‘ ओह मोम, आइ लव यू, कितनी खूबसूरत हो तुम’
कहते हुए विमल कामया की नाभि से फिर उसके रोज़ तक पहुँच गया और दोनो उरोजो की घाटी को चाटने लगा
‘अहह है राम क्या क्या करता है तू उफफफफफफफ्फ़’
अच्छी तरहा उसकी घाटी को चाटने के बाद विमल ने उसके उरोज़ पे ज़ुबान फेरना शुरू कर दिया और उसके निपल को अपनी ज़ुबान से छेड़ने लगा.
उूुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ आआआअहह
कामया की सिसकियाँ फिर से छूटने लगी और उसकी चूत में फिर से खलबली मच गई.
कामया समझ गई कि विमल फिर कल की तरहा अच्छी तरहा तडपाएगा, और आज उसके सब्र का प्याला टूट चुका था.
कामया ने पलट कर विमल को बिस्तर पे पीठ के बल कर दिया और उसके उपर चढ़ गई.
कामया झुक कर विमल के निपल्स को चूसने और काटने लगी, अब विमल की बारी थी सिसकियाँ लेने की.
‘ओह मम्मूओंम्म्मममममम’
विमल के जिस्म को चूमते चाट्ते और काटते ही वो उसके लंड पे आ पहुँची और उसके अंडर वेर को उतार कर उसके लंड को अपने हाथ में ले कर सहलाने लगी,
जैसे ही कामया ने उसके लंड को सहलाना शुरू किया, विमल सिसक उठा.
कामया ने उसके लंड को चाट्ना शुरू कर दिया और उसके स्पेड पे अपनी ज़ुबान फेर कर उसके निकलते हुए रस को चाट गई.
विमल की सिसकियाँ कमरे में गूंजने लगी आर कामया धीरे धीरे उसके लंड को अपने मुँह में भरती चली गई. यहाँ तक की उसकी थोड़ी विमल की गोलाईयों को छूने लगी और उसका लंड कामया के गले में घुस गया. विमल को ऐसा लगा जैसे किसी टाइट चूत में उसका लंड घुस गया हो और कामया की हालत खराब होने लगी, विमल के मोटे लंड की वजह से उसके गले में दर्द होने लगा, आँखों से आँसू बहने लगे, पर उसने हिम्मत नही हारी, वो विमल को इतना मज़ा देना चाहती थी, कि सबको भूल कर वो सिर्फ़ उसका दीवाना बन जाए.
कामया हर थोड़ी देर बाद उसके लंड को बाहर निकल कर साँस लेती और फिर अपने गले तक ले जाती.
विमल कामया के मुँह और गले की गर्मी को ज़्यादा देर तक सह नही पाया और उसकी पिचकारी कामया के गले में छूटने लगी.
कामया उसकी एक एक बूँद को अपने अंदर समा गई और फिर उसकी बगल में गिर कर अपनी साँसे संभालने लगी.
कामया ने जो मज़ा विमल को दिया था वो उसे पहले कभी नही मिला था अब विमल ने भी ठान लिया था कि वो कामया को इतना मज़ा देगा कि वो बस उस मज़े में खो कर रह जाएगी.
जब कामया की साँसे सम्भल गई तो विमल ने उसे अपने पास खींच लिया और उसके होंठ चूसने लगा, कामया के मुँह से उसे अपने वीर्य का स्वाद मिलने लगा, पहले उसे कुछ अजीब लगा पर कामया को खुश करने की वजह से वो अपने रस के स्वाद लेने में मग्न हो गया.
दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने में मग्न हो गये और विमल साथ साथ कामया के उरोज़ मसल्ने लगा, कामया की सिसकियाँ उसके होंठों पे दबी रह गई और उसकी चूत ने बागवत कर दी, हज़ारों चीटियाँ उसकी चूत में रेंगने लगी और कामया का हाथ अपने आप विमल के लंड को सहलाने लगा, उसमे फिर से जान फूकने लगा.
थोड़ी देर में विमल का लंड फिर फॉलाद की तरहा सख़्त हो गया और कामया उसे पकड़ के खींचने लगी, अब उसकी बर्दाश्त के बाहर था, उसे जल्द से जल्द विमल का लंड अपनी चूत के अंदर चाहिए था.
विमल कामया की इच्छा समझ गया और उसने कामया की गान्ड के नीचे एक तकिया रख दिया फिर उसकी जांघों के बीच में आ कर अपना लंड उसकी चूत पे रगड़ने लगा.
अहह द्द्द्द्द्द्दददाााआाालल्ल्ल्ल्ल्ल द्द्द्द्द्ड़ड़डीईईई
कामया ने अपनी टाँगे पूरी फैला दी और विमल को अपने उपर खींचने लगी, वो बार बार अपनी कमर उछाल कर उसके लंड को अंदर लेने की कोशिश कर रही थी.
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RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
विमल ने अपने लंड के सुपाडे को उसकी चूत की फांको के बीच में रखा और एक धक्का लगाया, मुस्किल से उसका सुपाडा ही अंदर घुसा, आर कामया की चीख निकल गई
उूुुुउउइईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई म्म्म्म मममममाआआआआअ
विमल हैरान हो गया, ये क्या चक्कर है, सुबह सुनीता की चूत बहुत टाइट मिली और अब कामया की, बिल्किल ऐसा लगा जैसे किसी कुँवारी की चूत में लंड डालने की कोशिश कर रहा हो.
कामया की आँखों से आँसू बहने लगे, एक तो विमल का लंड वैसे भी बहुत मोटा था उपर से उसने आयंटमेंट लगा कर अपनी चूत भी बहुत टाइट कर ली थी. कामया की तो जान निकल पड़ी उसे ऐसा लगा जैसे पहली बार चुद रही हो.
विमल झुक कर कामया के आँसू चाटने लगा.
‘ये क्या किया है मोम, आज तो कल से भी ज़्यादा टाइट चूत हो गई है तुम्हारी’
‘तेरे लिए ही तो किया है – ताकि तुझे कुँवारी टाइट चूत चोदने का मज़ा मिले – भूल जा मेरे दर्द को बस घुसा दे अंदर – मैं कितना भी चीखू परवाह मत करना – अब घुसा अंदर सोच क्या रहा है’
‘ओह मोम आइ लव यू!’
और विमल एक ज़ोर का झटका मार कर अपना आधा लंड अंदर घुसा देता है.
आआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
कामया फिर ज़ोर से चीखती है, और विमल अपने होंठ उसके होंठों से चिपका कर उसे होंठ चूसने लगता है.
थोड़ी देर में जब कामया थोड़ी शांत होती है तो विमल अपने आधे घुसे लंड को अंदर बाहर करने लगता है , धीरे धीरे कामया भी अपनी गान्ड उछाल कर उसका साथ देने लगी और उसी वक़्त विमल ने ज़ोर का धक्का लगा कर अपना पूरा लंड अंदर घुसा दिया, उसे ऐसा लगा जैसे किसी सन्करि गुफा ने उसके लंड को जाकड़ लिया.
और कामया का बुरा हाल हो गया उसकी दर्द भरी चीख विमल के होंठों में दब के रह गई.
विमल थोड़ी देर ऐसे ही रहा और कामया के होंठ चूस्ता कभी उसकी आँसू चाट ता और फिर उसने अपना ध्यान कामया के निपल्स पे लगा दिया और दोनो को बारी बारी चूसने लगा, कुछ ही देर में कामया का दर्द कम हो गया और उसकी कमर ने हिलना शुरू कर दिया और विमल ने अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, कामया की सन्करि चूत गीली होनी शुरू हो गई और विमल का लंड आसानी से अंदर फिसलने लगा.
आआआआआअहह वववववववववीीईईईईईईईईइइम्म्म्मममममम्मूऊऊुुुुुुुउउ कककककककककचूऊऊओद्द्द्द्दद्ड द्द्द्ददडाालल्ल्ल्ल्ल्ल
कामया के मुँह में जो आया वो बोलने लगी और कमरे में एक तूफान आ गया, दोनो के जिस्म एक लय में एक दूसरे से टकराने लगे और कामया जल्द ही अपने मुकाम पे पहुच गई उसका जिस्म अकड़ने लगा और उसकी चूत ने विमल के लंड के चारों तरफ एक बाद सी फैला दी.
ऐसा ऑर्गॅज़म कामया को पहले कभी नही हुआ था, उसकी आँखें बंद होती चली गई और जिस्म ढीला पड़ गया. विमल भी रुक गया ताकि कामया अपने अंदर के सागर में गोते लगा सके.
कुछ देर बाद कामया होश में आई और विमल के धक्के फिर शुरू हो गये विमल ने तेज गति अपना ली, कामया ने भी उसका साथ देना शुरू कर दिया. जिस्मो के टकराने से ठप ठप की आवाज़ गूँज रही थी और कामया की चूत फॅक फॅक फॅक का राग आलाप रही थी.
पूरा कमरा ही कामुकता का गढ़ बना हुआ था. विमल के धक्के और भी तेज हो गये.
अहह तेज और तेज यस यस डू इट फास्टर फास्टर
कामया फिर अपने चरम पे पहुँचने लगी और साथ साथ विमल भी और कुछ ही पलों में दोनो चीख कर झड़ने लगे.
कामया की चूत ने विमल के लंड को जाकड़ लिया और उसके वीर्य की एक एक बूँद निचोड़ने लगी.
विमल भी हांफता हा कामया के उपर ढेर हो गया और दोनो इस स्वर्णिम आनंद की अनुभूति में खो गये.
जब विमल का लंड कामया की चूत में ढीला पड़ गया और उसकी साँस थोड़ी सम्भल गई वो कामया से अलग हो कर उसकी बगल में लेट गया.
दोनो ही दुनिया से बेख़बर अपने अहसास को समेट रहे थे और दोनो कब नींद के आगोश में चले गये दोनो को ही पता ना चला.
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RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
उूुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ हहाआआऐययईईईईईईईईईईईईईई
ययए क्य्ाआआआ हहूऊओ रहा हाईईईईईईईईईईई मुझे
एक दौरा सा चढ़ गया रिया को, उसका जिस्म अकड़ने लगा और एक चीख के साथ उसने अपना रस छोड़ना शुरू कर दिया.
म्म्म्मनममममममाआआआआआआआआआआआअ
रमेश लपलप उसके रस को पीता चला गया और रिया का जिस्म ढीला पड़ता चला गया. उसकी आँखे मूंद गई और वो अपने पहले ऑर्गॅज़म के नशे में खो गई.
रिया अपने ओर्गसम की सुखद अनुभूति में खो गई थी और उसकी पलकें बंद हो गई थी, पर रमेश का बुरा हाल हो रहा था उसका लंड आकड़ा हुआ था और इस वक़्त उसे चूत चाहिए थी चाहे किसी की भी क्यूँ ना हो.
रमेश ने बढ़ी मुश्किल से खुद को रोका रिया की चूत का सत्यानास करने को क्यूंकी अगर वो रिया के साथ आगे बढ़ता तो उसे रोन्द डालता और रिया की पहली चुदाई भयंकर हो जाती, उसके दिमाग़ में एक दम रानी आ गई.
रमेश ने फटाफट रिया के नंगे जिस्म को चद्दर से ढाका और यूही नंगा कमरे से बाहर निकल गया. जैसे ही वो बाहर निकला उसे रानी अपने कमरे की तरफ जाती हुई दिखाई दी, यानी रानी ने सब देख लिया था. अब रानी के मुँह को बंद करने के लिए रमेश को ये और भी ज़रूरी लगा कि वो उसे अपने लंड का स्वाद चखा दे.
और वैसे भी वो उस वक़्त रानी को चोद रहा था जब रिया बीच में आ टापकी. रमेश रानी के पीछे लपका और उसके पीछे पीछे उसके कमरे में घुस गया. जैसे ही रानी पलटी, रमेश ने उसे दबोच लिया और उसके होंठों को ज़ोर ज़ोर से चूसने लग गया. रानी भी अधूरी चुदाई की वजह से गरम थी और जो लाइव शो वो देख के आ रही थी, उसकी वजह से उसके जिस्म में आग लगी हुई थी.
रानी भी उसी तेज़ी के साथ रमेश के होंठ चूसने लग गई और उसके हाथ रमेश के लंड को सहलाने लगी.
रानी के होंठों को चूस्ते हुए रमेश उसके जिस्म को कपड़ों की क़ैद से आज़ाद करता चला गया.
रमेश से और सहन नही हो रहा था, उसने रानी को बिस्तर पे पटक दिया और उसके उपर चढ़ गया, रानी ने भी अपनी जांघें फैला दी और रमेश ने उसकी चूत के मुँह पे अपने लंड को रख ज़ोर का धक्का लगा दिया. एक ही झटके में रमेश का पूरा लंड रानी की चूत में था और रानी की ज़ोर दार चीख निकल गई.
आआआआआआआआआआआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
रमेश पे पागलपन सवार हो चुका था वो ढकधक रानी की चूत का मर्दन करने लगा.
रानी की ज़ोर दार सिसकियाँ हवा में फैलने लगी. और रमेश का लंड तेज़ी से उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था.
ऐसे दम दार चुदाई रानी की कभी नही हुई थी, आज रमेश उसे पहली बार चोद रहा था और रानी रमेश की गुलाम बन चुकी थी.
जब तक रमेश झाड़ता रानी दो बार झाड़ चुकी थी और जब रानी ने महसूस किया कि रमेश के धक्के और तेज हो गये हैं वो समझ गई कि रमेश झड़ने वाला है. रमेश को मज़ा देने के लिए रानी ने उसके लंड को अपनी चूत से पकड़ना और छ्चोड़ना शुरू कर दिया और उसकी की लय में अपनी गान्ड उछाल उछाल कर उसका लंड अपनी चूत में लेने लगी.
कमरे में एक भूचाल सा आ गया और दोनो के जिस्म तूफ़ानी गति से एक दूसरे से टकरा रहे थे.
थोड़ी ही देर में दोनो बुरी तरहा एक दूसरे से चिपक गये और साथ साथ झड़ने लगे रमेश की हुंकार और रानी की चीख दोनो साथ साथ हवा में घुल गई और रमेश के लंड से निकलती हुई उसके वीर्य की बोछार रानी की चूत को भरती चली गई.
दोनो ना जाने कितनी देर एक दूसरे के साथ चिपके रहे.
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RE: Kahani भड़की मेरे जिस्म की प्यास
बार टेंडर से विमल दोस्ती गाँठ चुका था और उसने सुनीता को विमल के साथ देखा था, उसने चुपके से विमल के कमरे का नंबर मिलाया – विमल को थोड़ी ही देर हुई थी कामया को अच्छी तरहा संतुष्ट करने में और वो लगभग सोने की ओर था की रूम का फोन बज गया – गालियाँ देते हुए विमल ने फोन उठाया और जो उसने सुना – उसके कान खड़े हो गये- नींद काफूर हो गई – मासी बार में बैठी वाइन पी रही थी और वहाँ के लोगो का निशाना बनी हुई थी. उसने बार टेंडर को थॅंक्स बोला और फटाफट अपने कपड़े पहने. कामया को तो कोई होश ही नही था.
कमरे से बाहर आ कर सुनीता नीचे लॉबी में उतर गई, बार बस बंद होने वाला था और वो बार में घुस गई एक वाइन की बॉटल का ऑर्डर दे डाला और वहीं पीने बैठ गई.
बार के सारे लॅफंडर उसे ही घूर घूर के देख रहे थे.
बार टेंडर से विमल दोस्ती गाँठ चुका था और उसने सुनीता को विमल के साथ देखा था, उसने चुपके से विमल के कमरे का नंबर मिलाया – विमल को थोड़ी ही देर हुई थी कामया को अच्छी तरहा संतुष्ट करने में और वो लगभग सोने की ओर था कि रूम का फोन बज गया – गालियाँ देते हुए विमल ने फोन उठाया और जो उसने सुना – उसके कान खड़े हो गये- नींद काफूर हो गई – मासी बार में बैठी वाइन पी रही थी और वहाँ के लोगो का निशाना बनी हुई थी. उसने बार टेंडर को थॅंक्स बोला और फटाफट अपने कपड़े पहने. कामया को तो कोई होश ही नही था.
विमल फटा फट बार में पहुँचता है और देखता है की कितने ही नशेड़ी सुनीता को ऐसे घूर रहे थे कि अभी रेप कर डालेंगे. अपने गुस्से को काबू में रखते हुए वो टेबल के पास पहुँचता है लेकिन जाने से पहले वो गर्देन हिला कर बारमेन की तरफ देखता है उसका शुक्रिया करने की खातिर, और सीधा टेबल पे जा कर सुनीता के सामने जा के बैठ जाता है.
अपने आप को रोक नही पाता और पूछ लेता है
‘आप यहाँ इस वक़्त – महॉल देख रही हो?’
सुनीता बड़ी मुस्किल से अपने आँसू रोकती है.
‘तू आ गया- पर क्यूँ?’
इस एक सवाल के पीछे कई सवाल छुपे हुए थे.
विमल की अंतरात्मा तक कांप जाती है.
ये चूत और लंड का रिश्ता नही था – ये खून का रिश्ता था जिसे सिर्फ़ तीन लोग जानते थे – सुनीता खुद और कामया और रमेश जिसने इसे अंजाम दिया था.
‘माँ’ बोलता बोलता विमल रुक जाता है और सुनीता को ऐसा लगता है जैसे विमल ने उसे 'माँ' कह के पुकारा हो.
‘बोल ना – फिर एक बार बोल’
अब विमल के कान , नाक, दिमाग़ सब खड़े हो जाते हैं.
वो मासी बोलता बोलता माँ तक रुक गया था -क्यूंकी सुनीता की ये हालत देख कर बहुत भावुक हो गया था.
और सुनीता को ऐसा लगा कि उसने उसे “माँ” कह के पुकारा हो.
विमल बात को पलट ता है – ‘ प्लीज़ चलो यहाँ से’
‘तूने फिर नही बोला………….’
सुनीता की आँखों से आँसू बहने लगते हैं – और वो इस कगार पे पहुच चुकी थी कि उसकी रुलाई रोके ना रुकती, विमल ये भाँप गया और उठ के सुनीता को कंधा देते हुए उठाया और सिर्फ़ इतना बोला ‘ कमरे में बात करेंगे’
जैसे ही विमल ने उसे छूआ सुनीता को चैन मिल गया – उसके बहने वाले आँसू रुक गये- उसकी ज़ुबान का लड़खड़ाना रुक गया – मानो जैसे कोई शक्ति उसके अंदर प्रवाहित कर गई हो वरना बियर और उसके उपर वाइन की जो घमासान कॉकटेल युद्ध होती है पेट के अंदर जो सीधे दिमाग़ तक पहुँचती है उसको बड़े बड़े पियाक्कड़ नही झेल पाते.
विमल सुनीता को अपने कमरे में ले गया, जहाँ कामया अपनी चुदाई की सुखद अनुभूति में नग्न बिस्तर पे सो रही थी. आज उसे इतना आनंद मिला था कि अगर नगाड़े भी बजते तब भी उसकी आँख जल्दी नही खुलती.
कमरे में पहुँच कर विमल दरवाजा अंदर से बंद करता है और सुनीता को ले कर सोफे पे बैठ जाता है. वाइन की आधी बॉटल वो साथ ले आया था.
विमल : क्या हुआ है अब बताओ?
सुनीता : तुझे नही मालूम?
विमल : कुछ कुछ लेकिन आपके मुँह से सुनना चाहता हूँ.
सुनीता : मैं तेरे बिना अब जी नही पाउन्गि.
विमल : आपके पास ही तो हूँ – आपका ही हूँ – फिर ये ख़याल क्यूँ – मैं कौन सा आपको छोड़ के कहीं जा रहा हूँ. एक आवाज़ देना और मैं आपकी बाँहों में समा जाउन्गा.
सुनीता : तू समझता क्यूँ नही – मेरा दिल – मेरी आत्मा – मेरा जिस्म- सब तेरा हो चुका है – अब मैं वापस नही जा सकती – मैं रमण से कोई रिश्ता नही रखना चाहती – मैं बस सिर्फ़ तेरी बन के रहना चाहती हूँ.
विमल हैरानी से सुनीता को देखने लगा – उसे लगा ये वक़्ती जनुन है – जो शायद ज़्यादा पीने की वजह से हो रहा है – वो ये नही समझ पाया – कि सुनीता वाकई में अपने दिल की बात बोल रही है
सुनीता : विमू – लव मी
और विमल सुनीता को अपनी बाँहों में ले कर उसके होंठों पे अपने होंठ रख देता है. विमल के लिए ये सिर्फ़ जिस्म की प्यास बुझाने का एक और रास्ता था पर सुनीता ने जिस्म की प्यास नही अपनी तपती हुई बरसों से तड़पति हुई ममता की प्यास बुझाई थी – वो प्यास भुजाते बुझते ऐसे मुकाम पे पहुँच गई थी कि अब वो सिर्फ़ अपने विमू की हो कर रहना चाहती थी – उसे हर वक़्त अपने सीने से चिपका के रखना चाहती थी – उसके लंड को अपनी चूत में रखना चाहती थी- वो फिर से अपने मम्मो में दूध भर के विमू को पिलाना चाहती थी – वो फिर से एक बार और एक बच्चे को जनम देना चाहती थी – वो बच्चा उसके विमू का होगा – उसके विमू का – और ये बात वो विमल से करना चाहती थी – पर अभी उसमे इतनी हिम्मत नही आई थी कि खुल के अपने दिल के बात विमल से कर सके.
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