09-01-2018, 12:43 PM,
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sexstories
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RE: Indian Sex Story वक़्त के हाथों मजबूर
दो दिन तक बिहारी राधिका के साथ कड़ा रुख़ अपनाता रहा मगर जब राधिका उसकी किसी भी बात का विरोध नहीं करती तो वो अब धीरे धीरे उसके साथ नर्मी से पेश आने लगा था..कहते हैं ना अगर किसी के साथ जिस्मानी तालुकात बन जाए तो इंसान की उसके प्रति चाहत बढ़ जाती हैं चाहे वो रंडी ही क्यों ना हो.आज ठीक वही स्थिति बिहारी की भी थी..वो अब राधिका को धीरे धीरे चाहने लगा था ..अब वो राधिका का ख्याल भी रखने लगा था मगर इधेर विजय कमीनपन का एक जीती जागती मिसाल था. उसके अंदर कोई प्रेम भावना किसी के प्रति नहीं थी...
उधेर हर सुबेह शंकर काका राधिका के पास आते और उसके दर्द पर मलहम का काम करते. मगर अब राधिका पूरी तरह से टूट गयी थी. ना उसके अंदर किसी चीज़ की अब चाहत रह गयी थी और ना कुछ पाने की इच्छा ... बस वो हर घड़ी हर पल अपने राहुल के आने का इंतेज़ार करती ये जानते हुए भी कि अब राहुल उसे किसी भी हाल में नहीं अपनाएगा..शायद उसके पीछे उसका निस्वार्थ प्रेम था...
ऐसे ही दिन गुज़रते गये और आज पूरे 5 दिन बीत चुके थे.. हर रात जग्गा, विजय और बिहारी तरह तरह के एक्सपेरिमेंट उसके साथ करते मगर राधिका कभी कुछ नहीं कहती. शायद आब उसके अंदर का इंसान पूरी तरह से मर चुका था. अब वो सिर्फ़ एक ज़िंदा लाश बनकर रह गयी थी. और उन तीनों के लिए बस एक चुदाई की मशीन...राधिका का शरीर के साथ साथ उसकी हिम्मत और हौसला भी पूरी तरह से टूट गया था. हँसना तो वो पूरी तरह से भूल चुकी थी. बस शंकर काका हर सुबेह उसके जिस्म की सिकाई करते और उसका पूरा ख्याल रखते. आज शायद शंकर काका के बस में अगर कुछ होता तो वो राधिका के लिए ज़रूर कुछ करते. मगर वो भी मज़बूर थे..इन 5 दिनों में राधिका की इतनी बार चुदाई हुई थी कि उसकी कोई गिनती नहीं थी. हर रात शंकर काका उसकी चीखे सुनते मगर वो भी ज़हर का घुट पीकर रह जाते...
आज 6वा दिन था और राधिका की हालत बहुत नाज़ुक हो चुकी थी. उसकी आँखो के नीचे कालापन सॉफ नज़र आ रहा था जिससे ये सॉफ ज़ाहिर हो रहा था कि उसके साथ कितना ग़लत हुआ हैं...मगर दिन ब दिन राधिका की खामोशी बढ़ती ही जा रही थी. अब वो किसी से एक शब्द कुछ नहीं कहती. ना किसी से किसी बात के लिए मना करती.. वो हर रोज़ मर रही थी..और यही बात अब बिहारी को पल पल सता रही थी. राधिका की ये खामोशी अब उसे देखी नहीं जा रही थी. शायद उसको ऐसा पहली बार महसूस हुआ था. आज बिहारी को ऐसा लगने लगा था कि वो आज जीत कर भी हार गया हैं.
उसी शाम को जब राधिका पूरी नंगी हालत में बिहारी , विजय और जग्गा के सामने थी तभी उसके घर की बेल बजती हैं. बिहारी झट से एक टवल लपेट कर दरवाज़ा खोलता हैं. सामने उसका नौकर खड़ा था..
नौकर- साहेब आपसे मिलने काजीरी मेम्साब आई हैं. काजीरी का नाम सुनकर बिहारी के चेहरे पर गुस्से के भाव आ जाते हैं..
बिहारी फिर उस नौकर को कहता हैं कि उसे अंदर भेज दो. थोड़ी देर के बाद जग्गा, विजय , और बिहारी शॉर्ट्स कपड़े पहन लेते हैं और राधिका को वहीं शॉल दे देते हैं. वो बिना कुछ कहें वो शॉल अपने जिस्म पर डाल लेती हैं. तभी काजीरी की कमरे में एंट्री होती हैं.
काजीरी की उमर करीब 45 साल , मोटी और रंग उसका काला था. चेहरे पर गाढ़ा लिपस्टिक लगाए, और बालों में फूलों का गजरा. माथे पर बड़ी गोल लाल रंग की बिंदी. और कानों में बड़े बड़े झुमके... मूह में पान चबाते हुए ओए नीले रंग की साड़ी में वो कमरे में प्रवेश करती हैं..
बिहारी- आओ आओ काजीरी इतने दिनों के बाद तुम यहाँ पर कैसे आई...कहो कैसे आना हुआ.
काजीरी- बिहारी मर्द तो सच में बड़े हरामी होते हैं. और तू तो सच में बड़ा हरामी चीज़ हैं. पहले मुझसे ज़रूरत पड़ता था तब तू मेरे पास कुत्ते जैसे दुम हिलाते हुए आता था. जब से तेरी कुर्सी उँची हो गयी हैं तब से तू तो काजीरी को भूल ही गया. चल कोई बात नहीं तू भले ही भूल गया हो मगर मैं तुझे कभी नहीं भूलूंगी. आख़िर तू हमारा ख़ास कस्टमर हैं.. तभी काजीरी की नज़र राधिका पर पड़ती हैं और काजीरी के चेहरे पर मुस्कान तैर जाती हैं. वो फिर राधिका के पास जाती हैं..
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