09-03-2018, 09:18 PM,
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RE: Rishton Mai Chudai खानदानी चुदाई का सिलसिला
हम लोगों ने खाना खाया ही था कि अचानक बुआजी, आंटी और कविता आंटी बच्चों को लेके कमरे मे दाखिल हुई. रमेश ने झटपट खाना ख़तम किया और अपने कमरे मे सोने चला गया. बाहर दारू का ज़ोर चल रहा था. खाना खाने के बाद सब थोड़ी थोड़ी दारू पीने मे मगन थे. तीनो लॅडीस ने एक एक बच्चा अपनी अपनी गोद मे लिया हुआ था और इधेर उधर की बातें चल रही थी. मैं और कम्मो भी सोने की तैयारी करने लगे. किचन मे जगह बनाई और ज़मीन पे सोने के इंतज़ाम करके तीनो लॅडीस का जाने का इंतेज़ार करने लगे. थोड़ी देर मे बच्चे सो गए और उन्हे हमे सौंप के तीनो बाहर चली गई.
मुझे ज़ोरों की नींद आ रही थी सो मैने कम्मो से कहा कि वो बच्चों को देखे और मैं सोने जाती हूँ. कम्मो ने अनमने ढंग से हां कही और बच्चों को देखने लगी.
अब आगे की कहानी सखी भाभी की ज़ुबानी बतानी पड़ेगी. क्योंकि ये हिस्सा मैने नही देखा. ये उन्होने मुझे बताया.
सभी लोग अपना अपना पेग लिए बैठे थे. बाबूजी के सामने हम तीनो बहुएँ पीती थी ये तो सबको पता है. पर आज हम तीनो को बाकी सबके सामने पीनी पड़ेगी ये हमे नही पता था. बाबूजी, फूफा जी और राकेश अंकल बैठे पीते हुए कुच्छ बातें कर रहे थे. गार्डेन के दूसरी तरफ राजू भैया, सुजीत भैया, संजय, प्रकाश जीजू और उनके कज़िन राज बैठे थे.
बाबूजी के ग्रूप के करीब हम तीनो देवरानी जेठानी और शोभा दीदी बैठे थे. हमारे बीच में हल्का मज़ाक चल रहा था. तीनो बुज़ुर्ग लॅडीस कमरे मे थी बच्चों के साथ. सिचुयेशन कुच्छ ऐसी थी कि मेरी पीठ के जस्ट पिछे फूफा जी बैठे हुए थे और उनके ऑपोसिट बाबूजी और राकेश अंकल. हम लॅडीस की बातें चल रही थी कि अचानक मुझे राकेश अंकल की बात कानो मे पड़ी.
राकेश अंकल - राजपाल (बाबूजी) तुझे याद है आज से 3 साल पहले जब तू मेरे घर आया था ? तुझे बिम्ला याद है ?
राजपाल (बाबूजी) - कौन बिम्ला? वो तेरे घर की नौकरानी.....? हां याद है....वही ना....उसी की बात कर रहा है ?
राकेश अंकल - हां वही वही......दरअसल तूने एक दिन मुझे फोन पे कुच्छ बातें कही थी .....मुझे लगा कि तूने अपनी नौकरानी पटा रखी है और उसकी सेवा करता है....हे हे...तो मुझे भी बिम्ला याद आ गई......दरअसल मैने भी उसकी काफ़ी सेवा की.....हे हे...हे ....
बाबूजी - अबे साले वो तो मैं उसी दिन समझ गया था जब आया था........साली 30 साल की औरत ....जवानी मे अपने बूढ़े मालिक के आस पास घूमती फ़िरेगी तो इसका मतलब तो सॉफ है ना.....हे हे हे ....
अंकल - हां यार.......सही पकड़ा तूने.....वैसे एक बात बोलूं....अगर तूने थोड़ी हिम्मत दिखाई होती या फिर तू एक रात और रुकता तो ....बिम्ला........उफफफ्फ़....मैं तो कई बार तू बन के उसकी सेवा करता था.......समझा रहा है ना.....
फूफा जी - अर्रे राकेश जी......इतनी बड़ी छिनाल थी क्या.....अभी भी है क्या आपके यहाँ.....बोलो तो मैं आ जाउ.....सेवा कर दूँगा....
राकेश अंकल - अर्रे नही अब वो वापिस चली गई ...पर एक और है.....करीब करीब उसी के जैसी ...पर अभी तक सेवा का मौका नही दिया उसने.....दे देगी......जाएगी कहाँ.....पर सच मे बिम्ला का कोई जवाब नही था.....काश राजपाल रुक जाता....सच मे भाई दोनो एक साथ करते.....मज़ा दुगुना हो जाता.....
बाबूजी - अवतार जी आप तो हमारे जीजा हो और घर की सब बातें जानते हो.....अब इस चूतिए को सब बातें तो नही पता....आप ही बताओ कि अगर मैं उस दिन रुकता तो आपके यहाँ सरला जी से कैसे मिलता और फिर संजय और सखी की शादी कैसे होती....हैं ?? ये सब बातें मैं इसे उन हालत मे कैसे समझाता...? और देख राकेश एक बात और बता दूं......जितनी नौकरानियाँ तूने रखी हैं उसे जीयादा मैने रखी हैं......और तेरी 10 बिम्ला भी मेरी वालीओं का कुच्छ मुकाबला नही कर सकती...समझा....
राकेश अंकल - अबे साले समझ गया कि तुझे संजय और सखी का रिश्ता करवाना था. और ये भी समझा गया कि ये दो नौकरानियाँ तू लाया है यहाँ इनको तूने अच्छे से रगड़ा है...... पर कहाँ कम्मो और कहाँ बिम्ला.....वो तो जन्नत थी जन्न्नत......हाअए.....सोच के ही खड़ा हो गया
बाबूजी - अबे जा जा....तूने कम्मो और मुन्नी को अभी देखा नही है बच्चू.......वो क्या हैं ये सिर्फ़ मैं जानता हूँ और ...मेरा परि..........खैर....तू उन्हे चखेगा तो सब बिम्ला शिमला भूल जाएगा.....
(बाबूजी आज पहली बार मेरे एक्सपीरियेन्स से दारू पीके बहके थे और कुच्छ ग़लत बोल बैठे थे...मैं तो समझ गई पर क्या राकेश अंकल समझे या नही ये नही पता)
राकेश अंकल - अच्छाअ.....तो साले कम्मो और मुन्नी को मेरे 8 इंच के नीचे लगवा फिर बता दूँगा कि कौन कितने पानी मे है.....और तूने क्या कहा परिवार.....उनको पता है क्या साले......तेरे मुन्नी और कम्मो का....हरामी उन सबसे तो छुपा के रखा कर ...तेरे बच्चे हैं.......
फूफा जी - अर्रे राकेश जी.....अच्छा एक मिनट साले साहब एक मिनट...मुझे समझाने दीजिए.....राकेश जी आप कितने साल से राजपाल को जानते हैं ? मेरे हिसाब से करीब 35 साल से जब से आप लोग 10 साल के थे. अब आप लोग जब से अलग हुए तब से कितना कुच्छ बदल गया. आपने शादी की और इन्होने नही...आपने एक सेक्सी औरत का सुख भोगा लीगली पत्नी बना के तो इनको वो मिला ही नही. अब जब बच्चे छोटे थे तब से इन्हे घर की नौकरानिओ के साथ कुच्छ ना कुच्छ करने का मौका मिलता रहा है......और बच्चों को भी बचपन से ऐसे मौके मिलते रहे.......और एक बात...सभी लड़को की सील इन्होने ही तुड्वाई थी.........और वो भी नौकरानिओ के हाथों.............तो अब क़ी कोई भी बात पे आप कोई जड्ज्मेंट पास मत करो.
बाबूजी - देख राकेश...छोड़ इन सब बातों को....एक बात सुन और एक शरत लगा ले मेरे से. कम्मो और मुन्नी दोनो मे से एक ले ले.....फिर अपने आप बताना कि कौन बेटर है बिम्ला से.....और सुन साले....तेरे और बिम्ला का पता तेरे बच्चों को भी था पर अगर भाभी को ऐतराज नही था तो उन्हे भी नही हुआ.
सखी की ज़ुबानी कंटिन्यूड
राकेश अंकल, बाबूजी और फूफा जी की बातें सुन के मेरा दिमाग़ घूम गया. साथ ही मेरी टाँगों के बीच खलबली मचने लगी. मेरा ध्यान अब मेरे आस पास की बातों पे नही था. मेरा पूरा ध्यान अब मर्दों की बातों पे लगा हुआ था.
राकेश अंकल - अर्रे अवतार जी आप ये क्या कह रहे हो...आपको कैसे पता कि मेरे और बिम्ला के बारे मे मेरी बीवी और बच्चों को पता था...? ये बात आपको किसने कही ? मुझे तो हमेशा से शक था कि उन लोगों को पता है पर सच मे कभी यकीन नही हुआ..... अब जब आपने ये बातें कही हैं तो ये भी बता दो कि आपको कैसे पता ?
राकेश अंकल पूरे बौखलाए हुए थे और हैरान थे...बाबूजी चुप थे और अवतार फूफा जी थोड़े से हंस दिए.
अवतार फूफा - अर्रे छोड़िए ये सब...किन बातों मे फँस गए...आप तो अपनी चाय्स बताइए....कम्मो या मुन्नी ? किसकी सेवा करेंगे ?
राकेश अंकल - अर्रे नही नही पहले ये बात क्लियर कीजिए फिर बताउन्गा....अर्रे राजपाल तुम्ही कहो इन्हे यार...मेरी जान अटकी पड़ी है....
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