09-06-2018, 04:59 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,184
Threads: 4,454
Joined: May 2017
|
|
RE: Mastram Story चमकता सितारा
डॉली और उसका नया ब्वॉयफ्रेंड वहीं बैठा हुआ था।
मैं बेहद गुस्से में था। गेट कीपर को धक्का देता हुआ मैं अन्दर दाखिल हुआ। डॉली अब तक मुस्कुराते हुए हर सवाल का ज़वाब दे रही थी। मुझे वहाँ देखते ही उसकी हंसी जैसे गायब ही हो गई।
मैं सामने से लोगों को हटाता हुआ ठीक उसके सामने मेज़ पर हाथ रख कर खड़ा हो गया- एक्टिंग बहुत अच्छी कर लेती हो। अब ज़रा इन सब के सामने हंस कर दिखाओ।
उसका ब्वॉयफ्रेंड- अबे चल भाग यहाँ से। अपनी औकात में रह तू.. एक मिनट में यहाँ से गायब करवा दूँगा तुझे..।
मैंने उसके ब्वॉयफ्रेंड को इग्नोर करते हुए, डॉली से चिल्लाते हुए कहा- मैंने हंसने को कहा न.. दिखा न.. कितनी बड़ी एक्ट्रेस है तू..
उसका ब्वॉयफ्रेंड ने मुझे धक्का दे दिया। मेरा गुस्सा अब सातवें आसमान पे था। मैंने पास में रखा माइक उसके सर पर दे मारा।
मेरा इतना करना था कि वहाँ खड़े कुछ लोग मुझे उनसे दूर करने की कोशिश करने लग गए।
मैं अब तक जोर-जोर से चिल्ला रहा था- अब दिखा न साली.. कितनी बड़ी एक्ट्रेस है तू..
पुलिस वहाँ आ गई थी और मुझे अपने साथ ले जाने लगी। मैं एक पजामे और गंजी में था.. जैसे-जैसे मैं आगे पुलिस की गाड़ी की ओर बढ़ रहा था.. प्रेस रिपोर्टरों के सवाल और भी तीखे होते जा रहे थे।
मैं लगभग गाड़ी की ओर पहुँच ही चुका था कि एक रिपोर्टर ने चिल्लाते हुए पूछा- तुझे आग क्यूँ लग रही है.. उसकी मर्ज़ी.. वो किसी के भी साथ सोए।
इतना सुनना था कि मेरे बदन में आग सी लग गई। मैंने उस रिपोर्टर को बालों से पकड़ कर ज़मीन पर गिरा दिया और लातें मारने लगा। मैं साथ में कह रहा था- साले तेरी बीवी.. किसी के साथ सो जाए तो तुझे फर्क नहीं पड़ेगा क्या?
अब पुलिस मुझे लगभग घसीटते हुए वहाँ से ले गई।
मैं थाने में था और पुलिस वाले एक-दूसरे से कह रहे थे ‘इसके तो स्टार बनने से पहले ही ऐसे तेवर हैं… बाद में क्या होगा..’
फिर मुझे कमिश्नर के ऑफिस में बिठा दिया गया।
कमिश्नर- जानता हूँ कि जवानी में खून कुछ ज्यादा ही खौलता है। तूने जिसे मारा है न.. वो इंडस्ट्री के सुपरस्टार का बेटा है। यहाँ से तो तू छूट भी जाएगा.. पर तेरे कैरियर का क्या होगा। ये तो सोच लेता।
मैं- लड़कियों का दलाल समझा है मुझे क्या? जो धंधे के लिए अपनी बीवी को भी कोठे पर बिठा दे। अब मार दिया तो मार दिया.. तू उपदेश मत दे मुझे।
इतने में कोमल वकील के साथ कमरे में दाखिल हुई। थोड़ी फॉर्मेलिटी के बाद मैं वहाँ से बाहर आ चुका था। काजल की लिमो कार वहाँ खड़ी थी। चिल्लाते हुए प्रेस रिपोर्टरों के बीच से मैं गुज़रता हुआ कार तक पहुँचा और गेट खोल कर खड़ा हो गया।
सब कार में बैठ गए। मैंने बहुत कोशिश की कि मैं किसी एक सवाल का जवाब तो दे दूँ.. पर सब एक साथ कह रहे थे तो बस शोर ही सुनाई दे रहा था।
बांयें हाथ से दो तीन रिपोर्टरों के माइक को पकड़ कर दांये हाथ से बीच वाली ऊँगली से इशारा किया और माइक के करीब जाकर बोला ‘फ़क ऑफ…’
अब मैं कार में बैठ चुका था। चारों तरफ से जैसे पूरी फ़ौज कार पर गिर रही हो। मुझे अन्दर से उनके बस चेहरे ही दिख रहे थे। अगर कुछ सुनाई दे रहा था तो अन्दर कार में बजने वाला धीमा संगीत।
मैं काजल के घर पर पहुँचा। काजल मुझे गले लगाते हुए बोली- मेरी सुनते ही कहाँ हो.. रुक जाते तो ये सब नहीं होता न।
मैं- आज रुक गया होता तो मेरी जिंदगी भी शायद यहीं थम गई होती। अब जाकर सुकून मिला है।
कोमल- हमारी फिल्म के निर्माता बहुत नाराज़ हैं। कितने लोग अब हमारी फिल्म का विरोध करेंगे.. उसका अंदाजा भी है तुम्हें?
काजल- या ये भी तो कह सकती हो कि आज के बाद कितने ही लोग तुम लोगों की फिल्म के बारे में जान जायेंगे और वैसे तो मुझे कुछ और ही पता चला है।
कोमल- क्या?
काजल- तुम्हारी इस फिल्म का ट्रेलर कब लांच होना था।
कोमल- परसों.. इस आखिरी शूट के ख़त्म होने के बाद।
काजल- वो ट्रेलर आज मीडिया को लीक कर दिया गया है और तुम तो जानती ही हो.. जब लांच से बेहतर मार्केटिंग लीक करके की जा सकती है.. तो कुछ भी ये ही करेंगे ही.. तुम निश्चिन्त रहो.. यशराज प्रोडक्शन में अभी भी वैसे लोग हैं.. जो इस इवेंट से पैसे बनाना जानते हैं।
मैंने टीवी ऑन किया। हर न्यूज़ चैनल पर बस मैं ही मैं था.. और मेरे लीक हो चुके फिल्म के ट्रेलर चल रहे थे। तभी मुझे ख्याल आया कि ये न्यूज़ मेरे घर पर भी तो सब देख रहे होंगे। अब वक़्त आ चुका था.. मुझे अब घर पर बात कर लेनी चाहिए थी।
मैंने अपना फ़ोन लिया और एक कोने में चला गया। मेरे हाथ कांप रहे थे.. मैं एक-एक बटन बड़ी मुश्किल से दबा पा रहा था।
आखिर फ़ोन लग ही गया.. पर दो रिंग के बाद मैंने फ़ोन काट दिया। मुझे बात करने की हिम्मत नहीं हो रही थी।
आज रविवार भी था.. मुझे पता था कि सब घर पर ही होंगे।
तभी मेरे घर से कॉल आ गया, मैंने रिसीव का बटन दबा दिया, पहली आवाज़ पापा की थी- हैलो.. ये किनका नंबर है..? अभी इस नंबर से एक मिस्ड कॉल आया था।
मैं- जी मैं बोल रहा हूँ।
उनकी आवाज़ अब भारी हो गई थी।
‘अब याद आई हमारी?’
मैं- मैं टिकट मेल कर रहा हूँ.. मैं आप सबको देखना चाहता हूँ। मैं फ़ोन पर ज्यादा बात नहीं कर पाऊँगा।
पापा- टीवी पर हमने न्यूज़ देखा है.. तुम परेशान मत होना। हम सब हैं तुम्हारे साथ और कल हम सब आ रहे हैं और बेटा.. दो टिकट एक्स्ट्रा भेज देना.. तुम्हारे चाचा-चाची भी तुमसे मिलना चाहते हैं।
मैं- ठीक है। आप सब अपना सामान पैक करें और एअरपोर्ट पर दो घंटे में पहुँचें, मैं प्राइवेट जेट भेज रहा हूँ।
पापा ने शायद फ़ोन लाउडस्पीकर पर किया हुआ था। तभी मम्मी की आवाज़ आई।
‘कैसे हो बेटा.. ठीक तो हो न..? और हम सब कल आ रहे हैं। तुम बिल्कुल भी चिंता मत करना।’
मैं- ठीक है। मैं अब बात नहीं कर पाऊँगा, आप सब बस आ जाईए..’
मैंने फ़ोन काट दिया।
ऐसा क्यूँ होता है कि जब भी कुछ बुरा होता है मेरे साथ.. तो मेरी हर बुरी याद फ़्लैश बैक की तरह मेरे सामने से गुज़र जाती है।
आज भी वैसा ही हो रहा था। मेरी आँखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे और मैं पागल हुआ जा रहा था। जैसे-तैसे मैंने खुद को काबू में किया और अन्दर जहाँ काजल और कोमल बैठे थे.. मैं वहाँ पहुँचा।
काजल- क्या हुआ?
मैं- मेरी फैमिली आ रही है मुंबई.. उनके रहने का इंतजाम..?
काजल- मैं मैंनेज करवा देती हूँ।
मैं- और हाँ एक प्राइवेट जेट गया से उन्हें लाने के लिए भेज देना… मैं पैसे भर दूँगा और कोमल.. मैं अब से उनके साथ ही रहूँगा। तुम सब के साथ बिताए हर वक़्त की बहुत याद आएगी।
कोमल- तुम्हें इस वक़्त अपने परिवार की ज़रूरत भी है। हम सब वहाँ पर आते रहेंगे।
मैंने काजल से कहा- मैं थोड़ी देर आराम कर लूँ.. फिर सब लोग आयेंगे तो आज मुझे सोने को नहीं मिलने वाला है।
काजल- ह्म्म्म.. तुम आराम करो।
कोमल- इतना बड़ा कांड कर दिया है तुमने और अब भी अपनी नींद पूरी करने में लगे हो।
वो अपना हाथ जोड़ते हुए बोली- महान हो तुम..!
फिर सब हंसने लगे और मैं आराम करने चला गया।
मैं अब अपने सपने में था और मेरे सामने मेरा पहला प्यार डॉली थी.. किसी ऊँची बिल्डिंग की छत से नीचे लटक रही थी।
‘जय प्लीज मुझे बचा लो। मैं तुम्हारे साथ जीना चाहती हूँ..’
वो अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ा रही थी और मैं कितनी भी कोशिश कर रहा था.. पर उसके हाथ को थामना तो दूर.. उसे छू भी नहीं पा रहा था।
जितना वो मुझसे दूर होती जा रही थी मेरे दिल की धड़कन उतनी ही तेज़ हो रही थीं।
तभी डॉली का हाथ छूट गया और वो नीचे गिरने लगी।
मैं जोर से ‘डॉली’ चिल्लाता हुआ बिस्तर से उठ कर बैठ गया।
मेरी धड़कन अब बहुत तेज़ थीं और पूरा शरीर पसीने से नहाया हुआ था। मैं लम्बी-लम्बी साँसें ले रहा था। तभी कोमल अन्दर दाखिल हुई।
‘तुम्हारी फैमिली यहाँ आ चुकी है.. तैयार हो जाओ।’
मेरी दिल की धड़कन शांत भी नहीं हुई थीं कि इसे बेचैन होने की एक और वजह मिल गई। मैं वैसे ही बिस्तर पर बैठा रहा.. जैसे-जैसे सब पास आते जा रहे थे.. मेरा गला सूखता जा रहा था और आँखें भरने लगी थीं।
दरवाज़ा खुला और सबसे पहले मम्मी पर नज़र पड़ी, फिर सब लोग आ गए।
मम्मी ने मुझे अपने सीने से लगाते हुए कहा- क्या हाल बना रखा है अपना.. एक बार भी हमारी याद नहीं आई तुम्हें?
पापा- अब ताने मत मारो.. मेरे बेटे को..
फिर उन्होंने भी मुझे गले से लगा लिया।
|
|
09-06-2018, 05:00 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,184
Threads: 4,454
Joined: May 2017
|
|
RE: Mastram Story चमकता सितारा
सैट पर सब चीज़ें अपनी जगह पर पहुँच गई थीं। डॉली और पूजा को दो खम्बे से बाँध दिया गया था और दोनों के मुँह टेप से बंद किए हुए थे।
मैंने एक आखिर फाइट सीन ख़त्म किया और दोनों जहाँ बंधी हुई थीं.. वहाँ पर पहुँच गया।
लाइट.. कैमरा.. एक्शन..!
अभी अभी जो मैंने फाइट सीन किया था.. इस वजह से मैं अब तक गुस्से में लम्बी-लम्बी साँसें ले रहा था। अपने कदम बढ़ाता हुआ मैं उन दोनों की तरफ बढ़ रहा था।
कैमरे ने मेरे चेहरे को फोकस किया और मैं बस डॉली की ओर ही देखे जा रहा था, मेरी नज़रें उसकी नज़रों से जा मिली।
मेरे अन्दर जितनी भी नफरत थी.. उसके लिए वो आंसू बन मेरी आँखों में उभर आईं।
मैं दौड़ कर उसके पास पहुँचता हूँ और उसके बंधे हुए हाथ-पाँव को बंधन से आज़ाद करता हूँ। जहाँ-जहाँ रस्सियों के कसाव की वजह से कोमलन उभर आए थे.. उन जगहों को चूमता हुआ और अपनी आंसुओं से भिगोता हुआ.. उसे आज़ाद करके अपनी बांहों में भर लेता हूँ।
मैं- काश.. कि तुम्हारे ज़ख्मों का दर्द मुझे मिल जाता.. काश कि.. तुम्हारी हर तकलीफ मैं खुद पर ले पाता।
डॉली- मुझे तुम मिल गए.. तो ये सारा जहाँ मिल गया।
उसकी ये लाइनें मेरे ज़ज्बातों को उधेड़ कर रख देती हैं.. पर फिर भी मैं खुद पर काबू करता हूँ।
मैं- आज मैं तुमसे कुछ मांगना चाहता हूँ।
डॉली- मैंने तो अपनी जान भी तुम्हारे नाम कर दी है.. अब और बचा ही क्या है।
मैं अपने घुटनों पर बैठता हुआ बोला- तुम्हारी जिंदगी का हर लम्हा मैं अपना बना कर बिताना चाहता हूँ। तुम में खो कर खुद को पाना चाहता हूँ। बस मैं वो वक़्त चाहता हूँ.. जिसमें बस तुम मेरी बांहों में हो..
डॉली- तुम्हें इजाज़त है… मेरा हर लम्हा चुराने की।
डॉली की आँखों में आंसू थे, मैंने उन आंसुओं को पोंछ कर उसके होंठ चूम लिए।
मैं खो चुका था उसमें… फिर मैंने उसकी आँखें देखीं और हर वो कड़वी यादें.. जो उसके साथ जुड़ी थी’.. ताज़ा हो गईं।
गुस्से से मेरी साँसें फिर तेज़ हो गईं.. मैंने उसे धक्का दिया और चिल्लाने लगा..
मैं- कौन हो तुम? और तुमने इस तरह मुझे क्यूँ पकड़ा हुआ है?
डॉली अब अचम्भे में थी, मैंने अब पूजा को आज़ाद किया, पूजा आज़ाद होते ही मुझे एक जोर का थप्पड़ जड़ देती है।
मैं- मैं नहीं जानता उसे… मैंने तो बस अपने हर ख्वाब में तुम्हें ही सजाया है। मेरे हर सपने में बस तुम ही तुम बसी हो। मैं नहीं जानता कि वो कौन है और मेरे साथ ये सब क्यूँ कर रही थी।
पूजा- कौन हो तुम?
मैं- तुम आज मुझे नहीं पहचानती हो। जिंदगी की इतनी मुश्किलों के बाद मैंने तो जिंदगी की आस ही छोड़ दी थी। अपने जीने के एहसास को ही खो दिया था मैंने.. अगर आज मैं जी रहा हूँ तो मेरे जीने की वजह तुम ही तो हो और तुम्हीं मुझे ठुकरा रही हो। मैं वही हूँ.. जिसे तुमने और जिसने तुम्हें हमेशा के किए अपना मान लिया था।
मैं ये सब कह ही रहा था कि पीछे से विलन के एक आदमी ने मेरे सर पर रॉड से वार किया और मैं गिर पड़ा।
कट इट.. ज़बरदस्त शॉट.. !!
चारों तरफ से तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। शायद अब मैं एक्टिंग सीख गया था..!
मैं वहाँ से अपनी वैन में आया और आज मैंने आगे के और दो सीन पूरे कर लिए।
मेरे हर शॉट के साथ तालियों की गूंज बढ़ती ही चली गई। वहाँ मौजूद हर इंसान को मैंने अपना दीवाना बना लिया था।
मैं अब वापस घर की ओर निकल पड़ा। मैं जब गाड़ी की तरफ बढ़ रहा था.. तब फिर से रिपोर्टरों के हुजूम ने मुझे घेर लिया.. पर मैं अब और कोई सवाल नहीं चाहता था.. सो मैं उनसे खुद को दूर करता हुआ अपनी कार में बैठ गया।
मैं घर पर पहुँचा तो सब लोग टीवी के सामने ही बैठे थे।
मैंने कहा- क्या आ रहा है टीवी पे..? जो इतने गौर से देख रहे हो आप सब?
काजल- तुम खुद ही देख लो।
लगभग हर न्यूज़ चैनल पर मेरे और डॉली की हर तस्वीर को किसी फिल्म की तरह चलाया जा रहा था और बैकग्राउंड में वहीं गाना बज रहा था जो आज मैंने डॉली को डेडीकेट किया था।
पापा- लड़की अच्छी है.. पर इसमें रेखा जी जैसी बात नहीं है।
मैं- अपनी-अपनी नज़र है। वैसे मम्मी को बताऊँ कि आप रेखा जी से मिलने को कह रहे हो?
पापा- अरे तुम्हें अच्छा लगेगा.. कि तुम्हारा बाप तुम्हारे सामने पिट जाए?
फिर हम दोनों हंसने लग गए, मैंने पूछा- फिल्म की रिलीज़ तक आप हो न यहाँ?
पापा- हम सब को बस तुम्हें देखना था और अब हमारा बेटा सुपर स्टार बन गया है। यहाँ नहीं.. घर आओ फिर हम ढेर सारी बातें करेंगे।
मैं- बस पंद्रह दिनों की तो बात है.. आप रुक जाईए न..?
पापा- कुछ अधूरे काम हैं.. उन्हें पूरा करना है, घर पर आओ और तब हम साथ में जश्न मनाएँगे।
मैं- ठीक है आप जैसा कहें।
दो दिन बाद सब लोग चले गए, मैं फिर से अकेला हो गया था। अब प्रमोशन की बारी थी, वैसे तो मेरे और डॉली के काण्ड ने लगभग इस फेज का हर काम पूरा कर ही दिया था.. पर यशराज कोई भी कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहते थे।
जितना भी मैं और डॉली साथ दिखते.. कैम्पेन उतना ही आगे बढ़ता जा रहा था।
फिल्म से जुड़े हर लोग हमें साथ ले जाते और हर जगह मेरे हर ज़ख्म कुरेदे जाते। अब तो दर्द का महसूस होना भी बंद हो गया था।
पूरे देश में इस फिल्म को लेकर जबरदस्त क्रेज हो गया था। आखिर वो रात आ ही गई जब अगले दिन मेरी फिल्म परदे पर आने वाली थी। उस रात मैं अपने अपार्टमेंट में था।
पायल- कैसा लग रहा है तुम्हें?
मैं- नींद आ रही है। प्लीज मुझे सोने दे।
ललिता- कुम्भकर्ण कहीं के.. आज तो तुम कुछ भी कहो.. हम सब तुम्हें सोने नहीं देंगे।
मैं- हाँ अब तुम तीन और मैं अकेला मासूम बच्चा.. कर लो अत्याचार मुझ पर..
तभी दरवाज़े पर दस्तक हुई।
ललिता ने दरवाज़े को खोला तो सामने डॉली हाथ में शराब की बोतल लिए खड़ी थी.. कंधे पे’ एक बैग भी था। वो आई और हम सबके साथ बैठ गईं।
मैं- मुझे आज कुछ ऐसा ही लग रहा था कि तुम आओगी ज़रूर।
डॉली- कल सिर्फ तुम्हारी ही नहीं बल्कि हमारी फिल्म भी रिलीज़ हो रही है। (मेरी ओर देखते हुए) साले तुमने मेरी इमेज की धज्जियाँ उड़ा दी हैं। प्यार का नाटक करना बंद भी कर दो। यहाँ सब बस मतलब के यार हैं.. यहाँ कोई किसी से सच्ची मुहब्बत नहीं करता..
मैं- तुम्हें कभी भी यह नहीं लगा कि मैं तुम्हें सच में प्यार करता हूँ..?
डॉली मेरे सवाल पर ध्यान ना देते हुए कहने लगी- आज उसने भी मुझे छोड़ दिया.. कहता है कि मेरे साथ अब जो भी रहेगा.. उसकी इमेज खराब हो जाएगी। मेरा तो मन करता है कि तुम सबकी जान ले लूँ।
मैं- अभी भी जान लेने में कोई कसर बाकी रह गई है क्या?
डॉली- तुम अब तक नहीं बदले। मुझ पर एक एहसान कर दो…. प्लीज आज मेरी जान ले लो तुम। जब-जब मैं तुम्हारी आँखों में देखती हूँ.. हर बार मुझे यह एहसास होता है कि कितनी बुरी हूँ मैं.. अपने आप से ही घिन सी होने लगी है मुझे..
मैं- तुमने ज्यादा पी हुई है, अभी यहीं आराम करो.. कल सुबह बात करेंगे।
|
|
09-06-2018, 05:00 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,184
Threads: 4,454
Joined: May 2017
|
|
RE: Mastram Story चमकता सितारा
डॉली- नहीं कल शायद मुझमें तुमसे नज़रें मिलाने की हिम्मत भी ना हो। आज मैं तुमसे एक बात कहना चाहती हूँ। बचपन से ही मैंने प्यार के हर रिश्तों को कैरियर और पैसों के सामने बिखरता हुआ देखा है। मुझे कभी भी सच्चे प्यार पर यकीन नहीं था.. जिंदगी में आगे बढ़ने की इतनी चाहत थी मुझमें कि मेरा सच्चा प्यार मेरे सामने होते हुए भी मैं उसे पहचान न पाई। आज मैं आईने के सामने खुद से नज़रें भी नहीं मिला पा रही हूँ। हर बार जब मैं खुद को देखती हूँ.. तो मुझे तुम्हारे साथ बिताएँ वक़्त की याद आती है।
मैंने उसके हाथ को अपनी हाथों में लेते हुए- मैं तो आज भी तुम्हें चाहता हूँ।
डॉली की आँखें भर आई थीं- तुम्हारी यही बात तो मुझे जीने नहीं दे रही। मैंने क्या नहीं किया तुम्हारे साथ, पर तुम्हारी आँखों में अब तक मुझे खुद के लिए प्यार ही दिखता है। मैं तुम्हारे लायक नहीं हूँ, मैं किसी के प्यार के लायक नहीं हूँ। तुम्हें अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना है, किसी दिन तुम्हें भी वो ज़रूर मिलेगी जो तुम्हें सच्चे दिल से चाहेगी। मुझे अपनी जिंदगी की बुरी याद की तरह भूल जाओ। मैं तुम्हारे प्यार के लायक नहीं हूँ। अगर मैं तुमसे आज कुछ मांगूं तो तुम मना तो नहीं करोगे।
मैं- मुझे तुम चाहिए और उसके बाद कुछ भी मांग लेना।
डॉली- मैं तुम्हारी थी, तुम्हारी हूँ और तुम्हारी ही रहूँगी। (उसका हर लफ्ज़ मुझे बीते दिनों में लिए जा रहा था) मैं तुम्हारे साथ एक आखिरी सीन करना चाहती हूँ।
मैं- कैसा सीन?
डॉली बैग से शादी का एक जोड़ा निकालते हुए- एक लड़की का उसकी जिंदगी का सबसे प्यारा सपना जीना चाहती हूँ मैं, तुम्हारे लिए इस जोड़े में सजना चाहती हूँ मैं। यह हर लड़की का अरमान होता है, शादी के जोड़े में सज़ के अपनी प्यार की आँखों में खुद के लिए प्यार देखना। शायद मैं कभी यह दिन न देख पाऊँ। कम से कम इस झूठ की दुनिया में तुम्हारे प्यार को महसूस कर लूँ। तुमने कभी भी मुझे चाहा होगा तो मुझे मना नहीं करोगे।
मेरी आँखों के सामने फिर से अन्धेरा सा छा रहा था। शादी के जोड़े वाली बात मैंने ना तो कोमल को ना ही इसे कभी बताई थी तो फिर से वही सब क्यूँ हो रहा था मेरे साथ। ऐसा लग रहा था कि मैं फिर से उसी मोड़ पे हूँ। मेरे गले से अब आवाज़ नहीं निकल रही थी।
मैंने कोमल की ओर देखा। पता नहीं वो क्या समझ बैठी, वो सब डॉली को कमरे के अन्दर ले गईं और थोड़ी देर में डॉली शादी के जोड़े में सजी मेरे सामने थी।
मेरी बेचैनी अब अपने चरम पे थी, मैं फिर से वो सब दोहराना नहीं चाहता था, मैं दूसरी ओर घूम गया।
‘जाओ यहाँ से, मैं नहीं देख सकता तुम्हें ऐसे!’ कहते हुए मैं चिल्लाया।
डॉली मुझसे वैसे ही लिपट गई।
डॉली- आज कितने दिनों बाद इस दिल को राहत मिली है।
मैंने अपनी आँखें बंद की हुई थीं।
डॉली मेरे सामने आई और उसने मेरे माथे को चूम लिया।
‘मुझे देखोगे नहीं..?’
मैं- नहीं देख पाऊँगा मैं.. मेरी जान ही ले लो न.. इतना दर्द क्यूँ देती हो।
मैंने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोलीं.. डॉली की आँखें भरी हुई थीं.. ठीक वैसे ही जैसा पहले हुआ था। मैं इस बार उसे देख न पाया और वहीं घुटनों पे आ गया।
डॉली- मैंने अपना सपना जी लिया है। अब मुझे कुछ भी नहीं चाहये। बस तुम खुश रहना।
वो ते कह कर वैसे ही दरवाज़े के बाहर निकल गई। मैं अब तक सदमे में ही था।
तभी कोमल कमरे से बाहर आई।
कोमल- क्या हुआ तुम्हें..? कुछ तो बोलो।
इस बार फिर जैसे सपने की ही तरह डॉली का हाथ मुझसे छूट रहा हो जैसे.. पर मैं अब इस हाथ को छोड़ने वाला नहीं था। मैं कमरे से बाहर भागा। मेरी साँसें अब बहुत तेज़ गई थीं। मैं इस बार उसे जाने नहीं दे सकता था। तभी सामने सड़क पर डॉली अकेली बीच में चली जाती दिखाई दी। दूर से दो कारें उसकी ओर बढ़ रही थी। मेरे अन्दर जितनी भी जान बची थी मैं भागा उसे बचाने।
‘रुक जाओ डॉली..!’
चिल्लाता हुआ मैं उसकी ओर भाग रहा था। मैंने आखिरकार उसे पकड़ लिया …. पर शायद अब देर हो चुकी थी सामने से आती एक कार ने हमें टक्कर मार दी।
तीन दिनों बाद मुझे होश आया। मैं अस्पताल में था। धीरे-धीरे मैंने अपनी आँखें खोली सामने पापा थे।
‘डॉली कैसी है..?’ मैंने पूछा।
पापा- वो ठीक है, अभी दूसरे कमरे में है वो।
बाकी सब मुझसे बात करना चाह रहे थे पर मेरी आँखें तो बस डॉली को ही ढूंढ रही थी। मैं उठने की कोशिश करने लगा। तभी डॉक्टर ने एक व्हील चेयर मंगवाया और मुझे उस पर बिठा कर डॉली के कमरे में ले गए। हम दोनों की एक टांग और एक हाथ टूट गए थे.. साथ ही सर में भी चोट आई थी।
डॉक्टर ने वहीं एक बिस्तर मंगवा कर मुझे लिटा दिया। सब लोग उस कमरे में हमें घेर के बैठ गए।
कोमल- मैंने सुना था कि प्यार में बस दिल को खतरा होता है। हाथ-पैर भी टूटते हैं.. इसका पता मुझे आज ही चला।
सब हंसने लगे।
मम्मी- अब थोड़ी देर इन दोनों को अकेला छोड़ दो, हम आते हैं बेटा।
सब बाहर चले गए।
मैंने मुस्कुराते हुए डॉली को देखा- जानेमन कमरे में कोई नहीं है.. मौके पे चौका मार दिया जाए..
डॉली- कमीने.. हाथ-पैर टूटे हुए हैं। अब तो सुधर जाओ।
मैंने रिमोट से टीवी ऑन किया। न्यूज़ चैनल पे हमारी फिल्म के बारे में ही ख़बरें आ रही थीं।
‘बॉलीवुड के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ होगा कि बिना किसी फ़िल्मी इतिहास के एक लड़का यहाँ आता है और ना सिर्फ बॉलीवुड में मुकाम हासिल करता है.. बल्कि उसकी पहली फिल्म ओपनिंग में ही ऐतिहासिक कमाई करती है।’
उसके बाद देश भर के सिनेमा घरों से निकलती भीड़ से वो इस फिल्म के बारे में पूछते हैं। हर जगह बस हमारा ही नाम छाया हुआ था।
डॉली- लगता है तुम सुपरस्टार बन गए।
मैं- ऐसा है क्या? तब तो शायद कांता से सेटिंग हो जाएगी मेरी..
डॉली ने मुक्का मारते हुए कहा- दुबारा किसी और का नाम लिया न.. तो दूसरी टांग भी तोड़ दूँगी।
हम हंसते हुए एक-दूसरे के गले मिल लिए। कुछ दिनों के बाद हमें हॉस्पिटल से डिस्चार्ज किया जाना था। अब हम दोनों ही पूरी तरह से ठीक हो गए थे।
डॉली ने मुझे तैयार किया और हम बाहर जाने लगे।
डॉली- मैं बाकियों के साथ आती हूँ। तुम्हारे साथ गई तो यहाँ की भीड़ में निकलना भी मुश्किल होगा।
मैं- इन्हीं की चाहत ने आज हमें इस मुकाम तक पहुँचाया है और इनसे ही किनारा ले रही हो।
डॉली- सच कहूँ।
मैं- कहो।
डॉली- आज ये भीड़ तुम्हारे लिए आई है। ये भीड़ ही है जो हमें मिलाती है हमारी खुद की पहचान से। मैं इस दौर से गुज़र चुकी हूँ आज तुम्हारी बारी है। ये लम्हें तुम्हारी जिंदगी के सबसे यादगार लम्हे होने वाले हैं। इस हर पल को अपनी यादों में कैद कर लो.. अब जाओ भी।
मैं अकेला ही बढ़ चला दरवाज़े की ओर.. जैसे ही दरवाजा खुला..
चारों तरफ हज़ारों कैमरों की जगमगाती चमक, जहाँ तक नज़रें जाएँ बस पागल होती बेकाबू सी भीड़ और उस भीड़ को काबू करने में लगे हुए कितने ही पुलिस वाले। कानों में गूंजता हुआ बस आपका ही नाम। हर चौराहे पे आपकी बड़ी बड़ी तस्वीरें। हर खबर की सुर्ख़ियों में बस आपका ही ज़िक्र।
सच ही कहा है किसी ने…
यूँ तो हर मोड़ पे बहुत सी जिंदगियाँ साँसें लेती दिखाई देंगी, पर उन जिंदगियों में जान नहीं होती।
जीते तो सब हैं इस दुनिया में, पर यहाँ हर किसी की खुद की पहचान नहीं होती।
आज मेरी एक पहचान थी। हाँ मैं अब सुपर स्टार बन चुका था।
एंड
समाप्त
|
|
|