09-07-2018, 12:59 PM,
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sexstories
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RE: non veg story किरण की कहानी
किरण की कहानी पार्ट--5
लेखक-- दा ग्रेट वोरिअर
हिंदी फॉण्ट बाय राज शर्मा
गतांक से आगे........................
मैं घर मे अकेले रहते रहते बोर होने लगी थी. सिवाए खाना पकाने के और कोई काम ही नही था. हर दूसरे दिन एक धोबन आ के हमारे कपड़े धो जाया करती थी. बोर होने की वजह से मैं ने अशोक से कहा के अगर वो कोई माइंड ना करे तो मैं कोई जॉब करलू ता के मैं बिज़ी रह सकु. अशोक को भी अपने बिज़्नेस से फ़ुर्सत नही मिलती थी और अब तक तो उसको पता चल ही गया था के मेरी चूत उसके लंड से और उसकी चुदाई से सॅटिस्फाइ नही है तो उसने कहा ठीक है मेरा एक फ्रेंड है अपनी खुद की कंपनी चलाता है मैं उस से बात कर लूँगा तुम घर बैठे ही उसका काम कर देना ता के तुम बिज़ी भी रहो और तुम्हारा भी दिल लगा रहे. और एक दिन अशोक ने बताया के उसने अपने दोस्त को डिन्नर पे बुलाया है और साथ मैं काम की भी बात कर लेते हैं तो मैं खुश हो गई और आछे से अछा खाना बना के अपने होने वाले बॉस को खिलाना चाहती थी तो मैं किचन मे डिन्नर की तय्यारी मे बिज़ी हो गई.
रात के खाने के टाइम से पहले ही अशोक का दोस्त आ गया बेल बजा के खड़ा हो गया तो अशोक ने दरवाज़ा खोला और हेलो हाई हाउ आर यू कह के अंदर बुला लिया. मैं देख के दंग रह गई वो तो एक अछा ख़ासा स्मार्ट आदमी था. तकरीबन 6 फीट के करीब उसकी हाइट होगी गोरा रंग ब्रॉड शोल्डर्स हॅटा कॅटा मज़बूत जवान लग रहा था उसे देखते ही मेरी चूत मे एक अजीब एग्ज़ाइट्मेंट सी होने लगी और मुझे लगा के मेरी चूत गीली हो रही है. अशोक ने इंट्रोड्यूस करवाया और कहा के यह मेरे बचपन का दोस्त और क्लास मेट सलीम ख़ान सनई है और वो एक मुस्लिम है जो अपनी फाइनान्स कंपनी चलाता है.
दोनो स्कूल से कॉलेज ख़तम होने तक क्लास मेट रहे हैं और एक दूसरे से बोहोत ही फ्री हैं.
ऑफीस मे वो एसके के नाम से फेमस है. और फिर कहा एसके !! यह मेरी वाइफ है किरण. हम दोनो ने एक दूसरे को नमस्ते कहा और हम सब अंदर ड्रॉयिंग रूम मे आ के सोफे पे बैठ गये. अशोक और एसके बैठ के बातें करने लगे और मैं खाना टेबल पे रखने के लिए चली गई.
टेबल रेडी हो गई तो मैं ने दोनो से कहा के चलिए डिन्नर रेडी है. वॉश बेसिन पे हाथ धो के आ गये और रेक्टॅंगल टेबल के स्माल पोर्षन पे एसके बैठे थे और मैं और अशोक टेबल के बड़े वाले पोर्षन पे टेबल के दोनो तरफ आमने सामने (ऑपोसिट टू ईच अदर) बैठे थे. सब मिल के खाना खाने लगे एसके मेरे बनाए हुए खाने की बोहोत तारीफ कर रहे थे. खाने मे पराठे, दम का चिकेन, आलू गोश्त का खोरमा, कबाब, टोमॅटो की चटनी, पुलाव बना के उस पे बाय्ल्ड एग्स को हाफ कर के डेकरेट कर के रखा था और कस्टर्ड और आइस क्रीम थी. खाना सच मे बोहोत टेस्टी था. एसके कभी मुझे कुछ देता तो कभी मेरे पति की प्लेट मे कुछ डाल देता. खाना खा ने के बाद फिर से वो दोनो ड्रॉयिंग रूम मे जा के सोफे पे बैठे गये और मैं टेबल सॉफ कर के कॉफी बना के वही आ गई और हम सब साथ बैठ के कॉफी पीने लगे और बातें करने लगे.
अशोक ने कहा यार एसके देखो तो किरण घर मे अकेली रहती है और अकेले रहते रहते बोर हो गई है वो अपने आप को बिज़ी रखने के लिए कोई काम करना चाहती है तुम्हारे पास अगर कोई ऐसा काम हो तो बताना. एसके ने कहा यह तो बोहोत अछी बात है मेरे पास डाटा एंट्री करने का काम पड़ा हुआ है. मेरे पास का डाटा एंट्री का जो क्लर्क था वो चला गया. किरण ऑफीस से इनवाइसस और वाउचर्स घर ला सकती है और घर बैठे बैठे ही मेरा काम कर सकती है. ऑफीस तो तुम्हारे घर के करीब ही है किरण ऑफीस आ के डेली या वीक्ली काम ले के आ सकती है और घर बैठे ही काम कर सकती है मैं डेली आ के चेक करता रहूँगा और उसको गाइड करता रहूँगा. मेरे पास ऑफीस मे एक एक्सट्रा कंप्यूटर भी है मैं वो भी किरण के पास भेज दूँगा यही किसी रूम मे रख लेना और वो आराम से घर बैठे ही काम कर लेगी. अशोक ने कहा यह तो बोहोत अछी बात है किरण कल ही तुम्हारे ऑफीस आजाएगी और काम भी देख लेगी.
दूसरे दिन मैं एसके के ऑफीस को गई. ऑफीस अछा ख़ासा बड़ा था नीट और क्लीन थे सारे ऑफीस मे कार्पेट बिछी हुई है और एसके का
ऑफीस तो एक दम से शानदार एक बोहोत बड़ी सेमी सर्क्युलर टेबल जिसके एक साइड मे छोटी सी कंप्यूटर टेबल जिसपे कंप्यूटर, एलसिडी मॉनिटर और नीचे प्रिंटर भी रखा हुआ था. डोर को अंदर से लॉक करने ये खोलने के लिए उसके पास ऑटोमॅटिक बटन है. उसके रूम के बाहर एक छोटा सा कॅमरा है जिस से उसको पता चल जाता है के बाहर कौन वेट कर रहा है और उसको मिलना हो तो वो ऑटोमॅटिक लॉक का बटन प्रेस कर देता है जिस से डोर खुल जाता है और फिर अंदर से ऑटोमॅटिकली बंद भी हो जाता है. ऑफीस सेंट्रली एर कंडीशंड है. इन शॉर्ट बोहोत शानदार ऑफीस है. ऑफीस का सारा स्टाफ अपने अपने काम मे बिज़ी था. मैं ऑफीस गई तो एसके ने मुझे फॉरन अंदर बुला लिया और अपनी कुर्सी से खड़ा हो के मुझ से शेक हॅंड किया तो उसका गरम हाथ मेरे हाथ मे आते ही मेरे बदन मे बिजली दौड़ने लगी और मैं गीली होने लगी. मैं ने कहा के सर आपका ऑफीस तो वंडरफुल है एक दम से शानदार तो उसने कहा के देखो किरण मुझे यह सर वाघहैरा कहने की ज़रूरत नही है.
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