Hindi Porn Kahani सियासत और साजिश
09-18-2018, 12:13 PM,
#41
RE: Hindi Porn Kahani सियासत और साजिश
जब वो रज़िया के कमरे के सामने पहुँचा . तो उसे वहाँ रज़िया नही दिखाई दी. रज़िया का बेटा वहाँ खेल रहा था.

रवि: मुन्ना काकी कहाँ पर हैं.

मुन्ना: (खेतों की तरफ इशारा करते हुए) वो माँ उधर गयी है. 

रवि: काका वापिस आ गये.

मुन्ना: नही शाम को आएँगे.

और रवि खेतों मे चला गया. दो खेतों के किनारों के बीच मे चलते हुए, वो काफ़ी अंदर तक आ गया. दोनो खेतों मे बाजरें की बड़ी-2 फसल उगी हुई थी. तभी उसे रज़िया के गुनगुनाने की आवाज़ सुनाई दी. रवि आवाज़ की दिशा मे बढ़ने लगा. और कुछ दूर और चलने पर वो रज़िया के पास पहुँच गया. जैसे ही रज़िया ने रवि को देखा. रज़िया के होंठो पर मुस्कान फैल गयी.

रज़िया: (मुस्कुराते हुए) क्यों रे कहाँ था तू.

रवि: वो मे बाबू जी के साथ गया था.

रज़िया: और सुना कल रात को मज़ा आया.

रवि: (शरमाते हुए) हां.

रज़िया अपने काम मे लग गयी. रज़िया पंजों के बल बैठ कर घस्स काट रही थी. उसकी पीठ रवि की तरफ थी. जैसे ही रज़िया घास काटने के लिए आगे की ओर झुकती. तो उसकी मोटी गान्ड पीछे से उठ जाती. जो रवि को लहँगे के ऊपेर से ही गरम कर रही थी.

रवि: काकी एक बार और करने दो ना.

रज़िया: (पीछे मूड कर देखते हुए) अच्छा क्या दूं बोल के बता ना.

रवि: (शरमाते हुए) च चूत काकी.

रज़िया: (उठ कर रवि की ओर आते हुए) चल लेट जा पहले देखूं तो सही. तेरा लौडा खड़ा भी हैं या कल रात ही उसकी सारी अकड़ निकल गयी.

रवि उसी तरपाल पर खड़ा हो गया. और अपने पाजामे का नाडा खोल कर पाजामे को नीचे कर दिया. रवि का तना हुआ 8 इंच का मोटा लंड उछल कर बाहर आ गया. रज़िया की आँखों मे रवि के लंड देख कर चमक आ गयी.

रज़िया: (गहरी साँस लेते हुए) रवि तेरा हथियार तो सच मे लोहे की सलाख जैसा तना हुआ हे. (और रज़िया ने रवि के लंड को अपनी मुट्ठी मे भर लिया.)

रवि ने रज़िया को अपनी बाहों मे कस लिया. और रज़िया के होंठो पर अपने होंठो को रख दिया. रज़िया ने भी एक हाथ से लंड को थामे हुए दूसरे हाथ को रवि की पीठ पर कस लिया. और अपने होंठो को ढीला छोड़ कर रवि के होंठो से अपने होंठो को चुसवाने लगी. और दूसरे हाथ से धीरे-2 रवि के लंड को हिलाने लगी. दोनो पागलों की तरहा एक दूसरे के होंठो को चूस रहे थे.

थोड़ी देर एक दूसरे के होंठो को चूसने के बाद दोनो ने अपने होंठो को अलग किया. और रज़िया रवि की आँखों मे देखते हुए घुटनो के बल नीचे बैठ गयी. और रवि के लंड के सुपाडा को मुँह मे लेकर चूसना चालू कर दिया. रवि का बदन एक दम से अकड़ गया. उसने रज़िया के सर को दोनो हाथों से कस के पकड़ लिया. और धीरे-2 अपनी कमर को हिलाने लगा.

रज़िया अपने दोनो हाथों से रवि के चुतड़ों को थामें रवि के लंड को अपने मुँह के अंदर बाहर कर रही थी. रवि का लंड रज़िया के थूक से सन कर चिकना हो गया था. लंड और कड़ा हो चुका था. नीचे रज़िया की चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया था.
रज़िया ने रवि के लंड को मुँह से बाहर निकला, और रवि के पाजामे को खींच कर निकाल दिया,और तरपाल पर रख दिया.

रज़िया: चल अब जल्दी से लेट जा. और अपने टाँगों को पूरा फैला ले.

रवि जल्दी से तरपाल पर लेट गया. और अपनी टाँगों को फैला लिया. उसका लंड उसकी टाँगों के बीच मे झटके खा रहा था. रज़िया ने अपनी लहँगे को अपनी कमर तक उठा लिया. उसकी हुई फूली हुई चूत देख रवि का लंड और झटके खाने लगा. रज़िया रवि की टाँगों के बीच मे आ गये, और रवि की तरफ पीठ करके उसकी जाँघो के बीच मे पंजों के बल उकड़ू बैठ गये. और फिर रज़िया ने अपना एक हाथ अपनी दोनो जाँघो के बीच मे से ले जाकर रवि के मोटे कड़े लंड को पकड़ लिया. और अपनी चूत के छेद पर लगा दिया.

जैसे ही रवि के लंड का गरम सुपाडा रज़िया की चूत के छेद पर लगा. रज़िया के मुँह से आहह निकल गयी. और वो रवि के लंड को थामे-2 अपनी चूत को रवि के लंड पर दबाने लगी. रवि के लंड का सुपाडा रज़िया की चूत की दीवारों को फैलाता हुआ, धीरे-2 अंदर जाने लगा. जैसे ही रवि का लंड रज़िया की चूत मे पूरा उतरा. रज़िया ने अपनी दोनो हथेलयों को ज़मीन पर टिका लिया. और पंजों के बल उकड़ू बैठे हुए, धीरे-2 अपनी गान्ड को ऊपेर नीचे उछालने लगी. रवि के लंड का मोटा सुपाडा रज़िया की चूत के दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बाहर होने लगे.

रज़िया: अहह ओह बएटाा रवीिइ देखह नाआ आजज्ज कल मेरी छूट मे कुछ जयदा ही खुजली होनईए लगी है. ऑश ऑश 

और रज़िया अब पूरी तरहन गरम हो कर तेज़ी से अपनी गान्ड उछाल-2 कर रवि के लंड पर अपनी चूत को पटकने लगी. रज़िया का लहंगा उसकी कमर तक चढ़ा हुआ था. जैसे ही वो अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उछालती. रज़िया की गान्ड फैल जाती, और रज़िया की गान्ड का छेद रवि की आँखों के सामने आ जाता. 

ये सब देख-2 कर रवि भी पूरी मस्ती मे आ चुका था. और अपनी कमर को नीचे से ऊपेर की ओर उछालने लगा. रवि की जाँघो के पुट्ठे रज़िया की गान्ड से टकरा कर थप-2 की आवाज़ कर रही थी. अब दोनो तरफ से पूरा ज़ोर लग रहा था. रज़िया रवि के मोटे लंड को अपनी चूत की गहराइयों मे महसूस करके एक दम कामविहल हो चुकी थी. करीब 10 मिनट लगतार चली चुदाई के बाद रज़िया का बदन अकड़ने लगा. 

रज़िया: उम्ह्ह्ह्ह अहह अहह ओह रवीीईईई मेरीईए बेटी ओह मेरी चूत्त्त पानी छोड़ने वाली है. हान्न्न आईसीईए जोर्र्र्र सीई मार अपना लंड मेरी चूत मे अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह ओह मेन्णन्न् गइईई

और रज़िया की चूत ने पानी छोडना चालू कर दिया. रज़िया का बदन चूत के पानी छोड़ते हुए झटके खाने लगा. अब उसे अपनी गान्ड उछालना नमुनकीन सा लग रहा था. वो तो झड कर पस्त हो चुकी थी. लेकिन रवि अभी तक झडा नही था. ये रज़िया अच्छी तरहा जानती थी. इसीलिए रज़िया ने अपनी हथेलियों को ज़मीन पर टिकाए हुए, अपनी गान्ड को ऊपेर उठा लिया. ताकि रवि अपने लंड को आसानी से उसकी चूत मे अंदर बाहर कर सकें. 

जैसे ही रज़िया ने अपनी गान्ड को ऊपेर उठाया. रवि ने अपनी कोहानियों के सहारे से थोड़ा सा उठ गया. और अपना पूरा ज़ोर लगा कर अपनी कमर को ऊपेर की ओर उछाल कर रज़िया की चूत मे धना-धन अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा. रज़िया की चूत उसके काम रस से पूरी तरहा भीग चुकी थी. इसीलिए लंड के अंदर बाहर होने से फॅक-2 की कामुक आवाज़ रज़िया की चूत से आ रही थी.
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#42
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रवि के लंड की नसें भी फूलने लगी. वो भी झड़ने के बिल्कुल करीब थी. रवि और तेज़ी और ज़ोर-2 से अपने लंड को रज़िया की चूत मे पेलने लगा. तप-2 और फॅक-2 की आवाज़ चारों ओर गूंजने लगी. और जैसे ही रवि के लंड ने वीर्य ने पिचकारी छोड़ी, रवि ने अपनी पूरी ताक़त समेट कर एक जोरदार धक्का मारा. लंड फॅक-2 की आवाज़ से रज़िया की चूत की गहराइयों मे उतर कर वीर्य की पिचकारियाँ छोड़ने लगा. लंड का झटका इतना जबर्दास्त था, कि रज़िया का बेलेन्स बिगड़ गया. और वो आगे की तरफ लुड़कते-2 बची.

रज़िया: अहह क्या कर रहा है जालिम. अभी मे आगे गिरने वाली थी. ओह 

और रज़िया आगे की तरफ लूड़क गयी. रवि का आधा खड़ा हुआ लंड पुच की आवाज़ से रज़िया की चूत से बाहर आ गया. और रज़िया अपनी साँसों को संभालते हुए सीधी खड़ी हो गयी. और अपने लहँगे को नीचे करके ठीक कर लिया. 

रज़िया: (रवि को वैसे ही लेटा देख कर) अब यूँ ही पड़ा रहेगा. चल जल्दी से उठ कर पाजामा पहन ले, कहीं कोई इधर ना आ जाए. 

रवि खड़ा हुआ, और अपना पाजामा उठा कर पहनने लगा. रज़िया वैसे ही लहंगा ठीक करके फिर से अपने काम मे लग गयी.

रवि: काकी अब मे हवेली जा रहा हूँ.

रज़िया: ठीक हैं. पर सुन आज शाम को तेरे काका आने वाले हैं. उनके सामने ज़रा सावधान रहना. कहीं उन्हे शक ना हो जाए.

रवि: ठीक है काकी.

रज़िया: जब भी कोई अच्छा मोका मिलेगा. मे तुझे बता दूँगी.

रवि रज़िया की बात सुन कर खेतों से बाहर की ओर जाने लगा. खेतों से बाहर आकर देखा तो रज़िया का बेटा अभी भी वहीं किसी और मजदूर के लड़के के साथ खेल रहा था. वो रवि को देख कर मुस्कुराते हुए बोला.

मुन्ना: रवि भैया हमारे साथ खेलो ना.

रवि: नही मुन्ना मे थक गया हूँ. कल खेलेंगे.

और फिर रवि हवेली की तरफ चल पड़ा. हवेली पहुँच कर रवि को हरिया काका हवेली के हाल के डोर के बाहर खड़े झाड़ू लगते दिखाई दिए. 


हरिया: अर्रे बेटा आ गया तू. जा अंदर जाकर रोमा से खाना माँग ले. 

रवि: जी काका. बाबू जी चले गये क्या.

हरिया: हां चले गये.

रवि: मेरे बारे मे तो कुछ पूछ नही रहे थे.

हरिया: हाँ एक बार पूछा था. फिर चले गये. कोई बात नही तू जाकर खाना खा.

और रवि अंदर आकर सीधा किचन मे चला गया. और रोमा को खाना देने के लिए बोला. 

दूसरी तरफ शाम के 5:30 राज एप्रा गाँव विशाल के घर पहुँच गया. विस बिशाल काफ़ी अमीर आदमी था. पर राज के मुक़ाबले काफ़ी कम था. विशाल की हवेली भी राज की हवेली की तरहा आलीशान थी. विशाल राज को देख कर बहुत खुस हुआ. 

विशाल: अर्रे आओ राज . मुझ तो उम्मीद ही नही थी कि तुम आओगे, मुझे तुम्हें देख कर बहुत ख़ुसी हुई. आओ अंदर चलें. 

अंदर आकर विशाल ने राज को अपने माता पिता पत्नी और बेटे से मिलवाया. राज अपने साथ लिया हुआ तोहफा विशाल के लड़के को दिया. कुछ देर इधर-उधर की बातें करने के बाद विशाल ने राज को अपने साथ चलने के लिए कहा.राज और विशाल दोनो हवेली से बाहर की तरफ आ गये. 

राज : अर्रे यार पार्टी अंदर चल रही है. और तू मुझ यहाँ बाहर क्यों ले आया हे.

विशाल: यार बच्चों जैसी बात मत कर. ये तो बच्चों की पार्टी चल रही हैं अंदर. चल मे तुझे अपनी असली पार्टी दिखाता हूँ.

राज : पर चलना कहाँ हैं.

विशाल: ज़्यादा दूर नही यहीं गाँव मे खेतों के बीच मैने एक छोटी सी हवेली और बनाई हुई है. वहीं पर मेरे दो दोस्त और आने वाले हैं. चल आज के शाम को रंगीन बनाते हैं. 

विशाल ने अपने एक आदमी को जीप बाहर निकालने के लिए कहा. कुछ देर बाद जीप बाहर आ गयी. राज और विशाल दोनो जीप मे आगे बैठ गये. और चार हट्टेकट्टे पहलवान जीप के पीछे गन्स को थामे बैठ गये. विशाल जीप को लेकर खेतों के तरफ निकल पड़ा.

राज : यार एक बात तुझे किसी से ख़तरा है क्या. जो ऐसे हथियार लिए आदमियों को अपने साथ रखता है.

विशाल: वैसे कुछ ख़ास नही यार तू तो जानता ही है. इतनी बड़ी ज़मीन जयदाद को संभालने के लिए इनको रखना ज़रूरी है. चल छोड़ ना यार कुछ और बात करते हैं.

दोनो बातें करते हुए विशाल के खेतों मे बनी हुई हवेली मे पहुँच गये. जो ज़्यादा बड़ी तो नही थी. पर ठीक ठाक थी. विशाल के दो दोस्त वहीं खड़े उनका इंतजार कर रहे थे. विशाल ने अपने दोस्तों अजय और राजीव से राज को मिलवाया. और फिर चारों अंदर आ गये. विशाल के आदमी बाहर पहरे दारों के तरहा खड़े थे.

विशाल (अजय और राजीव से) यार तुम दोनो बाहर क्यों खड़े थे. अंदर आकर आराम से बैठ जाते. किसी ने रोका तुम दोनो को.

अजय: नही-2 यार वो हम वैसे ही बाहर खड़े तुम्हारे आने का इंतजार कर रहे थे.

विशाल: देखो यारों तुम्हारे दोस्त का दिल और ये छोटी से हवेली तुम तीनो के लिए हमेशा खुली है. जब चाहो यहाँ आ सकतें हो. यहाँ पर तुम्हें किसी तरहा की रोक टोक नही होगी, और अगर किसी तरहा की ज़रूरत हो तो मुझ बता देना. मे उस वक़्त जहाँ भी रहूं. मेरे यारों के मुँह से निकली हर बात पूरी होगी.

अजय: वो तो हमें पता है यार. चल अब प्रोग्राम शुरू करते हैं

विशाल: जैसे तुम कहो. अर्रे ओ छोटू ज़रा हमारा समान तो लगा.

छोटू: जी बाबू जी.

छोटू ने आँगन के बीचों बीच एक बड़ा सा टेबल लगवा दिया. और टेबल के दोनो तरफ दो-2 कुर्सी लगा दी. चारो वहाँ बैठ गये. छोटू थोड़ी देर मे दो बॉटल वाइन की ले आया. और फिर आइस और बाकी का समान भी ले आया. 

विशाल ने चार ग्लास मे वाइन डाली. और तीनो को एक -2 ग्लास पकड़ा दिया.

राजीव: (अपने ग्लास को आगे बढ़ाते हुए) ये हमारे भाई के बेटे के जनमदिन के लिए चेअर्स ( और सब ने अपने अपने ग्लास आपस मे टकराते हुए चेअर्स बोला) चारो ने एक-2 सीप लिया. 

विशाल: (सीप लेने के बाद ग्लास को नीचे रखते हुए) और बता राज . फिर इतने दिन तक कहाँ रहा और क्या क्या.

राज : कुछ ख़ास नही यार बस डॉली की शादी के बाद जब मेरी शादी हुई. तो मे अपनी पत्नी को लेकर अलीगढ़ सिटी चला गया. डॉली के ससुराल वाले भी वहीं रहते थे. डॉली का पति अपने माँ बाप का एकलौता बेटा था. उसका अपना खुद का बिजनेस था. मैने भी उसके साथ मिलकर उसके बिजनेस मे इनवेस्टमेंट कर ली. पर तुम्हें तो मालूम ही है आगे जो हुआ. अब जब डॉली का बेटा साहिल बड़ा हो जाएगा. तो वहीं उनका बिज्निस भी देखा गा. डॉली के सास ससुर ने अपनी जयदाद साहिल के नाम कर दी है.

इस दौरान चारो एक-2 पेग ख़तम कर चुके थे. विशाल ने सब के ग्लास को टेबल पर रखा और दूसरा पेग बनाना चालू कर दिया.

विशाल: (पेग बनाते हुए) अर्रे ओह्ह्ह छोटू चिकेन कहाँ रह गया.

छोटू: बाबू जी अभी भेजता हूँ.

विशाल पेग बनाने लगा. थोड़ी देर बाद राज को अंदर से पायल की खनक की आवाज़ सुनाई दी. जैसे ही राज ने सर उठा कर देखा. तो सामने से 40-45 साल की एक अधेड़ उमर की औरत आ रही थी. उसके हाथ मे चिकेन की ट्रे थी.उसने ट्रे को टेबल पर रखा

विशाल: और सूनाओ कांता रानी कैसी हो.

काँटा: मे ठीक हूँ बाबू जी. पर लगता हैं आप हमे भूल ही गये. बड़े दिनो बाद याद किया.

विशाल: नही मे तुम्हें भूल सकता हूँ क्या. और सुनो सबाब का इंतज़ाम क्या है. देख मेरे कितने खास दोस्त आए हैं आज.

कांता: जी हजूर जैसे आप ने कहा था. बिल्कुल वैसी ही चुन-2 कर कलियाँ लाई हूँ.

विशाल: कहाँ हैं.

काँटा: अंदर हैं. बुलाऊ बाहर.

विशाल: अभी रहने दो. पहले जाम का दौर ख़तम हो जाने दो. फिर ही तो मज़ा आएगा,

और कांता वापिस चली गयी. राज ये बातें सुन कर बहुत हैरान था. राज के पास इतना पैसा होते हुए भी उसने आज तक ऐसे काम नही किए थे. पर राज कुछ नही बोला. चारों ने अपना दूसरा पेग भी ख़तम कर लिया था. बातों का सिलसिला भी चल रहा था. पर राज खामोशी से बैठा था.
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#43
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जैसे ही विशाल ने तीसरा पेग बनाने के लिए राज का ग्लास उठाया. तो राज ने विशाल का हाथ पकड़ लिया. और विशाल को मना करने लगा.

विशाल: ये क्या यार तू इतने दिनो बाद आया है. बस एक और आज मेरे बेटे का जनम दिन है.

राज : नही यार मे ज़्यादा पीता नही हूँ. और वापिस भी तो जाना है.

विशाल: क्या यार घर पर फोन कर दे. कि तू कल सुबह आएगा.

राज : नही नही यार मेरा वापिस जाना ज़रूरी है. तू समझा कर डॉली फिकर करेगी.

विशाल: अच्छा चले जाना यार. पर ये आख़िरी जाम मेरी खातिर.

ये कहते हुए विशाल ने ग्लास को राज की तरफ बढ़ा दिया. और राज ने ना चाहते हुए भी पेग का ग्लास ले लिया. और फिर से बातों का दौर चल निकला. राज जो कि ज़्यादा दारू पीने का आदि नही था. उसको पहले दो पेग मे ही नशा होने लगा था. चारों ने तीसरा पेग भी ख़तम कर लिया. अब राज को वाइन का नशा कुछ ज़्यादा ही हो गया था. बातों-2 मे ही विशाल ने राज को छोटा पेग भी पिला दिया.

राज : (छोटा पेग पीने के बाद चेर से लड़खड़ा कर खड़ा होते हुए) अच्छा विशाल भाईईईई मुझे अब चलना चाहिए.

विशाल: अर्रे यार अब इस हालत मे कैसे जाएगा. तू एक काम कर यहीं रुक जा. और घर पर फोन कर ले.

राज : नही यार मुझे जाना है.

और जैसे ही राज चलने को हुआ. राज लड़खड़ा गया. विशाल ने उसे सहारा देकर गिरने से बचाया. राज को चेर पर वापिस बैठा दिया.

विशाल: अजय यार जा अंदर से फोन ले आ. भाई के घर पर बात करवा देते हैं. कि वो आज घर नही आ सकेंगे.

राज : पर यार वो.

विशाल: यार मे तुझे इस हालत मे नही जाने दूँगा. क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा नही है. जो तुम यहाँ नही रुकना चाहते.

राज : (लड़खड़ाती हुई ज़ुबान से) नही यार वो वो अच्छा ठीक है.

विशाल ने राज के फोन पर घर बात करवा दे. राज ने फोन पर डॉली को घर ना आने के लिए कह दिया. रात काफ़ी ढल चुकी थी. हवेली के आँगन मे चारो तरफ बल्ब्स और ट्यूब लाइट्स के रोशनी फैली हुई थी.

विशाल: कांता ज़रा अपने साथ लाई हुई कलियों के दीदार तो करवा दे.

कांता: (रूम के अंदर से) जी आई बाबू जी.

राज भले ही नशे मे था. पर वो विशाल की हर बात को सॉफ-2 सुन और समझ पा रहा था. थोड़ी देर बाद कांता चार औरतों के साथ बाहर आँगन मे आए. चारो औरतें गाँव के लिबास मे ही थी. चारो के उम्र 30-35 साल के बीच मे थी.

राज को छोड़ कर तीन उन औरतों के तरफ देखने लगे. जबकि राज सर झुकाए बैठा था. ये देख कर विशाल बोलने लगा.

विशाल: देखो दोस्तो. आज मेरा दोस्त राज पहली बार मेरे पास आया हैं. इसीलिए फैले राज ही अपनी लिए इन चारो मे से किसी को चुनेगा. किसी को कोई एतराज तो नही.

अजय : नही भाई. इसमे इतराज की क्या बात है. आख़िर आज से राज हमारा भी दोस्त हैं.

विशाल: देख राज तुम्हें इनमे से कॉन सी पसंद हैं.

राज : नही -2 यार मुझ इसकी ज़रूरत नही. तुम लोग एंजाय करो.

विशाल: ऐसे कैसे हम एंजाय कर सकतें हैं. यार एक बार देख तो सही.

राज ने विशाल को काफ़ी बार मना किया. पर विशाल ज़िद्द पर अड़ा रहा. और फिर राज ने मन मे सोचा. इससे पीछा छुड़ाने के लिए. वो किसी के साथ रूम मे जाकर सो जाएगा. पर करेगा कुछ नही. ये सोच कर राज ने चारों औरतों की तरफ देखा. जब राज थोड़ी देर तक चारो को देखता रहा. और कुछ बोला नही.

कांता: बाबू जी मे आप की मदद कर देती हूँ. (एक औरत के कंधें पर हाथ रखते हुए) बाबू जी वीना है. ये पहली बार यहाँ आई है. इससे पहले इसका अपने पति के अलावा किसी और मर्द से किसी तरहा का संबंध नही रहा. क्यों बाबू जी कैसी है.

राज वीना की तरफ देखने लगा.वीना 32 साल की भरी फूरी जिस्म वाली औरत थी. रंग बहुत सॉफ तो नही . पर बहुत ज़्यादा सांवला भी नही था.उसकी ब्लाउस मे उसकी चुचियाँ तेज़ी से साँस लेने के कारण ऊपेर नीचे हो रही थी. उसने अपनी चुचियों को अपने सारी के पल्लू से ढक रखा था.

कांता: (वीना की सारी का पल्लू आगे से हटाते हुए) क्यों री. एक बार बाबू जी को अपने हुष्ण का जलवा तो दिखा दे. क्यों छुपा कर बैठी है . अपनी जवानी को. बोलो ना बाबू जी आप को पसंद हे.

वीना एक दम शर्मा गयी. उसने अपनी सारी के पल्लू को ठीक कर लिया. राज ने वीना को देख कर अंदाज़ा लगा लिया. कि कांता सही कह रही है. वीना उसे घेरलू किस्म की औरत लगी. राज मन मे सोचने लगा. इस के लिए हां बोल देता हूँ. फिर रूम मे जाकर इसको नीचे सोने के लिए बोल दूँगा. और खुद सो जाउन्गा. राज ने हां मे सर हिला दिया. ये देख विशाल के होंठो पर मुस्कान आ गयी.

विशाल: ये हुई ना बात. अच्छा कांता जा इसे ऊपेर वाले रूम मे लेजा. मे राज को थोड़ी देर मे भेजता हूँ. और हां इसे सब समझा देना. मेरा दोस्त थोड़ा शर्मिला है.

कांता मुस्कुराते हुए वीना को ऊपेर के रूम मे ले गयी. उसके बाद अजय और राजीव दोनो एक -2 औरत को लेकर कमरों मे चले गये.

विशाल: क्यों कांता भाई उससे सब समझा दिया ना. 

कांता: जी बाबू जी.

विशाल: जाओ बाबू जी को ऊपेर रूम तक ले जाओ.

कांता: (राज की तरफ देखते हुए) चले बाबू जी.

और फिर राज कांता के पीछे-2 ऊपेर आ गया. कांता एक रूम के बाहर जाकर खड़ी हो गयी. और डोर को थोड़ा सा खोल कर बोली.

कांता: बाबू जी अंदर जाए.

और राज अंदर आ गया. रूम मे बेड लॅंप जल रहा था. जिसकी हल्की रोशनी चारो तरफ फैली हुई थी. राज ने अंदर आकर डोर लॉक कर लिया. वीनू बेड के किनारे बैठी हुई थी. राज ने लाइट ऑन की. जैसे ही कमरे मे उजाला फैला. राज का दिल जोरों से धड़कने लगा.

क्योंकि वीना ने अपना ब्लाउस उतारा हुआ था. और वो अपनी साड़ी को अपनी चुचियों पर लपेटे हुए बैठी थी. वीना की पीठ राज की तरफ थी. जो पीछे से बिल्कुल नंगी राज को दिखाई दे रही थी. शराब के नशे मे राज पहले ही अपना होश खो बैठा था. और सामने का नज़ारा देख एक पल के लिए वो सब कुछ भूल गया.

राज धीरे-2 बेड की तरफ गया. और वीनू की बगल मे बैठ गया. वीनू का मुँह दूसरी तरफ था. इसलिए राज वीनू का पीठ का खुला हिस्सा देख कर गरम होने लगा. पर फिर भी उसने अपने आप को संभालते हुए बात शुरू की.

राज : देखो तुम क्या नाम था तुम्हारा.

वीनू: (बिना पीछे देखे हुए) जी वीनू

राज : हां वीनू देखो मे बिल्कुल भी वैसा इंसान नही हूँ. वो तो विशाल ज़िद्द करने लगा. इसीलिए मे यहाँ रुक गया. तुम्हें मुझसे घबराने की ज़रूरत नही हे.

वीनू: जानती हूँ बाबू जी. पर मे भी वैसी औरत नही हूँ. बस घर की मजबूरियों के चलते हुए यहाँ पहुँच गयी.

राज का गला सुख रहा था. शायद चिकेन और वाइन ज़्यादा पीने के कारण उसे प्यास लग रही थी. राज बेड से खड़ा हुआ. और पानी के लिए इधर उधर देखने लगा. पर जब रूम मे उसे कहीं भी पानी नज़र नही आया. तो उसने अंजाने मे वीना के कंधे पर हाथ रख दिया. वीना का बदन राज के हाथ पड़ते ही कांप उठा. उसने पीछे मूड कर राज की तरफ देखा.

राज का हाथ अभी भी उसके कंधें पर ही था. वीना अपनी सारी के पल्लू को अपनी चुचियों के ऊपेर से थामें हुए खड़ी हो गयी. और राज की तरफ देखने लगे. वीना का दिल जोरो से धड़क रहा था.

राज : (जब उसे अहसास हुआ कि उसका हाथ वीना के कंधे पर हैं. उसने अपना हाथ हटा लिया) वो मुझ प्यास लगी है. 
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वीना भले ही गदराए हुए बदन की औरत थी. पर उसका वजूद राज के सामने कुछ भी नज़र नही आ रहा था. राज 6 फुट 2 इंच का हॅटा कटा आदमी था. और वीना की हाइट 5 फुट के आस पास थी. जैसे ही वीना खड़ी हुई. उसकी पीठ दीवार की तरफ हो गयी. और वो तेज़ी से साँसें ले रही थी. जिसके कारण उसकी सारी का पल्लू उसकी चुचियों के साथ ऊपेर नीचे हो रहा था.

राज : वो मुझ बहुत प्यास लग रही है.

वीनू: (काँपती हुई आवाज़ मे) मे देती हूँ.

और वीनू बेड पर चढ़ कर दूसरी तरफ पड़े टेबल की तरफ गयी. और वहाँ से पानी का जग और एक खाली ग्लास उठा कर बेड पर चलते हुए वापिस राज के तरफ आ गयी.राज तब बेड पर बैठ चुका था और फिर पानी को ग्लास मे डालकर राज की तरफ बढ़ाते हुए बेड से नीचे उतरने लगी. जैसे ही वीना बेड से नीचे उतरने लगी. उसका बॅलेन्स बिगड़ गया.

और राज ने उसे सहारा देने के लिए उसकी कमर मे हाथ डाल दिया. अब राज बेड पर बैठा हुआ था. और वीना उसके सामने आ खड़ी हुई. इसदौरान वीना की सारी का पल्लू उसकी कंधे से खिसक कर नीचे आ गया. और उसकी 36 साइज़ की मोटी-2 चुचियाँ राज की आँखों के सामने आ गयी.

जिसे देख राज की पेंट मे उसका लंड झटके खाने लगा. राज का हाथ अभी भी वीना की कमर पर उसकी नाभि के पास था. वीना के एक हाथ मे पानी का जग और दूसरे हाथ मे पानी से भरा हुआ ग्लास था. वीना अपनी सारी का पल्लू उठा नही सकती थी. अपने को इस हालत मे देख वीना एक दम से शरमा गई. और राज के हाथ को अपनी नाभि के पास महसूस करके, उसकी आँखें बंद हो गयी.

राज ने धड़कते दिल के साथ वीना के फेस की तरफ देखा. वीना ने अपनी आँखें बंद की हुई थी. उसके होन्ट ठहरथरा रहे थे. और उसका फेस और गाल कामुकता के कारण दहक कर लाल हो रहे थे. राज अपना आपा खो बैठा , और उसका हाथ धीरे-2 वीना के पेट से होता हुआ, वीना की चुचियों की ओर जाने लगा.

जैसे -2 राज का हाथ वीना के पेट को सहलाता हुआ, ऊपेर उसकी चुचियों की तरफ बढ़ रहा था. वीना का बदन राज के हाथ का सपर्श महसूस करके कांप रहा था. कुछ ही पलों मे राज का हाथ वीना की चुचियों पर पहुँच गया. और राज ने अपनी पूरी हथेली वीना की राइट चुचि पर रख दी. और अपनी हथेली मे वीना की 36 साइज़ की चुचि को भर कर दबा दिया.

वीना के रोम-2 मे मस्ती की लहर दौड़ गयी. उसके पूरे बदन ने एक झटका खाया. और वो राज के और करीब आ गयी. राज जैसे आदमी के हाथ मे भी वीना की मोटी-2 चुचियाँ नही आ रही थी. जब राज ने देखा, वीना ने अपने आप को उसके हवाले कर दिया है. राज ने अपने दूसरे हाथ को वीना की लेफ्ट चुचि पर रख दिया. और दोनो हाथों से वीना की चुचियों को धीरे -2 मसलने लगा.

वीना के मुँह से आहह निकल गयी. वीना से अब खड़ा नही रहा जा रहा था. वीना की कमर से ऊपेर का हिस्सा बिल्कुल राज की आँखों के सामने खुला था. राज ने अपने एक हाथ से वीना के हाथ से पानी का जग लिया, और उसे नीचे रख दिया. फिर ग्लास को भी वीना के हाथ से लेकर नीचे रख दिया.

राज : (खड़े होते हुए) वीना मुझ बहुत प्यास लगी है. 

वीना: (आँखों को बंद किए ठहरथरा रहे होंठो से अपनी चुचियों को और बाहर की तरफ निकालते हुए) बाबू जी अपनी प्यास बुझा लो.

ये सुनते ही राज ने अपने हाथों को, वीना की चुचियों से हटा कर, उसे अपनी बाहों मे भर लिया. और वीना के सारी के ऊपेर से, उसके चुतड़ों को पकड़ कर, वीना को ऊपेर उठा लिया. वीना ने अपने आप को गिरने से बचाने के लिए, राज के गले मे अपनी बाहें डाल दी.

राज ने वीना को अपनी गोद मे उठाए हुए, उसकी पीठ को दीवार से सटा दिया. और उसकी एक चुचि, जो अब बिल्कुल राज के मुँह के सामने थी. उसे मुँह मे ले लिया. और ज़ोर-2 से चूसने लगा.

वीना: उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह बाबू जीए ओह धीरे चुसूओ. 

पर राज पर वाइन का नशा इस्कदर चढ़ चुका था, कि वो वीना की बात नही सुन रहा था. उसने वीना की चुचि को ज़ोर-2 से मुँह मे भर कर चूसना चालू कर दिया. वीना के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी. और उसने अपनी बाहों को राज के गले मे कस लिया. वो राज से एक दम चिपक गयी. और तेज़ी से अपने हाथों की उंगलियों को राज के बालों मे घुमाने लगी.

राज ने वीना की चुचि को मुँह से निकाल दिया. वीना की चुचि का निपल राज के होंठो से रगड़ ख़ाता हुआ, पक की आवाज़ से बाहर आ गया. वीना की चुचि का निपल एक दम कड़ा हो कर तन चुका था. राज ने वीना के फेस की तरफ देखा. वीना अभी भी अपनी आँखें बंद किए तेज़ी से साँसें ले रही थी. उसके होन्ट कांप रहे थे. राज ने फिर अपने मुँह मे वीना की दूसरी चुचि को भर लिया.

वीना: (अपनी दूसरी चुचि के निपल पर राज की जीभ को महसूस करते ही, उसका बदन अकड़ गया) अहह बाबू जीई उंह धीरीई करो नाआ.

जब राज का मन वीना की चुचियों से भर गया. तो राज ने उसे नीचे उतार दिया. और अपनी कपड़े उतारने लगा. वीना वहीं खड़ी- 2 सब देख रही थी. जब राज ने वीना को ऐसे खड़े देखा.

राज : चल अब जल्दी से अपने सारी उतार कर मेरी प्यास बुझा दे.

वीना शरमाते हुए अपनी सारी उतारने लगी. उसने सारी को उतारने के बाद राज के कपड़ों को उठा कर अपनी सारी के साथ रूम मे लगे सोफे पर रख दिया. अब वीना सिर्फ़ पेटिकॉट पहने राज के सामने खड़ी थी. वीना की पीठ राज की तरफ थी. वीना ने कपड़े सोफे पर रख कर अपना फेस घुमा कर, पीछे की तरफ देखा. पीछे राज अपना अंडरवेर उतार कर बेड पर लेटा हुआ था. उसका 8 इंच का मोटा लंड हवा मे झटके खा रहा था.

वीना ने अपने फेस को आगे की तरफ कर लिया. और अपने हाथों को पेटिकॉट के नाडे की तरफ ले गयी. उसका दिल जोरों से धड़क रहा था. ग़रीबी के चलते हुए, वो पहली बार किसी पराए मर्द से चुदवाने जा रही थी. उसने अपने काँपते हुए हाथों से अपनी पेटिकॉट का नाडा खोल दिया. और पेटिकॉट को निकाल कर सोफे पर रख दिया.

फिर वीना सर झुकाए हुए मूड कर बेड की तरफ आने लगी. बेड के पास पहुँच कर उसने बेड की रेस्ट सीट के ऊपेर रखे हुए, कॉनडम्स के पॅकेट से एक कॉंडम निकाल कर पॅकेट वापिस रख दिया. और राज की जाँघो के पास बैठ कर, अपने काँपते हुए हाथों से राज के 8 इंच के लंड को पकड़ लिया.

राज : (काफ़ी महीनो बाद किसी औरत के हाथ का सपर्श अपने लंड पर महसूस करके राज के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी) आह वीना तुम्हारे हाथ बहुत मुलायम हैं.
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09-18-2018, 12:14 PM,
#45
RE: Hindi Porn Kahani सियासत और साजिश
वीना राज की बात को सुन कर एक दम से शरमा गये. और उसने राज के लंड को पकड़ कर उसकी चमड़ी को पीछे कर दिया. राज के लंड का गुलाबी मोटा और चौड़ा सुपाडा देख कर, वीना की चूत मे सरसराहट होने लगी. उसने काँपते हुए हाथों से, राज के लंड पर कॉंडम चढ़ाना शुरू कर दिया. पर वीना इन सब की आदि नही थी. ये बात राज अच्छी तरहा जानता था.

राज ने कॉंडम लगाने मे वीना की मदद की. जैसे ही राज ने कॉंडम पहन लिया. वीना राज के लंड के ऊपेर झुक गयी. और राज के लंड के सुपाडे को मुँह मे ले लिया.राज के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी. उसने एक हाथ से वीना के बालों को पकड़ लिया. वीना तेज़ी से राज के लंड को मुँह मे भर कर चूस रही थी. राज की मस्ती का कोई ठिकाना नही था. 

राज ने कुछ देर बाद वीना को कंधों से पकड़ कर अपने ऊपेर खींच लिया, और वीना की आँखों मे देखते हुए. अपने लंड के सुपाडे को वीना की चूत के छेद पर लगा दिया. वीना के मुँह से आह निकल गयी.

वीना: (काँपती हुई आवाज़ मे) अहह बाबू जीए. धीरे-2 करना मैने इतना बड़ा कभी नही लिया है.

राज : क्या मतलब.

वीना: (एक दम से शरमा गये) वो मेरे पति का आप से बहुत छोटा है. धीरे-2 करना.

ये बात सुन कर राज के होंठो पर मुस्कान आ गयी.

राज : तो फिर तू ही अपने आप अंदर कर ले.

ये बात सुन कर वीना और शरमा गये. और धीरे-2 राज के लंड के सुपाडे पर अपनी चूत के छेद को दबाने लगी. राज के लंड का मोटा सुपाडा, वीना की चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर जाने लगा. वीना की चूत पहले ही से पानी छोड़ कर चिकनी हो चुकी थी. जैसे ही राज के लंड का मोटा सुपाडा वीना की चूत के छेद मे गया, राज ने वीना के चुतड़ों को कस के पकड़ लिया. और ऊपेर की तरफ अपनी कमर को पूरी ताक़त लगा कर उछाला. लंड का सुपाडा चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ, और अंदर घुसता चला गया. और वीना दर्द और मस्ती के मिलजुले असर के कारण चीख पड़ी.

वीना: अहह बाबू जीईए ओह धीरीई अहह उंह सीईईईईईईईई. 

इससे पहले कि वीना थोड़ा राहत की साँस लेती, राज ने फिर से वीना के चुतड़ों को अपने हाथों मे दबोचे हुए, एक बार फिर से अपनी कमर को ऊपेर की ओर उछाला. इस बार राज के लंड का सुपाडा, वीना की चूत की गहराइयों मे उतर गया, और वीना की बच्चेदानी से जा टकराया.

वीना: अह्ह्ह्ह ओह मरररर गइई बाबू जीई धीरीईए करूऊ नाआ ओह्ह्ह्ह बहुत्त्त्त दर्द हूऊओ रहा है..

वीना अपनी साँसों को संभालने के लिए राज के ऊपेर लूड़क गयी. उसकी मोटी-2 चुचियाँ राज की चौड़ी छाती मे धँस गयी. वीना अभी भी दर्द से कराह रही थी. राज ने धीरे-2 वीना के चुतड़ों और पीठ को सहलाना चालू कर दिया. कुछ ही पलों मे वीना का दर्द ख़तम हो गया.

वीना अपनी चूत के दीवारों को राज के लंड पर कसा हुआ महसूस करके मचल उठी. उसकी चूत मे राज के लंड की रगड़ के लिए टीस उठने लगी. और वो राज की छाती से चिपकी हुई. धीरे-2 अपनी गान्ड को उछाल कर अपनी चूत मे राज के लंड को अंदर बाहर करके चुदने लगी.

राज तो बस वीना के चुतड़ों को मसलते हुए, अपने लंड पर वीना की चूत के दीवारों की रगड़ महसूस करके मस्ती से सराबोर हुआ जा रहा था. धीरे-2 वीना भी अपनी चूत को राज के लंड पर कसी हुई महसूस करके गरम हुई जा रही थी. और वो धीरे-2 अपनी गान्ड के उछालने की रफ़्तार को बढ़ा रही थी. राज का लंड अब तेज़ी से वीना की चूत के अंदर बाहर हो रहा था. और वीना पूरी मस्ती मे आकर अपनी गान्ड को ऊपेर की ओर उछाल के पूरी ताक़त से अपनी चूत को राज के लंड पर पटक रही थी.

वीना: अहह ओह बाबू जीए औरर्र जोर्र्र्र से मस्लो मेरी चुतड़ों को अहह ओह मेरा पानी निकलने वाला है.

राज ने वीना की बात को सुनते ही, वीना के चुतड़ों को अपने हाथों मे दबोच कर फैला दिया. और अपनी कमर को तेज़ी से ऊपेर की ओर उछालते हुए, अपने लंड को वीना की चूत के अंदर बाहर करने लगा. राज का लंड पूरा जड तक अंदर बाहर हो कर फॅक – 2 की आवाज़ कर रहा था. कुछ ही पलों मे वीना का बदन अकड़ने लगा. 

वीना: अहह अहह ओह ओह बहुत्त्त्त्त्त अच्छाअ चोदते हैं बाबू जी आपप ओह्ह ओह मेरीई पानी निकल गाईए हीए ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्ह्ह्ह्ह.

और वीना राज के ऊपेर निढाल होकर गिर पड़ी. उसकी नाज़ुक सी चूत राज के 8 इंच के मोटे लंड को ज़्यादा देर नही झेल पाई थी. इसीलिए वो झाड़ कर राज के ऊपेर पसर गयी. और तेज़ी से साँसे ले रही थी. 

राज अभी भी अपनी कमर को हिला कर, वीना की चूत मे अपने लंड को पेले जा रहा था. पर वीना एक दम उस से चिपकी हुई थी, जिसके कारण राज को वीना की चूत मे लंड पेलने मे दिक्कत हो रही थी.

राज ने वीना को बाहों मे भरे हुए, उसे नीचे की ओर लुड़का दिया. और खुद उसके ऊपेर आ गया. राज का लंड इस दौरान वीना की चूत से बाहर आ गया था. जैसे ही राज वीना के ऊपेर आया. राज ने वीना की टाँगों को पकड़ कर घुटनो से मोड़ कर ऊपेर उठा दिया. और फिर वीना की जाँघो को दोनो ओर फैला दिया.

जिससे वीना की चूत का छेद जो के उसके काम रस से सना हुआ लबलबा रहा था. राज की आँखों के सामने आ गया. राज की आँखें वीना की चूत के गुलाबी छेद पर जम गयी. वीना ने जब राज को अपनी चूत को यूँ घूरते देखा. वीना एक दम से शरमा गये. और उसने अपने फेस को दूसरी तरफ घुमा लिया.

राज : क्या हुआ वीना. अच्छा नही लगा क्या.

वीना: (शरमाते हुए काँपती आवाज़ मे) नही बाबू जी ऐसी बात नही हैं.

राज : फिर मुँह क्यों मोड़ लिया.

वीना: मुझ शरम आ रही है.

राज : क्यों शरमा क्यों रही हो.

वीना: आप मेरी वो ऐसे देख रहे थे. इसीलिए

राज : वो क्या.

वीना: धत्त मुझ शरम आती है.

राज : अर्रे बता ना.

वीना: चूत 

ये सुन कर राज के होंठो पर मुस्कान आ गयी. उसने अपने लंड को अपने हाथ मे पकड़ कर, वीना की चूत के रसीले छेद पर लगा दिया. और धीरे-2 अपने लंड को वीना की चूत के छेद मे धकेलने लगा. राज के लंड का मोटा सुपाडा एक बार फिर से वीना की चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुसने लगा. वीना ने अपने दोनो हाथों से बेड शीट को भींच लिया. और उसके मुँह से मस्ती से भरी हुई आह निकल गयी.

वीना को यूँ मस्ती मे देख, राज और जोश मे आ गया. और उसने अपनी कमर को पूरी रफ़्तार के साथ आगे की तरफ धेकेला. लंड का सुपाडा चूत की दीवारों को फैलाता हुआ, वीना की चूत की गहराइयों मे उतरने लगा.

वीना: ओह मररर गेयीयीयियी बाबू जीए ओह.

राज को वीना का यूँ तिलमिलाना पता नही क्यों सकून सा दे रहा था. राज ने बिना रुके ताबडतोड़ तीन चार बार अपनी कमर हिला कर, वीना की चूत मे अपने मोटे लंड को पूरा घुसा दिया. जैसे ही राज का पूरा लंड वीना की चूत की गहराइयों मे उतर गया. राज वीना के ऊपेर झुक गया. और उसकी दोनो बड़ी-2 चुचियों को अपने हाथों की हथेलियों मे भर कर मसलने लगा.
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09-18-2018, 12:14 PM,
#46
RE: Hindi Porn Kahani सियासत और साजिश
वीना राज के नीचे लेटी हुई कस्मसाये जा रही थी, और राज नीचे से अपनी कमर को हिला कर तेज़ी से अपने लंड को वीना की चूत के अंदर बाहर किए जा रहा था. और साथ-2 मे वीना की चुचियों को मसले जा रहा था. जब राज का लंड जड तक वीना की चूत के अंदर जाता. तो राज के लंड की जड के पास का हिसा, वीना की जाँघो के जोड़ों के बीच मे ठप-2 की आवाज़ करने लग जाता.

नीचे लेटी वीना अपनी चूत के दीवारों पर राज के लंड के घर्सन को महसूस करके एक बार फिर से गरम हो चुकी थी. और वो भी अपनी जाँघो को पूरा फैला कर लेटी हुई थी. ताकि राज उसकी चूत मे अपना लंड और अंदर तक घुसा सके. राज उसे इस हालत मे 10 मिनट लगतार चोदता रहा. और वीना एक बार फिर से झड़ने के करीब थी.

उसने अपनी टाँगों मोड़ कर राज की कमर पर लपेट लिया. और अपनी बाहों को राज की पीठ पर कस के उससे एक दम चिपक गयी. राज का लंड अब पूरा आसानी से अंदर बाहर हो रहा था.

वीना: अहह ओह बाबू जीई मेरी चूत्त्त फिरररर से पानी छोड़ने वाली है. ओह्ह्ह्ह औरर्र जोर्र्र से चोदो बाबू जीए अहह ओह ओह.

और वीना का बदन अकड़ने लगा. उसने राज को अपनी बाहों मे कस के पकड़ लिया. और वीना की चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया. जैसे ही वीना का झड़ना बंद हुआ. उसने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया. और राज भी कुछ ही पलों मे झड गया. उसने अपने लंड पर चढ़े हुए कॉंडम को अपने वीर्य से भर दिया. दोनो कुछ देर वैसे ही लेटे रहे. राज अब काफ़ी थकान महसूस कर रहा था. इसीलिए वो उलट कर वीना की बगल मे लेट गया. राज की आँख लग गयी.

वीना जो आज काफ़ी देर बाद झड़ी थी. उसका रोम -2 मस्ती के कारण खिल उठा था. उसका दिल कर रहा था. कि राज उठ कर उसे अपने बाहों मे भर कर उसे खूब प्यार करे. उसकी चुचियों को मसले. और उसकी चूत को सहलाए. पर राज तो सो चुका था. वीना ने राज की तरफ देखा. जो सो रहा था. उसका लंड अभी भी आधा तना हुआ था. और कॉंडम मे वाइट कलर का गाढ़ा वीर्य भरा हुआ था.

वीना उठ कर बैठ गयी. और बड़े ध्यान से राज के लंड से कॉंडम को उतार कर एक खाली लिफाफे मे डाल कर बेड के नीचे रख दिया. और फिर वो राज के साथ सट कर लेट गयी. थोड़ी देर बाद वीना को नींद आ गयी. सुबह के 6 बजे राज ने वीना को उठा दिया. और कपड़े पहनने को बोला. राज पहले से ही तैयार हो चुका था. वो रूम से बाहर आकर नीचे आ गया. 

नीचे छोटू दातुन कर रहा था. राज ने उसे विशाल के बारे मे पूछा. छोटू ने इशारे से एक कमरे की तरफ इशारा किया. और राज ने रूम के पास जाकर डोर नॉक किया. थोड़ी देर बाद विशाल ने डोर खोला . विशाल के होंठो पर राज को देख कर मुस्कान आ गयी. विशाल ने सिर्फ़ एक टवल लपेटा हुआ था.

राज : विशाल अब मुझे चलना चाहिए.

विशाल: अर्रे यार नाश्ता तो करके जाता.

राज : नही यार. मुझे अभी जाना है.

विशाल: ठीक है. अर्रे ओ छोटू. जा ड्राइवर को बोल बाबू जी को हवेली छोड़ आए. बाबू जी की कार घर पर खड़ी है.

छोटू:जी बाबू जी.

और फिर छोटू ड्राइवर को ले आया. और ड्राइवर ने राज को विशाल के घर छोड़ दिया. राज ने वहाँ से अपनी कार ली. और अपने गाँव की लिए निकल पड़ा. राज 7 बजे हवेली पहुँच गया. हरिया हवेली की सफाई कर रहा था.

राज : (अंदर आते हुए) डॉली कहाँ पर है.

हरिया: बाबू जी बिटिया अभी उठी नही है. सो रही है. मे आपके लिए चाइ बनाऊ.

राज : हां बना लो. मे ज़रा फ्रेश होकर आता हूँ.

और राज अपने रूम मे चला गया. और जब वो फ्रेश होकर बाहर आया. तो डॉली भी उठ कर बाहर आ गयी थी. 

डॉली: कल क्या हुआ भैया. जो आप आ नही सके.

राज : सॉरी डॉली वो कल विशाल ने मुझ ज़्यादा पीला दी थी.

डॉली: बॅड हॅबिट भैया. आप आगे से ड्रिंक नही करोगे. अगर करोगे भी तो ज़्यादा से ज़्यादा दो पेग.

राज : अच्छा ठीक है. जैसे तुम कहो.

और फिर दोनो चाइ पीने लगे. उस दिन नाश्ता करने के बाद राज के पास कोई काम नही था. वो दोफर के 12 बजे तक साहिल के साथ खैलते हुए टाइम पास करता रहा. पर जब साहिल सो गया, तो वो बोर होने लगा. वो तो कल ही अपनी सारी ज़मीन देख आया था. इधर रवि भी सुबह से गायब था. राज अपने रूम मे आ गया. वो सोने की कॉसिश करने लगा. पर उसे रात की सारी घटनाएँ याद आने लगी. 

ना चाहते हुए भी बार-2 उसका ध्यान रात हुए वाकये पर जा रहा था. राज बेड से उठ कर अपनी अलमारी के पास गया. और अलमारी से वाइन की बॉटल निकाल ली. और एक ग्लास मे एक पेग बना कर पीने लगा. वो अपने रूम मे बंद 1 घंटे मे 3 पेग पी गया था. वाइन के सरूर मे राज का और बुरा हाल हो गया. उसका ध्यान अब और ज़्यादा वीना पर जा रहा था.

कभी उसके मन मे ख़याल आता. कि वो अभी विशाल को फोन करके, वीना को फिर उसकी खेतो के बीच बनी हवेली मे बुलवा ले. पर राज के रुतबे के हिसाब से ये बहुत ही छोटी सी बात थी. इसीलिए वो विशाल को फोन भी नही कर सकता था. 

दूसरी तरफ रवि खेतो मे रज़िया के रूम की तरफ बढ़ रहा था. रज़िया के कमरे के सामने जाकर उसने देखा. रज़िया अपने कमरे के सामने झाड़ू लगा रही थी. रवि रज़िया की तरफ चला गया. रवि को देख कर रज़िया के होंठो पर मुस्कान फैल गयी.

रज़िया: आओ बैठो . 

रवि बाहर लगी चारपाई पर बैठ गया. रज़िया ने झाड़ू लगाना चालू कर दिया. और थोड़ी देर मे उसने झाड़ू लगा लिया. और फिर अपने हाथ पैर धोने लगी.

रवि: काकी काका कहाँ हैं.

रज़िया: वो पीछे खेतो मे काम कर रहा है.

रवि: और मुन्ना कहाँ हैं.

रज़िया: वो भी अपने पापा के साथ ही है. क्यों कोई काम था अपने काका से (होंठो पर कातिल मुस्कान लाते हुए)

रवि: (रवि रज़िया की मुस्कान के पीछे छुपे राज को समझ गया) नही वो मे वैसे ही पूछ रहा था. 

रज़िया: (रवि को चिढ़ाते हुए) जिसके लिए तुम आए हो. वो चीज़ आज तुम्हे नही मिलेगी. तुम्हारे काका घर पर ही हैं. 

रज़िया की बात सुन कर रवि के फेस पर उदासी से छा गयी. और वो अपना मुँह लटका कर बैठ गया. रज़िया को रवि की हालत पर बहुत ख़ुसी हो रही थी. कल तक जो लड़का उससे दूर भागता था. आज वही लड़का उसकी चूत की गंध को कुत्ते की तरहा सूँघते हुए उसके पास रोज पहुँच जाता है. ये सब बातें सोच कर रज़िया मन ही मन खुस हो रही थी.

पर रज़िया रवि को उदास करके उसे नाराज़ नही करना चाहती थी. वो मन मे सोचने लगी. बहुत मुस्किल से ये छोरा हाथ मे आया है, कही हाथ से निकल गया तो, मेरी चूत फिर से लंड के लिए तड़प्ती रहगी. ये सोच कर वो अपने कमरे की तरफ जाने लगी.

रज़िया: (कमरे के अंदर जाते हुए) रवि तू एक मिनिट यहीं बैठ . मे अभी आती हूँ.

रज़िया रूम मे आ गयी. और कमरे के अंदर आकर उसने कमरे के पीछे वाली खिड़की खोली. और पीछे के खेतो मे झाँकने लगी. पीछे उसका पति काफ़ी दूरी पर काम कर रहा था. और उसका बेटा भी खेत मे ही बैठा हुआ था. ये देख कर वो कमरे के दरवाजे के पास आई, और रवि को आवाज़ देकर अंदर आने को कहा.

रवि चारपाई से खड़ा हुआ. और इधर-उधर देख कर कमरे की तरफ आने लगा. जैसे ही रवि कमरे मे आया. रज़िया ने कमरे के दरवाजे को भिड़ा दिया. और कुण्डी नही लगाई.
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09-18-2018, 12:14 PM,
#47
RE: Hindi Porn Kahani सियासत और साजिश
रज़िया: (रवि की ओर कामुक नज़रों से देखते हुए) देख रवि आज बहुत ध्यान से करना पड़ेगा. इधर आ मे तुझे दिखाती हूँ. (और वो रवि को पीछे वाली खिड़की के पास ले गयी. और खिड़की को थोड़ा सा खोल कर रवि को अपने पति और बेटा को दिखाने लगी.) देख रवि वहाँ तेरे काका और मुन्ना हैं.देख जब तू मुझे चोदेगा. तो बाहर की तरफ देखते रहना. जैसे ही लगे कि, वो इधर आ रहे हैं. जल्दी से मुझ बता देना.

रवि: वो तो ठीक है. काकी पर लेट कर बाहर कैसे देखूँगा.

रज़िया: (रज़िया को रवि के भोलेपन पर प्यार आने लगा) अर्रे मेरे राजा आज तू खड़ा खड़ा ही मुझे चोदेगा.

रवि: (रवि को कुछ समझ मे नही आ रहा था.) पर वो कैसे काकी.

रज़िया: वो बाद मे बताती हूँ. पहले तू मुझ अपना हथियार तो दिखा. और सुन खिड़की को ज़्यादा मत खोलना. बस थोड़ा सा खोल कर बाहर देखते रहना.

ये कहते हुए रज़िया पैरों के बल नीचे बैठ गयी. और रवि के शॉर्ट निकर को खींच कर रवि के घुटनो तक सरका दिया. रवि का तना हुआ लंड उछल कर बाहर आ गया. जो झटके ख़ाता हुआ सीधा रज़िया के होंठो और नाक पर जा टकराया.

रज़िया: ओह्ह्ह्ह (मुस्कुराते हुए) तुम्हारा लंड बहुत उछलने लगा है छोरे. 

और फिर रज़िया ने कामुकता से भरी हुई आँखों से रवि की तरफ देखते हुए, रवि के लंड के मोटे सुपाडे को अपने होंठो के बीच मे कस लिया. और रवि के लंड के सुपाडे पर अपने होंठो को रगड़ते हुए मुँह मे भर कर अंदर बाहर करने लगी.

रज़िया के कोमल होन्ट रवि के लंड के सुपाडे पर रगड़ खा रहे त. और रवि एक दम मस्त हो चुका था. उसने तेज़ी से साँसे लेते हुए रज़िया के बालों को पकड़ लिया. रज़िया भी रवि को गरम होता देख, तेज़ी से अपने मुँह मे रवि के लंड को लेकर अंदर बाहर करते हुए चूसने लगी. और साथ-2 मे अपने मुट्ठी को लंड की जड पर कस कर तेज़ी से हिलाने लगी.

रवि: अहह काकी. और जोर्र से चूसो. बहुत मज़ा आ रहा है.

रवि मस्ती मे आकर अपनी कमर को तेज़ी से हिलने लगा. जैसे -2 रज़िया रवि के लंड को चूस रही थी. वैसे-2 रवि का लंड उसके थूक से सना जा रहा था. थोड़ी देर बाद रज़िया ने रवि के लंड को मुँह से निकाल दिया. और फिर रवि की आँखों मे देखते हुए बोली.

रज़िया: (एक हाथ से रवि के लंड को तेज़ी से हिलाते हुए) आहह रवि तेरा लंड तो सच मे बहुत उछलने लगा है. अब जल्दी से तेरी शादी करवा देनी चाहिए.

और फिर रज़िया खड़ी हो गयी. और खिड़की से बाहर झाँकने लगी. उसका पति और बेटा अभी भी वहीं काम कर रहे थे. फिर रज़िया ने पास ही लगी रस्सी से एक पुराना सा कपड़ा उठाया. और अपने लहँगे को अपनी कमर तक उठा लिया. रज़िया की चूत की झांते उसकी चूत के छेद से निकल रहे पानी से सन चुकी थी. ये देख कर रवि का लंड और तन कर कड़ा हो गया. फिर रज़िया ने रवि की ओर देखते हुए. एक कामुक मुस्कान के साथ अपनी जाँघो को फैला लिया.

रज़िया: (रवि की ओर कपड़ा बढ़ाते हुए) ले मेरी चूत को सॉफ कर दे. देख ना कैसे मुई ने पानी छोड़ -2 कर मेरी झान्टो को भी गीला कर दिया है.

रवि: पर सॉफ क्यों करूँ काकी. जब तुम्हारी चूत गीली होती है. मुझे तुम्हारी चूत मे अपना लंड पेलने मे बहुत मज़ा आता है.

रज़िया: (मुस्कुराते हुए) वो इसीलिए मुन्ना क्यों कि तुझे मेरी चूत के पानी का स्वाद अच्छा नही लगता ना. अपनी काकी की चूत को नही चुसेगा मेरे राजा .

रवि: पर काकी.

रज़िया: (रवि को बीच मे टोकते हुए) तू फिकर ना कर बेटा. मेरी चूत की गहराइयों मे तेरे लौडे के लिए बहुत पानी है. तेरे लौडे की प्यास मेरी चूत बुझा देगी. देखना एक बार जब तेरा मुनसल सा लंड मेरी चूत मे जाएगा. फिर मेरी चूत तेरे लंड पर कैसे अपने रस की बारिश करती है.

रवि ने ये सुनते ही रज़िया के हाथ से कपड़ा ले लिया, और नीचे बैठ गया. रज़िया ने अपनी चूत की फांकों को अपने हाथों से फैला दिया. जिससे रज़िया की चूत का गुलाबी रस से भरा छेद रवि की आँखों के सामने आ गया. रवि ने अपने धड़कते हुए दिल के साथ रज़िया की चूत को सॉफ करना चालू कर दिया. जब रज़िया की चूत अच्छी से सुख गयी. तो रवि ने कपड़े को एक तरफ फैंक दिया.

रज़िया: (खिड़की की तरफ अपना मुँह करके खड़ी होते हुए) ले बेटा अपनी काकी की चूत को चूस कर मेरी चूत की आग को ठंडा कर दे को अपने हाथों से पकड़ लिया. और आगे से थोड़ा झुक गयी.

रज़िया: (कामुकता से भरी आवाज़ मे) जल्दी कर बेटा. हमारे पास ज़्यादा टाइम नही है. जल्दी से मेरे पीछे आकर लहंगा गान्ड से ऊपेर उठा ले.

रवि रज़िया के पीछे आ गया. और उसने रज़िया के लहँगे के पकड़ कर रज़िया की कमर पर चढ़ा दिया. रज़िया और झुक गयी. और पीछे से अपनी गान्ड को बाहर निकाल लिया. और फिर उसने अपने पैरों को फैला लिया. जिससे उसकी जांघे फैल गयी. और उसकी चूत की फाँकें भी फैल गयी.

रवि रज़िया के पीछे पैरों के बल बैठ गया, और अपने दोनो हाथों से रज़िया के चुतड़ों को पकड़ कर फैला दिया. चुतड़ों के फैलने से रज़िया की चूत के फाँकें भी फैल गयी. और उसने अपनी जीभ निकाल कर रज़िया की चूत के फांकों के बीच के दरार मे डाल कर रगड़नी चालू कर दी. जैसे ही रवि की जीभ रज़िया की चूत की दोनो फांकों के बीच मे से रगड़ खाती हुई, रज़िया की चूत के छेद पर लगी, तो रज़िया के मुँह से मस्ती से भरी हुई सीईईईई की आवाज़ निकल गयी.

रज़िया: उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईईई उंह हाआन ऐसे हाइ अपनी जीईएभ ओह उंह चाआतात्त्ट मेरीईए राज आआ ओहुम्ह उम्ह्ह्ह ओह 

रज़िया की कामुक सिसकारियाँ सुन कर रवि और जोश मे आ गया. और रज़िया की चूत के फैंकों को फैला-2 कर रज़िया के चूत के छेद को अपनी जीभ से चाटने लगा. रज़िया के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गये. उसका बदन काँपने लगा.

रज़िया मस्ती मे आकर उन्घ्ह्ह उन्घ्ह्ह्ह उंह सीईईई कर रही थी. और रवि किसी भूखे कुत्ते की तरहा रज़िया की चूत को चाट रहा था.

रज़िया: उंह सीईईईईईईई सीईईई ओह रवीीई बससस्स आब्ब्ब्ब जल्दी कारर्र तेरी ककाअ कभी भिईए एयाया सकतें हिी ओह.

रवि रज़िया की बात सुनते ही सीधा खड़ा हो गया, और अपने लंड के सुपाडे को रज़िया की फूली चूत के छेद पर लगा दिया. जैसे ही रज़िया की चूत के छेद पर रवि के लंड का गरम सुपाडा लगा. रज़िया के बदन मे करेंट सा दौड़ गया. और वो धीरे-2 अपनी चूत को रवि के लंड पर पीछे की तरफ दबाने लगी. लंड का सुपाडा रज़िया की चूत के दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुस्स गया.

रज़िया के उतावले पन को देख रवि भी जोश मे आ गया. और उसने रज़िया के कमर को अपने हाथों से पकड़ कर, अपनी पूरी ताक़त से अपनी कमर को आगे की तरफ हिलाया. लंड का सुपाडा रज़िया की चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ आधा अंदर घुस गया. जैसे ही रज़िया की चूत मे रवि का आधा लंड एक ही झटके मे उतरा. रज़िया एक दम से सिसक उठी.

रज़िया: सीईईई धीरे नही पेल सकता. 

रवि: काकी खुद ही, तो कहती हो जैसे दिल करे चोद लिया करो. अब नाराज़ क्यों हो रही हो

रज़िया: अच्छा मेरे बच्चे जैसे तेरे दिल है वैसे ही चोद ले अपनी काकी को.

और रवि ने रज़िया की कमर को थामें हुए तेज़ी से धक्के लगाने चालू कर दिए. जब 4-5 बार रवि का लंड रज़िया की चूत की दीवारों से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बाहर हुआ, रज़िया की चूत ने पानी चिकना करना सुरू कर दिया. कुछ ही पलों मे रवि का लंड भी रज़िया की चूत के पानी से एक दम सन गया. और तेज़ी से अंदर बाहर होने लगा.

रज़िया की आँखे मस्ती मे बंद होने लगी. पर वो अपने पति और बेटे पर नज़र रखना चाहती थी. 

रज़िया: आहह ओह रवि बेटाअ ओह बाहररर भिीई ओह्ह्ह्ह ओह

रवि: हाआअँ ककीईई 

रज़िया: बेटाअ ज़रा भरा भिईए देखंाआअ ओह्ह्ह्ह मेरीई आँखे बन्द्द्द्द हो रही हाइ.

रवि: ठीक है.

और ये कह कर रवि रज़िया के कमर को पकड़ कर तेज़ी से झटके मारने लगा. रवि के लंड का सुपाडा ज़ोर ज़ोर से रज़िया की बच्चेदानी से टकरा रहा था. और रज़िया भी मस्त हो कर अपनी चूत को पीछे की तरफ रवि के लंड पर मार रही थी.

रज़िया: लीईए चोद्द्द बेटा औरर्र ज़ोर सी चोद्द्द्द अहह अहह ओह काकी चोद्द्द बेटा और ज़ोर सीए आह पूरा डाल दे ओह और ज़ोर सीए 

अब रवि पागलों की तरहा तेज़ी से अपनी कमर हिला कर अपने लंड को रज़िया की चूत मे पेलते हुए रज़िया को चोद रहा था. रज़िया का बदन अकडने लगा. और वो आह ओह करते हुए झड़ने लगी. रज़िया की चूत पानी से पूरी तरहा भीग चुकी थी. रवि खिड़की से बाहर देखते हुए, तेज़ी से अपने लंड को रज़िया की चूत मे पेले जा रहा था. अचानक से उसका लंड रज़िया की चूत से बाहर निकल गया.
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09-18-2018, 12:14 PM,
#48
RE: Hindi Porn Kahani सियासत और साजिश
रज़िया: (काँपती हुई आवाज़ मे) अहह बेटा हो गया तेरा भी.

रवि: (हन्फते हुए) नही काकी अभी नही हुआ.

रज़िया: ओह मेरा तो हो गया बेटा अब जल्दी कर. कितना टाइम लगेगा. बेटा हमारे पास ज़्यादा टाइम नही है.

रवि ने लंड को अपने हाथ मे पकड़ा. जो रज़िया के कामरस से पूरा भीगा हुआ था. रवि का ध्यान बाहर खेतो की तरफ था. जैसे ही उसने अपने लंड को पकड़ा. तो उसका हाथ रज़िया की छूट के काम रस से भीग गया. जो उसे चिपचिपा सा लगा. टाइम पहले से ही कम था. उसने अपने हाथ को रज़िया के चुतड़ों पर रगड़ कर सॉफ करना चालू कर दिया.

रज़िया: क्या कर रहा है रवि. जल्दी कर ना.

रवि: हां काकी.

रवि ने बाहर की तरफ देखते हुए. अपने लंड को रज़िया की चूत के छेद पर लगाने की कॉसिश करने लगा. पर रवि का ध्यान बाहर के तरफ था. 

रज़िया: जल्दी कर ना. क्या कर रहा है.

और रवि अपने लंड के सुपाडे से रज़िया की चूत के छेद को टटोल रहा था. अचानक से ही उसके लंड का सुपाडा रज़िया की गान्ड के छेद पर जा लगा. जैसे ही रज़िया को रवि के लंड का गरम सुपाडा अपनी गान्ड के छेड़ पर महसूस हुआ. उसने अपनी आँखे खोली. और वो बोलने ही वाली थी, कि रवि ने पूरी ताक़त के साथ अपने लंड को आगे की तरफ पेल दिया.

रवि के लंड का सुपाडा रज़िया की एक दम टाइट गान्ड के छेद को फैलाता हुआ अंदर घुस्स गया. रज़िया दर्द के मारे चिल्ला उठी.

रज़िया: ओह मार डाला रीए सलीई दिखाई नही देता कहाँ घुस्स्स्सा रहा है. ओह्ह्ह फाड़ दी मेरी गान्ड ओह निकाल जल्दी उईमाआ मर गाईए रीई.

रज़िया के ये सब बोलने से पहले रवि अपने कमर को एक बार और हिला चुका था. उसका लंड का तीसरा हिस्सा रज़िया की गान्ड के छेद को फाड़ता हुआ अंदर घुस्स गया था. जब रवि ने नीचे देखा. तो उसे पता चला कि, उसका लंड रज़िया की चूत मे नही, बल्कि उसकी गान्ड के छेद मे फँसा हुआ है. और रज़िया दर्द के मारे तिलमिला रही थी.

रज़िया: (दर्द से तिलमिलाते हुए) अबे भोसड़ी क्ीई रनडिीईई की औलद्दड़ आईसीए क्या देख रहा है मेरी गान्ड फाड़ कर चल जल्दी से निकाल बाहर.

रवि: (गुस्से से) लो निकाल लेता हू. पर आज के बाद मे तुम्हारे पास नही आउन्गा.तूने मुझ रंडी की औलाद बुलाया है ना.

रज़िया: (रवि को नाराज़ होते देख) नही मेरी जान देख ना तुनें मेरी गान्ड का क्या हाल कर दिया है. अब जल्दी से निकाल ले.

रवि: मुझ कुछ नही सुनना. मे अब यहाँ नही आउन्गा.

रज़िया: अच्छा-2 मेरे लाल मुझ माफ़ कर दे. चाहे तो मेरी गान्ड फाड़ ले. पर मुझसे नाराज़ ना होना. मेरी चूत तेरे लंड की याद मे सुख जाएगी रे.

रवि: (रवि अपने लंड को रज़िया की एक दम टाइट गान्ड के छेद मे महसूस करके बहुत मज़ा आ रहा था, और रज़िया अब उससे अपनी गान्ड मरवाने को भी तैयार थी) पक्का मे तुम्हारी गान्ड चोद सकता हूँ ना.

रज़िया: हां बेटा पर धीरे-2 करना. तेरी काकी की गान्ड अभी तक बिल्कुल कुँवारी है. 

रवि: (उसने जब देखा रज़िया उसके लंड को पाने के लिए कुछ भी कर सकती है तो उसने एक और शर्त रख दी) नही मे जैसे मर्ज़ी चोदु. तुम कुछ नही कहोगी.

रज़िया के सामने अब कोई चारा नही था.

रज़िया: (खिजते हुए) अच्छा जो करना है, जल्दी कर ले.


रवि ने एक गहरी साँस ली. और अपने हाथों से रज़िया के चुतड़ों को पकड़ कर दोनो तरफ फैला दिया. रज़िया अपनी साँसें थामें हुए अपने होंठो को अपने दाँतों मे भिंचे हुए. रवि के लंड के प्रहार को अपनी गान्ड के कुंवारे छेद मे सहने की तैयारी किए हुए थी. रज़िया की गान्ड के छेद की दीवारें रवि के लंड को कस के भिंचे हुए थी. रवि ने अपनी पूरी ताक़त लगा कर अपने लंड को अंदर की ओर धकेला.

और रज़िया के मुँह से घुटि हुई दर्द भरी चीख निकल गयी. 

रज़िया: ओंह अहह धीरीईए राजा एयेए धीरीए तुम्हाइन अपनी काकी ओह्ह्ह पर ज़रा भी तरस नही आ रहा.

रवि: तो फिर मुझ गाली क्यों दी.

रज़िया: मुझसे ग़लती हो गयी. तू मुझ चाहे अपनी रांड़ बुला ले. और मैं सच मे तुम्हारी रंडी बनाने को भी तैयार हूँ. पर तू मुझसे नाराज़ ना होना.

रवि ने कुछ बोले बिना ही धीरे-2 अपने लंड को रज़िया की टाइट गान्ड के अंदर बाहर करना चालू कर दिया. रज़िया अभी भी दर्द से मरी जा रही थी. रज़िया की गान्ड बहुत टाइट थी. जिसके कारण रवि के लंड के सुपाडे पर बहुत ज़्यादा घर्सन हो रहा था. और वो कुछ ही धक्कों मे रज़िया की गान्ड मे अपना लावा उगलने लगा.

जैसे ही रवि के लंड से वीर्य की गरम पिचकारी छूटी. रज़िया की गान्ड के छेद की दीवारों को राहत मिली. उसे अपनी गान्ड की दीवारों पर रवि के गरम वीर्य का बहना बहुत सुखुद अहसास दे रहा था. जैसे उसकी गान्ड की छिली हुई दीवारों पर किसी ने गरम -2 लेप लगा दिया हो.

रवि ने अपने लंड बाहर निकाल लिया. और उसने नीचे गिरे कपड़े से सॉफ किया. रज़िया के माथे पर पसीना बह रहा था. रज़िया की गान्ड का छेद ठीक से सिकुड कर बंद भी नही हो रहा था. उसे अपनी गान्ड के छेद मे तेज टीस महसूस हो रही थी. वो मुस्किल से सीधी हुई. और अपने लहँगे को ठीक किया. और फिर रवि जो कि अपनी निक्कर ऊपर कर चुका था. उसके होंठो को चूमते हुए बोली.

रज़िया: अब तो खुश हो ना.

रवि: हां काकी. पर आगे से मुझ गाली नही देना.

रज़िया: ठीक है मेरे मुन्ना नही दूँगी. अब जल्दी से बाहर जा कहीं तेरे काका इधर ना आ जाएँ.

रवि ने आगे बढ़ कर रज़िया को अपनी बाहों मे भर लिया. और उसके होंठो पर अपने होंठो को रख कर चूसने लगा. रज़िया ने भी अपनी बाहों को रवि के पीठ पर कस लिया. और अपने होंठो को ढीला छोड़ कर रवि से चुसवाने लगी. 

कुछ देर रज़िया के होंठो को चूसने के बाद रवि बाहर निकल गया. और हवेली की तरफ चल पड़ा. जब वो हवेली पहुँचा . तो राज अपने रूम से निकल कर हाल मे सोफे की तरफ आ रहा था. राज का दिल और दिमाग़ मे भी अब चूत ही घूम रही थी. पर राज चाह कर भी कुछ नही कर सकता था. चाहे राज के पास बेइंतहा दौलत थी. पर राज शुरू से ही ऐसे कामों से दूर रहा था. पर कल रात वीना ने उसके अंदर सोए हुए वासना के कीड़े को जगा दिया था.



और वाइन का नशा भी राज के सर पर चढ़ कर बोल रहा था. राज शुरू से ही चिकेन खाने का बहुत सकुन था. जब उसने रवि को देखा, तो उसे रवि को अपने पास बुला लिया. उधर किचिन से हरिया भी बाहर आ गया था.

राज : रवि यहाँ कहीं चिकन मिलेगा. 

हरिया: बाबू जी उसके लिए तो शहर जाना पड़ेगा.

रवि: हां बाबू जी यहाँ तो शहर से मिलेगा. या फिर एप्रा गाँव से. 
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09-18-2018, 12:15 PM,
#49
RE: Hindi Porn Kahani सियासत और साजिश
एप्रा गाँव का नाम सुनते ही राज की आँखों के सामने वीना की छबि उभर आई. और साथ मे उसे निर्मला का भी ख़याल आ गया. राज का दिल अब निर्मला के लिए धड़कने लगा. राज जानता था, कि निर्मला आसानी से उसकी बात मान जाएगी. पर उसके पति मुरली का वो क्या करेगा. राज ने टाइम देखा. 2 बज रहे थे.

राज : ठीक है, मैं एप्रा गाँव से चिकेन ले आता हूँ.

रवि: बाबू जी मे साथ मे चलूं

राज : नही रहने दो. मे चला जाउन्गा.

और राज उठ कर बाहर आकर अपनी कार मे बैठा , और कार को हवेली से निकाल कर एप्रा गाँव की ओर बढ़ा दिया. राज आधे घंटे मे ही एप्रा गाँव पहुँच गया. उसने वहाँ पहुँच कर अपनी कार को निर्मला के कमरे के सामने खड़ी कर दिया. मुरली जो कि एक आम के पेड के नीचे चारपाई पर लेटा हुआ था. कार की आवाज़ सुन कर एक दम से खड़ा हो गया. और भागता हुआ कार के पास गया.

राज कार से निकला तो मुरली ने उसे झुक कर सलाम किया.

मुरली: आइए बाबू जी. अचानक से कैसे आना हुआ.

राज : मुरली यहाँ चिकेन कहाँ मिलेगा.

राज की बात सुन कर मुरली सोच मे पड़ गया. और फिर कुछ देर सोचने के बाद बोला. बाबू जी पहले तो यहाँ एक बड़ा सा फारम था. जो कुछ दिनो पहले बंद हुआ है. पर हां साथ वाले गाँव से मिल जाएगा. यहीं पास मे ही है. कहें तो मे ला देता हूँ.

बाहर आवाज़ सुन कर निर्मला भी बाहर आ गयी. और राज की तरफ देखते हुए कामुक मुस्कान अपने होंठो पर ले आई.

राज : तुम्हे कितना टाइम लगे गा.

मुरली: बाबू जी 30-40 मिनिट तो लग ही जाएँगे.

राज : (अपनी जेब से पैसे निकाल कर मुरली को देते हुए) जाओ ले आओ.

मुरली: बाबू जी आप अंदर बैठिए. मैं जाकर ले आता हूँ. (अपनी पत्नी को) अर्रे जा बाबू जी को अंदर बैठा कर पानी पिला. मैं बाबू जी के लिए चिकेन लेकर आता हूँ.

और मुरली अपना कुर्ता जो कि उसने चारपाई पर रखा हुआ था. उठा कर पहन कर जाने लगा. राज ने निर्मला की ओर देखा.

निर्मला: (होंठो पर कातिल से मुस्कान लाते हुए) आइए बाबू जी.

राज कमरे की तरफ बढ़ने लगा. कमरे की ओर जाते हुए, वो दरवाजे पर खड़ी निर्मला की ओर देख रहा था. निर्मला ने येल्लो कलर की साड़ी पहनी हुई थी. राज कमरे मे आ गया. अंदर आते ही निर्मला ने राज को चारपाई पर बैठने के लिए कहा. राज चारपाई पर बैठ गया. निर्मला राज के लिए पानी ले आई. और पानी का ग्लास उसकी तरफ बढ़ा दिया.

राज ने उसकी तरफ देखते हुए पानी का ग्लास लिया, और पीने लगा. जब राज ने खाली ग्लास निर्मला को वापिस पकड़ा दिया. तो राज के हाथ निर्मला के हाथ को छू गये. निर्मला राज की ओर देखते हुए मुस्कुराने लगी. निर्मला ने ग्लास को वापिस रखा.

निर्मला: (होंठो पर कातिल मुस्कान लाते हुए) बाबू जी आपके लिए चाइ बनाऊ.

राज : (थोड़ा नर्वस फील कर रहा था. वो सोच रहा था, कि वो शुरुआत कहाँ से करे) नही चाइ रहने दो.

निर्मला राज के पास आई, और चारपाई के सामने एक चौकी पर बैठ गयी. निर्मला की साड़ी का पल्लू उसके कंधे से थोड़ा सा नीचे सरका हुआ था. और ब्लाउस के ऊपेर का हुक खुला था. राज की नज़रें सीधे वहीं चली गयी.

निर्मला: (राज को अपनी चुचियों की ओर घूरता देख कर) तो बाबू जी आप की क्या सेवा करूँ. बोलिए ना ? आप कॉन सा रोज-2 इधर आते हो.

राज ने अपने मन मे सोच लिया, अब जो होगा देखा जाएगा. अब वो सीधे -2 अपने इरादे जाहिर कर देना चाहता था. राज ने निर्मला की आँखों मे देखते हुए, उसके एक हाथ को पकड़ लिया. और अपने दूसरे हाथ से अपने पेंट की ज़िप्प खोल कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया. निर्मला का दिल राज के मोटे 8 इंच के लंड को देख कर जोरों से धड़कने लगा.

फिर राज ने निर्मला की वासना से भरी हुई आँखों की ओर देखते हुए, निर्मला के हाथ को अपने हाथ से पकड़े हुए, अपने लंड पर रख दिया. निर्मला राज की ओर देखने लगी. जैसे वो पूछ रही हो, कि आख़िर वो चाहते क्या हैं. निर्मला की चूत राज के लंड को अपने हाथ मे लिए उसकी मोटाई को महसूस करके गीली हो रही थी.

निर्मला ने एक बार राज की आँखों मे देखा, और फिर राज के लंड को अपनी हथेली मे कस लिया. निर्मला के नरम हाथ अपने लंड पर महसूस करते ही. राज के बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी. राज ने निर्मला के हाथ को छोड़ दिया, और निर्मला के सर के पीछे ले जाकर उसे अपने लंड पर झुकाने लगा. निर्मला को समझते देर नही लगी, कि राज क्या चाहता हैं.

निर्मला ने अपने गुलाबी होंठो को खोल कर उसे राज के लंड के सुपाडे पर कस लिया. और अपने होंठो को लंड के सुपाडे पर कस के रगड़ते हुए राज के लंड को चूसने लगी. निर्मला ने धीरे-2 राज के लंड को आधा मुँह मे ले लिया. और अपने हाथ को राज के लंड से हटा कर, अपने दोनो हाथों से अपने ब्लाउस के हुक्स खोलने लगी.

राज चारपाई पर बैठा , निर्मला को ब्लाउस के हुक्स खोलते हुए देख रहा था. निर्मला की बड़ी-2 चुचियाँ ब्लाउस के हुक्स खुलते ही बाहर आ गयी. राज का लंड निर्मला के ब्राउन कलर के निपल्स को देख कर और तन गया.

निर्मला राज के लंड को आधे से ज़्यादा मुँह मे भर कर चूस रही थी. राज ने निर्मला को उसके कंधों से पकड़ कर खड़ा कर दिया. और उसे चारपाई पर बैठे -2 अपनी ओर खैंच लिया. निर्मला राज की बाहों मे समा गयी.

निर्मला: (कामुक मुस्कान अपने होंठो पर लिए हुए) जाओ बाबू जी. उस दिन तो आप मेरी तरफ देख भी नही रहे थे. आज क्या हो गया.

राज ने निर्मला की बात का जवाब नही दिया. निर्मला की चुचियाँ राज की आँखों के सामने थी. और उसके तने और कड़े निपल देख-2 कर राज का लंड झटके खा रहा था. राज ने निर्मला के चुतड़ों को अपने हाथों मे कस के पकड़ लिया, और ज़ोर-2 से मसलना चालू कर दिया.

निर्मला: (काँपती हुई आवाज़ मे) अहह बाबू जीए आराम सीई ओह्ह्ह्ह धीरे-2 करो ना. ओह सीईईईईई

राज निर्मला के चुतड़ों को उसकी साड़ी के ऊपेर से मसल रहा था. निर्मला ने मस्ती मे आकर अपनी आँखों को बंद कर लिया. उसके होंठो थरथरा रहे थे. उसकी चुचियों के निपल कामवासना के कारण एक दम तन चुके त. जो राज को ललचा रही थी. राज ने निर्मला के चुतड़ों को मसलते हुए. निर्मला के निपल पर अपनी जीभ को घुमाना शुरू कर दिया.

राज की जीभ से अपने निपल को कुरदेन पर निर्मला एक दम कसमसा उठी, उसके बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी.

निर्मला: उम्ह्ह्ह्ह सीईईईईई ओह हां बाबू जीई ईसीईई पूरा मुँह मे ले लो. ओह्ह्ह्ह आप सच मे बहुत अच्छे से चूस्ते हो.
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09-18-2018, 12:15 PM,
#50
RE: Hindi Porn Kahani सियासत और साजिश
निर्मला की बात सुनते ही, राज ने निर्मला की चुचि को मुँह मे भर लिया. और ज़ोर -2 से उसके निपल को चूसने लगा. निर्मला ने अपने हाथों से राज के बालों को तेज़ी से सहलाना चालू कर दिया. निर्मला मस्त हो कर राज से लिपिटी जा रही थी. राज भी जोश मे आकर उसके चुतड़ों को ज़ोर-2 से मसलने लगा.

निर्मला: (राज के मुँह से अपना निपल्स खैंचते हुए, और दूसरी चुचि को राज के होंठो की तरफ बढ़ाते हुए) उम्ह्ह्ह्ह्ह बाबू जी इसने क्या पाप किया है. इसे भी तो प्यार करो ना.

राज ने निर्मला की वासना से भरी आँखों की ओर देखा. निर्मला होंठो पर कामुक मुस्कान लिए हुए मुस्कुरा रही थी. राज ने निर्मला की दूसरी चुचि को मुँह मे भर लिया. और उसने निर्मला के निपल पर अपने दाँतों से हल्के- 2 काटना चालू कर दिया.

निर्मला: अहह बाबू जीई ओह हां काट लो जी भर के चूसो इन्हे ओह बहुत मज़ा आ रहा है बाबू जी ओह्ह्ह्ह ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह.

राज खड़ा हो गया. और उसने अपनी पेंट के पॉकेट से एक कॉंडम निकाला. और उसकी पॅकिंग को खोलने लगा. निर्मला ने राज के हाथ से कॉंडम ले लिया, और उसे एक तरफ फैंक दिया. और फिर राज के लंड को पकड़ कर तेज़ी से हिलाने लगी.

निर्मला: ओह्ह्ह्ह बाबू जी क्यों इसे लगा कर मज़ा खराब कर रहे हो. इसकी कोई ज़रूरत नही है. पूरा एक साल हो गया. मेरी चूत मे लंड घुसे हुए. और आज जब आपका मोटा लंड मेरी चूत के सूखे को ख़तम करने वाला है. तो इस पर कॉंडम क्यों चढ़ा रहे हो. बाबू जी आप मेरी चूत को अपने पानी से भर दो. मेरी चूत बहुत प्यासी है.

राज निर्मला की तरफ सावलिया अंदाज़ मे देखने लगा. निर्मला राज के दिल की बात समझ गयी.

निर्मला: बाबू जी मे सच कह रही हूँ. मुझ भी अपनी जान प्यारी है. ओह्ह बाबू जी अब जल्दी करो.

और निर्मला ने राज को चारपाई पर बैठा दिया. और राज की पेंट को खोल कर, राज के अंडरवेर को पेंट के साथ उसके घुटनो तक सरका दिया. फिर वो तेज़ी से दरवाजे की तरफ गयी. और बाहर झाँकने लगी. चारो तरफ कड़ी धूप थी. और दूर-2 तक कोई नज़र नही आ रहा था. 

निर्मला ने दरवाजे को भिड़ा दिया, और चारपाई की तरफ आते हुए, अपनी साड़ी और पेटिकॉट को दोनो हाथों से पकड़ कर ऊपेर की ओर उठने लगी. जब तक वो चारपाई के पास पहुँची , तब तक वो अपनी साड़ी को अपनी कमर से ऊपेर उठा चुकी थी, निर्मला ने एक दिन पहले ही, अपनी चूत के बालों को सॉफ किया था. उसकी चूत एक दम चिकनी लग रही थी.

राज का लंड निर्मल की चिकनी फूली हुई चूत देख कर और तन गया. निर्मला की गोरी-2 जांघे और चूत देख कर राज का दिल जोरों से धड़कने लगा. जैसे ही निर्मला राज के पास आकर खड़ी हुई, राज ने अपने हाथों से निर्मला की जाँघो को सहलाना चालू कर दिया. निर्मला एक दम से मचल उठी. और वो अपने होंठो को अपने दाँतों से हल्के-2 काटने लगी.

राज अपने दोनो हाथों से निर्मला की जाँघो को सहलाता हुआ, धीरे उसकी चूत की तरफ अपने हाथों को बढाने लगा. और जैसे-2 राज के हाथ उसकी चूत की तरफ बढ़ रहे थे. निर्मला का बदन मस्ती मे कांपे जा रहा था. और उसकी जांघे फैली जा रही थी.

निर्मला: (वासना से भरी काँपती आवाज़ मे) आहह बाबू जी ओह्ह इसे प्यार से सहलाइए. ओह्ह्ह्ह पूरा एक साल हो गया. मेरी चूत किसी मर्द के हाथों के सपर्श के लिए तरस गयी थी. ओह हाआँ बाबू जी मेरी चूत को अपनी मुट्ठी मे भर के मींज दो. ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईईईईईईईईई 

निर्मला का पूरा बदन कांप रहा था. राज अपने एक हाथ से निर्मला की चूत की फांकों के बीच की दरार मे अपनी उंगली रगड़ रहा था. और निर्मला की कमर मस्ती मे आकर झटके खा रही थी.

निर्मला: उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईई अहह बाबू जी बससस्स और्र्रर बर्दास्त नही हो रहा. आप जल्दी से लेट जाईए. ओह्ह्ह्ह्ह.

राज चारपाई पर अपने पैरो को नीचे लटका कर लेट गया. राज की कमर के ऊपेर का हिस्सा चारपाई पर था, और पैर चारपाई के नीचे लटक रहे थे. राज के लंड का सुपाडा चूत को सलामी दे रहा था. जिसे निर्मला अपनी हसरत भरी निगाहों से देख रही थी. 

निर्मला ने अपनी साड़ी और पेटिकॉट को अपनी कमर मे थामें हुए, राज के दोनो ओर अपनी टाँगों को फैला कर चारपाई के किनारे पर पैरो के बल बैठ गयी. और उसने अपनी साड़ी को अपने हाथों से छोड़ दिया. जैसे ही निर्मला पैरों को राज की कमर के दोनो तरफ करके बैठी . राज के लंड का सुपाडा, निर्मला की चूत की फांको पर रगड़ खाने लगा. और निर्मला के मुँह से मस्ती से भरी हुई आह निकल गयी.

निर्मला ने अपना एक हाथ राज की चौड़ी छाती पर रखा, और दूसरे हाथ से राज का लंड पकड़ कर लंड के सुपाडे का जायज़ा लेने लगी. निर्मला की साड़ी खिसक कर नीचे आ गयी थी. जिससे राज को उसकी चूत दिखाई देनी बंद हो गयी. राज ने झट से अपने हाथों को निर्मला के चुतड़ों के पीछे ले जाकर, उसकी साड़ी को ऊपेर कर दिया. और उसके भारी मोटे-2 चुतड़ों पर अपने हाथ फेरने लगा.

राज के निर्मला के चुतड़ों को सहलाने के कारण निर्मला मस्ती से सरोबार हो गयी. उसने अपने आँखे बंद कर ली. और अपने हाथ से लंड को पकड़े हुए, लंड के सुपाडे को अपनी चूत के छेद पर लगा लिया. लंड का गरम सुपाडा जैसे ही निर्मला को अपनी चूत के छेद पर महसूस हुआ, निर्मला की चूत की दीवारों मे सरसराहट होने लगी. उसने अपने होंठो को अपने दाँतों मे भींच लिया. और अपनी चूत के छेद को लंड के सुपाडे पर दबाने लगी.


राज के लंड का सुपाडा, निर्मला की चूत के संकरे छेद को फैलाता हुआ अंदर घुसाने लगा. चूत की फांके खुल कर फैल गयी. और जैसे ही लंड का सुपाडा चूत के छेद के अंदर गया. चूत की फांकों ने लंड के सुपाडे को चारो तरफ से कस लिया. निर्मला अपने चूत की दीवारों को सुपाडे पर कसे हुए महसूस कर रही थी. उसकी चूत मे कुलबुलाहट होने लगी.

उसने अपनी वासना से भरी नसीली आँखों को खोल कर राज की तरफ देखा. जो उसकी चुचियों की तरफ देखते हुए, उसके चुतड़ों को अपनी हथेलियों मे भर-2 कर मसल रहा था. 

निर्मला: बाबू जी ओह्ह्ह्ह आप का तो बहुत मोटा है. देखो ना मेरी चूत के छेद मे ही फँस गया है. आगे नही जा रहा. अब आप ही कुछ करो ना.

राज : करता हूँ. तैयार रहना.

निर्मला: बाबू जी मे तो उस दिन से ही आपके लंड को अपनी चूत मे लेने के लिए तैयार थी. पर आप ने ही मुझ से मुँह मोड़ लिया.

राज ने निर्मला के चुतड़ों को अपने हाथों मे कस के दबोच लिया. और ऊपेर की तरफ अपनी कमर को उछाल दिया. लंड का सुपाडा चूत की सन्करि दीवारों को फैलाता हुआ, अंदर घुसने लगा. निर्मला अपनी चूत की दीवारों पर राज के मोटे लंड को महसूस कर मचल उठी. और उसके मुँह से मस्ती भरी सिसकारियाँ छूटने लगी.

निर्मला: उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अहहहह बाबू जी पेल दो जड तक अंदर डाल दो अपने लंड को अहह देखो ना मेरी चूत कैसी अपने प्यार का रस बहा रही है.

राज निर्मला की गरम बातों को सुन कर और जोश मे आ गया. और निर्मला के चुतड़ों को थामें हुए. तेज़ी से अपनी कमर को ऊपेर की ओर उछाल कर अपने लंड को निर्मला की टाइट चूत के अंदर बाहर करता हुआ, चोदने लगा.

कुछ ही पलों मे राज का लंड निर्मला की चूत मे पूरा का पूरा अंदर बाहर होने लगा. और राज के लंड का सुपाडा, बार-2 निर्मला की बच्चेदानी के मुँह पर जा कर टकरा रहा था. निर्मला अपनी बच्चेदानी के मुँह पर राज के लंड के मोटे सुपाडे को चूत पर महसूस करके मस्त हुई जा रही थी..

निर्मला: अहह अह्ह्ह्ह अहह ओह्ह्ह्ह ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह बाबू जी हां चोदो मुझे ओह्ह्ह ओह्ह्ह ज़ोर से चोदो ओह्ह्ह आपके लंड ने मेरी चूत्त्त को ठंडक पहुँचा दी है. आज पूरी एक साल बाद मेरी चूत को किसी मर्द का लंड नसीब हुआ हैं.

निर्मला पंजों के बल चारपाई के किनारे बैठी हुई, तेज़ी से अपनी गान्ड को ऊपेर उछाल-2 कर अपनी चूत को राज के लंड पर पटक-2 कर चुद रही थी. और मस्ती मे आकर अपने एक हाथ से अपनी चुचि को पकड़ कर मसल रही थी. निर्मला की गान्ड राज की मांसल जाँघो से टकरा कर थप-2 की आवाज़ करने लगी. जो पूरे कमरे मे गूँज रही थी.

निर्मला: उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह सीईईईईई बाबू जी आप का लंड्ड तो सच मे लोहे के जैसा है. ओह्ह्ह्ह मेरी चूत्त्त्त्त्त्त तो अभी से पानी छोड़ने वाली है. ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह बाबू जी और जोर्र्र से चोदो ओह्ह्ह मेरी चूत्त्त्त्त्त अपने प्यारर के रस की नदी बहने वाली है. ऊम्ह्ह्ह्ह्ह्ह उम्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह उन्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अहह 

और निर्मला की चूत ने पानी छोड़ दिया. उसकी चूत से पानी की गरम नदी सी बह निकली. जिससे राज का लंड एक दम चिकना होकर चमकने लगा. राज अभी भी तेज़ी से अपनी कमर को हिला-2 कर निर्मला की चूत मे अपना लंड पेले जा रहा था.

निर्मला राज के ऊपेर से खड़ी हो गयी. राज एक दम झल्ला उठा.

राज : ये क्या कर दिया साली. अभी मेरे लौडे ने पानी नही छोड़ा है.

निर्मला: (रंडी की तरहा मुस्कुराते हुए) बाबू जी आपका जितना मन है मुझ चोद लो. बस मे आपके वीर्य की एक भी बूँद को अपनी चूत से बाहर नही गिरने देना चाहती.

ये कह कर निर्मला अपने दोनो घुटनो को चारपाई के किनारे पर रख कर आगे की तरफ झुक कर डॉगी स्टाइल मे आ गयी.

निर्मला: (राज की ओर वासना से भरी नज़रों से देखते हुए) आइए बाबू जी अपनी रांड़ को कुतिया की तरहा चोद डालिए.

राज चारपाई से खड़ा हो गया. और अपने घुटनो को थोड़ा सा मोड़ कर झुक कर अपने लंड को निर्मला की चूत की सीध मे ले आया. निर्मला आगे से नीचे झुक गयी. जिससे उसकी गान्ड बाहर की तरफ आने से, पीछे से उसकी चूत का छेद ऊपेर की ओर हो गया. उसकी चूत की फाँकें फैली हुई थी. और चूत के पानी से सनी हुई थी.

राज ने अपने लंड को पकड़ कर निर्मला की चूत के छेद पर लगा दिया. लंड का गरम सुपाडा फिर से अपनी चूत के छेद पर महसूस करके, निर्मला की मस्ती मे आँखे बंद हो गयी. और राज ने निर्मला की कमर को पकड़ कर अपनी कमर को आगे की तरफ धकेला. लंड का सुपाडा फिर से चूत की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर घुस गया. राज ने फिर से अपनी कमर को हिलाया. इस बार चूत गीले होने के कारण राज का लंड बिना कुछ रुकावट के अंदर जड तक घुस गया.

और राज ने बिना रुके अपनी कमर को हिलाते हुए, अपने लंड को अंदर बाहर करना चालू कर दिया. फिर से थप-2 और फॅक-2 की आवाज़ पूरे कमरे मे गूंजने लगी. और निर्मला की मस्ती से भरी सिसकारियाँ पूरे कमरे मे गूंजने लगी. निर्मला भी फिर से झड़ने के करीब थी. और राज के लंड की नसें भी फूलने लगी थी.

निर्मला: अह्ह्ह्ह बाबू जीईई आपके लंड मे कितनी जान है ओह मेरी चूत तो फिर से पानी छोड़ने वाली है ओह्ह्ह ओह बाबू जी मेरा होने वाला है ओह सीओिईईईईईईई उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अहह आह अहह अह्ह्ह्ह

और इसबार निर्मला के साथ-2 राज के लंड से भी वीर्य के गरम पिचकारियाँ छूटने लगी. निर्मला अपनी चूत की दीवारों पर बहते हुए राज के गाढ़े गरम वीर्य को महसूस करके मस्ती से सारॉबार हो गयी. थोड़ी देर राज ऐसे ही अपने लंड को निर्मला की चूत मे घुसाए खड़ा रहा.

निर्मला: बाबू जी अब तो निकाल लो. मुरली आने ही वाला हो गा.



राज ने जल्दी से अपने लंड को निर्मला की चूत से निकाल लिया. उसका लंड एक दम भीगा हुआ था. और वो कमरे मे इधर उधर किसी पुराने कपड़े को देखने लगा.

निर्मला: क्या ढूँढ रहे हैं बाबू जी.

राज : वो इसे सॉफ करना है.

निर्मला : रुकें मे कर देती हूँ.

और निर्मला चारपाई से नीचे उतरी. और जल्दी से अपनी ब्लाउस के हुक्स बंद करके अपनी साड़ी ठीक कर ली. फिर वो चारपाई पर बैठ गयी. और राज के आधे तने हुए लंड को हाथ मे लेकर राज की आँखों मे देखने लगी.

राज : देख क्या रही है जल्दी से इसे किसी कपड़े से सॉफ कर.

निर्मला ने राज की आँखों मे देखते हुए, राज के लंड के सुपाडे को अपनी जीभ निकाल कर चाटना शुरू कर दिया. और निर्मला ने राज के लंड को चाट-2 कर लंड पर लगे अपने और राज के काम रस को सॉफ कर दिया. फिर अपनी साड़ी के पल्लू से राज के लंड को अच्छी तरहा सॉफ कर दिया. 
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