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RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
उसने अपने बीते सेक्षुयल जीवन में दर्ज़नो कुँवारी लड़कियों को कली से फूल बनाया था और उस दौरान लड़कियों की इस मार्मिक दुर्गति से भी वह भली - भाँति परिचित था .... निम्मी कोई अनोखी नही, जो उसके मोटे सुपाडे की पहली चोट पर बेहोश हो गयी .... अक्सर रोज़ चुदने वाली रंडियाँ भी उसकी हैवानियत से बुरी तरह काँप जाया करती थीं .... वह तो उसकी चोदन क्षमता और लंड की विकरालता का प्रभाव है .... जो आज भी उसके नीचे से गुज़र चुकी लौंडीयाँ उसे याद कर, हमेशा अपनी चूत में बढ़ती खुजाल का अनुभव करती होंगी.
लेकिन यहाँ बात अब उन रंडियों से संबंधित नही रही थी .... निम्मी उसकी सग़ी छोटी बेटी है और दीप इस बात को अब तक नही भूला था, हलाकी उसे लग रहा था अपनी बेटी की इस बेहोशी के फ़ायडे में वह इक - दो करारे स्ट्रोक अपनी तरफ से मार दे ताकि बात उसके सुपाडे से आगे बढ़ कर आधे लंड तक पहुच जाए और बाद में तो निम्मी को होश में आना ही है.
वह अपने कंधे पर टिका अपनी बेटी का निष्प्राण चेहरा हाथो से थाम कर अपने चेहरे के ठीक सामने ले आया .... निम्मी की साँसे ज़ारी थी परंतु आँखें पूरी तरह से बंद और उसका चेहरा उसके दर्द को सॉफ बयान कर रहा था .... दीप से रहा नही गया और उसने अपनी बेटी के निच्छले होंठ को अपने होंठो के दरमियाँ फसा लिया .... अब वह उसके लोवर लिप को चूसने लगा, एक अजीब सी गंगनाहट से उसका स्वयं का जिस्म काँपने लगा .... इन्सेस्ट रिलेशन्स में आप भले ही संसर्ग स्थापित करने में कामयाब हो जाओ परंतु होंठो का चुंबन एक ऐसी कामुक अवस्था होती है जो हर शारीरिक सुख से परे जान पड़ती है.
यही इस वक़्त दीप के साथ हुआ .... कितने सॉफ्ट होंठ हैं उसकी बेटी के, चॉक्लेट ग्लॉस का हल्का - हल्का फल्वौर भी वह स्वाद के रूप में महसूस कर पा रहा था .... अब तक जो हुआ उसमें निम्मी सचेत थी लेकिन अब दीप अपनी मर्ज़ी से उसके लिप्स चूसने लगा .... वह इस अधभूत कल्पना में खो सा गया था और अपने हाथ से उसने बेटी के मुलायम गालो पर दबाव दिया .... उसका मूँह खुलते ही दीप ने उसकी गुलाबी जिह्वा को अपने होंठो के बीच फसा लिया और अब उसे खुद होश नही रहा कि कितनी देर तक उसने निम्मी के मुख का रस्पान किया होगा.
हौले - हौले उसकी बेटी भी अपने होंठो को हिलाने लगी .... उसके अचेत जिस्म में हलचल होने लगी और ज्यों ही दीप ने यह जाना .... उसने अपने हाथो को उसकी आर्म्पाइट्स के नीचे करते हुए ताक़त से उसे ऊपर खीचा और उसे अपनी नंगी छाती से चिपका लिया .... एक सोडा की बॉटल का ढक्कन खुलने पर जिस तरह की आवाज़ करता है .... ठीक वैसा ही साउंड दीप ने भी सुना क्यों कि उसका सुपाड़ा उसकी बेटी की टाइट चूत से बाहर निकल आया था.
" म्म्म्ममममममम डॅडी !!! " ........ निम्मी एक बार फिर दर्द से तड़प उठी .... दीप उसे सेम पोज़िशन में पकड़े हुए सोफे से उठ कर बेड की तरफ बढ़ने लगा ........ " बस अब सब ठीक है .. तू कोई फिकर मत कर .. मैं हूँ ना तेरे पास " ........ इतना कहते हुए उसने अपनी बेटी को बिस्तर पर पीठ के बल लिटा दिया और उसकी लंबी टाँगो को विपरीत दिशा में फैला कर खुद उनके दरमियाँ पसरने लगा.
चूत से ब्लड निकलना तो कब का बंद हो चुका था लेकिन वह बहुत ज़ख़्मी थी .... उसके होंठ भी अब काफ़ी खुले हुए नज़र आ रहे थे .... दीप एक बार फिर हरक़त में आया और उसने फॉरन निम्मी के सूजे भंगूर को चूसना शुरू कर दिया .... अपने वाइल्ड नेचर का बखूबी परिचय देते हुए उसे ज़रा भी घिन महसूस नही हुई कि वह एक खून से लिप्त चूत चाट रहा है .... उसके मश्तिश्क में तो बस कैसे भी कर अपनी बेटी को वापस होश में लाना घूम रहा था और साथ ही वह चाहता था .... बीते छनो में जो भी सूखापन निम्मी की चूत के अंदर आया था वह उससे जल्द ही मुक्त हो जाए.
" आआहह डॅड !!! पेन होता है " ........ निम्मी ने उसके बालो पर अपना हाथ रखते हुए कहा परंतु उसकी आवाज़ में लेशमात्रा भी पीड़ा भाव नही था .... या शायद अपने भज्नासे को अपने पारंगत पिता के अनुभवी होंठो द्वारा चूसा जाना उसे दोबारा मदहोशी से भरने लगा था.
" पागल लड़की !!! जब कुछ पता नही था तो इतनी जल्दबाज़ी की क्या ज़रूरत थी ? " ........ जब दीप जान गया उसकी बेटी अब पूर्ण रूप से अपना खोया होश सम्हाल चुकी है, वह उसकी टाँगो की जड़ से अपना मूँह ऊपर उठाते हुए बोला .... जाने निम्मी को उस वक़्त क्या महसूस हुआ और खुद - ब - खुद उसके चूतड़ अपने पिता के चेहरे के साथ ही ऊपर खींचे चले जाए .... जैसे दीप के होंठो में कोई मॅगनेट लगा हुआ हो .... या शायद वह चाहती थी कुछ देर और दीप उसकी ज़ख़्मी चूत चाटे जिसमें से अब वापस रति - रस का अनियंतित बहाव बहना शुरू हो चुका था.
" तू अब कुँवारी लड़की नही रही .. पता है ना तुझे ? " ......... दीप ने एक आख़िरी बार अपनी बेटी की अति नाज़ुक व रस भीगी चूत का गहरा चुंबन लेते हुए उससे पूछा और इसके बाद वह उसके समानांतर अपनी पीठ के बल लेट गया .... ज्यों ही उसने अपना चेहरा निम्मी की तरफ मोड़ा .... वह उसे मुस्कुराती दिखाई पड़ी .... दीप यह देखते ही असीम आनंद में पहुच गया, अब उसकी बेटी के खूबसूरत तंन के साथ उसके अविकसित मन पर भी उसका पूरा नियंत्रण हो चला था.
" देख कितना रोई थी तू !!! चल छोड़ अब घर चलते हैं .. इससे आगे जाना ठीक नही " ........ वह अपने लंड के सुपाडे की तरफ इशारा करते हुए बोला जिस पर अपनी ही सग़ी बेटी का कुँवारापन नष्ट करने का साक्ष्य लगा हुआ था .... लेकिन निम्मी उसकी इस बात पर स्तंभ रह गयी .... उसकी चूत तो अब भी अपने पिता का विशाल लॉडा खाने को मचल रही थी और उसकी हसरत भरी निगाहें बड़ी लालसा लिए दीप के खड़े लंड पर टिकी हुई थी.
दीप ने जब देखा निम्मी उदास होने लगी है .... वह बिस्तर से फॉरन उठ कर अपनी बेटी के नंगे जिस्म के ऊपर लेट गया ....... " चल नाराज़ मत हो लेकिन यह बात हमारे बीच राज़ रहेगी .. वादा कर मुझसे " ....... अपने पापी पिता के इस कथन पर निम्मी की आँखें खुशी डॅब्डबॉ गयी और दीप ने उसे अपनी बाहों में समेट लिया.
" डॅड !!! मैं आप से बहुत प्यार करती हूँ .. प्लज़्ज़्ज़ मुझे अपना बना लो " ......... निम्मी के यह कॉन्फिडेन्स भरे शब्द सुन कर दीप को कामसुरता के आख़िरी पड़ाव को पार करने की पूर्ण मंज़ूरी मिल गयी ........ " मैं भी बेटा " ......... और यह कहते हुए उसने अपना रक्त रंजित सुपाड़ा अपनी बेटी के ज़ख़्मी चूत मुख पर सटा दिया .... जिसके पश्चात ही निम्मी ने अपने जबड़े ताक़त से भींच लिए.
" कुछ दुखन तो नही है ना ? ......... दीप ने अपनी कमर को हल्का सा झटका देते हुए पूछा.
" उफफफफफ्फ़ ..... म्म्म्ममममममम !!! न .. न .. नही है " ........ अपने दर्द को पिता पर ज़ाहिर ना करते हुए निम्मी सिसकी परंतु वह अंजान भी नही थी .... वह अच्छे से जानती थी उसके पिता ने यह बात पास्ट में कयि लड़कियों से पूछि होगी लेकिन यह तो अपवाद था जो वे इस तरह आमने सामने आए थे.
चूत के ल्यूब्रिकेशन से अपने सुपाडे को भिगाने के बाद दीप ने देर नही की और उसने निम्मी की जाँघो को ऊपर उठाते हुए उसकी गोल मोटी चूचियों से जोड़ दिया .... चूत उसके विकराल लंड का पहला झटका खाने के बाद अब काफ़ी खुल चुकी थी और दीप ने अपने सुपाडे को उसके ऊपर टारगेट करते हुए बड़े आराम से उसे अंदर धकेला.
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RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
वहीं दीप के बदन में ज़ोरदार झटका लगा .... इस वक़्त उसकी बेटी ना तो मदहोश थी और ना ही ज़रा भी उत्तेजित फिर कैसे उसने अपने पिता के सामने चूत शब्द का इतना क्लियर इतेमाल कर लिया .... सुन कर वह हैरान हुआ ...... " ले टॅबलेट खा ले .. ठीक हो जाएगी " ...... उसने पोलिबॅग में से पेन किल्लर और पिल .... दोनो एक साथ निकाल कर निम्मी की तरफ बढ़ा दी.
" टॅबलेट तो खा लूँगी डॅड पर आप देखो तो सही मेरी चूत की हालत कैसी है .. क्या अब यह हमेशा ही ऐसी रहेगी ? " ....... निम्मी के अगले अश्लील संवाद ने दीप को उसकी चूत देखने पर मजबूर कर दिया ...... " कम से कम कपड़े से सॉफ ही कर लेती " ...... निम्मी के ऑर्गॅज़म के साथ ही ब्लड का मिक्स्चर सूख कर उसे दूर से भी बेहद ज़ख़्मी शो कर रहा था और यह देख कर दीप थोड़ा सकते में आ गया.
" वाह डॅड !!! क्या मतलब निकल जाने के बाद आप हर लड़की को ऐसा ही कहते हो .. मज़े आप ने लिए हैं .. अब आप ही सॉफ करो इसे " ...... निम्मी बेशर्मी से अपनी टाँगो को विपरीत दिशा में फैलाते हुए मुस्कुराने लगी .... दीप फ्लोर पर खड़ा था और फॉरन उसके बदन में कंपन होने लगा .... बेटी के नंगे बदन ने वापस उसके लंड में तनाव लाना शुरू कर दिया था और साथ ही वह जान गया कि निम्मी उसके साथ बातों में भी खुलना चाह रही है.
" अच्छा !!! मज़े सिर्फ़ मैने ही लिए हैं क्या ? " ......... यह कहते हुए दीप सोफे की तरफ बढ़ गया .... उसे इस हिचकिचाहट में भी एक अलग आनंद का अनुभव हुआ .... ज़ाहिर है, इन्सेस्ट प्ले में इंटरकोर्स से कहीं ज़्यादा सॅटिस्फॅक्षन सेक्सी और वल्गर कॉन्वर्सेशन से आता है .... जो रिलेशन्स पहले इक पर्दे में हों, बेहद सॉफ और शुद्ध हों .... अगर अश्लीलता और लुस्ट से भर जाएँ, तो सिर्फ़ बातों से ही लोगो का पानी छूट जाना संभव हो जाया करता है.
" क्या कहा डॅड !!! आप को मज़े नही आए लेकिन मेरी फटी चूत तो कोई अलग ही कहानी बयान कर रही है " ........ बात पूरी करने से पहले निम्मी ने बड़ी बेशर्मी से अपनी इंडेक्स फिंगर को अपने मूँह में डाल कर थोड़ी देर चूसा और फिर उसे अपनी चूत की ज़रूरत से ज़्यादा खुल चुकी पंखुड़ियों के बीच रगड़ने लगी ......... " आअहह डॅडी !!! एक बात पूच्छू ? " ......... वह अपने पिता को टीज़ करते हुए बोली .... वहीं उसकी आँखों में वासना के लाल डोरे तैरते देख दीप को ए/सी में भी पसीना आने लगा.
" हां - हां पूच्छ .. क्या पूच्छना चाहती है ? " ......... दीप लालायित होकर बोला .... वह जानता था निम्मी ज़रूर कोई लज्जावीहीन सवाल ही करेगी लेकिन फिर भी वह आतुर था उसका सवाल सुनने के लिए.
" अब तक आप मेरी उमर की कितनी मासूम लड़कियों की चूत इतनी बुरी तरह से फाड़ चुके हो और हमेशा यहीं लाते हो ना कुँवारी कलियों को ? " ........ निम्मी ने अपने मोटी से दाँत बाहर निकालते हुए पूछा ..... बेड पर अपने पिता के सामने भरी जवानी में पूरी नंगी, अपनी चूत खुजाती वह किस छोर से किस छोर तक मासूम थी .... इसका जवाब तो शायद ऊपरवाला भी धरती पर आ कर नही दे सकता था.
" क्यों !!! क्या मेरी बीवी से शिक़ायत करेगी ? ....... बात कहते वक़्त दीप मुस्कुरआया .... पॅंट के अंदर उसके खड़े लंड का ज़ोर था जो अब वह भी खुल कर इन सब वाइल्ड बातों को एंजाय करने का मन बनाने लगा था.
फॉरन निम्मी बेड से नीचे उतर कर सोफे की तरफ अपने कदम बढ़ाने लगी .... उसकी लड़खड़ाती चाल, उसके गोल मटोल चूतड़ मटकाने का कार्य स्वतः ही किए जा रही थी .... चलते वक़्त वह अपने पिता की आँखों में घूर कर देख रही थी .... उसके ठोस बूब्स बिना ब्रा के बेहद कसे हुए थे, जैसे उनमें सिवाए माँस या हवा के कुछ और भरा ना ही हो .... ज्यों - ज्यों निम्मी का नंगा जिस्म उसके पिता के करीब आता गया, दीप की साँसें उसकी रूह का साथ छोड़ने लगी, आख़िर कार निम्मी उसकी सामने आ कर खड़ी हो गयी.
" मैं क्यों शिक़ायत करने लगी भला आप की बीवी से " ......... वह अपने पिता की टाँगो के बीच अपनी राइट टाँग रखते हुए आगे को झुक गयी .... भला हो उसका जो उसने अपनी टाँग सीधे दीप के तने लंड पर नही रखी वरना पक्के से दीप अकारण ही झाड़ जाता ....... " अब से मैं भी तो आप की बीवी ही हूँ डॅड " ........ निम्मी की इस बिंदास बोली पर दीप चौंक गया .... उसकी यह बात सुनते ही उससे कंट्रोल नही हो पाया और उसके लंड ने उसकी अंडरवेर में रिसना शुरू कर दिया.
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RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
" निम्मी शरम कर थोड़ी .... तू इतनी बेशरम कैसे हो गयी ? " ........ उसने अपने लफ्ज़ पूरी तरह से कह नही पाया कि उसकी बेटी ने अपनी वही उंगली .... जिससे वह कुछ देर पहले अपनी चूत की फान्खो पर रगड़ दे रही थी .... थोड़ी देर अपने पिता के खुले होंठो पर फेर कर उसके मूँह के अंदर थेल दी ......... " ष्ह्ह्ह्ह्ह डॅड !!! अब बस करो यह शरम का ढोंग, हम इससे बहुत आगे निकल आए हैं .. क्या अब भी हम एक दूसरे का लिहाज़ करें, जब कि मैं आपका लंड चूस चुकी हूँ .. आप मेरी टांगे फैला कर मेरा कुँवारापन्न लूट चुके हो .. नही डॅड अब हमे इस दीवार को मिटा कर अपनी लाइफ .. पूरी तरह से एंजाय करनी चाहिए " ......... निम्मी ने उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा.
उसका लुस्थफुल्ली संवाद सुनकर दीप के होश उड़ गये .... वह हैरान रह गया जैसे उसके सामने उसकी बेटी नही कोई अजूबा खड़ा हो .... उससे कोई जवाब देते नही बॅन पाया, हलक से आवाज़ बाहर आती भी तो कैसे .... निम्मी ने अपनी उंगली उसके मूँह में घुमानी जो शुरू कर दी थी.
" क्या सोच रहे हो डॅड !!! ओह कम ऑन .. प्लज़्ज़्ज़्ज़ मुझे बताओ ना अब तक आप कितनी लड़कियों को कली से फूल बना चुके हो ? " ....... निम्मी ने अब अपनी उंगली उसके मूँह से बाहर खीच ली और खुद उसे चूसने लगी .... ऐसा करते ही इक सनसनी उसके नंगे बदन में समाने लगी और उसकी चूत का पिघलना शुरू हो गया.
" बस कर निम्मी !!! तेरी बातों से मुझे शरम आने लगी है .. यह अचानक से इतनी निर्लज्ज कैसे हो गयी तू ? " ....... अपनी बेटी का रॅनडिपना देख कर दीप पानी पानी हुआ जा रहा था .... भले उसने अपने जीवन में हमेशा इसी खुलेपन्न वा नन्ग्पन्न की कल्पना की थी लेकिन कहाँ जानता था कि इसको अंजाम तक उसकी सग़ी बेटी ही पूछने में जुट जाएगी.
वहीं निम्मी हस्ती हुई उसकी गोद में बैठ गयी ....... " उफफफफफ्फ़ !!! आपको उस वक़्त शरम क्यों नही आई डॅड .... जब आपने अपना लंड दोबारा अपनी मर्ज़ी से मेरे मूँह में डाला था " ........ वह अपनी गान्ड पर अपने पिता के विकराल लौडे की छुअन से मदहोश हो कर उसका कान चाटने लगी.
वहीं दीप से ज़रा भी सबर नही हो पाया .... अब वह कुछ और नही सोचना चाहता था सिवाए इसके कि उसकी गोद में एक जवान नंगी लड़की बैठी है और जल्द ही वह अपनी बेटी की अन्छुइ चूचियों को अपने कठोर पंजो में जकड़ने लगा ......... " आऐईयईईईईई डॅड !!! बेटी समझ कर दबाओ .. दर्द होता है " ......... निम्मी अपनी गान्ड को उसके खड़े लंड पर रगड़ती हुई सिसकी .... दीप तो जैसे मंत्रमुग्ध था उसके बूब्स की सुंदर कसावट पर.
" निम्मी !!! मैं अब तक बहुत तडपा हूँ लेकिन तू ठीक कहती है .. हम बाप बेटी के रीलेशन से बहुत आगे निकल चुके हैं और अब हमे खुल कर एंजाय करना चाहिए " ....... दीप अपना चेहरा बेटी की मांसल चुचियों पर झुकाते हुए बोला .... उसकी मंशा अब निम्मी के बड़े बड़े उरोजो का रास्पान करने की होने लगी थी.
" डॅड !!! आइ लव यू .. अब मैं आप को कभी तड़पने नही दूँगी .. आप ने कहा था ना मैने आप को अपना दूध नही पिलाया .. सक देम डॅड .. सब आप के लिए ही है, सिर्फ़ आप के लिए " ....... निम्मी उत्तेजना के भंवर में गहरे गोते लगाती हुई बोली .... अपने बाप के ज़ालिम होंठो का स्पर्श अपने बूब्स के तने निपल पर महसूस कर वह सिरहन से काँपने लगी थी ....... " चूसो डॅड .. सक देम हार्डर " ....... अपने हाथो से अपनी चूचियाँ पकड़ कर अपने पिता के मूँह मे डालती हुई वह ज़ोरों से उन्हे मसल्ने लगी.
दीप ने किसी छोटे बच्चे की भाँति अपनी बेटी के दाँये निपल को अपने कड़क होंठो से चूसना शुरू कर दिया .... जैसे - जैसे उसकी कामोत्तजना बढ़ी वह निपल को हल्के दांतो से काटने भी लगा, बड़ा अजीब एहसास था यह .... दोनो चन्द लम्हों में जैसे पूरी तरह से पागल हो गये थे ....... " ओउउउउउउउउउउउछ्ह्ह्ह !!! डॅड नहाने चलें ? " ........ एग्ज़ाइटेड निम्मी की चूत वापस तैयार हो चुकी थी अपने पिता का मूसल अंदर लेने के लिए .... वह दीप की शर्ट के बटन ओपन करती हुई बोली.
दीप पर तो जैसे उसकी बात का कोई असर ही नही हुआ और अब वह उसके बाएँ निपल पर अपने दाँत गढ़ाने लगा था ......... " ह्म्म्म्म डॅड !!! चा .. चलो ना बाथरूम चलते हैं " ......... निम्मी की आँखों मे शरारत, वासना और बेशरामी की पराकाष्ठा उतर आई थी .... उसके पिता ने जिस बेरहमी और कठोरता से अपनी बेटी के विकसित उरोज चूसे और दबाए थे .... निम्मी तो बहती ही जा रही थी.
" उफफफफफ्फ़ डॅड !!! आज ही चूस लोगे क्या सारा दूध .... मुझे नहाना है, आप चलो .. अपने हाथो से नहलाना अपनी बेटी को " ......... निम्मी ने उसकी शर्ट को उसके जिस्म से उतार कर दूर फेंक दिया और किसी काम लूलोप रंडी की तरह ज़ोरदार आँहे भरने लगी .... ज़ाहिर था नीचे उसकी बहती चूत के मुहाने पर दीप के खड़े लंड की अग्रिम चोटें उसकी सहनशक्ति से बाहर हो चली थी.
" नही निम्मी !!! दूसरे राउंड के लिए तू तैयार नही है अभी .. हमे वापस घर भी जाना है " ......... दीप ने कुछ देर सोच कर जवाब दिया .... उसे डर था कहीं निम्मी की बिगड़ी चाल - ढाल घर पर चर्चा का विषय ना बन जाए .... हलाकी उसकी बेटी का कुँवारापन्न ख़तम हो जाने से अब कितने भी राउंड चुदाई की जा सकती थी लेकिन दीप ज़्यादा रिस्क नही लेना चाहता था.
" मेरी चूत में आग लगी है डॅड और मुझे आप का मोटा लंड चाहिए इसके अंदर " ......... निम्मी मचल कर बोली .... उस पर अपनी पिता की समझाहीश का कोई असर नही हुआ था बल्कि वह सोफे से उठ खड़ी हुई और दीप का पॅंट उतारने लगी.
" समझा कर निम्मी !!! मैं रात में तेरे कमरे में आउन्गा ना लेकिन अभी मान जा बेटा " ........ दीप के मूँह से निकले सारे शब्द झूठे साबित हुए जब उसने अपने कूल्हे उचका कर अपनी पॅंट उतारवाने में अपनी बेटी की मदद की .... निम्मी के हाथो की तेज़ी देखने लायक थी और जल्द ही उसने अपने पिता को अपने जैसा नंगा कर दिया.
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