11-02-2018, 11:35 AM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
आधा रास्ता पार किया था कि मोसम ने करवट ले ली तेज हवा चलने लगी कुछ कुछ आँधी सी तो मैं गाड़ी को थोड़ी कम स्पीड से लहराते हुवे हवेली की ओर जाने लगा था और जब मैं वहाँ से कुछ दूर ही था तो बूँदा-बूँदी शुरू हो गयी थी काली स्याह रात और ये बिन मोसम की तेज हवा और बारिश मेरे कानो मे ऐसी आवाज़ आई की जैसे कहीं पर सियार रो रहे हो
मेरा दिल में एक सर्द लहर दौड़ गई पता नही आज क्या होने वाला था जब मैं हवेली पहुँचा तो गेट पर कोई भी नही था चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था पता नही सभी लोग कहाँ गये ये सोच कर मेरा दिल धड़क उठा . मैने गाड़ी पार्क की और मैं धड़कते दिल से अंदर बढ़ा तो वहाँ पुष्पा खड़ी थी
मैं दौड़ कर उसके पास गया वो भी मेरे गले लग गयी मैं उस से पूछने ही वाला था कि ये सब क्या हुआ और क्या वो ठीक है पर तभी साला धोखा हो गया शरीर मे दर्द के लहर दौड़ती चली गयी , बड़ी सी साफ़गोई से पुष्पा ने पीठ मे खंजर घोप दिया था ये धोखा किया उसने पर क्यों पुस्स्स्स्स्स्शपा……. मेरे मूह से कराह निकली उसने एक वार और किया और मैं ज़मीन पर आ गिरा उसके कदमो में .
मेरी ओर हिकारत से थूकते हुए पुष्पा बोली साले आज तेरी मौत के साथ ही ठाकुरों के इस वंश का अंत हो जाएगा उसने मेरी पसलियो मे एक कसकर लात मारी तो मैं दर्द से दोहरा होता चला गया मैने दर्द भरी आवाज़ मे पूछा कि क्यों किया तुमने ऐसा मैने क्या बिगाड़ा तुम्हारा तो वो बोली मेरा नही पर उनका ज़रूर , ज़रा देख उधर , मैने निगाह दरवाजे की ओर की
तो वहाँ पर लक्ष्मी खड़ी थी, लक्ष्मी जिस पर मुझे शक़ तो हो ही गया था पर इस टाइम मैं खुद बेबस सा था , वो आकर सोफे पर बैठ गयी और उसने एक सिगरेट जला ली फिर उसने किसी को फोन किया और कहा कि हाँ वो इधर ही है तुम पीछे से आ जाओ तो थोड़ी देर बाद एक शख्स और दाखिल हुआ जिसे देख कर मैं और भी हैरत मे पड़ गया ये थे मुनीम जी जो की अब बिल्कुल सही थे और बिना किसी की सहायता के खड़े थे .
मुनीम ने भी आकर मुझे ठोकर मारी और मेरे उपर घूँसो की बोछार कर दी, मैं दर्द से तड़पने लगा पीठ से खून बहे जा रहा था कुछ ही देर मे ठाकुर राजेंदर, मेरे मामा और धनंजय और उसके पिता भी वहाँ पर आ गये थे अब कुछ कुछ माजरा मेरी समझ मे आया कि ये सब इन लोगो का मास्टर प्लान था मुझे नाहर गढ़ बुलाना और पीछे से हवेली की सुरक्षा व्यवस्था को ध्वस्त कर देना ताकि आसानी से मेरा शिकार किया जा सके
कलियुग मे आज फिर एक अभिमानु कौरवों के चक्रवहू मे फँस गया था , मुझे मेरा अंत आँखो के सामने दिख रहा था और मैं बुरी तरह से लाचार था बेबस था मदद की बड़ी शिद्दत से ज़रूरत थी उस समय पर कॉन आता धनंजय ज़हरीली हसी हँसते हुए मेरे पास आया और मुझे खड़ा करता हुआ बोला देव ठाकुर आज दिखाओ तुम्हारी मर्दानगी, आज करो मुझ पर वार और कस कर एक घूँसा मेरे पेट मे जड़ दिया
किसी तरह से खुद को संभालते हुए मैने कहा, कुत्ते की औलाद सालो धोखे से घेर लिया तुमने हिम्मत थी तो सामने से हमला करते और उसके मूह पर थूक दिया तो फिर उसने मुझ पर हमला करना शुरू कर दिया काफ़ी देर तक वो मुझे मारता ही रहा फिर लक्ष्मी खड़ी हुई , और बोली नही छोटे ठाकुर बस अब रुक जाओ कही मर मरा ना जाए इसके प्राण निकलने से पहले सारे डॉक्युमेंट्स पर इसके साइन तो लेलो वरना फिर दिक्कत होगी
और फिर वैसे भी मरने से पहले, इसे पता तो होना चाहिए कि आख़िर आज हम इसकी मौत का जशन क्यो मनाएँगे, धनंजय ने मुझे छोड़ा और मैं नीचे ज़मीन पर गिर पड़ा ,मैने कहा पर तुम लोग तो मेरे अपने हो फिर मुझे क्यो मारना चाहते हो, मैं तो तुम्हारी दुनिया से बहुत दूर था फिर क्यो मुझे बुलवाया तुमने, लक्ष्मी मेरे चेहरे पर सिगरेट का धुआ छोड़ते हुवे बोली क्या करे देव बाबू मजबूरी थी हमारी भी
तुम्हारे दादा ने वसीयत ही कुछ ऐसी लिखी थी कि अगर ओफ्फिसीयाली तुम ना आते तो सब कुछ अनाथालय को चला जाता और हम रह जाते ठन ठन गोपाल पर इन पैसो से ज़्यादा मेरी रूचि थी अपना बदला पूरा करने मे, जो आग मेरे सीने मे धड़क रही है आज तेरे खून से वो बुझेगी अब करार आएगा मुझे .लक्ष्मी ने एक जोरदार अट्टहास किया मैने पुष्पा की ओर देखा ,
वो हँसने लगी मैने कहा तुम्हे तो दोस्त माना था तुमने ऐसा क्यो किया तो ठाकुर राजेंदर बोले वो हमारा मोहरा है मेरे प्यारे भान्जे,लक्ष्मी ने छुरी उठाई और मेरे सीने पर हल्के हल्के कट लगा ने लगी मैं दर्द से बिलखने लगा खून से सने चाकू को चाट ते हुए लक्ष्मी बोली देव, जानते हो तुम्हे ये सज़ा जो मिल रही है वो सब तुम्हारे बाप के कर्मों का फल है
|
|
11-02-2018, 11:36 AM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Parivar Mai Chudai रिश्तों की गर्मी
हाँ देव तुम्हारा बाप कोई साधुसंत नही था बल्कि एक नंबर का ऐय्याश था ना जाने गाँव की कितनी औरतो को उसने अपने नशे और गुरूर के नीचे कुचल दिया था . देव आज तुम्हारे खून से नहा कर मैं शुद्ध हो जाउन्गी इस बार चाकू कुछ ज़्यादा अंदर तक घुस गया था तो मैं दर्द से दोहरा हो गया था लक्ष्मी अपनी धुन मे थी वो एक और नया जख्म बनाते हुए बोली
देव , जानते हो इस बदले की आग मे मैं कितना जली हू, मैने तुम्हारे बाप का कतल करते हुए कसम खाई थी , कि मैं उसके वंश को ही मिटा दूँगी, और फिर जब मुझे पता चला कि तुम्हारे दादा ने वसीयत बना दी है तो फिर उनको भी रास्ते से हटा कर तुम्हे इधर बुलवा लिया गया और अब देखो आज बरसो की मेरी प्यास शांत होगी लक्ष्मी पागलो की तरह हँसने लगी
उसने कहा चिंता मत करो सब कुछ जाने बिना तुम्हारी जान नही निकलने दूँगी , तो देव बात उन दिनो की है जब मैं ब्याह कर बस आई ही थी कुछ रस्मों के बाद, मेरी पति बड़े ठाकुर का आशीर्वाद दिलाने मुझे इसी मनहूस हवेली मे लेकर आए थे, यहीं पर उस शैतान जो तुम्हारा बाप था उसकी हवस की गंदी निगाह मुझ पर पड़ गयी अब उसका रुतबा था गाँव मे , उसके आगे कोई आवाज़ नही उठा ता था
नशे मे चूर उस शैतान ने इसी हवेली मे मेरी अस्मत का शिकार किया पूरी हवेली मे मेरी चीख गूँजती रही पर किसी ने भी मेरी मदद नही की मैं रोती बिलखती रही पर मेरी चीखे इधर ही दब गयी कहाँ तो मैं एक नयी नवेली दुल्हन थी और कहाँ अब मैं क्या से क्या हो गयी थी उस हवस के पुजारी ने मुझे बर्बाद कर दिया था उसी दिन मैने ठाकूरो का समूल नाश करने की सौगंध उठा ली थी और तकदीर देखो देव बाजी मेरे हाथ मे आती चली गई .
मैं अपने दर्द से जूझता हुवा ज़मीन पर पड़ा उनकी बाते सुनरहा था और वो लोग भी किसी तरह से जल्दी मे नही लग रहे थे बल्कि उनका मकसद तो देव को तडपा तडपा कर मरना था कुछ देर के लिए उस कमरे मे चुप्पी सी छा गयी पर क्या ये खामोशी किसी आने वाले तूफान की तरफ इशारा कर रही थी, फिर ठाकुर राजेंदर ने उस सन्नाटे को तोड़ते हुवे कहा कि
चलो अब बहुत हुआ लक्ष्मी तुमने इसे बता ही दिया कि आख़िर क्यों हम लोग इसे मारने वाले है रही सही कसर मैं पूरी कर देता हू, देव बबुआ, तुम्हारे आय्याश बाप ने हमारी भोली भाली बहन को अपने जाल मे फँसा लिया था तुम्हारा बाप था ही एक नंबर का कमीना लोग अक्सर कहते है कि हमने अपनी बहन को मार दिया पर सच्चाई ये है कि उसने आत्महत्या की थी
देव के लिए ये एक और शॉक था , उसने दर्द भरी आवाज़ मे कहा नहीं आप झूठ कह रहे हो उनको तो नानी ने जहर दिया था तो ठाकुर राजेंदर हँसते हुवे बोले ना ना मुन्ना , तुम्हारी माँ को भी तुम्हारे पिता के गुलच्छर्रों के बारे मे पता चल गया था तो इसी लिए उनकी बेवफ़ाई से आहत होकर उसने जहर खा लिया जिसका इल्ज़ाम मेरी माँ पर लगा और उन्हे जेल जाना पड़ा पर आज तुम्हारे खून से इस हवेली को पवित्र किया जाएगा ठाकूरो का सूरज अब कभी नही उगेगा ,
देव भली-भाँति ये समझ गया था कि ठाकुर राजेंदर सही कह रहे थे उसकी हालत खराब थी और अब बच पाना मुश्किल था उसने देखा कि लक्ष्मी ने वो छुरी मेज पर रख दी है और शराब के गिलास को उठा कर चुस्कियाँ ले रही थी तो उसकी आँखे उस छुरी पर जैसे जम गयी थी उसने सोचा कि वो ऐसे ही नही मरेगा किसी मज़लूम की तरह उसकी रगों मे वीरों का खून दौड़ रहा है
अगर वो मरेगा तो अपने साथ इन सब को लेकर ही मरेगा पर कैसे, कैसे, आख़िर कर उसने अपना निर्णय ले लिया कि तभी धनंजय उठा और बोला पिताजी इसने मेले मे बहुत मारा था मुझे तो ज़रा मुझे भी मोका दीजिए हाथ सॉफ करने का तो राजेंदर हँसता हुआ बोला हाँ मेरे बेटे हम क्यो नही तो धनंजय उठा और देव के पेट मे एक लात मारी , लात पड़ते ही उसके मूह से खून निकल गया
पर तभी शायद किस्मत को भी उसपर तरस आ गया था , शायद तकदीर भी नही चाहती थी कि अर्जुनगढ़ का आख़िरी चिराग इस कदर बुझे धनंजय ने उसे उठा कर पटका तो वो मेज के पास जा गिरा पल भर मे ही वो तेज धार छुरी देव के हाथ मे आ गयी थी कोई कुछ समझ पाता उस से पहले ही देव ने अपना काम कर दिया था मुलायम मक्खन की तरह धनंजय की गर्दन को वो छुरी चीरती चली गयी
गले की नस कट ते ही खून की गढ़ी धारा लबा लब बहने लगी थी किसी के कुछ समझ पाने से पहले ही धनंजय की लाश ज़मीन पर गिरी पड़ी थी अचानक से ही देव को अटॅक करते देख सभी हैरान रह गये थे पुष्पा ने पिस्टल से तुरंत ही देव पर फाइयर किया पर वो सोफे की आड़ मे बच गया और फिर अगले ही पल वो छुरी पुष्पा के पेट मे धसती चली गयी थी वो बस आहह करती ही रह गयी थी
पुष्पा की आत्मा परमात्मा मे विलीन हो गयी थी पर अभी भी तीन लोग बचे हुए थे देव को मुनीम का ध्यान नही रहा था और यही पर मुसीबत और बढ़ गयी थी मुनीम की बंदूक से निकली गोली उसके पैर मे धँस गयी देव के गले से चीख उबल पड़ी जो सारी हवेली मे पसरे सन्नाटे को चीर गयी थी गोली लगते ही वो ज़मीन पर गिर पड़ा और ठाकुर राजेंदर ने उसे दबोच लिया और पागलों की तरह उस पर लात-घुसे बरसाने लगे थे देव का चेहरा बुरी तरह से लहू लुहान हो गया था
देव को मदद की बहुत ज़रूरत थी पर मदद का तो कोई सवाल ही नही था आज की रात बहुत लंबी होने वाली थी राजेंदर पागलो की तरह उसे पीटे जा रहा था तो लक्ष्मी ने उसे देव से दूर किया और बोली क्या कर रहे हो ठाकुर साहब अभी हमे कुछ देर इसको जिंदा रखना है , उसने मुनीम को इशारा किया तो वो कुछ पेपर्स ले आया लक्ष्मी देव के पास आई और बोली कि साइन कर इनपर तो देव ने उसके मूह पर थूक दिया पर लक्ष्मी पर कुछ असर नही हुई वो बोली वाह रे तेरा घमंड अभी तक नही टूटा
उसने अपने बालो से क्लिप खोली और देव की कलाई मे घोप दी उसकी चीख एक बार फिर से गूँज गयी वो हँसते हुवे बोली देख उस दिन ऐसे ही मेरी चीखे इस हवेली की छत से टकराते हुए दम तोड़ रही थी आज मुझे बहुत सुकून मिलेगा आज मेरे जीवन का बहुत महत्वपूर्ण दिन है तुझे मैं ऐसे नही मारूँगी तुझे मारने से पहले मैं तेरे साथ रास रचाउन्गी तू भी क्या याद करेगा
|
|
|