Kamukta Kahani कलियुग की सीता—एक छिनार
11-12-2018, 12:23 PM,
#11
RE: Kamukta Kahani कलियुग की सीता—एक छिनार
जैसे इंडिया गेट फाड़ के अंदर घुश आए हो.मैं दर्द से बिलबिला रही थी लेकिन अब्दुल ख़ान पर कोई असर नही….वो मेरी कोमल कोमल चूचियों को बेरहमी से मसल्ते जा रहे थे…चूचियों को मसलवा कर थोड़ी मस्त तो हुई लेकिन अगले ही पल ऐसा शॉट मारे मेरी चूत पर कि अब्दुल ख़ान का पूरा का पूरा लंड आपकी सीता की चूत के अंदर…मेरी चूत मे पानी भर आया था …मेरे रोने की आवाज़ सुनकर पतिदेव बेड के नीचे दुबक गये थे….अब्दुल ख़ान ने अपना लंड मेरी चूत से बाहर खिचा और रिंग पर दो तीन बार रगड़ के फिर से मेरी चूत मे घुसा दिया…इस बार एक ही बार मे वो अपना पूरा लंड चूत की जड़ तक पहुचा दिए….उनका बंपिलाट लंड मेरी चूत मे शान से चहलकदमी कर रहा था जैसे ताज़ होटेल मे घूम रहे हो…..अब तो अब्दुल ख़ान अपना लंड चूत के मुहाने तक खिचते और ऐसा धक्का मारते की लंड सीधे बच्चेदानी से टकराता…..मेरे मूह से हाई हाई निकल्ने लगी थी….अब्दुल ख़ान रुके तो मैने उनको नीचे करते हुए लंड पकड़ा और अपनी चूत मे घुस्सा लिया……उईईईईई मम्मी,अब्दुल ख़ान पूरे कसाई थे…….मैने अपने बालो को एक हाथ से पकड़ के जुड़ा बना लिया और दूसरे हाथ को होठों के बीच दबाकर चुदाने लगी………अब्दुल ख़ान नीचे से जोरदार ठप पे ठप दिए जा रहे थे और मेरे चीखने की आवाज़ पूरे कमरे मे गूँज रही थी,मेरे नामार्द पतिदेव हाथ मे नूनी लिए हुए मेरी चीख सुनते रहे और फिर हाथ मे ही झाड़ गये…..मैं बहुत थक गयी थी चुद्ते चुद्ते,धक्को का जवाब नही देती तो अब्दुल ख़ान मेरे चूतडो पर थप्पड़ लगा देते और फिर मजबूरी मे मेरी कमर चलने लगती.अचानक अब्दुल ख़ान ने मुझे नीचे लेटा कर सुपर फास्ट एक्सप्रेस बना दिया,मुझे अब बर्दास्त नही हो रहा था,सो मैं दौड़ के कमरे से बाहर भागी….अब्दुल ख़ान भी पीछे लपक लिए…..बाहर मेरा भाई बबलू खड़ा था,शायद मेरी चीख सुनकर दौड़ता आया था…देखते ही उसने अब्दुल ख़ान को रोकने की कोशिश की लेकिन अब्दुल ने उसे एक थप्पड़ मारा तो ज़मीन चाटने लगा.ख़ान ने हंसते हुए कहा,बबलू,”तेरी सीता दीदी की चूत बहूत मस्तानी है,लेकिन चूत बहुत टाइट है….इसलिए मेरा लंड बर्दास्त नही कर पा रही.चुदने से तो तू आज अपनी सीता दीदी को बचा नही सकता…हां,थोड़ा तेल लाएगा तो सीता डार्लिंग को चुदने मे दर्द नही होगा”
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11-12-2018, 12:23 PM,
#12
RE: Kamukta Kahani कलियुग की सीता—एक छिनार
बबलू फ़ौरन किचन से तेल ले आया और पहले अब्दुल ख़ान के मूसल पर चुपड के नहला दिया…फिर जिस हाथ मे मैने राखी बाँधी थी उसी हाथ से मेरी चूत पर भी तेल लगा के मालिश करने लगा…चूत के बहुत अंदर तक मेरे भाई ने तेल लगाया ताकि मुझे दर्द ना हो….राखी का फ़र्ज़ पूरा कर दिया था उसने…उसके हाथ पर राखी चमक रही थी और मेरी चूत पर रिंग….

बबलू ने मेरी चूत की दीवारो को फैला कर अब्दुल ख़ान के मूसल लंड को घुसने को रास्ता दिया..बस फिर क्या था ,अब्दुल ख़ान ने अपना लंड मेरी चूत मे घुसाते हुए ही मेरे पैर अपनी कमर मे फँसा लिए और दौड़ते दौड़ते ही बेरहमी से चोदने लगा..पूरे घर मे फॅक-फॅक की आवाज़ गूँज रही थी….लेकिन मैं अधमरी हो चुकी थी….एक बार फिर मुझे मौका मिला और मैं अब्दुल ख़ान के पंजो से निकलते हुई भागी…सामने एक दूसरा कमरा था जिसमे एक मूर्ति लगी हुई थी…मैं कमरे मे घुसी तो अब्दुल ख़ान भी दौड़ते चले आए .मैं बचने के लिए दुब्कि तो अब्दुल ख़ान ने मेरी ज़ुल्फो को बेरहमी से पकड़ कर सीधा किया,.अब्दुल ख़ान ने मेरा एक पैर उठा कर मूर्ति पे रख दिया और पीछे आकर एक ही बार मे अपना समुचा लंड मेरी चूत मे घुसा दिया,

अब्दुल का लंड मेरी चूत मे परचम की तरह लहरा रहा था….मैं मूर्ति पर हाथ का सहारा लिए तब तक चुदती रही जब तक बेहोश ना हो गयी…होश आया तो कुछ देर मे दर्द ख़त्म हो गया…. रात भर मैं अब्दुल ख़ान से चुदती रही ,10 बार चोदा था अब्दुल ने उस रात मुझे और पति देव सारी रात जाग कर फॅक फॅक की आवाज़ सुनते रहे……खैर उस रात के बाद मुझे चुदने मे तकलीफ़ नही होती,अब्दुल ख़ान ने मेरी चूत का पूर्जा पूर्जा ढीला कर दिया था…अब वो जब भी नमाज़ पढ़ने मस्ज़िद आते तो घर आकर मेरी चुदाई ज़रूर करते.मैने बहुत मिन्नतें की लेकिन अब्दुल ख़ान ने मुझे बेगम का दर्ज़ा देने से इनकार कर दिया,अब मैं उनकी रखैल बन गयी हूँ और उनका जब मन होता है,मेरी चुदाई कर देते हैं….मैने पतिदेव को छोड़ दिया,आज भी पातिदेव अपनी नूनी लेकर मेरी तलाश मे दर-दर भटकते हैं…पूरे 9 महीने बाद मैने मैने जूनियर अब्दुल को जन्म दिया…उसका नाम रखा है मैने चोदुल,पसंद आया????


पर मैने इस कहानी को आगे बढ़ाया है लेकिन जिनको भी माँ-बेहन की स्टोरी नापसन्द हो वो आगे नही पढ़े और जो पढ़े अगर उनका लुल्ला दहकने लगे तो सीता देवी का सुक्रिया अदा करना भी ना भूले…ये सारी मेरी सिर्फ़ फॅंटसीस हैं..लफ़ज़ो का जमाव सिर्फ़ एंटरटेनमेंट के लिए किया गया है….

अब्दुल ख़ान की रखैल बन ने के बाद मेरा भाई बबलू मम्मी पापा के साथ रहने लगा था,मेरे मम्मी पापा दोनो डॉक्टर थे….एक दिन मुझे फोन आया कि पापा ने सुसाइड कर ली है…मैं अपने साथ अपने बेटे चोदुल ख़ान को लेकर मायके निकल पड़ी…वहाँ जा के पता चला कि पापा को मम्मी और बशीर ख़ान के रिलेशन्स के बारे मे पता चल गया था और मुहल्ले के लोग उन पर फबती कसते थे,ये उनसे बर्दास्त ना हुआ और जान दे दी.मेरी मम्मी का नाम डॉक्टर.सावित्री मिश्रा है . देखने में वो बहुत ही सुंदर है,मेरी मम्मी नही, जैसे बड़ी बहन लगती है. उनकी उम्र 42 है लेकिन फिगर बहुत ही हॉट है..मम्मी घर मे नाइटी या साड़ी पहेन्ति है और बाहर जाती है तो सलवार सूट पहेन्ति है, … मम्मी का सलवार सूट बहुत ही टाइट है..पता चला जब भी मम्मी बाहर जाती है तो सारे अंकल उन्हे घूर घूर कर देखते रहते है, उनकी सलवार से उनकी पैंटी की शेप दिखती रहती है.. मेरे मुहल्ले के सारे लड़के मेरी मम्मी के बारे में गंदी गंदी बाते करते रहते है…मैने अपने भाई बबलू से पूरी बात सुनाने को कहा.
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11-12-2018, 12:23 PM,
#13
RE: Kamukta Kahani कलियुग की सीता—एक छिनार
बबलू:सीता दीदी,बहुत लंबी कहानी है…

मैने कहा:क्या हुआ भाई,एक एक घटना बताओ.

बबलू:तो सुनो दीदी…उसने जो सुनाया तो मेरा दिल दहलते चला गया…आप भी सुन ले,मेरे भाई की कहानी भाई की ही ज़ुबानी…

बबलू:सीता दीदी,तुम्हारे अब्दुल ख़ान की रखैल बन ने के बाद मैं यहाँ आ गया था…सुरू मे तो मुझे कुछ नही पता था,लेकिन हफ्ते भर बाद ही सब पता चलने लगा.एक बार मुझे याद है मैं दुकान पर समान खरीदने गया हुआ था वहाँ बगल मे कुछ लड़के थे जो सिगरेट पी रहे थे उनमे से एक का नाम नसरुद्दीन था उसने मेरी तरफ अपने दोस्तो को दिखा कर कहा पता है इसकी मम्मी बहुत गरम है इतनी टाइट सलवार पहेन्ति है कि मन करता है उसकी सलवार यही फाड़ दूं और उसको चोद डालु.साली की क्या मस्त गद्देदार गंद है कितनी उभरी हुई है. मुझे डर लग रहा था कहीं वो लोग मुझे मारे ना,सो मैने कुछ नही कहा.


दो तीन दिन तक ऐसा ही चलता रहा. एक दिन मैने मम्मी से ये बात बताई मम्मी ने मुझसे कहा कि तुम उनकी बाते मत सुना करो वो लोग गंदे है मैने कहा ठीक है मम्मी लेकिन वो लड़के हमेशा मुझे देख कर मुझसे कहते थे घर मे तेरी मम्मी अकेली है क्या या बशीर ख़ान साहेब चढ़े हुए है?? अगर मैं कहता था हाँ अकेले है तो वो लोग मुझसे कहते थे अपनी मम्मी को बोलो,हमे भी बुलाए चुदवाने के लिए हम भी कुछ कम नही बशीर ख़ान से देखना तेरी मम्मी को हम भी पूरी तरह रगड़ रगड़ कर चोदेगे. 

.मुझे बहुत बुरा लगता था. एक दिन एक लड़का मुझे मेरी मम्मी के बारे मे चिड़ा रहा था और मैने उसे पलट के गाली दे दी वो मुझे मारने लगा कहने लगा साले तेरी मम्मी है ही रंडी इसी लिए तेरी मम्मी के बारे मे गंदी बाते बोलता हू और मुझे मारने लगा फिर अचानक से वो आदमी जिसका नाम ज़हीर ख़ान था वो आया उसने उस लड़के को रोक कर मुझे बचाया…पता चला वो बशीर ख़ान की ही औलाद है.उसने कहा तू मेरे भाई जैसा ही हुआ ना जब अब्बू तेरी मम्मी को चोदते है 

तो!मैने सोचा कोई तो मिला जो मुझे इस बस्ती मे बचा सके …हमारी अच्छी दोस्ती हो गयी फिर हम रोज़ मिलते थे और बाते करते थे एक दिन मैं और वो छत पर खड़े हो कर बाते कर रहे थे कि सामने मेरे घर की छत पर मम्मी नज़र आई. ज़हीर मम्मी के तरफ ही देख रहा था.उसने मुझसे कहा,पता है तुझे मैं इस वक़्त यहाँ क्यों बैठता हूँ रोज?यही नज़ारा देखने के लिए..अब्बू ऐसे ही नही फिदा हो गये तेरी मम्मी पर,तेरी मम्मी साड़ी ऐसी पहनती है कि पीछे से उनकी कमर सॉफ दिखती है .. नाभि तो देखो कितनी गहरी है. हमेशा नाभि के नीचे साड़ी बाँधती है तेरी मम्मी .वो जब कपड़े पसारती है तो अपनी साड़ी को छोटा कर के अपने पेट पर अटका देती है जिससे उनकी चूची ब्लाउस के अंदर बड़ी बड़ी सॉफ दिखती हैं. वो जब भी नहा कर आती है तो बाल्कनी में अपने बाल सुखाती है उनके गीले बदन में से उनकी चूची बहुत ही मस्त लगती है. मैं जब यहाँ रहता हूँ तो मेरी नज़र उनके बदन पर ही होती है.सच मे ,तेरी मम्मी पटाखा माल है,अब्बू जब तेरी मम्मी को चोदते होंगे तो ज़न्नत मे सैर करते होंगे..मैं झेप गया.
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11-12-2018, 12:23 PM,
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RE: Kamukta Kahani कलियुग की सीता—एक छिनार
अगले दिन मेरी मम्मी मंदिर गयी थी मैने उसे कॉल किया और बोला आजा फिर वो मेरे घर आया हम बैठ कर बाते करने लगे. उसने मुझसे कहा बबलू क्या तुम चाहते हो कि आज से वो लड़के तुम्हे नही चिडाए मैने कहा हां क्या ये हो सकता है उसने कहा हां हो सकता है पर तू मेरी कुछ बाते मान ले मैने कहा हां बोलिए मैं आपकी हर बात मानूँगा उसने कहा विकी तू मुझे दिखा ना तेरी मम्मी कैसी पैंटी पहेन्ति थी मैने कहा ठीक है और मैं गया और मम्मी जितनी पैंटी ब्रा पहेन्ति थी ले आया…ज़हीर ख़ान ने कहा,पता है तुझे मैं इस पैंटी का क्या करूँगा,इसको मैं उन सारे लड़को मे बाँट दूँगा जो तेरी मम्मी के बारे मे तुझे चिड़ाते है.उन्हे सिर्फ़ इस बात का मलाल है कि तेरी मम्मी सिर्फ़ मेरे अब्बू से क्यों चुदती है,कुछ दिन तो कम से कम वो पैंटी ब्रा मे मूठ मारेंगे और उनकी भडास निकल जाएगी,फिर तुझे नही चिढ़ाएँगे..मुझे ज़हीर का आइडिया जॅंच गया…..लेकिन इसका मैं क्या करता जो फिर तीसरे दिन हो गया.उस दिन मैं नीचे कुछ समान खरीद रहा था कि कुछ दूसरे लड़को ने मुझ पे फबती कसी , यार हम ,मे क्या कमी थी जो तेरी मम्मी बशीर ख़ान का बिस्तर गरम करने लगी उन्होने कहा चल तू एक काम कर अपनी मम्मी से कह जैसे उसका बिस्तर गरम करती है हमारा भी कर दे और बोलना पैसे भी देंगे हम. मुझे बहुत गुस्सा आया

इतना कह कर बबलू रोने लगा और कहा अब तुम ही बताओ सीता दीदी,ऐसे हालात मे पापा सुसाइड नही करते तो और क्या करते???पापा के साथ भी तो यही होता होगा..मुझे बशीर ख़ान पर बहुत गुस्सा आ रहा था,ये सारा कुछ बशीर ख़ान के कारण ही तो हो रहा था…पता नही बशीर ख़ान ने मम्मी मे क्या देखा था जो आज मोहल्ले की रंडी बन गयी है…हमारे मोहल्ले की मस्ज़िद का मामूली सा मोलवी ही तो है जो मम्मी उसकी रखैल बन गयी हैं जबकि मेरे मम्मी पापा दोनो डॉक्टर थे……मैने दिमाग़ को झटका दिया,टाइम देखा तो रात के 9 बज चुके थे,मैं भाई के साथ खाना खाने आ गयी 


खाना खा के हम सो गये…रात मे मुझे पेशाब लगी तो मैं बाथरूम गयी,अचानक मुझे मम्मी के रूम से उनके खिलखिलाने की आवाज़ सुनाई दी…मैं दौड़ के वहाँ गयी और की होल आँख सटा दी..जो कुछ मैने देखा,उसके बाद मेरा दिमाग़ ही घूम गया.मैने देखा कि मम्मी ने एक लाल रंग की सलवार सूट पहन रखी है,सलवार सूट बहुत ही टाइट थी और मम्मी और बशीर ख़ान सोफे पर बैठ कर बाते कर रहे थे .बशीर ख़ान का हाथ मेरी मम्मी की जाँघो पर था और सहला रहा था उसने मेरी मम्मी के गोरे गोरे गालो पे पप्पी लेते हुए कहा सावित्री डार्लिंग, सच मे तुम बहुत मदमस्त माल हो जब भी तुम्हे देखता हू मन करता है पटक के चोद डालु. मम्मी शरमा के लाल लाल हो रही थी और अपने बालो को बार बार ठीक कर रही थी…फिर मम्मी ने बालो का मोड़ कर जुड़ा बना लिया. इस वक़्त मम्मी इतनी सेक्सी लग रही थी किसी भी मर्द का ईमान डोल जाए.होंठो पे डीप रेड लिपस्टिक,नाक मे नथ्नि ,कान मे बड़े बड़े झुमके..और माथे पर बिंदिया.अचानक मम्मी ने कहा मुझे सूसू आई है,चलो ना.बशीर ख़ान ने मम्मी के गालो पर एक ज़ोर की चुम्मि ली और बोला ठीक है,चलो… 
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11-12-2018, 12:24 PM,
#15
RE: Kamukta Kahani कलियुग की सीता—एक छिनार
दोनो उठ कर अटॅच्ड बाथरूम की तरफ बढ़ गये..बशीर ख़ान का हाथ मेरी मम्मी के गोल गोल चूतडो पर था..उईईईईईईईईई मम्मी,मम्मी के चूतड़ इतने मस्ताने थे कि किसी भी मर्द का हाथ सहलाने के लिए तड़प उठे.चूतड़ तो वैसे मेरे भी बहुत भारी है लेकिन मम्मी मुझसे थोड़ी हेल्ती है,इसलिए मम्मी के चूतड़ कुछ ज़्यादा ही गद्देदार है मुझसे.बशीर ख़ान मेरी मम्मी के चूतडो को सहलाते सहलाते बीच मे थपकी भी लगा देता था…और मम्मी,

मम्मी तो और चूतड़ लहरा के चल देती थी.
पेशाब करके दोनो वापस आए तो बशीर ख़ान ने मम्मी को गोद मे उठा कर बेड पे पटक दिया और उनपर चढ़ गया.फिर बशीर ख़ान ने मम्मी की एक चूची को पकड़ के मसल दिया और गालो पर एक ज़ोर की पप्पी ले ली..मम्मी ने सीसीया के अपने दोनो पैर फैला दिए…बशीर ख़ान मोलवी थे,सो उनकी लंबी दाढ़ी थी जो शायद मम्मी को गढ़ रही थी…मम्मी ने अपने गाल फेर लिए .उसे शायद ये पसंद नही आया बशीर ख़ान ने तुरंत दूसरे गाल पर भी पप्पी ले ली और और दूसरी चूची को इतनी ज़ोर से मसल दिया कि मम्मी चीख के अपने दोनो पैर हवा मे उठा दी जैसे कह रही हो आओ मोलवी साहेब फाड़ डालो मेरी चूत. बशीर ख़ान मेरी मम्मी की चूत को उनकी सलवार के उपर से सहला रहा था और मम्मी आआआआआः,आआआः कर रही थी.जोश मे आकर बशीर ख़ान ने अपने कपड़े उतार दिए. मुझे उसका लंड दिख रहा था ,

बहुत लंबा और मोटा था,9 इंच का बिल्कुल अब्दुल ख़ान की तरह.अब समझ मे आया था मुझे कि हम हिंदू औरतें मुस्लिम लंड की दीवानी क्यो रहती हैं और डॉक्टर होने के बाद भी मेरी मम्मी मोलवी से क्यों चुदती है. मम्मी ने बशीर ख़ान का लुल्ला अपने हाथ मे ले लिया और सहलाने लगी… मम्मी की चूड़ियो की खनक मेरे कानो मे आ रही थी .मुझे बहुत अजीब लग रहा था थोड़ी देर तक मम्मी ने उसके लंड पर अपना हाथ उपर से नीचे तक सहलाया….फिर बशीर ख़ान के खड़े लंड पर मम्मी ने ज़ोर से चुम्मि ले ली और अपने लिपस्टिक लगे होंठो मे घुसा कर चूसने लगी .वो बार बार आआआआआः आआआः करते हुए मम्मी की चूचियों को मसल रहा था.

बशीर ख़ान का लुल्ला दहक के लाल हो गया था अब. वो एक हाथ से मम्मी की सलवार का ज़ारबंद तोड़ दिया और फिर मम्मी की सलवार सूट का कुर्ता सीने के पास पकड़ के खिचता चला गया . मम्मी की कुरती चर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर की आवाज़ के साथ फट ती चली गयी….मम्मी ने इस वक़्त ना तो ब्रा और ना ही पैंटी पहनी था,शायद वो चुदने की तैयारी पहले ही कर चुकी थी. मम्मी की दोनो चूचियाँ छलक के बाहर आ गयी थी.बशीर ख़ान से बर्दास्त नही हुआ और वो मम्मी के दोनो निपल को चुटकी मे दबा कर मसल दिया.

मम्मी ने सिसकारी ली तो बशीर ख़ान ने तुरंत नीचे आकर मम्मी की नंगी चूत पर चुम्मि ले ली…मम्मी ने आआआआआः कह के अपने गोरे गोरे मक्खनदार चूतड़ उभारे ही थे कि बशीर ख़ान ने पूरा हाथ हवा मे लहरा के मम्मी के चूतड़ पर तमाचा लगा दिया और फिर रुके भी नही….बशीर ख़ान लगातार मम्मी के गद्देदार चूतडो पर तमाचे लगाते चले गये…ऐसा लग रहा था जैसे वो मम्मी के चूतडो से वोलीबॉल्ल खेल रहे हो……मम्मी के गोरे गोरे गाल और चूतड़ दोनो लाल हो गये थे….मैं सोच मे पड़ गयी,ये नवाब लोग हम हिंदू औरतो के चूतड़ पर थपकी मारने के इतने सौकीन क्यो होते हैं,अब्दुल ख़ान भी तो तमाचे मार मार के मेरे चूतड़ लाल कर देते हैं……
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11-12-2018, 12:24 PM,
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RE: Kamukta Kahani कलियुग की सीता—एक छिनार
बशीर ख़ान शायद मेरी मम्मी का दर्द समझ गये …..उस ने मम्मी की नंगी चूत पर चुम्मि ले कर चेहरा हटाया तो पहली बार मैने मम्मी की चूत देखी ,सच कहूँ ,मैं सन्न रह गयी थी…मम्मी की चूत भी मेरी तरह चिकनी थी और उस पर एक वैसा ही सोने का रिंग भी था जैसा अब्दुल ख़ान ने मेरी चूत मे पहनाया था…हां डाइमंड उसमे ज़रूर नही था और घूँघरू थोड़ा बड़ा था..अब समझ मे आया था मुझे कि मम्मी जब चलती है तो झन्न् झन्न् की आवाज़ क्यों होती है…मैं सोच मे पड़ गयी थी मम्मी की चूत पर रिंग देखकर…अब्दुल ख़ान की बात याद आ गयी..तो क्या मम्मी के चूत की सील भी बशीर ख़ान ने ही तोड़ी है???अचानक मैं चौंक उठी बशीर ख़ान की आवाज़ से..सावित्री डार्लिंग,सीता तो एक बच्चे की मा बन ने के बाद और गदरा गयी है,उसकी मचलती जवानी का मज़ा हमे भी तो लेने दो…मेरी तो चूत ही सनसना उठी.

मम्मी ने गुस्सा दिखाते हुए मूह बिचकाया तो बशीर ख़ान ने अपना लंड मेरी मम्मी की चूत पर रख दिया और धक्का मार के चूत के अंदर घुस्सा दिया .वो धीरे धीरे चोदने लगे उनका पूरा लंड मेरी मम्मी की चूत के अंदर बाहर हो रहा था और मम्मी आआआआ औहह इउईई ओफफफफ्फ़ माआ माआआआआ औहह कर रही थी. बशीर ख़ान धीरे धीरे अपनी स्पीड बढ़ा कर मेरी मम्मी को चोद रहे थे. मम्मी दर्द से सिसकारिया ले रही थी और बशीर ख़ान मम्मी को चोदते हुए कह रहे थे सावित्री डार्लिंग तू बहुत चोदास माल है,ऐसे ही तुझे सारे मुहल्ले के लड़के तुझे अपने बिस्तर पे ले जाना नही चाहते हैं

.मम्मी शायद ये सुनकर इठला उठी और बशीर ख़ान को नीचे कर चुदने लगी….बशीर ख़ान मम्मी की दूधारू चूचियो को मसल्ते हुए नीचे से जोरदार थप पे ठप लगाए जा रहे थे….इस वक़्त कमरे मे 3 आवाज़े सुनाऐ दे रही थी…मम्मी की चीखे, फ़चफ़च-फ़चफ़च-फ़चफ़च और मम्मी की चूत पर बँधे घूंघुरुओं की झनझाँ झन्झन…चीख से लग रहा था जैसे कोई सील बंद लड़की की चूत फटी हो,फ़चफ़च फ़चफ़च से लग रहा था जैसे कोई सूपरफास्ट ट्रेन चल रही हो और घूंघुरुओं की झन्झन से लग रहा था जैसे को रंडी मुज़रा कर रही हो.इतनी चुदाई के बाद मम्मी झाड़ चुकी थी लेकिन बशीर ख़ान का लंड अभी भी मम्मी की चूत को गोल गप्पे खिला रहा था…

अचानक बशीर ख़ान ने मम्मी को पलट के डॉग्गी पोज़िशन मे कर दिया,पीछे आए और एक ही बार मे अपना पूरा 7 इंच का लंड मम्मी की चूत मे पेल दिया…मम्मी चीखी उई माआआआ,चिथड़ा उड़ा दिया मोलवी ने….मुझे मम्मी की हालत देख कर रहम आने लगा…मन हुआ कि मैं भी तेल लेकर जाउ और मम्मी की चूत मे लगा डू..आख़िर मेरे भाई ने भी तो मेरी चूत मे तेल लगाया था जब मैं अब्दुल ख़ान से चुदि थी,तेल से मुझे बड़ी राहत मिली थी चुदने मे……….फिर सोचा ना बाबा ना कही मम्मी के साथ मैं भी ना चुद जाउ बशीर ख़ान से……

देखा तो मम्मी के मक्खनदार चूतड़ उभरे हुए है और बशीर ख़ान मम्मी के चूतडो पर तमाचे लगाते हुए बेरहमी से चोद रहे हैं…..कुछ ही देर मे बशीर ख़ान झाड़ के मम्मी से लिपट गये ….लिपट ते हुए बशीर ख़ान ने मम्मी के गाल पर पप्पी ले ली
सारी रात बशीर ख़ान मेरी मम्मी को चोदते रहे और मम्मी की चीखे गूँजती रही….इन्ही चीखो की आवाज़ सुनकर पूरा मोहल्ला मेरी मम्मी को शायद रंडी कहता था…सारी रात मैं अब्दुल ख़ान की याद मे तड़पति रही,पता ही नही चला कब नींद आ गयी.
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11-12-2018, 12:24 PM,
#17
RE: Kamukta Kahani कलियुग की सीता—एक छिनार
सुबह उठी तो बशीर ख़ान पाजामे का नाडा बंद करते निकले…मैने ग्रीन कलर की एक टाइट सलवार सूट पहन रखी थी….दुपट्टा जाने कहाँ छूट गया था…उनकी नज़रे मेरी उठान वाली चूचियों पर ही थी.. मैं पाँव छूने के लिए झुकी तो महसूस किया बशीर चाचा मेरे गले मे ही झाँक रहे हैं,मैं शर्म से लाल हो गयी थी.फिर वो बाहर चले गये….मैं किचन चली गयी खाना बनाने, अब्दुल ख़ान आने वाले थे आज…..तब तक मम्मी बाथरूम चली गयी नहाने….मैं दरवाज़े पर खड़ी अब्दुल ख़ान का वेट कर रही थी तभी मम्मी बाथरूम से टवल पहन कर निकली और अब्दुल ख़ान भी गेट से अंदर घुसे…दोनो आमने सामने थे और पता नही मम्मी का टवल कैसे गिर पड़ा और मम्मी नंगी हो गयी….


.मम्मी उईइ दैयाआआअ कहते हुए रूम की तरफ भागी और अब्दुल ख़ान उनके मटकते चूतडो को देखते रहे.फिर आके मुझे गोद मे उठा लिया और गालो पे पप्पी ले ली…..और बेडरूम मे आकर पटक दिए..शायद वो मम्मी की चूची देख कर गरम हो गये थे…सीधे मेरी चूत मे लंड घुसा दिए और चोदने लगे. 

.मम्मी क्लिनिक चली गयी थी…दोपहर मे आई और फिर खाना खाकर बेडरूम चली गयी…मैने और अब्दुल ख़ान ने मम्मी से कुछ बाते करने की सोची…उनके बेडरूम पहुचे तो मम्मी ने कपड़े चेंज करके एक सेमी ट्रॅन्स्परेंट गाउन पहन रखा था….अब्दुल ख़ान को सामने देखते ही मम्मी के गालो पे हया की लाली आ गयी…और अब्दुल ख़ान मम्मी को ऐसे निहार रहे थे जैसे अभी घोड़ी बना के चोद डालेंगे…मम्मी ऐसे घबरा गयी कि उनका पैर फिसल गया और वो और अब्दुल ख़ान दोनो गिर पड़े.मम्मी की चूचियाँ अब्दुल ख़ान के सीने से रगड़ खा रही थी…मम्मी शर्मा के उठी और कपड़े बदलने को वॉर्डरॉब की तरफ चल पड़ी……

नीचे लेटे अब्दुल ख़ान मम्मी के मटकते चूतडो को देखते ही रह गये….आपको तो पता ही है कि अब्दुल ख़ान चूतड़ के कितने रसिया हैं,भला ऐसे मदमस्त चूतड़ देखकर होश मे रहने वाले थे…मम्मी वॉर्डरॉब से कपड़े निकाल ही रहे थे कि अब्दुल ख़ान उठे और मम्मी के चूतड़ पर अपना फॅवुरेट तमाचा जड़ दिया..मम्मी अपनी चूतड़ सहलाते हुए चीखी क्या बदतमीज़ी है..अब्दुल ख़ान ने फिर से तमाचा लगा दिया और कहा साली,बशीर भाईजान से चुदती है और मेरे लंड मे क्या काँटे उगे हुए हैं???आज तो मैं तेरी चूत का भोंसड़ा बना के ही रहूँगा…

मैं समझ चुकी थी कि आज मम्मी की चूत की धज्जियाँ उड़ने से कोई नही बचा सकता…अब्दुल ख़ान ने सीधे मम्मी के मूह मे लंड डाल दिया और ऐसे चोदने लगे जैसे मम्मी की चूत हो….फिर वो मम्मी को बेड पर ला के पटक दिए और उनके सारे कपड़े फाड़ दिए…मम्मी रेज़िस्ट करने से हार गयी थी,उसने खुद को फ्री छोड़ दिया…अब्दुल ख़ान मम्मी की चूचियों को हॉर्न की तरह दबा रहे थे…कभी निपल मसल देते तो कभी चूसने लगते….अब मैं मम्मी के मुखड़े पर भी चुदाई की मस्ती देख रही थी…अब्दुल ने अपना लंड मम्मी की चूत पर रखा और एक ही बार मे आधा घुस्सा दिया..मम्मी चीखी हे फाड़ दिया रे फाड़ दिया,मेरी बेटी का चूत तो फाड़ ही दिया है,अब उसकी मम्मी की चूत को भी होल से हॉल बना देगा…


अचानक बशीर ख़ान की आवाज़ वहाँ गूँजी,साली मुझसे भी चुदती है और अब्दुल भाईजान से भी चुदती है….पूरी रंडी है तू…जब अब्दुल तुझे चोद ही रहा है तो मैं भी सीता की चूत फाड़ ही डालूँगा..बशीर ख़ान का लंड याद आते ही मेरी चूत सहम गयी..बशीर चाचा ने मुझे भी बेड पर पटक के कपड़े खोल दिए और कही अब्दुल ख़ान से पीछे ना रह जाए,इसीलिए सीधे अपना लंड मेरी चूत मे घुसेड दिया और फॅक फॅक की आवाज़ गूंजने लगी..मैने मम्मी की तरफ देखा तो मम्मी चूतड़ उछाल उछाल के अब्दुल ख़ान से चुद रही थी . अब्दुल ख़ान के हाथो मे मम्मी की चूचियाँ हैं और वो मम्मी के गालो की पप्पी लेते हुए कह रहे थे…तेरी चूत तो सीता से भी मस्त है,अब तो मैं तुझे भी रोज चोदुन्गा…दोनो नवाब जोश मे आकर अपनी स्पीड बढ़ा दिए थे,कमरे मे हमारी चीखें गूँज रही थी…मम्मी का तो नही पता लेकिन मुझे बहुत दर्द हो रहा था….आँखें घुमाई तो देखा दरवाज़े पर मेरा भाई बबलू ज़हीर के साथ खड़ा है…देखते ही मैं चिल्लाई,खड़ा खड़ा क्या देख रहा है,जल्दी से तेल लेकर आ.बबलू दौड़ा दौड़ा तेल लेकर आया तो अब्दुल ख़ान ने अपना लंड मम्मी की चूत से खीच लिया…बबलू ने अब्दुल के लंड और मम्मी की चूत दोनो पर तेल चुपड दिया…

फिर मम्मी की चूत का दरवाज़ा दोनो हाथो से पकड़ के खोल दिया..अब्दुल ने एक ही बार मे मम्मी की चूत मे झंडा फहरा दिया…..मैं चीखी जल्दी कर तो बबलू ने मेरी चूत मे तेल लगा दिया…अब मुझे और मम्मी दोनो को मज़ा आ रहा था..मस्ती मे चूतड़ उठाते हुए मैं चीख रही थी फाड़ डालो बशीर चाचा,फाड़ डालो..आज सीता की चूत का मुरब्बा बना डालो..थोड़ी ही देर मे दोनो नवाबो ने हम दोनो को घिरनी बना दिया और झाड़ गये…मम्मी की चूत सूज गयी थी…बाथरूम जाने के लिए मम्मी उठी तो लंगड़ा रही थी..बबलू ने सहारा देकर मम्मी को बाथरूम पहुचाया और वापस भी ले आया.

तब तक ज़हीर की बात सुनकर मैं चौंक गयी…वो बशीर चाचा से कह रहा था अब्बू मैं भी चोदुन्गा.

बशीर ख़ान बोले बेटा किसे चोदना चाहता है??

ज़हीर:सीता दीदी को तो मैं बाद मे भी चोद लूँगा लेकिन बड़े दिनो से मेरी नज़रे उनकी मम्मी पर है.

बशीर:जा बेटा जा,चढ़ जा उस पर और कर ले अपनी मुराद पूरी.
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11-12-2018, 12:24 PM,
#18
RE: Kamukta Kahani कलियुग की सीता—एक छिनार
ज़हीर मेरी मम्मी की तरफ बढ़ा और मम्मी के गालो पर ज़ोर की पप्पी ले ली….मम्मी के गाल शर्म से लाल हो गये तो ज़हीर मम्मी की चूतड़ पर चिकोटी काट कर बोला मुझे बच्चा मत समझो सावित्री आंटी,चोदुन्गा तो दिन मे तारे दिखने लगेंगे और फिर ज़हीर भी मम्मी पर चढ़ गया..रात भर मैं और मम्मी बदल बदल के बशीर,ज़हीर और अब्दुल ख़ान से चुदते रहे और मेरा भाई तेल लेकर खड़ा चूत के घूंघुरुओं की आवाज़ सुनता रहा….


सुबह मैं और मम्मी नाहकार चाय पी रहे थे कि बशीर और अब्दुल ख़ान पीछे से आए और साड़ी उठाकर हमारी चूत मे लंड घुसा दिए और कहा.. चाय बाद मे . रॅंडियो,पहले चुद तो लो..फिर दोनो हमे बेड पर ला के पटक के डॉग्गी पोज़िशन मे कर दिया..मैने देखा बशीर ख़ान मम्मी की गान्ड मार रहे थे और मम्मी उनका लंड अपनी गान्ड मे ऐसे ले रही थी जैसे आदत हो….अचानक मैने भी महसूस किया कि अब्दुल ख़ान ने मेरी आस होल पर अपना लंड रखा है…मैं सिहर गयी और चीखी नहियीईईईईईईईईईईईईईईईई,अब्दुल ने मेरी चूतड़ पर तमाचा रसीद कर दिया साली,तेरी चूत अब ढीली हो गयी है,पहले जितना मज़ा नही आता..और फिर मैं चीखती रही और अब्दुल ख़ान मेरी गान्ड मारते रहे…फिर बशीर और अब्दुल दोनो झाड़ गये..

अब्दुल ख़ान ने मेरे गालो पे पप्पी लेते हुए कहा सीता डार्लिंग….विदेश से मेरे कुछ दोस्त आ रहे हैं,सेख हैं,उनके हाथ मे मेरा कांट्रॅक्ट है….उन्हे खुश कर दो डार्लिंग…तुम्हे नही कहता लेकिन वो रंडी नही चोदना चाहते ..मेरे मन मे आया कह दूं मैं भी तो रंडी बन गयी हूँ,फिर सोचा बोलूँगी तो ये मेरी चूत फाड़ देंगे…मैं अभी सोच ही रही थी कि बशीर ख़ान की आवाज़ कानो मे टकराई,क्या सावित्री डार्लिंग,क्या रखा है डॉक्टरिंग करने मे…..क्लिनिक मे ही रंडीखाना खोल लो या फिर घर मे,ज़्यादा इनकम होगा,मैं भेजूँगा कस्टमर तुम्हारे पास, बहुत सारे ख़ान लोग तुम्हारी चूत पर फिदा हैं.


और सच मे उस दिन से मेरी और मेरी मम्मी की हालत खराब रहने लगी….अब्दुल,बशीर चाचा और ज़हीर जिसका जब दिल चाहे आकर हमारे उपर चढ़ जाता….अब्दुल से चुदने के बाद मैं शेखों के लंड की शौकीन तो हो गयी थी लेकिन कभी मैने ये नही चाहा था कि इतने लंड मिले,मैं घुट घुट कर जी रही थी….बर्दास्त की हद तब पार गयी जब वो हमे अपने दोस्तों के पास भी भेजने लगे….शेखों के ऐसे अज़ीब अज़ीब शौक भी थे कि मेरी ज़ान निकल जाती…मम्मी तो कम ही परेशान थी क्योकि मुझ जैसी ज़वान लड़की के होते हुए कोई मम्मी को चोदना क्यों चाहता…खामियाज़ा मुझे भुगतना पड़ता था..


मेरी हालत देखकर मम्मी ने मुझे वहाँ से दूर कही दूसरे सहर मे चले जाने के लिए कहा…बाकी उनको वो संभाल लेगी….फिर एक दिन मौका देखकर मम्मी ने मुझे कुछ पैसे दिए और ट्रेन मे रवाना कर दिया फ़ैज़ाबाद के लिए…उनके किसी दोस्त हबीब पठान की कंपनी थी वहाँ जिसमे जॉब के लिए सिफारिश कर दी थी उन्होने.

एक पिंजरे से आज़ाद होकर मैं चल पड़ी फिर से एक अंज़ान सफ़र पर…स्टेशन से उतर कर मैं सीधे हबीब चाचा के ऑफीस पहुँची….मुझसे मिलकर उन्हे बहुत खुशी हुई….वो 40 के लपेटे के शक्स थे लेकिन इस उम्र मे भी बॉडी मेनटेन की हुई….देखने से ही लगता था कि उन्हे रोज जिम जाने की आदत थी…लंबा तगड़ा कसरती बदन और इतने सिंपल की ऑफीस मे भी पठान सूट मे ही थे…उन्होने मुझे अपनी पर्सनल सीक्रेटरी अपायंट कर लिया था…..लेकिन मेरे हैरत की सीमा ना रही जब उन्होने अपने मातहत को बुलाया मुझे काम समझने को….वो मातहत कोई और नही,मेरे पतिदेव थे….


मुझसे मिलकर वो बिलख पड़े,’’सीता….कहाँ चली गयी थी तुम???तुम्हारे पीछे मेरा क्या हाल हुआ,पता है तुम्हे??

मैं:’’क्या हुआ राज??’’

पतिदेव:’’तुम्हारे जाने के बाद मैं पागल हो गया था…..नौकरी भी सिन्सियर्ली नही करता था….बॉस ने मुझे निकाल दिया….मुझे कही नौकरी नही मिल रही थी,ऐसे मे हबीब भाई ने मुझे सहारा दिया.’’

मुझे पतिदेव पर तराश आ रहा था….कुछ भी हो वो अब्दुल की तरह हैवान नही थे…मुझसे बेइंतहा प्यार करते थे,ये अलग बात है कि उनका प्यार बाहर ही झाड़ जाता था.

मुझे सोचते हुए देखकर पतिदेव बोल पड़े,’’अब चलो घर चलो…अब मुझे छोड़ के मत जाना.’’
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11-12-2018, 12:24 PM,
#19
RE: Kamukta Kahani कलियुग की सीता—एक छिनार
मैं हाला की पतिदेव के साथ जाना नही चाहती थी लेकिन क्या करती??एक तो मुझे उनपर तराश आ गया था और दूसरे इतनी ज़ल्दी मुझे कोई घर भी नही मिलता…साथ ही मैं पतिदेव के साथ ऑफीस भी आ सकती थी.इसलिए मैने उन की बात माननी ही ठीक समझी.




अब्दुल की क़ैद से आज़ाद होकर मैं खुश तो थी लेकिन यह खुशी कुछ ही दिन मे प्यास बन गयी…कुछ कम हो जाए तो भी परेशानी,ज़्यादा हो जाए तो भी परेशानी….शेखो के लंड से मुझे डर तो लगने लगा था लेकिन साथ ही मेरी चूत भी लंड के लिए तरस रही थी….मैने महसूष किया था कि हबीब चाचा भी मुझ पर डोरे डालने की कोशिश कर रहे हैं…मैं हमेशा ऑफीस साड़ी मे ही जाती थी…हबीब चाचा को कुछ पेपर्स दिखाते हुए अक्सर मेरी साड़ी का आँचल नीचे गिर जाता…और फिर मैं देखती कि हबीब चाचा की आँखे मेरे ब्लाउस के गले मे ही झाँकती रह जाती…एक तो पहले से ही मेरी चूचियाँ ओवरसाइज़ थी उपर से शेखों ने उसे मसल मसल के गुब्बारा बना दिया था….कभी कभी मेरे दिल मे ख्याल आता कि हबीब चाचा से ही चुद लूँ लेकिन शेखों का लंड याद आते ही मेरी चूत कांप उठती.

पतिदेव से कुछ उम्मीद ही नही थी…ऐसे मे मैने उनके दोस्त को ही काबू मे करने की कोशिश की.जो पड़ोस मे ही रहता था…नाम था विकी,उम्र मे मुझसे 2 साल छोटा था….लेकिन यहाँ भी मेरी चूत प्यासी ही रह गयी….वो मुझे देखते ही मेरे पाँव छूकर कहता,”प्रणाम भाभी.”.उससे रिझाने के लिए मैने कई बार अपने इंटर-चुचियल स्पेस के दीदार कराए उसे लेकिन वो इतना बुद्धू था कि कहता,”भाभी आपका आँचल नीचे गिर गया है….मैं थक गयी उससे राह पर लाने मे,ऐसे मे मुझे हबीब चाचा भी अच्छे लगने लगे…मैने सोचा कोई ज़रूरी तो नही कि हर इंसान अब्दुल और बशीर चाचा जैसा ही हो…वैसे भी चुदाई तो तो वो बहुत ज़ानदार करते थे,ग़लत सिर्फ़ ये करते थे मुझे रंडी बना दिए थे….हबीब चाचा ऐसा क्यों करेंगे???मैने सोच लिया था कि हबीब चाचा को अपनी चूत की सवारी ज़रूर कराउन्गि.


दूसरा दिन महीनो से सुखी आपकी इस सीता देवी की चूत पर रिमझिम बरसात का दिन था..मैं सुबह से चुदासी थी….ब्लू कलर की साड़ी के साथ मॅचिंग ब्लाउस पहन कर मैने खूब मेकप किया था…जानबूझ कर आज मैने ब्रा नही पहनी थी और साड़ी को चूतड़ पर टाइट कर लिया था….इतने दिनो मे हबीब चाचा की भूखी नज़रो से मैं समझ चुकी थी कि वो बड़ी बड़ी चूचियों और चूतड़ के रसिया थे और इस मामले मे आपकी इस नाचीज़ सीता देवी का भी तो कोई जोड़ ही नही है…

पतिदेव के साथ ऑफीस पहुचि तो सब मर्दो को अपनी ही तरफ देखते पाया…उनकी नज़रो ने मुझे बता दिया कि मैं आज कितनी मदमस्त लग रही हूँ….अपने हुस्न पर मुझे गरूर महसूस हुआ.ऑफीस मे बहुत सारे एंप्लायी थे जो मुझे चाहने लगे थे,लेकिन मुझे कोई पसंद नही आता था.उनकी नज़रे तो बदस्तूर मेरी उठान ली हुई चूचियाँ निहारती रह गयी…उनकी हालत देखकर मुझे मज़ा आया..उन्हे क्या पता था कि उनकी जाने जिगर एक शेख से चुदने के लिए जीता जागता बॉम्ब बन कर आई है.


मैं सीधे हबीब चाचा के ऑफीस पहुचि…वो पहले से वहाँ बैठे थे..मुझे देखते ही वो देखते ही रह गये…उनका मूह खुला का खुला रह गया…मैने सोचा अभी ही ये हाल है,अगर और देख लेंगे तो शायद पत्थर मे तब्दील हो जाएँगे…


मैं मन ही मन हंस रही थी तभी हबीब चाचा ने कहा,”ओह्ह मिसेज़. सीता देवी….ज़रा 2012 वाली फाइल लाइए.”

मैं:”ओके सर….अभी लाती हूँ.”

फाइल लेकर मैं आई और फिर उनकी टेबल पर रखकर बताने लगी…वो पढ़ रहे थे और इधर मैने पल्लू नीचे गिरा दिया..और फिर हबीब चाचा की आँखे पेपर से हट के मेरी चूचियों पर आ जमी…आज मैं उन्हे ढँकने की कोशिश भी नही कर रही थी…ये देखकर शायद हबीब चाचा का हौसला बढ़ा होगा क्योकि जो कुछ हुआ इसकी उम्मीद मैने कभी नही की थी…

.हबीब चाचा खड़े हुए और पता नही ये इत्तिफ़ाकन हुआ था या उन्होने जान बुझ के की थी,जो भी हो वो लड़खड़ाते हुए मुझे नीचे लेते हुए फर्श पर गिर पड़े…शायद वो मेरी चुचियाँ देखकर बेकाबू हो गये थे…उनके दोनो हाथो ने मेरी चुचियाँ दबोच ली थी और वो लगातार मेरे गालो पर पप्पी लिए जा रहे थे…


मैं तो चुदने के मूड मे आई ही थी लेकिन नखड़े दिखा रही थी,,बोली”ये क्या कर रहे हैं हबीब चाचा…छोड़ दीजिए मुझे.”


हबीब चाचा:”सीता देवी….तुम चूत की मल्लिका हो…एक बार मुझसे चुद लो…कसम से पति को भूल जाओगी.”


मैने मन ही मन सोचा ,पातिदेव का लंड तो मैं कब का भूल चुकी हूँ..अब तो मुझे ऐसा लंड चाहिए जो अब्दुल का भुला सके..लेकिन सामने मे यही कहा,”लेकिन ये ग़लत है.”

मेरी बात सुने बिना हबीब चाचा ने अपना लंड निकाल कर मेरे हाथ मे थमा दिया…..महीनो बाद इतना लंबा तगड़ा लंड देख कर मेरी चूत कुलबुला उठी…..मैं कुछ देर और नखड़ा दिखाने की सोच ही रही थी कि हबीब चाचा ने मेरी साड़ी कमर तक खिसका दी और बिना देखे मेरी चूत मे लंड घुसा दिया….और ऐसे चोदने लगे जैसे कुबेर का खजाना मिल गया हो..केबिन मे किसी के आ जाने का डर था इसलिए ज़ल्दी ज़ल्दी मुझे चोद कर हबीब चाचा फ्रेश हो गये.
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11-12-2018, 12:24 PM,
#20
RE: Kamukta Kahani कलियुग की सीता—एक छिनार
बस उस दिन के बाद मेरी चुदाई का सिलसिला निकल पड़ा..हबीब चाचा अब मुझे गोद मे बैठा कर ही सारी फाइल देखते….और जब मन करता मुझे चोद लेते…बस यही डर रहता कि कोई देख ना ले….इसलिए एक दिन हबीब चाचा ने कहा,”सीता….जितनी चुदासी माल हो तुम उस हिसाब से तो तुम्हे फ़ुर्सत मे चोदना चाहिए….हर स्टाइल मे चोदना चाहिए..लेकिन यहाँ ये पासिबल नही है…इसलिए मैने सोचा है,तुम मेरे साथ वाकेशन पर चलोगि.”

उनकी बात सुनकर रोमॅन्स ने मेरे मन मे अंगड़ाई ली…मैने कहा,”लेकिन मेरे पति अकेले नही रह सकते…मैं उन्हे छोड़ के जाती हूँ तो वो पागल हो जाते हैं.”

हबीब चाचा:”तो क्या प्लान ड्रॉप कर दूं??”

मैं:”नही…आप बस मेरे पति को भी साथ ले चलिए….ऑफीस वर्क के काम के बहाने….मैं उन्हे बहका दूँगी कि ऑफीस का काम भी हो जाएगा और हनिमून भी.”

हबीब चाचा:”लेकिन तुम्हारा पति जाएगा तब तो तुम उसके साथ हनिमून मनाओगी…मेरा क्या होगा??”

मैं:”वो सब आप मुझ पर छोड़ दीजिए.”

गर्मी के दिन थे इसलिए हमने हिल स्टेशन जाने का प्लान किया था…..मैने,पतिदेव और हबीब चाचा ने वहाँ पहुच कर एक होटेल लिया और फिर ऑफीस वर्क के बहाने हबीब चाचा के साथ निकल पड़ी. हबीब चाचा की तमन्ना थी कि वो मेरे साथ स्विम्मिंग पूल मे नहाए…इसके लिए उन्होने एक कीमती स्वीम्सूट भी दे दिया था मुझे.स्विमस्यूट ऐसा था कि मुझे पहनने मे भी शर्म आ रही थी….लेकिन फिर सोचा ‘जिसने कि शर्म,उसके फूटे कर्म’….इसलिए स्विमस्यूट पहन कर हबीब चाचा के लंड पर बिजली गिराने का इरादा कर लिया…उन्ही की तो तमन्ना थी कि वो खुले आम मेरे साथ ऐसी ड्रेस मे मज़ा ले…और सच मे मुझे देखते ही हबीब चाचा का लंड खूटे की तरह तन गया.

जब रात हो गयी तो लोग भी कम हो गये लेकिन हबीब चाचा जैसे मुझे छोड़ने के मूड मे ही नही थे…जब सन्नाटा हो गया तो बोले, ”अब स्विम सूट उतार के ज़रा मुझे ज्वालामुखी का दहाना तो दिखाओ…कब से तड़प रहा हूँ.” 

इतराते हुए मैने कहा,”धत्त्त…शर्म नही आती…यहाँ खुले मे कोई आ गया तो मैं तो मर जाउन्गि…

जवाब मे हबीब चाचा ने कहा,”सीता…अगर तुम नही दिखाओगि तो भी मैं मर जाउन्गा.”

मैने शरमाते हुए स्विमस्यूट उतार दिया…मेरी चूचियाँ खुली थी लेकिन चूत मैने शर्म के कारण ढँक ली थी…

हबीब चाचा का लंड फन्फाने लगा था…वो बोले ,”जल्दी से कपड़े पहन कर रूम मे चलो…वरना मैं तुम्हे यही चोद दूँगा मुझसे बर्दास्त नही हो रहा”…और सच मूच हबीब चाचा उस रात मुझे रात भर चोदते रहे….सुबह तक मेरी चूत सूज गयी थी….उफफफफफ्फ़ ये मुल्ला लोग भी कैसे हबसी की तरह चोदते हैं…सुबह उठकर मैं पतिदेव के रूम जाने लगी तो हबीब चाचा ने मुझे रोक लिया…फिर एक गोल्डन पैंटी ब्रा निकाल कर मुझे थमा दिया और कहा,”सीता…आज बीच पर चलेंगे…यह पर्स मे रख लेना.”

मैं:”लेकिन आज मेरी पतिदेव बहुत नाराज़ होंगे…शायद जाने ना दे.”

हबीब चाचा:”तो ठीक है उसे भी साथ ले चलते हैं…..और सुनो आज रेड साड़ी पहन कर आना…सिर्फ़ साड़ी अंदर कुछ नही.”

उनकी बात सुनकर मेरी चूत बिदक गयी…साले ने रात भर चोदा है…फिर भी कमिने का दिल नही भरा.”….बहरहाल हामी मे सर हिला कर मैं बाहर निकल आई…मुझे क्या पता था कि मेरा स्विम्मिंग पूल जाना मुझे फिर से किस जाल मे लपेटने जा रहा है.


मैं हबीब चाचा के कहे अनुसार ही रेड साड़ी पहन कर पतिदेव और उनके साथ निकली…पतिदेव को मनाना मेरे लिए कोई बड़ी बात नही थी…वो तो मेरे हुक्म के गुलाम थे.


बीच पर जाकर हबीब चाचा ने पतिदेव को काम के बहाने ऐसी जगह भेज दिया जहाँ से लौटने मे उनको कम से कम 3 घंटे लगते….और फिर जाकर मुझे पता चला कि हबीब चाचा ने मुझे बिना पैंटी- ब्रा पहने क्यों बुलाया था…

पतिदेव के जाते ही हबीब चाचा मुझे लेकर बीच पर टहलने लगे….पहली हरकत जो उन्होने की वो यह थी कि तुरंत अपने हाथ मेरी चूतड़ पर जमा दिए और साड़ी के उपर से ही सहलाने लगे…फिर मेरे गाल पर पप्पी लेते हुए कहा,”सीता….तुम्हारे चूतड़ जब भी मैं देखता हूँ मेरे हाथ मचलने लगते हैं…तुम जब मटक कर चलती हो तो ये ऐसे डोलती हैं कि मेरा ईमान भी डोल जाता है…”

उनकी बात सुनकर मेरी चूत शर्म से पानी पानी हो गयी…मुझे अहसास हुआ कुदरत ने मुझ पर बेपनाह हुस्न लुटा कर मेरे लिए मुसीबत खड़ी कर दी थी…एक ओर मैं इतनी हॉट थी कि पतिदेव छूते ही झाड़ जाते थे,दूसरी ओर ये मुल्ला लोग मेरे चूतडो को अपने बाप का माल समझ लिए थे..मेरे चूतड़ और चुचि दबा दबाकर इन लोगो ने और मदमस्त बना दिया था…तारीफ इनकी होती थी और भुगतना मुझे पड़ता था..एक घंटे चलते चलते हबीब चाचा ने मेरी चूतड़ की मालिश की…मैने पैंटी नही पहनी थी…इसलिए मुझे लग रहा था जैसे वो मेरे नंगे चूतड़ की मालिश कर रहे हैं…खुले आम लोगों के सामने अपने चूतडो की मालिश करवाने मे मुझे शर्म तो आ रही थी लेकिन मैं जब भी शरमाती हबीब चाचा मुझे किस कर लेते….मेरी बात समझ कर आख़िरकार हबीब चाचा ने मुझसे कहा,”जाओ सीता…उधर केबिन है,पैंटी-ब्रा पहन कर आओ…हम अब सी बाथ करेंगे….

मैने सोचा चलो जान बची और ड्रेस पहनने केबिन की ओर चल दी. गोल्डन टू पीस पहन कर मैं आई तो हबीब चाचा ने अपना कॅमरा निकाल लिया और फिर फोटो सूट करने लगे…इतने लोगो के बीच मुझे ब्रा-पैंटी मे शर्म आ रही थी लेकिन हबीब चाचा की खुशी के लिए मैने यह भी मंज़ूर कर लिया…लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरा ये डिसीजन मुझे कहाँ खड़ा कर देगा…
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