12-01-2018, 12:19 AM,
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RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
भाभी खड़ी हुई, और पीठ को मेरी तरफ की और हल्की सी गर्दन घुमाके मेरी और देखा.. मैं पगला गया... मैंने लण्ड पर हाथ रखा, बाहर से ही सहला रहा था...
भाभी: वो मेरा है.. उसे तो छूना भी मत।
मैं: हा ठीक है पर और कितना तड़पाएगी?
भाभी: हा हा हा सब्र करो... बहोत मीठा फल मिलेगा...
मैं: ह्म्म्म
भाभी ये सब बाते गर्दन घुमाए कर रही थी... और फिर धीरे से मेरी और घुमी... मैं उसके पुरे बदन को नजदीक से देख रहा था... पर छु नहीं सकता था... अब तो पेंट में ही हो जायेगा लग रहा था... भाभी और करीब आई और बोली...
भाभी: मुझे एकदम नजिक से देखने के लिए, और वो भी नंगी सिर्फ ये एक डोरी खींचनी है... मैं तेरे सामने नंगी हो जाऊंगी...
अब मुझसे बरदास्त नहीं हो रहा था, तो मैंने बस खीच ही लिया... भाभी 'अरे रुको' बोली पर तब तक भाभी मेरे सामने नंगी हो गई ही... दोनों मम्मे बहार थे... पर चूत फिर भी ढकी हुई थी... भाभी ने लिंगरी को थाम।लिया था...
भाभी: हा हा हा... जरा भी सब्र नहीं है...
और मैंने भाभी को लिंगरी को चूत से हटा ने के लिए लिंगरी खिची तो भाभी भी करीब आई...
भाभी: आज मैं तेरी हो जाउंगी...
इस समर्पण की भावना के साथ भाभी ने लिंगरी छोड़ दी... और भाभी पूरी नंगी हो गई... पर शर्मा गई तो पीछे मुड़ गई...
और इस तरह से मुझे देखने लगी... मैं जगह पे खड़ा हुआ और भाभी की गांड की दरार से लेकर मेरी ऊँगली घुमाने लगा... और उनके पेट के हिस्से पर मैंने अपने दोनों हाथ रख्खे... गांड को सहलाया और धीरे से जब उनकी गोरी चिट्टी पीठ को चूमने गया के... भाभी तुरंत घूम के, मुझे गले लग गई... और 'ओ समीर' इतना ही बोली... ये उनका समर्पण था, मैं उनके मुह को थोडा दूर करके होठो पर किस करने लगा... और अपने हाथ को उनके पीछे वाले हिस्से को बराबर सहलाता गया.. किस करने के टाइम पर गांड सहलाना कितना अच्छा लग रहा था... मैं होश मैं कूल्हे पर चुटिया भी भर लेता था... मैं पुरे कपडे में थी और वो मेरी बाहो मैं... आज मैं उनके गोर बदन का मालिक था... आज मैं जो चाहूँगा वो उनके बदन से खेलूंगा...
भाभी: (मेरा कब का चल रहा किस को तोड़कर) आगे भी तो बढ़ना है ना?
मैं: आज तो तुजे मस्त रगड़ना है... तेरे हर एक कोने से वाकेफ होना है...
भाभी ये सुनते सुनते बेड पर बैठी... और लेट गई... मुझे उनपर चढ़ने का निमंत्रण देने लगी... मैंने कपड़े अभी तक नहीं निकाले थे और भाभी मना ही कर रही थी... मैंने धीरे से अपने बदन को पहेली बार किसी औरत के बदन पर रखने जा रहा था... मुझे इस वखत भाभी की चूत भी याद नहीं आ रही थी... मैं जब उनके ऊपर पड़ा तो जाने रुई के गद्दे पर पड़ा... हमने वापस किस का दौर जारी रख्खा, धीरे धीरे गर्दन से होते हुए मैं निच्चे स्तन तक पहुचा...
मैं: भाभी ३४ के भी बहोत बड़े होते है...
भाभी: भी माने?
मैं: माने ३६ बेस्ट होते है ना...
भाभी: वो देख लेना १ साल में ३६ के हो जाने है देख लेना...
मैं: तो लग जाउ?
भाभी: क्या?
मैं: ३६ के करने में?
हम दोनों हस पड़े... मैं भाभी के ऊपर था और भाभी मेरे निचे... मेरी छाती पर वो स्तन और निप्पल छु रहे थे.. मेरा हाथ उसे छूने जा रहा था.. पर भाभी वहा पहोचने ना देकर तड़पा रही थी...
भाभी: सुन...
मैं: हम? आज तू पहली बार कर रहा है.. जो भी करना है... शिद्धत से करना... तेरा पहला अनुभव् याद रह जाना चाहिए... समजे? और हां... (मेरे हाथ को वापस रोक लिया... हाथ भी नही छुआ था स्तन को) आज मेरे चहेरे पर कोई भी भाव हो... सिर्फ अपना ख्याल रखना... मुझे क्या फिल होता है... वो मत सोचना... (मैं वापस छूने जा रहा था के...) सुन सिर्फ हाथ नहीं मुह भी चलाना... (अब ये लास्ट होगा समज कर वापस छूने जा रहा था) और एक बात सुन?
मैं: क्या है भाभी? भैया के आने तक सलाह सूचना देते रहोगे?
भाभी: हा हा हा हा... चल तुजे जो मर्जी हो करना... कोई भी कमी तेरे मन में होवो बाकी रहनी चाहिए नहीं... चल होजा शुरू...
भाभी का हुक्म मिलते ही मैंने भाभी के दोनों मम्मो को हाथ में ले लिया... और फिर जोरो से दबाने लगा... भाभी कहर ने लगी पर कुछ बोल नहीं रही थी... ऐसे मस्त नरम नरम मम्मे मैं तो खूब मसल रहा था...
और भाभी एकदम सेक्सी आवाज में बोल रही थी... आज ही ३६ के हो जाने वाले है... मैं मम्मे को निचे दबाता तो निप्पल खड़े हो के बहार आते और मैं इस तरह से निप्पल को काट रहा था... निप्पल पर मैं अपने दाढ़ी का हिस्सा रख के निप्पल को रगड़ रहा था... भाभी आह... आउच करे जा रही थी... और मैंने दो बूब्स के बिच में दोनों निप्पल पर और फिर आजूबाजू खूब चूस चूस के १५ मिनिट के बाद खेलना बंध किया और वापस भाभी को होठो पर किस किया... एक नंगी औरत मेरे निचे थी ये बात का मूज़े अभिमान था...
भाभी: थक गए?
मैं: तुजे दुखेगा...
भाभी: मैंने पहले ही बोला आज मैं कुछ नहीं कहूँगी...
मैं: एक दो है ऐसे मुझे मेरे खुद के लव बाइट देने है..
भाभी: हां तो दे दे...
मैंने भाभी के निप्पल को उंगलिओ के बिच से खीच कर बिलकुल निचे जैसे ही...
ऐसे खीच कर निप्पल के ऊपर के भाग पर हल्का सा किस किया.. दूसरे मम्मे को भी मैंने ऐसा ही किया... निप्पल से निचे वाले मम्मे के हिस्से में स्तन जहा पूरा होता है वहा लेफ्ट मम्मे को पहले मैंने अपने दातो से काटा, ये थोडा ज़ोर से किया ता के मेरे अगले दांत की छाप बैठ जाए.. मैंने उत्साह मैं और भीच के रखा... और जब छोड़ा तो मेरे दांत के निशान वह जगह थे.. मुझे गर्व महसूस हुआ... फिर तो मैंने निप्पल को छोड़ कर आजूबाजू सब जगह ऐसे दांतो के निशान दोनों मम्मो पर छापना शुरू किया... मुझे खैलने में मज़ा आ रहा था... भाभी को दुःख भी रहा था... मैंने निप्पल पर कुछ नहीं किया क्योंकी मैं जनता था के निप्पल सब से सेंसिटिव होता है, पर फिर भी मैंने जैसे कैरम से खलते वखत स्ट्राइकर से मारते है बिल्कुल वैसे ही दोनों निप्पल पर एकसाथ जोर से मार के मेरी वासना का लेवल और दिखा दिया.. भाभी का चहेरे पर आंसू भी नज़र आये...
मैं: भाभी रुक जाउ?
भाभी: शशशश... आज कुछ मत बोल... और हा... सिर्फ दातो के निशान बैठाने से लव बाइट नहीं मिलेगा... तुजे और भींचना पड़ेगा... ये तो शाम तक निकल जायेंगे।
मैं: मैं तो कर दू पर रात को भैया को जवाब आपको देना है..
भाभी: ह्म्म्म ठीक है चल आज ये तेरा उधार रहा मुज पर...
मैं धीरे धीरे और निचे खिसक के पेट की और आया वह जगह पर भी मैंने अपने दातो से काटना चालू रख्खा.. वहा भी मैंने दातो की छाप छोड़ी और नाभि की चमड़ी को भी दातो से खीचा... अब मैं हर मर्द की फेवरिट जगह पर था... चूत पे.. वाह दोनों तरफ फूली हुई और बिच में एक मस्त दरार जो स्वर्ग का दरवाज़ा है, मैंने हल्के से अपनी उंगलिओ से खोला... वाह क्या नज़ारा था...
उसमे देखा के पानी की धारा बह रही थी... मैंने उसे अपने दूसरे हाथ से पोछा पर फिर अंदर से धारा बही... स्त्री की उत्तेजना दिख रही थी... मैं नजदीक गया क्या नमकीन सी खुशबु थी और धीरे से जीभ से छुआ... थोडा नमकीन लगा... पर फिर मैंने वहा अपने दांत जीभ और होठ से भाभी की चूत को चोदना चालू किया... कभी दातो से चूत के बाहर के पडदे को खिचता कभी जीभ अंदर तक घुसाता... कभी ऊँगली करता, कभी दो ऊँगली... यहाँ कितना मुलायम था भाग... मैंने सपने में भी नहीं सोचा था के ये भाग इतना सिल्की होता है... अंदर का भाग तो चमड़ी ही है... पर इतना गरम होता है? अंदर हाथ डालो तो जैसे भट्ठी हो, जिसमे पानी निकलता है... मानो के लड़की पिघल रही है... मैंने करी १० मिनिट तक उसे खूब चूसा और ऊँगली भी की काटा भी सही भाभी की जांघो को और फिर भाभी अकड़ ने लगी और वो जड़ने लगी... मुझे वो सब खारा खारा चिकना चिकना था, पर मुझे अच्छा लगा... मैं चाटे रहा... भाभी के मुख पर लाली छायी हुई थी.. मैं अभी भी भाभी के चूत से खेल रहा था... पर अब भाभी ने मुझे रोक के बोला... चल अब मेरी बारी....
भाभी अब पलंग से उठी, पर मैंने भाभी को रोका...
मैं: अभी तो मेरा आधा काम हुआ है, तेरी बारी बाद में...
भाभी: क्यों ? क्या हुआ?
मैं: अभी तुजे मैं पीछे से एक्स्प्लोर करूँगा... तुजे चोदु उससे पहले तुज में क्या क्या है... और कौनसा हिस्सा मेरा फेवरिट बना रहेगा... वो मैं पहले से देख लेना चाहता हूँ...
भाभी: हा हा हा हा... तो अब क्या करू उलटी घुमु?
मैं: हा...
मैं उनकी मदहोश काया देखकर क्या कर रहा था... मुझे समज नहीं आ रहा था... मैं अब उनकी ऊपर चढ़ के उसके पिढ़ पर अपने हाथ घुमा रहा था... दोनों मम्मो को मैंने खीच के बहार की और कर दिया... मम्मो के साथ मैं जो भी खिलवाड़ करता उनके निप्पल को खीच कर ही करता था... मैंने उसपर अपना वजन डाल के सो गया और उनके गर्दन से लेकर हर जगह किस करते हुए, अपने दातो से काटते हुए... पीठ पर मैंने करीबन ५-६ बार दातो के निशान दिए...
और अब मैं पहोचा दूसरे जन्नत के द्वार पे... मैं उनके कूल्हे को छुआ... उसे किस किया... और फिर जैसे गद्दे हो नरम नरम वैसे दबाया तो मज़ा आया... मैंने दो कुल्हो के बिच की दरार को थोडा स्प्रेड किया पर मुझे भाभी सोई हुई थी तो अच्छे से मज़ा नहीं आ रहा था... तो भाभी ने अपने आपको कुछ ऐसे एडजस्ट किया...
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RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
भाभी: ये तेरा दूसरा जन्नत का द्वार है.. (इतना सेक्सी अंदाज मैं बोला के मैं रह नहीं पाया)
और मैं उनके कुल्हो पर अपनी किस बरसाने लगता हूँ... मई मस्त कुल्हो पर अपने दांत से, या हाथ से चूंटी भरता रहा.. गांड के होल में मैं चाटना थोडा रुक गया, पर मैं अब कोई भी चीज़ छोड़ना नहीं चाहता था... मैं अपनी जीभ गांड पर थोड़ी घुमाई और फिर उस पर अचानक ही टूट पड़ा... जीभ को मैंने अंदर डाल ने की कोशिश की, अजीब लग तो रहा था पर मैंने नहीं छोड़ा... मैंने देखा के गांड और चूत के होल के बिच ज्यादा अंतर नहीं था.. मैंने बिच वाले हिस्से को चूमा, और वहा बहोत बार चूस... भाभी के आह की आवाज़ से पता चल गया के ये भाभी के लिए पहली बार था..
भाभी: तूने कुछ् ऐसा किया जो पहली बार हुआ है मेरी साथ... मज़ा आया... तो आज मैं भी कुछ ऐसा करुँगी जो मेरी तरफ से किसी मर्द को दिया हुआ पहला सुख होगा...
मैं: और वो क्या भला?
भाभी: पता चल जाएगा... अभी तो मेरे कूल्हे को चमाट मार मार के लाल कर सकता है अगर चाहे तो...
मैं: कितनी जोर से मारू?
भाभी: तेरी इच्छा... मैंने पहले ही बोला था के आज तू मेरी परवाह नहीं करेगा...
मैं: तो आजा मेरी गोदी मैं...
मैं सोफे पर बैठा और भाभी मेरी गोदी में आ गई। मैंने एक जोर से चपत लगाई... भाभी एकदम सेक्सी अदा में आह किया... मैंने और ज़ोर से दूसरे कूल्हे को मार के देखा... भाभी ने और सेक्सी और बड़ी आवाज़ में आ....ह किया... मुझे और जुस्सा मिला और में दे धना धन मारने लगा... उसके बालो को खीच के मारे जा रहा था...
मुझे तो बहोत अच्छा लग रहा था... मस्त ५-६ मिनिट मार मार के मैंने भाभी की गांड सुजा दिया था... यहाँ मेरे दातो के निशान नहीं पर हाथो के निशान थे... मैं ऐसा बदन पाकर धन्य हो चुका था... क्या नेचर है भाभी का... पूरा समर्पण अपने प्रेम के प्रति... अपने बदन को पूरा मुझे सोप दिया था...
मैं: चल आजा तेरी बारी...
भाभी: मन भर गया?
मैं: मन तो नहीं भरा, पर अब कुछ आगे भी तो बढ़ना है... वर्ना मैं तो पूरा दिन निकाल लू इस बदन के हुस्न से खेल के...
भाभी: हा तो खेल ले जी भर के... कल कर लेना...
मैं: नहीं... अब तेरी बारी... अब तेरा बदन जब मुज पे घूमेगा तब भी एक नया अनुभव ही है... मैंने तेरा जीभ होठ का अनुभव अपने बदन पर लेना चाहता हूँ...
ये सब बातो के दौरान मैं और भाभी खड़े हो गए... भाभी मेरे बदन पे कपडे पे अपना नंगा बदन चिपका रही थी और मुझसे बाते करते हुए शर्ट के बटन को खोल रही थी... २-३ खोल के अंदर हाथ डाले मेरी और देखती रही...
भाभी: तो तेरा लंड १०" का है...
मैं: हा तो?
भाभी: नापा था क्या?
मैं: हा, स्केल लेके नापा था क्यों?
भाभी: तो आज मजा आएगा...
मैं: हम्म्म... आउच
भाभी ने मेरे निप्पल ऊँगली से खीच लिया था। अब मुझे भी यह सब सहन करना था?
मैं: देख भाभी तू वही करना जो मुझे पसंद आये... वो मत करना जो तुजे पसंद आये... आज तूने खुद को मुझे सोपा है... आज तेरा बदन मेरा है... तो मैं तेरे बदन से खेलूंगा... तू नहीं
ऐसा करके एक जोर से चपत मैंने उनके स्तन पर मारे एक पनिशमेंट के दौर पर...
भाभी: आह... आउच... ये क्या था?
मैं: पनिशमेंट
भाभी: ओह.. तो आप मुझे पनिश करेंगे मैंने ऐसी वैसी हरकत की तो... जो आपको पसंद न आये...
मैं: सही फरमाया...
भाभी: तो ठीक है ये लो...
उसने मेरे दूसरे निप्पल को भी खीच दिया... मैं मारने जा ही रहा था के...
भाभी: ये मम्मे पर मार इनको बुरा लगा...
लड़कियो की एक आदत कही पढ़ी थी... अगर एक मम्मे पर आप थोडा ध्यान दोगे तो दूसरे का वो खुद इन्विटेशन दे देगी... जो यहा भी हुआ... जब मैं मम्मे चूस रहा था तब मैंने तो दोनों मम्मे को एकसाथ न्याय दिया था तो वो तब नहीं दिखाई दिया पर एक चपत एक मम्मे और दूसरा स्तन खाली पड़ा के मुझे न्योता मिला... मैंने जरा भी देर न करते हुए वहा एक चिमटी काटी, चपत नहीं मारी... मैंने जो पढ़ा वो सच है की नहीं वो जानना चाहता था...
भाभी: प्लीज़ एक चिमटी इधर काटो और यहाँ एक चपत लगाओ प्लीज़?
मैं ये अब लम्बा नहीं खीचना चाहता था... क्योकि ये सब में टाइम १.५ घंटे जितना निकल गया था... भैया के आने में अभी ८-९ घंटे थे पर मैं और भी कुछ करना चाहता था... मैंने दूसरे पे एक चपत मारी और एक पर चिमटी काटी... वो खुश हो गई... वैसे ही ये दोनों स्तन लाल हो गए थे पर वो खुश थी... मेरा ट्रैक पैंट को ख़ुशी ख़ुशी निकाल के मेरे शर्ट को मेरे कंधे से बाहर निकाल ने लगी... मैंने अपना ट्रैक पेंट पैर ऊपर करके अलग किया और अब मैं सिर्फ निक्कर में था, वो तो पहले ही नंगी थी... उसने मेरे निक्कर को बहार से सहलाया...
भाभी: अरे बाप रे काफी बड़ा है...
मैं: अब तेरा है...
भाभी: मैं पूरा मेरे मुह मैं नहीं ले पाउंगी...
मैं: नहीं मैं तेरे हर एक होल में पूरा अंदर घुसूँगा... अंदर तक लेना ही पड़ेगा...
भाभी: अरे १०" मतलब कुछ हो गया तो मेरे गले को? तेरे भैया का ८" इंच है... वो बड़ी मुश्किल से ले पाती हूँ...
मैं: भाभी तेरा जो ये हुस्न है ना... उसके लिए ये १०" भाई कम पड़े... चल पहले दीदार तो कर... अभी तो मैं तेरे मुह में ही जडुगा...
भाभी: ये मेरा वादा है की मैं तेरे वीर्य की बून्द बून्द पि जाउंगी... पर इतना अंदर मत निकालना प्लीज़...
मैं: क्यों? कहा गया तेरा वादा?
भाभी: (मेरी बात काटते हुए) हा.... हा... तुजे मेरी परवाह नहीं करनी है... ठीक है, मेरे पहले प्यार का पहला अनुभव है... उसे जो पसंद हो वही होगा...
भाभी ने मेरी निक्कर निकाली... और साँप जैसा मोटा लंड...
भाभी: ह्म्म्म्म तो ये जनाब है... जिसको खुश करना है मेरे पुरे बदन को...
मैं: जी हा... चलो अब घुटने टेको इसके आगे... एक औरत का कर्तव्य निभाओ...
भाभी: ओके... वैसे भी अब तू है तब तक मैं अपना वीर्य तेरे मुह, चूत या गांड में ही निकलूंगा, वेस्ट तो करूँगा ही नहीँ... और हां कंडोम कभी नहीं पहनूंगा...
भाभी: बाद का बाद में... आज तो तू लाता तो भी मैं तुजे नहीं पहनने देती... पहली बार कोई कंडोम थोड़ी पहनता है?
मेरी निक्कर पूरी तरह से निकाल के मेरे लण्ड को हाथ में लिया... ठण्डी ठण्डी मुलायम हाथ वाली मुठ्ठी में मेरा लण्ड, आज तक का सबसे सुखद अनुभव... लगा अभी जड़ ना जाउ... पर काबू किया... भाभी ने अपने मुलायम होठो से मेरे लण्ड से दोस्ती करनी शुरू की... मैं थोडा उकसाया हुआ भाभी के मुह में धसने की कोशिश कर रहा था....
भाभी: अरे सबर करो... मुह में लेना है पर दोस्ती तो करने दो...
भाभी मुझे परेशान कर रहे थे... पर उसने जैसे ही अपना मुह खोला के मैंने जट से गीले मुह मैं अपना टोपा घुस दिया... उसने स्वागत किया इस हमले का... शायद पता ही था के मैं अब ये करूँगा... मैं पहले ही बारी में अपना पूरा लंड घुसाने लगा... उसे पता था के मानने वाला नहीं हूँ तो उसने भी अपने गले में जगह बनाना शुरू किया और धीरे धीरे लण्ड को मुह में उतार ने लगी... ८ इंच तक तो वैसे भी उसे कोई तकलीफ नहीं होती थी... पर अब का काम भारी था... उसने जल्दी से बहार निकाला और बोली...
भाभी: देख मैं ट्राई कर रही हूँ... पर तू मेरा मुह थोडा चोद तो तुजे धीरे धीरे जगह मिलती जायेगी और तू अंदर पूरा डाल पाएगा... मैं अपना सर जब ऊँचा करू तब तू अंदर थोडा प्रेस करना लण्ड को ठीक है?
मैं: हां भाभी...
साला मुह में इतनी तकलीफ हो रही है तो चूत में क्या होगा... अरे गांड तो और भी भारी पड़ेगी...? भाभी इतना ही मुह में ले पा रही थी...
पर हर एकाद मिनिट के बाद मेरे लण्ड के आसपास जीभ घुमाती... मुझे अंदर बहुत गिला गिला महसूस करवाती और फिर अपना सर थोडा ऊँचा करती के मैं लण्ड को इशारा मिलते ही धस देता... ३-४ मिनिट में मेरे लण्ड ने उनके मुह से दोस्ती कर ली थी और मेरा पूरा लण्ड अब अंदर बाहर हो रहा था... अब मेने उनके बालो को पकड़े और निचे खीचा ता के और अंदर घुसा दू... अब मेरा लण्ड खत्म हो गया था वहा तक तो घुसा दिया पर फिर भी भाभी के गले से निकलता लण्ड दिखने के लिए बालो को खीच के देखता था.. १० मिनिट में मैंने एक बार भी लण्ड बहार नहीं निकाला... और बस मुह को चोदे जा रहा था... भाभी के मुह से "उम्म्म्म्म..... उम्म्म्म्म..." जितना हो सके उतना जोरो से कर रही थी... ता के गले के कम्पन से मेरे लण्ड को और मज़ा आये... मेरा होने वाला था के भाभी ने लण्ड बाहर निकाला और सजेशन दिया...
भाभी: तेरा अब होने को है... तू चाहे तो उस वख्त मेरे मम्मो से खेल सकता है... जब तू वीर्य निकाले मेरे मम्मो को भींचने में मज़ा आएगा...
मैं: तू ने मुह से निकाला ही क्यों?
बोलते ही मैंने उसके गाल पर एक जड़ दिया... उसने मुह खोला के तुरंत मैंने सीधा अंदर तक धड़ दिया... भाभी थोडा अंदर लेने में नखरे कर रही थी... मेरा कभी भी होने वाला था... मैंने जट से भाभी की नाक दबाई और... मेरा पूरा अंदर चला गया...
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RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
मैं समझ गया... मैंने भाभी के स्तन को छुआ... उसे अब एक्सप्लोर करने लगा... धीरे धीरे लण्ड ने चूत में अपनी पकड़ खुद बना ली... वापस से चूत में मेरा लंड टाइट था... और मैंने थोडा और धक्का मार के चूत में मेरा लण्ड ७ इंच तक उतार दिया था... अब थोड़ी देर में मेरा लण्ड भाभी के लिए भारी पड़ने वाला था... एक तो मोटाई में भी मोटा था भैया से और लंबाई में भी... तो अब उसे भी तकलीफ पड़ने वाली थी...
भाभी: शायद अब अंदर नहीं जायेगा...
मैं: ऐसा क्या?
भाभी: हां तू मार धक्का तुजे मिल रही है जगह?
मैं: नहीं थोडा दर्द हो रहा है मुझे...
भाभी: तेरे तो लण्ड की चमड़ी खीच गई होगी... तू अब प्रेशर करेगा तो शायद खून भी निकले...
मैं: हा क्या?
भाभी: हा नॉर्मल है... तू अपनी भी चिंता मत कर और मेरी भी... आजा मेरे पास....
मैं भाभी के ऊपर भाभी को चूम रहा था...
भाभी का पूरा सहयोग मिल रहा था... मैं खून का सोच के थोडा डर गया और लण्ड वापस थोडा पकड़ गवा रहा था के भाभी ने उसी समय का उपयोग करके अपनी गांड को ऊपर किया। भाभी की ये समय सुचकता काम आ गई... मैंने भी थोडा जोर लगाया और मेरा पूरा का पूरा लंड भाभी के चूत में समा गया... मैंने देखा तो अब जगह नहीं थी... अब पूरा अंदर चला गया। मेरी एकतरफ तो ख़ुशी का ठिकाना नहीं था... पर भाभी का चहेरा कुछ दर्द बयां कर रहा था...
मैं: भाभी निकाल लू क्या?
भाभी: अरे पगले ये लड़की को कभी मत पूछना... असली मज़ा लड़की को इस दर्द के बाद ही मिलता है... अगर ये दर्द मैं सेह नहीं पाऊँगी तो अगले पल मिलने वाला सुख मैं नहीं पा सकुंगी.... आज वैसे भी तूजे मेरी चिंता नहीं करनी है...
मैं: ये आज आज क्या करते हो? कल से क्या होगा?
भाभी: तू खुद ख्याल करेगा मेरा... अब बाते बंध कर... चाहे मुझे मार, चाहे गाली दे, चाहे जितना उकसाना हो उकसा, या तड़पाना हो तड़पा ले... पर अब सीरियस बाते लंड चूत के अंदर हो तब नहीं... ये लंड चूत का अपमान है... समजे..? अब मैं तेरी हूँ... तू जो चाहता था वो तुजे... आ...ह... मिल रहा.... आ...ह (मैं धक्के मारने लगा था) है... अब... उ....ह तेरा ध्यान में....री.... आ.... ह बजाने में ही.... आ.... ह होना चाहिए.... आउच... जोर लगा... आ....ह और.... उ...ह जोर से.... उ....ह काट मुझे... आह....
मैं: आज... आह...... उह.... (मैं लण्ड और अंदर घुसाता था) मैं... ऊह.... ये दीवारे तोड़ कर.... उम्म्म्म्म्म्म्म (होठो पर किस किया) और.... तुझमे ही जडुंगा.... भैया के लिए आज.... ऊ....ह कुछ नहीं बचने वाला.... आह..... आह.... ओह..... यस बेबी.... आह.... मादरचोद रांड.... कितना मज़ा आ रहा है... बहनचोद... ये कितना सुखद अनुभव है.... छिनाल एकबार तेरी गांड भी दे दे... ता के तू अब हर एंगल से मेरी हो जाए... एक केसेट की तरह दोनों और तुजे रगड़ना चाहता हूँ... गांड तो.... हाय तेरा निप्पल मादरचोद क्या मीठे है... काट के बाहर निकाल लू क्या? उम्म्म्म्म्म
भाभी मेरे धक्को के साथ ऊपर निचे हो रही थी... पलंग पर मैं अपने पैर को एक हिस्से से लगाकर ये सब धक्के बना रहा था... वो ही मेरे कातिल धक्को का जवाबदार था... पलंग दो और से बंध क्यों होते है उसका एक कारण आज जानने को मिला... हा हा हा हा.... मैं और इन्टेन्स होता ही चला गया.... मुझे पानी के सहेलाब २ बार महसूस हुए... भाभी को मैंने मतलब दो बार जाड दिया था... उस टाइम भाभी ने मेरे पीठ पर नाख़ून चुभाए थे... मुझे लगा भी के शायद छिल गया होगा, तो अब फिर बारी आई सुखद अनुभव की मेरी..... जन्नत की सैर करने का, या फिर पनिशमेंट देने का... मैंने भाभी को बराबर दबोच लिया और फिर उसके मुह में किस करते हुए मैंने एक जोरदार वीर्य की पिचकारी भाभी की चूत में डाल दिया... उस टाइम मैंने जोर से भाभी के निचले हिस्से को काट लिया... वो चीख पड़ी... पर हस के मेरे ये पनिशमेंट का स्वागत किया... मुझे लगा मैंने जल्दी किया पर बाद मैं पता चला के फिर भी मैं १५ मिनिट तक भाभी पर चढ़ा रहा था... अब मेरी ताकत खाली हो गई थी... क्योकि ये मेरा पहली बार का अनुभव था... होसला अभी भी बरकार था पर दो बार, सिर्फ २-३ घंटो में? थोडा थक गया था....
मैं भाभी के अंदर ही पड़ा रहा... मेरा सर भाभी के मम्मो के बिच पड़ा रहा... भाभी मेरे माथे पर अपनी उंगलिया घुमाती रही... मैं अपने लंड को बहार निकाल नही चाहता था... पर सब भारी भारी लग रहा था... मैंने हलके से अपने लण्ड को निकालना चाहा... पर मुझे भी थोडा चुभ रहा था...
भाभी: मुझे वजन नहीं लग रहा, पड़ा रह मुज पर... जब तेरा लंड़ ढीला हो जाए तब निकाल लेना...
मैं: ह्म्म्म्म मैं सो जाता हु थोड़ी देर के लिए...
भाभी: हम्म सो जा...
भाभी के मम्मो को तकिया बना कर मैं सो गया... पर लण्ड थोडा मानेगा, पांच मिनिट के बाद भी... वो मुझे परेशान कर ही रहा था... मैंने धीरे धीरे अपनी गांड को थोडा ऊँचा करके लण्ड को निकाल ने को कोशिश की... तो धीमे धीमे निकल रहा था... पर जैसे ही टोपा निकल के बहार आया तो भाभी भी आउच कर बैठी... और मेरे लण्ड पर खून लगा था...
भाभी: ह्म्म्म तो तू खुद को इंजर्ड कर बैठा... चमड़ी ऊपर चढ़ गई... और खून निकल गया... चल साफ़ कर देती हूँ...
भाभी नजदीक पड़ी लिंगरी को उठाने गई... पर मैंने रोक के कहा...
मैं: नहीं भाभी अपने बिच कोई कपडा नहीं आयेगा आज... मुह से कर दे साफ़... वीर्य है, खून है और तेरे चूत का पानी है.. जो तू वैसे भी किसीना किसी तरह से मुह में ले ही लेती है...
भाभी ने तय की गई बात मान ली और मेरा पूरा लौड़ा जीभ से चाट चाट कर साफ़ कर दिया... मेरे लौड़े में दर्द था... वो भाभी के मुह से अच्छा लगा... भाभी ने मुझे देखा और बोला...
भाभी: खुश?
मैं: ह्म्म्म
भाभी: अब में होठ पे तूने जो लव बाइट दिया है! क्या करू उसका? तेरे भैया को क्या बोलुं?
मैं: मैं थक गया हूँ... तेरा तू जाने... आजा सो जाए...
भाभी: हम्म ठीक है... मैं संभाल लुंगी....
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12-01-2018, 12:20 AM,
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RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
हम दोनों वही पर दो नंगे बदन, चद्दर ओढ़ कर एक दूसरे की आगोश में लिपटे सो गए...
मैंने इतनी गहरी नींद पहले कभी नहीं ली थी... मेरी आँखे खुली तो कुछ दोपहर के साढ़े तिन बज चुके थे... सुबह से सिर्फ मैंने भाभी का नाश्ता किया था... या खाया था... भूख ज़ोरो की लगी थी.. भाभी मेरी आजूबाजू नहीं दिख रही थी... मुझे लगा के वो बिलकुल ही खाना बनाने ही गई होगी... मैंने अपना ट्रैक पहना और फिर बहार निकल कर भाभी को ढूंढने लगा... पहले तो जा के मैंने किचन में देखा वहा पर भाभी के चूड़ियों की आवाज़ आ रही थी... मैंने चुपके से देखा... तो भाभी ने मेरी एक और ख्वाहिश पूरी कर दी थी... भाभी ने घरमे ब्लाऊज़ पहना था और निचे खूब छोटा शॉर्ट पहना था... उस शार्ट के पॉकेट के हिस्से भी बहार आ रहे थे उतना छोटा... ब्लाउज़ बैकलेस था... सिर्फ निचे से एक हुक पर पूरा टिक के पड़ा था... मतलब भाभी ने अंदर तो मानो के कुछ नहीं ही पहना था... वो पक्का था... भाभी शिद्धत से मेरी ख्वाहिश पूरी कर रही थी... अब हमारे बिच सब खुल्लम खुल्ला था... कोई रोक नहीं थी... पीछे से देख कर मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और आगे जाके मैंने पीछे से भाभी को दबोच लिया...
भाभी: अरे धीमे गैस चालू है...
मैं: तो तू भी तो चालू है...
भाभी: तेरे लिये खाना बना रही हूँ...
मैं: ह्म्म्म क्या बना रही है...?
भाभी: कुछ नहीं रूटीन... तू बता तेरी नींद कैसी कटी?
मैं: जबरदस्त.... ऐसी नींद कभी नहीं की मैंने...
मैं भाभी को पीछे से सटका था... मेरी नजर आगे गई... कैंची चली थी शायद ब्लाउज़ पर... निप्पल के आजूबाजू का ब्राउन कलर मुझे दिख रहा था... जैसे तैसे निप्पल ढका था... मैं ऊपर से देख रहा था तो मुझे तो निप्पल का दाना भी साफ़ दिखाई दे रहा था.. सिर्फ आगे एक हुक था.... मैंने भाभी को मेरी और किया तो क्या खूबसूरत नज़ारा था... मैं देख के अपनी जीभ बहार निकाली....
भाभी: पहले कुछ खालो... बाद मैं बाकी का काम करना... रेड़ी हो गया तेरा लौड़ा?
मैं: नहीं था... थक गया था पर अब गांड का उद्घाटन कर के ही छोडूंगा... पर चल जल्दी खाना बना ले... और हा....
मैंने ब्लाऊज़ के निप्पल वाले हिस्से को थोडा निचे किया और दोनों निप्पल को बाहर निकाला...
मैं: ऐसे ही रहने दे, बाहर अच्छा लगता है... सुबह काटा क्या ब्लाऊज़?
भाभी: नहीं तू सो रहा था तब...
मैं: ह्म्म्म्म कितना टाइम लगेगा गांड मरवाने में?
भाभी: अभी शाम का खाना भी अभी तैयार करुँगी तू तेरा कोई काम हो तो निपटा ले... तो बाद में तेरा भाई आए तक और कुछ ना करना पड़े...
मैं: ओके...
कर के मैं उसके होठो को किस करके... गांड पर एक जोर से चपत मार के निकल गया... मैं अपना मोबाईल ढूंढ रहा था... सुबह से ध्यान नहीं आया था... याद भी नहीं आया था... तो जा के अपने बेड पर मोबाईल निकाल के चेक किया तो मुझे अपेक्षा थी उसके हिसाब से १२-१३ मिसकॉल थे, मेसेजिस् भी थे... देखा के सब मुझे ढूंढ रहे थे... के मैं कहा गायब हो गया हूँ... कुछ खास नहीं था के में आपको शेयर करू... तो मैंने मेसेज सिर्फ इतना मेसेज किया के रात को मिलते है... थोडा काम में बिज़ी हूँ.... पर वो लोग भड़के हुए थे... ये सब लोग वही मेरे चार दोस्त... मैं अब इनको और कुछ बताना नहीं चाहता था... पर मैंने ही बहोत कुछ बोल के रख्खा था तो अब वो सब मुझे छेड़ रहे थे... हमारे पांच जन के ग्रुप में कमेंट भी डाले गए थे के "कहा मर गया लौड़े, भाभी की चूत मिली क्या?" थोडा बहोत वो मुझे उकसाने के लिए छेड़ रहे थे.... दोस्त थे तो वो हर वख्त मुझे छेड़ने के टाइम ये टॉपिक हाथ में लेते थे... पर मैं ये बताना नहीं चाहता था के अब ये मेरा सीक्रेट है... तो मैंने बात बनाई और फिर मिलके बात करने का वादा किया... बस ऐसे ही मैं दोस्तों से बात कर रहा था... और भाभी बुलाने मुझे मेरे रूम में आई... मैंने मोबाईल बंध कर दिया.... मुझे लगा के मैंने जो ऑलरेडी मेरे दोस्तों को बताया है वो भाभी को पता ना चल जाए...
अचानक मैंने फोन को छुपाया तो भाभी बोली
भाभी: क्या कर रहे हो?
मैं: कुछ नहीं चलो खाना खाने...
भाभी: वो तो जाएंगे पर बता पहले की बात क्या है? क्या छुपा रहा है...
मैं: भाभी कुछ नहीं चलो ना....
भाभी: तेरा चहेरा साफ़ बता रहा है... के तू कुछ छुपा रहा है... गांड मारने नहीं दूँगी... और एक सरप्राइज़ मैं देने वाली थी जो बताया था वो भी नहीं मिलेगा...
मैं: भाभी... छोडो न... मेन्स टॉक प्लीज़...
भाभी: हा तो गांड नहीं मारने दूँगी... मत बता तेरा मेन्स टॉक...
मैं: अच्छा भाभी, होठ काटा वो भैया को क्या बोलोगी...?
भाभी: वो मेरा लुक आउट है... मैं खुद निपट लुंगी... चल खाना रेड़ी है...
मैं: हा चलो भाभी बहुत भूख लगी है... फिर ताकत भी तो लगनी है...
भाभी: जी नहीं मैंने अपना सब कुछ दे दिया... और तुम्हे मेन्स टॉक करनी है... कुछ नहीं मिलेगा...
मैं: अरे भाभी छोड़ना वो सब क्या रख्खा है...
भाभी: तो ये सब भी छोड़ना क्या रख्खा है इसमें, तेरी एक दिन शादी होनी ही है... वही सब कर लेना...
भाभी ने अपना ब्लाउज़ ठीक करके निप्पल को अंदर ले लिये...
मैं: उसे तो...
मेरी बात काटते हुए
भाभी: खाना खाने के बाद कपडे भी पुरे पहनूंगी... चलो चुप चाप खाओ...
मैं: क्या चाहती है तू?
भाभी: मुझे तेरे मेसेजिस् पढ़ने है... अभी के अभी...
मैं: खाना तो खा ले...
भाभी: नहीं... दिखा पहले...
मैं: प्लीज़ बुरा मत मानना... ले...
अब मेरी चोरी पकड़ी जानी थी... मैं कितना रिस्क ले चुका था... और मेसेज पढ़ के भाभी के रिएक्शन देखने लायक होंगे से थोडा गभरा गया था... मेरे निचे आने में भाभी मना नहीं करेगी कभी भी उतना पता था... पर कहीं प्यार में दरार आ जाने का डर था... जिस ख़ुशी ख़ुशी वो अपना बदन सोपति थी वो शायद खुद की भूख केवल मिटाने को सिमित रहती...
भाभी को फोन अनलॉक देने के बाद भाभी ने सारे मेसेज ध्यान से पढ़े... हम खाना भी साथ खाए जा रहे थे... मेरा मन था खाना खाने दौरान थोड़ी शरारत करना पर वो अब नहीं हो पा रहा था... एक थाली में खाना था अलग अलग खा रहे थे...
भाभी: ह्म्म्म तो ठीक है... तो तू मुझे चोदना चाहता है वो सब जानते है...
मैं: हा...
भाभी: क्यों बताया?
मैं: ये मेरे खास दोस्त है... जैसे भैया के होते है...
भाभी: पर वो मुझे इसतरह नीलाम नहीं करते...
मैं: पर भाभी वो तेरा पति है... मैं बॉयफ्रेंड हु लवर हूँ
भाभी: तो तुजे अच्छा लगेगा ये सब मुझे गन्दी नज़रो से देखेगे?
मैं: इसीलिए तो नही बताया...
भाभी: इसलिए मैं ज्यादा गुस्सा नहीं हुई...
मैं: सॉरी...
भाभी: इट्स ओके तू मेरा लवर है, तू जो चाहे कर सकता है.. पर जो कुछ करे मुझे पता होना चाहिए ओके?
मैं: ओके
भाभी: गुड़ खाना है?
मैं: हा ले आउ?
भाभी: रुक...
और फिर भाभी ने अपना ब्लाउज़ को निचे किया और स्तन पर लगाया गुड़ दिखाया... मैं पागल हो गया...
मैं: वाह पर कैसे खाऊ?
भाभी: जैसे रोटी और थाली में खाता है वैसे... चाट के खाना है तो चाट के, मुझे क्यों पूछ रहा है?
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12-01-2018, 12:20 AM,
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RE: Antarvasna kahani हर ख्वाहिश पूरी की भाभी �...
हम दोनों हसने लगे... भाभी के मन में भी वही चल रहा था जो मेरे मन में... हम दोनों ने ये खुलकर बात की... पर साला डर लग रहा था... एकदूसरे को बताने को, के दोनों रेड़ी है....
भाभी ने मुझे कंडोम दिया और रात को इसमें वीर्य निकाल ने को बोला... मैंने भी हा बोल दी... पर चूत, गांड और मुह का स्वाद चखने के बाद अब लौड़े को कंडोम से कैसे पठाउ? पर मैंने ले लिया... अब रात को वो पिने आएगी तब उसे देख लूंगा... पर रात को मुझे जल्द नींद आ गई... कब सो चूका पता नहीं चला... लौड़ा दुःख भी रहा था... तो कब सुबह पड़ी नहीं पता चला... भाभी का एक गिफ्ट था जो बाकी था... जो सरप्राइज़ सरप्राइज़ कर रही थी... वो तो पता नहीं पर अगले दिन भाभी मुझे कुछ इस हाल में उठाने आई....
मैं: वाह मेरी रांड... पर मैं दारु नहीं पिता..
भाभी: और दारु है भी नहीं इसमें, ये है सिर्फ सादा पानी... ये नास्ता तो कर सकते हो...
मैं: ह्म्म्म्म पर तू नास्ता करेगी ना साथ....
भाभी: मुझे भी तो स्पेशियल ब्रेकफास्ट लगेगा... तेरा वीर्य...
वो मेरे पास बैठी पर मुझे मुह धोने जाने को बोला... मैं नाह के भी आ गया... देखा तो भाभी नंगी पड़ी थी... और भाभी के ऊपर पोटेटो फिंगर्स यहाँ तहा पड़े थे... बूब्स को बर्गर से ढक दिया था... नजदीक आया तो देखा... के चूत में दस बार पोटेटो फिंगर्स घुसा के रख्खा था... क्या ब्रेकफास्ट है... मज़ा आया...
मैं: क्या नाश्ता मिला है...
भाभी: पर तूने कल कंडोम में वीर्य भर के नहीं रख्खा?
मैं: अरे तू अभी ले लेना... वेस्ट नहीं जाएगा...
भाभी: नहीं मुझे तो अब तू नास्ता कर ले... मैं तेरा वीर्य अब मेरे बर्गर पर लगा कर लूंगा...
मैं: बहोत बड़ी मादरचोद रांड है तू...
भाभी: चल चल अब नाश्ता कर...
मैंने सब से पहले चूत में फसे खाने को खाया... हाथ तो मैं लगाऊ ही क्यों? पैरो पर जाके सीधा चूत में से मुह से फिंगर्स निकाले वह तो और भी लज़ीज़ लगा... धीरे धीरे उसके सारे बदन पर पड़े फिंगर्स खाये... एक दो बार तो मैंने चटनी के तौर पर चूत में दाल के खा रहा था... फिर बर्गर को खाने के टाइम पर मैंने सौस भी देखा... वो सारे बदन पर लगा के उसे शरीर पर चटनी के जैसे खाने लगा... दोनों मम्मे को मैंने सौस से रगड़ रगड़ कर डाला... और फिर जब बर्गर ख़तम हुआ मैंने पूरा शारीर से सौस को चाट चाट के साफ़ किया... पुरे बदन को मैंने मस्त के नाश्ता किया...
मैं: चल रंडी कर ले तेरा नाश्ता...
भाभी: तू सोयेगा?
मैं: माँ चुदवाने जा... मुझे इन मम्मो के साथ खेलना है... तू क्या करवाना चाहती है?
भाभी: मैं चाहती हु के तू मास्टरबेट ही बर्गर से करे...
मैं: भोसडीकि... वो खाएगी?
भाभी: हा.... तू करेगा?
मैं: चल जैसे तेरी मरजी...
मैंने अपना ट्रैक पेंट निकाल के भाभी की और अपना लण्ड धर दिया... मैंने भाभी के बर्गर को भाभी के हाथ मैं दिया...
भाभी: अरे पहले तू मास्टरबेट तो कर...
मैं: अरे तेरे होते हुए मैं क्यों करू रंडी? मैंने बोलाना के मैं तेरे मम्मे से खेलूंगा...
भाभी: ह्म्म्म ओके ओके...
पहली बार बर्गर पे मैं अपना मास्टरबेट करवाने जा रहा था... पर वीर्य और बर्गर को भाभी खाते हुए देखना था... भाभी ने बर्गर के बिच मेरा लौड़ा रखा और फिर दबाया.... भाभी को नंगी देख ये लौड़ा वैसे भी टाइट तो हो ही गया था... एकाद मिनिट घिसा फिर... भाभी से रहा नही गया और लपक के मुह में ले लिया... मैं मुह को चोदने लगा... दस मिनिट तक मुह को चोदा और जैसे मेरा होने वाला था के...
मैं: हाय मादरचोद चल मेरा निकल ने वाला है... ला चल बर्गर ला...
फिर बर्गर को मेरे लौड़े के टोपे से ढक दिया और दबाया... मैंने सारा वीर्य वहा निकाला... पर थोडा फर्श पर गिरा...
मैं: चल तेरा खाना रेड़ी...
भाभी: पहले मुझे फर्श से पड़ा खाना पड़ेगा...
भाभी हाथ की उंगलिओ से लेने जा रही थी... मैंने भाभी के मम्मो पर एक चपत मारी...
मैं: भोसडीकि बोला था न कुतिया के चाट के साफ़ करना पड़ेगा?
भाभी: हा तेरी कुतिया ही तो हूँ... चल चटवा मुझसे...
मैंने भाभी का सर पकड़ा और फर्श पर ले गया और भाभी ने ख़ुशी ख़ुशी मेरा साथ देते हुए फर्श पर पड़ा हुआ वीर्य चाट चाट के साफ़ किया...
मैं: चल अब बर्गर खा...
भाभीने बड़े मस्त सेक्सी अदा में मेरा पूरा वीर्य से लथपथ बर्गर खा लिया...
मैं: तुजे वीर्य पसंद आ गया है बहोत...
भाभी: मुजे लगता है की वीर्य का स्थान औरत के अंदर ही होना चाहिए...
मैं: तू सबसे बड़ी रांड बन सकती है...
भाभी: तू और तेरा भैया वही तो बुलाया करते हो..
हम दोनों हस पड़े पर अब वासना के कीड़ा ने करवट ली... मैं और भाभी अचानक एकदूसरे को एकदम से लिपट कर काफी इन्टेन्स हो गए और एकदूसरे को भीचने लगे... हम न बिना कुछ सोचे समजे बस किस किये जा रहे थे... एकदम इन्टेन्स बन चुके थे... भाभी मेरी गोदी में आके मेरे लण्ड को उकसा रही थी... पर मेरा तो अभी हुआ था तो भाभी मुझे उकसाने अपना बूब्स मुझे दे रही थी...
भाभी: आज दोनों पे मुझे तेरे प्यार की मुहर चाहिए...
मैं: उम्म्म्म्म आह्ह्ह भाभी भैया को क्या बोलेगे....
भाभी: आआआ....ह माँ चुदवाने गया तेरा भैया... तू तेरा देख पर आज तू अगर कायम का दे देगा मैं ले लुंगी...
मैं: मादरचोद भोसडीकि रंडी... चलना मैं अपने दोस्तों को बुला ही लेता हु... सब भड़वे खुश हो जाएगे तुज जैसी रण्डी पाकर... बुलाऊ क्या...
भाभी: आआआअ.. ह अभी तू चोद ले... चूत तैयार है... पेल दे...
मैं: मेरा लण्ड नही... तू तेरा सरप्राइज़ दे जो तू कल से बोल रही थी...
भाभी: पहले मेरे दोनों निप्पल को खीच...
वो थोडा दूर गई तो मैंने निप्पल को भीच कर खीच दिया अपनी और...
भाभी: आउच... आआआअ...ह चल घूम जा...
मैंने भाभी को गोदी से उतारा... मैं घूम के बोला...
मैं: मज़ा नही आया तो रंडी तुजे बहुत मारूँगा...
भाभी: चुप.. गांड दिखा अपनी...
मैं: सच मैं?
भाभी: हा... पर कितने बाल है...?गांड के बाल साफ़ नहीं करता...
मैं: भोसडीकि रण्डी हो के ये वो क्या करती है? जीभ अंदर तक जानी चाहिये... और गोटे भी उधर है... चल मुह चला जल्दी...
भाभी के दोनों सरप्राइज़ पता चल गए थे...
भाभी: पर एक बात सुन ले...
मैं: क्या मादरचोद?
भाभी: मेरे शरीर से आजतक मिलने वाला ये पहला सुख है... जो तुजे मैं देने जा रही हूँ...
मैं: हां वो मैं धन्यवाद बाद में करूँगा...
गांड पे बाल थे पर भाभी ने बहोत शिद्धत से मेरे गांड को चाट चाट के मज़ा करवाया... भाभी की मस्त जीभ मेरी गांड मार रही थी, बहोत अच्छा लग रहा था.. बहोत अंदर तक जीभ का गीलापन महसूस हुआ... फिर मैं बैठ गया...
मैं: चल अब गोटे चाट और लण्ड को तैयार कर... तुजे चोदना है...
भाभी, रंडी जो कहो पालन किये जा रही थी... गोटे को मुह में लेती लण्ड को लेती... मेरे हाथो को उनके स्तन पर रख्खा और खैलने दिया...
मैं: तुजे बाद मैं चोदुंगा मुझे तेरे रसीले आम चोदने है, तू मेरी गांड चाट और मैं तेरे मम्मे चोदुंगा...
भाभी: ऐसे कैसे...
मैंने भाभी को पलंग पर सुलाया... सीधा... भाभी को बोला जैसे मुँहमे लेने के लिए होती है वैसे ही तैयार हो जा... मैं तेरा मुह नहीं चोदुंगा... पर स्तन चोदुंगा... तू मेरी गांड चूस लेना...
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