01-01-2019, 12:03 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,061
Threads: 4,452
Joined: May 2017
|
|
Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--1
'मेम्साब रात बहुत हो चुकी है आप कब तक रहेंगी यहा' राजकुमार ने पूछा.
'बस काका जा रही हूँ' पद्मिनी ने टेबल पर बिखरे कागजॉ को एक फाइल कवर में रखते हुवे कहा.
पद्मिनी ऑफीस के चोकीदार को काका कह कर ही बुलाती थी.
जैसे ही पद्मिनी अपने कॅबिन से बाहर निकली ऑफीस के सन्नाटे को देख कर उसका डर के मारे गला सुख गया.
'ओह... कितनी देर हो गयी. पर क्या करूँ ये असाइनमेंट भी तो पूरी करनी ज़रूरी थी वरना वो कमीना सेक्शेणा मेरी जान ले लेता कल. भगवान ऐसा बॉस किसी को ना दे' पद्मिनी पार्किंग की तरफ तेज़ी से बढ़ती हुई बड़बड़ा रही है.
कार में बैठते ही उसने अपने पापा को फोन लगाया,'पापा मैं आ रही हूँ. 20 मिनिट में घर पहुँच जाउन्गि.
पद्मिनी शादी शुदा होते हुवे भी 5 महीने से अपने मायके में थी. कारण बहुत ही दुखद था. उसका पति सुरेश उसे दहेज के लिए ताने देता था. हर रोज उसकी नयी माँग होती थी. माँगे पूरी करते करते पद्मिनी के परिवार वाले थक चुके थे. जब पानी सर से उपर हो गया तो पद्मिनी अपने ससुराल(देल्ही) से मायके(देहरादून) चली आई.
'उह आज बहुत ठंड है. सड़के भी शुन्सान है. मुझे इतनी देर तक ऑफीस नही रुकना चाहिए था.'
रात के 10:30 बज रहे थे. सर्दी में जन्वरी के महीने में इस वक्त सभी लोग अपने-अपने घरो में रज़ाई में दुबक जाते हैं.
पहली बार पद्मिनी इतनी देर तक घर से बाहर थी. कार चलाते वक्त उसका दिल धक-धक कर रहा था. जो रास्ते दिन में जाने पहचाने लगते थे वो रात को किसी खौफनाक खंडहर से कम नही लग रहे थे.
पद्मिनी के हाथ स्टीरिंग पर काँप रहे थे.'ऑल ईज़ वेल...ऑल ईज़ वेल' वो बार बार दोहरा रही थी.
अचानक उसे सड़क पर एक साया दीखाई दिया. पद्मिनी ने पहले तो राहत की साँस ली कि चलो सुनसांसड़क पर उसे कोई तो दिखाई दिया. पर अचानक उसकी राहत घबराहट में बदल गयी. वो सामने बिल्कुल सड़क के बीच आ गया था और हाथ हिला कर गाड़ी रोकने का इशारा कर रहा था.
पद्मिनी को समझ नही आया कि क्या करे. जब वो उस साए के पास पहुँची तो पाया कि एक कोई 35-36 साल का हॅटा कॅटा आदमी उसे कार रोकने का इशारा कर रहा था.
पद्मिनी को समझ नही आ रहा था कि क्या करे क्या ना करे. पर वो शक्स बिल्कुल उसकी कार के आगे आ गया था. ना चाहते हुवे भी पद्मिनी को ब्रेक लगाने पड़े.
जैसी ही कार रुकी वो आदमी पद्मिनी के कार को ज़ोर-ज़ोर से ठप-थपाने लगा. वो बहुत घबराया हुवा लग रहा था.
पद्मिनी को भी उसके चेहरे पर डर की शिकन दीखाई दे रही थी. पद्मिनी ने अपनी विंडो का शीसा थोड़ा नीचे सरकाया और पूछा, “क्या बात है, पागल हो क्या तुम.”
“मेडम प्लीज़ मुझे लिफ्ट दे दीजिए. मेरी जान को ख़तरा है. कोई मुझे मारना चाहता है,”
“मेरे पास ये फालतू बकवास सुनने का वक्त नही है,” पद्मिनी के मूह से ये शब्द निकले ही थे कि उस आदमी की चीन्ख चारो तरफ गूंजने लगी.
एक नकाब पोश साया उस आदमी को पीछे से लगातार चाकू घोंपे जा रहा था.
“ओह गॉड…” पद्मिनी का पूरा शरीर ये दृश्य देख कर थर-थर काँपने लगा.”
वो इतना डर गयी कि कार को रेस देने की बजाए ब्रेक को दबाती रही. उसे लगा कि कार स्टार्ट नही होगी. वो कार से निकल कर फॉरन उस साए से ऑपोसिट दिसा में भागी.
जो साया उस आदमी को मार रहा था फुर्ती से आगे बढ़ा और पद्मिनी को दबोच लिया, “च…चओडो मुझे…मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है.”
बिगाड़ा तो उस आदमी ने भी मेरा कुछ नही था.
“फिर…फिर… तुमने उसे क्यों मारा.”
“आइ जस्ट लाइक किल्लिंग पीपल.”
“ओह गॉड क्या तुम्ही हो वो साइको सीरियल किल्लर.”
“बिल्कुल मैं ही हूँ वो…आओ तुम्हे जंगल में ले जाकर आराम से काटता हूँ. तेरे जैसी सुंदर परी को मारने में और मज़ा आएगा.”
“बचाओ…” इस से ज़्यादा पद्मिनी चिल्ला नही सकी. क्योंकि उस साए ने उसका मूह दबोच लिया था.”
“हे भगवान मैं किस मुसीबत में फँस गयी. इस किल्लर का अगला शिकार मैं बनूँगी मैने सोचा भी नही था. काश दरिंदे का चेहरा देख पाती”
पीछले 2 महीनो में चार मर्डर हो चुके थे. उनमे से 3 आदमी थे और एक कॉलेज गर्ल. पूरे देहरादून में लोग ख़ौफ़ में जी रहे थे. उसके पापा उसे रोज कहते थे कि कभी शाम 6 बजे से लेट मत होना. पद्मिनी भी इस घटना से घबराई हुई थी पर काम में बिज़ी होने के कारण उसे वक्त का ध्यान ही नही रहा.
जंगल की गहराई में ले जा का उस साए ने पद्मिनी के मूह से अपना हाथ हटाया और बोला,”बताओ पहले कहा घुसाऊ ये तेज धार चाकू.”
“प्लीज़ मुझे जाने दो. मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है, मेरे पर्स में जितने पैसे हैं रख लो. मेरी कार भी रख लो…मुझे मत मारो प्लीज़.”
“वो सब तुम रखो मुझे वो सब नही चाहिए. मुझे तो बस तुम्हे मार कर तस्सल्ली मिलेगी. वैसे तुम्हारे पास कुछ और देने को हो तो बताओ.”
“पद्मिनी समझ रही थी कि कुछ और से उसका मतलब क्या है. मेरे पास इस वक्त कुछ और नही है प्लीज़ मुझे जाने दो”
“अब तो यहा से तुम्हारी लाश ही जाएगी फिर,” वो चाकू को उसके गले पर रख कर बोला.
“रूको अगर चाहो तो मैं ब्लो जॉब दे सकती हूँ”
“वो क्या होता है.”
“ब…ब…ब्लो जॉब मतलब ब्लो जॉब,” पद्मिनी ने हकलाते हुवे कहा.
“हां पर इसमें करते क्या हैं. समझाओ तो सही तुम्हारा पेर्पोजल समझ में आया तो ही बात आगे बढ़ेगी वरना में तुम्हे काटने को मरा जा रहा हूँ. मेरा मज़ा खराब मत करो.”
|
|
01-01-2019, 12:05 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 53,061
Threads: 4,452
Joined: May 2017
|
|
RE: Raj sharma stories बात एक रात की
बात एक रात की--2
गतान्क से आगे.................
पद्मिनी ने दाया हाथ उसकी ज़िप में डाला. जैसे ही उसका हाथ नकाब पॉश के तने हुए लंड से टकराया उसके पसीने छूटने लगे. उसे अहसास हो चला था कि वो जिसे बाहर निकालने की कोशिस कर रही है वो बड़ी भारी भरकम चीज़ है. 'ओह गॉड ये तो बहुत बड़ा है' उसने अपने मन में कहा. उसने अब तक अपने पति का ही देखा और छुआ था और वो अब इस नकाब पोश के हतियार से बहुत छोटा मालूम पड़ रहा था. पद्मिनी इतने लंबे लंड को अपने हाथ में पाकर अचंभित भी थी और परेशान भी.
'कैसे सक करूँगी इसे...ये तो बहुत बड़ा है.'
'अरे निकालो ना जल्दी बाहर और जल्दी से मूह में डालो. मुझ से इंतजार नही हो रहा.'
पद्मिनी ने धीरे से उसके लंड को ज़िप से बाहर निकाला. और अपना मूह बिल्कुल उसके लंड के नज़दीक ले आई. उसने उसे मूह में लेने के लिए मूह खोला ही था कि......
एक दर्द भरी ज़ोर की चीन्ख अचानक वहा गूंजने लगी.
'एक मिनट रूको. मुझे देखना होगा कि ये कौन चीन्खा था' नकाब पॉश ने अपने लंड को वापिस पॅंट के अंदर डालते हुए कहा.
पद्मिनी को कुछ भी समझ में नही आ रहा था कि आख़िर हो क्या रहा है.
‘’चलो मेरे साथ और ज़रा भी आवाज़ की तो अंजाम बहुत बुरा होगा,’’ नकाब पोश ने पद्मिनी के गले पर चाकू रख कर कहा.
पद्मिनी के पास कोई और चारा भी नही था. वो चुपचाप उसके साथ चल दी.
वो नकाब पोश पद्मिनी को ले कर सड़क के करीब ले आया. पर वो दोनो अभी भी घनी झाड़ियों के पीछे थे. वाहा पहुँच कर पद्मिनी ने देखा कि उसकी कार के पास कोई खड़ा है. वो तुरंत नकाब पोश को ज़ोर से धक्का दे कर भाग कर अपनी कार के पास आ गयी.
“प्लीज़ हेल्प मी वो दरिन्दा मुझे मारना चाहता है. उसी ने इस आदमी को भी मारा है जो मेरी कार के पास पड़ा है.”
"अच्छा ऐसा है क्या बताओ मुझे कहा है वो,’’ उस आदमी ने कहा.
“वो वाहा उन झाड़ियों के पीछे है,” पद्मिनी ने इशारा करके बताया.
उस आदमी ने टॉर्च निकाली और झाड़ियों की तरफ रोशनी की. “वाहा तो कोई नही है, आपको ज़रूर कोई वेहम हुआ है”
“मेरा यकीन कीजिए वो यहीं कहीं होगा. इस आदमी को भी उसी ने मारा है. क्या ये लाश आपको दिखाई नही दे रही”
“हां दिखाई दे रही है…पर हो सकता है इसे आपने मारा हो.”
“क्या बकवास कर रहे हैं. मैं क्या आपको खूनी नज़र आती हूँ”
“खूनी नज़र तो नही आती पर हो सकता है कि तुमने ही ये सब किया हो और अब कहानियाँ बना रही हो. चलो मेरे साथ पोलीस स्टेशन.”
“देखिए मेरा यकीन कीजिए…मैने किसी का खून नही किया. मैं आपको कैसे समझाऊ.”
“मुझे कुछ समझाने की ज़रूरत नही है. ये खून तुमने ही किया है बस.”
तभी एक मोटरसाइकल सवार वाहा से गुज़रते हुए ये सब देख कर रुक जाता है.
“ठीक है जो भी होगा सुबह देखा जाएगा अभी मैं घर जा रही हूँ,” पद्मिनी ने उस आदमी से कहा
“तुम कहीं नही जाओगी.” वो आदमी ज़ोर से बोला.
“क्या हुआ मेडम कोई प्राब्लम है क्या.” मोटरसाइकल सवार ने उनके पास आकर पूछा.
पर इस से पहले कि वो कुछ बोल पाती उस आदमी ने उस मोटरसाइकल सवार को शूट कर दिया. 2 गोलियाँ उसके शीने में उतार दी. ये देख कर पद्मिनी थर-थर काँपने लगी. “ओह माइ गोद, त…त…तुमने उसे मार दिया. क…क…कौन हो तुम.”
“कोई प्राब्लम है क्या. क्या किसी ने सिखाया नही की दूसरो के मामले में टाँग नही अदाते.” वो आदमी पागलो की तरह बोला.
“वो तो बस मुझसे पूछ रहा था…”
“चुप कर साली…अब तेरी बारी है. पागल समझती है मुझे. बता क्या नाटक चल रहा है यहा.”
“मैं सच कह रही हूँ. इस आदमी को एक नकाब पोश ने मारा था. वो मुझे भी घसीट कर झाड़ियों में ले गया था…”
“फिर कहा गया वो नकाब पोश.”
“म…म…मुझे नही पता.”
“तुम सरा सर झूठ बोल रही हो.”
“आप इतने यकीन से कैसे कह सकते हैं.”
“क्योंकि इस आदमी को जो तुम्हारी कार के पास पड़ा है, मैने मारा है. वो भी इस चाकू से. और अब इसी चाकू से मैं तुम्हारी खाल उधहेड़ूँगा.”
पद्मिनी का डर के मारे वैसे ही बुरा हाल था. अब उसका सर घूम रहा था. वो जो कुछ भी देख और सुन रही थी वो सब यकीन के परे थे. एक बार तो उसने ये भी सोचा की कहीं ये सब सपना तो नही. पर अफ़सोस ये सब सपना नही हक़ीकत थी.
उस आदमी ने चाकू को हवा मैं लहराया और बोला, “तैयार हो जाओ मरने के लिए…आज तो ,मज़ा आ गया एक ही रात में तीसरा खून करने जा रहा हूँ.”
पर तभी उसके सर पर एक बड़े डंडे का वार हुआ और वो नीचे गिर गया. ठीक पद्मिनी के कदमो के पास.
|
|
|