01-12-2019, 02:06 PM,
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RE: Sex Hindi Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सूमी और सोनल… धीरे धीरे एक दूसरे के होंठ चूसने में व्यस्त हो गयी…सोनल के जिस्म में आज कुछ और नयी तरंगों ने जन्म ले लिया…. एक तरफ सुनील का लंड उसकी चूत में हाहाकार मचाने के लिए घुस चुका था.. दूसरी तरफ सूमी उसके होंठ चूस्ते हुए नयी लज़्ज़त का अहसास दे रही थी.
सोनल का तड़प्ता हुआ जिस्म धीरे धीरे शांत हो गया… और उसकी कमर खुद ब खुद हिल कर सुनील को आगे बढ़ने का इशारा देने लगी.
सुनील ने सोनल की दोनो टाँगों को अपने कंधों पे रख लिया जिससे सोनल क़ी चूत उपर उठ गयी और सुनील ने अपना वजन अपनी कोहनियों पे ले एक झटका और मारा और उसका लंड सोनल की चूत को चीरता हुआ और भी अंदर घुस गया. बिल्लबिला उठी सोनल… दर्द का अहसास अभी कम ही पड़ा था कि फिर से वो तीव्र गति से जाग गया और सोनल मछली की तरहा तड़पने लगी… आज सुनील वहाँ तक पहुँच गया जहाँ लड़की की चूत का सबसे संवेदन भाग होता है…..सोनल भी समझ गयी कि सुनील ने पहली चुदाई में पूरा लंड अंदर नही घुसाया था.
सोनल की चीखें सूमी के होंठ में दब के रह गयी उसकी आँखें उबल पड़ी थी और आँसुओं की कतार बहने लगी.
सुनील उसके निपल को मसल्ने लग गया और एक तरफ से उसके आँसू चाटने लग गया.
सूमी का हाथ सरकता हुआ सोनल की चूत तक पहुँच गया ये जानने के लिए कि अभी सुनील का लंड पूरा अंदर घुस चुका है या नही..अब भी थोड़ा लंड बाहर ही था. सूमी ने अपना हाथ हटा लिया और सोनल के सर को सहलाने लगी.
सूमी ने अपने होंठ सोनल के होंठों से अलग कर लिए पर उसके सर को सहलाना नही छोड़ा.
सोनल की दबी हुई सिसकियाँ फुट पड़ी……अहह बहुत दर्द हो रहा है……प्लीज़ अभी रुक जाओ कुछ देर.
सुनील उसके होंठों को हल्के हल्के किस करने लगा. ‘बस मेरी जान…… अब और दर्द नही होगा.
सोनल ने अपनी दोनो बाँहों से सुनील के पीठ को कसते हुए खुद से चिपका लिया. उसके उरोज़ सुनील की छाती के नीचे पिसने लगे. उफफफफफफफफ्फ़ म्म्म्मेमाआआ सोनल सिसक पड़ी.
धीरे धीरे सोनल शांत हुई और सुनील हरकत में आ गया. आराम से अपना लंड अंदर बाहर करने लगा.
आह्ह्ह्ह उफफफ्फ़ उम्म्म्म सोनल सिसकने लगी… पर अब उन सिसकियों में मीठे मीठे दर्द का अहसास था. सूमी अब सोनल से अलग हो गयी और पीठ के बल लेट गयी.
सोनल भी अब अपनी गान्ड उछाल के सुनील का साथ देने लगी.
‘ओह सुनील ये कैसा प्यार है तुम्हारा … पहले दर्द देते हो फिर आनंद की लहरों में गोते लगवाते हो….उफफफफ्फ़ हाऐईयईईईई करो और तेज करूऊ…चोदो मुझे…..अहह’
‘मेरी जान दर्द से ही खुलता है दरवाजा स्वप्नलोक का’
अब सुनील ने अपनी स्पीड तेज कर दी ….. सोनल उसकी पीठ सहलाती रही…….और अपनी गान्ड उसी लय में उछालती रही… सुनील का लंड बाहर निकलता तो उसी वक़्त सोनल अपनी गान्ड उछाल उसे अंदर लेने लगती…. जिस्म जिस्म से टकराने लगे. एक तुफ्फान आ गया कमरे में….और सोनल की चूत कभी उसके लंड को पकड़ लेती और कभी छोड़ देती…. सुनील भी मस्ती की वादियों में उड़ने लगा….. सोनल की चूत अब लगातार रस बहा रही थी… वो मस्ती के आलम में ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ भरने लगी और सुनील ने यही मोका ठीक समझा और अपने स्पीड बढ़ते हुए एक ज़ोर का झटका लगा कर पूरा लंड अंदर घुसा दिया….. चिहुक उठी सोनल…बढ़ते हुए आनंद के बीच फिर से दर्द की लहर कोंध गयी उसके जिस्म में और वो चिल्ला पड़ी……ऊऊऊऊओउुुुऊउक्कककककककचह उूुुुउउइईईईइइम्म्म्मममममाआआआआआआअ
सूमी फिर सोनल के चेहरे पे झुक गयी…….’बस डार्लिंग…..आज वो पूरा तेरे अंदर समा चुका है…… अब कभी इतना दर्द नही होगा…..एंजाय दा फील ऑफ हिम बीयिंग इनसाइड यू…..चेरिश दीज़ मोमेंट्स स्वीट हार्ट’ सूमी ने सोनल के होंठों को चूमते हुए कहा और प्यार से उसके बालों को सहलाने लगी.
‘दीदी हमेशा मेरा ऐसे ही साथ देना……आइ लव यू’
‘आइ लव यू टू डार्लिंग.’
सोनल ने सूमी के हाथ को पकड़ अपने उरोज़ पे रख दिया…… सिहर उठी सूमी….और अपना हाथ हटा लिया…..
अब सुनील तुफ्फानी गति से सोनल को चोदने लग गया… सोनल का ध्यान सूमी से हट के सुनील पे आगया…..
‘उम्म्म्म लव यू डार्लिंग…. फक मी हार्ड… टेक मी…… फाड़ दो मुझे …..’ सोनल भी तेज़ी से अपनी चूत सुनील के लंड पे मारने लगी.
‘ओह डीडीिईईईईई कुछ हो रहा है….. मुझे कुछ हो रहा है…… अहह हाई मेरी चूत…. उफफफफफफफफफ्फ़ करो और तेज और तेज चोदो मुझे…..हां हां ऐसे ही …..उफफफफफफ्फ़’
अब सोनल और सुनील दोनो ही पागल से हो चुके थे और तेज़ी से उनके जिस्म आपस में टकरा रहे थे.
सूरज की पहली किरण खिड़की से अंदर घुसी और उसी वक़्त सोनल और सुनील…….चीखते हुए झड़ने लगे.
सोनल बुरी तरहा सुनील से चिपक गयी… उसके नाख़ून सुनील की पीठ में धँस गये.
और सुनील हांफता हुआ सोनल पे लूड़क पड़ा.
सूरज के आगमन ने ये घोषणा कर दी … अब ये तीनो कभी अलग नही होंगे.
‘सोनल मेरी जान… हांफता हुआ सुनील बस इतना ही बोल पाया. सूमी उसकी पीठ सहलाने लगी और उसके सर को चूमने लगी.
धीरे धीरे सोनल और सुनील शांत हुए….और सुनील सोनल के उपर से हट के सूमी से चिपक गया जिसने उसे अपनी बाँहों में क़ैद कर लिया.
आज सोनल मुकम्मल औरत बन चुकी थी.
रात भर जागने के बाद अब जा के तीनो की आँख लगी….और दोपहर तक सोते रहे. पहले सोनल उठी…..जैसे ही बिस्तर से उतरने लगी……अहह निकल पड़ी उसकी उसकी कमर में तेज दर्द उठा… उसकी आहह से सूमी की आँख खुल गयी और वो सोनल को सहारा दे कर बाथरूम में ले गयी.
दोनो पूर्ण नग्न … अब ध्यान से एक दूसरे के जिस्म को देख रही थी… दोनो के जिस्म लव बाइट्स से भरे हुए थे खास कर दोनो के उरोज़……सूमी के उरोज़ सोनल से थोड़े ही बड़े थे… सूमी का साइज़ था 36 और सोनल का 34 …..सूमी ने टब में गरम पानी भर दिया और सोनल को उसमे लिटा दिया ताकि गरम पानी की सिकाई से उसे कुछ आराम मिले. बदन तो सूमी का भी टूट रहा था. वो शवर के नीचे खड़ी हो गयी.
‘दीदी यहीं आ जाओ ना मेरे पास’
सूमी कुछ झिझकी …
‘आओ ना…. अब कैसी शर्म’
सूमी भी टब में घुस गयी ….. दो बदन एक दूसरे से चिपक गये. और दोनो एक दूसरे की आँखों में देखने लगी.
अब रही सही शरम भी दोनो के बीच से जा चुकी थी….जब दोनो का पति एक था… जब तीनो एक ही प्यार के धागे में बँध चुके थे – तो आपस में कैसी शरम. दोनो के वक्ष एक दूसरे से सट गये….और दोनो के निपल एक दूसरे का हाल पूछने लगे.
सोनल ने सूमी के चेहरे को अपने हाथों में थाम लिया और उसे खुद पे झुकने लगी.
दोनो के होंठ आपस में सट गयी. और दोनो के बदन सिहर उठे.
हाथ अपने आप एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे.
कुछ देर बाद दोनो अलग हुई… बाद टब से बाहर निकल एक दूसरे के बदन को पोन्छा और बाथगाउन पहन कर दोनो बाहर आ गयी. सुनील अब भी सोया पड़ा था.
सोनल को शरारत सूझी वो सुनील के पास जा के उसके ढीले लंड को अपने हाथों में पकड़ सूमी की तरफ देखते हुई बोली. ‘देखो तो कितना मासूम सा लग रहा है… और रात को पूरी आफ़त मचाता है.’
सूमी भी मुस्कुरा उठी. ‘ये आफ़त नही मचाएगा तो हमे खुश कैसे रखेगा.’ वो भी पास आ गयी और झुक के सुनील के लंड को चूम लिया.
‘तू इनको उठा… मैं कॉफी तयार करती हूँ.’
सोनल सुनील के चेहरे पे झुक गयी और उसके होंठ चूम लिए ‘ उठ जाओ डार्लिंग… दोपहर हो चुकी है’
उम्म्म्म सुनील ने उसे अपनी बाँहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लग गया.
‘उफ्फ फिर शुरू हो गये… अब उठो ना…’
'दिन की शुरुआत तो मीठी करने दे मेरी जान’
ऊऊुऊउककच नही अब उठो …सारा बदन दुख रहा है…….सोनल अंगड़ाई लेते हुए बोली.
सोनल खुद को सुनील से अलग किया और सूमी के पास जा के बैठ गयी.
सुनील बाथरूम जाते हुए बोला… जल्दी रेडी हो जाओ और साड़ी नही कुछ लाइट पहनना… विल गो ऑन मोटर बोट टुडे.
जब तक सुनील बाथरूम से निकलता, दोनो रेडी हो चुकी थी… दोनो ने ही एक टॉप और स्कर्ट पहन ली थी और वाकई में दोनो को कोई भी देखे तो यही कहेगा कि दोनो बहने हैं. सोनल के हाथों की मेंहदी अब भी चमक रही थी और हाथों में सुहाग चूड़ियाँ उसको और निखार रही थी.
सुनील ने एक टी-शर्ट और शॉर्ट पहन लिया था. वो दोनो अपनी कॉफी पी चुकी थी… सुनील के लिए तयार कर रखी थी.
फिर तीनो ने रेस्टोरेंट में लंच किया, सुनील ने कुछ स्नॅक्स भी पॅक करवा लिए और एक कॉफी का भरा हुआ थारमस भी ले लिया कुछ प्लास्टिक प्लेट्स और ग्लासस के साथ, फिर तीनो पास के ही पियर पेग आए और एक मोटर बोट हाइयर कर ली,,,सुनील साथ साथ ड्राइवर से मोटर बोट चलाना भी सीखता रहा क्यूंकी अगले दिन वो किसी ड्राइवर को साथ नही ले जाना चाहता था. तेज तेज चलती हवा की वजह से दोनो हसिनाओ के बाल हवा में लहराने लगे… कई बार तो स्कर्ट भी उपर उठ जाती थी… जिसे दोनो संभालती रहती… करीब दो घंटे ये लोग मोटर बोट में सामुद्री लहरों के उपर घूमते रहे और सुनील ने मोटर बोट के ऑपरेशन को अच्छी तरहा समझ लिया. बीच बीच में ये लोग कॉफी पीते रहे और स्नॅक्स खाते रहे. शाम तक ये लोग वापस आ गये… और सुनील दोनो को बिल्कुल एकांत में ले गया … जहाँ दूर दूर तक कोई परिंदा भी नही था… बस लहरें साहिल से टकरा के शोर उत्पन्न कर रही थी.
तीनो ही बीच पे लेट गये. सुनील के एक तरफ सूमी थी और दूसरी तरफ सोनल.
आसमान पे डूबते हुए सूरज की लालिमा फैल चुकी थी.
सुनील : सूमी यार मैं सोच रहा था तुम्हारा नाम ही बदल दूं.
सूमी : क्यूँ मेरे नाम को क्या हो गया..
सुनील : जानेमन अब एक नयी पहचान जो बनानी पड़ेगी….. ताकि दुनियावाले सुमन को भूल जाएँ और हमारा नन्हा मुन्ना बेख़टके तुम्हारी गोद में आ सके ( सुनील सूमी के पेट को सहलाते हुए बोला)
सूमी : फिर क्या नाम देनेवाले हो मुझे
सुनील : मिनी कैसा रहेगा.
सूमी : ये नाम ही क्यूँ.
सुनील : यार तुम्हारी कातिल जवानी मुझे मिनी की याद दिलाती है… हाई क्या हॉट माल है वो.
सोनल ये मिनी कौन है
सुनील : अरे यार मिनी राजशर्मास्टॉरीज की एक पाठक है उसने कहा था कि मेरा नाम भी इस कहानी मे शामिल कर लो
सोनल तो इसीलिए तुमने दीदी का नया नाम मिनी रखने का सोच लिया
सुनील :डार्लिंग इसमें क्या बुराई है
सोनल मिनी का नाम सुन चिड गयी.
सोनल : दीदी कभी सलमान ख़ान को देखा … हाई क्या एबेस हैं….मर्द हो तो ऐसा ……
सूमी : ओह हो … तो जनाब को मुझ में मिनी नज़र आती है… यानी तुम मुझे नही … मिनी को चाहते हो….वहीं चले जाओ ना और पटा लो उसे… मुझ से क्यूँ शादी करी……( सूमी थोड़ा रुआंसी हो गयी)
सुनील : लो कर लो बात …. थोड़ा सा मज़ाक भी नही सह सकती……..
सूमी : ये मज़ाक था… तुम मेरे सामने किसी और के हुस्न की तारीफ करो.. मुझे दूसरा नाम दो … क्यूंकी वो तुम्हें अच्छी लगती है.
सोनल : सारे मर्द एक जैसे होते हैं इन्हें घर की दाल अच्छी नही लगती…बाहर गोश्त तलाशते रहते हैं … सलमान को देखो औरत की कितनी इज़्ज़त करता है. हाई काश मुझे वो मिल जाता
सुनील : ओए शेरनी ये सलमान कहाँ से टपक पड़ा.
सूमी : जैसे मिनी आ टपकी………( अपना मुँह दूसरी तरफ फेर लिया)
सोनल ने भी अपना मुँह दूसरी तरफ फेर लिया.
सुनील : अरे ग़लती हो गयी यार तुम दोनो तो ऐसे भड़की हो जैसे वाकई में मैं मिनी के बारे में सोचता हूँ.
दोनो ही एक दम पलट के सुनील के उपर चढ़ गयी. पता है ना हम क्या हैं…. खा जाएँगी तुमको अगर किसी और के बारे में सोचा भी तो. और दोनो ने सुनील के गाल पे काट लिया.
ओउुऊउकक्चझहह बाप रे ……बिल्ली और शेरनी एक साथ …. रहम… मेरी मालिकाओं… जिंदगी भर तुम दोनो के अलावा ….किसी और का नाम तक नही लूँगा.
दोनो एक साथ बोली…….फिर कभी ऐसी हरक़त की तो देख लेना क्या हाल होता है तुम्हारा. और दोनो के होंठ सुनील के होंठों से सट गये. सुनील ने भी दोनो को अपनी बाँहों में कस लिया और उनके होंठों की छुअन से मस्त होने लगा.
कभी सोनल उसके होंठों पे ज़ुबांन फेरती तो कभी सूमी.
दोनो का एक एक उरोज़ सुनील की छाती में गढ़ रहा था…. और सुनील के जिस्म में हलचल मचने लगी.
कितनी देर तक तीनो ऐसे ही बीच पे पड़े रहे और जब रात का अंधेरा फैलने लगा तो उठ के होटेल की तरफ चल दिए.
रेस्टोरेंट में डिन्नर किया और अपने कमरे की तरफ बढ़ गये. ये रात सुनील पे भारी पड़ने वाली थी क्यूंकी दोनो के मन में अभी तक मिनी के नाम की आग लगी हुई थी.
कमरे में पहुँच सोनल और सूमी अपने अपने बाथरूम में घुस गयी. बाथरूम में घुसने से पहले सोनल ने सूमी के कान में कुछ कहा था. सूमी का चेहरा शरम के मारे लाल पड़ गया और अधरों पे एक मुस्कान आ गयी. सोनल के कंधे पे हाथ मारते हुए वो अपने कमरे में भाग गयी. सुनील ने लिविंग रूम का बाथरूम यूज़ किया और फ्रेश हो कर बाहर आ गया. इस वक़्त उसने सिर्फ़ एक शॉर्ट पहना हुआ था.
एक से बाद कर एक दिख रही थी दोनो… अगर दोनो सामने हों किसी के तो आदमी बेचारा कभी इस को देखे तो कभी उसको फ़ैसला ही ना कर पाए कि किसपे चढ़े और लंड यूँ ही पॅंट में फसा झड जाए.
सुनील बाल्कनी में खड़ा दूर तक फैले समुद्र को देख रहा था. और ये दो हसीनाएँ लिविंग रूम में आ कर वहाँ का तापमान बढ़ाने लगी थी. आज सोनल ने पहल करी और वाइन की बॉटल खोल डाली. सूमी उसे देखती जा रही थी कि वो कर क्या रही है. सोनल ने सूमी के कान में कहा कि कुछ देर वो दोनो आपस में ही लगी रहेंगी और सुनील को नज़रअंदाज़ करेंगी…….सोनल की बात सुन सूमी भी मुस्कुरा दी… आज सुनील को छिडाने का पूरा प्लान कर चुकी थी दोनो.
सोनल ने वाइन का घूँट भरा और अपने होंठ सोनल से चिपका दिए ….. दोनो वाइन एक दूसरे के मुँह में उडेलने लग गयी और साथ ही धीरे धीरे एक दूसरे के होंठ चूसने लग गयी.
सुनील जब अंदर आया तो दोनो को इस हालत में देख उसकी आँखें फटी रह गयी.
आग के दो शोले आपस में लिपटे हुए थे. उसका गला सूखने लगा …….. आँखें उस मंज़र को क़ैद करने लगी… कदम वहीं जाम गये.
सोनल की नज़र बाल्कनी के दरवाजे पे ही थी…. सुनील को अंदर आते उसने देख लिया था.
जान बुझ के किस तोड़ा… और सुनील की परवाह ना करते हुए….
‘दीदी ये मर्द लोग ऐसे ही होते हैं…. मन में कुछ और होता है और ज़ुबान पे कुछ और’ बोल कर वाइन का घूँट भरा और फिर सूमी के साथ होंठ चिपका दिए.
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