bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
01-25-2019, 12:00 AM,
#21
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
थोड़ी देर तक सन्नाटा रहा. सिर्फ़ समुद्र मे लहरो की आवाज़ आ रही..

फिर स्नेहा ने मुस्कुरा कर अरुण के गाल पर किस किया और अपनी आँख से आँसू पोछते हुए वापस अपने रूम की तरफ चली गयी..

"मान गये गुरु..." अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई

अरुण भी थोड़ी देर बाद जाके सोनिया के पास सो गया.

अरुण की आँख खुली अगली सुबह तो उसे कुछ गीला गीला महसूस हुआ.. आँख रगड़ते हुए उसने चादर के अंदर देखा तो सोनिया तो थी नही..

"ओह गॉड..आरोही.." उसने वापस अपना सिर तकिये पर पटकते हुए कहा..वो चादर के अंदर से ही उसके लंड को चूस रही थी..


"अगर तुमने इसे रोका तो जान ले लूँगा तेरी.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने बोला

"कोई देख लेगा आरोही.." अरुण धीरे से बोला लेकिन तुरंत ही अपने मूह पर हाथ रख लिया जैसे ही आरोही ने जीभ उसके टेस्टेस से लेकर उसके लंड तक लगाई..

"ओह ये तो और भी अच्छा होगा.." आरोही हँसते हुए बोली और दोबारा उसे चूसने लगी..

स्नेहा की आँखें चौड़ी हो गयी और उसे यकीन न्ही हो रहा था जो वो देख रही थी..

इधर आरोही लंड को पूरी तेज़ी के साथ चूसने लगी..उसने टेस्टेस से लेकर लंड के सुपाडे तब जीभ दौड़ाई और फिर सुपाडे के छेद पर जीभ गोल गोल घुमाने लगी और फिर मूह मे भरकर चूसने लगी..

"मैं घर पहुचने तक का इंतजार नही कर सकती.." लंड को उपर नीचे करते हुए आरोही ने कहा..

"बाकी सब..ऊहह" अरुण ने कुछ पूछना चाहा

"माइ ब्रेकफास्ट.." आरोही ने जल्दी से कहा और आह के साथ लंड को मूह मे भर लिया..अरुण को ऐसा लगा जैसे किसी ने रेशम से भी चिकनी चीज़ मे उसका लंड डाल दिया हो जब आरोही ने जीभ के साथ लंड को मसाज करना स्टार्ट किया..आरोही के मूह से थूक की धार निकल लंड के नीचे गिरने लगी जो उसने हाथों से लंड पर मसल दी..

स्नेहा ने अपना नाश्ता कर लिया फिर वो बाहर निकल गयी थी सुबह का नज़ारा लेने जब वो वापस आई तो कमरे से आती आहें सुन ठिठक कर रुक गयी तो वो पीछे से घूम कर खिड़की से देखने लगी और जब उसने आरोही को अरुण का लंड चूस्ते देखा तो उसकी आँखें खुली की खुली रह गयी..

वो कभी अरुण को देखती जो आहें भर रहा था और कभी आरोही को उसका लंड चूस्ते हुए देखती..

उसके चेहरे पर लाली आने लगी और उसे लगा जैसे गर्मी एका एक बढ़ गयी हो.. वो वहाँ से हटाना चाह रही थी लेकिन उसके कदम हिलने का नाम ही नही ले रहे थे.. क्या हो रहा है ये?? क्या दी को पता है इस बारे मे..?? क्या करूँ मैं.??

तुरंत ही सुप्रिया पता नहीं कैसे वहाँ पर आ गयी और सामने का नज़ारा देख कर उसने एक तेज साँस के साथ अपना हाथ अपने मूह पर रख लिया..स्नेहा को देख कर सुप्रिया की और ज़्यादा हालत खराब हो गयी..

"ओह माइ गॉड..." सुप्रिया बोली..

"आइ नो दी..." स्नेहा ने एग्ज़ाइट्मेंट मे थोड़ा तेज बोल दिया..

अरुण तो मस्ती मे कुछ नही सुन रहा था लेकिन ये आवाज़ आरोही ने सुन ली.. उसने नज़र उठाकर सामने देखा तो दोनो बड़ी बहनो के देख कर डरने की जगह उसके चेहरे पर स्माइल और बढ़ गयी और उसने और ज़्यादा मस्ती के साथ लंड चूसना स्टार्ट कर दिया.. आरोही ने सोचा अब इस टाइम तो वो अपना ब्रेकफास्ट छोड़ कर नही जाने वाली..फिर उसे रीयलाइज़ हुआ कि अरुण ने उसके अंदर एक नयी आरोही को जगा दिया है. अरुण के लंड मे झटके लगने लगे..

आरोही ने एक बार मुस्कुराकर अपनी दोनो बहनों की तरफ देखा जिनका मूह खुला का खुला रह गया था फिर जैसे ही अरुण के लंड से स्पर्म की पिचकारी निकलना स्टार्ट हुई उसने अपना मूह डाइरेक्ट सुपाडे पर रख कर अपना नाश्ता करना स्टार्ट कर दिया..जितना उस से हो सकता था उतना स्पर्म वो गले से नीचे उतारती चली गयी..बाकी उसके मूह के किनारों से नीचे रिसने लगा..

"गुड मॉर्निंग भाई..आंड थॅंक फॉर ब्रेकफास्ट..," आरोही ने मूह पोन्छकर और बेड से उतरते हुए कहा.. उसने दोबारा खिड़की की तरफ देखा लेकिन तब तक दोनो जा चुकी थी. तो वो शवर लेने बाथरूम मे चली गयी..

वही स्नेहा और सुप्रिया साइड मे खड़ी होकर जो अभी देखा उसके बारे मे खुसुर पुसुर कर रही थी..

"दट वाज़..." सुप्रिया ने बोलना चालू किया..

"डिफरेंट," स्नेहा बोली..

"मुझे उन दोनो से इस घर पहुचते ही बात करनी होगी..," सुप्रिया स्नेहा का हाथ पकड़कर बोली.."तुम उनसे कुछ मत कहना..ओके.?"

स्नेहा वहाँ बुत की तरह खड़ी आरोही की लंड चूस्ति इमेज को सोच रही थी..और अरुण का लंड किसी विसल टवर की तरह खड़ा हुआ...

"स्नहाआ.." सुप्रिया ने स्नेहा को हिलाते हुए कहा..

"हुह..ओके..ओके..मैं क्या कहूँगी किसी से.? कि मैने आरोही को उसका लिंग चूस्ते हुए देखा है?? अपने ही भाई का...मैं बस....हुहह.." स्नेहा अपना सिर हिलाते हुए बोली..

वास्तव मे स्नेहा की तरह सुप्रिया भी ये सब देखकर गरम हो चुकी थी...लेकिन वो ये बात स्नेहा पर जाहिर नही होने देना चाहती थी..उसे ये यकीन ही नही हो रा था कि अरुण दूसरी किसी बहेन के साथ भी ये सब करेगा..

"चलो नॉर्मल बिहेव करना..मैं उनसे बात करूँगी..चलो.." सुप्रिया स्नेहा को अपने पीछे खींचते हुए चलने लगी..

घर पहुचने तक सब नॉर्मल ही रहा. अरुण तो पूरी फ्लाइट के दौरान सोता ही रहा..सुबह सुबह ही उसका जूस जो निकाल लिया गया था..स्नेहा और सुप्रिया आपस मे खुसुर पसुर करती रही और सोनिया अरुण का हाथ थामे उसके पास लेटी रही..

रात मे अपने बेड पर सोते टाइम अरुण के मन मे आवाज़ आई.."व्हाट आ ट्रिप, ड्यूड! व्हाट आ ट्रिप!" और फिर सब कुछ बंद हो गया...

रात मे थोड़ा लेट आने के कारण सब सोने चले गये..सुबह जब सुप्रिया नीचे आई तो आरोही टीवी देख रही थी..सुप्रिया ने सोचा यही सही वक़्त है..और हिम्मत कर के आगे बढ़ी.

"आरोही, मुझे कुछ बात करनी है." सुप्रिया उसके सामने सोफे पर बैठते हुए बोली.

"हां दी, बोलो." आरोही ने टीवी मूट करते हुए बोला.

"तो.." सुप्रिया कहने के लिए शब्दो को ढूँढने लगी.."स्नेहा आंड आइ सॉ यू.." सुप्रिया ने जल्दी से बोल दिया और एकटक आरोही की तरफ देखने लगी..

"मुझे पता है." आरोही ने कंधे उचका कर कहा और नॉर्मल बैठी रही जैसे कुछ हुआ ही ना हो.

सुप्रिया ने अपना खुला मूह बंद करके 2 मिनिट तक सोचा.."बस यही कहना है तुम्हे??" सुप्रिया ने पूछा.

"दी, आप सुनना क्या चाहती हो? कुछ कहने के लिए है ही नही. आंड बाइ दा वे आइ नो अबाउट यू आंड अरुण.. सो आप एग्ज़ॅक्ट्ली उस पोज़िशन मे नही है कि मुझे लेक्चर दे सके.." आरोही ने एक कुटिल मुस्कान के साथ सुप्रिया से कहा..

सुप्रिया को ये बात सुनकर पहले तो झटका लगा. फिर उसने थूक को गले मे निगलते हुए आगे बढ़कर उस से कहा.."आरोही, ये इतनी सीधी बात नही है."

"क्यू? आप उसके साथ इंटिमेट हो सकते हो, सोनिया उसके साथ इंटिमेट हो सकती है, मैं जिसका सबसे पहला हक़ है भाई के उपर वो इंटिमेट नही हो सकती? आख़िर क्यूँ??" आरोही ने थोड़ा सख्ती के साथ कह दिया..

"ए..ए..ए.एक मिनिट." सुप्रिया ने उसका हाथ थामते हुए कहा..

"मैं इतनी भी बेवकूफ़ नही हूँ दी. मुझे पता है मैने क्या देखा और क्या सुना.." आरोही लगातार उसे झटके पर झटके दिए जा रही थी.

सुप्रिया के कान लाल होने लगे.

"आइ नो तुम स्टुपिड नही हो आरोही. मैं तो बस उसकी हेल्प करने की कोसिस कर रही थी. तुम्हारे और सोनिया की वजह से वो हर वक़्त सेक्स के बारे मे ही सोचता रहता था.." सुप्रिया ने अपनी सफाई दी.

"कसम से दी., आप ने अपना पल्ला तो ऐसे झाड़ा जैसे आपका कुछ रोल ही नही था उसमे.. मैने कई बार उसे आपके क्लीवेज की तरफ देखते हुए पाया एस्पेशली जब आप विदाउट ब्रा की टीशर्ट के उपर वो एप्रन पहनती थी. उसकी तो साँसें अटक जाती थी.." आरोही ने अपना वॉर किया.

अब सुप्रिया सकपका गयी..

"मैने कभी जानबूझ कर ये नही किया. लेकिन तुम और सोनिया ये जानबूझ कर करती हो. मैने देखा था कैसे हवस भरी नज़रों से तुम उसे देख रही थी उस दिन जब वो पूल की सफाई कर रहा था. कितनी बार तुम्हारा हाथ अपने बूब्स पर गया था. मैने तो आज तक ऐसा कुछ नही किया." सुप्रिया अपना बचाव करने लगी.

"ओके दी..माना मैने देखा. लेकिन आइ कॅंट कंट्रोल इट..मैं उससे वैसी चीज़े करना चाहती हूँ जो मैं बता नही सकती.." आरोही अपने हथियार डालते हुए बोली..

सुप्रिया ने एक दम उसकी तरफ देखा तो वो सख्ती की जगह नाज़ुक सी आरोही को देख रही थी..

"दी मुझे पता नही कुछ दिनो से अरुण को देखकर क्या हो जाता है..इट्स अनकंट्रोलबल.."

"इट'स ओके, आरोही.." सुप्रिया ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.."मैं समझ सकती हूँ तुम क्या कहना चाहती हो.." सुप्रिया के चेहरे पर भी इस वक़्त एक सेक्सी स्माइल आ गयी. "लेकिन फॉर युवर इन्फर्मेशन, हम लोगो ने अभी तक सेक्स नही किया है.." सुप्रिया ने उसके गाल और बालों को सहलाते हुए कन्फेस किया.

आरोही ने दाँत दिखाते हुए सुप्रिया की तरफ देखा.."तो आपको कोई प्राब्लम नही है मुझसे..??" आरोही ने दोनो हाथों मे सुप्रिया का हाथ दबाकर पूछा और बिल्कुल किसी छोटी बच्ची की तरह क्यूट सी नज़रो से उसकी ओर देखने लगी..

"ना, मेरा बच्चा.." सुप्रिया ने उसे गले लगाते हुए कहा..

"मैने भी अभी तक भाई के साथ कुछ नही किया है, पता है.. लेकिन कभी कभी कंट्रोल नही होता. मन होता है बस टूट पडो उस पर. ऐसा लगता है किसी और आरोही ने मेरे उपर कब्जा कर लिया हो. मेरा मन कहता है कि ये ग़लत है लेकिन आइ कॅंट कंट्रोल.." आरोही सुप्रिया के कंधे पर सर रख के बोली..

अब दोनो बहनें अपने ही भाई से सेक्स के बारे मे आराम से बातें करने लगी. दोनो के बीच की हिचक काफूर हो गयी थी.

"वैसे सोनिया तो सिर्फ़ उसके साथ सोती है ना मतलब उसे अकेले सोने मे डर लगता है इसलिए ना.?? उनके बीच कुछ..." सुप्रिया ने अपना सवाल दाग दिया..

आरोही ने पहले तो अपने होंठ बंद रखे लेकिन फिर बोल दिया.."सेकेंड नाइट ऑफ दा ट्रिप..उन दोनो को लगा मैं सो रही थी लेकिन मेरी आँखें ही नही हटी उन दोनो पर से.."

सुप्रिया और ज़्यादा डीटेल माँगने लगी.."उहह लेकिन कैसे क्या हुआ.." सुप्रिया को समझ मे नही आ रहा था किस तरीके से पूछे.."क्या अरुण ने.."

"आइ नो एग्ज़ॅक्ट्ली व्हाट यू वॉंट टू हियर.." आरोही ने अपनी आँखें बंद करके कहा..और उस सीन को याद करने लगी.."नही अरुण तो कभी स्टार्ट कर ही नही सकता..माना कि वो सेक्स के बारे मे काफ़ी सोचता है लेकिन ये कभी नही..सोनिया ने स्टार्ट किया..इट वाज़ ब्यूटिफुल, ऐसा लग रहा था कि वो दोनो भाई बहेन नही लवर हो. मुझे काफ़ी जलन भी हो रही थी सोनिया को देख कर.." आरोही ने धीरे से कहा..

"वाउ, आइ विश आइ कुड हॅव बिन देयर.." सुप्रिया एक दम से बोल पड़ी लेकिन फिर बात को बचाने की कोसिस करने लगी.."आइ मीन.."

"कोई नही दी,,मैं खुद खुद को वहाँ इमॅजिन कर रही थी..मेरी भी इच्छा हो रही थी कि सोनिया की जगह मैं जाउ वहाँ पर.."

"क्या होगा हम लोगो का.." सुप्रिया और आरोही दोनो एक साथ बोल पड़ी फिर हँसने लगी..

"सो डोंट गेट मी रॉंग, लेकिन अब क्या इरादा है..??" सुप्रिया ने पूछा..

"पता नही दी..आइ थिंक मैं उसे तब तक रिझाती रहूंगी जब तक वो अपना कंट्रोल खोकर मुझ पर टूट ना पड़े. मैं तब तक कुछ नही करने वाली जब तक वो खुद कुछ नही करेगा. वैसे भी आइ वॉंट हिम टू बी माइ फिस्ट.." आरोही ने शर्म से लाल होकर नीचे देखते हुए कहा.

"ओह्ह..इसमे शरमाने की कोई बात नही है. युवर फर्स्ट टाइम शुड बी स्पेशल." सुप्रिया ने उसके गाल पर किस करते हुए कहा.

"दी आपको देखना चाहिए था उस रात दोनो को. वो इतने प्यार से सोनिया के साथ सब कुछ कर रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे मैं किसी बहुत ही खूबसूरत सी चीज़ मे विघ्न डाल रही हूँ वहाँ होकर. मेरी बातें थोड़ी अजीब लग रही होगी ना..क्यूकी इट वाज़ जस्ट सेक्स है ना. माना कि ये थोड़ा ग़लत भी था क्यूकी वो दोनो भाई बहेन है लेकिन इट वाज़ अमेज़िंग ऐसा मैने पहले बार किसी लड़के और लड़की के बीच होते हुए देखा. ऐसा लग रहा था कि दोनो की बॉडी आपस मे एक दूसरे को समझ रही थी बिना होठ हिलाए.. लाइक दे वर कनेक्टेड थ्रू आ इनविज़िबल थ्रेड.." आरोही वो सीन याद करके बोली.

"बाइ दा वे हमारा अरुण काफ़ी लकी है जो उसके लिए 3 3 लड़कियाँ पागल हुई पड़ी हैं.." सुप्रिया हँस कर बोली..

तो आरोही भी हँस पड़ी लेकिन फिर कुछ सोच कर वो अपने होठ काटने लगी.."दी..मैं कुछ...आइ डॉन'ट नो हाउ टू से इट.." आरोही हिचकिचा कर बोली..

"आरोही, हम लोग इतना कुछ डिसकस कर चुके अब और ऐसी क्या बात होगी जो तुम्हे इतना एंबॅरस करे.." सुप्रिया उसका हाथ दबा कर बोली..

"दी..इस वक़्त मन तो मेरा कर रहा है कि अभी उपर अरुण के रूम मे जाउ और उस पर टूट पडू..लेकिन..क्या आप.." आरोही को समझ मे नही आ रहा था कि वो अपनी बात कैसे कहे..

सुप्रिया ने उसे बोलने के लिए इशारा किया

"दी मुझे डर लगता है, कही मैं कुछ ग़लत ना कर दूं.." आरोही दुखी मन से बोली..

"मेला बेबी, टेन्षन मत ले. मैं हूँ ना. तुम्हे कुछ भी चाहिए हो यू कॅन अस्क मी..ओके" सुप्रिया उसे गले से लगाकर बोली..

तो आरोही ने भी उसे कस कर पकड़ लिया..

"दी?" 

"हां..बच्चा.."

"क्या आप मुझे देखने दोगे..और अगर मेरा मन किया तो क्या मैं थोड़ी हेल्प भी कर सकती हूँ..?" आरोही ने अपने होंठ काटते हुए पूछा..

सुप्रिया को उसकी बात समझ मे आ गयी फिर थोड़ी देर सोचने के बाद उसने मुस्कुरा कर बोला.."हुन्ह..मेबी..आइ कॅन थिंक ऑफ आ रोल फॉर यू..आंड आइ हॅव आ प्लान..!!"

फिर दोनो आपस मे प्लान डिसकस करने लगी..
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01-25-2019, 12:00 AM,
#22
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
उपर अरुण धीरे से हिला. आहा..काफ़ी अच्छा फील हो रहा है.. अरुण जानता था कि वो रात को सोनिया के साथ सोया था. लेकिन ये क्या सोनिया तो पास मे नही थी..वेट, फिर उसे रियलाइज़ हुआ कि सोनिया तो उसके उपर बैठी हुई है, और कुछ मखमली सा गरम गरम अहसास उसे अपनी कमर के पास होने लगा. उसने धीरे से अपनी आँखें खोली तो सोनिया की मुस्कुराती हुई आँखें उसे ही देख रही थी. और फिर सोनिया ने अपने रस भरे गुलाबी होंठ उसके पास कर दिए. उसने अपनी कमर को लहराया और अपनी कमर को उपर करके दोबारा धीरे से उसके लंड को अपनी गिरफ़्त मे ले लिया..

"यू आर दा फक्किंग मॅन.."

"वाउ...," अरुण आख़िरकार किस करके बोला..,"रोज़ ऐसे उठने की आदत ना बन जाए??" अरुण ने अपनी गर्दन को पीछे खींचकर एक आहह भरी जैसे ही सोनिया ने उसके लंड के उपर गोल गोल घूमना शुरू कर दिया.

"मैं जानती थी आपको ऐसी सुबह पसंद आएगी, भाई.." सोनिया धीरे से अपनी कमर को उपर फिर धीरे धीरे नीचे करके बोली.."ओह्ह्ह..कितना अछा फील होता है जब आप मेरे अंदर होते हो..आहह,"

फिर सोनिया उसके उपर से उठ कर साइड मे हो गयी तो अरुण उसके उपर होकर उसकी गर्दन को चूमने और काटने लगा.. फिर गर्दन से लेकर कान तक चूमते और अपनी जीभ से छूते हुए दोबारा अपना लंड उसकी चूत मे डाल दिया. तुरंत ही सोनिया ने अपनी छाती को उसकी छाती से मिलाते हुए आह भरी..

"चोद के कमर तोड़ दे...आहह" अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई

अरुण ने आवाज़ की बात मानते हुए अपने धक्के तेज कर दिए.

"ओह्ह..आहह.." सोनिया ने उसे कस कर पकड़कर कहा..,"ओह भाई...और तेज भाई..ओह्ह्ह यू आर ऊहह अवेसम भाई...ओन्..अँह..."

सोनिया मस्ती मे अपने होंठ काटने लगी..और उसकी आँखें बंद हो गयी और वो अपने भाई के प्यार पूरी तरीके से मज़ा लेने लगी..

अरुण भी धक्के पर धक्के देकर अपनी लड़ली बहेन को पूरा मज़ा देने लगा और प्यार से उसे देखता रहा..

सोनिया ने आँखें खोलकर अरुण के लंड को अपनी चूत मे अंदर बाहर होते हुए देखा तो तुरंत ही उसे अपने अंदर लहर सी उठती हुई महसूस हुई.. सोनिया को महसूस होने लगा कि उसकी चूत कस कर उसके भाई के लंड को जकड़ने लगी है..एक के बाद एक लहरे उसके अंदर से उठकर दोनो को मस्ती के सागर मे नहलाने लगी..और उसने अरुण के होंठों को अपने मूह मे लेकर काटना चालू कर दिया..

अरुण ने उसकी चूत को टाइट होते महसूस किया और उसने अपनी स्पीड और तेज कर दी..सोनिया के रस के साथ ही उसने भी झड़ना स्टार्ट कर दिया और दोनो एक दूसरे को होंठ को चूस्ते हुए तक कर बेड पर शांत पड़ गये..

इसके बाद दरवाजा जो कि उनके प्यार के दौरान खुला था वो धीरे से बंद हो गया..

ये ठीक वैसा ही था जैसे स्नेहा ने सोचा था. उसका भाई सोनिया और आरोही दोनो के साथ सेक्षुयली आक्टिव था. उसने इस बारे मे सुप्रिया से बात करने की ठान ली. एक बात और उसे परेशान कर रही थी, दोनो बार जब उसने अरुण को इन हालात मे देखा था तो उसके शरीर मे कुछ हुआ था..लेकिन वो पकड़ नही पा रही थी की क्या हुआ था? ऐज आ बॉडी फंक्षन तो उसे पता था कि उसकी हार्टबीट इनक्रीस हो गयी थी, साँसें तेज होने लगी थी. और दोनो बार उसके गुप्तांगो भी भीग गये थे..

स्नेहा थी तो पढ़ाकू और इंटेलिजेंट. लेकिन वो हर चीज़ को पढ़ाई की नज़र या कह सकते हैं साइन्स की नज़र से देखती थी. उसे पूरे तरीके से पता था कि वो लोग सेक्स कर रहे हैं वग़ैरह वग़ैरह. उसे ये भी पता था कि किस वजह से उसके गुप्ताँग भीग गये हैं. लेकिन उसकी विज्ञान वाला दिमाग़ ये नही स्मझ पा रहा था कि अपने भाई बहेन को देखकर ही क्यूँ ये हो रहा था.. ये तो किसी अंजान को देखकर होना चाहिए..जाने कितनी बार उसने अरुण को नहलाया था बचपन मे लेकिन तब तो ऐसा नही हुआ था?

ऐसे ही सोचते हुए उसके दिमाग़ मे एक बात और आई कि जब उसे ही समझ मे नही आ रहा तो सुप्रिया को कैसे पता होगा कि क्या करना है?? इसका मतलब उसे सीधे अरुण से ही बात करनी होगी. मेबी अरुण उसे समझा सके कि आख़िर हो क्या रहा है. यही सही रहेगा ये सोचते हुए वो अपने कमरे मे चली गयी.. आख़िर क्या रीज़न हो सकता है कि दो बहनें और एक तो जुड़वा, दोनो अपने ही भाई से सेक्षुयली आक्टिव हो गयी. लाख मथापच्ची करने के बाद भी वो इसका जवाब नही ढूँढ पा रही थी..

इधर अरुण सोनिया को किस करके नहाने चला गया और जॉगिंग वाले कपड़े पहन कर नीचे हाल मे आ गया उसने सोचा आज से ही रन्निंग स्टार्ट कर दे, काफ़ी दिन भी हो गये थे और अब उसकी बॉडी भी सही थी. नीचे हाल मे सुप्रिया और आरोही दोनो सोफे पर बैठे बैठे बातें कर रही थी. अरुण ने थोड़ा शक्की नज़रों से दोनो को देखा और सोचने लगा आख़िर दोनो के चेहरे पर इतनी बड़ी और कुटिल मुस्कान क्यूँ हैं.

"गुड मॉर्निंग, लॅडीस..क.क्या हो रहा है..??" अरुण सामने वाले सोफे पर बैठते हुए बोला..

"बस हम लोग बातें कर रहे थे जो कुछ भी ट्रिप के दौरान 'अंदर' 'बाहर' हुआ है, कुछ खास नही.." आरोही ने कहा तो सुप्रिया ने धीरे से उसके पेट मे कोहनी मार दी..

"अच्छा, वैसे ट्रिप थी काफ़ी मज़ेदार.."

"हां, कुछ लोगो को कुछ ज़्यादा ही मज़ा आया.." सुप्रिया ने बोला तो आरोही ने उसके उलट कर कोहनी मार दी..

"दोनो कुछ ज़्यादा ही उछल रही हैं, अभी के अभी चोद डाल दोनो को.." अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई

"अरुण, रन्निंग के लिए चलें.." आरोही ने अरुण की तरफ बच्चे की तरह मुस्कुराते हुए पूछा..

"दी आप थोड़े वर्काउट के लिए चलोगि..?" अरुण ने सुप्रिया से पूछा..

"नो, स्वीतू मैं बाद मे वर्काउट अपने तरीके से कर लूँगी.." सुप्रिया बड़े हे सेक्सी से अंदाज़ मे बोलकर अपने जीभ अपने होंठों पर घुमा कर बोली..

ये देख और सुनकर अरुण के चेहरा तो पूरा लाल पड़ गया. उसने सोचा उसे दी से बात करनी ही पड़ेगी नही तो आगे काफ़ी बड़ी प्राब्लम हो सकती है. आरोही तब तक अपने रूम मे चली गयी शूस लेने और नीचे आकर सुप्रिया के सामने खड़ी हो गयी..

"दी आप थोड़ी स्ट्रेचिंग मे हेल्प कर दोगि मेरी..??" आरोही ने आँख मार कर कहा..

सुप्रिया ने भी आँख मार कहा "हां चलो..क्या करना है..?" 

अरुण तब तक टीवी देखने लगा.

तो आरोही सोफे से साइड वाली दीवार से सट कर खड़ी हो गयी और अपना पैर सुप्रिया के हाथों मे देकर स्ट्रेचिंग करने लगी. उसे पता था कि अरुण तिरछी निगाहों से उन दोनो को देख रहा है..

अरुण की हार्टबीट इनक्रीस हो जब उसने देखा कि सुप्रिया ने आरोही की टाँग को बिल्कुल सीधा कर दिया है..आरोही थी भी काफ़ी फ्लेक्सिबल, स्पोर्ट्स, जाइमनॅसटिक्स के कारण वो ये सब करती रहती थी.. लेकिन आज उसने पैंटी नही पहनी थी तो योगा पॅंट्स के अंदर से उसकी चूत को आसानी से महसूस किया जा सकता था..अरुण कनखियों से उसे देखने लगा तो उसका गला सूखने लगा..

सुप्रिया बिल्कुल आरोही से सट कर खड़ी हुई थी.."दूसरा पैर भी?" सुप्रिया ने अरुण को साइड से देखते हुए पूछा..

अरुण ने थूक निगल कर अपने होंठों पर जीभ फेरी..जैसे ही आरोही ने दूसरा पैर उपर किया..

अरुण की नज़र सीधे जाके आरोही के पैर के जोड़ो पर पड़ गयी..सॉफ सॉफ उसकी चूत के उभार को देखा जा सकता था..

"जा और पकड़ कर चोद डाल, ऐसा मौका, ऐसी चूत.." अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई

अरुण ने धीरे से अपना सिर हिलाया..

"थॅंक्स दी.." आरोही ने अपना पैर नीचे करते हुए कहा..

"यू'आर वेलकम, स्वीटी.." सुप्रिया अपने हाथ झाड़ते हुए बोली..

आरोही ने अपने हाथ आगे कर के सुप्रिया का सिर अपने पास मे खींच लिया.."दी..आइ मीन इट, थॅंक यू सो मच.." सुप्रिया की आँखें चौड़ी हो गयी जैसे ही आरोही ने अपने होंठ उसके होंठों से जोड़ दिए.. सुप्रिया के सिर मे चिंगारियाँ फूटने लगी, आरोही को किस करके और उसने भी मस्ती मे अपना मूह खोल कर उसकी जीभ का स्वागत किया..


"मैने कहा था ये लेसबो है, मैने कहा था..अब तो जाअ..." अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई

अरुण कनखियों से देख कर परेशान हो रहा था..

आरोही ने किस को तोड़ा और अरुण की तरफ देखा तो अरुण ने तुरंत ही अपनी गर्दन टीवी की ओर कर दी.."चले, भाई..?" आरोही ने पूछा.. और बिना कोई जवाब लिए वो दरवाजे की ओर चल दी..

अरुण ने अपना लंड ठीक करके एक बार सुप्रिया की ओर अजीब नज़रों से देखा फिर आरोही के पीछे उसकी गान्ड को निहारते हुए धीरे धीरे जॉगिंग करते हुए बाहर निकल गया..

वहाँ घर मे सुप्रिया धम्म से सोफे पर बैठ गयी और अपनी साँसों पर काबू पाने की कोसिस करने लगी.. उसने सोचा भी नही था कि आरोही ऐसा कुछ कर देगी.. माना की सर्प्राइज़्ड हुई थी लेकिन अच्छा भी काफ़ी लगा था..फिर उसके दिमाग़ मे एक प्लान ने जन्म लेना शुरू कर दिया जिससे उसके चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ गयी..

बाहर आरोही अरुण को अपने आगे निकलने ही नही दे रही थी.. उसने मुड़कर पीछे देखा तो अरुण ने तुरंत ही अपनी आँखें उसकी गान्ड से उपर उठाकर उसके उपर कर दी..

आरोही ने अपनी स्पीड हल्की कर दी और अरुण को पास मे आने दिया.."कुछ ज़्यादा ही तांका झाँकी हो रही है, है ना भाई..??" आरोही ने हंसते हुए पूछा..

"आअ..ऐसा कुछ न्ही है.." अरुण ने बोलना स्टार्ट किया लेकिन फिर चुप हो गया क्यूकी सफाई देने से कुछ फ़ायदा तो होने वाला था नही..तो उसने कुछ और ही बोल दिया.."तुम कुछ ज़्यादा ही बोल्ड नही हो गयी हो आज कल.?"

"सब तुम्हारी ही ग़लती है.."आरोही ने हँसते हुए जवाब दिया..

"हां, सब मेरी ही ग़लती है.."अरुण ने ठंडी आह भरते हुए कहा..

कुछ देर तक दोनो शांत रहे फिर आरोही ने चुप्पी तोड़ते हुआ पूछा.."तो भाई, तुम्हे ट्रिप पसंद आई.." 

"व्हाट डू यू थिंक..?" अरुण ने भी उसका साथ देते हुए कहा. उसे पता था कि अब पीछे हटने से कोई फ़ायदा नही है..

"ओके, तो अगर तुम ढंग से पेश आए आगे तो हो सकता है तुम्हे घर और ज़्यादा पसंद आने लगे.." आरोही ने उसे आँख मारकर कहा और अपनी स्पीड तेज करके आगे बढ़ गयी..

"तू सबसे लकी है भाई..ऐसी गान्ड तो भगवान बीवी को भी नही देता.." अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई

घर आकर अरुण तो सीधा शवर लेने चला गया और आरोही जाकर टेबल पर मिल्कशेक पीने लगी. वहाँ पर बाकी तीनों भी थी फिर वो लोग ट्रिप की बातें करने लगी..

कुछ घंटो बाद अरुण नीचे आया तो सिर्फ़ स्नेहा नीचे टीवी देख रही थी तो वो आके उसके पास बैठ गया..

"बाकी सब कहाँ हैं दी?" अरुण ने उसके कंधे के उपर हाथ रखते हुए पूछा.

"सोनिया अपनी फ्रेंड पायल के घर गयी है, आरोही और सुप्रिया दी माल गयी हैं कुछ शॉपिंग करनी है उनको.."

"गोआ से इतनी शॉपिंग करके आई तो जी नही भरा उनका..क्या होगा दोनो का??" अरुण और स्नेहा हँसने लगे..

"तो अरुण आइ वॉंट टू नो सम्तिंग..?" स्नेहा ने टीवी बंद करते हुए कहा..

"यॅ, दी बोलो ना.." अरुण स्नेहा की ओर बैठते हुए कहा..

"तो, ऐसा क्यू है कि हमारी बहनें तुमसे सेक्षुयली अट्रॅक्टेड हैं..??" स्नेहा ने सीधे सीधे अपनी लॅंग्वेज मे पूछ लिया..

अरुण चुप. उसे पहले तो समझ मे ही नही आया कि स्नेहा ने क्या बोला. फिर उसे धीरे धीरे पूरी बात समझ आई तो बेचारा कुछ बोल ही नही पाया बस नज़रें नीचे कर दी..

"ठाकुर, तू तो गियो.."अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई

"आइ मीन, मैं सुबह से इसके बारे मे सोच रही हूँ और अब एक थियरी है लेकिन मुझे कुछ कमी लग रही है.." स्नेहा ने अरुण को चुप देखकर बोला..

अरुण के सिर मे एक साथ हज़ार बातें स्टार्ट हो गयीं..

"पहले तो मैने फॅक्ट्स कलेक्ट किए हैं.." स्नेहा ने अरुण के सर्प्राइज़्ड लुक को नज़रअंदाज़ करते हुए कहा.."फर्स्ट, सोनिया, आरोही और सुप्रिया दी तीनों की बॉडी अलग टाइप की है, लेकिन तीनो हैं अट्रॅक्टिव, हैं ना.."

अरुण ने ना मे अपना सिर हिलाया.."एक सेकेंड.."

"मुझे नही लगता ये बात इतनी कॉंप्लिकेटेड थी.." स्नेहा ने कन्फ्यूज़ होकर कहा..

"नही दी वो नही,, आ..आपको पता कैसे चला..?" अरुण ने शर्म के कारण धीरे से कहा..

"ओह्ह्ह्ह, वो, वो मैने तुम्हे और आरोही को वहाँ गोआ मे एक साथ देख लिया था. सुप्रिया दी ने भी देखा, आंड वैसे भी दी तो तुम दोनो को देख कर अपने होंठो को लिक्क कर रही थी, तो मुझे समझते देर नही लगी कि वो भी कुछ ना कुछ तो तुम्हारे साथ कर रही हैं. और आज सुबह मैने तुम्हे और सोनिया को सेक्स करते हुए देख लिया..तट वाज़वेरी...इनफॉर्मॅटिव," स्नेहा ने ऐज आ फॅक्ट के लहज़े मे कहा तो अरुण को चेहरा लाल हो गया.

"नाउ, वापस थियरी पर..मैं कह रही थी कि.." स्नेहा ने दोबारा बोलना स्टार्ट किया..

"दी..एक मिनिट.." अरुण ने टोका..

तो स्नेहा ने मूह फुलाते हुए देखा उसे..

"दी आप इस चीज़ से अफेंडेड क्यू नही हो..?" अरुण ने आँखों मे देखते हुए कहा..

तो स्नेहा ने उपर देखना स्टार्ट कर दिया. उसे खुद नही समझ मे आई ये बात.

"ऑनेस्ट्ली, मुझे खुद नही पता." स्नेहा ने उपर देखते हुए कहा, फिर खुद ही बोली.."कूरीोसिटी, आइ थिंक? शायद जब मैं पूरी बात समझ लूँ तब अफेंडेड हो जाउ.."स्नेहा ने कंधे उचका कर कहा."एनीवेस, तो हमारी सारी सिस्टर्स अट्रॅक्टिव हैं. यानी अगर वो बाहर किसी सूटबल कॅंडिडेट को ढूँढे तो उन्हे कोई प्राब्लम नही होगी..है ना.?"

अरुण ने सोचा ये बात माननी ही होगी कि स्नेहा इन चीज़ो से अफेंडेड नही है. और उपर से कभी कभी ना तो ये बात सामने आनी ही थी. और उपर से शायद स्नेहा से वो ये भी जान सके कि वो इतना सेक्स के बारे मे क्यू सोचता रहता है..

"सेकंड्ली, तुमने किसी के साथ ये स्टार्ट नही किया, हर केस मे उन लोगो ने ही स्टार्ट किया था.. सो बेसिकली दे आर सिड्यूसिंग यू, करेक्ट?"

अरुण ने हां मे सिर हिला दिया..

"सो, वो सब अट्रॅक्टिव भी हैं आंड बाहर उन्हे काफ़ी ऑप्षन्स भी अवेलबल हैं लेकिन फिर वो लोग अपने घर मे ही क्यूँ सेक्षुयली आक्टिव हुई आंड वो भी अपने भाई के साथ??"

अरुण ने फिर हां मे सिर हिला दिया.."सो मैं सोच रही थी कि, क्या जो सोनिया के साथ क्लब मे हुआ वहाँ से ये सब स्टार्ट हुआ??"

अरुण ने ना मे अपना सिर हिला दिया क्यूकी सुप्रिया से उसके सेक्षुयल रिलेशन्स फाइट से पहले ही स्टार्ट हो गये थे.

"तो, सिर्फ़ सोनिया ने उसकी वजह से स्टार्ट किया ये सब..यही वॅलिड रीज़न है. क्यूकी हमारी स्पीशीस मे जब कोई फीमेल एमोशनल ब्रेकडाउन से गुजर रही होती है तो वो अपने सबसे करीब मे जो भी मेल होता है उसके प्रोटेक्षन मे जाने लगती है. और हमारे केस मे हम लोगो के घर मे मेल मेंबर केवल तुम ही हो तो जब तुमने उसकी टेक्निकली जान बचाई तो सोनिया को तुम्हारे एमोशनल सपोर्ट की ज़रूरत थी जो तुमने उसे प्रवाइड की और यहीं से उसकी फीलिंग्स एक भाई बहेन से उपर बढ़ गयी.."

"लंड घुसा दे मूह मे, तब चुप हो जाएगी.बक,बक.बक.." अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई

अरुण ने हां मे सिर तो हिला दिया लेकिन फिर सोचने लगा कि उसकी ज़रूरत ही कहाँ थी इस डिस्कशन मे..

"हां, लेकिन आरोही के बारे मे मुझे नही पता कि उसने वो सब क्यू स्टार्ट किया..?" स्नेहा का चेहरा ये बात कहते टाइम लाल हो गया.

"मुझे खुद नही पता दी.." अरुण ने कंधे उचकाते हुए कहा.

"सुप्रिया दी, हां ऐज वो एक तरीके से हम सबकी पेरेंट की तरह हैं और हम सब की केयर करती हैं तो जब उन्होने तुम्हे घर मे 3 सेक्षुयली अट्रॅक्टिव लड़कियों के कारण परेशान देखा होगा तो हेल्प करने की सोची होगी..." स्नेहा बोल ही रही थी की अरुण ने टोक दिया..

"दी 3 नही 4, मैं पहले ही बता चुका हूँ कि मुझे.."

"यॅ, आइ रिमेंबर" स्नेहा ने आँखें नीचे झुका के कहा.."कि तुम्हे मैं भी सेक्सी ओर वॉटेवर लगती हूँ, लेकिन बस ये बात मैं आक्सेप्ट नही कर पा रही हूँ.."

अरुण ये सुनकर मुस्कुराया, और सोचने लगा कि ये बात वो स्नेहा की लॅंग्वेज मे किस तरीके से कहे.

"उसे छोड़ो, सुप्रिया दी के बारे मे मेरी थियरी ये है कि जब भी एक फीमेल पहले किसी सेक्षुयल आक्टिविटी मे पार्टिसिपेट कर चुकी हो और बाद मे उसकी सेक्षुयल आक्टिविटी बंद हो गयी हो..तो जब भी वो ऐसी किसी सिचुयेशन को देखती है तो वो अपने सबसे करीबी मेल को अटेन्षन देने लगती है. और उपर से वो तुम्हारी हेल्प करना चाहती थी तो और ज़्यादा."

अरुण ने बात को समझते हुए अपना सिर हिलाया.."तो आप कह रही हैं कि मेरी सिस्टर्स मुझे इसलिए सिड्यूस कर रही हैं क्यूकी वो बाहर जाकर किसी और के लिए इतनी मेहनत नही करना चाहती..??"

"एक तरीके से,,हां..कन्वीनियेन्स प्ले आ पार्ट इन और केस. तुम घर मे ही रहते हो, सिंगल हो जहाँ तक मुझे पता है.. तो एक लाइन मे..यू आर रेडी, विल्लिंग आंड एबल तो.."

"आउच.." अरुण बोला..

स्नेहा ने एक दम से उसकी ओर थोड़े ध्यान से देखा फिर उसे रीयलाइज़ हुआ कि अरुण ने आउच क्यूँ बोला.."ओह मुझे पता नही था कि ये बात तुम्हे हर्ट करती है कि 3 लड़कियाँ तुम्हे अट्रॅक्टिव पाती हैं..मेरे हिसाब से तो यही सबसे करेक्ट रीज़न है.."

"ओके, ओके थॅंक्स फॉर मेकिंग मे अट्रॅक्टिव..लेकिन आप ये थियरी प्रूव कैसे करोगी..?" अरुण बोला.

स्नेहा ने उसकी तरफ ध्यान से देखा जैसे की आन्सर उसे पता होना चाहिए.."हम लोगो इस सिचुयेशन मे नयी चीज़ें आड करते हैं जैसे की नये ऑप्षन्स.."

"वो कह रही है कि 10 12 लड़को को घर पर रख ले, चूतिए.."

अरुण को ये बात सोचकर जलन होने लगी..

"मैं पक्का श्योर हूँ कि अगर उन्हे नये ऑप्षन्स मिलेंगे तो वो उनके साथ आक्टिव हो जाएगी और हमारा घर दोबारा आक्टिव हो जाएगा.." स्नेहा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया 

जैसे उसे इस बात के लिए प्राइज़ मिलने वाला हो..

"एक सेकेंड दी..फर्स्ट ऑफ ऑल मुझे नही लगता कि ये इतना सिंपल है. और दूसरी बात, सोनिया किसी और के साथ डेटिंग के लिए अभी रेडी नही है.." अरुण बोल तो ऐसे रहा था जैसे उसे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा हो लेकिन ये बात कहते वक़्त उसे ऐसा लग रहा था जैसे उसके दिल मे कोई छुरे घोंप रहा हो..

"सब मेरी हैं, बे..." अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई

"मेरी?" अरुण ने आवाज़ से पूछा..

"हमारी, हमारी.." अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई

"तो तुम्हारे हिसाब से हम कैसे टेस्ट करें?" स्नेहा ने थोड़ा नाराज़ होकर पूछा.

अरुण को तुरंत ही एक आइडिया आया और खुद को दाद देने लगा..

"वेल, कयि सारे सब्जेक्ट्स को टेस्ट करने की जगह किसी एक के साथ ही टेस्ट क्यू नही करते हम लोग.." अरुण ने बोला..

स्नेहा ने ना मे अपना सिर हिलाते हुए कहा."वी कॅंट. हमारी हर सिस्टर की नीड्स अलग अलग हैं. सबके बिहेवियर अलग हैं. तो तीनो मे से किसी एक पर टेस्ट करके मैं थियरी टेस्ट नही कर सकती.."

अरुण को हँसी आ गयी कि स्नेहा उसकी बात नही समझ पाई है.."दी, मैं उन सबके बारे मे बात नही कर रहा था.."

"तो फिर कौन? और कौन है टेस्ट के लिए.." स्नेहा ने उपर की तरफ़ देखते हुए कहा फिर उसे रियलाइज़ हुआ तो उसके मूह से वही पुराना ओह्ह्ह्ह निकल गया..

"एक मिनिट के लिए इस सिचुयेशन को नॉर्मल मान लेते हैं..अगर ये नॉर्मल है कि तीन बहने अपने ही भाई के साथ सेक्षुयली आक्टिव हैं..तो इस केस मे चौथी बहेन को भी उसके भाई के प्रति सेक्षुयली अट्रॅक्ट होना चाहिए."

"प्रभु,, आप महा ज्ञानी हैं.." अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई

"तो तुम्हारे कहने का मतलब है कि मुझे ये जानने की कोसिस करनी चाहिए कि मैं तुम्हे सिड्यूस क्यू नही करना चाहती.." स्नेहा ने उठ कर ताली बजाते हुए कहा. वो एग्ज़ाइट हो गयी थी कि आख़िर उसकी थियरी का सल्यूशन मिल जाएगा.

"मैने जो कहा वापस लेता हूँ. उसे ये समझाने से कि वो हमे क्यू नही चुदना चाहती हम उसको चोद नही पाएँगे, चुतिये.." अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई

अरुण को समझ नही आ रहा था कि उसे इस बात पर खुश हो या इन्सल्टेड महसूस करे कि स्नेहा उसे सिड्यूस नही करना चाहती...

"ओह, वेल हम सबके साथ तो सेक्स नही कर सकते.." अरुण ने सोचा..

"तेरी हिम्मत कैसे हुई ये बात कहने की.." अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई

"तो दी आप क्या करने वाली हैं.." अरुण ने स्नेहा की ओर देखते हुए कहा.

"अभी तो मैने कुछ सोचा नही है..लेकिन कुछ ना कुछ तो सोच ही लूँगी.." 

अरुण ने उसे बेस्ट ऑफ लक बोला और हँसते हुए अपने रूम मे आकर बेड पर लेट गया और सोचने लगा कि वो कोई अजीब सा साइंटिफिक तरीका इज़ाद करेगी ये बात जानने का..

थोड़ी देर बाद ही उसके रूम का डोर ओपन हुआ और स्नेहा अंदर आ गयी..

"आपने आइडिया ढूँढ लिया ना.." अरुण ने उसकी स्माइल देख के कहा..

स्नेहा ने हां मे सिर हिलाया.."एप, खड़े हो जाओ जल्दी से.."

अरुण खड़ा हो गया.."दी करना क्या है..?"
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01-25-2019, 12:01 AM,
#23
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
"एक सेकेंड.." स्नेहा वही खड़ी खड़ी कुछ सोचने लगी. फिर अपनी नाक उसके सीने के पास ले जाकर सूंघने लगी. फिर उपर से लेकर नीचे तक उसकी हर एक बॉडी पार्ट को सूंघ डाला..फिर अपने होंठ आपस मे जोड़कर खड़ी हो गयी..

"कुछ इंट्रेस्टिंग मिला.." अरुण भी कन्फ्यूज़ होकर बोला..

"वेल मैने पढ़ा है कि कुछ स्पेसिस मे अपने पार्ट्नर को सूंघने पर उत्तेजना के भाव आते हैं.."

अरुण को हल्की सी हँसी आ गयी.."तो आपको कुछ हुआ..?"

स्नेहा थोड़ी देर सोचती रही.."आइ डोंट नो, रियली."

अरुण ने अपना सिर तिरछा किया और उसे देख कर सोचने लगा...क्या सही मे दी को नही पता की एग्ज़ाइटेड होने पर कैसा लगता है..

"दी...क्क्या आप कभी भी सेक्षुयली एग्ज़ाइटेड हुई हो.?"

स्नेहा के चेहरे पर लाली छा गयी..उसका हाथ अपना माथा सहलाने लगा. वो ऐसा तभी ही करती थी जब वो किसी चीज़ मे श्योर ना हो..

"ऑनेस्ट्ली, मुझे पता नही.."

अरुण ये बात सुनकर सोचने लगा कि अब क्या किया जाए..

"तो, डोंट बी अफेंडेड बट आप जब मास्टरबेट करते हो तब कैसा लगता है."

स्नेहा ने अपनी नज़रें उपर नही की लेकिन उसका चेहरा और ज़्यादा लाल हो गया.

"ओह्ह आपने कभी मास्टरबेट नही किया..है ना..मुझे तो लगता था कि हर कोई करता है.." अरुण भी थोड़ा सा कन्फ्यूज़ होके बोला..

"लंड बाहर निकाल जल्दी से और करके दिखा.." अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई

"नोट हेल्पिंग, मेट." अरुण ने सोचा..

"मेरी कभी कोई इच्छा ही नही हुई या कह सकते हैं कि कभी ज़रूरत ही नही पड़ी.." स्नेहा ने टमाटर की तरह लाल होते हुए कहा.

"वाउ, तो आपको कभी कभिइ..." अरुण को समझ मे नही आ रहा था कि उससे इंप्रेस हो कि उसके लिए बुरा फील करे..

"उसे कभी ऑर्गॅज़म नही हुआ, बेटे, शी ईज़ दा ओन्ली वन.."

"वाउ," अरुण ने दोबारा कहा.."आइ'म सॉरी दी.."अरुण तुरंत ही बोला "लेकिन इसमे इतनी एंबरस्स होने वाली कोई बात न्ही है.."


अरुण सोचने लगा कि आगे की बात बिना स्नेहा को एंबरस्स करे कैसे करे. फिर उसे जैसे ही आइडिया आया उसके हाथ आपस मे ताली बजाने लगे. उसने आगे बढ़ कर स्नेहा का चेहरा उपर किया..

"दी..ट्रस्ट मी.." अरुण ने धीरे से कहा जब उसने देखा की स्नेहा के चेहरे पर चिंता के भाव आ रहे हैं.."मैं आपको एंबरस्स नही करूँगा और हर्ट तो पक्का नही करूँगा..प्रॉमिस.."

स्नेहा थोड़ी शांत हुई और हां मे अपना सिर हिला दिया.

"अब अपनी आँखे बंद करिए और जैसा भी फील हो वैसा बताना ओके..क्लोज़ युवर आइज़.." अरुण ने अपना चेहरा उसके पास करते हुए कहा.

स्नेहा ने एक बार उसकी तरफ नर्वस होकर देखा तो अरुण ने अपना हाथ उसके गाल पर रख दिया..

"दी, ट्रस्ट मी.."

"स्नेहा ने अपनी आँखें बंद कर ली और अपने शरीर को ढीला छोड़ किया. वो आज टीशर्ट पहने हुई थी जिस मे से उसका काफ़ी ज़्यादा क्लीवेज दिख रहा था. अपना सिर हिलाते हुए उसने अपना ध्यान उसके चेहरे पर किया फिर घूमकर उसके पीछे चला गया.

सुप्रिया और सोनिया की तरह ही उसकी हाइट भी अरुण से थोड़ी कम थी. अरुण ने धीरे से उसके कंधे पर हाथ रख के टीशर्ट को थोड़ा खिसका दिया जिससे टीशर्ट कोहनी के थोड़ा उपर तक आ गयी और उसका पूरा कंधा नग्न हो गया. अरुण ने अपने हाथ से उसके हल्के भूरे रंग के बाल उसकी गर्दन से हटाकर उसके सीने के सामने रख दी. फिर अपने होंठ आगे बढ़ाकर धीरे धीरे सॉफ्ट्ली उसकी गर्दन पर किस करना स्टार्ट कर दिया. हर दूसरे या तीसरे किस के बीच मे वो धीरे से उसकी गर्दन पर फूक देता. एक हाथ से उसने धीरे धीरे उसके गर्दन से लेकर बूब्स से थोड़ा उपर तक मसाज करना स्टार्ट कर दिया..

"कुछ अजीब सा फील तो हो रहा है.."स्नेहा ने बहुत हल्के से कहा.."मुझे कुछ ऐसा फील हो रहा है जो अभी थोड़ी देर पहले नही हो रहा था.."

"दी रुक जाउ क्या..?" अरुण ने पूछा..

"नो., जैसे कि मैने कहा, काफ़ी इंट्रेस्टिंग है..करते रहो.."

मुस्कुराते हुए अरुण ने उसके कंधे और गर्दन के बीच हर हिस्से पर किस कर दिए. फिर हल्के से उसकी स्किन को मूह मे खींच कर सक करने लगा फिर जीभ बाहर निकालकर लिक्क करने लगा.


स्नेहा को महसूस होने लगा कि जैसे उसके सिर से खून नीचे की तरफ भागने लगा हो. उसे वैसा ही महसूस होने लगा जैसा कि उसे आरोही और सोनिया के साथ अरुण को देखकर हुआ था..

"आइ थिंक शायद मैं एग्ज़ाइट हो रही हूँ.." स्नेहा बोली जब अरुण दूसरे साइड के कंधे पर किस कर रहा था.

"क्या ऐसा मुझे सूंघते वक़्त लगा था..?"

स्नेहा ने हां मे सिर हिला दिया.."हां लेकिन इतना ज़्यादा नही. दिस ईज़ मच मोर..ओह..वापस वही पर जाना...स्ट्रॉंग, आइ मस्ट से.."

फिर स्नेहा ने उसे निर्देश देना स्टार्ट कर दिया और महसूस करने लगी कि कहाँ कहाँ उसे ज़्यादा अच्छा फील हो रहा था और कहाँ कम..

"वाउ..अगर उत्तेजित होते समय ऐसा लगता है तो काफ़ी अच्छा है.." स्नेहा ने कहा फिर उसकी इच्छा होने लगी कि वो मूड कर अरुण को वापस किस करने लगे..

"झुका कर मार ले, चूतिए इससे पहले कि उसका मूड चेंज हो जाए.." अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई

"अरुण ने फिर किस करना बंद किया और उसे अपनी तरफ मुड़ा लिया.."सो, क्या आप सेक्षुयली एग्ज़ाइट हुई??" स्नेहा की आँखें अभी भी बंद ही थी और चेहरे पर स्माइल थी.

स्नेहा ने धीरे से अपनी आँखें खोली और उसकी आँखों मे देख कर कहा.."किस मी.."

"व्हाट.." अरुण के मुँह से निकला

"फक हर, चूतिए.." अरुण के दिमाग़ से आवाज़ आई

"यस,,तुम मेरी गर्दन पर किस कर रहे थे. अब मेरे लिप्स पर भी किस करो. ये सब काफ़ी नया है मेरे लिए.." 

तो अरुण ने धीरे से अपने होंठ आगे किए और 2 सेकेंड्स तक उन्हे उसके होठों पर रखा और वापस चला गया..

"ओके, दी.."

"ऐसे ही बाकी सब को भी किस करते हो क्या.." स्नेहा बोली और अपने हाथ उसके साइड मे रखते हुए बोली..

"नही..वो किस थोड़े पॅशनेट होते हैं.."

"तो क्या मैं तुम्हारे लिए उतनी सेक्सी नही हूँ, अभी तो तुम मुझे सेक्सी कह रहे थे..?"

"नही..आप हो..बस वो..."

"तो मुझे वैसे ही किस करो जैसो बाकी सब को करते हो.." स्नेहा बोली.."वित पॅशन.."

"फक हर.." अरुण के दिमाग़ ने कहा

अरुण एक पल के लिए रुक गया. फिर उसने सोचा कि जब वो किस की फीलिंग को जानना ही चाहती है तो क्या हर्ज़ है.

तो उसने स्नेहा तो अपने आगोश मे ले लिया जैसे कि कोई प्यार करने वाला लेता है और अपने होठ आगे बढ़ाकर चूमने लगा. फिर दोनो के होठ खुल गये और एक दूसरे के मूह मे जीभ अपना खेल खेलने लगी..

स्नेहा उसकी पीठ को सहलाने लगी फिर उसे और कसकर अपने पास खींच लिया.. अरुण के हाथ भी उसकी पीठ सहलाते सहलाते उसके हिप्स पर पहुचे तो उसने धीर से दोनो चुतड़ों को पकड़कर दबा दिया. स्नेहा ने हल्के से आह भरी जो उसके मूह मे दफ़्न हो गयी और फिर उसके हाथों का अहसास अपनी गान्ड पर होने पर और ज़्यादा शिद्दत के साथ उसे किस करने लगी..
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01-25-2019, 12:01 AM,
#24
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
थोड़ी देर बाद उसने अपना मुँह तो अलग कर लिया लेकिन दोनो अभी भी एक दूसरे को वैसे ही पकड़े खड़े रहे. स्नेहा की साँसें उपर नीचे हो रही थी, उसने अपना सिर अरुण सीने पर रख दिया..

"तो अब आप अपनी थियरी टेस्ट कर सकती हो क्यूकी अब आपको पता भी चल गया है कि सेक्षुयली उत्तेजित होने पर कैसा लगता है.." अरुण बोला..

स्नेहा ने अपनी साँस थामते हुए कहा.."तो क्या मैं कभी भी इस टॉपिक से रिलेटेड क्वेस्चन पूछ सकती हूँ तुमसे..?"

अरुण हल्के से हंस दिया. स्नेहा, जो कि उसके हिसाब से उसके एरिया मे सबसे ज़्यादा स्मार्ट थी वो उस से क्वेस्चन पूछेगी.."ऑफ कोर्स, कभी भी, कैसा भी क्वेस्चन हो.."

स्नेहा ने धीरे से अपना सिर उसके सीने से हटाया और उसका गाल चूम लिया..

"थॅंक यू, माइ बेबी.." स्नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा..

"लो, ऐसे ही चूत को जाने दे रहे हो..चूतिए होने का एक और सबूत.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने फिर कमेंट पास किया

अरुण ने धीरे से स्नेहा को अपने आगोश से आज़ाद किया. स्नेहा ने मुस्कुराते हुए उसकी पीठ से अपने हाथ हटाए और मुड़कर बाहर चली गयी..

सोनिया डिन्नर के वक़्त तक पायल के घर पर ही थी. क्यूकी वो दोनो बेस्टीस थी तो पक्का वो क्लब वाली बात उसे बता रही थी..और पायल उस पर चिल्लाए जा रही थी.

आरोही और सुप्रिया शाम को शॉपिंग करके वापस आए. अरुण ने स्नेहा के हाथ का लज़ीज़ खाना खाया और वो अपने रूम मे चला गया. उसकी हिम्मत नही हो रही दोनो के पास जाने की पता नही कब क्या कर दें..

स्नेहा खाना खा के आब्वियस्ली इंटरनेट पर अपनी थियरी के लिए रिसर्च करने बैठ गयी.

इधर आरोही के कमरे मे सुप्रिया उसे अपना प्लान समझा रही थी जो भी उन्होने अरुण के लिए सोचा था..जो भी हो आज अरुण के साथ कुछ बड़ा होने वाला था..

अरुण अपने रूम मे नॉवेल पढ़ रहा था जब सुप्रिया गेट खोल कर अपना सिर अंदर किया और उसे अपने पास बुलाने का इशारा किया. और फिर खुद नीचे चली गयी..

अरुण ने पहले तो सोचा कि क्यूँ बुलाया होगा और फिर अपने रूम से सिर बाहर निकालकर देखा तो सुप्रिया अभी भी पहली सीढ़ी पर उसकी ओर देख रही थी. उसे देख कर उसने दोबारा उसे अपने पीछे आने का इशारा किया. अरुण ने ध्यान से देखा तो सुप्रिया केवल एक बाथरोब मे थी. और अंदर से कुछ पिंक पिंक सा चमक रहा था..फिर उसकी नज़रें बड़े से क्लीवेज पर जाके अटक गयी..और उसका बना बनाया प्रतिबंध टूट गया और पीछे जाने लगा..

उसकी मटकती गान्ड देखते देखते वो उसके पीछे सुप्रिया के रूम मे चला गया..अपनी साँस रोक कर उसने दरवाजा खोला. पता नही कॉन्सा मंज़र उसका इंतजार कर रहा होगा इस दरवाजे के पीछे ये सोचकर. अंदर का नज़ारा देख कर उसके चेहरे पर पहले असमंजस फिर मुस्कुराहट आ गयी. पूरे कमरे मे हल्की सी रोशनी थी वो भी कॅंडल्स की. कॅंडल्स से पूरा कमरा महक रहा था.. उसका ध्यान जब सुप्रिया पर गया तो मुँह खुला का खुला रह गया. सुप्रिया ने बाथरोब उतार दिया था और उसके नीचे उसने पिंक कलर की नेग्लिजी पहनी हुई थी.. वो बिस्तर पर बैठ कर उसकी ओर टाँगे करे बैठी थी. एक तो धीमी रोशनी, उस पर मदहोश करने वाली महक उसमे पिंक कलर मे खिलता हुआ सुप्रिया का गोरा हुस्न..ये सब चीज़े काफ़ी थी अरुण का मदहोश करने के लिए.. नेग्लिजी ट्रॅन्स्परेंट थी और ब्रा के उपर से पतले से धागे उसकी गर्दन के पीछे बँधे थे..बूब्स के निपल सॉफ दिखाई दे रहे थे और नीचे का पूरा हिस्सा पिंक ट्रॅन्स्परेंट कपड़े के पीछे और ज़्यादा खिल रहा था. एक ट्राइंग्युलर पैंटी उसकी सुडौल जांघे दिखा रही थी..

अरुण ने अंदर आकर दरवाजा बंद कर दिया और फिर लॉक कर दिया..उसने पहले खुद को शांत करने के लिए दो बार गहरी साँस ली क्यूकी इस टाइम उसकी इच्छा तो हो रही थी कि बस कूद कर टूट पड़े सुप्रिया पर..

"फाड़ दे आज..." अरुण के दिमाग़ मे आवाज़ गूँजी

"आइ विल..." अरुण ने सोचा..

अरुणड धीरे से बेड की ओर बढ़ने लगा, सुप्रिया उसकी ओर देख कर मुस्कुराए जा रही थी और अपनी उंगली से उसे अपनी तरफ आने का इशारा करने लगी. फिर उसी उंगली को अपने मुँह मे भरकर चूसा और फिर अपने होंठों से लेकर गर्दन के रास्ते अपनी चूत तक ले गयी..

अरुण, उसके पैरो के पास अपना मुँह ले गया और उसके पैरो को किस करने लगा. पहले उसके अंगूठे को चूसा फिर वहाँ से बढ़कर उसकी एडी को चूमा और फिर उपर बढ़ने लगा. वो आज सुप्रिया के हर अंग को चूम कर अपना बना लेना चाहता है. उसके हर हिस्से पर अपना नाम लिखना चाह रहा था. उसके नर्म होंठो का अहसास अपनी कोमल स्किन पर होते ही सुप्रिया की साँसें उपर नीचे होने लगी. 

जैसे ही अरुण घुटने के उपर जाँघ के अन्द्रूनि हिस्से पर किस करने लगा. सुप्रिया से कंट्रोल नही हुआ तो उसने अपने पैर और फैला दिए जिससे अरुण को पर्याप्त जगह मिल गयी. वो धीरे धीरे उसकी जांघों के अंदर वाले हिस्से पर अपने होंठों की छाप छोड़ने लगा और पिंक पॅंटीस के चारो तरफ अपने गर्म होंठो को छूने लगा. फिर 2 उंगलियों से उसने पैंटी को थोड़ा सा साइड मे किया और उसकी क्लाइटॉरिस को मुँह मे भरकर जीभ से खेलने लगा. सुप्रिया ने आनंद मे भरकर अपनी आँखें बंद कर ली जब अरुण ने अपनी जीभ को उसके छेद पर घुमाया.

सुप्रिया मस्ती मे अपनी चूत को उसके मुँह पर और ज़्यादा दबाने लगी... उसकी क्लाइटॉरिस उत्तेजना मे और ज़्यादा तन गयी और जब अरुण ने उसे अपने मुँह मे पूरे तरीके से भर कर चूसा तो सुप्रिया की आह निकल गयी..

सुप्रिया अपनी आह ऊ के साथ कहने लगी.."यू नो, ऊओह...स्वीतू, इतना अच्छा..आअहहू... लग रहा है कि ऊऊओ...मैं सोच रही ओह्ह्ह हूँ कि सर्प्राइज़..आहोहोह्हो..लाइक दिस...बाद मे बताऊ..."

अरुण ने ये सुनकर अपना मुँह उठाकर उसकी तरफ देखा लेकिन तुरंत ही उसके सिर पे सुप्रिया ने अपना हाथ रख के दबा दिया..

"नो..रुकना मत...बता दूँगी..ओाहह.." सुप्रिया अपनी कमर हिलाती हुई बोली.."ओहह.."

अरुण ने उसकी बात मानी और अपने दाँतों से उसकी क्लाइटॉरिस को काटने लगा, और जीभ से खेलता रहा..उसने अपने फ्री हॅंड को उपर ले जाके ब्रा के अंदर से ही दूध को दबाना स्टार्ट कर दिया..और फिर उसी हाथ को सुप्रिया के होंठों पर रख दिया..

सुप्रिया किसी भूके शेर की तरह उसकी उंगलियों पर टूट पड़ी और किसी लॉलिपोप की तरह उसकी उंगलियों और अंगूठे को चूसने लगी..

थोड़ी देर बाद अरुण अपना हाथ नीचे ले आया और हथेली को चूत पर रख कर 1 उंगली अंदर डाल कर मज़ा देने लगा जैसा कि सुप्रिया ने उसे सिखाया था..उसकी उंगलियों का अहसास अपनी चूत पर पाकर सुप्रिया की फिर सिसकारी निकल गयी..

अरुण ने उंगली से हुक बनाकर उसकी चूत को अंदर से अपनी तरफ बुलाने लगा और साथ मे जीभ से चूत को चाटता भी जा रहा था..थोड़ी देर मे ही उसकी चूत टाइट होने लगी..

"ओह,.....गुड....." सुप्रिया बड़ी तेज़ी से चीखी और एक के बाद एक लहर अपने रस की अरुण के मुँह पर छोड़ने लगी...अरुण भी उसके कामरस को पूरा पीता चला गया..

साँसों को काबू मे कर के सुप्रिया ने अपना चेहरा उठाया और उसकी ओर देखने लगी.."काफ़ी जल्दी सीख रहे हो, मेरे भाई.." और फिर उसको बैठा दिया.."वैसे तो मैं तुम्हे अपना बनाने वाली थी.." इतना सुनते ही अरुण के चेहरे पर कन्फ्यूषन के भाव आ गये..

"लेकिन, लेकिन हम लोगो ने आज काफ़ी डिसकस किया.." किसी की पीछे से आवाज़ आई..

अरुण ने पीछे देखा तो उसकी आँखें बाहर आ गयी और मुँह खुला का खुला रह गया...
दरवाजे के पास आरोही खड़ी हुई थी..उसने भी ब्राइट रेड कलर की नेग्लिजी पहनी हुई थी...

"और दी मान गयी हैं कि मैं जाय्न कर सकती हूँ..अब तुम्हे हम दोनो को प्यार का पाठ पढ़ाना होगा...टीचर जी.." आरोही ने सेक्सी सी हँसी मे कहा..

"एसस्स..एसस्स...फक्किंग आवेसम....चूत वो भी एक के साथ एक फ्री....एसस्स्स्स्स्सस्स.....सल्यूट भाई सल्यूट.." अरुण की आवाज़ ने फिर से बोला

अरुण ने थूक निगलते हुए आरोही की आँखों मे देखा तो वो उसे किसी भूके शिकारी की तरह देख रही थी...अरुण को समझते देर नही लगी कि आरोही को अब नही रोका जा सकता..

"दी..सॉरी, लेकिन इस से ज़्यादा मुझसे रुका नही गया.." आरोही ने सुप्रिया की ओर देखते हुए कहा.."जैसे ही आप दोनो ने स्टार्ट किया तभी से मेरा मन जाय्न करने को कर रहा था.." आरोही वही खड़ी खड़ी बोली..

सुप्रिया ने उसकी ओर बाहें फैला दी और मुस्कुरा कर कहा..."ओह्ह..मेला बेबी,,कम हियर...मम्मा के पास आजा..."

आरोही तुरंत ही हँसती हुई बेड पर कूद कर सुप्रिया की गोद मे चली गयी..अरुण वही मुँह बंद करे बैठ गया..

आरोही किस करने के लिए जल्दी से सुप्रिया की ओर लपकी..

"पहले.." सुप्रिया ने उसके मुँह पर उंगली रखते हुए कहा, फिर उसकी लाइनाये को उतार दिया. थोड़ी ही देर मे दोनो बहनें पूरी तरीके से नंगी एक दूसरे की गोद मे थी..

"ओह गोड्ड़.." आरोही ने बोला फिर सुप्रिया का सिर पकड़कर अपनी गर्दन पर रख लिया.. सुप्रिया भी धीरे धीरे अपनी छोटी बहेन के गले का स्वाद लेने लगी..

अरुण का दिमाग़ रिसटार्ट करने की कोसिस मे लगा हुआ. था..आवाज़ ने कूद कूदकर तहलका मचा रखा था..उसने खुद को किसी तरीके से संभाला और सामने देखने लगा..

आरोही की बॉडी सुप्रिया की बॉडी मे पूरी तरह बिन्धि हुई थी. दोनो के हाथ एक दूसरे के अंगो को सहला रहे थे..कभी दूधों को दबाते कभी चुतड़ों पर पहुच कर कसमसाते और होंठ एक दूसरे मे मग्न थे..

आरोही ने अपना सिर नीचे करके सुप्रिया के दूध को मुँह मे भर लिया, और ये करते वक़्त ही आरोही की इच्छा और ज़्यादा नीचे जाने की होने लगी..उसने खुद को किसी तरीके से कंट्रोल किया और अपना पूरा ध्यान निपल के स्वाद का मज़ा लेने मे लगा दिया..फिर उसके पेट पर अपनी जीभ फेरने लगी..

सुप्रिया से सहन ना हुआ तो उसने उसका सिर पकड़कर उसे बेड पर लिटा दिया और खुद उसके उपर चढ़ कर उसे किस करने लगी फिर आरोही के बूब्स को चाटने लगी...

सुप्रिया ने निपल को दाँत से छोड़ते हुए अरुण की तरफ देखा तो उसकी आँखें बाहर की ओर निकली हुई थी..साँसें रुकी हुई थी और लंड तो जैसे जीन्स फाड़ कर निकलने वाला था.

"स्वीतू, तुम्हारे लिए यही अच्छा होगा कि इस हथियार को बाहर निकालो इस भूके बच्चे को दे दो नही तो ये हम दोनो को खा जाएगी..ओह्होहीइहि.." सुप्रिया ने आख़िरी मे हँसते हुए कहा क्यूकी आरोही ने उसके कान को चाटना स्टार्ट कर दिया था..

अरुण जल्दी से खड़ा हुआ और गिरते पड़ते अपने कपड़े उतारे..जैसे ही उसने बॉक्सर उतारे लंड अपने पूरे शबाब पे था और ऐसा लग रहा था जैसे किसी भी दीवार को तोड़ दे..

"ब्रिंग दट हियर, ब्रो.." आरोही ने बहुत ही सेक्सी आवाज़ मे कहा..फिर अपनी आँखें बंद करके सुप्रिया की जीभ का मज़ा लेने लगी जो उसके पेट से होती हुई उसकी जांघों को चाट रही थी..

अरुण जैसे ही बिस्तर पर चढ़ा तो उसका लंड सीधे आरोही के सिर के पड़ोस मे था तो उसने देर ना करते हुए उसे पकड़ लिया और अपने भूके मुँह के अंदर ठुसने लगी..और अपनी जीभ से उसका मज़ा लेने लगी..

आरोही ने लंड से हाथ हटाकर अरुण की कमर पर रखे और अपने भाई के लंड को अपने मुँह के और अंदर करने लगी..लंड की टिप को अपने गले के अंत मे महसूस करने पर उसी थोड़ी तकलीफ़ हुई लेकिन फिर तुरंत ही उसके शरीर मे चींटियाँ दौड़ने लगी जैसे ही सुप्रिया ने अपनी जीभ उसके छेद के अंदर घुसा दी..

सुप्रिया अपनी जीभ को छेद के अंदर घुमा रही थी और उसके रस को अपने अंदर समेटे जा रही थी..आरोही ने अपनी कमर उठा कर अरुण के लंड को और ज़्यादा ताक़त से चूसा जब सुप्रिया के होठ उसकी क्लाइटॉरिस पर पड़े और उसका हाथ अपने आप ही अपनी बड़ी बहेन के बालों पर पहुच कर सहलाने लगा..

अरुण ने आरोही का सिर अपने हाथों मे पकड़ रखा था और बड़े प्यार से उसके सिर को धीरे धीरे हिला कर अपने लंड पर उपर नीचे कर रहा था..अरुण को एक अलग ही मज़ा आ रहा था जब उसकी जुड़वा बहेन की मखमली जीभ उसके सुपाडे से लेकर जड़ तक जाती..आरोही तो किसी लॉलिपोप की तरह उसे चटकारे लेकर चूसे जा रही थी..

अरुण को जब लगा कि वो झड जाएगा तो वो पीछे हट गया..उसे पता था कि आज उसे ज़्यादा ही ताक़त की ज़रूरत पड़ने वाली है..

आरोही के मुँह मे जैसे ही ख़ालीपन आया उसने बच्चे जैसे मुँह फुलाते हुए कहा.."भाई दो ना..."

"हाः...मैं इतनी जल्दी झड़ना नही चाहता..मुझे पता है तुम लोगो ने आज रात काफ़ी कुछ सोच रखा है.." अरुण हान्फ्ते हुए बोला..
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01-25-2019, 12:01 AM,
#25
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
थोड़ी देर मे ही आरोही अपने ऑर्गॅज़म के चलते आँखें बंद करके सुप्रिया का सिर अपनी चूत पर दबा रही थी..सुप्रिया ने भी उसकी चूत से अपना सिर तब तक नही हटाया जब तक उसे पूरे तरीके से खाली नही कर दिया फिर उसके दूधों पर सिर रख के साँस लेने लगी..

"दी,,,यू आर टू गुड,,मुझे पता नही था..कि आप ये भी इतने अच्छे से कर लेती हो..आइ लव यू.." आरोही ने उसका सिर चूमते हुए कहा..

"कुछ चीज़े छुपा कर रखनी पड़ती हैं, बच्चा वो छोड़ो अब पहले कौन इस सांड पर चढ़ेगा.." सुप्रिया ने भूखी आँखों से अपने भाई के लंड की तरफ़ देखते हुए कहा..

अरुण हँसते हुए साइड मे लेट गया तो तुरंत ही दोनो बहने उसकी ओर धीरे धीरे बढ़ने लगी और दोनो ने एक एक जाँघ को किस करना स्टार्ट कर दिया..दोनो ने लंड की दोनो ओर एक साथ जीभ से चटा फिर सुपाडे पर पहुच कर एक साथ किस करने लगी..

सुप्रिया ने पहेल करते हुए उसके सुपाडे को अपने मुँह मे भर लिया तो आरोही ने नीचे के हिस्से को अपने थूक से भीगा दिया और फिर खुद सुपाडे को चूसने लगी..दोनो बारी बारी उसका मज़ा लेती रही..

"दी..पहले आप" आरोही ने सुप्रिया की हालत समझकर कहा..

सुप्रिया भी बिना रुके उसके उपर खड़ी हो गयी.आरोही के वहाँ से हटते ही वो धीरे धीरे अपनी चूत को अपने भाई के टॉवर पर उतारने लगी. उसने एक हाथ से लंड को सीधा किया तो आरोही ने भी हेल्प करने के लिए उसकी कमर पकड़ ली और धीरे से उसकी चूत को लंड के सुपाडे पर रख दिया..लंड और चूत के संगम से दोनो के मुँह से मस्ती भरी आह निकल गयी..

आरोही भी खुद को अलग नही करना चाहती थी तो अरुण के सिर की ओर जाके अपनी टाँगें उसके सिर के दोनो तरफ रखी और अपनी चूत को उसके होठों के उपर रख दिया..अरुण ने भी देर ना करते हुए अपनी जीभ को उस गुलाबी रस से भरे हुए छेद मे डाल दिया..आरोही ने आह भरते हुए सुप्रिया को पकड़ लिया और दोनो बहने अपने भाई के उपर उपर नीचे होने लगीं..

आख़िरकार सुप्रिया की इच्छा पूरी हो ही गयी..जबसे उसके मुँह पर अरुण का लंड टकराया था तबसे उसकी इच्छा थी इस लंड को अपने अंदर लेने की..सुप्रिया ने कमर हिलाकर अपने भाई के लंड का अंदर तक मज़ा लिया तो अरुण ने अपनी कमर और उचका दी..

अरुण बता नही सकता था कि कितना अछा महसूस हो रहा था उसे..उसके दोनो हाथ उसकी जुड़वा बहेन की जांघों को फैलाए रखने मे व्यस्त थे और जीभ और दाँतों से वो आरोही की चूत का रास्पान करे जा रहा था. और उसकी बड़ी बहेन उसके लंड के उपर कूदती जा रही थी. अरुण को लग रहा था किसी भी वक़्त उसकी आँखें खुलेंगी और ये सपना टूट जायगा..

आरोही की कमर दोबारा काँपने लगी जैसे ही एक और ऑर्गॅज़म की लहर उसके शरीर मे दौड़ गयी..वो आगे की तरफ झुक के सुप्रिया को पकड़ने लगी तभी सुप्रिया को भी ऑर्गॅज़म होने लगा. तो वो आरोही को किस करते करते बहुत तेज़ी से कमर हिलाने लगी.

"ओह गॉड, ओहााहह,,अरुण...सो गुड..आरोही..आइ लव यू बोथ..आहह...उम्म्मंहहह" सुप्रिया मस्ती मे बोली.

थोड़ी देर मे सुप्रिया अरुण के लंड पर से उतर गयी और आरोही को इशारा किया तो आरोही वही से 69 की पोज़िशन मे अरुण के लंड को मुँह मे लेकर चूसने लगी..और अपनी बड़ी बहेन के चूत का रस अपने भाई के लंड से चूसने लगी..कुछ मिनिट दोनो ऐसे ही एक दूसरे के अंगो का रस्पान करते रहे फिर दोनो दूर हुए और आरोही बेड पर पीठ के बल लेट गयी..और अरुण को अपनी ओर बुलाने लगी..

सुप्रिया ने अरुण का लंड अपने हाथ से पकड़कर आरोही की चूत के सामने किया फिर खुद अपनी छूट को आरोही के मुँह पर रख लिया और अपनी बहेन की चूत मे लंड को डालने के लिए उसे अच्छे से गीला करने लगी..फिर आरोही की चूत को चूस्कर ढंग से चेक किया कि उसकी चूत अच्छे से गीली हो जाए..आख़िर ये पहली बार होना था..

फिर अरुण की ओर देखते हुए बोली.."अब धीरे धीरे से अंदर करो, और अपनी बहेन को दुनिया का सबसे बड़ा तोहफा दो..." आरोही ने सुप्रिया की चूत को चूसना स्टार्ट कर दिया..

अरुण ने हां मे सिर हिलाया फिर आगे बढ़कर सुप्रिया को प्यार के साथ किस करने लगा और साथ मे अपने लंड को आरोही की चूत की लकीर पर रखा....सुपाडे के हल्के से अंदर जाते ही आरोही की बॉडी मे ऐंठन होने लगी..अरुण को थोड़ी सी कसावट महसूस हुई और उस कसावट को धीरे धीरे दूर करते हुए उसका लंड चूत की दीवारो से रगड़ने लगा और अपना रास्ता बनाने लगा..आरोही की चीख निकलने लगी और आँसू भी आ गये तो सुप्रिया उसके उपर से उठ गयी और उसके होठों को अपने होठों मे भरकर उसके गालों को सहलाने लगी जिससे उसे थोड़ा आराम मिले..अरुण भी तब तक ऐसे ही उसके बूब्स को चूस्ता रहा...

जब आरोही की बॉडी थोड़ी ढीली हुई तो अरुण ने धीरे से लंड को बाहर निकाला और फिर धीरे से अंदर करने लगा. उसने आरोही की कमर मे हाथ डालकर धीरे धीरे उसे अपनी तरफ खिचने लगा..सुपाडा पूरा अंदर ले जाकर वो सुपाडे को ही अंदर बाहर करने लगा..कुछ ही मिनिट मे आरोही भी उसका साथ देने लगी..फिर धीरे धीरे उसने पूरा का पूरा लंड ऐसे ही अंदर कर दिया और धीरे धीरे उसे हल्का सा अंदर बाहर करने लगा..आरोही दर्द को कम करने के लिए सुप्रिया की जीभ को कभी काटती कभी उसे अपने मुँह मे भरकर चूसती कभी होंठों को चूस्ति कभी उन्हे काटती..सुप्रिया भी उसे पूरा साथ दे रही थी..

फिर जब आरोही भी अरुण का साथ देने लगी तो सुप्रिया ने उसके सिर के दोनो तरफ पैर रख के अपनी चूत को आरोही से चुसवाने लगी..आरोही ने मस्ती मे पूरी की पूरी जीभ सुप्रिया के छेद के अंदर घुसा दी जैसे ही उसकी बॉडी मे पहली बार अपने भाई के लंड की वजह से ऑर्गॅज़म आने लगा..वो सुप्रिया की क्लाइटॉरिस को मुँह मे भर कर ही आहें निकालने लगी और तेज़ी से अपनी कमर को उपर नीचे करने लगी.. 
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01-25-2019, 12:02 AM,
#26
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
सुप्रिया के चेहरे पर स्माइल आ गयी जब उसे पता चला कि आरोही अपने भाई के साथ पहले ऑर्गॅज़म के करीब है..उसे ये भी पता था कि अरुण भी अपनी लिमिट के करीब है तो वो सोनिया के सिर से हटते हुए बोली, "उसे बताओ कि उसका जूस तुम कहाँ लेना चाहती हो.."

"ओह..भाई..प्लीज़ कम इन मी...प्लीज़.ओहहह.." और फिर यही बात वो मस्ती मे सिसकारी लेते हुए बार बार कहने लगी..और ओरगस्म का मज़ा लेने लगी..

अरुण भी झड़ने के करीब था तो और तेज़ी से उसको चोदने लगा.. सुप्रिया से रहा नही गया तो उसने आगे बढ़कर आरोही की क्लाइटॉरिस को मुँह मे भरकर काटने लगी..

अरुण ने ऑर्गॅज़म के बाद एक के बाद एक पिचकारी अपने स्पर्म की चूत के अंदर छोड़ना स्टार्ट कर दिया. उसने एक आह के साथ अपना सारा जूस आरोही के जिस्म मे उडेल दिया..

"ओह..गॉड..भाई..अहहह..सो गुड..." आरोही भी उसके गर्म गाढ़े स्पर्म को अपने अंदर महसूस करके चीखने लगी..

अरुण ने लंड निकालने से पहले 15 20 सेकेंड्स तक और धक्के मारे. फिर दोनो सही पोज़िशन मे लेट कर अपनी बड़ी बहेन के साथ बेड पर ढेर हो गये..दोनो बहनों ने अरुण को दोनो तरफ से अपने आगोश मे ले लिया...

"ड्यूड दट वाज़ दा बेस्ट....आंड थ्रीसम...आसम..याहूऊऊओ......" अरुण के दिमाग़ ने अपना कमेंट पास किया

अरुण अपनी दोनो बहनो के आगोश मे लेटा हुआ है..तभी बेड एकाएक बड़ी तेज़ी से हिलने लगता है जैसे की भूकंप आ गया हो...अरुण को कुछ समझ मे नही आता...

"अरुण....अरुण....बेटा....स्वीतू..अरुण..." 

बार बार यही आवाज़ उसके कानो मे गूँज़ रही है...फिर वो खिड़की से बाहर देखता है तो पानी की बड़ी सी दीवार उसकी तरफ आ रही होती और फिर पानी का वो सैलाब सब कुछ अपने आगोश मे निगल लेता है..अरुण उसमे हाथ पैर मार के उपर रहने की कोशिश करता है लेकिन कुछ नही हो पा रहा..और वो पानी मे डूबने लगा और तलहटी मे जाकर किसी सूखे पत्ते की तरह गिर पड़ा...

एक झटके के साथ अरुण उठ कर बैठ जाता है...उसकी साँसें बड़ी तेज़ी से चल रही हैं जैसे की सालों से साँस ही नही ली है..सामने कुछ सॉफ दिख नही रहा...कोई हँस रहा है बड़ी तेज..वो अपनी आँखें मसल के चारो ओर देखने की कोसिस करता है तो सामने किसी को खड़ा हुआ देखता है लेकिन पहचान नही पाता...उसे कुछ समझ मे नही आ रहा..पानी नाक मे पहुचने के कारण सिर मे बड़ा तेज दर्द हो रहा है..जैसे कोई हथोडे मार रहा हो...वो अपने हाथों से सिर को दबाने लगता है..

"अया...एहह.." अरुण सिर को दबाते हुए बोलता है...

थोड़ी देर पलके झपकाने पर उसे थोड़ा सॉफ दिखाई देने लगा तो सबसे पहले नज़र सुप्रिया पर पड़ी जो अपने नाइट सूट मे खड़ी है लेकिन हाथ मे बाल्टी भर पानी है...और बेड पर बैठकर हँसे जा रही है..

अरुण चारो तरफ देखता है तो उसे पता चलता है कि ये तो उसका रूम है..लेकिन कैसे?? ये कहा हूँ मैं? मैं तो दी और आरोही के साथ दी के कमरे मे था?? फिर यहाँ कैसे...

अरुण हड़बड़ा के खड़ा हो जाता है और चारो तरफ चीज़े हाथ से छू कर देखने लगा तो उसकी नज़र फर्श पर पड़ी नॉवेल पर पड़ी जो वो सुप्रिया के आने के वक़्त पढ़ रहा था...फिर उसे धीरे धीरे रियलाइज़ हुआ कि वो सपना देख रहा था...

"ओह..शिट...ओह माइ गॉड..."

वो सब याद आते ही अरुण अपना सिर पकड़कर सामने चेयर पर बैठ जाता है..

"दट वाज़ आ ड्रीम...हुहह" अरुण अपना सिर हिलाते हुए कहता है..पानी से भीगा सिर हिलाने पर कुछ बूँदें सुप्रिया के उपर भी पड़ती हैं...फिर वो अपनी हालत पे ध्यान देता है तो वो टीशर्ट और जीन्स मे है लेकिन सिर से लेकर पेट तक पूरा भीग गया है...

वो थोड़ा होश मे आने के लिए अपने गाल पर एक दो थप्पड़ मारने लगा...

सुप्रिया अपनी हँसी रोककर उसकी अजीब सी हर्कतो को देख रही है..

अरुण जब नज़र सामने घड़ी पर डालता है तो अभी शाम के 10:25 हुए है...

"फिर कोई सपना देखा क्या?? वही आक्सिडेंट..." सुप्रिया को अब चिंता होने लगी तो उसने पूछा..

"नही दी आक्सिडेंट नही लेकिन....इट वाज़...अमेज़िंग..आइ मस्ट से...हुहह..बिल्कुल असली लग रहा था..मैं.मैं...." अरुण इतना कहते कहते रुक गया क्यूकी उसे ये बात बताना ठीक नही लगा कि वो दोनो बहनो के साथ एक साथ सेक्स कर रहा था..

"हां..मैं क्या...?" सुप्रिया ने हाथ पकड़कर पूछा..

"दी..प्लीज़..अभी नही लेकिन पक्का बाद मे बता दूँगा...बाइ दा वे ये पानी क्यू डाला अपने...उनहूओन." अरुण ने धीरे से कहा...

"तुम सीधी तरीके से उठते कहाँ हो..मैने सोचा तुम्हे दूध और मेडिसिन दे दूं वो देखो टेबल पर...लेकिन तुम तो ऐसे घोड़े बेच कर सो रहे थे जैसे कुंभकारण भी नही सोता होगा...कितना हिलाया डुलाया लेकिन उठने का नाम ही नही ले रहे थे..तो मुझे लगा ऐसे ही उठा दिया जाए...बाइ दा वे युवर रियेक्शन वाज़ क्वाइट फन्नी..."

सुप्रिया अपने मुँह पर हाथ रख के हँसने लगी...

अरुण भी हल्के से मुस्कुरा कर टवल से अपने सिर पोछने लगा...

"थॅंक यू दी..दूध आंड मेडिसिन के लिए..लेकिन प्लीज़ आगे से ऐसा मत करना..." 

"आगे का देखा जाएगा...अब जल्दी से दूध पियो आंड वैसे तुम्हे गिफ्ट भी तो देना है उस फाइट के बाद वाला..पिछली बार तो अधूरा छूट गया था..." सुप्रिया ने अपने लोवर की जेब से कॉंडम का पॅकेट निकलते हुए कहा...

अरुण तो उस दिन से ही ये करना चाहता था..लेकिन आज उस सपने और थोड़ा कन्फ्यूषन की स्टेट मे उसे ये करना ठीक नही लगा..वो पूरी तरीके से सुप्रिया पर ध्यान नही दे पाएगा और तुरंत ही उसके मन मे सपने की बातें आने लगी और फिर और तेज दर्द होने लगा सिर मे.....

अरुण को इतनी देर शांत देखकर सुप्रिया का चेहरा उतर गया...उसे तो लगा था कि ये देखकर अरुण तुरंत ही कपड़े भी उतार डालेगा लेकिन ये तो पता नही क्या सोच रहा था...

"व्हाट हॅपंड स्वीतू...?"

"दी.....च्ष.ह़" अरुण को समझ मे नही आया कि सुप्रिया को कैसे समझाया जाए..

"हां, आइ'म लिसनिंग..व्हाट.." सुप्रिया बोली..

"दी ऐसा नही है कि मैं करना नही चाहता लेकिन अभी आज रात..मुझे नही लगता कि मैं सही कंडीशन मे हूँ..आप समझ रही हो ना..." अरुण उसकी आँखों मे देखते हुए बोला..

ये सुनकर सुप्रिया के चेहरे पर दर्द और गुस्से के भाव आ गये..जबसे उसने सोनिया और आरोही को देखा था अरुण के साथ तबसे उसके मन मे एक डर था की आरोही और सोनिया दोनो यंग है तो कहीं अरुण उसकी तरफ कम ध्यान ना देने लगे..और आज उसके मुँह से ऑफर को सीधा मना करने पर उसका डर रिलिटी बनने लगा...

"हुहह..मैं तो सब ही समझती हूँ.." सुप्रिया थोड़ी सी गुम्सुम हो के बोली..

तो अरुण के कानो मे पड़ गयी और जाके सुप्रिया के पास बैठ गया..."दी मैं सच कह रहा हूँ...आइ रियली लव यू आंड आइ वॉंट टू डू एवेरितिंग विद यू..आंड आइ विल शुवर्ली...लेकिन आज नही..प्लेज..."

सुप्रिया के दिल मे थोड़ी सी टीस होने लगी जो जाके उसके सिर मे गुस्से मे तब्दील हो गयी..उसने अरुण का हाथ हल्के से अपने कंधे से हटाते हुए कहा..."हुन्ह.. मैं पहले ही जानती थी कि लड़के होते ही ऐसे हैं.. मुझे लग भी रहा था कि अब तुम्हारी जिंदगी मे सोनिया और आरोही आ गयी हैं तो वैसे भी मेरी वॅल्यू कम होनी ही थी....आफ्टरऑल मैं उन दोनो के जितनी सुंदर और सेक्सी कहाँ हूँ..." सुप्रिया के ये कहते वक़्त हल्के से आँसू आ गये..

अरुण को ये सुनकर एक झटका तो लगा कि सुप्रिया को आरोही के बारे मे पता चल गया..उसे शक भी था कि सुप्रिया को पता है..लेकिन ऐसे सुन के उसे झटका लगा..

"दी..आप जानती हो ऐसा कुछ नही है..मैने पहले भी तो आपको बताया है....आप मेरे लिए सबसे सुंदर हो..प्लीज़ दी ट्राइ टू अंडरस्टॅंड..." अरुण ने उसके दूसरे कंधे को पकड़कर अपनी ओर खींचने की कोसिस की..

"हूँ..ओके.." बस इतना बोलकर सुप्रिया बेड से उतरकर खड़ी हुई और बाहर जाने लगी लेकिन दरवाजे पर पहुच कर मूडी..."ध्यान से मेडिसिन और दूध ले लेना..गुड नाइट.." और दरवाजा खोलकर रूम से चली गयी..

अरुण ने जाते टाइम सुप्रिया की आँखों मे आसू देख लिए तो उसके दिल मे भी दर्द हुआ कि उसके कारण उसकी बड़ी बहेन की आँखों मे आसू आए..लेकिन वो इस वक़्त कर भी क्या सकता था..

बाहर निकलते ही सुप्रिया सीधी अपने कमरे मे चली गयी..लेकिन दो आँखें ये सब देख रही थी..वो थी आरोही. सुप्रिया ने उसे प्रॉमिस किया था कि वो उसे सब कुछ देखने देगी..तो आरोही को नींद ही नही आ रही थी..वो तो उतावली होकर सुप्रिया के मेसेज का वेट कर रही थी...लेकिन जब उसने सुप्रिया को नीचे गुस्से मे जाते हुए देखा तो वो भी पीछे चली गयी..सुप्रिया के रूम पर पहुच कर उसने नॉक किया तो सुप्रिया ने दरवाजा खोला और सामने आरोही को देखकर वो जल्दी से अपने आसू पोछने लगी...

"क्या हुआ दी..आप रो रही हो क्या??" आरोही ने उसका हाथ पकड़कर पूछा..."अरुण ने कुछ कह दिया क्या....उसकी तो...उसकी इतनी हिम्मत"

तो सुप्रिया ने उसका हाथ कस के पकड़ लिया..."नही कुछ नही आरोही..वो तो बस ऐसे ही..आँख मे कुछ चला गया था.." सुप्रिया बहाना बनाते हुए बोली...

"दी..मैं दिखती थोड़ी डंब लगती हूँ लेकिन हूँ नही..पक्का अरुण ने कुछ कह दिया है...आप रूको मैं अभी उसकी खबर लेती हूँ.." आरोही पीछे मुड़ने लगी तो सुप्रिया ने उसका हाथ पकड़के रोक लिया...और ना मे अपना सिर हिलाने लगी.

तो आरोही ने उसे पकड़ा और उसको ले जाके बेड पर बिठा दिया और फिर उसके सामने ज़मीन पर बैठकर उसके हाथ पकड़ लिए...

"दी...दी...पहले तो आप मेरी तरफ देखो.." आरोही ने ऑर्डर देते हुए कहा..तो सुप्रिया उसकी तरफ देखने लगी..

"अब ये आँसू रोको..अभी...नही तो मैं आज अपनी मार्षल आर्ट्स की ट्रैनिंग आपके उपर उसे करके आपको बेहोश कर दूँगी.." 

तो सुप्रिया हल्की सी मुस्कान के साथ आँसू पोछने लगी..

"अब मुझे बताओ क्या कहा उस डफर ने...?" 

अब सुप्रिया को सोच मे पड़ गयी की जो बात उसके मन मे है वो कैसे कहे कि अरुण अब उसकी और सोनिया की वजह से उस पर ध्यान नही दे रहा...

"आरोही..वो....वो..आइ..वो...आइ कॅन'ट.. सॉरी.."

"अच्छा ओके...ओके..स्माइल को रोक कर रखो पहले आप..आप अभी बताने मे कंफर्टबल फील नही कर रहे हो..कोई बात नही...जब आपका दिल करे तब बता देना..मैं तो एवररेयडी हूँ आपकी हर बात सुनने के लिए...लेकिन वो पिटेगा ज़रूर मेरे हाथों..." आरोही ने हवा मे मुक्के चलाते हुए कहा...

तो सुप्रिया को हँसी आ गयी जिसे देखकर आरोही भी हँसने लगी...

इधर अरुण ने दवाई खाई और दूध पीकर टीशर्ट उतार दी और बेड पर दोबारा लेट गया...

"ड्यूड..तुमने आती हुई चूत को लात मार दी..लानत है तुम पे.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

"तुम्हारे कारण ही ये हुआ है..ना तुम वो ...च..सपना मुझे दिखाते ना ये कुछ होता..व्हाट वर यू थिंकिंग??" अरुण ने सोचा..

"लो अब इसमे मेरी ग़लती है..वो खुद कॉंडम ले के आई..मना तूने किया मेरी क्या ग़लती..और सपना तो मैं वैसे भी तुझे दिखता रहता हूँ..आज क्या अलग था..?? उल्टा चोर कोतवाल को डान्टे.." अरुण के दिमाग़ ने कहा

"प्लीज़ डोंट टॉक टू मी ओके...आइ डोंट वॉंट टू लिसन टू युवर रब्बिश" अरुण गुस्से मे सोचने लगा..

फिर उसे सुप्रिया की आँखों से गिरते हुए आँसू याद आ गये तो उसके चेहरे पर भी मायूसी छा गयी..उसे ध्यान आने लगा कि किस तरह सुप्रिया हमेशा से उसका सबसे ज़्यादा ध्यान रखती आई है...एक तरीके से वो सुप्रिया को कभी कभी एक माँ के रूप मे भी देख लेता था..और आज उसने उसी का दिल दुखा दिया... फिर उसने सोचा कि वो दी को किसी ना किसी तरीके से मना लेगा..हां
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01-25-2019, 12:02 AM,
#27
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
ऐसे ही खुद को कोसते कोसते वो सोने की कोसिस करने लगा..लेकिन कहते हैं ना जब किसी अपने का दिल आपकी वजह से दुखा हो तो खुद को नींद कैसे आ सकती है..यही हाल अरुण का था..वो जितना सुप्रिया के बारे मे ना सोचने की कोसिस करता उतना ही ज़्यादा उसके मन मे सुप्रिया के ख़याल आने लगते...

वो थोड़ा झुंझलाता हुआ बैठ गया..

"ऐसे कुछ नही होगा मुझे कुछ करना ही होगा...क्यूँ ना आरोही से बात करूँ..वो पक्का समझेगी मेरी बात.." अरुण सोचते हुए खड़ा हुआ और टीशर्ट पहेनकर घड़ी की ओर देखा तो 11:40 हुआ था..उसने सोचा आरोही तो अभी जाग ही रही होगी..वो वैसे भी काफ़ी लेट सोती थी..और फिर वो आरोही के रूम मे चला गया. लेकिन आरोही का रूम तो 
खुला पड़ा था और आरोही तो वहाँ कहीं नही थी..अरुण ने आवाज़ भी दी लेकिन कोई रेस्पॉन्स ना पाकर वो परेशान हो गया..

"अब ये कहाँ चली गयी..." अरुण हवा मे हाथ मारते हुए कहने लगा..

"कॉल गर्ल तो नही है ना तेरी बहेन.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

"शट यौर माउत..." अरुण ने कहा..

फिर पता नही उसे क्या हुआ उसके कदम खुद ब खुद नीचे जाकर सुप्रिया के कमरे के बाहर रुक गये...उसने दो बार गहरी साँस ली फिर दरवाजे पर नॉक किया.. 5 मिनिट तक कोई रेस्पॉन्स नही आया..."दी..प्लीज़ डोर ओपन करो..आइ'म सॉरी..आइ रियली नीड टू टॉक टू यू.." उसने दोबारा नॉक किया तब भी कुछ नही हुआ..

"दी क्या आप अपने स्वीतू की बात नही सुनोगी..प्लीज़...देखो मैं यही खड़ा रहूँगा पूरी रात नही तो..प्लीज़ दी 5 मिनिट के लिए गेट खोल दो..." अरुण की आँखें भी हल्की सी नम हो गयी लेकिन वो कर भी क्या सकता था..

तो वो वही दरवाजे के पास बैठ गया और अपना सिर अपने घुटनो पर रख के खुद को कोसने लगा...

"बहुत आटिट्यूड दिखाना था तुझे भी अरे उसे सच बता देता लेकिन नही भाई साब तो आटिट्यूड वाले हैं ना..अब भुग्तो.." अरुण की दिमाग़ से आवाज़ आई

अब तो सच मे अरुण को काफ़ी बुरा लगने लगा और वो हल्के से आँसू बहते हुए बाहर बैठ रहा...

रात के 12:30 बज रहे हैं..हल्की हल्की ठंडी हवाएँ चल रही हैं....तभी एक हल्की सी आवाज़ के साथ सुप्रिया के रूम का डोर खुलता है और एक आवाज़ आती है 
"धम्म्म्मम......."

"अह्ह्ह्ह...ओवववह" अरुण सिर के बल गिरते ही कराहने लगा....

सुप्रिया तो उछल ही पड़ी ये देखकर और एक दम से उसका हाथ उसके मुँह पर चला गया...

हुआ ये था कि अरुण दरवाजे के सहारे ही बैठा हुआ था तो सुप्रिया के दरवाजा अंदर की तरफ खोलते ही वो सिर के बल गिर पड़ा...

सुप्रिया को पहले तो कुछ समझ मे नही आया..फिर जब उसने कराहने की आवाज़ सुनी तो तुरंत ही उसको उठा के बिस्तर पर बैठ गयी और उसका सिर अपनी गोद मे रख लिया...

"सॉरी...अरुण..मुझे पता नही था,...सॉरी.." सुप्रिया बड़े प्यार से उसका सिर सहलाते हुए बोली..पहले तो उसने सोचा था कि अरुण से बात भी नही करेगी ढंग से लेकिन उसका दर्द देखकर उसका सारा गुस्सा हवा मे काफूर हो गया....

अरुण को दर्द तो हो रहा था लेकिन उससे ज़्यादा दुखी तब हुआ जब सुप्रिया प्यार के साथ उसका सिर सहलाए जा रही थी...वो तो ये सोच रहा था कि दी अगर गुस्सा हुई तो उन्हे मना लेगा लेकिन सुप्रिया का प्यार देख कर देख कर उसे खुद पर गुस्सा आने लगा. उसने तो दी का दिल तोड़ दिया था फिर भी वो उसका इतना ख़याल रख रही थी..अरुण लगातार सुप्रिया की आँखों मे देखे जा रहा था और देखते देखते उसकी आँखों मे आसू आ गये...तो उसने कस के सुप्रिया को पकड़ लिया उसकी गोद मे अपना सिर छुपाते हुए...

"दी..आइ'म सॉरी...आइ'म सॉरी...मैं सही मे बहुत ही बुरा हूँ...आप मेरा इतना ख़याल रखती हो मैं...मैं..." अरुण इतना कहते कहते हल्का सी सिसकी लेने लगा..

तो सुप्रिया की आँखें भी नम हो गयी उसने भी उसका सिर सहलाते हुए चूम लिया...

फिर दोनो ऐसे ही जाने कितनी देर बैठे रहे..
अरुण को सुप्रिया की गोद मे बड़ा सुकून मिल रहा था.

"दी..मैं आपके पास सो जाऊ..??" अरुण ने गोद मे सिर रखे रखे ही पूछा..

"चटकककक...."

"आअहह......" अरुण अपने चूतड़ सहलाते हुए बोला और पलटकर देखा तो सामने आरोही खड़ी थी.....अरुण उसे पकड़ने लपका तो आरोही ने एक और बार उसके चूतड़ पर कस के स्केल मारा और बेड के साइड से घूमकर सुप्रिया के पीछे छिप गयी...

"आह...क्यू मारा..??" अरुण ने पूछा..."और..और..तू दी के कमरे मे क्या रही है.." अरुण अपने चूतड़ को सहलाते हुए बोला...

"अभी मारा ही कहाँ है..अभी तो और मारूँगी...तुमने काम ही ऐसे किए हैं.." आरोही सुप्रिया के कंधे पर सिर रख के बोली..

"क्या किया है मैने..??" अरुण ने पूछा..

"तुमने दी को रुलाया नही..कह दे कि दी तुम्हारे कारण नही रो रही थी..डफर..ईडियट.." आरोही बोली..

तो अरुण चुप हो गया..उसे पता था कि ग़लती उसकी ही है..लेकिन फिर सुप्रिया ने उसके आगे हाथ फैलाकर उसे आगे बुलाया तो अरुण दोबारा उसकी गोद मे जाकर लेट गया...

"सॉरी, दी..मुझे ऐसा नही करना चाहिए था..आइ'म रियली सॉरी.."

"कोई नही..स्वीतू हो जाता है..आइ'म नोट आंग्री वित यू.." सुप्रिया बड़े प्यार से बोली..

"क्या दी इतनी आसानी से माफ़ कर दिया इस मुलज़िम को. इसको तो कड़ी से कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए.." आरोही उसकी तरफ मुँह बनाते हुए बोली..

"हां सज़ा तो मिलनी चाहिए लेकिन सज़ा की कल सोचेंगे..अभी मुझे नींद आ रही तो जाओ सो जाओ सब.." सुप्रिया एक स्माइल के साथ बोली..

"तू तो गया बेटा.."अरुण ने सोचा..

"दी..मुझे आपके साथ सोना है.."अरुण उसके पेट मे किस करते हुए बोला..

"आई..हेलो..मैं पहले से ही हूँ यहाँ पर..तुम फूटो यहाँ से...समझे.." आरोही साइड मे अपनी तकिया ठीक करते हुए बोली..

"पहले से मतलब.." अरुण ने पूछा..

"लो अब इन्हे मतलब समझाओ..तुमने जब मेरी दी को रुला के भेजा तो मैने देख लिया था तो मैं अपनी दी को रोते हुए कैसे देखती तो मैं आ गयी..मुझे भी अकेले सोना अच्छा नही लगा तो मैं दी के साथ सो गयी..हॅपी..और हम दोनो अच्छे से सो भी रहे थे..फिर तुम आ गये धम्म्म्म से गिरते पड़ते...मैं तो कह रही हूँ और लगनी चाहिए तुम्हे..अब फूटो जल्दी यहाँ से.." आरोही इतराती हुई बोली..

अरुण ने अब ध्यान दिया तो देखा कि आरोही सिर्फ़ ब्रा और पैंटी मे है..उसे ये देखकर थोड़ा अजीब तो लगा लेकिन फिर उसने सुप्रिया की तरफ देखा तो वो रोब मे थी..वो बहुत ही मासूम नज़रो के साथ सुप्रिया की तरफ देखने लगा...

"अच्छा ओके...तुम दोनो आज मेरे साथ सो जाओ..हॅपी.." सुप्रिया बेड से उठ कर बोली...तो अरुण के चेहरे पर स्माइल आ गयी लेकिन जब आरोही की तरफ देखा तो उसने हुन्ह कर दिया..और जीभ दिखा दी..

अरुण ने सुप्रिया की तरफ देखा तो देखता ही रह गया..सुप्रिया ने रोब उतार दिया था..और अंदर हाफ ब्रा और सेक्सी से पैंटी मे थी..अरुण सोचने लगा आख़िर ये दोनो ब्रा और पैंटी मे कर क्या रही थी..लेकिन फिर ध्यान हटा दिया..

सुप्रिया आके बीच मे लेट गयी और दाई तरफ से आरोही ने उसके पेट पर हाथ रख दिया और इधर अरुण ने ये देखा तो पहले तो उसका लंड खड़ा हो गया..दो दो लड़कियाँ वो भी इतनी सुंदर और दोनो ब्रा पैंटी मे लेकिन फिर सिर हिला कर वो भी सुप्रिया के साथ सट गया और उसके गाल पर किस करके अपना हाथ आरोही के साइड मे रख दिया सुप्रिया के पेट के उपर..

आरोही ने उसके हाथ पर हाथ मारते हुए कहा..."श्ह..मेरी दी है..हाथ हटाओ कही और रखो.."

"तू हटा ना..मैं नही हटाने वाला.." अरुण ने भी उसके हाथ पर मारते हुए कहा तो आरोही ने हाथ हटा लिया तो सुप्रिया के चोट लग गयी..

"आउच..." सुप्रिया बोली..

"स्सोररी दी..सॉरी.." अरुण बोला और फिर वही पर हाथ रख दिया तो आरोही ने भी उसके पास मे अपना हाथ रख दिया और दोनो कस के सुप्रिया से चिपक कर सोने लगे... 

रात के 2 बज रहे हैं..आरोही और अरुण दोनो सुप्रिया से सट कर सो रहे हैं...सुप्रिया का मुँह अरुण की तरफ है और दोनो की गर्म साँसें आपस मे टकरा रही हैं...अरुण का हाथ सुप्रिया के दूध पर रखा हुआ है जो ब्रा मे क़ैद हैं..इधर आरोही का मुँह तो बूब के साइड मे है और हाथ सुप्रिया की कमर पर...
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01-25-2019, 12:02 AM,
#28
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अरुण की हल्के से आँख खुली तो सामने सुप्रिया का सोता हुआ क्यूट सा चेहरा देख कर उसे बड़ा अच्छा लगा..और अपने आप ही उसके होठ सुप्रिया के होठों से जुड़ते चले गये..और वो सुप्रिया की गर्म मीठी साँसें अपने मुँह मे भरने लगा..अरुण ने धीरे धीरे सुप्रिया के होठों को सक करना स्टार्ट कर दिया...तो सुप्रिया के होठ अपने आप ही खुलने लगे..फिर अरुण को झटका लगा जब सुप्रिया की जीभ उसके होठों के रास्ते उसके मुँह मे आ गयी..उसने आँखें खोल के देखा तो सुप्रिया की आँखें भी खुली हुई थी..दोनो एक दूसरे को होंठो को मुँह मे रखे रखे ही मुस्कुराने लगे और किस करने लगे..ऐसे 5 मिनिट तक किस चलता रहा तो अरुण का लंड खड़ा होने लगा और उसके हाथों ने सुप्रिया के दूधों पर अपना कमाल दिखाना शुरू कर दिया...सुप्रिया को भी गर्मी चढ़ने लगी तो वो थोड़ा सा अरुण की तरफ घूमी और अपने दूध उसके हाथों मे दबाने लगी...दोनो बहुत ही धीरे और प्यार से एक दूसरे के होठ चूसने लगे.. फिर जब दोनो को सास लेना दूभर हो गया तो अरुण ने किस तोड़ी और उसके गालों से लेकर गर्दन को किस करने लगा...कमरे मे पुच पुच और सांसो की आवाज़ें आने लगी..अरुण का हाथ जब सुप्रिया की पीठ पर पहुचा तो उसे झटका लगा....आरोही का हाथ भी सुप्रिया की पीठ पर था..दोनो के हाथ आपस मे मिल गये तो आरोही ने आगे बढ़कर अरुण की उंगलियों को मुँह मे भर लिया..वो इतने हिलने डुलने से जाग गयी थी..और गर्म तो वो लगभग हर वक़्त ही रहती थी..तो ये मौका कैसे जाने देती..

उसकी उंगलियों को चूस्कर आरोही ने सुप्रिया की ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी पीठ को किस करने लगी..सुप्रिया तो अरुण के किस की वजह से आँखें बंद करे हुई थी लेकिन गर्म होठ पीठ से टच होते ही उसकी आँखें खुल गयी और उसे समझते देर नही लगी..और वो मस्ती मे खो गयी..अरुण ने ब्रा को निकाल कर साइड मे फेक दिया तो आरोही ने भी अपनी ब्रा खोल दी और अपने दूधों को सुप्रिया की पीठ से रगड़कर गर्दन को चूमने लगी..अरुण ने भी एक बार सुप्रिया के होंठो पर किस किया और फिर किस करते करते नीचे आकर चाँद की चाँदनी मे चमकते हुए उन पर्वतो पर टूट पड़ा...सुप्रिया की आह निकल गयी तो उसने थोड़ा सिर पीछे करने की कोसिस करी...

आरोही समझ गयी कि सुप्रिया क्या चाहती है तो आगे बढ़कर उसके होठों पर अपनी छाप छोड़ने लगी...ऐसे ही कुछ देर चलने के बाद आरोही ने सुप्रिया को सीधा लिटा दिया....तो अरुण भी सुप्रिया के बीचो बीच आ गया..सुप्रिया ने अपना हाथ बढ़कर अरुण के लंड को पकड़ना चाहा तो जीन्स से टच हुई तो उसने अरुण की बेल्ट पकड़कर खींचने लगी..अरुण जल्दी से नीचे उतरकर कपड़े उतारने लगा..तब तक आरोही सुप्रिया को किस करती रही..फिर अरुण सीधे सुप्रिया के दूधों पर टूट पड़ा..आज अरुण और आरोही पूरी तरीके से सुप्रिया को मज़ा देना चाहते थे...आरोही ने किस तोड़कर अपने बूब्स को सुप्रिया के मुँह से सटा दिया तो सुप्रिया किसी छोटे बच्चे की तरह उसके निपल को कुरेदने लगी..उधर अरुण ने पैंटी की एलास्टिक मे उंगलियाँ डाल कर पैंटी उतार दी...

अरुण ने आगे बढ़ कर सुप्रिया को पलट दिया और उसे घुटनो के बल लिटा दिया..तो आरोही जल्दी से उसके नीचे आ गयी और अपना मुँह उसकी चूत की तरफ और चूत को सुप्रिया के मुँह के पास रख दिया..दोनो 69 की पोज़िशन मे आ गये....अरुण का लंड सीधा आरोही के मुँह के सामने लटक रहा था..वो कैसे छोड़ देती तो पकड़ के मुँह मे रख कर चूसने लगी उधर..उधर अरुण ने हवा मे उठी हुई सुप्रिया को चूत को देखा तो वो चमक रही तो रस से..उसने जीभ को मुँह से बाहर निकालकर एक बार लिक्क किया..तो सुप्रिया के पैर कांप गये तो उसने कमर मे हाथ डाल कर उसे रोके रखा और बड़े प्यार से उसकी चूत को खाने लगा..सुप्रिया मस्ती मे भरकर आरोही की चूत को चाटे जा रही थी...इधर आरोही मस्ती मे अरुण के लंड को चाट रही थी...अरुण को फिर लगने लगा कि ये भी तो सपना नही है..लेकिन फिर इस ख़याल को छोड़कर..सुप्रिया को मज़ा देता रहा..थोड़ी देर मे ही सुप्रिया की बॉडी काँपने लगी...तो अरुण ने 2 उंगली डाल कर चूत को कुरेदने लगा और साथ मे मुँह से सक भी करता रहा..सुप्रिया ऑर्गॅज़म के बाद वही आरोही के सीने पर ढेर होने लगी तो अरुण ने उसे सहारा देकर साइड मे लिटा दिया और आगे बढ़कर उसके होठ पर किस करने लगा...सुप्रिया ने आँखों आँखों मे ही अरुण से कुछ कहा तो अरुण ने भी आँखों मे हां कह दी और फिर उसके उपर लेट गया..आरोही समझ गयी कि अरुण अब सुप्रिया को अपना बनाने वाला है तो वो आगे आकर सुप्रिया के गालो को किस करने लगी और एक बार अरुण को किस किया फिर उसके लंड को अच्छे से चाटा और सुप्रिया की चूत को अच्छे से भिगो दिया...अरुण ने अपना लंड सुप्रिया की चूत पर रखा और आगे झुक कर उसके दूधों को किस करने लगा..उधर आरोही ने उसके होठों को किस किया...

फिर अरुण ने देरी ना करते हुए सुपाडे को चूत के अंदर घुसाया तो चूत अपना बचाओ करने लगी लेकिन अरुण ने धीरे धीरे सुपाडे को अंदर कर दिया..वो बस इतना करके ही रुक गया और आगे झुककर सुप्रिया को देखने लगा तो उसके चेहरे पर दर्द के भाव सॉफ सॉफ दिखाई दे रहे थे..आरोही बड़े प्यार से उसके आँसू पोन्छ्कर उसे दिलासा दे रही थी..अरुण ने भी उसे किस किया और धीरे धीरे उसके निपल्स को चूसने लगा..थोड़ी देर मे ही सुप्रिया का दर्द कम हुआ तो उसने अरुण की कमर पर हाथ रखकर उसे अंदर करने का इशारा किया..अरुण भी जानता था इस वक़्त उसके दर्द की वजह से पीछे हटने का कोई मतलब नही है..तो उसने सुप्रिया की कमर को पकड़कर थोड़ा और धक्का दिया..लगभग आधा लंड चूत के अंदर सील को चीरता हुआ चला गया...

"आईइ..आप..प्प." सुप्रिया की हल्की सी चीख निकल गयी तो आरोही ने तुरंत ही उसे सहलाने लगी और किस करके उसका दर्द पर से ध्यान हटाने लगी..अरुण भी धीरे धीरे उसे सहलाते हुए बूब्स को सक करने लगा...सुप्रिया तो दर्द के कारण कमर हिलाने की कोशिश कर रही थी लेकिन अरुण ने कमर को मजबूती से पकड़ रखा था...वो जानता था कि थोड़ी देर मे ही सुप्रिया नॉर्मल हो जाएगी..सुप्रिया के काँपते होठ आरोही धीरे धीरे चूस रही थी....वो भी जानती थी ये उसके साथ भी होगा किसी दिन...ऐसा सोचकर उसकी चूत से दोबारा रस निकलने लगा और उसने कसकर सुप्रिया के होठों को चूस लिया....

अरुण को लंड पर कसावट कम होते महसूस हुई तो वो समझ गया कि दर्द कम हो गया है...सुप्रिया ने भी अपनी कमर धीरे धीरे हिलानी स्टार्ट कर दी फिर मज़े लेने लगी..मस्ती मे उसने दोबारा अरुण की कमर पकड़ी और आपस मे खुद को जोड़ने की कोसिस करने लगी..उसे पता नही था की अभी आधा लंड ही गया था तो उसके खींचने की वजह से पूरा का पूरा लंड उसकी चूत मे घुस गया...दर्द की एक पैनी लहर उसके पूरे सरीर मे दौड़ गयी...लेकिन उसकी चीख आरोही के मुँह मे ही घुट कर रह गयी...अरुण भी धीरे से उसके कान को चूस्ते हुए कहने लगा..."बस दी हो गया...हो गया..जितना दर्द होना था हो गया..अब आप मेरी हो.." इतना कह के वो उसकी गर्दन कान गाल मुँह हर जगह अपनी होठों से छाप छोड़ने लगा..उधर आरोही भी एक हाथ से उसके दूधो को मसल्ने लगी..फिर कुछ देर बाद अरुण ने चूत को ढीला होता महसूस किया तो धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगा..

सुप्रिया का दर्द तो अब गायब हो गया था तो वो भी अब फुल मस्ती मे उसके धक्को का साथ देने लगी..उसे अब सिर्फ़ मज़ा और मज़ा मिल रहा था..जब अरुण का लंड बिल्कुल निकलने वाला होता वो बस वही से दोबारा धक्का मार देता..पूरे लंड पर उसकी चूत अपना रस छोड़ कर अपने शिकंजे मे लेने लगी...

सुप्रिया की हल्की हल्की मस्ती भरी आहें अरुण और आरोही के कानो मे पड़ी तो दोनो का दिल ख़ुसी से झूम उठा...आरोही किस तोड़ कर दोनो का संगम देखने लगी...अरुण धक्के पर धक्के मार रहा है और सुप्रिया अपनी कमर उचका उचका कर साथ देने लगी..उससे रहा नही गया तो आरोही को अपने पास खींच कर उसके निपल को चूसने लगी..

थोड़ी देर मे ही सुप्रिया की चूत ने रस तेज़ी से छोड़ना स्टार्ट कर दिया और उसकी कमर काफ़ी तेज़ी से चलने लगी..उसका ऑर्गॅज़म करीब ही था..अरुण भी झड़ने के करीब था लेकिन वो पहले सुप्रिया को झडाना चाहता था तो उसने पूरा लंड एक बार बाहर निकाल लिया..चूत मे ख़ालीपन महसूस करते ही सुप्रिया ने बड़े असमंजस से अरुण की ओर देखा तो अरुण इशारे मे उसे शांत रहने को कहा फिर एक दम से पूरा लंड घुसा दिया..2 धक्के ही लगे थे कि सुप्रिया की चूत ने अपना रस छोड़ दिया..वो ऑर्गॅज़म की मस्ती मे बड़ी तेज़ी से अपनी कमर को कुदाने लगी...और आरोही के निपल पर अपने दाँत के निशान गढ़ाने लगी...उसका ऑर्गॅज़म की आख़िरी लहर के साथ ही अरुण भी झड़ने लगा..उसने आख़िरी धक्का ज़ोर से मारा और उसके उपर गिर के अपना गरम बीज उसकी चूत मे उडेलने लगा..आरोही सुप्रिया और अरुण तीनो एक दूसरे को मस्ती मे किस करने लगे....

फिर अरुण और आरोही साइड मे सीधे होकर लेट गये..और सुप्रिया के दोनो तरफ से गालो पर किस करने लगे...सुप्रिया की आँखों से 2 आसू निकल आए तो दोनो ने आसू को चाट कर सॉफ कर दिया और फिर तीनो एक दूसरे के आगोश मे लेट गये..लेकिन सोने से पहले अरुण ने खुद की चिकोटी काट कर कन्फर्म कर लिया कि ये सपना नही है..

"सपना नही है मेरे शेर...अब सो जा.. कल इस दूसरी शेरनी का भी कुछ करना है.." अरुण के दिमाग़ ने कमेंट पास किया

अरुण भी ये सोचते हुए सो गया...


................................
अरुण की आँख सुबह खुली तो उसने घड़ी मे देखा तो 6 बज रहे थे..बाहर हल्की सी रोशनी थी..उसने जब सुप्रिया की ओर देखा तो उसकी चेहरे पर एक बड़ी सी स्माइल थी और आरोही का मुँह उसके निपल पर था..आरोही किसी बच्चे की तरह सुप्रिया से चिपकी हुई थी..अरुण के चेहरे पर भी ये देखकर स्माइल आ गयी..उसने दोनो के माथे पर किस किया और कपड़े पहेन कर अपने रूम मे चला गया...

रूम खोलते ही उसने देखा कि सोनिया आ गयी थी और वो तकिये को हग करके लेटी थी...तो अरुण धीरे से जाके उसके पीछे उसी पोज़िशन मे लेट गया और धीरे से तकिये की जगह अपने हाथ रख दिया...तो सोनिया ने उसके हाथ को कस कर पकड़ लिया और अरुण उसे किस करके हग करते हुए लेट गया...थोड़ी देर मे ही सोनिया उसकी ओर पलटी और अरुण की आँखों पर किस कर दिया तो अरुण ने भी आँखें खोल दी और दोनो मुस्कुराते हुए किस करने लगे...

"आइ मिस्ड यू..भाई..मुझसे रहा नही गया तो मैं जल्दी से सुबह ही भाग आई..उन्ह...पुच..." सोनिया उसके चेहरे पर हर जगह किस करते हुए बोली..

"आइ मिस्ड यू टू..माइ गुड़िया..." अरुण ने भी उसकी नाक पर अपनी नाक रगड़ते हुए कहा...

"अच्छा तो थे कहाँ सुबह..." सोनिया किसी गर्लफ्रेंड की तरह इतराते हुए पूछने लगी..

"वो...मैं सुप्रिया दी के कमरे मे था...कल उनका मूड ठीक नही था तो मैं उनके साथ सो गया.." अरुण ने आधा सच बताया..

"आप हो ही इतने स्पेशल कि किसी को भी आपके साथ नींद आ जाए..आइ लव यू.." सोनिया ने उसकी छाती मे अपना सिर छुपाते हुए कहा..

तो अरुण को थोड़ा बुरा लगा कि उसके बात पर बिना किसी क्वेस्चन के सोनिया ने विस्वास कर लिया...

"आइ लव यू टू..गुड़िया..." अरुण ने उसका सिर चूमकर कहा..."सोनिया..."

"डोंट टेल हर...चूत हो क्या..ये भी जाएगी हाथ से और बाकी सब भी...मत बता" अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने उसे चेताया

"हां..भाई..."

"मुझे कुछ......बताना है तुम्हे..."

"भोसड़ी के...मादरचोद...क्यू सत्यवादी हरिस्चन्द्र बन रहा है..रहने दे.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने एक बार फिर से उसे चेतावनी दी

"मैं सब जानती हूँ भाई..." सोनिया ने कहा..

"मैं सब जानती हूँ भाई.." सोनिया ने अरुण के गाल पर हाथ रख के कहा और उसे देख कर मुस्कुराने लगी..

अरुण के लिए ये बात झटके से कम नही थी..वो सोच मे पड़ गया...
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01-25-2019, 12:02 AM,
#29
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
"मुझे पहले से ही सब पता था...जब आप और सुप्रिया दी ने वो हेल्प...उसी टाइम मैं भी पानी पीने अंदर आई थी और सुप्रिया दी कही नही दिखी तो मैं उपर अपने रूम मे जाने लगी. उसी वक़्त आपके कमरे से मुझे कुछ आवाज़ें सुनाई दी. तो मैने कान लगा कर सुन लिया वैसे कान लगाने की भी ज़रूरत नही थी..आप लोग इतनी आवाज़ कर रहे थे कि आराम से नीचे तक सुना जा सकता था..."

अरुण के चेहरा पर लाल रंग के कयि शेड्स उभरने लगे..

"वैसे तो मैं ये बात आपको अच्छे तरीके से परेशान करने के लिए यूज़ करने वाली थी..बट माइ बॅड लक आंड युवर गुड लक कि मुझे कभी मौका ही नही मिला. उसके बाद वो क्लब वाला सीन हो गया आंड आइ रीयलाइज़्ड दट आइ लव यू सो मच.." सोनिया ने हंस कर कहा और दोबारा किस करने लगी.. 

अरुण बेचारा किसी गुँगे आदमी की तरह पड़ा हुआ था..उसे समझ नही आया कि इस इन्फर्मेशन का करे तो क्या करे..

"और ट्रिप पर..., जब आरोही आकर आपकी गोद मे बैठ गयी थी..आपके चेहरे से आपकी हालत बहुत अच्छे तरीके से समझी जा सकती थी..उसके बाद मेरी नज़र वैसे भी आपके उस पर पड़ी..और फिर हमारी स्पेशल नाइट के बाद शवर मे से आती आवाज़ों ने मेरा शक कन्फर्म कर दिया...हीही" सोनिया ने खिलखिलाते हुए कहा...

अरुण सोचने लगा कि अब वो सफाई कैसे दे इस बात की..

"आंड भाई..यू डोंट हॅव टू वरी. आइ'म नोट जेलस..मुझे बाकी लोगो से कोई प्राब्लम नही है..उपर से मैं अकेली थोड़ी ना आपकी बहेन हूँ. बाकी सब का भी आपके उपर उतना ही हक़ है जितना कि मेरा.." सोनिया ने आँख मारते हुए कहा.."इनफॅक्ट, आइ'म हॅपी कि मेरे भाई के दिल मे इतना प्यार है सबके लिए.."

"बट आइ लव यू नाउ.. यस भाई मैं अब आपसे प्यार करने लगी हूँ और वैसा प्यार जो एक बहेन भाई के रिश्ते से बढ़कर है..मेरी सुबह तब तक नही होती जब तक मैं आपको ना देख लूँ..और रात तभी होगी जब तक मैं आपको महसूस ना कर लूँ.." सोनिया ने ये कह कर उसकी छाती को बेतहाशा चूम लिया..

"मैं जानती हूँ कि पहले मैने काफ़ी तंग किया है आपको, बट नाउ आइ लव यू मोर दॅन तट. मैं बस आपकी होकर रहना चाहती हूँ. मुझे किसी और की कोई ज़रूरत नही है...मैं आपसे शुरू और आप ही पर ख़त्म होना चाहती हूँ. हां..मुझे बाकी दी लोगो से कोई प्राब्लम नही है..लेकिन अगर मैने आपको इस घर के बाहर किसी और के साथ देख लिया ना, तो देख लेना मैं पहले वाली सोनिया बन जाउन्गी.."

अरुण की आँखों मे आसू आ गये ये सुनकर और उसने कसकर सोनिया को अपने उपर कर लिया और होठों को चूमने लगा...इस समय वो बस सोनिया को देख रहा था, उसी को सुन रहा था, उसी को महसूस कर रहा था..बाकी सब एक स्लो मोशन मे चल रहा था...एक ही अहसास उस पर छाया हुआ था...सोनिया....सोनिया....सोनियाअ..

जब साँस लेना मुश्किल हो गया तो दोनो अलग हुए और सोनिया ने अपना चेहरा उसके सीने मे छुपा दिया.

"प्लीज़ कुछ भी करना बट पुरानी वाली सोनिया मे कॉनवर्ट मत होना.." अरुण ने एक नॉटी स्माइल के साथ कहा..

तो सोनिया उसके सीने पर अपनी नाक रगड़ने लगी.."ष्ह्ह्ह...कभी नही..बस आप ऐसे ही मुझे प्यार करते रहो....वी विल ऑल्वेज़ कंप्लीट ईच अदर.."

इसके बाद अरुण काफ़ी देर तक उसके सिर को सहलाता रहा और सोनिया ऐसे ही लेटे लेटे उसके सीने को चूमती रही..फिर वो नहाने वग़ैरह के लिए अपने रूम चली गयी.

कुछ मिनिट बाद अरुण ने अपना गेट खोला तो सोनिया कुछ कपड़े लेकर नीचे उतर रही होती है. तो अरुण जल्दी से नीचे उतरा और पीछे से उसकी कमर मे हाथ डाल कर अपनी बाहों मे उठा लिया..फिर उसे साइड की दीवार से लगाकर पहले उसकी गर्दन चूमि, फिर अपने होठों को उपर बढ़ाकर उसके कानो मे गुदगुदी करने लगा...वहाँ से गाल और फिर दोनो की जीबे आपस मे प्यार करने लगी..अरुण ने आगे बढ़कर उसके दूधों को अपने सीने पर महसूस किया तो और मस्ती मे किस करने लगा..

प्यार भरे कुछ मिनटों के बाद अरुण ने उसे नीचे उतारा और अपनी पकड़ ढीली कर दी..

"सॉरी, आइ कॅंट कंट्रोल इट..यू मेक मी...सो..." अरुण बोल रहा था...

सोनिया एक दम से उछल कर उसकी गोद मे चली गयी और दोबारा उनके मुँह किसी चुंबक की तरह आपस मे जुड़ते चले गये..फिर कुछ मिनटों बाद अरुण ने उसे नीचे किया...

"आइ नो..भाई.." उसने मुस्कुरकर कहा और फिर सीढ़ियों पर पड़े कपड़े उठाकर बाथरूम चली गयी..

अरुण ने हॉल की खिड़की से बाहर देखा तो अभी बहुत ज़्यादा टाइम नही हुआ था..यानी कि बाकी सब सो रहे होंगे..

"चले, कन्फर्म करते हैं...आइडिया...अपना लंड लगा के देखना गान्ड मे जो भी हिलेगा वो सोने की आक्टिंग कर रहा होगा..जीनियस, आइ आम." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

"यार कभी तो कोई बात सेक्स के अलावा भी कर दिया करो...नॉर्मली तुम्हारे आइडियास परवरटेड होते हैं लेकिन आज..इट वाज़ यक.." अरुण सोफे पर बैठते हुए सोचने लगा..

"चूत कभी भी यक नही होती..इट'स टेस्टी माइ बॉय...आहह..उम्म्म...स्लूर्प्प..उम्म." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने चटखारे लेकर कहा

अरुण ने उसे इग्नोर करते हुए टीवी ऑन की तो टीवी पर म्यूज़िक चॅनेल ऑन था और भीगे होठ तेरे गाना आ रहा था..

"देख...यहाँ भी सब चूत के पीछे पड़े हैं..चल ना..मान जा ना..." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

"यार, अभी मुस्किल से 3 घंटे हुए होंगे.." अरुण ने घड़ी की तरफ देखते हुए कहा..

"तो.." उसके दिमाग़ ने कहा

"तो...यार आदमी हूँ...कोई कृष या सूपरमन थोड़ी ना हूँ..आराम की ज़रूरत होती है बंदे को..मरना थोड़ी ना है.." अरुण ने आह भरते हुए कहा..

"चूतिया साला..सुना नही किसी महान आदमी ने कहा है..आराम हराम है..और वैसे भी जब तू मर जाएगा तब आराम कर लेना..अब जल्दी से पीछे मूड चाहे तो बाथरूम मे जा नही तो सामने रूम मे जा दो दो चूत तय्यार पड़ी हैं..." दिमाग़ की आवाज़ ने फिर कहा

"इतनी क्या आग है भाई..." अरुण थोड़ा झल्लाते हुए सोचता है.

"अरे जा ना, क्यू इतने नखरे कर रहा है.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने फिर से कहा

अरुण बार बार की बात से परेशान हो गया तो उसने सोचा आज फ़ैसला हो ही जाए..."नही दिक्कत क्या है..चलो मैं जाके अभी वो कर लूँगा जो तुम कह रहे हो..लेकिन इस सबसे फ़ायदा क्या है..?"

"आर यू सीरियस्ली आस्किंग मी दिस क्वेस्चन कि इस सबका फ़ायदा क्या है..??" उसके दिमाग़ ने फिर पूछा

"यॅ, मुझे जानना है.." अरुण ने कहा

"चबन्नी हट गयी क्या...चूत के अंदर ये लॉडा घुसाने से जो फ़ायदा होता है वही फ़ायदा है.." दिमाग़ की आवाज़ ने जबाब दिया

"नही मैं बस ये जानना चाहता हूँ...मेरे ये सब करने से तुम्हे क्या मिलता है..तुम क्यू इतना फोर्स करते रहते हो मुझे..?" अरुण ने दिमाग़ की आवाज़ से पूछा

"चूत..चूत मिलती है मुझे.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

"तो एक तरीके से तुम चाहते हो कि हम दोनो को सिर्फ़ और सिर्फ़ चूत ही मिलती रहे?" अरुण ने फिर पूछा

"नही, सिर्फ़ चूत नही..लेकिन चूत मेरी लिस्ट का टॉपेमोस्ट आइटम है..हाहाहा" दिमाग़ के आवाज़ ने जबाब दिया

ये सुन के अरुण की आँखें चौड़ी हो गयीं..

"एक सेकेंड, यू हॅव आ लिस्ट..मतलब एक लिस्ट है तुम्हारे पास कि क्या हमें यानी कि तुम्हे चाहिए?" अरुण ने चौकते हुए दिमाग़ की आवाज़ से पूछा

"यस, बेटा जी. देखो नंबर. 1 इस चूत. अब जल्दी से जाओ..या तो दो की एक साथ ले लो नही तो बाथरूम मे घुस जाओ..वो पक्का तुम्हे कभी मना नही करेगी...शी लव्स अस ड्यूड, मीन्स यू..शी लव्ज यू.." अरुण के दिमाग़ ने जबाब दिया

"शांत शांत, लिस्ट पर वापस आओ..पहली चूत आंड सेकेंड..??" अरुण को पक्का यकीन था कि सेकेंड क्या पूरी लिस्ट मे सिर्फ़ और सिर्फ़ चूत ही भरी पड़ी होगी..लेकिन आवाज़ ने एक पल की भी देरी ना करते हुए बता दिया..


"सेकेंड नंबर है सभी को प्रेग्नेंट करना..जिस से कि वो सभी हमारी होकर रहेंगी..वेल टेक्निकली ये नंबर 2 नही है लेकिन नंबर2 पाने का यही तरीका है.." अरुण के दिमाग़ ने जबाब दिया
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01-25-2019, 12:03 AM,
#30
RE: bahan ki chudai मेरी बहनें मेरी जिंदगी
अरुण के दिमाग़ ने ये सुनते ही काम करना बंद कर दिया..."क्याअ..." अरुण ने चीखते हुए मन मे सोचा..."प्रेग्नेंट.?? दिमाग़ तो ठीक है ना.??"

उसी पल उसे ये समझ मे आया कि किसी और ने उसे ऐसा करते देख लिया तो पक्का सीधे पागलख़ाने ले जाएगा..यहाँ सोफे पर बैठ कर वो अपने आप से ही लड़ रहा है वो भी किस बात पर कि उसकी बहेन को प्रेग्नेंट करना है कि नही...यस आइ आम डेफनेट्ली क्रेज़ी..

"तुम समझ नही रहे ये समझना नही चाहते. तुम्हे पता है ना कि जब तुम किसी के सेक्स करते हो तो नेक्स्ट स्टेप प्रेग्नेन्सी ही होता है..इट्स अवर ट्रडीशन ब्रो.." दिमाग़ ने फिर कहा

"हमेशा नही....!" अरुण दोबारा चीखा लेकिन इस बार उसे रियलाइज़ हुआ कि उसने मुँह से चीखा तो वो चारो तरफ देखने लगा कि कही किसी ने सुन तो नही लिया..

"ओके हियर'स दा होल प्लान. अगर तुमने उनको प्रेग्नेंट कर दिया, तो वो हमेशा तुम्हारी होकर रहेंगी..हमेशा! हमे कभी भी उन्हे किसी चूतिए को देना नही पड़ेगा..और वैसे भी सब तुमसे इतना प्यार करती हैं तो बच्चा होने के बाद ये प्यार और बढ़ जाएगा..इस तरीके से हम लोगो को कभी भी चूत की कमी नही पड़ने वाली..एक आइडिया और हमारी जिंदगी चूतो से भर जाएगी..सोच मरते दम तक चूत ही चूत.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने फिर कहा

अरुण ने एक गहरी साँस ली..."ओके, बॅक टू लिस्ट मुझे क्लियर्ली बताओ 2 नंबर क्या है लिस्ट मे.."

"यही तो नंबर 2 था. देखो 4 चूत हैं इस घर मे, इनमे से एक ना एक चूत तो हमेशा तुम्हारा लंड लेने के लिए तय्यार ही रहेगी.." दिमाग़ ने जबाब दिया

"बस..यही प्लान है??" अरुण ने पूछा

"और नही तो क्या..जब चाहो तब चूत मिले..जागो तब चूत हो...सोते टाइम चूत..और क्या चाहिए एक आदमी को...हां अगर तुम आदमी ना हो तो आइ कॅन अंडरस्टॅंड." दिमाग़ ने अरुण पर व्यंग किया

"मुझे कभी तुमसे डिस्कशन स्टार्ट ही नही करना चाहिए था.." अरुण ने अपने सिर पर रिमोट मारते हुए कहा..

"वेल, ये तो हो नही सकता ना..वी आर इनसेपरबल.." अरुण के दिमाग़ की आवाज़ ने हंस कर कहा

अरुण गुस्से मे अपना चेहरा नोचने लगा..उसने सोचा था कि वो इस आवाज़ को कंट्रोल कर सकता है..लेकिन कैसे..आइडिया.."एक शर्त लगाओगे??" अरुण ने एक शातिर मुस्कान के साथ कहा..

"शर्त?? कैसी शर्त??" दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

"यही कि ये जो तुम मुझसे हर वक़्त करने को कहते रहते हो..मैं तुम्हारे बात को सुनकर भी इग्नोर कर सकता हूँ.."

"हाआहहहहहहा,,,एक सेकेंड..हाहहहहहहा" अरुण के दिमाग़ ने हंसते हुए कहा

"आइ'म सीरीयस.." अरुण ने कहा तो आवाज़ और तेज़ी से हँसने लगी.

"आइ नो..तुम सीरीयस हो...इसलिए तो और ज़्यादा हँसी आ रही है.." दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

"मेरे कहने का मतलब है कि मैं तुम्हारी बात को रेज़िस्ट कर सकता हूँ." अरुण ने मन में जबाब दिया

"ठीक है..लग गयी शर्त. तो कितने दिन तक तुम खुद को रोकोगे?? तुम समझ रहे हो ना कि रोकने का मतलब है तुम्हे सब से सेक्स करना बंद करना होगा??" दिमाग़ की आवाज़ ने फिर कहा

"हां हां.." अरुण बोला तो लेकिन थोड़ा जोश कम हो गया था. अभी तक उसने ये नही सोचा था कि रेज़िस्ट करने का मतलब था सेक्स ना करना..उसने अपना सिर हिलाया और अपने इरादे को मजबूत किया..

"डील. मैं तुम्हारी जो भी बातें होगी उन्हे रेज़िस्ट करने वाला हूँ...2 वीक्स यानी 14 दिन तक. मुझे ये करना ही होगा..अगर इसके चक्कर मे कोई गड़बड़ होती है तो हो जाए लेकिन मैं शर्त जीतकर ही रहूँगा.." अरुण नेदिमाग़ की आवाज़ को जबाब दिया

"ओके अगर तुम हार गये तो मुझे क्या मिलेगा??" दिमाग़ ने फिर अरुण से पूछा

अब अरुण सोच मे पड़ गया. एक तो खुद के मन की आवाज़ से शर्त लगा रहा था..ये कैसे पासिबल है..लेकिन फिर भी..

अरुण को एक ही रास्ता नज़र आ रहा था..

"अगर मैं हार गया, तो एक दिन के लिए..ध्यान रखना सिर्फ़ एक दिन के लिए मैं तुम्हारा गुलाम बन जाउन्गा. जो तुम कहोगे चाहो कितना भी अजीब काम हो मैं करने को तय्यार हूँ...लेकिन अगर, अगर मैं हारा तो."

"जब तुम हार गये, तुम्हारे कहने का मतलब है." दिमाग़ ने कहा

अरुण ने उस लाइन पर ध्यान नही दिया. वो सोचने लगा..क्या वो ये कर पाएगा..करना ही होगा..उसे खुद को तो कम से कम प्रूव ही करना था.

"बाइ दा वे, लड़कियाँ काफ़ी खुश होने वाली है ये डिसिशन सुन कर..हाहहाहा.." दिमाग़ ने चटखारा लेते हुए कहा

"ओह फक.." अरुण ने अपना सिर पकड़ लिया. ये तो उसने सोचा ही नही था. उनको जब पता चलेगा कि उसने सेक्स ना करने का डिसिशन लिया है तो वो क्या करेंगी. और ये तो बता नही सकता कि उसने अपने मन से ही ये शर्त लगाई है..

"आइ थिंक मैं पागल हो रहा हूँ."

"ना. पागल नही हो यार..." दिमाग़ ने कहा

"मैं अपने ही सिर मे एक आवाज़ से बात करता हूँ, उससे लड़ता हूँ, यहाँ तक उस से शर्त तक लगाता हूँ. ये किस नॉर्मल इंसान के ट्रेट्स हैं. ज़रा बताना मुझे.."

"ओके, अगर इस तरीके से देखा जाए तो.." दिमाग़ ने जबाब दिया

अरुण ने आगे उसकी बात नही सुनी और ये सोचने लगा कि ये बात वो सबको कैसे बताएगा और ख़ासकर आरोही को. वो तो कल रात से जाने क्या क्या सोचे बैठी होगी..और सोनिया..उसे क्या कहेगा..उसके इस डिसिशन से अगर वो वापस पहले वाली सोनिया बन गयी तो..हुहह..

जितना ज़्यादा वो इस चीज़ के बारे मे सोच रहा था उतना ही ज़्यादा पछता रहा था कि ये चूतिया सी शर्त आख़िर उसने लगाई ही क्यूँ.. और अगर कही वो हार गया तो पता नही ये आवाज़ उस से क्या क्या करवाएगी. पता चले वो सड़क पर नंगा घूम रहा हो और आती जाती लड़कियों को छेड़ रहा हो..ओह शिट..

अरुण ने अपना सिर हिलाकर कुछ सोचा..थोड़ी देर के लिए बाहर चला जाए..उसने सोचा..ना घर मे रहेगा ना सब पर नज़र पड़ेगी ना कुछ होगा..

वो जाने के लिए उठा ही था कि सुप्रिया के रूम का दरवाजा खुलता है और सुप्रिया बाहर आती है..उसे देख कर अरुण फिर पछताने लगता है..सुप्रिया ने सिर्फ़ एक डीप नेक टीशर्ट और पैंटी पहनी हुई है..

वो मटकती हुई सोफे के पास आई और अरुण के पास चिपक गयी और उसके मुँह को अपने पास खींच कर किस करने लगी..

लेकिन अरुण ने अपना चेहरा घुमा लिया तो उसके होठ अरुण के गाल से टकरा गये..

सुप्रिया की थयोरी चढ़ गयी.."कुछ गड़बड़ है क्या.." उसने अरुण का चेहरा अपनी तरफ घुमाया और उस पर साँस छोड़कर पूछा.."मॉर्निंग ब्रीथ??"

"ना..थोड़ा कॉंप्लिकेटेड है.." अरुण ने उसे गले लगा के कहा शायद इस से वो अपनी बात ढंग से कह पाए..

"ममममईए...ए.ए.ए.ए."

अरुण ने गहरी साँस ली. आने वाले दो साप्ताह बहुत भारी पड़ने वाले हैं.

"दी..मुझे लगता है हम लोगो को अब सेक्स नही करना चाहिए.." अरुण ने सीधे सीधे लफ़ज़ो मे सुप्रिया से कह दिया लेकिन तुरंत ही पछताने लगा कि इस तरीके से नही कहना चाहिए था.

"तू पिटेगा..पक्का" अरुण के दिमाग़ ने कहा

सुप्रिया ने उसकी बात सुनी तो एक दम से उसे गले से हटाया और उसकी तरफ बड़े अजीब तरीके से देखने लगी. दोनो के बीच मे एक खामोसी छा गयी.

"व्हाई? क्यू?..4 मे से 3 लड़कियाँ तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहती हैं और तुम मना कर रहे हो. 90 पर्सेंट लोग किसी का खून भी कर देंगे इसे पाने के लिए...लिटरली.." सुप्रिया ने कहा

"इसमे भी दिमाग़ है..बस तुझमे नही है.." दिमाग़ ने कहा

"दी..." अरुण बोलने लगा..

"यॅ, मैं समझ गयी रात मे जो कुछ भी हुआ वो सिर्फ़ सिंपती के कारण हुआ. अब तो तुम्हारे पास आरोही और सोनिया है ना.." सुप्रिया ने दर्द से भरे एक्सप्रेशन के साथ कहा..

"नूओ" अरुण तेज़ी से बोल पड़ा.."दी, फिरसे वही बात. मैं पहले ही कह चुका आप सब मेरे लिए बराबर हो. आइ लव यू ऑल, ईक्वली. आइ जस्ट..मैं..कैसे बताऊ.." अरुण अपने दिमाग़ मे सही वर्ड्स को ढूढ़ने लगा जिससे वो सुप्रिया को समझा सके..

"देखा चूत ना मिलने पर क्या हो जाता है तुझे.." दिमाग़ ने फिर चुटकी ली

सुप्रिया भी चुपचाप उसे देखती रही..लेकिन उसके चेहरे के एक्सप्रेशन वही रहे..


"ये सब मेरे साथ इतनी जल्दी हो गया है कि मेरा दिमाग़ डाइजेस्ट नही कर पा रहा. अभी 15 दिन पहले मैं सिंपल सा लड़का था जिसने आज तक रिलिटी मे कभी किसी लड़की के साथ किस से आगे नही बढ़ा. और आज 3 3 लड़कियाँ और वो भी मेरी बहनें मेरे साथ सेक्स करने को तय्यार हैं और उन मे से 2 के साथ मैं कर भी चुका हूँ...मैं ये नही कह रहा, कि मुझे ख़ुसी नही बट..मैं थोड़ा डर भी गया हूँ.."

"डर?" सुप्रिया ने अब थोड़ा प्यार से पूछा.."कैसा डर? तुम्हे वो सब कुछ मिल रहा है जो दुनिया मे ज़्यादातर लोगो को जिंदगी भर मे नसीब नही होता. हम सब तुम्हे प्यार करते हैं आंड यू ऑल्सो लव अस. फिर भी.."

अरुण ने अपना सिर हिला के कुछ सोचा..

"मुझे डर है कि कही मैं किसी को प्रेग्नेंट ना कर दूं"

सुप्रिया ने बात समझकर एक ठंडी साँस ली और उसका हाथ अपने हाथ मे लेकर कहा.."अरुण, तुम्हे इस बारे मे परेशान होने की कोई ज़रूरत नही है. मैं मानती हूँ, कि थोड़ा रिस्क तो होता है. लेकिन हम लोग प्रिकॉशन्स यूज़ कर सकते हैं."

अरुण अब थोड़ा परेशान होने लगा कि कैसे समझाए सुप्रिया को..

"दी और एक बात..मैं अपने आप को प्रूव करना चाहता हूँ कि मैं आप तीनो को रेज़िस्ट कर सकता हूँ. मतलब इच्छा होते हुए भी खुद को कंट्रोल कर सकूँ." 

"रेज़िस्ट? कंट्रोल? लेकिन क्यू? अच्छी ख़ासी हेल्थ है, अभी तो यंग हो और उपर से तीन तीन सेक्सी लड़कियाँ तुम्हारे साथ कभी भी बेड मे जाने के लिए तय्यार हैं..फिर क्यूँ?"

"एक्सलेंट पॉइंट..सुप्रिया 1 अरुण 0" अरुण के दिमाग़ ने चुटकी ली

अरुण ने अब थोड़ा खुद को टफ करते हुए कहा.."दी अभी तक जब भी आप लोगो की इच्छा होती थी आप लोग मेरे साथ कुछ भी कर लेते थे चाहो मेरी इच्छा हो कि नही. लेकिन अब मैं खुद को प्रूव करना चाहता हूँ, कि मैं डिसाइड कर पाउन्गा कि कब सेक्स करना है, और किसके साथ करना है.." 

सुप्रिया ने कुछ देर तो उसे देखा फिर एक सुपीरियर आटिट्यूड वाली स्माइल दी.."रियली? तुम खुद को कंट्रोल करोगे जब हम मे से कोई भी तुम्हारे कपड़े फाड़ कर तुम्हारे साथ वो चीज़े करना चाहेगी जो तुमने कभी सोची भी नही होंगी.."

"यही तो मैं कह रहा था डफर.." दिमाग़ की आवाज़ ने फिर चुटकी ली

"दी प्लीज़...आपको इस बात से अजीब नही लगता कि हम भाई बहेन हैं?"

"मुझे लगा हम लोग इस बात को पहले ही डिसकस कर चुके हैं?" सुप्रिया ने कहा

अब अरुण को सच मे काफ़ी ज़्यादा पछतावा होने लगा कि आख़िर शर्त क्यू लगाई. बहुत मुश्किल होने वाली थी..

"अरुण ध्यान से सुनो..तुमने मेरे और आरोही इनफॅक्ट सबके अंदर अगर स्नेहा को नॉर्मल माने तो..हीही..हां तो हम सबके अंदर एक दूसरे पर्सन को जगा दिया जिसे हम लोग शांत नही कर सकते और करना भी नही चाहते. और तुम ये भी जान लो कि हम लोग तुम्हे उत्तेजित करना तो बंद नही करने वाले."

"भाई अभी भी वक़्त है..शर्त कॅन्सल कर सकता है.." दिमाग़ की आवाज़ ने फिर चुटकी लेते हुए कहा

"दी, ओके क्लियर बात, ओके, मैं कुछ दिन अपनी किसी भी बहेन के साथ सेक्स नही करने वाला. और कोई कुछ भी कहे मैं अपना डिसिशन नही बदलूँगा. मुझे प्रूव करना है कि मैं अपने आप को कंट्रोल कर सकता हूँ बस."

"ओके, ड्सिसन ले लिया है तो.." सुप्रिया ने एक शातिर मुस्कान के साथ कहा..जिसे देखकर अरुण को डर तो लगने लगा.."अच्छी बात है. लेकिन अब तुम पक्का पछताओगे कि ये डिसिशन क्यूँ लिया. बाइ स्वीतू..हॅपी कॉंटरोलिंग." सुप्रिया ने खड़े होकर उसके गाल पे किस किया और किचन की तरफ जाने से पहले एक बार उसकी तरफ देखा और आँख मार के कहा..

"ओके, माइ डियर ब्रदर..गेम स्टार्ट्स नाउ.."

"यू आर डेफनेट्ली क्रेज़ी. दिन मे 3 बार सेक्स करने को मिले तो कौन आदमी मना करता है. और उपर से तूने अपनी स्नेहा को देखा है..वो भी तय्यार हो रही है धीरे धीरे.." दिमाग़ की आवाज़ ने कहा

अरुण ने आवाज़ को इग्नोर कर दिया. वैसे भी अब उसकी बात सुनने का कोई फ़ायदा तो था नही. फिर वो उठ कर किचन मे चला गया. कुछ ही देर हुई थी सोनिया और आरोही दोनो बातें करते हुए किचन मे आ गयी और दोनो ने अरुण के दोनो गालों पर किस कर दिया. अरुण ने अपने दिमाग़ को उन पर ना लगा कर अपने सॅंडविच पर किए रखा. लेकिन फिर भी उसने आँखो से देख ही लिया था..सोनिया तो नहा चुकी थी तो शॉर्ट्स और टीशर्ट मे थी लेकिन आरोही...वो स्पोर्ट्स ब्रा और कॉटन के स्लीपिंग शॉर्ट्स मे थी..
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