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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
उसके लिए इनाम तो बनता ही है ना…इसे इसका इनाम देने जा रही हूँ…” सबा नीचे पैरो के बल बैठ गयी… में हक्का बक्का सब देख रहा था…सबा ने एक बार मेरे लंड को सूँघा…. उसमें अभी भी मेरे लंड और सबा की फुद्दि के पानी की स्मेल आ रही थी…..फिर उसने मेरी आँखो में आँखे डाली तो, मुझे उसकी आँखे चढ़ि हुई नज़र आई….जैसे लंड को सूंघ कर उसे नशा हो गया हो…”मेरा दिल करता है….इसके इतने चुप्पे लगाऊ इतने चुप्पे लगाऊ कि खा जी जाउ इसे….” सबा ने मेरे लंड की कॅप से चमड़ी को पीछे किया और मेरे लंड की कॅप को मुँह में लेकर सक करना शुरू कर दिया….
मेरे हाथ पैर काँप गये…मेने सबा के सर को कस्के के पकड़ लिया….वो पागलो की तरह मेरे लंड को मुँह मेने लिए चुप्पे मार रही थी…मेरा लंड पूरी तरह हार्ड हो गया था…उसने 5 मिनट मेरे लंड को ऐसे चूसा कि, मेरी जान मेरे लंड की नसों से निकलने लगी…जैसे ही उसे अहसास हुआ कि, मेरे लंड से पानी निकलने वाला है…उसने मेरे लंड को मुँह से निकाल कर अपनी मुट्ठी से मेरे लंड की कॅप को कवर कर लिए और मेने उसके हाथ की मुट्ठी में ही फारिघ् होना शुरू कर दिया….
जब शांत हुआ तो, मेने नहर में जाकर अपने लंड को पानी से धोया…पानी बड़ा ठंडा था…पर मजबूरी थी….खैर हम फिर से चल पड़े…
में: ठीक है….कल आ जाउन्गा….
सबा: हां और दोनो में से किसी को बोल कर पानी वाली टंकी भी सॉफ करवा लेना. फिर मोटर चला कर उसमें पानी भर लेना….अब तो यहाँ भी पानी की ज़रूरत पड़ती रहेगी…नही तो नहर के बर्फ़ीले पानी से काम चलाना पड़ेगा….
सबा ने हंसते कहा….हम छोटे रोड पर पहुचे तो हम अलग हो गये….सबा मुझसे आगे चलने लगी और में उससे कुछ फाँसले पर उसके पीछे चलने लगा….हम दोनो गाओं पहुचे…वो रुकी नही और सीधे अपने घर चली गयी….और में भी अपने घर आ गया….मुझे बहुत थकान फील हो रही थी…इसलिए जैसे ही में अपने रूम में आकर बेड पर लेटा मेरी आँख लग गयी….मेरी आँख 3 बजे खुली…जब बाहर डोर बेल बजी तो, में अपनी आँखे मल्ता हुआ बाहर आया….और जब गेट खोला तो देखा कि, सामने फ़ैज़ खड़ा था….उसके हाथ में लंच बॉक्स था….वो अंदर आया…और मुझसे हाथ मिलाते हुए बोला….
फ़ैज़: अब तुम्हारी तबीयत कैसी है….?
में: क्यों क्या हुआ मेरी तबीयत को….(मेने चोन्कते हुए पूछा….)
फ़ैज़: यार कमाल है अम्मी कह रही थी कि, तुम्हारी तबीयत खराब है…उन्होने तुम्हे डॉक्टर के क्लिनिक पर देखा था….और वो मुझसे कह रही थी कि, तुम्हारे अम्मी अबू भी बाहर गये हुए है….
में: हां वो कुछ ख़ास नही ऐसे ही हल्का सा बुखार हो गया था….और वो सब तो नजीबा की कज़िन की मॅरेज में गये हुए है…..
फ़ैज़: ये लो अम्मी ने तुम्हारे लिए खाना भेजा है…
में: यार चाची को इतना तकल्लूफ करने की क्या ज़रूरत थी…में बाहर से कुछ खा लेता….
फ़ैज़: अच्छा फिर हमें शरम नही आयगी तुम्हे कोई काम कहते हुए…यार तू मेरा सबसे अच्छा और पुराना दोस्त है….
में: अच्छा आ चल बैठ…बैठ कर खाना खाते है….
फ़ैज़: नही यार में तो खा कर आ रहा हूँ…तुम खाओ….
उसके बाद में खाना खाने लगा…फ़ैज़ भी पास बैठा रहा…कॉलेज की लड़कियों की बातें होती रही….फ़ैज़ एक घंटा बैठा बातें करता रहा….और फिर वो चला गया… उस दिन और कोई ख़ास बात नही हुई सिवाय इसके कि शाम को अबू का फोन आया..और मुझे पूछने लगे कि, में कब आ रहा हूँ…तो मेने बता दिया कि कल दोपहर को थोड़ी देर के लिए आ जाउन्गा…
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
अगली सुबह में उठा…अभी में तैयार ही हो रहा था कि, बाहर डोर बेल बजी…. मेने जाकर गेट खोला तो देखा फ़ैज़ था….”कॉलेज नही जाना….” फ़ैज़ ने मेरी तरफ देखते हुए पूछा…क्यों कि उस वक़्त मेने शलवार कमीज़ पहन रखा था… “नही यार अभी भी तबीयत ठीक नही है…..”
फ़ैज़: अछा में चलता हूँ…और तुम याद से आज डॉक्टर से चेकप करवा लाना….
मैं: ठीक है करवा लूँगा…
फ़ैज़ के जाने के बाद मेने घर को लॉक किया….और मेन रोड की तरफ चल पढ़ा...20 मिनिट पैदल चलने के बाद मैं उसी मकान के पास पहुच गया…में गेट के बाहर ही बैठ गया….और सोचने लगा कि, पता नही कोन आएगा…में दिल ही दिल में दुआ कर रहा था कि, सबा खुद ही आ जाए….अब तो जैसे लंड को सबा की फुद्दि के पानी का चस्का सा लग गया था…में थोड़ी देर वहाँ बैठा रहा….अभी कुछ ही देर हुई थी….कि मुझे रोड की तरफ से ज़ेशन और रानी आते हुए दिखाई दिए….मेने थोड़ी राहत की सास ली…क्यों कि मुझे इस तरह उस सुनसान जगह पर अकेले बैठना अजीबा सा लग रहा था…दोनो मेरे पास आए तो, ज़ेशन ने मुझे मुस्करा कर सलाम किया… में खड़ा हुआ गेट का लॉक खोला…..जैसे ही हम अंदर पहुचे तो ज़ेशन ने मुझसे कहा. “भाई जी मोटल चला दूं….ताकि में पानी भर जाएगा…तो नल से पाइप लगा कर पूरे घर के फर्श को पानी से धो कर सॉफ कर दैन्गे…..”
मैं: लेकिन सबा चाची ने तो कहा था कि, टंकी भी सॉफ करनी है…उसमें पता नही कितना गंद हो गा…..
ज़ेशन: भाई जी कोन सा हमे टंकी का पानी पीना है….अभी तो सिर्फ़ फर्श ही धोना है…साथ साथ कुछ धूल मिट्टी पानी के साथ भी बाहर आ जाएगी….
मैं: हां बात तो तुम ठीक कर रहे हो….
मेने मोटर चालू कर दी….ज़ेशन ने नल पर पाइप लगा दिया…पाइप भी काफ़ी लंबा था….और काफ़ी अरसे से इस्तेमाल नही हुआ था…इसलिए थोड़ा अकड़ सा गया था… ज़ेशन को काफ़ी मेंहनत करनी पड़ी थी….पाइप को सीधा करने में…..पाइप लगाने और सीधा करने के बाद ज़ेशन ने रानी की तरफ देखा….और बोला…” में बिस्तरो को ऊपेर धूप में रख कर आता हूँ…तुम तब तक नीचे की सफाई करो….”
रानी: जी…..
मेने सारे रूम्स के डोर खोल दिए…जिस रूम में मेने कल सबा को चोदा था….उस रूम को छोड़ कर बाकी के दो रूम खाली थे…और एक रूम था…जिसमें एक टेबल और चार चेर्स रखी हुई थी….और घर में कोई समान नही था….इसलिए सॉफ सफाई में कोई ज़यादा दिक्कत नही होने वाली थी….ज़ेशन ने बेड पर पड़े बिस्तरे उठाए….मेने पैटी खोली उसमें एक बिस्तर और था….मेने उसे भी बाहर निकाल लिया…बेड के मिंटर्स (गड्ढे ) बहुत वजनी थी….(बड़े वजनी है गद्दे….) ज़ेशन ने मुस्कराते हुए कहा…”कोई बात नही एक -2 करके ऊपेर ले जाओ…” ज़ेशन ने मेरी बात सुन कर हां में सर हिलाया और एक गद्दा लेकर ऊपेर जाने लगा…मेने पेटी में रखे हुए दूसरे बिस्तर को बेड पर रखा और बाहर आ गया….
जब में बाहर आया तो, देखा कि, रानी उस रूम में थी…जिसमें टेबल और चेर्स पड़ी हुई थी….वो टेबल के ऊपेर चढ़ि हुई दीवारो और छत पर लगे जालो और धूल को झाड़ रही थी…..उसने अपने चेहरे और नाक और सर को अपने दुपट्टे से कवर कर रखा था….में रूम के डोर पर आकर खड़ा हो गया…जब ज़ेशन के साथ वो आई थी..तब मेने उसकी तरफ नही देखा….उसने महंदी कलर का शलवार कमीज़ पहना हुआ था….उसकी कमीज़ एक दम फिटिंग वाली थी…रानी का रंग हल्का सा सावला था…काला तो नही कह सकते…पर सावला था….उसका हर अंग कसा हुआ लग रहा था….उसकी हाइट 5 फुट 2 इंच थी…उसकी कमीज़ के अंदर उसके मम्मे एक दम कसे हुए लग रहे थे…हाथ पैर पतले थे…कमर एक दम पतली…बुन्द हल्की सी बाहर की तरफ निकली हुई थी….
उसने एक बार मुझे देखा और फिर कुछ पॅलो के लिए रुकी और फिर से अपने काम में लग गयी….मेने अभी तक उसके चेहरे को ठीक से नही देखा था….मुझे सीडयों से ज़ेशन के नीचे आने की आवाज़ सुनाई दी तो, में साइड में होकर बरामदे के बीच में खड़ा हो गया….इस बार जब ज़ेशन ऊपेर गया तो, मेने उस रूम से एक चेर उठाई और उस पर लगी धूल को कपड़े से झाड़ कर सॉफ किया…और उसे बरामदे मे लेकर उस पर बैठ गया…मेने चेर को ऐसी जगह सेट किया था…कि में रानी को देख सकूँ…..वो भी बीच-2 में मेरी तरफ देख लेती….
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
ऐसे ही दोनो काम करते रहे…और मैं चेर पर बैठा देखता रहा….चाहे जो भी था…दोनो काम करने तेज बहुत थे….कुछ ही देर में ज़ेशन सारे बिस्तरे ऊपेर ले जा चुका था….और रानी दो कमरो की दीवारो और छतो को सॉफ कर चुकी थी….ज़ेशन बिस्तरे ऊपेर रख कर इस बार मेरे पास नीचे ही पैरो के बल बैठ गया…अभी वो बैठा ही था कि, रानी ने अंदर से थोड़ा तीखे अंदाज़ में उससे कहा… “बैठो नही….जाकर बेड खड़े करो…इसके बाद मुझे वो रूम भी सॉफ करना है… बेड खड़े करने के बाद झाड़ू लेकर ऊपेर जाओ….और छत भी सॉफ कर दो….”
ज़ेशन रानी की फटकार सुन कर ऐसे उठा….जैसे किसी कमॅंडर ने सिपाही को ऑर्डर दिया हो….और सिपाही हुकम की तामील के लिए उठ खड़ा हुआ हो… ज़ेशन ने पहले रूम में बेड खड़े किए और फिर ऊपेर झाड़ू लेकर चला गया….इस बार जब ज़ेशन ऊपेर गया तो, मुझे पता था कि, उसे ऊपेर छत को सॉफ करने में टाइम लगेगा…. और इस बार मेरे पास रानी से बात करने का अच्छा मोका है और टाइम भी है… रानी अब बेड वाले रूम के दीवारो को सॉफ कर रही थी…15 मिनिट बाद वो बाहर आए….और मुझे बोली….” नल चला दो….फर्श धोना है….” में बाथरूम में गया और नल चला दिया…जब बाहर आया तो, देखा रानी बरामदे में खड़ी थी… उसने अपना दुपट्टा उस चेअर् पर रखा हुआ था…जिस पर में बैठा था….और वो अपने बाजुओ पर लगी धूल को धो रही थी….फिर उसने पाइप को अपनी दोनो टॅंगो के बीच में फाँसया और झुक कर अपना मूह दोनो हाथ में पानी लेकर धोने लगी…
जब मूह को पानी से धोने के लिए उसने अपना फेस ऊपेर की तरफ किया तो, मेने पहली बार रानी के चेहरे को गोर से देखा..भले ही उसका रंग उतना सॉफ नही था… पर उसके नैन नख्श तीखे थे…आँखे भी गहरी काली थी…टाइम पास के लिए अच्छा माल थी…ऐसी औरतें बड़े मज़े देती है चुदवाते वक़्त…ख़ासतोर पर जब सामने वाला मरद उस औरत से खूबसूरत हो गोरा चिट्टा हो….ऐसी औरतें जो नीचे तबके से हो.. ग़रीब हो….और जवानी में हो…उनके दिल में हमेंशा एक ख्वाहिश ज़रूर रहती है. कि उँचे घर का हंडसॉम गोरा चिट्टा लड़का या मर्द से उनका नाजायज़ रिश्ता ज़रूर हो..
हो सकता है कि, में ग़लत हूँ…पर मेरा एक्सपीरियेन्स जो अब तक रहा है…वो यही है.. फेस धोते वक़्त उसके आँखे बंद थी…उसके झुकने के कारण उसके मम्मे कमीज़ से बाहर कमीज़ के गले से बाहर आने को उतावले हो रहे थे…मुझे उसकी स्किन कलर की ब्रा भी थोड़ी थोड़ी नज़र आ रही थी….उसके कसे हुए साँवले रंग के मम्मे देख मेरे लंड में हलचल होने लगी….उसने जैसे ही आँखे खोली तो उसकी नज़र मुझ पर पड़ी….में ठीक उसके सामने खड़ा था…उसने फेस से कुछ जाहिर ना होने दिया.. और फिर से अपना मूह धोने लगी….मुझे पूरा यकीन है कि, उसे मालूम था कि, में उसके मम्मो को देख रखा हूँ…उसने मूह धोने के बाद पाइप को एक साइड पर रखा और अपने दुपट्टे को झाड़ कर अपने फेस खुस्क किया…और पाइप लेकर पहले पीछे वाले रूम में चली गयी….
मेरा दिल कर रहा था कि, में किसी बहाने से उससे बात करूँ..और बहाने बहाने से उससे कुछ बात आगे बढ़ाऊ…सबा ने कहा था कि, उसका पति गान्डू है..इसलिए मुझे बहुत ज़यादा चान्स नज़र आ रहे थे कि, ये माल भी मेरे हाथ में आ जाए…लेकिन वो ऐसे शो कर रही थी….जैसे उसे मेरे वहाँ होने पर कोई फरक ही नही पड़ा हो.. और जैसे उसे मुझ मे कोई दिलचस्पी हो ही नही…वो अंदर जाकर रूम्स के फर्श को धोने लगी…1 घंटा गुजर गया….में बाहर बरामदे में चेर पर बैठा हुआ था….और दिल को तसल्ली दे रहा था कि, क्या हुआ अगर ये नही फँसी तो, तुम तो इतने लकी हो लड़कियों और औरों के मामले में…अगर एक हाथ नही आई तो, दुखी क्यों होना…सबा है रीदा है सुमेरा चाची है…नजीबा है…आगे लाइफ में और भी आएँगी….
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैं अपने दिल को समझा रहा था….मेने घड़ी में टाइम देखा तो 10:30 बज चुके थे… रानी भी अब आखरी बचे रूम की सफाई कर रही थी…मुझे बड़ी तेज पेशाब आया….में उठा और बाथरूम में चला गया…जब में डोर बंद करने लगा तो, पाइप की वजह से डोर की कुण्डी नही लगा पाया….और ऐसे ही डोर आगे करके अपनी शलवार खोली और अपना लंड बाहर निकाल कर पेशाब करने लगा….अभी में पेशाब कर ही रहा था कि, अचानक से डोर खुला….मेने हड़बड़ा कर फेस पीछे घुमा कर देखा तो, ज़ेशन खड़ा था…”ओह्ह माफ़ करना शाह जी….में अंदर से सर्फ लेने आया था….”अब में उससे क्या शरमाता या परदा करता…” ले लो….” मेने पेशाब करते हुए कहा…तो ज़ेशन अंदर आ गया….वो सेल्फ़ पर पड़े सर्फ को उठाने लगा तो, उसकी नज़र मेरे लंड पर पड़ी…जो उस वक़्त खड़ा तो नही था…ढीला था…फिर भी मेरा ढीला लंड भी 4 इंच लंबा और उतना ही मोटा नीचे लटका हुआ था….
“ओह्ह्ह पैन दे लंड….इन्ना वाडा….” (इतना बड़ा….) ज़ेशन ने हैरत से मेरे लंड के तरफ देखते हुए कहा….तो मुझे याद आया कि, ये तो गान्डू है…साला कही पीछे ही नही पड़ जाए…नही तो इसकी गान्ड भी मारनी नही पड़ जाए…”ओये गाली किसको निकाल रहा है…” मेने गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा…हालाँकि ज़ेशन 25 साल का था… और कद काठी में मुझसे लंबा था….लेकिन उसके जिस्म था..लड़कियों जैसा…. हाथ पैर बाहें ऐसी थी…जैसे साले ने बरसो से खानाही नही खाया हो… मेरी आवाज़ सुन कर वो थोड़ा सा सहम गया….
“शाह जी आप को थोड़ा निकली है…ये तो आपके इतने तगड़े हथियार को देख कर मूह से निकल गया…” वो मेरे करीब आने लागा तो , मेने झिड़क कर उसे भगा दिया.. में पेशाब करके बाहर आया तो, देखा कि ज़ेशन रानी के साथ रूम में खड़ा था... और एक बाल्टी में सर्फ डाल कर घोल रहा था….झाग बना कर उसने सारे रूम में सर्फ वाला पानी डाला….और रानी उसके पीछे-2 पाइप लेकर रूम्स के फर्श के सफाई करने लगी….थोड़ी देर में सारे रूम सॉफ कर दिए…..मेने मोटर बंद की….और हम तीनो ऊपेर आ गये….ऊपेर छत का फर्श सॉफ हो गया था…अब छत के फर्श को धोना था….
ज़ेशन नीचे पिपे साथ ले आया था…वहाँ टंकी के साथ पानी का नल था…उसने पाइप वहाँ लगाई तो, रानी नीचे पड़े गद्दो को उठा कर चारो तरफ बनी बाउड्री के ऊपेर रखने लगी…कि गद्दे और बिस्तरे गीले नही हो…ज़ेशन ने मदद की और फिर रानी पाइप लेकर छत को धोने लगी…..धूप निकल आई थी…इसलिए गद्दो को और बिस्तरॉ को भी अच्छी ख़ासी धूप लग रही थी…में घर के पीछे वाली बाउंड्री के पास आ गया…और नहर की तरफ देखने लगा…ज़ेशन भी साथ में आकर खड़ा हो गया.. थोड़ी देर वो चुप खड़ा रहा और फिर धीरे से कहा…”शाह जी….”
मेने उसकी तरफ देखा….तो वो मुस्कुराते हुए बोला….”आपका हथियार इतना बड़ा है.. पानी भी खूब होगा….अगर लंड का पानी निकालना है तो, बंदा हाजिर है….”
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
जब मेरा लंड ढीला होकर रानी की फुद्दि से बाहर आ गया तो, मैं रानी के ऊपेर से उठ कर उसकी बगल में लेट गया….और अपनी उखड़ी हुई सांसो को दुरस्त करने लगा… तभी मेरा ध्यान रानी की तरफ पड़ा…रानी ने अपनी टाँगो को आपस में जोड़ कर घुटनो से मोड़ा हुआ था….और टाँगो को ऊपेर उठा कर बुन्द को थोड़ा सा ऊपेर उठाया हुआ था…ये देख मुझे हँसी आ गयी….रानी ने दूसरी तरफ मुँह कर लिया…शायद अब वो शरमा रही थी…”
हंस क्यों रहे हो…..” रानी ने झूठा गुस्सा करते हुए कहा…
“अब तो अपनी बुन्द नीचे कर ले….कि तुम्हे सज़ा मिली है….” मेने फिर से हंसते हुए कहा…तो रानी कुछ नही बोली…में उठ कर बैठ गया….रानी पीठ के बल लेटी हुई थी….और उसने अपनी टाँगो को मोड़ कर उठा रखा था,...जिससे उसकी बुन्द भी ऊपेर की तरफ उठी थी…मेने अपना हाथ उसकी बुन्द पर रख कर धीरे-2 दबाना शुरू कर दिया….”क्या हुआ अब भी फीलिंग ले रही हो…” मेने मुस्कुराते हुए कहा तो, रानी ने अपने फेस पर अपना बाज़ू रख कर अपने चेहरे को छुपा लिया…..
मैं: बताया नही तुमने अभी तक अपनी टांगे क्यों उठा रखी है….फिर से फुद्दि में लंड लेने का इरादा है क्या….
रानी: क्या बताऊ….मुझे कहते हुए शरम आती है….
मैं: बताओ तो सही…नही तो में कभी भी तुमसे बात नही करूँगा….
रानी: वो वो आपने जो इतना कीमती ख़ज़ाना मुझे दिया है….उसको बर्बाद नही करना चाहती….
मैं: समझा नही…कहना क्या चाहती हो..
रानी: इधर आओ मेरे पास…..
रानी ने अपनी बाज़ुओ को खोल कर कहा…तो में उसकी बगल में बैठे हुए, उसके ऊपेर झुक गया…रानी ने अपने बाज़ुओ को मेरी पीठ पर कसते हुए अपने होंठो को मेरे होंठो के साथ लगा दिया….और बड़े जज़्बात के साथ मेरे होंठो को चूसने लगी….मेने भी उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया….थोड़ी देर बाद रानी अपने होंठो को मेरे होंठो से अलग किया…और मेरी आँखो में देखते हुए बोली…”में चाहती हूँ कि, मुझे हमल हो जाए…..” मैं रानी की बात सुन कर एक दम से चोंक गया….
मैं: क्या….?
रानी: हां में चाहती हूँ कि, में पेट से हो जाउ….
मैं: मेरे बच्चे से…..
रानी: और नही तो क्या…सारे गाओं में आप जैसा कोई दूसरा है भी तो नही….और मेरा खाविंद उसके बारे में तो आप जानते ही है….थोड़ी देर वैसे ही हम एक दूसरे की बाहों में लेटे रहे….
थोड़ी देर बाद रानी उठ कर बैठ गयी….और बोली….”अब आप कपड़े पहन लीजिए… बहुत देर हो गयी है…कही सबा बेगम को शक नही हो जाए….” फिर मेने और रानी ने कपड़े पहने …..और हम ने बिस्तरे नीचे किए…और काम ख़तम करके बाहर आकर गेट को लॉक लगा कर चल पड़े…आज रानी की टाइट फुद्दि मारने का अहसास हुआ था कि चुदि चुदाई और बच्चो वाली औरतों और लड़कियों की फुद्दि में क्या फ़र्क होता है… मेरा दिल तो बहुत कर रहा था कि एक बार रानी की फुद्दि और मार लूँ…पर देर हो रही थी…इसलिए हम गाँव की तरफ चल पड़े…जब हम छोटे रोड पर पहुचे तो, रानी ने मुझसे कहा कि, आप थोड़ा रुक कर आईएगा…
मैं: वो तो ठीक है….फिर कब मिलोगी…..
रानी: आप एक दो दिन रुक जाएँ,…..में आप को बता दूँगी….
मैं: ठीक है…..
रानी कुछ सोचने लगी….और फिर मुस्कुराते हुए बोली….”अगली बार साथ में गुबारा ले आना….
मैं रानी की बात समझ गया था कि, वो कॉंडम लाने के लिए कह रही है….पर कॉंडम की क्या ज़रूरत है….”वो किस लिए….”
रानी: (मुस्कराते हुए…) वो जब आएँगे तो पता चल जाएगा….
मैं: ठीक है….ले आउन्गा….
और फिर 10 मिनिट बाद गाओं की तरफ चल पड़ा….में सीधा सबा के घर गया,… और डोर बेल बजाई….तो थोड़ी देर बाद सबा ने गेट खोला….सबा नीचे अपनी सास के रूम में ही थी….जब उसने मुझे देखा तो, उसने मुझे अंदर आने को कहा…और में अंदर चला गया,…सबा मुझे साथ वाले रूम में ले गयी….और मुझे अंदर सोफे पर बैठा कर खुद मेरे साथ बैठ गयी….
सबा: साफाई हो गयी……
मैं: हां हो गये है….ये लो चाबी…
सबा: इसे तुम अपने पास ही रखो….और सुनो अब 3-4 दिन की छुट्टी है….
मैं: वो किस लिए आज भी नही आई तुम…..
सबा: वो मुझे पीरियड्स आए हुए थे…..
मैं: ओह्ह अच्छा….इसलिए रानी बोल रही थी कि तुम्हारी तबीयत खराब है…
सबा: कुछ खाओगे….
मैं: नही…मुझे शादी में जाना है…..वहाँ पर कुछ खा लूँगा….मेने सबा से इज़ाज़त ली और घर पर आ गया….तैयार होकर सिटी के लिए चला गया….क्योंकि नजीबा के मामा ने मॅरेज का अरेंज्मेंट सिटी के मॅरेज पॅलेस में किया था…जब वहाँ पहुचा तो, वहाँ बहुत से लोग थे…मैं वहाँ अबू नजीबा और नाज़िया या फिर उसके मामा मामी के इलावा किसी को नही जानता था…थोड़ा ढूँढने के बाद मुझे अबू दिखाए दिए…तो में उनके पास चला गया….वो मुझे वहाँ देख कर बहुत खुश हुए…मैं वहाँ अबू के साथ बैठ गया….में अपने ध्यान में बैठा हुआ था कि, नजीबा पास आ गयी…उसकी आवाज़ सुन कर जैसे ही मेने उसकी तरफ देखा तो, मेरे होश उड़ गये….उसने ऑफ वाइट कलर की कमीज़ और उसने थोड़े डार्क कलर की पाजामी पहनी हुई थी….कमीज़ पर डार्क ग्रीन कलर का पॅच वर्क किया हुआ था….
कमीज़ के स्लीवस नेट वाली थी….दुपट्टा भी नेट वाला था….जिस पर डार्क ग्रीन कलर का काम किया हुआ था….नजीबा ने हल्का सा मेकप किया हुआ था….बाल खुले हुए थे… कंधो के दोनो तरफ उसके खुले हुए बाल उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रहे थे…नजीबा ने मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा…लेकिन वो कुछ नही बोली….वो कुछ बोलने ही वाली थी….कि नाज़िया भी वहाँ आ गयी…उसने भी मुझे देख कर स्माइल की…पता नही उस वक़्त उसके दिल में मेरे बारे में क्या था…लेकिन अबू को दिखाने के लिए वो मुझसे इस तरह पेश आ रही थी…जैसे उसे मेरी बहुत परवाह हो….
नाज़िया: तुम कब आए….?
मैं: जी अभी आया हूँ…
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