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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
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मैं जैसे ही एग्ज़ॅम ख़तम करके बाहर निकाला तो, मेरी नज़र फ़ैज़ और आज़म पर पड़ी… जो बाइक स्टॅंड पर खड़े होकर बातें कर रहे थे…आज़म को देखते ही कल की सारी बाते मेरे जेहन में घूमने लगी….पता नही क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि, जैसे आज़म सच में मेरा भाई हो….मैं दोनो के पास चला गया….दोनो को सलाम किया और उनके साथ बातें करने लगा….
फ़ैज़: समीर भाई तुम्हारा एग्ज़ॅम कैसा हुआ…..?
मैं: ठीक हुआ….तुम्हारा कैसा हुआ….?
फ़ैज़: कुछ खास नही बस पास हो जाउन्गा…..
मैं: और आज़म तुम्हारा एग्ज़ॅम कैसा रहा….
आज़म: पता नही यार…मेरा तो पास होना भी मुस्किल लगता है इस बार….
मैं: अच्छा आज़म यार एक बात पूछ सकता हूँ….
आज़म: हां बोलो…..
मैं: तुम्हारी अम्मी जॉब करती है…..?
आज़म: हां गवर्नमेंट जॉब करती है….बॅंक में ब्रांच मॅनेजर है….
मैं: कॉन सा बॅंक…..?
आज़म: ***** बॅंक में क्यों क्या हुआ…..?
मैं: नही कुछ नही….वो दरअसल मुझे लगा कि मैने शायद उन्हे पहले कही देखा है…अब पता चला कि, तुम्हारी अम्मी भी उसी बॅंक में है…जहाँ पर मेरे अब्बू है..
आज़म: ओह्ह अच्छा….
उसके बाद मैने कोई और ख़ास बात नही की….और दोनो से रुखसत लेकर नजीबा की मामी के गाओं की तरफ चल पड़ा….जब मैं नीलम के घर के बाहर पहुँचा कर डोर बेल बजाई तो थोड़ी देर बाद गेट खुला तो मैं एक दम से चोंक गया… सामने साना खड़ी थी….नीलम की बेटी….उसकी कुछ माह पहले ही शादी हुई थे… इस लिए वो एक दम सजी धजी हुई थे…हालाकी साना का रंग सांवला था….पर फिर भी उसके पर्सनॅलिटी काफ़ी अच्छी थे….एक दम पतला सा जिस्म…ऊपेर से नीचे तक तराशा हुआ जिस्म था उसका…कोई भी चीज़ फालतू नही लग रही थे उसके जिस्म में….
साना: (मुस्कुराते हुए….) सलाम समीर जी….
मैं: सलाम….
मैने बाइक अंदर के तो, साना मुझसे पहले अंदर चली गयी…में अंदर आकर बरामदे में सोफे पर बैठ गया…साना और नजीबा दोनो वही बैठी हुई थी… नीलम वहाँ से उठी और किचिन से मेरे लिए पानी ले आए….मैने पानी पिया…और नीलम खाली ग्लास पकड़ते हुए बोली….”चलो अब में खाना बना लेती हूँ….समीर तुम जाकर मुँह हाथ धो लो और कपड़े चेंज कर लो…..”मैं वहाँ से उठा और ऊपेर रूम में आ गया….ऊपेर आकर मैने मुँह हाथ धोया और कपड़े चेंज करके बेड पर लेट गया…मेरे जेहन में अभी भी कल वाले वाकये घूम रहे थे…एक बात तो पता चल चुकी थी कि, अब्बू और नबीना के बीच जो भी था….वो उनकी जवानी के दिनो से चल रहा था…और अब नबीना अपनी जिस्म की आग को ठंडा करने के लिए अब्बू को भी धोका दे रहे थे…ये बात भी जाहिर थी कि, नबीना क़ाबिले ऐतबार औरत नही थी… वो एक नंबर की लालची किस्म की औरत थी….
उसने अपने शौहर से इसीलिए तलाक़ नही लिया था कि, उसके शोहार के पास बेपँहा दौलत और ज़ायेदाद थे…अब्बू भी गवर्नमेंट जॉब करते है…इसलिए कहीं नही कहीं उसके मन में ये बात ज़रूर होगी…कि आने वाली जिंदगी ऐश से कट जाएगी….मेरे दिल में अब किसी तरह का शक नही था….पर मैं अब्बू को भी तो रोक नही सकता था…और ना ही घर में ऐसा कोई बड़ा बुजुर्ग था…जो अब्बू का मना कर सकता या समझा सकता… अगर में अब्बू से बात करता भाई तो वो मेरी एक नही सुनते…इसलिए मैने कुछ दिनो के लिए इस मामले को दबाने का सोच लिया….और सोचा कि एक बार मेरा 12थ कंप्लीट हो जाए…..उसके बाद देखूँगा कि क्या करना है…
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
थोड़ी देर रेस्ट करने के बाद मैं नीचे आ गया….नीचे नीलम और साना खाना लगा रही थी….और फिर हम सब ने एक साथ खाना खाया….खाना खाने के बाद में ऊपेर आ गया…अगले दिन फिर से एग्ज़ॅम था….बीच में कोई छुट्टी नही थी… इस लिए में पढ़ने बैठ गया….वो पूरा दिन स्टडी में ही गुजर गया….साना की वजह से नीलम और मुझे दोबारा अकेले होने का मोका नही मिला….अगले दिन मैं तैयार होकर एग्ज़ॅम देने चला गया…..एग्ज़ॅम अच्छा हुआ….उस दिन में अपने दोस्तो के साथ मार्केट में घूमने चला गया….जब वापिस आया तो, 2 बज चुके थे…. फ्रेश होकर खाना खाया….और फिर से ऊपेर पहुँचा गया….पढ़ने के लिए अगले दिन भी एग्ज़ॅम था… दो दिनो के बॅक टू बॅक एग्ज़ॅम ने हालत खराब कर दी थी….खैर उस दिन भी कोई और ख़ास बात नही हुई….अगले दिन लास्ट एग्ज़ॅम था….और अब में थोड़ा रिलॅक्स फील कर रहा था….एग्ज़ॅम की भी पूरी तैयारी थी…खैर अगला दिन भी आ गया….और एग्ज़ॅम भी ख़तम हो गया…
उस दिन जब में घर पहुँचा तो, नीलम ने गेट खोला मैने बाइक अंदर की और अंदर जाकर सोफे पर बैठ गया….नीलम कीचीं में चली गयी….वो खाना बना रही थी…नजीबा और साना अंदर रूम में बातें कर रही थे…थोड़ी देर बाद नीलम ने साना को आवाज़ देकर बुलाया….
साना: जी अम्मी….
नीलम: लो बेटा पहले नजीबा को खाना खिला दो….उसने मेडिसिन भी लैनी है….
साना नजीबा का खाना लेकर रूम में चली गयी…नजीबा को खाना खिलाने के बाद नीलम ने बाहर डाइनिंग टेबल पर खाना लगा लिया….और मैं साना और नीलम खाना खाने लगी….नजीबा खाना खाने के बाद सो चुकी थी….मैने खाना खाया और नीलम से मामा के आने के बारे में पूछा तो नीलम ने बताया कि, उन्होने मंडे को वापिस आना है…”आज थर्स्डे था….इसका मतलब अभी 4 दिन और यहाँ रुकना था….मुझे साना का आना बिल्कुल भी अच्छा नही लग रहा था…दिल कर रहा था कि अपने गाओं वापिस चला जाउ….वहाँ घर खाली पड़ा था…और सबा रानी सुमेरा रीदा चार-2 फुद्दियाँ तैयार थी…
पर मजबूरी थी…..मैं ऐसे जा भी नही सकता था….खैर खाना खा कर में ऊपेर आ गया….और बेड पर लेट गया….अभी थोड़ी देर ही हुई थी की, नीलम हाथ में धोने वाले कपड़े पकड़े रूम में आई….”समीर अपने कपड़े दे दो….मैं कपड़े धोने जा रही हूँ….” मैं बेड से उठा और कपड़े निकाल कर नीलम को दिए…. “ये साना ने कब वापिस जाना है…”
नीलम: पता नही शायद जब उसके अब्बू वापिस आ जाएँगे….तब जाएगी….
मैं: तब तक कैसे…फिर तो मुझे वापिस जाना होगा….
नीलम: इसमे में क्या कर सकती हूँ….चार दिन पहले इसका फोन आया था…और मैने ग़लती से नजीबा की चोट का बता दिया…तो ये मिलने चली आई…सच कहूँ समीर तो मुझे भी उसका यहाँ आना अच्छा नही लगा…थोड़े दिन बाद भी तो आ सकती थी…
नीलम कपड़े लेकर ऊपेर चली गयी…मैं रूम में बैठा बोर होने लगा तो, सोचा नीचे जाकर थोड़ी देर टीवी देख लेता हूँ….मैं नीचे आया और टीवी ऑन किया…और नजीबा के रूम में उसे देखने गया तो देखा कि, नजीबा और साना दोनो बेड पर लेटी सो रही थी….मैने फॉरन टीवी बंद किया….और रूम में दाखिल होकर गोर से दोनो को देखा…दोनो गहरी नींद में थी…मैं दबे पाँव वापिस आया….और सीधा ऊपेर छत पर चला गया….मैने सोचा मोका अच्छा है….पानी निकाल कर लंड की गरमी को ठंडा कर लेता हूँ….जब ऊपेर पहुँचा तो, नीलम स्टोर रूम के डोर के पास मशीन लगा कर खड़ी थी…मैं डोर की दहलीज पर जाकर खड़ा हो गया…
नीलम: तो तुम्हारे एग्ज़ॅम ख़तम हो गये….(नीलम ने मुस्कुराते हुए कहा….)
मैं: हां एग्ज़ॅम तो ख़तम हो गये…
नीलम डोर के पास ही खड़ी थी….मैने चारो तरफ देखा….जब यकीन हो गया कि, कोई ऊपेर नही है….मैने नीलम का हाथ पकड़ कर उसे स्टोर रूम के अंदर खैंच लिया….
नीलम: अह्ह्ह्ह समीर किया कर रहे हो....छोड़ो ..कोई देख लेगा….
मैं: क्या हुआ….यहा कॉन है…
नीलम: समीर पागल मत बनो साना घर पर है…और वो चल फिर सकती है…कभी भी ऊपेर आ स्काती है…
मैं: नही आती वो…वो सो रही है….
नीलम: नही समीर….समझा करो….मैं इतना बड़ा रिस्क नही ले सकती प्लीज़ मेरी बात मान जाओ….
मैं: नही मामी जान…..अब और सबर नही होता….प्लीज़ एक बार करने दो…
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैने नीलम को पकड़ कर स्टोर रूम के दीवार के साथ लगा लिया…और उसके होंठो को अपने होंठो में लेकर चूस्ते हुए कमीज़ के ऊपेर से उसके मम्मो को दबाने लगा… उसके मम्मे मेरे हाथो में नही आ रहे थे….”समीर प्लीज़ मान जाओ… में कोई रास्ता निकाल लूँगी..प्लीज़ अभी नही….” पर मैने नीलम की बात पर ध्यान नही दिया….और अपना एक हाथ नीचे लेजा कर पीछे शलवार के अंदर घुसाने लगा…तो मेरे किस्मेत ने भी साथ दिया….नीलम ने इलास्टिक वाली शलवार पहनी हुई थे….मैने अपना एक हाथ शलवार के अंदर घुसा कर सीधा उसकी फुद्दि पर अपने हाथ को रख कर रगड़ना शुरू कर दिया….
नीलम एक दम से तड़प उठी…”प्लीज़ समीर मान जाओ….अगर साना ऊपेर आ गयी…तो में किसी को मुँह दिखाने के काबिल नही रहूंगी….” नीलम अपने आप को मुझसे छुड़वाने के इधर उधर हिल रही थे…पर मैं उसे मोका नही दे रहा था.. मैने अपनी चारो उंगलियों से उसकी फुद्दि को पूरे जोशो ख़रोश के साथ रगड़ना शुरू कर दिया…थोड़ी ही देर में नीलम ने हिलना और जद्दोजहद करना बंद कर दिया था…..”प्लीज़ समीर मान जाओ….देख मैने कभी तुम्हे किसी बात के लिए मना क्या है…प्लीज़ मान जाओ….”
आख़िर कार मुझे नीलम की बात माननी पड़ी…मैने फिर से उसकी फुद्दि को तीन चार बार रगड़ा और फिर अपना हाथ उसकी शलवार से बाहर निकाल कर मुँह लटका कर बाहर जाने लगा…तो नीलम ने मुझे पीछे से पकड़ लिया…
नीलम: क्या हुआ…?
मैं: कुछ नही तुम ही तो मना कर रही थे…
नीलम: अच्छा अब मेरे कूसे में आग लगा कर भाग रहे हो….चलो जल्दी से डोर बंद करो…
नीलम की बात सुनते ही में डोर की तरफ गया…और जल्दी से डोर बंद करके जैसे ही नीलम की तरफ मुड़ा तो देखा नीलम वहाँ पड़े सिंगल बेड के किनारे झुक कर खड़ी थी…और उस पर रखी राज़ाई को फोल्ड करके उसने बेड के सेंटर में रखा और और फिर सीधे खड़े होकर उसने अपनी शलवार के इलास्टिक में उंगलियों को फँसा कर शलवार को रानो तक नीचे सरका दिया…और अपनी कोहानियों को उस राज़ाई के ऊपेर टिका कर झुक कर खड़ी होकर मेरी तरफ देखते हुए बोली….”अब देख क्या रहे हो….जल्दी करो…. कही साना ऊपेर ना आ जाए…..”
उनके मोटी गोल गान्ड देखते ही मेरा लंड शलवार फाड़ कर बाहर आने को उतावला हो गया... मैने अपने शलवार का नाडा खोला और नीचे करके अपने लंड को बाहर निकाला….और नीलम के फेस की तरफ जा कर खड़ा हो गया....नीलम ने वैसे ही बेड पर कोड़ी हुए ही मेरे लंड को मुँह मैं लेकर उसके चुप्पे लगाने शुरू कर दिए...
नीलम भी पूरी गरम हो चुकी थी.... वो अपने होंठो को मेरे लंड की कॅप पर दबा दबा कर सर हिलाते हुए चुप्पे मार रही थे....मैने नीलम के मुँह से अपना लंड बाहर निकाला और नीलम के पीछे आ गया....नीलम ने झुक कर राज़ाई के ऊपेर अपना सर टिकाया और अपने दोनो हाथो को पीछे लेजाते हुए, अपनी बुन्द को ऊपेर उठाते हुए दोनो पार्ट्स को खोल लिया….
नीलम की गान्ड का भूरा छेद जैसे ही मेरे आँखो के सामने आया...बुन्द के छेद के नीचे नीलम की फुद्दि के लिप्स खुले हुए थे…अगले ही पल मैने अपने लंड को पकड़ कर कॅप को नीलम की फुद्दि के सूराख पर टिका दिया....और अगले ही पल किसी एक्सपर्ट रंडी की तरह नीलम ने धीरे-2 अपनी गान्ड को पीछे की और धकेलना शुरू कर दिया...."श्िीीईईईई ओह समीर.....उम्ह्ह्ह्ह्ह तेरे इस लंड ने मुझे पागल कर दिया है....."
नीलम एक दम मदहोश हो चुकी थी....मैने नीलम की कमर को पकड़ते हुए एक ज़ोर दार धक्का मारा....तो लंड का कॅप नीलम की फुददी के सूराख को फैलाता हुआ आधे से ज़्यादा अंदर जा घुसा....और मैने बिना रुके ही अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया....कुछ ही पलों में मेरा लंड नीलम की फुद्दि से चिकना होकर आराम से अंदर बाहर होने लगा…मेरे हर शॉट के साथ नीलम का पूरा जिस्म हिल जाता… और नीलम का पूरा वजन उसकी कोहानियों पर था….जो सिंगल बेड पर रखी राज़ाई पर रखी हुई थी….जब में पूरा लंड फुद्दि से बाहर निकाल कर घस्सा मारता… तो नीलम आगे की तरफ पुश होती….जिससे वो सिंगल बेड दीवार से टकराता और आवाज़ करता… पर ना तो अब मुझे किसी बात की परवाह थे…और ना ही नीलम को…उस पुराने बेड की तो जैसे चीखे ही निकल गयी….चूं चूं की आवाज़ पूरे स्टोर रूम में गूँज रही थे….
मैं अब पूरे जोश ख़रोश के साथ नीलम की बुन्द के दोनो पार्ट्स को दबाते हुए अपने लंड को तेज़ी से उसके फुद्दि के अंदर बाहर कर रहा था…"ओह अहह....." नीलम एक दम से चीख उठी...."अहह उंघह आह चोद मुझे समीर इस अहह हाईए मेरी फुद्दि फाड़ दे बेटा फाड़ दे अपनी नीलम की फुद्दि को अहह.... हाई इस कहते है मर्द…पूरी फुद्दि छील दी तूने….आह….तू वाक़यी ही सच्चा मर्द है….देख कैसे ज़बरदस्ती मेरी फुददी मार रहा है…..ओह समीर मुझे आज तक साना के अब्बू ने भी ऐसे कोड़ी करके नही चोदा….लगता है आज असली मर्द से पाला पड़ा है….."
मैं नीलम की बात सुन कर बहुत जोश मे आ चुका था....और नीलम की बुन्द को थामे था…नीलम की फुद्दि मे अपने लंड को ठोक रहा था.. नीलम के मम्मे आगे पीछे हिल रहे थे
नीलम: हाई समीर स्वाद ल्या दिता तू तां.....आह होर ठोक मेरी फुद्दि में लंड....अहह समीर मुझे अपनी बीवी बना लो….तुम्हारा लंड लेने के बाद मेरा दिल फिर से जवान होने को कर रहा है…मुझे अपनी बीवी बना लो समीर…
मैने नीलम की बात सुन कर और ज़ोर-2 से शॉट लगाते हुए, अपने लंड को नीलम की फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया...."ओह्ह्ह्ह समीर अह्ह्ह्ह मेरे बच्चे ओह्ह्ह आह उम्ह्ह्ह्ह ....आह ओह्ह्ह हाईए मेरी फुद्दि गयी समीर....ले मेरा पानी आया फुद्दि में ओह्ह्ह आह आह आह अहह......"
नीलम एक दम से काँपते हुए फारिग होने लगी.....वो थोड़ा सा नीचे झुकी, तो मेरा लंड उसकी फुद्दि से बाहर आ गया....और फारिग होते हुए, एक दम से नीलम की फुद्दि से मूत की तेज मोटी धार सीटी जैसी आवाज़ करती हुई, नीचे फर्श पर पड़ी, जिसे देखते ही मेरे लंड से लावा फूट पड़ा…जो सीधा नीचे बैठी नीलम की कमीज़ से बाहर झाँक रहे मम्मो पर गिरने लगा….
नीलम ने नीचे बैठते हुए, हैरान होकर मेरी तरफ देख रही थे… शायद उसे यकीन नही हो रहा था कि, मेरे जैसा **** साल का लड़का उसे इतने जबरदस्त तरीके से चोद सकता है कि, उसकी फुद्दि से मूत ही निकल जाए….नीचे फर्श पर उसका मूत फैल चुका था…..मैने जल्दी से अपनी शलवार बंद की और डोर खोल कर बाहर आया…और बाहर का ज़ायज़ा लिया…और फिर नीचे आ गया…
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैं: तुम डेली शराब पीते हो….?
अहमद: (चोन्कते हुए…..) नही….क्यों….?
मैं: नही ऐसे ही…..कुछ दिन पहले भी मैने तुम्हे यहाँ देखा था….
मेरे बात सुन कर अहमद थोड़ा सा घबराया और फिर अपने आप को संभालते हुए बोला… “नही रोज नही पीता….दो तीन दिन बाद पी लेता हूँ…पर आप आज़म शाह जी को कुछ बताना….प्लीज़ में मिन्नत करता हूँ आपकी…”
मैं: यार घबरा क्यों रहे हो….तुम कोई चोरी करके थोड़ा ही पीते हो….चलो नही बताता…मुझ पर भरोसा रखो….वैसे भी तुम तो साथी हो…पीने वाले एक दूसरे का राज़ रखते है….
मेरी बात सुन कर अहमद को थोड़ा इतमीनान सा हो गया….उसने दूसरा पेग बनाया… और फिर हम दोनो ने ग्लास उठा लिए…मैं धीरे-2 सीप लेने लगा….अहमद तो एक ही साँस में दूसरा पेग भी पी गया था…मैने चिकन की प्लेट उसकी तरफ बढ़ा दी तो, वो एक पीस उठा कर खाने लगा….”आह मज़ा आ गया…आज पहले बार इंग्लीश पी है…सच में इसका मज़ा ही कुछ अलग है….”
मैं: अच्छा तुम अपना पेग बनाओ….तुम्हारा ग्लास खाली क्यों है…
अहमद: अभी आपने अपना पेग ख़तम नही किया….
मैं: यार मुझे तो धीरे-2 पीने की आदत है…तुम शरमाओ नही….पेग बनाओ…
अहमद: जी…..
अहमद ने एक और पेग बनाया….और फिर वो भी उसने गले से नीचे उतार लिया… अहमद तीन पेग पी चुका था….और अभी तक में दूसरा पेग थामे हुए था… ऐसे ही बातें करते-2 मैने उसके घर परिवार के बारे मैं पूछना शुरू कर दिया.. पता चला कि, वो बेहद ग़रीब परिवार से है….माँ बाप गुजर चुके थे…और उसके एक बड़ी बेहन थी….जिसकी शादी अभी नही हुई थी…और उसकी बेहन अपनी खाला के पास रह रही थी….
मैने उसे बातों में उलझाए हुए उसको 4 पेग पिला दिए थे….अब वो नशे में चूर होने लगा था…मैने अब अपने दाव खेलने शुरू किए….”तो अहमद तुम तो खिलाड़ी हो यार…रोज पीते होगे तुम…..?”
अहमद ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और हां में सर हिला दिया…” अच्छा ये सब तो ठीक है….पर एक बात समझ में नही आई…?”
अहमद: वो क्या…..
मैं: बताता हूँ….
मैने एक और पेग बनाया अपना और अहमद दोनो को…तो अहमद मना करने लगा… “यार देख मैने भी अपना पेग बना लिया है…अब तुम नही पीओगे तो में भी नही पीउन्गा….” मेरी बात सुन कर अहमद ने ग्लास उठा लिया…और फिर एक ही बार में शराब पर अहसान कर दिया….और ग्लास खाली करके टेबल पर रखा.. “आप कुछ पूछ रहे थे….” अहमद ने लड़खड़ती आवाज़ में कहा… “हां वो में पूछना चाहता था कि, यार तुम तो आज़म के घर के नौकर हो…फिर तुम रोज दारू कैसे पीते हो…तुम्हारे पास इतने पैसे आते कहाँ से आते है….
अहमद शराब के नशे में चूर हो चुका था…उसने इधर उधर देखा… और फिर धीरे से धीमी आवाज़ में बोला…”वो अपनी मालकिन है ना…आज़म शाह जी की अम्मी…”
मैं: हां…
अहमद: उनका चक्कर है एक अंकल के साथ…..
मैं: अच्छा…मैने ऐसे जाहिर किया जैसे मैं ये बात सुन कर बहुत शॉक्ड हुआ हूँ…
अहमद: हां एक दिन मैने मालकिन को उस अंकल से चुदवाते हुए देख लिया था.. और मालकिन ने भी मुझे देख लिया…फिर वो मुझे अपना राज़ छुपाए रखने के लिए पैसे देने लगी…
मैं: वाह यार तेरी तो ऐश है….काश मेरे भी तुम्हारी जैसे किस्मत होती…
अहमद: एक और बात बताऊ….
मैं: हां बताओ…
अहमद: अब तो मालकिन मुझसे भी चुदवाती है….मेरा पूरा ख़याल रखती है…
मैं: क्या कभी आज़म को पता नही चला….
अहमद: उसको कैसे पता चलेगा…उसे तो पता ही नही है…उसकी अम्मी ने यहाँ इतनी बड़ी कोठी बनवाई है….
मैं: तो क्या आज भी वो आने वाली है…
अहमद: आज नही….वो अब सनडे को आएँगे…वो अंकल सनडे को यहाँ आते है…अभी ट्रैनिंग के लिए लाहोर गये हुए है….
मैं: अच्छा फिर….
अहमद: तो जब वो अंकल आते है….तो वो मालकिन के साथ यहाँ आते है.और फिर शराब पीकर सो जाते है…
मैं: अच्छा….
उसके बाद मैने बची हुई बॉटल उसे पकड़ाई और बिल देकर कहा कि, मुझे अब जाना है लेट हो रहा हूँ…कल फिर से यही मुलाकात होगी..अहमद मेरी बात सुन कर हां में सर हिलाने लगा….उसके बाद में उसे कल यहाँ 5 बजे मिलने का कह वहाँ से निकल कर नीलम के घर वापिस आ गया…. उस दिन और कोई ख़ास बात नही हुई…खाना खाने के बाद में ऊपेर आकर सो गया…अगली सुबह जब में उठ कर नीचे आया तो देखा कि नीलम कहीं जाने के लिए तैयार हो रही थे…..पूछने पर पता चला कि, नीलम की किसी रिश्तेदारी में किसी की मौत हो गयी है…और वो वही जा रही थे….नीलम ने मुझे नाश्ता दिया….मैने नाश्ता किया और फिर नीलम ने मुझे कहा कि, मैं उसे मेन रोड तक छोड़ आउ..वो वहाँ से बस में चली जाएगी….
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मैने बाइक बाहर निकाली और नीलम को पीछे बैठा कर उसे मेन रोड तक छोड़ने चला गया…मेन रोड पर पहुँच कर थोड़ी देर इंतजार के बाद बस भी मिल गयी…मैं घर वापिस लौट आया….तो साना ने डोर खोला…..जैसे कि मैं पहले बता चुका हूँ कि, साना का रंग सांवला था…उसकी हाइट भी कम थी….पर उसके नैन नक्श एक दम तीखे थे….मम्मे एक दम कसे हुए थे….उसने ब्लॅक कलर का फिटिंग वाला सूट पहना हुआ था…..जो उसके जिस्म पर बेहद कसा हुआ था…
मैने बाइक अंदर की और बाइक स्टॅंड पर लगा कर सीधा बरामदे में गया… नजीबा वही बैठी हुई थे…उसने मुझे देख कर स्माइल की…..मैं उसके सामने वाले सोफे पर बैठ गया….”मामी को बस मिल गयी थे….?”
मैं: हां….
तभी साना भी वहाँ आकर बैठ गयी…..वो नजीबा के साथ बैठी हुई थी…. “तो जीजा जी….ओह्ह्ह सॉरी समीर जी…..छोड़ आए अम्मी को…..” साना ने तंज़ाया अंदाज़ में हंसते हुए कहा….तो नजीबा ने अपनी कोहनी उसके पेट में मारी….”अह्ह्ह्ह शरम कर कंजारिए….ऐसे क्यों मार रही है….मैने कॉन सा कुछ ग़लत कह दिया है….” साना ने हंसते हुए कहा….तो नजीबा उसे घूर कर देखने लगी….मुझे लगा कि, अब मुझे यहाँ से खिसक लेना चाहिए….इसलिए में चुप चाप उठ कर ऊपेर आ गया… और फिर सीधा ऊपेर छत पर चला गया…धूप निकल चुकी थे….इस लिए मैने स्टोर रूम से चारपाई निकाली और उसे धूप में डाल कर लेट गया….
अभी थोड़ी देर ही हुई थे कि, मुझे सीढ़ियों से किसी के ऊपेर चढ़ने की आवाज़ आई… मैं लेटे लेटे ही सर घुमा कर सीढ़ियों की तरफ देखने लगा… थोड़ी देर बाद साना ऊपेर आई…उसने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा, और फिर स्माइल करते हुए बोली…”तो जीजा जी धूप का मज़ा ले रहे है….” मैने भी स्माइल से ही जवाब दिया…पर बोला कुछ नही… उसने स्टोर रूम का डोर खोला और अंदर चली गयी… और फिर वो कपड़ों का ढेर लेकर बाहर आई….ये वही कपड़े थे…जो कल नीलम ने धोए थे….और सही तरह से सूखे नही थे…सर्दियाँ जोरो पर थी…इसलिए धूप भी पूरी तरह नही निकलती थी…शायद जाने से पहले नीलम साना को कह के गयी थी…..
उसने सारे कपड़ों को उसी चारपाई पर मेरे पैरो की तरफ रखा जहाँ में लेटा हुआ था… मैने गोर किया कि, साना जब ऊपेर आई थी…तब उसने दुपट्टा लिया हुआ था…और अब उसके जिस्म पर दुपट्टा नही था….फिर वो स्टोर रूम के अंदर गयी….और बाकी के बचे हुए कपड़े भी उठा कर ले आई…और वही रख दिए….उसके मम्मे उसकी ब्लॅक कलर की फिटिंग वाली कमीज़ में एक दम फँसे हुए लग रहे थे….मम्मो की पूरे शेप दिखाई दे रही थी….फिर वो झुक कर कपड़ों को उठाने लगी….तो मेरी नज़र उसके डीप नेक वाले कमीज़ में से झाँक रहे मम्मो पर पड़ी….उफ्फ झुकने की वजह से उसके मम्मे कमीज़ से बाहर आने को उतावले हो रहे थे…साना के मम्मे नजीबा जितने ही बड़े थे….फिर उसने उन कपड़ों में से कुछ कपड़े उठाए… और तार पर डालने लगी….वो बार-2 कपड़े डाल कर चारपाई के पास आती और झुक कर एक-2 करके कपड़े उठाती….तो मुझे उसकी तंग कमीज़ के गले से झाँक रहे मम्मो का दीदार हो जाता….
वहाँ लेटे-2 ही मेरे लंड ने शलवार के अंदर से सर उठाना शुरू कर दिया… और धीरे-2 मेरे लंड ने शलवार को आगे से ऊपेर उठा दिया…मैं उस वक़्त मूड खराब करने के मूड में बिल्कुल भी नही था…मुझे पता था कि, अगर मैं इसी तरह उसके मम्मो को देखता रहा तो, मेरा अपना ही मूड खराब होना है…. नीलम यहाँ थी नही…फिर मुझे ऐसे ही तड़पते हुए दिन गुजारना पड़ना था… इसीलिए में वहाँ चारपाई से उठा बाहर गली वाली बाउंड्री के पास जाकर खड़ा होकर नीचे गली में देखने लगा….
साना अपने काम में बिज़ी थी..,में वहाँ थोड़ी देर खड़ा रहा और फिर से हट कर छत पर टहलने लगा….और टहलते हुए में स्टोर रूम में चला गया…और जैसे ही उस सिंगल पर बेड पर बैठने लगा तो, साना अंदर दाखिल हुई…”रूको रूको समीर….” मैने हैरत से साना की तरफ देखा तो, वो मुझे देख कर अजीब से अंदाज़ से मुस्कुराइ….”समीर इस बेड पर मत बैठना….?” साना ने मुस्कुराते हुए कहा… तो मैं सवालिया नज़रों से साना को देखने लगा….”क्यों इस बेड पर बैठना मना है…?” मैने साना की तरफ देखते हुए कहा….तो मेरी बात सुन कर साना मुस्कुराते हुए बोली…”नही मना तो नही है….पर ये बेड टूटने वाला है…?”
मैं: क्या टूटने वाला है….?
साना: हां कल दोपहर को ये बहुत आवाज़ कर रहा था हाहाहा…..
साना ने हंसते हुए कहा तो, मेरी आँखे खुली की खुली रह गयी….”क्या…?” मैने चोन्कते हुए पूछा तो, साना क़हक़हे के साथ हंसते हुए बोली….”हां समीर कल दोपहर को में ऊपेर आई थे…तब इस बेड की चीखे निकल रही थी….सच….”
मैं: चीखे निकल रही थी….क्या मतलब…..(मैने अंजान बनने की आक्टिंग करते हुए कहा….दरअसल मेरा डर के मारे बुरा हाल हो चुका था….कि कही साना ने कुछ देख ना लिया हो…)
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03-08-2019, 02:57 PM,
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
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साना: हां सच कह रही हूँ समीर जीजू….वैसे मैने बेड के अलावा किसी और की भी चीखे सुनी थी…..( साना ने मुस्कुराते हुए कहा….पर मेरी इधर फटी पड़ी थी…)
मैं: किसी और की किसकी….आख़िर तुम कहना क्या चाहती हो….?
साना: हाहाहा आप इतने भी भोले नही हो समीर जी….जितना बन रहे हो….आह आहह समीर तुम्हारा ये लंड आहह…बहुत बड़ा है….आह…हहहहाहा……
साना मुँह पर हाथ रख कर हँसने लगी….मेरी तो सर्दी में भी पसीने निकल रहे थे….फिर साना के फेस के एक्सप्रेशन एक दम से चेंज हो गये…वो धीरे-2 मेरी तरफ बढ़ी…और मेरे बिकुल करीब सामने आकर खड़ी हो गयी…”उसने मेरी आँखो में कुछ पलों के लिए देखा…और फिर एक दम से उसने अपना हाथ शलवार के ऊपेर से मेरे लंड पर रख दिया….मेरा लंड जो उस वक़्त बैठा हुआ था….साना ने उसे हाथ में लेकर जैसे ही दबाया….मैं एक दम से चोंक गया….और हैरत भरी नज़रों से साना की आँखो में देखने लगा…..”आख़िर हम भी तो देखे कि हमारे जीजू का लंड कितना बड़ा है…..जो कल अम्मी अपनी फुद्दि में लेकर चीख रही थे… तोबा उनकी चीखे तो बंद ही नही हो रही थी…मैं भी तो देखु आख़िर आपके लंड में ऐसे क्या ख़ासियत है…जिसने अम्मी जैसी दो -2 बच्चे पैदा कर चुकी औरत को भी अपना गुलाम बना लिया….”
मैने साना का हाथ एक दम से झटक दिया….”ये क्या कर रही हो तुम…..” मैने थोड़ा परेशान होते हुए कहा…
.”क्या हुआ डर गये समीर जी…..या फिर बड़ी उम्र की औरतों को चोदने का शॉंक रखते हो….” साना ने आगे बढ़ कर फिर से मेरे लंड को शलवार के ऊपेर से पकड़ लिया…और हंसते हुए बोली…..”हाहहा लो जी ये बेचारा तो डर के मारे सुस्त पड़ गया…हाहाहा…क्या हुआ….?”
मुझे यकीन नही हो रहा था कि, साना जैसी लड़की…जिसे मैं बेहद शरीफ किस्म की लड़की मानता था…वो ऐसी हरकत पर उतर आएगी….पर एक बात ये भी सच है कि, साना के नरम और मुलायम हाथ को अपने लंड पर महसूस करके में भी गरम होने लगा था…
साना ने मेरे लंड को छोड़ा और मेरे दोनो कंधो पर हाथ रख कर मुझे पीछे की तरफ धक्का दिया….मैं बेड पर बैठ गया….साना ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और फिर बेड के सामने नीचे पैरो के बैठ गयी…और अपने दोनो हाथो को मेरी रानो पर रखते हुए धीरे-2 मेरी रानो पर हाथ फिराते हुए मेरे लंड की तरफ बढ़ने लगी…फिर उसने मेरी कमीज़ ऊपेर उठा कर मेरी शलवार के नाडे को पकड़ कर खोलना शुरू कर दिया…जैसे ही मेरी शलवार ढीली हुई मैने खुद ही अपनी शलवार को अपने घुटनो तक नीचे उतार दिया…मेरा लंड अब आधा खड़ा हो चुका था… और फिर जैसे ही साना ने मेरे लंड को हाथ में लेकर प्यार से मसला तो, मुझे एक जबरदस्त झटका सा लगा….
उसने दो चार बार ही मेरी लंड को दबाया था कि, मेरा लंड फुल टाइट हो गया….और उस वक़्त साना के चेहरे की रंगत देखने वाली थे….वो आँखे फाडे कभी मेरे लंड को देखती तो, कभी मेरी आँखो में…..साना बड़ी हसरत भरी नज़रों से मेरे लंड की तरफ देख रही थी….”समीर ये तो सच में….” साना ने अपने खुसक गले से कहा और फिर मेरी आँखो में देखने लगी….मैने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ा और दूसरे हाथ को उसके सर के पीछे लेजाते हुए उसके सर को पकड़ कर अपने लंड को उसके होंठो की तरफ बढ़ाना शुरू किया तो साना एक दम से पीछे हट गयी….
”ये क्या रहे है आप….” साना ने हैरत भरी नज़रों से मेरी तरफ देखते हुए कहा….
मैं: क्यों क्या हुआ…पहले तो बड़ी शौकीन बन रही थी….क्या हुआ मेरा लंड पसंद नही आया….
साना: वो बात नही है समीर पर मैने कभी ऐसा नही किया…ये सब मुझे बहुत गंदा लगता है…
साना उठ कर मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी….मैने आगे बढ़ कर साना की बुन्द को अपने दोनो हाथो में लेकर मसला तो, साना ने शरारती मुस्कान होंठो पे लिए हुए पीछे मूड कर देखा….”शीईइ अह्ह्ह्ह समीर….सॉरी वो मैने कभी ऐसे नही किया….” साना ने सिसकते हुए कहा…”
अच्छा पर तुम्हारी अम्मी तो मेरे लंड को बड़ी हसरत से चुस्ती है…
.”सीईईईईईईई समीर….ऐसी बात नही करो….मुझे कुछ हो रहा है……” मेरी बात सुनते ही साना एक दम से सिसक उठी….उसके बदन ने झटका सा लिया
…”सच कह रहा हूँ…यकीन नही आता तो अपनी आँखो से देख लेना….” मैने साना की शलवार के ऊपेर से उसकी बुन्द के दोनो पार्ट्स को दबाते हुए कहा…
साना की आँखो में वासना की लहरे दौड़ती हुई सॉफ दिखाई दे रही थी….साना ने मेरी तरफ घूमते हुए, अपनी बाहों को मेरे गले में डाला, और मेरे होंठो को चूमते हुए बोली…”क्यों मेरी बुन्द दबाने का बड़ा मन कर रहा है तुम्हारा….”
मैने साना की बात सुनते हुए, उसकी बुन्द को पकड़ कर उसे अपनी तरफ खैंचा, तो साना मुझसे एक दम से चिपक गयी….
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03-08-2019, 02:58 PM,
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
जब में नीचे पहुँचा तो देखा साना बाहर बरामदे में सोफे पर बैठी टीवी देख रही थी…..मुझे देख कर साना ने शरमा कर नज़रें झुका ली….मेने साना से इशारे से नजीबा के बारे में पूछा तो, उसने इशारे से बताया कि नजीबा सो रही है… मैने एक बार नजीबा के रूम में नज़र मारी तो, नजीबा सो रही थे….मैं साना के पास जाकर सोफे पर बैठ गया….और उसके गले में हाथ डाल कर उसको अपने साथ लगा लिया… “कैसा लगा….” मैने दूसरे हाथ से कमीज़ के ऊपेर से साना के मम्मे को पकड़ कर दबाते हुए कहा….तो साना ने शरमाते हुए सर को झुका लिया…और सरगोशी से भरी आवाज़ में बोली….”बहुत अच्छा लगा….” मैने साना के होंठो की तरफ अपने होंठो को बढ़ाया तो, साना ने नजीबा के रूम की तरफ इशारा किया….” वो सो रही है….” और फिर मैने साना के होंठो को अपने होंठो में लेकर चूसना शुरू कर दिया….
और साथ ही मैं उसकी कमीज़ के ऊपेर से उसके मम्मो को दबाए जा रहा था…कुछ ही देर में साना की साँस चढ़ने लगी…उसने अपने होंठो को मेरे होंठो से अलग किया और सरगोशी से भरी आवाज़ में बोली….”समीर अम्मी के आने का वक़्त हो रहा है…” मैने साना के मम्मे को दबाते हुए धीरे से उसके कान में कहा… तो फिर यार ऊपेर भी सब जल्दी-2 में किया….वैसे भी में थोड़े दिन और हूँ यहाँ पर फिर जब तुम्हारे अब्बू आ जाएँगे तो मुझे जाना पड़ेगा….प्लीज़ एक बार….” मैने साना के मम्मे से हाथ हटा कर धीरे उसके पेट पर हाथ फिराते हुए नीचे उसकी फुद्दि पर ले जाने लगा….जैसे ही मेरे हाथ उसकी रानो के पास पहुँचे तो, उसने खुद ही अपनी रानो को खोल लिया…और मैने शलवार के ऊपेर से ही उसकी फुद्दि को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया…साना एक दम से तड़प उठी….”सीईईईई समीररर. थोड़ा सा सबर करो…अम्मी को आने दो…उनसे बात करती हूँ…”
साना की ये बात सुन कर मुझे झटका सा लगा….मैं हैरत भरी नज़रों से साना की तरफ देखने लगा….कि ये साना क्या कह रही है…साना को अपनी ग़लती का अहसास हुआ…उसने फॉरन मेरी आँखो में देखा और धीरे से बोली….”क्या हुआ….?” मैने साना की आँखो में झाँकते हुए बोला….”तुमने अभी क्या कहा….?”
साना: (अंजान बनाते हुए….) मैने क्या कहा….?
मैं: यही कि अम्मी को आने दो…फिर उनसे बात करूँगी….साना मुझे सच-2 बताओ आख़िर चल क्या रहा है….
साना मेरी बात सुन कर चुप हो गयी…
.”साना मुझे बताओ आख़िर तुम कहना क्या चाहती थी….देखो साना तुम मुझसे कुछ छुपा रही हो….प्लीज़ साना अगर तुमने मुझे नही बताया तो मैने आज ही यहाँ से चले जाना है….” साना मेरी बात सुन कर थोड़ा परेशान हो गयी….”समीर अभी नही बता सकती….बात बहुत लंबी है…” साना ने मिन्नत करते हुए कहा…”
तो ठीक है तो मैने भी अब एक मिनिट यहाँ नही रुकना….” वहाँ सोफे से खड़ा ही हुआ था कि, साना ने मेरा हाथ पकड़ लिया…
“कहा फँस गयी….” साना ने बुदबुदाते हुए कहा….”अच्छा ठीक है तुम ऊपेर चलो… ऊपेर रूम में चल कर बताती हूँ….”
मैं: ठीक है अगर 2 मिनिट में तुम ऊपेर नही आई.तो मैने यहाँ से चले जाना है.
मैं वहाँ से ऊपेर आ गया…और मुझे ज़्यादा देर वेट नही करना पड़ा…. साना ऊपेर रूम में आकर बेड पर बैठ गयी….और कुछ देर सोचने के बाद उसने मेरी तरफ सर उठा कर देखा….”अब बोलो क्या पूछना चाहते हो….?” साने ने थोड़ा नर्वस होते हुए कहा….”यही कि तुमने ऐसा क्यों कहा कि, तुम्हे अपनी अम्मी से इस बारे में बात करनी पड़ेगी…आख़िर तुम दोनो के बीच में क्या चल रहा है….?”
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