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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
मेरी आँख खुली तो मैं जमीं पर पड़ा था और कोमल भाभी मेरे चेहरे पर झुकी हुयी थी......वो धीरे धीरे मेरे गालों को थपथपा रही थी......और मुझे पुकार रही थी......मेरे मुंह से एक कराह निकली और मैं उठने की कोशिश करने लगा......कोमल भाभी ने मेरे सीने पर हाथ रखकर मुझे फिर से लेता दिया और बोली,
"हे भगवन.......भैया......मेरी तो जान ही निकल गयी थी......हाय....हाय.....अगर बिजली का काम नहीं आता तो हां क्यों किया जी.....?........देखो अब लगता है पुरे घर का फ्यूज उड़ गया है......."
मैंने नज़रे घुमाई तो सची में घर अँधेरे में डूबा था.....मगर बाहर से ढलते सूरज को कुछ किरणे अभी भी घर के अंदर तक आ रही थी.......और वो साली सब की सब मादरचोद किरणे.......कोमल भाभी की गोरे गोरे गले और उसके निचे लगे तोतापरी आमो पर पड़ रही थी. भाभी का अंचल तो कब का गिर चूका था.
ढलते सूरज की सोने जेसे किरणे भाभी के दूधिया मम्मो पर पढ़ रही थी......उनका लाल रंग का रुबिया ब्लाउस जेसे पारदर्शी हो गया था और उसके निचे काली नेट वाली ब्रा भी दिख रही थी....
और दिख रहे थे उस ब्रा में कैद....भाभी के नरम नरम निप्पल.....मादरचोद दोनों मम्मो के निप्पल साफ़ दिख रहे थे......क्योकि निप्पल किसी कारण से कड़क हो गए थे.
बिजली के झटके कि माँ की चूत...बाबूराव तोप से निकले गोले जैसी तेज़ी में तुरंत खड़ा हो गया.
कीड़ा सारी टांगे ऊपर कर के पूरी तेज़ी में कुलबुलाने लगा.
मुझे लगा कि भाभी शायद कुछ बोल रही है.....
लगता है जब भी लंड खड़ा होता है तो दिमाग का सारा खून लौड़े में ही चला जाता है. न कुछ सुनाई देता है और न ही कुछ समझ में आता है.
मैं हड़बड़ाया, " हाँ,.....क..क..क..क्या ...भाभी.....?"
"अरे क्या क्या...क्या लगा रखा है.....यह फ्यूज भी ना.....अब तुम कर लोंगे ? हाय...मगर तुमको तो बिजली का काम ही नहीं आता है ......चलो मैं ही देखती हूँ........."
मैंने सर हिलाया और खड़ा होने लगा.....मुझे ऐसा लगा कि भाभी ने कनखियों से उनको सलामी दे रहे बाबूराव को भी देख लिया था...मगर उन का चेहरा अँधेरे में था....सारी की सारी किरणे जो उनके सीने पर पद रही थी..उनके खड़े होने के बाद उनके पेट पर पड़ने लगी......और मेरी साँसे रुकने लगी....
झुकने उठने में भाभी के पेट पर से साड़ी हट गयी थी और सूर्य देव अपनी किरणे सीधे उनकी.........
नाभि पर गिरा रहे था.......लोगो से सुना है की नाभि में नाभि....सबसे सेक्सी नाभि दो ही हिरोइनो की है.
या तो शिल्पा शेट्टी की या फिर उर्मिला मार्तोंडकर की......
बाबा जी के भुट्टे........
कोमल भाभी जैसी नाभि तो भेनचोद सनी लेओनी की भी नहीं होगी.,..
मैं बार बार नज़रे हटता और मेरी नज़रे कुत्ते की पूँछ जैसे बार बार वही पर आ कर टिक जाती.
मुझे लग रहा था की भाभी मेरी नज़रो का डायरेक्शन कभी भी पकड़ लेगी....
पकड़ ले तो पकड़ ले......माँ की चूत......भाभी की नाभि की बनावट तो अंडाकार थी मगर शादी के बाद बेचारी थोड़ी सी मांसल हो गयी थी...और नाभि के चारो और सॉफ्ट सॉफ्ट पेट निकल थोडा निकल आया था.....और इसी नरम नरम पेट में जड़ी नाभि ने मेरे बाबूराव को कड़क कड़क कर डाला.
"अरे,......शॉक में हो क्या भैया......हल्लो.....?", भाभी ने थोडा ज़ोर से बोला....
"हैं......नहीं.....न...न....नहीं......म....म.....मैं......वो......"
यह हकलाने की माँ का भोसड़ा यार.......
मैंने तुरंत नज़रे इधर उधर कर ली.....शायद भाभी को भी लग गया था की मैं नज़रों से उनकी नाभि का अमृतपान कर रहा था....उन्होंने साड़ी का पल्लू सामने से फैला लिया....
लो लंड मेरा.....गिर गया पर्दा.
मेरी तो इच्छा हुयी की भाभी की साड़ी ही......नहीं नहीं......कंट्रोल......
मैं चूतिये जैसे इधर उधर देखने लगा.....तभी भाभी बोली, "अरे लल्ला भैया......चलो भी.....फ्यूज बदलना है ना.....फिर मुझे खाना भी बनाना है.....आज यह भी टूर से लोट कर आ रहे है.....इतने दिनों बाद...."
हाँ भेनचोद .....वो तो आएगा थकाहारा और तू साली तेरी खुजाल के चक्कर में उस गरीब लंड को रात भर नहीं सोने देगी......
मैंने सोचने लगा....पहली ट्रिप तो भैया लगा लेता होगा....मगर उसके बाद की २-३ ट्रिप तो भाभी ही उसको उकसा उकसा कर लगवाती होगी.....ऐसा गद्दर माल है.....एक ट्रिप में तो इस भेनचोद का इंजन गरम होता होगा......
"अरे तुम्हारे सर का कोई तार वार हिल गया है क्या.....ऐसे कैसे खड़े हो......चुपचाप.....
मेरी ख्यालों कि ट्रेन ने ब्रेक मारा......"हैं....हाँ....हाँ......म...म...मेरा मतलब है कि नहीं मुझे नहीं आता......"
"चलो.....हर बार जब ये फ्यूज बदलते है तो मैं टॉर्च पकड़ के रखती हूँ ........अब तुम पकड़ लेना....."
क्या पकड़ लेना जानेमन.....मेरी इच्छा तो तुझे पकड़ने कि हो रही है.....मेरे दिमाग में तो भाभी के कड़क निप्पल और जानलेवा नाभि ही घूम रही थी....मन में तो ऐसा आ रहा था कि इस साली हरामन को यही पटक के रगेद दूँ....मगर फटफटी .......चल पड़ती है यार.....
भाभी मुझे वहीँ छोड़ कर अंदर गयी और टॉर्च ढूंढ कर ले आयी......और उसे ऑन करके फ्यूज बॉक्स कि और चल पड़ी......
किरणे अब भाभी की लाल साड़ी में कसी हुयी गांड पर पड़ रही थी...
मेरे कमज़ोर दिल पर ऐसा इमोशनल अत्याचार......
भाभी की चाल में ही कुछ ऐसी बात थी यार......गप....गप......एक ऊँचा एक निचा.....ओये होये.
भाभी अचानक रुकी और सिर्फ अपनी गर्दन को थोडा सा मोड़ कर मुझसे कहा,
"अब आओगे भी या....ऐसा ही बुत बने देखते रहोगे.....?"
इसकी माँ की.....इसको कैसे पता चला की मैं इसको टाप रहा था.....तभी मेरी नज़र सामने लगे शीशे पर पड़ी और शीशे में ही हमारी ऑंखें चार हो गयी
आके सीधी लगी दिल पे मेरे नजरिया......ओ गुजरिया....
भाभी ने हलकी सी स्माइल दी और आगे चलने लगी.....और मैं उनके पीछे चाल पड़ा जैसे भूखा कुत्ता हड्डी की पीछे.
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
भाभी एक छोटी सी कोठरी में घुस गयी और मैं उनके पीछे दरवाजे पर ही खड़ा हो गया, उन्होंने टॉर्च की रोशनी में फ्यूज बॉक्स देखा और उसका ढक्कन खोला......फिर मेन स्विच गिराया.....और फ्यूज को बाहर खींचने की कोशिश करने लगी.
फ्यूज भोसड़ी का जाम था......टस से मस नहीं हो रहा था...
भाभी एक हाथ से टॉर्च पकडे दूसरे हाथ से उसको खींचने लगी.....पर वो तो ठान के बैठा था की बॉस आज तो लंड नहीं निकलूंगा......
भाभी ज़ोर लगते हुए बोली, "ऊओह.....यह तो बहुत टाइट फंसा है......हिल भी नहीं रहा...."
"हाँ भाभी लगता है गरम होने से दोनों चिपक गए है....", मैं टर्राया.
"हाँ .......हैं......क्या.......??"
मेरी गांड फटी. "न...न....नहीं......आप खींचो इसको......"
"आहन.....हाँ.....पर.....ये.....तो......बहुत.......ही......टाइट......है.......ऊओह....."
मादरचोद फ्यूज निकाल रही है या मोटे लंड से चुदवा रही है ? ?
"आह.....नहीं......निकलता........उह......अरे आप क्या खड़े हो वहाँ पर......लो यह टॉर्च पकड़ो और इधर लाइट मारो.........मैंने दोनों हाथ से हिलाती हूँ"
मेरा ही हिला दो भाभी.......
मैंने टॉर्च पकड़ ली.....और फ्यूज बॉक्स पर लाइट मारने लगा.....भाभी पूरी जान लगा कर फ्यूज पर पिली हुयी थी और वो भड़वा तो निकलना दूर हिल भी नहीं रहा था.
इस जोराजोरी में कोमल भाभी पूरी हिल रही थी.....और उनकी हर हरकत पर उनकी विकराल गांड थर्रा रही थी......माँ की भोसड़ी फ्यूज की.......भाभी की गांड में तो जैसे भूकम्प आया हुआ था.
मेरी नज़रे भाभी की थर्राती थिरकती गांड पर शहद पर मख्खी चिपके ऐसी चिपक गयी......
बेचारी पसीना पसीना हो रही थी......और पसीना ऑन हसीना हमेशा ही बड़ा खतरनाक कॉम्बिनेशन होता है
बाबूराव ने तुरंत अपना सर उठाया और मेरे पजामे में अपने तम्बू तन लिया.
कोमल भाभी अपने नाज़ुक नाज़ुक हाथों से फ्यूज पर लटके जा रही थी और वो भड़वा तो मज़े ले रहा था.
मज़े तो अपुन का बाबूराव भी ले रहा था .....भाभी के हिलती गांड को देख कर बाबूराव ने भी ठुनकी मार कर
सिग्नल देना शुरू कर दिया.
मैं पजामे में हाथ डालकर अण्डरवियर एडजस्ट करने लगा, टॉर्च वाला हाथ मुड़ कर पजामे पर ही फोकस मारने लगा.....साला लंड लटका रहता है तो गरीब आदमी जेसे २ इंच की जगह में भी एडजस्ट हो जाता है और जो कहीं भेनचोद चूत की खुशबु मिल गए तो भोसड़ी का सवा सात इंच का नाग बन कर अपना फन लहराने लगता है.....बाबूराव ने उत्तेजना और ख़ुशी के मारे अपना मुंह ( सुपाड़ा......भाई) अण्डरवियर के इलास्टिक से बाहर निकाल लिया था......और मैं उसको जैसे तेसे अण्डरवियर के अण्डर करने के कोशिश कर रहा था..
"अरे.....लाइट इधर करो.......कहाँ......कर रहे हो......हाआआआय राआआआम"
भाभी घूम गयी और इधर मैं खड़ा.... अपने लंड पकडे टॉर्च का फुल फोकस बाबूराव की चमकीले टोपे पर.
एक छोटी सी प्रीकम की बूंद सुपाड़े के छेद पर थी......टॉर्च की रोशनी में वो बूंद मोती जेसे चमक रही थी.
भाभी फिर चिल्लाई....."हाय राम....."
अब छोटी से चड्डी में इतने बड़े लौड़े को कहा छुपायूं.....मैंने पजामे का इलास्टिक छोड़ दिया.....
सटाक की आवाज़ के साथ इलास्टिक सुपाड़े पर जा टकराया.
"आआह.........", मैं चिल्लाया.....
"हाय.......राम......", भाभी चिल्लाई....
मेरे और बाबूराव.....दोनों के खेल लग गए थे.
फटफटी का इंजन सीज़.
सुपाड़ा यानि कि लंड का टोपा लंड का सबसे नाज़ुक स्थान होता है...पजामे के इलास्टिक ने वो चोट मारी थी कि बस......मेरी तो बैंड बज गयी थी..
"ऊओह.....शिट........आउ....आह.......आह.....", मेरी तो आवाज़ ही बैंड नहीं हो रही थी....
मैं सहारा लेकर वही फर्श पर बैठ गया. और अपने बाबूराव को हाथों से दबा लिया....
कोमल भाभी एक दो सेकंड मुझे देखती रही और फिर तीखी आवाज़ में बोली,
" बेशरम कहीं के......क्या कर रहे....थे....हाँ ?......अपने हाथ हटाओ......वहाँ से....."
माँ की चूत......यहाँ मेरे लंड में भूचाल आया हुआ था.....बेचारा दर्द के मारे दोहरा हो रहा था....
मैंने हाथ हटाया तभी मेरे बाबूराव में एक टीस उठी और मैं उसे हाथों से दबाकर फिर दोहरा हो गया.
अब कोमल भाभी ने चिंता जताई, "हाय.,..हाय......ज़ोर से लग गयी क्या.......दबाओ मत.....और दुखेगा......"
मैंने तो उनकी परवाह ही छोड़ दी थी....लंड की परवाह करना ज्यादा जरुरी था भाई.
मैंने कराहते हुए उठने की कोशिश करने लगा......थोडा दर्द हुआ तो मैं फिर बैठ गया.....
हुआ यूँ था की इलास्टिक सुपाड़े को रगड़ता हुआ गया था.....और इसी लिए दर्द हुआ....अब धीरे धीरे दर्द तो कम हो रहा था...मगर मेरी गांड की फटफटी ये सोच सोच कर रेस मार रही थी की यह साली बहनचोद भाभी सबको बता देगी और मेरा जालिम बाप मेरी गांड में सरिया डाल कर मुंह से निकाल देगा.
दिमाग के घोड़े तो सरपट दौड़ ही रहे थे......अब मैंने नाटक करना शुरू कर दिया.......
मैं और ज़ोर ज़ोर से हाय हाय आह आह करने लगा.
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
अब गांड फटने की बारी कोमल भाभी की थी....
"हाय.....हाय.....अरे क्या हुआ जी.........अरे हुआ क्या.....ज्यादा दुःख रहा है क्या.......?"
मैं ना में सर हिलाता रहा और अपने बाबूराव को मसलता भी रहा......
मैं बैठा था निचे......जब पजामा छूटा तो टॉर्च भी मेरे हाथ से छुट गयी थी...टॉर्च अभी तक ऑन थी.....कमरे में रोशनी दे रही थी मगर मेरी तरफ अँधेरा था..
फोकस तो कहीं और बन रहा
भाभी की टांगों के बीच भाभी ठिक टॉर्च के उपर खड़ी थी। कमरा अंधेरा था और थोड़ा टॉर्च की रोशनी तेज़.
कोमल भाभी की जाँघों का पूरा शेप दिख रहा था ….
साड़ी की ये खासियत होती है की साड़ी के अंदर आए औरत की कमर और गांड़ का शेप तो दिख जाता है मगर उसकी जाँघों को साड़ी पूरि तरह से छुपा लेती है.
टॉर्च की रोशनी मे कोमल भाभी की जांघे तो एकदम मस्त चौड़ी और मांसल दिख रही थी ….मेरी नज़रें जा कर उन पर ही टिक गयी ….तभी कोमल भाभी फिर से चिल्ला.
“ अरे लल्ला भैया …..बोलो ना ….डरा क्यू रहे हो …….ज़ोर से लग गयी क्या …..हाय हाय आपकी तो आवाज़ भी नहीं निकल रही …….”
ये सुनते ही मैने फिर से कराहना शुरू कर दिया ….
भाभी ने तुरंत टॉर्च उठाई और बोली,
“ भैया प्लीज़ उठो ….देखो धीरे से …..चलो बाहर ….आपको तो ज्यादा लग गयी है,….”
मैं अपने बाबूराव को दोनो हाथों से थामे धीरे से उठने लगा ….तभी मेरा बॅलेन्स बिगड़ा और भाभी ने बला की फुर्ती दिखते हुये मेरे हाथ को पकड़ लिया ….उनके मम्मे मेरे हाथों से सट गये …
भाभी धीरे धीरे सहारा देकर मुझे बाहर ले आई और मुझे सोफे पर बिठा दिया और सोफे पर ही मेरे पास बैठ गयी ….
बॉस अब मेरी गांड़ फटी …….कोमल भाभी ने अगर हंगामा कर दिया तो ….ये साली भेनचोद पूछेगी की मैं अपने पाजामा को खींच कर अपना लॅंड पकड़े क्या कर रहा था तो मैं क्या जवाब दूंगा …
यह बोलू की भाभी आपके मम्मे देखकर लॅंड खड़ा हो गया था और पाजामा मे हाथ डाल कर मे मेरे खड़े लॅंड को सेट कर रहा था ….अपने तो काम लग गये बॉस.
भाभी अलग बडबडा रही थी, “ अरे राम ….अब मैं क्या करू ….आप नीलू चाची या किसी को भी मत बताना की ऐसा हुआ ….आप ठीक तो हो …..”
ये लो … यहाँ अपनी गांड़ फट रही थी और इस बेचारी की उल्टा अपने से फट रही है ….. मगर देखो भाई....... नाटक करो तो पूरा करो ….. मैने तुरंत ना मे सर हिलाया और अपने वफादार को दबाते हुये फिर से हाय हाय मचाने लगा.
भाभी की गांड़ फटी और वो कभी मुझे देखती और कभी मेरे हाथों मे दबे मेरे बाबुराओ को …
भाभी बोली, “ राम राम ….लल्ला भैया इतना ज्यादा दुख रहा है क्या ….. कहीं .......खून.... तो.... नहीं .....आया.….”
भेनचोद कही ये खून तो नहीं आया के चक्कर मे लॅंड का चेकप ना कर डाले … इस फनफनाते सपोले का मैं क्या जवाब दूंगा …
मैं तुरंत टर्राया, “ अरे भाभी …..म.म.म … मेरा मतलब है की …..अब इतना नहीं दुख रहा ….अब तो ठीक है …. मसलने पर अचछा लग रहा है ”
भाभी जल्दी से बोली, “ हाँ हाँ तो थोड़ा मसल लो ….. मसलने से दर्द कम होता है …”
सोचो भाई लोग ….मैं टी-शर्ट पाजामा मे..भाभी के सोफे पर अपना खड़ा लॅंड पकड़ के बैठा हूँ और ये गेलचोदी कह रही है की मसल लो ….
साली तेरे मम्मे ना मसल लूँ...
डूबता सूरज भाभी के चेहरे और ब्लाउस पर अपनी किरणे डाल रहा था. भाभी के गोरे रंग पर किरणो का ऑरेंज रंग......ब़स.
मैं अभी तक तो पजामे के उपर से ही अपने पालतू तो सहला रहा था......कभी कभी सच्ची मे भी दुख जाता था। आखिर चोट तो लगी थी।
भाभी कभी मुझे देखती कभी लॅंड को सहलाते हुये मेरे हाथ को।
तभी मेरे हाथ से बाबुराओ की स्किन खींच गयी। और मेरे मुंह से दर्द भरी सिसकारी और फिर हल्की चीख निकल गयी।..
भाभी की बची खुची हिम्मत भी जवाब दे गयी।
वो घबरा कर बोली, "हाय.....हाय.....इतना दुख रहा है............म...म....मैं क्या करू राम...... "
मैने एक सिसकारी और मार दी....
मेरी सिसकारिया असली थी भाई....
दर्द की नहीं.......मस्ती की
भाभी बोली, " हाय.........ज्यादा चोट लग गयी है लगता है.........अब क्या करू.....डॉक्टर....."
मैं चिल्लाया, "नहीं ....डॉक्टर नहीं......."
बेचारी मेरी आवाज से और डर गयी
"हाय......तो अब क्या करू..........", भाभी ने बेबसी से कहा
मुझे क्या पता.....मुझे तो भाभी के ब्लाउस से दिखते मम्मे और चिकनी गर्दन से फिसलते पसीने की बूंदें देख देख कर मज़ा आ रहा था।
तभी एक पसीने की बूंद भाभी की गर्दन से चली और सीधे उनके मम्मो के बीच बनी खाई मे समाने लगी।
मेरी ठरक ने मेरे मुंह से एक सिसकारी और निकलवा दी।
मेरी सिसकारी सुन कर भाभी मानो किसी निर्णय पर पहुंच गयी....
"हटाओ हाथ....."
" क क क क्या ?????"
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
भाभी बोली, " ओके.......मैं.......करू......चेक....."
मैने फिर से हुनकारा भरा, " हम्म्म्म्म "
कसम उडान छल्ले की..........भाभी एक पल के लिये मुस्कुरायी थी......
उन्होने अपने सुखे होंटों पर जीभ फिराई और अपनी आँखें खोल दी।
" हा आ आ आ य ........राम......."
कोमल भाभी की हाय से मेरी गांड की फटफटी ने दुड़की लगा दी....
यह साली ने सीन बना दिया तो मेरी तो ज़िन्दगी शुरू होने के पहले ही ख़त्म हो जाएगी.....
इधर कोमल भाभी बाबुराव को बड़े ध्यान से देख रही थी....
"अरे.....य...य.....ये.....तो.....ख....मेरा मतलब है की.......ब.....ब......ये.....तो......कितना ल.....लाल.....हो गया है......", भाभी ने कहा.
भइये.....असली मज़ा तो शादीशुदा औरत के साथ ही आता है.
अभी कोई कन्या के सामने अपने बाबुराव को पेश कर दू तो जाने कितने तरह के नाटक नौटंकी करती, मगर कोमल भाभी तो सीधे मुद्दे पर आ गयी थी....
और सच तो यह है की इस तरह के माहोल में बाबुराव तो फुल फार्म में आ गया था...
कुछ ठरक थी.....कुछ चोट......कुछ मेरा मसलना और फिर भाभी का उफनता जोबन, अपना पहलवान सलमान खान के बॉडीगार्ड शेरा की तरह बिलकुल मुस्तैद खड़ा था.
असल में मैंने खुद अपने लंड को इतनी उत्तेजित हालत में नहीं देखा था.
सुपाड़ा फूल कर टमाटर हो गया था.
और कोमल भाभी तो एकटक मेरे लंड को देख रही थी जैसे बिल्ली चूहे को देखती है.
मैंने तुरंत दर्द भरी सिसकारी मार दी.
भाभी की जैसे तन्द्रा टूटी......"हाय .....हाय .....ये तो सुज़ गया लल्ला जी....."
मैंने जवाब न देने में ही अपनी भलाई समझी और कराहने लगा....
"अरे.....दुःख रहा है क्या......"
मैंने जवाब में अपनी मुंडी हिलाई और कराहना जारी रखा. मैं अपने हाथ तो बाबुराव के सर हे हटा चूका था इसलिए तो मुठ मारने से क्रीम और प्रीकम उस पर इकठ्ठी हो गयी वो सूरज बाबा की रौशनी में चिलके मार रही थी.
भेन्चोद अगर इस ने पूछ लिया की यह सब कैसे हुआ तो ????
मैंने तुरंत ज़ोर ज़ोर से आहें भरना और कराहना शुरू कर दिया....
भाभी तुरंत चौंकी और बोली, " लाला भैया....मुझे तो लगे है की चोट ज़ोर की लग गयी है.......देखो कैसे लाल लाल हो गया है......सूजन भी आ गयी है.......और इस पर तो आयोडेक्स भी नहीं लगा सकते....."
माँ की चूत........लंड पर आयोडेक्स.....????? मारेगी क्या ??
मैंने कहा, " भाभी ...बहुत जलन हो रही है....."
"हाय हाय......लाओ देखू तो......", ये कहकर भाभी आगे झुक आई.
उनके खुले हुए बाल मेरे बाबुराव पर झूल आये और लंड के मुंह पर लगी क्रीम पर चिपक गए.
भाभी इस सब से बेखबर थी.....वो 6 इंच की दुरी से बड़े ध्यान से मेरे बाबुराव का मुआयना कर रही थी.
"इ...इ.....इसको ज....ज....जरा ऊपर करो तो भैया.....जरा देखू कहा लगी है ", भाभी बोली,
भाभी को गेलचोदी थी नहीं.....और अब तक मैं भी इस मामले में डेढ़ सयाना हो चूका था.
वो और मैं....वो खेल खेल रहे थे जिसका अन्त.........आपको पता है.
मैंने बाबुराव का टेंटुआ पकड़ा और उसे पूरा खड़ा कर दिया.
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
मैंने बाबुराव का टेंटुआ पकड़ा और उसे पूरा खड़ा कर दिया.
कुछ दिन से मुठ मरी नहीं थी इसलिए गोटों की थैली माल से पूरी भरी थी....
विकराल खड़ा लंड और उसके निचे झूलती बड़ी बड़ी गोटियां देख कर कोमल भाभी की सांसें तेज़ हो गयी.
उनकी गरम गरम साँसें मेरे लंड की जड़ और गोटों पर टकरा रही थी और कसम मिथुन चक्रवर्ती के ठुमके की...मैं अंदर तक गनगना रहा था.
भाभी झुक कर लंड का पूरा निरिक्षण कर रही थी मानो उसपर बारीक़ बारीक़ अक्षर में कोई खजाने का राज़ लिखा हो. उनके झुक जाने से उनके मम्मे मेरे घुटनो से चिपक गए थे मगर उनको या तो कोई अहसास नहीं था या कोई परवाह नहीं थी....
कोमल भाभी का अंचल एक पिन के सहारे उनके कंधे पर किसी तरह टिका था मगर झीने कपडे में सूरज महाराज की फोकस लाइट के कारन उनके गदराये जोबन अच्छी तरह से दिख रहे थे. भाभी नए ज़माने की थी.....ब्लावूस का गला बहुत गहरा था और डिज़ाइन में कटा था.....साले टेलर ने भी क्या नाप लिया होगा.
भाभी बोली, " यहाँ तो....कुछ नहीं दीखता......इनको जरा सा हटाओ......"
मैं टर्राया, "जी....क....क.....क......किनको........?"
भाभी ने अपनी कजरी आँखों से मेरे गोटों को देखा और फिर कहा, " अजी.....इनको....थोड़ा....सा ..हटाओ.."
मैंने चुतिया मारा....." क....क.....किसको भाभी.......आह........दुःख रहा है........"
भाभी ने आँखे तरेरी और कहा, " इसीलिए तो कह रही हूँ की इनको थोड़ा हटाओ......मुझे यहाँ पर सूजन लग रही है........"
मैंने भाभी को देखा. बेचारी घुटनो के बल ज़मीं पर बैठी थी, मेरी खुली टांगों के बीच झुकी हुयी और मैं सोफे पर.....
कोई देखता तो यही सोचता की कोमल भाभी लोल्लिपोप चूस रही है.
आईडिया......
शैतानी कीड़ा कुलबुलाने लगा
चाचा चौधरी का दिमाग कम्प्यूटर से भी तेज़ चलता है
और
चोदने पर तुले इंसान का दिमाग भी सुपर कम्प्यूटर जैसा चलता है.
मैंने कहा, " ज....ज....जी...भाभी.....क्या हटाउ....मेरे पैर....."
भाभी ने फिर से मेरे गोटों पर ऑंखें तरेरी और हार कर कहा , " इनको.....जी......आपके....के....बॉल्स......को"
जो मजा हिंदी में है वो अंगेरजी में कहाँ........
"बॉल्स.......म......म......मतलब........."
भाभी तुनक कर बोली , "अरे......राम.......अपने....... हंड्वो......को ....."
भाई.....भाभी के मुंह से हंडवे सुनते ही मुझसे पहले बाबुराव ने रिएक्शन दे दी....
ऐसी ज़ोरदार ठुनकी मारी की बस....
भाभी की नज़रे अभी भी मौका-ए-वारदात पर ही थी.
मैंने अपने हाथ बड़ा कर अपने हंड्वो को छुआ ही था की.....
मैं ज़ोर से सिसियाया.
भाभी बोली, " अरे....क्या.....हुआ......"
मैंने कहा, " अरे.....भ...भ....भाभी दुःख रहा है......आओह........"
भाभी ने तुरंत चैनल चेंज किया और कड़क आवाज़ में बोली, " देखो जी......अगर ढंग से चेक नहीं कराओगे तो जाना डॉक्टर के पास......"
मैंने तुरंत कहा, " अरे...न....न.....नहीं.....डॉक्टर नहीं....पर...भाभी बहुत दुःख रहा है.....आप ऐसे ही देख लो न ...."
भाभी ने झल्लाते हुए कहा, " हैं.....यूँ ही दिख जाता तो देख ही लेती.....इतने बड़े है की......."
भाभी एक दम चुप हो गयी.
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
दिल गार्डन गार्डन हो गया......अपने सामान की तारीफ किसको पसंद नहीं. और इसको बड़ा कह दिया मतलब भाई साहब का तो इस से छोटा ....ही......होगा.
मैंने फिर चुतिया मारा, " जी.....भाभी......क्या ?? "
कोमल भाभी ने ठंडी सांस ली और बोली, " कुछ नहीं......तुम तो बहुत ही कमज़ोर दिल हो लल्ला जी.....मैं ही देखती हूँ.....थोड़ा पैर चौड़े करो......"
भाभी आगे खिसक आई और उनके मम्मे मेरे घुटनो पर टिक गए....
कसम उड़ान छल्ले की ऐसा मज़ा आ रहा था की क्या बताऊ.......
तभी भाभी ने हाथ आगे बढ़ाया और मेरे गोटों को साइड दबा दिया और मुआयना करने लगी.
हल्का दर्द और बहुत सी सुरसुरी होने से मेरे मुंह से फिर से सिसकारी निकल गयी, भाभी ने सर उठा कर मुझ पर ऑंखें तरेरी और बोली , " चुप चाप बैठे रहो......आवाज़ नहीं आनी चाहिए....."
भाभी मेरे गोटों को सहला कर चेक कर रही थी और मेरी सांसें बंद हुयी जा रही थी तभी भाभी के लम्बे लम्बे नाख़ून मेरे गोटे से रगड़ खा गए.....भाई ऐसा मज़ा आया की फिर से सिसकारी निकल गयी.
भाभी ने फिर से मुझे देखा और कहा, " श्श्श्शश्श्श्श............."
भाभी ने गोटों को थोड़ा और इधर उधर किया और ऊपर निचे तक देखा, मेरी तो सांसें ही बंद हुयी जा रही थी .
भाभी ने कहा, " हम्म्म्म......सूजन तो नहीं लगती......क्यों लल्ला जी.......सुन्न तो नहीं हुए है ना ? "
मैंने हकलाते हुए पूछा, " ज....ज...जी...भाभी.....क....क.....क्या ?"
कोमल भाभी बिलकुल गंभीर चेहरा बनाकर फिर बोली, :" अरे सुन्न...तो नहीं हुए न आपके....ये....??"
जब मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो भाभी ने अपने लम्बे नाखुनो को मेरे गोटों पर ऊपर ने निचे तक फेर दिया.
मैं सर से पाँव तक गनगना उठा.....बाप रे......
ऐसा मज़ा आया की एक पल लिए मेरा पूरा शरीर एक दम लुल्ल हुई गवा.
साली बिल्ली के जैसे मेरे नाज़ुक नाज़ुक गोटों पर नाख़ून फेर रही थी और मेरे बदन में एक के बाद एक मस्ती की लहरें चली जा रही थी.
मैंने बहुत रोका मगर मेरे मुंह से सिसकारी निकल ही गयी....
( अब किस पप्पू के मुंह से नहीं निकलेगी....सोचो कोमल भाभी जैसा कड़क आइटम आपके गोटों पर नाख़ून फेर रहा हो तो आप क्या करोगे मियां ?? )
भाभी ने मुझे देखा
मैंने भाभी को...
कसम खा के बोल रिया हूँ........भाभी की आँखों में मस्ती के डोरे तैर रहे थे.....तुरंत बाबुराव ने ठुनकी मर कर भाभी को अपनी मौजूदगी का एहसास करा दिया.
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03-26-2019, 12:08 PM,
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RE: Hindi Porn Kahani फटफटी फिर से चल पड़ी
मेरा मुंह पानी से निकली मछली की तरह खुल बंद हो रहा था.....भेन्चोद आवाज़ गले में फंस गयी थी.
भाभी ने फिर से गोटों पर नाख़ून फेरा और मैं फिर सिसिया गया...
भाभी ने सीरियल की वैम्प वाली मुस्कान मारी और बोली, " अच्छा तो यहाँ दुःख रहा है......."
मैंने हाँ में सर हिला दिया.....
भाभी बोली, " क्या.....करू......इसका.......अच्छा थोड़ा तेल लगा दूँ ......"
भाभी तुरंत उठी और उनके बैडरूम में जाने लगी....
मेरी नज़रें भाभी की गद्देदार गांड पर टिक गयी.
क्या चुत्तड थे.........
या तो कोमल भाभी जान बूझकर ऐसे चल रही थी या उनकी चाल ही गजगामिनी वाली थी.
हर कदम पर उनकी नरम गांड थरथरा जाती और थरथरा जाता मेरा बाबुराव......हाय क्या होगा मेरा.
मैंने भाभी को गांड को नज़रों से ही सहला दिया......और उनकी गांड का यह डिस्को देखकर मेरा हाथ अपने आप को बाबुराव को दिलासा देने के लिए उस पर कस गया. मैंने अपनी हथेली में बंद बाबुराव को धीरे से पुचकारा और हाथ चलाया.....ऊओह....भाभी की थिरकती गांड को देखकर मैं तेज़ी से मुठ मारने लगा
मेरी नज़रे भाभी की गांड पर ऐसे टिकी थी की मानो नज़रों से ही मैं उनकी गांड में .....
अपनी गांड पर फिसलती नज़रों को शायद भाभी ने भी महसूस कर लिया और अपने रूम के दरवाजे पर कड़ी हो कर अचानक घूम गयी.
"हाय.....यह क्या.....कर रहे हो........तुम्हे दुःख रहा हे न......."
मैंने अपने हाथ तुरंत हटा लिया.
हड़बड़ाते हुए मैंने कहा, " न....न.....हाँ.....हाँ......वो दुःख रहा था इसीलिए म...म....मसल रहा था....."
भाभी ने वो मादक मुस्कान मारी की मेरे तो तोते उड़ गए....
"मैं....आ रही हूँ न......मैं कर दूंगी ....मालिश......."
हैं...??
.....भाई.....मेरी तो बगैर टिकट ख़रीदे लाटरी लग गयी.
भाभी रूम से तेल की बाटल लिए आई और तुरंत मेरी टांगों के बीच बैठ गयी.....मैंने अपने पैरों को और खोला.....भाभी की नज़रें सिर्फ और सिर्फ बाबुराव और मेरे गोटों पर थी.
"लल्ला जी......ये......सुज़ गया है या......ऐसा ही रहता है.......", भाभी ने भोलेपन से पूछा.
"जी.....ज.....म.....मैं.......वो......नहीं......हाँ......म.......म.....मेरा मतलब है की.....नहीं.....हाँ.....ये...."
भाभी मेरी नादानी पर हंसी और थोड़ा सा तेज़ हाथ में लिया.....
अरे मादरचोद........यह तो नवरत्न तेल है......अरे......ख़ोपड़िया पर लगाते है तो ही इतना ठंडा ठंडा हो जाता है.....बाबुराव और गोटों पर लगा दिया तो......
मैंने बोलने के लिए मुंह खोला ही था की भाभी ने मेरे गोटों पर अपनी हथेली फेर दी.
मेरे गोटों का एक एक बाल......सनसना उठा......नाज़ुक चमड़ी पर तेल ने अपने कमाल तुरंत दिखाया और मुझे ऐसा लगने लगा मानो मेरे गोटों को बर्फ के ठन्डे पानी में डाल दिया.
मेरी सिस्कारियां निकल गयी....
भाभी ने तिरछी मुस्कान मरते हुए मुझे देखा और कहा, "अच्छा लगा......?"
बाबा जी के सवा मन भुट्टे.......
अच्छा क्या गांड लगा.....ऐसा लग रिया था की भेन्चोद पूरी दुनिया मेरे गोटों में समां गयी हो....
मज़ा ज्यादा था की जलन...भगवान जाने.
मेरी तो ऑंखें ही नहीं खुल पा रही थी.
भाभी बड़े प्यार से मेरे गोटों को अपने दोनों हाथों से दुलार रही थी.
मैंने पहले भी कहा है की शादीशुदा औरत की बात ही कुछ और होती है.
उसे यह तो पता होता ही है की क्या करना है पर यह भी पता होता है की कब और कहाँ करना है.
भाभी ने पूछा, "अब...ठीक लगा. ???"
मैं तो हांफ रहा था, " हाँ......हाँ.....सी......."
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