06-28-2019, 01:53 PM,
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RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
सनी वहां से निकल कर अपने कमरे में आया कमरे में नाईट लैंप पहले ही जल रहा था, वो उसकी रोशनी में ही अपने कमरे में टहलने लगाऔर सोचने लगा जो अभी अभी वो अपनी ही सगी भाभी के साथ कर के आया था, उस निर्दोष स्त्री के गहन नींद में होने का अनुचित लाभ उठाते हुए उसने अपनी हवस का जो वहशीपन उसके साथ किया था उससे उसकी कामवासना तो शांत हुई लेकिन उसके अन्तर्मन का ताप बढ़ गया और अब वो उसे कचोटने लगा और अपनी कमजोरी पर पश्चाताप करने लगा। उसका मन उसे धिकारने लगा यही सोच सोच कर वो परेशान कमरे में टहलने लगा और सोच रहा था कि "आखिर मैं खुद पर नियंत्रण क्यों नही रख पाता, मैं उसे देख कर पागल क्यों हो जाता हूं ?" , बेचारी
सीधी साधी भाभी मैं उसके भोलेपन और शर्मिलेपन का अनुचित लाभ उठा रहा हूं। मेंरे भाई ने कितने विश्वास से उसे यहां रखा है, कितने विश्वास से वो मुझे ये कहता है कि उसे अपने साथ ले कर जाया कर घुमाया कर और मेंरे मां-बाप, बहिन सब मुझ पर कितना भरोसा करते हैं, और एक मैं हूं कि मैने सबके विश्वास को धोखा दिया है, सबके साथ दगाबाजी की है, छी: धिक्कार है मुझ पर।ऎसा सोचते हुए वो जब थक गया तो पलंग पर लेट गया और सोचते हुए ही वो कुछ ही क्षणों में नींद के आगोश में समा गया।
इधर सनी के कमरे से निकलते के लगभग डेढ़ मीनट के बाद नेहा ने हौले से अपनी आंख खोली और अपनी अधखुली आंखों से धीरे से कमरे का जायजा लिया जब उसे पक्का यकीन हो गया कि उसका देवर सनी उसके कमरे से जा चुका है तो वो झट से उठ कर पलंग पर बैठ गई और उसने शरीर का जायजा लिया।
उसने देखा कि उसे गहन नींद में समझ कर कामवासना में अंधे हो चुके उसके देवर सनी ने उसके सोते हुए जिस्म के साथ हवस का जो खेल खेला था और जिस तरीके से उसके कपड़ों को अस्त व्यस्त कर दिया था उसे देख उसे लगभग नंगी ही कहा जा सकता था।केवल कपड़े नहीं उतारे थे सनी ने के,लेकिन उसके शरीर के किसी अंग को उसने अनछुआ नहीं रखा था और उसके शरीर के सभी अंगो का उसने काफ़ी करीब से मुआयना किया था और उसके जिस्म के भूगोल को अच्छी तरह से समझ गया था,शायद संजय से भी ज्यादा।
नेहा ने अपने उपर एक नज़र ड़ाली,अपनी हालत देखते हुए उसे घोर लज्जा का अनुभव हुआ . उसके गाऊन के सभी बटन खुले हुए थे और उसके दोनों विशाल स्तन पूरी तरह अनावृत्त थे, उसका गाऊन कमर से उपर चढा हुआ था तथा उसकी दोनों मोटी चिकनी जांघे और उसके बीच दबी उसकी चूत साफ़ दिखाई दे रही थी। अपनी हालत देख कर वो सोच रही थी कि "कितनी बेरहमी से नोंच कर गया था उसका देवर उसका बदन". अपने प्रति सनी की हवस को काफ़ी समय से मह्सूस कर रही थी लेकिन वो इस हद तक जा सकता है ऎसा उसने सोचा भी नहीं था। जवानी के जोश में उसके कदम बहक गए हैं और उसकी अक्ल पर पत्थर पड़ गए लेकिन नीता से शादी होते ही वो अपने रास्ते पर आ जायेगा और मेंरे प्रति उसका आकर्षण खत्म हो जायेगा ऎसा सोच कर और अपनी बहन की जिंदगी संवर जाये इस
कारण वो चुपचाप सहती रही।लेकिन अब बात काफ़ी बढ़ चुकी थी और उसे साफ़ मह्सूस हो रहा था कि उसकी हरकतें अब और बढ़ेंगी। उसकी इसी उहापोह का नतीजा था कि वो खुल्लमखुल्ला उसके जिस्म को एक घंटे तक नोच कर अपनी हवस शांत करके चलता बना और उपर से उसकी ये हिमाकत की उसने अपना पूरा का पूरा वीर्य ही उसके सोते जिस्म में ड़ाल दिया।
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06-28-2019, 01:57 PM,
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RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
सो अपने मन के तर्कों को मानते हुए सनी ने अपने परिवार की इज्जत बचाने के लिये अपनी सगी भाभी को चोदने का फ़ैसला किया था। उसके मन ने उसे ऎसा तर्क दिया था कि उसकी आत्मग्लानी अब गायब हो चुकी थी और नेहा भाभी को चोदना अब उसे पाप नहीं बल्की अपना धर्म लग रहा था। उसे लगने लगा था कि परिवार की इज्जत बचाने के लिये उसे अपनी भाभी को चोदने का धर्म निभाना ही पड़ेगा।
सनी ने अपनी मां से कहा नहीं मां ऎसी कोई बात नही है दरासल मुझे बहुत भूख भी लगी और मैं बहुत थक भी गया हूं ,इसीलिये आपको ऎसा लगा। फ़िर उसने मां के हाथ पकड़ कर पूछा अब बता भी दो न मां . मां ने हंसते हुए नेहा की तरफ़ देखा और पूछा क्यों बहू बता दूं इसे या नहीं? नेहा ने जवाब में कुछ नहीं कहा केवल मुस्कुरा दिया। मां ने नेहा की तरफ़ बनावटी गुस्से से देखते हुए कहा "अरि रहने दे, तू तो बोलने से रही, तेरा तो कोई खून भी कर दे तो भी तू उसे कुछ नहीं कहेगी बस खड़ी खड़ी देखती रहेगी".
अब मां ने सनी की तरफ़ देख कर कहा "सुन बेटा बड़ी अच्छी खबर है, तेरी नीता के साथ बात पक्की हो गई है। और परसों संजय भी आ रहा है अपने बास के साथ बस उसके दो दिन के बाद तेरी नीता के साथ सगाई कर देंगे।"
सनी : सगाई ! इतनी जल्दी, और फ़िर संजय भैया तो सिर्फ़ एक दिन के लिये ही आ रहे हैं न?
उसके पापा ने बीच में टोकते हुए कहा " एक दिन के लिये नहीं बेटा पूरे चार दिनों के लिये आ रहे है वो दोनों।
सनी (तनिक चौंकते हुए ) : दोनों! कौन दोनों पापा ?
पापा : अरे बेटा संजय और उसका बास दोनों . वो मेंरा बहुत अच्छा दोस्त भी है और फ़िर वो मेरें बेटे का बास भी तो है। मुझे अपने बेटे की तरक्की भी तो करवानी है न। तुम सब ध्यान से सुन लो संजय के बास की खातिरदारी में कोई कसर बाकी नहीं रहनी चाहिये समझे।
सब ने एक दूसरे की तरफ़ देखा और सहमती में अपना सर हिला दिया। तभी पापा खड़े हुए और कहने लगे चलो भई अब आज की सभा समाप्त करो मुझे तो बहुत नींद आ रही है, ऎसा कहते हुए वो अपने कमरे की तरफ़ चले गये। उनको जाते देख सनी की मां भी उनके पिछे चली गई और "दिया" भी सबको गुड़ नाईट कहते हुए अपने कमरे में चली गई।
दो दिनों की लुका छिपी के बाद सनी और नेहा भी अब आज के महौल के बाद सामान्य हो चुके थे और दो दिनों के बाद दोनो ने एक दूसरे को देखा और मुस्कारा दिये।उसकी मुस्कुराहट में उसे सहमती और बेबसी दोनो नजर आ रही थी।
लेकिन शिकारी को उससे क्या ? वो तो अपने शिकार को बेबस देख कर और खुश होता है। सनी का लण्ड़ फ़िर से खड़ा होने लगा था।
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06-28-2019, 01:58 PM,
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RE: Bhabhi ki Chudai कमीना देवर
सनी उसको अपने रुम के अंदर तक जाते देखता है . दरसल वो उसकी गांड़ो को घूर रहा था। नेहा की गांड़ सनी की सबसे बड़ी कमजोरी थी।
जैसे ही वो अपन्रे रुम में चली जाती है, वो तुरंत तेजी से चलते हुए छ्त पर चला जाता है और फ़िर कूलर के छेद से अंदर देखने लगता हैं। अंदर नेहा हमेशा की तरह नंगी हो कर अपने कपड़े बदलती है जिसे देख सनी बदहवास हो जाता है। नेहा के कपड़े बदलने के बाद छत पर बैठने का कोई मतलब नही था सो सनी अपने कमरे में जाता है और अपनी भाभी के नंगे जिस्म को याद करते हुए मुठ्ठ मार कर सो जाता है।
रात को सोने में देर हो जाने के कारण नेहा सुबह जल्दी नहीं उठ पाती , जब सो कर उठने पर उसकी नजर घड़ी पर पड़्ती है तो वो हड़्बड़ा जाती है। सुबह के आठ बज चुके थे . वो एक झटके में पलंग से नीचे कूदती है जल्दी से अपना मुंह धोती है कपड़े बदल कर और थोड़ा बाल बना कर तुरंत नीचे की तरफ़ भागती है।
नीचे का नजारा उसकी आशा के अनुरुप ही था। मां रसोई में बड़्बडाते हुए काम कर रही थी और उसके ससुर और ननद नाश्ते के लिये हलाकान हो रहे थे। दरसल नेहा की सास की काम करने की आदत छूट चुकी थी किचन में वो यदा कदा ही आती थी,और आती भी तो केवल नेहा को ये बताने के लिये कि उसे आज क्या पकाना है। सो उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि कौन सा सामान कहां रखा हुआ है और यही वजह थी को नेहा पर झुंझला रही थी।
नेहा को देखते ही वो फ़ट पड़ी और तनिक तेज आवाज में बोली : आ गई इतनी जल्दी अरी थोड़ा और सो लेती अभी बखत ही कितना हुआ है? सीधा खा पी कर उतरती . नेहा जानती थी मां के गुस्से की वजह दरअसल उसे किचन में सामान नहीं मिलने क्कि वजह से वो झुंझला रही थी और बाहर उसके ससुर जी उनका मजाक उड़ा रहे थे।
नेहा ने किचन में जाते ही मोर्चा संभाल लिया . उसने मां से कहा दर असल कल रात को बातें करते हुए काफ़ी देर हो गई थी इसी वजह से आज उठनें में काफ़ी देर हो गई मम्मीजी . मैं तो सीधे नीचे ही आ गई पहले आप लोगों को नाश्ता वगैरे बना कर दे दूं फ़िर जा कर नहा लूंगी। उसकी बात सुन मम्मी चीखते हुए कहती है क्या कहा तुमने तुम बाद में नहा कर आओगी यानी तुम अभी बिना नहाये नीचे आ गई हो? और वो भी किचन में !
उसने नेहा को डांटते हुए कहा : चल निकल यहां से , निकल किचन के बाहर और जा कर नहा कर आ, तुझे पता है न तेरे पापा को यदि पता चल जायेगा तो वो आसमान सर पर उठा लेंगे। उन्होंने जानबूझ कर ये बातें जोर से कही ताकी उसके ससुर भी ये बातें सुन ले। ताकी थोडी डांट उनसे भी नेहा को पड़ जाय लेकिन उसका दांव उल्टा पड़ गया, उन्होंने वहीं से बैठे हुए कहा : वाह देखो बेचारी नेहा को उसे हमारी कितनी चिंता है बिना नहाये ही ही आ गई। तुम रहने दो बेटा नेहा तुम आराम से जा कर नहाकर नीचे उतरो कोई जल्दी नहीं है। आज तो तुम्हारी मम्मी के हाथ का नाश्ता ही करेंगे।
उनकी ये बातें सुन कर पहले से जली भुनी बैठी उसकी मां और चिढ़ गई और जोर जोर से चिल्लाने लगी , और चढाओ सर पे सबको यदि मैंने किया होता तो चिल्ला चिल्ला कर सर पर आसमान उठा लिया होता और धर्म के ठेकेदार बन कर दुनिया भर ताने मार दिये होते और इसे कहते हो कोई बात नहीं। उसके पापाजी ये बातें सुन कर जोर जोर से हंसने लगे हॊ हॊ हो
और कहने लगे अरे क्या हो गया एक दिन यदि तुम बना कर खिला दोगी तो? यदि नहीं बनाना तो साफ़ साफ़ बोल दो हम बाहर जा कर कुछ खा लेंगे छोटि सी बात का बतंगड मत बनाओ।
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