07-30-2019, 01:20 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Kamukta Kahani अहसान
अपडेट-34
दोस्तो यहाँ से कुछ नये करेक्टर का परिचय कराता हूँ ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
शेख साब {बाबा} :- एज- 58 साल, दिखने मे काफ़ी रौबदार इंसान, काम- गॅंग का मैं लीडर, शेरा जैसे बाकी सब लोग इसके लिए ही काम करते हैं.
अनीस (छोटा शेख):- एज- 32 साल, शेख का बेटा ऑर एक ला-परवाह किस्म का इंसान इसलिए शेख कोई भी काम इसको सोंपना ज़रूरी नही समझता. हर वक़्त ड्रग्स के नशे मे ऑर लड़कियो मे डूबा रहता है.
मुन्ना (जापानी):- एज- 28 साल, शेरा का जिगरी दोस्त है ऑर देखने मे जापानी जैसा लगता है इसलिए जापानी नाम से अंडरवर्ल्ड मे मशहूर, काम- ड्रग्स एजेंट ऑर आर्म्स एजेंट के साथ डील फिक्स करना ऑर फाइट क्लब मे शेरा का पार्ट्नर.
रसूल :- एज-34 साल, काम- शेरा के बाद शेरा का सारा काम यही संभालता है.
सूमा :- एज-25 साल, काम- विदेशी क्लाइंट्स के साथ ड्रग्स ऑर आर्म्स की डील फिक्स करना ओर तमाम एजेंट्स से पैसा कलेक्ट करके शेख साहब तक पहुँचना.
लाला ऑर गानी :- एज-34-28 साल, काम- होटेल्स ऑर क्लब्स संभालना.
मैं बड़े गोर से बारी-बारी सब लोगो की तस्वीरे देख रहा था ऑर उनको पहचाने की कोशिश कर रहा था लेकिन मुझे किसी का भी चेहरा याद नही आ रहा था. तभी ख़ान ने एक ऐसी तस्वीर टेबल पर फेंकी जिसको मैं उठाए बिना नही रह सका. ये तो मेरी तस्वीर थी लेकिन मैने उस तस्वीर मे मूछ रखी हुई थी इसलिए मेरा हाथ खुद ही अपने चेहरे पर चला गया जैसे मैं अपने हाथ से अपने चेहरे का जायज़ा ले रहा हूँ कि क्या ये मेरी ही तस्वीर है.
ख़ान : क्या हुआ कुछ याद आया अपने बारे मे.
मैं : (ना मे सिर हिलाते हुए) क्या ये मेरी तस्वीर है
ख़ान : जी हुजूर ये आपकी ही तस्वीर है ऑर इन तस्वीरो को अच्छे से देख लो तुमको अब ऐसा ही फिर से बनना है.
मैं : लेकिन आपने बताया नही मैं वहाँ तक पहचूँगा कैसे.
ख़ान : उसका भी एक रास्ता है
मैं : कौनसा रास्ता
ख़ान : तुम्हारा पुराना दोस्त जापानी जो फाइट क्लब संभालता है वहाँ से तुम तुम्हारी दुनिया मे एंट्री कर सकते हो. वैसे भी शेरा उस फाइट क्लब का सबसे फ़ेवरेट फाइटर हैं (मुस्कुराते हुए)
मैं : तो क्या मुझे वहाँ जाके लड़ना होगा.
ख़ान : (मुस्कुराते हुए) ऐसा ही कुछ.
मैं : मैं समझा नही आप कहना क्या चाहते हैं.
ख़ान : तुमको वहाँ जाके वहाँ के उनके लोगो को मारना होगा ऑर उनका माल लूटना होगा ताकि उन लोगो का ध्यान तुम्हारी तरफ जाए ऑर वो तुमको पहचान ले.
मैं : क्या मैं बिना कोई वजह उनसे लड़ाई करूँ.
ख़ान : वजह मैं बना दूँगा. तुमको तो बस जाके लड़ाई करनी है.
मैं : ठीक है.
उसके बाद वो तस्वीरे मुझे देकर ख़ान वापिस चला गया ऑर अब मैं अकेला बैठा उन तस्वीरो को देख रहा था ऑर अपनी पुरानी जिंदगी को याद करने की कोशिश कर रहा था लेकिन मुझे कुछ भी याद नही आ रहा था. ऐसे ही मैं अपनी सोचो मे गुम्म बैठा हुआ तस्वीर देख रहा था कि मुझे पता ही नही चला कब डॉक्टर रिज़वाना मेरे पास आके बैठ गई.
रिज़वाना : कहाँ खो गये जनाब. (मेरे मुँह के सामने चुटकी बजाते हुए)
मैं : जी कही नही बस वो मैं अपनी पुरानी जिंदगी के बारे मे याद करने की कोशिश कर रहा था लेकिन कुछ भी याद नही आ रहा.
रिज़वाना : कोई बात नही जैसे-जैसे तुम अपने बारे मे जानोगे तुमको याद आता जाएगा. वैसे तुमको सच मे तुम्हारे घरवालो के बारे मे भी कुछ नही याद.
मैं : (मुस्कुरा कर ना मे सिर हिलाते हुए) आपके घर मे कौन-कौन है.
रिज़वाना : कोई भी नही मेरे अम्मी अब्बू की कार आक्सिडेंट मे डेथ हो गई थी तब से अकेली ही हूँ (मुस्कुरा कर)
मैं : कोई भी नही है. मेरा मतलब पति या बचे.
रिज़वाना : नही....(मुस्कुरा कर) इन सब चीज़ो के लिए वक़्त तब ही मिल सकता है जब ड्यूटी से फ़ुर्सत मिले यहाँ तो सारा दिन हेड क्वॉर्टर मे लोगो का इलाज करने मे ही वक़्त निकल जाता है.
मैं : हाँ जब आपके लोग ऐसे ही किसी पर हमला करेंगे तो इलाज तो करना ही पड़ेगा उनका.
रिज़वाना : अच्छा वो....हाहहहाहा नही ऐसी बात नही है वो तो ख़ान ने तुम्हारा टेस्ट लेना था बस इसलिए.... ऑर वैसे भी तुमने कौनसी कसर छोड़ी थी.
मैं : मैने क्या किया मैं तो बस हल्का फूलका उनको दूर किया था खुद से. (मुस्कुरा कर)
रिज़वाना : रहने दो... रहने दो... उस दिन हेड क्वॉर्टर्स मे तुमने हमारे लोगो की क्या हालत की थी पता है मुझे. मैने ही इलाज किया था उनका बिचारे 5 लोगो के तो फ्रेक्चर तक आ गये थे बॉडी मे. ऐसा भी कोई किसी को मारता है.
मैं : (नज़रे नीचे करके मुस्कुरा कर)वो एक दम मुझ पर हमला हुआ तो मुझे कुछ समझ नही आया कि क्या करूँ इसलिए मैने भी हमला कर दिया.
रिज़वाना : हंजी.... ऑर जो हाथ मे आया उठा के मार दिया...हाहहहहहाहा
मैं : (बिना कुछ बोले मुस्कुरा दिया)
रिज़वाना : चलो तुम बैठो मैं कुछ खाने के लिए लाती हूँ.
मैं : आप क्यो... कोई नौकर नही है यहाँ पर.
रिज़वाना : जी नही आपके ख़ान साहब को किसी पर भरोसा भी तो नही है इसलिए सारा काम मुझे ही करना पड़ेगा (रोने जैसा मुँह बनाके)
मैं : कोई बात नही मैं हूँ ना मैं आपकी मदद कर दूँगा.
रिज़वाना : (हैरान होते हुए) तुमको खाना बनाना आता है.
मैं : जी फिलहाल तो खाना ही आता है लेकिन आप सिखाएँगी तो बनाना भी सीख जाउन्गा.
रिज़वाना : हाहहहहाहा रहने दो तुम खाते हुए ही अच्छे लगोगे बना मैं खुद लूँगी.
उसके बाद रिज़वाना रसोई की तरफ चली गई ऑर मैं उसको जाते हुए देखता था. लेकिन मेरी शैतानी नज़र का मैं क्या करूँ जो ना चाहते हुए भी ग़लत वक़्त पर ग़लत चीज़ देखती है. रिज़वाना को जाते हुए देखकर मेरी नज़र सीधा उसकी गान्ड पर पड़ी जो उसके चलने से उपर नीचे हो रही थी उसकी जीन्स की फीटिंग से गान्ड की गोलाई के उभार ऑर भी वजह तोर पर नज़र आ रहे थे. जिससे मेरे लंड मे भी हरकत होने लगी ऑर वो जागने लगा. मैने अपने दोनो हाथो से अपने लंड को थाम लिया ऑर एक थप्पड़ मारा की साले हर जगह मुँह उठाके घुसने को तेयार मत हो जाया कर वो डॉक्टर हैं हीना या फ़िज़ा नही जिसकी गहराई मे तू जब चाहे उतर जाए. लेकिन मेरा लंड था कि बैठने का नाम ही नही ले रहा था मेरी नज़रों के सामने बार-बार रिज़वाना की गान्ड की तस्वीर आ रही थी ऑर मेरा दिल चाह रहा था कि उसकी खूबसूरत उभरी हुई गान्ड के दीदार मैं एक बार फिर से करूँ. इसलिए ना चाहते हुए भी मैं खड़ा होके रसोई की तरफ चला गया ताकि चुपके से रिज़वाना की मोटी सी ऑर बाहर को निकली हुई गान्ड को जी-भरकर देख सकूँ.
अभी मैं रसोई के गेट तक ही पहुँचा था कि अचानक रिज़वाना हाथ मे खाने की ट्रे लेके बाहर आ गई ऑर मुझसे टकरा गई जिससे सारी सब्जी की ग्रेवी मुझ पर ऑर रिज़वाना पर गिर गई ऑर कुछ बर्तन भी ज़मीन पर गिरने से टूट गये. सब्जी की ग्रेवी उसके ऑर मेरी दोनो की कमीज़ पर गिर गई थी. वो मेरे सामने प्लेट लेके अब भी खड़ी थी. हम दोनो ही इस अचानक टकराव के लिए तेयार नही थे इसलिए जल्दबाज़ी मे मैने उसके सीने से ग्रेवी सॉफ करने के लिए अपने दोनो हाथ उसकी छाती पर रख दिए ऑर वहाँ से हाथ फेर कर सॉफ करने लगा. मेरे एक दम वहाँ हाथ लगाने से रिज़वाना को जैसे झटका सा लगा ऑर पिछे हो गई साथ ही उसने अपने दोनो हाथ से ट्रे भी छोड़ दी जो सीधा मेरे पैर पर आके गिरी. ये सब इतना अचानक हुआ कि हम दोनो ही कुछ समझ नही पाए.
रिज़वाना : आपको लगी तो नही.(फिकर्मन्दि से)
मैं : जी नही मैं ठीक हूँ माफ़ कीजिए वो मैने आप पर सब्जी गिरा दी.
रिज़वाना : कोई बात नही.... (अपने हाथ से अपने टॉप से ग्रेवी झाड़ते हुए) लेकिन आप यहाँ क्या करने आए थे.
मैं : जी वो मैने सोचा आपकी मदद कर दूं इसलिए आ रहा था (नज़रे झुका कर)
रिज़वाना : (मुस्कुराते हुए) कोई बात नही... इसलिए मैने आपको कहा था आप खाते हुए ही अच्छे लगेंगे. खाना तो सारा गिर गया अब क्या करे.
मैं : आप कोई फल खा लीजिए मैं तो पानी पीकर भी सो जाउन्गा. (मुस्कुराते हुए)
रिज़वाना : पानी पी कर क्यो सो जाओगे. अब इतनी गई गुज़री भी नही हूँ कि खाना दुबारा नही बना सकती.
मैं : रहने दो रिज़वाना जी दुबारा मेहनत करनी पड़ेगी आपको.
रिज़वाना: खाना तो खाना ही है ना नीर क्या कर सकते हैं. (कुछ सोचते हुए) म्म्म्माम चलो ऐसा करते हैं बाहर चलते हैं
खाने के लिए फिर तो ठीक है. (मुस्कुरा कर)
मैं : जैसी आपकी मर्ज़ी (मुस्कुराकर)
रिज़वाना : चलो फिर तुम भी कपड़े बदल लो मैं भी चेंज करके आती हूँ.
मैं : अच्छा जी.
उसके बाद हम दोनो कपड़े पहनकर तेयार हो गये ऑर मैं बाहर हॉल मे बैठकर रिज़वाना का इंतज़ार करने लगा. कुछ देर बाद रिज़वाना भी तेयार होके आ गई. उसने सफेद कलर का सूट पहन रखा था जिसमे वो किसी परी से कम नही लग रही थी जैसे ही वो मेरे सामने आके खड़ी हुई तो उसके बदन सी निकलने वाले खुश्बू ने मुझे मदहोश सा कर दिया.
रिज़वाना : मैं कैसी लग रही हूँ. (मुस्कुरा कर)
मैं : एक दम परी जैसी (मुस्कुरा कर)
रिज़वाना : हाहहहाहा शुक्रिया. अर्रे तुमने फिर से वही गाववाले कपड़े पहन लिए.
मैं : जी मेरे पास यही कपड़े हैं
रिज़वाना : (अपने माथे पर हाथ रखते हुए) ओह्ह मैं तो भूल ही गई थी कि तुमको नये कपड़े भी लेके देने हैं.
मैं : नये कपड़ो की क्या ज़रूरत है मैं ऐसे ही ठीक हूँ.
रिज़वाना : नीर अब तुम शेरा हो ऑर शेरा ऐसे कपड़े नही पहनता ख़ान ने मुझे बोला भी था तुम्हारे कपड़ो के लिए लेकिन मैं भूल ही गई. चलो पहले तुम्हारे लिए कपड़े ही लेते हैं उसके बाद हम खाना खाने जाएँगे ठीक है.
मैं : ठीक है.
फिर हम दोनो रिज़वाना की कार मे बैठ कर बाज़ार चले गये पूरे रास्ते मैं बस रिज़वाना को ही देख रहा. उसके बदन की खुश्बू ने पूरी कार को महका दिया था. उस खुश्बू ने मुझे काफ़ी गरम कर दिया था इसलिए मैं पूरे रास्ते अपने लंड को अपनी टाँगो मे दबाए बैठा रहा ताकि रिज़वाना की नज़र मेरे खड़े लंड पर ना पड़ जाए. अब मुझे रिज़वाना के साथ बैठे हुए हीना के साथ बिताए लम्हे याद आ रहे थे जब मैं उसको कार चलानी सीखाता था. थोड़ी देर बाद हम बाज़ार आ गये ऑर वहाँ रिज़वाना ने पार्किंग मे गाड़ी खड़ी की ऑर फिर वो मुझे एक बड़ी सी दुकान (शोरुम) मे ले गई जहाँ उसने मेरे लिए बहुत सारे कपड़े खरीदे. रिज़वाना के ज़िद करने पर मैने बारी-बारी सब कपड़े पहन कर देखे ऑर रिज़वाना को भी अपना ये नया बदला हुआ रूप दिखाया जिसको देखकर शायद रिज़वाना की भी आँखें खुली की खुली ही रह गई. मैं भी अपने इस नये रूप से बहुत हैरान था क्योंकि अब तक मैने गाँव के सीधे-शाधे कपड़े ही पहने थे. लेकिन खुद को आज ऐसे बदला हुआ देखकर मुझे एक अजीब सी खुशी का अहसास हो रहा था ऑर मैं बार-बार खुद को शीशे मे देख रहा था ऑर खुद ही मुस्कुरा भी रहा था.
मैं : कैसा लगा रहा हूँ रिज़वाना जी.
रिज़वाना : (मुस्कुरा कर मेरी जॅकेट का कलर ठीक करते हुए) ये हुई ना बात अब लग रहा है कि शेरा अपने रंग मे आया है.
मैं : ये भी आपका ही कमाल है (मुस्कुरा कर)
रिज़वाना : चलो अब खाना खाने चलते हैं.
मैं : हंजी चलिए. वैसे भी बहुत भूख लगी है
रिज़वाना : भूख लगी है.....पहले क्यो नही बताया चलो चलें.
उसके बाद मैं ऑर रिज़वाना शॉपिंग बॅग्स उठाए अपनी कार की तरफ जा रहे थे कि अचानक 4 लोगो ने हम को घेर लिया ऑर रिज़वाना को अपनी तरफ खींचकर उसके गले पर एक नोकदार चाकू लगा दिया मैं इस अचानक हमले को समझ नही पाया कि ये लोग कौन है ओर हम से क्या चाहते हैं.
मैं : कौन हो तुम लोग (गुस्से से)
एक आदमी : सीधी तरीके से सारा माल निकाल ऑर हम को दे नही तो ये लड़की जान से जाएगी.
मैं : ठीक है ये लो सब तुम रख लो (अपने शॉपिंग बॅग उनकी तरफ फेंकते हुए) लेकिन इनको छोड़ दो.
वो आदमी : साले हम को चूतिया समझा ये कचरा नही पैसा निकाल.
मैं : मेरे पास पैसे नही है इनको जाने दो.
मेरा इतना कहना था कि उसने अपने चाकू का दबाव रिज़वाना के गले पर बढ़ा दिया जिससे दर्द से रिज़वाना की आँखें बंद हो गई ऑर उसने कराहते हुए मुझे कहा....
रिज़वाना : आअहह.... (दर्द से कराहते हुए) नीर मारो इनको ये लोग चोर है.
रिज़वाना का इतना कहना था कि मैं उन लोगो पर टूट पड़ा जो मेरे सामने खड़ा था मैं उसको गर्दन से पकड़ लिया ऑर अपना सिर उसकी नाक पर ज़ोर से मारा ऑर वो वही गिर गया. इतने मे साथ खड़े आदमी ने चाकू से मुझ पर हमला किया जिससे मैने उसकी कलाई पकड़कर नाकाम कर दिया ऑर उसको अपनी तरफ खींचकर अपनी कोहनी उसके सिर मे मारी ऑर साथ ही उसका मुँह नीचे करके अपना घुटना उसके मुँह पर मारा वो भी वही गिर गया तभी जिसने रिज़वाना को पकड़ा था उसने रिज़वाना को मुझ पर धकेल दिया ऑर अपने बचे हुए 1 साथी के साथ वहाँ से पार्किंग की तरफ भाग गया. मैने जल्दी से रिज़वाना को थाम लिया ऑर उससे गिरने से बचा लिया.
मैं : आप ठीक हो.
रिज़वाना : (अपने गले पर हाथ रखकर हाँ मे सिर हिलाते हुए)
मैं : क्या हुआ आपको लगी है क्या. (उसका हाथ उसके गले से हटा ते हुए)
मैं : ये तो खून निकल रहा है. मैं उसको छोड़ूँगा नही सालाआ.....
रिज़वाना के कुछ कहने से पहले ही मैं उन लोगो के पिछे भाग गया वो लोग कार पार्किंग मे घुस गये थे. अब मैं उनको जल्दी से जल्दी पकड़ना चाहता था इसलिए मैं कारो के उपर से छलाँग लगाता हुआ उनके पिछे भागने लगा. वो दोनो पार्किंग की अलग-अलग डाइरेक्षन मे भाग रहे थे लेकिन मुझे दूसरे आदमी से कोई मतलब नही था मुझे उस आदमी पर सबसे ज़्यादा गुस्सा था जिसने रिज़वाना के गले पर चाकू रखा था इसलिए मैं उसकी तरफ उसके पिछे भागने लगा जल्दी ही पार्किंग ख़तम हो गई ऑर वो एक दीवार के सामने आके रुक गया मैने जल्दी से एक कार की छत से कूद कर उसके उपर छलाँग लगा दी जिससे मेरे दोनो घुटने उसके पेट मे लगे ऑर वो वही गिर गया मैने फिर उसको खड़ा किया ऑर उसका सर ज़ोर से दीवार मे मारा जिससे दीवार पर गोल-गोल खून का निशान सा बन गया मैने फिर से उसको खड़ा किया ऑर फिर उसको दीवार की तरफ धकेल दिया उसके फिर से सिर टकराया. ऐसे ही मैने कई दफ्फा उसका सिर दीवार मे मारा लेकिन अब वो बेहोश हो चुका था. इतने मे रिज़वाना मेरे पिछे भागती हुई आई ऑर मुझे पकड़ लिया.
|
|
|