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RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
उसके बाद उसका चाचा उसे झूठा सा दिलासा देकर चला गया…..वो चन्डीमल से उसकी दुकान पर जाकर मिला….बहुत समझाया बहुत मिन्नते की पर चन्डीमल की सेहत पर कोई असर नही पड़ा…उधर जैल में रवि के कारनामो से अंजान सोनू की दोस्ती उससे गहरी होती जा रही थी….रवि हट्टा कट्टा लड़का था… यहाँ तक के जैल का जेलर भी उससे डरता था….उसकी हाइट 6, 4 इंच थी…..चौड़ा सीना…..जब कभी ललकारता तो ऐसे लगता जैसे कोई शेर दहाड़ रहा हो….
रवि की सज़ा ख़तम होने के कगार पर थी……और जब से उसे पता चला था कि, सोनू उस शहर के सबसे अमीर आदमी यानी कि चन्डीमल के घर पर नौकर था….तब से वो बातों बातों में उसे चन्डीमल के बारे में जानने की कॉसिश करता था…..कि चन्डीमल कब घर जाता है….कब दुकान पर आता है….उसके साथ कॉन कोन होता है…घर पर कोन होता है….धीरे-2 ये सारी बातें उसने जैल में बैठे-2 ही सोनू से धोखे से पता कर ली थी…..फिर उसकी रिहाई का दिन भी आ गया….रवि जानता था कि, चन्डीमल अंग्रेज़ो की खुशामद करके इतना अमीर बना है…..भले ही वो बागी नही था….पर अंग्रेज़ो से उसको बहुत नफ़रत थी….
और उन आदमियों से ख़ासतोर पर जो अंग्रेज़ो का साथ देते थे….रवि ये भी जानता था कि, कैसे चन्डीमल ने सोनू को झूठे इल्ज़ाम में फँसाया है……जैसे ही वो जैल से बाहर आया…उसने चन्डीमल के ऊपेर नज़र रखनी शुरू कर दी……दूसरी तरफ चन्डीमल ने इस दौरान अपनी दुकान के पास वाली खाली दुकान को बहुत ही महँगे दामो पर बेचा था….रवि का प्लान सॉफ था….लूट करो और फरार हो जाओ…..क्योंकि इस बार वो बड़ा हाथ मारना चाहता था और इस सहर से बहुत दूर जाकर नई जिंदगी शुरू करना चाहता था. इसलिए उसने सोच रखा था…कि अपने आगे आने वाली हर रुकावट को वो जड से उखाड़ देगा…..
रवि अपना प्लान बना चुका था….उसको ये भी मालूम था कि, चन्डीमल के साथ हमेशा दो पहलवान रात को उसको उसके घर छोड़ने जाते थे….रात को रास्ता बहुत सुनसान हो जाता था….जिस दिन चन्डीमल को बेची हुई दुकान के पैसे मिले उसी दिन चन्डीमल ने दुकान की कमाई में से भी बहुत से पैसे निकाल लिए थे….और वो घर की तरफ चल पढ़ा…..जैसे दोनो तांगे सुनसान रास्ते पर आए…..उन तान्गो में से एक घोड़ा बिदक गया….जिस पर पहलवान बैठे हुए थे….वो रास्ते में ही खड़ा हो गया…..
टाँगे वाले ने उस पर बहुत चाबुक बरसाई पर घोड़ा टस से मस नही हुआ….चन्डीमल का तांगा भी रुक गया था…..चन्डीमल ने तांगे पर बैठे बैठे आवाज़ दी….”अर्रे ओह भीमा क्या हुआ रे….” भीमा तांगे से उतर कर चन्डीमल के पास आया….और बोला…”पता नही सेठ जी घोड़े को क्या हो गया है…चल ही नही रहा…..”
चन्डीमल: जाओ जल्दी देखो उसे क्या हुआ है….ये मुसबीत भी आज ही आनी थी……
भीमा फिर से पीछे वाला तांगा एक तरफ चल पड़ा….दोनो तान्गो में 20-22 फुट का फाँसला था…दूसरा पहलवान कालू भी नीचे उतर आया था..और तांगे वाला भी….अभी भीमा उस तरफ जा ही रहा था कि, उस तांगे के पीछे अंधेरे में घोड़े की टापो की आवाज़ आनी शुरू हो गई….कोई घोड़े पर सवार तेज रफ़्तार से उनकी तरफ बढ़ता चला आ रहा था….अंधेरा बहुत था….इसलिए कुछ भी ठीक से दिखाई नही दे रहा था…..तभी कुछ दूरी पर अंधेरे में से एक साया प्रकट हुआ….कोई घोड़े पर सवार बहुत तेज़ी से उनकी तरफ बढ़ रहा था….
भीमा और कालू दोनो ही उस इलाक़े के नामी पहलवानो में से एक थे…..इसलिए कभी किसी का खोफ़ नही खाते थे…..और इस बात से अंज़ान कि उनकी तरफ उनकी मौत दौड़ती हुई आ रही है,….दोनो बिना हीले वही खड़े उसे देखने लगे….जैसे ही वो घोड़ा उनसे 10 फुट की दूरी पर पहुचा…तो उस घुड़सवार ने अपने पीछे से एक मोटा सा लट्ठ निकाल लिया और लहराते हुए उन दोनो की तरफ बढ़ा. इससे पहले कि दोनो सम्भल पाते, उस घुड़सवार ने अपना मोटा लट्ठ गुजरते हुए भीमा की कॅनपॅटी पर दे मारा…..भीमा उसी पल ढेर हो गया…..वो घुड़सवार फिर आगे से पलटा…और इस बार उसके निशाने पर कालू था….पर तब तक कालू सम्भल चुका था….
उसने तांगे से अपनी लाठी निकाल ली…..अब दो पहलवान आपस मे भिड़ने के लिए तैयार थे….अपनी जान बचाने के लिए…वो घुड़सवार फिर से उसकी तरफ आया….और जैसे ही वो कालू के पास पहुचा उसने चलते हुए घोड़े से कालू के ऊपेर छलाँग लगा दी…..कालू को इस बात का अंदाज़ा नही था कि, वो शख्स घोड़े से उसपर छलाँग लगा देगा…..कालू एक दम से हड़बड़ा गया….और अगले ही पल दोनो नीचे ज़मीन पर घुथम घुथा हो चुके थे….उधर चन्डीमल की गान्ड से ये सब देखते हुए फॅट कर हाथ में आ चुकी थी…..” अर्रे तुम चलो…” उसने तांगे वाले को लात मारते हुए कहा….” तांगे वाले की तो चन्डीमल से ज़्यादा फॅट रही थी……
इसलिए उसने अपने तांगे को पूरी रफ़्तार से दौड़ा दिया…..उधर रवि कालू के ऊपेर सवार उस पर घूँसो और लातों की बरसात कर रहा था….और रवि जैसे ख़ूँख़ार और तगड़ाए इंसान के सामने कालू जैसे पहलवान की भी एक ना चल रही थी……मुक्के बरसाते हुए, रवि के हाथ में तीन चार किलो का एक पत्थर आ गया…और उसने उसकी कॅनपॅटी पर दे मारा….कालू भी वही ढेर हो गया…. कालू और भीमा दोनो बेहोश हुए थी…..मरे नही थे....
रवि अपने घोड़े की तरफ भागा और और घोड़े पर सवार होकर चन्डीमल का पीछे करने लगा…..और एक मील आगे जाते ही उसने चन्डीमल को रास्ते में घेर लिया….और अगले ही पल चन्डीमल उसके घुटने के नीचे था….चन्डीमल ने उससे मुकाबला करने के कॉसिश की….पर रवि के सामने वो कहाँ टिक पाता. रवि ने उसको मार मार कर अध मरा कर दिया….और उसके सारे पैसे लेकर फरार हो गया….
चन्डीमल बेसूध कच्ची सड़क पर पड़ा हुआ था….पर होनी को शायद कुछ और ही मंज़ूर था…. दूसरी तरफ से अंग्रोजो के केंट में रसद देने जा रहे ट्रक आ रहे थे…..रास्ते में उनकी हेड लाइट खराब हो गई थी….और इसलिए अंधेरे में उन्हे कुछ दिखाई नही दे रहा था…वो धीरे-2 ट्रक चलता हुआ हॉर्न बजाते हुए आगे बढ़ रहा था….पर बेहोश हो चुके लोगो को हॉर्न के आवाज़ कहाँ सुनाई देती है….चन्डीमल के दोनो पैरो के ऊपेर से ट्रक गुजर गया…..चन्डीमल बेहोशी की हालत में ही तड़प उठा….उधर आगे कालू और भीमा दोनो उस ट्रक के नीचे आकर शिकार हो गए….ड्राइवर दारू भी पिए हुआ था…
सुबह अपने काम पर जा रहे आदमी ने चन्डीमल को अधमरी हालत में देखा तो उसने शोर मचाया.. सड़क पर आ जाते लोगो को इकट्ठा किया….चन्डीमल को उस एरिया के सभी लोग जानते थे……इसलिए वो उसे जल्द ही केंट के हॉस्पिटल में लाया गया…कालू और भीमा रात को ही दम तोड़ चुके थे…..उधर रजनी दीपा और बेला को भी ये बात पता चल गई तो वो भी हॉस्पिटल में पहुचि….ये खबर जब सीमा को पता चली तो वो भी अपनी ससुराल से अपने माँ बाप के साथ वापिस आ गई…..अगले दो महीने तक चन्डीमल हॉस्पिटल में रहा….चन्डीमल के पैर ट्रक के नीचे आने से बुरी तरह पिस गए थे. इसलिए उन्हे काटना पड़ा…..रवि की मार ने उसके बाजू की हड्डी तोड़ दी थी…..चन्डीमल की अब उमर हो गई थी…इसलिए उस हड्डी के जुड़ने का भी कोई चान्स नही था…
2 महीनो बाद चन्डीमल हॉस्पिटल से डिसचार्ज होकर घर आया….पीछे से उसके कुछ वफ़ादार नौकरो ने दुकान की ज़िम्मेदारी अच्छे से निभाई थी…..सीमा जो अभी एक दम जवान थी…अब उसे चन्डीमल के साथ अपना जीवन बिताना बेमानी लग रहा था….इसलिए उसके भाई ने चन्डीमल से उसके डाइवोर्स की बात कर ली…..चन्डीमल ने मन पर बोझ रख कर सीमा को डाइवोर्स दे दिया…..
अब चन्डीमल की दुनियाँ उसके कमरे तक सिमट कर रह गई थी…..वो ना कही आता और ना कही जाता. बस अपने कमरे में पड़ा रहता…..रजनी शाम तक दुकान पर बैठने लगी थी…..चन्डीमल ने अपनी सारी जायदाद सीमा और दीपा के नाम कर दी थी…..
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RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
एक दिन रजनी जब दीपा को सुबह उसके रूम में उठाने गई तो उसने देखा दीपा ज़मीन पर बेहोश पड़ी हुई थी….उसके मूह से झाग निकल रहा था….उसका रंग नीला पड़ चुका था….और पास में ही चूहो को मारने वाली दवा पड़ी हुई थी……ये देख रजनी एक दम से घबरा गई….और उसने एक दम से बेला-2 चिल्लाना शुरू कर दिया….बेला जब रूम में आई तो सामने नज़ारा देख उसके भी हाथ पैर सुन्न पड़ गए….रजनी बाहर की तरफ भागी तो शोर सुन कर आस पास के लोग भी भागे चले आए….
तांगे से जल्द ही दीपा को हॉस्पिटल पहुचाया गया….जब चन्डीमल को ये बात पता चला कि, दीपा ने जहर खा लिया है…तो वो एक दम से टूट सा गया…..और बिलख-2 कर रोने लगा…..पड़ोस के कुछ लोग उसे दिलासा देने के लिए उसके पास बैठे थी……चन्डीमल मन ही मन सोच रहा था कि, मैं कैसा बदनसीब बाप हूँ….उधर मेरी बेटी के जान ख़तरे में है और मैं उसको देखने के लिए भी नही जा सकता…रह रह कर उसके दिमाग़ में बुरे-2 ख़याल आ रहे थे…..
शाम ढल चुकी थी….और चन्डीमल की बेबसी उसे अंदर ही अंदर ही खाए जा रही थी….तभी बाहर से दौड़ता हुआ एक आदमी अंदर आया….उसकी साँसे फूली हुई थी…..उसने हान्फते हुए कहा. “सेठ जी मैं अभी हॉस्पिटल से आ रहा हूँ…..सेठानी ने कहलवाया है कि, सेठ को बोलना कि दीपा अब ख़तरे से बाहर है…..फिकर करने की कोई ज़रूरत नही……”
ये खबर सुन कर चन्डीमल को राहत की साँस आई……”माँ माँ मुझे अपनी बेटी के पास जाना है…..भाइयो मुझे अपनी बेटी के पास ले चलो….” चन्डीमल ने सबके सामने हाथ जोड़ते हुए कहा….तो लोगो ने उसे बिस्तर से उठा कर बाहर लेजा कर तांगे पर बैठाया और उसके साथ हॉस्पिटल पहुचे…..रात का वक़्त हो चला था….दीपा को होश आ चुका था….चन्डीमल को दीपा से मिलने के इजाज़त भी मिल गई थी….
दो आदमी उसे उठा कर वॉर्ड में ले गए…..और उसे दीपा के पास एक चेर पर बैठाया….चन्डीमल ने सीमा को छोड़ कर सब को बाहर जाने के लिए कहा……सबके बाहर जाने के बाद, चन्डीमल ने रुन्वासि से आवाज़ में कहा….. “बेटी तुमने ये सब क्यों किया…..तुम्हे नही पता तुम्हारे पापा तुम्हे कितना प्यार करते है….अर्रे पगली मैं तो पहले से ही मरा हुआ हूँ…..और तूने ये काम करके मुझे और मार देना था…..मैं तेरे बिना नही रह सकता….अगर तुझे कुछ हो जाता तो मैं भी इस दुनिया में नही रह पाता…..”
दीपा: (दूसरी तरफ फेस करके….) और मैं उसके बिना नही रह सकती….
जैसे ही उसने ये बात सुनी, चन्डीमल एक दम से ठंडा पड़ गया….वॉर्ड में सन्नाटा सा छा गया…. छन्डीमल नज़रे झुकाए बैठा था….15 मिनिट बाद डॉक्टर अंदर आया और उसने कहा कि, अब दीपा को आराम करने देना चाहिए…..”फिर से लोगो ने चन्डीमल को उठाया और बाहर लाकर एक बेंच पर बैठा दिया….उसकी दुकान पर काम करने वाला एक आदमी भी वहाँ ही खड़ा था…..चन्डीमल ने उसको अपने पास बुलाया और कहा कि थॉमस को बुला लाए……
वो आदमी वहाँ से चला गया और थोड़ी देर बाद कर्नल थॉमस भी वहाँ आ गया…..चन्डीमल ने थॉमस से सोनू और उसके घर वालो को छोड़ने के लिए कहा…..थॉमस ने कहा कि, वो कल सुबह ही उनको रिहाः करवा देगा……थॉमस के जाने के बाद, चन्डीमल ने रजनी से बात की और बताया कि कल सोनू को जैल से रिहाः कर देंगे….तुम उसे कल जाकर जैल से ले आना….रजनी ये बात सुन कर बेहद खुस थी…. अगले दिन सुबह रजनी तांगे पर जैल पहुचि और थोड़ी देर बाद सोनू को रिहाः कर दिया गया….रजनी ने उसे अपने साथ चलने को कहा तो सोनू ने सॉफ मना कर दिया……
रजनी: क्या बात है तुम साथ क्यों नही जाना चाहते…..
सोनू: अब मेरा वहाँ कोई काम नही है….उस इंसान ने मेरे माँ बाबा को बहुत दुख दिया है…. अब मैं वहाँ जाकर उसकी शकल भी नही देखना चाहता…..
रजनी: देखो सोनू मुझे पता है कि, तुम सेठ से बहुत नाराज़ हो…..पर दीपा के बारे में तो सोचो. उसने तुम्हारे लिए जहर खा कर आत्महत्या करने की कॉसिश की है….
सोनू: मैं वो सब नही जानता…..अगर वो मुझसे इतना ही प्यार करती थी…..तो फिर उसने उस समये अपने बाप से क्यों नही कहा जब उसका बाप मुझे जनवरो की तरह पीट रहा था…..अब मैं अपने घर जाकर पहले अपने माँ बाबा से मिलना चाहता हूँ…..
ये कह कर सोनू वहाँ से निकल स्टेशन पर पहुच गया और ट्रेन पकड़ अपने सहर जा पहुँचा वहाँ पर उसके माँ बाप को पहले से जैल से बाहर निकलवा दिया गया था…..जब सोनू अपने घर पहुचा तो उसके पिता ने उसे अपने घर के अंदर नही आने दिया……कहा कि, उसने उनके नाम पर कलंक लगा दिया है. अब उसके घर में उसके लिए कोई जगह नही है….सोनू एक दम हताश हो चुका था….उसे समझ में नही आ रहा था कि, अब वो क्या करे कहाँ जाए….
जब उसे किसी तरफ कोई भी रास्ता ना मिला तो उसे बेला की याद आई……ये सोच कर कि, बेला उसे अपने घर में रहने देगे……वो फिर से ट्रेन पकड़ कर गाओं पहुचा उस समय रात का वक़्त हो चला था…रात के करीब 9 बज रहे थे……बेला सेठ के घर से काम निपटा कर आ चुकी थी….रात के 9 बजे अचानक से दूर पर नॉक हुई तो बेला डोर की तरफ बढ़ी….और बाहर पहुच कर आवाज़ दी “ कॉन है…”
सोनू: मैं हूँ सोनू……(सोनू धीरे से बोला…..)
सोनू की आवाज़ सुनते ही बेला का चेहरा एक दम से खिल उठा…उसने डोर खोला और सोनू को अंदर आने को कहा…..सोनू अंदर आ गया…..बेला ने डोर बंद किया…..और उसे पीछे कमरे में ले आई…..” कहाँ था तू…….इतनी रात को कहाँ से आ रहा है…..” बेला ने उसे चारपाई पर बैठने को कहा….
“घर गया था….”
बेला: फिर
सोनू: कुछ नही उन्होने मुझे अपने घर के अंदर नही जाने दिया…..
ये कहते हुए सोनू की आँखे भर आई…..बेला ने उसके सर को अपनी बाहों के घेरे में लेते हुए उसके सर को अपने सीने में दबा लिया……”कोई बात नही…..अभी तुमसे वो नाराज़ होंगे…..इसलिए शायद उन्होने गुस्से में कह दिया होगा….जैसे जैसे समय गुजरेगा वैसे-2 सब ठीक हो जायगा…..आज सुबह मालकिन ने बताया था कि, तुम उनके घर वापिस नही आना चाहते तो मेने ये उम्मीद ही छोड़ दी थी कि, मैं तुम्हे कभी दोबारा देख भी पाउन्गि……..चल जा हाथ मूह धो ले…..मैं तेरे लिए खाना बना देती हूँ…..”
सोनू: नही मैने खाना रास्ते में ही खा लिया था…..
बेला: अच्छा तू रुक मैं नीचे बिस्तर लगा लेती हूँ…..फिर नीचे आराम से लेट करके बात करेंगे…..
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RE: Porn Kahani हलवाई की दो बीवियाँ और नौकर
उसके बाद बेला ने नीचे दो बिस्तर बिछाए….और दोनो नीचे लेट गए……”देख सोनू अब तो सेठ भी मान गया है…..और मुझे लगता है कि, वो जल्द ही तेरी शादी दीपा से करवा भी देगा…तू भी अब मान जा….” सोनू ने बेला की तरफ करवट बदली……”नही काकी…..जिस इंसान की वजह से मेरे माँ बापू को इतनी ज़िल्लत उठानी पड़ी…..मैं उस इंसान को कभी माफ़ नही करूँगा….और मैं उस घर में कभी नही जाउन्गा…..”
ऐसे ही बातें करते हुए, दोनो कब सो गए…..पता ही नही चला….अगली सुबह बेला तैयार होकर जब सेठ के घर पहुचि तो उसने रजनी को बताया कि, सोनू रात से उसके घर पर है तो रजनी वहाँ एक पल भी ना ठहरी और बेला के साथ उसके घर आ गई…….सोनू को देखते ही उसने बाहों में भर लिया. और फिर उसके साथ चारपाई पर बैठते हुए बोली…..”देख सोनू अब गुस्सा थूक दे….और घर चल….दीपा भी हॉस्पिटल से घर आ गई है…..पर वो ना कुछ खाती और ना ही कुछ पीती है…. देख तेरे बिना वो कैसे जिंदा लाश बन कर रह गई है…..”
सोनू: नही मैं नही जाउन्गा अब उस घर में….उस इंसान ने मेरे और मेरे घर वालो की बहुत बेज़्जती की है…..
रजनी: हां मैं जानती हूँ सोनू पर उस इंसान को उसके करमो के सज़ा मिल चुकी है…..अब वो अपाहिज होकर चारपाई पर बैठा है…..
सोनू: (एक दम से चोन्कते हुए) क्या…..?
रजनी ने सारी बात सोनू को बताई रजनी और बेला के बहुत समझाने और मनाने पर सोनू मान गया...और बेला और रजनी के साथ चन्डीमल के घर आ गया....जब वो दीपा के रूम में पहुचा तो दीपा सोनू को देख कर एक दम से रोते हुए बेड से उठी और सोनू के गले आ लगी.....कुछ पल वो सोनू की बाहों में रोती रही...सोनू ने उसे दिलासा दिया कि, वो अब कही नही जायगा......पर सोनू अपने मा बाप के साथ हुई बेज़्जती नही भूला था....वो चन्डीमल को ऐसा सबक सीखाना चाहता था कि, उसके दिल का बोझ हल्का हो सके....
दीपा को खाना खिलाने के बाद सोनू बाहर आ गया....और पीछे के रूम की तरफ जाने लगा....."कहाँ जा रहे हो...." रजनी ने उसे पीछे से आवाज़ देकर रोक लिया...."वो पीछे जा रहा हूँ....."
रजनी: आज से तुम वहाँ पीछे नही रहोगे,,,,,आज से वो जगह तुम्हारी नही है....आज से तुम इस घर के अंदर रहोगे....मेरे साथ वाले कमरे में... मेने सारा प्रबंध कर रखा है.....
रजनी ने सोनू की तरफ मुस्कराते हुए देख कर कहा....और उसका हाथ पकड़ कर उसे कमरे में ली गई...."देखो आज से ये तुम्हारा कमरा है...ठीक है ना....किसी और चीज़ की ज़रूरत तो नही...." सोनू ने रूम में चारो तरफ नज़र दौड़ाई......ये कमरा घर में सबसे बड़ा कमरा था....जो पहले सीमा का था....उसमे एक नया बेड और बाकी सारा समान था....
रजनी: सोनू अब तुम खुश हो ना....देखो सेठ ने तुम्हारी और दीपा की शादी के लिए हां भी कह दी है.....शादी के बाद तुम इस घर के नौकर नही दामाद हो जाओगे....ये सारी दौलत और जायदाद तुम्हारे होगी. भूल जाओ जो हुआ.....
सोनू: नही मैं नही भूल सकता....मेरे साथ जो हुआ वो तो चाहे मैं भूल ही जाउ....पर जो ज़िल्लत मेरे माँ बाबा ने उठाई है...वो मैं कभी नही भूल सकता....
रजनी: सोनू कोई तो रास्ता होगा ही ना....तुम मुझे बताओ तुम क्या चाहते हो...किस तरह तुम्हारे दिल को ठंडक पहुचे गी.....
सोनू: उसने मुझे इस लिए पीटा था कि, उसने मुझे दीपा के साथ वो सब करते हुए देख लिया था.....अब मैं उसके सामने ही सब कुछ करना चाहता हूँ.....
रजनी: तुम पागल तो नही हो गए....देख सोनू दीपा सेठ की बेटी है....और दीपा ये सब कभी नही करेगी.....वो तुमसे प्यार करती है...और अगर तुम ही ये हरक़त करोगे तो उसके दिल पर क्या बीतेगी...कोई लड़की अपने बाप के सामने....नही सोनू तुम ठीक नही बोल रहे.....
सोनू: तो ठीक है दीपा नही तो ना सही.....तुम चुदवाओगि उसके सामने.....?
रजनी: सोनू तू तो जानता है कि, मैं पेट से हूँ....पर फिर भी मैं तुम्हारी ये ख्वाहिश पूरी ज़रूर करूँगी....पर उसके लिए मुझे कुछ वक़्त चाहिए.....
सोनू: कितना.....वरना मैं ज़्यादा दिन यहाँ नही रुक पाउन्गा....
रजनी: सिर्फ़ दो दिन दो दिन चाहिए मुझे....पर मुझसे वादा करो कि उसके बाद तुम दीपा से शादी करो गे और हमेशा हमारे पास रहोगे....
सोनू: ठीक है मैं वादा करता हूँ.....
रजनी: ठीक है तुम आराम करो...मैं तुम्हारे लिए नाश्ता भिजवाती हूँ.....
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ये कह कर रजनी बाहर चली गई....अब उसके सामने बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो चुकी थी....और अंदर ही अंदर कही ना कही...अपने ऊपेर हुई ज़्यादतियो को लेकर उसके दिल मे भी चन्डीमल के लिए नफ़रत भरी हुई थी. वो खुद भी चन्डीमल को नीचा दिखाना चाहती थी.....
घर का काम निपटा कर रजनी दीपा को लेकर सहर चली गई….क्योंकि दीपा का हॉस्पिटल में चेकप होना था….और उसके बाद उसे दुकान पर भी कुछ देर के लिए जाना था…..इधर रजनी के जाने के बाद बेला घर की सफाई के काम में लगी हुई थी. बेला जब झाड़ू लगाने सेठ चन्डीमल के रूम में पहुचि तो, उस समय उसने अपनी साड़ी का पल्लू अपनी कमर मे फँसा रखा था….जब बेला ने नीचे झुक कर झाड़ू लगाना शुरू किया तो बेला की मोटी गान्ड पीछे बैठे चन्डीमल के आँखो के सामने आ गई…..
चन्डीमल का लंड उसकी धोती मे कुलाँचे भरने लगा….चन्डीमल को अपाहिज होकर इस बिस्तर पर पड़े दो महीने हो चुके थी….और तब से चन्डीमल के जिंदगी मे बस यही सुख रह गया था कि, जब बेला आकर उसके रूम मे झाड़ू पोछा करती है, तब बेला के मोटे-2 चुतड़ों और उसकी गुदाज़ चुचियों के दर्शन चन्डीमल को हो जाते थे…और चन्डीमल अपने ऊपेर ओढी चद्दर के अंदर हाथ डाल कर अपने लंड को सहलाने लगता…..फिर बेला के जाने के बाद वो मूठ मार कर अपने मन की भडास निकाल लेता….
आज जब बेला झाड़ू लगाते हुए, चन्डीमल के बेड के पास पहुचि, तो चन्डीमल अपने आप पर काबू ना रख सका…और हाथ बढ़ा कर बेला की गान्ड को पकड़ कर मसल दिया….”अहह” बेला एक दम से चोन्कते हुए सीधी हो गई….और चन्डीमल की तरफ खा जाने वाली नज़रों से देखते हुए बोली….. “ये क्या कर रहे हो सेठ जी…”
छन्डीमल: वो मैं बेला इधर आ ना….देख ना तू जब भी मेरे कमरे मे आती है….मेरा बुरा हाल हो जाता है…..देख इस ग़रीब पर कुछ तरस खा….
बेला: (गुस्से से) देखो सेठ जी नौकर हूँ आपकी गुलाम नही….आगे से मेरे साथ ऐसी वैसी हरक़त की तो मालकिन को बता दूँगी…..
छन्डीमल: अर्रे मेरी जान नाराज़ क्यों होती है…इधर तो आ…एक बार सिर्फ़ एक बार मुझे अपनी जवानी का रस चखा दे….तो जो बोलगी जितना पैसा माँगेगी वो मैं तुम्हे दूँगा.. सिर्फ़ एक बार…..
बेला: मुझे क्या रंडी समझ रखा है आने दो मालकिन आगे से मैं नही आती तुम्हारे यहाँ काम करने…..
बेला ने वही झाड़ू फेंका और रूम से बाहर आ गई…जैसे ही बेला रूम से बाहर आई तो उसने देखा कि दीवार के साथ सोनू खड़ा हुआ था….जो शायद अंदर जो भी हुआ था….उसने देख लिया था…अभी बेला ने कुछ खोलने के लिए मूह खोला ही था कि, सोनू ने उसके मूह पर हाथ रख कर चुप रहने को कहा….और फिर उसका हाथ पकड़ कर अपने रूम में ले गया…..दोनो रूम में कुछ देर बाते करते रहे…इधर चन्डीमल बेला को गालियाँ दे रहा था….
उधर बेला थोड़ी देर बाद सोनू के रूम से निकल कर चन्डीमल के रूम के तरफ चली जाती है….बेला को अपने रूम मे आता देख चन्डीमल अपना मूह दूसरी तरफ कर लेता है….”सेठ जी मैं ना जाने गुस्से मे क्या बोल गई आपको…मुझे माफ़ कर दीजिए…” बेला ने चन्डीमल की कमर के पास बेड पर बैठते हुए कहा….मैं आपकी हालत समझती हूँ मालिक…..जानती हूँ आप इस कमरे मे पड़े-2 ऊब जाते है…. पर मैं ही पागल थी कि, आपको ग़लत समझ बैठी….”
बेला ने चन्डीमल की जाँघ पर हाथ रखते हुए कहा…..तो चन्डीमल को ऐसा लगा जैसे उसने नंगी तारो को छू लिया हो…उसी पल चन्डीमल के लंड ने ज़ोर का झटका खाया. छन्डीमल की दोनो टांगे घुटनो से नीचे कट गई थी….पर लंड कभी -2 थोड़ी देर के लिए खड़ा हो जाया करता था….”अर्रे पगली तू चिंता मत कर….मुझे तुम्हारी बात का बुरा नही लगा….मैं तो तेरे हुश्न का शुरू से दीवाना हूँ….” ये कहते हुए चन्डीमल ने अपना एक हाथ बेला के ब्लाउस के ऊपेर से उसकी चुचि पर रख दिया और उसे ज़ोर-2 से दबाने लगा….”आहह सेठ जी….क्या कर रहे है….धीरे करिए ना…” बेला ने चन्डीमल के लंड को धोती के ऊपेर से पकड़ते हुए कहा…
जैसे ही बेला ने चन्डीमल के लंड को पकड़ा चन्डीमल एक दम से सिसक उठा…उसने ब्लाउस के ऊपेर से ही बेला की चुचियों को मसलते हुए चूसना शुरू कर दिया…”हाइए सेठ जी और ज़ोर से मीजिए ना मेरी चुचियों को आ आप तो सच मे बहुत अच्छा मसलते है…” बेला ने सिसकते हुए चन्डीमल के लंड को और तेज़ी से हिलाना शुरू कर दिया….चन्डीमल तो जैसे मस्ती के सागर मे गोते खा रहा था. उसने अपने काँपते हुए हाथों से बेला के ब्लाउस के हुक्स खोलने शुरू कर दिए…
पर जल्दबाजी मे उससे एक भी हुक नही खुल पाया था….बेला एक दम से खड़ी हो गई….और खुद ही अपने ब्लाउस के हुक्स खोल कर अपनी 38 साइज़ के चुचियों को बाहर निकाल दिया….बेला के बड़ी-2 गुदाज चुचियाँ देखते ही चन्डीमल का लंड फटने को आ गया….अगले ही पल बेला ने अपनी साड़ी भी अपने बदन से अलग कर दी…अब उसके बदन पर खुला हुआ ब्लाउस और पेटिकॉट ही रह गया था…जिसके नीचे पेंटी तक नही थी…..जैसे ही बेला बेड पर दोबारा बैठी…चन्डीमल ने एक हाथ उसकी चुचि और दूसरा हाथ पेटिकॉट पर रखते हुए उसे ऊपेर उठाते हुए चुचियों को मसलना शुरू कर दिया…..
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