10-07-2019, 12:50 PM,
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RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
यहाँ नेटवर्क होता ही नही है बड़ी मुश्किल से आज कॉल किया है तब जा कर वो शांत हुई और फिर बोली कब आओगे मिलने के लिए मैने कहा यार अभी मामा के बेटे की शादी है तो 5-7 दिन उधर ही जाना होगा उसके बाद उधर से ही सीधा तेरे पास आता हूँ तो वो बोली ठीक है जब भी आओ बता देना मम्मी भी बोल रही है अजमेर आने को तो मैं उन्हे उसी टाइम बुला लूँगी
फिर तुम भी मिल लेना कुछ भी करके मना लेना सबको अब शादी मे कितनी देर है मैने कहा यार मैं तो खुद जल्दी से अपनी अमानत को अपने घर लाना चाहता हूँ पर क्या करू लाइफ का एक पल का भी पता नही है आज यहा कल कहाँ बस अबकी बार कर ही डालते है तो फिर बाते लंबी खिचती ही चली गयी अब कई दिनो बाद जो फोन किया था तो फिर दिल के अरमान शब्दो के रूप मे बाहर आने ही थे
मिता बोली आज कल तुम पराए पराए से लगने लगे हो पता नही क्यो मैने कहा यार कम से कम तू तो ऐसा ना बोल पता है कितनी मुश्किल भरी रही है मेरे सामने चलने को हाथ मे बुलेट का घाव हुआ पड़ा है तो मिता घबराते हुए बोली ओह! माइ गॉड कैसे लगी चोट तुम्हे और अभी तबीयत कैसी है मैने कहा इतना ओवर्रिक्ट ना कर अभी सब ठीक है इधर ऐसा तो चलता ही रहता है
काफ़ी देर तक बाते होती ही रही फिर मैने फोन कट कर दिया कुछ देर बाद निशा आके बोली तो झूठ क्यो बोला कि मामूली घाव है मैने कहा यार बस तुम चिंता करती इसी लिए नही बताया तो वो मेरे कंधे पर सिर टिकाते हुए बोली अब इतनी पराई भी नही हूँ मैं जो अपना हाले दिल छुपाने लगे हो मैं उसके सर को थपकते हुवे बोला पागल तुझसे कभी कुछ छिपाया है क्या मैने आजतक
तुम और मैं दो नो एक ही तो है मैं तुमसे कहाँ जुदा हूँ तो वो बोली चलो ज़्यादा फिल्मी बाते ना बनाओ और आ जाओ खाना खाते है मैने कहा चलो फिर अगले कुछ दिनो तक बस यही दिनचर्या चलती रही अपने दिन बीत रहे थे निशा साथ थी तो पता ही नही चला कि कब दिन हो कब रात ऐसे ही करके बस भाई की शादी मे करीब 8-9 दिन ही बचे थे तो मैने 15 दिन के लिए छुट्टी ले ली और जाने की तैयारिया करने लगा
उसकी हसरत है सामने बिठा के देखू
मैं मुखातिब हूँ और तेरा हाल भी पूच्छू
सीने मे छुपि है आग मुलाकात की ख्वाहिशों की
मेहंदी लगे हाथो मे तेरा नाम छुपा के रखूं
तू अश्क़ ही बन के समा जा मेरी आँखो मे
चाहत तो बस इतनी है मैं आईना देखु तो तेरा अक्स ही देखूं
ए इश्क़-ए-मोहब्बत पूच्छू इन्न गूछो सितारो और हवाओ से
तुझसे ही मगर आके कभी तेरा नाम ना पूच्छू
ए मेरे तमन्नाओ के सितारे तू बस यू ही रौशन रहे
तेरे आने तक तो मैं ये जिस्म शब-ए-गम को ना सौपुं
एक तेरी हसरत ही मेरी मुकाम हुई है
पूच्छू खुदा से भी तो तेरे सिवा कुच्छ ना पूच्छू
इश्क़ जालिम है जान पे बन आई है जान के भी
अब जिंदगी-ए-सफ़र को क्या पढ़ु पढ़ु तो बस तेरे ही नाम का कलमा पढ़ु
पता नही क्यो मुझे कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था एक बैचैनि सी लग रही थी मुझे,मैं अपना सर निशा की गोद मे रख कर लेट गया तो वो मेरे बालो मे अपनी उंगलिया . हुए बोली क्या बात है कुछ परेशान से लग रहे हो मैने कहा पता नही यार कभी कभी ऐसा हो जाता है कि मन भटकने सा लगता है वो बोली जॉब का प्रेशर है क्या
मैने कहा अरे नही यार बस ऐसे ही , लगता है कि जैसे एक ख़ालीपन सा है मेरे अंदर , लगता है जैसे कुछ छूट रहा है मेरे हाथो मे वो बोली स्ट्रेस हो गया है एक काम करो मैं तेल की मालिश कर देती हूँ सर मे आराम मिलेगा तो मैने मना करते हुए कहा नही बस तुम पास हो तो फिर किसी दवाई, किसी उपचार की ज़रूरत नही है इस दुनिया मे बस एक तुम ही तो हो जो इस कदर समझती हो मुझे
मैने कहा तू भी चल मामा के यहाँ पर बोर हो जाएगी तो उसने कहा नही , मैं कैसे आ सकती हूँ, फिर फॅमिली भी आएगी मैं कोई कॉंट्रोवर्सी नही चाहती और फिर चाह कर भी नही जा सकती बॅंक मे बहुत काम है आजकल देल्ही मे जॉब करना बड़ा ही मुश्किल है और हमारी ब्रांच तो वैसे ही इतनी बिज़ी रहती है मैने कहा यार पर मुझे तेरी चिंता लगी रहेगी तो वो बोली अच्छा जी
जैसे आपसे पहले तो मैं जी ही नही रही थी, भला मुझे क्या होगा तुम जाओ और अच्छे से शादी एंजाय करना और कुछ फोटो भी ले कर आना
हां पक्का लेकर आउन्गा मैने कहा , फिर मैने अशोक भाई को फोन किया और कहा कि मैं कल आ रहा हूँ शाम तक पहुच जाउन्गा तो उसने कहा कि आते ही फोन कर देना आज कल साधन शाम को कम ही चलते है तो मैं सहर आ जाउन्गा पिक करने को मैने कहा ठीक है भाई
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10-07-2019, 12:51 PM,
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RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
अगले दिन मैने निशा को कहा कि मुझे कोई 10-12 दिन तो लग ही जाएँगे आने मे तो वो बोली कोई बात नही मैं इंतज़ार कर लूँगी फिर हम तैयार हुए ब्रेकफास्ट किया फिर हम दोनो अपने अपने रास्ते निकल गये वो बॅंक चली गयी और मैने मेट्रो पकड़ ली धोला कुआँ के लिए ना जाने क्यो मुझे निशा की बड़ी फिकर थी तो मैने सोर्सस का उपयोग करते हुए दो गार्ड्स की ड्यूटी लगा दी उसकी प्रोटेक्षन को
पर इस तरह कि उसे कुछ पता भी ना चले मैं नही चाहता था कि मेरी वजह से उसको कोई भी परेशानी या तकलीफ़ हो आख़िर वो मेरी ज़िम्मेदारी थी फिर मैने अपनी बस पकड़ ली सफ़र लंबा था तो कानो मे हेडफोन लगाए और आँखो को बंद कर लिया मामा के शहर पहुचते पहुचते शाम हो चली थी मैं बस से उतरा मूह धोया फिर भाई को फोन कर दिया तो आधे घंटे मे वो मुझे लेने आ गया
उस से गले मिला दो चार बाते की और फिर चल पड़े मैने कहा तू पीछे बैठ बाइक मैं चलाता हूँ काफ़ी दिनो से मैने बाइक को हाथ भी नही लगाया था , कैसे चलाता थी ही नही मेरे पास बाइक तो , और फिर इतने सालो बाद मामा के घर जाने की खुशी भी थी मन को बड़ा ही अच्छा लग रहा था आख़िर अपने तो अपने ही होते है परिवार मे जो खुशी मिलती है वो हम लाखों करोड़ो रुपयो से भी नही खरीद सकते है
शादी मे अभी हफ़्ता भर था तो अभी इतने मेहमानो का आना शुरू नही हुआ था मैं नीम के नीचे बाइक को पार्क कर ही रहा था कि इतने मे लिली के दर्शन हो गये वो लपक कर मेरे पास आई और बोली अरे मनीष तुम इतने दिनो बाद मिलना हो रहा है कहाँ रहते हो तुम इधर का तो जैसे रास्ता ही भूल गये हो मैने कहा अब क्या करू फोजी आदमी हूँ छुट्टिया गिनती की ही मिलती है क्या कर सकते है
तुम बताओ कैसी हो तो वो बोली मैं तो मस्त हूँ , एकदम, शादी हो गयी है अशोक की शादी मे आई हूँ मैने कहा अरे वाह ब्याह कर लिया और बताया भी नही तो वो बात बदलते हुवे बोली तुमने शादी की क्या मैने कहा अरे कहाँ कोई अच्छी लड़की मिल ही नही रही जो भी अच्छी वाली थी वो तो सब ब्याह करके फुर्रर हो गयी तो लिली हँसते हुए बोली सुधरे नही हो तुम अभी तक
मैने कहा अब सुधर के करना भी क्या है तो वो बोली चलो मैं चलती हूँ बाद मे मिलूंगी ज़रा दुकान तक जाना है मैने कहा ठीक है फिर मैं भी अंदर चला गया सब लोग मुझे देखते ही खुश हो गये नानी के पाँव छुए मामी से गले मिला तो फिर कुछ आधा घंटा मिलने मिलाने की ओपचारिकताओ मे चला गया चाइ-नाश्ते के बाद मैने अपने कपड़े चेंज किए और मामा से बात करने लगा
वो पूछने लगे कि आजकल कहाँ पोस्टिंग है तो मैने झूट बोलते हुए कहा कि आजकल तो मैं ग्लसियार मे पड़ा हूँ कुछ देर उनसे बाते होती रही फिर छोटे भाई बहनो ने पकड़ लिया बोले भाई हमारे लिए क्या गिफ्ट लेकर आए हो अरे तेरी उनका तो ख़याल ही मेरे माइंड से निकल गया था मैने कहा अभी माफी दो भाई लोगो कल सुबह ही सहर तुम सबको सहर ले जाकर शॉपिंग करवाता हूँ तब जाकर वो माने
काफ़ी दिनो बाद परिवार का साथ मिला था तो मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था रात के खाने के बाद मैं और अशोक भाई छत पर बैठे थे मैने कहा यार लिली तो पहले से भी मस्त पटाखा हो गयी है वो बोले हाँ यार पर अब मुझसे बात नही करती वो मैने कहा क्यो महाराज तो पता चला कि भाई और उसका किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया था और फिर उपर से उसकी शादी भी हो गयी थी
भाई बोला तू ट्राइ कर ले तेरी तरफ देख भी रही थी मैने कहा अरे ना भाई अपने बस का कहाँ खुद देगी तो ही मैं ले सकु सूं वरना जाए तो जाए भाई बोले मैने तो बता दिया है आगे तू देख लिए थोड़ी देर बाद हम नीचे आ गये सर्दियो के दिन , जनवरी का महीना और फिर गाँव की सर्दी का तो आप सबको पता ही है मैं नीम के नीचे लकड़िया जलाकर बैठा हुआ था टाइम कुछ ज़्यादा तो नही था करीब साढ़े आठ हो रहे थे पर
ब्याह का घर था तो चहल पहल सी थी , और फिर मोहल्ले की औरते गीत गाने आती थी तो वो ही सब चल रहा था तभी लिली आकर मेरे पास बैठ गयी और बोली अकेले अकेले आग ताप रहे हो मैने कहा अब क्या करे आप तो खफा खफा सी लग रही है मैं बोला अब तो आदत सी हो गयी है अकेले रहने की वो बोली ऐसा क्यो भला मैने कहा अब आप तो घास डालती नही हो आपके घर आए है
मेहमान है आपके अब खातिरदारी ना करोगी तो शिकायत तो करूँगा ही तो वो बोली तो बताओ किसी तरह की खातिर दारी कारवाओगे मैने उसका हाथ पकड़ा और कहा ये तो आप ही जाने तभी कुछ आहट सी हुई और फिर वो भागकर अंदर चली गयी कुछ देर बाद जब ठंड ज़्यादा लगने लगी तो मैं भी रज़ाई की शरण मे चला गया
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RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
अगली सुबह का आगाज़ कोशल्या मामी के हाथो की गरम चाइ की प्याली से हुआ मामी बोली बड़े दिन लगाए इधर आने मे अब तो लगता है कि हमें तो तुम भूल ही गये हो मैने उनका हाथ पकड़ कर खाट पा बिठाते हुए कहा अरे मेरी प्यारी मामी आपको भूल कर कहाँ जाएँगे पर अब कुछ मजबूरियाँ हो जाती है तो क्या कर सकते है वो बोली कभी कभी फोन तो कर ही सकते हो या नही मैने कहा जी अब से ज़रूर करूँगा और आपको शिकायत का कोई मोका नही दूँगा
अब ज़िंदगी ही कुछ ऐसी हो गयी थी कि बस चलते ही जा रहा था पर ना कोई मंज़िल थी ना कोई रास्ता मैं मामी की जाँघो को सहलाते हुए उनसे बाते कर रहा था कि तभी रॉकी आ गया तो मामी जल्दी से उठ कर बाहर चली गयी रॉकी बोला भाई आज आपने प्रॉमिस किया था कि बाज़ार चलना है मैने कहा हम भाई चलते है पर ज़रा नहा-धो तो लेने दे या फिर ऐसे ही लेकर चलेगा तो वो बोला आप जल्दी से तैयार हो जाओ मुझे काफ़ी सारी शॉपिंग करनी है
मैने कहा ठीक है भाई और फिर करीब 9 बजे सारे छोटे भाई-बहनो को लेकर मैं सहर चला गया एक शॉप से दूसरी शॉप वो लोग घूमते ही रहे पर उनकी खुशी मे ही मेरी खुशी भी तो कही छुपी हुई थी उनको शॉपिंग करवाते करवाते दोपहर से कुछ ज़्यादा ही हो गया था तो फिर हम सब हाइवे पर एक ढाबे मे लंच के लिए गये लंच कर ही रहे थे कि तभी अशोक का कॉल आ गया कि यार रुक्मणी(बग्गी) आने वाली है उसके पास काफ़ी सामान भी है
तो तू उसे पिक कर ही लियो मैने तेरा सेल नंबर उसे दिया है वो तुझे पहुचते ही कॉल करेगी मैने कहा ठीक है मैं ले आउन्गा उसे, बुग्गी दरअसल मेरी नानी की भतीजी थी जो कि हम से कुछ साल ही बड़ी थी पर उस से भी पुरानी दोस्ती सी थी आक्च्युयली वो हमारे ग्रूप का एक हिस्सा थी बचपन मे बड़ी शराराते की थी हम सबने मिल कर तो करीब 3 बजे बुग्गी की कॉल आई तो मैने उसकी लोकेशन पूछी और उसे पिक करने के लिए चला गया मैने रॉकी से कहा कि ये पैसे ले और जो खरीदना है खरीद लेना और फिर जीप के स्टॅंड पर अजाना
तब तक मैं बुग्गी को ले आता हूँ, इतने दिन बाद मिलने जा रहा था तो पहचान करना मुस्किल ही था मैने उसे कहा कि मैं सरस की डेरी के पास हूँ तुम आ जाओ तो वो बोली मैं आती हू जब मैने उसे देखा तो देखता ही रह गया बीते दिनो मे कितना कुछ बदल गयी थी मतलब की थर्कि की नज़रो से कहूँ तो एक दम टंच माल हो गयी थी आँखो पर मोटा सा चश्मा रखा था और पेट भी कुछ बाहर सा निकल आया था मैने उसे गले लगाया तो वो बोली कैसे हो
मैने कहा पहले तो ठीक था पर आपको देखा तो पता नही क्या हो गया वो बोली फ्लर्ट कर रहे हो मैने कहा जो चाहे समझ लीजिए तो वो बोली सफ़र से थक गयी हूँ मैने उसका सामान लिया और कहा आओ चलते है पास ही एक चाइ की दुकान थी तो मैने उसे वहाँ पर बिठाया और एक कोल्ड ड्रिंक उसको दी वो पीते हुए बोली कहा छुमन्तर हो गये हो तुम जब से जॉब लगी है तब से ना कोई खबर,ना कोई फोनकॉल कभी याद नही आई क्या अब मैं क्या कहता बस अपना वो ही घिसा पिता बहाना जिस पर कोई विश्वास करता नही था
तो मैने बात बदलते हुए कहा अब सारी बाते इधर ही कर लोगि या घर भी चलोगि साढ़े चार बजे लास्ट जीप जाएगी फिर धक्के खाते रहना तो फिर हम जीप स्टॅंड तक आ गये रॉकी और भाई बहन उधर बैठे थे तो फिर बुग्गी उनसे बात चीत करने लगी तभी मुझे कुछ ध्यान आया तो मैने कहा मैं अभी आता हूँ और मैं वाइन शॉप से दो बॉटल वोडका ले आया अब दो चार पेग तो लगाना बनता ही था तो फिर हम सब बाते करते हसी मज़ाक करते घर पर आ गये
मामी बोली क्या ज़रूरत थी इनपर इतने पैसे खर्च करने की मैने कहा कोई ना मामी इन्सब के लिए ही तो कमा रहे है इनपर नही करेंगे तो क्या फ़ायदा सॅलरी का मैने कहा बुग्गी आई है आप मिल लो मैं ज़रा हाथ-मूह धोकर आता हूँ तो फिर मैं बाथरूम मे घुस गया मैं सोचने लगा कि यार कितना अच्छा होता है उन लोगो का जीवन जो सिविल जॉब करते है ड्यूटी की और घर पर और एक हम है जो होकर भी नही है तो फिर मैं बाहर आया चाइ बन चुकी थी तो चुस्किया लेते लेते बाते करने लगे सच मे कुछ पुरानी यादे ताज़ा हो गयी थी
फिर सब अपने अपने काम धंधो मे लग गये थे कल भाई को बान बैठना था एक रसम होती है शादी की , तो कुछ छोटी-मोटी तैयारिया करनी थी तो उसी मे लगे हुए थे मैं नानी के पास जाकर बैठ गया और बाते करने लगा तो बुग्गी भी उधर आ गयी और बाते करने लगी पर कुछ देर बाद ही नानी अंदर चली गयी तो बस हम दोनो ही बचे उसने पूछा मनीष , क्या चल रहा है मैने कहा कुछ भी नही तुम्हे तो पता ही है कि कैसिजॉब है तो ना ही पूछो तो अच्छा है
बल्कि तुम बताओ कि क्या कर रही हो वो बोली कुछ नही होटेल मॅनेज्मेंट करके जयपुर ले मरिडियन मे काम कर रही हूँ मैने कहा यार मस्त जॉब है तेरी , वो बोली क्या मस्त है 14-14 घंटे काम करना पड़ता है मैने कहा मैं भी तो 24 घंटे ड्यूटी करता हूँ काम तो काम है वो बोली वो सब छोड़ो और ये बताओ कि हमारे घर क्यो नही आते मैने कहा यार बताया ना कि बहुत प्राब्लम होती है छुट्टियो की ओर फिर घर आ गये तो फिर पता ही नही चलता कि अब दिन बीत गये पर अब कुछ दिन इधर हूँ तो साथ ही रहेंगे मज़ा आएगा पुराने दिनो को ताज़ा करेंगे
वो बोली हाँ वो तो है अब सब लोग काफ़ी दिनो बाद मिल रहे है तो अच्छा रे-यूनियन हो जाएगा फुल धमाल होगा मैने कहा बिल्कुल फिर वो भी अंदर चली गयी मैं भी फिर बाहर खेतो की ओर घूमने चल दिया थोड़ा सा आगे की ओर निकल गया था तो देखा की दूर से लिली चली आ रही थी , तो मैं तेज तेज चलते हुए उसके पास गया और बोला सवारी कहाँ से आ रही है मालिको तो वो अपनी चोटी को घूमाते हुए बोली तुमसे मतलब कही भी जाउ मैने कहा तेवेर तो देखिए हुजूर के उफ़फ्फ़ ये गुस्सा अच्छा नही लगता आपके इस हसीन चेहरे पर
तो वो तुनक कर बोली आज कहाँ गये थे दोपहर मे आई थी तुम्हे बुलाने को मैने कहा यार वो ज़रा सहर तक जाना पड़ गया था शाम का मोसम था ठंडी हवा चल रही थी मोका भी था दस्तूर भी था अचानक से ही मैने लिली का हाथ पकड़ा और उसे पास के सरसो के खेत मे खीच लिया और उस के बोलने से पहले ही उसके होटो को चूम लिया ……………………….. …………………………….. ……………………….. …………………………….. ……………..
मेरा एक हाथ उसकी कमर पर था और होठ उसके लबो पर सजे हुए थे तो उसने जल्दी से खुद को मेरी पकड़ से आज़ाद करवाया और थोड़ा घबराते हुए बोली क्या कर रहे हो , मरवाओगे क्या मैने कहा इधर कॉन आने वाला है तो वो बोली अभी शाम का टाइम है खेत मे कोई भी आ सकता है कही किसी ने देख लिया तो मुसीबत ना खड़ी हो जाए मैने कहा तो फिर कब मिलोगि लिली बोली तुम सदा ही इतने उतावले क्यो रहते हो मैने कहा यार पहले भी तुमने मना कर दिया था अबकी बार तो गाड़ी पार लगा दो
वो बोली मैं चॉबारे मे सोती हूँ, तुम 11:30 के बाद दीवार कूद कर आ जाना मैं किवाड़ खुला ही रखूँगी मैने कहा ठीक है फिर एक किस किया और हम अपने अपने रास्ते हो लिए लंड तो खड़ा हो ही गया था तो जैसे तैसे करके उसको शांत किया पर अब मुझे कहाँ चैन पड़ने वाला था घर पे कोशल्या मामी भी किसी ना किसी बहाने से बड़े लटके झटके दिखा कर मुझे पागल कर रही थी पर उन्हे क्या पता था कि मेरी मंज़िल आज कहीं ऑर है
खाने के बाद मैं उसी नीम के पेड़ के पास आग जलाकर बैठा था कि तभी बुग्गी दूध का गिलास लेकर आई और बोली लो भाभी ने दिया है तुम्हारे लिए जैसे ही वो जाने के लिए मूडी मैने कहा कहाँ जा रही हो आओ ज़रा बाते करते है तो वो भी मेरे पास बैठ गयी मैने कहा गुलाबी शॉल खिलता है तुम पर तो वो बोली ये तो बस ऐसे ही ओढ़ लिया मैने कहा पर अच्छी लग रही हो तो वो बोली अच्छी लगती तो टच मे रहते तुम मैने कहा यार
अब तुमसे क्या छिपाऊ, मेरी ज़िंदगी ना जाने किस ढर्रे पर चल रही है कुछ पता ही नही है बस जी रहा हूँ इतना ही कह सकता हूँ तो वो बोली और क्या लोग आर्मी मे नही है जो प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ को बॅलेन्स करके चलते है मैने कहा देख यार अब मैं इतना उलझा हुआ हूँ कि पता नही कि कहाँ पर इन सब का छोर है पर मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता हूँ पर मेरी हर कोशिश नाकाम होज़ा ती है दिल तो बहुत करता है कि मैं भी अपनो के साथ रहूं , खुशी मे खुश रहूं दुख मे दुखी पर अब ये सब पासिबल नही है लाइफ थोड़ी अलग हो गयी है वो बोली ये सब डिपेंड करता है कि तुम कितने फ्लेक्सिबल हो
मैने उसके हाथ को अपने हाथ मे लिया और उसकी मुलायम हथेली को सहलाते हुए बोला बात दरअसल ये है कि बस ये समझ लो कि इस ज़िंदगी को भारत सरकार ने गिरवी रख लिया है जिसके बदले मे हर महीने एक मोटी तनख़्वाह का भुगतान करती है काश मैं तुम्हे बता सकता कि मैं आज भी वो ही हूँ जो बचपन मे हुआ करता था पर मेरे हालात बदल गये है मेरी वो मासूमियत कही खो सी गयी है कुछ तो बदल गया है काश मैं तुम्हे वो सब बता पाता पर यू समझ लो कि मैं हरपल साथ होकर भी अकेला ही हूँ
पर जैसा की मैने तुमसे वादा किया है हम जब तक यहाँ है हर पल को जियेंगे ताकि अपने आने वाले समय के लिए कुछ यादे जमा कर सके वो मुस्कुराते हुए बोली हाँ वो तो है वो बोली दूध पी लिया है तो गिलास दे दो मैं जाती हूँ फिर मैने कहा क्या करोगी उधर जाकर बैठो ना इधर पास मेरे वो बोली मुझे कई काम है और फिर गीत गाये जा रहे है तो क्या पता एक दो ठुमके मैं भी लगा लूँ तुम्हे तो पता ही है मुझे नाचने का कितना शोक है मैने कहा जैसे आपकी मर्ज़ी तो फिर वो अंदर चली गयी और मैं दो पल उसे जाते हुए देखता रहा
मैने मोबाइल लिया और मिता को कॉल लगा दी , तो पता चला कि आजकल मेम्साब की नाइट ड्यूटी लगी हुई है मैने कहा कोई ना तुम ड्यूटी करो बाद मे बात करलेंगे तो वो बोली ऐसा भी इधर कोई एमर्जेन्सी नही चल रहा जो मैं तुमसे बात ना कर सकूँ मैने कहा कैसी हो तुम, वो बोली तुम्हे क्या पड़ी है मेरी अगर कुछ चिंता होती तो इतनी देर ना लगाते कब का आ जाते मुझसे मिलने को मैने कहा यार पता नही क्या बात है जी भर कर तुम्हारे साथ टाइम बिता ही नही पाता हूँ
बस तुम जल्दी से दुल्हन बन कर मेरे पास आ जाओ ताकि मैं फिर अपनी हर साँस को तुम्हारे साथ जी सकूँ अब मुझसे बर्दाश्त नही होता है सच कहूँ तो मैं अब थक सा गया हूँ मुझे एक सहारे की ज़रूरत है, मैं बस गिरने ही वाला हूँ तो तुम मेरे पास रहो मुझे थामने के लिए मिता बोली- आज क्या फोजी ने पेग लगा लिए है जो बड़ी बहकी बहकी बाते कर रहा है मैने कहा यार अब अपने दिल की बात तुम्हे बता ने के लिए मुझे शराब के सहारे की ज़रूरत नही है
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RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
पता नही क्यो मैं खुद पर काबू नही रख पा रहा था और उसके मन मे क्या चल रहा था वो भी मैं समझ नही पा रहा था मैने अपना हाथ उसकी जीन्स के बटन पर रख दिया और उसको खोल ही रहा था कि तभी बाहर से कुछ आवाज़ आई तो मैं फॉरन उस से अलग हो गया तो देखा कि रॉकी वापिस आ गया है तो फिर हम वापिस बड़ी मामी के घर आ गये मेरे लबों पर एक नया सा अहसास था भाई के बान बैठने की रस्मे चल रही थी तो बस वो ही देख रहे थे
आँखो मे आस थी कि एक दिन मुझे भी ये रस्मे निभानी है अब इच्छा तो सबकी होती ही है तो अपनी आँखो मे भी कुछ सपने थे कुछ अरमान थे पता नही क्यो आँखे भर सी आई थी तो मैं वहाँ से उठ कर उपर चॉबारे मे चला गया तो देखा कि आज बेड को निकाल कर रख दिया गया था और नीचे गद्दे बिछे हुए थे तो मतलब आज इधर सोना था तो मैं ऐसे ही कुछ देर के लिए लेट गया तो बुग्गी आ गयी और बोली मैं तुम्हे कहाँ कहाँ ढूँढ रही थी और तुम इधर पड़े हो
मैने कहा हाँ बताओ क्या बात है वो बोली कुछ नही है वैसे तो पर मेरा भी जी नही लग रहा था तो सोचा कि कुछ देर तुमसे ही बाते करलू मैने कहा ठीक है बैठो फिर हम अपनी घिसी पिटी बाते करने लगे थोड़ी देर बाद पूरी मंडली ही उधर आ गई तो हमे कुछ ज़्यादा शेरिंग का मोका नही मिला तो शाम तक ऐसा ही चलता रहा . शाम को मैं खेतो को तरफ टहल रहा था तो सरोज मामी के दर्शन हो गये पहले से और भी गान्डस हो गयी थी
वो बोले भानजे सा , हमे तो भूल ही गये हो कब के आए हो अभी तक अपनी प्यारी मामी के घर का चक्कर नही लगाया तो मैने कहा जी वो काम इतना था कि फ़ुर्सत ही नही मिलती तो वो बोली ठीक है कल दोपहर मे देख लेना तुम्हे तो पता ही है कि दोपहर मे मैं अकेली ही रहती हू तो मैने कहा जी अच्छा खेतो के पास ही एक कुँए पर पानी की खेली बनी हुई थी मैं उस पर ही बैठ गया और सोचने लगा आख़िर कल फॅमिली जो आ रही थी
हालाँकि मैने सोच लिया था कि मैं जहाँ तक हो सकेगा नॉर्मल ही रहूँगा अब अपनी पर्सनल प्रॉब्लम्स की वजह से भाई की शादी मे कोई सीन करना भी उचित नही था और वैसे भी अपने को अब आदत भी होने लगी थी अकेलेपन की तो फिर क्या फरक पड़ना पड़ता था, फिर रात को हम सब बनवारे मे डॅन्स कर रहे थे मैने दो-चार पेग टिका लिए थे तो पाँव अपने आप ही चल रहे थे मामी भी हमारे साथ डॅन्स करने लगी थी तो मैने कोशल्या मामी को कहा कि डार्लिंग आज अपना भी कुछ जुगाड़ कर दो
तो मामी बोली घर मे अब मेहमान है और फिर मैं काम मे लगी हूँ पर जल्दी ही कोई मोका देख कर तुम्हारा भी जुगाड़ कर दूँगी देर रात तक बस वो सब ही चलता रहा फिर तक कर हम सब सो गये सारे लोग हम चॉबारे मे ही पड़े थे मेरे पास रॉकी सो रहा था और थोड़ी दूरी पर बुग्गी सोई पड़ी थी पर रात को पता नही कितना टाइम हो रहा था मुझे मेरे शरीर पर कुछ सुर सुराहट महसूह हुई तो मेरी आँख खुल गयी तो मैने देखा की रॉकी की जगह बुग्गी मेरे पास लेटी हुई है और उसका एक हाथ मेरे लंड पर है जिसे वो हल्के हल्के से दबा रही है मैने सोचा अब इतनी रात को इसको क्या हुआ असल मे मेरे लिए तो ऑपर्चुनिटी थी पर साथ मे ही छोटे भाई बहन भी सोए पड़े थे तो पहली बार थोड़ा सा डर सा लग रहा था वैसे तो बुग्गी मेरी रज़ाई मे घुसी पड़ी थी पर फिर भी डर तो डर होता है कोई भी पानी-पेशाब के लिए उठ जाए तो फिर अपनी इज़्ज़त नीलम होने मे देर ना लगे
रुक्मणी ने अपना हाथ मेरे अंडरवेर मे डाल दिया और मज़े से मेरे लंड को सहलाने लगी थी तो लंड महाराज भी अपने रंग मे आने लगे थे मेरी साँसे तो जैसे मेरे गले मे अटकने ही लगी थी तो मैने सोचा ले तू भी अपनी कर ले खेल ले इस लंड से थोड़ी देर तक वो मेरे लंड को सहलाती रही फिर उसने मेरा एक हाथ अपने बोबो पर रख दिया और अपने हाथ का दबाव उस पर डालते हुए दबाने लगी तो मेरा हाल भी खराब होने लगा
उसकी साँसे मेरे चेहरे से टकराने लगी थी रज़ाई का तापमान अचानक से ही कुछ ज़्यादा हो गया था उपर से मैं जो दारू के शॉट लगा कर सोया था तो अब वो फिर से मेरे दिमाग़ मे चढ़ने लगी थी तो आख़िर मैने भी अपना हाथ उसकी सलवार के उपर से ही उसकी योनि पर रख दिया और हल्के से दबा दिया तो उसी टाइम रुक्मणी का शरीर जड़ हो गया वो समझ गयी थी कि मैं भी जागा हुआ हूँ अब हालात कुछ यूँ थे कि हम दोनो को ही पता था कि माजरा क्या है और दोनो ही जाहिर नही करना चाहते थे
पर अपने को अब मज़ा आने लगा था तो मैं सलवार के उपर से ही उसकी चूत को दबाने लगा अच्छा लग रहा था पर उसकी हालत टाइट होने लगी थी मैने नाडे को खोलना चाहा तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया पर बोली कुछ नही तो मैं धीमे से घूमकर उसके उपर आ गया और उसके हसीन लबो पर अपन होंठ रख दिए और एक प्यारा सा किस कर दिया उस किस से ही हम दोनो के तन बदन मे एक आग सी जल गयी 2-4 मिनिट तक किस करने के बाद मैने फुसफुसाते हुएकहा कि चॉबारे से बाहर आ जा
फिर मैं सावधानी से उठ कर बाहर आ गया और फिर दो पल के बाद वो भी आ गयी आते ही मैने उसे दीवार से सटा दिया और उसको चूमने लगा रुक्मणी ने भी अपने रसिले होंठो को मेरे लिए खोल दिया था और होंठों को पीटे पीते ही मैने उसकी सलवार का नाडा भी खोल दिया और पेंटी के उपर से ही चूत को सहलाने लगा तो वो भी ज़ोर ज़ोर से मेरे होंठो को चूसने लगी थी फिर मैने धीरे से कच्छी को उसके घुटनो तक सरका दिया और उसकी बिना बालो वाली चूत से खेलने लगा बाहर बेशक कड़ाके की ठंड भी पर अब वो ठंड हमारा कुछ नही बिगाड़ सकती थी
रुक्मणी का हाथ मेरे लंड पर कस गया था और उसकी नाज़ुक उंगलिया मेरे लंड पर अपना जादू चलाने लगी थी हम दोनो एक दूजे मे खोए हुए थे सारी दुनिया को भूल कर पर शायद उस रात मिलन होना लिखा ही नही था बस दो चल पलों बाद हम दो जिस्म एक जान होने ही वाले थे कि तभी रॉकी साहब को पानी की प्यास लगी और वो आवाज़ करते हुए जाग गये तो फिर जल्दी से हम ने अपने आप को संभाला और बिस्तर पकड़ लिया फिर थोड़ी देर मैने इंतज़ार भी किया कि वो आएगी पर फिर कुछ नही हुआ तो बस फिर सो गया
अगली सुबह मैं थोड़ा सा लेट उठा तो करीब करीब 9 बज रहे थे मैं चॉबारे से बाहर आया तो चारो तरफ धून्ध की गहरी चादर छाई हुई थी तो मैने अपनी जॅकेट डाली और नीचे आ गया तो सीढ़ियो पर ही बुग्गी से टकरा गया तो वो अपनी नज़रे नीचे करते हुए बोली मैं तुम्हे ही जगाने आ रही थी तुम्हे नीचे बुला रहे है मैने कहा चलता हूँ तो हम साथ साथ ही फिर नीचे आ गये तो ममाजी ने कहा कि मनीष तुम तैयार होकर ज़रा मेरे साथ सहर तक चलो कुछ खरीदारी करनी है
मैने सोचा कि इनके साथ चला गया तो फिर गया पूरा दिन पर मना भी नही कर सकता था तो मन मार कर कहा कि मैं फ्रेश हो कर आता हूँ फिर चलते है अब कॉन नहाए इतनी सर्दी मे तो मामा के साथ सहर गये काफ़ी सारा समान खरीदना था तो बाजार मे ही पूरा दिन बीत गया ना कुछ खाया पिया ना कुछ ऑर तो घर आते आते शाम के साढ़े पाँच बज गये थे और मैं बुरी तरह से थक गया था , सारा सामान गाड़ी मे लादकर जब वापिस आए तो पता चला कि
घरवाले भी पहुच चुके थे , मैने सबके पाँव छुए, मम्मी के भी आक्च्युयली मैं शो नही करना चाहता था कि हमारे बीच मे कोई डिस्प्यूट चल रहा है पापा बोले फोजी कब आए तो मैने कहा तीन दिन हो गये है फिर उन्होने पूछा कि कहाँ हो आजकल तो बताया कि देल्ही मे हूँ , तो वो बोले ठीक है पर पास हो तो घर भी आ जाया करो तो हमे भी अच्छा लगेगा मैने कहा जी जल्दीही आउन्गा आख़िर पापा मुझे थोड़ा बहुत समझते थे
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RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
मैं बहुत ही थका हुआ था तो मैने बड़ी मामी से कहा कि मामी मेरा पानी बाथरूम मे रख दो आज बहुत थक गया हूँ तो नहा कर ही शरीर ताज़ा होगा मामी बोली तुम पहले चाइ पी लो मैं पानी रख देती हूँ तो फिर थोड़ी देर बाद मैं बाथरूम की तरफ चल पड़ा तो मामी उधर ही थी मैने कहा रख दिया पानी तो वो बोली हाँ रख दिया है तुम नहा लो तो मैने इधर उधर देखा और फिर उनका हाथ पकड़ कर झट से बाथरूम मे खीच लिया
मामी कसमसाते हुए बोली छोड़ो ना क्या कर रहे हो मैने कहा मामी प्लीज़ करने दो ना अभी मोका भी हैतो वो कहने लगी शादी का घर है तुम्हे तो कोई फरक नही पड़ता पर मुझे पड़ता है मैं बोला- मामी अब बाथरूम मे कॉन आएगा और वैसे भी मुद्दते ही हो गयी है आप से प्यार नही किया है तो अब मुझे ना रोको वो पर पर करने लगी पर अब मैं उनकी नही सुन ने वाला था
मैं उनके घाघरे के उपर से जाँघो को सहलाते हुए मामी मान भी जाओ ना
मामी- दबी आवाज़ मे ठीक है पर जल्दी से कर लो मुझे आज दो पल की भी फ़ुर्सत नही है
मैने कहा ये हुई ना बात और मामी के गालो को खाने लगा तो फिर मामी नेभी कोई और चारा ना देख कर अपनी भाए मेरी पीठ पर कस दी
मैं जल्दी से नंगा हो गया और मामी के घाघरे को उपर करके अपना लंड मामी के गुदाज कुल्हो पर रगड़ने लगा तो मामी बोली रूको घाघरा उतार देती हूँ कही गीला ना हो जाए तो फिर उन्होने घाघरा और अपनी पैंटी को उतार कर खूँटि पर टांक दिया मैं ब्लाउज खोलने लगा तो उन्होने माना कर दिया और कहने लगी की नीचे से तो उतार ही दिया है इस ऐसे ही रहने दो मैने मामी को अपने से चिपका लिया और उनके चुतड़ों को सहलाने लगा मामी ने मेरे लंड को अपनी मांसल जाँघो के बीच मे दबा लिया
गुज़रते वक़्त के साथ मामी के योवन मे और भी निखार चढ़ गया था 45-46 की उमर मे भी बड़ा ही गदराया सा जिस्म था उनका फॅट था पर बॉडी के अनुसार ढला हुआ और उनकी गान्ड के तो कहने ही क्या थे उनके जैसे चूतड़ मैने किसी भी औरत के नही देखे थे उस गीले गीले किस से मामी भी गरम होने लगी थी और गरम औरते मुझ बड़ी ही पसंद थी मामी के होंठो को काफ़ी देर तक मैने खाया मामी बोली कर लो ना जल्दी से और मुझे फारिग करो , मुझे सच मे ही फ़ुर्सत नही है मैने कहा करता हूँ डार्लिंग इतने दिनो बाद तुम्हारे बदन का दीदार किया है तो अच्छे से देखने दो
मामी बोली तुम बात को समझ नही रहे हो, कही किसी ने देख लिया तो क्या होगा , और फिर मेहमानो से भरा घर है मैने कभी तुम्हे मना थोड़ी ना किया है पर तुम हालत को भी ज़रा समझो , तो मैने मामी को दीवार से सटा दिया और उनकी एक टाँग को उठा कर अपनी कमर पर रखत हुई अपने लंड को गीली चूत पर रख ही दिया मामी बोली देखो क्या दिन आ गया है तीन दिन बाद बेटे की शादी है और माँ इधर रंग रलियाँ मना रही है
मैने कहा माँ की चूत भी तो मस्त है तो मामी मेरे सीने पर हल्के से मुक्का मारते हुए बोली बेशरम कही के और उसी पल मैने लंड को चूत की गहरी घाटियो मे उतार दिया मामी ने अपने बदन को टाइट कर लिया और अपने हाथ मेरे कंधो पर रख दिए मैने फिर से उनके होंठो का चुंबन लिया और धीरे धीरे से उनको चोदने लगा मैने कहा मामी आपकी चूत मारने का असली मज़ा तो बेड पर ही है जब बेड हिलता है तो आपकी गान्ड मस्त हो जाती है
मामी कुछ नही बोली बस चुद ती रही मैने थोड़ा सा नीचे झुक कर मामी की चूची को अपने मूह मे भर लिया और उसको चूसने लगा मामी बोली ज़ोर ज़ोर से करो वो चाहती थी कि मई जल्दी से झड जाउ और उनको फारिग करूँ और मैं भी समझ रहा था उनकी परेशानी पर अपने बस मे क्या जब छूटे तब छूटे थोड़ी देर बाद मैने उन्हे घुमा दिया अब उनका मूह दीवार की तरफ हो गया और मैं पीछे से लंड डाल कर उनको चोदने लगा तो कसी हुई जाँघो के दरमियाँ से गुज़रते हुए लंड
की रागड़ाई से बड़ा ही मज़ा आ रहा था मामी की कमर को थामे हुए बस चोदे ही जा रहा था और वो भी अब मस्ता ती जा रही थी चूत से बहकर गीला पानी उनकी जाँघो को भिगोने लगा था मामी हान्फते हुए बोली उफ फफफफ्फ़ कितनी देर और लगाओगे मैने कहा बस दो चार मिनिट और होने ही वाला है और मैं तेज तेज धक्के लगा ने लगा और फिर आख़िर मैने अपना पानी मामी की चूत मे गिरा ही दिया मेरा होते ही मामी झट से मुझसे अलग हो गयी और पानी के डिब्बे से अपनी चूत को सॉफ करते हुए बोली, मैं जानती हूँ कि तुम्हे मज़ा नही आया
पर थोड़ी फ़ुर्सत लगते ही तुम्हारा ख़याल भी करूँगी मैने कहा कोई ना देख लेना फिर मैने गेट को हल्का सा खोल कर झाँका तो गलियारा खाली पड़ा था तो मामी झट से निकल गयी और मैं नहाने लगा , नहाने के बाद मैने प्लॉट मे एक कोने मे खाट बिछाई और लेट गया मैं अपना मोबाइल देख रहा था की तभी मुझे रेडियो का ऑप्षन दिखा मैने कभी इतना ध्यान ही नही दिया था कि कॉन से अप्स है
तो कई दिन बाद मैं सीसी सुन रहा था पुरानी याद ताज़ा हो गयी जब मैं स्कल के दिनो मे छत पर या अपने कमरे मे हर रात सीसी पे गाने सुना करता था , और रेडियो सिटी अपना पसंदीदा चॅनेल हुआ करता था तो वो ही लगा दिया , वो गाना आज भी याद है मुझे जिसके बोली कुछ यू थे कि” बस इतनी तुमसे गुज़ारिश है “ अच्छा लगा गाना तो दिल का दर्द अचानक से ही कुछ ज़्यादा सा बढ़ गया आँखे बंद कर ली मैने और तभी मेरी आँखो के सामने निशा का चेहरा आ गया
तो मैने झट से आँखे खोल दी , सच तो था कि वो गाना बस मेरे अकेलेपन की ही व्याख्या कर रहा था आख़िर सबकी ज़िंदगी मे कभी ना कभी ऐसा होता ही है कि जब वो खुद को अकेला महसूस करने लगता है, उसे एक साथी की ज़रूरत होती है ये ज़िंदगी भी अजीब होती है , हर पल बस देती है तो तकलीफ़ हम सोचते है कि खुश है , पर दिल को पता होता है कि कुछ तो कमी है, कुछ तो है जो नही मिला और फिर मेरी ज़िंदगी की बिसात थी ही कितनी पल भर की खुशी और उमर भर का गम
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RE: Desi Porn Kahani ज़िंदगी भी अजीब होती है
मैं गाने सुनता हुआ अपने विचारो मे खोया हुआ था कि तभी लिली आ गयी हाथो मे एक कटोरी लिए मैने कहा क्या है तो बोली आज गाजर का हलवा बनाया था ज़रा चख कर तो बता कैसा बना है मैने कहा अभी मूड नही है तो वो मेरे पास ही बैठ गयी और बोली कमिने तेरे लिए लेकर आई हूँ और नखरे कर रहा है खाना है तो खा वरना मैं ही खा लेती हूँ तो मैने कहा जब मेरा है तो मैं ही खाउन्गा काफ़ी टेस्टी हलवा था मैने कहा तो फिर क्या सोचा तूने
वो बोली किस बारे मे, मैने कहा देने के बारे मे वो बोली कल ही तो किया था मैने कहा तुझसे मन भरता ही नही तो वो बोली भाई तो शादी के बाद ही जाएगा तो घर पे नही बुला सकती और अब थोड़ी सी गहमा गहमी है तो मुश्किल ही है जुगाड़ का मैने कहा देख ले तेरे घर आए है कही मेहमान ये ना कहे कि खातिर दारी ना हुई तो वो बोली हद से ज़्यादा नीच-कमीना है तू ला कटोरी वापिस दे मैं जाती हूँ तो वो मूड कर चलने लगी और मैं 61-62 करते हुए उसके चुतड़ों को दूर तक निहारता ही रहा
मैं खाट पर ही लेटा पड़ा था , मम्मी की वजह से मैं थोड़ा कट सा रहा था तो सोचा कि इधर ही ठीक है कुछ देर बाद बुग्गी भी आ गयी और पास मे रखी कुर्सी पर बैठ ते हुए बोली इधर क्यो लेटे हो शाम का टाइम है ठंड भी बढ़ने लगी है मैने कहा हुजूर ऐसे ही बस पता नही कभी कभी दिल उदास सा होता है तो वो बोली बताने से बोझ हल्का हो जाता है पर तुम शेयर करना ही नही चाहते हो तो फिर कैसे होगा
मैने कहा यार कुछ है ही नही शेयर करने को जो तुम्हे बताऊ , वो बोली अगर कुछ ना होता तो तुम्हारे चेहरे पर ये उदासी होती ही नही, मैने कहा देख एक छोटे से गाँव का लड़का जो तकदीर के भरोसे आर्मी मे सेलेक्ट हो गया स्कूल टाइम मे ही उसकी एक दोस्त बन गयी जिस से पता नही कब प्यार हो गया उस कच्ची जवानी मे इन आँखो ने कुछ सपने सज़ा लिए आने वाले जीवन के लिए पर किसी को इतनी सी बाद रास नही आ रही है मैं अपनी मर्ज़ी से शादी करना चाहता हूँ
और जो लड़की मम्मी ने देखी है उसे भी मैं पहल से ही जनता था , मिला था उस से देहरादून मे और मेरी अच्छी दोस्त भी है वो पर मोहब्बत नही है उस से अब तुम ही बताओ कि मैं क्या करूँ, अगर अपनी मोहब्बत से ब्याह ना किया तो मैं खुश नही रह पाउन्गा और अगर उस से ब्याह कर लू तो घर छूट रहा है मम्मी ने तो घर से निकाल ही दिया है जबकि मैने नोकरी की ही इस लिए थी कि मिथ्लेश के साथ अपनी गृहस्थी बसा सकूँ अब तुम ही बताओ मैं करू तो क्या करू
बुग्गी ने एक ठंडी सांस ली और बोली मनीष हम जहाँ रहते है ना उधर ये प्यार मोहब्बत कुछ जमता नही है गाँवो मे जो ये किस्से होते है ना वो अक्सर सेक्स पर जाकर ख़तम हो जाते है गलियों का प्यार बस इतनी देर ही परवान चढ़ता है और फिर ये सब फ़िल्मो का भी असर होता है एक रोमॅंटिक मूवी देखी नही कि फिर दो चार दिन उसके सुरूर मे ही दिल डूबा रहता है , पर मैं ये भी जानती हूँ कि इस दुनिया मे कुछ फीलिंग्स होती है जो हमे जब पता चलती है जब हम किसी से कुछ इस तरह से जुड़ जाते है , जैसे तुम मिथ्लेश से जुड़े हो पर हमारे कुछ और भी काम है, हमारे घरवाले है , एक मिनिट के लिए तुम ज़रा अपनी मम्मी के नज़रिए से सोचो 9 महीने उन्होने तुम्हे अपने पेट मे रखा, कष्ट सहे फिर तुम्हे पाला तुम्हारे हर नखरो को सहा तुम्हारी हर सही-ग़लत माँग को पूरा किया चाहे वो उनके बस की हो या नही और फिर एक माँ के रूप मे अपने बेटे के लिए उनकी भी कुछ इच्छाए है , हालाँकि मैं ये नही कह रही हू की तुम ग़लत हो
तुम अपनी जगह पर सही हो और वो अपनी जगह पर और घर से क्या निकाला गुस्से मे अक्सर ऐसा हो जाता है जब कुछ निकल जाता है मूह से मैं जानती हूँ जब भी तुम घर जाओगे वो तुम्हारा स्वागत ही करेंगी मैने कहा – अब तुम ही बताओ कि मैं करू तो क्या करू अगर मिता का हाथ छोड़ा तो बेवफा कहलाउंगा और मम्मी की ना मानी तो नालयक अब तुम ही बताओ क्या करू मैं इस जमाने मे क्या मेरा इतना भी नही कि अपने मासूम दिल को खुल कर धड़कने दूं मैं तुम ही बताओ आख़िर क्या समाधान है इस समस्या का
बुग्गी बोली ये और कुछ नही तुम्हारे प्यार का इम्तिहान है बस कोशिश करते रहो अगर प्यार सच्चा है तो गाड़ी पार लग ही जाएगी पर इतना कहना ज़रूर मान ना कि फॅमिली से दूर ना जाओ माँ-बाप को ना भूलो आख़िर उनका भी कुछ हक़ है तुम पर मैने कहा यार मैं कहाँ भूल रहा हूँ मैं तो खुद परेशन हूँ तुम्हे क्या दिखता नही है हम बात कर ही रहे थे कि मामा जी भी आ गये तो हमारा टॉपिक अधूरा रह गया छोटे वाले ममाजी बड़े ज़िंदा दिल इंसान थे
बातों का दौर कुछ इस कदर चला कि फिर काफ़ी देर तक उधर ही महफ़िल जमती रही फिर कोशल्या मामी खाने के लिए बुलाने आ गयी वो बोली आप सब खाना खा लो फिर बनवारे की तैयारी भी करनी है तो हम उठ कर घर की तरफ चल दिए बैठक मे दारू का दॉर चल रहा था पापा भी उधर ही थे , आज उनके हाथो मे काफ़ी दिनो बाद जाम देखा था मैने तो मैं मूड ही रहा था की उन्होने आवाज़ देकर मुझे अपने पास बुला लिया मैने कहा जी पापा
वो बोले फोजी कहाँ रहता है तू पापा के पास आया ही नही तो मैने कहा जी वो सुबह से कामों मे बिज़ी था तो टाइम नही मिला उन्होने एक पेग बनाया और मुझे देते हुए बोले- ले दो घूट पी ले तो शायद बाप से बात करने लगे, वैसे भी अब तू बड़ा हो गया है तो तेरे अपने फ़ैसले है , पापा ने उस एक बात मे ही काफ़ी कुछ कह दिया था मैने कहा पापा ऐसी कोई बात तो है नही फिर आपको ऐसा क्यों लगा तो वो बोले बेटे मैं तेरा बाप हूँ
बचपन से जानता हूँ तुझे आज बेशक लेफ्टिनेंट हो गया है अफ़सर हो गया है पर आज भी तू इस बाबू के बेटे के नाम से ही जाना जाता है उन्होने फिर गिलास को अपने मूह से लगाया और एक ही सांस मे खाली करते हुए बोले बेटे ये जो बाप होता है ना ये भी एक अजीब ही कॅरक्टर होता है माँ से भी ज़्यादा अपनी औलाद को प्यार करता है पर कभी कभी जता नही पाता पर तुझ से क्या कहूँ तू तो बड़ा आदमी हो गया है एक मिड्ल क्लास बाबू की तू भला क्यो सुन ने वाला
मैने कहा पापा आपके लिए तो मैं हमेशा से ही बेटा ही हूँ , वो बोले अगर बेटा होता तो कभी सोचा कि घर पे एक बाप भी है जो अब थोड़े दिन मे बस रिटाइर ही होने वाला है , माँ ने दो बात क्या बोल दी साहब घर ही छोड़ आए पर ये ना सोचा कि घर पे मम्मी के अलावा एक पापा भी है , जो तुझे बेटा कम दोस्त मानते है कभी सोचा कि बाप के पास भी एक दिल होता है जो उसकी कड़क छवि मे कही दब कर रह जाता है, कभी सोचा तूने कि घर पर माँ-बाप है जिनकी सूनी आँखो मे बस एक आस है बेटे के नाम की और बेटा है कि बस सब भूल गया है पापा की आवाज़ भारि हो चली थी
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