Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
09-02-2021, 03:46 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
मालविका मस्ती से भर गयी थी उसे लड़की का चूत चुसना बहुत अच्छा लग रहा था तभी लड़की झट से अगल हुई और तेजी से अपने साथ लाये स्ट्रैप और रबर के लंड को थाम लिया | इससे पहले मालविका अपनी मादकता की वासना के भंवर से बाहर आ पाती, लड़की ने फिर मालविका के पास पंहुचकर उसके सुडौल उरोजो को मसलना शुरू कर दिया | एक हाथ से एक उरोज के निप्पल को मसल रही थी, दुसरे हाथ की हथेली में पूरा का पूरा उरोज ही भर लिया और दबाने लगी | लड़की के नरम हाथो से रुई की तरह नरम उरोज को मसलने की अनुभूति ही कुछ और थी | मालविका के मुहँ से मादक भरी आह ही बस निकल रही थी | मालविका की सांसे तेज थी और बदन में गर्मी बढ़ गयी थी, वही हाल लड़की का भी हो चला था लेकिन लड़की एन्जॉय करने नहीं एन्जॉय कराने आई थी इसलिए, न तो उसके हाथ रुक रहे थे और न ही उसके ओंठ | दोनों ही बखूबी मालविका के जिस्म के सवेंदनशील अंगो को छेड़ रहे थे, मसल रहे थे, चिकोट रहे थे और मालविका को जन्नत की सैर करा रहे थे | कमरे में ख़ामोशी छाई थी बस दोनों की गरम सांसो और कराहों की ही आवाजे आ रही थी | कमरे का म्यूजिक कब का बंद हो चूका था | लड़की अपनी मालकिन को वासना के सागर में आनंद के गोते लगवाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही थी | मालविका के ओंठ हो, गर्दन हो,कान हो ठोड़ी हो, स्तन हो निप्पल हो या उसकी नाभि हो, सबको बखूबी चाट और चूम रही थी | उसकी जीभ का गीला खुरदुरा स्पर्श मालविका के गरम बदन पर किसी तपते रेगिस्तान में ठंडी फुहार जैसा था | मालविका उसकी इस काबिलियत की फैन हो गयी |

लड़की ने अपने मुहँ में मालविका के निप्पल लेकर किसी छोटे बच्चे की तरह चुसना शुरू कर दिया | दुसरे हाथ से फिर से मालविका की गुलाबी चूत जो गीली होने लगी थी उसके खूबसूरत ओंठो को मसलने लगी | मालविका तो आनंद के सागर में गोते लगाते हुए बस लड़की के हर एक स्पर्श को समेटने में लगी थी | वासना की लहरे उसके शरीर में बार बार उठ गिर रही थी और उन तरंगो के कारन शरीर में बनने वाली लय के कारन मुहँ से निकलने वाली मादक कराहे कमरे में गूँज रही थी | मालविका का जिस्म वासना की आग में तपने लगा था | उसे अब और कुछ ज्यादा की जरुरत महसूस होने लगी | उसने बस इशारा किए और लड़की ने वो रबर का लंड अपनी कमर में बांधकर, उसको सीधा करते हुए, उसका चिकना बेजान सुपाडा मालविका के मुहँ के सामने कर दिया | मालविका ने भी देर नहीं की, उसने झट से उसे अपने मुहँ में ले लिया और असली लंड की तरह सर आगे पीछे हिलाकर उसे चूसने लगी, मुहँ के अन्दर लेने लगी |

लड़की अपने नरम ठोस उरोजो को मसलने लगी | उसके बदन की गर्मी भी पसीने के रूप में बाहर निकलने लगी, उसके ओंठ भी हवस की प्यास में सूखने लगे | उसके ओंठो की लालिमा सुर्ख हो चली और अपने ओंठो की सुर्खी मिटाने को बार बार वो अपनी गीली गुलाबी जुबान अपने सूखे ओंठो पर फिराती | इधर मालविका ने बड़ी शिद्धत से रबर के लंड का कोना कोना नाप डाला, लंड की जड़ हो या सुपाडा, उसकी गीली खुरदुरी जीभ से कुछ नहीं बचा था | दोनों के बदन की गर्मी अब चरम पर पंहुच गयी थी, मालविक के लिए अब रुक पाना नामुनकिन था | वो बिस्तर पर लेटकर अपनी जांघे फ़ैलाने वाली ही थी ताकि लड़की अपने रबर लंड से उसको जमकर चोद सके, लेकिन लड़की की कमर में बंधे उसके रबर लंड के नीचे उसकी चूत की गुलाबी फांके देखकर मालविका के ओंठो की प्यास जाग उठी | उसकी गुलाबी चूत को चूसने की लालसा में उसके ओंठ सुर्ख होने लगे | उसकी कमर में बंधा वो रबर का ठोस लंड और उसके नीचे किसी नयी गुलाबी कली की तरह चमकती उसकी चूत, जिसके दोनों गुलाबी फांके एक दुसरे से अलग हो चुके थे |

मालविका की चूत में तड़प बढ़ती जा रही थी, वो अपने अन्दर एक लंड की फरमाइश कर रही थी लेकिन सामने लड़की की चूत देख उससे रहा न गया, उसने चूत को कुछ देर और इन्तजार कराने की ठानी और लपक कर लड़की को थाम लिया | उसे बेड पर गिरा दिया, उसकी जांघे दोनों ओर को फैलाकर चौड़ी कर दी और उसकी जांघो के बीच में अपना सर घुसा दिया | उसने रबर के लंड को हाथ से पकड़ा थोड़ा ऊपर खिसका दिया ताकि उस मखमली गुलाबी चूत को चूसने में कोई दिक्कत न हो | इसके बाद उसने अपने सुर्ख गुलाबी ओठ, उसकी चूत रस से पनियाई गीली चूत पर सटा दिए | लड़की मादक कराह भर कर रह गयी | मालविका जीभ निकाल उसकी चूत चटाने लगी, अपने ओंठो से उसके लाल चूत दाने को चूमने चटाने लगी | लड़की भी मालविका की इस हरकत से वासना से नहा गयी | उसे उम्मीद नहीं थी कि उसका क्लाइंट ऐसा कुछ करेगी, लेकिन इस काम में उसको कुछ भी अप्रत्याशित का सामना करना पड़ सकता था, फिलहाल जो हो रहा था वो अप्रत्याशित था लेकिन सुखद भी था | मालविका अपने ओंठो की प्यास बुझाती रही और लड़की अपने ओरोजो को मसलती रही | लड़की के मुहँ से मादक सिसकारियां फूटती रही | मालविका उसकी जांघो के बीच झुकी उसकी चूत को चूसती रही | कुछ देर बाद मालविका के ओंठो की प्यास कुछ कम हुई तो वो बिस्तर पर आ गयी और उसने अपनी गोरी जांघे फैला दी | लड़की को एक पल लगा अपनी सांसे काबू करने में फिर उसने भी पोजीशन ले ली | उसने अपने मुहँ की लार निकाली और मालविका की चूत के मुहाने पर मल दी | फिर रबर के लंड का सुपाडा उसकी मखमली चूत के गरम मुहाने पर लगाया, उसे लगा की रबर का लंड थोड़ा ढीला बंधा है उसकी कमर में, तो उसने अपनी कमर की बेल्ट थोड़ी टाइट करी | अब रबर के लंड की जड़ उसके चूत त्रिकोण के चिकने जंगली इलाके से सट कर चिपक गयी थी | लंड उसके शरीर ने 90 डिग्री का कोण बनाने लगा था | लड़की ने अपनी कमर को हल्का सा झटका दिया और रबर का लंड मालविका की गीली गरम गुलाबी चूत में धंसने लगा |

लंड का सुपाडा मालविका की चूत में घुस गया | मालविका की मखमली चूत की चिपकी गुलाबी दीवारे फैलने लगी और मालविका हलके दर्द से कराह उठी | मालविका की चूत में अभी भी गीलेपन की थोड़ी कमी थी शायद इसलिए लंड उसकी दीवारों को सुखा ही चीर रहा था | लड़की एक पल को थम गयी वो मालविका की चूत दाने को जोर जोर से रगड़ने लगी | लड़की अपने क्लाइंट को किसी तरह का कोई बुरा अनुभव देकर नहीं जाना चाहती थी | वो नहीं चाहती थी जो दर्द मर्द के लंड की चुदाई से औरत अनुभव करती है वो यहाँ हो, वहां पुरुष का आकर्षण, उसकी गंध और भी बहुत कुछ होता है जो यहाँ नहीं था इसलिए यहाँ मालविका के जिस्म के अन्दर के वासना की उत्तेजना का लेवल कभी कम न हो और उसका रिमोट मालविका का चूत दाना था | चूत दान रगड़ने से औरत उत्तेजित रहती है और बड़े से बड़ा लंड भी आसनी से चूत में घुस जाता है | मालविका वासना से भरी हुई थी, लड़की के चूत दाना रगड़ते ही वो भी रियेक्ट करने लगी उसकी आंखे मस्ती में बंद थी लेकिन बाकि बदन पूरी तरह से चुदाई को समर्पित था | उसकी लय में घूमती कमर से लंड का सुपाडा उसकी चूत की दीवारों की अपने आप ही मालिश किये दे रहा था | आह आह आह आह बस यही मुहँ से निकल रहा था | मालविका के जिस्म की प्रतिक्रिया बता रही थी वो लंड लेने के लिए पूरी तरह से तैयार है | उसकी चूत भी अच्छे से चूत रस छोड़ने लगी थी |

एक लड़की दूसरी औरत को चोद रही थी, ये सामान्य चुदाई का नियम तो नहीं लेकिन जिनका अनुभव् असली लंड से अच्छा नहीं रहता वो अपनी प्यास बुझाने का नया रास्ता दूंढ ही लेती है | मालविका ने भी वो नया रास्ता दूंढ लिया था, लड़की बेतहाशा धक्के लगा रही थी और मालविका भी उतनी ही शिद्दत से लंड घोट रही थी | एक के मुहँ से आआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह की सिसकारी बंद नहीं हो रही थो तो दूसरी सीईईईईईईईईईईईस्सस्सस का सीत्कार भर रही थी | वासना की महफ़िल में हवस से भरे दो जिस्म अपने अन्दर की आग बुझाने में पूरी तरह से रमे हुई थे | उनके उत्तेजित शरीर इस आग को बुझाने को कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे | आखिर हवस में डूबे तपते बदन कभी तो ठन्डे पड़ेगें | आखिर कभी तो ये जिस्म को दहकाने वाली आग बुझेगी | दोनों ही अपने जिस्मो की आग को बुझाने में कसकर रमी हुई थी, मालविका ने अपनी उंगलिया स्तनों को मसलने से हटाकर चूत पर ले आई | उसकी उंगलियाँ चूत दाने पर रपटने लगी | मालविका अब जोर जोर से आआअह्हह्हह सस्स्स्स आआअह्हह्हह सस्स्स्स आआअह्हह्हह सस्स्स्स की आवाजे निकाल रही थी | लड़की ने भी इस इशारे को समझकर अपने झटके तेज कर दिए, जीतनी तेज वो लंड मालविका की चूत में ठेल सकती थी ठेल रही थी | उसकी कराहे भी चरम पर पंहुच गयी थी | उसकी कमर में जीतनी ताकत थी उतनी ताकत से वो मालविका को चरम सुख की ओर ले जा रही थी | मालविका को भी अपने बदन की हरकतों का अहसास होने लगा | वासना की भट्ठी में तपता उसका बदन अब अकड़ने लगा | उसके शरीर में मादक तरंगो के ज्वार उठने गिरने लगे | उसकी जांघो में कम्पन बढ़ गया | उसके भरी भरकम चुतड थर थराने लगे, उसकी चूत की दीवारे फड़कने लगी | उसके पसीने से लथपथ ठोस उरोज पत्थर की तरह अकड़ गए | उसके मन मस्तिष्क में एक उत्तेजना का एक तूफ़ान सा गया, उसकी चूत झरने लगी, उसकी चूत का फौव्वारा फुट पड़ा और उसके जिस्म में जल रही हवस की आग को बुझाने लगा | उसके तपते जिस्म में एक तूफ़ान आया और सब कुछ बहाने लगा | उस तूफ़ान में मालविका सब कुछ छोड़कर पानी की तरह बहने लगी | उसका अकड़ता शरीर अनचाहे कम्पन से हिलकर शांत हो गया | वो एक लम्बी मादक कराह आआआआआआआह्हह्हह्हह ईईईईईईईईईइ के साथ ढेर हो गयी | उसका तपता बदन का कांपना थमने लगा, शरीर की अकडन नरम हो गयी और कठोर हो गए उरोज नरम होने लगे | वो पसीने से लथपथ हो गयी, सांसे बेकाबू सी हो रही थी, दिल जोरो से धड़क रहा था और हर गुजरते पल के साथ सब कुछ थमता नजर आ रहा था | उसने खुद को ढीला छोड़ दिया, शिथिल होकर सांसे काबू में करने लगी | लगातर धकापेल लंड पेलने की कारन लड़की की सांसे भी धौकनी की तरह तेज थी वो भी बुरी तरह हांफ रही थी | लड़की भी अपनी सांसे काबू करती हुई पड़ोस में लुढ़क गयी, मालविका ने उसे अपनी बांहों में भर लिया | दोनों के पसीने से लथपथ शरीर का पसीना के दुसरे में मिलने लगा | एक दुसरे की बांहों में कैद दोनों अपनी सांसे काबू में करने लगी |

लड़की भीषण चुदाई करके थक गयी थी, मालविका की जब सांसे काबू में आई, उसने लड़की को अपने नीचे दबोच लिया, उसी की चूत रस से नहाया हुआ रबर लंड फिर से अपनी गीली चूत में घुसेड़ दिया | अब मालविका लड़की के ऊपर थी, रबर का लंड उसकी चूत में पूरी तरह से धंसा हुआ था |
मालविका बस इतना ही बोली - नाउ माय टर्न |
उसके नीचे लेटी बस मुस्कुरा भर दी, दोनो एक दुसरे को चूमने लगे | दोनों के गुलाबी ओंठ एक दुसरे से चिपक गए | दोनों एक दुसरे को बेतहाशा चूमने लगी | मालविका ने लड़की को चुमते चुमते अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी | वो मोटा सा रबर का लंड मालविका की चूत में पैबस्त होने लगा | मालविका घुटनों के बल पर अपने भारी भरकम चुताड़ो को हिला हिलाकर रबर का लंड अपनी सूखी गुलाबी चूत में ले रही थी | गुलाबी चूत की दीवारे सूखी होने के कारन लंड से बहुत अच्छे से चिपक कर रगड़ खा रही थी | इसीलिए मालविका को लंड अपनी चूत में घुसेड़ने में अच्छा खासा जोर लगाना पड़ रहा था | मालविका की चूत को रौंदता लंड उसके शरीर में फिर से वासना का बुखार भरने लगा | मालविका झड चुकी थी लेकिन उसके जिस्म में हवस की आग अभी बराबर जल रही थी | आदमियों और औरतो में बस यही एक फर्क है औरते झड़ती रहती है फिर भी उनकी चुदास ख़त्म नहीं होती | मालविका भी यही हाल था, अपनी सूखी चूत को रबर के लंड से चोद चोद कर फिर से अपनी गुलाबी मखमली चूत को चुदाई की प्यासी सुरंग बना देना चाहती थी | मालविका के शरीर में फिर से उत्तेजना बढ़ने लगी थी | उसका बदन फिर गरम होने लगा, उसके कोमल बदन , गोरे जिस्म में फिर से खून का दौरान बढ़ गया था | मालविका इन सबसे बेपरवाह अपनी सूखी चूत की मखमली दीवारों को खुद ही रबर के लंड से कुचलने में बेतहाशा जुटी हुई थी | इसके बावजूद मालविका को कुछ और भी चाहिए था शायद, जो वो झड़ने के इतनी देर बाद अपनी सूखी चूत में लंड घोटते घोटते समझ पाई थी | हर झटके के साथ लंड की जड़ लड़की के चिकने चूत त्रिकोण पर जबदस्त ठोकर खा रही थी और इससे लड़की का पूरा चूत का इलाका हिल जाता था |

वो चूत में लंड लेकर अपनी चूत की खुजली मिटा चुकी थी अब उसका मन अपने गांड के छेद की खुजली मिटाने का था | तभी उसके जवान जिस्म की हवस की भूख मिटेगी और वो दिलो दिमाग मन मस्तिष्क सबसे पूरी तरह से तृप्त होगी | गांड की चुदाई की जिस्म में अलग ही सनसनाहट होती है, जिस औरत को उसकी लत हो वही गांड मरवाती है, नहीं तो ये काफी दर्द भरा अनुभव होता है और ज्यादातर गाड़ में लंड जाने से जो दर्द भरी सीत्कार करती तरंगे पुरे शरीर में दौड़ती है वो चूत की चुदाई से बिलकुल ही अलग अनुभव होता है | सामान्य औरते इसे पसंद नहीं करती | जो औरते अकेले रहती है जो सामान्य चुदाई से मरहूम है जिन्हें आमतौर पर मर्दों के लंड से चुदने का मौका नहीं मिलाता है या फिर जिनका चूत चुदाई का अनुभव अच्छा न रहा हो या कुछ औरते सेक्स में और ज्यादा तड़के के लिए भी अपनी गांड का छेद खोल देती है | मालविका का भी कुछ ऐसा ही हाल था | उसे असली लंड से नफरत सी हो गयी थी, लेकिन अपनी सेक्स कामनाओं को ढूढ़ते ढूढ़ते वो चूत से पिछले छेद तक जा पंहुची | पहली बार गांड के छेद में उसने मोमबत्ती घुसाई थी, फिर एक मार्कर | अब तक वो कई चीजो को गांड में डाल चुकी थी, इसलिए गांड चुदवाना या खुद ही चोदना उसके लिए नया अनुभव नहीं था | जब भी उसकी चूत में कुछ जाता, उसके गांड के छेद की खुजली भी बढ़ जाती | जो औरत दो चार बार गांड मरवा ले फिर उसको भी इस अप्राकृतिक तरीके में मजा आने लगता है फिर चाहे कितना भी दर्द हो | मालविका ने लड़की के कान में धीरे से कुछ कहा और लड़की ने ओके कहा | लड़की मालविका के पीछे आ गयी | मालविका ने भी अपनी जांघे सम्नेट कर इकट्ठी कर ली और अपने भरी भरकम चूतड़ पीछे की तरह को खोल दिए | लड़की ने एक लोशन निकाला और मालविका की गांड के कसे छेद पर मल दिया और अपना रबर लंड उसके छेद पर सटा दिया |
लड़की मालविका के सिग्नल का इन्तजार करने लगी | मालविका ने कसकर अपना चूत दाना रगड़ना शुरू कर दिया | लड़की मालविका की गांड पर जोर बढ़ाती चली गयी | मालविका ने अपने चुतड पर हाथ रखकर गांड के छेद को और ज्यादा फ़ैलाने की कोशिश की | लड़की ने मालविका की कमर को कसकर थम लिया और सारा जोर अपनी पतली कमर पर डाल दिया | मालविका के भारी भरकम नरम मांस के छोटे पहाड़ जैसे चुताड़ो की दरारों में छुपा बादाम के बराबर का संकरा छेद अपने ऊपर पड़ रहे लंड के भीषण दबाव के आगे घुटने टेक गया | मालविका के चेहरे पर दर्द भरी लकीरे तैरने लगी थी | उसका छेद फ़ैल चूका था और लड़की ने उसमे रबर का लंड घुसा दिया था | मालविका कराह उठी | लड़की वही की वही थम गयी, जैसे कोई स्टैचू बनता हो | वो मालविका की तरफ देखने लगी, जो गाड़ में मोटे बेजान लंड के घुसने से होने वाले दर्द से बेहाल थी | उसकी गांड के सकंरे छेद की सख्त मांसपेशिय फ़ैल रही थी और भीषण दर्द पैदा कर रही थी | ऐसा लग रहा था किसी ने मालविका की गांड में नश्तर घुसेड कर उसे चीर दिया हो | एक बार ये गांड का सख्त छल्ला खुल जाये फिर मालविका जमकर चुदेगी | चूतड़ उछाल उछाल कर गांड में लंड लेगी लेकिन इस समय सचमुच उसकी गांड फटी हुई थी | उसकी दोनों जांघे सटी हुई थी, उसकी चूत के ओठ किसी बीच से काटे गए बर्गर की तरह बंद थे | दोनों एक दुसरे पर नजरे टिकाये थी | मालविका ने मुट्ठी भींच कर अपनी कमर पीछे की ओर ठेली और थोडा सा लंड अपनी गांड में ले लिया | लड़की ने भी थोड़ा सा जोर लगाया और थोडा लंड और अन्दर पेल दिया | फिर आइस्ते से लंड को बाहर खीचा और फिर कमर हिलाकर मालविका की गांड में अन्दर डाल दिया |

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09-02-2021, 03:46 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
आइस्ते आइस्ते लड़की ने अपनी कमर हिलाकर मालविका की गांड मारनी शुरू कर दी | धीरे धीरे मालविका की गांड का छल्ला खुलने लगा था और उसकी गांड में होने वाला दर्द भी थमने लगा | लड़की अभी भी आइस्ते आइस्ते ही अपनी कमर हिला रही थी | मालविका अब दर्द बर्दाश्त करने की स्थिति में थी | मालविका ने अपनी दर्द से थरथराई गांड में मोटा बेजान लंड लिए हुए ही लड़की का हाथ थामा और उसे अपनी पीठ पर लाद लिया | खुद बिस्तर पर घुटनों के बल कुतिया की पोजीशन में आ गयी | अब उसकी गाड़ भारी भरकम मांसल सुडौल चुताड़ो के साथ पूरी तरह से ऊपर को उठी हुई थी और उसमे रबर का मोटा लंड धंसा हुआ था | लड़की को पोजीशन एडजस्ट करने में थोडा टाइम लगा लेकिन उसने कमर हिलानी बंद नहीं की | उसने अपने हाथों और पैरो पर खुद को उल्टा टिकाया और जोर लगाकर मालविका की गांड में लंड पेलने लगी | मालविका को इस तरह से अन्दर तक गहराई तक गांड में लंड जाने से दर्द हो रहा था लेकिन मुट्ठी भींचकर वो बर्दाश्त कर रही थी | उसने अपना मुहँ बिस्तर में घुसेड़ रखा था | मालविका की गांड का छेद टाइट था और उसमे रबर का लंड पेलने के लिए लड़की को चूत में लंड पेलने से ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा था, इतना जोर लगाना पड़ रहा था उसके पैर पंजो पर टिक जाते थे लेकिन वो भी कहाँ हार मानने वाली थी | उसने भी मालविका की गांड में हचक हचक के लंड पेल कर उसको दर्द भरी वो सनसनाहट दी जिसको वो भूखी थी | मालविका दर्द भरी कामुक तरंगे अपने बदन में महसूस करने लगी थी | मालविका अपनी गांड की गहराई में उस बेजान लंड को महसूस कर रही थी | मालविका मादकता भरे दर्द से कराह रही थी और लड़की जोर जोर से हांफते हुए बिना रुके मालविका की गांड मार रही थी | इतना आसन नहीं होता लगातर बिना रुके किसी की कसी गांड को इस तरह से चोदना | लड़की का स्टैमिना अच्छा था लेकिन उसकी भी सांसे उखड़ने लगी थी, मुहँ से हांफती उसकी गरम सांसे मालविका की गर्दन को छु रही थी |

मालविका - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ लगता है तुम थक गयी हो, बहुत मेहनत लगती है इसमें | थोड़ा आराम कर लो | गांड में लंड पेलने में दम निकल जाता है इतना जोर लगाना पड़ता है |
मालविका के इशारे पर लड़की ने लंड निकाल लिया और मालविका की गाड़ का खुला हुआ गुलाबी छेद दिखने लगा | गाड़ के चारो तरफ गुलाबी लालिमा लिए हुए घेरा और उसके बाद मोटे बेजान लंड से बुरी तरह फैलाकर कर चौड़ा किया गया मालविका की गांड का सख्त छेद पूरी तरह से खुला हुआ था | छेद इतना खुल गया था की बाहर से ही मालविका की गांड की सुरंग की गुलाबी लालिमा साफ़ दिख रही थी |

मालविका ने लड़की को बांहों में भर कर एक लम्बा किस किया, ये एक तरह से थैंक्यू किस था जो मालविका ने उसकी गांड को इतनी अच्छी तरह चोदने के लिए दिया था | गांड में जाते मोटे बेजान लंड की सनसनाहट से उसकी कमर चूतड़ मन मस्तिष्क दिली दिमाग सब झूम उठे थे | उसकी गांड का दर्द चुताड़ो से लेकर जांघो तक फैला हुआ था | उसके गांड की खुजली भी अब शांत ही थी फिर भी मालविका अपने को पूरी तरह संतुष्ट करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती थी | उसने लड़की को पीठ के बल लिटाया और उसके ऊपर आ गयी | उसकी कमर के ऊपर दोनों पैर दोनों तरफ टिकाकर उसके लंड के ठीक सामने खुद को पोजीशन कर लिया | लड़की ने लंड को बिलकुल मालविका की गांड के सामने तान दिया था | मोटा सा बेजान लंड मालविका अपनी चौड़े चुताड़ो के खुले गांड के छेद में लेने लगी | उसने अपने जबड़े सख्त किये और लंड पर बैठने लगी | लंड में बिना किसी दिक्कत के उसकी गुलाबी गांड के चौड़े छेद धसने लगा |

एक ही बार में मालविका की खुली गांड पूरा का पूरा लंड जड़ तक घोट गयी | मालविका ने एक लम्बी कराह और हुंकार एक साथ भरी, जैसे कोई जंग जीत ली हो | अब उसकी बारी गांड की बची कुची खुजली मिटाने की थी | उसने ऊपर नीचे होना शुरू किया और उसी के साथ वो मोटा बेजान लंड उसकी गांड का मर्दन करने लगा | सब कुछ मालविका के नियंत्रण में था, जीतनी स्पीड में खुद की गांड मारना चाहती थी, जितनी गहराई तक मारना चाहती थी, सब कुछ उसी पर निर्भर था | मालविका भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती थी | उसने फुल स्पीड में लड़की के ऊपर उछलना शुरू किया और मोटा बेजान लंड भी उसी तेजी से मालविका की गुलाबी कसी गांड को चीर कर उसकी गुलाबी सुरंग में सरपट दौड़ने लगा, मालविका की गांड की गुलाबी दीवारों को रौदने लगा | जिस स्पीड में मालविका अपनी कसी गांड में लंड ठुसने में लगी थी, उससे रबर का लंड झुक जा रहा था | नीचे लड़की ने बेजान लंड को कसकर थाम लिया ताकि वो मोटा सा रबर लंड मालविका की गांड की गहराई तक जा सके, और उसकी गांड की सुरंग की दीवारों के हर कोने को रगड़ सके | जिससे मालविका की गांड की खुजली दूर हो सके और उसके जिस्म को एक अनोखा सा वासना का सुखद अनुभव हो सके | मालविका के जिस्म के कोने कोने में आग लगी हुई थी और गांड में जाते मोटे लंड के स्पंदन ही उसे बुझा सकते थे | मालविका भी पूरा जोर लगाये पड़ी थी | जीतनी तेज झटका होगा, उतनी तेज लंड गांड में घुसेगा और उतनी तेज ही गांड में कम्पन उठेगा, जो उसके चुताड़ो जांघो पिंडलियों पेट पीठ कमर छाती सर दिल और दिमाग सबको हिला देगा और गांड से निकलने वाली दर्द भरी उत्तेजना की तरंगे उसके शरीर के कोने कोने की प्यास बुझा देगी, उसके जिस्म की नस नस को कंपा देगी | मालविका बस उत्तेजना से तपते शरीर और वासना से नहाये दिलो दिमाग को ध्यान में रखकर बेतहाशा अपनी गांड में मोटा सा रबर लंड ले रही थी | खुद ही खुद की गांड मार रही थी और वासना में सिसकारियो के साथ कुछ भी बडबडा रही थी | इतनी तेज चुदाई से उसकी सांसे भी धौकनी की तरह चलने लगी थी | वो बुरी तरह हांफने लगी थी, जाहिर सी बात है इसका असर उसके धक्को पर पड़ रहा था, उसके तेज हांफने के कारन उसकी गांड में लंड जाने की स्पीड भी कम हो गयी थी जबकि इस समय तो चरम पाने के लिए बेतहाशा धक्को की जरुरत थी |

इस बार लड़की बोली - मैडम आप थक गयी है, क्या मै आपको अच्छा फील करा सकती हूँ |
लड़की की बात मालविका को सही लगी | मालविका झट से उसके ऊपर से हटकर बिस्तर पर आ गयी और पीठ के बल लेटकर अपनी जांघे हवा में उठा दी | लड़की भी उसी फुर्ती से बिस्तर से उठी और मालविका की जांघो के बीचो बीच अपनी जगह बनाकर उसकी गांड में बेदर्दी से लंड घुसेड दिया | अब दर्द की परवाह न मालविका को थी न उस लड़की को इस बात का ख्याल रखना था | अब तो सारी जद्दोजहद अपने जिस्म की आग बुझाने की थी उसके लिए चाहे मुसल लंड से चुदना पड़े या गांड फड़वानी पड़े | लड़की ने जड़ से बेजान लंड को कसकर थाम रखा था और मालविका की गांड के टाइट छेद में बेतहाशा पेल रही थी | मालविका भी अपनी जांघो को अपने हाथो में फंसाए अपनी चूत को बेतहाशा रगड़ रही थी | दोनों एक दुसरे की आँखों में देख रही थी | मालविका गांड में जाते मोटे लंड के कारन उत्तेजना से लम्बी लम्बी सिसकारियां भर रही थी और मादकता से कराह रही थी | लड़की ने पूरी ताकत लगाकर पूरा लंड मालविका की गांड में घुसेड़ कर चार पांच करारे पुरे पुरे झटके दे मारे | पूरा का पूरा लंड हर झटके के साथ मालविका की गांड में घुस गया और उसके आखिरी छोर पर जोरदार ठोकरे मारी | लंड मालविका की गांड की गुलाबी सुरंग के उपरी हिस्से में जाकर टकराया और दर्द के एक तीखी तरंग उसके चुताड़ो, जांघो और पिंडलियों को हिला गयी | इतनी देर से मालविका अपने जिस्म को कठोर करके अपनी गांड मोटे लंड को ले रही थी लेकिन इन करारे झटको और उसके बाद उठने वाली दर्द भरी तरंग मालविका के हाथ पाँव ढीले कर दिए | मोटे लंड को अपनी जलती गांड में लेने की और ज्यादा सहने की शक्ति मालविका के शरीर में नहीं बची थी | मोटा लंड जैसे ही गांड की सुरंग के उपरी हिस्से से टकराया था मालविका दर्द से बेहाल हो गयी उसके शरीर ने हाथ खड़े कर दिए , उसकी जांघे लंड के झटके से बने कम्पन से थरथराने लगी, उसके चूतड़ अपने आप हिलने लगे | मालविका का उसके शरीर में नियंत्रण समाप्त हो गया | मालविका ने गांड मरवाकर कर भी अपने चरम सुख को पा लिया | मालविका के हाथ पाँव ढीले पड़ने लगे | उसका शरीर निढाल होने लगा | उसके चुताड़ो का दर्द कम होने लगा, मालविका ने अपनी चूत को रगड़ना छोड़ लड़की को अपनी बांहों में भर लिया | उसे बेतहाशा चूमने लगी, अपनी सांसे व्यवस्थित करने लगी |

लड़की को लगा मालविका पूरी तरह तैयार है रबर का लंड घोटने को, उसने हल्का सा कमर को पीछे खीचा और आगे को एक जोरदार धक्का दिया | मालविका की गरम चूत की गीली दीवारों को चीरता हुआ लंड मालविका की मखमली सुरंग में अन्दर तक धंस गया | फिर क्या था, लड़की ने लंड बाहर खीचा फिर से मारा जोर का झटका और लंड फिर सटाक से अन्दर | मालविका की चुदाई शुरू हो गयी थी, एक लड़की नकली रबर का लंड लगाकर उसे चोद रही थी | मालविका जोर जोर से अपने खूबसूरत सुडौल स्तनों को मसलने लगी साथ ही साथ लय में कमर हिला हिलाकर चुदने लगी | लड़की और मालविका दोनों ही कराह रहे थे | हर बार मालविका की चूत में घुसते लंड की ठोकर लड़की को अपने चूत त्रिकोण पर भी महसूस होती और उसका पूरा इलाका इस ठोकर से कम्पन से भर जाता | कई बार उसके रबर के लंड की जड़ , उसके चूत दाने को मसल जाती | इस चुदाई में दोनों ही वासना की आग में तप रही थी | दोनों के बदन उत्तेजित थे और पसीने से तर बतर हो चुके थे | सांसे धौकनी की तरह चल रही थी और दोनों ही मुहँ से मादक कराहे निकाल रही थी | दोनों ही इस चुदाई का जमकर मजा लूट रहे थे | दोनों के जवान जिस्म इस जवानी को भरपूर भोग रहे थे |
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09-02-2021, 03:46 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
एक लड़की दूसरी औरत को चोद रही थी, ये सामान्य चुदाई का नियम तो नहीं लेकिन जिनका अनुभव् असली लंड से अच्छा नहीं रहता वो अपनी प्यास बुझाने का नया रास्ता दूंढ ही लेती है | मालविका ने भी वो नया रास्ता दूंढ लिया था, लड़की बेतहाशा धक्के लगा रही थी और मालविका भी उतनी ही शिद्दत से लंड घोट रही थी | एक के मुहँ से आआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह की सिसकारी बंद नहीं हो रही थो तो दूसरी सीईईईईईईईईईईईस्सस्सस का सीत्कार भर रही थी | वासना की महफ़िल में हवस से भरे दो जिस्म अपने अन्दर की आग बुझाने में पूरी तरह से रमे हुई थे | उनके उत्तेजित शरीर इस आग को बुझाने को कुछ भी कर गुजरने को तैयार थे | आखिर हवस में डूबे तपते बदन कभी तो ठन्डे पड़ेगें | आखिर कभी तो ये जिस्म को दहकाने वाली आग बुझेगी | दोनों ही अपने जिस्मो की आग को बुझाने में कसकर रमी हुई थी, मालविका ने अपनी उंगलिया स्तनों को मसलने से हटाकर चूत पर ले आई | उसकी उंगलियाँ चूत दाने पर रपटने लगी | मालविका अब जोर जोर से आआअह्हह्हह सस्स्स्स आआअह्हह्हह सस्स्स्स आआअह्हह्हह सस्स्स्स की आवाजे निकाल रही थी | लड़की ने भी इस इशारे को समझकर अपने झटके तेज कर दिए, जीतनी तेज वो लंड मालविका की चूत में ठेल सकती थी ठेल रही थी | उसकी कराहे भी चरम पर पंहुच गयी थी | उसकी कमर में जीतनी ताकत थी उतनी ताकत से वो मालविका को चरम सुख की ओर ले जा रही थी | मालविका को भी अपने बदन की हरकतों का अहसास होने लगा | वासना की भट्ठी में तपता उसका बदन अब अकड़ने लगा | उसके शरीर में मादक तरंगो के ज्वार उठने गिरने लगे | उसकी जांघो में कम्पन बढ़ गया | उसके भरी भरकम चुतड थर थराने लगे, उसकी चूत की दीवारे फड़कने लगी | उसके पसीने से लथपथ ठोस उरोज पत्थर की तरह अकड़ गए | उसके मन मस्तिष्क में एक उत्तेजना का एक तूफ़ान सा गया, उसकी चूत झरने लगी, उसकी चूत का फौव्वारा फुट पड़ा और उसके जिस्म में जल रही हवस की आग को बुझाने लगा | उसके तपते जिस्म में एक तूफ़ान आया और सब कुछ बहाने लगा | उस तूफ़ान में मालविका सब कुछ छोड़कर पानी की तरह बहने लगी | उसका अकड़ता शरीर अनचाहे कम्पन से हिलकर शांत हो गया | वो एक लम्बी मादक कराह आआआआआआआह्हह्हह्हह ईईईईईईईईईइ के साथ ढेर हो गयी | उसका तपता बदन का कांपना थमने लगा, शरीर की अकडन नरम हो गयी और कठोर हो गए उरोज नरम होने लगे | वो पसीने से लथपथ हो गयी, सांसे बेकाबू सी हो रही थी, दिल जोरो से धड़क रहा था और हर गुजरते पल के साथ सब कुछ थमता नजर आ रहा था | उसने खुद को ढीला छोड़ दिया, शिथिल होकर सांसे काबू में करने लगी | लगातर धकापेल लंड पेलने की कारन लड़की की सांसे भी धौकनी की तरह तेज थी वो भी बुरी तरह हांफ रही थी | लड़की भी अपनी सांसे काबू करती हुई पड़ोस में लुढ़क गयी, मालविका ने उसे अपनी बांहों में भर लिया | दोनों के पसीने से लथपथ शरीर का पसीना के दुसरे में मिलने लगा | एक दुसरे की बांहों में कैद दोनों अपनी सांसे काबू में करने लगी |

लड़की भीषण चुदाई करके थक गयी थी, मालविका की जब सांसे काबू में आई, उसने लड़की को अपने नीचे दबोच लिया, उसी की चूत रस से नहाया हुआ रबर लंड फिर से अपनी गीली चूत में घुसेड़ दिया | अब मालविका लड़की के ऊपर थी, रबर का लंड उसकी चूत में पूरी तरह से धंसा हुआ था |
मालविका बस इतना ही बोली - नाउ माय टर्न |
उसके नीचे लेटी बस मुस्कुरा भर दी, दोनो एक दुसरे को चूमने लगे | दोनों के गुलाबी ओंठ एक दुसरे से चिपक गए | दोनों एक दुसरे को बेतहाशा चूमने लगी | मालविका ने लड़की को चुमते चुमते अपनी कमर हिलानी शुरू कर दी | वो मोटा सा रबर का लंड मालविका की चूत में पैबस्त होने लगा | मालविका घुटनों के बल पर अपने भारी भरकम चुताड़ो को हिला हिलाकर रबर का लंड अपनी सूखी गुलाबी चूत में ले रही थी | गुलाबी चूत की दीवारे सूखी होने के कारन लंड से बहुत अच्छे से चिपक कर रगड़ खा रही थी | इसीलिए मालविका को लंड अपनी चूत में घुसेड़ने में अच्छा खासा जोर लगाना पड़ रहा था | मालविका की चूत को रौंदता लंड उसके शरीर में फिर से वासना का बुखार भरने लगा | मालविका झड चुकी थी लेकिन उसके जिस्म में हवस की आग अभी बराबर जल रही थी | आदमियों और औरतो में बस यही एक फर्क है औरते झड़ती रहती है फिर भी उनकी चुदास ख़त्म नहीं होती | मालविका भी यही हाल था, अपनी सूखी चूत को रबर के लंड से चोद चोद कर फिर से अपनी गुलाबी मखमली चूत को चुदाई की प्यासी सुरंग बना देना चाहती थी | मालविका के शरीर में फिर से उत्तेजना बढ़ने लगी थी | उसका बदन फिर गरम होने लगा, उसके कोमल बदन , गोरे जिस्म में फिर से खून का दौरान बढ़ गया था | मालविका इन सबसे बेपरवाह अपनी सूखी चूत की मखमली दीवारों को खुद ही रबर के लंड से कुचलने में बेतहाशा जुटी हुई थी | इसके बावजूद मालविका को कुछ और भी चाहिए था शायद, जो वो झड़ने के इतनी देर बाद अपनी सूखी चूत में लंड घोटते घोटते समझ पाई थी | हर झटके के साथ लंड की जड़ लड़की के चिकने चूत त्रिकोण पर जबदस्त ठोकर खा रही थी और इससे लड़की का पूरा चूत का इलाका हिल जाता था |

वो चूत में लंड लेकर अपनी चूत की खुजली मिटा चुकी थी अब उसका मन अपने गांड के छेद की खुजली मिटाने का था | तभी उसके जवान जिस्म की हवस की भूख मिटेगी और वो दिलो दिमाग मन मस्तिष्क सबसे पूरी तरह से तृप्त होगी | गांड की चुदाई की जिस्म में अलग ही सनसनाहट होती है, जिस औरत को उसकी लत हो वही गांड मरवाती है, नहीं तो ये काफी दर्द भरा अनुभव होता है और ज्यादातर गाड़ में लंड जाने से जो दर्द भरी सीत्कार करती तरंगे पुरे शरीर में दौड़ती है वो चूत की चुदाई से बिलकुल ही अलग अनुभव होता है | सामान्य औरते इसे पसंद नहीं करती | जो औरते अकेले रहती है जो सामान्य चुदाई से मरहूम है जिन्हें आमतौर पर मर्दों के लंड से चुदने का मौका नहीं मिलाता है या फिर जिनका चूत चुदाई का अनुभव अच्छा न रहा हो या कुछ औरते सेक्स में और ज्यादा तड़के के लिए भी अपनी गांड का छेद खोल देती है | मालविका का भी कुछ ऐसा ही हाल था | उसे असली लंड से नफरत सी हो गयी थी, लेकिन अपनी सेक्स कामनाओं को ढूढ़ते ढूढ़ते वो चूत से पिछले छेद तक जा पंहुची | पहली बार गांड के छेद में उसने मोमबत्ती घुसाई थी, फिर एक मार्कर | अब तक वो कई चीजो को गांड में डाल चुकी थी, इसलिए गांड चुदवाना या खुद ही चोदना उसके लिए नया अनुभव नहीं था | जब भी उसकी चूत में कुछ जाता, उसके गांड के छेद की खुजली भी बढ़ जाती | जो औरत दो चार बार गांड मरवा ले फिर उसको भी इस अप्राकृतिक तरीके में मजा आने लगता है फिर चाहे कितना भी दर्द हो | मालविका ने लड़की के कान में धीरे से कुछ कहा और लड़की ने ओके कहा | लड़की मालविका के पीछे आ गयी | मालविका ने भी अपनी जांघे सम्नेट कर इकट्ठी कर ली और अपने भरी भरकम चूतड़ पीछे की तरह को खोल दिए | लड़की ने एक लोशन निकाला और मालविका की गांड के कसे छेद पर मल दिया और अपना रबर लंड उसके छेद पर सटा दिया |
लड़की मालविका के सिग्नल का इन्तजार करने लगी | मालविका ने कसकर अपना चूत दाना रगड़ना शुरू कर दिया | लड़की मालविका की गांड पर जोर बढ़ाती चली गयी | मालविका ने अपने चुतड पर हाथ रखकर गांड के छेद को और ज्यादा फ़ैलाने की कोशिश की | लड़की ने मालविका की कमर को कसकर थम लिया और सारा जोर अपनी पतली कमर पर डाल दिया | मालविका के भारी भरकम नरम मांस के छोटे पहाड़ जैसे चुताड़ो की दरारों में छुपा बादाम के बराबर का संकरा छेद अपने ऊपर पड़ रहे लंड के भीषण दबाव के आगे घुटने टेक गया | मालविका के चेहरे पर दर्द भरी लकीरे तैरने लगी थी | उसका छेद फ़ैल चूका था और लड़की ने उसमे रबर का लंड घुसा दिया था | मालविका कराह उठी | लड़की वही की वही थम गयी, जैसे कोई स्टैचू बनता हो | वो मालविका की तरफ देखने लगी, जो गाड़ में मोटे बेजान लंड के घुसने से होने वाले दर्द से बेहाल थी | उसकी गांड के सकंरे छेद की सख्त मांसपेशिय फ़ैल रही थी और भीषण दर्द पैदा कर रही थी | ऐसा लग रहा था किसी ने मालविका की गांड में नश्तर घुसेड कर उसे चीर दिया हो | एक बार ये गांड का सख्त छल्ला खुल जाये फिर मालविका जमकर चुदेगी | चूतड़ उछाल उछाल कर गांड में लंड लेगी लेकिन इस समय सचमुच उसकी गांड फटी हुई थी | उसकी दोनों जांघे सटी हुई थी, उसकी चूत के ओठ किसी बीच से काटे गए बर्गर की तरह बंद थे | दोनों एक दुसरे पर नजरे टिकाये थी | मालविका ने मुट्ठी भींच कर अपनी कमर पीछे की ओर ठेली और थोडा सा लंड अपनी गांड में ले लिया | लड़की ने भी थोड़ा सा जोर लगाया और थोडा लंड और अन्दर पेल दिया | फिर आइस्ते से लंड को बाहर खीचा और फिर कमर हिलाकर मालविका की गांड में अन्दर डाल दिया |

आइस्ते आइस्ते लड़की ने अपनी कमर हिलाकर मालविका की गांड मारनी शुरू कर दी | धीरे धीरे मालविका की गांड का छल्ला खुलने लगा था और उसकी गांड में होने वाला दर्द भी थमने लगा | लड़की अभी भी आइस्ते आइस्ते ही अपनी कमर हिला रही थी | मालविका अब दर्द बर्दाश्त करने की स्थिति में थी | मालविका ने अपनी दर्द से थरथराई गांड में मोटा बेजान लंड लिए हुए ही लड़की का हाथ थामा और उसे अपनी पीठ पर लाद लिया | खुद बिस्तर पर घुटनों के बल कुतिया की पोजीशन में आ गयी | अब उसकी गाड़ भारी भरकम मांसल सुडौल चुताड़ो के साथ पूरी तरह से ऊपर को उठी हुई थी और उसमे रबर का मोटा लंड धंसा हुआ था | लड़की को पोजीशन एडजस्ट करने में थोडा टाइम लगा लेकिन उसने कमर हिलानी बंद नहीं की | उसने अपने हाथों और पैरो पर खुद को उल्टा टिकाया और जोर लगाकर मालविका की गांड में लंड पेलने लगी | मालविका को इस तरह से अन्दर तक गहराई तक गांड में लंड जाने से दर्द हो रहा था लेकिन मुट्ठी भींचकर वो बर्दाश्त कर रही थी | उसने अपना मुहँ बिस्तर में घुसेड़ रखा था | मालविका की गांड का छेद टाइट था और उसमे रबर का लंड पेलने के लिए लड़की को चूत में लंड पेलने से ज्यादा जोर लगाना पड़ रहा था, इतना जोर लगाना पड़ रहा था उसके पैर पंजो पर टिक जाते थे लेकिन वो भी कहाँ हार मानने वाली थी | उसने भी मालविका की गांड में हचक हचक के लंड पेल कर उसको दर्द भरी वो सनसनाहट दी जिसको वो भूखी थी | मालविका दर्द भरी कामुक तरंगे अपने बदन में महसूस करने लगी थी | मालविका अपनी गांड की गहराई में उस बेजान लंड को महसूस कर रही थी | मालविका मादकता भरे दर्द से कराह रही थी और लड़की जोर जोर से हांफते हुए बिना रुके मालविका की गांड मार रही थी | इतना आसन नहीं होता लगातर बिना रुके किसी की कसी गांड को इस तरह से चोदना | लड़की का स्टैमिना अच्छा था लेकिन उसकी भी सांसे उखड़ने लगी थी, मुहँ से हांफती उसकी गरम सांसे मालविका की गर्दन को छु रही थी |

मालविका - आआआआआआआआह्हीईईईईईईईईईइ लगता है तुम थक गयी हो, बहुत मेहनत लगती है इसमें | थोड़ा आराम कर लो | गांड में लंड पेलने में दम निकल जाता है इतना जोर लगाना पड़ता है |
मालविका के इशारे पर लड़की ने लंड निकाल लिया और मालविका की गाड़ का खुला हुआ गुलाबी छेद दिखने लगा | गाड़ के चारो तरफ गुलाबी लालिमा लिए हुए घेरा और उसके बाद मोटे बेजान लंड से बुरी तरह फैलाकर कर चौड़ा किया गया मालविका की गांड का सख्त छेद पूरी तरह से खुला हुआ था | छेद इतना खुल गया था की बाहर से ही मालविका की गांड की सुरंग की गुलाबी लालिमा साफ़ दिख रही थी |

मालविका ने लड़की को बांहों में भर कर एक लम्बा किस किया, ये एक तरह से थैंक्यू किस था जो मालविका ने उसकी गांड को इतनी अच्छी तरह चोदने के लिए दिया था | गांड में जाते मोटे बेजान लंड की सनसनाहट से उसकी कमर चूतड़ मन मस्तिष्क दिली दिमाग सब झूम उठे थे | उसकी गांड का दर्द चुताड़ो से लेकर जांघो तक फैला हुआ था | उसके गांड की खुजली भी अब शांत ही थी फिर भी मालविका अपने को पूरी तरह संतुष्ट करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती थी | उसने लड़की को पीठ के बल लिटाया और उसके ऊपर आ गयी | उसकी कमर के ऊपर दोनों पैर दोनों तरफ टिकाकर उसके लंड के ठीक सामने खुद को पोजीशन कर लिया | लड़की ने लंड को बिलकुल मालविका की गांड के सामने तान दिया था | मोटा सा बेजान लंड मालविका अपनी चौड़े चुताड़ो के खुले गांड के छेद में लेने लगी | उसने अपने जबड़े सख्त किये और लंड पर बैठने लगी | लंड में बिना किसी दिक्कत के उसकी गुलाबी गांड के चौड़े छेद धसने लगा |
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09-02-2021, 03:46 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
मालविका ने लड़की को बांहों में भर कर एक लम्बा किस किया, ये एक तरह से थैंक्यू किस था जो मालविका ने उसकी गांड को इतनी अच्छी तरह चोदने के लिए दिया था | गांड में जाते मोटे बेजान लंड की सनसनाहट से उसकी कमर चूतड़ मन मस्तिष्क दिली दिमाग सब झूम उठे थे | उसकी गांड का दर्द चुताड़ो से लेकर जांघो तक फैला हुआ था | उसके गांड की खुजली भी अब शांत ही थी फिर भी मालविका अपने को पूरी तरह संतुष्ट करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती थी | उसने लड़की को पीठ के बल लिटाया और उसके ऊपर आ गयी | उसकी कमर के ऊपर दोनों पैर दोनों तरफ टिकाकर उसके लंड के ठीक सामने खुद को पोजीशन कर लिया | लड़की ने लंड को बिलकुल मालविका की गांड के सामने तान दिया था | मोटा सा बेजान लंड मालविका अपनी चौड़े चुताड़ो के खुले गांड के छेद में लेने लगी | उसने अपने जबड़े सख्त किये और लंड पर बैठने लगी | लंड में बिना किसी दिक्कत के उसकी गुलाबी गांड के चौड़े छेद धसने लगा |

एक ही बार में मालविका की खुली गांड पूरा का पूरा लंड जड़ तक घोट गयी | मालविका ने एक लम्बी कराह और हुंकार एक साथ भरी, जैसे कोई जंग जीत ली हो | अब उसकी बारी गांड की बची कुची खुजली मिटाने की थी | उसने ऊपर नीचे होना शुरू किया और उसी के साथ वो मोटा बेजान लंड उसकी गांड का मर्दन करने लगा | सब कुछ मालविका के नियंत्रण में था, जीतनी स्पीड में खुद की गांड मारना चाहती थी, जितनी गहराई तक मारना चाहती थी, सब कुछ उसी पर निर्भर था | मालविका भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती थी | उसने फुल स्पीड में लड़की के ऊपर उछलना शुरू किया और मोटा बेजान लंड भी उसी तेजी से मालविका की गुलाबी कसी गांड को चीर कर उसकी गुलाबी सुरंग में सरपट दौड़ने लगा, मालविका की गांड की गुलाबी दीवारों को रौदने लगा | जिस स्पीड में मालविका अपनी कसी गांड में लंड ठुसने में लगी थी, उससे रबर का लंड झुक जा रहा था | नीचे लड़की ने बेजान लंड को कसकर थाम लिया ताकि वो मोटा सा रबर लंड मालविका की गांड की गहराई तक जा सके, और उसकी गांड की सुरंग की दीवारों के हर कोने को रगड़ सके | जिससे मालविका की गांड की खुजली दूर हो सके और उसके जिस्म को एक अनोखा सा वासना का सुखद अनुभव हो सके | मालविका के जिस्म के कोने कोने में आग लगी हुई थी और गांड में जाते मोटे लंड के स्पंदन ही उसे बुझा सकते थे | मालविका भी पूरा जोर लगाये पड़ी थी | जीतनी तेज झटका होगा, उतनी तेज लंड गांड में घुसेगा और उतनी तेज ही गांड में कम्पन उठेगा, जो उसके चुताड़ो जांघो पिंडलियों पेट पीठ कमर छाती सर दिल और दिमाग सबको हिला देगा और गांड से निकलने वाली दर्द भरी उत्तेजना की तरंगे उसके शरीर के कोने कोने की प्यास बुझा देगी, उसके जिस्म की नस नस को कंपा देगी | मालविका बस उत्तेजना से तपते शरीर और वासना से नहाये दिलो दिमाग को ध्यान में रखकर बेतहाशा अपनी गांड में मोटा सा रबर लंड ले रही थी | खुद ही खुद की गांड मार रही थी और वासना में सिसकारियो के साथ कुछ भी बडबडा रही थी | इतनी तेज चुदाई से उसकी सांसे भी धौकनी की तरह चलने लगी थी | वो बुरी तरह हांफने लगी थी, जाहिर सी बात है इसका असर उसके धक्को पर पड़ रहा था, उसके तेज हांफने के कारन उसकी गांड में लंड जाने की स्पीड भी कम हो गयी थी जबकि इस समय तो चरम पाने के लिए बेतहाशा धक्को की जरुरत थी |

इस बार लड़की बोली - मैडम आप थक गयी है, क्या मै आपको अच्छा फील करा सकती हूँ |
लड़की की बात मालविका को सही लगी | मालविका झट से उसके ऊपर से हटकर बिस्तर पर आ गयी और पीठ के बल लेटकर अपनी जांघे हवा में उठा दी | लड़की भी उसी फुर्ती से बिस्तर से उठी और मालविका की जांघो के बीचो बीच अपनी जगह बनाकर उसकी गांड में बेदर्दी से लंड घुसेड दिया | अब दर्द की परवाह न मालविका को थी न उस लड़की को इस बात का ख्याल रखना था | अब तो सारी जद्दोजहद अपने जिस्म की आग बुझाने की थी उसके लिए चाहे मुसल लंड से चुदना पड़े या गांड फड़वानी पड़े | लड़की ने जड़ से बेजान लंड को कसकर थाम रखा था और मालविका की गांड के टाइट छेद में बेतहाशा पेल रही थी | मालविका भी अपनी जांघो को अपने हाथो में फंसाए अपनी चूत को बेतहाशा रगड़ रही थी | दोनों एक दुसरे की आँखों में देख रही थी | मालविका गांड में जाते मोटे लंड के कारन उत्तेजना से लम्बी लम्बी सिसकारियां भर रही थी और मादकता से कराह रही थी | लड़की ने पूरी ताकत लगाकर पूरा लंड मालविका की गांड में घुसेड़ कर चार पांच करारे पुरे पुरे झटके दे मारे | पूरा का पूरा लंड हर झटके के साथ मालविका की गांड में घुस गया और उसके आखिरी छोर पर जोरदार ठोकरे मारी | लंड मालविका की गांड की गुलाबी सुरंग के उपरी हिस्से में जाकर टकराया और दर्द के एक तीखी तरंग उसके चुताड़ो, जांघो और पिंडलियों को हिला गयी | इतनी देर से मालविका अपने जिस्म को कठोर करके अपनी गांड मोटे लंड को ले रही थी लेकिन इन करारे झटको और उसके बाद उठने वाली दर्द भरी तरंग मालविका के हाथ पाँव ढीले कर दिए | मोटे लंड को अपनी जलती गांड में लेने की और ज्यादा सहने की शक्ति मालविका के शरीर में नहीं बची थी | मोटा लंड जैसे ही गांड की सुरंग के उपरी हिस्से से टकराया था मालविका दर्द से बेहाल हो गयी उसके शरीर ने हाथ खड़े कर दिए , उसकी जांघे लंड के झटके से बने कम्पन से थरथराने लगी, उसके चूतड़ अपने आप हिलने लगे | मालविका का उसके शरीर में नियंत्रण समाप्त हो गया | मालविका ने गांड मरवाकर कर भी अपने चरम सुख को पा लिया | मालविका के हाथ पाँव ढीले पड़ने लगे | उसका शरीर निढाल होने लगा | उसके चुताड़ो का दर्द कम होने लगा, मालविका ने अपनी चूत को रगड़ना छोड़ लड़की को अपनी बांहों में भर लिया | उसे बेतहाशा चूमने लगी, अपनी सांसे व्यवस्थित करने लगी |

केबिन में मालविका की हरकते देख रीमा के होश फाख्ता हो गए | कितनी आत्विश्वास से भरी थी मालविका अपनी ख्वाइश को लेकर | उसे कोई शर्म नहीं थी झिझक नहीं थी | उसके साथ जो भी पहले हुआ अब वो उसे भूल चुकी थी | अब तो वो खुलकर अपनी जिंदगी जी रही थी, उसके जो भी अरमान थे उन्हें बिना शर्म हया के पुरे कर रही थी | उसका अपनी सेक्स जरुरतो को लेकर जो आत्मविश्वास था उसे देखर रीमा शर्म से पानी पानी हो गयी | उसे लगा उसे तो अपनी दबी कामनाओं को पूरा करने के लिए एक लम्बा सफ़र तय करना है | जो भी उसकी करने की इक्षा होती है, उसमे इतनी झिझक शर्म होती है उसके बढ़ते कदम खुद ही रुक जाते है | मालविका ना केवल हिम्मत थी बल्कि दुस्साहस से भी भरी हुई थी इसलिए उसे मोटे लंड से अपनी गांड मरवाने में भी कोई शर्म झिझक नहीं थी, वरना बहुत सी औरते तो आत्मग्लानी से मर जाये हाय मैंने कितना गन्दा काम कर डाला | सच भी था चूत में लंड लेना औरत के आत्मविश्वास की निशानी होता है और गाड़ में लंड लेना औरत के दुस्साहस की पहचान | मालविका दोनों से भरपूर थी | तभी शीशे की दीवार पर दूसरी पिक्चर चलने लगी जो एक और केबिन की हवस की कहानी बयां करने जा रही थी |

जो इस केबिन का द्रश्य उसके सामने आया , उसमे एक महिला नजर आई | रीमा को ये महिला लान में फोटो खिचवाते मिली थी | पुरुष इसे टैटू चूत के नाम से आपस में बुलाते थे लेकिन इसका असली नाम कामिनी था | महिलाए इसे करमजली के नाम से आपस में संबोधित करती थी | कामिनी की किसी से नहीं बनती थी, शहर ही मशहूर हस्ती थी बड़ी लेखिका थी और शादी नहीं हुई थी | कामिनी को जितना लेखन से लगाव था उतना ही टैटू से | उसके पुरे शरीर पर टैटू ही टैटू थे | इसके अलावा उसका फैशन भी घरेलु औरतो में जलन का एक कारन बन जाता था | स्वाभाव की बहुत ही रुखी थी इसलिए कोई भी ज्यादा उसके आस पास फटक नहीं पाता था | ये अलग बात है उसकी सेक्सी स्टाइल पर हर आदमी अपनी फंताशी के गप्पे हांकता था | मर्दों के लिए एक पहेली थी वो, कोई नहीं जानता वो किसी मर्द के साथ कही दिखाई पड़ी हो | औरते उससे इतना जलती थी कि कुछ ने तो अफवाह उड़ा दी की वो लेस्बियन है | सबसे बड़ी बात शहर की हर बड़ी पार्टी में नजर आती थी |

पैराडाइज में भी उसे हमेशा हमेशा उसके पसंदीदा केबिन की ही चाभी दी जाती थी | यहाँ आकर वो क्या करती थी ये सिर्फ लाउन्ज का मालिक जानता था | लाउन्ज का मालिक बहुत प्रोफेशनल था इसलिए उसने लोगों की निजी तस्वीरों या रिकॉर्डिंग का कभी कोई गलत इस्तेमाल नहीं किया | इसका दूसरा कारन ये भी था यहाँ आने वाला हर शख्स बहुत ताकतवर और रसूखदार था | अगर लाउन्ज का मालिक जरा भी ऊपर नीचे करता तो इसकी गांड फाड़ के रख दी जाती | उसे इस ख़ुफ़िया बिज़नस से बहुत कमाई भी होती थी, फिर कौन सोना देने वाली मुर्गी के उंगली करना चाहेगा | कामिनी पैराडाइज के अपने केबिन में आते ही बदन के कपड़े छिलके की तरह उतार कर फेंक देती | केबिन में खुद को देखने के लिए आदमियों से ज्यादा बड़े साइज़ के मिरर लगे हुए थे | जहाँ औरत हो या आदमी खुद को नंगा करके बदन का एक एक कोना देखता था | कामिनी कपड़े उतारते ही खुद के बदन को शीशे में निहारने लग जाती | कमरे में मादक मधुर हल्का संगीत बजा देती जो माहौल को और मादक बना देता था |

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09-02-2021, 03:47 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
कभी बेड पर लेट कर अपने चेहरे को गौर से देखती, कभी हाथ पर बने टैटू को, कभी अपनी उठी हुई छाती की दोनों उन्नत पहाड़ियों को और उनके ऊपर चिपके निप्पल को | जिस्म का इससे इससे अच्छा मुयाना वो और कही नहीं कर पाती थी | यहाँ कोई रोक टोक नहीं, कोई आने जाने वाला नहीं | सबसे बड़ी बात कोई जबरदस्ती चिपकने वाला नहीं | कमरे में बजते मधुर मादक संगीत के साथ थिरकती लगती | पढ़ना उसका पसंदीदा काम था, इसलिए मधुर संगीत के बीच उसने एक किताब निकाल ली और बेड पर उल्टा लेट कर पढने लगी | बालो का हाथ में किताब थी, चेहरे पर चस्मा था, बाल को इकठा करके अटका रखा था | कंधे से लेकर पंजो तक पुरे बदन पर बस टैटू ही टैटू था | कामिनी उल्टा लेती हुई थी और उसके पैर घुटनों से हवा में ऊपर को उठे हुए थे | उसका गोरा मांसल टैटू से भरा बदन अलग ही चमक रहा था | उसका बदन ठोस लेकिन नरम मांस से भरा पूरा था,उसके बड़े बड़े हाहाकारी दो मांसल चुतड एक दुसरे से सटे हुए ऊपर को उठे हुए मस्त लग रहे थे जो आगे की तरफ एक दम से ढलान बनाते हुए पतली कमर तक जा रहे थे | मोटी मोटी जांघे और भारी भरकम, नरम मांस से लबालब भरे हुए, ऊपर को उठे हुए चूतड़ देखकर किसी भी मर्द का लंड उठकर खड़ा हो जायेगा |

दो पेज पढने के बाद ही उसे बोरियत होने लगी | पार्टी में किये गए डांस से भी उसे हल्की थकान भी हो रही थी इसलिए उसे खुद को फ्रेश करने की सोची | अलग अलग तरीके से अपने जिस्म और गांड को मटकाते हुए कमरे से लगे बाथरूम पंहुच गयी | बाथरूम की एक दीवार पर शीशा ही लगा था | उसने खुद को भिगोया और सेल्फी खीचने लगी | क्या गोरा गोरा बदन था | जुल्फे चेहरे पर से बिखरी हुई सीने तक लटक रही थी | सीने पर बड़े बड़े स्तन अपने ही बोझे से उसके सीने को झुकाए हुए थे, इसमें कोई दो राय नहीं उसके स्तन औसत से बड़े थे और उसकी छाती की उठान को नयी उचाईयां दे रहे थे | उसकी गोरी गोरी मांसल जांघे टैटू से भरी हुई थी यहाँ तक की उसका चूत त्रिकोण में टैटू से ढका हुआ था | बमुश्किल कोई उसकी चूत की दरार को दूर से देख सकता था | कुल मिलकर कामिनी सचमुच की कामिनी थी जिसे हर लंड चोदना चाहेगा | अब सवाल ये था कि आज तक कामिनी को किसी ने चोदा भी था या नहीं | कोई नहीं जानता था कि कामिनी अपनी सेक्स की प्यास कैसे बुझाती है | उसके आसपास के कुछ जानकर कहते थे कि कामिनी के पास रबर के लंडो का खजाना है और उसी से वो अपनी प्यास बुझाती है | उसने आज तक कभी असली लंड अपनी चूत में लिया ही नहीं | ये सब बाते सिर्फ कॉकटेल पार्टियों की गॉसिप थी, सच कोई नहीं जानता था सिवाय कामिनी के |

कामिनी बाथरूम में नहा रही थी | उसका पूरा बदन पानी से भीगा हुआ था, उसने शरीर को धोने वाला बॉडी लोशन निकाला, उसे बॉडी स्क्रबर के ऊपर उड़ेला और अपने जिस्म पर उसे घुमाने लगी | देखेते ही देखते उसके जिस्म झाग से सरोबार हो गया | कामिनी कंधे से लेकर पंजो तक शरीर के हर अंग और भाग पर स्क्रबर घुमा रही थी | पुरे जिस्म पर झाग ही झाग था | बार बार स्क्रबर को अपनी जांघो के बीच चूत त्रिकोण पर ले आती और अपनी चूत को बार बार रगड़ने लगती | इससे उसे बहुत आनंद प्राप्त हो रहा था |

खुद को आच्छी तरह धोने के बाद, वो बात टब में जाकर बैठ गयी कुछ देर के लिए उसने आंखे बंद कर ली और अपनी चूत दाने की हलके हलके रगड़ने लगी | ठंडा ठंडा पानी उसके वासना से भरे गरम जिस्म पर बड़ा ही सुकून दे रहा था | वो बस आंख बंदकर अपनी वासनाओं की कप्लानावो में उड़ती हुई, आनंद के सागर में गोते लगा रही थी | अब उसने चूत दाने की रगड़ना छोड़, चूत के गुलाबी ओंठो पर हाथ फिसलना शुरू कर दिया | अपनी एक उंगली अपनी नाजुक चूत की गीली गुनगुनी एयर टाइट सुरंग में धंसा दी | उसके मुहँ से एक कराह निकली, उसने अपनी उंगली को अपनी गीली गरम चूत में अन्दर बाहर करने लगी | अब उससे रहा नहीं जा रहा था | उंगली चूत की दीवारों में कम्पन करा पाने में नाकाम हो रही थी, उसे कुछ बड़ा सा चाहिए था जो उसकी चूत की कसी हुई गीली गरम चिपकी दीवारों को चीरता हुआ अन्दर तक धंस जाये | जो उसे अन्दर तक सनसनाहट दे, उसकी चूत को अन्दर तक भर कर कुचल कर उसमे तरंग जगा दे | वो तेजी से बाथ टब से निकली और एक रबर का लंड लाकर शीशे से चिपका दिया | बिना देर किये खुद घुटनों के बल आकर घोड़ी बन गयी | फिर उसने हलके से खुद को पीछे की ओर खिसकाया | एक हाथ से आगे के जिस्म के भार को सँभालते हुए दुसरे हाथ से नीचे की तरफ लटकते रबर के लंड का सुपाडा ऊपर की ओर किया और उसे अपने चूत के मुहाने पर सटा दिया | रबर के सुपाडे के उसकी चूत के मुहाने पर सटते ही उसने तेजी से खुद को पीछे शीशे की तरफ धकेल दिया | रबर का लंड उसकी चूत की गुलाबी सलवटी दीवारों को चीरता फैलाता हुआ उसके अन्दर जाकर धंस गया | फिर वो धीरे धीरे खुद को आगे पीछे हिलाकर, खुद को रबर के लंड से चोदने लगी | हर पीछे को जाते धक्के के साथ रबर का लंड उसकी चूत में घुस जाता और उसके मुहँ से एक मादक सी सिसकारी फुट पड़ती | खुद को पोजीशन करके खुद को ही चोदना थोड़ा ज्यादा बोरिंग होता है औरतो के लिए, लेकिन जो औरते अकेले अपने जिस्म से खलती है उन्हें इसी में मजा आता है | कामिनी खुद को रबर के लंड से चोद रही थी लेकिन उसे मजा नहीं आ रहा था | वो अपने शरीर में वो कम्पन चाहती थी वो तरंग चाहती थी जो उसे जन्नत की सैर करा दे लेकिन अभी तक इसमें वो नाकाम रही थी | आखिर कुछ देर तक रबर का लंड लेने के बाद उसे अहसास हो गया यहाँ से उसे वो नहीं मिलेगा जो वो चाहती है | उसने रबर के लंड को अपनी चूत में लेना रोक दिया | खुद को तौलिये से पोचा और कमरे में वापस आ गयी | उसने कस्टमर हेल्प को फ़ोन किया और कुछ बातचीत हुई फिर फ़ोन काट दिया |

वो वासना की आग में भठ्ठी बनी हुई थी और उसे समझ नहीं आ रहा था कैसे अपने बदन का वासना का बुखार उतारे, कैसे अपने जिस्म में लगी आग को शांत करे | फिर उसे ख्याल आया जैसे पहले करती आई है वैसे ही इस बार भी करे | यहाँ की सर्विस में कभी कोई प्रॉब्लम नहीं हुई | इसलिए उसने एस्कॉर्ट सर्विस लेने का मन बनाया था | उसने अपनी चॉइस का स्पेसिफिकेशन बता दिया था | उसे कैसा मेल एस्कॉर्ट चाहिए | किस्मत अच्छी थी पैराडाइज में ऐसे एस्कॉर्ट का अच्छा पूल मौजूद रहता था | पहले कामिनी के दिमाग में ये सब करने का इरादा नहीं था इसलिए उसे माइंड को समझाने में कुछ वक्त लगा, आखिर जिस्म की जरुरत का सवाल था | कामिनी बिस्तर पर आकर फिर से पसर गयी थी और फ़ोन करने के दो मिनट के अन्दर उसके दरवाजे पर नॉक हुआ | कामिनी उल्टा लेती थी उसने लेटे लेटे ही कमिंग की आवाज लगायी | गेट खोलकर एक आदमी अन्दर आया | उसने मास्क पहना हुआ था | कामिनी ने पीछे मुड़कर देखना भी जरुरी नहीं समझा | कामिनी उलटा लेटे लेटे अपने चूतड़ बारी बारी से मसलने लगी | वो मास्क पहले मेल एस्कॉर्ट आकर तय जगह पर खड़ा हो गया |
एस्कॉर्ट - क्या आर्डर है मैडम |
कामिनी - ये देख रहे हो न मेरे चूतड़, इन्हें आज अच्छा फील नहीं हो रहा, वो उत्तेजना नहीं फील हो रही है जो होनी चहिये | इन्हें अच्छा फील करावो | चूमो चाटो मालिश करो, कुछ भी करो मुझे आचा लगना चाहिए |

कामिनी का इतना कहना था, मेल एस्कॉर्ट ने एक आयल की बोतल से कुछ आयल निकाला और कामिनी के मांसल भारी भरकम चुताड़ो पर उड़ेल दिया | एस्कॉर्ट अपनी ड्यूटी निभाते वक्त साफ़ सफाई का बहुत ख्याल रखते थे | उसने हाथो में रबर ग्लव्स पहन रखे थे | आयल को आइस्ते से कामिनी के चुताड़ो से लेकर कमर तक फैला दिया और हलके हाथो से मालिश करने लगा | कामिनी ने खुद का सर बिस्तर में घुसा दिया | कामिनी के उठे हुए ठोस पुष्ट चूतड़ देखकर कोई भी लंड खड़ा हो जाये लेकिन मजाल है एस्कॉर्ट का बिना क्लाइंट की अनुमति के लंड सीधा हो जाये | मालिश करते करते कामिनी के चुतड एस्कॉर्ट फैलाकर चौड़े करने लगा | उसके चुताड़ो की दरार गायब हो गयी थी और जांघे फैलने से दरार के बीच का इलाका साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था | कामिनी इतनी बड़ी टैटू बाज थी उसने अपनी गांड पर भी टैटू बनवा रखा था | सिर्फ गांड ही नहीं बल्कि गांड और चूत के छेद के बीच में भी टैटू था | एस्कॉर्ट में इस टैटू को देखकर हैरान रह गया | एस्कॉर्ट अब कामिनी के चुताड़ो की दरार के निचले हिस्से में मालिश कर रहा था जहाँ उसकी गांड का गुलाबी छेद और चूत स्थित थी | उसने चुताड़ो को फैला दिया था जिससे कामिनी की गांड का छेद खुल गया | गांड का छेद देखकर लग रहा था कामिनी अपनी गांड में भी रबर के लंड घुसेड़ती रही होगी, नहीं तो इतनी आसानी से सिर्फ चूतड़ खीचने से गांड का छेद नहीं खुल जाता | नीचे उसकी चूत के ओंठ का फैलाव उसके अन्दर चूत के खुले छेद की कहानी अपने आप बयां कर रहे थे | एस्कॉर्ट कभी कामिनी के गांड के गुलाबी छल्ले पर उंगलियाँ फिराता, कभी उसकी चूत पर उंगलियाँ सहलाता कभी उसके चूत दाने को मसल देता | एस्कॉर्ट की हरकतों से कामिनी की वासना का बुखार बढ़ता ही जा रहा था लेकिन अभी तक वो उस चीज से मरहूम थी जिसकी उसे तलाश थी | वो कुछ अलग सा तेज सनसनाहट सा, कंपित तरंग जैसा अनुभव करना चाहती थी | एस्कॉर्ट अपनी पूरी कोशिश कर रहा था लेकिन कामिनी के लिए नाकाफी था |

कामिनी ने आखिरकार उसे रोक दिया - स्टॉप एंड लाई डाउन ऑन बेड |
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09-02-2021, 03:47 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
एस्कॉर्ट बिस्तर पर लेट गया | जैसा उसने माँगा था एस्कॉर्ट बिलकुल उसी साइज़ का आया था | उसने एक बड़े लंड वाले स्लिम एस्कॉर्ट की मांग की थी और उसका लंड देखकर वो संतुष्ट थी की पैराडाइज वालो ने निराश नहीं किया | एस्कॉर्ट का तगड़ा मोटा लंड था | कामिनी उसके कमर पर दोनों तरफ जांघे फैलाकर घुटनों के बल उलटा बैठ गयी | एस्कॉर्ट बिस्तर पर सीधा लेता था उसका लंड छत की तरफ को सीधा था, कामिनी की पीठ एस्कॉर्ट के सर की तरफ थी और उसकी बड़े बड़े सुडौल उरोजो से भरी उठी हुई छाती एस्कॉर्ट के पैरो की तरफ | कामिनी आगे को थोड़ा झुकी और अपने चूतड़ थोड़ा सा ऊपर उठाये, एक हाथ से उसके मोटे तगड़े तने हुए लंड का गरम सुपाडा अपनी गरम गीली मखमली चूत के मुहाने पर लगाया और सीधी हो गयी | कामिनी के सीधे होते ही एस्कॉर्ट का मोटा लंड कामिनी की गहरी गुलाबी सुरंग की सलवटी दीवारों को चीरता हुआ अन्दर घुस गया | कामिनी के लिए मर्दों का लंड लेना कोई नहीं बात नहीं थी लेकिन वो हर बार वो अपनी सेक्स जरूरतों के लिए मर्दों का मुहँ ताकना पसंद नहीं करती थी | कभी वो डिल्डो से काम चलाती थी, कभी वाइब्रेटर से और कभी कभार किसी लड़की के साथ हमबिस्तर होने में उसे कोई हिचक नहीं थी | जहाँ तक सवाल है लंड से चुदने का तो वो काम उसने हमेशा पैराडाइज में ही किया है | इसके बाहर वो कभी भी किसी लंड को अपने चूत में नहीं लिया है | मोटे मासंल लंड के चूत में घुसते ही उसने अपने वासना में धधकते जिस्म का जोर उसकी चूत में फंसे लंड पर डाला तो वो सरकता हुआ चूत की गहराई में पैबस्त होने लगा | चार पांच बार ऊपर नीचे कमर हिलाने पर पूरा का पूरा हाहाकारी मोटा लंड कामिनी की चूत में घुसकर गायब हो गया |
कामिनी ने एस्कॉर्ट को आदेश दिया - हार्ड फ़ास्ट एंड डीप |

एस्कॉर्ट ने अपने सख्त हाथ कामिनी की कमर पर रखे और कामिनी की लय के साथ उसके जिस्म को हिलाने लगा | कामिनी जोर जोर से हिल रही थी और उसी लय में मोटा तगड़ा लंड में कामिनी की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था | कामिनी के मुख से कामुक कराहे निकलने लगी | कामिनी का टैटू से भरा गोरा नंगा बदन तेजी से ऊपर नीचे उठ गिर रहा था और उसी स्पीड से मोटा लंड उसकी गीली चूत की गुलाबी दीवारों को चीर कर गहराई तक जा रहा था | हर झटके के साथ कामिनी का चूत दाना एस्कॉर्ट की गोटियों से रगड़ खा रहा था | कामिनी इस मोटे लंड की चुदाई से अपने जिस्म में उमड़ रहे हवस के ज्वार को शांत करने में लगी थी | लंड के तेजी से चूत में आने जाने से हो रहे कम्पन से कामिनी का पूरा जिस्म थरथरा रहा था | घुटनों पर जोर डालकर तेजी से वो अपनी कमर और जिस्म को ऊपर को उछाल रही थी और उसी लय में एस्कॉर्ट उसकी कमर में हाथ फंसाए उसे नीचे ला रहा था | एस्कॉर्ट का मोटा लंड सटासट कामिनी की चूत को चीर कर अन्दर बाहर हो रहा था | कामिनी जैसा चाहती थी वैसे चुद रही थी | एस्कॉर्ट भी कामिनी को वही चमत्कारिक कम्पन देकर वासना की तरंगो से उसके जिस्म के पोर पोर को भर देना चाहता था | कामिनी पूरी तरह वासना के बुखार में डूब चुकी थी, उसकी सांसे तेज धौकनी की तरह चल रही थी, उसका बदन पूरी तरह से गरम होकर तप रहा था और उसकी ऊँची छाती तेज धड़कते दिल के कारन धक धक कर रही थी | कामिनी काउबॉय पोजीशन में खुद को एक बड़े लंड से सटासट चोद रही थी | इतनी तेज चुदाई के एक्शन के कारन कामिनी जल्दी ही हांफने लगी | उसकी हांफने की आवाज उसकी सांसो से टकराने लगी और इसी के साथ उसके कमर का ऊपर नीचे होना भी धीमे हो गया | कामिनी रुकना नहीं चाहती थी लेकिन उसकी सांसे बेकाबू हो चुकी थी और अब बस उखड़ने की कगार पर थी | इसके बाद नही कामिनी रुकने को तैयार नहीं थी | उसने एक हाथ से अपने चूत दाने को रगड़ना शुरू कर दिया | उखड्ती सांसो के बीच बोली - फास्टर |
एस्कॉर्ट ने अब नीचे से अपनी कमर भी हिलानी शुरू कर दी | अब दोगुनी गति से एस्कॉर्ट का मोटा लंड कामिनी की चूत को चीर रहा था | कामिनी के मुहँ से चुदाई के आनंद की आवाजे भी उतनी जोर से निकलने लगी | कामिनी की मखमली चूत की गुलाबी दीवारों को जी जिस बेदर्दी से एस्कॉर्ट का मोटा लंड अब मसल और चीर रहा था, उनका कीमा बनना तय था | कामिनी का बदन तप रहा था और उसकी चूत की दीवारे धधक रही थी | जिस्मो की गर्मी पसीने के रूप में बाहर निकलने लगी थी और कामिनी ने अपने चूत दाने को बेदर्दी से रगड़ना शुरू कर दिया | एक लहर, एक तरंग उसकी आग की भट्ठी की तरह जल रही चूत से उठी और कमर पिंडलिया सबको झंकृत करती हुई चली गयी, दूसरी लहर उठी और उसकी नाभि पेट छाती से ऊपर की ओर चली गयी | एक एक कर लहरे उसकी चूत से निकल पुरे बदन में फैलने लगी | उसका शरीर कांपने लगा, उसकी कमर, पिंडलियाँ जांघे, सर सब जोर जोर से कांपने लगा और एक पल में सब शांत होगया | कामिनी के मुहँ से लंबी लम्बी सिसकारियां छुटने लगी | उसकेचूत दाने की रगड़ने की स्पीड कम होने लगी | हांफती कांपती कामिनी ठहर सी गयी और एस्कॉर्ट का लंड अपनी जड़ तक पूरा का पूरा उसकी चूत में धंसा हुआ और कामिनी आनंद में सरोबर हो अपनी सांसे काबू करने लगी |

जैसे ही कामिनी चरम सुख की चेतना से वापस लौटी, उसे अहसास हुआ, उसके नीचे लेटे मर्द का एक मोटा मुसल लंड उसकी चूत में पूरी तरह से गहराई तक धंसा हुआ है | वो इस वासना के खेल को और आगे तक ले जाना चाहती थी, वो अभी इस हवस के नंगे नाच को और चुदाई के खुले खेल को अपनी अथाह वासना के सागर में गहरे तक डूबकर और आगे तक ले जाना चाहती थी | उसने एस्कॉर्ट को बोला - डोंट स्टॉप , चोदते रहो नॉन स्टॉप |
एस्कॉर्ट नीचे से कमर हिला हिलाकर चोदने लगा लेकिन एक राउंड की घनघोर चुदाई के बाद कामिनी खुद को संभाल नहीं पायी | उसने खुद को ढीला छोड़ दिया, जिससे उसकी चूत में लंड पुरे का पूरा ठीक से घुस नहीं पा रहा था, एस्कॉर्ट अपनी कमर हिलाता रहा, लंड का अगला हिस्सा ही कामिनी की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था | हाहाकारी चुदाई की भूखी कामिनी को कुछ देर में अहसास हो गया कुछ तो गड़बड़ है | उसने महसूस किया एस्कॉर्ट का लंड पूरी तरह से अन्दर तक उसकी चूत को नहीं चीर रहा है | उसने एस्कॉर्ट से पुछा - क्या हो रहा है, मुझे अन्दर डीप में कुछ महसूस नहीं हो रहा है |
एस्कॉर्ट पहली बात बोला - मैडम अगर आप अपनी जांघो को मेरे लंड के स्थिर रखेगी तो मेरे लंड को पानी चूत की गहराई में महसूस कर पायेगी |
कामिनी - ओह, उसे अपनी गलती का अहसास हुआ |
कामिनी - एक काम करो, मै नीचे आ जाती हो फिर आराम से डीप तक करो |
कामिनी पीठ के बल लेट गयी, उसने अपनी टांगे ऊपर को उठाते हुए जांघे फैला दी | एस्कॉर्ट ने अपने घुटने मोड़े, अपना लंड कामिनी की चूत पर लगाया और एक ही झटके में पूरा क अपुरा लंड कामिनी की चूत में पेल दिया | कामिनी के मुहँ से एक मादक कराह निकल गयी - आआऔऊऊच |
कामिनी - चोदो मुझे, तेज तेज, जोर जोर से डीप डीप, गहराई तक |
एस्कॉर्ट प्रोफेशनल था - यस मैडम कहकर उसने अपनी कमर हिलाने की स्पीड तेज कर दी | उसका मोटा लंड तेजी से कामिनी की चूत में अन्दर बाहर होने लगा | कामिनी अपने बड़े बड़े दूध मसलने लगी और हर धक्के के साथ चूत की गहराई में पैबस्त होते लंड की सिसकारी उसके मुहँ से निकल ही जाती | ऐसे ही तो उसका चुदने का मन था | उसे भी लगा असली लंड से चुदाई का मजा, बाकि तरीको में नहीं है लेकिन उसकी पानी प्राथमिकताये थी इसलिए लंड से चुदना उसकी पहली सेक्स चॉइस नहीं थी | जैसे हमेशा एक ही खाना नहीं खाया जा सकता वैसे ही एक तरीके से लगातार सेक्स करना भी बोरिंग होता है | ये चेंज सुखद था और कामिनी इसे एन्जॉय कर रही थी | अब वो ड्राइविंग सीट पर नहीं थी, इसलिए उसे बस एन्जॉय करना था, वो अपनी चूत में जाते मोटे लंड को चूत की दीवारों पर हो रही मालिश को गहराई तक महसूस कर रही थी | एस्कॉर्ट बिना रुके बिना थके उसे चोद रहा था, न उसका लंड नरम हुआ, न झड़ने की टेंशन | वो बस अपना काम मुस्तैदी से कर रहा था |

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09-02-2021, 03:47 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
एस्कॉर्ट की इस नीरस चुदाई से कामिनी बोर होने लगी | कामिनी को कुछ अलग सा किंकी सा जंगलीपन चाहिये था | उसे कुछ हटकर अलग से सेक्स की ख्वाइश थी, ऐसा नुभव जो उसने पहले कभी लिया न हो ऐसा नहीं था एस्कॉर्ट ठीक से चुदाई नहीं कर रहा था | एस्कॉर्ट कामिनी की चूत का कोना कोना अच्छे से अपने मोटे मुसल लंड से मसल रहा था लेकिन कामिनी को ये रूटीन चुदाई पर्याप्त नहीं थी | कामिनी ने एस्कॉर्ट से रुकने को कहा | एस्कॉर्ट रुक गया | कामिनी ने पुछा - टेल में हाउ इस माय ass |
एस्कॉर्ट - इट्स फैंटास्टिक मैम्म |
कामिनी - यू लाइक इट |
एस्कॉर्ट - यस मैम्म |
कामिनी - सो फ़क माय ass |
कामिनी पलट गयी, उसने घुटनों के बल होकर अपनी गाड़ थोड़ी सी हवा में उठा दी |
एस्कॉर्ट ने उसके चुताड़ो को फैलाया, उसके हलके से खुले छेद पर ढेर सारा लोशन उड़ेलने के लिए बोतल की तरह हाथ बढाया लेकिन कामिनी ने मना कर दिया |
कामिनी - ओनली माउथ लोशन |
एस्कॉर्ट ने अपने मुहँ से लार निकाली और कामिनी की गांड के संकरे छेद पर मल दी, उसने ज्यादा से ज्यादा लार निकाल कर लगाने की कोशिश करी थी लेकिन वो उसके लंड के मोटे साइज़ और कामिनी के संकरे छेद को देखते हुए नाकाफी थी | वो दुविधा में था कही मैम्म को दर्द न हो और उल्टा मेरी वाट लगा दे |
कामिनी उसको इन्तजार करता देख चिल्लाई - जस्ट फ़क इट यू सन ऑफ़ बिच, जस्ट फ़क माय ass हार्ड एंड डीप, फ़ास्ट एंड डीप |
एस्कॉर्ट ने जल्दी से अपना लंड थामा और कमिनी की गाड़ के संकरे छेद से सटा दिया, एक हाथ से अपने लंड को सख्ती से थामे उसकी गांड के छेद पर अपने मुसल मोटे लंड के सुपाडे का जोर बढ़ाने लगा | कामिनी की संकरी गुलाबी गांड का छेद इतना भी नरम नहीं था | एस्कॉर्ट ने और ज्यादा जोर लगाया, उसका सुपाडा कामिनी के चुताड़ो के मांस में गायब होने लगा | कामिनी की गांड के छेद पर बहुत दबाव था इसलिए उसने फैलना शुर कर दिया | एस्कॉर्ट ने लंड को कामिनी की गांड पर से हटाया और ढेर सारी लार उसके छेद पर उड़ेल दी | फिर अपने लंड के फूले सुपाडे को उसी छेद पर घुमाकर लार से गीला करने लगा | लंड का सुपाडा लार से भीग गया, उसने अपने सख्त हाथ से कामिनी का एक चुतादा थामा, तो दूसरा चूतड़ खुद कामिनी से फैला दिया जिससे उसकी गाड़ का छेद, उसकी चुताड़ो की दरार की ओट से निकालकर खुले मैदान में दिखने लगा | एस्कॉर्ट ने लंड को सख्ती से थामा और पूरा जोर लगाकर कामिनी की गांड के संकरे छेद में ठेल दिया | अपने ऊपर पड़ते भीषण दबाव से गांड के संकरे छेद की मसल्स जवाब दे गयी और उन्होंने एस्कॉर्ट के मोटे लंड को आगे का रास्ता दे दिया | एस्कॉर्ट के लंड का मोटा सुपाडा कामिनी की गुलाबी गांड में घुस गया | कामिनी के गांड के छेद के चिरने से उठी दर्द भरी तरंग उसके पैरो से लेकर सर तक दौड़ गयी | कामिनी दर्द से कराह उठी - आआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह ऊऊऊऊऊउईईईईईईईईईइ मरररररररररररररररररररररररर गाअयीईईईईईई |
एस्कॉर्ट ने कामिनी के दर्द की परवाह किये बिना लंड को हल्का सा पीछे खीचा और फिर से पेल दिया | कामिनी के मुहँ से फिर कराह निकली - आआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह ईईईईईईईईई स्सीईईईईईईईईइ, चोद मुझे और बेदर्दी से घुसेड़ मेरी गांड में, चीर डाल मेरी गांड |
एस्कॉर्ट में फिर से एक जोरदार झटका दिया और एक तिहाई लंड कामिनी की गांड में पैबस्त कर दिया | कामिनी दर्द भरी सिसकारियां ले रही थी | उसका एक हाथ अपने चुताड़ को फुलाये था और एक हाथ से अपने शरीर के भर को रोके अपनी गांड एक अनजान एस्कॉर्ट से मरवा रही थी | वैसे तो वो अपनी गांड में रबर के लंड घुसेड़ती रही थी लेकिन इतना मोटा डालने की उसे कभी हिम्मत नहीं हुई | आज पहली बार उसने रियल का मोटा मुसल लंड पानी गांड में लिया था | ये उसके लिए एक बिलकुल ही नया दर्द भरा अद्भुद अनुभव था |

एस्कॉर्ट का लंड उसकी गांड में घुस चूका था, उसकी पिछली सुरंग का दरवाजा खुल चूका था, अब तो बस एस्कॉर्ट के लंड को आगे का सफ़र तय करना था | उसने आइस्ते आइस्ते अपना पूरा लंड कामिनी की गांड में खिसका दिया | धीरे धीरे वो धक्को की स्पीड बढ़ाने लगा | कामिनी भी गांड को ऊपर उठा उठा कर उसका पूरा लंड पानी गांड में लेने लगी | कामिनी की गांड का छेद पूरी तरह खुल चूका था | अब उसमे एस्कॉर्ट मोटा मुसला लंड जड़ तक सटासट घुस रहा था | कामिनी पहली बार किसी असली लंड से अपनी गांड मरवा रहीथी और एस्कॉर्ट का मोटा लंड बहुत से अच्छे से उसके छेद की मालिश कर रहा था | कामिनी अपनी ही उत्तेजना के भंवर में गोते लगा रही थी, हर झटके के साथ उसकी कराहे भी जोर जोर से निकल रही थी और वो उकसाने वाले शब्द भी बोल रही थी | एस्कॉर्ट काफी देर से कामिनी को चोद रहा था इसलिए उसका एनर्जी लेवल थोड़ा स्लो हो गया था, कामिनी मादक कराहों के बीच - लंड में दम नहीं है बचा क्या जो मुर्दे की तरह लंड डाल रहा है मेरे अन्दर | मर्द की तरह चोद मुझे या तेरे लंड में वो दम नहीं बचा जो कामिनी की गांड की भूख मिटा सके हरामखोर | ढंग से चोद, जमकर चोद साले | वरना भाग जा यहाँ से मै दूसरा आर्डर करती हूँ |

कामिनी की बाते सुनकर पसीने से तर बतर, तेज सांसो से हांफता हुआ एस्कॉर्ट फिर से मशीन की तरह कामिनी की गांड मारने लगा | कामिनी की इतना मोटा लंड अपनी सख्त गांड में लेकर बहुत मजा आ रहा था | उसने कभी गांड नहीं मरवाई थी इसलिए उसे और भी ज्यादा मजा आ रहा था | उसकी गांड का सख्त घेरा इतनी चुदाई के बाद भी नरम होने का नाम नहीं ले रहा था | कामिनी की गांड मारने में एस्कॉर्ट की साँसे उखड़ गयी और कामिनी अपने गांड के दर्द भरी चुदाई का भरपूर मजा ले रही थी | गाड़ पर पड़ते हर धक्के पर कराह जाती लेकिन मजाल तो एस्कॉर्ट को थमने को कहती | यही जंगलीपण तो उसे चाहिए था, जो यहाँ आने के बाद से दूंढ रही थी | ऐसी चुदाई से उठने वाला कम्पन जो उसके जिस्म की हर हड्डी को हिला दे, उसके रोम रोम को आनंदित कर दे | उसके जिस्म के कोने कोने की वासना की आग को बुझा दे, ऐसी ही भीषण चुदाई की दरकार थी उसे | थोड़ा सी रफ़ चुदाई, जहाँ दर्द भी हो वासना भी हो और जोश भी हो | ऐसी चुदाई जो शरीर थकाकर उसके हवस के बुखार को पूरी तरह उतार दे |

कामिनी - अब तेल से सरोबार कर मुझे, कब तक सुखी गांड मरेगा मेरी | जलन होने लगेगी नहीं तो अब तो छेद खुल गया है, अन्दर तक भर दे मेरी गांड को चिकने तेल से | एस्कॉर्ट ने अपना लंड निकाल लिया, कामिनी की गांड पूरी तरह से खुल चुकी थी, उसका छेद पूरा खुला हुआ था और उसके अन्दर से गुलाबी सुरंग साफ़ साफ़ दिख रही थी | एस्कॉर्ट ने कामिनी को तेल से सरोबर किया और फिर से उसकी गांड में लंड पेल दिया | एस्कॉर्ट ने फिर से इंजन के पिस्टन की स्पीड से कामिनी की गांड मारनी शुरू कर दी | कामिनी भी जोर जोर सेआवाजे निकालकर उसका जोश बढ़ाने लगी | जीतनी तेज वो धक्के मारता उतना ही तेज उसे उत्तेजित करने वाली आवाज में कामिनी उकसाती | इतनी तेज धक्के लगने से कामिनी के शरीर में जबदस्त कम्पन हुआ उर उसकी गांड में आते जाते लंड ने वो तरंग पैदा की, कामिनी का पूरा शरीर गनगना गया | ये क्या था पता नहीं लेकिन लगातार लगते धक्के से चूतड़ गांड पिंडलियाँ जांघे सब हिल चुकी थी | सब के सब पस्त हो चुके थे | इधर एस्कॉर्ट भी इंसान था आखिर चलते इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर होते लंड से इतनी देर से चोदते चोदते उसका लंड भी जवाब दे गया | गांड का छेद टाइट होता है, गांड मारने में न केवल आदमी का दम निकल जाता है बल्कि लंड का भी दम निकल जाता है | टाइट छेद को चोदने में भीषण रगड़ होती है और लंड जल्दी झड़ने की कगार पर पहुँच जाता है | एस्कॉर्ट भी कामिनी के संकरे छेद को खोलने के चक्कर में जल्दी निपट गया, उसके लंड ने सफ़ेद लावे की पिचकारियो की बौछार शुरू कर दी | उसने कामिनी की चिकनी टैटू भरी पीठ पर अपना सारा गरम लावा उड़ेल दिया और जोर जोर से हांफने लगा |
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09-02-2021, 03:47 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा तो जैसे इस दुनिया में थी ही नहीं | उसकी चूत इतनी उत्तेजक द्रश्य देखकर चूत रस रिसा रही थी | उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी, अचानक कामिनी के एस्कॉर्ट को झड़ता देख तो वो वापस अपनी दुनिया में लौटी | वो खुद को सँभालने लगी , अपनी सांसे व्यवस्थित करने लगी | उसके बाद वो फिर से यहाँ देखे गए वासना के नंगे नाच को अपने दिमाग की उधेड़बुन का हिस्सा बनाने लगी | वो मालविका के बाद अब कामिनी की हवस का लाइव प्रसारण देख देखकर सोच में पड़ गयी, कैसी औरते है ये, न कोई शर्म, न कोई लिहाज, अगर शादी नहीं हुई तो कही भी क्या मुहँ मारती फिरेंगी | किसी के साथ भी, कही भी चुदाई करने लगेगी क्या ? न सामने वाले का कोई अता न पता, इसकी तो शक्ल भी नहीं देखि कामिनी ने, जबकि वो तो कामिनी की शक्ल के साथ का उसके बदन का अंग अंग देख डाला | सिर्फ देखा ही नहीं, उसे अपने लंड से मथ भी डाला | कोई औरत किसी लंड का मुहँ देखे बिना उसे अपने अन्दर कैसे डाल सकती है | मुझे तो समझ नहीं आती कामिनी जैस औरते जिस लंड को जानती नहीं पहचानती नहीं उसे अपनी चूत में और पीछे कैसे ले सकती है | फिलहाल अब रीमा के दिलो दिमाग की सोच में लंड और चूत जैसे शब्द घर करने लगे थे, वरना वो तो अपनी सोच में भी इनका इस्तेमाल वर्जित रखती थी | वो अपनी दबी वासनाओं को दूसरो को जाहिर करने से डरती थी लेकिन पहले तो खुद से भी जाहिर करने से डरती थी अब फिलहाल रोहित ने उसके अन्दर इतनी हिम्मत भर दी थी की वो यहाँ बैठकर किसी दुसरे की खुलेआम चुदाई देख रही थी और अपने अन्दर दूसरो की वासनाओं और हवस को समझने की कोशिश कर रही थी | उसके दिमाग की उधेड़बुन में चूत लंड जैसे शब्द आ जा रहे थे, ये एक बहुत बड़ा परिवर्तन था लेकिन अभी भी रीमा मालविका और कामिनी जैसी हवस की भूखी औरतो के चुदने के तरीको को हजम नहीं कर पा रही थी | रीमा को लगता था कि रोहित से चुदकर, घर में नंगी रहकर, सेक्स टॉयज से खेलकर और प्रियम को सबक सिखाकर उसने बहुत बड़ा तीर मार दिया है | वो बहुत ज्यादा बोल्ड औरत हो गयी है, जो औरतो के लिए बनायीं गयी हर लक्ष्मण रेखा को तोड़कर अपनी सभी जरूरतों के हिसाब से जिंदगी में जी रही है | उसे कोई बंधन नहीं रोक सकता, न ही वो किसी खोखली नैतिकता की गुलाम है | वो अपनी कामुक वासनाए पूरी करने के लिए हर शर्म हया से परे है लेकिन यहाँ आकर उसे अपनी कामुक वासनाओं के छोटेपन का अहसास हुआ | उसे लगता था की वो अपनी वासनाओं की पूर्ति करके रेस में बाकि औरतो से सबसे आगे निकल गयी है लेकिन एक ही झटके में मालविका और कामिनी ने उसे बहुत छोटा कर दिया | उसे लगने लगा की वो उन दोनों से मीलो पीछे है | वो किसी भी हालत में इस वहशी हवस की भूख मिटाने के मालविका कामिनी के अंदाज को स्वीकार नहीं कर पा रही थी | खुद को कामुकता, वासना और हवस को मिटाने के लिए नैतिकता के बंधन तोड़कर, समाज की सारी सीमाए लाँघ कर अपने को कामसूत्र की नायिका समझती थी सेक्स को लेकर खुद को बहुत खुले विचारो को समझने वाली रीमा को उन औरतो की इतनी ज्यादा हवस भरी कामुक स्वछंदता सही नहीं लग रही थी, वो खुद को ये समझा पाने में असफल थी की मालविका और कामिनी जो कर रही है उसमे कुछ गलत नहीं है | हर आदमी अपनी जरुरत और सोच के हिसाब से चलता है | मालविका और कामिनी भी अपनी दिमाग और सोच के हिसाब से जो भी कर रहे थे वो सही कर रहे थे | रीमा की नजरो में दोनों कुतिया और रंडी बन गयी थी | रीमा का अंतर्मन बार बार समझाने को आतुर होता कि वो भी तो अपनी जवानी की आग ही बुझा रही है इसमें गलत क्या है, लेकिन रीमा ये सब नहीं कर सकती थी किसी भी हाल में नहीं कर सकती थी किसी भी हाल में किसी अनजाने मर्द से चुदने का तो सवाल ही नहीं उठता था, पिछवाड़े में लेने और गांड मरवाने की तो वो सपने में भी कल्पना नहीं कर सकती थी | औरते अपने चरम सुख को पाने और जवान जिस्म की हवस की भूख की आग को मिटाने को अपनी गांड भी खुद की मर्जी से मरवाती है ये उसके अन्दर का स्त्रीत्व का अहंकार ये सब स्वीकार नहीं कर पा रहा था | उसे लगा रहा था कि मालविका और कामिनी ने अपने पिछवाड़े के छेदों में लंड पेलवा कर पाप कर रही है ये घिनौना है घ्रणित है गलत है | उसे लगता था सिर्फ चूत को चुदवाने की प्यास होती है और जब चूत को लंड न मिले तो उसमे चुदने की खुजली मचती है, प्रकृति ने औरत को चूत दी है चुदवाने के लिए, अपने जिस्म की जवानी की प्यास बझाने के लिए | फिर किसी औरत का गांड मरवाना सहज नहीं हो सकता, ये समाज के स्थापित नियमो के खिलाफ है और प्रकृति के स्थापित नियमो के भी विरुद्ध | गांड लंड जाने के लिए नहीं बनी है जबकि चूत इसीलिए ही बनी है | कोई खुद को इतनी तकलीफ देकर अपनी गांड मरवाकर कैसे आनंद उठा सकता है | उससे निकलने वाली गन्दगी का क्या | रीमा के अंतर्मन ने ही जवाब दिया गन्दगी तो चूत में भी होती है, उसे भी तो साफ़ करके चोदते है, चूत में भी दर्द होता है, पहली बार चूत में भी तकलीफ होती है फिर गांड क्यों नहीं चुद सकती | रीमा के मन ने ही पलटवार किया - नहीं गांड बहुत गन्दी होती है और वो इसलिए नहीं बनायीं गयी है कि उसके अन्दर कुछ जा सके, उससे शरीर की गन्दगी जरुर बाहर निकलती है | नहीं नहीं ये मै क्या सोच रही हूँ, ये सब वहशियाना है गन्दा है घिनौना है, जानवर भी ऐसा नहीं करते | रीमा के मानसिक सोच पर उसके नैतिकता के बन्धनों ने ब्रेक लगा दिया | रीमा की मानसिक सीमा यहाँ आकर ख़त्म हो गयी, रीमा की वासना की स्वछंदता की सीमा यही आकर ख़त्म हो गयी | रीमा को लगता था वो अपने जिस्म की हवस बुझाने को जो करना चाहे कर सकती है लेकिन एक झटके में उसकी कमजोरी उसी की आँखों के सामने जाहिर हो गयी | एक झटके में मालविका और कामिनी ने वासना की भूखी रीमा को उसी की नजरो में बहुत छोटा कर दिया | उसका मन निराशा से भर गया, जो कामिनी और मालविका कर रही थी वो रीमा के बस का नहीं था और ये रीमा के मन में हमेशा के लिए एक चुनौती बनकर उसकी दबी वासनाओं को खटकता रहेगा | वो कामुकता के खेल में सबसे उत्कृष्ट नहीं है, मालविका और कामिनी उससे बहुत आगे निकल चुकी है | वहां तक वो कभी पंहुच ही नहीं सकती | उसका मन जिस उत्साह से चुदाई देखने आया था अब वो खटास से भर गया था | वो वहां से जाना चाहती थी | रोहित तीन नोड को मेंटेनेंस पूरा कर चूका था तीन का बाकि था |

रीमा ने उदास भाव से - रोहित मै बोर हो रही हूँ यहाँ, चलो न यहाँ से |

रोहित को थोड़ा हैरानी हुई - मुझे लगा तुम इसे मन लगाकर देखोगी |

रीमा - बकवास है ये सब, छी छी छी छीछीछीछीछीछी कितने गंदे गंदे काम करती है ये औरते | चुदाई की इतनी भूखी है ये औरते की किसी भी छेद में ले लेगी किसी का भी ले लेंगी, न नाम न पता बस अन्दर घुसा लेंगी |

रोहित उसके मुहँ से चुदाई शब्द सुनकर हल्का सा मुस्कुराया - उनकी मर्जी, उनका शरीर, (जानबूझकर) उसकी चूत है उनकी गांड है कही भी चुदवाये, कही भी मरवाए, किसी से भी चुदवाये, किसी से भी मरवाए | हमें क्या मतलब |

रीमा - तुम्हे गन्दा नहीं लगता ये सब ?
रोहित - क्या गन्दा नहीं लगता ?

रीमा - पीछे करना |

रोहित - ओह्ह्ह्ह रीमा तुम भी न, अब जो कर रहा है उसे गन्दा नहीं लग रहा तुम क्यों परेशान हो रही हो |

रीमा - कितना गन्दा है ये सब | कितनी चुदास भरी है इन औरतो के अन्दर, कही भी डलवा लेगी |
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09-02-2021, 03:47 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रोहित - अब तुम सचमुच पर्सनल हो रही हो, क्या फर्क पड़ता है अगर वो गांड मरवाकर खुस है, तो उनकी मर्जी | आखिर वो खुस तो है न, वो अपनी इक्षा दबा तो नहीं रही, उनका जिस्म है उनकी हवस है चाहे जैसे अपने बदन की प्यास बुझाये , उनका मन है तो गांड मरवाए चाहे चूत चुदवाये उनकी इक्षा है वो पूरा कर रही है |

रीमा - आग लगा दू मै ऐसी हवस को |

रोहित - देखो रीमा ये तुम्हे नहीं पसंद लेकिन वो तो इसे भरपूर एन्जॉय कर रही है |

रीमा - पीछे करवाने में कौन सा एंजोयमेंट, फट के हाथ में आ जाती होगी |

रोहित रीमा की इस बात पर हल्का सा खुन्नस खा गया - मुझे समझ में ये नहीं आता तुम इसे इतना पर्सनल क्यों ले रही हो, ऐसा लग रहा है जैसे मालविका और कामिनी गांड अपनी मरवा रही है लेकिन फट तुमारी गांड रही है |

रीमा - तुम मुझसे ऐसे बात नहीं कर सकते |

रोहित खुद के गुस्से को काबू कर्ता हुआ - अच्छा बाबा सॉरी, लेकिन उन्हें उनके हाल पर छोड़ दो, वो गांड मरवाकर, किसी बाहरी जिगोलो से चुदवाकर खुस है तो उन्हें खुस रहने दो, कम से कम अपने अन्दर अपनी हवस दबाकर अन्दर ही अन्दर कुंठित तो नहीं हो रही है | आदमी दस जगह मुहँ मरता है जब वो गलत नहीं है तो औरते अपनी मर्जी से कही भी चुदवाये, मरवाए वो कैसे गलत है | उनकी जवानी की आग है अपने तरीके से मिटा रही है | कम से कम अपनी मर्जी का कर तो रही है, किसी मर्द को तो उन्हें पकड़कर नहीं बताना पड़ रहा है की तुम प्यासी हो तुम चुदासी हो | तुमारी चूत या गांड लंड से चुदने को बेताब है |

रीमा - अपनी बकवास बंद करो, मै कुंठित नहीं हूँ, मै अपनी हवस दबा के नहीं रखती और बड़े आये मेरी चूत को उसकी चुदास के बारे में बताने वाले |

रोहित हल्का सा मुस्की मारता हुआ - अच्छा बाबा ठीक है लेकिन इतना ज्यादा टेंसन में क्यों हो ?

रीमा - मै टेंशन में नहीं हूँ |

रोहित के दिमाग में अचानक से कुछ क्लिक किया - एक बार पून्छु रीमा, कही तुम इन दोनों औरते से जलन तो नहीं खा रही हो | तुम्हे कही ये तो दिक्कत नहीं है की वो बिंदास अपनी हवस अपनी शर्तो पर बुझा रही है, उन्हें कोई लोकलाज नहीं है उन्हें कोई हया शर्म नहीं है और तुमारे लिए वो सब करना वर्जित है, नामुनकिन है | कही तुम भी तो वो सब नहीं करना चाहती | कही तुमारी भी तो दबी कामना नहीं है इस तरह से अपने जिस्म की हवस बुझाने की |

रीमा एक बरगी को खड़भड़ा गयी, उसे लगा जैसे किसी ने उसके अन्दर कही कोने में दबी चिंगारी में फूंक मार दी हो, फिर संभालती हुई अदा से बोली - इतनी कमजोर नहीं हूँ मै, तुम्ह से तो सीखा है अपने जिस्म की प्यास बुझाना | वो अलग बात है मै इतना गन्दा नहीं कर सकती |

रोहित उसकी बात पकड़ता हुआ - मतलब थोड़ा गन्दा कर सकती हो |

रीमा - जस्ट शट उप, मुझे रूम जाना है, थक गयी हूँ सोना है |

रोहित - सोना है तो यही सो जाओ, थक गयी हो तो मालिश का सारा सामान मौजूद है रही बात जाने की तो अभी मुझे तीन नोड और देखने है, उसी के बाद यहाँ से निकलूगा |

रीमा - तब तक तो रात के दो बज जायेगें |

रोहित - तो क्या हुआ, हवस का नंगा नाच देखो तब तक, हर केबिन में यही तो हो रहा है इस समय |

रीमा - मुझे नहीं देखना |

रोहित आंखे मटकाता हुआ - तो हवस का नंगा नाच करना है ??

रीमा - तुम्हें भी बस एक ही बात सूझती है हर दम |

रोहित रीमा को चिढ़ाता हुआ - सच कंहू तो हाँ , तुम्हे देखकर तो एक ही बात सूझती है, बस तुम अपनी बांहों में लिए नंगा पड़ा रहू, हौले हौले धीरे धीरे ....................................पूछो जरा अपनी मुई से ...............क्या ख्याल है|

रीमा खीझती हुई - रोहित जस्ट शट उप, यहाँ सोचना भी मत | पता है कितना टाइम लगता है साड़ी पहनने में |

रोहित रीमा को मटकाता हुआ - मै बिलकुल नहीं सोचुगां, मै तो बस करूगां, धीरे धीरे हौले हौले .........|

रीमा - अपनी बकवास बंद करो नहीं तो मै जा रही हूँ | बाय............

रोहित - हौले हौले .............धीरे धीरे जाना |

रीमा जोर से खीझती हुई - मै कही नहीं जा रही, तुम करते रहो बकवास मै सुन भी नहीं रही |

रोहित - मुझे पता है कामिनी वाले स्टंट करने का मन है तुमारा, बस झिझक रही हो |

रीमा को रोहित की बात से झटका सा लगा, लेकिन अब वो पहले से मानसिक रूप से मजबूत थी,जल्द ही संभल गयी - मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता तुमारी बकवास से, मै पहले वाली बुद्धू रीमा नहीं हूँ | तुमारा माइंड गेम सब समझ रही हूँ |

रोहित - काफी स्मार्ट हो गयी हो |

रीमा - वो तो मै हूँ और सेक्सी भी |

रोहित - अपने मियां मिट्ठू ................................. मुझे अपना काम करने दो , नहीं तो एक भी सेटिंग्स अगर ऊपर नीचे हो गयी तो आफत हो जाएगी | एक काम करो तब तक तुम ये देखो...........औरतो की फैन्ताशी देखकर बोर हो गयी तो तो आदमियों की देखो | कैसे ऐश करते है साले हरामोखोर और एक तुम हो जो हमेशा मुझे गलत समझती रहती हो | मै लड़की को पटा कर चोदता हूँ वो भी उसकी मर्जी से और ये देखो कैसे पानी की तरह पैसा बहा रहे है अपनी आइयास्शी पर | उसने एक और केबिन की रिकॉर्डिंग शुरू कर दी | ये लाइव नहीं था |
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09-02-2021, 03:47 PM,
RE: Antarvasnax दबी हुई वासना औरत की
रीमा बिस्तर पर जाकर लुढ़क गयी और एक एडल्ट ब्लू फिल्म की तरह दुसरे केबिन की कहानी देखने लगी |

अभी जो काबिन रीमा के सामने शीशे की दीवाल पर दिख रहा था उसमें मिस्टर सहाय थे जो अपनी ही पर्सनल सेक्रेटरी के साथ आये थे | पार्टी में दोनों अलग अलग आये थे, लेकिन सहाय के सभी करीबी जानते थे यहाँ पैराडाइज में मिस्टर सहाय क्यों आते है | कमरे में आते ही उनकी सेक्रेटरी कम गर्ल फ्रेंड ज्यादा ने अपने सारे कपड़े उतार फेंके | उसका नाम मिली था, ये उसका शार्ट नाम था | पूरा नाम शायद ही कोई जानता हो | सभी उसे मिली ही बुलाते थे | मिस्टर सहाय के कमरे में आने से पहले ही मिली ने अपने सारे कपड़े उतार फेंके | मिली अच्छी खासी कद काठी के जिस्म की मालकिन थी | उसकी लम्बाई लगभग 6 फीट के आस पास थी | उसका उठा हुआ सीना जिस पर दो बड़े बड़े सुडौल से स्तन थे कम से कम उसकी ब्रा साइज़ 36 D जरुर होगा, जितना बड़े बड़े उसके स्तन थे उतना ही पतली कमर थी, कमर २४ से ज्यादा की तो नहीं रही होगी | कमर के नीचे उसके भारी भरकम मांस से भरे पुरे, पीछे को अच्छे उठे उभरे हुए गोरे गोरे नरम नरम चूतड़ थे | अब तक मिस्टर सहाय अन्दर आ चुके थे | उन्होंने सूट पहना हुआ था | उनके अन्दर आते ही मिली कमर मटकाती चूतड़ हिलाती लटे उलझाती मिस्टर सहाय के पास आ गयी |

मिस्टर सहाय उससे कद में छोटे लग रहे थे | आते ही उसने मिस्टर सहाय के ओंठो पर अपने ओंठो को रख दिया और उन्हें चुम्बन करने लगी | मिस्टर सहाय भी उसके मुहँ में जीभ डाल कर उसे डीप किस करने लगे | देखते ही देखते दोनों एक दुसरे से चिपक गए | मिली सहाय को डीप किस कर रही थी और सहाय अपने दोनों हाथो से उसके भारी भरकम चुताड़ो को अपनी हथेलियों में भरकर मसल रहे थे | मिली ने सहाय के गले में हाथो की माला डाल दी | तभी उसे सहाय की पेंट में पहले से तने लंड का अहसास अपनी जांघ पर हुआ | उसके लंड की गर्माहट जैसे ही मिली की जांघ पर महसूस हुई मिली एक सी आह उसके मुहँ से निकली | उसने एक हाथ से पेंट के अन्दर ही राड की तरह सख्त हो चुके सहाय के अकड़े लंड का जायजा लेने के लिए नीचे हाथ बढाया, इतने में ही सहाय ने झटके से मिली को पलट दिया और उसके उरोजो को हाथो में भर कर मसलने लगे और उसके चौड़े चुताड़ो को अपनी लंड के सामने पेंट के ऊपर रगड़ने लगे | मिली भी कमर हिला हिलाकर अपने मांसल चौड़े चूतड़ खुद ही सहाय के लंड के ऊपर रगड़ रही थी | मिली के चुताड़ो का साइज़ कुछ ज्यादा ही बड़ा था, शायद इसीलिए नंगी मिली के गोरे जवान बदन पर चूतड़ अलग ही चमक रह थे | सहाय मिली ने नाजुक कोमल बदन को सहलाते हुए उसके उरोजो की जमकर मालिश करने लगे, उसके निप्पलो को मसलने लगे | मिली उरोजो पर जोर पड़ते ही दर्द और वासना की उत्तेजना से कसमसाने लगी | सहाय ने मिली को फिर अपनी तरफ घुमा लिया और उसके ओंठो को कसकर चूमने लगे | मिली ने भी गर्दन झुकाकर सहाय के गले में अपने कोमल हाथो का हार डाल दिया | सहाय उसकी गर्दन ठोड़ी कान चूमने लगा | उसकी हाथो की उंगलियों को एक एक कर चूसने लगा | फिर सहाय के हाथ फिर से मिली के नरम मांस से भरे ठोस सुडौल चौड़े चुताड़ो पर चले गए | वो उन्हें दोनों हाथो में भर भर कर मसलने लगा | उसे मिली के कसावट लिए हुए चुस्त नरम चूतड़ मसलने में बड़ा मजा आ रहा था | मिली मिस्टर सहाय की शर्ट के बटन खोलने लगी और उनकी गले में बंधी टाई उतारने लगी | मिली सहाय की टाई उतारने के बाद उनकी शर्ट के बटन खोल ही रही थी, तभी सहाय ने मिली के मांसल चूतड़ मसलते मसलते उसे ऊपर उठा लिया | मिली ने भी उसकी कमर को अपने पैरो से जकड़ लिया | सहाय ने उसे एक सोफे पर पटक दिया और बेतहाशा उसके ओंठो और चेहरे को चूमने लगा | मिली भी उसका भरपूर साथ देने लगी | मिली के उरोज काफी बड़े थे और सुडौल भी, सहाय की हथेली में बमुश्किल आ पा रहे थे | सहाय ने उसके उरोजो को कसकर मसलना और चूमना जारी रखा | कभी उसके दाये उरोज के निप्पल को मुहँ में भरकर चूसने लगता, कभी उसके बांये उरोज के निप्पल को | मिली भी वासना में मदमस्त होने लगी थी | उसका बदन गरम होने लगा , उसकी सांसो में गर्मी बढ़ने लगी | सहाय ने अपने हाथो में मिली के हाथ थाम लिए और उसके पेट और नाभि को चूमता, चाटता नीचे उसके गुलाबी रंगत से भरे, चिकने चूत त्रिकोण में पहुँच गया | मिली की चूत का इलाका न केवल बालो रहित था बल्कि किसी विशेष क्रीम से साफ़ किया गया था | उसके चूत त्रिकोण पर एक भी दाग धब्बा नहीं था | अपने यौवन और जवानी की रंगत का मिली अपने कैरियर के लिए भरपूर उपयोग कर रही थी | उसे पता था बॉस को खुस रखना है तो बॉस से चुदवाना पड़ेगा | जब बॉस उसको चोदेगे तो उसके जिस्म कि नुमाइश भी करेगा | इसलिए खुद को टीप टॉप, क्लीन सेव रखती थी | सहाय को मिली की चूत चूसना भी बहुत पसंद था क्योंकि वो अपनी चूत को बहुत ही ज्यादा साफ़ सुथरा रखती थी |

इसलिए मिली को चुमते चाटते सहाय उसकी चूत के मुहाने पर पहुँच गया | उसने उसकी गोरी जांघो को चूमना शुरू किया, उन पर अपनी गीली जीभ फिराई | मिली का गोरा मांसल बदन कमरे की रौशनी में संगमरमर की तरह चमक रहा था | उसके दोनों स्तन उसकी छाती पर ऊपर की सीधे तने हुए थे और उन पहाड़ियों की ऊँचाई पर घुंडी नुमा गेहुवा रंग लिए चूचिया विराजमान थी | सहाय ने मिली की जांघे चुमते चुमते, उसकी गरम चूत पर अपने ओंठ रख दिए | मिली उत्तेजना से सिसक कर रह गयी | सहाय में उसकी कमर के नीचे चुताड़ो के उपरी हिस्से को दोनों तरफ से थाम कर खुद का सर उसकी जांघो में कसकर घुसा दिया और उसकी मखमली गुलाबी सुरंग पर अपनी गीली जीभ फिराने लगा | उसने मिली के चूत दाने को मुहँ में कसकर भर लिया और किसी टॉफी की तरह चूसने लगा | मिली के मुहँ से थोक के भाव मादक आहे निकलने लगी | चूत इलाके से आ रही वासना की तरंगो के कारन उसका सीना तेजी से ऊपर नीचे उठने गिरने लगा | उसके पैर चलायमान हो गए, उसकी कमर कसमसाने लगी | सहाय ने उसको स्थिर करने के लिए उसकी जांघो के जोड़ को दोनों तरफ से कसकर अपने बाहुपाश से जकड़ लिया लेकिन फिर भी उसके पैर चलायमान रहे | उसके शरीर में बेकाबू होती उत्तेजना और उत्तेजना की तरंगो की उठती गिरती ऊँची लहरों को थाम कर रखने के लिए सहाय ने उसके दोनों हाथों को अपने दोनों हाथो के पंजो से उंगलियाँ फंसाकर जकड़ लिया | मिली सिसकारियां भरती रही और उसका बदन चूत दाने से निकलने वाली उत्तेजना में कसमसाता रहा | मिली के तेज गरम सांसो के कारन उसका सीने के बड़े बड़े सुडौल पुष्ट उरोज ऊपर नीचे उठ गिर रहे थे | उसके बदन की बढती गर्मी के साथ साथ उसके स्तन भी सख्त होने लगे | उसके निप्पल भी तनने लगे | उसके मुहँ की मादक कराहे तेज होती जा रही थी | सहाय उसकी जांघो को फैलाये, उसके चूत के गुलाबी ओंठो का रस पान कर रहा था और मिली उत्तेजना के भंवर में इधर उधर कसमसा रही थी | सहाय की गीली जीभ जब उसके लाल चूत दाने को रगड़ती तो मिली के मुहँ से सिसकारियो की झड़ी फुट पड़ती | सहाय मिली की गुलाबी चूत और चूत दाने को बारी बारी से चूम रहा था, चूस रहा था और चाट रहा था | उसकी जीभ की कलाकारी से मिली उत्तेजना के कारन पागल हुए जा रही थी लेकिन सहाय का ये प्रिय शगल था | वो जब भी मिली को चोदता, पहले उसकी चूत को चूस चाट चूम के उसको पागल कर देता था, फिर मिली हर तरह से जमकर चुदती | उसकी चूत को अच्छे से चूसने के बाद सहाय मिली को हाहाकारी तरीके से रंडियों की तरह चोदता, इसके बाद उसे न तो मिली की ख्वाइश की परवाह रहती और न ही उसके दर्द की | मिली को भी पता था उसकी नौकरी प्रमोशन सब इसी चुदाई पर टिका है इसलिए वो भी रंडियों की तरह जमकर चुदती | सहाय ने मिली की चूत चाट चाट के उसे बेहाल कर दिया था | अगर वो सहाय को न रोकती तो उत्तेजना से पागल हो कर झड़ने के करीब पहुँच जाती | वो झट से सोफे से उतरी और सहाय के सीने से अपना सीना रगड़कर उसे चूमने लगी | सहाय अपनी शर्ट की बची खुची बटने खोलने लगा | मिली उसे चुमते चुमते नीचे को चली गयी, और पैरो को टिका कर बैठ गयी | उसके उसके चेहरे के सामने सहाय की कमर थी, उसने तेजी से सहाय की पेंट की बटन खोली और जिप को नीचे खिसकाया | फिर चड्ढी सहित उसकी पेंट घुटनों के नीचे खिसका दी | सहाय की पेंट के अन्दर कैद सहाय का रेड की तरह तना हुआ, फूला खड़ा लंड फुफकारता हुआ मिली की आँखों के सामने झूलने लगा |
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